राखी सावंत का अनोखा राज़ (लेखिका: नज़मा हाशमी)

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RohitKapoor
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राखी सावंत का अनोखा राज़ (लेखिका: नज़मा हाशमी)

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राखी सावंत का अनोखा राज़
लेखिका: नज़मा हाशमी


अस्वीकरण : यह कहानी और इसके पात्र पूर्णतया काल्पनिक और असत्य है और किसी भी व्यक्ति या सिलेब्रिटी (ख्यातिप्राप्त हस्ती) की वास्तविक ज़िंदगी या व्यव्हार से इस कहानी का बिल्कुल भी कोई संबंध नहीं है!

शाम के वक्त बॉथ टब में से निकल कर राखी सावंत ने ऊँची ऐड़ी की चप्पल में पैर डालते हुए तौलिया उठाया और बाथरूम में लगे विशाल आईने में देखते हुए अपना जिस्म सुखाने लगी। आईने में खुद को निहारते हुए राखी ने अपने जिस्म पर अपने हाथ फिराये और सिलिकॉन जड़े हुए अपने बड़े-बड़े मम्मे सहलाने लगी। उसने अपने निप्पलों को खींचते हुए मरोड़ा तो वो एक दम कड़क हो गये। सिसकते हुए राखी जिस्म पर अपने हाथ फिराते हुए नीचे ले गयी। अपनी टाँगों के बीच में हाथ ले जा कर राखी ने उसे अपने हाथों में पकड़ लिया जिसके बारे में सिर्फ वो खुद और कुछ गिने-चुने लोग ही जानते थे - उसका लौड़ा!

अपने लौड़े को पकड़ कर राखी उसे अपनी मुठ्ठियों में धीरे-धीरे ऊपर-नीचे सहलाने लगी तो वो खड़ा होने लगा। आखिरकार उसका लौड़ा पूरे आठ इंच लंबा होकर बिल्कुल सख्त हो गया और राखी ने फिर खुद को आईने में निहारा।

“भैनचोद! बहुत ही कमीनी कुत्तिया हूँ मैं भी!” सोचते हुए राखी कुटिलता से मुस्कुरायी और फिर प्रियंका चौपड़ा को याद करते हुए अपने लौड़े को मुठियाने लगी जिसे वो आज सुबह ही फिल्म के सैट पर मिली थी। सिसकते और कराहते हुए राखी अपने दोनों हाथों से लौड़े पर जोर-जोर से मुठ मारते हुए ये तसव्वुर कर रही थी कि प्रियंका चौपड़ा उसका लौड़ा मुँह में भर कर चूस रही है।

“ऊँम्म्म... प्रियंका... चूस ले मेरा लंड... !” जोर-जोर से अपना लौड़ा सहलाते हुए राखी पुकार उठी। उसकी मुठ्ठियाँ बहुत ही तीव्रता से लंड पर चलने लगीं और आखिरकार वो झड़ने की कगार पर पहुँच गयी। “ओहह भैनचोद.... प्रियंकाऽऽऽ भोंसड़ी वाली!” राखी चींख पड़ी और उसके झटकते लंड में से वीर्य उछल-उछल कर तेजी से सामने सिंक और आईने पर गिरने लगा।

हाँफते हुए राखी बाथरूम से बाहर आकर बेडरूम में सोफे की कुर्सी पर निढाल बैठ गयी और धीरे-धीरे अपना लंड सहलाने लगी जिसमें से वीर्य के आखिरी कतरे अभी भी रिस रहे थे। फिर सिसकते हुए वो अपनी उंगलियों और हाथों को चाट कर अपने ही वीर्य का स्वाद लेने लगी।

अचानक उसके मोबाइल की घंटी बजी तो झटके से राखी हकीकत में वापिस लौटी और भाग कर उसने अपना फोन उठाया। “हैलो?” सोफे की कुर्सी पर वापस बैठते हुए राखी फोन पर बोली। पैरों में ऊँची ऐड़ी की चप्पल के अलावा वो अभी भी बिल्कुल नंगी थी। इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“हॉय राखी! दिस इज़ मल्लिका! क्या चल रहा है मेरी जान?” फोन पर मल्लिका शेरावत की आवाज़ थी। मल्लिका की आवाज़ सुन कर राखी के होंठों पर मुस्कान आ गयी।

“ओह हॉय मल्लिका डॉर्लिंग! बस यार अभी नहा कर निकली हुँ। तू बता क्या चल रहा है? तू कब आयी अमेरिका से?” राखी ने पूछा और सोफे की कुर्सी के हत्थे पर टाँगे लटका कर लेट गयी।

मल्लिका शेरावत अमेरिका और अपनी नयी फिल्मों के बारे में मिर्च-मसाला लगा कर बताने लगी। “लेकिन सुन यार! मुझे नहीं लगता कि तू रात भर मेरी बकबक सुनना चाहेगी!” मल्लिका हंसते हुए बोली तो राखी भी उसके साथ हंस दी। “मैंने तो इसलिये फोन किया था कि अगर तू फ्री है तो चल कहीं किसी बार में मिलते हैं और कुछ मौज-मस्ती करते हैं!” मल्लिका ने पूछा।

मल्लिका की बात सुनकर राखी के कमीने दिमाग में अचानक एक खयाल आया।

“मैं तो फ्री ही हूँ! कईं दिनों से हम दोनों मिले भी नहीं हैं!” राखी बोली, “मगर बाहर जाने की बजाय क्यों ना मेरे घर पर ही मज़ा करते हैं... ड्रिंक्स, म्यूज़िक और गपशप... गॉसिप यू नो?” राखी ने मल्लिका से पूछा।

“कूऽऽल यार! मैं एक घंटे में पहुँचती हूँ तेरे घर!” मल्लिका तपाक से चहकते हुए बोली! “लेकिन यार... हैप्पी पाउडर का भी कहीं से इंतज़ाम हो जाता तो रात रंगीन हो जाती!”

“डोंट वरी यार! हैप्पी पाउडर भी है... एक दम झकास माल है...!” राखी हंसते हुए बोली। मल्लिका कोकेन के बारे में पूछ रही थी जो राखी ने दो दिन पहले ही खरीदी थी।इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“ग्रेट! तो फिर एक घंटे में मिलते हैं... बॉय!” मल्लिका खुश होते हुए बोली और उन्होंने फोन काट दिया।

राखी सोफे की कुर्सी पर लेटे-लेटे ही मल्लिका के साथ मस्ती करने के बारे में सोच कर मुस्कुराते हुए एक बार फिर अपना लंड सहलाने लगी। “अभी नहीं! उस मल्लिका राँड के लिये के रुकना पड़ेगा!” राखी ने अपने मन में सोचा और लंड सहलाना छोड़ कर कपड़े पहनने के लिये उठी। पहले उसने अपने बाल सुखाये और लाल रंग की बहुत ही सैक्सी मिनी-ड्रेस पहनी। राखी ने इस बात का खास ध्यान दिया कि उसका राज़ ठीक से पैंटी में छिपा रहे जब तक कि उसे खोलने का सही वक्त ना आ जाये। फिर थोड़ा मेक-अप किया और ऊँची ऐड़ी की चप्पल बदल कर उससे भी ऊँची पेंसिल हील की सैंडल पहन ली। वो कैसे भी मल्लिका से कम नहीं दिखना चाहती थी। इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।
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राखी सावंत का अनोखा राज़ (लेखिका: नज़मा हाशमी)

