पेइंग गेस्ट compleet

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Re: पेइंग गेस्ट

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भाभी भी अब अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मरवा रही थीं. बीच में ही अपना गुदा सिकोड़ कर मेरे लन्ड को पकड़ लेतीं. “अनिल, मीनल घबरा जायेगी. अभी तो खुश है पर पता चलेगा कि सुहागरात को उसकी कुम्वारी गांड चोदी जायेगी वह भी तुंहारे हलब्बी लन्ड से, तो रो देगी. उस रात उसे सरप्राइज़ देंगे. मै तो यही मानती हूं कि सुहागरात को वधू को दर्द हो और वह थोड़ा रोए धोए तो मजा आता है. चुदने में तो वह रोएगी नहीं, बल्कि मस्त होकर चुदवाएगी. इसलिये तुम आराम से खूब समय लेकर उसकी गांड मारना. मैं और सीमा तुंहरी सहायता करेंगे और मजा लूटेंगे.”
भाभी के यह विचार सुनकर मुझे मजा आ गया. उत्तेजित होकर मैं अब हचक हचक कर उनकी गांड मारने लगा और झड़ गया. भाभी वैसे ही पड़ी रहीं और मैंने अपने मेहनताने की बदौल उनकी चूत चूस कर उनका रस पी लिया.
सगाई शांअ को हुई और बस एक घम्टे में खतम हो गई. रात को हमने दूने जोश से चुदाई की. सीमा अब मुझे जीजाजी और भाभी अनिल बेटा कहने लगी. मेरी होने वाली पत्नी मीनल जो पहले मुझे अंकल कहती थी अब शरमा कर ‘सुनिये जी’ कहने लगी. “सुनिये जी, अपनी जीभ डालिये ना मेरी बुर मेम’ जब उसने मुझसे बुर चुसाते समय कहा तो सब हम्सने लगे.
मैंने उसे प्यार से कहा कि अब वह मुझे मेरे नाम अनिल से बुला सकती है. भाभी ने कहा कि शादी के पहले, जो अगले हफ़्ते में थी, यह हमारी आखरी चुदाई होगी. पहले तो दोनों लड़कियां इस पर चिल्लाने लगीं पर फ़िर मैंने और भाभी ने जब उन्हें समझाया कि एक हफ़्ते अपनी वासना पर लगांअ रखने से सांऊहिक सुहागरात का मजा दूना हो जायेगा तो वे मानीं.
मैंने दूसरे दिन एक क्रींअ लाकर सब को दी जिसे लन्ड या क्लिटोरिस पर लगाने से ठम्डक सी लगती थी और उसमें सभी सम्वेदना लुप्त हो जाती थी. इससे सब को अपने आप पर काबू रखने में काफ़ी सहायता मिली.
आखिर शादी भी हुई. बस कोर्ट में जाकर आधे घम्टे का कांअ था. मेहमानों के रूप में सिर्फ़ एक बूढी बुआ थीं जो तुरम्त अपने घर लौट गईं. दूसरे सुधा भाभी की छोटी बहन थीं. वे दिल्ली में एक कम्पनी में ऊम्चे पद पर कांअ करती थीं और अविवाहित थीं. उंर पैम्तीस के करीब होगी याने मेरे जितनी. बड़ा आकर्षक व्यक्तित्व था. बा~म्ब कट बाल, कसा हुआ बदन और चेहरे पर एक आत्मविश्वास. वे भी रात को ही लौट गईं. मैंने मन में उनकी मूरत जमा ली, सोचा आगे कभी मौका मिलेगा तो अपनी पत्नी की उस मौसी से भी चक्कर चलाऊंगा. मुझे भी वे काफ़ी इम्टरेस्ट से देख रही थीं. हम दोनों को अगले माह दिल्ली घूमने आने का न्योता उन्होंने दिया जो मैंने तुरम्त स्वीकार कर लिया. भाभी को कुछ अम्दाजा हो गया था इसलिये वे मम्द मम्द मुस्करा रही थीं.

