अरे तुम भाई बेहन अभी तक बच्चो की तरह लड़ते क्यू रहते हो ,,अब तो बड़े हो जाओ ,,,,परेशान करके रखा है,,जा
शोबा बेटी तू ही बुला ला अपनी बेहन को,,,,
जी मोम,,,शोबा इतना बोलकर उठी ऑर वहाँ से उपर चली गई जबकि मैं डाइनिंग टेबल पर जाके बैठ गया,,मेरा हाथ मेरे
मूह पर था ,,,माँ का ध्यान नही था वो सबकी प्लेट मे खाना परोसने मे लगी हुई थी,,,
सोनिया को तो नही बुलाने जाना था तूने जा जाके मामा को तो बुला ले,,,बोल उसको की खाना लग गया है,,माँ प्लेट मे खाना डालते हुए ही बोली,,मेरी तरफ नही देखा उन्होने,,,,,
मैं अभी चेयर पर बैठा ही था कि उठकर मामा के रूम मे गया ऑर मामा को डिन्नर के लिए बाहर आने को बोला,,,
ठीक है बेटा तू चल मैं आता हूँ,,मामा कुछ धीमी ऑर थकि हुई आवाज़ मे बोला था,,,मैं समझ गया कि सच मे
मामा की तो पुँगी ही बज गई थी,,,,क्या हाल किया है शोबा ऑर शिखा ने मिलकर मामा का,,,,सुना था मर्द औरत की फाड़
कर रख देता है लेकिन यहाँ तो उल्टा हो गया था,,,2 लड़कियों ने मिलकर मामा की फाड़ दी थी,,,,,मैं सोच सोच कर
मन ही मन हँसने लगा ऑर वहाँ से वापिस जाने लगा ,,
तभी शोबा दीदी सोनिया को साथ लेके नीचे आ गई ऑर डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ने लगी,,,,मैं उनके पीछे था,,,शोबा ऑर
सोनिया जाके डाइनिंग टेबल पर माँ की तरफ बैठ गई,,,,,,,,
मैं जाके सामने की तरफ बैठ गया ऑर मेरे साथ वाली चेयर पर आके मामा बैठ गया,,,,,
माँ के साथ वाली चेयर पर सोनिया बैठी हुई थी,,,,,वो मेरे से नज़र नही मिला रही थी सर को झुका कर बैठी हुई थी,,,तभी
माँ उसको बोली,,,,,,क्या हुआ बेटी तू इतनी गुम सूम क्यू है,,,,,तेरी तबीयत तो ठीक है ना,,,,,
माँ की आवाज़ सुनके सोनिया एक दम से नींद से जागी ऑर सर उठा कर माँ की तरफ देखने लगी,,,,,हां माँ मैं बिल्कुल ठीक हूँ ,,वो बोल तो ठीक रही थी लेकिन उसके चहरे के हाव-भाव उसका साथ नही दे रहे थे,,,,सॉफ पता चल रहा था वो
कुछ परेशान है ऑर थकि ताकि लग रही है,,,,,,
लगता है मेरी बेटी आज कुछ ज़्यादा ही थक गई है सब्जी काट कर,,,,आज तो बेटी अलका आंटी के घर पर टाइम लग गया ऑर लेट हो गई
इसलिए तुझे सब्जी काटनी पड़ी बट नेक्स्ट टाइम से मैं ख्याल रखूँगी इस बता का ऑर जल्दी घर आउन्गी,,,,चल अब खाना खा
ले मैं तुझे बाद मे दूध मे शहद डालके दूँगी तो आराम मिलेगा तुझे,,,,सारी थकान दूर हो जाएगी,,,,
ठीक है माँ,,इतना बोलकर सोनिया सर झुका कर खाना खाने लगी,,,,वो मेरे से नज़र नही मिला रही थी ,,जबकि मैं भी उस
से नज़र नही मिला रहा था फिर भी मैं चोरी चोरी उसकी तरफ देख रहा था,,,,मुझे ऐसा लग रहा था कि आज मैं उस
से इतना नही डर रहा था जितना वो मेरे से डर रही थी,,,,,उसकी आँखों मे आज गुस्सा तो था लेकिन इतना नही ,,आज उसकी आँखों
मे गुस्से के साथ साथ हल्का डर भी नज़र आ अरहा था,,,,वो डर था या उदासी मायूसी ये समझ पाना थोड़ा मुश्किल था
मेरे लिए क्यूकी उसको आज तक कभी डरी हुई नही देखा था मैने,,,उसकी आँखें जब भी मेरी आँखों से मिलती तो वो जल्दी
से सर को झुका लेती ऑर वापिस खाना खाने लगती लेकिन रोटी का एक नीवाला चबा कर हलक से नीचे उतारने मे उसको परेशानी
