पड़ोसन का प्यार compleet
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Re: पड़ोसन का प्यार
नेहा की यह बात सुनकर दर्शन शरमा गया. "चल हट, कुछ भी कहती हो नेहा. मुझे वैसे इन बातों मे दिलचस्पी भी नही है"
"पर मुझे तो है, बहुत दिलचस्पी है तेरी गान्ड मे. तुझे मालूम है ना कि मैं डबल डिल्डो बाँध कर अपनी मा और प्राची मौसी को चोदति हूँ? मुझे बहुत अच्छ लगता है. अब मुझे लगता है कि वैसे ही डबल डिल्डो से तेरी गांद मार कर देखूं." नेहा शैतानी भारी आँखों से उसकी ओर देखती हुई बोली. उसके उंगलियाँ अपनी बुर को सहला रही थी और खोल कर उसका लाल लाल छेड़ जान बूझ कर दर्शन को दिखा रही थी.
"मैं मर जाऊँगा! कितना मोटा डिल्डो है वहाँ! तुम औरतों के लिए ठीक है, आख़िर चूत को आदत होती है इतना पसरने की, पर मेरी गान्ड तो फट ही जाएगी." घबरा कर दर्शन बोला.
"मेरे पास छोटा वाला भी है, ट्रेनिंग डिल्डो. बचपन मे जब हमने शुरू किया था तो मम्मी ने उसीसे मुझे सिखाया था. उससे तुझे बिल्कुल तकलीफ़ नही होगी. वैसे थोड़ा बहुत तो दुखेगा ही. गान्ड काफ़ी टाइट होती है ना! मैने ऐसी तस्वीरे बहुत बार देखी है अपने पी सी पर जिसमे औरते डिल्डो बाँध कर मर्दों की गान्ड मारती है. मेरी वैसा ही मन हो रहा है तेरी मारने का.
मुझसे मरवा ले, हो सकता है कि मैं खुश होकर तुझे अपनी बुर का एकाध चुंबन लेने दूं" नेहा ने प्रस्ताव रखा.
दर्शन खड़ा खड़ा देखता ही रहा. उसकी समझ मे नही आ रहा था कि क्या कहे. अजीब सा लग रहा था, डर लग रहा था कि गान्ड मे डिल्डो घुसने पर दर्द होगा, पर नेहा की वह खूबसूरत बुर चूसने को मिलेगी यह विचार उसे लुभा भी रहा था.
नेहा आगे बोली "मुझे मालूम है कि मम्मी ने तुझे कुछ प्रामिस किया है. तू कैसे उसकी गान्ड को देखता है मैं जानती हूँ. आज वह मुझसे कह रही थी कि आज तुझे खुश कर देगी. मैं भी उसे मना लूँगी कि आज वह तुझ से गान्ड मरा ले. जब तू मम्मी की गान्ड मार रहा होगा तब मैं तेरी मार लूँगी. देख लो दर्शन, सोच लो अच्छे से. नही करना है तो ठीक है. पर फिर मैं भी मम्मी से कह दूँगी कि कोई ज़रूरत नही है दर्शन को अपनी यह मोटि ताजी गान्ड मारने देने की"
उधर शोभा और प्राची मे भी गप्पें चल रही थी. एक दूसरे की चूत चूसकर अब दोनो ज़रा शांत थी और बाते कर रही थी. "शोभा, वैसे दर्शन और नेहा की जोड़ी अच्छ लगती है ना. दर्शन चार पाँच साल छोटा है पर नेहा इतनी नाज़ुक है कि लगता नही है कि इतना अंतर है. दोनो खूबसूरत है, कामुक है, अपनी अपनी मा को इतना प्यार करने वाले है. दो साल बाद अगर हम इनकी शादी कर दे तो?"
शोभा खुश होकर बोली "बहुत अच्छि जोड़ी जमेगी दोनो की. हमारे परिवार भी एक हो जाएँगे. रही सही दूरी भी ख़तम हो जाएगी. पर ये नेहा सिरफिरी है. पुरुष जात से ही इसे नफ़रत है. देख कैसे वह दर्शन उसे मना रहा है और ये उसे ज़रा भी घास नही डाल रही. असल मे दर्शन जैसे चिकने सुंदर लड़के के साथ चुदाई करने को कोई भी औरत या लड़की तैयार हो जाएगी पर यह नेहा एक अजब ही मिट्टि की बनी है. उसके मन मे किसी तरह से दर्शन की ओर आकर्षण पैदा करना चाहिए नही तो आख़िर ये रहेंगे कैसे मियाँ बीबी बनकर!"