हम घर वापस आये. वहां सीमा और भाभी ने पहले ही सुहागरात के लिये पूरे कमरे को फ़ूलों से सजा रखा था. हम सब अलग अलग नहाने को चले गये. नहा कर उस क्रींअ को धोना था और एक घम्टे बाद उसका असर खत्म होने पर बेडरूम में मिलना था.
ंऐम नंगा ही कमरे में दाखिल हुआ. मेरा लन्ड एकदम तन खड़ा था और मीनल के बदन में घुसने को बेचैन था. आज मैंने निश्चय कर लिया था कि उस मस्त सूजे शिश्न को पूरा काबू में रखूंगा और कम से कम घम्टे भर अपनी पत्नी की गांड मारकर ही झड़ूंगा. कमरे में देखा कि सीमा और भाभी भी नंगी थीं. दोनों एक हाथ से अपनी उत्तेजित चूत सहला रही थीं और मीनल के पास बैठकर उसे चूम चूम कर उससे मजाक कर रही थीं. मीनल बहुत शरमा रही थी और पूरे कपड़े याने लाल शादी का जोड़ा पहने थी.
मेरे मचलते लौड़े को देखकर आंख मारकर सीमा चहकी “लो जीजाजी आ गये, दीदी देख, तेरे लिये क्या उपहार लाये हैं? मैं तेरी जगह होती तो जरूर घबरा जाती!” लगता है भाभी ने चुपचाप उसे बता दिया था कि आज क्या होने वाला है. उसके इस उलाहने को मीनल ने नजरम्दाज कर दिया. बड़ी भूखी और ललचायी नजर से वह अपने पतिदेव के लिंग को देख रही थी. बेचारी शायद इसी भ्रम में थी कि इस मस्त लन्ड से उसे चोदा जायेगा और उसका वीर्य भी पीने मिलेगा.
मैंने अपने दुल्हन का एक गहरा चुम्बन लिया और फ़िर उसके कपड़े निकालने लगा. भाभी और सीमा ने भी हाथ बटाया, उसके गहने निकाले, साड़ी खोली और ब्लाउज़ उतारा. मैंने उन्हें कहा कि मंगल सूत्र रहने देम. अब वह लाल रंग की ब्रा और पैंटी में थी. उसके सांवले शरीर पर आज अजब निखार था. मैंने उस पलन्ग पर लिटाया और सीमा से उसकी ब्रा निकालने को कहा. खुद मैं उसकी पैंटी उतारने लगा. “पहले अपनी प्यारी अर्धांगिनी की योनी के अमृत का पान करूंगा.” कहकर मैं उसकी बुर चूसने लगा. वह इतनी गीली थी जैसे कई बार झड़ी हो. चिपचिपा गाढा रस आज ज्यादा ही स्वादिष्ट था. आखिर हफ़्ते भर के संयम का यह परिणाम तो होना ही था.
भाभी और सीमा उसे चूमने और उसके स्तनों की मालिश करने में लग गईं. मीनल ने मेरा सिर अपनी बुर पर प्यार से दबा लिया और धक्के देते हुए मेरे मुंह पर अपनी वासना शांत करने लगी. उसके एक स्खलन के बाद मैं उठ कर बैठ गया और अपना लौड़ा सहलाते हुए बोला. “चलो, तुंहारा कौमार्य भंग करने का समय आ गया है मेरी जान.” खुश होकर उसने अपनी टांगेम फ़ैला दीं और मेरे लन्ड के अपनी चूत में घुसने का बेचैनी से इम्तज़ार करने लगी.
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Re: पेइंग गेस्ट

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मीनल को बड़ा आश्चर्य हुआ जब उसका एक चुम्बन लेकर मैंने उसे उठाकर पट लिटा दिया. उसे लगा कि शायद मैं कुतिया स्टाइल में पीछे से चोदने वाला हूं इसलिये वह अपने घुटनों और कोहनियों पर जमने लगी तो मैंने उसे फ़िर नीचे पट लिटा दिया और भाभी और सीमा को इशारा किया.
