कहीं वो सब सपना तो नही complete

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007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »



मैने जब अपने जिस्म को हिलाया तो करवट लेके आंटी की तरफ मूह कर लिया जिस से मेरा फेस आंटी के बूब्स
के पास हो गया,,मेरा दिल तो किया आगे बढ़ कर आंटी के बूब को मूह मे भर लूँ लेकिन थोड़ा डर लग रहा
था मुझे,,,ऑर वही हाल आंटी का था,,मेरे एक दम हिलने से आंटी भी बहुत डर गई थी इसलिए उस रात ना तो
आंटी ने कोई हरकत की ऑर ना ही मैने आंटी के साथ कुछ किया,,,बस हुआ इतना कि आंटी ने अपने हाथ को मेरे
उपर रख लिया ऑर मुझे अपने से सटा लिया ऑर फिर हम दोनो ऐसे ही सोते रहे,,,,सुबह कब हुई पता ही नही
चला,,,,,,दिल तो कर रहा था कि सारे पर्दे उठा दूं शरम के ऑर बेशर्म बनके आंटी की चुदाई शुरू
कर दूं लेकिन मैं इतनी भी जल्दबाज़ी नही करना चाहता था,,जैसे मैं खुद तड़प रहा हूँ वैसे ही आंटी
को भी तड़पाना चाहता था,,,,,,कल मूठ मारते टाइम आंटी के नाम लेके मैने आंटी के दिल मे एक आग लगा दी
थी ऑर अब मैं उस आग को ऑर भी ज़्यादा भड़काना चाहता था,,,,मैं चाहता था कि आंटी इतना तड़प जाए
कि खुद ही सब कुछ करे मुझे कुछ करने की ज़रूरत नही पड़े,,क्यूकी अगर मैं कुछ करता तो मेरी ग़लती
निकाल कर आंटी मुझे झूठा ही सही लेकिन डाँट ज़रूर सकती थी,,,,,इसलिए मैं आंटी की तरफ से कदम
बढ़ाने की कोशिश मे लगा हुआ था ऑर आज रात आंटी ने एक कदम बढ़ा भी दिया था,,,,अब ये देखना था
आंटी दूसरा कदम बढ़ाती है या उसके लिए भी मुझे कुछ करना होगा,,,वैसे एक इंतज़ाम मैने कर लिया
था आंटी से दूसरा कदम आगे बढ़वाने के लिए,,देखते है वो इंतेज़ाम मेरी सोच पर खरा उतरता है या
नही,,,,,,,,,,,,,

सुबह उठके नाश्ता करके मैं कॉलेज चला गया ,,,मेरे कॉलेज जाने पर आंटी थोड़ी उदास हो गई थी,मैं
भी कॉलेज जाना तो नही चाहता था लेकिन आंटी को तड़पाने मे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था ,,वैसे मैं
खुद भी तो तड़प रहा था,,,,,,,

कॉलेज आज भी सुनसान था,,,बाहर पार्क मे तो कोई नही था ,,,शायद जितने भी स्टूडेंट थे वो सब क्लास मे
थे तभी तो पार्क खाली थी ऑर वही हाल था कॅंटीन का भी,,,वहाँ भी सब बोर लोग बैठे थे ,,3-4 लोग
ही थे बस,,,,,मैं भी जाके बोर होते हुए लास्ट वाले टेबल पर बैठ गया ऑर कॉफी ऑर्डर करके बोरियत से
टाइम पास करने लगा,,,

ये लो तुम्हारी कॉफी,,,ये आवाज़ सुनते ही बोरियत कहीं हवा मे गुम हो गई क्यूकी ये आवाज़ थी ही इतनी मीठी
की जिसको सुनके ज़िंदगी मे बोरियत नाम की चीज़ के लिए कोई जगह ही नही रहती थी,,,,मैने नज़रे उठा कर
उपर देखा तो सामने कविता थी जिसके हाथ मे कॉफी का कप था ऑर क्यूट से फेस पर स्वीट सी स्माइल थी,,उसकी
स्माइल इतनी स्वीट थी कि अगर कॉफी बिना शक्कर के होती तो भी टेन्षन नही थी,,,,उसकी स्माइल से ऑर उसके हाथों
के टच से कॉफी मीठी हो गई थी,,,,

