चंदा रानी compleet

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Re: चंदा रानी

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चंदा रानी ने सिर्फ सुपारी चूत में छोड़कर, पूरा लंड बाहर निकाला और एक बहुत ही ताकतवर धक्का मारा, जिससे मेरा 8 इन्च का मोटा लौड़ा दनदनाता हुआ बुर में जा घुसा।
उसने अपने नाखून मेरे कंधों में गड़ा दिये और झर झर… झर झर… झड़ने लगी।
‘हाय हाय’ करते हुए फिर से आठ दस तगड़े धक्के मारे और हर धक्के में झड़े चली गई, उसके मुंह से सीत्कार पर सीत्कार निकल रहे थे, रस की फुहार चूत में बरस उठी, चंदा रानी बेहोश सी मेरे ऊपर ढेर हो गई।
उसके गरम गरम चूत रस में डूबकर मेरे लंड का भी सबर टूट गया, चंदा रानी की कमर जकड़कर मैंने भी ‘दन दन दन’ अपने चूतड़ उछाल उछाल कर कई ज़बरदस्त धक्के लगाये और बड़े ज़ोर से मैं भी स्खलित हो गया, बार बार तुनके मारते लंड ने खूब ढेर सारा लावा चंदा रानी की चूत में उगल दिया।
गहरी गहरी साँसें लेता हुआ मैं भी बिल्कुल मुरझाया सा पड़ा था और चंदा रानी मेरे ऊपर पड़ी थी। अब उसकी सांस भी काबू में आ चुकी थी।
जब हमारी कुछ तबीयत काबू में आई तो चंदारानी उठी और बड़े प्यार से मुझे चूमा, फिर उसने पहले की तरह़ चाट चाट कर मेरा लंड, अंडे, झांटें वगैरा की सफाई की और एक तौलिये से अपना यौन प्रदेश साफ किया।
फ़िर रसोई में जाकर दो थम्स अप से भरे गिलास लेकर आई, दोनों लिपट कर धीरे धीरे चुस्कियाँ भरने लगे, वह एक चुसकी लेकर मेरे मुंह में कोल्ड ड्रिंक डालती और मैं चुसकी लेकर उसके मुंह में डालता, ऐसा प्यार का खेल खेलते हुए कोल्ड ड्रिंक खत्म की।
‘राजे…तूने बहुत मज़ा दिया…तू बहुत बढ़िया चोदू है… जल्दी खलास भी नहीं होता… तेरे वीर्य का स्वाद कितना अच्छा है… आज तो राजे तूने मुझे खुश कर दिया… कब से प्यासी मरी जा रही थी… अब मैं तुझे अपना स्वर्णरसपान कराऊँगी जिससे तू मुझे सदा प्यार करेगा !’ चंदा रानी ने कहा।
‘स्वर्णरसपान क्या होता है?’ मैंने उसे चूमते हुए पूछा।
‘तुझे नहीं पता? तेरी पत्नी ने कभी नहीं पिलाया तुझे अपना स्वर्णामृत?…शायद उसे मालूम नहीं होगा…बहुत कम लड़कियाँ जानती हैं इसके बारे में… यह वो रस है जिसे पीकर मर्द उस लड़की का गुलाम बन जाता है… तू बनेगा ना मेरा गुलाम राजे?’
‘हाँ हाँ मैं तो हमेशा तेरा गुलाम रहूँगा। अब जल्दी से स्वर्णरस पिला… मेरा दिल रुक नहीं पा रहा स्वर्णारस चखने को !’
चंदा रानी बिस्तर पर टांगें चौड़ा के बैठ गई। उसने अपनी पैर नीचे फर्श पर रख दिये और बोली- चल राजे… अब तू ज़मीन पर बैठ जा और अपना मुंह मेरी फ़ुद्दी से सटा ले !’
