कहीं वो सब सपना तो नही complete

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

Kamini wrote: 29 Oct 2017 18:06mast update
thanks
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

फिर उस दिन कभी मैने माँ को कभी अलका आंटी को कभी शिखा को चोदा ऑर कभी मैने ऑर करण के
मिलकर माँ शिखा ऑर अलका आंटी को चोदा,,,,हमने अलका आंटी को भी 2 लंड का मज़ा दे दिया,,,कभी चूत
मे मेरा ऑर गान्ड मे करण का लंड तो कभी गान्ड मे मेरा ऑर चूत मे करण का लंड,,,इतनी मस्ती की
हम सब ने मिलकर की अलका आंटी ने तो कभी सपने मे भी नही सोचा था,,,,,,,,वो तो अपने बेटा ऑर बेटी से
मस्ती करके पागल ही हो गई थी,,,,,,




जब चुदाई ख़तम हुई तो करीब नून टाइम हो गया था ऑर 12 बजे का टाइम हो गया था,,,

क्यू अलका कैसा लगा अपने ही बेटे से चुदाई करके,,,,,माँ ने हँसते हुए बोला,,,,,,

दीदी आपने अच्छा नही किया,,,मेरे साथ इतना बड़ा गेम खेला,,,सीधी तरह नही बता सकती थी सब कुछ,,,,,

सीधी तरह बता देती तो शायद तू मेरी बात नही मानती अलका,,,,ये सब करना ज्रूरी था,,,मेरा बेटा सन्नी
मुझे कब्से चोद रहा है,,,फिर उसने करन को भी मेरे साथ मस्ती करने के लिए तैयार किया था,,,फिर बाद
मे पता चला कि करण भी तेरे को बहुत पसंद करता है तुझे चोदना चाहता है,,,,,,

अलका ने करण की तरफ देखा तो करण ने हां मे सर हिला दिया,,,,,

बस फिर करण की खातिर मैने ये सब किया,,,,ऑर ये सन्नी भी तो तेरी मस्त गान्ड पर लट्तू हो गया था,,,

लेकिन ये शिखा कब शामिल हुई आप लोगो के साथ,,,,,,,

ये भी बहुत पहले से शामिल है हम लोगो के साथ ऑर ये ही नही ,,मेरी बेटी शोबा भी शामिल है,,,,

क्या बोल रही हो दीदी,,,,,,

सही बोल रही हूँ अलका,,,,,,मैं अपने पति से खुश हूँ लेकिन कुछ ज़्यादा ही चुड़क्कड़ हूँ मैं इसलिए तो
अपने ही घर मे अपने पति के अलावा आपने भाई से ऑर दोनो लड़को से चुदती हूँ,,,,विशाल भी मुझे चोदता
है ऑर अब सन्नी भी,,,,अब तो ऐसी आदत हो गई है कि एक साथ 2-3 लंड से ही संतुष्टि होती है,,,,एक लंड से
कुछ नही होता,,,,,,मैं चाहती तो घर से बाहर जाके भी खुद को संतुष्ट कर सकती थी लेकिन इसमे बहुत
टेन्षन होती है ,,बदनामी का डर रहता है लेकिन अब मैं अपने घर मे मस्ती करती हूँ ऑर जब दिल करे
तब मस्ती करती हूँ,,,ना कोई डर ना कोई टेन्षन,,,,,,,ऑर आज के बाद तू भी अपने बेटे ऑर बेटी के साथ जब दिल
करे तब मस्ती कर सकती है,,,बिना किसी डर के,,आख़िर परिवार मे चुदाई के सुख से बड़ा कोई ऑर सुख कहाँ
है ,,,एक चुदाई का सच ही बड़ा होता है सब सुखों से,,,,,,,

अब ना तुझे अपनी पति की याद आएगी ना उसके लंड की याद सताएगी,,,ऑर देख ज़रा करण के लंड को तेरे
पति के लंड से भी कहीं ज़्यादा बड़ा है,,,,,

