रीटा की तडपती जवानी compleet

Post Reply
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: रीटा की तडपती जवानी

Post by rajaarkey »


रीटा ने भी बहादुर को कस के बांहो मे भींच कर अपनी सैन्डलस की हीलस बहादुर के चूतडो मे गाड दीं और अपनी बुंड को हवा मे बुलंद कर दी ताकी बहादुर का घीया जड तक अंदर ले सके। शुरू से आखीर तक बहादुर ने रीटा को पूरी स्पीड से चौदने से रीटा बहादुर के बहादुरीयत पर बलिहारी हो तीसरी बार लगातार झडती चली गई। रीटा की आँखे धुन्धला और चूत सुन्न हो गई थी। रीटा पूरे जौर लगा कर बहादुर के लन्ड को अपनी नन्ही चूत में दबा रखा था। फिर रीटा और बहादुर के बदन अकडने के बाद एकदम ढीले पडते चले गये। दोनो कुत्तो माफीक हाँफ रहे थे और फर्श पर दूर दूर तक सफेद पानी फैल चुका था।

कुछ देर बाद जब रीटा ने होशो हवास सम्भाला तो स्कूल लगने मे अभी दस मिनट बाकी थे। चुदी हुई रीटा अपने चकराते हुऐ सिर को पकड जमीन पर बैठ अपनी बेतरतीब सांसौ को समभालने लगी। खतरनाक तरह से चुदने के बाद जब रीटा खडी हुई तो लडखडा कर धडाम से वापिस जमीन पर गिर पडी। अब रीटा की टांगे जैसे खोखली हो कर जवाब सा दे गइ थी।

बहादुर ने रीटा की जवानी का पोर पोर चटका दिया था। बहादुर के जांबाज लन्ड़ ने उस की बच्ची चूत का पतीला बना दिया था। रीटा को ऐसा लग रहा था जैसे पाच छः जवानो ने रीटा को इकठे ही चोद डाला हो। रीटा ने झुक कर जब अपनी चूत को देखा तो रीटा के मुह से दबी दबी चीख निकल गई। रीटा की चूत फट चुकी थी और चूत से पानी के साथ खुन भी रिस रहा था बहादुर ने रीटा की चूत का नकशा बिगाड दिया था। रीटा को अपनी हि चूत पहचान मे नही आ रही थी। रीटा को लग रहा था जैसे बहादुर का धांसू लौड अब भी उस की चूत मे फंसा हो।

थोडी देर बाद बहादुर ने चुदी हुई रीटा को वापिस साईकल पर बिठा स्कूल छोडने चल पडा "बहादुर तुम्हारा लन्ड़ तो बडा शैतान निकला। कितने कस के ठोका है तुम ने मुझे मुझे लगा जैसे तुम्हारा छूटेगा ही नही। ऊफऽऽ अभी तक मेरा बदन टूट रहा है, हाय मेरी फुद्दी, यू रास्कल आई लव यू" रीटा की आवाज अब भी काँप रही थी।

बहादुर एक महान चौदू
रास्ते मे बहादुर ने रीटा को बताया कि छोटी उमर मे ही उस ने गाव में भैसौं और बकरीयों को खुब चौदा मारा करता था। इसी लिये बहादुर के लन्ड मे बला की तपिश और ताकत आ गई थी। रोज सुबह बहादुर अपने निराले लन्ड पे पानी से भरी बालटी उठा कर लन्ड़ को और भी बलवान बना लिया था। बहादुर की आंखो मे हर वकत चूत का खुमार रहता था।

बहादुर गाँव की ठरकी लडकीयों की सन्गत मे पड कर महान चौदू बन गया था। बहादुर की चौदी हुई लडकी को बहादुर से चुदवाये बिना चैन नही पडता था। बदमाश बिल्लौ, गुन्डी गुलाबौ, जालिम जुबेदा, चिकनी चमेली, लरजाती लाजो, रन्डी रानी, सुडौल सबीना, छुईमुई छमीया, शानदार शिल्पा,निगोडी निम्मौ, अनाडी अनारौ और शरारती शब्बो आदी कई लडकीयाँ अब भी बहादुर के लन्ड़ के गुनगान गाते नही थकती थी। गाव की सारी टाप कलास चूतो के पटे बहादुर के आलीशान लन्ड के नाम थे।