अपने कॅंटीन मे कब्से काम करना शुरू कर दिया मालकिन जी,,

मेरी ये बात सुनके कविता खुश हो गई लेकिन अपने लिप्स पर उंगली रखते हुए मुझे चुप रहने को बोलने
लगी ऑर इशारा करने लगी की ऐसा मत बोलो ये कॉलेज है,,,,वो अभी भी कप को हाथ मे लेके खड़ी हुई थी


अरे मालकिन जी कप को टेबल पर रख दीजिए वर्ना आप थक जाओगी,,,ऑर अपने इतनी तकलीफ़ क्यू की कॉफी लेके
आने मे ,,,,हुकम किया होता मैं खुद वहाँ चला आता ,,,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा ऑर कविता कॉफी कप
को टेबल पर रख कर सामने वाली चेयर पर बैठ गई,,,

ओई ब्लॅकी मुझे बार बार मालकिन मालकिन मत बोल ये कॉलेज है,,,

तो क्या हुआ मैने कुछ ग़लत थोड़ी बोला ,,मालकिन ही बोला ना,,,,,नोकरानि तो नही,,,,,

ओये ब्लॅकी बोला ना चुप कर,,,,ऑर मैं नोकरानि नही हूँ मालकिन ही हूँ,,,,

तभी तो मालकिन बोल रहा हूँ कविता जी,,वर्ना नौकरानी नही बोलता मैं आपको जब आप कॉफी लेके आई,,,

चल चल अब चुप कर ऑर ये बता आज तू कॉलेज कैसे आ गया,,ऐसे दिनो मे तो तू अक्सर बंक पर रहता है


क्या करूँ मालकिन जी ,,,,बंक पर करण के साथ जाता था लेकिन करण खुद कहीं बाहर गया हुआ है,,ऑर कोई
है नही जिसके साथ मैं बंक पर जा सकूँ,,,,

क्यू तेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है क्या उसको ले जाता बंक पर,,,,,

गर्लफ्रेंड होती तो कॉन पागल कॉलेज आता मालकिन जी,,,

बोला ना मालकिन मालकिन मत बोल,,,,जस्ट सीधी तरह बात कर वर्ना मैं चली,,

ओके बाबा नही बोलता ,,तू गुस्सा मत कर,,,,वैसे तू बता कि तू कॅंटीन मे क्या कर रही है,,तू ऑर तेरी वो
हिट्लर दोस्त तो क्लासरूम से कभी बाहर ही नही निकलती ऑर आज कॅंटीन मे कैसे आ गई,,ऑर तेरी हिट्लर दोस्त
कहाँ है,,,,तबीयत कैसी है उसकी बुखार गया या अभी तक है,,,

तेरे पास उसका नंबर है ना खुद कॉल करके नही पूछ सकता ,,,आख़िर तेरी बेहन है वो,,,उसका हाल चाल
तो पूछ ही सकता है तू,,,

पूछ तो सकता हूँ लेकिन नही पूछना चाहता ,,तभी तो तेरे से पूछ रहा हूँ,,तुझे बताना है तो बता
वर्ना तेरी मर्ज़ी,,,,

वो ठीक है अब,,आज कॉलेज भी आई है,,उसी को तलाश करते हुए मैं कॅंटीन मे आई हूँ,,,,पता नही
कहाँ है वो,,,,,

आज कॉलेज आई है वो,,,,लगता है अब तबीयत बिल्कुल थी हो गई होगी तभी माँ ने भेजा होगा उसको कॉलेज
वर्ना कभी नही भेजती,,,,,