हो रही थी,,,,रोटी का वो नीवाला उसके मूह मे इधर उधर घूम रहा था बस जिसको वो मायूसी से हल्के हल्के चबा
रही थी,,,,,डरा तो मैं भी हुआ था थोड़ा उदास भी था,,क्यूकी सोनिया एक चहरे पर उदासी मुझे अच्छी नही लगती थी,,ऑर
डरना तो मेरा वाजिब था आज हरकत ही कुछ ऐसी की थी मैं जिसकी वजह से मेरी फटी पड़ी थी,,,,,,
लेकिन तभी कोई कुछ बोला ऑर मेरी गान्ड पहले से भी ज़्यादा फॅट गई,,,,
ये तेरे लिप्स पे क्या हुआ है सन्नी,,,,,ये शोबा दीदी की आवाज़ थी जिसको सुनकर मेरी गान्ड फॅट गई थी,,,,सोनिया के काटने की
वजह से खून तो काफ़ी निकला था लिप्स से लेकिन अब तो लिप्स थोड़ा सूज भी गया था,,,मैं मूह पर हाथ रखके खाना नही
खा सकता था ऑर अगर ख़ाता तो सच मे पकड़ा जाता इसलिए आराम से नॉर्मल होके खाना खा रहा था,,,,लेकिन फिर भी
शोबा दीदी ने पकड़ लिया,,,,
वू वू कुउक्च्छ भी तो नाहहीी हहुउऊुआ,,,,,,मैं थोड़ा दर गया लेकिन तभी मेरा ध्यान गया सोनिया की तरफ जिसके
चेहरे का रंग फीका पड़ने लगा था ,,,उसके मूह मे जो नीवाला था वो उसके गले मे जाके अटक गया ऑर उसको खाँसी होने
लगी ऑर तभी उसको हिचकी लग गई,,,,माँ ने जल्दी से उसको पानी का ग्लास दिया ,,,अरे तुझे क्या हुआ एक दम से,,,,आराम से खाना खा ले तेरे पीछे पड़ा हुआ है क्या कोई,,,,,,,चल पानी पी अब,,,इतना बोलकर माँ ने अपने एक हाथ से पानी का ग्लास सोनिया
के लिप्स पर लगा दिया ऑर एक हाथ से उसकी पीठ थपथापने लगी,,,,,सोनिया पानी पीती हुई मेरी तरफ देख रही थी,,वो थोड़ा परेशान थी ,,,
तभी शोबा फिर से बोली,,,ओह्ह मिसटर कहाँ खो गया तू तेरे से कुछ पूछा है मैने,,,,,शोबा ने फिर से मेरे से
वही पूछा जिसका मैं कोई जवाब नही दे सकता था शायद देने की हिम्मत नही थी,,,लेकिन सोनिया की तरफ देख कर ऑर
उसकी परेशानी देख कर मुझे पता नही कहाँ से हिम्मत आ गई,,,
इस से पहले मैं कुछ बोलता माँ सोनिया की पीठ थपथपाती हुई बोली,,,,अरे ये क्या हो गया बेटा,,,,तेरा लिप्स इतना कैसे सूज
गया ,,,किसी से झगड़ा हुआ क्या तेरा,,,कैसे लगी ये चोट,,,
नही माँ किसी से कोई झगड़ा नही हुआ,,,मैं माँ की बात का जवाब दिया लेकिन माँ नही मानी,,,
तू दिन भर दिन कुछ ज़्यादा ही फाइट करने लगा है अभी कुछ महीना भर पहले भी तूने फाइट की जब कोई लड़का सोनिया ऑर
कविता को तंग कर रहा था कॉलेज से आते टाइम,,,,तब भी तुझे बहुत चोट लगी थी ऑर आज फिर तेरा लिप्स सूजा हुआ है,,
सच बता कैसे लगी ये चोट,,,,,माँ हल्के गुस्से मे बोल रही थी ऑर उधर सोनिया को एक हाथ से पानी पिलाती हुई उसकी पीठ
पर हल्के से हाथ मार रही थी,,,,,,ऑर इधर शोबा भी मेरे लिप्स की तरफ देख रही थी मुझे कुछ समझ नही आ रहा था
क्या बोलू,,,,,
तभी माँ फिर से हल्के गुस्से मे बोली,,,,,बताता है या करूँ तेरे डॅड को फोन कि आपका बेटा आज फिर किसी से फाइट करके
आया है,,,,,
नही माँ डॅड को फोन मत करना ये तो मैं,,वो बस,,,
वो वो क्या लगा रखा है एक तो ग़लती करता है फिर चोट लगवा लेता है फिर कुछ बोलता नही ,,,,कितना बड़ा हो गया है
