कहीं वो सब सपना तो नही complete
- 007
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
thanks dosto
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही
माँ आगे बढ़ कर अलका आंटी के गले लग गई ऑर दोनो ने एक दूसरे को हाई हेलो बोला,,,,अलका आंटी जब माँ के गले लग्के बात
कर रही थी तब भी उनका ध्यान मेरी तरफ ही था ,,आज वो कुछ अलग ही मूड मे लग रही थी,,उनकी आँखों मे अजीब चमक
ओर फेस पर एक खुशी थी,,,,माँ के गले से बाहें निकाल कर आंटी मेरी तरफ आई,,,,,
हेलो आंटी जी,,,लेकिन आंटी ने मेरी हाई हेलो का जवाब नही दिया बस सीधा मेरे गले लग गई,,,,,आज आंटी ने नाइटी ही पहनी
हुई थी,,,लेकिन आंटी तो सुबह वापिस आई थी तो नाइटी क्यूँ पहनी हुई थी,,क्या वो रात को वापिस आई थी,,,,मुझे कुछ समझ
नही आ रहा था,,लेकिन आज उनके बर्ताव मुझे कुछ अजीब लग रहा था,,,उन्होने जब मुझे अपनी बाहों मे भरा हुआ था
तब वो मुझे कस्के अपने साथ चिपका रही थी,,,उनके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से दब गये थे लेकिन फिर भी वो थोड़ा
ज़ोर लगा रही थी,,,,,,मैने भी अपने बाहों को आंटी के जिस्म पर कस दिया ओर आंटी को अपने से चिपका लिया लेकिन तभी माँ
ने मुझे पीछे से हंस कर देखा ऑर ऐसा करने से मना किया तो मैने जल्दी से आंटी को अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया ऑर
पीछे हट गया,,,,तभी आंटी ने मुझे हंस कर देखा ऑर वापिस अंदर की तरफ जाने लगी ऑर जाते हुए माँ का हाथ पकड़ कर उनको
भी अपने साथ ले गई,,,,मैं भी पीछे पीछे अंदर की तरफ जाने लगा ऑर मेरी नज़र पड़ी मेरे सामने मटक मटक कर चल
रही 2 भारी भरकम गान्ड पर जो लटके झटके मारते हुए मेरे सामने चल रही थी,,,,क्या बोलू कोन्सि गान्ड ज़्यादा मस्त थी
माँ की या अलका आंटी की,,,,,मेरा बस चलता तो दोनो को नंगी करने अभी गान्ड मे मूसल घुसा देता,,,,लेकिन माँ ने बोला
था कोई जल्दबाजी नही करनी इसलिए मैं क़ाबू कर रहा था खुद पर वर्ना तभी आंटी की गान्ड पर हाथ फेर देता जब
उनके गले लगा हुआ था ,,,,
मैं अंदर गया तो जाके सोफे पर बैठ गये जबकि माँ ऑर आंटी जी सामने वाले सोफे पर बैठ गई,,,,,,
आज कैसे आना हुआ दीदी,,,,,,अलका आंटी ने माँ से पूछा,,,,
कुछ नही अलका मैं तो तेरे पिता जी का मेरा मतलब करण के नाना जी का हाल चाल पूछने आई थी,,,पता चला था शोबा से कि
तुम उनके पास गई हुई हो,,क्या हुआ है उनको,,,
कुछ नही हुआ दीदी बस ओल्ड एज हो गये है तो कुछ ना कुछ प्रोबलम रहती है,,,,मैं गई थी उका हाल चाल पता करने आज सुबह
ही वापिस आई हूँ,,,,,वो करण ने जाना था ना अपने दोस्तो के साथ घूमने,,,,,
मैं साला सोच मे पड़ गया वो किस दोस्त के साथ घूमने गया है,,,,दोस्त तो बस मैं हूँ उसका ,,,,ऑर मुझे ही नही पता वो
कहाँ गया है,,,,,,मैं इतना परेशान था कि आंटी से पूछने ही लगा था कि तभी माँ आने मुझे चुप रहने को बोला,,,,
कहाँ गया है करण अलका,,,,
आपको तो पता होगा दीदी ,,,सन्नी ने बताया होगा,,,,कॉलेज की तरफ से कुछ दोस्त गोआ घूमने जाने वाले थे ,,
हां मुझे बताया था सन्नी ने मैं भूल गई,,,,,माँ ने ऐसा बोला तो मुझे कुछ समझ नही आया ,,कॉन्सा गोआ कोन्से दोस्त
ये सब क्या हो रहा है,,,,,
सन्नी बेटा तुम क्यूँ नही गये गोआ,,,करण भी उदास था तेरे बिना जाने पर,,,,तू चला जाता तो उसको अच्छा लगता,,,
मैं कुछ बोलता इस से पहले माँ बोलने लगी,,,,,ये भी जाना तो चाहता था लेकिन कुछ दीनो मे इनके टेस्ट शुरू होने वाले है
तो मैने सोचा इसको नही जाने देती,,,,वैसे भी पहले ये कुछ दिन गाओं रहके आया था तो बहुत छुट्टियाँ हो गई थी इसकी,,,माँ
ने ऐसा बोला तो मुझे हल्का हल्का समझ आने लगा कि ये सब माँ की प्लानिंग होगी,,,,लेकिन करण कहाँ गया ऑर शिखा दीदी
कहाँ है वो तो आज बुटीक पर भी नही आई,,शोबा दीदी ने बताया था मुझे,,,,लगता है शोबा दीदी को भी इसके बारे मे
कुछ नही पता होगा,,,,
चलो कोई बात नही ये नही गया तो क्या हुआ,,,,,वैसे चला जाता सन्नी भी तो करण खुश हो जाता,,,,वो भी बोल रहा था कि
टेस्ट से पहले कुछ मस्ती करने का दिल कर रहा है ,,,इसलिए मैने भी नही रोका उसको,,,,,
अच्छा बोलो दीदी आपके लिए चाइ लेके आउ या कॉफी ,अलका आंटी ने माँ से पूछा,,,
मुझे कुछ नही लेना अलका,,,थन्क्ष्क्ष्क्ष,,,मैं तो सोनिया की मेडिसिन लेने आई थी तो सोचा तेरे से भी मिलके चलती हूँ,,,सो
यहाँ आ गई,,,,
