कहीं वो सब सपना तो नही complete

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007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

साला खुद मे तो दम नही है लेकिन कुछ चम्चे साथ मे रख कर बड़ा दादा बनता है कॉलेज का,,,हाइट 5 फीट
से भी छोटी है ,,,,रंग एक दाम कोयले जैसा काला,,,,मुँह ऐसा है जैसे किसी ने दीवार पर गोब्बर पटक कर मारा होता
है,,,साला देखो तो उल्टी करने का दिल करता है,,,,किसी साउतइंडियन फिल्म का गुंडा लगता है,,,,लेकिन हाइट मे उनसे कहीं
छोटा है,,,,

उसकी धमकी से मैं ऑर करण तो नही डरे लेकिन बेचारा सुमित डर गया ,,क्यूकी उनलोगो ने बहुत मारा था उसको,,,उसका
एक हाथ तो पहले से टूटा हुआ था,,,,वो डर तो गया था लेकिन मेरे ऑर करण के साथ होते ही उसकी हिम्मत बढ़ गई थी,,,,

साले फिर कभी की बात क्या करते है आज ही फैंसला कर लेते है,,,,,आ अगर माँ का दूध पिया है,,लेकिन याद रखना
अब अगर मुझे हाथ भी ल्गया तो सोच लेना ,,,तेरे ऑर तेरे बाप अमित की वो सीडीज़ मेरे पास है,,,तेरा बाप भले ही वो
असली सीडीज़ अपने साथ ले गया लेकिन उन सीडीज़ की कॉपीस मेरे पास है,,,,दोबारा अगर मेरे रास्ते मे भी आया तो सीडीज़ की इतनी कॉपीस बना लूँगा कि पूरे कॉलेज मे बाँट दूँगा,,

सीडीज़ की बात सुनके सुरेश थोड़ा डर गया ओर बिना कुछ बोले वहाँ से चला गया लेकिन फिर से जाते जाते अपना गुस्सा वो
किसी ऑर पर उतार गया,,,,,,,,,सुरेश ने जाते जाते कॅंटीन के बाहर पड़ी कोल्ड्रींक्स की बोतटेल्स पर लत मरके उसको गिरा दिया
बेचारा कॅंटीन वाला भी कुछ नही कर सका,,,ऑर बस रोता रह गया,,,,अगर वो कुछ कहता तो उन लोगो ने उसको भी
मारना था,,,,

कॅंटीन वाला रो रहा था लेकिन सुमित खुश हो रहा था क्यूकी उसने देख लिया था कि सीडीज़ की बात सुनके वो लोग चुप चाप
वहाँ से चले गये थे,,,

वो लोग वहाँ से चले गये ,,,,भीड़ भी अपने अपने रास्ते चली गई ,,लेकिन भीड़ दूर होते ही मैने देखा कि सोनिया ऑर कविता
वहाँ खड़ी हुई मुझे ऑर करण को देख रही थी ,,,,लेकिन जैसे ही मेरी नज़ारे सोनिया से मिल्ली वो कामिनी वही हिट्लर वेल गुस्से
के अंदाज़ से मुझे देखती हुई कविता का हाथ पकड़ कर वहाँ से ले गई,,,,


मैं ऑर करण भी सुमित को कॉलेज के क्लिनिक पर ले गये ओर उसकी मरहम पट्टी करवके उसको घर छोड़के अपने घर
की तरफ चले गये,,क्यूकी हम लोगो को जल्दी थी ,,सोनिया ऑर कविता भी घर के लिए निकल गई थी,,अगर तो सोनिया कविता के
घर पर रुक जाती तो ठीक था वर्ना मेरा ऑर करण का मस्ती करने का प्लान बीच मे ही अटक कर रह जाता,,,,

वहाँ से जल्दी जल्दी बाइक चला कर मैं ऑर करण घर पहुँचे तो बेल बजाने के तुरंत बाद ही माँ ने दरवाजा
खोल दिया,,,

दरवाजा इतनी जल्दी खुलते ही मैं समझ गया कि अंदर कोई प्रोग्राम नही चल रहा है,,,उपर से माँ की हालत भी ठीक
थी ऑर उनका चेहरा भी उदास था,,,मैं उनका उदास चेहरा देख कर हँसने लगा,,,

क्या हुआ माँ इतनी उदास क्यूँ हो,,,,,मैने हँसते हुए माँ से पूछा,,,,

चल बदमाश ऐसे पूछ रहा है जैसे कुछ जानता ही नही,,,,तेरी हिट्लर सोनिया घर आ गई है ,,,सारा मज़ा खराब
कर दिया,,,,

कहाँ है सोनिया माँ,,,,,,,,,मैने माँ से पूछा,,,,

वो उपर है अपने रूम मे अभी कुछ देर पहले आई,,,सारा खेल बीच मे रोकना पड़ा हम सब को,,,,इतना मज़ा आ रहा
था कि क्या बताऊ,,,,इतना बोलते बोलते माँ एक साइड हट गई ,,,

मैं ऑर करण घर के अंदर आ गये,,,,

क्यू क्या हुआ माँ ,,,,,सारा मज़ा खराब क्यू हो गया,,,,,

अरे बेटा तेरा मामा मुझे तो देख ही नही रहा था,,,शोभा ऑर शिखा के पीछे ही पड़ा हुआ था,,मैं तो बस नकली
लंड से खुद को खुश करती रही ओर जब मेरी बारी आई शिखा के साथ मस्ती करने की तो अभी मैने उसकी चूत पर अपनी
ज़ुबान रखी ही थी तभी सोनिया आ गई,,,,सारा मज़ा किरकिरा हो गया,,,,,,