अलका ने शरमाते हुए करन के लंड को देखा तो सिकुड कर भी कम से कम 4 इंच का था,,,,,

अब शरमाना छोड़ दे,,ऑर दिल खोल कर मस्ती कर अपने परिवार के साथ,,,जब तक करण का बाप वापिस नही
आ जाता,,फिर उसको भी शामिल कर लेना अपने खेल मे,,,,पूरा परिवार मिलकर मस्ती करना फिर,,,,,जैसे मैं ऑर
मेरा परिवार करते है,,,,,,,,,,

इतना बोलकर माँ ने मुझे कपड़े पहनने को बोला ऑर खुद भी कपड़े पहनने लगी,,,,,,,अरे कहाँ चली आप दीदी
रूको ना थोड़ी ओर मस्ती करते है,,,,अलका बोली,,,

नही अलका अब मुझे जाना है,,,मैं तो बस तेरी प्रोबलम दूर करना चाहती थी वो हो गई अब तू अपने परिवार
के साथ सुखी रह,,,

रूको ना आंटी अभी इतनी भी क्या जल्दी है,,,,,


तुझे तो पता है ना मेरी जल्दी की वजह करण बेटा,,,,,,

ओह्ह हां भूल गया मैं आंटी जी,,,,,

माँ ऑर करण की क्या बात हुई मैं कुछ समझा नही ,,,लेकिन मुझे ऐसा लगा कि शिखा भी उनकी बात को जानती
थी इसलिए माँ करण के साथ शिखा भी हँसने लगी,,,,,

अब तुम लोग करो मस्ती मैं चली,,,,,,माँ तैयार होने लगी ऑर मैं भी करण के रूम मे जाके अपना समान
पॅक करने लगा,,,,तभी शिखा ऑर करण मेरे पास आ गये,,,,

थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी भाई तेरी वजह से ऑर सरिता आंटी की वजह से अब मैं ऑर दीदी जब दिल करे तब मस्ती कर सकते
है ऑर अब तो माँ भी शामिल हो गई है हम लोगो के खेल मे,,,,

अच्छा वैसे तुझे मज़ा आया करण अपनी माँ को चोद कर,,,,,

हाँ भाई बहुत मज़ा आया,,,,करण बोला,,,,,,,

मुझे भी बहुत मज़ा आया ,,,,शिखा भी बोली,,,,,

अच्छा तो तुम दोनो को सर्प्राइज़ अच्छा लगा,,,,

हाँ बहुत अच्छा लगा,,ऑर जैसे तूने हमे सर्प्राइज़ दिया है वैसे एक सूप्राइज़ तेरा घर पर वेट कर रहा है,,

कॉन्सा सरप्राइज,,,,इस से पहले मैं या कोई कुछ बोलता माँ वहाँ आ गई साथ मे अलका आंटी भी थी,,,उनके जिस्म
पर बेडशीट थी जबकि करण ऑर शिखा नंगे थे,,,,,मैं ऑर माँ वहाँ से चलने लगे तो आंटी ने एक बार
मुझे बाहों मे भर लिया ऑर एक डीप किस करदी ,,,,,,फिर मैं ऑर माँ वहाँ से चल पड़े घर की तरफ,,


करण शिखा ऑर अलका आंटी को मस्ती करने के लिए छोड़ कर,,,,,,,

करण को उसकी माँ मिल गई थी ऑर अलका को उसका बेटा ,,,अब करण बिना किसी डर के अपनी बेहन शिखा के साथ
जब दिल करे तब चुदाई कर सकता था ऑर अलका को भी अब बाज़ार से बैगन लेके आने को कोई ज़रूरत नही थी
उसको इतना बड़ा मूसल जो मिल गया था,,,जो उसके पति के छोटे से लंड से कहीं ज़्यादा बड़ा था,,शिखा भी अब
अपनी माँ ऑर भाई के साथ दिल खोल कर मस्ती कर सकती थी,,,,बोलो तो पूरा परिवार अब एक ही छत के नीचे एक
ही बेड पर हर रात नंगा सोया करेगा बिना किसी डर के बिना किसी टेन्षन के,,ऑर एक दूसरे के जिस्म का सुख
लिया करेंगे,,,,आख़िर इसी को कहते है,,,,परिवार मे चुदाई के सुख से बड़ा कोई सुख नही,,,,,,,