हाँ सन्नी सही बोला तूने,,,आज वो बिल्कुल ठीक है,,,,,लेकिन पता नही अभी कहाँ है वो,,,,,,,,,,,,,अच्छा उसको
छोड़ तू बता तू आज कल कहाँ रहता है,,,सुना है किसी दोस्त के घर पर रहता है तू,,,,लेकिन जहाँ तक
मुझे पता है करण के सिवा तेरा कोई दोस्त नही है,,,,,

है कोई दोस्त जिसके पास रहता हूँ तुम नही जानती उसको,वैसे तुझे किसने कहा मेरा करण के सिवा कोई दोस्त
नही ,,तू भी तो मेरी दोस्त है ना,,,,

हाँ मैं तो हूँ,,,,तेरी भी ऑर सोनिया की भी,,,लेकिन तू सिर्फ़ मेरा दोस्त है सोनिया का नही,,तभी तो बात बात
पर फाइट करता रहता है उसके साथ ,,कॉल करके बीमार का हाल चाल भी पता नही करता,,,,,क्या इतना गुस्सा
है तुझे सोनिया पर,,,,

गुस्सा नही है कविता,,,ऑर मैं कभी उसपे गुस्सा कर भी नही सकता,,,,बस मैं बहुत केयर करता हूँ उसकी
तभी तो उस से दूर रहता हूँ,,

ये कैसी केयर है जो तुम उस से दूर रहके करते हो,,,,मुझे तो लगता है उस से कहीं ज़्यादा गुस्सा तेरे मे
है फालतू मे तू उसको हिटलर बोलता है ,,हिट्लर नाम तो तेरा होना चाहिए,,,,

तू मुझे कुछ भी बुला सकती है पगली,,,लेकिन सच मे मैं उसकी बहुत केयर करता हूँ तभी तो दूर रहता
हूँ,,,,,डरता हूँ कहीं उसका हाल चाल पूछने गया तो मेरे पर गुस्सा करके वो फिर से बीमार नही हो
जाए,,तुझे तो पता है गुस्सा उसकी नाक पर रहता है,,,,,बस उसके गुस्से की वजह से मैं उस से दूर रहता
हूँ वैसे केयर बहुत करता हूँ मैं उसकी,,,,

जानती हूँ आंटी ने बताया था कैसे रात भर जाग कर तूने ठंडे पानी के टवल रखे थे उसके सर पर एक
पल के लिए भी नही सोया था तू,,,,,,,,,,,तेरी लाइफ मे दोस्त तो बहुत कम है जिनकी तू केयर करता है लेकिन अपनी
फॅमिली मे तो किसकी केयर करता है सबसे ज़्यादा,,,,

ये कैसा सवाल है,,,,मैं अपने सभी घर वालों की केयर करता हूँ ऑर दोस्तो की भी,,,,

जानती हूँ लेकिन तू अपनी फॅमिली मे सबसे ज़्यादा केयर किसकी करता है,,,माँ-बाप की ? भाई बेहन की ?

ये कैसा अजीब सवाल है कविता ,,,,एक माँ से पूछो कि वो अपने किस बच्चे को सबसे ज़्यादा प्यार करती है तो
इसका जवाब देना उसके लिए बहुत मुश्किल होता है ऑर मेरे लिए भी ये कहना मुश्किल है कि मैं अपनी फॅमिली
मे किसकी सबसे ज़्यादा केयर करता हूँ क्यूकी मेरे लिए सब के सब अज़ीज है सबकी केयर करता हूँ मैं,,,

अरे बुद्धू माँ भी अक्सर किसी एक बच्चे को ज़्यादा लाड़ प्यार करती है,,हर टाइम गोद मे उठा कर रखती है
वो सब बच्चों से एक जैसा प्यार करती है लेकिन किसी एक बच्चे की वो ज़्यादा केयर करती है,,वैसे ही पूछ रही हूँ
कि तू किसकी ज़्यादा केयर करता है,,,,

