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कहीं वो सब सपना तो नही complete
- 007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
माँ ने एक ही बार मे पूरा लंड घुसा दिया ऑर अलका की अहह निकल गई,,,,
बोल अलका देगी मेरा साथ,,,,फिर इस नकली लंड की ज़रूरत नही पड़ेगी ना तुझे ऑर ना मुझे,,,,ओर ना ही तुझे बैगन की ज़रूरत
महसूस होगी कभी,,,,,क्या बोलती है ,,,माँ साथ साथ बात कर रही थी ऑर साथ साथ लंड पेल रही थी अलका की चूत मे,,,लेकिन
अब तक माँ के हाथ की स्पीलड तेज हो गई थी,,,,
बोल अलका देगी मेरा साथ कि नही,,,सोच ज़रा 10 इंच का लंड किस्मत वाली औरत को नशीब होता है,,,,
तभी अलका मस्ती मे आहें भरती हुई बोल पड़ी,,,,,,अहंंननणणन् हहानं दडिईडीी मैईन दुउन्न्गी आपका सथ्ह्ह लीकिन्न
ये साब हूओगा क्काईससी ,,,,
वो चिंता तू मेरे पर छोड़ दे,,,मैं चाहू तो आज ही करण को मना सकती हूँ लेकिन तुझे भी सन्नी को मनाना होगा,,
लीक्किन्न्न कय्या वू ल्लूग्ग हहूऊम्मार्रीई बाआत मान्नेग्गी,,,,,,,,,,,
करण तेरी ऑर सन्नी मेरी बात नही मान सकता ,,लेकिन करण मेरी ऑर सन्नी तेरी बात ज़रूर मान सकता है आख़िर वो जवान
लड़के है अब तो मूठ भी मारने लगे है गंदी मूवीस देख कर,,,बस तू मेरा साथ दे तो कुछ भी हो सकता है,,,
बोल देगी मेरा साथ,,,,
हान्ं द्दुउन्नगगीइ आपका सात्तह मायन्न म्मूउजझी बहीी 10 इन्नकचछ का ल्लुउन्ड्ड़ च्चहहियईी आहह
उसके बाद माँ ने दोबारा से अलका आंटी को खुश करना शुरू कर दिया,,,ऑर फिर अलका से अपनी चूत मे लंड
पेलवाया,,,,वो लोग रूम मे करीब 4 घंटे तक रहे ऑर इस दौरान अलका आंटी की चूत से 6-7 बार पानी निकाला माँ ने,,
ऑर यहाँ बाहर खड़े मैने भी 2 -3 बार मूठ मार ली अंदर माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर,,,,,,
माँ ऑर आंटी करीब 4-5 घंटे तक रूम मे रहे ऑर माँ ने आंटी की चूत से कम से कम 5-6 बार पानी निकाला ऑर आंटी
ने भी माँ की चूत से 2-3 बार पानी निकाला,ऑर यहाँ बाहर खड़ा मैं माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर 3 बार मूठ
मार चुका था ऑर सारा पानी दरवाजे पर छोड़ दिया था,,,,
जब मा ओर आंटी फ्रेश होके कपड़े पहनने लगी तो मैं भी जल्दी से किचन मे गये ओर एक कपड़े से मा के रूम के
दरजाए को अची तरह सॉफ कर दिया जॅन मेरा स्पर्म लगा हुआ था फिर उन दोनो के रूम से निकलने से पहले ही मैं उपर
अपने रूम मे चला गया,,,,
मुझे पता था अब ये लोग रूम से निकलने वाले है क्यूकी कॉलेज से छुट्टी का टाइम हो गया था सोनिया कभी भी आ सकती
थी ऑर करण ने भी तो आना था अपनी माँ को लेने,,,,,खैर मैं बेड पर लेटा हुआ सोचने लगा कि माँ ने आंटी को मामा भी
लिया है ऑर आंटी भी मेरा लंड लेने को राज़ी हो गई है तो फिर माँ ने मुझे रूम मे क्यूँ नही बुलाया ,,आंटी तो तैयार
थी मैं आज ही उनकी मस्त गान्ड ऑर चूत मार सकता था,,,पता नही माँ ने ऐसा क्यू किया ,,क्या प्लान चल रहा है माँ
के दिमाग़ मे,,,,,चलो जो भी हो एक बात तो पक्का है कि आंटी मेरे से चुदने को तैयार हो गई है ऑर उनको कोई परेशानी
नही अगर करण मेरी माँ को चोदेगा,,,लेकिन अब आगे क्या होगा,,,,कैसे आंटी मेरे हाथ आएगी,,,
मैं अभी सब कुछ सोच ही रहा था कि मेरे रूम का दरवाजा खुला ऑर माँ अंदर आ गई,,,,
क्या कर रह है मेरा राजा बेटा,,,,माँ ने अंदर आके मेरे बेड पर बैठकर मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोला,,,,
मर गया राजा बेटा,,,अकेले अकेले मस्ती करली माँ आपने आंटी के साथ मुझे क्यू नही बुलाया,,,,मैं कितन तड़प्ता रहा
बाहर दरवाजे पर खड़ा होके,,
जानती हूँ तू दरवाजे पर खड़ा था ऑर सब देख रहा था फिर तो तूने सब सुना भी होगा,,,,,माँ ने हस्ते हुए बोला,,
हाँ माँ सब सुना मैने,,आंटी तो तैयार है मेरा लंड लेने के लिए तो अपने मुझे बुलाया क्यू नही,,,
अरे बेटा औरत को तरसाके ऑर तड़पके चोदने मे जो मज़ा आता है उसकी बात की कुछ अलग होगी है,,,आंटी तैयार है लेकिन एक
दम से सब कुछ करना ठीक नही ,,जल्दबाज़ी से हमेशा काम खराब होता है,,,,ऑर वैसे भी ये चुदाई एक खेल होता है
इसमे थोड़ा मनोरंजन के साथ साथ थोड़ा तड़पाना ऑर तरसाना भी ज़रूरी है,,देख अब मैने कैसे आंटी को मना
लिया क्यूकी मैं जानती थी कि करण के पापा को बाहर देख गये काफ़ी टाइम हो गया है ऑर अलका लंड के लिए प्यासी होगी वो तरस
रही होगी किसी के साथ मस्ती करने के लिए लेकिन डर भी रही होगी,,,,तभी तो मैने उसको मना लिया ऑर अपने साथ मस्ती करने
के लिए राज़ी कर लिया ,,तूने देखा ना वो पहले नही मान रही थी लेकिन फिर जो आग उसके अंदर लगी हुई थी जिसको मैने कुछ ज़्यादा
ही भड़का दिया था उसी आग की गर्मी मे मजबूर होके वो मेरे साथ सब कुछ करने के लिए तैयार हो गई,,,अब वैसे ही तुझे भी
उसको तरसाकर तडपा कर ऑर प्यार से मना कर चोदना है,,,,,समझ गया ना,,,,,
मैने माँ की बात सुनी ऑर हां मे सर हिला दिया,,,,
ऑर वैसे भी तू खुद जितना तडपेगा उतनी ही दमदार चुदाई करेगा उसकी टाइम आने पर,,,,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी
चल अब उठ जा तेरी महबूबा नीचे तेरा वेट कर रही है ,,करण तो अभी तक आया नही वो कहती है कि तू उसको घर
छोड़के आए,,,जल्दी से तैयार होके नीचे आजा ऑर कुछ देर मस्ती करके अपनी महबूबा के साथ,,,,माँ हस्ती हुई ये सब बोलकर
मेरे सर पे हल्का हाथ मार कर नीचे चली गई,,,,,
मैं भी जल्दी उठा ऑर तैयार हो गया क्यूकी मुझे बड़ी जल्दी थी उसके साथ जाने की,,,उसको अपनी बाइक पर लेके जाने की,,,आज तो
पूरे रास्ते ब्रेक मारता मारता जाउन्गा ऑर मज़े लूँगा उसके बूब्स के जब वो मेरी पीठ पर दब जाएँगे,,,,मैं सोच-2
कर खुश होता हुआ जल्दी से तैयार होके नीचे चला गया,,,,,
माँ ऑर आंटी सोफे पर बैठ कर बातें कर रही थी ,,,तभी आंटी का ध्यान मेरी तरफ आया आज आंटी के मुझे देखने
का नज़रिया ही बदल गया था,,जैसे कभी मैं नज़रो नज़रो मे आंटी को घूर घूर कर खाने की कोशिश करता था आज
आंटी भी मुझे वैसे ही नज़रो नज़रो मे पूरा का पूरा निगल रही थी,,,,
माँ,,,,,आ गया मेरा बेटा,,,अब तबीयत कैसी है,,,,,
मैं,,,,,ठीक हूँ माँ,,,,पहले से बेहतर हूँ,,,
अलका,,,,,अगर तबीयत ठीक नही है बेटा तो बोल दो मैं टॅक्सी मे चली जाती हूँ,,,
मैने दिल ही दिल मे सोचा तेरे जैसी सेक्सी को टेक्शी मे कैसे जाने दे सकता हूँ तुझे तो आज मैं अपने साथ ही लेके जाउन्गा
अपनी बाइक पर,,,,
जी आंटी मैं ठीक हूँ,,,आप टेन्षन मत लो,,,,
तभी आंटी ने माँ को बाइ बोला ओर सोफे से उठकर खड़ी हो गई,,,,
अच्छा तो दीदी मैं चलती हूँ,,,
माँ ने भी उसके बाइ बोला ऑर हम लोग दरवाजे की तरफ बढ़ने ही लगे थे कि बाहर बेल बजी,,,माँ सबसे आगे चल रही थी तो