खेत मे मूतती लडकीयां बहादुर की खास कमजोरी थी। सुबह सैर करते करते बहादुर खेतो मे एक आधी को चौद ही आता था। कई लडकीयों को बहादुर ने गन्ने के खेतो मे गन्ने चुसाने के बहाने ले जा कर अपना लन्ड चुसा डलवाता था। और तो और बहादुर ने गाव के छोटे छोटे चिकने लडकौं को भी नही बकशा।

बहादुर का बडा भाई गाव मे बदमाश दरोगा था। दरोगा नम्बर एक का खतरनाक गाँडू था। हर एक अपराधी की गाँड मार कर ही हटता था, ईसी लिये कोई बहादुर की हरकतो के बारे मे कुसकता भी नही था।
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: रीटा की तडपती जवानी

Post by rajaarkey »


करीना कपूर और अधनंगी कैटरीना कैफ का शीला वाला ठरकी डाँस देख बहादुर मस्त लन्ड़ को शहर की येंक्की और नशीली चूते भी चखने के लिये बेताब हो गया। शहर जा कर बहादुर ने सबसे पहले आपनी मकान मालिक की नठखट नैपालन नौकरानी पारो को रगडा। फिर सैक्सी मकान मालकीन अलका और पडोसन तमन्ना को भी नही छोडा।

फलेशबेक की तरहा पारो की जवानी बहादुर की आँखों के समने घूम गई। पारो का अंग अंग अलग अलग उस के जिस्म पर कसा था और हर चीज़ कुछ ज्यदा ही बडी थी। जवान पारो की मोटी मोटी कजरारी आखे और चितोडगढ़ से चूतड तो देखते ही बनते थे। चूच्चे ऐसे थे जैसे प्रकार से खींचे गोले हर वकत पारो गहनो से लदी और सज़ी संवरी रहती थी।

दूसरे ही दिन दुपेहर को बहादुर जब पिशाब करने बाहर निकला तो उस ने पारो को अलका के कमरे के अंदर चुपके चुपके झांकते हुऐ देखा। पारो किसी कुत्तिया सी हांफती हुई अपना हाथ से जोर जोर से अपनी चूत को घाघरे के उपर से ही रगड रही थी। थौडा सा और झुकती तो शायद पारो के थरथराते चुच्चे उस की अंगीया से बाहर ही आ जाते।

मौके का फायदा उठा कर बहादुर ने जब झुकी हुई पारो के उचके हुऐ चूतड पे हाथ फेरा तो पारो चिहुंक कर खडी हो गई और अपनी चुच्चे पे हाथ रखती फुसफुसाती बोली "दय्या रे दय्या, तूने ने तो मुझे डरा ही दिया था"।

बहादुर हाँफती पारो के फूलते पिचकते चूच्चौ को घूरता बोला "ये कया कर रही थी तुम"?

"शऽऽऽऽ चुप" चुलबुली पारो बहादुर को चुप रहने का ईशारा कर खींचं कर कोने मे ले गई और पंजौ के बल उचक कर अपनी छातीयाँ बहादुर के सीने से गाडती बहादुर के कान मे बोली "अंदर अलका आंटी और तम्मना दीदी उलटी सीधी बाते कर रही हैं"

बहादुर ने चंचल पारो के चूतडो को सहला कर मसल कर पूछा "उलटी सीधी बातों से कया मतलब"?

पारो अपने पाईनैपलौ से चुच्चे को बहादुर के सीने मे जोर से गाडती आँखो मे आँखो डाल कर अर्थपूर्ण स्वर मे बोली "मर्द औरत के बारे मे तो सुना था, पर एक औरत औरत की कैसे ले सकती है"?

बहादुर समझ गया की कमरे मे कया हो रहा है। बहादुर आँखो के तरबूज से रसभरे चूतडो को हाथो से चोड़ाता बोला "मेरी रानी मेरे कमरे मे चल तो बताता हूँ कि एक औरत दूसरी औरत की कैसे ले सकती है "

खेली खाई पारो अपने गालो पर हाथ रख खुशी से बच्चौ की तरहा उछलती और दबी आवाज में बोली "हाय मांऽऽऽ कया तुम्हे ये सब पता है "?

बहादुर आँखो के बिना बरेज्री के स्तनो को ज़ोर ज़ोर से खीचंता बोला "तू मुझे मर्द औरत के बारे मे बताना और में तुझे औरत औरत के बारे बता दुंगा। तू मेरे कमरे मे पहुच मे पिशाब कर के आया"?