दर्शन और नेहा मे चल रहे वाद विवाद को देखकर शोभा ने पूछा "क्या बतिया रहे हो तुम दोनो? मैने उड़ते उड़ते कुछ गान्ड वाग़ैरह शब्द सुने, मेरी गान्ड के बारे मे तो नही सोच रहा रे तू नालायक? ज़रा सबर से ले, अभी मौका नही आया हैइसका"
नेहा ने हंस कर उसे सब बता दिया. नेहा अब काफ़ी गरम हो चुकी थी और अपनी जांघे आपस मे रगड़ रही थी. खेल खेल मे बनाया प्लान उसे अब सच मे मस्त कर रहा था.
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Re: पड़ोसन का प्यार
शोभा को नेहा की इस अनोखी पेशकश पर मज़ा आ गया. प्राची को वह धीरे से बोली "प्राची, इस बहाने कम से कम दोनो के शारीरिक संबंध तो होंगे. हो सकता है ऐसे ही खेल खेलने के चक्कर मे नेहा शादी को तैयार हो जाए. और मज़ा भी आएगा, नया खेल देखने मिलेगा. एक जवान लड़की एक कमसिन जवान लड़के की गान्ड मार रही है ऐसा कितनी बार देखने मिलता है."
प्राची को बात जच गयी. उसने दर्शन को समझाया. "मेरे ख़याल से कोई हरज नही है बेटे, एक नया खेल ही समझ ले इसे. नेहा का इतना मन है, उसका दिल ना तोड़ नेहा कह तो रही है कि छोटा डिल्डो इस्तेमाल करेगी, तुझे दर्द भी नही होगा. नेहा की चूत के उस लाजवाब रस की स्वाद लेना है तो जैसा वह चाहती है वैसा कर बेटे. मुझे तो इस छोकरी ने दीवाना बना दिया है अपनी चूत के शहद का. वैसे मैने सुना है कि पुरुषों को भी मज़ा आता है उनके गुदा मे कुछ डालने पर."
दर्शन का मन डाँवाडोल हो रहा था. मा और मौसी दोनो कह रहे थे. उसने फिर शोभा की ओर देखा.
शोभा मुस्कराई और धीरे से करवट बदल कर अपने पेट के बल लेट गयी. उसके विशाल मासल नितंब अब दर्शन को सॉफ दिख रहे थे. "दर्शन राजा, आज असल मे मैं वैसे भी तुझे तेरा इनाम देने वाली थी. प्राची ने जब बताया कि पिछले कई दिनों से कैसे तू दिन रात उसकी सेवा कर रहा है तो मैने सोचा कि अब तेरा इनाम तुझे मिल जाना चाहिए. आ, ले ले अपना इनाम, और नेहा को भी मज़ा करने दे. उसके बाद मैं देखती हूँ कि तुझे वह कम से कम आधा कटोरि अपनी बुर का रस पिलाती है या नही"
दर्शन तैयार हो गया. उसका लंड शोभा की उस गोल मटोल फूली हुई गान्ड को देखकर उसमे घुसने को बेचैन हो गया था. लपक कर वह शोभा के पास गया और झुक कर उसके नितंबों का चुंबन लेने लगा. "थैक्स आंटी, प्लीज़, अब जल्दी मरा लो, मुझसे रहा नही जाता. क्रीम ले आऊँ, नही तो दुखेगा आप को. और किस आसान मे मारू? तुमने उस दिन कितने सारे फोटो दिखाए थे एनल सेक्स के"
शोभा अब तक घुटनों और कोहानियों पर डॉगी स्टाइल मे आ गयी थी. "अंदर डालने को यही पॉज़ बेस्ट है राजा. जब ठीक से मारने लगेगा तो मैं पट सो जाऊंगी और तू मेरे ऊपर सो जाना, फिर आराम से मारना. नेहा तेरे ऊपर सो जाएगी. क्रीम लाएगी नेहा तेरे लिए, मुझे तो नॅचुरल लुब्रिकेन्ट ज़्यादा अच्छा लगता है. ऐसा कर. मेरी चूत मे डाल दे लंड, दो मिनिट चोद और फिर तुरंत गान्ड मे डाल दे. उंगली से भी ज़रा रस चुपड मेरे छेद मे, अरे सब समझाना पड़ेगा क्या, तू तो इतना समझदार बच्चा है!"