माँ ने जाके दरवाजा खोल दिया,,,,साला जिसका डर था वही हुआ,,,आ गया कमीना करण,,,,,
करण को देख कर मैं तो उदास हो गया लेकिन मेरे से ज़्यादा उदास हो गई थी अलका आंटी,,,,क्यूकी वो अब मेरे साथ नही
जा सकती थी,,,,
माँ,,,,,,,,,,,,,,अरे बेटा तू लेट क्यू हो गया,,,,,
करण,,,,रास्ते मे थोड़ा काम था आंटी जी इसलिए लेट हो गया,,,,,,तो आप रेडी हो जाने के लिए माँ,,,,इतना बोलकर करण अलका
के पास आ गया,,,
अरे माँ आपने सुबह तो कोई ओर साड़ी पहनी हुई थी ,,,अब ये किसकी साड़ी पहन ली,,,,
बोल अलका देगी मेरा साथ,,,,फिर इस नकली लंड की ज़रूरत नही पड़ेगी ना तुझे ऑर ना मुझे,,,,ओर ना ही तुझे बैगन की ज़रूरत
महसूस होगी कभी,,,,,क्या बोलती है ,,,माँ साथ साथ बात कर रही थी ऑर साथ साथ लंड पेल रही थी अलका की चूत मे,,,लेकिन
अब तक माँ के हाथ की स्पीलड तेज हो गई थी,,,,
बोल अलका देगी मेरा साथ कि नही,,,सोच ज़रा 10 इंच का लंड किस्मत वाली औरत को नशीब होता है,,,,
तभी अलका मस्ती मे आहें भरती हुई बोल पड़ी,,,,,,अहंंननणणन् हहानं दडिईडीी मैईन दुउन्न्गी आपका सथ्ह्ह लीकिन्न
ये साब हूओगा क्काईससी ,,,,
वो चिंता तू मेरे पर छोड़ दे,,,मैं चाहू तो आज ही करण को मना सकती हूँ लेकिन तुझे भी सन्नी को मनाना होगा,,
लीक्किन्न्न कय्या वू ल्लूग्ग हहूऊम्मार्रीई बाआत मान्नेग्गी,,,,,,,,,,,
करण तेरी ऑर सन्नी मेरी बात नही मान सकता ,,लेकिन करण मेरी ऑर सन्नी तेरी बात ज़रूर मान सकता है आख़िर वो जवान
लड़के है अब तो मूठ भी मारने लगे है गंदी मूवीस देख कर,,,बस तू मेरा साथ दे तो कुछ भी हो सकता है,,,
बोल देगी मेरा साथ,,,,
हान्ं द्दुउन्नगगीइ आपका सात्तह मायन्न म्मूउजझी बहीी 10 इन्नकचछ का ल्लुउन्ड्ड़ च्चहहियईी आहह
उसके बाद माँ ने दोबारा से अलका आंटी को खुश करना शुरू कर दिया,,,ऑर फिर अलका से अपनी चूत मे लंड
पेलवाया,,,,वो लोग रूम मे करीब 4 घंटे तक रहे ऑर इस दौरान अलका आंटी की चूत से 6-7 बार पानी निकाला माँ ने,,
ऑर यहाँ बाहर खड़े मैने भी 2 -3 बार मूठ मार ली अंदर माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर,,,,,,
माँ ऑर आंटी करीब 4-5 घंटे तक रूम मे रहे ऑर माँ ने आंटी की चूत से कम से कम 5-6 बार पानी निकाला ऑर आंटी
ने भी माँ की चूत से 2-3 बार पानी निकाला,ऑर यहाँ बाहर खड़ा मैं माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर 3 बार मूठ
मार चुका था ऑर सारा पानी दरवाजे पर छोड़ दिया था,,,,
जब मा ओर आंटी फ्रेश होके कपड़े पहनने लगी तो मैं भी जल्दी से किचन मे गये ओर एक कपड़े से मा के रूम के
दरजाए को अची तरह सॉफ कर दिया जॅन मेरा स्पर्म लगा हुआ था फिर उन दोनो के रूम से निकलने से पहले ही मैं उपर
अपने रूम मे चला गया,,,,
मुझे पता था अब ये लोग रूम से निकलने वाले है क्यूकी कॉलेज से छुट्टी का टाइम हो गया था सोनिया कभी भी आ सकती
थी ऑर करण ने भी तो आना था अपनी माँ को लेने,,,,,खैर मैं बेड पर लेटा हुआ सोचने लगा कि माँ ने आंटी को मामा भी
लिया है ऑर आंटी भी मेरा लंड लेने को राज़ी हो गई है तो फिर माँ ने मुझे रूम मे क्यूँ नही बुलाया ,,आंटी तो तैयार
थी मैं आज ही उनकी मस्त गान्ड ऑर चूत मार सकता था,,,पता नही माँ ने ऐसा क्यू किया ,,क्या प्लान चल रहा है माँ
के दिमाग़ मे,,,,,चलो जो भी हो एक बात तो पक्का है कि आंटी मेरे से चुदने को तैयार हो गई है ऑर उनको कोई परेशानी
नही अगर करण मेरी माँ को चोदेगा,,,लेकिन अब आगे क्या होगा,,,,कैसे आंटी मेरे हाथ आएगी,,,
मैं अभी सब कुछ सोच ही रहा था कि मेरे रूम का दरवाजा खुला ऑर माँ अंदर आ गई,,,,
क्या कर रह है मेरा राजा बेटा,,,,माँ ने अंदर आके मेरे बेड पर बैठकर मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोला,,,,
मर गया राजा बेटा,,,अकेले अकेले मस्ती करली माँ आपने आंटी के साथ मुझे क्यू नही बुलाया,,,,मैं कितन तड़प्ता रहा
बाहर दरवाजे पर खड़ा होके,,
जानती हूँ तू दरवाजे पर खड़ा था ऑर सब देख रहा था फिर तो तूने सब सुना भी होगा,,,,,माँ ने हस्ते हुए बोला,,
हाँ माँ सब सुना मैने,,आंटी तो तैयार है मेरा लंड लेने के लिए तो अपने मुझे बुलाया क्यू नही,,,
अरे बेटा औरत को तरसाके ऑर तड़पके चोदने मे जो मज़ा आता है उसकी बात की कुछ अलग होगी है,,,आंटी तैयार है लेकिन एक
दम से सब कुछ करना ठीक नही ,,जल्दबाज़ी से हमेशा काम खराब होता है,,,,ऑर वैसे भी ये चुदाई एक खेल होता है
इसमे थोड़ा मनोरंजन के साथ साथ थोड़ा तड़पाना ऑर तरसाना भी ज़रूरी है,,देख अब मैने कैसे आंटी को मना
लिया क्यूकी मैं जानती थी कि करण के पापा को बाहर देख गये काफ़ी टाइम हो गया है ऑर अलका लंड के लिए प्यासी होगी वो तरस
रही होगी किसी के साथ मस्ती करने के लिए लेकिन डर भी रही होगी,,,,तभी तो मैने उसको मना लिया ऑर अपने साथ मस्ती करने
के लिए राज़ी कर लिया ,,तूने देखा ना वो पहले नही मान रही थी लेकिन फिर जो आग उसके अंदर लगी हुई थी जिसको मैने कुछ ज़्यादा
ही भड़का दिया था उसी आग की गर्मी मे मजबूर होके वो मेरे साथ सब कुछ करने के लिए तैयार हो गई,,,अब वैसे ही तुझे भी
उसको तरसाकर तडपा कर ऑर प्यार से मना कर चोदना है,,,,,समझ गया ना,,,,,
मैने माँ की बात सुनी ऑर हां मे सर हिला दिया,,,,
ऑर वैसे भी तू खुद जितना तडपेगा उतनी ही दमदार चुदाई करेगा उसकी टाइम आने पर,,,,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी
चल अब उठ जा तेरी महबूबा नीचे तेरा वेट कर रही है ,,करण तो अभी तक आया नही वो कहती है कि तू उसको घर
छोड़के आए,,,जल्दी से तैयार होके नीचे आजा ऑर कुछ देर मस्ती करके अपनी महबूबा के साथ,,,,माँ हस्ती हुई ये सब बोलकर
मेरे सर पे हल्का हाथ मार कर नीचे चली गई,,,,,
मैं भी जल्दी उठा ऑर तैयार हो गया क्यूकी मुझे बड़ी जल्दी थी उसके साथ जाने की,,,उसको अपनी बाइक पर लेके जाने की,,,आज तो
पूरे रास्ते ब्रेक मारता मारता जाउन्गा ऑर मज़े लूँगा उसके बूब्स के जब वो मेरी पीठ पर दब जाएँगे,,,,मैं सोच-2
कर खुश होता हुआ जल्दी से तैयार होके नीचे चला गया,,,,,
माँ ऑर आंटी सोफे पर बैठ कर बातें कर रही थी ,,,तभी आंटी का ध्यान मेरी तरफ आया आज आंटी के मुझे देखने
का नज़रिया ही बदल गया था,,जैसे कभी मैं नज़रो नज़रो मे आंटी को घूर घूर कर खाने की कोशिश करता था आज
आंटी भी मुझे वैसे ही नज़रो नज़रो मे पूरा का पूरा निगल रही थी,,,,
माँ,,,,,आ गया मेरा बेटा,,,अब तबीयत कैसी है,,,,,
मैं,,,,,ठीक हूँ माँ,,,,पहले से बेहतर हूँ,,,
अलका,,,,,अगर तबीयत ठीक नही है बेटा तो बोल दो मैं टॅक्सी मे चली जाती हूँ,,,
मैने दिल ही दिल मे सोचा तेरे जैसी सेक्सी को टेक्शी मे कैसे जाने दे सकता हूँ तुझे तो आज मैं अपने साथ ही लेके जाउन्गा