चिकनी पारो चुच्चे पटवाती हुई अपनी जाघो में बहादुर के खडे लन्ड़ को रगडती और बहादुर के खम्बे से लम्बे लन्ड़ को हसरत भरी निगाहो से देख बोली "सीऽऽऽ तुम्हारा बादशाह तो बहुत शरारती है, जरा जल्दी आना मेरे राजाऽऽऽ। तुम्हारे बादशाह ने तो मेरी बेगम का दिल मोह लिया है"। पारो शहर के खस्सी और निकम्मे नामर्द लोगो से चुदवा चुदवा कर बुरी तरह से बोर हो चुकी थी।

चुलबुली पारो मुडी और बल खाती नागिन सी अपने फुटबाल से चूतडो को ठुमक ठुमक मटकाती बहादुर के कमरे की तरफ चल दी। तसमो वाली चुस्त चोली से पारो की नंगी मरमरी पीठ और कमर चमक रही थी। नीचे घुटनो तक घाघरे से झांकती खूब सुडौल पिंडलीया और पैरौं मे चांदी की पाजेब छन छन कर रही थी। उपर से पारो की लम्बी चौटी थिरकते चूतडो के बीच घड़ी के पैण्डूलम सी दाये बाये उछलते देख बहादुर को लन्ड़ की रीड की हड्डी मे सिरहन सी दौड गई।

बहादुर ने जाते जाते कमरे मे झाँक कर देखा तो तम्मना और अलका आपस चिपटी हुई सीऽऽ सीऽऽ कर एक दुसरे को बुरी तरह से चूम चाट रहीं थी। खूबसूरत अलका की गुलाबी साडी कमर तक उठी हुई थी और बलाउज चौड चपाट दरवाजे सा खुला हुआ था। अलका के गुलाबी तोतापुरी आम ठरक से खुब अकडे हुऐ और हज़ार वाट के बल्बौ की भान्ती जगमगा रहे थे। तमन्ना ने हल्के हरे रंग का सलवार और कमीज़ पहन रखी थी। तमन्ना ने टांगो को चौडा रखा था और अलका सलवार के उपर से ही तमन्ना की चूत को अपने मुह मे चुमहला रही थी। फिर अचानक ही अलका ने तमन्ना की सलवार का नाडा खींच डाला और तमन्ना की चिडीया को नंगा कर दिया तमन्ना की कंवारी दूधीया चूत ने कमरा ओर भी रौशन कर दिया।

बहादुर ने सोचा के अभी तो पारो का तन्दूर परौंठे सेकने को तैयार है। बहादुर का लन्ड़ पारो की मस्त जवानी को चखने के लिये बेताब था। बहादुर की आँखों के सामने पारो की मोटी कजरारी आँखों और शानदार चूतड घूम गये।
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: रीटा की तडपती जवानी

Post by rajaarkey »


बहादुर कमरे मे घुसा तो पारो ने लपक के दरवाजा बंद कर दिया दरवाजे से पीठ चिपका कर खडी पारो ठरक से हाँफतीं सी बहादुर के पायजामे के उभार को ललचाई नजरो से देख रही थी। पारो का पल्लू सीने से सरक गया और पारो की दिलकश चालीस डी छातीयो ने पारो की चुस्त अंगीयाँ को चौद के रखा हुआ था। चुदास मस्ती मे पारो की आँखो मे वासना के शरारे बरस रही थी और रह रह कर पारो अदा से अपने नीचे के रसीले होंटों को काट रही थी।

पारो अपनी जाघ से जांघ रगड कर अपनी चुलबुली चूत को शांत करने की नाकाम कोशिश करती अपनी चूत को साडी के उपर से सहला कर और मस्त अंगडाई मारी तो बहादुर का लन्ड़ पायजामे के अन्नदर ही 45 के एन्गल पर अकड गया। पारो जैसे आँखो ही आँखो मे घोल कर पी जाने वाली नजरो से देखती बोली "तो फिर हो जाये प्यार मुहब्बत का सिलसीला"।

बहादुर ने पारो के ईकहरे बदन को बाहो मे दबोच लिया और पारो की अंगीया के धागे खोलने लगा। धागे खुलते ही पारो की अंगीया सप्रीन्ग को समान उछल कर अलग हो गई और पारो के दोनो मदमस्त कबूतर ऊछल कर बहादुर के हाथो मे आ गये। पारो का कमरबन्द ठीला हो गया और पेटीकोट ने पारो के पैरो मे मरी चिडीया की तरह दम तोड दिया। बहादुर ने पारो की लवारीस बदन को बांहो मे उठा कर बैड पर पटका तो पारो की आँखें उन्माद मे उपर की ओर लुडक गई।

