कहीं वो सब सपना तो नही complete

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

Smoothdad wrote: 13 Jul 2017 07:17 sexi update mitr
thanks
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »


तभी सोनिया ने पूरे गुस्से से मेरी तरफ देखा ऑर रूठती हुई ऑटो मे जाके बैठ गई,,,,,मैने बाइक को आगे बढ़ा लिया ऑर ऑटो वाला भी पीछे पीछे आने लगा,,,,,

मैं बाइक के मिरर से पीछे ऑटो मे बैठी हुई सोनिया को देख रहा था ,,वो पूरे गुस्से मे मुझे घूर रही थी,,उसको
इतना गुस्सा था मेरे पर कि उसका दिल करता तो पत्थर मार कर मेरा सर फोड़ देती,,,लेकिन बेचारी कुछ नही कर सकती थी,,,,

मैने सोचा कि बाइक को ऑटो के साथ ही रखता हूँ ऑर उसको थोड़ा गुस्सा दिलाता हूँ,,,,थोड़ा तड़पाता हूँ लेकिन फिर
मैने सोचा कि ऑटो वाला क्या सोचेगा कि दोनो को एक जगह आना था तो लड़की को ऑटो मे क्यू बिठा दिया,,,यह सोच
कर मैने बाइक को तेज किया ऑर वहाँ से आगे बढ़ गया,,,


मैं घर पहुँचा तो मैं बहुत खुश था,,,एक तो आज सोनिया को मज़ा चखा दिया था ऑर उसको गुस्से को ओर भी भड़का
दिया था लेकिन आज मैं कोई ऐसी वैसी हरकत नही की थी बस मज़ाक मज़ाक मे उसको गुस्सा दिलवा दिया था ऑर उपर से मैं इस बात से खुश था कि आज सूरज भाई ऑर भाभी को वो स्टर्प-ऑन दे दिया था जिस से दोनो बहुत खुश हो गये थे,,अब वो दोनो मिलकर एक दूसरे को खुश कर सकते थे ,,उनको किसी की ज़रूरत नही थी,,,,मेरी भी नही,,फिर भी भाई ऑर भाभी ने बोला था कि अगर मेरी ज़रूरत पड़ेगी तो वो मुझे मज़ा ऑर मस्ती करने के लिए ज़रूर बुलाएँगे,,,,ऑर मैं भी तो उन लोगो के साथ मस्ती करने के लिए हमेशा तैयार था,,,क्यूकी जहाँ भाभी इतनी खूबसूरत थी वहीं सूरज को लंड चूसने का बड़ा हुनर था ओर उसकी गान्ड मार कर भी बहुत मज़ा आता था मुझे,,,,,

मैं सोनिया से पहले ही घर पहुँच गया था,,,मेरे घर आते ही मामा ने दरवाजा खोला जैसे ही मैं अंदर गया तो वो
बाहर निकल गया,,,,


कहाँ जा रहे हो मामा ,,,

कहीं नही बेटा बस थोड़ा काम है वही करने जा रहा हूँ,,,,

मैं सोचा नशेड़ी ऑर वहले बंदे को क्या काम हो सकता है,,,,,गया होगा अपने नशे का समान लेने,,,

खैर मामा वहाँ से चला गया ऑर मैं घर के अंदर आ गया,,,अंदर आके देखा तो माँ घर मे नही थी,,ना तो अपने
रूम मे थी ऑर ना ही किचिन मे थी,,,,शायद वो अभी भी करण के घर पर ही होगी,,,,,

मैने शोबा दीदी को भी आवाज़ लगाई तो कोई रिप्लाइ नही आया,,मैने नीचे भी देख लिया ऑर उपर जाके भी दीदी के रूम मे
देखा तो दीदी नही थी,,,मैं समझ गया कि दीदी वापिस बुटीक पर चली गई होगी ऑर मामा भी अभी वहीं गया होगा,,,,