अपनी बाइक पर,,,,
जी आंटी मैं ठीक हूँ,,,आप टेन्षन मत लो,,,,
तभी आंटी ने माँ को बाइ बोला ओर सोफे से उठकर खड़ी हो गई,,,,
अच्छा तो दीदी मैं चलती हूँ,,,
माँ ने भी उसके बाइ बोला ऑर हम लोग दरवाजे की तरफ बढ़ने ही लगे थे कि बाहर बेल बजी,,,माँ सबसे आगे चल रही थी तो
माँ ने जाके दरवाजा खोल दिया,,,,साला जिसका डर था वही हुआ,,,आ गया कमीना करण,,,,,
करण को देख कर मैं तो उदास हो गया लेकिन मेरे से ज़्यादा उदास हो गई थी अलका आंटी,,,,क्यूकी वो अब मेरे साथ नही
जा सकती थी,,,,
माँ,,,,,,,,,,,,,,अरे बेटा तू लेट क्यू हो गया,,,,,
करण,,,,रास्ते मे थोड़ा काम था आंटी जी इसलिए लेट हो गया,,,,,,तो आप रेडी हो जाने के लिए माँ,,,,इतना बोलकर करण अलका
के पास आ गया,,,
अरे माँ आपने सुबह तो कोई ओर साड़ी पहनी हुई थी ,,,अब ये किसकी साड़ी पहन ली,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
आंटी करण की बात सुनके चुप हो गई ऑर माँ की तरफ देखने लगी,,,आंटी को कोई जवाब नही सूझ रहा था,,,
तभी माँ बोल पड़ी,,,,बेटा मेरी ग़लती से अलका की साड़ी पर जूस गिर गया था ,,इसलिए इसकी साड़ी को मैने धो कर सूखने
डाल दिया ऑर इसको अपनी साड़ी पहना दी,,,,माँ बात कर रही थी तो करण माँ की तरफ देख रहा था तो माँ ने उसको आँख
मार दी थी,,,,करण समझ गया कि उसकी माँ अभी आज मेरी माँ के साथ मस्ती कर चुकी है,,,वो खुश हो गया
अब चले माँ,,,,इतना बोलकर वो अलका आंटी को साथ लेके बाहर जाने लगा तभी सामने सोनिया आ गई,,,,
दरवाजा अभी खुला हुआ था,,,सोनिया अंदर आते हुए,,,,,हेलो आंटी,,,
अलका,,,,हेलो बेटी ,,हाउ आर यू,,,
सोनिया,,,आइम फाइन आंटी जी ,,,यू टेल,,,,
अलका,,,,आइम ऑल्सो फाइन बेटी,,,,,आज तुम भी लेट हो गई कॉलेज से,,,
सोनिया,,,,जी आंटी जी वो कविता के घर थोड़ा टाइम लग गया,,,,,आप जा रही हो आंटी जी,,,
अलका,,,,हाँ बेटी मैं तो सुबह से आई हुई हूँ अब जा रही हूँ,,,
सोनिया,,,,,ये तो ग़लत बात है आंटी जी मैं आई ऑर आप जा रही हो,,थोड़ी देर रुक जाओ ना,,,
अलका,,,,नही बेटी अब काफ़ी टाइम हो गया है,,फिर कभी आउन्गी,,,,,ऑर हो सके तो तुम भी कभी आ जाना चाइ कॉफी पीने,,
सोनिया,,,,,जी आंटी पक्का आउन्गी ,,ओके बाइ आंटी जी,
अलका आंटी दरवाजे से बाहर चली गई जबकि करण दरवाजे पर ही खड़ा हुआ था ,,उसने सोनिया को ही बोला लेकिन सोनिया ने कोई जवाब नही दिया ,,,करण चुप चाप घर से बाहर अपनी माँ मे पास चला गया ऑर बाइक स्टार्ट करके माँ के साथ अपने
घर की तरफ चल दिया,,,,
हरम्जादा ,,कुत्ता ,कमीना,,,,सोनिया गुस्से से बोलती हुई घर के अंदर चली आई,,
अरे अरे आराम से बेटी ,,ये किसको गलियाँ दे रही हो ऑर क्यूँ,,,,
माँ मैं वूऊओ सोनिया बोलने ही लगी तभी उसका ध्यान मेरी तरफ आ गया,,,,,,,,,,,,उसने जल्दी ही बात पलट दी,,,,,माँ वो रास्ते
मे एक लड़का बत्त्मीजी कर रहा था उसी को गालियाँ दे रही थी,,,,,
अरे बेटी राह चलते लोफेर टाइप के लड़के बदतमीज़ी करते ही रहते है तू टेन्षन मत लिया कर,,,,,चल अब गुस्सा थूक दे
मेरे साथ कोई बदतमीज़ी करके तो देखे माँ मैं उसका सर फोड़ दूँगी,,,,ये बात बोलते हुए भी सोनिया मेरी तरफ देख रही
थी,,मेरी तो साँसे ही अटक गई ,,साला ऐसा लग रहा था जैसे अभी कोई पत्थर उठा कर मार देगी मेरे सर पे,,,,
छोड़ो इन बातों को माँ,,,बोलो खाने मे क्या बनाया है,,,,,
अभी तो कुछ नही बना मेरी बेटी पर तू बोल तुझे क्या खाना है मैं अभी बना देती हूँ 5 मिनिट मे,,,,
कुछ भी बना दो माँ बहुत भूख लगी है तब तक मैं फ्रेश होके आई,,,,सोनिया उपर चली गई ऑर जाते हुए एक बार फिर से
मुझे पूरे गुस्से से घूर कर गई,,,,
मैं समझ गया था की सोनिया करण को गालियाँ दे रही थी तभी तो उसने करण के हाई का रिप्लाइ भी नही किया था,,,,,,मेरी
तो गान्ड फटी हुई थी कहीं सोनिया ने अलका आंटी को रोक लिया ऑर सब बता दिया करण ऑर शिखा के बारे मे तो आज तो करण
ऑर शिखा गये काम से ऑर अलका भी गई मेरे हाथ से,,लेकिन अलका आंटी नही रुकी ऑर सोनिया ने उनको रोका भी नही,,,
आज का दिन भी बोर रहा ऑर रात भी ,,कुछ भी नही हुआ ,,,,ना तो दिन मे किसी की चूत मिली ओर ना रात को,,,बस 2-3 बार
मूठ ज़रूर मारी थी माँ ऑर अलका आंटी को देख कर,,,,,
नेक्स्ट डे जब मैं ड्रॉयिंग रूम से निकल कर अपने रूम की तरफ गया तो देखा रूम का दरवाजा खुला हुआ था सोनिया नही
थी रूम मे मैं जल्दी से बाथरूम मे गया ऑर फ्रेश होके नीचे आ गया ,,,,नीचे मुझे किसी के हँसने की आवाज़ आ रही थी,,
जब नीचे आया तो देखा कि सोनिया ऑर कविता सोफे पर बैठी हुई थी साथ मे मां हही थी,,,,सोनिया ऑर कविता आज काफ़ी चेंज लग
रही थी दोनो अच्छी तरह से तैयार हुई थी जैसे किसी शादी मे जा रही थी,,,,,
मुझे देख कर कविता ने मुझे हाई बोला,,,,
हाई सन्नी,,,,,
हेलो कविता,,,,,,तभी माँ सोफे से उठी ,,,,तेरा नाश्ता डाइनिंग टेबल पर पड़ा है बेटा ,,,
ठीक मैं माँ,इतना बोलकर मैं डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ा तभी माँ अपने रूम मे चली गई,,मैं बैठ कर नाश्ता
करने लगा,,,,
आज तुम तैयार होके कहीं जा रही हो क्या कविता,,,,,मैने डाइनिंग टेबल से ही कविता को आवाज़ लगा कर पूछा,,,
हाँ सन्नी,,,,आज हम दोनो मूवीस देखने जा रहे है,,,,,
मूवी तो सुना था लेकिन मूवीस,,,एक साथ 4 मूवीस देखोगी क्या,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा,,,
हाँ सन्नी,,,आज हम सुबह से शाम तक मूवीस देखेंगे ,,काफ़ी टाइम से हम लोग मूवीस देखने नही गई,,,आज पहले
मॉर्निंग शो फिर नून टाइम मे भी मूवी फिर ईव्निंग शो देख कर ही घर वापिस आएँगी,,,,,तूने चलना है तो
तू भी चल हमारे साथ,,,,,
थन्क्ष्क्ष कविता लेकिन मैं नही आ सकता मेरे आने से किसी का दिन खराब हो जाएगा ऑर शायद मूड भी,,,,,तुम जाओ ऑर एंजाय
करो,,,,,
कविता मेरी बात सुनके हँसने लगी क्यूकी वो समझ गई थी मैं सोनिया की बात कर रहा हूँ,,,लेकिन सोनिया मुझे वैसे ही गुस्से
से घूर रही थी,,,,
चल उठ कविता चले टाइम काफ़ी हो गया है ऑर वैसे भी इस से पहले की कोई साथ चलने को तैयार हो जाए हमे अब चलना
चाहिए,,,सोनिया गुस्से से उठी ओर कविता को भी हाथ से पकड़कर अपने साथ बाहर की तरफ ले गई,,,कविता सोनिया के साथ तो
जा रही थी लेकिन मेरी तरफ अजीब नज़रो से देख रही थी,,,,उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी लेकिन आँखों मे क्या था मैं
समझ नही सका,,,,
सोनिया ऑर कविता वहाँ से चली गई,,,
मैं नाश्ता करने लगा ऑर थोड़ी देर मे माँ अपने रूम से तैयार होके बाहर आ गई,,,,
माँ आज आप भी मूवी देखने जा रही हो क्या,,,,मैने हँसते हुए माँ से पूछा,,,,,
नही बेटा मुझे कॉन लेके जाएगा मूवी के लिए मुझे तो अलका के घर जाना है,,,माँ ने हँसते हुए बोला,,,