माँ को साथ लेके मैं करण के घर से निकला तो माँ बहुत खुश थी,,,,अलका से तो मस्ती करली बेटा अब ज़रा
घर चल ऑर मुझे भी खुश कर,,ऑर साथ ही तेरे लिए एक सर्प्राइज़ आया हुआ है वो भी देख लेना,,,,

माँ सर्प्राइज़ तो कितने दिन से आया हुआ है आपने मुझे बताया क्यूँ नही,,,

माँ हैरान होते हुए हुए,,,,,तुझे किसने बताया सर्प्राइज़ के बारे मे,,,,,

कविता ने बताया था कॉलेज मे ,,,,लेकिन अपने क्यू नही बताया,,,,,,

अगर तुझे बता देती तो बेटा सर्प्राइज़ कैसे रहता वो,,,,

वैसे सर्प्राइज़ है क्या माँ,,,,,

अब घर जा रहा है ना घर जाके देख लेना,,,,वैसे तेरा दिल खुश हो जाएगा सर्प्राइज़ देख कर,,,,

अभी हम बात कर ही रहे थे तभी मेरा फोन बजने लगा,,,,पॉकेट से मोबाइल निकालने ही लगा था कि बेल
बंद हो गई,,,,,,मैं फिर आगे बढ़ चला ,,,बातें करते हुए मैं ऑर माँ घर पहुँच गये ,,,,माँ ने गेट
खोला ऑर मैं बाइक अंदर करने लगा तभी फोन फिर से बजने लगा,,,,

मैने फोन पॉकेट से निकाला तो देखा ये कामिनी भाभी की कॉल थी,,,,,ओह्ह शिट्ट मैं तो भूल ही गया था
क़ि कामिनी भाभी ने मुझे सुबह घर पर बुलाया था,,,,,अलका आंटी की मस्त गान्ड के चक्कर मे मैं
कामिनी की सॉफ्ट चूत को भूल ही गया था,,,,

हेलो भाभी,,,,,

शुक्र है सन्नी तुझे मेरी आवाज़ तो याद है,,मुझे तो लगा भाभी के साथ-साथ भाभी की आवाज़ भी भूल
गया है तू,,,,,

नही ऐसी बात नही है भाभी बस थोड़ा काम आन पड़ा था इसलिए सुबह नही आ पाया मैं,,,,

अच्छी बात है सुबह नही आया,,,सुबह आता तो काम नही बनता हम लोगो का,,,,अभी कहाँ है तू,,,

मैं बस घर से निकलने ही लगा था भाभी,,,,

अरे वाह,,,,तो ठीक टाइम पर फोन किया है मैने,,,,,मैने भी फोन इसलिए किया था ताकि तुझे याद दिला
दूं,,,कब तक आ रहा है तू सन्नी,,,,

बोला ना भाभी घर से निकलने लगा हूँ,,,,15-20 मिनट मे पहुँच जाउन्गा,,,,


ठीक है ,,,जल्दी आजा फिर,,,इतना बोलकर भाभी ने फोन कट कर दिया ,,,,

किसका फोन था बेटा,,,,,,माँ ने गेट के अंदर से पूछा,,,,

कुछ नही माँ किसी दोस्त का फोन था ,,कुछ काम है मुझे जाना होगा,,,,जब मैं माँ से बात कर रहा
था तो मेरी नज़र पड़ी घर के अंदर खड़ी हुई एक चमचमाती न्यू कार पर,,,जिसका अभी नंबर भी नही
आया था,,,,,मैं न्यू कार देख कर खुश हो गया,,,,मेरा सर्प्राइज़ तो बहुत अच्छा है,,,,,दिल तो कर रहा था न्यू
कार को ड्राइव करने का लेकिन ये कार कहाँ जाने लगी है अब,,अपनी ही है घर पर रहेगी लेकिन भाभी रोज रोज
नही मिलने वाली,,,,,ऑर वैसे भी न्यू कार से कहीं ज़्यादा मज़ा था भाभी की सवारी करने का,,,,,इसलिए माँ को
बाइ बोला ऑर मैं वहाँ से चलने लगा,,,,