भाभी ने उसके हाथ पकड़ लिये और सीमा उसके पैरोम पर बैठ गई. मैंने मन भर के अपनी रानी के नितम्ब देखे. काले सांवले पर कसे हुए वे चूतड़ खा जाने को मन होता था. मैने झुक कर उन्हें मसलते हुए चूमना और चाटना शुरू किया और फ़िर उसके गुदा को चूसने लगा. अपनी जीभ उसमें डाली तो बड़ी मुश्किल से गई; बड़ा ही टाइट होल था. उसके सौम्धे स्वाद को मैं अभी चख ही रहा था कि मीनल बोली. “छोड़ो, यह क्या कर रहे हो?”
मैंने कहा.” तुंहारे उपहार को चूम रहा हूं रानी, आखिर अपना इतना अमूल्य अंग एक पत्नी अपने पति को भोगने को दे रही हो तो उसका स्वाद लेना जरूरी है, चोदने के पहले.” मीनल घबरा कर बोली. “नहीं नहीं, ऐसा मत करो, मैं मर जाऊंगी, ममी समझाओ ना अनिल को.” भाभी बोलीं. “उसका हक है बेटी, अब वह तेरा पति है, और पति को सुहागरात में अपनी कुछ तो कुम्वारी चीज़ देना चाहिये, तेरी चूत तो पहले ही चुद चुकी है, हां यह गांड बिलकुल अछूती है जो वह अब मस्ती से मारेगा.”

मीनल अब रोने लगी. जब छूटने की सब कोशिशें बेकार हुईं तो सिसकते हुए लस्त पड़ गई. तब तक मैने उसकी गांड के छेद में मक्खन चुपड़ना शुरू कर दिया था. एक ही उंगली अन्दर जा रही थी. “सचमुच बड़ी कसी कुम्वारी गांड है आपकी बेटी की, बहुत मजा आयेगा इसे चोदने मेम.” मैंने भाभी से कहा.
मेरे लन्ड को सीमा मक्खन लगा रही थी, उसके छोटे छोटे हाथों के स्पर्श से लन्ड और फ़ूल गया था. अपनी उंगलियां चाटते हुए मैं पलन्ग पर चढ कर मीनल के पैरोम के दोनों ओर घुटने टेक कर बैठ गया. अपना लाल लाल सूजा सुपाड़ा मैंने अपनी पत्नी के गुदा पर रखा और थोड़ा दबाया. फ़िर भाभी को इशारा किया. भाभी ने अपनी बेटी के मुंह पर हाथ रख दिया. मैंने तुरम्त सुपाड़ा पेलना शुरू किया. घबराकर मीनल ने अपनी गांड का छल्ला सिकोड़ लिया था जिससे गांड का मुंह करीब करीब बन्द हो गया था.
“गांड खोल रानी, ढीली छोड़ नहीं तो तुझे ही तकलीफ़ होगी.” कहकर मैने और दबाया. मेरी शक्ति के आगे उस बेचारी की क्या चलती. गांड को खोलता हुआ मेरा सुपाड़ा आधा धम्स गया. ंईनल का शरीर एकदम कड़ा हो गया और वह छटपटाने लगी. भाभी ने मुझसे पूछा. “फ़ट तो नहीं जायेगी मेरी बच्ची की गांड? जरा संहाल कर बेटा.” मैंने कहा. “घबराइये मत सासू मां, हौले हौले डालूंगा, बस सुपाड़ा अन्दर हो जाए, फ़िर डम्डा तो आराम से जायेगा.और मक्खन इसी लिये लगाया है कि सट से चल जाए.”
मैंने पेलना बन्द करके नीचे देखा. मीनल का गुदा पूरा तन कर फ़ैला हुआ था और उसमें मेरा सुपाड़ा फ़म्सा हुआ था. मैंने थोड़ा और मक्खन उसपर लगाया और मीनल के शांत होने का इम्तजार करने लगा. दो मिनट में जब उसका कसमसाना बन्द हुआ तो मैंने अब कस कर लन्ड को दबाया. पा~म्क्क की आवाज से सुपाड़ा अन्दर हो गया. मीनल हाथ पैर पटकने लगी. उसके दबे मुंह से सीत्कार निकल रहे थे. उस युवती के तड़पने में भी ऐसा मादकपन था कि भाभी और सीमा भी गरम हो उठीं. मैंने झुक कर भाभी को चूम लिया और उनकी चूचियां दबाते हुए मीनल का दर्द कम होने का इम्तजार करने लगा.