सोनिया को क्या हुआ दीदी,,,,,अलका परेशान होके बोली,,,,,
कुछ नही गर्मी की वजह से बुखार हो गया है,,,सारा दिन स्टडी की टेन्षन मे खाना पीना भी भूल जाती है अब पेट मे
गर्मी हो गई तो बुखार हो गया,,,,उसके लिए ही आई थी मैं बाज़ार,,,,,
हयी राम इतनी प्यारी बच्ची को बुखार हो गया,,,,घर तो सुना सुना हो गया होगा उसके बिना,,,,
हाँ सही बोला अलका ,,जबसे वो बीमार हुई है घर सुना सुना हो गया है,,,,,कल से हम लोग एक रूम मे ही बैठे हुए है
रात भर तो ठीक से सोए भी नही,,,डॉक्टर ने ठंडे पानी की पट्टियाँ करने को बोला है,,,,बस उसी मे लगे हुए थे,,,ये तो अब
मेडिसिन लेनी थी ओर सोनिया भी पहले से बेहतर हो गई थी ,,,उपर से उसकी दोस्त कविता आ गई तो दोनो बैठ कर बातें करने
लगी,,मैं सोचा अच्छा हुआ कविता आ गई मुझे घर से बाहर आने का मोका तो मिला ऑर वैसे भी दिल बहल जाएगा सोनिया का
जब कुछ बातें कर लेगी कविता से,,,,
दीदी आपका अच्छा है ,,कुछ तो दिल बहल जाएगा लेकिन मेरा तो दिल उदास हो गया है,,,,इधर करण चला गया दोस्तो के साथ गोआ
उधर शिखा बोल रही थी कुछ दिन घर नही आएगी,,,,शोबा के साथ बुटीक पर ही रहेगी कोई बड़ा ऑर्डर मिला है उनलोगो
को,,,उसी के लिए कुछ दिन बिज़ी रहने वाली है ऑर शोबा के साथ ही रहेगी,,,,
ये तो अच्छा है ना,,,काम करेगी तो दिल लगा रहेगा उसका,,,,,
उसका दिल तो लग जाएगा लेकिन मेरा क्या होगा दीदी,,,,मैं तो अकेली हूँ घर पे,,,,,मुझे अकेले रहने की आदत नही है,,
अकेले रहने मे क्या डरना पगली,,,,अच्छा अगर ज़्यादा ही डर लगता है तो बोलो मैं आ जाती हूँ तेरे साथ रहने को जब तक
करण नही आ जाता,,,,,,,माँ ने हंस कर बोला,,
ये ठीक है दीदी,,,,,,,,आप आ जाओ ,,,दिल भी लगा रहेगा ऑर टाइम भी पास हो जाएगा,,,,अलका आंटी ने भी मज़ाक मे बोला,,,,,
नही रे पगली मैं कहाँ आ आसक्ति हूँ,,,,,घर पे इतना काम जो होता है ,,,तेरे घर पे तो काम वाली आती है लेकिन मैने
तो कोई काम वाली भी नही रखी,,अगर रख लेती तो सारा काम वो कर देती ओर मैं सारा दिन बोर होती रहती,,,,अब घर के काम
करती हूँ तो दिल लगा रहता है,,,,,
मैने मन ही मन सोचा माँ तूने काम वाली को इसलिए नही रखा क्यूकी घर मे हर टाइम चुदाई का प्रोग्राम जो चलता रहता
है ,,अगर काम वाली रख लेती तो प्रोग्राम कैसे करती ,,,मामा ऑर विशाल के साथ,,,,,,,,,,,ऑर अब मेरे साथ भी,,,,
मेरे घर भी कहाँ आती है कोई कामवाली ,,एक आती है जो सुबह 9 से 11 तक रहती है,,,,सॉफ सफाई करती है ऑर कपड़े धो जाती है
बाकी किचन का काम तो मैं खुद ही करती हूँ,,,,,वो भी थोड़ा ही काम है बाकी सारा दिन बोर होती हूँ,,,,आप आ जाओ ना
यहाँ रहने दीदी ,,,,,,बस कुछ दिन की बात है जब तक करण नही आ जाता,,,,मेरा टाइम पास हो जाया करेगा,,ऑर सबसे बड़ी
बात की मुझे रात मे अकेले बहुत डर लगता है,,,मैं तो अपने रूम मे भी सोने से डरती हूँ अकेले मे,,,,वो तो बच्चे घर
होते है तो टेन्षन फ्री होके सो जाती हूँ,,,,,,प्ल्ज़्ज़ दीदी आ जाओ ना आप कुछ दिन की बात है,,,,,करण आएगा तो आप चली जाना,,
नही अलका मैं नही आ सकती लेकिन तेरे डर का एलाज़ ज़रूर कर सकती हूँ,,,,,मैं नही तो क्या हुआ ये सन्नी तो है ना,,इसको
अपने घर पे रखले कुछ दिन,,,,फिर तो ठीक है ना,,,,
अब मैं समझ गया सारी बात ,,ये माँ का प्लान था मुझे अलका आंटी के साथ रखने का,,ताकि मैं अलका आंटी को तडपा
तडपा कर मस्ती कर सकूँ,,,,,,लेकिन करण कहाँ गया था,,,,कहीं वो अपनी रितिका के साथ तो नही गया,,,,,
सन्नी को,,,,,,,,,क्या ये रहेगा मेरे घर पे,,,,आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए बोला,,,,ऑर मैने माँ से पहले ही जवाब दे दिया
हां क्यू नही आंटी जी अगर आपको डर लगता है तो मैं यहाँ रहने को तैयार हूँ,,,,अगर मेरी माँ अकेली होती तो करण भी
मेरी माँ आके साथ रुकने को तैयार हो जाता तो फिर मैं क्यू नही,,,,
मेरी बात सुनके अलका आंटी खुश हो गई लेकिन मेरी माँ मेरी बात से ज़्यादा खुश लग रही थी,,,,,
हां तो सन्नी बेटा तुम कॉन्सा करण से कम हो ऑर अलका आंटी को अपनी ही माँ समझो ऑर इनके साथ रहो,,ताकि इनको कोई डर नही
लगे ना ही दिन को ऑर ना ही रात को,,,,
थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी बेटा मेरे साथ रहने के लिए,,तुम ना होते तो मैं तो अपने ही घर मे डर डर के रहती ,,,,ऑर शिखा को कभी रात को बुटीक पर नही रहने देती,,,,,,
चलो अब तेरी प्रोबलम दूर हो गई अलका ,,अब मैं चलती हूँ,,,,,माँ उठी ओर अलका आंटी को बाइ बोलके जाने लगी मैं भी