ओह ऐसी बात है,,,,ऐसे तो फिर तेरी पगली दोस्त ही है,,,क्यूकी बचपन से उसके साथ रहता आया हूँ,,,बचपन
मे साथ स्कूल जाते थे साथ खेलते थे,,फिर रूम भी एक ही मिला दोनो को तो ज़्यादा से ज़्यादा टाइम स्पेंड
करते थे दोनो वही है जो मुझे अच्छे से समझती है ऑर मैं भी उसको अच्छे से समझता हूँ ऑर उसके
गुस्से को भी,,,,,हर टाइम हँसती खेलती रहती है कभी उदास नही होती,,कभी रोते नही देखा उसको,,ऑर ना
कभी देख सकता हूँ,,,,एक तो वैसे भी वो रोते हुए अच्छी नही लगती,,अजीब शकल बना लेती है ऑर वैसे भी
मुझे उसकी आँखों मे आँसू अच्छे नही लगते,,हम दोनो भाई बेहन कम ओर अच्छे दोस्त ज़्यादा है,,,एक दूसरे
को समझने वाले ,,,,,

अच्छा इतनी केयर करता है तू उसकी तो फिर बात क्यूँ नही करता उसके साथ,,,,पता है वो कभी उदास नही होती लेकिन
अभी कुछ दीनो से मैं देखा है वो उदास रहने लगी है,,,मेरे जोक्स पर भी नही हँसती कभी,,,,पता नही
क्या हो गया है उसको,,,,,कहीं तूने उसको कुछ कहा तो नही,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

मैं थोड़ा डर गया कहीं सोनिया ने इसको मेरे बारे मे कुछ बता तो नही दिया लेकिन फिर मैने बात को मज़ाक
मे बदल दिया,,,,,,,,,,,,,,,,,,वो क्या करे बेचारी तेरे जोक्स होते ही इतने घटिया है कि हँसता हुआ इंसान भी
उदास हो जाता है,,,,

मज़ाक मत कर सन्नी,,,वो सच मे उदास रहती है 2-3 दिन से,,पहले भी उदास रहती थी लेकिन इतना नही,,बहुत
जबसे बीमार हुई है तबसे तो कुछ ज़्यादा ही उदास रहने लगी है,,,,,शायद बीमारी की वजह से हो सकता है
,,लेकिन इतनी उदास तो कभी नही होती वो,,बीमारी मे भी मस्ती करती रहती थी पहले तो,,,,ऑर जब मैं पूछती
हूँ तो बोलती है कुछ नही हुआ मुझे,,,

हाँ हो सकता है कविता वो बीमार होने की वजह से उदास रहने लगी हो,,बाकी मुझे कुछ नही पता तेरी
दोस्त है वो तुझे बेहतर पता होगा,,,,,

मुझे कुछ नही पता सन्नी,ऑर मेरे से कहीं ज़्यादा बेहतर तू उसको समझता है,,,तेरी दोस्त है वो ज़्यादा
मेरे से भी कहीं ज़्यादा,,,,तुझे पता होगा उसके बारे मे कि क्या हुआ है उसको आज कल,,,ऑर अगर नही पता तो
प्ल्ज़्ज़ पता करो सन्नी क्यूकी जैसे तू उसकी आँखों मे आँसू नही देख सकता मैं भी उसके चेहरे पर उदासी
नही देख सकती ,,,,,

ठीक है मैं पता करूँगा कि उसकी उदासी का चक्कर क्या है,,,,वैसे हो सकता है उसका कोई बाय्फ्रेंड हो
जिसके साथ उसका झगड़ा हो गया हो ऑर उसी की वजह से वो उदास रहती हो,,

मेरी बात सुनके कविता ज़ोर से हँसने लगी,,,बॉय फ्रेंड ऑर सोनिया का,,किसी को उस से बात करके अपना सर फुड़वाना
है क्या,,,,,वैसे भी वो किसी लड़के से बात नही करती,,,,ऑर अगर करती तो मुझे ज़रूर पता होता..