पहले अंदर तो आजा बेटा,,फिर चला जाना,,,सर्प्राइज़ तो देख ले ,,,,शायद तेरा जाने को दिल ही नही करे,,,,

वो मैने देख लिया माँ ,,अब मैं चला ,,शाम को आता हूँ,,,,,
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »


इस से पहले माँ कुछ बोलती मैं वहाँ से चल पड़ा,.,,,,पीछे से माँ ने कुछ बोला भी था लेकिन मेरा
ध्यान नही गया उनकी बात पर,,,मेरे ध्यान मे तो अब भाभी की चूत थी बस,,,,

मैं तेज़ी से बाइक चलाता हुआ भाभी के घर पहुँच गया,,,,बाहर एक कार खड़ी हुई थी जो सूरज भाई की थी
,,तभी सूरज भाई घर से बाहर निकला ऑर उसके हाथ मे कुछ समान था जो उसने कार मे रख दिया,,

इतने मे मैं बाइक साइड पर लगाने लगा,,,सूरज का ध्यान मेरी तरफ हुआ,,,,,

आ गया तू सन्नी,,,,बड़ी जल्दी आ गया,,,,

जी भाई ,,,वो भाभी का फोन आया था,,,,

हाँ हाँ जानता हूँ तभी इतनी जल्दी आ गया तू,,मैने फोन किया होता तो इतनी जल्दी नही आता तू,,,,,इतना बोलकर
सूरज हँसने लगा,,ऑर मेरी बोलती बंद हो गई,,

चल आ अंदर चलते है,,,,

मैं सूरज भाई के साथ अंदर चला गया,,अंदर जाके देखा तो भाभी ,,कविता ऑर सोनिया तीनो बातें
कर रही थी,,,,मैने देखा कि ज़मीन पर कुछ बॅग भी पड़े हुए थे,,,,

अरे जल्दी चलो अब क्या सारा दिन बैठ कर बातें ही करती रहोगी,,जाना नही है क्या,,,,,

मुझे अंदर आते ही कामिनी भाभी ऑर कविता ने मुझे हेलो बोला जबकि सोनिया अपने वहीं हमेशा
वाले अंदाज़ मे मुझे घूर्ने लगी,,,,

जाना है भैया ,,,,इतना बोलकर कविता उठी ऑर एक बॅग उठा कर बाहर की तरफ जाने लगी,,,ऑर जाते जाते
मुझे बड़े अजीब अंदाज़ से हंस कर देख कर गई,,,

सूरज भाई ने मुझे सोफे पर बैठने को बोला ओर खुद भी मेरे साथ बैठ गये,,,,,कामिनी सन्नी के
लिए कुछ चाइ कॉफी लेके आओ,,,,,

जी अभी लेके आती हूँ ,,,इतना बोलकर भाभी किचन की तरफ जाने लगी,,,

नही भाभी रहने दो मैं अभी कॉफी लेके ही आया हूँ,,,,

अरे तुम इतने दिनो बाद आते हो ऑर फिर भी हमे खातिरदारी करने का मोका नही देते,,भाभी ने
हल्के नखरे से बोला,,,,,

हम लोगो ने चले जाना है कामिनी फिर आराम से खातिरदारी करना सन्नी की,,,,इतना बोलकर सूरज हँसने
लगा ऑर साथ मे कामिनी भाभी भी,,,,