साथ मे बाहर की तरफ चल पड़ा,,,,,,
अच्छा अब मैं चलती हूँ अलका ,,,ऑर जितना जल्दी हो सके सन्नी को भेज देती हूँ तेरे घर,,,,,
ठीक है दीदी लेकिन जल्दी भेजना ,,मेरे को अकेले मे डर लगता है,,,,
मैं सोचा जब करण कॉलेज जाता है ऑर शिखा बुटीक जाती है तब किसको रखती है घर पे अपना डर दूर करने के
लिए,,,,साली कामिनी कितनी ओवेरक्टिंग कर रही है,,,,,,
मैं घर से बाहर की तरफ जा रहा था तभी मैं वापिस पलट कर देखा तो अलका आंटी ज़रूरत से ज़्यादा ही खुश लग रही
थी,,,,,,
मैने माँ को साथ लिया ओर वहाँ से चल पड़ा,,,,,,,,,,,,
माँ ये सब क्या था,,,,,,,,ऑर करण कहाँ है,,,,,,
करण शिखा के साथ बुटीक पर है ऑर कुछ दिन वहीं रहेगा,, जब तक तेरी भुआ वापिस नही आ जाती,,,,मुझे कल रेखा
का फोन आया था कि गीता ऑर अशोक कुछ दिन वहीं रुकने वाले है कुछ काम है उन लोगो को वहाँ पर,,,,अब जब तक
गीता ऑर अशोक नही आ जाते तब तक शिखा ऑर करण बुटीक पर ऑर तू अलका के साथ घर पर,,,,,जितनी मर्ज़ी मस्ती करना लेकिन
एक दम से नही थोड़ा तडपा तडपा कर,,,,,,वो तैयार है तेरे साथ सोने के लिए बट ज़रा प्यार से सोना तू,,,,जल्दबाज़ी करके नही,,,,
ठीक है माँ समझ गया,,,,,मैं अभी घर जाके कपड़े लेके अलका आंटी के पास आ जाता हूँ,,,,,,,,,,,,
अभी आ जाना लेकिन बोला है तुझे जल्दबाज़ी मत करना,,,,,क्यूकी तरसाने ऑर तडपाने मे जो मज़ा आता है उसकी बात ही अलग होती है
ठीक है माँ,,,,,,समझ गया अब मैं बच्चा नही हूँ जो बार बार बता रही हो,,,,,,
बच्चा तो है तू मेरा तेरे को समझाना तो मेरा फ़र्ज़ है क्यूकी तू कुछ ज़्यादा ही नटखट हो गया है ,,इतना बोलकर माँ ने
मेरे लंड को हाथ मे पकड़ कर हलके से दबा दिया,,,,,
क्या करती हो माँ हम लोग रोड पर जा रहे है कोई देख लेगा,,,,,तभी माँ ने हाथ पीछे कर लिया,,,,,,क्या करूँ बेटा आज बहुत
खुजली हो रही है,,,,,तेरा मामा भी ठीक नई है 1-2 दिन से,,,पता नही क्या हुआ है,,,,अब तू ही कुछ कर सकता है इस खुजली का,,,
ठीक है माँ घर जाके देखता हूँ कि कितनी खुजली हो रही है,,,,,
लेकिन बेटा घर पे तो सोनिया है ऑर साथ मे कविता भी,,,,,तो घर पे मस्ती कैसे होगी,,,,
तो आप ऐसा क्यू नही करती माँ बुटीक पर क्यू नही चली जाती,,,,,वहाँ तो शिखा ऑर करण भी है,,,,,दोनो के साथ मस्ती
कर लेना,,,,,,
हाँ ये ठीक है बेटा,,,,बड़ी अच्छी बात बोली तूने,,,,,अब जल्दी कर मेरे से रहा नही जाता,,,,,मेडिसिन लेते है फिर तू मुझे
बुटीक पर छोड़ देना ऑर खुद घर चला जाना,,,,ऑर सोनिया को बोल देना कि मैं अलका आंटी के घर पर हूँ ऑर जब कविता
ने जाना हुआ तो मुझे फोन कर देना,,,,,
ठीक है माँ,,,,,,,,,,,,,,,उसके बाद हमने मेडिसिन ली ऑर मैने माँ को बुटीक पर छोड़ दिया ऑर खुद घर आ गया,,,,घर
आके मैं बेल बजाई ऑर दरवाजा खुलने की वेट करने लगा,,,,,तभी मेरा ध्यान गया कि शोबा दीदी की अक्तिवा नही थी घर पे,,
कविता ने आके दरवाजा खोला,,,अरे ब्लॅकी तू अकेला आ गया आंटी जी कहाँ है,,,,,
कर रही थी तब भी उनका ध्यान मेरी तरफ ही था ,,आज वो कुछ अलग ही मूड मे लग रही थी,,उनकी आँखों मे अजीब चमक
ओर फेस पर एक खुशी थी,,,,माँ के गले से बाहें निकाल कर आंटी मेरी तरफ आई,,,,,
हेलो आंटी जी,,,लेकिन आंटी ने मेरी हाई हेलो का जवाब नही दिया बस सीधा मेरे गले लग गई,,,,,आज आंटी ने नाइटी ही पहनी
हुई थी,,,लेकिन आंटी तो सुबह वापिस आई थी तो नाइटी क्यूँ पहनी हुई थी,,क्या वो रात को वापिस आई थी,,,,मुझे कुछ समझ
नही आ रहा था,,लेकिन आज उनके बर्ताव मुझे कुछ अजीब लग रहा था,,,उन्होने जब मुझे अपनी बाहों मे भरा हुआ था
तब वो मुझे कस्के अपने साथ चिपका रही थी,,,उनके बड़े बड़े बूब्स मेरी छाती से दब गये थे लेकिन फिर भी वो थोड़ा
ज़ोर लगा रही थी,,,,,,मैने भी अपने बाहों को आंटी के जिस्म पर कस दिया ओर आंटी को अपने से चिपका लिया लेकिन तभी माँ
ने मुझे पीछे से हंस कर देखा ऑर ऐसा करने से मना किया तो मैने जल्दी से आंटी को अपनी बाहों से आज़ाद कर दिया ऑर
पीछे हट गया,,,,तभी आंटी ने मुझे हंस कर देखा ऑर वापिस अंदर की तरफ जाने लगी ऑर जाते हुए माँ का हाथ पकड़ कर उनको
भी अपने साथ ले गई,,,,मैं भी पीछे पीछे अंदर की तरफ जाने लगा ऑर मेरी नज़र पड़ी मेरे सामने मटक मटक कर चल
रही 2 भारी भरकम गान्ड पर जो लटके झटके मारते हुए मेरे सामने चल रही थी,,,,क्या बोलू कोन्सि गान्ड ज़्यादा मस्त थी
