कहीं वो सब सपना तो नही complete

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007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »



तभी बुआ रुक गयी,,,,मुझे लगा की शायद बुआ का हो गया लेकिन बुआ ने मुझे हैरान
कर दिया उनके हाथ मे एक पिंक कलर का नलकी लंड था उन्होने उस लंड को अपने मूह मे
ले लिया ओर चूसने लगी ओर साथ-2 अपनी चूत पे उंगली करने लगी,, मुझे नई पता था
की मेरी बुआ एसी है जो नकली लंड से मज़ा लेती है तभी तो वो अपने रूम को लॉक
करके जाती थी हमेशा,,,बुआ को देख कर इधर मैने भी अपना लंड अपने हाथ मे ले
लिया ओर आयिल लगा कर मालिश करने लगा ,,बुआ ने नकली लंड को मूह से निकाला लंड
पूरी तरह थूक से भीगा हुआ था,,बुआ ने अपनी एक टाँग उठा कर फिर से टाय्लेट
सीट पे रखी ओर लंड को चूत मे गुस्सा लिया ,आहह हयीईईई
उउउहह उउउम्म्म्ममममममममममममममम आआआआआआआआअहह बुआ
एक हाथ से लंड पेल रही थी ओर एक से अपने बूब्स को मसल रही थी इधर मैं भी
पूरी मस्ती से लंड को मसल रहा था,,,मैं यही सोच राह था की बुआ की चूत मे
नकली लंड नही मेरा ये असली मूसल लंड है,,क्या माल लग रही थी मेरी बुआ एक
दम मस्त ,,2 मिंट चूत मे लंड पेलने क बाद बुआ ने लंड को चूत से निकल कर मूह
मे ले लिया ओर चूसने लगी फिर बुआ टाय्लेट सीट पे हाथ रखके आगे की ओर झुक गयी
ओर लंड को अपनी गंद मे लेने लगी लेकिन लंड गंद मे नही गुस्सा ,,बुआ ने दोबारा ट्राइ
किया पर बात नही बनी फिर बुआ ने पास ही पड़ी हुई बॉडी लोशन की बॉटल उठाई
ओर थोडा सा बॉडी लोशन नलकी लंड पे ओर थोड़ा अपनी गंद पे लगाया ओर फिर से ट्राइ
किया इस बार आधा लंड गंद मे चला गया बुआ आधा लंड ही अंडर बाहर करने लगी
2 मिनिट बाद बुआ ने पूरा लंड गंद मे ले लिया ओर तेज तेज पेलने लगी अहह
उूुुुुुुुुुुुुुुउऊहह बुआ के हाथ की स्पीड भूत तेज थी जैसे कोई
मर्द उनकी गंद मे लंड पेल रहा हो,,,इधर मेरे हाथ की स्पीड भी तेज होने लगी,
कुछ ही देर बाद फिर बुआ ने अपनी तंग टाय्लेट सीट पे रखी रो लंड को चूत
मे ले लिया ओर एक हाथ से बूब्स को मसालने लगी आआअहहाआआआआआआहह
ऊऊऊऊऊओह हहयययययययययययययईईईईईईईई ईएहह
हमम्म्मममममममममममममममममममममममममममममम ऊऊऊहह
लंड पूरी स्पीड से अंदर बाहर हो रहा था अब बुआ की आवाज़ तेज होने लगी ,,मैं
समझ गया बुआ झड़ने वाली नही मैने भी अपने हाथ को लंड पे ते कर दिया 2 मिनिट
बाद मैं भी बुआ क साथ झड़ गया,,,,बुआ ने अपने कपड़े पहने ओर लाइट ऑफ करके
बाहर चली गयी,,मैने भी लंड को सॉफ किया शावर लिया ओर बाहर जाके सो गया,,,