बाकी सब कहाँ है आंटी,,,,करण ने आगे होके माँ से पूछा,,,

वो सब तो मज़ा करने बुटीक पर चले गये बेटा,,,मुझे यहाँ अकेला छोड़ गये,,,

आप अकेली कहाँ हो आंटी,,,अब मैं ऑर सन्नी आ गये है ना,,,,,करण ने इतना बोलके माँ के बूब्स को हाथों मे
पकड़ लिया ऑर माँ को किस करने लगा,,,,

नही बेटा अभी नही ऑर यहाँ तो बिल्कुल नही,,,,सोनिया उपर है,,,अभी तुम दोनो बैठो कुछ चाइ कॉफी पिओ फिर देखते
है क्या करने है आगे ऑर कैसे करना है,,,,

मैं ऑर करण मुँह हाथ धो कर सोफे पर बैठ गये,,,,

अरे यार आज तो सच मे कलपद हो गया ,,,,,पहले सुबह घर पर ऑर फिर कॉलेज मे पंगा ऑर अब घर वापिस आके फिर
से कलपद ,,,,आज हम दोनो की किस्मत ही खराब है,,,

तेरी किस्मत नही सन्नी मेरी किस्मत खराब है तू तो जब चाहहे शोभा ऑर आंटी के साथ मस्ती कर सकता है लेकिन मेरा
क्या,,,,मैं तो शिखा दीदी के साथ तभी मस्ती कर सकता हूँ जब माँ घर पर नही होती,,,,या रात को जब वो सो रही होती
है लेकिन उस मे टेन्षन बहुत होती है ,,,हर टाइम डर लगा रहता है कि कहीं माँ ना आ जाए ,,,

क्या सही टाइम पर बात बोली तूने यारा,,,,आज अभी तेरे घर चलते है माँ को लेके फिर माँ अलका आंटी को पटाने मे
हम लोगो की मदद करेगी,,,,

मेरी बात सुनके करण सोफे से उछल पड़ा,,,,,ऑर मेरे को कस्के बाहों मे भर लिया,,,,जल्दी करो सन्नी भाई नैक
काम मे देरी नही होनी चाहिए,,,

इतने मे माँ कॉफी लेके आ गई,,,,,कॉन्सा नेक काम करने की सोच रहे हो तुम दोनो,,,,

कुछ नही माँ आपको तो पता ही है कि करण अपनी माँ को यानी अलका आंटी को भी चोदना चाहता है ऑर उनको भी अपने
ऑर शिखा दीदी के साथ खेल मे शामिल करना चाहता है,,,,

हाँ हाँ पता है मुझे उस दिन शोभा ने बोला था,,,,

ऑर ये भी बोला था कि आपको हम लोगो की मदद करनी होगी,,,,

हाँ बेटा ये भी बोला था शोभा ने ,,तो इसमे कोन्सि बड़ी बात है अलका को तो मैं चुटकी मे मना लूँगी,,,,

सच मे आंटी जी,,,आप मेरी माँ को मना लोगि क्या ,,,करण खुशी से उछल कर माँ के पास चला गया,,,ऑर माँ को
बाहों मे भर लिया,,,,करण सच मे पागल हुआ जा रहा था अपनी माँ के बारे मे सुन सुन कर,,,,

हाँ करण बेटा ,,,तेरी माँ को मनाना कोई मुश्किल काम नही है ,,,लेकिन फिर भी कोई जल्दबाज़ी करनी ठीक नही होगी,,,हमे
आराम से सब कुछ करना होगा,,,,

सही बोला माँ इसलिए मैं ऑर करण सोच रहे थे क्यू ना आज आप ऑर मैं इसके घर चले,,,आप आज से ही अपने प्लान को
आगे बढ़ाना शुरू करदो,,,,

हाँ ये बात तो ठीक है बेटा,,,,तुम लोग कॉफी पिओ तब तक मैं तैयार हो जाती हूँ,,,,

मैं ऑर करण कॉफी पीने लगे,,,,मैं तो आराम से पी रहा था लेकिन करण को तो जैसे बहुत जल्दी थी,,,जैसे मेरी माँ
इसके घर जाते ही इसकी माँ को चुदाई क लिए माना लेगी ओर जाते ही ये अपनी माँ की गान्ड मे लंड घुसा देगा,,,तभी तो
सला गर्म गर्म कॉफी को भी तेज़ी से पी रहा था,,

मैने ऑर करण ने जितनी देर मे कॉफी ख़तम की उतनी देर मे माँ तैयार हो गई ऑर बाहर आ गई,,,माँ ने ब्लॅक कलर का
तंग फिटिंग वाला सूट पहना हुआ था ,,जो उनके जिस्म से चिपका हुआ था,,,,उनके बड़े बड़े बूब्स आधे से भी ज़्यादा
बाहर निकले हुए थे,,,मैं तो माँ को देख कर ही दंग रह गया लेकिन करण जल्दी से सोफेसे उठकर माँ के करीब
चला गया,,,,,

अरे आंटी जी आज तो आप कयामत लग रही हो,,,कसम से अगर सोनिया घर नही होती तो अभी आपको यहीं हॉल मे नंगा
करके चोदना शुरू कर देता,,,,