मैंने वैसा ही किया।
चूत से मुंह लगाते ही मेरा नथुने उसकी बुर की खास गंध से भर गये। खुशबू पहचानते ही लंड हुमक के अकड़ गया और तुनक तुनक के अपनी प्यारी चूत को सलामी देने लगा।
चंदा रानी ने मेरा सिर पकड़कर मेरा मुंह बुर के होंठों से सटा दिया और कहा कि मैं मुंह पूरा खोल के रखूँ।
मैंने उसके हुक्म के मुताबिक मुँह खोल दिया।
कुछ ही क्षणों के बाद दो तीन बूंदें मेरे मुंह में टपकीं।
यह गरम गरम, नमकीन, खट्टा सा पानी था जो मुझे बेहद स्वादिष्ट लगा।
जैसे ही मैं उसको निगला, उसी पानी की एक धारा मेरे मुंह में गिरनी शुरू हो गई।
तो यह था स्वर्णरस !
तुरंत ही मैं समझ गया कि यह उसका मूत्र है, तभी उसे स्वर्णारस कह रही थी, क्योंकि मूत्र स्वर्ण जैसे रंग का होता है ना।
मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि जिसका कोई हिसाब नहीं।
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Re: चंदा रानी

Post by 007 »


मैं खुद अचंभे में था कि मूत्र पी कर इतना आनन्द आ सकता है।
क्या गज़ब का स्वाद था, मैं तो सारा जीवन चंदा रानी का गुलाम बनने को उत्सुक था।
चंदा रानी ने अब तेज़ धार निकाली जिसे मैं खुशी खुशी पीता चला गया, एक बूंद भी मैंने नीचे नहीं गिरने दी।
जब सारा का सारा स्वर्णामृत व़ह निकाल चुकी तो उसने मुझे उठ कर अपने से सट कर बैठने को कहा।
मैं तो उसके स्वर्णामृत के नशे में चूर था, मज़े से भरा हुआ मैं तो पूरा मस्त था, मैंने यह स्वर्णामृत अभी तक अपनी पत्नी का क्यों नहीं चखा?
मुझे तो पता ही नहीं था इतनी उत्तम चीज़ का।
मस्ती के खुमार में मैं उठा और चन्दारानी के बगल में जा बैठा।
उसने मुझसे लिपट लिपट कर बार बार चूमा, बोली- राजे… तू अब मेरा गुलाम बन गया… तुझे पता है लड़कियाँ उसी मर्द को पूरा मज़ा देती हैं जो इश्क़ लड़ने में उनका गुलाम बनकर रहता है… तुझे मैंने पूरा मज़ा दिया या नहीं?… लड़कियाँ अपना कचूमर भी उसी मर्द से निकलवाती हैं जो जब वो कहें तभी उनको वहशियों की भांति नोच खसोट के चोद दें, अपनी मर्ज़ी से नहीं !
मैं तो चंदा रानी के स्वर्णामृत का पान करके धन्य हो चुका था, मैं बिल्कुल उसका जीवन भर गुलाम बन जाने को तत्पर था।
वह कहे तो कुएं में कूद जाऊँ !