हो सकता है उसने तुझे नही बताया हो ऑर तेरे लिए सर्प्राइज़ हो,,,बाद मे तुझे बताने का इरादा हो उसका,,,

ओह्ह्ह ष्हित्त ,,,सर्प्राइज़ से याद आया तेरे घर पे तेरे लिए एक सर्प्राइज़ आया है,,,मुझे पता है उसके बारे मे
तुझे अभी तक किसी ने नही बताया होगा,,,,पक्का,,,

सर्प्राइज़ ,कैसा सर्प्राइज़,,,,,

अरे बुद्धू सर्पाइस है तो बता कैसे सकती हूँ,,वो तो तुझे खुद देखना पड़ेगा घर जाके,,,मैने बता
दिया तो सर्प्राइज़ कैसा ,,,,

अभी वो बात कर ही रही थी कि एक कड़क सी गुस्से वाली आवाज़ से मैं सिहर उठा ऑर डर भी गया,,,क्यूकी ये
आवाज़ थी हिट्लर की जिस से मैं ज़िंदगी मे सबसे ज़्यादा ख़ौफ़ ख़ाता था,,,,,

तू यहाँ क्या कर रही है इस बब्लॅकी के साथ,,,,वो थोड़ा गुस्से मे बोली थी,,,पहले तो मैने सर झुका लिया
लेकिन जब मैने सर उठा कर हिम्मत करके उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे इतना ज़्यादा घूर कर देखा कि
मेरी नज़रे मानो ज़मीन मे धसती जा रही थी,,,,,

कुछ नही सोनिया मैं तो बस तुझे तलाश करने आई थी,,तो सन्नी मिल गया तो यहाँ बैठ गई,,,

अब तो मैं मिल गई ना तुझे ऑर तुझे पता है मैं बेकार लोगो की तरह कॅंटीन मे नही लाइब्रेरी मे होती
हूँ,,,,,,,चल अब उठ जल्दी ऑर चल यहाँ से,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by VKG »

Very goooooooooood
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

VKG wrote: 28 Sep 2017 13:57 Very goooooooooood
thanks dost
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »



कविता जल्दी से उठी ऑर सोनिया के साथ कॅंटीन से बाहर चली गई,,,मैं हिम्मत करके उनकी तरफ देखा तो
कविता तो हंस कर मुझे देख रही थी लेकिन वो हिट्लर की तो आँखों का रंग ही शायद लाल हो गया था हमेशा
के लिए ,,गुस्सा जो इतना करती रहती थी,,,,,,मैं उसके गुस्से से डर गया था,,,कविता के साथ बातें करते हुए कॉफी
ठंडी हो गई लेकिन सानिया ने कुछ पल क लिए कॅंटीन का माहौल इतना गर्म कर दिया कि कॉफी मुझे गर्म
लगने लगी थी ,,,,,मैं कोफ़ी को फूँक मार मार कर पीने लगा था लेकिन तभी मुझे याद आया कि कविता
किसी सर्प्राइज़ की बात कर रही थी,,,,,मैं थोड़ा खुश हो गया कहीं डॅड ने मेरे लिए न्यू कार तो नही लाके
रखी घर पे,,,,क्यूकी डॅड ने बोला था कि मुझे न्यू कार लेके देंगे,,,,मैं खुशी खुशी कॉफी पीक
कॅंटीन से बाहर जाने लगा तभी देखा कि एक टीचर कॅंटीन मे आया ओर कॅंटीन वाले को गर्दन से पकड़
कर बाहर ले गया,,,,मैं भी जल्दी से उनके पीछे गया तो देखा कि छोटी बस खड़ी हुई थी कॉलेज मे ऑर
कुछ 10-12 लड़के भी उसी बस के पास खड़े हुए थे कॅंटीन वाले को भी उन्ही लोगो एक पास खड़ा कर दिया
ऑर फिर उन लोगो को बस मे बिठा दिया.,,,,,

