कहीं वो सब सपना तो नही complete

Post Reply
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by rajaarkey »

Happy new year Dosto

Image
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

वो जल्दी से पॉट सीट पर एक पैर रखके झुक गई ऑर मैने भी जल्दी से उसकी चूत मे पीछे से लंड
घुसा दिया ऑर एक ही पल मे तेज़ी से उसकी चूत मारने लगा ,,मेरे हाथ जल्दी से उसके बूब्स पर चले
गये थे जिनको मैने पूरे ज़ोर से मसलना शुरू कर दिया था ,उसकी हालत खराब होने लगी थी उसको
डर था उसकी आवाज़ निकलनी शुरू नही हो जाए इसलिए उसने अपने हाथ से अपने मुँह को बंद कर लिया
था ,,मैं उसके बूब्स को दबाता हुआ तेज़ी से उसकी चूत मार रहा था तभी उसने हाथ पीछे किया
ऑर मुझे रुकने को बोला लेकिन मैं नही रुका ओर तेज़ी से उसकी चुदाई करता रहा ,,,उसने फिर से मुझे
रुकने को बोला लेकिन मैं ऐसे ही तेज़ी से उसकी चुदाई करता रहा,,,उसने अपने हाथ से मेरे हाथ अपने
बूब्स से हटा दिए ऑर मैने अपने हाथ उसकी कमर पर रख दिए ऑर तेज़ी से उसकी चुदाई करता रहा
,,मैने उसकी कमर को ज़ोर से नही पकड़ा था बस हल्का से हाथ रख कर सहारा लिया था तभी फिर
से उसने मुझे रुकने को बोला लेकिन मैं नही रुका तो वो जल्दी से थोड़ा आगे खिसक गई जिस से मेरा
लंड उसकी छूट से निकल गया मैने जल्दी से उसको पकड़ने की कोशिश की तो वो जल्दी से पॉट सीट पर
बैठ गई ऑर एक तेज सीटी की आवाज़ एक साथ पेशाब करने लगी,,,मैं समझ गया कि ये झड गई थी ऑर चूत
के पानी के साथ इसका पेशाब भी निकल गया था,,,तभी उसने मेरी तरफ मूड के देखा ऑर मैं हँसने
लगा ,,मेरा हाथ मेरे लंड पर चला गया था ,,वो भी मेरी तरफ हंस कर देखने लगी ऑर पेशाब करके
वापिस खड़ी हो गई ,,,मैने भी अपने हाथ से लंड को चूत पर रखा ऑर अंदर घुसा दिया ऑर
फिर से तेज़ी से उसकी चूत चोदने लगा,,,मेरे हाथ उसकी कमर पर थे ऑर वो खुद एक हाथ से दीवार
का सहारा लेके एक हाथ से अपने बूब्स मसल्ने लगी थी,,,,उसकी सिसकियाँ निकल रही थी लेकिन इतनी ज़ोर से
नही उसने खुद की आवाज़ को क़ाबू मे किया हुआ था,,लेकिन चूत पर लंड के झटके की मार से एक
हल्की पच पच की आवाज़ होने लगी थी उसको क़ाबू करना मुश्किल था,,लेकिन ना तो मुझे ओर ना ही
उसको इस आवाज़ से कोई फ़र्क पड़ रहा था,,ये आवाज़ तो हम दोनो को मस्त कर रही थी,,,,