मैं समझ गया कि माँ आज फिर मस्ती के मूड मे है ,,,,आज फिर माँ ऑर अलका आंटी की मस्ती होगी लेकिन आज वो सब होगा
करण के घर मे,,,,
चल तेरा नाश्ता हो गया तो कॉलेज जाते टाइम मुझे करण के घर ड्रॉप कर देना,,,,,
ठीक है माँ नाश्ता तो करने दो पहले या इतनी आग लगी हुई है,,,,,,
आग तो लगी हुई है बेटा लेकिन मेरे नही अलका की चूत मे,,,,
अच्छा माँ शोबा दीदी कहाँ है फिर गई क्या मामा को लेके बुटीक पर,,,,
नही बेटा वो अपने रूम मे है ऑर मामा गया है बुटीक पर शिखा को लेके ,,,आज उन लोगो का प्रोग्राम घर पर होगा,,
साला मेरा दिल तो किया घर पर ही रुक जाऊ ऑर मामा शोबा ऑर शिखा के साथ मस्ती करू क्यूकी करण के घर जाके माँ ऑर
अलका आंटी के साथ तो अभी मस्ती नही कर सकता था,,,,,
तभी माँ बोली जल्दी कर ना नाश्ता कितना टाइम लगाता है तू,,,
लो कर लिया नाश्ता ,,अब मैं उपर जाके अपना बॅग लेके आता हूँ आप चलो बाहर,,,क्यूकी आपको ज़्यादा जल्दी है ना,,,मैने
हँसते हुए माँ को बोला ऑर उपर अपना बॅग लेने चला गया,,,,
अभी रूम से बाहर ही आ रहा था तभी मोबाइल पर मेसेज आया,,,देखा तो मेसेज कामिनी भाभी का था,,,,जल्दी घर बुलाया
था भाभी ने,,,,
मैं दिल ही दिल मे खुश हो गया ऑर शुक्रिया अदा करने लगा उपर वाले का उसने मेरी भी सुन ली ,,सब लोग मस्ती करने वाले
थे ऑर एक मैं ही था जिसको बोर होना पड़ना था,,,लेकिन अब कामिनी भाभी ने बुलाया था तो आज मैं भी फुल डे मस्ती
करने वाला था,,,,तभी मेरे दिमाग़ मे कुछ आइडिया आया ऑर मैने भुआ के ड्रॉयिंग रूम से एक स्ट्रॅप-ऑन उठाकर अपने
बॅग मे डाल लिया ऑर वहाँ से नीचे आ गया फिर माँ को साथ लेके घर से निकल पड़ा,,,,
तभी माँ बोल पड़ी,,,,बेटा मेरी ग़लती से अलका की साड़ी पर जूस गिर गया था ,,इसलिए इसकी साड़ी को मैने धो कर सूखने
डाल दिया ऑर इसको अपनी साड़ी पहना दी,,,,माँ बात कर रही थी तो करण माँ की तरफ देख रहा था तो माँ ने उसको आँख
मार दी थी,,,,करण समझ गया कि उसकी माँ अभी आज मेरी माँ के साथ मस्ती कर चुकी है,,,वो खुश हो गया
अब चले माँ,,,,इतना बोलकर वो अलका आंटी को साथ लेके बाहर जाने लगा तभी सामने सोनिया आ गई,,,,
दरवाजा अभी खुला हुआ था,,,सोनिया अंदर आते हुए,,,,,हेलो आंटी,,,
अलका,,,,हेलो बेटी ,,हाउ आर यू,,,
सोनिया,,,आइम फाइन आंटी जी ,,,यू टेल,,,,
अलका,,,,आइम ऑल्सो फाइन बेटी,,,,,आज तुम भी लेट हो गई कॉलेज से,,,
सोनिया,,,,जी आंटी जी वो कविता के घर थोड़ा टाइम लग गया,,,,,आप जा रही हो आंटी जी,,,
अलका,,,,हाँ बेटी मैं तो सुबह से आई हुई हूँ अब जा रही हूँ,,,
सोनिया,,,,,ये तो ग़लत बात है आंटी जी मैं आई ऑर आप जा रही हो,,थोड़ी देर रुक जाओ ना,,,
अलका,,,,नही बेटी अब काफ़ी टाइम हो गया है,,फिर कभी आउन्गी,,,,,ऑर हो सके तो तुम भी कभी आ जाना चाइ कॉफी पीने,,
सोनिया,,,,,जी आंटी पक्का आउन्गी ,,ओके बाइ आंटी जी,
अलका आंटी दरवाजे से बाहर चली गई जबकि करण दरवाजे पर ही खड़ा हुआ था ,,उसने सोनिया को ही बोला लेकिन सोनिया ने कोई जवाब नही दिया ,,,करण चुप चाप घर से बाहर अपनी माँ मे पास चला गया ऑर बाइक स्टार्ट करके माँ के साथ अपने
घर की तरफ चल दिया,,,,
हरम्जादा ,,कुत्ता ,कमीना,,,,सोनिया गुस्से से बोलती हुई घर के अंदर चली आई,,
अरे अरे आराम से बेटी ,,ये किसको गलियाँ दे रही हो ऑर क्यूँ,,,,
माँ मैं वूऊओ सोनिया बोलने ही लगी तभी उसका ध्यान मेरी तरफ आ गया,,,,,,,,,,,,उसने जल्दी ही बात पलट दी,,,,,माँ वो रास्ते
मे एक लड़का बत्त्मीजी कर रहा था उसी को गालियाँ दे रही थी,,,,,
अरे बेटी राह चलते लोफेर टाइप के लड़के बदतमीज़ी करते ही रहते है तू टेन्षन मत लिया कर,,,,,चल अब गुस्सा थूक दे
मेरे साथ कोई बदतमीज़ी करके तो देखे माँ मैं उसका सर फोड़ दूँगी,,,,ये बात बोलते हुए भी सोनिया मेरी तरफ देख रही
थी,,मेरी तो साँसे ही अटक गई ,,साला ऐसा लग रहा था जैसे अभी कोई पत्थर उठा कर मार देगी मेरे सर पे,,,,
छोड़ो इन बातों को माँ,,,बोलो खाने मे क्या बनाया है,,,,,
अभी तो कुछ नही बना मेरी बेटी पर तू बोल तुझे क्या खाना है मैं अभी बना देती हूँ 5 मिनिट मे,,,,
कुछ भी बना दो माँ बहुत भूख लगी है तब तक मैं फ्रेश होके आई,,,,सोनिया उपर चली गई ऑर जाते हुए एक बार फिर से
मुझे पूरे गुस्से से घूर कर गई,,,,
मैं समझ गया था की सोनिया करण को गालियाँ दे रही थी तभी तो उसने करण के हाई का रिप्लाइ भी नही किया था,,,,,,मेरी
तो गान्ड फटी हुई थी कहीं सोनिया ने अलका आंटी को रोक लिया ऑर सब बता दिया करण ऑर शिखा के बारे मे तो आज तो करण
ऑर शिखा गये काम से ऑर अलका भी गई मेरे हाथ से,,लेकिन अलका आंटी नही रुकी ऑर सोनिया ने उनको रोका भी नही,,,
आज का दिन भी बोर रहा ऑर रात भी ,,कुछ भी नही हुआ ,,,,ना तो दिन मे किसी की चूत मिली ओर ना रात को,,,बस 2-3 बार
मूठ ज़रूर मारी थी माँ ऑर अलका आंटी को देख कर,,,,,
नेक्स्ट डे जब मैं ड्रॉयिंग रूम से निकल कर अपने रूम की तरफ गया तो देखा रूम का दरवाजा खुला हुआ था सोनिया नही
थी रूम मे मैं जल्दी से बाथरूम मे गया ऑर फ्रेश होके नीचे आ गया ,,,,नीचे मुझे किसी के हँसने की आवाज़ आ रही थी,,
जब नीचे आया तो देखा कि सोनिया ऑर कविता सोफे पर बैठी हुई थी साथ मे मां हही थी,,,,सोनिया ऑर कविता आज काफ़ी चेंज लग
रही थी दोनो अच्छी तरह से तैयार हुई थी जैसे किसी शादी मे जा रही थी,,,,,
मुझे देख कर कविता ने मुझे हाई बोला,,,,
हाई सन्नी,,,,,
हेलो कविता,,,,,,तभी माँ सोफे से उठी ,,,,तेरा नाश्ता डाइनिंग टेबल पर पड़ा है बेटा ,,,
ठीक मैं माँ,इतना बोलकर मैं डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ा तभी माँ अपने रूम मे चली गई,,मैं बैठ कर नाश्ता
करने लगा,,,,
आज तुम तैयार होके कहीं जा रही हो क्या कविता,,,,,मैने डाइनिंग टेबल से ही कविता को आवाज़ लगा कर पूछा,,,
हाँ सन्नी,,,,आज हम दोनो मूवीस देखने जा रहे है,,,,,
मूवी तो सुना था लेकिन मूवीस,,,एक साथ 4 मूवीस देखोगी क्या,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा,,,
हाँ सन्नी,,,आज हम सुबह से शाम तक मूवीस देखेंगे ,,काफ़ी टाइम से हम लोग मूवीस देखने नही गई,,,आज पहले
मॉर्निंग शो फिर नून टाइम मे भी मूवी फिर ईव्निंग शो देख कर ही घर वापिस आएँगी,,,,,तूने चलना है तो
तू भी चल हमारे साथ,,,,,
थन्क्ष्क्ष कविता लेकिन मैं नही आ सकता मेरे आने से किसी का दिन खराब हो जाएगा ऑर शायद मूड भी,,,,,तुम जाओ ऑर एंजाय
करो,,,,,
कविता मेरी बात सुनके हँसने लगी क्यूकी वो समझ गई थी मैं सोनिया की बात कर रहा हूँ,,,लेकिन सोनिया मुझे वैसे ही गुस्से
से घूर रही थी,,,,