सुबह से तो वो लोग घर पर ही मस्ती कर रहे थे लेकिन शाम को सोनिया ने आ जाना था घर पे इसलिए वो लोग बुटीक पर चले गये होंगे,,,,तभी तो मामा भी काम का बोलके घर से निकल गया है,,,अब ये रात को ही वापिस आएगा दीदी के आने के बाद,,,,लेकिन माँ अभी तक क्यू नही आई,,,लगता है माँ कुछ ज़्यादा ही मस्ती कर रही होगी अलका आंटी के साथ ऑर उनको कुछ ज़्यादा ही मज़ा आ रहा होगा तभी तो इतना टाइम हो गया है अभी तक वापिस नही आई ,,,,,,


मैं उपर रूम मे गया ऑर फ्रेश होके नीचे आ गया,,,,तभी बाहर बेल बजी ऑर मैं दरवाजा खोलने चला गया,,,,,मैने
दरवाजा खोला तो सामने सोनिया खड़ी हुई थी,,,,,उसने मुझे पूरे गुस्से से देखा ,,उसका चेहरा फूला हुआ था ऑर आँखें
गुस्से से लाल थी,,,वो कुछ नही बोली ऑर घर के अंदर आ गई,,,,,मैं उसको देख कर थोड़ा डर तो गया था लेकिन मुझे बहुत
अच्छा लग रहा था बहुत मज़ा आ रहा था क्यूकी आज मैने जान बूझ कर उसको गुस्सा कर दिया था,,,मैं मन ही मन थोडा
खुश होने लगा था,,,,

वो अंदर चली गई ऑर मैं भी दरवाजा बंद करके अंदर आके सोफे पर बैठ गया जबकि वो उपर अपने रूम मे चली गई ,,,,


कुछ देर बाद वो फ्रेश होके चेंज करके नीचे आ गई ऑर माँ को आवाज़ देने लगी,,,,लेकिन उसको जल्दी ही पता चल गया कि घर पर कोई नही है,,,फिर वो किचन मे चली गई ऑर कुछ देर बाद कुछ सब्जियाँ ऑर नाइफ लेके डाइनिंग टेबल पर बैठ
गई,,,मैं समझ गया कि ये माँ के आने से पहले डिन्नर की तैयारी करने लगी है,,,,,मैने उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे गुस्से से देखते हुए सब्जियाँ काटना शुरू कर दिया,,,,वो अपने दाँतों को ज़ोर ज़ोर से भींच कर मेरी तरफ लाल आँखों से देखती
हुई सब्जी काट रही थी,,,वो इतने गुस्से मे थी कि जैसे उसके हाथ मे सब्जी नही मेरी गर्दन है ओर वो मेरी गर्दन काट रही है,,


मैने उसकी तरफ कोई ज़्यादा ध्यान नही दिया ऑर टीवी देखने लगा,,,,लेकिन मैं मन ही मन आज बड़ा खुश था ,,आज उसको इतना तंग जो किया था,,,जानभूज कर उसको आज गुस्सा दिलाया था,,,

कुछ देर बाद मैं किचन मे गया क्यूकी मुझे प्यास लगी थी,,मैने पानी को बॉटल निकाली ऑर पानी पीने लगा,,मैं
बॉटल को मूह से उपर करके पानी पी रहा था तो कुछ पानी नीचे ज़मीन पर गिर गया,,मैने उसकी कोई परवाह नही की
ऑर पानी की बॉटल को फ्रिज मे रख कर कुछ खाने को तलाश करने लगा,,,ऑर मुझे कुछ कुकीस भी मिल गई,,,मैं वहीं
खड़ा होके 2-3 कुकीस मूह मे डालके चबाने लगा ऑर कुछ कुकीस हाथ मे लेके कुकीस वाले बॉक्स को वापिस अपनी
जगह पर रख कर किचन से बाहर आने लगा,,,,तभी मैने देखा कि सोनिया किचन मे आ गई ऑर फ्रिज खोलकर कुछ
समान लेके वापिस बाहर जाने लगी,,,,तभी ज़मीन पर गिरे हुए पानी की वजह से वो फिसलकर गिरने लगी जो पानी मेरी वजह से गिरा था,,,,,सोनिया पीठ के बाल गिरने लगी तो मैने जल्दी से जाके उसको पकड़ लिया,,,मेरा हाथ उसकी पीठ पर था मैने उसको पकड़ कर सीधा किया ओर किचन से बाहर आ गया,,,ना तो उसने कुछ बोला ऑर ना मैं कुछ बोल सकता था क्यूकी मेरा मूह भरा हुआ था कुकीस से,,,,मैने किचन से बाहर निकलते टाइम उसकी तरफ मूड कर देखा तो उसकी आँखों मे गुस्सा ऑर अजीब सा भाव था,,मैं समझ नही पा रहा था लेकिन गुस्सा तो दूर से ही पहचान लेता था मैं उसका,,,,


