ट्यूशन का मजा compleet

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rajaarkey
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Re: ट्यूशन का मजा

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पांच मिनिट सर मेरी गांड में उंगली करते रहे और मैं मस्त होकर आखिर उनके सिर को अपने पेट पर दबा कर उनका मुंह चोदने की कोशिश करने लगा.

सर मेरे बाजू में लेट गये, उनकी उंगली बराबर मेरी गांड में चल रही थी. मेरे बाल चूम कर बोले "अब बता अनिल बेटे, जब औरत को प्यार करना हो तो उसकी चूत में लंड डालते हैं या उसे चूसते हैं. है ना? अब ये बता कि अगर एक पुरुष को दूसरे पुरुष से प्यार करना हो तो क्या करते हैं?"

"सर ... लंड चूसकर प्यार करते हैं?" मैंने कहा.

"और अगर और कस कर प्यार करना हो तो? याने चोदने वाला प्यार?" सर ने मेरे कान को दांत से पकड़कर पूछा. मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था.

"सर, गांड में उंगली डालते हैं, जैसा मैंने किया था और आप कर रहे हैं"

"अरे वो आधा प्यार हुआ, करवाने वाले को मजा आता है. पर लंड में होती गुदगुदी को कैसे शांत करेंगे?"

मैं समझ गया. हिचकता हुआ बोला "सर ... गांड में .... लंड डाल कर सर?"

"बहुत अच्छे मेरी जान. तू समझदार है. अब देख, तू मुझे इतना प्यारा लगता है कि मैं तुझे चोदना चाहता हूं. तू भी मुझे चोदने को लंड मुठिया रहा है. अब अपने पास चूत तो है नहीं, पर ये जो गांड है वो चूत से ज्यादा सुख देती है. और चोदने वाले को भी जो आनद आता है वो .... बयान करना मुश्किल है बेटे. अब बोल, अगला लेसन क्या है? तेरे सर अपने प्यारे स्टूडेंट को कैसे प्यार करेंगे?"

"सर ... मेरी गांड में अपना लंड डाल कर .... ओह सर ..." मेरा लंड मस्ती में उछला क्योंकि सर ने अपनी उंगली सहसा मेरी गांड में गहराई तक उतार दी.

"सर दर्द होगा सर .... प्लीज़ सर " मैं मिन्नत करते हुए बोला. मेरी आंखों में देख कर सर मेरे मन की बात समझ गये "तुझे करवाना भी है ऐसा प्यार और डर भी लगता है, है ना?"

"हां सर, आपका बहुत बड़ा है" मैंने झिझकते हुए कहा.

"अरे उसकी फ़िकर मत कर, ये तेल किस लिये है, आधी शीशी डाल दूंगा अंदर, फ़िर देखना ऐसे जायेगा जैसे मख्खन में छुरी. और तुझे मालूम नहीं है, ये गांड लचीली होती है, आराम से ले लेती है. और देख, मैंने पहले एक बार अपना झड़ा लिया था, नहीं तो और सख्त और बड़ा होता. अभी तो बस प्यार से खड़ा है, है ना? और चाहे तो तू भी पहले मेरी मार सकता है."

मेरा मन ललचा गया. सर हंस कर बोले "मारना है मेरी? वैसे मैं तो इसलिये पहले तेरी मारने की कह रहा था कि तेरा लंड इतना मस्त खड़ा है, इस समय तुझे असली मजा आयेगा इस लेसन का. गांड को प्यार करना हो तो अपने साथी को मस्त करना जरूरी होता है, वैसे ही जैसे चूत चोदने के पहले चूत को मस्त करते हैं. मैंने और मैडम ने तेरी बहन को कैसे मस्त किया था, समझा ना? लंड खड़ा है तेरा तो मरवाने में बड़ा मजा आयेगा तेरे को"

"हां सर." सर मुझे इतने प्यार से देख रहे थि कि मेरा मन डोलने लगा " सर ... आप ... डाल दीजिये सर अंदर, मैं संभाल लूंगा"

"अभी ले मेरे राजा. वैसे तुम्हें कायदे से कहना चाहिये कि सर, मार लीजिये मेरी गांड!"

"हां सर .... मेरी गांड मारिये सर .... मुझे .... मुझे चोदिये सर जैसे आपने दीदी को चोदा था."