माँ की या अलका आंटी की,,,,,मेरा बस चलता तो दोनो को नंगी करने अभी गान्ड मे मूसल घुसा देता,,,,लेकिन माँ ने बोला
था कोई जल्दबाजी नही करनी इसलिए मैं क़ाबू कर रहा था खुद पर वर्ना तभी आंटी की गान्ड पर हाथ फेर देता जब
उनके गले लगा हुआ था ,,,,
मैं अंदर गया तो जाके सोफे पर बैठ गये जबकि माँ ऑर आंटी जी सामने वाले सोफे पर बैठ गई,,,,,,
आज कैसे आना हुआ दीदी,,,,,,अलका आंटी ने माँ से पूछा,,,,
कुछ नही अलका मैं तो तेरे पिता जी का मेरा मतलब करण के नाना जी का हाल चाल पूछने आई थी,,,पता चला था शोबा से कि
तुम उनके पास गई हुई हो,,क्या हुआ है उनको,,,
कुछ नही हुआ दीदी बस ओल्ड एज हो गये है तो कुछ ना कुछ प्रोबलम रहती है,,,,मैं गई थी उका हाल चाल पता करने आज सुबह
ही वापिस आई हूँ,,,,,वो करण ने जाना था ना अपने दोस्तो के साथ घूमने,,,,,
मैं साला सोच मे पड़ गया वो किस दोस्त के साथ घूमने गया है,,,,दोस्त तो बस मैं हूँ उसका ,,,,ऑर मुझे ही नही पता वो
कहाँ गया है,,,,,,मैं इतना परेशान था कि आंटी से पूछने ही लगा था कि तभी माँ आने मुझे चुप रहने को बोला,,,,
कहाँ गया है करण अलका,,,,
आपको तो पता होगा दीदी ,,,सन्नी ने बताया होगा,,,,कॉलेज की तरफ से कुछ दोस्त गोआ घूमने जाने वाले थे ,,
हां मुझे बताया था सन्नी ने मैं भूल गई,,,,,माँ ने ऐसा बोला तो मुझे कुछ समझ नही आया ,,कॉन्सा गोआ कोन्से दोस्त
ये सब क्या हो रहा है,,,,,
सन्नी बेटा तुम क्यूँ नही गये गोआ,,,करण भी उदास था तेरे बिना जाने पर,,,,तू चला जाता तो उसको अच्छा लगता,,,
मैं कुछ बोलता इस से पहले माँ बोलने लगी,,,,,ये भी जाना तो चाहता था लेकिन कुछ दीनो मे इनके टेस्ट शुरू होने वाले है
तो मैने सोचा इसको नही जाने देती,,,,वैसे भी पहले ये कुछ दिन गाओं रहके आया था तो बहुत छुट्टियाँ हो गई थी इसकी,,,माँ
ने ऐसा बोला तो मुझे हल्का हल्का समझ आने लगा कि ये सब माँ की प्लानिंग होगी,,,,लेकिन करण कहाँ गया ऑर शिखा दीदी
कहाँ है वो तो आज बुटीक पर भी नही आई,,शोबा दीदी ने बताया था मुझे,,,,लगता है शोबा दीदी को भी इसके बारे मे
कुछ नही पता होगा,,,,
चलो कोई बात नही ये नही गया तो क्या हुआ,,,,,वैसे चला जाता सन्नी भी तो करण खुश हो जाता,,,,वो भी बोल रहा था कि
टेस्ट से पहले कुछ मस्ती करने का दिल कर रहा है ,,,इसलिए मैने भी नही रोका उसको,,,,,
अच्छा बोलो दीदी आपके लिए चाइ लेके आउ या कॉफी ,अलका आंटी ने माँ से पूछा,,,
मुझे कुछ नही लेना अलका,,,थन्क्ष्क्ष्क्ष,,,मैं तो सोनिया की मेडिसिन लेने आई थी तो सोचा तेरे से भी मिलके चलती हूँ,,,सो
यहाँ आ गई,,,,
सोनिया को क्या हुआ दीदी,,,,,अलका परेशान होके बोली,,,,,
कुछ नही गर्मी की वजह से बुखार हो गया है,,,सारा दिन स्टडी की टेन्षन मे खाना पीना भी भूल जाती है अब पेट मे
गर्मी हो गई तो बुखार हो गया,,,,उसके लिए ही आई थी मैं बाज़ार,,,,,
हयी राम इतनी प्यारी बच्ची को बुखार हो गया,,,,घर तो सुना सुना हो गया होगा उसके बिना,,,,
हाँ सही बोला अलका ,,जबसे वो बीमार हुई है घर सुना सुना हो गया है,,,,,कल से हम लोग एक रूम मे ही बैठे हुए है
रात भर तो ठीक से सोए भी नही,,,डॉक्टर ने ठंडे पानी की पट्टियाँ करने को बोला है,,,,बस उसी मे लगे हुए थे,,,ये तो अब
मेडिसिन लेनी थी ओर सोनिया भी पहले से बेहतर हो गई थी ,,,उपर से उसकी दोस्त कविता आ गई तो दोनो बैठ कर बातें करने
लगी,,मैं सोचा अच्छा हुआ कविता आ गई मुझे घर से बाहर आने का मोका तो मिला ऑर वैसे भी दिल बहल जाएगा सोनिया का
जब कुछ बातें कर लेगी कविता से,,,,
दीदी आपका अच्छा है ,,कुछ तो दिल बहल जाएगा लेकिन मेरा तो दिल उदास हो गया है,,,,इधर करण चला गया दोस्तो के साथ गोआ
उधर शिखा बोल रही थी कुछ दिन घर नही आएगी,,,,शोबा के साथ बुटीक पर ही रहेगी कोई बड़ा ऑर्डर मिला है उनलोगो
को,,,उसी के लिए कुछ दिन बिज़ी रहने वाली है ऑर शोबा के साथ ही रहेगी,,,,
ये तो अच्छा है ना,,,काम करेगी तो दिल लगा रहेगा उसका,,,,,
उसका दिल तो लग जाएगा लेकिन मेरा क्या होगा दीदी,,,,मैं तो अकेली हूँ घर पे,,,,,मुझे अकेले रहने की आदत नही है,,
अकेले रहने मे क्या डरना पगली,,,,अच्छा अगर ज़्यादा ही डर लगता है तो बोलो मैं आ जाती हूँ तेरे साथ रहने को जब तक
करण नही आ जाता,,,,,,,माँ ने हंस कर बोला,,
ये ठीक है दीदी,,,,,,,,आप आ जाओ ,,,दिल भी लगा रहेगा ऑर टाइम भी पास हो जाएगा,,,,अलका आंटी ने भी मज़ाक मे बोला,,,,,