मैं किचन से बाहर आके सोफे पर बैठा ऑर एक हाथ से रिमोट उठा कर चॅनेल सेट करने लगा ऑर दूसरे हाथ मे पकड़ी
हुई कुकीस खाने लगा,,,,मैं जान भूज कर टीवी देख रहा था ऑर कुकीस खा रहा ता क्यूकी मैं खुद पर क़ाबू कर
रहा था ,,,एक पल के लिए सोनिया को सहारा देके गिरने से बचाया था ऑर उसको पीठ पर हाथ लगाया था लेकिन उसी एक पल मे मेरी हालत पतली हो गई थी,,,,एक पल मे लगा कि कोई तूफान पूरे जिस्म मे खलबली मचाने लगा है ,,,लंड एक पल मे ओकात मे आना शुरू हो गया था ऑर अगर सोनिया को इस बात का पता चला जाता तो जिस नाइफ से सब्जी काट रही थी उसी से मेरी गर्दन काट देती,,,,

मैं टीवी देखते हुए खुद पर क़ाबू पा रहा था वहीं सोनिया वापिस डाइनिंग टेबल पर बैठ कर सब्जी काटने लगी थी,,,मैं टीवी
देखते हुए बीच बीच मे एक नज़र उसकी तरफ देख लेता ,,,लेकिन उसकी आँखों मे अब गुस्सा नही था लेकिन चहरे पर
अजीब भाव थे हालाकी वो मुझे घूर ज़रूर रही थी बट गुस्से से नही,,,,

तभी उसकी सब्जी कट गई ऑर वो किचन मे सब्जी रखके बाहर आ गई ऑर डाइनिंग टेबले पर कपड़ा मारने लगी,,मैं उसकी तरफ देख रहा था तो वो कपड़ा मारने के बाद सोफे की तरफ बढ़ने लगी ऑर मेरे पास आके दूसरे सोफे पर बैठ गई,,,तभी मैने अपनी कॉकीस ख़तम कर चुका था मैने रिमोट को टेबल पर रखा ऑर उठकर वहाँ से जाने लगा,,,,मैं झूठ मूठ
का गुस्सा ऑर अकड़ दिखा रहा था इसलिए उसके सोफे पर बैठते ही मैं वहाँ से उठके जाने लगा,,

अभी मैं सोफे से उठकर जाने ही लगा था कि मुझे सोनिया ने आवाज़ देके रोक लिया,,,,,,कहाँ जा रहे हो भाई,,,

मैने पीछे मूड कर नही देखा बस ऐसे ही पीठ करके उसकी बात का जवाब देने लगा,,,,,,,तुझे क्या लेना जहाँ मर्ज़ी जाउ
मैं,,इतना बोलकर मैं फिर से आगे बढ़ने लगा,,,,

तभी वो फिर से बोली लेकिन इस बार हल्के गुस्से से,,,,भाई मैने पूछा कहाँ जा रहे हो,,,,

मैं उसकी तरफ पलट कर नही देखा,,,,,,,,मैं उपर जा रहा हूँ अपने कमरे मे थोड़ा काम है,,,,

क्या काम है ,,,,?