चल बदमाश जब देखो मसखरी करता रहता है,,,,,,माँ ने हल्के हाथ से थप्पड़ मारा करण के ऑर हँसने लगी

मैं भी माँ के करीब चला गया,,,,,सच मे माँ आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो,,,,करण सही बोल रहा है ऑर अगर
इसकी जगह मैं होता तो मैं भी ऐसा ही करता ,,,,बस 2 मिनट मे आपको नंगी करके यहीं चोदना शुरू कर देता

तुम दोनो भी ना,,कितनी झूठी तारीफ करते हो,,अब मैं बूढ़ी हो गई हूँ ,,,,थोडा रस भी नही बचा है मुझमे
जो तुम लोगो को पिला सकु,,जवान थी तो बात कुछ ऑर थी,,,

अरे आंटी आपको किसको कहाँ आप बूढ़ी हो ,,,आज भी आपकी मस्त मोटी गान्ड ऑर बड़े बड़े बूब्स देख कर 1000 लंड
खड़े हो जाते होंगे सलामी देने के लिए,,,,,,इतना बोलकर करण हँसने लगा,,,,

सही बोला माँ करण ने यकीन नही तो ये देखो,,,,मैने अपने लंड की तरफ इशारा किया जो माँ के बड़े बड़े बूब्स
देख कर पूरी ओकात मे आ गया था,,,,,

हाई राम क्या करूँ मैं इस लड़के का,,,,,एक ही पल मे लंड खड़ा कर लेता है,,,,वक़्त ऑर हालात भी नही देखता,,,,क्यू
बार बार तडपा रह है अपनी माँ को,,,,मैं भी सोनिया की वजह से चुप हूँ वर्ना तुम दोनो को ऐसा निचोड़ती की याद
रखते,,,

चलो अब ज़्यादा बातें नही करो करण के घर चलते है इसकी माँ को भी तो मनाना है,,,,

अपनी माँ ना नाम सुनते ही करण जल्दी से चलता हुआ दरवाजे की तरफ जाने लगा मैं ओर माँ पीछे से उसको जाते देख
कर हँसने लगे,,,,

करण अपने बिके पर चला ओर मैं अपने बाइक पर ,,,माँ मेरे साथ ही बैठी हुई थी,,,,,,

करण चाहता था कि माँ उसके साथ बैठे लेकिन माँ मेरे साथ बैठ गई थी,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »



आज बहुत टाइम बाद माँ मेरे साथ बैठी थी बाइक पर मुझे एक अलग ही मज़ा आ रहा था ,,उनके बड़े बड़े बूब्स
मेरी पीठ से दब रहे थे,,,नून टाइम था इसलिए गर्मी बहुत थी ऑर सभी सड़कें सुनसान थी,,बहुत कम लोग थे
सड़को पर,,,,लेकिन जितने भी लोग थे सब मेरी माँ की तरफ घूर घूर कर देखते जा रहे थे,,जितने भी मर्द
हमारे पास से गुजर रहे थे उनमे से शायद ही कोई मर्द होगा जिसनेपलट कर माँ को नही देखा होगा,,,आज मेरी
माँ इतनी खूबसूरत लग रही थी कि हर कोई मर्द दिल ही दिल मे उसको चोदने की ख्वाहिश कर रहा था ,,मेरा भी हाल
कुछ ऐसा ही था,,,

माँ आज तो आप सच मे बहुत मस्त लग रही हो,,,देखो सड़क पर जो भी मर्द गुजर रहा है आपको एक बार पलट कर
ज़रूर देख रहा है,,,,हर किसी का लंड खड़ा हो रहा होगा आपको देख कर,,,

मुझे हर किसी के लंड की नही तेरे लंड की ज़रूरत है बेटा,,,,इतना बोलकर माँ ने मेरे लंड को हाथ मे पकड़ लिया ऑर
हल्के से दबा दिया,,,,,,

क्या करती हो माँ कोई देख लेगा,,,,

तो मैं क्या करूँ कोई देखता है तो देखने दे,,,,,,इतना बोलकर माँ ने हल्के से लंड को फिर से दबा दिया,,मेरे मुँह
से अहह निकल गई ,,,,

करण मेरे एक साइड मे बराबर ही बाइक चला रहा था उसको मेरी अह्ह्ह्ह सुन गई ओर वो मुझे ऑर माँ को देख कर
हँसने लगा ऑर जल्दी ही उसने बाइक को एक गली मे मोड़ दिया,,,,

मैने भी उसके पीछे पीछे बाइक मोड़ दिया,,,

अबे करण इस तरफ बाइक क्यू मोड़ा ,,,तेरे घर नही जाना क्या,,,,

सन्नी भाई ये रास्ता भी मेरे घर को ही जाता है ,,,,बस फ़र्क इतना है कि रास्ता खराब होने की वजह से यहाँ से कोई आता
जाता नही,,,,,,अब आंटी जितना चाहहे तेरे लंड को मसल सकती है ,,,किसी के आने का डर नही इस रास्ते पर,,,,

मेरा बेटा कितना ख्याल रखता है अपनी माँ का,,,,,माँ ने करण को हँसते हुए बोला,,,,

मैं मिरर मे से पीछे देख रहा था तभी माँ ने हँसके मुझे देखा ऑर मेरे लंड से हाथ हटा लिया ऑर फिर
अपने दुपट्टे से अपने सर ऑर फेस को कवर कर लिया ताकि कोई अगर हमे देख भी ले तो माँ को पहचाने नही,,,माँ
की सिर्फ़ आँखें ही बाहर थी बाकी फेस कवर हो गया था,,,,,