मैं उसके झड़ने के बाद से करीब 10-15 मिनट से उसकी चूत की चुदाई कर रहा था मुझे डर
था कहीं कोई आ नही जाए या करण ऑर रितिका शक नही करने लगे इसलिए मैं जल्दी झड़ना चाहता
था ऑर इसका एक ही तरीका था,,,पायल की गान्ड,,,,,मैने अपने लंड को उसकी चूत से निकाला ऑर तभी
वो पीछे मूड के मुझे देखने लगी मानो बोल रही हो कि लंड बाहर क्यूँ निकाला सन्नी लेकिन मैने
उसकी तरफ ध्यान नही दिया ऑर लंड पर थूक लगा लिया ऑर लंड को उसकी गान्ड के होल पर रखा ऑर
तभी वो आगे बढ़ने की कोशिश करने लगी,,,,उसने मुझे देखा ऑर ऐसा करने से मना किया,,,लेकिन
मैं कहाँ रुकने वाला था मैने एक हाथ से उसके पैट से उसको पकड़ा ताकि वो आगे नही जा सके ऑर
एक हाथ से लंड को उसकी गान्ड के होल पर रखा ऑर ज़ोर से धक्का दिया तो लंड पहली बार मे ही
अंदर घुस गया ऑर उसकी तेज चीख निकलने लगी तभी उसने हाथ मुँह पर रखा ऑर अपनी आवाज़ को
दबा दिया ,,,मैने लंड को वापिस निकाला ऑर तेज़ी से झटका मार कर वापिस अंदर घुसा दिया ऐसे ही
8-10 झटके मारने के बाद मेरा लंड पूरा अंदर घुस गया,,उसकी चूत के मुक़ाबले मे उसकी गान्ड
बहुत टाइट थी शायद वो गान्ड ज़्यादा नही मरवाती थी,,,,लेकिन मुझे तो गान्ड मार के ही ज़्यादा मज़ा
आता था इसलिए तो उसकी हालत मे मुझे कोई तरस नही आ रहा था लेकिन तभी वो अपना फेस पीछे करके
मेरी तरफ पलटी तो मैने देखा कि उसकी आँखों मे पानी था ऑर उसके मुँह मे उसकी पेंटी थी जो अभी
कुछ देर पहले निकाली थी उसने,,,,,उसको डर था कहीं उसकी आवाज़ बाहर नही जाए इसलिए उसने अपनी पेंटी
को अपने मुँह मे घुसा लिया था ,,उसकी आवाज़ तो बंद हो गई थी लेकिन दर्द के मारे उसकी आँखों से
पानी निकलने लगा था,,,लेकिन मेरे पर कोई ज़्यादा असर नही हुआ ये बात उसको भी पता चल गई जब
मैने उसकी तरफ हंस कर देखा ऑर अपनी स्पीड को ऐसे ही बरकरार रखा,,उसने अपने हाथ को पीछे किया
ऑर मुझे हटाने लगी तभी मैने उसके दोनो हाथों को पकड़ा ऑर उसको पॉट सीट पर झुका लिया उसके
दोनो हाथ मेरे हाथ मे थे जिनको मैने उसकी पीठ पर लगा कर अपने एक हाथ से पकड़ा हुआ था
ऑर दूसरे हाथ से उसके पैट से उसको पकड़ कर सहारा दिया हुआ था ऑर तेज़ी से उसकी गान्ड मार रहा था


,,मुझे पता था मुझे अगर जल्दी झड़ना है तो गान्ड मारकर ही झड सकता हूँ इसलिए मैने
तेज़ी से उसकी गान्ड मारनी जारी रखी ऑर कुछ देर बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ लेकिन
अभी तक वो नही झड़ी थी इसलिए मैने उसके हाथ छोड़ दिए ऑर जल्दी से अपने हाथ को उसकी चूत पर
ले गया ऑर चूत मे उंगली करने लगा ऑर उसपे झुक कर उसकी गान्ड भी मारता रहा,,,चूत पर उंगली
की चुदाई से उसको कुछ राहत मिली ऑर उसके मुँह से दबी दबी आवाज़ निकलनी बंद हो गई ऑर तभी उसने
अपने मुँह से पेंटी निकाल दी ऑर मुझे पीछे मुदके देखने लगी अब उसके चेहरे पर दर्द ऑर तकलीफ़
नही बल्कि राहत झलक रही थी,,,उसने मुझे अपनी मस्ती भरी आवाज़ मे हल्की हल्की सिसकियाँ लेके बता
दिया कि अब वो ठीक है लेकिन तभी उसकी सिसकियाँ तेज हो गई लेकिन आवाज़ स्लो ही रही मैं समझ गया कि
उसका काम होने वाला है तो मैने भी अपनी स्पीड तेज करदी ऑर उंगली की रफ़्तार भी उसकी चूत मे तेज
करदी कुछ पल बाद उसकी चूत से फिर से पानी बहना शुरू कर दिया इस बार भी पानी बहुत ज़्यादा
था शायद इस बार भी उसने पेशाब किया था,,,जब पानी निकल गया तो मैने उसकी गान्ड से लंड निकाल
लिया ओर वो भी जल्दी से पॉट सीट पर बैठ गई ऑर अपना मुँह खोल लिया,,मैने लंड को हाथ मे लेके
मूठ मारते हुए उसके मुँह के करीब कर दिया ऑर जैसे ही पानी निकलने लगा उसने आगे बढ़ कर लंड
को मुँह मे भर लिया ऑर जब तक पानी की लास्ट ड्रॉप नही निकली उसने लंड को मुँह से नही निकाला ऑर
जब लंड से पानी निकल चुका था तो उसने लंड को चूस ऑर चाट कर सॉफ कर दिया ऑर जल्दी से उठकर
अपने कपड़े पहन लिए फिर मुझे प्यार से एक किस की मेरे फॉरहेड पर,,,,ऑर बोली,,,,,