सर मुस्कराये "अब हुई ना बात. चल पलट जा, पहले तेल डाल दूं अंदर. तुझे मालूम है ना कि कार के एंजिन में तेल से पिस्टन सटासट चलता है? बस वैसे ही तेरे सिलिंडर में मेरा पिस्टन ठीक से चले इसलिये तेल जरूरी है. अच्छा पलटने के पहले मेरे पिस्टन में तो तेल लगा"

मैंने हथेली में नारियल का तेल लिया और चौधरी सर के लंड को चुपड़ने लगा. उनका खड़ा लंड मेरे हाथ में नाग जैसा मचल रहा था. तेल चुपड़ कर मैं पलट कर सो गया. डर भी लग रहा था. तेल लगाते समय मुझे अंदाजा हो गया था कि सर का लंड फ़िर से कितना बड़ा हो गया है. सर ने भले ही दिलासा देने को यह कहा था कि एक बार झड़कर उनका जरा नरम खड़ा रहेगा पर असल में वो लोहे की सलाख जैसा ही टनटना गया था.

सर ने तेल में उंगली डुबो के मेरे गुदा को चिकना किया और एक उंगली अंदर बाहर की. फ़िर एक हाथ से मेरे चूतड फ़ैलाये और कुप्पी उठाकर उसकी नली धीरे से मेरी गांड में अंदर डाल दी. मैं सर की ओर देखने लगा.

वे मुस्कराकर बोले "बेटे, अंदर तक तेल जाना जरूरी है. मैं तो भर देता हूं आधी शीशी अंदर जिससे तुझे कम से कम तकलीफ़ हो." वे शीशी से तेल कुप्पी के अंदर डालने लगे.

मुझे गांड में तेल उतरता हुआ महसूस हुआ. बड़ा अजीब सा पर मजेदार अनुभव था. सर ने मेरी कमर पकड़कर मेरे बदन को हिलाया "बड़ी टाइट गांड है रे तेरी, तेल धीरे धीरे अंदर जा रहा है"
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Re: ट्यूशन का मजा

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मैंने दूसरे कमरे में देखा. मैडम ने दीदी को गोद में बिठा लिया था और एक दूसरी की बुर में उंगली करते हुए वो दोनों बड़ी उत्सुकता से हमारी ओर देख रही थीं दीदी ने मुझे चिढ़ाते हुए मुंह बनाया कि अब देखना!

मेरी गांड से कुप्पी निकालकर सर ने फ़िर एक उंगली डाली और घुमा घुमाकर गहरे तक अंदर बाहर करने लगे. मैंने दांतों तले होंठ दबा लिये कि सिसकारी न निकल जाये. फ़िर सर ने दो उंगलियां डाली. इतना दर्द हुआ कि मैं चिहुक पड़ा.

"इतने में तू रिरियाने लगा तो आगे क्या करेगा? मुंह में कुछ ले ले जिससे चीख न निकल जाये. क्या लेगा बोल?" सर ने पूछा. मुझे समझ में नहीं आया कि क्या कहूं. मेरी नजर वहां पलंग के नीचे पड़ी सर की और मैडम की हवाई चप्पल पर गयी.

सर बोले "अच्छा ये बात है? शौकीन लगता है तू! कल से देख रहा हूं कि तेरी नजर बार बार मेरी और मैडम की चप्पलों पर जाती है. तुझे पसंद हैं क्या?"

मैं शरमाता हुआ बोला "हां सर, बहुत प्यारी सी हैं, नरम नरम."

"तो मेरी चप्पल ले ले, या मैडम की लूं?" सर ने पूछा.

"नहीं सर ... आपकी चलेगी" मैंने कहा.

चौधरी सर ने मुस्कराकर मैडम की एक चप्पल उठा ली "मैडम की ही ले ले, मुझे पता है कि तू कैसा दीवाना है इनका."

मैडम की चप्पल देख कर मेरे मुंह में पानी भर आया पर फ़िर मैंने सोचा कि ये ठीक नहीं है, सर से मरवा रहा हूं तो उन्हींके चरणों की चप्पल ज्यादा ठीक होगी. मैंने कहा "सर मैडम की बाद में ले लूंगा, मैडम की सेवा करूंगा तब, आज आप की ही चाहिये मुझे"

सर ने अपनी चप्पल उठाई और मेरे मुंह में दे दी. "ठीक से पकड़ ले, थोड़ी अंदर ले कर, मुंह भर ले, जब दर्द हो तो चबा लेना. ठीक है ना? तुझे शौक है इनका ये अच्छी बात है, मुंह में लेकर देख क्या लुत्फ़ आयेगा!"