‘आजा मेरे राजा बेटे !’ चंदारानी की आवाज़ मेरे कान में पड़ी- तू थक गया होगा… चल तुझे अपना दूध पिला के ताक़त दूं… आजा मेरी गोदी में मेरे गुलाम… मेरा गुलाम बेटा…आ आ !’ चंदरानी चौकड़ी मर के बैठ गई थी।
उसकी उन्नत, दूध से भरपूर, और मर्दों के क़ातिल चूचियाँ मुझे न्योता दे रही थी। मैं चुपचाप उठा और चंदरानी की गोद में लेट गया। उसने झट से एक चूची मेरे मुँह में घुसा दी और मेरे सिर थाम लिया जैसे वो अपने बच्चे का सिर थामती थी दूध पिलाते हुए।
मैंने तुरन्त चूची चुसनी शुरू कर दी और मज़े से दूध पीने लगा, साथ ही दूसरी चूची की निपल को उमेठने लगा।
चंदारानी मेरे लंड से खेल रही थी।
साला हरामी लंड !! फिर से खड़ा हो गाया था।
मैंने बारी बारी से दोनों चूचियाँ पी पी के दूध खाली कर दिया।
चंदारानी भी गरम हो चली थी, मैंने दोनों चूचियों कस के भींच लीं और ज़ोर से उनको निचोड़ने लगा।
चंदा रानी सीत्कार पर सीत्कार भर रही थी। इतनी ताकत से निचुड़ निचुड़ कर अब चूचियों की सख्ती कम हो गई थी लेकिन ठरक बेतहाशा बढ़ जाने से वो बहुत गर्म हो चली थी।
‘राजे… अब तू मेरी घोड़ी की तरह चुदाई कर !’ इतना कह के चंदा रानी बिस्तर से उतर गई, दोनों टांगे चौड़ी करके खड़ी हुई और आगे झुक कर दोनों हाथ बिस्तर पर टिका लिये।
फिर उसने अपने मुलायम, मांसल और चिकने चिकने नितम्ब पीछे को उठा दिये।
पहले तो मैंने बैठ कर खूब जी भर के वह दिलकश नितम्ब सहला सहला के चाटे जिस पर चंदा रानी ने मस्ता के सीत्कार भरे।
उसकी ठरक अब बहुत बढ़ चुकी थी, उससे अब रुका नहीं जा रहा था, बार बार जल्दी से चोदने को कह रही थी।
मेरा लौड़ा भी ज़ोर से तन्नाया हुआ चूत में घुसने को बेताब हो रहा था।
मैंने चंदा रानी की कमर पकड़ कर लौड़े को ठीक से सेट किया चूत के मुंह पर और हचक के धक्का मारा।
लंड जड़ तक उसकी रस से लबलब चूत में गड़ गया।
चंदा रानी ने मज़े की एक किलकारी मारी।
मैंने पीछे से उसकी चूचे कस के पकड़ लिये और हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
मैं उसकी चूचियों को दबा कर मसल रहा था।
चंदा रानी मस्ती में डूबी मेरे धक्के से धक्का मिला कर अपने नितम्ब ऊपर नीचे कर रही थी, उसके खुले हुए भूरे केश इधर उधर लहरा रहे थे।
करीब आधा घंटा इसी प्रकार चोदने के बाद मैंने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी।
चंदा रानी की चूत से रस बह बह कर उसकी जांघों तक को गीला कर चुका था, वह बड़ी तेज़ी से चरम सीमा की ओर अग्रसर थी।
मुझे भी अपने टट्टों में दबाव बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था, लंड में एक सुरसुरी सी आगे पीछे दौड़ रही थी।