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जब दरवाजे की घंटी बजी तो राखी अपने ड्रॉइंग रूम में बैठी सिगरेट के कश लगा रही थी। घंटी सुनते ही उसने लपक कर दरवाज़ा खोला। सामने मल्लिका ही खड़ी थी। उसने घुटनों तक की बहुत ही सैक्सी डिज़ायनर ड्रेस पहनी हुई थी। उसकी ड्रेस का गला इतना गहरा था कि उसके मम्मे करीब-करीब नंगे ही थे और ड्रेस के दोनों साइड में कुल्हों तक कटाव था। मल्लिका के जाने-माने खास अंदाज़ के अनुसार इस ड्रेस में भी जिस्म ढंकने से ज्यादा उजागर हो रहा था। पैरों में जिम्मी-चू के बहुत ही ऊँची पेंसिल हील के सुनहरी सैंडल थे।

“अरे यार! खड़ी-खड़ी मुझे देखती ही रहेगी या अंदर भी बुलायेगी?” मल्लिका ने खिलखिला कर हंसते हुए राखी को छेड़ा। राखी ने भी हंसते हुए उसे गले लगाया और दोनों ड्रॉइंग रूम में आ गयीं। मल्लिका सोफे पर बैठ गयी और राखी अपनी सैंडल खटखटाती हुई किचन की तरफ बढ़ गयी।

“क्या पियोगी मल्लिका?” राखी ने काँच की अलमारी में से तीन-चार तरह की बोतलें निकालते हुए किचन में से पूछा।

“स्कॉच! ऑन द रॉक्स!” मल्लिका ने अपने पर्स में से मार्लबोरो सिगरेट का पैकेट निकालते हुए जवाब दिया। राखी ने मल्लिका के लिये एक ग्लास में बर्फ के साथ शिवास-रिगल स्कॉच व्हिस्की डाली और दूसरे ग्लास में अपने लिये ग्रे-गूज़ वोडका के साथ ऑरेंज जूस। फिर दोनों ग्लास लेकर वापस ड्रॉइंग रूम में वापस आ गयी। मल्लिका ने उससे अपना ग्लास लिया और एक घूँट लेते हुए बोली, “थैंक्स!”

राखी ने भी मल्लिका के बगल में बैठते हुए अपने जाम का घूँट पिया।

“यार अपार्टमेंट तो तूने बहुत ही अच्छे से सजाया है!” मल्लिका सिगरेट का धुँआ छोड़ते हुए बोली।

“थैंक्स यार! मेरी बचपन से ही इच्छा थी कि मेरा शानदार घर हो!” राखी ने थोड़ी भावुक होते हुए जवाब दिया पर फिर चहकते हुए आगे बोली, “लेकिन तू अपनी बता यार! तेरी तो खूब ऐश है अमेरिका में... सुना है बहुत शानदार पेंटहाऊज़ भी लिया है तूने वहाँ!”

अगले दस-पंद्रह मिनट दोनों इसी तरह सिगरेट और जाम पीते हुए गपशप करती रहीं। राखी के उकसाने पर मल्लिका भी हॉलीवुड के सितारों के साथ अपने चुदाई के सच्चे-झूठे किस्से बताने लगी। जब उनके ग्लास खाली हुए तो राखी फिर से उनमें जाम भरने लिये किचन में चली गयी।इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

मल्लिका टीवी का रिमोट लेकर चेनल बदलने लगी और फिर राखी को आवाज़ लगाते हुए बोली, “राखी डॉर्लिंग! बॉटल यहीं ले आ... नहीं तो बार-बार किचन में जाना पड़ेगा... आज तो टल्ली होने का मूड है!”

ये सुनकर राखी के हंठों पर कुटिल मुस्कुराहट तैर गयी और वो शिवास-रीगल की बोतल और ग्लास लेकर वापस आ गयी। मल्लिका अभी भी टीवी के चैनल बदल रही थी। राखी ने दोनों के ग्लास में जाम भरा और मल्लिका से सट कर बैठ गयी। चैनल बदलते-बदलते एक चैनल पर “गर्लफ्रेंड” फिल्म चल रही थी।

“आरे वाह! ये तो मेरी फेवरिट मुवी है... क्या ख्याल है!” मल्लिका चहकते हुए बोली। “हाँ मुझे भी काफी पसंद है!” राखी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। मल्लिका पर अपना राज़ खोलने के लिये राखी को अब सही मौके का इंतज़ार था। दोनों हिरोइनें फिल्म देखते और गपशप करते हुए अपने जाम पीने लगीं। उनका तीसरा पैग खत्म हुआ तो दोनों पर सुरूर छाने लगा और दोनों जोर-जोर से खिलखिला रही थीं। इतने में मल्लिका अपना ग्लास सामने मेज पर रख कर हंसते हुए बोली, “मादरचोद राखी! हैप्पी पाऊडर तो निकाल... एक-एक डोज़ हो जाये यार!”

“अभी लाती हूँ!” कहते हुए राखी ने अपनी सिगरेट ऐश ट्रे में बुझायी और अपने बेडरूम की तरफ जाने लगी! उसके कदमों की हल्की लड़खड़ाहट देख कर मल्लिका फिर जोर से हंसते हुए बोली, “तीन पैग में ही टल्ली हो गयी या हाई हील्स की काबिलियत नहीं है?”

“भोसड़ी की साली... अगर मेरी काबिलियत नहीं है तो दुनिया में किसी भी माँ की लौड़ी औरत की औकात नहीं है हाई हील्स पहनने की...!” मल्लिका के मज़ाक से राखी चिढ़ते हुए तड़क कर अपने बड़बोले अंदाज़ में बोली, “ये तो सिर्फ पाँच इंच ऊँची हील है... मैं तो इससे भी ऊँची हील पहन कर मैराथन रेस दौड़ सकती हूँ... वो भी स्कॉच की पूरी बोतल गटकने के बाद!”

“अरे...अरे तू तो नाराज़ हो गयी मेरी जान.... मैं तो बस मज़ाक कर रही थी!” मल्लिका ने जोर से हंसते हुए कहा तो राखी कुछ नहीं बोली और कोकेन लाने अपने बेडरूम में चली गयी। “जब मेरा लौड़ा तेरी गाँड में घुसेगा तो तुझे मेरी काबिलियत का पता चलेगा...!” राखी ने अपने मन में सोचा।इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

कोकेन की शीशी ले कर जब राखी बाहर आयी तो मल्लिका उससे बोली, “सॉरी यार... लेकिन तू साली इतनी भड़क क्यों जाती है...?”

“ऐसी ही हूँ मैं! चल छोड़ अब... ये रहा हैप्पी पाउडार!” राखी मुस्कुराते हुए बोली और फर्श पर घुटानों के बल बैठकर कोकेन की शीशी खोली और मेज पर सफेड पाउडर की दो लकीरें बना दीं। मल्लिका ने भी अपनी सिगरेट ऐश ट्रे में टिकायी और सोफे से उतर कर ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गयी।

“बहुत ही झकास माल मिला है इस बार! ज़रा संभल कर खींचना!” एक सौ रुपये का करारा नोट रोल करके मल्लिका को पकड़ाते हुए राखी बोली। मल्लिका ने वो रोल किया हुआ नोट अपनी नाक से लगाया और आगे झुक कर पाऊडर की एक पुरी लकीर अपनी नाक में सुड़कते हुए खींच ली और अपनी सिगरेट और स्कॉच का ग्लास लेकर वापस सोफे पर बैठ गयी। पाउडर की दूसरी लकीर राखी ने अपनी नाक में सुड़क कर खींची और वो भी उठ कर मल्लिका की बगल में बैठ गयी।

“उम्म्म! वाकय... बहुत स्ट्रॉंग बैच है!” मल्लिका ने आँखें बंद करके नशा महसूस करते हुए कहा। फिर दोनों बिना बोले अपने-अपने जाम की चुस्कियाँ लगाते हुए फिल्म देखने लगीं। राखी बीच-बीच में मल्लिका की ड्रेस के गहरे क्लीवेज में से झाँकते मम्मों को अपनी कमीनी नज़रों से देख लती थी। इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“इस मुवी में का सबसे बोल्ड सीन तो अब आयेगा!” मल्लिका सिगरेट का धुँआ छोड़ते हुए बोली। दोनों टीवी की पचास इंच बड़ी स्क्रीन पर अमृता अरोड़ा और ईशा कोप्पिकर का लेस्बियन सीन बहुत ही दिलचस्पी से देखने लगीं। राखी ने सोचा की अपनी चाल चलने का ये बहुत ही बढ़िया मौका है।