मैंने मूंडी हिलाई और मैडम की हवाई चप्पल मुंह में ले ली. लंड तन्ना गया था, नरम नरम रबर की मुलायम चप्पल की भीनी भीनी खुशबू से मजा आ रहा था.

"अब पलट कर लेट जा, आराम से. वैसे तो बहुत से आसन हैं और आज तुझे सब आसनों की प्रैक्टिस कराऊंगा. पर पहली बार डालने को ये सबसे अच्छा है" मेरे पीछे बैठते हुए सर बोले.

सर ने मेरे चेहरे के नीचे एक तकिया दिया और अपने घुटने मेरे बदन के दोनों ओर टेक कर बैठ गये. "अब अपने चूतड़ पकड़ और खोल, तुझे भी आसानी होगी और मुझे भी. और एक बात है बेटे, गुदा ढीला छोड़ना नहीं तो तुझे ही दर्द होगा. समझ ले कि तू लड़की है और अपने सैंया के लिये चूत खोल रही है, ठीक है ना?"

मैंने अपने हाथ से अपने चूतड़ पकड़कर फ़ैलाये. सर ने मेरे गुदा पर लंड जमाया और पेलने लगे "ढीला छोड़ अनिल, जल्दी!"

मैंने अपनी गांड का छेद ढीला किया और अगले ही पल सर का सुपाड़ा पक्क से अंदर हो गया. मेरी चीख निकलते निकलते रह गयी. मैंने मुंह में भरी चप्पल दांतों तले दबा ली और किसी तरह चीख निकलने नहीं दी. बहुत दर्द हो रहा था.

सर ने मुझे शाबासी दी "बस बेटे बस, अब दर्द नहीं होगा. बस पड़ा रह चुपचाप" और एक हाथ से मेरे चूतड़ सहलाने लगे. दूसरा हाथ उन्होंने मेरे बदन के नीचे डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगे. मैं चप्पल चबाने की कोशिश कर रहा था. सर बोले "लगता है कि थोड़ी बड़ी है तेरे लिये. आज पहली बार है तेरी, ऐसा कर ये मैडम की चप्पल मुंह में ले ले. जरा छोटी है, तुझे भी मुंह में लेने में आसानी होगी" अपनी चप्पल मेरे मुंह से निकाल कर उन्होंने मैडम की चप्पल मेरे मुंह में डाल दी. आराम से मैंने आधी ले ली और चबाने लगा. मैडम की चप्पल का स्वाद भी अनोखा था, उनके पैर की भीनी भीनी खुशबू उसमें से आ रही थी.

"अरे खा जायेगा क्या?" सर ने हंस कर कहा. फ़िर बोले "कोई बात नहीं बेटे, मन में आये वैसे कर, मस्ती कर. हम और ले आयेंगे तेरे लिये"

क्रमशः। ...........................
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Re: ट्यूशन का मजा

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ट्यूशन का मजा-13

गतांक से आगे..............................
दो मिनिट में जब दर्द कम हुआ तो मेरा कसा हुआ बदन कुछ ढीला पड़ा और मैंने जोर से सांस ली. सर समझ गये. झुक कर मेरे बाल चूमे और बोले "बस अनिल, अब धीरे धीरे अंदर डालता हूं. एक बार तू पूरा ले ले, फ़िर तुझे समझ में आयेगा कि इस लेसन में कितना आनंद आता है" फ़िर वे हौले हौले लंड मेरे चूतड़ों के बीच पेलने लगे. दो तीन इंच बाद जब मैं फ़िर से थोड़ा तड़पा तो वे रुक गये. मैं जब संभला तो फ़िर शुरू हो गये.

पांच मिनिट बाद उनका पूरा लंड मेरी गांड में था. गांड ऐसे दुख रही थी जैसे किसीने हथौड़े से अंदर से ठोकी हो. सर की झांटें मेरे चूतड़ों से भिड़ गयी थीं. सर अब मुझ पर लेट कर मुझे चूमने लगे. उनके हाथ मेरे बदन के इर्द गिर्द बंधे थे और मेरे निपलों को हौले हौले मसल रहे थे. मैंने सिर घुमा कर देखा तो मैडम दीदी के मम्मे दबाती हुई कस के दीदी को चूम रही थीं. दीदी की आंखें मेरी इस हालत को देखकर चमक रही थीं.

सर बोले "दर्द कम हुआ अनिल बेटे?"