हम दोनों के शरीर खूब गरमा गये थे, चुदाई की अलग अलग आवाज़ें जैसे कि लंड अन्दर बाहर होने की फच फच, कभी मेरे कभी उसके मुंह से निकलने वाली सांसें, हां हां, हाय हाय, उई उई इत्यादि काफी शोर मचा रही थीं।
मैं हैरान था कि बच्चा सोये जा रहा था।
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Re: चंदा रानी

Post by 007 »


‘अब…जल्दी जल्दी कर…राजे… तू सच में बहुत तरसाता हाय…अब बस कर…और न तड़पा अपनी चंदा रानी को..’ चंदा रानी के बदन में एक तेज़ कंपकंपी आई और मैंने एक के पीछे एक धम धमा धम धम बहुत सारे ज़ोरदार धक्के मारे।
चरम आनन्द में पगला कर उसके मुंह से एक चीख़ निकली और चंदा रानी धड़ाक से झड़ी।
मैं धकाधक धक्के लगाये जा रहा था।
कुछ ही देर में मेरे अन्दर एक बिजली सी कौंधी और मैं भी ‘हैं हैं’ करता हुआ स्खलित हुआ।
मेरे लंड से लावे जैसे गर्म गर्म वीर्य ने उसकी चूत को भर दिया।
अब तक तो चंदारानी कई दफे झड़ चुकी थी।
हम दोनों एक दौड़ के बाद घोड़े की तरह हांफ रहे थे।
चंदा रानी तो बिस्तर पर लुढ़क गई, मैं भी मुर्झाया सा उसकी बगल में गिर गया।
दस पंद्रह मिनट के बाद चंदा रानी की हालत काबू में आ गई, तो उसने उठ कर पहले तो अपनी चूत को तौलिये से पोंछ पोंछ कर साफ किया और फिर उसने मेरा मुरझाया हुआ लंड चाट चाट के साफ किया।
लंड की नस निचोड़ निचोड़ के उसने वीर्य की दो बूंदें बाहर निकाल ही लीं, उसने उन बूँदों को क्रीम की तरह मसल मसल के अपने चेहरे पे मल लिया।
‘राजे.. तेरी क्रीम तो मस्त है… अब तो जब जब मैं तेरे साथ होऊँगी, कोई भी दूसरी क्रीम न लगाऊँगी… अब सुन ध्यान से… तेरा इनाम मेरा गुलाम बनने का… परसों मेरी छोटी बहन नन्दा आ रही है मेरे साथ रहने के लिये ! जब तक तेरा चूतिया दोस्त वापस नहीं आ जाता… बहुत सुन्दर और सेक्सी लड़की है… तीन दिन बाद उसकी अठारहवीं बर्थडे है… मैं चाहती हूँ कि तू उसकी नथ खोल कर उस मादक कली को अति मादक फूल बना दे… इतनी कामुक लड़की ज्यादह दिन कुमारी न रहने वाली… अगर तूने उसे ना भोगा तो कोई और ले उड़ेगा…! आया मज़ा अपना इनाम सुन कर?’
मज़ा ! मेरा तो लंड उछलने लगा एक कमसिन कुमारी लड़की को चोदने का सुन कर।
मुझे पता है कुमारियों की चूतें कितनी टाइट होती हैं, लंड भीतर जा कर फंस जाता है और इसी लिये मज़ा बेइंतिहा मिलता है।
मैं तभी से मैं नन्दा रानी को कैसे चोदूंगा यह सोच कर ही मज़े के मारे मारा जा रहा था, दो दो चूतों के साथ संगम करने को मिलेगा। क्या मुकद्दर तू लिखवा के लाया है, साले चूतनिवास !
पर तीन दिन इंतज़ार करना पड़ेगा इतनी मस्ती लूट पाने से पहले।
तभी चंदा रानी का बच्चा जग गया और रोने लगा भूख के मारे। नंगी चंदा रानी ने उसे उठाया और चूची शिशु के मुंह में देकर दूध पिलाने लगी।