तभी बस एक पास खड़े हुए प्रिन्सिपल ने मुझे आवाज़ लगाई,,,,,

सन्नी ज़रा इधर आओ,,,,,,

मैं उनके पास चला गया,,,,

अच्छा हुआ तुम भी मिल गये,,,,चलो मेरे साथ थोड़ा काम है,,,,

कहाँ जाना है सर,,,,

--------हॉस्पिटल जाना है,,,चलो मेरे साथ,,,,,

सिर आप चलो मैं अपने बाइक पर आता हूँ,,,,,

ठीक है लेकिन लेट मत होना ऑर अभी निकलो यहाँ से,,,,

ठीक है सर,,,,इतना बोलकर मैं अपनी बाइक के पास गया ऑर जब तक मैं अपना बाइक स्टार्ट करके कॉलेज से बाहर
नही निकला तब तक प्रिन्सिपल ने भी अपनी कार स्टार्ट नही की थी,,,,मैं कॉलेज से निकला ऑर मेरे पास से वो बस
ऑर प्रिन्सिपल की कार गुजर कर मेरे से आगे निकल गई ऑर तभी मैं अपने फोन से ख़ान सर को फोन किया
क्यूकी मुझे लग रहा था कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ है,,,,


मैं ख़ान सर को पूरी बात बताई तो ख़ान सिर ने बोला कि डरने की ज़रूरत नही है वो भी अभी उसी हॉस्पिटल
मे है ,,,ओर उन्होने मुझे बताया कि सुरेश अमित ऑर उसका बाप लोग सब यहाँ है,,तुम आ जाओ कोई फ़िक्र की बात
नही,,,,

ख़ान सर से बात करके मेरा डर कुछ कम हुआ ऑर मैं ------- हॉस्पिटल की तरफ चल पड़ा,,,,


अभी मैं जा ही रहा था कि मेरा फोन बजने लगा,,,,,ये कॉल थी कामिनी भाभी की,,मैं अभी डरा हुआ
था एक तो सोनिया के गुस्से की वजह से ऑर उपर से प्रीसिपल की वजह से लेकिन कामिनी भाभी की कॉल देख कर
दिल थोड़ा खुश हो गया था,,

हेलो सन्नी,,,

हेलो भाभी जी,,,

मैं अभी तोड़ा काम से बाहर आया हूँ भाभी जी,,,,बस कुछ देर मे फ्री हो जाउन्गा,,,,कोई काम था
क्या ,,,,,


काम था तभी तो फ़ोन किया है सन्नी,,,

क्या काम है भाभी जी,,,,


जैसे तेरे को तो कुछ पता ही नही,,,,मुझे तेरे से क्या काम पड़ता है बता ज़रा,,,,



मुझे क्या पता होगा ,,आपको काम है आपको पता होगा,,,,मैं हँसते हुए बोला,,,,


हँस ले ज़ालिम जितना दिल करता है हँसले,,,मैं यहाँ तड़प रही हूँ ऑर तू हँस रहा है,,,कोई बात नही गिन
गिन कर बदला लूँगी तेरे से एक बार हाथ आजा मेरे,,,,,

ठीक है भाभी जी जितना दिल करे बदला लेना लेकिन पहले बताओ तो सही काम क्या है,,,

अभी नही ,,कल सुबह बताउन्गी,,,,कल सुबह घर आना,,,,करीब 10 बजे या उसके थोड़ा बाद,,,,,,,

कल सुबह क्या है,,कोई खास बात है क्या,,,,,

तू कल आना तो सही सब पता चल जाएगा,,,,,

ठीक है भाभी जी मैं कल सुबह आ जाउन्गा ,,मैने इतना बोला था कि भाभी ने बाइ बोलके फोन कट कर
दिया ऑर मैने भी अपने फोन को पॉकेट मे डाला ऑर बाइक चलाने लगा,,,,,कुछ 15-20 मिनट मे मैं
--------- हॉस्पिटल पहुँच गया,,,,,,,,,,,,