मैंने मुंडी हिलाकर हां कहा. सर बोले "अब तुझे प्यार करूंगा, मर्दों वाला प्यार. थोड़ा दर्द भले हो पर सह लेना, देख मजा आयेगा" और वे धीरे धीरे मेरी गांड मारने लगे. मेरे चूतड़ों के बीच उनका लंड अंदर बाहर होना शुरू हुआ और एक अजीब सी मस्ती मेरी नस नस में भर गयी. दर्द हो रहा था पर गांड में अंदर तक बड़ी मीठी कसक हो रही थी.

एक दो मिनिट धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करने के बाद मेरी गांड में से ’सप’ ’सप’ ’सप’ की आवाज निकलने लगी. तेल पूरा मेरे छेद को चिकना कर चुका था. मैं कसमसा कर अपनी कमर हिलाने लगा. चौधरी सर हंसने लगे "देखा, आ गया रास्ते पर. मजा आ रहा है ना? अब देख आगे मजा" फ़िर वे कस के लंड पेलने लगे. सटा सट सटा सट लंड अंदर बाहर होने लगा. दर्द हुआ तो मैंने फ़िर से मैडम की चप्पल चबा ली पर फ़िर अपने चूतड़ उछाल कर सर का साथ देने लगा.

सर मुड कर मैडम से बोले "देखा मैडम मेरे स्टूडेंट का कमाल? हूं की चूं नहीं की और कैसे आराम से मेरे मूसल को निगल गया. मैं कह रहा था ना कि ये बहुत आगे जायेगा, मेरा नाम रोशन करेगा."

मैडम वहीं खिड़की से देखती हुई बोलीं "हां सर, मान गये, मुझे विश्वास नहीं था कि ये सह लेगा पर आप ने तो कमाल कर दिया. क्यों अनिल, मजा आया सर का डंडा ले के?"

सर ने चप्पल मेरे मुंह से निकाल दी. "अब इसकी जरूरत नहीं है अनिल. बता .... आनंद आया या नहीं?"

"हां ....सर ... आप का ... लेकर बहुत .... मजा .... आ .... रहा .... है ...." सर के धक्के झेलता हुआ मैं बोला " सर .... आप ... को .... कैसा .... लगा .... सर?"

"अरे राजा तेरी मखमली गांड के आगे तो गुलाब भी नहीं टिकेगा. ये तो जन्नत है जन्नत मेरे लिये ... ले ... ले ... और जोर .... से करूं ...." वे बोले.

"हां .... सर ... जोर से .... मारिये .... सर .... बहुत .... अच्छा लग ... रहा है .... सर"

सर मेरी पांच मिनिट मारते रहे और मुझे बेतहाशा चूमते रहे. कभी मेरे बाल चूमते, कभी गर्दन और कभी मेरा चेहरा मोड कर अपनी ओर करते और मेरे होंठ चूमने लगते. फ़िर वे रुक गये.

मैंने अपने चूतड़ उछालते हुए शिकायत की "मारिये ना सर ... प्लीज़"

"अब दूसरा आसन. भूल गया कि ये लेसन है? ये तो था गांड मारने का सबसे सीदा सादा और मजेदार आसन. अब दूसरा दिखाता हूं. चल उठ और ये सोफ़े को पकड़कर झुक कर खड़ा हो जा" सर ने मुझे बड़ी सावधानी से उठाया कि लंड मेरी गांड से बाहर न निकल जाये और मुझे सोफ़े को पकड़कर खड़ा कर दिया. "झुक अनिल, ऐसे सीधे नहीं, अब समझ कि तू कुतिया है .... या घोड़ी है ... और मैं पीछे से तेरी मारूंगा"

मैं झुक कर सोफ़े के सहारे खड़ा हो गया. सर मेरे पीछे खड़े होकर मेरी कमर पकड़कर फ़िर पेलने लगे. आगे पीछे आगे पीछे. सामने आइने में दिख रहा था कि कैसे उनका लंड मेरी गांड में अंदर बाहर हो रहा था. देख कर मेरा और जोर से खड़ा हो गया. मस्ती में आकर मैंने एक हाथ सोफ़े से उठाया और लंड पकड़ लिया. सर पीछे से पेल रहे थे, धक्के से मैं गिरते गिरते बचा.

"चल.. जल्दी हाथ हटा और सोफ़ा पकड़ नहीं तो तमाचा मारूंगा" सर चिल्लाये.

"सर ... प्लीज़... रहा नहीं जाता ..... मुठ्ठ मारने का मन .... होता है" मैं बोला.