बहुत मज़ा आया तेरे साथ सन्नी लेकिन तू बहुत ज़ालिम है ,,,जान निकाल दी मेरी,,,,अब यही रुक मुझे
बाहर जाने दे तू कुछ देर बाद बाहर आना,,इतना बोलके उसने दरवाजा खोला ऑर बाहर निकल कर इधर
उधर देखा ऑर भाग कर वहाँ से चली गई,,,मैं यहीं बाथरूम मे खड़ा हुआ था मेरा लंड
ऐसे ही ज़िप से बाहर निकला हुआ था ऑर सिकुड चुका था,,,,मैं सोचने लगा कि मैने सच मे पायल
भाभी की चुदाई की है या मैं अभी पेशाब करके ही हटा हूँ,,,मुझे कुछ समझ नही आ रहा
था तभी ज़िप बंद करते हुए मेरी नज़र पड़ी ज़मीन पर पड़ी हुई पेंटी पर तो मैं खुश हो गया
कि ये मेरा वहाँ नही था मैने सच मे पायल की चुदाई की है अभी,,,मैं खुश होता हुआ वहाँ
से बाहर निकल गया ऑर पायल की पेंटी को जेब मे डाल लिया,,,,


जब मैं बाहर गया तो सब लोग उठकर खड़े हो गये उनके जाने का टाइम हो गया था शायद,,,मैं भी
उन लोगो के साथ डिस्को से बाहर आ गया,,रितिका अभी भी करण के साथ आगे चल रही थी ऑर मैं पायल के
साथ पीछे ,,,तभी मैने जेब से पायल की पेंटी निकाली ऑर उसके हाथ मे पकड़ा दी,,उसने शरमाते हुए
अपनी पेंटी पकड़ी ऑर अपने बॅग मे डाल ली,,,,,उसके बाद हम कार मे बैठ कर वापिस उस माल की
तरफ गये जहाँ मेरी बाइक थी,,,मैं कार से उतरा ऑर माल मे चला गया,,,सभी शॉप बंद हो गई
थी इसलिए शॉपिंग नही कर सकता था इसलिए पायल रितिका ऑर करण को मैने बाइ बोला वो लोग अपने
रास्ते चले गये ऑर मैं माल की पार्किंग से अपना बाइक लेके घर की तरफ चल पड़ा,,,,लेकिन कार से दूर
जाते हुए मैने देखा कि पायल मेरी तरफ बड़ी हंस कर देख रही थी जबकि रितिका ने मेरे से एक बार
भी नज़र नही मिलाई थी,,,उसने तो बाइ भी सर झुका कर बोला था,,,,,,,


मैं घर पहुँचा तो काफ़ी लेट हो गया था ,,,काफ़ी देर बेल बजाने के बाद माँ ने आके दरवाजा
खोला ,,,,माँ नाइटी मे थी ऑर नाइटी के नीचे कुछ नही पहना हुआ था ,,बाल भी बिखरे हुए थे
मैं उनको देख कर समझ गया कि आज माँ डॅड के साथ मस्ती कर रही है,,क्यूकी ऑर तो कोई है नही
घर पे,,,,मेरा ध्यान माँ के बूब्स की तरफ गया तो माँ हँसने लगी,,,,,

इतना टाइम कहाँ लगा दिया,,,,ऑर शॉपिंग नही की तूने,,,,माँ ने मेरे खाली हाथ देख लिए ऑर समझ
गई कि मैं शॉपिंग करके नही आया था,,,,,

नही माँ कुछ ज़रूरी काम आन पड़ा था इसलिए शॉपिंग नही कर सका इतना बोलकर मैं अंदर की
तरफ आ गया,,,,,