चल उठ कविता चले टाइम काफ़ी हो गया है ऑर वैसे भी इस से पहले की कोई साथ चलने को तैयार हो जाए हमे अब चलना
चाहिए,,,सोनिया गुस्से से उठी ओर कविता को भी हाथ से पकड़कर अपने साथ बाहर की तरफ ले गई,,,कविता सोनिया के साथ तो
जा रही थी लेकिन मेरी तरफ अजीब नज़रो से देख रही थी,,,,उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी लेकिन आँखों मे क्या था मैं
समझ नही सका,,,,
सोनिया ऑर कविता वहाँ से चली गई,,,
मैं नाश्ता करने लगा ऑर थोड़ी देर मे माँ अपने रूम से तैयार होके बाहर आ गई,,,,
माँ आज आप भी मूवी देखने जा रही हो क्या,,,,मैने हँसते हुए माँ से पूछा,,,,,
नही बेटा मुझे कॉन लेके जाएगा मूवी के लिए मुझे तो अलका के घर जाना है,,,माँ ने हँसते हुए बोला,,,
मैं समझ गया कि माँ आज फिर मस्ती के मूड मे है ,,,,आज फिर माँ ऑर अलका आंटी की मस्ती होगी लेकिन आज वो सब होगा
करण के घर मे,,,,
चल तेरा नाश्ता हो गया तो कॉलेज जाते टाइम मुझे करण के घर ड्रॉप कर देना,,,,,
ठीक है माँ नाश्ता तो करने दो पहले या इतनी आग लगी हुई है,,,,,,
आग तो लगी हुई है बेटा लेकिन मेरे नही अलका की चूत मे,,,,
अच्छा माँ शोबा दीदी कहाँ है फिर गई क्या मामा को लेके बुटीक पर,,,,
नही बेटा वो अपने रूम मे है ऑर मामा गया है बुटीक पर शिखा को लेके ,,,आज उन लोगो का प्रोग्राम घर पर होगा,,
साला मेरा दिल तो किया घर पर ही रुक जाऊ ऑर मामा शोबा ऑर शिखा के साथ मस्ती करू क्यूकी करण के घर जाके माँ ऑर
अलका आंटी के साथ तो अभी मस्ती नही कर सकता था,,,,,
तभी माँ बोली जल्दी कर ना नाश्ता कितना टाइम लगाता है तू,,,
लो कर लिया नाश्ता ,,अब मैं उपर जाके अपना बॅग लेके आता हूँ आप चलो बाहर,,,क्यूकी आपको ज़्यादा जल्दी है ना,,,मैने
हँसते हुए माँ को बोला ऑर उपर अपना बॅग लेने चला गया,,,,
अभी रूम से बाहर ही आ रहा था तभी मोबाइल पर मेसेज आया,,,देखा तो मेसेज कामिनी भाभी का था,,,,जल्दी घर बुलाया
था भाभी ने,,,,
मैं दिल ही दिल मे खुश हो गया ऑर शुक्रिया अदा करने लगा उपर वाले का उसने मेरी भी सुन ली ,,सब लोग मस्ती करने वाले
थे ऑर एक मैं ही था जिसको बोर होना पड़ना था,,,लेकिन अब कामिनी भाभी ने बुलाया था तो आज मैं भी फुल डे मस्ती
करने वाला था,,,,तभी मेरे दिमाग़ मे कुछ आइडिया आया ऑर मैने भुआ के ड्रॉयिंग रूम से एक स्ट्रॅप-ऑन उठाकर अपने
बॅग मे डाल लिया ऑर वहाँ से नीचे आ गया फिर माँ को साथ लेके घर से निकल पड़ा,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
माँ को करण के घर ड्रॉप किया तो देखा कि करण की बाइक नही थी इसका मतलब है वो कॉलेज जा चुका था ,,,मैने माँ
को ड्रॉप किया ऑर कामिनी भाभी के घर की तरफ चल पड़ा,,,,,
कामिनी भाभी के घर के बाहर आके मैने बाइक को साइड पर पार्क किया ऑर बेल बजा दी ,,,मैं बहुत खुश था भाभी की
वजह से क्यूकी उस दिन तो सूरज था घर मे इसलिए भाभी की गान्ड नही मार सका था ,,हालाकी सूरज की गान्ड मार कर भी
मुझे बहुत मज़ा आया था लेकिन आज दिल मे तमन्ना थी भाभी की गान्ड मारने की ,,क्यूकी उनकी गान्ड एक दम सील पॅक जो थी,
शोबा ने उनकी गान्ड मे नकली लंड पेल कर उसको थोड़ा खोल ज़रूर दिया था ऑर शोबा ने ऐसा इसलिए किया था ताकि भाभी की
गान्ड मेरे मूसल के लिए तैयार ही जाए क्यूकी शोबा उनकी गान्ड नही खोलती और मैं ही अपने मूसल ने उनकी गान्ड की शुरुआत
करता तो पक्का था उनकी जान ही निकल जानी थी,,,,आज भाभी ने मुझे यहाँ बुलाया था मेरे तो मन मे लड्डू फूट रहे
थे यही सोच सोच कर कि आज तो मस्त कुवारि गान्ड मिलने वाली है ,,,आज तो जी भरके मज़ा करूँगा क्यूकी आज घर मे
कोई नही होगा,, कविता तो सुबह ही सोनिया को लेके मूवीस देखने चली गई है वो शाम से पहले नही आने वाली,,,मैं तो
मन ही मन खुश होने लगा,,ऑर भाभी के बाहर आने की वेट करने लगा,,,
तभी सारी खुशी ऑर ख्वाहिशो को किसी की नज़र लग गई ऑर मेरा हँसता हुआ चेहरा एक दम उदास हो गया,,क्यूकी सामने से
सूरज चला आ रहा था ,,,,मैं गेट के उपर से उसको देख रहा था ,,क्यूकी मेरी हाइट लंबी थी ,मेरा चेहरा तो उतर गया
था ऑर मैं उदास हो गया था लेकिन वो मुझे देख कर बहुत खुश था,,,,
उसने आके गेट खोला,,,,,,ऑर मुझे हाई बोला,,,,,मैने भी उसको हाई बोला ऑर घर के अंदर चला गया ,,,,उसने जल्दी से गेट बंद
किया ऑर आगे बढ़ कर घर के मेन डोर खोला ऑर मुझे अंदर आने को बोलने लगा,,,, वो बड़ा खुश लग रहा था उसके हँसते
हुए चेहरे को देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगा,,,,जब उसने हँसने के लिए मूह खोला तो मुझे लगने लगा कि मेरा
लंड उसके मूह मे है ओर वो बड़े प्यार से उसको चूस रहा है,,,,कसम से बड़ा मज़ा आया था उस दिन जब सूरज ने मेरे
लड को चूसा था,,,,हालाकी मुझे ये सब अच्छा नही लगता था फिर भी सूरज ने जिस अंदाज़ से मेरे लंड को चूसा था उस
अंदाज़ से आज तक किसी औरत ने मेरे लंड को नही चूसा था,,,,,मैं भाभी की गान्ड के बारे मे सोच सोच कर
खुश हो रहा था ऑर मुझे मस्ती भी चढ़ रही थी लेकिन सूरज को हस्ता देख मुझे ज़्यादा ही मस्ती चढ़ने लगी ऑर मेरा
लंड भी ज़्यादा रफ़्तार से ओकात मे आने लगा,,,,मेरा दिल किया कि अभी साले को पकड़ कर लंड मूह मे डाल दूं इसके,,,,
मैं दरवाजे पर खड़ा हुआ उसको देख रहा था ,,मैं उसके हँसते चेहरे को देख इतना गुम हो गया कि अंदर जाना ही
भूल गया ऑर ये भी भूल गया कि वो दरवाजा खोल कर खड़ा हुआ है ऑर मुझे अंदर जाने को बोल रहा है,,,
क्या हुआ सन्नी कहाँ खो गया,,,,,अंदर नही चलना क्या,,,,,
मैं उसकी आवाज़ से नींद से जागा ऑर अंदर की तरफ चलने लगा,,,ऑर वो मुझे देख कर हँसने लगा,,,,
मैं अंदर जाके सोफे पर बैठ गया ऑर वो भी मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गया,,,,,
हाउ आर यू सन्नी,,,,
आइम फाइन सूरज भाई,,,,हाउ आर यू,,,
मैं भी ठीक हूँ,,,,,
वो मेरे से बात करता हुआ खुश हो रहा था लेकिन मैं भाभी को तलाश कर रहा था ऑर घर मे इधर उधर देख
रहा था,,,
किसको तलाश कर रहे हो सन्नी,,,,
सूरज की बात सुनके मैं उसकी तरफ देखने लगा,,,किसी को भी नही सूरज भाई मैं तो घर को देख रहा हूँ,,,,
घर मे तुम पहली बार आए हो जो घर को देख रहे हो,,,,,वैसे तुम जिसको तलाश कर रहे हो वो अंदर है अभी आ जाएगी
थोड़ी देर मे,,,, तब तक बोलो चाइ लोगे या कॉफी
थॅंक्स्क्स्क्स सूरज भाई मैं अभी घर से नाश्ता करके ही आया हूँ,,,,,
लो आ गई जिसको तलाश कर रही थी तुम्हारी नज़रे सन्नी,,,,,सूरज ने मुझे अपने रूम की तरफ इशारा करते हुए बोला मैने
भी उसकी उंगली का पीछा किया ऑर उस तरफ देखने लगा,,,,,
साला क्या मस्त माल थी कामिनी भाभी ,,जब भी देखो जितनी बार भी देखो दिल ही नही भरता था,,,अभी उसको देख रहा