"अरे मेरे राजा मुन्ना, यही तो मजा है, ऐसी जल्दबाजी न कर, पूरा लुत्फ़ उठा. ये भी इस लेसन का एक भाग है" सर प्यार से बोले. "और अपने लंड को कह कि सब्र कर, बाद में बहुत मजा आयेगा उसे"
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Re: ट्यूशन का मजा

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सर ने खड़े खड़े मेरी दस मिनिट तक मारी. उनका लंड एकदम सख्त था. मुझे अचरज हो रहा था कि कैसे वे झड़े नहीं. बीच में वे रुक जाते और फ़िर कस के लंड पेलते. मेरी गांड में से ’फ़च’ ’फ़च’ ’फ़च’ की आवाज आ रही थी.

फ़िर सर रुक गये. बोले "थक गया बेटे? चल थोड़ा सुस्ता ले, आ मेरी गोद में बैठ जा. ये है तीसरा आसन ,आराम से प्यार से चूमाचाटी करते हुए करने वाला" कहकर वे मुझे गोद में लेकर सोफ़े पर बैठ गये. लंड अब भी मेरी गांड में धंसा था.

मुझे बांहों में लेकर सर चूमा चाटी करने लगे. मैं भी मस्ती में था, उनके गले में बांहें डाल कर उनका मुंह चूमने लगा और जीभ चूसने लगा. सर धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर अपना लंड नीचे से मेरी गांड में अंदर बाहर करने लगे.

उधर दीदी और मैडम अब लेट कर एक दूसरे की बुर चूस रही थीं और लेटे लेटे हमारी ओर देख रही थीं. खास कर दीदी तो एकदम मस्ती में थी, मैडम के सिर को अपनी टांगों में दबाकर पैर फटकार रही थी.


पांच मिनिट आराम करके सर बोले "चल अनिल, अब मुझसे भी नहीं रहा जाता, क्या करूं, तेरी गांड है ही इतनी लाजवाब, देख कैसे प्यार से मेरे लंड को कस के जकड़े हुए है, आ जा, इसे अब खुश कर दूं, बेचारी मरवाने को बेताब हो रहा है, है ना?"

मैं बोला "हां सर" मेरी गांड अपने आप बार बार सिकुड़ कर सर के लंड को गाय के थन जैसा दुह रही थी.

"चलो, उस दीवार से सट कर खड़े हो जाओ" सर मुझे चला कर दीवार तक ले गये. चलते समय उनका लंड मेरी गांड में रोल हो रहा था. मुझे दीवार से सटा कर सर ने खड़े खड़े मेरी मारना शुरू कर दी. अब वे अच्छे लंबे स्ट्रोक लगा रहे थे, दे दनादन दे दनादन उनका लंड मेरे चूतड़ों के बीच अंदर बाहर हो रहा था.

थोड़ी देर में उनकी सांस जोर से चलने लगी. उन्होंने अपने हाथ मेरे कंधे पर जमा दिये और मुझे दीवार पर दबा कर कस कस के मेरी गांड चोदने लगे. मेरी गांड अब ’पचाक’ पचाक’ ’पचाक’ की आवाज कर रही थी. दीवार पर बदन दबने से मुझे दर्द हो रहा था पर सर को इतना मजा आ रहा था कि मैंने मुंह बंद रखा और चुपचाप मरवाता रहा. चौधरी सर एकाएक झड़ गये और ’ओह ... ओह ... अं ... आह ...." करते हुए मुझसे चिपट गये. उनका लंड किसी जानवर जैसा मेरी गांड में उछल रहा था. सर हांफ़ते हांफ़ते खड़े रहे और मुझपर टिक कर मेरे बाल चूमने लगे.

पूरा झड़ कर जब लंड सिकुड़ गया तो सर ने लंड बाहर निकाला. फ़िर मुझे खींच कर बिस्तर तक लाये और मुझे बांहों में लेकर लेट गये और चूमने लगे "अनिल बेटे, बहुत सुख दिया तूने आज मुझे, बहुत दिनों में मुझे इतनी मतवाली कुवारी गांड मारने मिली है, आज तो दावत हो गयी मेरे लिये. मेरा आशिर्वाद है तुझे कि तू हमेशा सुख पायेगा, इस क्रिया में मेरे से ज्यादा आगे जायेगा. तुझे मजा आया? दर्द तो नहीं हुआ ज्यादा?"