माँ ने वापिस हाथ मेरे लंड पर रखा ऑर मसल्ने लगी,,,मैने नीचे अंडरवेार नही पहना हुआ था जिस से मेरा
लंड पॅंट मे पूरी तरह से फूल गया ऑर पूरा ओकात मे आ गया,,,माँ तेज़ी से मूठ नही मार रही थी बस हल्के हल्के लंड
को सहला रही थी,,लेकिन इतने से ही मेरी हालत खराब हो रही थी,,,,,जैसे तैसे 10 मिनट खुद पर क़ाबू करते हुए
मैं करण के घर तक पहुँच गया,,,,

करण बाइक से उतरा ऑर घर के गेट पर गया ऑर बेल बजाने लगा,,,,इतने मे मैं भी बाइक साइड पर रोक चुका था,,,माँ
बाइक से उतरी ऑर मेरे गाल पर हल्की किस करके मेरे लंड को एक बार ऑर दबा कर आगे करण के घर की तरफ बढ़ गई,,

मैं बाइक से उतरा ऑर मेरा ध्यान अपने लंड पर गया तो मेरी पैंट पर मेरे लंड का हल्का पानी लगा हुआ था,,,जो लंड
की चिकनाई थी जो चुदाई करते टाइम बीच बीच मे निकलती रहती है,,,उस चिकनाई की वजह से मेरी पैंट हल्की गीली हो
गई थी,,,,

मैं भी बाइक से उतर कर करण ऑर माँ के पास चला गया,,,

लगता है माँ घर पर नही है,,,,इतना बोलकर करण नीचे झुक गया ऑर गाते पर अंदर से लगे लॉक को देखने की
कोशिश करने लगा,,,,

माँ घर पर नही है ,,,लॉक लगा हुआ है अंदर से,,,,,

अब क्या करे वापिस चले क्या,,,माँ ने करण से पूछा,,,,

अरे नही आंटी जी मेरे पास घर की दूसरी चाबी है,,,इतना बोलकर करण ने पॉकेट से चाबी निकाली ऑर लॉक खोल दिया,,,,

लॉक खुलते ही माँ जल्दी से अंदर चली गई क्यूकी बाहर गर्मी बहुत थी,,,,माँ के पीछे पीछे करण भी अंदर चला गया
ऑर करण के पीछे मैं भी,,,,,

अंदर जाते ही करण घर के मेन डोर का लॉक खोलने लगा ऑर लॉक खुलते ही माँ अंदर चली गई ऑर मैं भी जल्दी से
अंदर चला गया,,,,जबकि करण वापिस पीछे मूड कर बाहर की तरफ चला गया गेट बंद करने,,,,

अंदर आते ही माँ सोफे पर बैठ गई,,करण ने एसी ऑन किया ऑर माँ के लिए पानी लेने किचन मे चला गया जबकि मैं
जल्दी से भाग कर करण के रूम मे बाथरूम मे चला गया,,,माँ ने रास्ते मे मेरे लंड को इतना सहलाया था कि
करण के घर तक आते आते मेरा लंड फटने वाला हो गया था,,,,जब बाथरूम मे जाके पेशाब किया तो कुछ राहत मिली


मैं बाथरूम से बाहर आया तो माँ अपना दुपट्टा उतार कर साइड पर रख चुकी थी ऑर मुझे करण के रूम से आते
देख कर हंस रही थी,,,,मैं भी माँ के पास आके सोफे पर बैठ गया ,,,इतने मे करण 3 ग्लास मे कोल्ड्ड्रिंक लेके आ गया

करण ने एक ग्लास माँ की तरफ बढ़ाया ऑर एक ग्लास मुझे दिया ऑर एक ग्लास खुद लेके साथ वाले सोफे पर बैठ गया,,,

मैं कोल्ड-ड्रिंक पीता हुआ अपनी पैंट की तरफ देख रहा था तभी माँ ने मेरी तरफ देखा ऑर मुझे अपनी गीली पॅंट
की तरफ देखता हुआ पा कर हँसने लगी,,,,

अरे बेटा तूने पॅंट मे भी पेशाब कर दिया क्या,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी ऑर करण भी माँ का साथ देने लगा

आंटी जी अपने इतने प्यार से सारे रास्ते इसके लंड को मसला था पेशाब तो निकलना ही था इसका,,,करण फिर हँसने लगा,,

मैने जल्दी से अपना ग्लास ख़तम किया फिर ग्लास को टेबल पर रख दिया,,,,

हाँ माँ करण सही बोल रहा है तूने रास्ते भर इतने प्यार से मसला मेरे मूसल को की इसने पॅंट मे ही पानी निकलना
शुरू कर दिया था ऑर अब देख मैं तेरी चूत को ऐसी मसलूंगा की तेरा भी पानी निकल जाएगा,,,

इतना बोलकर मैं माँ के करीब हो गया ऑर माँ ने भी एक ही पल मे खुद को मेरी तरफ़ मोड़ लिया ऑर मेरे आगे होते ही
माँ ने अपना हाथ मेरे पॅंट के उपर से मेरे लंड पर रख दिया जो अभी तक हल्की मस्ती मे आधा खड़ा हुआ था,,