फिर भी बच्चो वाली हरकते करता है,,,,बोल क्यू करता है ये सब,,,,,क्यू करता है एसी ग़लती जिसका जवाब ना दे सके,,बोल
क्यू करता है ग़लती,,,
तभी माँ की बातें ऑर शोबा का ऐसे मेरे लिप्स की तरफ घूर्णा मुझे अजीब लग रहा था ऑर मैं जल्दी जल्दी मे बोल
गया,,,,,ये मेरी ग़लती नही माँ सब सोनिया की वजह से हुआ है,,उसी की वजह से मेरे लिप्स पर सूजन आई है,,,
मैं अभी बोलना शुरू ही हुआ था कि सोनिया का नाम मेरे लिप्स पर आते ही सोनिया के मूह से सारा पानी एक ही बार मे डाइनिंग
टेबल पर गिर गया ,,,माँ के हाथ से ग्लास भी निकल कर नीचे गिर गया ,,सोनिया अपना नाम सुनते इतना ज़ोर से खाँसी थी कि
पूछो ही मत,,,,,,
अरे अब तुझे क्या हुआ,,,,,लगता है तबीयत कुछ ज़्यादा ही खराब है तेरी,,,,,तेरे से कोई काम करवाना ही नही चाहिए,,
जब देखो कम करके जल्दी थक जाती है तू,,,देख अब खाना भी ठीक से नही खाया जा रहा,,,,,,
चल उठ मैं तेरे को रूम मे छोड़ कर आती हूँ फिर मेडिसिन देती हूँ,,,इतना बोलकर माँ चेयर से उठी ऑर साथ
ही सोनिया को भी खड़ा कर दिया,,,,,,लेकिन तभी माँ ने सोनिया से पूछा,,,,,,,,ये सन्नी क्या बोल रहा है तेरी वजह से इसके लिप्स पर सूजन आई है,,,,,क्या तूने इसको मारा था,,,,तुम दोनो का झगड़ा हुआ क्या,,,,,
सोनिया का एक दम से रंग ही उड़ गया ,,,,मैने तो क्कुकच्छ ंहिी क्किया मा यी पत्ता नाहही क्या बोल्ल्ल राहहा हहाई
सोनिया की आवाज़ मे एक डर था वो कुछ सहमी हुई थी ऑर तभी मैने देखा उसके फॉरहेड पर पसीना आ गया था,,,
अच्छा झूठी ये तूने नही किया,,,,,तूने मेरे लिप्स पर नही मारा,,,,सच बोलती है या मैं सब सच बता दूं मोम को
कि तूने कैसे खून निकाला मेरे लिप्स से,,,,,
माँ मेरी तरफ देखने लगी ओर फिर सोनिया की तरफ,,,,,,क्या ये सच है सोनिया,,,तूने मारा क्या अपने भाई को,,,जल्दी बता
क्या तूने खून निकाला था इसके लिप्स से,,,,,
सोनिया के चेहरे का रंग ही उड़ गया,,,,माँ मैने कुछ नही किया सच मे ये झूठ बोल रहा है,,,,
अच्छा तो तू कुछ नही बोलेगी,,चल मैं ही बता देता हूँ कि मेरे लिप्स पर क्या हुआ है,,,,,कि कैसे तूने मेरे लिप्स पर
चोट की थी,,,,
मा ये झहहोत बोल रहा है ,,मेरी वजह से इसको चोट नही लगी ऑर ना ही मेरी वजह से इसके लिप्स से खून निकला,,,,
तभी माँ ने मेरी तरफ देखा,,,,,तू सच बोल रहा है ना सन्नी,,देख अगर झूठ बोलेगा तो अच्छा नही होगा,,याद
रखना,,,,
सच बोल रहा हूँ माँ इसी ने मारा है मुझे इसी ने काटा मेरा लिप्स ये देखो,,इसका बस चले तो ड्रेकूला बनके मुझे
काट ले ओर मेरा सारा खून पी जाए,,,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा,,,,
लेकिन सोनिया की हालत बिगड़ गई ,,वो ज़्यादा ही मायूस हो गई ,,,बस रोना ही बाकी रह गया था उसका,,,,पसीने से पूरा बदन भीग गया था उसका,,,,वो खड़ी हुई थी लेकिन उस से खड़ा नही हुआ जा रहा था माँ ने उसको सहारा दिया हुआ था,,,,
ंहिी मा मैंनी कुउच्च ंहिी क्किया ये झूठ बोल रहा हाई,,,सोनिया डर डर के बोल रही थी,,,,,
मुझे उसकी हालत पे तरस आ आ गया,,,,,,सॉरी माँ मैं मज़ाक कर रहा था ,,इसने मुझे नही मारा ,,,,