नेक्स्ट डे सनडे था सभी लोग घर पे होते है इस दिन कुछ ख़ास नही हुआ,,,,मंडे
को मैं कालेज गया ओर आज भी पूरा दिन कालेज मे बोर होता रहा घर वापिस आके भी
वही रोज का काम वीडियो गेम,,,,,,,अब तो मुझे रात का इंतज़ार था ,,,,डिन्नर करके
मैं रूम मे आ गया ओर 10:30 बजने की वेट करने लगा ,,,10:30 बजे ओर मैं बाथरूम
घुस गया शावर आन करके कपड़े उतारे ओर लाइट ऑफ कर दी,,,बॉक्स खोल कर होल से काग़ज़
निकाला ओर बुआ के बाथरूम मे देखने लगा आज भी मैं पूरे टाइम पे था बुआ नहा
रही थी आज भी मैने बुआ को देखा ओर मुठ मारी,,,,,,,अगले 2-3 दिन यही होता रहा
मों को देखना चाहता था पर कालेज जाना ज़रूरी था इसलिए रात को बुआ को देखता
था ओर मुठ मरता था,,


आज रात मैं फिर बाथरूम मे गया ओर बॉक्स खोल कर बुआ को देखने लगा पर आज तो
कुछ ओर ही हो गया ,,,आज बुआ नही थी बाथरूम मे ,,,शोभा दीदी थी मेरी किस्मत
बड़ी अच्छी होने लगी थी दिन ब दिन,,,,,शोभा दीदी भी मों जैसी गोरी चिटी थी
बूब्स भी थोड़े बड़े थे बुआ से बड़े थे पर मों से छोटे ओर शरीर भी मों के
जैसे थोड़ा भारी था मोटी नही थी बस भरा हुआ शरीर था,,मेरी तो हालत
खराब थी मेरी बड़ी सिस मेरे सामने नंगी थी वो अपनी बॉडी पे लगे हुए साबुन को
निकाल रही थी मुझे लगा शायद इसका नहाना ख़तम हो गया है ,,मैं उदास हो गया
पर मुझे उमीद थी की अब बुआ तो आएगी ही,,शोभा ना सही बुआ सही,,मुझे तो चूत
देखनी है ओर मुठ मारनी है,,ओर वैसे भी बुआ कॉन्सा शोभा से कम थी,,अपनी-अपनी
जगह पेर दोनो बला की खूबसूरत थी,,,फ़र्क यही था की बुआ साँवली थी ओर शोभा
दीदी गोर्री चिटी ,,,,,मुझे लगा की शोभा दीदी बाहर जाने लगी है क्यूकी शावर
से हटके साइड हो गयी थी मुझे वो नज़र नही आ रही थी,,उस छोटे होल से पूरा
बाथरूम नज़र नही आता था,,,ये तो मेरी किस्मत थी की शावर वाला हिस्सा नज़र आ
था,,,,पर तभी शोभा दीदी वापिस आ गयी मैं उनको देख कर हैरान था क्यूकी उनके
हाथ मे वही पिंक कलर का नकली लंड था जो बुआ अपनी चूत मे लेती थी,,इसका
मतलब दीदी भी नकली लंड से एंजाय करती है दीदी ने भी लंड को मूह मे लिया ओर
चूसने लगी ओर हाथ से अपनी चूत को सहलाने लगी इधर मैने भी अपना काम

