मैं और मौसा मौसी compleet

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rajaarkey
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Re: मैं और मौसा मौसी

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"भैयाजी, बस एक बार, एक बार तो मार लेने दो बहू रानी की गांड. मन कसकता है भैयाजी, इतनी मस्त गोरी गोरी मतवाली गांड है. बस एक बार ..." रज्जू मिन्नत करते हुए बोला.

"आज नहीं, तू ढीली कर देगा. बाद में एक कोरी गांड दिलवा दूंगा, तुझे भी और रघू को भी. और देखो, बहू को हफ़्ते भर जम के चोदना है, यहां से जायेगी तो अपनी पूरी प्यास बुझा कर जायेगी लीना बेटी. बोलेगी कि मान गये, गांव में जो चुदाई हुई उससे दिल बाग बाग हो गया, समझे ना?"

"हां भैयाजी, हम पूरा चोद देंगे लीना भाभी को. पर अनिल भैया नाराज ना हो जायें ... आखिर उनकी लुगाई है ... कहेंगे कि मेरी जोरू को पूरा ढीला कर दिया बुढिया रंडी की तरह ... और वो रधिया भी नखरे करेगी भैयाजी, आप भी बहू रानी के पीछे पड़ोगे तो वो किससे चुदवायेगी?" रघू धक्के लगाता हुआ बोला.

"अरे अनिल कुछ नहीं कहेगा. लीना की खुशी में उसकी खुशी है. रही रधिया की बात, अनिल भैया चोद देंगे उसको, आखिर गांव का ऐसा माल उसको कहां मिलेगा. तुम लोग बस लीना बिटिया के सब छेद पूरे चोद दो" मौसाजी लंड पेलते हुए बोले.

"फ़ुकला हो जायेगी बहू की चूत और गांड भैयाजी. हाथ भी चला जायेगा" रज्जू मस्ती में बोला.

"परवा नहीं. उसको ठीक करने के नुस्खे हैं कई, चलो अब बातें मत करो, कम से कम दो बार और चोदना है आज शाम तक इस घर की बहू रानी को" मौसाजी लंड पेलते हुए बोले.

"बहूरानी की तो आज खूब ठुकाई कर रहे हैं ये तीनों नासपीटे भैयाजी. उनको कुछ बोलो नहीं तो लीना दीदी का कचूमर निकाल देंगे आज." राधा मुझको बोली.

"उसकी फ़िकर मत कर राधा रानी. तू नहीं जानती मेरी बीवी को. ऐसे दस मर्द और खड़े कर दो तो उनको भी झेल लेगी." मैं बोला.

"ठीक कहता है अनिल. आखिर हमारे घर की बहू है, चुदाई में अव्वल नंबर, हमारा नाम रोशन करेगी" मौसी अपनी बुर सहलाते हुए बोलीं. दो चार बार झड़ कर तृप्त हो गयी थीं.

"मौसी, आप ऐसे मत लेटो, मेरे सामने आकर लेटो. जरा हम दोनों आप का प्रसाद तो चख लें" राधा मौसी की टांग पकड़कर बोली. मौसी खिसक कर हमारे सामने खटिया पर लेट गयीं. राधा ने तुरंत मुंह डाल दिया.

"अरी सब मत खाना, अनिल को भी दे" मौसी बोलीं.

राधा ने अब तक आधा केला मौसी की बुर से निकाल लिया था और स्वाद ले लेकर खा रही थी. मौसी की बात पर उसने सिर बाजू में किया और मैंने भी भोग लगाना शुरू कर दिया. "बहुत मस्त है मौसी, मजा आ गया"

"अरे ये तो हमेशा का है हमारे यहां. तेरे मौसाजी को ज्यादा शौक नहीं है पर जब भी रघू रज्जू आते हैं तो अक्सर उनको खिला देती हूं. लीना नहीं चखाती क्या तुझको?"

"मौसी, उसको भी सिखा देना. बड़ा मस्त पकवान है. वैसे मौसी, आप वो बच्चे वाली क्या बात कर रही थीं? राधा को बच्चा होने वाला है क्या?" मैंने पूछा.