प्राची बड़ी उत्सुकता से शोभा के बाजू मे बैठकर सब देख रही थी, दर्शन से बोली "बेटे, तू चोद, मैं गीला करती हूँ शोभा का छेद तेरे लिए"
दर्शन ने झुक कर एक दो बार शोभा की बुर पीछे से चाटि, उसका मन तो हो रहा था कि मन भर कर रसपान कर ले पर लंड उसे परेशान कर रहा था. शोभा के पीछे बैठकर शोभा की चूत मे लंड डाला और चोदने लगा. लंड के अंदर बाहर होने के साथ चिपचिपा पानी शोभा की चूत से उबल उबल कर बाहर आने लगा. प्राची उंगली पर शोभा की बुर का पानी ले कर उसकी गुदा मे चुपड्ने लगी. दर्शन को इतना मज़ा आ रहा था कि क्षण भर उसे लगा की शोभा को चोद ही डाले. फिर मन को काबू मे करके उसने लंड बाहर खींचा और शोभा से पूछा "अब डालूं मौसी तुम्हारी गान्ड मे?"
शोभा के हां भरते ही उसने अपना सुपाड़ा शोभा के गुदा पर रखा और पेलने लगा. छेद सकरा था पर चूत के पानी से चिकना हो गया था. पॅक की आवाज़ के साथ सुपाड़ा अंदर समा गया. एक क्षण को शोभा का शरीर कड़ा हो गया और गुदा ने सिकुड़कर लंड को कस के पकड़ लिया पर जल्दी ही शोभा ने उसे फिर ढीला छोड़ दिया. दर्शन ने शोभा के चूतड़ पकड़े और लंड को कस कर पेलते हुए पूरा शोभा की गान्ड मे उतार दिया. लंड को कस कर पकड़ी गान्ड ने दर्शन को वो मज़ा दिया कि बिना और रुके वह शोभा की गान्ड चोदने लगा.
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Re: पड़ोसन का प्यार
"अरे रुक, अब ज़रा मुझे तो ये डिल्डो डालने दे पीछे से तेरे छेद मे" नेहा ने उलाहना दिया. दर्शन चौंक गया. शोभा की गान्ड मारने के आनंद मे वह भूल गया था कि अब उसकी भी गान्ड मारी जानी है. उसने मूड कर देखा. नेहा एक सफेद डिल्डो अपनी चूत मे बाँधकर तैयार थी. अच्छ चिकना पाँच एक इंच लंबा और एकाध इंच मोटा डिल्डो था. पर दर्शन को वह
बहुत मोटा लगा. आज तक उसने अपनी गान्ड मे उंगली तक नही की थी, इस डिल्डो को लेने की कल्पना से वह घबरा गया. "नेहा, प्लीज़, ज़रा धीरे धीरे डालना, दुखेगा तो नही!"
"वाह रे जवान मर्द, अब घबरा रहा है और जब तेरे जैसे पुरुष औरतों पर चढ़ कर उनके शरीर मे अपने मूसल घुसाते है तब कभी सोचा है कि औरतों को क्या लगता है? चल नखरा ना कर" नेहा ने डिल्डो पर क्रीम चुपडते हुए उसे डाँट पिलाई. प्राची ने अपनी उंगली पर थोड़ी क्रीम ली और बड़े प्यार से अपने बेटे के गुदा मे चुपड दी. सहसा उसके मन मे विचार
कौंध गया "कोई देखेगा तो क्या कहेगा! एक औरत अपने बेटे की गुदा को क्रीम से चिकना कर रही है जिससे उसकी होने वाली बहू उसके बेटे की गान्ड मार सके. इससे ज़्यादा छिनालापन और क्या हो सकता है!" तैयारी पूरी हो गयी थी. नहाने डिल्डो का चोर दर्शन के छेद पर रखा
"प्राची मौसी, तुम ज़रा इसके चूतड़ फैलाओ. याने इसे तकलीफ़ नही होगी, आराम से अंदर चला जाएगा. मुझे भी ज़्यादा ज़ोर नही लगाना पड़ेगा. दर्शन, तू भी ज़रा ढीली कर अपनी गान्ड! दुखा तो मुझे ही कोसेगा. पर मैं एक बार शुरू हो गयी तो फिर तेरा कुछ नही सुनूँगी" प्राची ने दर्शन के चूतड़ अपने हाथों से फैलाए और डिल्डोबाजीने एक्सपर्ट नेहा ने एक बार मे घच्च से दर्शन की गान्ड मे आधे से ज़्यादा डिल्डो गाढ दिया.