माँ हल्के गुस्से मे,,,,हर टाइम मज़ाक करना अच्छी बात नही ,,,देख सोनिया की क्या हालत है ऑर ऐसी हालत मे भी तू उसके
साथ मज़ाक कर रहा है,,,अगर मैं ग़लती से इसको डाँट देती तो क्या होता,,,,,,इसने कुछ नही किया तो चोट कैसे लगी तुझे,,,
सॉरी बोला ना माँ ,,लेकिन एक बात तो पक्की है चोट इसकी वजह से लगी,,,,,
सोनिया पहले कुछ ठीक महसूस करने लगी थी जब मैं माँ को बोला कि सोनिया ने कुछ नही किया मैं मज़ाक कर रहा था
लेकिन एक बार फिर जब उसका नाम लिया तो वो फिर से डरने लगी,,,,,,,,,
इसकी वजह से,,अभी तूने बोला तू मज़ाक कर रह था,,,अब कहीं फिर से मज़ाक तो नही कर रहा,,,,,,
नही माँ चोट सच मे इसकी वजह से लगी है,,,,मैं किचन मे पानी पीने गया तो ये हाथ मे नाइफ लेके बाहर आ रही थी
एक तो हाथ मे नाइफ उपर से इसकी शकल चुड़ैल जैसी,,मैं तो देख कर एक दम से डर गया ऑर डर के मारे ज़मीन पर गिर गया जिस से ये चोट लग गई,,,,
मेर इतना बोलते ही माँ ,,मामा ओर शोबा दीदी हँसने लगे,,,,,क्यूकी मैने सोनिया को चुड़ैल बोला था,,,,,,हम सब लोग तो खुश
थे लेकिन सोनिया अब मेरे तरफ हल्के गुस्से से देख रही थी ऑर तभी मैने भी उसकी तरफ देखा ऑर अपने लिप्स को अपने मूह मे दबा कर चूसने लगा,,,उसने जल्दी ही अपना फेस टर्न कर लिया,,,,,
माँ मुझे उपर जाना है मुझे ले चलो प्लज़्ज़्ज़,,,,सोनिया ने माँ की तरफ ऐसे देखा कि माँ को लगा कि ये सच मे इसकी तबीयत ठीक नही है ऑर माँ उसको वहाँ से ले गई,,,,,
कहीं वो सब सपना तो नही complete
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
ye liziye dosto update next post me hi
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
हम लोग अभी भी वहाँ बैठ कर हंस रहे थे,,,जबकि माँ उसको लेके उपर जा रही थी,,,वो पीछे मूड के मुझे देख रही
थी लेकिन जब मैने देखा तो उसने चेहरा घुमा लिया,,,,
नेक्स्ट डे घर से तैयार होके कॉलेज जाने के लिए निकलने लगा तो मा आज मेरे साथ नही गई करण के घर ,,,,मैं डाइनिंग
टेबल से नाश्ता करके उठा ऑर वहाँ से जाने लगा तो देखा कि मामा भी अपने रूम से निकल कर बाहर आके माँ के पास
सोफे पर बैठ गया,,,,माँ भी नाइट सूट मे थी,,,,,,
शोबा ऑर सोनिया दोनो घर से जा चुकी थी,,,,,
मुझे लगा कि शायद आज माँ का ऑर मामा का प्रोग्राम घर पे रहके मस्ती करने का है इसलिए माँ अलका आंटी के पास
नही गई ऑर मामा शोबा के साथ बुटीक पर नही गया,,,,,बाकी पता भी नही शायद बाद मे मामा चला जाए शोबा
ऑर शिखा के पास,,,,,
खैर मैं तो वहाँ से निकल कर कॉलेज की तरफ चल पड़ा,,,,,
कॉलेज पहुँचा तो सीधा कॅंटीन मे गया ऑर वहीं बैठ गया,,,,आज करण भी साला नज़र नही आ रहा था,,,,,कॅंटीन
वाले छोटू से पूछा तो उसने भी यही बोला कि आज उसने करण को नही देखा है,,,
ऑर तभी मेरे मोबाइल पर करण की कॉल आई,,,,मैने पॉकेट मे फोन निकाला ऑर बात करने लगा,,,,
करण,,,,,,,,,,,,,हेलो सन्नी,,,,
सन्नी,,,,,,,,,,,,,हेलो करण,,,,,आज तू कॉलेज क्यू नही आया,,,,
करण,,,,,,,,,,,,,वो सब बाद मे भाई पहले तू मेरे घर पे आजा ,,तेरे लिए एक सर्प्राइज़ है,,,,,
सन्नी,,,,,,,,,,,,कैसा सर्प्राइज़?