तुझसे मतलब ,,,मुझे कुछ भी काम हो तेरे को क्या,,,,

तभी वो चलके मेरे आगे आके खड़ी हो गई ऑर मेरी तरफ देखने लगी,,,,,क्या काम है भाई ,,,मुझे भी बताओ,,

मेरे काम से तुझे क्या लेना देना तू बैठ कर टीवी देख,,,,,मैं उपर जा रहा हूँ,,,

भाई तू ऐसा क्यूँ कर रहा है मेरे साथ,,,,इतना गुस्सा किस बात पर है तुझे,,,,क्यू मुझे इग्नोर कर रहा है ,,मुझे आज
अपने साथ घर भी नही लेके आया ऑटो मे बिठा दिया ऑर अब इतनी देर से टीवी देख रहा था ऑर जब मैं आई तो तू उठकर उपर जाने लगा,,,,सीधी तरह क्यू नही बोल दिया कि सोनिया यहाँ मत बैठो तो मैं नही बैठती,,,,एक तो खुद बुरा काम करते हो उपर से खुद ही गुस्सा हो जाते हो,,,,


अच्छा आज मैं उठा तो तेरे को नज़र आ गया ऑर जब तुम टीवी देखती हो ओर मैं आके सोफे पर बैठ जाता हूँ तो तुम क्यू उठकर भाग जाती हो,,तुम मुझे क्यू नही बोल देती कि सन्नी यहाँ मत बैठो,,

क्यूकी तुम बुरे हो भाई,,,बुरी बातें करते हो इसलिए तुम जब आके मेरे पास बैठ जाते हो तो मैं उठकर चली जाती हूँ,,,

हाँ हाँ मैं बुरा काम करता हूँ ऑर मैं बुरा इंसान हूँ,,,क्या अब ऑर कुछ कहना है तुझे,,,,या मैं जाउ उपर,,,,

नही जा सकते,,मेरी पूरी बात सुने बिना मैं नही जाने दूँगी,,,,उसने अपने हाथ को दोनो तरफ खोल दिया ऑर मेरे सामने
ऐसी खड़ी हो गई जैसे मेरा रास्ता रोक रही हो,,,

क्या बात करनी है,,जल्दी कर मुझे उपर जाना है,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

भाई ऐसा मत कर मेरे साथ प्लज़्ज़्ज़ क्यू बार बार मुझे तंग करता है तू,,,क्यू ऐसी हरकत करता है कि मैं तेरे से गुस्सा
होने पर मजबूर हो जाती हूँ,,,,पहले तो तू ऐसा नही था अब कुछ महीनो मे तुझे क्या हो गया है ,,क्यू हम दोनो भाई
बेहन जो बहुत अच्छे दोस्त थे एक दूसरे के बिना नही रहते थे क्यू अब हम दोनो दूर दूर रहने लगे है ,,क्यू भाई
ऐसा क्या हो गया तुझे कुछ महीनो मे जो तू इतना बदल गया है,,,,इतना बोलते टाइम उसकी आँखों मे नमी आ गई,,,

बोल दिया जो बोलना था,,,,,अब मैं जा सकता हूँ क्या,,,,,,मैने उसके उदास चेहरे ऑर नम आँखों की भी कोई परवाह नही
की,,,ऐसा नही कि मैने परवाह नही की लेकिन मैं उसको ये जताना नही चाहता था क्यूकी अगर उसको पात चला जाता या ज़रा सा भी शो हो जाता कि मुझे उसके उदास चहरे की या नम आँखों की थोड़ी सी भी परवाह है तो वो मुझपे हावी हो जाती जो मेरे लिए अच्छी बात नही थी,,,क्यूकी अगर वो हावी हो जाती तो ऑर भी ज़्यादा ख़तरनाक हो जाती,,,,

नही जा सकते तुम भाई,,,पहले मेरी बात का जवाब दो,,,,ऐसा क्या हो गया तुझे कुछ महीनो मे जो तू इतना बदल गया,,,

मुझे नही पता मुझे क्या हुआ है बस इतना पता है मैं वो सन्नी नही रहा अब जो पहले था,,,अब मैं बुरा इंसान
बन गया हूँ बुरा भी नही बहुत ज़्यादा बुरा,,,तू दूर रहा कर मेरे से,,,,