दर्शन हल्के से चीख पड़ा और उसका शरीर कड़ा पड़ गया. उसे काफ़ी दुख था पर उसके साथ ही एक अजीब से आनंद की कसक उसे अपनी गान्ड मे महसूस हुई. 'तो ऐसा लगता है गान्ड मराके' उसके मन मे आया.
उसका लंड मस्ती से शोभा की गान्ड मे उछला तो शोभा समझ गयी कि उसे मज़ा आ रहा है. "अरी प्राची, लगता है तेरे बेटे को भा गया यह खेल. देख मेरी गान्ड मे कैसे मुठिया रहा है अपना लंड! वैसे इस काम मे मेरी नेहा बहुत होशियार है, बहुत अच्छ चोदति है, चूत हो या गान्ड! चल नेहा, जल्दी कर याने यह खेल आगे तो बढ़े"
नेहा ने सधा हुआ ज़ोर लगाकर धीरे धीरे पूरा डिल्डो जड़ तक दर्शन की गान्ड मे पेल दिया. वह फिर तड़प उठा पर जब उसे अपने नितंबों पर नेहा की चिकनी मखमली जांघों और पेट का स्पर्श हुआ तो उसके रोम रोम मे सनसनी दौड़ गयी. नेहा की रेशमी झान्टे भी उसे गुदगुदा रही थी. आख़िर इस रूप सुंदरी का शरीर मेरे शरीर से मिला तो, चाहे किसी भी तरह क्यों ना
हो ऐसा उसके मन मे आया.
प्राची ने दर्शन को बाहों मे भर लिया और उसे चूमती हुई बोली "कैसा लग रहा है बेटे? अच्छ लग रहा है ना? तुम दोनो की जोड़ी बहुत प्यारा दिखती है. हमेशा से थोड़ा अलग किसम का सीन है पर है बहुत प्यारा. मज़ा आया ना बेटे?"
दर्शन ने सिर हिलाया और फिर शोभा की गान्ड मारने लगा. उसका लंड ऐसे तन गया था जैसे फट जाएगा. उसके पीछे खड़ी नेहा ने भी धक्के लगाने शुरू किए और सधे हुए अंदाज मे दर्शन की गान्ड मारने लगी.
जल्द ही तीनो बदन एक लय मे झूमते हुए आगे पीछे होने लगे. "शोभा, अगर वीडियो कैमेरा होता तो रिकार्ड कर लेती. लाख रुपये मिलते इस सीन के" प्राची ने दाद दी. वह अकेली रह गयी थी पर उसने तीनों खिलाड़ियों के चुंबन ले लेकर उनका उत्साह बढ़ाने का जिम्म ले लिया. आरी बारी से वह शोभा, दर्शन और नेहा के होंठ चूमती, शोभा के लटकते मम्मे दबाती, नेहा के कसे तन कर खड़े उरोज मसलती और फिर उनके पास आ कर उनके मूह मे अपनी चून्चि दे देती या कभी कभी बिस्तर पर खड़ी होकर उन्हे अपनी चूत चाट देती.
कुछ देर बाद शोभा पट्ट होकर बिस्तर पर लेट गयी और दर्शन और नेहा को अपनी पीठ पर ले लिया. अब दर्शन पूरा ज़ोर लगाकर उसकी गान्ड मार रहा था. नेहा ने अपने हाथ दर्शन की छाती के इर्द गिर्द भींच लिए थे और हचक हचक कर दर्शन की गान्ड चोद रही थी. शोभा ने ज़रा भी जाहिर नही किया कि दो दो बदनों के वजन से उसे कोई तकलीफ़ हो रही है. बच्चों के आनंद के लिए वह प्यार से यह तनिक सी तकलीफ़ सह रही थी.