"अरे नहीं, वो गोलियां लेती है ना. पर अब मैं बंद करने वाली हूं. नौ महने में बच्चा हो जायेगा. दूध की बड़ी जरूरत है हमको. तेरे मौसाजी ही बोल रहे थे कि भाभी, अब जरा खालिस दूध का इंतजाम करो. और लीना भी मुझको पूछ रही थी सुबह. कह रही थी कि गांव में इतना बड़ा मकान है, खेत हैं नौकर चाकर हैं तो दूध का इंतजाम क्यों नहीं है? पहले मैं चकरा गयी, दस भैंसे बंधी हैं तो ये दूध का क्या कह रही है! फ़िर समझ में आया. मैंने पूछा कि चखना है क्या तो हंसने लगी बदमाश. उसको मैंने कहा कि अगली बार आयेगी तो राधा का दूध चखाऊंगी. और इसीलिये मैं कह रही थी कि जम के मसलो इस छोकरी के मम्मे, तब तो ज्यादा दूध निकलेगा इसका. कई दिन हो गये ऐसा दूध पिये. जब विमला बाई थी तो वो आकर सब को पिला जाती थी. मस्त दूध था उसका, पर वो साल भर पहले दूसरे गांव चली गयी अपने भाई के यहां. उसका मर्द यहां नहीं है ना. कह रही थी कि भाई बुला रहा है, उनका अच्छा खासा लफ़ड़ा चलता है, भाई, भाभी और विमला बाई की खूब जमती है. वैसे विमला बाई इस महने आयेगी, पर अभी तक खबर नहीं आयी"

मैंने सप्प से राधा की गांड में से लंड खींचा और बोला "अब मौसी जी, आप आओ. गांड मरवाओ तब मुझे होगी शान्ति"
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Re: मैं और मौसा मौसी

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मौसी ओंधी लेट गयीं. मैंने उनके मोटे मोटे चूतड़ों पर दो चार चपत लगायीं "वाह, क्या गांड है मौसी, डनलोपिलो के गद्दे हैं, अचरज नहीं कि मौसाजी बस आपकी गांड के दीवाने हैं"

"अरे खेल मत इनसे, जल्दी मार और छुट्टी कर. फ़िर चोद दे जरा ठीक से राधा को, मेरी खास नौकरानी है, उसके सुख का खयाल रखना मेरा फ़र्ज़ है." मौसी चूतड़ हिलाकर बोलीं.

मैंने लंड पेलते हुए पूछा "क्यों मौसी, आप नहीं चुदवायेंगी?"

"मैं तो रात को चुदवा लूंगी अनिल बेटे, इस रधिया की प्यास बुझा. और ज्यादा चपर चपर मत कर, देखती हूं कि कितना दम है तुझमें, बिना झड़े मेरी गांड मार कर दिखा जरा"

"लो मौसी, ये लो" कहकर मैं मौसी की गांड मारने लगा. राधा मस्ती से फ़नफ़ना रही थी, टांगें फ़ैलाकर मौसी के सामने बैठ गयी और मौसी का सिर अपनी जांघों में जकड़ लिया. खुद मुझे चूमने लगी.

मौसी की गांड लाजवाब थी. एकदम मोटी ताजी. और फ़िर मौसी अपनी गांड सिकोड़ सिकोड़ कर मेरे लंड को दुहने लगीं. मुझसे न रहा गया और मैं हचक हचक के मौसी की मारने लगा. दो मिनिट में मेरा लंड झड़ गया.

"लो ... झड़ गये भैया. अब मुझे कौन चोदेगा? मौसी ... देखो ना भैया ने क्या किया" राधा गुस्से में बोली.

मौसी हंस के बोली "चला था मेरी गांड मारने. क्यों रे अनिल?"

मैं हांफ़ते हुए बोला "माफ़ कर दो मौसी, आप जीतीं मैं हारा, आप जैसी गांड हमेशा नसीब नहीं होती इसलिये रहा नहीं गया"

"दिल छोटा न कर बेटे. अभी तो हफ़्ता भर है ना तू यहां? और दे दूंगी तेरे को बाद में. अब यहां आ और मेरी बुर चूस. मेरी रज चखेगा तो जल्द ही तेरा लंड खड़ा हो जायेगा. ओ रधिया, तू जरा अनिल भैया के लंड को मस्त कर"
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Re: मैं और मौसा मौसी

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मैं और मौसा मौसी--7 gataank se aage........................
मैं लेटा मौसी की चूत चाट रहा था तब बाजू के कमरे से आवाजें आयी. "अब छोड़ दो ... मौसाजी .... बहुत हो गया ... गांड दुख रही है .... चूत भी कसमसा रही है ... गला दुख रहा है ... कितने अंदर तक लंड पेलते हो तुम लोग ... चलो छोड़ो अब ... मेरे बदन का चप्पा चप्पा पिस गया है ... " ये लीना की आवाज थी.