मैं दूर नही रहूंगी तेरे से,,ऑर तू बुरा नही है भाई तू तो बहुत अच्छा है,,,लोगो की हेल्प करता है,,,,वो तो तेरा दोस्त
करण है जिसकी वजह से तू ऐसी हरकते करने लगा है ऑर उसकी वो कमीनी बेहन शिखा ,,उन दोनो ने ही तेरा दिमाग़ खराब किया है भाई,,,,वो अच्छे लोग नही है तू उनसे दूर रहा कर भाई,,,वही लोग तेरे को बुरा बना रहे है,,,,उनकी संगत मे
रहना बंद कर देगा तो खुद-ब-खुद ठीक हो जाएगा तू भाई,,,,,

मैं सोचा कि अब इसको क्या बोलू कि मैं उनकी संगत मे रहके बुरा नही बना बल्कि वो दोनो मेरी वजह से इस रास्ते पर
चलने लगे है,,,मेरी वजह से आज करण अपनी बेहन शिखा के साथ मस्ती करता है,,,

मुझे किन लोगो के करीब रहना है ऑर किन लोगो से दूर रहना है मैं अच्छी तरह जानता हूँ,,,,ऑर मैं अच्छा इंसान नही
हूँ बहुत बुरा हूँ,,,,तू मेरे से दूर रहा कर बस,,,,तेरे लिए यही ठीक रहेगा,,,,,,

मैने बोला ना मैं तेरे से दूर नही रहूंगी ,,,बचपन से हम दोनो साथ साथ है तो भला अब मैं तेरे से दूर क्यू
रहूं ,,,वो थोड़ा गुस्से से ऑर चिल्ला कर बोल रही थी,,,,,,,,,

मैं थोड़ा सहम गया था उसके गुस्से से,,,,,लेकिन मैने शो नही किया,,,,,

ऑर तुझे किसने बोला भाई तू बुरा है,,तू तो बहुत अच्छा है,,,,उस दिन मैने अपनी आँखों से देखा था,,,,

मैं साला सोच मे पड़ गया कि अब इसने क्या देखा लिया,,कहीं कुछ ऐसा वैसा तो नही देख लिया,,,,अब तो बेटा सन्नी तू
गया काम से अब ये नही छोड़ने वाली तेरे को,,,,कच्चा चबा जाएगी ओर सारा खून भी निचोड़ कर पी जाएगी,,,,



क्या देखा तूने,,,,? मैने हैरान होके पूछा,,,,,

मैने देखा था भाई उस दिन कॉलेज मे वो लड़का जिसका हाथ टूटा हुआ था ऑर कुछ लड़के उसको मार रहे थे ,,पूरा
कॉलेज खड़ा तमाशा देख रहा था किसी ने हिम्म्त नही की उस लड़के को बचाने की लेकिन तू आगे गया था भाई उस लड़के
की हेल्प करने के लिए,,,,तूने उस लड़के को बचाया था उन लड़को से जो उसको मार रहे थे,,,,ऑर आज मुझे पता चला कि तूने कविता के घर की सारी प्रोबलंस दूर करदी है,,,मैने देखा था सूरज भाई ऑर कामिनी भाभी को,,,उनकी आँखों से निकलने
वाले खुशी के आँसू भी देखे थे वो लोग तुझे थॅंक्स्क्स्क्स बोल बोल कर थक नही रहे थे,,,तूने उनकी फॅमिली मे दोबारा
से खुशियाँ भर दी है भाई,,,वो लोग कितना खुश थे,,,,,तुझे पता है ना कि कुछ टाइम से उनके घर के हालात ठीक नही
थे कोई दिन ऐसा नही था जब उनके घर मे फाइट नही होती थी,,कोई दिन ऐसा नही था जब उनके घर मे कामिनी ऑर कविता रोती नही थी लेकिन आज वो सब लोग खुश है ,,,ऑर उन लोगो के चहरे पर खुशी की वजह तुम हो भाई,,,,शोबा दीदी ने तो बस उनकी हेल्प करने की कोशिश की थी लेकिन असली हेल्प तो तूने की उनकी भाई,,,मुझे कविता ने सब बता दिया कैसे तुम अपने किसी दोस्त के फादर के पास जो एक बहुत अच्छे डॉक्टर है तुम उनके पास कामिनी भाभी को लेके गये ऑर उनका एलाज़ शुरू करवा दिया,,,कैसे तुम्हारी वजह से आज भाभी इतना खुश है,,,,,सूरज खुश है ,,,कविता खुश है,,,,,ऑर उन लोगो की वजह से मैं भी बहुत खुश हूँ भाई,,,,इतना बोलकर सोनिया मेरे करीब आ गई ऑर मेरे गले मे बाहें डालके मुझे हग करके रोने लगी,,,,