कर दिया था आज तो मुझे कुछ ज़्यादा ही मस्ती चड़ी हुई थी क्यूकी मेरी जवान बहन
मेरे सामने नंगी थी,,दीदी ने लंड को मूह से निकाला ओर ज़मीन पर लेट गयी ओर लंड
को चूत मे ले लिया ओर पेलने लगी ओर एक हाथ से बूब को मसल्ने लगी मुझे बड़ा मज़ा
आ रहा था मुझे लगा जैसे मैं अपनी बहन के उपर लेट के उसको चोद रहा हूँ,,दीदी
ने भी स्पीड तेज रखी अपनी ओर मैने भी आज तो लंड मे कुछ न्या जोश महसूस हो
रहा था मुझे मेरी भी स्पीड तेज थी दीदी चूत मे लंड लेते टाइम ज़मीन पर एसे
तड़प रही थी जैसे बिना पानी के मछली फिर दीदी ने लंड बाहर निकाला ओर मूह मे ले
लिया कुछ देर चूसने क बाद दीदी ने अपनी टाँगों को मूड कर अपने सर की तरफ कर
लिया ओर लंड को गंद मे डालने लगी ओर एक हाथ से चूत को सहलाने लगी,,,क्या मस्त
लग रही थी मेरी दीदी दिल करता था की दीवार तोड़के उसके पास चला जाउन ओर चूत ओर
गंद को फाड़ के रख डून,,करीब 2-4 मिंट बाद दीदी ने तेज चीख मारी ओर झड़ गयी
पर मेरा पानी नही निकला अभी,,,मैं सोच रहा था की दीदी वापिस उठकर शावर लेने
लगे ,,अगर वो बाहर चली गई तो मुझे अपना पानी निकलना मुश्किल हो जाएगा पर दीदी
ने उठ कर कपड़े पहने ओर बाहर चली गयी,,,,मैं उदास हो गया,,मैने सोचा चलो
कोई बात नही आब बुआ को देखके मूठ मार लूँगा,,,,,,मैं 15 मिनिट वेट करता रहा
लेकिन बुआ नही आई,,,मुझे बड़ी निराशा हुई मुठ मारने का दिल भी नही किया ओर मैं
कपड़े पहन कर बाहर चला गया ओर बेड पे लेट गया,,


मुठ पूरी नही लगा सका इसलिए नींद भी नही आ रही थी अब मैं सोचने लगा की
किसको चोदा जाए,,,बुआ को,,,,,,,,,,,,,पर वो तो सारा दिन बुटीक पे रहती है...
मों को,,,,,,,नही मों क पास जाना मेरे बस की बात नही बहुत डर लगता है मुझे,,
तो फिर क्या शोभा दीदी को,,,,,,पर वो भी तो घर पे नही रहती कभी,, कालेज से
सीधा बुआ के पास चली जाती है,,अब मैं करू भी तो क्या करू,,मैं सोच ही रहा
था की मेरी नज़र सोनिया पे पड़ी उसने स्काइ ब्लू कुर्ता ओर साथ मे माचिंग स्कर्ट पहनी
हुई थी,,वो रात को अक्सर एस ही कपड़े पहन कर सोती थी,,रूम मे हल्की सी रोशनी
थी हम लोग रात को एक छोटी लाइट जला कर सोते थे क्यूकी सोनिया को बचपन से ही
लाइट जला कर सोने की आदत थी,,उसका कुर्ता उसके पेट से थोड़ा उपर उठा हुआ था
उसकी गोरी कमर हल्की लाइट मे भी चाँदी जैसी चमक रही थी,,उसकी स्कर्ट उसके
घुटनो से काफ़ी उपर थी उसकी दोनो टाँगे भी बहुत सेक्सी लग रही थी छोटे-छोटे बूब्स
उसकी सांस क साथ उपर नीचे हो रहे थे,अभी-अभी जवान हुई थी,,मेरी जुड़वा ही थी
वो 18 कमसिन जवानी,,मुझे अपने आप पे बड़ा गुस्सा आया के मैं मों बुआ ओर
शोभा को चोदने के बारे मे सोच रहा हूँ जो मेरे साथ ज़्यादा वक़्त नही गुज़ारती इधर
इतना अच्छा माल है जो हमेशा मेरे साथ होता है कालेज भी ओर घर पर भी उसके
बारे मे मैने कभी सोचा ही नही,,अब तो इसी को चोदना है पर कैसे,,,अगर इसने
डेड को बता दिया ,,क्यूकी ये है भी गुस्से वाली,,इसको ज़रा संभाल कर पिटारी मे बंद
करना होगा ,,,बहुत ज़हरीली है ये,,तो मैं सोचने लगा की कैसे इस जंगली बिल्ली को
अपने क़ाबू मे करू,,,,,,,


कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »




मैं लेट कर सोनिया को देखता रहा ,,कितनी क्यूट थी वो एक दम किसी खूबसूरत परी
जेसी थी मेरी लिट्ल सिस,,पर बहुत गुस्से वाली,,मेरे साथ अच्छी बनती थी उसकी लेकिन
कभी-2 फाइट भी बहुत होती थी,उसकी भोली-भली नटखट जवानी मुझे उसकी ओर
आकर्षित करने लगी ना जाने क्यू मेरे दिल मे अजीब सी खुशी होने लगी मैं डरता हुआ
उसके बेड पे जाके बैठ गया ओर उसकी खूबसूरती को बड़े करीब से निहारने लगा,,वो
काफ़ी टाइम से मेरे साथ ही इसी रूम में सोती थी पर कभी मैने उसको इतनी गौर से
नही देखा था,भोला भला चेहरा मुझे पागल कर रहा था मुझे समझ नही आ रहा
था मैं क्या करू,वो चुलबुली सी लड़की सोते हुए भी मुस्कुरा रही थी,उसकी मुस्कान
एसी थी जैसे मान्सून की पहली बारिश जिसमे भीग कर दिल खुश हो जाता है,गुलाब
की पंखुड़ी जैसे छोटे-2 होंठ थे उसके एक दम गुलाबी,मेरा दिल किया की मैं उनको
एक बार,,बस एक बार चूम लून,,पता नही क्या हो गया था मुझे खुद पे क़ाबू ही नही
हो रहा था ,मैने डरते-2 हिम्मत करके उसके होंठो पे अपने होंठ रख दिए,,ओह माइ
गॉड वो पल इतना हसीन पल था मेरी लाइफ का की मैं लफ़ज़ो मे उस पल को ब्यान नही कर
सकता मेरी दिल कर रहा था की मेरी ज़िंदगी बस इसी एक पल मे सिमट कर रह जाए,
अगर ज़िंदगी एक पल की होती तो मैं अपने ज़िंदगी मे बार बार यही पल माँगता खुदा से,


ये पल कुछ एसा था जैसे आपकी गली से कोई लड़की गुजरती है रोज अपनी स्कुउतियों पे
जाने क लिए ओर आप उसको देखने के लिए बाहर खड़े होते हो,,,बारिश हो धूप हो या
कैसा भी मौसम हो आप उसकी एक ज़लक पाने क लिए बेकरार हो ओर वो लड़की अपने पास से
गुजरती है तो एक बार हसके मुस्कुरा के ज़माने से डरती हुई कभी नज़रे मिलाके तो कभी
पलके झुका के अपनी तरफ देखती है ये सब कुछ ज़्यादा वक़्त मे नही बस एक पल मे हो
जाता है ओर आपको एक अजीब से खुशी का एहसास होता है,,,हाँ ये पल भी बिल्कुल वैसा
था,,,,,,,