“कितना मज़ा आया होगा ना दोनों छिनालों को... है ना?” राखी ने सहजता से पूछा।

“मज़ा..? मतलब इन दोनों को लेस्बियन सीन करने में....?” मल्लिका ने अपने जाम का घूँट लेते हुए कहा। उसके चेहरे पर शंका के भाव मौजूद थे।

“हाँ... मेरा मतलब लेस्बियन सैक्स में भी तो काफी मज़ा आता है.. है कि नहीं!” मल्लिका के चेहरे की तरफ देखते हुए उसे टटोलने के मकसद से राखी ने मुस्कुराते हुए पूछा। उसे डर था कि कहीं मल्लिका बिदक ना जाये।

“हाँ! इसका भी अपना ही मज़ा है!” मल्लिका ने लापरवाही से कहा।

“तो कभी लिया है मज़ा तूने लेस्बियन सैक्स का?” राखी ने अपना जाम दो घूँट में खत्म किया और ग्लास को मेज पर रख कर सीधे बैठते हुए बहुत ही उम्मीद भरी नज़रों से मल्लिका को देखा।

“हाँ... अगर दूसरा कोई ऑपशन ना हो और कोई अच्छी सैक्सी पर्टनर हो तो कभी कभार ये मज़ा भी कर लेती हूँ!” आँख मरते हुए मल्लिका हंस कर बोली। इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“तो मेरे बारे में ख्याल है? मेरा मतलब मुझसे ज्यादा खूबसूरत और सैक्सी पर्टनर तो तुझे कहीं नहीं मिलेगी!” राखी इतराते हुए बोली और मल्लिका और राखी दोनों जोर से खिलखिला कर हंसने लगी। दोनों इस वक्त अच्छे खासे नशे में थीं। दोनों कोकेन के साथ-साथ शिवास-रीगल की आधी बोतल खत्म जो कर चुकी थीं।

राखी ने आगे बढ़ कर अपना हाथ मल्लिका की ड्रेस के कटाव में से उसकी नंगी मुलायम जाँघ पर रख कर फिराने लगी।

“ऊँम्म्म! राखी... तेरा हाथ मेरी जाँघ पर है!” राखी को नशीली आँखों से देखते हुए मल्लिका फुसफुसाते हुए बोली।

“तो क्या हुआ मेरी जान... मैं तूझे खा तो नहीं जाऊँगी!” कहते हुए राखी मल्लिका के और करीब खिसक कर उससे सट गयी।

“बस एक चुम्मा..!” राखी बोली और धीरे से अपने होंठ मल्लिका के होंठों पर रख दिये और चूमने लगी। मल्लिका ने भी कोई विरोध नहीं किया। बॉलीवुड की दोनों आइटम गर्ल आपस में एक दूसरे से अपने होंठ चिपकाये और एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डाल कर चूसते हुए कुछ देर तक चूमती रहीं।इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

मल्लिका ने अचनक बीच में चूमना रोका और सोफे पर पीछे टिक कर बैठ गयी।

“क्या हुआ स्वीटी-पाई... मज़ा नहीं आया?” राखी ने पूछा।

मल्लिका के हाथ में अभी भी सिगरेट और ग्लास मौजूद था। “मज़ा तो बहुत आया पर पहले ये तो खत्म कर लूँ!” कहते हुए उसने झट से अपना जाम एक घूँट में गटक लिया और आधी सिगरेट ऐश-ट्रे में बुझा दी। “अब बोल कुत्तिया! क्या इरादा है?” मल्लिका शरारत भरी आवाज़ में बोली।

“इरादा तो बिल्कुल नेक नहीं है...!” कहते हुए राखी ने फिर अपने होंठ मल्लिका के होंठों से चिपका दिये और अपनी जीभ भी उसके मुँह में घुसेड़ दी। इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“मम्म्मऽऽऽऽ!” अपने होंठों पर राखी के होंठ और अपने मुँह में उसकी जीभ से अपनी जीभ रगड़ते हुए मल्लिका सिसकने लगी। राखी ने मल्लिका की ड्रेस में अपना हाथ डाल कर उसके मम्मे मसलना शुरू कर दिया।

“क्या बोलती है... आगे बढ़ना है या रुक जाऊँ अब?” मल्लिका के मम्मे सहलाते हुए राखी ने शरारत से पूछा। मल्लिका भी वासना भरी नज़रों से राखी को देखते हुए बहुत ही धुर्तता से मुस्करयी। “रुक मत यार... चालू रख... बहुत ही मस्त माल है तू!” कहते हुए मल्लिका ने राखी का चेहरा फिर अपने पास खींच कर उसके होंठों पर अपने होंठ चिपका दिये। उनकी जीभें फिर आपस में एक दूसरे से गुँथ गयीं और राखी फिर से मल्लिका के सुडौल मम्मे अपने हाथों से रगड़ने लगी।

“रुक ज़रा! तेरा काम आसान कर देती हूँ!” मल्लिका बोली और आगे खिसक कर उसने अपनी ड्रेस के पीछे की ज़िप खोल कर अपनी ड्रेस उतार कर फेंक दी। अब उसके जिस्म पर सिर्फ छोटी सी काली पैंटी और टाइट काली ब्रा और पैरों में सुनहरी रंग के ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल मौजूद थे। मुस्कुराते हुए अपने हाथ बढ़ा कर राखी मल्लिका के मम्मों को ब्रा के ऊफर से मसलने लगी। इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“क्या बात है राँड! लगता है अमेरिका में खूब रगड़वाये हैं ये मम्मे....मुझे तो कॉम्प्लेक्स हो रहा है....!” मल्लिका के मम्मे दबाते हुए राखी हंस कर बोली।

मल्लिका ने भी खिलखिलाते हुए राखी के मम्मे ड्रेस के ऊपर से दबाये और बोली, “साली... तू मेरा मज़ाक उड़ा रही है...? मेरे मम्मों से तुझे कॉम्प्लेक्स होगा...? भैनचोद तेरे ये ३६-सी मम्मे तो बॉलीवुड में सबको कॉम्प्लेक्स देते हैं...!”

मल्लिका ने उसके मम्मे ज़ोर से दबाये तो राखी मस्ती से कराहा उठी। उसके चुचक कड़क हो गये। “ऊऊऊहहहऽऽऽ.... ज़ोर से मसल इन्हें... मममऽऽऽ”, राखी ने कराहते हुए मल्लिका की ब्रा के हुक खोलकर उसके मम्मे नंगे कर दिये। मल्लिका ने आगे होकर बैठते हुए अपनी खुली ब्रा उतार कर एक तरफ फेंक दी और अपने मम्मे पकड़ कर हिलाते हुए राखी से पूछा, “अब बता... कैसे लग रहे हैं मेरे बूब्स?”

“बहुत ही मस्त और रसीली चूचियाँ हैं...!” कहते हुए राखी झुक कर मल्लिका के दोनों मम्मों बारी-बारी से चाटने लगी।

“ऊँम्म्म... चूस ले मेरे बोबे...!” कहते हुए मल्लिका ने ज़ोर से राखी का चेहरा अपने मम्मों पर दबा दिया। मल्लिका की उत्तेजना देख कर राखी खुश हुई और उसका एक मम्मा अपने मुँह में ले कर उसका निप्पल चूसना शुरू कर दिया। अपना सिर पीछे की ओर झुका कर मल्लिका उत्तेजना से कराहने लगी... “येस! ऐसे ही चूस मेरे मम्मे... मेरी जान... रुकना मत... उममऽऽऽ!”