कुछ देर बाद मैंने बड़े धीरे धीरे लन्ड अन्दर घुसेड़ना शुरू किया. कस कर फ़म्सा होने की बाद भी मक्खन के कारण लन्ड फ़िसल कर मीनल के चूतड़ोम की गहराई में इम्च इम्च कर जा रहा था. वह ज्यादा छटपटाती तो मैं रुक जाता. आखिर जड़ तक लन्ड खोम्सने के बाद मैं अपनी पत्नी के ऊपर सो गया और हाथ उसके शरीर के इर्द गिर्द जकड़ लिये. झुककर देखा तो उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और बड़ी दयनीय भावना से वह मेरी ओर देख रही थी. मुझे थोड़ी दया आई पर बहुत अच्छा लगा. सुहागरात उस चुदैल को हमेशा याद रहेगी ऐसा मैंने मन ही मन सोचा. मैं यह भी जानता था कि अब वह मेरी मुठ्ठी में रहेगी और हमेशा मुझ से थोड़ा घबरा कर रहेगी.



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Re: पेइंग गेस्ट

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पांच मिनट बाद मैंने भाभी को कहा कि हाथ अपनी बेटी के मुंह से हटा लेम, अब वह नहीं चीखेगी. भाभी के हाथ हटाते ही वह सिसक सिसक कर रोने लगी. “मां, मैं लुट गई, लगता है गांड फ़ट गई, इतना दर्द हो रहा है जैसे किसी ने पूरा हाथ घूम्सा बनाकर डाल दिया हो. खून बह रहा होगा, जरा देखो ना. ममी अनिल से कहो ना मुझे छोड़ दे, अपना लन्ड निकाल ले नहीं तो मैं मर जाऊंगी.” सीमा ने बड़ी उत्सुकता से उसके गुदा को टटोल कर देखा. “नहीं दीदी, नहीं फ़टी, खून भी नहीं निकला, तू गांड ढीली क्यों नहीं कर लेती जैसा जीजाजी कहते हैं?”
मीनल को शांत करना जरूरी था, नहीं तो बेचारी की सुहागरात पूरी दर्द से बिलबिलाते हुए जाती. मैं उसे बांहों में जकड़े बिस्तर पर पलट गया जिससे मैं नीचे और वह ऊपर थी. मैंने भाभी से कहा “भाभी, जरा दुल्हन की चूत पर आप ध्यान दीजिये. और सीमा तू इधर आ और दीदी को अपनी चूची चुसवा.” सीमा ने अपना एक निपल मीनल के मुंह में दे दिया और दर्द की मारी मीनल उसे चूसने लगी कि कुछ तो हो जिससे उसका ध्यान बम्टे उसके गुदा में होती पीड़ा से.
भाभी ने झुककर अपनी तड़पती बेटी की बुर को चूमना शुरू कर दिया. मैं उसकी चूचियां पकड़कर उनकी मालिश करने लगा. धीरे धीरे मीनल कुछ सम्भली और उसने रोना बन्द कर दिया. भाभी बुर चाटते मेरी ओर देखकर मुसकराईं तो मैं समझ गया कि दुल्हन की चूत में से रस निकलना शुरू हो गया है.
मीनल अब अपनी गांड को किसी तरह ढीला छोड़ने में भी सफ़ल हो गई और उसका दर्द कुछ कम हुआ. मस्ती में आकर उसने अपनी छोटी बहन की चूत टटोली और उसे गीला पाकर कहा. “सीमा, मुझे अपनी चूत चुसवा. बैठ मेरे मुंह पर” सीमा को और क्या चाहिये था. झट से मीनल के मुंह पर अपनी बुर रख कर बैठ गई और मीनल उसे मन लगाकर चूसने लगी. मीनल का सिर मेरी छाती पर था इसलिये मुझे बहनों के बीच की यह क्रीड़ा साफ़ दिख रही थी.