लेकिन सोनिया ,,,उसके बारे मे क्या बोलू,,,,

आप लोग कहीं घूमने जा रहे हो क्या सूरज भाई,,,,,

तभी कविता अंदर आ गई,,,,,हाँ सन्नी हम लोग सूरज भाई के साथ घमने जा रहे है,,,,

हम लोग मतलब ,,,,,,,

मतलब कविता ऑर सोनिया मेरे साथ जा रही है,,,,मुझे माँ के पास जाना है उनके कुछ कपड़े यहाँ
पर थे ऑर भी कुछ समान था मुझे वो देने जाना है तो कविता ने बोला कि उसको भी माँ से मिलना
है,,,,ऑर कविता के साथ सोनिया भी तैयार हो गई जाने के लिए,,,,

तो क्यूँ ना तैयार होती,,,मेरी दोस्त है वो,,,,आंड आपको कोई प्रोबलम है क्या अगर सोनिया साथ चलेगी,,,,

हां हां बोलो सूरज भाई क्या प्रोबलम है मेरे जाने से,,एक एक करके कविता ऑर सोनिया दोनो सूरज
भाई के पीछे पड़ गई,,,,,अरे नही मेरी माँ कुछ प्रोबलम नही है मुझे तुम दोनो से मैं तो यूँ
ही बता रहा था सन्नी को,,,,

सोनिया ऑर कविता हँसने लगी साथ मे भाभी भी,,,,,,

सोनिया की तबीयत ठीक नही है कुछ दिन से सन्नी तो मैने सोचा भाई के साथ मैं तो जा रही हूँ तो
क्यू ना सोनिया को भी साथ ले जाउ,,,,,वहाँ माउंटन्स की खुली हवा मे घूम कर शायद कुछ बेहतर
महसूस करे ये,,,,ओर दिल भी बहल जाएगा,,,,

हाँ सन्नी,,तभी तो फोन किया है तुझे,,,,हम लोग शायद कल वापिस आने वाले है,,,या फिर परसो
तब तक तुझे यहाँ रहना होगा भाभी के साथ,,,,,मैने शोबा को भी फोन कर दिया है वो भी
यहाँ रहने आ जाएगी,,,,इतना बोलकर सूरज भाई उठे ऑर मुझे बाइ बोलने लगे,,,
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by Kamini »

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

सूरज भाई बाइ बोल कर एक बॅग लेके बाहर चले गये ऑर साथ मे भाभी भी चली गई,,फिर कविता ने भी
मुझे बाइ बोला ऑर बाहर चली गई जबकि सोनिया चुप चाप ही गई थी,,,उसने मुझे बाइ नही बोला,,,

मैं अंदर ही खड़ा रहा तभी एक बॅग जो ज़मीन पर पड़ा हुआ था मेरी नज़र उसपे गई तो मैं बॅग
उठा कर बाहर जाने लगा तभी कविता अंदर आ गई,,,,,

ओह्ह सॉरी मैं ये बॅग भूल ही गई थी,,,

इट्स ओके नोकरानी जी ,,,,हम है ना काम करने के लिए ,,अब नोकरों को तो आदत हो गई है काम नही करने
की,,,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा तो कविता एक दम से आगे बढ़ कर आ गई ऑर मेरे हाथ से गुस्से से बॅग
खींचने लगी,,,,

ला दे बॅग मैं खुद ले जाती हूँ,,,आंड मुझे नोकरानी मत बोल,,,वर्ना अच्छा नही होगा,,,

बोलूँगा,,तू क्या कर लेगी ,,,

बोला ना मत बोल,,,वर्ना मैं गुस्सा हो जाउन्गी,,,,,

अच्छा बाबा सॉरी गुस्सा मत होना,,,वैसे भी खूबसूरत लड़कियाँ गुस्से मे अच्छी नही लगती,,खुद की
तारीफ सुनकर कविता थोड़ा इतराने लगी,,,,,

क्या मैं तुझे खूबसूरत लगती हूँ,,,ठीक है तो मैं नही करती गुस्सा,,,,वो नखरे से इतराने लगी,,