मैं हॉस्पिटल पहुँचा तो प्रिन्सिपल की कार ऑर वो बस जो स्कूल से चली थी वो भी हॉस्पिटल पहुँच
गई थी,,बस मे से वो लड़के निकले जो हमारे कॉलेज के थे ऑर साथ मे था कॅंटीन वाला लड़का ,,,तभी
कुछ पोलीस वाले आए ऑर उन लोगो को अपने साथ ले जाने लगे ,,एक पोलीस वाला जो कोई बड़ा ऑफीसर लग रहा
था वो प्रिन्सिपल के पास खड़ा हुआ बातें करने लगा ,,प्रिन्सिपल की नज़र मेरे पर पड़ी तो उन्होने मुझे
भी अपने पास बुला लिया,,मेरे वहाँ जाते हो वो ऑफीसर चुप हो गया,,,

आ गये बेटा तुम,,प्रिन्सिपल बड़े प्यार से बोला,,,

जी सर अभी पहुँचा हूँ,,,,,,,,,,बात क्या है सर अपने मुझे यहाँ क्यू बुलाया ऑर ये अपने कॉलेज के
बाकी लोग यहाँ क्या कर रहे है,,,मैने देखा था कॉलेज से जो बस चली थी वो भी यहाँ पहुँच गई है,,
आख़िर बात क्या है,,,,,,,

तभी वो पोलीस वाला बोला,,,,,,इतनी भी क्या जल्दी है बर्खुरदार थोड़ी देर रूको सब पता चल जाना है,वो
अपने ही अलग पोलीस वाले अंदाज़ मे बोला था,,,,,

कुछ नही बेटा ,,,,बस थोड़ी पूछ ताछ करनी थी तुम लोगो से इसलिए बुलाया था तुमको,,,प्रिन्सिपल अभी
बोलना शुरू ही किया कि वो पोलीस वाला हम लोगो को चलने क लिए बोलने लगा,,,पॉलोसे वाले के पीछे मेरे
प्रिन्सिपल ऑर उनके पीछे पीछे मैं,,,,,हम लोग लिफ्ट मे घुस्स गये ऑर हॉस्पिटल के टॉप फ्लोर पर चले गये,,,

फिर हम लोग प्राइवेट रूम की तरफ गये जहाँ का नजारा देख कर मैं दन्ग रह गया,,,,

वहाँ कम से कम 10-12 पोलीस वाले,,,,10-12 लड़के हमारे कॉलेज के ,,साथ मे कॅंटीन वाला भी ऑर बाकी
सब लोग वाइट कुर्ते पयज़ामे मे थे जिनको देख कर ही पता चलता था कि ये लोग पोल्टिक्स के बड़े दलाल
है,,सारा कमरा भरा हुआ था उन लोगो से,,,,ये एक बहुत बड़ा हॉल रूम था,,सामने 5-6 बेड लगे हुए
थे जिन पर सुरेश ऑर उसके दोस्त लेटे हुए थे,,सबको प्लास्टर लगा हुआ था,,,कुछ की हालत तो बहुत खराब
थी,,,,,मैं तो दुआ कर रहा था कि वो लोग मर जाए ओर हमारे कॉलेज के भी ज़्यादातर लोग यही दुआ कर
रहे होंगे,,,,

फिर मेरी नज़र पड़ी इंस्पेक्टर ख़ान पर जिसको देख कर मुझे कुछ राहत महसूस हुई,,,,ऑर ख़ान सर
के बिल्कुल पास ही रितिका खड़ी हुई थी,,,उसको एक पल देख कर तो मैं खुश हो गया ,क्यूकी वही 2 लोग
थे जो शायद मेरे साथ थे इस रूम मे बाकी लोगो के लिए तो मैं पराया ही था,,,,

कुछ डॉक्टर भी थे जो अपना काम कर रहे थे,,,,फिर वो सब डॉक्टर मिलकर एक तरफ हो गये मैने
आगे बढ़ कर देखा तो सामने कुछ सोफे लगे हुए थे जिन पर अमित ऑर सुरेश का बाप बैठा हुआ था साथ
मे कुछ लोग ऑर भी थे जो उन लड़को के बाप थे शायद जो बेड पर लेटे हुए थे,,,,,डॉक्टर ने आगे
बढ़ कर कुछ रिपोर्ट दिखाई ओर बात चीत करके रूम से चले गये,,,,