राखी ने मल्लिका के मम्मे चूसते हुए अपनी ड्रेस ऊँची की और मल्लिका का एक हाथ ले कर अपनी जाँघों के बीच में रख दिया। उसे लगा कि यही सही मौका है... मस्ती और उत्तेजना के आलम में मल्लिका को अपने अनोखे राज़ से अवगत करवाने का।
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राखी सावंत का अनोखा राज़ (लेखिका: नज़मा हाशमी)

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“ओहहहऽऽ... राखी.... क्या मस्त है... मेरी जानू... तेरी जाँघें म-मक्खन... मैं... मैं.....” सिसकते हुए मल्लिका राखी की जाँघों पर अपना हाथ फिराने लगी और धीरे-धीरे सहलाते हुए उसका हाथ ऊपर फिसलता हुआ राखी की पैंटी के ऊपर से उसके उभार पर पहुँच गया। राखी ने मल्लिका के निप्पल चूसना और मम्मे दबाना ज़ारी रखा। अचानक मल्लिका ने उसका चेहरा अपने मम्मों से दूर करते हुए उसे रोका।

“भेनचोद... ये क्या अटपटाँग है?” राखी के लंड का उभार अपनी मुठ्ठी में दबते हुए मल्लिका हैरानी से बोली। उसकी नज़र जब अपनी मुठ्ठी उस सख्त उभार पर पड़ी तो उसने झट से अपना हाथ पीछे खींच लिया। “ओ मॉय गॉड! माँ की लौड़ी... छक्की साली... यू फ्रीक...!” हक्की-बक्की सी होकर मल्लिका ज़ोर से चींखी और सोफे से उठ कर खड़ी हो गयी। । शराब और कोकेन का नशे में अचानक इस सदमे से वो अपना आपा खो बैठी थी। उसने ज़मीन पर से अपनी ड्रेस उठायी और बदहवास सी बिना ड्रेस पहने ही लड़खड़ाते कदमों से दरवाज़े की तरफ भागी।इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“रुक यार.... मल्लिका! मेरी बात तो सुन... मैं सब बताती हूँ!” राखी ने उसे रोकने के लिये मिन्नत की तो मल्लिका ने पलट कर गुस्से और नफ़रत से देखा। “तेरी माँ का भोंसड़ा... साली तू समझती क्या है... तेरी हिम्मत कैसे... कुत्तिया की औलाद....!” मल्लिका ने दहाड़ते हुए कईं गालियाँ बकी और फिर दरवाज़ा खोलने कि कोशिश करने लगी लेकिन उसके हाथ काँप रहे थे।

राखी भी लपक कर मल्लिका के पीछे गयी और दरवाज़े पर हाथ रख कर एक बार फिर मिन्नत की, “ऐसे मत जा यार... मैं सब समझाती हुँ तुझे!”

“हट मादरचोद... ज़लील कहीं की... जाने दे मुझे!” मल्लिका फिर जोर से चिल्लाते हुए बोली और दरवाज़ा खोलने की कोशिश करने लगी।

राखी ने मल्लिका की बाँह पकड़ कर उसे जोर से घुमाया और धक्का दे कर दरवाज़े के सहारे खड़ा कर दिया। “सुन भैन की टकी...”, राखी के स्वर में अब कुटिलता थी। “मैं अब तक प्यार से मिन्नतें कर रही थी पर लगता है तू ऐसे नहीं मानेगी!” राखी ने मल्लिका के हाथ से उसकी ड्रेस खींच कर एक तरफ फेंक दी। राखी का बदल हुआ अंदाज़ और अपनी बाँह पर राखी की मजबूत जकड़ और उसे दरवाज़े के सहारे सटा कर जिस तरह से राखी ने उसे घेर रखा था, उससे मल्लिका बुरी तरह घबरा गयी।

“मुझे दर्द हो रहा है... राखी... मैं बस जाना चाहती हूँ यहाँ से!” मल्लिका खुद को राखी की जकड़ से छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली। राखी ने मल्लिका की आँखों में झाँका और उसके होंठों पर बहुत ही कुटिल मुस्कान आ गयी। “नहीं मेरी जान...! तू नहीं जाना नहीं चाहती है... मैं बताती हूँ कि असल में तू क्या चाहती है...!” राखी तीखे स्वर में बोली और अपने दूसरा हाथ अपने पीछे ले जाकर अपनी ड्रेस की ज़िप खोलने लगी।

मल्लिका घबरायी हुई सी राखी को ड्रेस की ज़िप खोल कर उसे उतारते हुए देखने लगी। राखी ने अपनी ज़िप खोली और अपनी कमर और गाँड हिला-डुला कर ड्रेस को अपने बदन से नीचे ज़मीन पर पैरों के पास गिरा दिया।

“ले... अब तू मेरी पैंटी खिसका नीचे!” राखी जोर गरजते हुए बोली। राखी की धौंस के आगे मल्लिका विरोध नहीं कर सकी और धीरे से राखी की पैंटी घूटनों तक नीचे खिसका दी। जैसे ही पैंटी टाँगों से फिसलती हुई नीचे राखी के पैरों पर गिरी तो उसका अनोखा राज़ खुलकर लहराने लगा। मल्लिका हक्की-बक्की सी राखी की टाँगों के बीच में लहराता हुआ लौड़ा देखने लगी जो अब धीरे-धीरे अकड़ने लगा था। “चल अब पकड़ इसे अपने हाथों में... साली कुत्तिया... मुझे पता है... तू भी यही चाहती है ना... चल सहला इसे अब!” राखी ने मल्लिका की बाँह अपनी जकड़ से आज़ाद की और प्यार से मल्लिका के गाल सहलाने लगी।इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“म-मैं.... नहीं.... ये तो...!” मल्लिका हकलाने लगी। राखी उसका गाल सहलाते हुए उसे देखकर मुस्कुरा रही थी। राखी ने मल्लिका की गर्दन के पीछे हाथ ले जा कर मल्लिका के बालों को अपनी मुठ्ठी में जकड़ कर खींचा और गुस्से से दहाड़ी, “ये तो... ये तो क्या भोंसड़ी? सुन राँड कुत्तिया! दुनिया भर के लौड़ों से तू अपनी चूत और गाँड मरवाती घूमती है... तो मेरा पकड़ते हुए क्यों तेरी गाँड फट रही है... मैं कोई अजूबा नहीं हूँ... तेरी तरह ही चुदासी औरत हुँ... बस चूत की जगह लंड है मेरे पास! शी-मेल हूँ मैं! चल पकड़ इसे और प्यार से सहला!”

मल्लिका ने धीरे से हाथ बढ़ा कर राखी का लण्ड अपने हाथ में पखड़ पकड़ लिया। वो अभी भी विचलित सी थी लेकिन राखी का लण्ड अपने हाथ में लेकर उसे मुठियाने लगी। “ऊँम्म्मऽऽऽ... ये हुई ना अच्छी राँड वाली बात...!” अपने सख्त होते लंड पर मल्लिका के नरम हाथ के स्पर्श से राखी सिसक पड़ी।

मल्लिका ने नीचे देखा तो राखी की टाँगों के बीच में आठ इंच का सख्त लौड़ा देख कर हैरान रह गयी। वो अभी भी वहाँ से भाग जाना चाहती थी लेकिन राखी के इतने बड़े राज़ के प्रति एक अजीब सा आकर्षण भी महसूस कर रही थी। थोड़ी देर वो मंत्रमुग्ध सी राखी का लौड़ा सहलाती रही जब राखी ने अचानक उसे रुकने को कहा। “चल गाँडमरानी कुत्तिया! अंदर चलते हैं!” कहते हुए राखी उसे हाथ पकड़ कर अंदर ले गयी।