पारो के जिस्म पर ज़ेवर के ईलावा एक धज्जी भी नही थी पारो का हुसन टपके आम के समान भरपूर जवान और रसीला था। अब बिस्तर पर पारो का अवारा शबाब लाहपरवाही से बिखरा और फलौरौसैन्ट लाईट मे जगमगा रहा था। चांदी के गहनो झूमर, झुमके, नथनीया, हार, चुडीयां, मुंदरीया, बिच्छू से लदी फदी पारो अप्सरा सी लग रही थी।

बहादुर ने भी अपने कपडे उतारे तो पारो ने बहादुर के अजूबा लन्ड़ को देख खुशी से चिल्ला सी पडी "आईऽऽऽऽ बाप रे बाप हायऽऽऽ राजा लगता है कि आज मेरी छोटी पारो के चिथडे होंगें"। पारो भी खूब गीली और बैड कबडी खेलने को बथेरी उतावली थी। बहादुर ने पारो की गाँड को थोडा बाहर खींच कर चूतडो के नीचे सिरहाना रखा तो पारो की रानी पूरी तरहा से उभर कर बाहर आ गई पारो की भौंसडी खुब ज्यदा मोटी और रसभरी थी और चूत के अंदर के पत्त्ते दो दो ईन्च बाहर लटके हुऐ फूल की पखुडीयों के समान कंपकपा रहे थे।

पारो ने एक हाथ से अपनी दो अुंगलीयां चूत पे रख कर अंगुलीयो का उलटा "वी" बना कर गुलाबी भौंसडी को चौडा दिया और दुसरे हाथ से बहादुर के हटेकटे लफन्डर लन्ड़ को पकड कर खींच कर अपनी चूत के चीरे से सटा दिया। दहकते लन्ड की गरमी पा कर पारो की धधकती चूत ताज़ा खुले सोडे़ की बोतल समान बिफर कर झाग छोडने लगी।

बहादुर ने एक झटके से ही अपना लोकी सा लन्ड पारो की फूलगोभी सी चूत मे घसोड दिया तो पारो करहा कर बोली "आहऽऽऽ अरे मेरे यार तेरा लन्ड़ है या कुतबमीनार हायऽऽऽ चोद मेरे माईया चोद उफ रेए, आज किसी मादरचोद से पाला पडा है, सीईईई ले राजा पाड के रख दे अपनी पारो को" यह कह कर पारो अदा से अपने पाव के अंगुठे पकड लिये।

फिर बहादुर ने पारो की चुच्चो की टोटनी को चुटकी मे ले करे अपने लन्ड से प्यासी पारो की पिनपिनाती चूत के पसीने छूटा दिये। कमरे मे चुदती पारो की घुटी घुटी चीखो चुडीयों और पाजेबौ की खनखनाहट सिसकारीयो और किल्लकारीयों की कामुक आवाजे आने लगी। पारो पारो न रही और बहादुर बहादुर न रहा।

कई हफतो से चूत का सतया हुआ बहादुर पूरी दौपेहर जबरदस्ती पारो की आगे पीछे से बार बार लगातार मारता रहा तो पारो की बस हो गई। अधमुई सी पारो जैसे तैसे बहादुर को झेलती चली गई। बहादुर ने पारो की भौंसडी और गाँड के परखच्चे उडा दिये थे। बहादुर ने पारो की चूत को चौद कर चित्त्तौड़गड बना डाला था लुटी पिटी चुदी और ठुकी पारो लंगडाती और लडखडाती अपने कमरे मे पहुच कर ढेर हो गई।

स्कूल पास आ गया तो रीटा बोली "अच्छा बहादुर कल सुबहा जरा जल्दी आ जाना सुबहा मेरी चोदम चुदाई की एक एकस्टरा कलास है"।

बहादुर फुसफुसाता सा बोला "परंतु बेबी तुम्हारी तो फट चुकी है"?

"ओह, कम आन बहादुर, अभी मेरी पिछली पडोसन तो अभी एकदम तन्दरूसत और तरोताजा है" शरारती रीटा ने मुस्कूरा कर आंख मार कर अपने रसीले होंट को हलका सा उचका कर सायलन्ट किस्स मार कर पलटी और चूतड मटकाती हल्के से लंगडाती सी स्कूल के गेट की तरफ चल दी।
दोस्तों ये कहानी यही ख़तम होती है फिर मिलूंगी आपसे एक और नई कहानी के साथ दोस्तों अपनी प्रतिक्रिया मेरी आई डी पर जरूर दे आपकी ...........

समाप्त
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
Post Reply