डिन्नर लगा दूं या बाहर से ख़ाके आया है,,,,

मैने दिल ही दिल मे बोला कि बहुत लज़ीज़ पकवान ख़ाके आया हूँ वो भी एक दम बढ़िया स्टाइल मे
परोसा हुआ,,,,,

नही माँ आप जाके मस्ती करो मैं डिन्नर बाहर से करके आया हूँ,,,,,

मेरे मुँह से मस्ती लफ़्ज सुनके माँ मेरे पास आ गई,,,,तू भी चल ना ,,,जब माँ मेरे पास आके
बोल रही थी तब मैं ऑर माँ उनके बेडरूम मे दरवाजे के पास थे अंदर बेड पर डॅड नंगे
होके लेटे हुए थे,,,डॅड ने भी मुझे इशारा किया अंदर आने का लेकिन अब तो मैं बिल्कुल भी कुछ
करने का क़ाबिल नही था इसलिए माँ से बोला कि नही माँ मुझे नही आना आप लोग मस्ती करो इतना बोल
कर मैं उपर चला गया अपने रूम मे,,,,,

मैं बहुत थक गया था ओर जल्दी से शवर लेके बेड पर लेटना चाहता था इसलिए जल्दी से अपने रूम
का दरवाजा खोलने से पहले ही मैं अपनी टी-शर्ट निकाल चुका था ,,मैने टी-शर्ट को अपने हाथ मे
पकड़ा ऑर दूसरे हाथ से जल्दी से अपने रूम का दरवाजा खोला ऑर अंदर घुस गया तभी मेरी नज़र
पड़ी बेड पर सोनिया पर,,,,,वो अंदर रूम मे बेड पर बैठ कर स्टडी कर रही थी,,,,

मैं एक दम से अंदर घुसा था इसलिए वो थोड़ा डर गई थी ,,,मुझे नही पता था वो घर आ
चुकी है इसलिए मैं इतनी जल्दी मे अंदर आ गया था,,,अगर पता होता तो मैं नीचे के रूम मे
ही सोने चला जाता,,,,,

मेरी टी-शर्ट मेरे हाथ मे थी मेरा उपर का जिस्म नंगा था ,,उसने एक पल मुझे उपर से नीचे तक
देखा फिर अपनी बुक से अपना फेस कवर कर लिया ऑर फेस भी दूसरी तरफ टर्न कर लिया,,,,मुझे भी
एक दम से झटका लगा मैने उसको जल्दी से सॉरी बोला ऑर रूम से बाहर आ गया ,,मैं वहाँ से जाने
लगा तभी याद आया कि कपड़े तो मेरे अंदर थे इसलिए टी-शर्ट पहना ऑर वापिस दरवाजा खोला ,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
007
Platinum Member
Posts: 5355
Joined: 14 Oct 2014 17:28

Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »


उसने मुझे देखा ऑर फिर से बुक को अपने फेस के आगे रखने लगी लेकिन जब उसने देखा कि मैं
टी-शर्ट पहन चुका हूँ तो उसने एक बार मेरी तरफ देखा ऑर अपना ध्यान बुक की तरफ किया ऑर
नज़रे झुका कर स्टडी करने लगी,,,,

मैने वहाँ से कुछ कपड़े लिए ऑर नीचे मामा के रूम मे आके शवर लेके सो गया,,,आज जल्दी सोना
था लेकिन मैं लेट हो गया था,,सुबह जल्दी जो उठना था,,,कल से एग्ज़ॅम शुरू होने वाले थे,,,ऑर
कल पहला एग्ज़ॅम था,,,,मैं शवर लेके जल्दी से सो गया,,,,

नेक्स्ट डे कॉलेज से एग्ज़ॅम देके वापिस घर आया ऑर मामा के रूम मे बैठ कर अगले एग्ज़ॅम की तैयारी
करने लगा,,,तभी मुझे बाहर बेल बजने की आवाज़ सुनाई दी लेकिन मैं बाहर नही गया क्यूकी बाहर
माँ थी वो दरवाजा खोल देती,,,,,

तभी कुछ देर बाद माँ जल्दी से मेरे रूम मे आई,,, ऑर ज़ोर से बोलने लगी,,,,

तूने कुछ ग़लत काम किया है क्या सन्नी,,,,,

मैं तो एक दम से डर गया क्यूकी माँ बड़ी घबराई हुई थी,,,उनको पसीना भी काफ़ी आया हुआ था,,