नही रे पगली मैं कहाँ आ आसक्ति हूँ,,,,,घर पे इतना काम जो होता है ,,,तेरे घर पे तो काम वाली आती है लेकिन मैने
तो कोई काम वाली भी नही रखी,,अगर रख लेती तो सारा काम वो कर देती ओर मैं सारा दिन बोर होती रहती,,,,अब घर के काम
करती हूँ तो दिल लगा रहता है,,,,,
मैने मन ही मन सोचा माँ तूने काम वाली को इसलिए नही रखा क्यूकी घर मे हर टाइम चुदाई का प्रोग्राम जो चलता रहता
है ,,अगर काम वाली रख लेती तो प्रोग्राम कैसे करती ,,,मामा ऑर विशाल के साथ,,,,,,,,,,,ऑर अब मेरे साथ भी,,,,
मेरे घर भी कहाँ आती है कोई कामवाली ,,एक आती है जो सुबह 9 से 11 तक रहती है,,,,सॉफ सफाई करती है ऑर कपड़े धो जाती है
बाकी किचन का काम तो मैं खुद ही करती हूँ,,,,,वो भी थोड़ा ही काम है बाकी सारा दिन बोर होती हूँ,,,,आप आ जाओ ना
यहाँ रहने दीदी ,,,,,,बस कुछ दिन की बात है जब तक करण नही आ जाता,,,,मेरा टाइम पास हो जाया करेगा,,ऑर सबसे बड़ी
बात की मुझे रात मे अकेले बहुत डर लगता है,,,मैं तो अपने रूम मे भी सोने से डरती हूँ अकेले मे,,,,वो तो बच्चे घर
होते है तो टेन्षन फ्री होके सो जाती हूँ,,,,,,प्ल्ज़्ज़ दीदी आ जाओ ना आप कुछ दिन की बात है,,,,,करण आएगा तो आप चली जाना,,
नही अलका मैं नही आ सकती लेकिन तेरे डर का एलाज़ ज़रूर कर सकती हूँ,,,,,मैं नही तो क्या हुआ ये सन्नी तो है ना,,इसको
अपने घर पे रखले कुछ दिन,,,,फिर तो ठीक है ना,,,,
अब मैं समझ गया सारी बात ,,ये माँ का प्लान था मुझे अलका आंटी के साथ रखने का,,ताकि मैं अलका आंटी को तडपा
तडपा कर मस्ती कर सकूँ,,,,,,लेकिन करण कहाँ गया था,,,,कहीं वो अपनी रितिका के साथ तो नही गया,,,,,
सन्नी को,,,,,,,,,क्या ये रहेगा मेरे घर पे,,,,आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए बोला,,,,ऑर मैने माँ से पहले ही जवाब दे दिया
हां क्यू नही आंटी जी अगर आपको डर लगता है तो मैं यहाँ रहने को तैयार हूँ,,,,अगर मेरी माँ अकेली होती तो करण भी
मेरी माँ आके साथ रुकने को तैयार हो जाता तो फिर मैं क्यू नही,,,,
मेरी बात सुनके अलका आंटी खुश हो गई लेकिन मेरी माँ मेरी बात से ज़्यादा खुश लग रही थी,,,,,
हां तो सन्नी बेटा तुम कॉन्सा करण से कम हो ऑर अलका आंटी को अपनी ही माँ समझो ऑर इनके साथ रहो,,ताकि इनको कोई डर नही
लगे ना ही दिन को ऑर ना ही रात को,,,,
थॅंक्स्क्स्क्स सन्नी बेटा मेरे साथ रहने के लिए,,तुम ना होते तो मैं तो अपने ही घर मे डर डर के रहती ,,,,ऑर शिखा को कभी रात को बुटीक पर नही रहने देती,,,,,,
चलो अब तेरी प्रोबलम दूर हो गई अलका ,,अब मैं चलती हूँ,,,,,माँ उठी ओर अलका आंटी को बाइ बोलके जाने लगी मैं भी
साथ मे बाहर की तरफ चल पड़ा,,,,,,
अच्छा अब मैं चलती हूँ अलका ,,,ऑर जितना जल्दी हो सके सन्नी को भेज देती हूँ तेरे घर,,,,,
ठीक है दीदी लेकिन जल्दी भेजना ,,मेरे को अकेले मे डर लगता है,,,,
मैं सोचा जब करण कॉलेज जाता है ऑर शिखा बुटीक जाती है तब किसको रखती है घर पे अपना डर दूर करने के
लिए,,,,साली कामिनी कितनी ओवेरक्टिंग कर रही है,,,,,,
मैं घर से बाहर की तरफ जा रहा था तभी मैं वापिस पलट कर देखा तो अलका आंटी ज़रूरत से ज़्यादा ही खुश लग रही
थी,,,,,,
मैने माँ को साथ लिया ओर वहाँ से चल पड़ा,,,,,,,,,,,,
माँ ये सब क्या था,,,,,,,,ऑर करण कहाँ है,,,,,,
करण शिखा के साथ बुटीक पर है ऑर कुछ दिन वहीं रहेगा,, जब तक तेरी भुआ वापिस नही आ जाती,,,,मुझे कल रेखा
का फोन आया था कि गीता ऑर अशोक कुछ दिन वहीं रुकने वाले है कुछ काम है उन लोगो को वहाँ पर,,,,अब जब तक
गीता ऑर अशोक नही आ जाते तब तक शिखा ऑर करण बुटीक पर ऑर तू अलका के साथ घर पर,,,,,जितनी मर्ज़ी मस्ती करना लेकिन
एक दम से नही थोड़ा तडपा तडपा कर,,,,,,वो तैयार है तेरे साथ सोने के लिए बट ज़रा प्यार से सोना तू,,,,जल्दबाज़ी करके नही,,,,
ठीक है माँ समझ गया,,,,,मैं अभी घर जाके कपड़े लेके अलका आंटी के पास आ जाता हूँ,,,,,,,,,,,,
अभी आ जाना लेकिन बोला है तुझे जल्दबाज़ी मत करना,,,,,क्यूकी तरसाने ऑर तडपाने मे जो मज़ा आता है उसकी बात ही अलग होती है
ठीक है माँ,,,,,,समझ गया अब मैं बच्चा नही हूँ जो बार बार बता रही हो,,,,,,
बच्चा तो है तू मेरा तेरे को समझाना तो मेरा फ़र्ज़ है क्यूकी तू कुछ ज़्यादा ही नटखट हो गया है ,,इतना बोलकर माँ ने
मेरे लंड को हाथ मे पकड़ कर हलके से दबा दिया,,,,,