आख़िर जब यह प्यार का खेल ख़तम हुआ तो सभी बहुत थक गये थे पर खुश थे. गान्ड दुख ज़रूर रही थी पर सबसे ज़्यादा मज़ा दर्शन को आया था. एक साथ गान्ड मारने और मरवाने मे इतना सुख मिल सकता है यह उसने पहली बार महसूस किया था. शुरू शुरू के दर्द के बाद गान्ड मे चलते उसे चिकने डिल्डो ने उसे मस्त कर दिया था.
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Re: पड़ोसन का प्यार
शोभा ज़रूर अतृप्त थी क्योंकि उसकी गान्ड तो अच्छे से कूट गयी थी पर चूत वैसी की वैसी प्यासी रही थी. प्राची ने उसकी बुर चूस कर उसे झड़ाया. नेहा भी कई बार झड़ी थी, इस चिकने लड़के की गान्ड मारने मे उसे बहुत सैडिस्टिक सुख मिला था.
जब शोभा दर्शन का झाड़ा लंड निकाल कर अलग हुई तो नेहा फिर भी दर्शन की पीठ पर चिपकी रही. अपना डिल्डो उसने दर्शन की गान्ड मे ही रहने दिया. शोभा के नीचे से निकलने के बाद दर्शन को पट्ट बिस्तर पर लिटा कर वह दर्शन की गान्ड अगले आधे घन्टे तक मारती रही. बीच बीच मे सुस्ता लेती और फिर शुरू हो जाती. दर्शन को दुखा भी और मज़ा भी आया. नेहा के कसे हुए उरोज और उनके ऊपर के कड़े निपल जब उसकी पीठ पर दबते तो वह सुख से सिहर उठता. कम से कम इस बहाने तो नेहा की चून्चियो को अपने शरीर से छूने का मौका मिला, ऐसा वह सोच रहा था.
आख़िर जब नेहा पूरी तरह से तृप्त हो गयी तो उसने दर्शन की गान्ड से डिल्डो बाहर निकाला. स्ट्रैप खोल कर उसने डिल्डो का निचला हिस्सा अपनी चूत के बाहर खींचा और दर्शन के मूह मे दे दिया. "ले, पहले डिल्डो सॉफ कर, उसपर मेरा बहुत रस लगा है. फिर सीधा चूत से चखाऊंगी"
दर्शन आँखे बंद करके डिल्डो चाटने लगा. 'नेहा की चूत का रस! अमृत आख़िर मेरे नसीब मे था यह शहद! सोचता हुआ चूस चूस कर वह उस प्लास्टिक के लंड को सॉफ करने लगा. नेहा हल्के से उसके कान मे बोली "असल मे तेरी गान्ड मे जो डिल्डो घुसा था वह भी तुझे ही चटवाने वाली थी मैं, पर मम्मी डान्टेन्गि इसलिए छोड़ दिया. आगे याद रख, यह काम तुझे
करना पड़ेगा. काफ़ी चीज़े चखाना है तुझे जो तूने कभी नही चखि होंगी" दर्शन सुनता रहा गया. नेहा कितने परावर्टेड नेचर की है यह उसकी समझ मे आने लगा.
डिल्डो चटाने के बाद नेहा अपनी करवट पर लेट गयी और एक टाँग उठाकर दर्शन का सिर उसने अपनी निचली जाँघ पर रख लिया. फिर दर्शन के सिर को खींचकर उसने उसका मूह अपनी चूत पर दबा लिया और टाँग नीचे करके दर्शन का सिर अपनी दोनो जांघों के बीच फ़ुटबाल जैसा जाकड़ लिया. आगे पीछे होकर टांगे कैंची जैसी हिलाती हुई वह दर्शन के मूह पर
मुठ्ठ मारने लगी. "लो चूसो दर्शन. पेट भर के चूसो, नही तो मा से कहोगे कि नेहा ने अपनी शर्त नही पूरी की" नेहा ने बहुत देर दर्शन को अपना पानी पिलाया. बीच बीच मे वह जान बूझकर उसके सिर को अपनी सशक्त जवान जांघों मे इतना जाकड़ लेती कि दर्शन दर्द से कराह उठता. पर नेहा की यह ज़्यादती भी उसे आनंद दे रही थी, और वह उसे सहन करता रहा. उस सुंदरी की चूत के अमृत के आगे ये दर्द कोई बड़ी बात नही थी. और ऐसा मौका सब को कहाँ मिलता है कि किसी का सिर किसी इतनी सुंदर लड़की की जांघों के बीच मे हो!