करण,,,,,,तूने मुझे अपनी मोम की गान्ड मारने का मोका दिया तो अब मेरा भी तो हक़ बनता है तेरे लिए कुछ करू,,
तू बस जल्दी से मेरे घर आजा,,,,
सन्नी,,,,,पहले बता तो सही सर्प्राइज़ क्या है,,,,,,,
करण,,,,,ज़्यादा सवाल मत करो सन्नी भाई बस जल्दी आ जाओ,,,ऑर सर्प्राइज़ ऐसा है कि देख कर दिल खुश हो जाएगा तुम्हारा
,,,अब ऑर कोई बात नही बस जल्दी से मेरे घर आ जाओ,,,,,
इतना बोलकर करण ने फोन काट दिया,,,,
मैने भी अपने फोन को वापिस पॉकेट मे डाला ऑर वहाँ से बाइक लेके करण के घर की तरफ चल पड़ा,,,,मैं थोड़ा
हैरान था लेकिन तभी मेरा दिल खुश हो गया कहीं करण ने अपनी मोम को तैयार तो नही कर लिया,,,कहीं वो अपनी मोम के साथ मस्ती तो नही कर रहा ,,,,यही सोच सोच कर मैं खुश होने लगा ऑर 15-20 मिनट मे करण के घर पहुँच गया
मैने बेल बजाई तो करण ने आके गेट खोला,,,मैं देख कर हैरान था कि वो सिर्फ़ निक्केर मे था ,,,उसका उपर का बदन
एक दम नंगा था,,,,,उसकी काफ़ी पसीना भी आया हुआ था ऑर मैने देखा कि उसके बदन पर कुछ नखुनो के निशान
भी थे,,,,,,,,,वो जल्दी आगे बढ़ कर मेरे गले लगा ऑर मुझे अपने साथ अंदर ले गया,,,,,
अब्ये तू इतनी जल्दी कैसे आ गया,,,बाइक से आया है या रॉकेट मे उड़ कर,,,,,करण हँसते हुए बोला,,,
तूने किसी सर्प्राइज़ की बात की तो मेरे से रहा नही गया ऑर बाइक को ही रॉकेट बना कर उड़ता हुआ आ गया मैने,,,मैने भी करण की बात के जवाब मज़ाक मे दिया,,,
अच्छा बता अब सर्प्राइज़ कहाँ है,,,,,,जल्दी बता,,,
रुक ना थोड़ा सबर कर अभी बताता हूँ पहले उनको तो आने दे,,,,,,
उनको ?? उनको किनको ?? मैने अभी इतना पूछा ही था कि बाहर फिर से बेल बजी ऑर करण गेट खोलने चला गया,,,,
तभी करण वापिस आया तो साथ मे शोबा ऑर शिखा थी,,,,,साला ये है सर्प्राइज़ ,,मैं तो थोड़ा उदास ही हो गया,,,मुझे तो
लगा था अलका आंटी होगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी समझा कि इन लोगो का यहाँ मस्ती करने का प्लान था तभी आज मामा भी बुटीक पर नही गया ऑर माँ भी यहाँ नही आई,,,,लेकिन अलका आंटी कहाँ है ,,,,वो नज़र नही आ रही,,,,
ऑर तभी करण के रूम से किसी की हल्की आवाज़ आई ,,,शायद कोई अंदर था,,,,मैं फिर से खुश हो गया कि अंदर अलका आंटी होगी,,,,
अरे करण एक दम से फोन करके हमे क्यू बुलाया यहाँ,,,,,शोबा दीदी ने अंदर आते ही पूछा,,,,
कुछ नही दीदी मेरा मूड था मस्ती करने का तो सोचा क्यू ना सबको बुला लूँ तो मस्ती का मज़ा ही कुछ ऑर होगा,,इतना
बोलकर करण शोबा दीदी के करीब हो गया,,,,
अच्छा फिर वो सर्प्राइज़ कहाँ है जिसके बारे मे तूने बोला था फोन पर,,,,शोबा ने फिर से करण से पूछा,,,,,
सर्प्राइज़ भी है दीदी,,,,आओ मेरे साथ दिखाता हूँ,,,,,
करण दीदी का हाथ पकड़ कर अपने रूम की तरफ ले गया ,,मैं ऑर शिखा भी पीछे पीछे चले गये,,,,
तभी मैं अंदर जाके जो देखा तो देखता ही रह गया,,,,ऑर एक दम से हैरान परेशान हो गया,,,,
रूम मे ज़मीन पर कुछ कपड़े बिखरे हुए थे,,,,लॅडीस जीन्स थी ऑर साथ मे पिंक टॉप था,,,ब्रा ऑर पेंटी भी थी,,,,ऑर तभी
मेरा ध्यान गया करण के रूम की लास्ट देवार की तरफ जहाँ कॉर्नर मे एक लड़की अपने सर को घुटनो मे दबा कर रो रही
थी ,,,,उसकी रोने की आवाज़ बहुत स्लो थी जो रूम मे बाहर नही आ रही थी लेकिन फिर भी वो जब हल्की आवाज़ मे सिसकियाँ लेती तो उसकी आवाज़ बड़ी मुश्किल से रूम के बाहर पहुँच रही थी,,,,,
ये कॉन है करण,,,,,,,शोबा दीदी ने करण से पूछा,,,,,