क्या करती हो माँ हम लोग रोड पर जा रहे है कोई देख लेगा,,,,,तभी माँ ने हाथ पीछे कर लिया,,,,,,क्या करूँ बेटा आज बहुत
खुजली हो रही है,,,,,तेरा मामा भी ठीक नई है 1-2 दिन से,,,पता नही क्या हुआ है,,,,अब तू ही कुछ कर सकता है इस खुजली का,,,
ठीक है माँ घर जाके देखता हूँ कि कितनी खुजली हो रही है,,,,,
लेकिन बेटा घर पे तो सोनिया है ऑर साथ मे कविता भी,,,,,तो घर पे मस्ती कैसे होगी,,,,
तो आप ऐसा क्यू नही करती माँ बुटीक पर क्यू नही चली जाती,,,,,वहाँ तो शिखा ऑर करण भी है,,,,,दोनो के साथ मस्ती
कर लेना,,,,,,
हाँ ये ठीक है बेटा,,,,बड़ी अच्छी बात बोली तूने,,,,,अब जल्दी कर मेरे से रहा नही जाता,,,,,मेडिसिन लेते है फिर तू मुझे
बुटीक पर छोड़ देना ऑर खुद घर चला जाना,,,,ऑर सोनिया को बोल देना कि मैं अलका आंटी के घर पर हूँ ऑर जब कविता
ने जाना हुआ तो मुझे फोन कर देना,,,,,
ठीक है माँ,,,,,,,,,,,,,,,उसके बाद हमने मेडिसिन ली ऑर मैने माँ को बुटीक पर छोड़ दिया ऑर खुद घर आ गया,,,,घर
आके मैं बेल बजाई ऑर दरवाजा खुलने की वेट करने लगा,,,,,तभी मेरा ध्यान गया कि शोबा दीदी की अक्तिवा नही थी घर पे,,
कविता ने आके दरवाजा खोला,,,अरे ब्लॅकी तू अकेला आ गया आंटी जी कहाँ है,,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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- Joined: 14 Oct 2014 17:28
Re: कहीं वो सब सपना तो नही
मालकिन साहिबा आप आते ही शुरू हो गई अगर मैं भी शुरू हो गया तो रुकना मुश्किल हो जाएगा,,,,,मैने हँसते हुए बोला तो
कविता भी हँसने लगी लेकिन उसने शरमाते हुए चेहरा भी झुका लिया,,,
अच्छा अच्छा सॉरी बाबा,,,,,,,,लेकिन आंटी जी कहाँ है ये तो बता,,,,,,
माँ अलका आंटी के घर पर रुक गई बोल रही थी थोड़ा काम है,,,,,ऑर बोल रही थी जब तूने जाना होगा तब माँ को कॉल कर देना
ताकि माँ घर पर आ जाए सोनिया के पास,,,,,
मुझे अभी नही जाना मैं तो शाम तक हूँ यहाँ,,घर पे बोलकर आई हूँ,,,वैसे जब जाना होगा मैं कॉल कर दूँगी आंटी
जी को,,
मैं घर के अंदर आ गया ,,,,शोबा दीदी कहाँ है ,,,,कहीं गई है क्या,,,,,,,,
दीदी बुटीक पर चली गई,,,,बोल रही थी ज़रूरी काम है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं समझ गया ,,,,,,आज तो सब मिलकर मस्ती करने वाले है,,,,,,,,,,करण ऑर शिखा पहले से वहाँ है अब मैं माँ को
भी वहाँ छोड़कर आया हूँ ऑर अब शोबा भी वहाँ चली गई है,,,,,,,लेकिन मैं कन्फ्यूज़ था,,,अलका आंटी के घर जाउ
मैं या घर पे रुकु क्यूकी शाम तक कविता यहाँ पर है,,,अलका आंटी के साथ तो अभी कुछ नही हो सकता आज लेकिन कोशिश
तो आज से शुरू करनी होगी,,,,,ऑर इधर कविता के साथ कोशिश कर चुका हूँ वो शायद तैयार भी हो जाएगी लेकिन सोनिया घर]पे
है ऑर उसने मुझे कविता के साथ देख लिया तो मेरी मौत पक्की है,,,,,,कुछ समझ नही आ रहा था,,,,,मैं सोच मे डूब
गया,,,,
क्या हुआ सन्नी क्या सोच रहे हो तुम,,,,
कुछ नही बस कॉफी पीने का दिल कर रहा है ,,,,क्या तू बना देगी कॉफी,,,,
अभी तो पे थी तूने कॉफी कुछ देर पहले अब फिर दिल करने लगा,,,,,
क्या करू पागल इंसान हूँ मैं ,,,,कॉफी नही पीता तो कुछ ना कुछ गुस्ताख़ी करने का दिल करने लगता है,,,,,
कविता हँसने लगी,,,,वो तो कॉफी पीने के बाद भी करता होगा तेरा दिल,,,इतना बोलकर वो वहाँ से उपर की तरफ चली गई,,,,ऑर जाते
जाते एक जगह रुक गई,,,,,,,,,,लेकिन मैं तुझे गुस्ताख़ी नही करने दूँगी,,,,,,,,याद रखना,,,,,,,वो हस्ती हुई उपर भाग
गई,,,,,,,
मैं भी यहाँ नीचे खड़ा हुआ उसकी तरफ देख कर खुश हो गया,,,,ऑर सोचने लगा कि ये तो लाइन पर आ गई शायद,,,लेकिन
थोड़ी मुश्किल है,,,,,,,,कहीं ये सब मेरे साथ मज़ाक तो नही कर रही,,,,क्यूकी दिखने मे तो ये मासूम लगती है लेकिन जब
मुझे किस किया था तो ये काफ़ी तेज लग रही थी मुझे,,,,,,
खैर अभी इसके साथ कुछ नही कर सकता था मैं,,,,क्यूकी वो उपर भाग गई थी सोनिया के रूम मे ऑर वहाँ तो कुछ हो ही
नही सकता था तो मैं अपने कुछ कपड़े लिए बॅग मे ,मैं रूम मे गया ऑर कविता को बोला,,,,,,,,,,,,कविता मैं कुछ दिन अपने दोस्त के घर रहने वाला हूँ,,,माँ को
मैं बता दिया था ,,,,,अब तुझे बता रहा हूँ तुम बाकी लोगो को बता देना,,,,मैं जब बोल रहा था सोनिया मुझे गुस्से से
ही देख रही थी जैसे हमेशा देखती थी,,,,
मैं वहाँ 4-5 दिन रहने वाला हूँ ऑर वैसे भी यहाँ रहके क्या करूँगा,,,बीमार लोगो की सेवा भी करूँगा तो भी गाली