हयी राम अभी तक सोया नही ये,,,,,

नही माँ अभी ये अंगड़ाई लेना शुरू ही हुआ था कि अब फिर से तेरे हाथ लगते नींद उड़ गई इसकी,,,इतना बोलकर मैं
ऑर आगे हुआ ऑर माँ के लिप्स की तरफ़ बढ़ने लगा,,,माँ ने भी अपने फेस को मेरे करीब करण शुरू कर दिया ऑर पल भर
मे मेरी ऑर माँ की किस शुरू हो गई,,,,,मैं माँ को किस करते हुए माँ के बूब्स को हल्के से दोनो हाथों मे लेके
मसल्ने लगा माँ भी मेरे लंड को प्यार से सहलाने लगी,,,रास्ते भर माँ ने मेरे लंड को इतना मसला था कि मैं तो
करण के घर आते ही माँ को चोदने क लिए तैयार बैठा था ऑर माँ का भी यही हाल था,,,,मैं ऑर माँ किस कर रहे थे
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »



तभी मैने देखा कि करण ने अपनी माँ को फोन कर दिया,,,,


करण,,,,,,,,,,हेलो,,,

अलका,,,,,,हेलो बेटा

करण,,,माँ कहाँ हो आप,,,,

अलका ,,,,,,,,,बेटा मैं बाहर आई हूँ शॉपिंग के लिए ,,घर का कुछ समान लेना था ऑर सब्जी भी लेनी थी,,,

करण,,,,,माँ जल्दी आ जाओ आपसे मिलने के लिए कोई आया है घर पे,,,,

अलका ,,,,,,,बेटा मुझे तो 3-4 घंटे लग जाने है,,,,वैसे कॉन आया है ये तो बता,,,,

करण,,,,,सन्नी ऑर उसकी मोम आए है आपसे मिलने,,,,,

अलका,,,,,क्या सरिता दीदी आई है,,,,हाइ राम मैं तो अभी बहुत दूर हूँ बेटा,,,,मुझे तो काफ़ी टाइम लग जाना है,,,इतने
दिनो बाद सरिता दीदी आई है ऑर मैं घर पर नही हूँ,,,,,तू ऐसा कर बेटा उन लोगो को चाइ कॉफी पिला मैं जल्दी से
जल्दी घर आने की कोशिश करती हूँ,,

करण,,,,,,,ठीक है माँ लेकिन फिर भी कितनी देर तक आओगी आप,,,,,,सरिता आंटी पूछ रही है,,,,

अलका,,,,,बेटा वैसे तो मुझे 3 अवर्स लग जाने है लेकिन तुम सरिता दीदी को मत बोलना,,उनको बोलो कि मैं बस 15-20
मिनट मे आ रही हूँ,,,,,वर्ना उन लोगो ने चले जाना है ओर फिर पता नही कब आएँगी दोबारा ,,,,

करण,,,,,,,,,,ठीक है माँ लेकिन आप जल्दी आने की कोशिश करना,,,,

अलका,,,ठीक है बेटा,,,,बयी

करण फोन बंद करता है इतनी देर मे मैं माँ की कमीज़ उतार चुका था ओर अपनी टी-शर्ट भी क्यूकी मैने करण
ऑर उसकी माँ की बात सुन ली थी जब उसकी माँ उसको 3-4 अवर्स मे वापिस आने का बोल रही थी,,,

मैं ऑर माँ तो पहले ही मोका ढूँढ रहे थे ,,क्यूकी माँ आज सोनिया के जल्दी वापिस घर आने की वजह से पूरी मस्ती
नही कर सकी थी इसलिए पूरी भरी बैठी थी ,,,ऑर रास्ते मे माँ ने मेरे लंड को इतना मसला था कि मैं भी बस मोके की
तलाश मे था कि कब मोका मिले ऑर मैं अपना मूसल घुसा दूं माँ की गान्ड मे,,,,मेरे लंड को सहलाने की वजह
से माँ की आग भी कुछ ज़्यादा भड़क गई थी,,,वो भी बस जल्दी से मोका देख कर मेरे लंड को गान्ड मे लेना चाहती
थी,,,,,

सोफे पर बैठे हुए मैं अपनी टी-शर्ट उतार चुका था ऑर माँ की कमीज़ भी उतर गई थी,,,,मैं ऑर माँ किस करते हुए
एक दूसरे के जिस्म पर हाथ फेरने लगे थे,,,,मेरे हाथ माँ की ब्रा के उपर से माँ के बूब्स को सहलाना शुरू कर
चुके थे ऑर माँ के हाथ भी मेरी चेस्ट पर घूमने लगे थे ,,,मैं माँ को किस करते हुए करण की तरफ देखने
लगा वो उठा ऑर जल्दी से भाग कर बाहर की तरफ चला गया शायद गेट को अच्छी तरह बंद करने गया था फिर वापिस
आके उसने घर के अंदर वाला मेन डोर भी लॉक किया ऑर सोफे पर हम लोगो की तरफ बढ़ने लगा ,,आगे की तरफ चलते
हुए उसने अपने कपड़े खोलना शुरू कर दिए,,,पहले टी-शर्ट ऑर बनियान निकाल दी फिर बूट उतार कर जल्दी से पैंट भी
निकाल कर एक दम नंगा हो गया ,,,उसने भी नीचे अंडरवेार नही पहना था ,,,,या तो शुरू से नही पहनता होगा या
फिर मेरी तरह जबसे घर मे चुदाई का सुख लेना शुरू किया होगा तबसे पॅंट के नीचे अंडरवेार डालने की आदत
छोड़ चुका होगा,,,,जहाँ मैं ओर माँ 2 मिनट मे आधे नंगे हुए थे वहीं करण 2 मिनट मे पूरा नंगा
हो गया था,,