उधर मीनल की बुर अब इतनी मस्त हो चुकी थी कि मां के सिर को उसने जांघों में जकड़ लिया था और अपनी टांगेम घिस घिस कर वह सुधा भाभी के मुंह पर हस्तमैथुन कर रही थी. सीमा अचानक झड़ी. उसकी किलकारी से मेरा ध्यान उसकी चूत पर गया. उसमें से अब लगातर पानी बह रहा था जिसे मेरी दुल्हन भूखी की तरह चाट रही थी. पास से उस पानी की महक मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई और मैने मीनल का सिर बाजू में किया और खुद अपनी उस नन्ही साली की बुर चूसने लगा.
काफ़ी देर इस तरह मजा करने के बाद आखिर मेरा लन्ड इतना उत्तेजित हो गया कि अब मुझसे न रहा गया. मैने भाभी और सीमा को अलग किया और पलट कर मीनल को पलन्ग पर ओम्धा पटककर उसपर चढ गया और उसकी गांड मारने लगा. जैसे ही मेरा मोटा ताजा तन्नाया हुआ लौड़ा उसकी बुरी तरह से फ़ैले गुदा में अन्दर बाहर होने लगा, वह फ़िर दर्द से बिलबिला उठी. दर्द से न चाहकर भी उसकी गांड का छल्ला सिकुड़ने की कोशिश करने लगा जिससे मेरा आनन्द दूना हो गया और उसका दर्द और बढ गया.

मुझे अब अपनी उस नाजुक पत्नी के दर्द की कोई परवाह नहीं थी. मैंने अपने हाथों में उसकी चूचियां पकड़ ली थीं और अपनी जांघें उसके कूल्हों के इर्द गिर्द जकड़ कर उछल उछल कर उसकी गांड मार रहा था. अब वह दर्द से बिलखती हुई अपनी मां और बहन को सहायाता के लिये पुकारने लगी. “मां , बचा लो मां, आज मैं जरूर मर जाऊंगी, सीमा, जीजाजी को समझा, मेरी फ़ाड़ देंगे, उनसे कह कि चोद लेम या मैं चूस देती हूं, पर मेरी गांड पर दया करेम.”
उसकी इस याचना से मेरी वासना और दुगनी हो गई और उसकी चूचियां बुरी तरह से कुचलते हुए मैंने उसे ऐसा भोगा कि वह हमेशा याद करेगी. आज भी उसे अपनी सुहागरात याद आती है तो घबरा जाती है. भाभी और सीमा ने उसकी एक न सुनी बल्कि वे दोनों भी मीनल की सकरी कुम्वारी गांड में निकलते घुसते मेरे लन्ड को देखकर ऐसी गरमाईं कि एक दूसरे से लिपट कर सिक्सटी-नाइन करती हुई एक दूसरे की बुर चूसने लगीं.
मैंने आधे घम्टे मीनल की गांड मारी और फ़िर अखिर एक जोर की हुमक के साथ झड़ गया. मीनल अब तक दर्द से बेहोश हो चुकी थी, नहीं तो मेरे उबलते वीर्य से उसकी गांड की जो सिकाई हुई उससे उसे कुछ आराम जरूर मिलता.
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Re: पेइंग गेस्ट

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उस रात मैने मीनल की गांड सुबह तक तीन बार मारी. गांड में से लन्ड मैं झड़ कर भी नहीं निकालता था. बीच बीच में मैने भाभी और सीमा की चूत के रस का पान किया. मीनल जब होश में आकर रोने लगी तो भाभी ने भी उसके मुंह पर अपनी चूत जमा कर उसका मुंह बन्द कर दिया. मां की चूत का रस पीकर मीनल कुछ सम्भली.