था तो दिल कर रहा था वो ऐसे ही खड़ी रहे ऑर मैं उसको देखता ही रहूं,,,,अभी भाभी ने एक सॉफ्ट से कपड़े का झीना सा
कुर्ता पहना हुआ था जो उसके घुटनो से काफ़ी उपर था ऑर चूत से बस 3 इंच ही नीचे था ,वो कुर्ता काफ़ी पतले कपड़े का
था ऑर उपर से भाभी अभी अभी शवर लेके बाहर आई थी उसके बलों से पानी की ड्रॉप्स टपक रही थी जो कुर्ते को गीला
कर रही थी ऑर कुर्ता उसने बदन से चिपक रहा था ,,,कुर्ता इतना ज़्यादा गीला हो गया था की देखने से लग रहा था कि भाभी
ने भीगे बदन ही कुर्ता पहन लिया था टवल से खुद के जिस्म को पोच्छा भी नही था जिस वजह से कुर्ता पूरी तरह भीग
कर भाभी के जिस्म से लग गया था ऑर भाभी के पूरा बदन कुर्ते मे होने के बावजूद भी नंगा लग रहा था क्यूकी
कुर्ते के नीचे भाभी ने ना तो ब्रा पहनी हुई थी ऑर ना ही पेंटी ,,,मैं भाभी को देखता ही रह गया ,आज वो कुछ ज़्यादा ही
सेक्सी लग रही थी वैसे जितनी बार भी देखता था भाभी को हर बार वो कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लगती थी ,,पहली बार से भी
ज़्यादा,,,,,,मैं तो खो ही गया था भाभी के खूबसूरत जिस्म मे,,,,
को ड्रॉप किया ऑर कामिनी भाभी के घर की तरफ चल पड़ा,,,,,
कामिनी भाभी के घर के बाहर आके मैने बाइक को साइड पर पार्क किया ऑर बेल बजा दी ,,,मैं बहुत खुश था भाभी की
वजह से क्यूकी उस दिन तो सूरज था घर मे इसलिए भाभी की गान्ड नही मार सका था ,,हालाकी सूरज की गान्ड मार कर भी
मुझे बहुत मज़ा आया था लेकिन आज दिल मे तमन्ना थी भाभी की गान्ड मारने की ,,क्यूकी उनकी गान्ड एक दम सील पॅक जो थी,
शोबा ने उनकी गान्ड मे नकली लंड पेल कर उसको थोड़ा खोल ज़रूर दिया था ऑर शोबा ने ऐसा इसलिए किया था ताकि भाभी की
गान्ड मेरे मूसल के लिए तैयार ही जाए क्यूकी शोबा उनकी गान्ड नही खोलती और मैं ही अपने मूसल ने उनकी गान्ड की शुरुआत
करता तो पक्का था उनकी जान ही निकल जानी थी,,,,आज भाभी ने मुझे यहाँ बुलाया था मेरे तो मन मे लड्डू फूट रहे
थे यही सोच सोच कर कि आज तो मस्त कुवारि गान्ड मिलने वाली है ,,,आज तो जी भरके मज़ा करूँगा क्यूकी आज घर मे
कोई नही होगा,, कविता तो सुबह ही सोनिया को लेके मूवीस देखने चली गई है वो शाम से पहले नही आने वाली,,,मैं तो
मन ही मन खुश होने लगा,,ऑर भाभी के बाहर आने की वेट करने लगा,,,
तभी सारी खुशी ऑर ख्वाहिशो को किसी की नज़र लग गई ऑर मेरा हँसता हुआ चेहरा एक दम उदास हो गया,,क्यूकी सामने से
सूरज चला आ रहा था ,,,,मैं गेट के उपर से उसको देख रहा था ,,क्यूकी मेरी हाइट लंबी थी ,मेरा चेहरा तो उतर गया
था ऑर मैं उदास हो गया था लेकिन वो मुझे देख कर बहुत खुश था,,,,
उसने आके गेट खोला,,,,,,ऑर मुझे हाई बोला,,,,,मैने भी उसको हाई बोला ऑर घर के अंदर चला गया ,,,,उसने जल्दी से गेट बंद
किया ऑर आगे बढ़ कर घर के मेन डोर खोला ऑर मुझे अंदर आने को बोलने लगा,,,, वो बड़ा खुश लग रहा था उसके हँसते
हुए चेहरे को देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगा,,,,जब उसने हँसने के लिए मूह खोला तो मुझे लगने लगा कि मेरा
लंड उसके मूह मे है ओर वो बड़े प्यार से उसको चूस रहा है,,,,कसम से बड़ा मज़ा आया था उस दिन जब सूरज ने मेरे
लड को चूसा था,,,,हालाकी मुझे ये सब अच्छा नही लगता था फिर भी सूरज ने जिस अंदाज़ से मेरे लंड को चूसा था उस
अंदाज़ से आज तक किसी औरत ने मेरे लंड को नही चूसा था,,,,,मैं भाभी की गान्ड के बारे मे सोच सोच कर
खुश हो रहा था ऑर मुझे मस्ती भी चढ़ रही थी लेकिन सूरज को हस्ता देख मुझे ज़्यादा ही मस्ती चढ़ने लगी ऑर मेरा
लंड भी ज़्यादा रफ़्तार से ओकात मे आने लगा,,,,मेरा दिल किया कि अभी साले को पकड़ कर लंड मूह मे डाल दूं इसके,,,,
मैं दरवाजे पर खड़ा हुआ उसको देख रहा था ,,मैं उसके हँसते चेहरे को देख इतना गुम हो गया कि अंदर जाना ही
भूल गया ऑर ये भी भूल गया कि वो दरवाजा खोल कर खड़ा हुआ है ऑर मुझे अंदर जाने को बोल रहा है,,,
क्या हुआ सन्नी कहाँ खो गया,,,,,अंदर नही चलना क्या,,,,,
मैं उसकी आवाज़ से नींद से जागा ऑर अंदर की तरफ चलने लगा,,,ऑर वो मुझे देख कर हँसने लगा,,,,
मैं अंदर जाके सोफे पर बैठ गया ऑर वो भी मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गया,,,,,
हाउ आर यू सन्नी,,,,
आइम फाइन सूरज भाई,,,,हाउ आर यू,,,
मैं भी ठीक हूँ,,,,,
वो मेरे से बात करता हुआ खुश हो रहा था लेकिन मैं भाभी को तलाश कर रहा था ऑर घर मे इधर उधर देख
रहा था,,,
किसको तलाश कर रहे हो सन्नी,,,,
सूरज की बात सुनके मैं उसकी तरफ देखने लगा,,,किसी को भी नही सूरज भाई मैं तो घर को देख रहा हूँ,,,,
घर मे तुम पहली बार आए हो जो घर को देख रहे हो,,,,,वैसे तुम जिसको तलाश कर रहे हो वो अंदर है अभी आ जाएगी
थोड़ी देर मे,,,, तब तक बोलो चाइ लोगे या कॉफी
थॅंक्स्क्स्क्स सूरज भाई मैं अभी घर से नाश्ता करके ही आया हूँ,,,,,
लो आ गई जिसको तलाश कर रही थी तुम्हारी नज़रे सन्नी,,,,,सूरज ने मुझे अपने रूम की तरफ इशारा करते हुए बोला मैने
भी उसकी उंगली का पीछा किया ऑर उस तरफ देखने लगा,,,,,
साला क्या मस्त माल थी कामिनी भाभी ,,जब भी देखो जितनी बार भी देखो दिल ही नही भरता था,,,अभी उसको देख रहा
था तो दिल कर रहा था वो ऐसे ही खड़ी रहे ऑर मैं उसको देखता ही रहूं,,,,अभी भाभी ने एक सॉफ्ट से कपड़े का झीना सा
कुर्ता पहना हुआ था जो उसके घुटनो से काफ़ी उपर था ऑर चूत से बस 3 इंच ही नीचे था ,वो कुर्ता काफ़ी पतले कपड़े का
था ऑर उपर से भाभी अभी अभी शवर लेके बाहर आई थी उसके बलों से पानी की ड्रॉप्स टपक रही थी जो कुर्ते को गीला
कर रही थी ऑर कुर्ता उसने बदन से चिपक रहा था ,,,कुर्ता इतना ज़्यादा गीला हो गया था की देखने से लग रहा था कि भाभी
ने भीगे बदन ही कुर्ता पहन लिया था टवल से खुद के जिस्म को पोच्छा भी नही था जिस वजह से कुर्ता पूरी तरह भीग
कर भाभी के जिस्म से लग गया था ऑर भाभी के पूरा बदन कुर्ते मे होने के बावजूद भी नंगा लग रहा था क्यूकी
कुर्ते के नीचे भाभी ने ना तो ब्रा पहनी हुई थी ऑर ना ही पेंटी ,,,मैं भाभी को देखता ही रह गया ,आज वो कुछ ज़्यादा ही
सेक्सी लग रही थी वैसे जितनी बार भी देखता था भाभी को हर बार वो कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लगती थी ,,पहली बार से भी
ज़्यादा,,,,,,मैं तो खो ही गया था भाभी के खूबसूरत जिस्म मे,,,,
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
तभी भाभी चलती हुई हम लोगो के करीब आ गई ऑर मेरे करीब से गुजर कर सूरज के पास चली गई ऑर जाके सूरज की
गोद मे बैठ गई,,,,
जब भाभी मेरे पास से गुज़री तो भीगे भीगी बदन की खुश्बू से मैं ऑर भी ज़्यादा मस्त हो गया ,,,दिल कर रहा था