सर के लाड़ से मेरा मन गदगद हो गया. मैं उनसे चिपट कर बोला "सर .... बहुत मजा आया सर .... दर्द हुआ .... आप का बहुत बड़ा है सर ... लग रहा था कि गांड फ़ट जायेगी ... फ़िर भी बहुत मजा आ रहा था सर"

सर ने मेरे गुदा को सहलाकर कहा "देख, कैसे मस्त खुल गया है तेरा छेद, अब तकलीफ़ नहीं होगी तुझे, मजे से मरवायेगा. अब तू कुंवारा नहीं है" फ़िर मेरा लंड पकड़कर बोले "मजा आ रहा है?"

"सर .... अब नहीं रहा जाता प्लीज़ .... मर जाऊंगा .... अब .... अब कुछ करने दीजिये सर" कमर हिला हिला कर सर के हाथ में अपना लंड आगे पीछे करता हुआ मैं बोला.

"हां बात तो सच है ... तू ज्यादा देर नहीं टिकेगा अब. बोल चुसवायेगा या ..... चोदेगा?"

"सर चोदूंगा .... हचक हचक के चोदूंगा" मैं मचल कर बोला.

"मैडम या दीदी को बुलाऊं .... या ...." सर कनखियों से मेरी ओर देखते हुए बोले. वे अब पलट गये थे और उनकी भरे पूरे चूतड़ मेरे सामने थे. मेरी नजर उनपर गड़ी थी.

"सर ... अगर आप ... नाराज न हों तो ... सर ...." मैं धीरे से बोला.

"हां हां ... कहो मेरे बच्चे ... घबराओ मत" सर मुझे पुचकार कर बोले.

"सर .... आप की गांड मारने का जी हो रहा है"

सर हंस कर बोले "अरे तो दिल खोल कर बोल ना, डरता क्यों है? यही तो मैं सुनना चाहता था. वैसे मेरी गांड तेरे जितनी नाजुक नहीं है"

"सर बहुत मस्त है सर ... मोटी मोटी ... गठी हुई ... मांसल ... प्लीज़ सर"

"तो आ जा. पर एक शर्त है. दो तीन मिनिट में नहीं झड़ना, जरा मस्ती ले ले कर दस मिनिट मारना. मुझे भी तो मजा लेने दे जरा. ठीक है ना? समझ ले यही तेरा एग्ज़ाम है, दस मिनिट मारेगा तो पास नहीं तो फ़ेल" सर बोले.

"हां सर .... मेरा बस चले तो घंटा भर मारूं सर" सर के चूतड़ों को पकड़कर मैं बोला.

वे मुस्कराये और पेट के बल लेट गये. "थोड़ी उंगली कर पहले, तेल लगा ले. मजा आता है उंगली करवाने में"
मैंने उंगली पर तेल लिया और सर की गांड में डाल दिया. गरम गरम मुलायम गांड थी चौधरी सर की. मैं उंगली इधर उधर घुमाने लगा "हां .... ऐसे ही ... जरा गहरे .... वो बाजू में .... हां बस ... ऐसे ही ..." सर गुनगुना उठे. मैंने दो तीन मिनिट और उंगली की पर फ़िर रहा नहीं गया, झट से सर पर चढ़कर उनकी गांड में लंड फ़ंसाया और पेल दिया. लंड आसानी से अंदर चला गया.

"अच्छी है ना? तेरे जितनी अच्छी तो नहीं होगी, तू तो एकदम कली जैसा है" सर बोले.

"नहीं सर, बहुत अच्छा लग रहा है ... ओह .... आह" मेरे मुंह से निकल गया, सर ने गुदा सिकोड़कर मेरे लंड को कस के पकड़ लिया था.

"अब मार ... कस के मारना, धीरे धीरे की कोई जरूरत नहीं है" सर कमर हिला कर बोले.