मैने अपने होंठ उसके नरम ओर गर्म होंठों पे रख दिए ओर हल्का सा किस कर दिया,
फिर अपना हाथ उसकी कमर पे रखा बड़ी ही नज़ाकत से ताकि उसको पता नही लगे ओर अपनी
एक फिंगर को उसकी कमर पे घुमाने लगा,,कितनी चिकनी ओर सॉफ्ट थी उसकी कमर,,मैने
अपनी फिंगर को कमर की एक तरफ से दूसरी तरफ घुमा रहा था बड़े प्यार से ओर उसी एक
फिंगर से उसके बदन की गर्मी को महसूस कर रहा था,,,तभी अचानक वो उठ गई ओर
मुझे अपना पास बैठा हुआ देखा ओर मेरे हाथ को अपने पेट पर देखा,,मैने सोचा बेटा
अब तो तू गया काम से,,हिट्लर जाग गया है आज तो रूम वॉर होगी ओर शायद फेमिली वार भी
तभी उसने पूछा भाई तुम यहाँ क्या कर रहे हो ओर तुम्हारा हाथ मेरे पेट पे क्यू है,,
मैं डर गया ओर चुप रहा ,,,उसने फिर पूछा क्या हुआ भाई,,,,,मैने बोला कुछ नही पागल
तेरे पेट पे एक कोकरोच था उसको हटा रहा था,,,तभी वो उछल कर बेड पे बैठ गई ओर
मेरे गले लग गई ,,,कोकरोच ////कहाँ है भाई कोकरोच???,,,वो डर गई थी,,,मेरी तो
साँसे ही रुक गई थी उसकी छोटे-2 बूब्स मेरे सीने से दबे हुए थे उसने बड़े ही ज़ोर से
मुझे अपनी बाँहों मे जकड़ा हुआ था दिल कर रहा था ये लम्हा यही थम जाए सारी ज़िंदगी
बस इस एक लम्हे मे सिमट कर रह जाए,,,,,,,,भाई देखो ना वो गया या नही,,,,,,,नही अभी
नही गया अभी इसी रूम मे है मैं इस मोके को हाथ से नही जाने देना चाहता था मैने भी
अपने हाथ उसकी पीठ पर रह दिए ओर उसकी पीठ को सहलाने लगा पर ज़्यादा तेज़ी से नही
हल्के-हल्के,,,ताकि उसको शक़ नही हो,,उसने मुझे बड़ी कस्के पकड़ा हुआ था ओर उसका सर
मेरे शोल्डर पे रखा हुआ था उसकी गम्र साँसे मुझे अपने शोल्डर के उपर महसूस हो
रही थी ,,उसकी साँसे मेरे शोल्डर से टकरा कर मेरे कान मे लग रही थी ओर मुझे एक
अजीब सी झुनझुनी का एहसास हो राह था,,मैने पहली बार क़िस्सी लड़की को अपने इतने करीब
अपने बाँहों मे जकड़ा था,,,,ये बात नही की मैने पहले कभी सोनिया को हग नही किया था
पर पहले हग करने वाला शक्स उसका भाई था जो अपनी बेहन को बड़े लाड प्यार से हग
करता था लेकिन आज उसको हग करने वाला शक्स एक शैतान था जो वासना के नशने मे अँधा
हो गया था ओर अपनी क्यूट सी बहन के जिस्म को बड़ी बेशर्मी से महसूस कर रहा था वो ये भी


तभी मैने मामा जी को देखा जो अपने पाजामे का नाड़ा ठीक करते हुए अपने रूम से बाहर आ
रहे थे,,,वही रूम जहाँ विशाल सोता था,,मैं समझ गया की आज चुदाई का खेल इसी
रूम मे चला होगा,,,मामा जी हमारे पास बैठ गये ,,क्या मामा जी आप कहाँ थे मैं इतनी
देर से बेल बजा रही थी ,,जब मोम किचन मे बिज़ी हो तो आप डोर तो खोल सकते हो ना,,
सॉरी बेटी मैं अपने रूम मे था ज़रा सी आँख लग गई थी मेरी,,,सोनिया गुस्से मे उपर रूम
की तरफ चली जाती है,,ओर मैं टीवी देखने लग जाता हूँ,,,,,,

उस रात ना तो मैं बुआ या शोभा को शावर लेते हुए देख सका ओर ना ही मेरी हिम्मत हुई
सोनिया के पास जाने की,,मैं एसे ही मायूस होके सो गया,,,

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by Jaunpur »

bbai,
lagta hee ki kahani aadhuri hai?
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

Jaunpur wrote:bbai,
lagta hee ki kahani aadhuri hai?


सही कहा दोस्त ये कहानी अभी अधूरी ही है आज से इसे रीस्टार्ट कर रहा हूँ उम्मीद है आप सबको ये कहानी पसंद आएगी
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »


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आज भी मैं ऑर सोनिया घर जल्दी आ गये थे क्यूकी आज सॅटर्डे था,,मैं दुआ कर रहा
था कि आज डोर लॉक ना हो वर्ना इस जंगली बिल्ली को फिर गुस्सा आ जा जाना है,,हम ने
बेल बजाई ऑर मोम ने आके डोर खोल दिया ,,,,मैने बोला ए खुदा तेरा लाख लाख शूकर है
कहीं आज भी मोम ऑर मामा अंदर बिज़ी होते तो पंगा हो जाना था,,लेकिन मोम को पता है कि
हम लोग सॅटर्डे को जल्दी आ जाते है इसलिए मोम ने भी अपना खेल जल्दी ही ख़तम कर
लिया होगा,,मैं अंदर जाके सोफे पे बैठ गया ओर सोनिया रूम मे फ्रेश होने चली गई बट
जाते जाते वो मोम को कॉफी के लिए बोल गई,,