अब मेरे चलने का वक़्त हो गया था, वैसे भी तीन घंटों में तीन बार झड़ जाने के बाद मैं अब आराम चाहता था।
उसका बालक अब जग चुका था, तो चुदाई की संभावना ज़रा कम ही थी।
मैंने चंदा रानी के होंठ चूमे, उसकी एक निप्पल उमेठी और उसके बदन पर हाथ फेरता हुआ मैं वहाँ से निकल कर अपने घर आ गया।
पाठको, याद रखो जितना ज़्यादा चोदोगे उतना ही लंड की ताक़त बनी रहेगी, उतना ही अधिक वीर्य का उत्पादन होगा और उतना ही सख्त लंड खड़ा होगा।
जितनी वर्ज़िश उतनी ताक़त।
और हाँ अपनी बीवी या माशूका का स्वर्णरसपान ज़रूर करें।
औरत आपकी गुलाम बनी रहेगी और समझेगी यह कि आप उसके गुलाम हो।
यह मेरा खुद का अनेक बरसों का रोज़ स्वर्णामृत पीने का अनुभव है।
इसके अलावा यह अमृत आपकी ताक़त बेतहाशा बढ़ा देता है।
अगर आज आप दिन में तीन बार चोद सकते हो तो कुछ दिन रोज़ स्वर्णामृत पीने के बाद आप पांच बार चुदाई कर पाओगे।
जब मेरी पत्नी मायके से वापस आई तो उससे भी मैंने कहा कि मैं उसका स्वर्णामृत पीना चाहता हूँ।
पहले तो उसने नाक भौं सिकोड़ी लेकिन जब मैंने बहुत कहा कि बेहद मज़ा आयेगा तो वह मान गई।
यारो, एक बार जब उसने पिलाया सो मस्ती में झूम उठी।
तब से रोज़ का कार्यक्रम है कि जब तक वह मुझे अपना रस पान नहीं करवा देती, उसे चैन ही नहीं पड़ता।
और फिर जो वह मचल मचल के चोदती है तो मुझे जन्नत के नज़ारे दिखा देती है।
उसके बाद से दिन में तीन और अक्सर चार बार चुदाई मज़े से करते हैं।
लंड सख्त भी ज़्यादह होता है और दिल में चुदास भी खूब ज़ोरों से उठती है।
अगली कहानी में नन्दा की नथ खोलने के बारे में आपको खुल कर बताऊँगा।
फिलहाल हैपी फक्किंग !!! सदा मस्त रहो और चोदा-चुदाई करते रहो।
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Re: चंदा रानी

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चन्दा की जोरदार चुदाई के तीन दिन के बाद उसकी सगी बहन नन्दा का अठारहवाँ जन्मदिन था,
चंदा रानी ने शाम को एक पार्टी रखी थी जिसमें सिर्फ अड़ोस-पड़ोस के बड़े बच्चों को बुलाया था और मुझे उसने रात नौ बजे बुलाया था ताकि पार्टी समाप्त होने के बाद तसल्ली से हम अपना काम शांत करने का काम कर सकें।
मैं पूरे नौ बजे चंदा रानी के घर पहुँच गया, दरवाज़ा सिर्फ भेड़ा हुआ था, चिटकनी नहीं लगाई थी अंदर से !
चंदा रानी जल्दी जल्दी पार्टी के बाद घर की सफाई में लगी थी।
मैंने उसे बाहों में भींच के एक बहुत लम्बा चुम्बन लिया। चुम्बन के बाद वह बोली- राजे… बस दस मिनट तसल्ली कर ले… सफाई नहीं होगी तो मेरे सिर में टेंशन हो जाता है… तू बैठ आराम से !
‘ठीक है रानी… तब तक तेरी बहन से जान पहचान कर लूँ… कहाँ है वो..’
‘उसे छिपाकर रखा है… तू कुछ देर सबर तो कर… सारी रात अपनी है राजा !’