मैं उनकी बात सुनके एक दम से चौंक गया ऑर कुछ नही बोल पाया,,,,तभी वो फिर से बोली,,,तूने
कुछ ग़लत काम किया है क्या सन्नी,,,,,

नही माँ मैने कुछ ग़लत काम नही किया,,लेकिन आप ऐसे क्यूँ पूछ रही हो ऑर इतना घबरा क्यूँ
रही हो,,,

तूने कोई ग़लत कम नही किया तो बाहर पोलीस क्यूँ आई है ऑर तेरे बारे मे क्यू पूछ रही है,,

पोलीस????? हमारे घर मे,,,,

हाँ हमारे घर मे ऑर नही तो क्या पड़ोसी के घर मे,,,,बोल क्या किया है तूने,,,,

माँ मेरे से पूछ रही थी लेकिन मैं कुछ नही बोला ऑर रूम से बाहर निकल आया ,,जब सामने
देखा तो दरवाजे पर इनस्पेक्टर ख़ान थे,,,,मैं एक दम से हँसने लगा अपनी माँ की हालत पे,,

मैं आगे बढ़ कर ख़ान भाई के पास गया ऑर उनसे हाथ मिलाके गले लग गया,,,,,

सलाम ख़ान भाई,,,

वालेकुम सलाम, सन्नी,,,,कैसे हो सन्नी ,,,,

मैं तो ठीक हूँ लेकिन आप आज मेरे घर कैसे,,,,ख़ैरियत तो है ख़ान भाई

कुछ नही बस इधर से गुजर रहा था तो सोचा एक बार मिल लूँ तेरे से,,,क्यूँ मैं तेरे से मिलने
नही आ सकता क्या,,,

ऐसी बात नही है ख़ान भाई बस आपको देख कर माँ थोड़ा डर गई थी,,,,ऑर मुझपे पर शक करने
लगी थी,,,,

ख़ान भाई मेरी बात सुनके हँसने लगे,,,,,ये पोलीस की वर्दी चीज़ ही ऐसी है पहले सिर्फ़ गुंडे डरते
थे लेकिन आज कल आम आदमी भी डरने लगा है,,,पता नही क्या होगा,,,

कुछ नही होगा ख़ान भाई कुछ लोगो ने इसका ग़लत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है इसलिए आम आदमी
भी आज कल गुंडे से ज़्यादा पोलीस से डरता है,,,,आप छोड़ो इन बातों को ऑर अंदर आओ,,,,

मैने ख़ान भाई को अपने साथ मामा के रूम मे ले गया,,,,

आप ऐसे ही मुझसे मिलने नही आए होगे ख़ान भाई ज़रूर कुछ बात होगी,,,

तुमको ऐसा क्यूँ लगा सन्नी,,,,मैं तो तुमसे ऐसे ही मिलने चला आया,,,

नही ख़ान भाई मैं जानता हूँ आप ऐसे ही नही आए कुछ बात करने आए होगे पक्का,,,,पोलीस
किसी के पास ऐसे ही नही जाती,,,

सही बोला सन्नी,,,मैं बस तेरे से पूछने आया था कि अब आगे क्या करना है,,,प्लान क्या है आगे
का,,

प्लान बहुत सिंपल है ख़ान भाई,,,बस उसके लिए मुझे एक बार सुमित से मिलना होगा,,कहाँ है
सुमित,,,,

सुमित उन्ही लोगो के पास है सन्नी जो तेरे कॉलेज मे आए थे,,,,

क्या सुमित उन गुन्डो के पास है,,,,मैने हैरान होते हुए बोला ,,लेकिन अपने तो बोला था उसको
किसी सेफ जगह रखने के लिए,,,,

ख़ान भाई हँसने लगे,,,,सन्नी वो गुंडे नही थे,,पोलीस वाले थे,,,वो लोग स्पेशल ब्रांच के लोग
थे ऑर ऐसे लोग गुंडे से कम नही होते,,,वो मेरे दोस्त है ऑर मेरे साथ इसी केस पर काम कर
रहे है,,,

ओह्ह अच्छा ,,लेकिन उन लोगो ने तो बहुत बुरी तरह से मारा था सुरेश ओर उसके दोस्तों को,,