कि भाभी को हाथ पकड़ कर अपने करीब खेंच लूँ ऑर सर से पैर तक चूमना शुरू कर दूं,,,,,
क्या देख रहे हो सन्नी ,,,,,ये तुम्हारी ही है,,,,ऐसे घूर कर मत देखो इसको,,कहीं भागी नही जा रही,,,,
भाभी हँसने लगी ओर मैं भाभी को देख कर थोड़ा शरमा गया,,,,,अब हालत ऐसे हो गये थे कि भाभी खुल कर पेश
आने लगी थी जबकि मैं शरमाने लगा था,,,,,
क्या सोच रहे हो सन्नी,,,,
मैं चुप रहा ,,,,
जो सोच रहे वो वो कर भी सकते हो तुम सन्नी लेकिन पहले मुझे खुश करना होगा,,,सूरज अभी बोल ही रहा था कि भाभी
उठी ऑर मेरे पास आ गई ऑर मेरे पास आके सोफे पर लेट गई ओर अपनी टाँगे मेरी टाँगों के उपर रख ली,,,मैं भाबी की
टाँगों की तरफ देख रहा था तो भाभी ने अपने घुटनो को उपर उठा कर टाँगों को खोल दिया ,,मैं तो दंग ही रह गया
भाभी की चूत देख कर ,,,भाभी ने पेंटी नही पहनी हुई थी जिसका मुझे पहले से पता लग चुका था लेकिन अब चूत को
इतना करीब से देख कर मेरे मूह मे पानी आने लगा,,,
भाभी की चूत एक दम सॉफ थी ,,एक भी बाल नही था जैसे भाभी ने अभी अभी शेव की थी ऑर जब भाभी ने अपनी टाँगों
को थोडा ऑर खोला तो भाभी की चूत भी ज्याद खुल गई ऑर अंदर का गुलाबी रंग का हिस्सा देख कर मेरी जान ही अटक गई,,
देख लो जी भरके सन्नी भाई लेकिन टच मत करना अभी,,,,क्यूकी इसको टच करने के लिए पहले मुझे खुश करना ज़रूरी
है,,,,सूरज इतना बोलकर सोफे से उठा ऑर अपने कपड़े उतारने लगा,,,,इधर भाभी भी उठी ऑर मेरे कपड़े उतारने लगी,,,,
मैं ऑर सूरज 2 मिंट मे नंगे हो गये ,,,,ऑर हम लोगो के नंगे होने का बाद भाभी ने भी कुर्ता उतार दिया ऑर नंगी हो
गई,,,,
मेरा लंड जो मस्ती मे पहले ही ओकात मे आ चुका था भाभी ने उसको हाथ मे पकड़ा ऑर हल्के से सहला दिया,,मुझे
ऐसे लगा जैसे कोई सलाब मेरे लंड मे उठ रहा था ऑर अभी बस दीवारें तोड़ कर बहना शुरू हो जाएगा,,,,भाभी
के छोटे छोटे कोमल हाथ लगते ही लंड मे मस्त इतनी ज़्यादा भरने लगी की मुझे हल्का हल्का दर्द होने लगा,,,,
तभी भाभी ने अपने सर को थोड़ा नीचे किया ऑर मेरे लंड पर एक किस करदी,,,मुझे लगा कि भाभी मेरे लंड को मूह मे
लेने लगी है इसलिए मैने खुद को सोफे से हलक उपर उठा दिया ताकि मैं भी अपने लंड को भाभी के मूह मे घुसा
दूं,,,लेकिन भाभी ने तो सिर्फ़ एक किस की मेरे लंड की टोपी पर ऑर मूह उपर उठा लिया ऑर सूरज को पास आने का इशारा किया
सूरज भी जल्दी ही मेरे करीब आ गया,,,,मैं सोफे पर बैठा हुआ था ऑर भाभी भी मेरे साथ ही बैठी हुई थी लेकिन सूरज
आके ज़मीन पर घुटनो के बल बैठ गया ऑर एक ही पल मे उसने सर झुका कर मेरे लंड को मूह मे भर लिया ऑर पहली ही
बार मे लंड को गले से नीचे तक ले गया ऑर बाहर निकाल दिया ऑर मेरे लंड पर थूक दिया फिर हाथ से मेरे लंड को
एक दो बार सहलाया ऑर फिर से सर झुका कर लंड को मूह मे ले लिया,,,,मैं तो मस्ती मे पागल होने लगा था ,,,इतना मज़ा
आने लगा था कुछ ही देर मे कि मैं भूल ही गया कि मेरा लंड भाभी नही सूरज भाई चूस रहा है ऑर मुझे अब फ़र्क भी
नही पड़ने वाला था क्यूकी मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था इतना मज़ा तो भाभी द्वारा भी नही आना था जितना मज़ा मुझे
सूरज को लंड चुस्वा कर आ रहा था,,
सूरज पूरी मस्ती मे मेरे लंड को मूह मे लेके चूस रहा था ऑर पूरा का पूरा गले से अंदर ले रहा था ,,इतना मज़े से तो
भाभी भी मेरा लंड नही चूस सकती थी ,,,मुझे सच मे इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बोलू लेकिन ये मज़ा ज़्यादा देर तक
नही आया,,,,
सूरज ने जल्दी ही मेरे लंड को मूह से निकाल दिया ऑर अपने मूह से थोड़ा थूक अपने हाथ पर थूक कर अपनी गान्ड
पर लगा कर सामने के टेबल पर झुक गया ऑर गान्ड को मेरे सामने कर दिया लेकिन तभी मुझे याद आया कि मेरे बॅग मे
एक स्टर्प-ऑन है ,,मैने जल्दी से स्टर्प-ऑन निकाला ऑर भाभी के तरफ बढ़ा दिया ,,,भाभी कुछ नही समझी तो मैने भाभी को
जल्दी सोफे से खड़ा कर दिया ऑर भाभी को स्ट्रॅप-ऑन पहना दिया ,,,,मुझे थोड़ा टाइम लगा गया स्ट्रॅप-ऑन पहनने मे तो
सूरज पीछे मूड कर हम दोनो की तरफ देखने लगा तो मैने जल्दी सोफे से उठकर सूरज को ये बता दिया कि मैं आ रहा हूँ
ऑर जल्दी से सोफे से उठकर खड़ा भी हो गया,,सूरज ने पल भर क लिए पीछे मूड के देखा था लेकिन इतनी देर मे वो भाभी की
कमर पर बँधे स्ट्रॅप-ऑन को नही देख पाया,,,,,भाभी की कमर पर स्ट्रॅप-ऑन बाँध कर मैने भाभी को मूह से थूक
लेके उस नकली लंड पर लगाने को कहा तो भाभी ने ऐसा ही किया ,,फिर मैं भाभी को सूरज के पीछे ले गया ऑर अपने हाथ मे
थोड़ा थूक लेके सूरज की गान्ड पर लगा दिया ऑर फिर भाभी के नकली लंड को हाथ मे लेके सूरज की गान्ड मे घुसा
दिया ,,,भाभी एक लिए ये पहली बार था तो मैने खुद भाभी की कमर को आगे पीछे किया तो भाभी भी जल्दी ही समझ गई
ऑर अपने हाथ से सूरज की कमर को पकड़ कर सूरज की गान्ड मे नकली लंड पेलने लगी,,,,सूरज एक मूह से हल्की हल्की सिसकियाँ निकलने लगी,,
अहह ऐसे हिी सुन्न्णी प्पूउर्रा ग्घहूऊस्सा दूओ मेरेयिइ गाणन्दड़ म्मी अहह एसए हहीी गाणन्दड़ मरूव मेरेईी
आहह उउहह बड़ा ंमाज़्जा आ र्राहहा हहाीइ उऊहह माआ हहयइईई सूरज सिसकियाँ लेने लगा तभी मैं आगे
बढ़ कर सूरज एक सामने जाके खड़ा हो गया,,,सूरज हैरान होके मुझे देखने लगा उसको समझ नही आ रहा था कि मैं
सामने खड़ा हूँ तो उसकी गान्ड कॉन मार रहा है तभी उसने पीछे मूड कर देखा ऑर भाभी को ऐसे हिलते देख कुछ
समझा नही लेकिन मस्ती ऑर मज़े से वो फिर सिसकियाँ लेने लगा लेकिन मैने उसकी सिसकियाँ बंद कर दी ,,
मैं आगे बढ़ा ऑर टेबल के दूसरी तरफ खड़ा हो गया ऑर अपने लंड को सूरज के करीब कर दिया ,,सूरज ने भी एक ही पल मे मूह,
खोल दिया ऑर मेरे लंड को मूह मे भर लिया,,,,,मैं चाहता तो सूरज की गान्ड मार लेता लेकिन मेरा दिल सूरज के मूह को
चोदने को कर रहा था क्यूकी उसके लंड चूसने का अंदाज़ ही बहुत निराला था,,,,,मैने सूरज के सर को पकड़ा ऑर अपने लंड
को तेज़ी से सूरज के मूह मे पेलने लगा ,सूरज को कोई परेशानी नही हो रही थी वो तो अपने सर को मेरी कमर से भी ज़्यादा
तेज़ी से हिला कर मेरे पूरे लंड को मूह मे लेने मे लगा हुआ था,,,,,मैं आगे से सूरज के मूह को चोद रहा था ऑर भाभी
पीछे से सूरज की गान्ड मार रही थी,,,करीब 10 मिनिट तक मैं सूरज के मूह मे लंड पेलता रहा ऑर फिर मैं सूरज के
पीछे चला गया ऑर भाभी को सूरज के सामने भेज दिया ,,,सूरज भाभी की कमर पर लगे नकली लंड को देख कर खुश भी
था ऑर थोड़ा हैरान भी,,शायद उसने पहली बार स्ट्रॅप-ऑन देखा था ,,लेकिन हैरानी से ज़्यादा उसको मस्ती चढ़ि हुई थी
इसने कामिनी को आगे बढ़ कर लंड को उसके मूह के करीब करने का इशारा किया ऑर कामिनी ने भी आगे बढ़कर लंड