तुम बहुत अच्छे हो भाई,,,,सबका कितना ख्याल रखते हो सबकी हेल्प करते हो,,,फिर इतना बुरा काम क्यूँ करते हो,,,मैं जानती हूँ तुम बुरे नही तुम बस करण की वजह से ऐसी हरकते करते हो,,,,

वो पता नही क्या क्या बोलती जा रही थी मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कुछ सुनाई नही दे रहा था मैं तो बस उसके
इतने करीब होने से उसके जिस्म के एहसास से उसके बदन की खुश्बू से मदहोश होके किसी ऑर ही दुनिया मे पहुँच गया
था,,,,तभी ना जाने कब मेरा एक हाथ उसकी पीठ पर गर्दन के थोड़ा नीचे चला गया ऑर एक हाथ जिसको मैं उसकी पीठ
पर कुर्ते के उपर रखने वाला था वो हाथ उसकी नंगी पीठ पर उसकी गान्ड से थोड़ा सा उपर टिक गया था,,,उसका कुर्ता
वैसे तो नीचे था लेकिन जब उसके हाथ उपर उठ गये जब उसने मेरे गले मे अपनी बाहें डाली थी तो हाथ उपर उठने की
वजह से उसका कुर्ता भी उपर उठ गया था ऑर मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ पर रखा गया था,,,मैं ऐसा नही करना
चाहता था लेकिन मैं उसके बदन की खुश्बू से मदहोश हो गया था ऑर ग़लती से उसका कुर्ता उपर उठने की वजह से मेरा
हाथ उसकी नंगी पीठ पर आ गया था,,,,

मेरा हाथ नंगी पीठ पर लगते ही उसकी आवाज़ बंद हो गई,,वो चुप हो गई,,,,

तभी मैने अपने उस हाथ को जो उसकी नंगी पीठ पर था उसको उसकी पीठ पर हल्के से सहलाया ऑर पीठ से उपर की तरफ ले आया जहाँ उसकी ब्रा थी,,मेरे ऐसा करते ही उसके बदन को तेज झटका लगा,,,,तभी मैने अपने हाथ को उसकी पीठ पर नीचे की तरफ ले जाना शुरू किया ऑर उसकी पीठ से एक तरफ करके उसकी कमर पर ले गया ऑर मुझे पता नही क्या हुआ मैने उसकी कमर को अपने हाथ मे ज़ोर से पकड़ कर दबा दिया,,

मेरे ऐसा करते ही उसके मूह से हल्की आवाज़ निकली,,,वो आवाज़ कुछ अजीब थी जैसे किसी की साँसे अटक जाती है वैसे उसकी भी साँसे अटक गई थी,,उसके उपर के साँस उपर ऑर नीचे की साँस नीचे रह गई थी,,,,तभी मैने एक बार ऑर हल्के से उसकी कमर को दबा दिया ऑर दूसरे हाथ से जो उसकी गर्दन के नीचे उसकी पीठ पर था उस से उसको अपने ऑर करीब करके अपने से सटा लिया,,अब वो मेरे इतने करीब थी कि उसके बूब्स मेरी छाती पर दब रहे थे,,हम लोगो मे इतनी जगह भी नही थी कि हवा भी बीच से गुजर सके,,,,तभी मैं अपने लिप्स को उसके कान के करीब कर दिया ,,,,ऑर प्यार से हल्की मदहोशी मे बहुत स्लो आवाज़ मे उसको बोलने लगा,,,,,,