मैं सर की मारने लगा. पहले वैसे ही झुक कर बैठे बैठे मारी पर फ़िर उनपर लेट गया और उनके बदन से चिपट कर मारने लगा. सर की चौड़ी पीठ मेरे मुंह के सामने थी, उसे चूमता हुआ मैं जोर जोर से चोदने लगा. उतना ही मजा आ रहा था कि जैसा मैडम को चोदते समय आया था. मेरी सांस चलने लगी तो सर डांट कर बोले "संभाल के ... संभाल के ... फ़ेल हो जायेगा तो आज उसी बेंत से मार खायेगा"

मैं रुक गया और फ़िर संभलने के बाद फ़िर से सर को चोदने लगा. सर भी मूड में थे. अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रहे थे "ऐसे ही अनिल .... बहुत अच्छे ..... लगा धक्का जोर से .... गांड मारते समय कस के मारनी चाहिये .... ऐसे नहीं जैसे नयी दुल्हन को हौले हौले चोद रहा हो ... ऐर चोदना चाहिये जैसे किसी रंडी को पैसे वसूल करने के लिये चोदते हैं ... समझा ना? ....अरे तेरी दीदी को भी मजा आता है ना कस के चुदवाने में? ..... फ़िर मार जोर से ..... हां .... बहुत मस्त मार रहा है तू" मेरे हाथ पकड़कर उन्होंने अपनी छाती पर रख लिये. मैं इशारा समझ कर उनके निपल मसलता हुआ उनकी गांड मारने लगा. बीच में हाथ से मैंने उनका लंड पकड़ा तो वो फ़िर से सख्त हो गया था.

किसी तरह मैंने दस मिनिट निकाले. फ़िर बोला "सर ... प्लीज़ सर ... अब ..."

सर बोले "ठीक है, पहली बार है उसके हिसाब से अच्छा किया है तूने. पर आगे याद रखना. अपने सर की सेवा ठीक से करना. तेरे सर की ये गांड तुझे मजा भी खूब लूटने देगी." मैं कस के सर की गांड पर पिल पड़ा और उसे चोद चोद कर अपना वीर्य उनकी गांड में उगल दिया. फ़िर हम वैसे ही पड़े रहे, चूमा चाटी करते.

मैडम लीना को लेकर हमारे पास आयीं "वाह, क्या खेल था गुरु शिष्य का. भई मजा आ गया. पर सर .... आप की ये स्टूडेंट बहुत तड़प रही है, आज इसकी प्यास बुझाये नहीं बुझती, मैंने इतनी चूसी इसकी पर ठंडी नहीं हो रही है, कहती है कि सर से चुदवाऊंगी"

सर उठ कर लीना को पलंग पर लेते हुए बोले "क्यों नहीं, आ जा लीना बेटी, अभी चोद देता हूं, तेरे भाई को चोदा, अब तुझे चोद कर तेरी प्यास बुझा देता हूं. पर झड़ूंगा नहीं लीना"

लीना सी सी करती रही, कुछ बोली नहीं. उसका चेहरा तमतमा गया था, आंखें चमक रही थीं. सर ने उसकी टांगें फ़ैला कर उसकी बुर में लंड डाला और शुरू हो गये. लीना ऐसे सर को चिपकी जैसे बंदर का बच्चा अपनी मां को जकड़ लेता है, अपने हाथों और पैरों से सर के बदन को बांध कर कमर हिलाने लगी "सर ... चोदिये सर .... प्लीज़ सर ... जोर से सर ... आह .... ओह"
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Re: ट्यूशन का मजा

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ट्यूशन का मजा-14

गतांक से आगे..............................

मैडम ने मुझे अपनी टांगों के बीच लिया और बड़े अधिकार से अपनी बुर मेरे मुंह से लगी दी. "तू भी स्वाद ले ले अनिल. तेरी दीदी को तो खूब चखाया मैंने अपना शहद पर आज उसकी भूख ही नहीं मिट रही है, जानता है क्यों?

मैडम की बुर में जीभ डालकर अंदर बाहर करते मैंने आंखों आंखों में पूछा कि क्यों मैडम! वे बोलीं "जब उसने सर के मूसल को तेरी जरा सी गांड में घुसते देखा तो पागल सी हो गयी. पहले कह रही थी कि मैडम, अनिल मर जायेगा. मैंने उसे समझाया कि अरे अनिल को मजा आयेगा देख. जब बाद में सर ने तेरी तरह तरह से मारी और तू भी मजे से मरवाता रहा तो वो चुप हो गयी. वैसे बता अनिल, दर्द हुआ था न बहुत?"

"हां मैडम, लग रहा था कि आज जरूर फ़ट जायेगी, अस्पताल ले जाना पड़ेगा. पर मैडम, बहुत मजा आया मैडम, क्या लंड है सर का, अंदर घुसता था तो इतनी गुदगुदी करता था कि जैसे .... कि जैसे ..."

"जैसे हमारी औरतों की चूत में होती है लंड लेकर. वैसे सर तेरी गांड के आशिक हो गये हैं. इतना खुश मैंने उन्हें नहीं देखा कभी" कहकर कस के उन्होंने मेरे मुंह पर अपनी चूत लगायी और पानी छोड़ दिया.