मैं उसे गोद में लेकर बैठा रहा. मेरा लन्ड उसकी गांड में था ही. दूसरी बार मैने उसकी गांड उसे गोद में बिठाकर नीचे से धक्के देते हुए ही मारी. इस आसन में भाभी हमारे सांअने खड़ी होकर उसे चूत चुसवा रही थीं और सीमा उसकी बुर चूस रही थी इसलिये मीनल को कुछ आनन्द मिला और दर्द भी कम हुआ. पर तीसरी बार फ़िर मैने उसे पलन्ग पर पटककर उसकी मारी और दर्द से छटपटाते उसके बदन को बांहों में भरे खूब आनन्द लिया.
सोने में हमें सुबह हो गई और हम सब दोपहर को सो कर उठे. सब तृप्त थे, सिर्फ़ मीनल बिचारी सिसक रही थी. सबने अब उसे खूब प्यार किया और सांत्वना दी. मैंने भी बड़े लाड़ से उसके चुम्बन लिये. भाभी ने उसे समझाया कि सुहागरात में तो यह सब सहना ही पड़ता है. हम जब उठ कर बाथरूम जाने लगे तो एक कदम रखते ही मीनल चीख कर लड़खड़ा उठी. उसकी चुदी गांड में से ऐसी टीस उठ रही थी कि उसे चला भी नहीं जा रहा था. आखिर मैं उसे उठा कर ले गया.
उसका हाल देखकर हमने उसे दो दिन का पूरा आराम दिया. गांड में ठम्डी क्रींअ लगाकर उसे सुला दिया और आराम करने दिया. आखिर हमें दो दिन बाद हनींऊन पर भी जाना था. उसके पहले उसका ठीक होना जरूरी था. शुक्र यही था कि इतनी जोरदार चुदाई के बाद भी उसकी जवान गांड सही सलांअत थी और फ़टी नहीं थी नहीं तो टांके लगवाने जाना पड़ता.

उन दो दिनों में मैने अपनी किशोर साली सीमा की गांड मार कर दहेज वसूल कर लिया. सीमा तो मीनल से छोटी और कमसिन थी. मुझे डर था कि उसकी गांड जरूर फ़ट जायेगी और अगर फ़टे नहीं तो भी दर्द से वह बहुत चिल्लाएगी. पर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब वह खुद भी गांड मरवाने को बहुत उत्सुक थी. बड़ी चुदैल लड़की थी. और उसने गांड भी खुद ही मरवाई जैसे मुझे लिटाकर मेरा लन्ड अपनी चूत में लेकर खुद चुदवा लिया था.
दोपहर को यह मस्त कांअक्रीड़ा हुई. मीनल दूसरे कमरे में सो रही थी. मैं एक आराम कुर्सी में टिक कर बैठ गया. मेरा मक्खन लगा लन्ड मस्त तना कर खड़ा था. भाभी ने खुद अपनी प्यारी बेटी की कुम्वारी नन्ही गांड में खूब मक्खन लगाया. सीमा मेरे सांअने मेरे पैरोम के बीच मेरी ओर अपने नितम्ब करके खड़ी हो गई.
मुझसे न रहा गया और मैने झुक कर उन गोल मटोल चूतड़ोम को चूम लिया. फ़िर सीमा को मैने अपनी ओर खींचा और अपना सुपाड़ा उसकी गुदा पर टिकाते हुए कहा. “अब मेरी मुन्नी, मेरी बात सुनेगी तो दर्द नहीं होगा. अपनी गांड ऐसे खोल मानों टट्टी कर रही हो, और भाभी आप अपनी बेटी को अपनी चूचियां चुसवाइये. मुझे मालूम है कि बहादुर चुदैल बच्ची है और चिल्लाएगी नहीं फ़िर भी उसे मां की चूची मुंह में लेकर जरा ढाढस बन्धेगा.”
भाभी ने अपनी चूची अपनी बेटी के मुंह में दी और सीमा ने उसे चूसते हुए टट्टी जैसा जोर लगाकर अपना गुदा फ़ैलाया. मैने झट से उसमें सुपाड़ा फ़म्सा दिया और बोला. “शाबास बेटी, अब ऐसे ही गांड खोले धीरे धीरे मेरी गोद में बैठ जा.”