अरे मैं खूबसूरत लड़कियों के बारे मे बोला है,,,,तेरे बारे मे नही,,तू जितना मर्ज़ी गुस्सा कर
सकती है,,,,इतना सुनकर वो फिर गुस्से से मूह फुलाने लगी,,,,

अच्छा अच्छा बाबा सॉरी ,,,,मज़ाक कर रहा था मैं,,तुम तो बहुत खूबसूरत हो,,,आंड गुस्सा करके अपने
इस खूबसूरत फेस को खराब मत कर,,,,

वो खुश हो गई,,,,थॅंक्स्क्स्क्स झूठी तारीफ के लिए ब्लककी,,,,चल अब बॅग छोड़ मुझे जाना है,,,,

ऐसे कैसे जाना है पहले बाइ तो बोल मुझे,,,

पहले बोला तो था बाइ जाते टाइम,,,अब क्यू बोलू,,,,

नही बोलेगी तो मैं बॅग नही देने वाला,,,,

अच्छा बाइ ब्लककी,,,अब तो बॅग दे मुझे जाना है भाई वेट कर रहा है बाहर,,,,

ऐसे नही प्यार से बोल बयी,,,,

प्यार से ही बोला मैने कॉंका बाइ को पत्थर के साथ बाँध कर तेरे सर मे मारा है,,,,वो फिर
से हँसने लगी,,,,,

ऐसे नही ना प्यार से बोल फिर जाने दूँगा तुझे,,,,,

प्यार से कैसे,,मुझे नही आता प्यार से बाइ बोलना,,,,

मैं सिखा देता हूँ,,,इतना बोलकर मैने उसका हाथ पकड़ा जो बॅग पर था ऑर जल्दी से उनको अपने करीब
खींच लिया,,मैं इतनी तेज़ी से खींचा था उसको कि वो मेरी चेस्ट मे ज़ोर से लगी आके,,,ऑर मेरे
करीब आते ही मैं बॅग को अपने हाथ से अलग कर दिया ऑर बॅग नीचे गिर गया ,,उसके हाथ से भी बॅग
छूट गया था,,,मैने जल्दी से उसको बाहों मे भर लिया ऑर उसके कुछ सोचने या बोलने से पहले ही एक
हाथ से उसको उसकी पीठ से पकड़ा ऑर एक हाथ को उसके सर पर ले गया ऑर अपनी उंगलियों को खोल कर उसके
बालों मे घुसा दिया जिस से मेरे हाथ की पकड़ काफ़ी मजबूत हो गई एक ही पल मे उसके सर पर ,,ऐसे
करके उसका फेस मेरे फेस के करीब हो गया,,,एक ही पल लगा मुझे गर्म होने मे ऑर उतने ही टाइम मे
उसकी साँसे भी आग उगलने लगी थी,,,हार्टबीट तो पूछो मत,,,,

तुझे प्ययारर से बयी बूल्लनना न्ह्ही आत्ता ना,,तैन्शन मत ले आज मैईन्न सीकखहा
द्दीतता हहूँ ,,इतना बोलकर मैं अपने लिप्स उसके लिप्स पर रख दिए ऑर पिछली बार की तरह उसने एक
ही पल मे मेरे लिप्स को अपने लिप्स से टच होते ही मुझे किस का रेस्पॉन्स देना शुरू कर दिया,,इस से
पहले मैं कुछ करता उसकी ज़ुबान मेरे मूह मे घुस गई ऑर मूह के हर कोने के मुआयना करने
लगी,,उसके हाथ जो अभी तक नीचे हवा मे लटक रहे थे वो एक ही पल मे मेरी पीठ पर चले
गये ऑर मेरी पीठ को प्यार से सहलाने लगे,,,अभी मेरा हाथ उसके पेट पर ऐसे ही पड़ा हुआ था मैं
अपने हाथ को ज़रा भी नही हिला रहा था,,,एक हाथ उसके सर पर टिका हुआ था,,,मैं जब भी इसके
करीब जाता तो गर्म हो जाता ऑर उसको गर्म करने की कोशिश करता लेकिन वो तो मेरे से भी कहीं
ज़्यादा जल्दी गर्म हो जाती थी,,,