मैं सोफे पर टांगें पसार के बैठ गया। चंदा रानी ड्राइंग रूम को ठीक ठाक करने में दुबारा लग गई और में उसे सिर से पैरों तक निहारने लगा।
भगवान ने इस कामवासना से भरपूर नारी को बड़े मस्त मूड में बनाया होगा। उसका हर अंग मैंने देख लिया था और हर अंग बेहद खूबसूरत था।
मैं इस चुदासी चंदा रानी को घंटों बिना थके निहार सकता था। उसने ताड़ लिया कि मैं उसे लगातार देखे जा रहा हूँ। फिर से उसने अपना हाथ दिखाकर थोड़ी सी देर तसल्ली रखने का इशारा किया और एक फ्लाइंग चुम्बन मेरी तरफ उछाला।
मैंने भी उसकी दूध से लबाबब चूचियाँ दबाने का इशारा किया।
करीब पंद्रह मिनट में सब सही हो गया तो चंदा रानी आकर मेरे पास बैठ गई और मुझसे लिपट कर मुझे बेतहाशा चूमने लगी।
मैंने भी उसकी चूचियाँ निचोड़ना शुरू कर दिया।
जब दिल भर के चूम चुकी तो बड़े धीमे से मेरे कान में बोली- राजे… थोड़ा प्लान चेन्ज हो गया है… अब हम तेरे घर चलेंगे और तेरे बिस्तर पर ही इक्का दुक्की का खेल खेलेंगे… कितना मज़ा आयेगा न जब तेरे पलंग पर जिस पर तू अपनी पत्नी को चोदता है, उसी पे तू हम दो बहनों को चोद देगा।
इतना सुन कर मेरा लंड फुंकार उठा, अपनी ही बीवी के बिस्तर पर दो पराई लड़कियों चोदना वाकयी में ठरक को सैकड़ों गुणा बढ़ाने वाली बात थी।
अपनी ही बेड रूम में अपनी बीवी के साथ सोने वाले पलंग पर एक नहीं दो दो स्त्रियों के साथ सम्भोग करना कितना उत्तेजित करने वाली बात थी, ऐसा सौभाग्य लाखों में ही किसी को मिलता है, जबकि दूसरी जगहों पर चुदाई तो बहुत से आदमी कर लेते हैं।
लंड हुमक हुमक के तंग करने लगा।
चंदा रानी ने भी कस के अकड़ा हुआ लौड़े को महसूस कर लिया था, बोली- अरे तू इतनी देर इंतज़ार भी कर पायेगा या नहीं… तेरा तो मुझे हाल खराब लग रहा है… कहे तो चूस के एक बार झाड़ दूं… बोल… क्या कहता है?
इतना कह के उसने मेरे लंड को पैंट की ज़िप खोल के बाहर निकलने की चेष्टा की।
मैंने उसका हाथ हटा दिया और कहा- रानी… नहीं… अब तो मैं तुम दोनों की चूतें अपने बिस्तर पर ही लूंगा… आज तो दोनों बहनों की चूतों को फाड़ डालने की मंशा हो रही है मेरी।
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Re: चंदा रानी

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‘हाय मेरा चोदू गुलाम… बड़े जोश में है मेरा राजा… हाँ हाँ… खूब चोदियो… हम भी तो तैयार बैठी हैं तेरे इस भोले मूसल चंद को अंदर घुसेड़ने के लिये !’ चंदा रानी ने प्यार से मेरे लंड को पैन्ट के ऊपर से थपथपाया।
‘राजे.. अब तू जल्दी से घर जा… हम आधे पौने घंटे में पहुँचती हैं… मैंने यहाँ सब पड़ोसियों को कह दिया है कि मुझे रात को बहुत डर लगता है… इसलिये मैं अपनी बहन के साथ रात को सोने के लिये अपने पति के एक दोस्त के घर जाया करूँगी… क्योंकि हम दो लोग हैं इसलिये किसी ने कोई बात नहीं बनाई… अगर बहन साथ ना होती तो यह नहीं हो सकता था.. तो राजे अब तो हम मेरे पति के आने पर ही तेरे घर में सोना बंद करेंगे… तेरी पत्नी आयेगी बीस दिन के बाद और मेरा चूतिया आयेगा एक महीने के बाद… .अब ज़रा सोच राजे… अगले बीस दिन तो खुल के हम तीनों चुदाई करेंगे… तेरी बीवी के आने के बाद भी कुछ ना कुछ रास्ता निकल लेंगे चोदने का… क्यों ठीक है ना… खुश मेरा राजा..बस तू तैयार हो जा मस्ती से भरे बीस दिन की मौज के… और हाँ तेरे खाने पीने का भी आराम हो जायेगा.. हम अकेले खुद थोड़े ही खायेंगे… तेरे लिये भी तो खाना बनायेंगे।’
क्या ज़बरदस्त स्कीम थी। मेरे मन तो उछलने लगा यह सोच सोच के कि रोज़ाना रात को दो दो हसीनाओं को मैं चोदूँगा, हाय कितना मज़ा आयेगा !!!