सीमा ने फ़िर गांड चौड़ी की और सुपाड़े पर बैठ गई. मैंने भी उसके चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये जिससे गुदा और खुले. इतना बड़ा सुपाड़ा इतनी छोटी गांड में जाने में देर तो लगनी ही थी. दर्द भी होना था. आधा इम्च सुपाड़ा अन्दर जाने पर सीमा कसमसा कर रुक गई. भाभी ने तुरम्त उसके मुंह में अपनी चूची और अन्दर ठूम्स दी. थोड़ा रुकने के बाद सीमा फ़िर बैठने लगी. किसी तरह सूत सूत करके आखिर पा~म्क्क की आवाज से वह सेब जैसा सुपाड़ा उसकी जरा सी गांड में समा गया. सीमा तड़प उठी और चीख देती पर मुंह मां की चूची से भरा होने से गोंगियाकर रह गई.
उसके दर्द को कम करने के लिये मैने तुरम्त उसकी बुर में उंगली की और क्लिट रगड़ने लगा. जब गीली हो कर वह नन्ही बुर चूने लगी तब सीमा का कांपना बन्द हुआ. भाभी ने उसे शाबासी दी. “वाह मेरी बहादुर बेटी, बस आधा कांअ तो हो गया, अब आराम से जीजाजी की गोद में बैठ जा और पूरा लौड़ा चूतड़ोम के अन्दर ले ले. बस फ़िर तेरा कांअ खतम, फ़िर सिर्फ़ गांड मरवाने का मजा ले दिन भर”
गांड ढीली कर के सीमा फ़िर मेरी गोद में बैठती गई. इम्च इम्च करके मेरा महाकाय लन्ड उस कोमल गांड में ऐसा घुसता गया जैसे छुरी पके अमरूद में घुसती है. बीच बीच में वह तड़प उठती थी तो मैं उसका क्लिट मसलने लगता था. मेरे लन्ड को उस बच्ची की टाइट मखमली गांड ऐसे कस से दबा रही थी जैसे किसी ने मुठ्ठी में पकड़ रखा हो. जब सिर्फ़ तीन इम्च बचे तो मुझसे न रहा गया. मैने सीमा की कमर पकड़ कर उसे दबोच लिया और खींच कर जबरदस्ती गोद में बिठा लिया. लन्ड सूली जैसा उसकी गांड में समा गया और उसके नरम नितम्ब मेरी जांघों में आ टिके.
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सीमा अब ऐसे तड़पी जैसे किसी ने उसे सच में सूली पर चढा दिया हो. मुंह में सुधा भाभी का स्तन नहीं होता तो जरूर चीख पड़ती. भाभी ने उसकी आवाज बन्द करने के लिये उसका सिर जोर से अपनी छाती पर भींच लिया. मैंने एक हाथ से उसके निपल धीरे धीरे मसले और दूसरे से उसकी बुर को रगड़ने लगा. बांहों में उस किशोरी का थरथराता कमसिन शरीर, और मेरे लन्ड को बुरी तरह भींचती उसकी कुम्वारी गांड, मैं तो स्वर्ग में था.

आखिर पांच मिनट बाद सीमा सम्भली. उसकी बुर फ़िर चूने लगी थी और मैं समझ गया कि लड़की का दर्द कम हो गया है और मस्ती में आने लगी है. भाभी भी उसका सिर छोड़ उठ खड़ी हुईं. मुंह से चूची निकलते ही सीमा बोल पड़ी. “हा ऽ य ममी, इतना दर्द हो रहा है जैसे अभी गांड फ़ट जायेगी पर मजा भी बहुत आ रहा है अम्मा, जीजाजी का लन्ड इतना गहरा गया है कि जरूर मेरे पेट में होगा. बहुत अच्छा लगता है मां गांड में लन्ड” वह सिसकती भी जा रही थी और मस्ती में चहक भी रही थी. मैंने उसका सिर अपनी ओर घुमा कर उसके आंसू अपने जीभ से चाटे और फ़िर होंठ चूमने लगा.