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Re: पड़ोसन का प्यार
अपने बच्चों की यह उठापठक देख कर शोभा और प्राची ने भी आपस मे चूमा चाटी शुरू कर दी और धीरे धीरे वे एक दूसरे की बुर पर मूह लगाकर लेट गयी. उन्हे यह सन्तोष था कि चलो, किसी भी तरह क्यों ना सही, नेहा और दर्शन का मिलन तो हुआ.
इसके बाद महने भर बाद की बात है. तब तक दोनो परिवार अपनी इस मादक दिनचर्या मे पूरे व्यस्त हो गये थे. बिल्कुल सधे हुए तरीके से उनकी रति पूरी जोरों पर चल रही थी. किसी को भनक ना पड़े इस तरह से वे दोनो परिवार आपस मे घुल मिल गये थे.
नेहा ने उस दिन के बाद बस एकाध बार और दर्शन की गांद मारी थी पर और कुछ नही किया था. अपनी चूत का रस पिलाना भी बहुत कम कर दिया था, बहुत मिन्नते करने पर भीख दे रही हो ऐसी मुद्रा बना कर दस एक मिनिट वह दर्शन को अपनी चूत चूसने देती.
शोभा की गान्ड अब दर्शन कई बार मारता था. हफ्ते मे कम से कम एक बार वह उसे अपनी गान्ड ज़रूर मारने देती. चस्का लगने पर दर्शन को अब चैन नही पड़ता था. जब शोभा ने रोज मराने से सॉफ इनकार कर दिया था 'मुझे दुखता है बाबा' तब से दर्शन की नज़र अपनी मा की गान्ड पर थी. प्राची की गोरी मुलायम चौड़ी गान्ड उसे बहुत सताने लगी थी. एक दो बार उसने प्राची से कहा भी. शोभा मौसी मारने देती है तो मा, तुम भी मारने दो ना उसके इस आग्रह को प्राची ने डाँट कर नजर अंदाज कर दिया था. जब दर्शन बहुत सताने लगा और बार बार मिन्नते करने लगा तो प्राची ने उसे कहा "दर्शन बेटे, मुझे दुखेगा, मैं नही मराऊंगी, शोभा का ठीक है, वह हर बात मे चालू है. मुझे तो उंगली डालने पर भी दर्द होता है. हां अगर तू नेहा को शादी के लिए राज़ी कर ले तो मैं तू कहेगा वह करने को तैयार है. वह लड़की अब भी तुझे घास नही डालती. इतनी सुंदर है, मुझे बहुत इच्छ है कि वह मेरी बहू बन जाए. माना तुझसे उमर मे काफ़ी बड़ी है पर तुझे ऐसी ही बहू चाहिए जो तुझे काबू मे रखे, तू बहुत शैतान हो गया है"
उसने एक बार शोभा से कहा भी "अरी शोभा, यह लड़का मानता ही नही, मेरी गांद के पीछे लगा है. मैने तो शर्त देकर चुप करा दिया कि नेहा शादी को मानेगी तब मराऊंगी. वैसे शोभा, दुखाता है ना बहुत? मुझे बड़ा डर लगता है"
शोभा बोली "हां, दुखता तो है पर उसमे एक अजीब सा आनंद भी है. तेरा ही तो बेटा है. उसका वह जवान सख़्त लंड गान्ड मे लेकर तुझे मज़ा भी आएगा. पर उसे इसी तरह टरकाती रहा. उसकी इस इच्छ का उपयोग ट्रंप कार्ड जैसा कर.
वैसे ही वह गान्ड का दीवाना है, ऊपर से अपनी मा की गान्ड! तुझे अंदाज़ा नही है कि अपनी मा की गान्ड मारने की इच्छा कितना सताती है दर्शन को, वह तो तेरा गुलाम हो जाएगा. उससे कुछ भी करा ले. अपनी सब इच्छाये उससे मनवा ले."
अब तक नेहा और दर्शन को अच्छि तरह से पता चल गया था कि उनकी माओं की इच्छा है कि वे शादी के लिए तैयार हो जाएँ. दर्शन तो एकदम तैयार था, नेहा ही मुकर रही थी. ठीक से ना भी नही कहती और हां भी नही कहती.
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