ही मिलेगी खाने को,,,,,,,मैने इतना बोला तो कविता हँसने लगी लेकिन जब सोनिया ने गुस्से से देखा तो वो चुप हो गई,,,
सच मे जा रहे हो सन्नी,,,,,सोनिया ने हल्की आवाज़ मे बोला,,,,लेकिन मैं उसको बात का जवाब नही दिया,,,,,,,,,,
ओके बाइ कविता,फिर मिलते है,,,,,ऑर हां याद से जाने से पहले माँ को कॉल कर देना,,,,,,मैं इतना बोला तो सोनिया गुस्से मे आ
गई क्यूकी मैं कविता से बात की थी ओर उसकी बात का कोई जवाब नही दिया,,,,,,
ओक्क्क्क कविता ,,बयीई,,,,,,,,,,,,,
बयए सन्नी,,,,,,,,,,
कविता ने मुझे बाइ बोला तो मैं सोनिया की तरफ देखा उसकी आँखों मे गुस्सा था लेकिन चेहरे पर उदासी थी,,,लेकिन उस से
भी ज़्यादा उदास लग रही थी मुझे कविता,,,,,,मन तो नही कर रहा था जाने का क्यूकी कविता थी यहाँ लेकिन भुआ ऑर डॅड के
आने से पहले मुझे अलका आंटी के साथ सेट्टिंग करनी थी वर्ना वो लोग आ जाते ऑर करण को बुटीक पर रहना मुश्किल हो जाता,,,
मेरे पास टाइम कम था तो मैं इन दो खूबसूरत लड़कियों को उदास छोड़के वहाँ से चला गया,,,,
उदास लड़कियों को छोड़ कर मैं चला अलका आंटी के पास ,,मेरे पास दिन बहुत काम थे इन्ही दिनो मे मुझे अलका आंटी
को तड़पाना था तरसाना था ऑर बेड तक लेके आना था,,,ऑर साथ मे खुद भी तड़पना था,,,,,,अलका आंटी भी तैयार थी ऑर मैं तो
कब्से तैयार हूँ लेकिन माँ के कहने पर मुझे ये सब करना पड़ रहा था,,,,पता नही माँ ऐसा क्यू कर रही थी,,,,,खैर
मैं अलका आंटी के घर की तरफ चल पड़ा ,,अभी मैं कुछ दूर ही था कि मुझे किसी की कॉल आई ,,,,,,मैं बाइक को साइड पर रोका
ऑर देखा तो कोई अननोन नंबर से कॉल आ रही थी,,,,,,,मैं कॉल पिक की तो आवाज़ से मैं सामने वाले को पहचान गया,,,,
ये कॉल थी सूरज भैया की,,,,,
हेलो सन्नी,,,,,,,,
हेलो भैया,,,,,,हाउ आर यू,,,,,,
मैं ठीक हूँ सन्नी तुम सूनाओ,,,,,,,,ऑर क्या कर रहे हो आज कल,,,,
मैं भी ठीक हूँ भैया ,,,,,,,कुछ खास नही कर रहा बस बोर हो रहा हूँ,,,,,,,,
अरे हमारे होते हुए बोर होने की क्या ज़रूरत,,,,,,आ जाओ मस्ती करते है,,ना तुमको बोर होना पड़ेगा ऑर ना हमको,,,,
नही भैया अभी नही आ सकता थोड़ा काम है,,,,,,,,फिर कभी,,,,,साला मैं मना तो कर दिया लेकिन मेरा दिल बहुत कर रहा
था सूरज की गान्ड मारने को,,,,ऑर साथ मे भाभी की भी,,,,
अच्छा भाई ठीक है मत आओ,,,,,,,,लेकिन एक छोटा काम तो कर सकते हो हमारा,,,,,ताकि हम तुम्हारी तरह बोर ना हो ऑर खुल
कर मस्ती कर सके,,,,,
क्या काम बोलो अभी कर देता हूँ सूरज भाई,,,,,,,,,,,,,
यार वो जो स्ट्रॅप-ऑन देके गया तू कामिनी को वो बहुत अच्छा लगता है ऑर मुझे भी,,,लेकिन वो पतला बहुत है,,हमे एक दूसरा वाला
चाहिए ,थोड़ा छोटा हो लेकिन थोड़ा मोटा भी हो,,,,,समझ रहा है ना,,,,,
हाँ भैया समझ गया,,,,,मैं अभी कुछ देर मे आता हूँ घर पे ऑर दे जाता हूँ,,,,,,,,ठीक है भैया,,,,
नही घर पे नही सन्नी मेरे ऑफीस मे आना अभी मैं वहीं हूँ,,,
ठीक है भैया अभी आता हूँ,थोड़ी देर मे,,,,,
इसके बाद भैया ने फोन कट कर दिया ओर मैं भी अपने फोन को पॉकेट मे डाला ऑर करण के घर की तरफ चल पड़ा,,,
कुछ देर मे मैं करण के घर पहुँच गया,,,,,
मैं बेल बजाई तो अलका आंटी ने गेट खोला ऑर मुझे देख कर आँखें चमक गई उनकी,,,,वो इतनी ज्याद खुश हो गई कि
पूछो मत,,,,,
आ गये बेटा,,,,,बड़ी जल्दी आ गया तू बेटा,इतना बोलते हुए आंटी ने गेट को ऑर भी ज़्यादा खोल दिया ऑर मैं घर के अंदर जाने
लगा,,,,,,,,,,,,,,
आप बोलो तो मैं वापिस चला जाता हूँ आंटी जी कुछ देर बाद आ जाउन्गा,,,मैं हँसते हुए मज़ाक मे बोला,,,,
अरे नही नही बेटा अच्छा किया तू जल्दी आ गया ,,वैसे तुझे तो ऑर भी जल्दी बुला लेती मैं लेकिन,,,आंटी बोलती हुई चुप कर
गई,,,,
मैं अंदर गया ऑर आंटी भी गेट लॉक करके अंदर आ गई,,,,
कुछ खाने पीने को चाहिए तो बता दे बेटा,,,,ऑर ला ये बॅग मैं करण के रूम मे रख देती हूँ,,,,
आप रहने दीजिए मैं खुद रख देता हूँ आंटी जी,,,,,,आप अपना काम कीजिए ऑर हो सके तो मुझे भी कोई काम बता
दीजिए वर्ना मैं बोर हो जाउन्गा,,,,,,,,,,
अरे तुम तो घर के मेहमान हो ऑर मेहमान से काम नही करवाया जाता बेटा,,,,,,,,,,
ये बता ग़लत है आंटी जी,,,,,,,,,आप मेरी माँ जैसी हो ओर मैं भी तो आपके बेटे जैसा हूँ फिर भला मेहमान क्यू बोल रही
हो आप मुझे,,,क्या आप मुझे अपना बेटा नही समझती,,,,
अरे बेटा गुस्सा क्यू करता है,,,,,,तू तो मेरा रज़ा बेटा है,,,जैसे करण वैसे ही तू,,,,इतना बोलकर आंटी मेरे करीब आ गई ऑर