यही तो है सर्प्राइज़ ऑर खास कर इस्पे हक़ बनता है मेरे सन्नी भाई का,,,,इतना बोलकर करण मेरे पास आया,,,,
जाओ सन्नी भाई ये तुम्हारे लिए है,,,,,
मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था,,ये सब क्या हो रहा है,,,,,कॉन है ये करण,,,,ऑर ये रो क्यू रही है,,,,,
अरे कुछ नही भाई ,,साली मना कर रही थी तो हल्के हल्के 2-4 हाथ लगा दिए मैने,,,,बहुत नखरा कर रही थी,,,,,
क्या ,,,तूने इसको मारा,,,,,इसके साथ ज़बरदस्ती की तूने,,,,मैने हल्के गुस्से ऑर हैरानी से पूछा,,,,,
नही भाई अभी तक ज़बरदस्ती तो नही की लेकिन थोड़ा बहुत मारा ज़रूर,,,,ज़बरदस्ती इसलिए नही कि क्यूकी ये फ्रेश है एक दम,,,,वर्जिन है सील भी नही टूटी अभी तक,,,,,तो मैने सोचा कि क्यू ना इसकी सील खोलने के लिए सन्नी भाई को बुलाया जाए,,,ऑर वैसे भी सन्नी भाई तूने मेरे लिए इतना कुछ किया है तो मेरा भी तो हक़ बनता है तेरे लिए कुछ करने का,,,,जा मेरे भाई ऐश कर ऑर फाड़ दे इस हरामी कुतिया की चूत को,,,,
ये क्या बोल रहा है करण,,,तूने लड़की पर हाथ उठाया,,,,मारा इसको,,,,इतना बोलकर मैं जल्दी से चलके उस लड़की के करीब
गया,,,,,,,मैने देखा कि उसकी पीठ ऑर हाथ पर हल्की हल्की खरॉच के निशान थे,,,शायद ये भी करण का काम था
मैने लड़की को चुप करवाने के लिए ऑर तसल्ली देने के लिए उसके शोल्डर पर हाथ रखा तो वो एक दम से डर गई,,,
नही प्ल्ज़्ज़ मुझे छोड़ दो,,,,मुझे माफ़ करदो,,,इतना बोलकर लड़की ने अपने फेस को उपर उठाया तो मैं देख कर उदास
हो गया ऑर दुखी भी ,,,,,ये तो वही लड़की थी जो शिखा के साथ थी उस दिन कॉलेज मे ,,जो करण के साथ होती थी बाइक पर अक्सर ,,वही खूबसूरत हसीना जिसको देख कर मेरा दिल क़ाबू मे नही रहा था,,,ऐसा हसीन चेहरा जिसको करीब से एक बार दिल भरके देखने की तमन्ना थी मेरी,,,,लेकिन अब उस हसीन चेहरे की सारी रंगत उड़ गई थी ,,उसके चेहरे पर मार
के हल्के निशान थे लेकिन रंग गोरा होने की वजह से उसके गाल लाल हो गये थे,,,,उसके मासूम चेहरे पर उदासी थी,,
डर था,,,,एक ख़ौफ़ था,,,,,आँखों मे आँसू थे,,,,मैं उसको देख कर थोड़ा गुस्से मे आ गया,,,
कॉन है ये लड़की करण,,,,ऑर इसको इतना मारा क्यूँ तूने,,,,,मैं हल्के गुस्से मे बोल रहा था,,,,
थी लेकिन जब मैने देखा तो उसने चेहरा घुमा लिया,,,,
नेक्स्ट डे घर से तैयार होके कॉलेज जाने के लिए निकलने लगा तो मा आज मेरे साथ नही गई करण के घर ,,,,मैं डाइनिंग
टेबल से नाश्ता करके उठा ऑर वहाँ से जाने लगा तो देखा कि मामा भी अपने रूम से निकल कर बाहर आके माँ के पास
सोफे पर बैठ गया,,,,माँ भी नाइट सूट मे थी,,,,,,
शोबा ऑर सोनिया दोनो घर से जा चुकी थी,,,,,
मुझे लगा कि शायद आज माँ का ऑर मामा का प्रोग्राम घर पे रहके मस्ती करने का है इसलिए माँ अलका आंटी के पास
नही गई ऑर मामा शोबा के साथ बुटीक पर नही गया,,,,,बाकी पता भी नही शायद बाद मे मामा चला जाए शोबा
ऑर शिखा के पास,,,,,
खैर मैं तो वहाँ से निकल कर कॉलेज की तरफ चल पड़ा,,,,,
कॉलेज पहुँचा तो सीधा कॅंटीन मे गया ऑर वहीं बैठ गया,,,,आज करण भी साला नज़र नही आ रहा था,,,,,कॅंटीन
वाले छोटू से पूछा तो उसने भी यही बोला कि आज उसने करण को नही देखा है,,,
ऑर तभी मेरे मोबाइल पर करण की कॉल आई,,,,मैने पॉकेट मे फोन निकाला ऑर बात करने लगा,,,,
करण,,,,,,,,,,,,,हेलो सन्नी,,,,
सन्नी,,,,,,,,,,,,,हेलो करण,,,,,आज तू कॉलेज क्यू नही आया,,,,
करण,,,,,,,,,,,,,वो सब बाद मे भाई पहले तू मेरे घर पे आजा ,,तेरे लिए एक सर्प्राइज़ है,,,,,
सन्नी,,,,,,,,,,,,कैसा सर्प्राइज़?