"अभी तो बस दो बार चुदी हो बहू. एक बार और चुदवा लो. चलो फ़र्श पर चलते हैं, वहां मजा आयेगा तेरे को, यहां खटिया पर बहुत हो गया, ओ रघू, वो दरी बिछा दे नीचे. ऐसे ... अब लीना को एक एक करके ठीक से चोदो." मौसाजी की आवाज आयी.

"भैयाजी, गांड ...." रघू की आवाज आयी.

"गांड कल फ़िर से मारेंगे, पर आज चोदो जरूर और घंटे भर. मैंने दो बार मारी है इसकी, बहुत मजा आया पर अब लंड खड़ा नहीं हो रहा है, मैं रात को फ़िर से चोद लूंगा बहू को, पर तुम दोनों अब फ़िर से चोदो इसको"

जल्दी ही फ़च फ़च की आवाज आने लगी. रघू बोला "भैयाजी, बड़ा मजा आता है जमीन पर, बहू रानी का मुलायम बदन एकदम मखमल की गद्दी जैसा है"

"इसीलिये तो बोला तुम लोगों को कि फ़र्श पर चोदो. फ़र्श पर जोरदार धक्के लगते हैं, चुदैल औरतों की कमर तोड़ चुदाई कर सकते हैं. हमारी बहू रानी की भी चोद चोद कर कमर टेढ़ी कर दो. कल मैं फ़र्श पर लिटा कर इसकी गांड मारूंगा, इसके बदन की गद्दी का लुत्फ़ उठाना है मुझको.

लीना कराह रही थी "अरे दुखता है रे ... मत चोदो .... बदन मसल डाला मेरा तुम लोगों ने .... तुमको तो मेरे बदन की गद्दी मिल गयी पर .... मेरी हड्डी पसली एक हो रही है"

"रज्जू उसका मुंह बंद कर, बहुत बोल रही है." मौसाजी की आवाज आयी. फ़िर शांति छा गयी, अब सिर्फ़ ’फ़च’ ’फ़च’ ’सप’ ’सप’ की आवाज आ रही थी.

लीना की होती चुदाई की कल्पना से मेरा लंड सिर उठाने लगा. जल्दी ही काफ़ी कड़ा हो गया. "चल राधा, चोद ले अब इसको. खुद ही चढ़ के चोद ले, ये चोदेगा तो फ़िर जल्दी से झड़ जायेगा" कहकर मुझे लिटा कर मौसी मेरे मुंह पर चूत जमा कर बैठ गयीं. राधा मुझपर चढ़ कर चोदने लगी.

एक घंटे बाद राधा और मौसी ने मुझे छोड़ा. पिछले घंटे में मुझे लिटा कर रखा था इसलिये लीना के साथ क्या हो रहा था, मुझे दिख नहीं रहा था. बस आवाजें सुन रहा था. चोदने की आवाज लगातार आ रही थी. लीना की आवाज बस बीच बीच में आती जब उसका मुंह वो लोग छोड़ते. वो बस कराहती और बोलती "बहुत हो गया .... अब छोड़ो ... तुम्हारे पैर पड़ती हूं ... मार डालोगे क्या .... चलो खेल खेल में मजाक बहुत हो गया ...." पर फ़िर उसका मुंह कोई बंद कर देता.

मैं झड़ा और दस मिनिट पड़ा रहा. फ़िर उठकर हम कपड़े पहनने लगे. तब मैंने बाजू के कमरे में देखा. लीना जमीन पर चुपचाप पड़ी थी. मौसाजी उसकी बुर से मुंह लगा कर चूस रहे थे, लगता था वहां काफ़ी माल था, रघू और रज्जू ने निकाला हुआ. लीना की बुर चुद चुद कर लाल हो गयी थी, पपोटे फ़ूल गये थे. रघू और रज्जू बारी बारी से उसकी गांड चूस रहे थे. लीना का बदन भी लाल गुलाबी हो गया था. खास कर मम्मे तो ऐसे हो गये थे जैसे टमाटर. पूरे गोरे अंग पर दबाने और मसलने के निशान पड़ गये थे. चूतड़ों ने भी मौसाजी के इतने धक्के झेले थे कि वे भी लाल हो गये थे.

जब मैं मौसी और राधा उस कमरे में गये तो रघू लीना को ब्रा पहना रहा था. लगता था ब्रा पहनाने में उसको मजा आ रहा था, वो बार बार लीना के मम्मे दबाने लगता. लीना आंखें बंद करके चुपचाप गुड़िया सी पड़ी थी.