डॉक्टर के बाहर जाते ही रूम बंद हो गया ,,,रूम का दरवाजा पोलितिशियन के साथ मे आए बॉडीगार्ड्स ने
बंद किया था,,,,दरवाजा बंद होते ही अमित सोफे से उठकर मेरे ऑर प्रिन्सिपल के पास आया,,,वो मुझे हल्के
गुस्से से देख रहा था,,,,ऑर साथ ही अमित ऑर सुरेश का बाप भी उठकर हम लोगो के पास आ गया,,,



बोलो प्रिन्सिपल ये सब कैसे हुआ ,,,किसने मारा मेरे बेटे को,,,,ये सुरेश का बाप था,,,,

सर मैने कुछ नही देखा ,,मैं तो जब शोर सुनके बाहर आया सब कुछ ख़तम हो चुका था,,,आपके बेटे
को ऑर उसके दोस्तो को किसने मारा मुझे नही पता,,मैने कुछ नही देखा,,,,,,

तूने नही देखा मगर कॉलेज मे किसी ने तो देखा होगा,,,

जी सर इन लोगो ने देखा था,,,,प्रिन्सिपल ने उन लड़को की तरफ इशारा किया जो लोग बस मे आए थे,,,,

इन लोगो ने देखा था क्या इनको,,,,,

इतना तो पता नही सर लेकिन जब मैं अपने ऑफीस से बाहर आया था तो कॉलेज की भीड़ मे ये लोग भी थे
अब सारा कॉलेज तो यहाँ नही लेके आ सकता था ,,,,जितने लोगो की पहचान हुई उन सबको लेके आया हूँ
मैं,,,,यही लोगो ने देखा होगा उन लड़कों को जिन्होने मारा था सुरेश ऑर बाकी के लड़को को,,,,इन लोगो को
जब मैने सुरेश ऑर बाकी लड़को को आंब्युलेन्स मे डालने को बोला था तो कोई नही आया था आगे हेल्प करने


अच्छा इतनी हिम्मत इन लोगो की,,,,सुरेश की हेल्प करने के लिए आगे नही आए,,,अमित गुस्से से बोला,,,,,फिर पलट
कर मेरी तरफ उंगली करके बोलने लगा,,,,,ये यहाँ क्या कर रहा है सर,,,,,

तभी सुरेश का बाप बोल पड़ा,,,,,,,अमित बेटा ये तो सुरेश का दोस्त है,,,इसी ने पूरे कॉलेज मे आगे
बढ़ कर सुरेश को आंब्युलेन्स तक पहुँचाया था,,,,,

इसने,,,,अमित हैरान होके बोला,,,,,,ये कब्से सुरेश का दोस्त बन गया,,,,,यही तो है जिस से 1-2 बार मेरा
ऑर सुरेश का पंगा हुआ था,,,,,हो न हो इसी ने मारा होगा सुरेश को इस बार भी,,,

नही बेटा तुझे गलतफहमी हो रही है,,,इसने तो सुरेश की हेल्प की थी,,,,,प्रिन्सिपल भी बोला

तभी अमित का बाप मेरे पास आया,,,,,,क्या तूने मारा सुरेश को,,,,क्या पहले भी तेरा कोई पंगा हुआ था
मेरे बेटे ऑर उसके दोस्तो के साथ,,,,

जी सर मेरा पंगा हुआ था,,,,क्यूकी ये लोग एक बेक़सूर लड़के को बुरी तरह पीट रहे थे,,मुझसे देखा
नही गया तो मैं बीच बचाव मे आ गया था,,,,लेकिन पहले शुरुआत मैने नही की मैं तो इनको रोक
रहा था,,जब ये नही रुके तो मैं भी शुरू हो गया,,आख़िर मैं भी जवान ओर गर्म खून हूँ

किसको पीट रहे थे तुम अमित बेटा,,,,

जी डॅड वो है एक हमारे कॉलेज का हरामी,,सुमित,,,,,,,साला मेरे टुकड़ो पे पलता था ऑर मुझी को आँखें
दिखाने लगा था,,,,
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