मैं टीवी ऑन करके देखने लगा 5 मिनिट बाद मोम कॉफी लेके आ गई ऑर सोनिया भी
नीचे आ गई हम लोग कॉफी पीने लगे तभी फोन बजने
लगा,,,मोम ने फोन पिक किया ऑर बात करने लगी ,मोम ने जस्ट 2-3 मिनिट ही बात की फोन
पे,,,हमे कुछ सुनाई नही दिया क्यूकी टीवी चल रहा था,फोन रखने के बाद मोम भी हमारे
पास आके कॉफी पीने लगी,,,किसका फोन था मोन ??सोनिया ने पूछा,,,,,

गाओं से मेरे चाचा जी का फोन था बेटा मुझे मिलने के लिए बुला रहे है उसको थोड़ा काम है,,बोल रहे थे
की काफ़ी टाइम से तुम आई नही मिलने के लिए,

,तो कब जाना है मोम,,,,

सोचती हूँ कल ही चली जाउ,,,

अकेली जाओगी मोम,,,,,,,,,,,

नही बेटी तेरा मामा भी जाएगा साथ मे,,,,,,

मोम एक बात पुच्छू आपसे अगर बुरा नही मानो तो,,,,,

पूछो मेरी बेटी,,,,,,

मोम पापा कभी आपके साथ आपके गाओं क्यू नही जाते,,,,,,,

,क्या बताऊ बेटी एक बार तेरे पापा का मेरे चाचा से किसी
बात को लेके झगड़ा हो गया था तभी से तेरे पापा ने वहाँ जाना छोड़ दिया लेकिन जाना तो
मैं भी नही चाहती थी बट एक चाचा चाची के सिवा मेरा ऑर कोई है भी नही इस दुनिया
मे,,,

तो वापिस कब आओगी मोम,,,,,

3 दिन बाद चाचा जी को कोई काम है हम से,,,

मुझे शक़ हुआ कि भाई का फोन आया होगा क्यूकी वो जाते टाइम मोम को बोलके गया था कि उसको 2-3 दिन की
छुट्टी मिलने वाली है कुछ दिनो मे ,,,,फिर मैने सोचा कि शायद सच मे चाचा चाची का
फोन ही ना आया हो गाओं से,,,,,,,,,,मोम क्या मैं भी आपके साथ चलूं मैने मोम से पूछा,,

नही तुम नही,,,,वैसे भी तुम स्टडी मे ध्यान नही देते ओर उपेर से कॉलेज से छुट्टियाँ
करना चाहते हो,,,,ऑर वैसे भी मैं वहाँ घूमने नही थोड़ा काम से जा रही हूँ..


कॉफी ख़तम हो गई ओर सोनिया वापिस अपने रूम मे चली गई मोम भी कॉफी कप को किचॅन
मे रख कर अपने रूम मे चली गई,,मैने मोका देखा ऑर जाके फोन पे कॉल आइड्स मे चेक
करने लगा कि किसका फोन आया था,,,,,,मेरा शक़ सही निकला ये नंबर तो भाई का है,,,
मोम ज़्यादा पड़ी लिखी नही है इसीलिए उनको फोन ऑर मोबाइल की ज़्यादा नालेज नही है,,
मुझे गुस्सा आ रहा था कि अब फिर मोम मामा के साथ भाई के पास जाएगी ऑर 3 दिन तक दिन
रात ये लोग मज़ा करेंगे,,मुझे अभी अपने भाई से बहुत जलन होने लगी मैं सोचने लगा
काश मामा ने भाई की जगह मुझे पटाया होता मोम की चुदाई करने के लिए या फिर मैं इस
घर आ बड़ा बेटा होता,,खैर अब क्या हो सकता था,,,मैं वापिस सोफे पे बैठ गया ऑर टीवी
देखने लगा,,,