करण,,,,,,तूने मुझे अपनी मोम की गान्ड मारने का मोका दिया तो अब मेरा भी तो हक़ बनता है तेरे लिए कुछ करू,,
तू बस जल्दी से मेरे घर आजा,,,,
सन्नी,,,,,पहले बता तो सही सर्प्राइज़ क्या है,,,,,,,
करण,,,,,ज़्यादा सवाल मत करो सन्नी भाई बस जल्दी आ जाओ,,,ऑर सर्प्राइज़ ऐसा है कि देख कर दिल खुश हो जाएगा तुम्हारा
,,,अब ऑर कोई बात नही बस जल्दी से मेरे घर आ जाओ,,,,,
इतना बोलकर करण ने फोन काट दिया,,,,
मैने भी अपने फोन को वापिस पॉकेट मे डाला ऑर वहाँ से बाइक लेके करण के घर की तरफ चल पड़ा,,,,मैं थोड़ा
हैरान था लेकिन तभी मेरा दिल खुश हो गया कहीं करण ने अपनी मोम को तैयार तो नही कर लिया,,,कहीं वो अपनी मोम के साथ मस्ती तो नही कर रहा ,,,,यही सोच सोच कर मैं खुश होने लगा ऑर 15-20 मिनट मे करण के घर पहुँच गया
मैने बेल बजाई तो करण ने आके गेट खोला,,,मैं देख कर हैरान था कि वो सिर्फ़ निक्केर मे था ,,,उसका उपर का बदन
एक दम नंगा था,,,,,उसकी काफ़ी पसीना भी आया हुआ था ऑर मैने देखा कि उसके बदन पर कुछ नखुनो के निशान
भी थे,,,,,,,,,वो जल्दी आगे बढ़ कर मेरे गले लगा ऑर मुझे अपने साथ अंदर ले गया,,,,,
अब्ये तू इतनी जल्दी कैसे आ गया,,,बाइक से आया है या रॉकेट मे उड़ कर,,,,,करण हँसते हुए बोला,,,
तूने किसी सर्प्राइज़ की बात की तो मेरे से रहा नही गया ऑर बाइक को ही रॉकेट बना कर उड़ता हुआ आ गया मैने,,,मैने भी करण की बात के जवाब मज़ाक मे दिया,,,
अच्छा बता अब सर्प्राइज़ कहाँ है,,,,,,जल्दी बता,,,
रुक ना थोड़ा सबर कर अभी बताता हूँ पहले उनको तो आने दे,,,,,,
उनको ?? उनको किनको ?? मैने अभी इतना पूछा ही था कि बाहर फिर से बेल बजी ऑर करण गेट खोलने चला गया,,,,
तभी करण वापिस आया तो साथ मे शोबा ऑर शिखा थी,,,,,साला ये है सर्प्राइज़ ,,मैं तो थोड़ा उदास ही हो गया,,,मुझे तो
लगा था अलका आंटी होगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अभी समझा कि इन लोगो का यहाँ मस्ती करने का प्लान था तभी आज मामा भी बुटीक पर नही गया ऑर माँ भी यहाँ नही आई,,,,लेकिन अलका आंटी कहाँ है ,,,,वो नज़र नही आ रही,,,,
ऑर तभी करण के रूम से किसी की हल्की आवाज़ आई ,,,शायद कोई अंदर था,,,,मैं फिर से खुश हो गया कि अंदर अलका आंटी होगी,,,,
अरे करण एक दम से फोन करके हमे क्यू बुलाया यहाँ,,,,,शोबा दीदी ने अंदर आते ही पूछा,,,,
कुछ नही दीदी मेरा मूड था मस्ती करने का तो सोचा क्यू ना सबको बुला लूँ तो मस्ती का मज़ा ही कुछ ऑर होगा,,इतना
बोलकर करण शोबा दीदी के करीब हो गया,,,,
अच्छा फिर वो सर्प्राइज़ कहाँ है जिसके बारे मे तूने बोला था फोन पर,,,,शोबा ने फिर से करण से पूछा,,,,,
सर्प्राइज़ भी है दीदी,,,,आओ मेरे साथ दिखाता हूँ,,,,,
करण दीदी का हाथ पकड़ कर अपने रूम की तरफ ले गया ,,मैं ऑर शिखा भी पीछे पीछे चले गये,,,,
तभी मैं अंदर जाके जो देखा तो देखता ही रह गया,,,,ऑर एक दम से हैरान परेशान हो गया,,,,