माँ ने मुझे किस करना बंद किया ऑर करण की तरफ देखने लगी,,,,करण नंगा सोफे के करीब खड़ा हुआ था ऑर
हम दोनो उसके ऐसे नंगा खड़ा देख कर हँसने लगे,,,,जहाँ मेरा ऑर माँ का बुरा हाल था वहीं करण का तो
हमसे भी ज़्यादा बुरा हाल था,,,,,

माँ ने हाथ उठाकर करण का हाथ पकड़ा ऑर उसको अपने साथ सोफे पर बिता लिया करण भी जल्दी से बैठ गया ,,माँ
बीच मे थी जबकि मैं ऑर करण माँ की दोनो तरफ बैठ गये थे,,माँ पहले तो मेरी तरफ फेस करके बैठी हुई
थी ऑर मुझे किस कर रही थी लेकिन करण के बैठने के बाद माँ एक दम सीधी बैठ गई उसने ना तो मेरी तरफ फेस
किया ऑर ना ही करण की तरफ,,,वो तो बस अपनी पीठ सोफे से सटा कर आराम से बैठ गई ,,वो जैसे मुझे ऑर करण को ये
बोल रही थी कि मुझे कुछ नही करना तुम दोनो ही मिलकर मुझे खुश करो,,,,करण तो नंगा था ऑर उसने जल्दी से
माँ के लिप्स पर अपने लिप्स रख दिया ऑर माँ को किस करने लगा माँ भी पल भर मे उसकी किस का रेस्पॉन्स देने लगी
तभी मैं उठा ऑर मैने भी अपने कपड़े निकाल दिए ऑर नंगा होके वापिस सोफे पर बैठ गया ,,,करण ऑर माँ दोनो
किस कर रहे थे करण का एक हाथ माँ के बूब्स को ब्रा के उपर से मसल रहा था ऑर माँ का हाथ भी उसके लंड पर
चला गया था ऑर माँ ने उसके लंड को हाथ मे लेके मसलना शुरू कर दिया था ,,,मैं भी माँ की दूसरी तरफ बैठ
गया था मैने माँ के एक बूब को हाथ मे लिया ऑर मसल्ने लगा करण ने दूसरे बूब को पकड़ लिया कुछ देर तो मैं
मसलता रहा लेकिन फिर मेरे से रहा नही गया तो मैने बूब को ब्रा के उपर से बाहर निकाल लिया ऑर मुँह मे भर लिया
माँ ने जल्दी से अपनी पीठ को सोफे से थोड़ा आगे किया ऑर अपने दोनो हाथ पीठ पर ले गई ऑर जल्दी से अपनी ब्रा खोल दी
ऑर फिर मेरे सर को अपना हाथ मे पकड़ा ओर मुझे जबरदस्त किस करने लगी ,,

माँ मेरे लिप्स को अपने मुँह मे भरके चूसने लगी ऑर अपनी ज़ुबान को मेरे मुँह के अंदर हर कोने मे अच्छी तरह
टच करने लगी ,,इधर उधर घुमाने लगी ,,मैं भी माँ के मुँह मे अपनी ज़ुबान घुसा कर माँ के मुँह का
अंदर से मुआयना करने लगा ,,माँ का लोवर लिप्स मेरे लिप्स मे जकड़ा हुआ था जबकि मेरा उपर वाला लिप्स माँ के
लिप्स मे क़ैद हो गया था ,,माँ मेरे लिप्स को चूस चूस कर मेरे रस को पीने मे लगी हुई थी ऑर मैं भी माँ के लिप्स
को कस्के अपने लिप्स मे जाकड़ कर चूस्ता जा रहा था ,,माँ के सॉफ्ट सॉफ्ट लिप्स मेरे मुँह मे घुलते ही जा रहे थे ऑर
मैं उन घुलते हुए लिप्स के रस को पीता हुआ अपने गले से नीचे गटाकता जा रहा था,,,मेरा हाथ माँ के बूब पर था
ऑर मैं उस बूब को हाथ मे लेके मसल्ने लगा तभी मैने हाथ आगे करके दूसरे बूब को पकड़ने की कोशिश की
तो मेरा हाथ करण के सर पर लग गया मैं समझ गया कि वो माँ के दूसरे बूब को मुँह मे भरके चूस रहा होगा,,