उसको तो मस्ती चढ़ चुकी थी वो भी पूरे जोश के साथ ओर उसके जोश ने मेरे जोश को भी भड़का दिया
था,,मेरा हाथ भी उसकी पीठ पर चलने लगा था ऑर उसके बलों को सहलाने लगा था,,तभी बाहर से
सूरज की आवाज़ आई,,,,

जल्दी करो कविता हमे रात होने से पहले पहुँचना है,,,,,

सूरज भाई की आवाज़ सुनके कविता एक दम से मेरे से दूर हो गई ऑर मुझे भी धक्का देके पीछे
कर दिया,,,मैं पीछे हटके उसकी तरफ देखा तो उसकी हालत बहुत खराब हो गई थी,,,उसकी तेज़ी से
चलती हुई साँसे ,,,दिल की तेज धड़कन,,आँखों मे एक अजीब कशिस एक मस्ती भरा नशा ,,इस वक़्त अगर
कोई अंदर आ जाता तो सॉफ समझ जाता कि कविता को क्या हुआ है,,,,वो जैसे तैसे खुद पर क़ाबू करते
हुए खुद को संभालने लगी ऑर मेरे से नज़रे चुराती हुई ज़मीन पर पड़े बॅग को उठाने लगी लेकिन
मस्ती की वजह से एक लहर जो उसके जिस्म मे अभी भी दौड़ रही थी उस लहर ने कविता का खड़ा होना
भी मुश्किल कर दिया था,,,,वो बॅग को उठाने की कोशिश मे झुकी तो ज़मीन पर लड़खड़ा कर गिरने
लगी थी,,,मैं उसकी हालत को पहले से समझ गया था इसीलिए जल्दी से आगे बढ़ कर उसको सहारा देने लगा,,

लेकिन उसने जल्दी से मुझे पीछे धक्का दे दिया ऑर बॅग उठा कर बाहर की तरफ भाग गई ऑर जाते जाते
मुझे थोड़ा गुस्से से देख कर गई,,उसकी आँखें थोड़ी नम हो गई थी,,,वो अपने दुपपत्टे से अपनी
आँखों को सॉफ करती हुई बाहर की तरफ चली गई,,,

मैं यहाँ खड़ा खड़ा बेचैन हो गया था,,,,कविता को क्या हो गया एक ही पल मे,,,अभी तो बहुत
खुश थी अभी रोने लगी ओर गुस्सा भी हो गई,,,क्या मैं कोई ग़लती करदी उसके साथ,,,,लेकिन जब किस
कर रहा था तो वो मेरे से कहीं ज़्यादा उतावली होके मुझे किस का रेस्पॉन्स दे रही थी,,,तो फिर
एक दम से उसको क्या हो गया,,,,वो ऐसा बर्ताव क्यू करने लगी थी,,,ख़ुसनूमा चेहरा पर एक दम से
उदासी क्यूँ आ गई थी गुस्सा क्यूँ आ गया था,,,मदहोश आँखों मे आँसू क्यू आ गये थे,,,,,वो
खुद को संभाल कर बाहर तो चली गई थी लेकिन अंदर खड़े हुए मेरा खुद को संभालना बहुत
मुश्किल हो गया था,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,,,

वो सब लोगो के जाते ही भाभी गेट बंद करके अंदर आ गई ,,,,यहाँ मैं अपने ख्यालों मे खोया
हुआ था ऑर कविता के बारे मे सोच रहा था मुझे कुछ समझ नही आ रहा था,,,,

कहाँ खो गये सन्नी,,,क्या सोच रहे हो,,,,भाभी की आवाज़ से मैं अपनी दुनिया मे वापिस आ गया

कुछ नही भाभी,,बस ऐसे ही ध्यान किसी ऑर तरफ चला गया था,,,,

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