ड्रॉइंग रूम में आकर राखी सावंत ने मेज पर कोकोन की दो लकीरें बनायीं और पहले रोल किये हुए सौ के नोट से एक लकीर अपनी नाक में सुड़क कर मल्लिका से बोली, “ले तू भी एक और डोज़ खींच ले...! साली तूने तो सारा नशा ही उतार के रख दिया!” मल्लिका झुक कर कोकेन की दूसरी लकीर अपनी नाक में खींचने लगी। इतने में राखी दो ग्लास शिवास रिगल व्हिस्की से लबालब भर दिये!इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“मादरचोद! मेरे पीने की काबिलियत पर हंस रही थी ना... ले अब एक साँस में मेरे साथ गटक कर दिखा तो पता चले कि तेरे में कितना दम है!” कहते हुए राखी ने एक ग्लास मल्लिका को पकड़ा दिया। मल्लिका इतनी हिली हुइ थी कि इस वक्त उसे नशे की बहुत ज़रूरत थी। राखी ने चियर्स कहा और दोनों ने गटागट अपने-अपने ग्लास खाली कर दिये।

राखी ने फिर मल्लिका का हाथ पकड़ कर खींचा और उसे बेडरूम की तरफ ले कर चल पड़ी। दोनों पर भरपूर नशा सवार था और ऊँची हील की सैंडल में दोनों लड़खड़ाती हुई चल पड़ी। कोकेन के नशे में दोनों जैसे हवा में उड़ रही थीं। राखी के इरादों का सोच कर मल्लिका अभी भी थोड़ी बेचैन थी। बेडरूम का दरवाज़ा खोल कर राखी ने मल्लिका अंदर खींच लिया।
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राखी सावंत का अनोखा राज़ (लेखिका: नज़मा हाशमी)

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बेडरूम का दरवाज़ा बंद करके राखी नशे में डगमगाती और मुस्कुराती हुई मल्लिका की तरफ बढ़ी। उसकी टाँगों के बीच में तना हुआ लंड झूल रहा था। मल्लिका की नज़र राखी के लण्ड पर ही टिकी थी। राखी जब उसके बिल्कुल सामने आ कर अपने चूतड़ों पर हाथ रख कर खड़ी हुई तो मल्लिका फुसफुसायी, “उम्म्म राखी.... यार... मुझसे न-नहीं होगा... थोड़ा अजीब...!”

राखी हंसते हुए बीच में ही बोली, “क्या रे राँड! अब छोड़ भी दे ये नखरा... क्या अजीब है इसमें... समझ की टू-इन-वन.... लंड वाली औरत के साथ मज़ा करने को मिल रहा है... लेस्बियन सैक्स के साथ-साथ असली लंड से चुदाई का मज़ा!”

मल्लिका के मम्मे अपने हाथों से सहलाते हुए राखी आगे बोली, “वैसे भी अगर सच में तुझे लगता कि तुझसे नहीं होगा तो तू यहाँ तक मेरे साथ बेडरूम में नहीं आती।” राखी ने उसके मम्मे सहलाये तो मल्लिका के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगीं, “ऊँम्म्म्म आँआआऽऽऽ प्लीज़... रहने दे... ऊँम्म्म!”

राखी ने उसके मम्मे सहलाना और चूमना ज़ारी रखा। खड़े-खड़े दोनों नशे में डगमगा रही थीं। मल्लिका ने आखिर में राखी से पूछा, “तू क्या करना चाहती है!”

राखी खिलखिलायी और नशे में उसका संतुलन बिगड़ गया और वो डगमगाती हुई पीछे गिरते हुए दीवार से सट कर खड़ी हो गयी। “मैं नहीं... तू करेगी...!” राखी अपने लौड़े को हाथ में लेते हुए बोली।

“न.. नहीं... मैं...!” मल्लिका ना-नुक्कार करने लगी तो राखी ने उसे अपने पास खींचा और उसके कंधे पर हाथ रख कर ज़ोर से उसे नीचे बैठने के लिये दबाव डाला। नशे के धुंधलके में भी मल्लिका को अजीब सा लग रहा था कि राखी उससे अपना लौड़ा चूसने को कह रही है। वैसे तो लौड़ा चूसना उसे बहुत पसंद था और उसने कितने ही लौड़े अपने मुँह में लेकर उनका वीर्यपान किया था लेकिन ये लौड़ा अनोखा था - एक औरत का लौड़ा था!इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“अरे नखरे ना कर चूतमरानी... खूब मज़ा आयेगा!” मल्लिका को घुटनों के बल नीचे दबाते हुए राखी बोली।

राखी सावंत के लण्ड को अपने हाथ में लेते हुए मल्लिका ने नज़रें उठा कर राखी को देखा। मल्लिका अभी भी कशमकश में थी। एक तरफ तो तना हुआ लौड़ा उसे ललचा रहा था लेकिन ये बात खटक रही थी कि ये राखी का, एक औरत का लण्ड था। मल्लिका को असमंजस में देख कर राखी थोड़े गुस्से से बोली, “अब ये ढोंग ना कर कि जैसे तुझे पता ही नहीं कि लण्ड कैसे चुसना है!” राखी ने मल्लिका के बालों को अपनी मुठ्ठी में कस कर जकड़ते हुए अपना लण्ड उसके चेहरे के सामने करके उसके होंठों पर रगड़ते हुए फुफकारी, “चल साली दो टक्के की राँड! खोल अपना चुसक्कड़ मुँह और शुरु हो जा!”

मल्लिका ने धीरे से अपना मुँह खोला और लण्ड का सुपाड़ा मुँह में भर लिया। उसकी गरम साँसें अपने लण्ड पर महसूस करते हुए राखी आहें भरने लगी। उत्तेजना में बेसब्री से राखी ने मल्लिका के बालों में अपनी जकड़ और मजबूत करते हुए अपना लण्ड उसके मुँह में ठेल दिया, “चूस साली... चूस ये ज़नाना लण्ड!” मल्लिका अपनी सहेली का लण्ड मुँह में अंदर बाहर करके उसे चूसने लगी। मल्लिका को कामुक्ता से अपना लण्ड चूसते देख राखी मस्ती में सिसकने लगी, “हाँआँऽऽऽ.... बहुत खूब... राँड! चूस मेरा लण्ड... मर्दों के लण्ड से ज्यादा दम है मेरे ज़नना लण्ड में... उमममऽऽऽ!”

मल्लिका शेरावत ज़ोर-ज़ोर से अपने मुँह में अंदर-बाहर करते हुए लण्ड चूसने लगी तो राखी ने उसके बालों में अपनी जकड़ ढीली कर दी। मल्लिका ने राखी के लण्ड से अपने होंठ हटाये और थूक से चीकने आठ इंच लंबे लण्ड पर मुठ्ठी चलाते हुए ऊपर राखी के चेहरे को देखा। “मज़ा आ रहा है... छक्के की गंदी गाँड की पैदाइश!” मल्लिका ने राखी के लंड को जोर से भींच कर मुठियाते हुए पूछा।

“हाँ चुदैल कुत्तिया! चूस... और चूस!” मल्लिका का चेहरा अपने लंड पर वापस खींचते हुए राखी मस्ती में सिसक कर बोली।

फिर से अपना मुँह खोल कर मल्लिका ने अपनी सहेली का लंड अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया। लण्ड चूसने के मज़े में मल्लिका की सारी हिचक हवा हो चुकी थी। वो पूरी मस्ती में ज्यादा से ज्यादा लण्ड मुँह में अंदर लेकर चूस रही थी और लण्ड की टोपी अब उसके गले में धक्के मार रही थी।इस कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“ओहह उहहह ऊ~म्म्म.... और अंदर तक ले... मेरी प्यारी राँड!” राखी फुसफुसायी और मल्लिका का सिर पीछे से पकड़ कर दबाने लगी। सहेली का लण्ड अचानक मल्लिका के गले के नीचे फिसलने लगा तो दम घुटने से उसके गले में से ऊऊघघऊँऊँऽऽऽ की आवाज़ निकलने लगी। लण्ड चूसने में मल्लिका काफी अभ्यस्त थी। उसने नाक से साँस लेते हुए अपने गले को ढील दी। राखी ने देखा कि उसका समूचा लण्ड धीरे से मल्लिका के मुँह में समा गया।