मेरा हाथ माँ के बूब को मसल्ने लगा तो माँ का हाथ भी मेरे लंड पर चला गया माँ का एक हाथ मे मेरा लंड
था जबकि दूसरे हाथ मे करण का लंड ,,,माँ दोनो लंड को बड़े प्यार से उपर से नीचे तक मसल्ति हुई मूठ मार
रही थी,,बीच बीच मे माँ मेरे लंड की टोपी को अपनी हाथ की मुट्ठी मे भरके हल्के से दबा रही थी जिस से पूरे
लंड मे एक तेज मस्ती की लहर दौड़ जाती थी,,लंड की नसों मे खून पूरी तेज़ी से दौड़ने लगता था ऑर लंड मे रुक रुक
कर एक हल्का मीठा दर्द होने लगता था जिस से मेरी मस्ती कुछ ज़्यादा ही बढ़ गई थी ऑर उसी मस्ती मे मैं माँ के
लिप्स को चूस्ता ही जा रहा था ऑर साथ ही बड़े प्यार से लेकिन थोड़ा ज़ोर लगा कर माँ के बूब को भी मसल रहा था,,,कुछ
देर बाद माँ ने मेरे लिप्स से अपने लिप्स दूर कर लिए ऑर वापिस करण के सर को अपने बूब से हटा कर उसके लिप्स पर
किस करने लगी ,,मेरे लिप्स फ्री होते ही मैने अपने लिप्स को माँ मे बूब की तरफ मोड़ दिया ऑर जल्दी से माँ के बूब को
मुँह मे भर लिया ,,मैं माँ के बूब को अपने दोनो हाथों मे पकड़ कर ज़ोर से दबा रहा था ऑर बूब की डुँड़ी को
अपने दाँतों मे हल्के से दबा कर काट रहा था ऑर बीच बीच मे हल्की ज़ुबान से बूब के उपर बनी डुँड़ी ऑर
उसके आस पास के हल्के ब्राउन कलर के राउंड को अपनी ज़ुबान से चाटने लग जाता फिर वापिस मुँह मे भर लेता,,
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

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उधर करण के लिप्स फिर से माँ के लिप्स मे जकड़े गये ऑर फिर से उन दोनो की किस शुरू हो गई ,,माँ करण के लंड को
मसल रही थी ऑर कारण का हाथ माँ के दूसरे बूब पर था ,,तभी करण ने अपने हाथ को माँ के बूब्स से हटा कर
पेट पर रखा ऑर पेट से सहलाते हुए अपने हाथ को माँ की सलवार के उपर से माँ की छूट पर ले गया ,,वो माँ की छूट
को सलवार के उपर से सहलाने लगा तो मैने जल्दी से अपने हाथ को माँ की सलवार मे घुसा दिया ऑर माँ की सलवार
के नाडे को बाहर निकाल कर जल्दी से खोल दिया ऑर माँ की सलवार को नीचे करने लगा ,,मेरा दूसरा हाथ भी माँ के बूब
से हट गया ओर माँ की पीठ पर चला गया ओर वहाँ से भी माँ की सलवार को नीचे करने लगा ,,माँ ने भी खुद अपनी
गान्ड को सोफे से हल्का उपर उठा लिया ऑर मुझे उनकी सलवार निकालने मे हेल्प करने लगी ,,गान्ड उपर उठते ही मैने
तेज़ी से माँ की सलवार को गान्ड से हटा कर उनकी टाँगों के बीच मे ले आया ऑर देखते ही देखते माँ की सलवार
ज़मीन पर थी ऑर माँ भी मेरी ऑर करण की तरह नंगी होके हम दोनो के बीच मे थी,,,जैसे मैने ऑर करण ने
पॅंट के नीचे कुछ नही पहना हुआ था वैसे माँ भी सलवार के नीचे कुछ नही पहनकर आई थी,,सलवार निकलते
ही माँ नंगी हो गई ऑर करण का हाथ माँ की चूत को सहलाने लगा लेकिन ज़्यादा देर तक नही ,,,करण ने जल्दी ही माँ
की चूत मे उंगलियाँ घुसा दी ,, माँ की चूत को सहलाना मैं चाहता था लेकिन करण का हाथ पहले वहाँ
पहुँच गया ,,मेरा मस्ती से बुरा हाल हो रहा था क्यूकी मैं रास्ते भर माँ के हाथ द्वारा लंड सहलाने से काफ़ी
उत्तेजित हो गया था,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

उधर करण ने माँ की चूत मे उंगली करते हुए अपने लिप्स को माँ के लिप्स से अलग कर लिया ऑर माँ के खाली पड़े बूब
को मुँह मे भर लिया ,,,माँ के लिप्स फ्री होते ही मैं वापिस टूट पड़ा माँ के लिप्स पर ऑर जल्दी ही उनके लिप्स को अपने लिप्स
मे जाकड़ कर किस करने लगा ,,उधर करण का मुँह माँ के बूब पर था ऑर वो बूब को चूस्ता हुआ माँ की चूत मे
उंगली कर रहा था इधर मैं वापिस माँ को किस करते हुए माँ के एक बूब को हाथ मे लेके मसल रहा था ,,तभी
मैने देखा कि करण ने माँ के बूब को मुँह से निकाला ऑर ज़मीन पर माँ की टाँगों के बीच जाके बैठ गया ऑर
माँ की टाँगों को खोलकर माँ की चूत को सोफे के लास्ट मे अपने सर के करीब खींच लिया ,,,माँ भी जल्दी से अपनी
चूत को करण के मुँह के करीब करने के लिए सोफे से उठकर आगे की तरफ खिसक गई ऑर पल भर मे माँ की चूत '
करण के मुँह के करीब थी ऑर करण ने माँ की चूत को मुँह मे भर लिया था ,,करण ने मस्ती मे इतना कस्के माँ की
चूत को मुँह मे भरके चूसा था कि माँ की हालत खराब हो गई थी वो मस्ती मे चिल्लाना चाहती थी लेकिन उसके लिप्स
मेरे लिप्स मे जकड़े हुए थे इसलिए वो चिल्ला नही सकी लेकिन बदले मे उसने मेरे लिप्स को इतनी ज़ोर से दबा कर अपने मुँह
मे भर लिया जैसे खा ही जाएगी मेरे लिप्स को,,मैने भी उसी मस्ती मे माँ के लिप्स को चूसना शुरू कर दिया,,माँ के
लिप्स मेरे लिप्स मे जकड़े हुए थे लेकिन फिर भी माँ की हल्की हल्की दबी हुई सिसकियाँ निकल रही थी क्यूकी करण बड़ी
मस्ती भरे अंदाज़ मे माँ की चूत को चूस रहा था,,,