देख मैं आच्छा ल्लाडडकक़ा नाहहीी हूंन ,,मैईन्न ब्भ्हुत्त्त ब्बुउर्रा हून्न ,,इस ल्लीइयईी क्कहहत्ता हूओंन्न क्कीी
म्मेरेरीए ससी द्दूवररर र्राहहा क्कार्र तुउउउ कक्युउककीी म्मैहईन्न त्तेर्री सात्तह बभीी ककुउच्च ब्बुउर्रा कारर
साककत्ता हून्णन्न् र मायन्न न्नाहहिईीई चहाआतता क्कीिई म्मैहईन्न टररी स्साटतह ककुउचह ब्बुउर्रा करुउउउ
ऊरर तुऊुज्झहही हहुुरत्त काररुउउउ,कययुउकीी मायन्न तुउज़्झहहे हहुुरतत्त कररननी क्की ब्बरी म्मी स्सपपंनी मी
बहीी न्नाहहीी सूकच्छ साककत्ता,,,र तटूउज़्झहहे ककब्भीी डुूक्खहीी न्नाहहीी द्डेक्खह स्साकत्ताअ ,,तूऊ प्लज़्ज़्ज़ मेरेरी
ससी द्दूर्र र्राहहा क्काररररर,,,,,

कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »


इतना बोलकर मैने अपनी पकड़ को उसके जिस्म पर थोड़ा कमजोर कर दिया तो उसने बड़े आराम से कोई जल्दबाज़ी नही करते हुए मेरे से अलग होने की कोशिश की,लेकिन तभी ना जाने मुझे क्या हुआ मैने उसको फिर कस्के अपने करीब कर लिया इस बार उसके मूह से हल्की अहह निकल गई लेकिन ये आह मस्ती की थी या दर्द की मैं ये नही जान सका क्यूकी मैने उसको बहुत ज़ोर से अपने साथ दबा लिया था ऑर फिर से मेरे लिप्स उसके कान के पास चले गये थे,,,,,

म्मैेईन्न ब्बुउर्रा हूँ तूओ इसस्क्का मत्तलाब्ब यईी न्नाहि क्कीी स्साररीइ गगल्लत्टीी म्मेरेयिइ हहाइी ककुउच्च गाल्लत्टीी
त्ीररीई बभीी हाइी तटूउ हहाइईइ हिी इट्त्न्नीी खूब्बससुर्राातत्त क्कीी मैईन्न क्क्य्या क्कू बहीी लद्डकक़ा त्तीरर काररीब्ब
आन्नी सीसी ल्लीययए ककुउच्च बहीी कररननी कू त्तायरर हहू जआययी ऊरर मायन्न बहीी टतेरी काररीब्ब आनने सीसी लिई
ककुउच्च बभीी काररननी क्कू ताययर्र हहूऊंन ल्लेककिन्न म्मायन्न्न्न् क्क्हुद्धह त्तीररी काररीब्ब ककब्भीइ
न्नाहहीी आट्टाअ यी टू त्त्तरीररी ज्जििसम्म क्कीी कखहुउस्शहबू हहाईईइ टटेररीई सन्नस्सूओ क्कीी माद्धूश्ह क्कररननी
वाल्लीइीइ मीहाकक हहाऐईइ टीररी पपाससीन्नी किी ममतहिि ऊरर नामककींन गंदा हाइईइ तूओ म्मूउज़्झहही
मद्धूस्सह क्कार्रक्की त्तीररी काररीब्ब आन्नी क्कू माजजब्बूओर क्कररत्त्टीी हाइईईई ,,माईंन त्तीर्रे क्काररीब्ब
नाहहिि आत्ता ययई तूओ तुउउउ हाइी ज्जू पपत्ता न्नाहहीी किस डोर्र ससी म्मूुझहही आपपंनी कारीबब ख्हीन्नच्छ
लेटटीीई हाइईइ,,,मैंन क्कीत्त्न्नी बारर इस डोर्र्र क्कूव टूद्दननी क्कीईइ क्कूशहीससह कारर चुका हहूँ लीक्कीिईन्न्न्न्
हहारर बारर नाकाँम रहहा हून्न्न ज़्जब्ब बहीी इश्स ड्ड़ोर्र क्कू टूद्धनने क्कीिई क़ूसशिीसश क्काररत्ता हू न टू यी
ड़ड्डोर्र र बहीी जय्यड्डा मजज़बूओत हहू जात्तीी हाइी र मुुझहही तीरीई तारराफ़ कखीन्न्कचछ लेटटी हाइईइ मेरेरा
ख़्हुडद प्पीरर क्कू क़बबू नाहहीी रीहहता ,,,,,,,,,,,इतना बोलते हुए मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे ऑर दूसरा
हाथ उसके बालों मे था ऑर मेरे हाथ की उंगलियाँ उसके बालों मे घूम रही थी ,,उसकी हार्ट बीट बहुत तेज थी ऑर उसकी
साँसे भी काफ़ी तेज ऑर गरम हो गई थी ,,,,वो मेरे साथ बिल्कुल सटके खड़ी हुई थी उसके दिल की तेज धड़कन मुझे अपने दिल के करीब महसूस हो रही थी जिसस वजह से मेरे दिल की धड़कन भी काफ़ी तेज हो गई थी,,,,मेरे हाथ लगातार उसकी पीठ को सहला रहा था ओर दूसरा हाथ उसके बालों को,,,,