“ओहह... भैनचोद... उम्मऽऽ... चूस ले लौड़ा... गटक ले पूरा... कुत्तिया की लवड़ी!” राखी मस्ती में चिल्लायी। मल्लिका ने राखी का लण्ड अपने गले में चंद सेकेंड के लिये रखा और अपना हाथ बढ़ा कर राखी के टट्टे मलते हुए खींचने लगी। मल्लिका की इस करतूत से राखी ज़ोर से करहाने और सिसकने लगी।

मल्लिका ने जब लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाला तो उसके होंठों और लण्ड की टोपी के बीच में थूक की मोटी सी तार सी बंध गयी। राखी ने अपने लिसलिसे लंड पर हाथ फिराते हुए मल्लिका पर नज़र डाली। नशे के मारे मल्लिका अपने घुटनों के बल और देर तक बैठ नहीं सकी और ज़मीन पर टाँगें पसार कर बैठ गयी।

“चल मेरी जान... पैंटी उतार कर बेड पर चढ़ जा...!” राखी बोली।

मल्लिका मुस्कुराई और मुश्किल से किसी तरह खड़ी होकर लडखड़ाती हुई बेड तक पहुँची और बेड पर गिरते हुए धम्म से लेट गयी। उसने अपने घुटने मोड़ कर टाँगें उठाते हुए अपनी पैंटी उतार दी। अब मल्लिका शेरावत बेड पर सिर्फ ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने मादरजात नंगी, अपनी टाँगें चौड़ी फैलाये लेटी थी। राखी भी नशे में लड़खड़ाती बेड तक आयी और अपनी सहेली की टाँगों के बीच में झुक गयी। मल्लिका की चूत और गाँड बिल्कुल साफ सुथरी और चिकनी थीं। बाल के एक रेशा भी कहीं मौजूद नहीं था। इस कहानी का मूल शीर्षक "राखी सावंत का अनोखा राज़" है।

“हायऽऽ कितनी रसीली चिकनी चूत है... मेरे मुँह में तो पानी आ रहा है...!” कहते हुए राखी झुक कर मल्लिका की चूत के आसपास जीभ फिराने लगी। चूत-रस में पूरी तरह से भीगी हुई मल्लिका की चूत और जाँघें उसकी उत्तेजना की गवाही दे रही थीं। मल्लिका को सताने के लिये राखी चूत के आसपस के हिस्सों पर ही जीभ फिरा रही थी और कभी-कभी अपनी जीभ उसकी क्लिट या चूत के होंठों के करीब ले आती।

“आआआहहऽऽ क्यों सता रही है माँ की लौड़ी... ऊँम्मऽऽ... प्लीज़ऽऽऽ!” मल्लिका तड़प कर कराहने लगी। अपना हाथ मल्लिका की चूत के होंठों पर रख कर राखी उन्हें रगड़ने लगी। मल्लिका की चूत भीगी होने के साथ-साथ बहुत ही गरम भी थी।

“मममऽऽऽ... तेरी छिनाल चूत तो बिल्कुल तैयार है... बोल कुत्तिया... क्या चाहती तू?” राखी ने पूछा तो मल्लिका अपनी कोहनियों के सहारे थोड़ा सा उठी और बहुत ही धूर्तता से मुस्कुराते हुए बोली, “साली... अब तड़पाना छोड़ मुझे.... और मेरी चूत चाटना शुरू कर राँड की झाँट!” फिर वापस लेट कर अपने मम्मे रगड़ते हुए निप्पलों को मरोड़ने लगी।

राखी अपना चेहरा बिल्कुल मल्लिका की चूत के ऊपर ले गयी और धीरे से चूत के होंठों पर ऊपर नीचे चाटने लगी। चूत का खट्टा-मीठा रस बहुत ही स्वादिष्ट था। राखी की जीभ जब चूत के होंठों को चाटते हुए उनके बीच में घुसने लगी तो मल्लिका आहें भरने लगी, “ऊऊऊहहह.... मममऽऽऽ... हाँऽऽऽ...!” अपनी जीभ चूत में अंदर ठेलते हुए अब राखी मल्लिका की क्लिट रगड़ रही थी। मल्लिका शेरावत की क्लिट फूल कर बहुत ही कड़क हो गयी थी।

ऊँऊँ और गूँ-गूँ गुनगुनाती हुई राखी अपनी जीभ से मल्लिका की चूत चोदने लगी और अंदर रिस रहे अमृत का स्वाद लेने लगी। मल्लिका की चूत अंदर भट्टी की तरह गरम थी।

“ओहह भैनचोद! खा जा मेरी चूत!” मल्लिका जोर से चींखी और राखी ने उसकी चूत पर अपनी जीभ का हमला ज़ारी रखा। जीभ से चाटने के साथ-साथ राखी सावंत अब अपनी दो उंगलियाँ मल्लिका की चूत में घुसेड़ कर अंदर बाहर करने लगी और दूसरे हाथ से उसकी क्लिट को भी खींच और मरोड़ रही थी। मल्लिका ने तो कामोत्तेजना और मस्ती में जोर-जोर से चींखते-कराहते हुए अपने चूतड़ उचकाने शुरू कर दिये और राखी की उंगलियों के सम्मुख अपनी चूत ठेलने लगी।


http://www.asstr.org/~Sinsex/RakhiSawan ... haRaaz.htm
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राखी सावंत का अनोखा राज़ (लेखिका: नज़मा हाशमी)

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मल्लिका शेरावत ने एक हाथ बढ़ा कर राखी का सिर थाम कर चूत पर उसका चेहरा दबा दिया। “ओह हाँऽऽऽ.... चूस... चाट इसे... आँआँऽऽ!” जब राखी अपनी तीसरी उंगली भी उसकी चूत में घुसेड़ कर जोर-जोर और तेजी से ठोंकने लगी तो मल्लिका की कराहें और सिसकियाँ और भी तेज़ हो गयीं। इस कहानी का मूल शीर्षक "राखी सावंत का अनोखा राज़" है।

मल्लिका की चूत अपनी उंगलियों से चोदते हुए राखी ने सिर उठा कर मल्लिका को देखा जो इस वक्त कामवासना भरी मस्ती मे छटपटा रही थी। “ले साली हरामी कुत्तिया! मज़ा आ रहा है ना... ले और जोर से ले!” राखी बोली। मल्लिका झड़ने के कगार पर थी और जोर-जोर से कराह रही थी। “च-चोद मुझेऽऽऽ.... मैं गयीऽऽऽ... आआआआईईईऽऽऽऽ!” अपने चूतड़ जोर-जोर से हिलाती हुई मल्लिका जोर से चींखी और उसका चूत रस छूट कर राखी के हाथ पर बहने लगा।

राखी ने अपनी उंगलियाँ मल्लिका की चूत में से निकालीं और मल्लिका की क्लिट पर रगड़ने लगी तो मल्लिका उत्तेजना से चिहुँक पड़ी। फिर बिस्तर पर और ऊपर खिसकते हुए मल्लिका नरम तकिये पर सिर रख कर अपनी साँसें काबू करने लगी। राखी भी उसके बगल में आ कर लेट गयी तो मल्लिका उसे देख कर मुस्कुराई। मल्लिका की चूत रस से भीगी उंगलियाँ मल्लिका के होंठों पर रखते हुए राखी प्यार से बोली, “ले साली... चाट कर देख... बहुत ही मस्त स्वाद है!” मल्लिका ने अपना मुँह खोलकर अपनी जीभ बाहर निकाली और राखी की उंगलियाँ चूसती हुई अपनी ही चूत का रस चाटने लगी।