मादरचोद चूतनिवास, तू गांडू वाकयी में मुकद्दर का सिकंदर है !!!
खैर मैंने अपने मोटर साइकल को किक मारी और दस मिनटों में अपने घर आ गया जो करीब तीन किलोमीटर दूर था। चंदा रानी को आधा घंटा लगेगा क्योंकि उनको रिक्शा से आना था।
घर आकर मैंने बेडरूम को ठीकठाक किया, अलमारी से दो साफ तौलिये निकाले, चार पांच नैपकिन निकाले और फिर पास के बाज़ार से कुछ मिठाई और एक क्रेट कोकाकोला का लेकर आया। मिठाई और छह कोका कोला को फ्रिज में रख दिया और फिर मैं सोफा पर आराम से चंदा रानी और उसकी बहन नन्दा की प्रतीक्षा करने लगा।
वे लोग करीब पौने घंटे के बाद आये।
चंदा रानी गोद में बच्चा संभाले अंदर घुसी और नन्दा रानी पीछे पीछे घर मे दाखिल हुई।
नन्दा रानी को मैंने बड़े ध्यानपूर्वक ऊपर से नीचे तक निहारा। लम्बा क़द, छरहरा शरीर, मध्यम भूरे रंग के घने कंधों पर लहराते हुए सुन्दर बाल, गुलाबी होठों से सजा हुआ खूबसूरत चेहरा, सुराहीदार गर्दन, ताज़े ताज़े उभरे संगतरे के आकार के चूचुक, बहुत ही दिलकश हाथ और पैर।
रंग एसा गोरा कि कश्मीरी लोग भी फीके पड़ जाएँ, फिगर ऐसी कि मॉडल लड़कियाँ शर्म खाएँ, बड़ी बड़ी भूरी आँखें, त्वचा बिल्कुल साफ और रेशम जैसी चिकनी, कोई मेकअप नहीं।
खैर उसे मेकअप की ज़रूरत थी भी नहीं ! शक्ल चंदा रानी से काफी मिलती थी, फर्क यह था कि चंदा रानी गुदाज़, गदराई जवानी थी जबकि नन्दा रानी एक पतली कमसिन युवती थी जो आज के ही दिन व्यस्क हुई थी।
चंदा रानी के बाल गहरे भूरे थे और उसकी आँखें भी गहरे भूरे रंग की थीं।
दोनों बहनों में क्या गज़ब की कामुकता कूट कूट के भरी हुई थी। ऐसा लगता था की एक ही घर में भगवान ने सारी खूबसूरती पैदा कर डाली।
मेरी बीवी भी बहुत गोरी और सुन्दर है पर नन्दा रानी के सामने वह ज़्यादा तो नहीं पर थोड़ी सी फीकी दिखती।
मैंने नन्दा रानी को अबके से कस के बाहों में भींच लिया और उसका मुंह अपनी तरफ करके टपक से अपने होंठ उसके गुलाबी होंटों पर सटा दिये।
वह अचकचा गई क्योंकि पहले किसी मर्द ने उसे चूमा नहीं था और वह समझ ना पा रही थी कि क्या करे।
उसने सकुचाते हुए खुद को मेरे बाहुपाश से छुड़वाना चाहा लेकिन मैंने बहुत ज़ोर से जकड़ा हुआ था।
‘राजे… यह बिल्कुल नादान है… इसे हर चीज़ समझानी पड़ेगी… .थोड़ा बहुत तो मैंने बताया है परंतु बाकी का तुझे ही समझाना होगा।’ चंदा रानी की आवाज़ आई।
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