रात को डिन्नर करके मैं रूम मे लेटा हुआ था तभी सोनिया बाथरूम मे बाहर निकली उसने
अभी पिंक कलर का एक पतला सा कुर्ता ऑर साथ मे एक व्हाइट कलर का बरमूडा पहना हुआ था
जिसमे से उसकी आधी नंगी टाँगे चमकती हुई नज़र आ रही थी उसने अपने बदन को टवल
से अच्छी तरह नही पोछा था इसलिए उसके कपड़े हल्के भीगे हुए थे ऑर उपर से उसके बाल
भी गीले थे जिसमे से पानी की ड्रॉप्स उसके कुर्ते पर गिर रही थी ऑर उसकी छाती को भिगो
रही थी कुर्ता भीग कर छाती से चिपका हुआ था जिस वजह से उसके छोटे-छोटे बूब्स के
बीच का क्लीवेज़ नज़र आ रहा था ऑर बूब्स का हल्का सा उपरी हिस्सा ऑर ब्रा भी,,

ऐसे मैं उसको पहले भी कई बार देख चुका था बट कभी इतना गौर से नही देखा था,मेरा दिल तो
कर रहा था कि अभी उसको पकड़ लूँ बट मुझे उस से मोम से भी ज़्यादा डर लगता था,फिर
भी मैने सोचा कि आज कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा बट अभी नही उसके सोने के बाद,,,मैं
उठ कर गेम खेलने लगा गेम खेलते हुए मेरी नज़र क्लॉक पर पड़ी तो देखा 10:30 हो गये
थे,,यानी भुआ या शोभा के शवर लेने का टाइम था,,मैं जल्दी से उठा कर वॉशरूम मे
गया ओर सारी तैयारी करली,,,,,,यानी कपड़े उतार दिए शवर ऑन कर लिया लाइट बंद करके उस
बॉक्स के होल मे से कागज भी निकाल दिया,,ऑर बुआ के बाथरूम मे देखने लगा,,तभी शोभा
दीदी अंदर आ गई ऑर कपड़े उतारने लगी मुझे उसका कपड़े उतारना सॉफ नज़र नही आ रहा
था क्यूकी होल बहुत छोटा था जिस कारण बाथरूम का एक छोटा सा हिस्सा ही नज़र आता था,


ये तो अच्छा था कि शवर वाला हिस्सा नज़र आ रहा था,,अगर ग़लती से दूसरी तरफ का हिस्सा
नज़र आता तो मैं बस कपड़े उतारते हुए या पहनते हुए ही उनको देख सकता था ऑर शवर के
नीचे की सारी मस्ती का लाइव टेलीकास्ट देखने के लिए तरसता रहता,,,

कपड़े उतार कर वो शवर क नीचे खड़ी हो गई ऑर शवर ऑन कर दिया,,भीगती हुई मस्त
जवान लड़की देख कर मेरा लंड ओकात मे आ गया था,,वैसे भी कुछ देर पहले भी एक मस्त
भीगी हुई लड़की देख चुका था पूरी तरह भीगी हुई नही बट ऑलमोस्ट,,पानी उसके
बदन से फिसलता जा रहा था क्यूकी उसका बदन किसी संगमरमर के जैसा था चिकना ओर
सपाट एक भी निशान नही था उसकी बॉडी पे सिवा एक तिल के जो लिप्स के बिल्कुल नीचे था,वो
काफ़ी देर तक खुद की बॉडी पे हाथ फेरती रही आज उसने साबुन नही लगाया था ऐसे ही नहा
रही थी,,तभी मुझे झटका लगा शोभा अपने दोनो हाथों को अपनी चूत पे ले गई ऑर 2
हाथ उसके बूब्स को सहलाने लगे,,,मैं हैरान रह गया ये हाथ किसके है,,तभी देखा बुआ
उसके पीछे खड़ी हुई थी ऑर अपने हाथों से उसके बूब्स को मसल रही थी,,बुआ अपने दोनो
हाथों से बूब्स को बड़े प्यार से मसल रही थी तभी दीदी ने भी अपने हाथ बुआ के हाथों
पर रख दिए ऑर उनको अपने बूब्स मसल्ने मे साथ देने लगी,,बुआ भी बिल्कुल नंगी थी
बुआ के बूब्स दीदी की पीठ पर दबे हुए थे वो इस कदर चिपकी हुई थी कि हवा भी क्रॉस
नही हो सकती थी दोनो क बीच मे,,,,,,,,,