राखी की उंगलियाँ चाट कर साफ करने के बाद मल्लिका अपने होंठों पर जीभ फिराते मुस्कुरा कर हुए बोली, “मज़ा आ गया जान... तूने कितनी बखूबी चूसी मेरी चूत!” राखी ने साईड टेबल से सिगरेट का पैकेट उठया और दोनों सिगरेट सुलगा कर अगल-बगल लेटी हुई कश लगाने लगीं। राखी अपना हाथ मल्लिका के पेट पर फिराती हुई उसकी मुलायम और पसीने से थोड़ी नर्म त्वचा महसूस कर रही थी। मल्लिका ने शरारत से मुस्कुराते हुए नीचे की तरफ राखी की टाँगों के बीच में उसके फुदकते लण्ड को हसरत से देखा।

“जानेमन! मेरे पास तेरे काम की एक और मज़ेदार चीज़ है!” राखी बिस्तर पर बैठते हुए बोली। सिगरेट का अखिरी कश लगा कर उसने सिगरेट का टोटा झुककर ऐश-ट्रे में रखा और मल्लिका की टाँगों के पास खिसक गयी। फिर मल्लिका की टाँगें चौड़ी करके उनके बीच में आ कर अपना लौड़ा सहलाने लगी।

मल्लिका बस सिगरेट का कश लगाती हुई राखी की तरफ देखकर दाँत निकाल कर मुस्कुरने लगी। “अच्छा? ऐसी कौन सी चीज़ है तेरे पास?” मल्लिका इतराते हुए बोली। जवाब में राखी ने अपना लौड़ा मल्लिका की भीगी चूत पर जोर से चटका कर मारा तो मल्लिका चींखती हुई उछल पड़ी। “आआऊऽऽ! माँ की लौड़ी... या कहूँ कि माँ का लौड़ा!” मल्लिका हंसते हुए बोली। स कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

राखी के शी-मेल लण्ड से चुदने के ख्याल से मल्लिका अपने होंठों पर जीभ फिराने लगी और अपने हाथ नीचे ले जा कर अपनी चूत के होंठ फैला कर चूत खोल दी। राखी उसकी चूत और क्लिट के ऊपर अपने लण्ड का सुपाड़ा रगड़ने लगी तो मल्लिका मिन्नत करते हुए बोली, “प्लीज़ राखी चोद मुझे... अब सब्र नहीं हो रहा.... चोद दे मुझे अपने अनूठे लण्ड से!”

राखी सावंत ने हरमीपने से मुस्कुराते हुए अपना लौड़ा मल्लिका की चूत में धीरे से अंदर ठेलना शुरु किया। चूत को फैलाते हुए जैसे ही लण्ड अंदर घुसने लगा तो मल्लिका ने अपना होंठ दाँतों में दबा कर काट लिया।

“तैयार है ना मेरे लण्ड के लिये... कुत्तिया राँड?” अपने लण्ड का सुपाड़ा मल्लिका की गरम चूत में घुसेड़ कर राखी ने रुकते हुए पूछा। मल्लिका ने बस सिर हिला कर हामी भरी और अपनी बाँहें आगे बढ़ा कर राखी को अपने नज़दीक खींच लिया। राखी ने मल्लिका शेरावत पर झुकते हुए अपना बाकी लौड़ा भी उसकी चूत में ठेलना शुरू कर दिया और मल्लिका की चूत की गर्मी अपने लौड़े पर घिरती हुई महसुस होने लगी तो राखी ने झुक कर मल्लिका के होंठ चूम लिये। राखी का आठ इंच लंबा तगड़ा लण्ड अपनी चूत में लेने में मल्लिका को ज़्यादा मुश्किल नहीं हुई क्योंकि उसे मूसल लण्ड लेने का काफी अनुभव था। अमेरिका में भी कईं हब्शियों के मोटे-मोटे काले लौड़ों से चुदवा चुकी थी।

“ऊम्मऽऽऽ... येस्सऽऽऽऽ... राखी... चोद दे मुझे.... मेरी राँड...!” मल्लिका धीरे से सिसकी और राखी के होंठ चूमने लगी और उनकी जीभें आपस में गुथमगुथा हो गयीं। राखी भी वापस मल्लिका को चूमते हुए उसकी जीभ चूसने लगी और उसकी चूत का कसाव अपने लौड़े पर महसुस करते हुए मल्लिका की चूत में अपना लौड़ा अंदर बाहर ठेलना शुरू कर दिया।

“हाय री... कितनी गरम चूत है... ऊँम्म्म... मज़ा ले तू भी मेरे लौड़े का...!” राखी बोली और बैठ कर पीछे झुकते हुए उसने मल्लिका की टाँगें पकड़ कर हवा में ऊपर उठा लीं और जोर-जोर से लण्ड उसकी चूत में पेलना शुरू कर दिया।

अपनी चूत में राखी के लंड के ज़बरदस्त धक्कों का मज़ा लेती हुई मल्लिका ज़ोर-ज़ोर से कराहने और सिसकने लगी। राखी का समूचा लौड़ा मल्लिका की चूत को फैलाते हुए अंदर बाहर हमला कर रहा था। “ओह हाँ... चोद.. चोद मुझे! हायऽऽ चूत की चटनी बना दे.. हाँऽऽ!” मल्लिका चींखने लगी। इस कहानी का मूल शीर्षक "राखी सावंत का अनोखा राज़" है।

राखी ने चोदना ज़ारी रखा। मल्लिका की टाँगें अपने कंधों पर टिका कर वो पूरी ताकत से अपना लंड इस तरह सटासट उसकी चूत में चोद रही थी कि राखी के टट्टे मल्लिका की गाँड पर टकरा-टकरा कर वापस उछल रहे थे। “ऊँह ऊँह... ले कुत्तिया... ले मेरा लण्ड... ये ले कुत्तिया...!” मल्लिका को छटपटाते देख कर राखी बोली।

मल्लिका अपने मम्मे पकड़ कर अपने निप्पल खींच कर उमेठने लगी। मल्लिका को चोदते-चोदते राखी के दिमाग में कुछ फितुर उठा और चोदने की रफ्तार धीमी करते हुए उसने मल्लिका शेरावत की चूत में से लण्ड बाहर खींच लिया। “क्या हुआ... भैनचोद! रुक क्यों गयी कुत्ती साली!” मल्लिका झल्लाते हुए गुस्से से बोली। उसके चेहरे पर खीझ साफ-साफ झलक रही थी।स कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

राखी मुसकुराते हुए बोली, “तेरे जैसी कुत्तिया को चोदने के लिये दूसरा तरीका है.... चल पलट कर अपनी गाँड उघाड़ कर कुत्तिया बन जा...!” मल्लिका दाँत निकाल कर मुस्कुराते हुए घूम कर पलट गयी और अपनी गाँड राखी की तरफ करके कुत्तिया बन गयी। “थोड़ा प्यार से करना मादरचोद! बहुत नाज़ुक है मेरी गाँड!” मल्लिका मज़ाक करते हुए शोखी से बोली।

मल्लिका की गाँड का कोन देखते ही राखी समझ गयी कि मल्लिका ने खूब गाँड मरवायी हई है। उसने ज़ोर से मल्लिका के चूतड़ों पर तीन -चार चपत जमा दीं। मल्लिका चूतड़ हिलाते हुए चिहुँक कर चिल्ला पड़ी। “संभल कर छिनाल! कहा ना नाज़ुक गाँड है!” मल्लिका फिर हंसते हुए बोली। “हाँ वो तो दिख रहा है कि कितने लंड डकार चुकी है तेरी गाँड!” राखी ने उसके चूतड़ों पर एक और चपत लगायी।स कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“हाँ लेकिन तेरे जैसा मूसल लण्ड लेने की आदत नहीं है!” मल्लिका बोली। राखी ने झुक कर उसके चुतड़ फैलाये और उसकी गाँड के छेद के आसपास जीभ से चाटने लगी। “वोआऽऽ! चाट मेरी गाँड कुत्तिया!” राखी ने अपनी जीभ उसकी गाँड में अंदर घुसायी तो मल्लिका मस्ती में चहकते हुए बोली। मल्लिका की गाँड अपनी जीभ से मारते हुए राखी एक हाथ से उसकी भीगी हुई चूत भी रगड़ने लगी और अपनी उँगलियों से उसकी तन्नायी हुई क्लिट भी मसलने लगी। उसका हाथ मल्लिका की चूत के रस से भर गया।