कुछ देर बाद मैने माँ के लिप्स से अपने लिप्स अलग किए ऑर माँ के बूब्स को मुँह मे भरके चूसने लाग ,,मैं एक
बूब्स को मुँह मे भरके चूस रहा था ऑर दूसरे को हाथ मे लेके मसल रहा था ,,मेरे लिप्स माँ के लिप्स से दूर होते
ही माँ की सिसकियाँ निकलना शुरू हो गई,,,,अहह उउउउउउउउउउउउउउउउह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हययइईईईईईईई
क्काररांंणणन् ब्बीतता आईसीए शियी च्छुउस्सूऊ म्मेरेइईईई चूऊऊओत ककूऊव आहह प्पूउर्रा म्मूउहह
म्मीई बभ्ारर ल्लूऊ म्मेरेइईईई चूत्त ककूऊऊ क्क्हाअ ज्जाऊओ इश्स कच्छीककन्णीी कच्छाम्मील्लीइीई ककूऊऊ
आहह ऊओररर्र ज्ज़्य्यददााअ ककाट्तूओ म्मेरेइईईई छ्छूवतत क्की कच्छांम्मददीए ककूऊऊओ आअहह
उूुुुउऊहह हहयययययईईई हमम्म्ममममममममममम ऊओरर्र्र्र्र्र्र्र्ररर
ज्जूओर्रर ससी च्छुउस्ूओ मेरेयिइ चुत्त्त्त्त्त्त्त्त ककूऊ आपपनन्ी प्पूउर्रिइ ज्जुउब्बान्न्न्न् उउन्न्ञददीर्रर ग्घुउस्स्स्साआ
दद्दूऊव क्काररांन्न ब्बीत्ताअ आहह कारण भी माँ की सिसकियों सुनकर ऑर भी तेज़ी से माँ की चूत को
चूसने लगा मैने देखा कि करण ने माँ की चूत के चमड़े को अपने दाँतों मे दबा रखा था ऑर मुँह मे
भरके चूस रहा था ऑर हल्के से काट भी रहा था ,,करण को मस्ती से माँ की चूत चूस्ते देख ऑर माँ की मस्ती
भरी सिसकियाँ सुनकर अब मेरे से रहा नही गया मैने जल्दी से सोफे पर खड़ा हो गया ऑर जैसे ही माँ ने अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
करने के लिए मुँह खोला मैने अपने लंड को माँ के मुँह मे घुसा दिया ,,माँ आराम से मस्ती मे आँखें बंद करके
चूत चुसाइ का मज़ा ले रही थी लेकिन जैसे ही मेरा लंड माँ के मुँह मे गया माँ की आँखें खुल गई ऑर माँ ने लंड
को हाथ मे पकड़ ओर मुँह से निकाल दिया फिर हँसके मेरी तरफ देखा ऑर वापिस लंड को मुँह मे भर लिया ,,,

माँ ने अपने सर को लंड पर आगे पीछे करने की कोशिश की लेकिन ऐसी हालत मे माँ को अपना सर हिलाने मे मुश्किल हो
रही थी तो मैने माँ के हाथ को अपने लंड से हटा दिया ऑर खुद अपने लंड को माँ के मुँह मे अंदर बाहर करने
लगा ,,जिस तरह से माँ बैठी हुई थी उस तरह से माँ के मुँह मे आधा लंड ही जा रहा था जिस से मुझे मज़ा नही आ
रहा था ऑर ना ही माँ को मज़ा आ रहा था क्यूकी चूत हो गान्ड हो या मुँह हो जब तक लंड जड़ तक अंदर नही चला
जाता ना तो मुझे मज़ा आता था ना ही माँ को ,,तभी माँ ने खुद को अड्जस्ट करते हुए अपने सर को सोफे के पीछे की दीवार
पर रखके सोफे से हल्का सा पीछे की तरफ झुका दिया जिस से माँ का सर थोड़ा नीचे झुक गया ऑर माँ की आँखें ऑर मुँह
उपर छत की तरफ हो गये जिस से मुझे अपने लंड को माँ के मुँह मे डालने मे आसानी हो गई ऑर मैने भी जल्दी से अपने
लंड को माँ के मुँह मे गले से नीचे तक उतार दिया ऑर ऐसे ही पूरा लंड माँ के गले से नीचे तक उतारकर उपर नीचे
करने लगा ऑर माँ के मुँह को लंड से चोदने लगा,,माँ ने भी अपनी ज़ुबान को मुँह से बाहर निकाल लिया ऑर मेरे लंड
को अंदर बाहर होने के लिए जगह बना दी जिस से मेरा लंड बड़े आराम से माँ के मुँह मे अंदर बाहर होने लगा ऑर
मैं मस्ती मे भरने लगा ,,मैने अपनी टाँगों को थोड़ा खोला ऑर माँ के उपर से दोनो टाँगों को माँ के जिस्म
से दोनो तरफ सोफे पर रख दिया ऑर हाथ सोफे की बॅक पर रख दिए जहाँ माँ का सर टिका हुआ था फिर तेज़ी से माँ के
मुँह को लंड डालके चोदने लगा ,,,,
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