भाभी से मैने कहा. “सासू मां, इस बहादुर कन्या को इनाम देना जरूरी है. ऐसा कीजिये कि मैं बैठ बैठे ही नीचे से इसकी गांड मारता हूं, आप तब तक इसकी बुर चूस लीजिये.” यह आसन सब को भा गया और आधा घंटा चला. सीमा की कमसिन छातियां मसलते हुए उसका मुंह चूसते हुए मैं ऊपर नीचे होकर उसकी कसी गांड में अपना लन्ड मुठियाता रहा और भाभी अपनी बच्ची की बुर का रस पीती रहीं.
मैं अब काफ़ी उत्तेजित हो गया था और सीमा की गांड मारना चाहता था. मेरा मन मेरी बीवी की तरह ही पटक पटक कर अपनी किशोर साली की मारने का था. पर डर था कि वह कोमल कन्या यह सह सकेगी या नहीं. जब मैने उससे यह कहा तो अब तक मस्ती में आई हुई दो बार झड़ चुकी वह कन्या बोली. “जीजाजी आप मारिये ना मेरी गांड जोर से, मेरी परवाह न कीजिये, अब नहीं फ़टेगी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, दर्द तो बहुत है पर मजा भी बहुत है, मालूम नहीं दीदी क्यों इतना रोई.”
मैंने उसे पकड़ कर उठाया और गांड में लन्ड फ़म्साये हुए ही पलन्ग पर ले गया. वहां पटक कर मैं अपनी उस गुड़िया साली पर चढ बैठा और हचक हचक कर पूरे जोर से उसकी गांड मारने लगा. ऐसा मजा आया कि पूछिये मत. वह लड़की तो इतनी चुदैल निकली कि दर्द से बिलबिलाते हुए भी गांड मराने का मजा लेती रही और बोली. “जीजाजी, मेरे भी मम्मे दबाइये जैसे आप दीदी के दबा रहे थे” मुझे और क्या चाहिये था? उस किशोरी के चूजे जैसे मुलायम स्तन हाथों में लेकर बेरहमी से उन्हें मसलते और कुचलते हुए मैं पूरे जोरोम से उसकी गांड चोदने लगा. मेरा स्खलन इतना तीव्र था कि मेरी चीख निकल गई.
पूरी तरह तृप्त होकर मैं पड़ा पड़ा हांफ़ता रहा. फ़िर भाभी को बोला. “भाभी आपका दहेज तो लाखों का नहीं, करोड़ोम का निकला. मुझे अब अपना बेटा समझिये, जमाई समझिये या गुलांअ समझिये, एक ही बात है. आप तीनों की खिदमत मैं जीवन भर करूंगा.”
भाभी भी अपनी कमसिन बच्ची की गांड चुदते देख बहुत गरम हो चुकी थीं. उनकी चूत मैने चूसी जिससे उन्हें भी तृप्ति मिली और मुझे ढेर सा चिपचिपा बुर का रस. अपना झड़ा लन्ड मैंने सीमा की गांड में ही रहने दिया क्योंकि एक बार और मैं उसकी मारना चाहता था. वह भी तैयार थी. कुछ देर बाद लन्ड खड़ा होकर जब फ़िर सीमा के चूतड़ोम के बीच गहरा उतर गया तो मैने उसकी गांड कुतिया स्टाइल में मारी. वह पलन्ग पर घुटनों और कोहनियों पर झुक कर जम गई और मैं उसके पीछे घुटने टेक कर उसके चूतड़ पकड़कर उसकी गांड मारने लगा. इस आसन में काफ़ी मजा आया क्योंकि मुझे अपना लन्ड सीमा के नितम्बोम के बीच घुसता निकलता देख कर बड़ा मजा आ रहा था. इसी समय मैने भाभी को बाजू में खड़ा कर के उनकी चूत भी चूस ली.
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