"भैयाजी, बड़ी मस्त ब्रा है बहू की, साली क्या फ़िट बैठती है बहूरानी की चूंची पर" रघू बोला फ़िर मौसाजी से पूछा "भैयाजी, अब बंद करना है क्या सच में?"
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Re: मैं और मौसा मौसी

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रज्जू जो पैंटी पहना रहा था, बार बार लीना की जांघों को चूम लेता "हां भैयाजी, एक घंटे आराम करते हैं, फ़िर और चोदेंगे लीना भाभी को. मन नहीं भरा, क्या जन्नत की परी है बहू रानी"

"चलो हटो अब, बहुत हो गया. बहू को इतना मसला कुचला, अब भी मन नहीं भरा तुम्हारा? चलो अब आराम करने दो उसको घर जा कर. चलो हटो, मैं साड़ी पहना देती हूं" मौसी ने सबको हटाया और साड़ी पहनाने लगीं. लीना अबतक आंखें बंद करके ऐसी पड़ी थी कि बेहोश हो, आंखें खोल कर किलकिला करके मेरे को देखा और आंख मार कर मुंह बना दिया कि लो, मौसी क्यों बीच में आ गयीं, मैं तो और मजा लेती.

जब हम घर को निकले तो मैं काफ़ी थक गया था. लंड और गोटियां दुख रही थीं. पर मन में मस्ती छाई हुई थी. रज्जू ने लीना को कंधे पर लिया हुआ था जैसे गेहूं की बोरी हो. उसकी आंखें बंद थीं. रघू और मौसाजी पीछे चल रहे थे.

"कचूमर निकाल दिया मेरी बहू का, क्यों रे बदमाशों?" मौसी बोलीं.

"अरे नहीं मालकिन, बहू रानी तो अब भी तैयार थी, हम लोगों के ही लंड अब नहीं खड़े होते" रज्जू बोला.

"पर वो तो चिल्ला रही थी कि छोड़ दो" मौसी बोली.

"अरे बड़ी बदमाश है तेरी बहू. जानबूझकर इनको उकसा रही थी. जरा देखो, हंस रही है चुपचाप" मौसाजी बोले. लीना के चेहरे पर मुस्कान थी. आंखें खोल कर मेरी ओर देखा और आंख मार दी.

’अरे तो इसको उठा कर क्यों चल रहे हो?" मौसी ने पूछा.

"चुदा चुदा कर थक गयी है लीना बिटिया. चल तो लेगी पर खुद ही बोली कि मुझे उठा कर ले चलो सो रज्जू ने उठा लिया. एकदम निछावर हो गया है बहू पर, लाड़ में उठा लिया"

"हां अनिल भैया, आप की लुगायी जैसी औरत नहीं देखी आज तक. क्या चुदवाती है. मैं तो अब भाभी का गुलाम हो गया, उनकी खूब सेवा करूंगा, जैसे चाहेंगीं, मैं चोदूंगा" रज्जू बोला.

"और मैं भी. भैया, अब मुझे उठाने दो भाभी को" रघू बोला. दोनों बारी बारी से लीना को उठा कर घर पे ले आये.

उस रात हमने आराम किया. सब काफ़ी थक गये थे. मौसी बोलीं "आज सुस्ता लो, कल से दिन भर चुदाई होगी. कोई पीछे नहीं हटेगा, अपनी अपनी चूतें और लंड का खयाल रखो और उनको मस्त रखो" मौसी बोलीं. "लीना बेटी, तू कल आराम कर, आज जरा ज्यादा ही मस्ती कर ली तूने"

"अरे नहीं मौसी, यहां आराम करने थोड़े आई हूं! और ये ऐसे नहीं छोड़ूंगी इन दोनों बदमाशों को" उसका इशारा रघू और रज्जू की ओर था. "और मौसाजी भी सस्ते छू जायेंगे. ये तीनों रोज दोपहर चार घंट मेरे लिये रिज़र्व हैं. इनको इतना चोदूंगी कि इन तीनों के लंड नुन्नी बन कर रह जायेंगे" लीना मस्ती में लरज कर बोली.

अगला हफ़्ता ऐसे बीत गया कि पता ही नहीं चला. सुबह हम देर से उठते थे. नहा धो कर खाना खाकर लीना मौसाजी के साथ खेत के घर में चली जाती थी जहां रघू और रज्जू उसकी राह देखते थे. मैं राधा और मौसी घर में रह जाते थे. दिन भर मस्ती चलती थी. दोनों लंड की ऐसी भूखी थीं कि बस बारी बारी से मुझसे चुदवातीं. बीच बीच में खूब खातिरदारी करतीं, हर दो घंटे में बदाम दूध देतीं.