रूम मे ज़मीन पर कुछ कपड़े बिखरे हुए थे,,,,लॅडीस जीन्स थी ऑर साथ मे पिंक टॉप था,,,ब्रा ऑर पेंटी भी थी,,,,ऑर तभी
मेरा ध्यान गया करण के रूम की लास्ट देवार की तरफ जहाँ कॉर्नर मे एक लड़की अपने सर को घुटनो मे दबा कर रो रही
थी ,,,,उसकी रोने की आवाज़ बहुत स्लो थी जो रूम मे बाहर नही आ रही थी लेकिन फिर भी वो जब हल्की आवाज़ मे सिसकियाँ लेती तो उसकी आवाज़ बड़ी मुश्किल से रूम के बाहर पहुँच रही थी,,,,,
ये कॉन है करण,,,,,,,शोबा दीदी ने करण से पूछा,,,,,
यही तो है सर्प्राइज़ ऑर खास कर इस्पे हक़ बनता है मेरे सन्नी भाई का,,,,इतना बोलकर करण मेरे पास आया,,,,
जाओ सन्नी भाई ये तुम्हारे लिए है,,,,,
मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था,,ये सब क्या हो रहा है,,,,,कॉन है ये करण,,,,ऑर ये रो क्यू रही है,,,,,
अरे कुछ नही भाई ,,साली मना कर रही थी तो हल्के हल्के 2-4 हाथ लगा दिए मैने,,,,बहुत नखरा कर रही थी,,,,,
क्या ,,,तूने इसको मारा,,,,,इसके साथ ज़बरदस्ती की तूने,,,,मैने हल्के गुस्से ऑर हैरानी से पूछा,,,,,
नही भाई अभी तक ज़बरदस्ती तो नही की लेकिन थोड़ा बहुत मारा ज़रूर,,,,ज़बरदस्ती इसलिए नही कि क्यूकी ये फ्रेश है एक दम,,,,वर्जिन है सील भी नही टूटी अभी तक,,,,,तो मैने सोचा कि क्यू ना इसकी सील खोलने के लिए सन्नी भाई को बुलाया जाए,,,ऑर वैसे भी सन्नी भाई तूने मेरे लिए इतना कुछ किया है तो मेरा भी तो हक़ बनता है तेरे लिए कुछ करने का,,,,जा मेरे भाई ऐश कर ऑर फाड़ दे इस हरामी कुतिया की चूत को,,,,
ये क्या बोल रहा है करण,,,तूने लड़की पर हाथ उठाया,,,,मारा इसको,,,,इतना बोलकर मैं जल्दी से चलके उस लड़की के करीब
गया,,,,,,,मैने देखा कि उसकी पीठ ऑर हाथ पर हल्की हल्की खरॉच के निशान थे,,,शायद ये भी करण का काम था
मैने लड़की को चुप करवाने के लिए ऑर तसल्ली देने के लिए उसके शोल्डर पर हाथ रखा तो वो एक दम से डर गई,,,
नही प्ल्ज़्ज़ मुझे छोड़ दो,,,,मुझे माफ़ करदो,,,इतना बोलकर लड़की ने अपने फेस को उपर उठाया तो मैं देख कर उदास
हो गया ऑर दुखी भी ,,,,,ये तो वही लड़की थी जो शिखा के साथ थी उस दिन कॉलेज मे ,,जो करण के साथ होती थी बाइक पर अक्सर ,,वही खूबसूरत हसीना जिसको देख कर मेरा दिल क़ाबू मे नही रहा था,,,ऐसा हसीन चेहरा जिसको करीब से एक बार दिल भरके देखने की तमन्ना थी मेरी,,,,लेकिन अब उस हसीन चेहरे की सारी रंगत उड़ गई थी ,,उसके चेहरे पर मार
के हल्के निशान थे लेकिन रंग गोरा होने की वजह से उसके गाल लाल हो गये थे,,,,उसके मासूम चेहरे पर उदासी थी,,
डर था,,,,एक ख़ौफ़ था,,,,,आँखों मे आँसू थे,,,,मैं उसको देख कर थोड़ा गुस्से मे आ गया,,,
कॉन है ये लड़की करण,,,,ऑर इसको इतना मारा क्यूँ तूने,,,,,मैं हल्के गुस्से मे बोल रहा था,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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