को सूरज के मूह मे घुसा दिया,,,ऑर मैने पीछे जाके अपने लंड को सूरज की गान्ड मे घुसा दिया,,,,,
गोद मे बैठ गई,,,,
जब भाभी मेरे पास से गुज़री तो भीगे भीगी बदन की खुश्बू से मैं ऑर भी ज़्यादा मस्त हो गया ,,,दिल कर रहा था
कि भाभी को हाथ पकड़ कर अपने करीब खेंच लूँ ऑर सर से पैर तक चूमना शुरू कर दूं,,,,,
क्या देख रहे हो सन्नी ,,,,,ये तुम्हारी ही है,,,,ऐसे घूर कर मत देखो इसको,,कहीं भागी नही जा रही,,,,
भाभी हँसने लगी ओर मैं भाभी को देख कर थोड़ा शरमा गया,,,,,अब हालत ऐसे हो गये थे कि भाभी खुल कर पेश
आने लगी थी जबकि मैं शरमाने लगा था,,,,,
क्या सोच रहे हो सन्नी,,,,
मैं चुप रहा ,,,,
जो सोच रहे वो वो कर भी सकते हो तुम सन्नी लेकिन पहले मुझे खुश करना होगा,,,सूरज अभी बोल ही रहा था कि भाभी
उठी ऑर मेरे पास आ गई ऑर मेरे पास आके सोफे पर लेट गई ओर अपनी टाँगे मेरी टाँगों के उपर रख ली,,,मैं भाबी की
टाँगों की तरफ देख रहा था तो भाभी ने अपने घुटनो को उपर उठा कर टाँगों को खोल दिया ,,मैं तो दंग ही रह गया
भाभी की चूत देख कर ,,,भाभी ने पेंटी नही पहनी हुई थी जिसका मुझे पहले से पता लग चुका था लेकिन अब चूत को
इतना करीब से देख कर मेरे मूह मे पानी आने लगा,,,
भाभी की चूत एक दम सॉफ थी ,,एक भी बाल नही था जैसे भाभी ने अभी अभी शेव की थी ऑर जब भाभी ने अपनी टाँगों
को थोडा ऑर खोला तो भाभी की चूत भी ज्याद खुल गई ऑर अंदर का गुलाबी रंग का हिस्सा देख कर मेरी जान ही अटक गई,,
देख लो जी भरके सन्नी भाई लेकिन टच मत करना अभी,,,,क्यूकी इसको टच करने के लिए पहले मुझे खुश करना ज़रूरी
है,,,,सूरज इतना बोलकर सोफे से उठा ऑर अपने कपड़े उतारने लगा,,,,इधर भाभी भी उठी ऑर मेरे कपड़े उतारने लगी,,,,
मैं ऑर सूरज 2 मिंट मे नंगे हो गये ,,,,ऑर हम लोगो के नंगे होने का बाद भाभी ने भी कुर्ता उतार दिया ऑर नंगी हो
गई,,,,
मेरा लंड जो मस्ती मे पहले ही ओकात मे आ चुका था भाभी ने उसको हाथ मे पकड़ा ऑर हल्के से सहला दिया,,मुझे
ऐसे लगा जैसे कोई सलाब मेरे लंड मे उठ रहा था ऑर अभी बस दीवारें तोड़ कर बहना शुरू हो जाएगा,,,,भाभी
के छोटे छोटे कोमल हाथ लगते ही लंड मे मस्त इतनी ज़्यादा भरने लगी की मुझे हल्का हल्का दर्द होने लगा,,,,
तभी भाभी ने अपने सर को थोड़ा नीचे किया ऑर मेरे लंड पर एक किस करदी,,,मुझे लगा कि भाभी मेरे लंड को मूह मे
लेने लगी है इसलिए मैने खुद को सोफे से हलक उपर उठा दिया ताकि मैं भी अपने लंड को भाभी के मूह मे घुसा
दूं,,,लेकिन भाभी ने तो सिर्फ़ एक किस की मेरे लंड की टोपी पर ऑर मूह उपर उठा लिया ऑर सूरज को पास आने का इशारा किया
सूरज भी जल्दी ही मेरे करीब आ गया,,,,मैं सोफे पर बैठा हुआ था ऑर भाभी भी मेरे साथ ही बैठी हुई थी लेकिन सूरज
आके ज़मीन पर घुटनो के बल बैठ गया ऑर एक ही पल मे उसने सर झुका कर मेरे लंड को मूह मे भर लिया ऑर पहली ही
बार मे लंड को गले से नीचे तक ले गया ऑर बाहर निकाल दिया ऑर मेरे लंड पर थूक दिया फिर हाथ से मेरे लंड को
एक दो बार सहलाया ऑर फिर से सर झुका कर लंड को मूह मे ले लिया,,,,मैं तो मस्ती मे पागल होने लगा था ,,,इतना मज़ा
आने लगा था कुछ ही देर मे कि मैं भूल ही गया कि मेरा लंड भाभी नही सूरज भाई चूस रहा है ऑर मुझे अब फ़र्क भी
नही पड़ने वाला था क्यूकी मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था इतना मज़ा तो भाभी द्वारा भी नही आना था जितना मज़ा मुझे
सूरज को लंड चुस्वा कर आ रहा था,,
सूरज पूरी मस्ती मे मेरे लंड को मूह मे लेके चूस रहा था ऑर पूरा का पूरा गले से अंदर ले रहा था ,,इतना मज़े से तो
भाभी भी मेरा लंड नही चूस सकती थी ,,,मुझे सच मे इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बोलू लेकिन ये मज़ा ज़्यादा देर तक
नही आया,,,,
सूरज ने जल्दी ही मेरे लंड को मूह से निकाल दिया ऑर अपने मूह से थोड़ा थूक अपने हाथ पर थूक कर अपनी गान्ड
पर लगा कर सामने के टेबल पर झुक गया ऑर गान्ड को मेरे सामने कर दिया लेकिन तभी मुझे याद आया कि मेरे बॅग मे
एक स्टर्प-ऑन है ,,मैने जल्दी से स्टर्प-ऑन निकाला ऑर भाभी के तरफ बढ़ा दिया ,,,भाभी कुछ नही समझी तो मैने भाभी को
जल्दी सोफे से खड़ा कर दिया ऑर भाभी को स्ट्रॅप-ऑन पहना दिया ,,,,मुझे थोड़ा टाइम लगा गया स्ट्रॅप-ऑन पहनने मे तो
सूरज पीछे मूड कर हम दोनो की तरफ देखने लगा तो मैने जल्दी सोफे से उठकर सूरज को ये बता दिया कि मैं आ रहा हूँ
ऑर जल्दी से सोफे से उठकर खड़ा भी हो गया,,सूरज ने पल भर क लिए पीछे मूड के देखा था लेकिन इतनी देर मे वो भाभी की
कमर पर बँधे स्ट्रॅप-ऑन को नही देख पाया,,,,,भाभी की कमर पर स्ट्रॅप-ऑन बाँध कर मैने भाभी को मूह से थूक
लेके उस नकली लंड पर लगाने को कहा तो भाभी ने ऐसा ही किया ,,फिर मैं भाभी को सूरज के पीछे ले गया ऑर अपने हाथ मे
थोड़ा थूक लेके सूरज की गान्ड पर लगा दिया ऑर फिर भाभी के नकली लंड को हाथ मे लेके सूरज की गान्ड मे घुसा
दिया ,,,भाभी एक लिए ये पहली बार था तो मैने खुद भाभी की कमर को आगे पीछे किया तो भाभी भी जल्दी ही समझ गई
ऑर अपने हाथ से सूरज की कमर को पकड़ कर सूरज की गान्ड मे नकली लंड पेलने लगी,,,,सूरज एक मूह से हल्की हल्की सिसकियाँ निकलने लगी,,
अहह ऐसे हिी सुन्न्णी प्पूउर्रा ग्घहूऊस्सा दूओ मेरेयिइ गाणन्दड़ म्मी अहह एसए हहीी गाणन्दड़ मरूव मेरेईी
आहह उउहह बड़ा ंमाज़्जा आ र्राहहा हहाीइ उऊहह माआ हहयइईई सूरज सिसकियाँ लेने लगा तभी मैं आगे
बढ़ कर सूरज एक सामने जाके खड़ा हो गया,,,सूरज हैरान होके मुझे देखने लगा उसको समझ नही आ रहा था कि मैं
सामने खड़ा हूँ तो उसकी गान्ड कॉन मार रहा है तभी उसने पीछे मूड कर देखा ऑर भाभी को ऐसे हिलते देख कुछ
समझा नही लेकिन मस्ती ऑर मज़े से वो फिर सिसकियाँ लेने लगा लेकिन मैने उसकी सिसकियाँ बंद कर दी ,,
मैं आगे बढ़ा ऑर टेबल के दूसरी तरफ खड़ा हो गया ऑर अपने लंड को सूरज के करीब कर दिया ,,सूरज ने भी एक ही पल मे मूह,
खोल दिया ऑर मेरे लंड को मूह मे भर लिया,,,,,मैं चाहता तो सूरज की गान्ड मार लेता लेकिन मेरा दिल सूरज के मूह को
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को तेज़ी से सूरज के मूह मे पेलने लगा ,सूरज को कोई परेशानी नही हो रही थी वो तो अपने सर को मेरी कमर से भी ज़्यादा
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को सूरज के मूह मे घुसा दिया,,,ऑर मैने पीछे जाके अपने लंड को सूरज की गान्ड मे घुसा दिया,,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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`·.¸.·´ -- 007
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