पानी पी कर मैं बोला "मैडम .... अब मैं आप को चोदूं?"

मैडम मेरे लंड को पकड़कर बोलीं "अरे ये फ़िर सिर उठाने लगा? सच में जवाब नहीं तुम दोनों भाई बहन का, क्या रसीले बच्चे हो तुम लोग! पर नहीं अनिल, आज नहीं, अभी सर का तेरे साथ का लेसन खतम नहीं हुआ है. मैं तो बस लीना की तकलीफ़ दूर करने आयी थी. देखो सर क्या हचक हचक कर चोद रहे हैं तेरी बहन को. वो ठंडी होने को है देख"

सर कस के दीदी को चोद रहे थे, अंदर तक लंड पेल रहे थे. दीदी अपने हाथों से उनके पीठ को नोंच रही थी. फ़िर दीदी चीखी और लस्त हो गयी. पर सर ने उसे नहीं छोड़ा. मेरी ओर मुड़कर बोले "अनिल, यहां ध्यान दो, ये आसन ध्यान से देखो" उन्होंने दीदी के पैर मोड़कर उसकी टांगें दीदी के सिर के इर्द गिर्द कर दीं और फ़िर उसे चोदने लगे.

"देखा? ऐसे मोड़ कर मस्त चोदा जा सकता है, फ़िर छेद कोई भी हो, समझे ना? चाहे चूत में डाल दो या गांड में, आसन यही रहता है. और आगे से मस्त चुम्मे ले लेकर प्यार करते हुए गांड भी चोद सकते हैं."

मैं बोला "हां सर"

दीदी कसमसा रही थी "बस सर ... हो गया .... अब नहीं ... प्लीज़ .... छोड़िये ना .... मत कीजिये सर ...... प्लीज़ ...... मैं झड गयी सर.... बस...." पर सर चोदते रहे. "अरे लीना रानी, ऐसे हथियार नहीं डालते. अब चुदा रही हो तो पूरा चुदाओ" दीदी हल्के हल्के चीखने लगी तो सर ने उसका मुंह अपने मुंह से बंद कर दिया.

पांच मिनिट में दीदी निश्चल होकर लुढ़क गयी. सर ने लंड बाहर निकाला "लो, ये तो गयी काम से. वैसे बड़ी प्यारी बच्ची है, काफ़ी रसिक है, इसकी चूत क्या गीली थी आज, मैडम ये आपकी स्टूडेंट आपसे भी आगे जायेगी " लंड जब दीदी की चूत से निकला, तो दीदी के पानी से गीला था.

"हां बहुत प्यारी बच्ची है, वैसे तुम्हारा स्टूडेंट भी कम नहीं है. लीना को ले जाऊं या यहीं रहने दूं? और चोदेंगे क्या इसे बाद में? " मैडम उठते हुए बोलीं.

"मैडम, अब कहां ले जायेंगी इसे? आप को उठा कर ले जाना पड़ेगा. इसे यहीं सोने दो बाजू में, आप इसका भोग लगाओ और मुझे अनिल का लेसन पूरा करने दो. आओ अनिल, यहां लेटो बेटे" सर मुझे पास खींचते हुए बोले.
मैं दीदी के बाजू में पेट के बल लेटने लगा तो सर बोले "अरे वो आसन तो हो गया, अब सामने वाला, बिलकुल जैसे तेरी दीदी को चोदा ना, वैसे. इसलिये तो तुझे देखने को कहा था मूरख, भूल गया? सीधा लेटो. तू भूल जायेगा कि तेरी गांड मार रहा हूं, तुझे भी यही लगेगा कि तेरी चूत चोद रहा हूं. ये अपने पैर मोड़ो बेटे, और ऊपर ... उठा लो ऊपर ... और ऊपर .... अपने सिर तक .... हां अब ठीक है"

मैंने टांगें उठाईं. सर ने उन्हें मोड कर मेरे टखने मेरे कानों के इर्द गिर्द जमा दिये. कमर दुख रही थी. "अब इन्हें पकड़ो और मुझे अपना काम करने दो" कहकर सर मेरे सामने बैठ गये और लंड मेरी पूरी खुली गांड पर रखकर पेलने लगे. पक्क से लंड आधा अंदर गया. मैंने सिर्फ़ जरा सा सी सी किया, और कुछ नहीं बोला.
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