मैं मूह खोलके हैरानी से खड़ा हुआ उनको देख
रहा था मुझे अपनी आँखो पे यकीन नही हुआ मेरी बुआ ऑर बेहन एक साथ वो भी बाथरूम
मे पूरी नंगी एक दूसरे से चिपकी हुई थी,,तभी मैं सोचू कि दीदी जो कि पहले मोम के
रूम मे सोती थी वो बुआ के साथ रूम शेअर कैसे करने लगी ,,दीदी ने बुआ के कहने पर ही
फॅशन डिज़ाइनिंग का कोर्स शुरू किया था ऑर उनकी हेल्प के लिए उनके बुटीक जाना शुरू
किया था उसके करीब 15-20 दिन बाद ही वो बुआ के रूम मे शिफ्ट हो गई थी,,,,पहले-पहले
तो शोभा दीदी बुआ से बात भी नही करती थी,,,क्यूकी दीदी मोम की लाडली बेटी थी ऑर बुआ
मोम से बात नही करती थी उनका झगड़ा था कोई आपस का,,,मैने भी बुआ को कभी मोम से
या मोम को बुआ से बात करते नही देखा था,,


तभी दीदी पीछे की ओर पलटी ओर बुआ की तरफ देखने लगी बुआ दीदी से थोड़ी लंबी थी,
दीदी चेहरा उठा कर बड़ी मस्त नज़रो से बुआ को देखने लगी बुआ ने अपने हाथों से दीदी
के फेस को पकड़ा ऑर दोनो के फेस करीब होने लगे ओर कुछ ही देर मे दीदी के पिंक सॉफ्ट
लिप्स बुआ के लिप्स मे क़ैद हो गये बुआ ने दीदी के लोवर लिप्स को अपने लिप्स मे जकड़ा ऑर चूसने
लगी ऑर दीदी बुआ के उपर लिप्स को ऑर साथ साथ दोनो ने बड़ी मस्ती से अपने हाथ एक दूसरे
के बूब्स पे रख दिए ऑर बड़े प्यार ऑर नज़ाकत से एक दूसरे के बूब्स को मसल्ने ऑर सहलाने
लगे फिर दोनो ने अपनी ज़ुबान को बाहर निकाला ओर एक दूसरे की ज़ुबान को हवा मे लहराते हुए
एक दूसरे से लड़ाने लगी उन दोनो की ज़ुबान कुछ ऐसे अठखेलियाँ क्र रही थी जैसे जंगल
मे 2 साँप अपने मिलन की रात मे एक दूसरे से लिपट कर अपने बदन को दूसरे के बदन से मिला
कर अठखेलियाँ करते है,,


बुआ ऑर दीदी के बूब्स की कॅप्स ( डुँड़ी) हार्ड हो गई थी
दोनो ने एक दूसरे की बूब्स की कॅप को अपनी फिंगर्स से दबाना ऑर खीचना शुरू किया फिर
बुआ ने अपना एक हाथ दीदी के बूब्स पे रखा ऑर एक हाथ बूब्स से नीचे की तरफ ले जाना
शुरू किया बड़े प्यार ऑर मस्ती से बुआ का हाथ बड़ी स्लो स्पीड मे नीचे की ओर जा रहा था
कुछ ही देर मे बुआ का हाथ दीदी की चूत तक पहुँच गया ऑर चूत को सहलाने लगा दीदी
ने भी बिल्कुल वैसे ही अपना हाथ बुआ के पेट पर चलते हुए बुआ की चूत तक पहुँचा
दिया ऑर चूत को सहलाने का काम शुरू कर दिया,,


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