लीना जब शाम को आती थी तो उसका चेहरा देखते बनता था. चेहरे पर एकदम शैतानी झलकती थी और एक सुकून सा रहता था कि क्या मजा आया. ऐसी दिखती थी जैसे मलाई खाकर बिल्ली दिखती है. उसकी हालत किसी छोटे बच्चे सी थी जिसे मनचाहे खिलौने मिल जायें तो खेल खेल कर थक जाये फ़िर भी खेलता रहता है. इतना चुदवाती थी लीना कि उससे चला भी नहीं जाता था. मैंने एक बार कहा भी कि रानी, जरा सम्हाल के, इस तरह से अपनी चूत और गांड की धज्जियां मत उड़वाओ तो मुझे टोक देती "तुम्हे क्यों परेशानी हो रही है मेरे सैंया जब मैं खुश हूं? परेशान मत हो, आराम करने को तो बहुत समय मिलेगा जब हम वापस जायेंगे. तब चूत और गांड फ़िर टाइट कर लूंगी दस दिन में. तब तक इन तीनों लंडों का मजा तो ले लूं. और वो रघू और रज्जू के लंड तो बेमिसाल हैं." रघू रज्जू और मौसाजी उसके आगे पीछे ऐसे घूमते जैसे उसके गुलाम हों और वो मलिका.

रात को सब इतने थक जाते कि सो जाते. पहली रात को मौसाजी के साथ मिलकर हमने जो मस्ती की थी उसकी याद मुझे आती थी. मौसी और राधा की बुर और गांड से मुझे बहुत सुख मिलता था पर कभी कभी मौसाजी की गांड की याद आती थी, कितना मजा आया था उस रात उनकी मारने में. क्या गोरी चिकनी गरमा गरम गांड थी मौसाजी की. मैं सोचता था कि जाने के पहले कम से कम एक बार तो मौसाजी की फिर से मारूंगा.
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Re: मैं और मौसा मौसी

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हफ़्ते भर ये चुदाई चली. जब हमें जाने को दो दिन बचे तो उस रात मौसी ने खुद ही रोक लगा दी. "चलो, बहुत हो गया, अब सब लोग आज और कल आराम करो."

लीना पैर पटककर बोली "मौसी, ऐसे मत करो, अब दो दिन में हम चले जायेंगे, तब तक और मजा कर लेने दो"

"बेटी, तेरी चूत तो हरदम प्यासी रहती है पर इन मर्दों को देखो, इनके अब जोर से खड़े भी नहीं होते. तूने तो इनको पूरा निचोड़ लिया है. इन्हें आराम कर लेने दो. इनके लंडों में ताकत आ जायेगी. परसों एक खास प्रोग्राम करेंगे, तुम्हारे जाने के पहले"

"ठीक है मौसी" लीना के दिमाग में बात घुस गयी, शायद सच में रघू और रज्जू के लंड अब झड़ झड़ कर मुरझाने को आ गये थे "इनको आराम करने दो, पर आप की और राधा की बुर तो अभी भी ताजी है. मैं आप के साथ खेलूंगी अब. आप दोनों के साथ ठीक से वक्त नहीं निकाला मैंने, जाने के पहले अब इनको मैं मन भर के चखना चाहती हूं"

"धीरज रख बहू, सब हो जायेगा. पर आज तू भी आराम कर" मौसी लीना का चुम्मा लेकर बोलीं.

उस दिन भर हम लोग बस सोये, और कुछ नहीं किया. रघू और रज्जू को भी मौसाजी ने छुट्टी दे दी. राधा बस खाना बनाने आयी और चली गयी.

दूसरे दिन सुबह मौसी ने लीना को बुलाया. लीना वापस आयी तो बहुत खुश थी.

मैंने पूछा. "खुश लग रही हो डार्लिंग. कोई खुशखबर? उपवास खतम हो गया है लगता है. मौसी ने बुलाया है क्या?"

लीना बोली "एक खुशखबर और एक बुरी खबर है. बुरी खबर ये कि उपवास आज दिन भर चलेगा."

मैंने कहा "अरे रे .... मेरा लंड अब फ़िर से मस्त टनटना रहा है. दोपहर को जरा मौज मस्ती करते. फ़िर खुशखबरी क्या है?"

"मौसी ने रात के खाने के बाद सबको उनके कमरे में बुलाया है. कपड़े उतार के. बड़ी मूड में हैं. कहती हैं कि उपवास के बाद आज दावत होगी रात को. आज मजा आयेगा देखना राजा."
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