तभी मैने अपने उस हाथ से जो उसके बलून मे था उस से उसके बालों को कस्के अपनी उंगलियों मे जकड़ा ऑर उसके सर को अपने से थोड़ा दूर किया ,,,,,मैने उसके चहरे को देखने लगा जिसपे एक मासूमियत थी ऑर आँखों मे एक उलझन थी वो
कुछ समझ नही पा रही थी जैसे मैं कुछ समझने की हालत मे नही था ,,वो मेरी आँखों मे देख रही थी ऑर मैं उसकी
आँखों मे ,उसके लिप्स थोड़े खुले हुए थे ऑर वो तेज तेज साँसे ले रही थी तभी मैं उसके सर को अपने करीब करने लगा
,वो समझ गई थी अब मैं क्या करने वाला हूँ क्यूकी मेरा ध्यान उसके लिप्स की तरफ था ऑर उसका ध्यान मेरी तरफ,,तभी
उसके हाथ जो मेरे गले मे थे वो अपने हाथों से मेरी पीठ को ज़ोर से दबाने लगी ऑर मेरी पीठ को अपने नाखूनो
से कुरेदने लगी ,,मुझे हल्का हल्का दर्द हो रहा था जो मुझे ऑर भी मस्त करने लगा था ,,जैसे जैसे उसके लिप्स मेरे
करीब आ रहे थे वैसे वैसे उसको आँखें भी बंद होने लगी थी,,,जब तक उसकी आँखे पूरी तरह बंद हुई तब तक
उसके लिप्स मेरे लिप्स से बस सटने ही वाले थे,,,,हम दोनो के लिप्स मे अब बस 1 इंच से भी कम फाँसला था ,,,उसका मूह भी खुला हुआ था ऑर मेरा भी ,,,हम दोनो की साँसे एक दूसरे के मूह मे जाने लगी थी,,,,मेरा हाथ उसकी पीठ पर कसने
लगा था ऑर दूसरा हाथ उसके बालों मे सहलाने लगा था,,,,,वहाँ पूरी तरह सन्नाटा था हालाँकि टीवी चल रहा था लेकिन
मुझे अब टीवी की आवाज़ सुनाई नही दे रही थी,,,मुझे तो बस उसकी तेज तेज साँसों की ऑर तेज़ी से धड़क रहे दिल की आवाज़ सुन रही थी,,,ऐसा लग रहा था कि उसकी साँसों का शोर ऑर दिल की धड़कन माहौल मे गूँज रही है ,,,,मैं पूरी तरह से बेक़ाबू हो गया था ऑर तभी उसके लिप्स से मेरे लिप्स टच कर गये ,,ऐसे लगा जैसे समंदर मे तूफान आ गया है ऑर माजी अपनी किश्ती को किनारे पर लगाने की राह तलाश कर रहा है , वही तूफान था मेरे अंदर ऑर मैं भी कोई राह तलाश रहा था लेकिन मुझे नही पता था मैं इस तूफान से बच पाउन्गा या नही ,,आगे क्या होनेवाला था मैं इस से अंजान था बस अपनी राह चलने की कोशिश कर रहा था,,,,,

कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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