राखी की जीभ का मज़ा लेते हुए मल्लिका ने भी अपने दोनों हाथ पीछे अपने चुतड़ों पर रख कर उन्हें फैला दिया। राखी ने अपनी एक उंगली गाँड में घुसेड़ कर अंदर-बाहर करनी चालू की तो मल्लिका कूद पड़ी। “ऊँऊँम्म्मऽऽऽ....राखीईईऽऽ...!” कराहते हुए मल्लिका ने खुद को राखी के हवाले छोड़ दिया। राखी ने अपनी उंगली थोड़ी बाहर निकाली और एक और उंगली उसके साथ अंदर घुसेड़ कर मल्लिका की गाँड फैला दी। दोनों उंगलियाँ गाँड में अंदर-बाहर करते हुए वो बार-बार गाँड के छेद पर थूक रही थी। जब मल्लिका की गाँड थूक से लिसलिसी हो गयी तो राखी ने अपनी उंगलियाँ बाहर निकालीं।

“चल मेरी राँड... तैयार है ना गाँड में लंड लेने के लिये!” अपने लंड पर थूक कर उसे मलते हुए राखी बोली। फिर उसने बहुत ही ज़ोर से एक चपत राखी के चूतड़ पर जमायी और उसे अपने चूतड़ फैलाने को कहा। मल्लिका ने जैसे ही अपने हाथ पीछे ले जा कर अपने चूतड़ फैलाये तो उसे राखी के लंड का चिकना सुपाड़ा अपनी गाँड के छेद पर महसूस हुआ।

राखी का लण्ड अपनी गाँड में घुस कर अंदर फैल कर चीरता हुआ महसूस हुआ तो मल्लिका की चींख निकल गयी। “आआईईई! दुख रहा है... हरामज़दी... प्लीज़...” तकिये में अपना चेहरा धंसाते हुए मल्लिका कराही लेकिन राखी ने उसकी परवाह किये बगैर अपना लौड़ा मल्लिका की गाँड में ठूँसना ज़ारी रखा। मल्लिका के चूतड़ों को पकड़ कर राखी उसकी गाँड में अपना लौड़ा अंदर बाहर करती हुई पम्प करने लगी। “ऊँम्म्म्म... बहुत टाइट है... कुत्तिया तेरी गाँड... हाँऽऽऽ...” अपने लंड पर मल्लिका की कसी हुई गाँड की मजबूत पकड़ से राखी भी कराह उठी और अपने लौड़े को गाँड में अंदर बाहर फिसलना शुरू होते देखने लगी। स कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“ओहह चोद.... आँआँऽऽऽ... मेरी गाँड”, मल्लिका कराही। “चोद मुझे.. राखी भैनचोद!” राखी ने अपना पुरा लंड गाँड में जोर से ठाँस दिया तो मल्लिका चिल्लाई। राखी अब जोर-जोर से मल्लिका की गाँड में गहरायी तक अपना आठ इंच लंबा लण्ड ठोकते हुए चोद रही थी और उसके टट्टे मल्लिका की चूत पर ज़ोर-ज़ोर से थपक रहे थे। अपना एक हाथ बढ़ा कर राखी नीचे ले गयी और मल्लिका की तरबतर चूत पर फिराते हुए उसकी चूत का फूला हुआ दाना रगड़ने लगी। “बहुत ही मज़ेदार गाँड है तेरी... ऊँहह...” अपने टट्टों में वीर्य उबलता हुआ महसूस हुआ तो राखी कराही। मल्लिका भी झड़ने लगी तो वो ज़ोर -ज़ोर से चींखने लगी और राखी को अपने हाथ पर मल्लिका की चूत फूटती हुई महसुस हुई।

राखी ने अपना वो भीगा हुआ हाथ बढ़ा कर मल्लिका के चेहरे के सामने कर दिया और मल्लिका हाँफते हुए अपनी चूत का रस चाटने लगी। “मैं भी झड़ने वाली हूँऽऽ.... मेरी जान!” राखी कराही। अब और ज्यादा टिकना उसके बस में नहीं था और उसने झट से अपना लंड मल्लिका की गाँड में से बाहर खींच लिया।

मल्लिका की गाँड का छेद फैल कर पुरी तरह से खुला रह गया और जैसे ही वो पलट कर अपनी कमर के बल लेटी तो राखी उसके दोनों तरफ घूटने मोड़ कर उसकी छाती पर बैठ कर अपना लौड़ा ज़ोर-ज़ोर से मुठियाने लगी। “ओहहह मादरचोद। मैं झड़ी.. आआईईईऽऽऽ!” अपना लौड़ा मल्लिका के चेहरे के सामने करते हुए राखी चींख पड़ी। वीर्य की पहली बौछार उछल कर सीधी मल्लिका के माथे पर पड़ी और आँखों में बहने लगी। वीर्य की बाकी बौछारें मल्लिका के मुँह में, चेहरे गर्दन और मम्मों पर गिरीं। इस कहानी का मूल शीर्षक "राखी सावंत का अनोखा राज़" है।

“ओहहह रंडी कुत्तिया की चूत! ले... ये ले मेरे लंड का अमृत!” मल्लिका के चेहरे पर अपन वीर्य दागती हुई राखी कराहने लगी। मल्लिका ने अपना सिर उठा कर राखी का लौड़ा अपने मुँह में लिया और उसमें से वीर्य के आखिरी थक्के चूसते हुए अपनी गाँड का स्वाद भी लेने लगी। फिर राखी का लण्ड हाथ में पकड़ कर उसके सुपाड़े पर मल्लिका अपनी जीभ फिराने लगी। “तेरे लण्ड से तो मेरी गाँड की सैक्सी खुशबू आ रही है और मसलेदार स्वाद भी।” मल्लिका हंसते हुए बोली और राखी भी थक कर मल्लिका के बगल में पसर गयी। स कहानी की लेखिका नज़मा हाशमी है।

“मेरे अमृत का स्वाद भी किसी से कम नहीं है...!” राखी इतराते हुए बोली और मल्लिका के चेहरे और मम्मों से अपना वीर्य चाटने लगी। फिर राखी ने झुक कर अपने होंठ मल्लिका के होंठों पर रख दिये और दोनों एक दूसरे के मुँह में राखी का वीर्य अदल-बदल करने लगीं। उसके बाद घमासान चुदाई से थक कर दोनों आइटम-गर्ल एक दूसरे से लिपट कर आरम करने लगीं। इस कहानी का मूल शीर्षक "राखी सावंत का अनोखा राज़" है।

“तुझे मालुम है... तेरा फोन आया तब ही मैंने सोच लिया था कि अपना राज़ तेरे साथ खोल कर चुदाई करुँगी... मगर यकीन नहीं था कि तू मेरा साथ देगी या नहीं!” मल्लिका के बाल सहलाते हुए राखी बोली। “एक बार तो मैं भी डर गयी थी... अचानक तेरा लण्ड देख कर लेकिन अच्छा हुआ जो तूने मुझे रोक लिया!” राखी के मम्मों पर अपना सिर रखते हुए मल्लिका बोली। नशे और थकान से दोनों एक दूसरे के आगोश में सो गयीं।
*** समाप्त***


http://www.asstr.org/~Sinsex/RakhiSawan ... haRaaz.htm
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