सन्नी ये स्पेशल ब्रांच के लोग बहुत बुरी मार मारते है,,,पत्थर भी मुँह खोलने लगता है इनके
सामने,,,,अच्छा वैसे तुमको अब सुमित से क्यूँ मिलना है,,,

मुझे कुछ काम है उस से ,,,उस से एक बार मिलना होगा तभी प्लान आगे बढ़ पाएगा,,,,

ठीक है तो चलो अभी मिलवा देता हूँ,,,लेकिन मैं तुमको वहाँ नही लेके जाउन्गा,,,अगर किसी
ने तुमको मेरे साथ देख लिया तो पंगा होगा,,,

पंगा कैसा पंगा,,अभी भी तो आप मेरे घर पे आए हो अगर अभी कोई आप को आते देख लेता तो
क्या होता,,,,

अभी तो मैं बोल सकता हूँ कि मैं तुमसे कॉलेज की फाइट के बारे मे पूछ ताछ करने आया हूँ
लेकिन वहाँ जाते अगर किसी ने देख लिया तो मैं कुछ नही कह पाउन्गा,,,,

तो मैं वहाँ कैसे जाउन्गा,,,,

तभी ख़ान भाई ने अपने सेल से किसी को फोन किया ओर मुझे साथ लेके अपनी ज़ीप मे शहर से
डोर की तरफ चल पड़े,,,,हम लोग शहर से काफ़ी डोर आ गये थे,,ये जगह काफ़ी सुनसान थी तभी
ख़ान भाई ने एक कार के पास ज़ीप को रोक दिया ओर उतार कर कार की तरफ चलने लगे साथ मे मुझे
भी अपने साथ ले गये,,,

ख़ान भाई ने कार का अगला दरवाजा खोला ऑर मैं कार की अगली सीट पर बैठ गया ,,उसमे एक सरदार आदमी
बैठा हुआ था,,बड़ी बड़ी मुन्छे ,,बड़ी दाढ़ी,,,हटा कट्टा था एक दम पहलवान के जैसा,,,ख़ान
भाई ने मुझे अगली सीट पर बिठा दिया ऑर खुद पीछे वाली सीट पर बैठ गये,,,,

कार मे ब्लॅक काँच लगा हुआ था जिस से मैं बाहर तो देख सकता था लेकिन बाहर वाला कोई भी आदमी
कार के अंदर नही देख सकता था,,,,,

इस लड़के को अपने साथ ले जाओ ऑर दूसरे लड़के से मिलवा दो,,,ख़ान भाई ने इतना बोला ही था कि उस आदमी
ने अपनी जेब से एक कपड़े की पट्टी निकाली ऑर मेरी आँखों पर बाँधने लगा,,,तभी ख़ान भाई ने उसको
रोक दिया,,,,इसकी कोई ज़रूरत नही है,,,इस लड़के पर तुम उतना ही यकीन कर सकते हो जितना मुझ पर

ख़ान भाई ने इतना बोला तो उस आदमी ने पट्टी को वापिस अपनी जेब मे डाल लिया ऑर तभी ख़ान भाई भी
कार से उतर गये ऑर अपनी ज़ीप की तरफ चल पड़े,,,उस आदमी ने भी कार अपने रास्ते चलानी शुरू करदी
ऑर पता नही किन रस्तो से होता हुआ कहीं दूर बसी एक झोपड़-पट्टी के पास आके कार रोक दी,,,

फिर वो कार से उतरने लगा ऑर मेरे से बोला,,,,

ए लड़के तेरे पास रुमाल है क्या,,,,मैं कुछ नही बोला बस हाँ मे सर हिला दिया,,,,

ठीक है रुमाल को अपने फेस पर बाँध ले,,मैने भी जल्दी से पॉकेट से रुमाल निकाला ऑर अपने फेस
पर बाँध लिया ऑर फिर वो आदमी कार से उतरा ऑर मुझे भी उतरने को बोला,,फिर वो मुझे झोपड़-पट्टी
के अंदर तंग गलियों मे पता नही किधर किधर से एक घर मे ले आया,,,उसने घर के दरवाजे पर
नॉक किया ऑर दरवाजे के बीच मे से एक छोटी सी खिड़की खुली ऑर अंदर से एक आदमी ने बाहर देखा
ऑर दरवाजा खोल दिया,,मैं भी घर के अंदर चला गया,,,,घर के अंदर 2-3 लोग ऑर थे,,तभी वो
सरदार आदमी जो मेरे साथ आया था उसने अपनी दाढ़ी निकालनी शुरू की ऑर कुछ देर मे अपने असली रूप
मे आ गया,,मैं तो उसको देख कर दंग रह गया ये तो वही आदमी था जो उस दिन कॉलेज मे आया था

उसने मेरी तरफ एक बार देखा ऑर मुझे एक कमरे की तरफ इशारा किया जिसको बाहर से बंद किया हुआ
था ,,,मैं उस दरवाजे के पास गया ऑर दरवाजा खोलके अंदर चला गया,,,तभी सामने बेड पर सुमित
लेटा हुआ था,,,,वो मुझे देख कर एक दम से खुश हो गया ऑर उठकर मेरे गले लग गया,,,,

भाई ये कहाँ फसा दिया अपने मुझे,,,ये लोग मुझे रूम से निकलने ही नही देते ,,,,

अच्छी बात है नही निकलने देते इसी मे तेरी भलाई है,,,,बाहर अमित तुझे पागल कुत्ते की तरह तलाश
कर रहा है,,,शूकर मना छुपने की कोई जगह मिल गई तुझे,,,,अमित का नाम सुनके वो थोड़ा
डर गया,,,,

लेकिन भाई ये लोग बाहर भी नही जाने देते रूम से,,बैठा बैठा बोर हो गया हूँ मैं,,

क्यूँ बोर क्यू हो गया सब तो है तेरे पास ,,मैं रूम मे पड़े टीवी की तरफ इशारा किया जिसके साथ
डीवीडी प्लेयर भी पड़ा हुआ था,,,साथ मे टेबल पर शराब की बॉटल ऑर सिगरेट भी पड़ी हुई थी,,,इतना
सब कुछ है फिर क्यूँ बोर होता है तू,,,

भाई ये टीवी की बात कर रहे हो इसमे कुछ नही आता,,सुबह शाम वही बकवास शो आते रहते है,,ये
तो शूकर हो मेरा समान मिल जाता है मुझे वर्ना रहना मुश्किल हो जाता ,,इसी के सहारे कुछ मस्ती
कर लेता हूँ मैं,,,,

मुझे पता था तुझे मस्ती करनी है इसलिए मैं भी तेरे लिए कुछ मस्ती का समान लेके आया हूँ
तभी मैने बॅग से एक प्लास्टिक का छोटा बॅग निकाला ऑर उसको दे दिया जिसमे कुछ डीवीडी थी,,,

ये क्या है भाई,,,,,,,,

वही मस्ती का समान,,,,

मतलब वो वाली मूवीस,,,,,सुमित खुश हो गया,,,,भाई सच मे तू कितना ख़याल रखता है मेरा,,पहले
उन कमिनो से बदला लेने मे इतनी हेल्प की अब मस्ती के लिए ये सब ले आया तू,,,,इतना बोलकर वो मेरे
गले लग गया,,,,

ये ले इसको देख ऑर मस्ती कर,,ऑर हां याद रखना इस्पे कोई निशान नही पड़ने पाए ये मेरी फ़ेवरेट
मूवीस है,,,ध्यान से रखना इनको,,,मैने वो डीवीडी उसको दी ऑर उसको बोला कि मैं कुछ दिनो बाद
फिर आउन्गा ,,जब तक माहौल ठंडा नही हो जाता मैने उसको वहीं रुकने को बोला,,,फिर मैं वहाँ
से चल पड़ा ऑर वही आदमी सरदार के रूप मे मुझे वापिस मेरे घर तक छोड़ने आया लेकिन उसने
मुझे मेरे घर से काफ़ी पीछे ही कार से उतार दिया था,,,


आज मैं अपने प्लान के एक कदम ऑर करीब चला गया था,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &

(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
-- 007

>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>
User avatar
pongapandit
Novice User
Posts: 971
Joined: 26 Jul 2017 16:08

Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by pongapandit »

Nice update bhai ..........keep it up.
User avatar
Rohit Kapoor
Pro Member
Posts: 2821
Joined: 16 Mar 2015 19:16

Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by Rohit Kapoor »

Keep writing dear, Excited for NEXT Update . . . .
Post Reply