मुझे बाहों मे भर लिया,,,,,,,,,,मैं भी इसी मोके की तलाश मे था,,,,,,,,,जैसे ही आंटी मे मुझे गले से लगाया मैने भी
आंटी को अपनी बाहों मे जकड लिया लेकिन ज़्यादा ज़ोर नही लगाया क्यूकी माँ ने बोला था जल्दबाज़ी नही करनी,,,,
ऐसा बोल तो दिया था माँ ने लेकिन माँ को क्या पता मेरी इस वक़्त क्या हालत थी ओर मेरे से भी ज़्यादा बुरा हाल तो था अलका आंटी
का,,,,,
अच्छा बता अब मेरा बेटा क्या खाएगा,,,,,,,,,,आंटी ने मेरे से दूर होते हुए पूछा,,,
अभी कुछ नही खाना मुझे आंटी जी,,,,मैं नाश्ता करके आया हूँ घर से,,,,,
अरे बेटा नाश्ता किए तो बहुत टाइम हो गया होगा तुझे,,,,,देख अब तो लंच टाइम हो रहा है,,,,,आंटी ने मुझे वॉल
क्लॉक की तरफ इशारा करते हुए बोला,,,,,,
अभी भूख नही है आंटी जी,,,,,
ठीक है बेटा जब भूख लगे तो बता देना ,,,ओर दिल करे तो खुद ही फ्रिड्ज से कुछ निकाल कर खा लेना,,,शरमाना नही
ऑर इसको अपना ही घर समझना,,,,
जी आंटी जी ,,,,,,,,,,,,लेकिन अभी भूख नही है ,जब भूख लगेगी तो बता दूँगा फिलहाल तो मुझे थोड़ा काम से भी जाना है,,,,,,,,
आंटी उदास होके बोली,,,,,,,,,,,कहाँ जाना है तूने अभी,,,,,
कविता के भाई सूरज के ऑफीस जाना है थोड़ा काम है लेकिन उस से पहले माल मे जाना है कुछ समान लेके आना है,,,,,
जाना तो मुझे भी है माल लेकिन मुझे शाम को जाना है,ठीक है अभी तू जा ,,
अगर आपको भी जाना है तो अभी चलते है साथ मे आंटी,,,,,,,,,,,,,,आप भी शॉपिंग कर लेना ऑर मैं भी अपना काम कर लूँगा,,
ये भी ठीक है बेटा,,,,,,,,चल तू रुक मैं अभी तैयार होके आती हूँ,,,,,,,,,,
मैने मन ही मन सोचा कि तैयार होने की क्या ज़रूरत है आप तो अभी भी एक दम मस्त लग रही हो,,,,आंटी मेरे करीब से
गुजर कर अपने रूम की तरफ जाने लगी गान्ड मटकाति हुई,,,,,,,मैं नोट किया कि आज आंटी कुछ ज़्यादा ही मटक मटक
कर चल रही थी,,,,,पक्का माँ ने बोला होगा ऑर आंटी तभी ऐसे चल रही थी मुझे खुश करने के लिए ताकि मेरा ध्यान जाए
उनकी मटकती गान्ड पर,,,,
मैं करण के रूम मे गया ऑर अपना बॅग वहीं रख दिया फिर बाथरूम मे जाके हल्का सा मूह हाथ धो लिया फिर बाहर
आके सोफे पर बैठ गया लेकिन तभी मेरी नाजर पड़ी आंटी के रूम की तरफ जिसका दरवाजा खुला हुआ था,,,,,,मैने सोचा
कि आंटी दरवाजा खोलकर तैयार हो रही है क्या,,इसी उत्सुकता मे मैं आंटी के रूम के पास चला गया ऑर जैसे ही मैं
वहाँ पहुँचा तो अंदर का नजारा देख कर खुश हो गया,,,,,आंटी ने एक ग्रीन कलर की साड़ी पहनने की तैयारी की थी
लेकिन अभी तक साड़ी पहनी नही थी,,,,सारी से मॅचिंग पेटिकोट पहना हुआ था जो उनके पेट पर बँधा हुआ था नाभि से
हल्का सा नीचे ओर उनका वो पेट देख कर मुझे झटका लगने लगा बहुत तेज मस्ती भरा झटका,,,,आंटी अपने हाथ पीछे
करके ब्लाउस की डोरी बाँध रही थी ,,उनका ब्लाउस पीछे से फुल ओपन था ऑर एक पतली सी डोरी थी जो अभी वो बाँध ही रही थी
उनकी पूरी पीठ नंगी थी जो मेरा दिमाग़ खराब कर रही थी ,,मेरे से क़ाबू नही हो रहा था ओर मैं पता नही कब रूम
के अंदर चला गया,,मेरे कदम खुद-ब-खुद आगे चलने लगे थे,,,,
पता तो मुझे तब चाल जब आंटी की आवाज़ पड़ी मेरे कनों मे,,,,,तुम क्या कर रहे हो यहाँ सन्नी बेटा,,,,
मैं एक दम नींद से जगा,,कुछ नही आंटी जी बस आपको देखने आया था कि आप तैयार होने मे इतना टाइम क्यू लगा रही हो,,
आंटी ने शरमाते हुए नज़रे झुका ली,,,,क्यूकी आंटी अभी भी डोरी को बाँध रही थी,,,उनके हाथ पीठ की तरफ थे,,,
अरे आंटी जी आप शर्मा क्यू रही हो,,भला कोई माँ अपने बेटे से शरमाती है क्या,,,ऑर मैं भी तो आपके लिए करण जैसा
हूँ,,,क्या आप उस से शरमाती हो कभी,,,,
आंटी ने हल्के से शरमाते हुए अपने फेस को उपर किया ऑर मेरी तरफ देखने लगी,,,,उनके हाथ अभी भी उनकी पीठ पर
थे,,,,,,
ओहफू आंटी जी एक डोरी बाँधने मे इतना टाइम,,,,दीजिए मैं बाँध देता हूँ,,,,मैं इतना बोलकर आगे बढ़ा ऑर उनके पास
जाके उनकी पीठ की तरफ चला गया,,,
नही बेटा मैं बाँध लूँगी लेकिन मैं नही माना ऑर डोरी को अपने हाथ मे पकड़ लिया,,तभी आंटी मिरर की तरफ फेस करके
खड़ी हो गई वही हाथ जो अभी उनकी पीठ पर थे वो उनकी छाती पर चले गये ऑर वो छाती को कवर करके मिरर मे खुद
को देख कर शरमाने लगी,,,उनके हाथ छाती पर थे लेकिन फिर भी मुझे उनके बूब्स हल्के हल्के नज़र आ रहे थे
क्यूकी उनके बूब्स थे ही बहुत बड़े बड़े,,,,वो पूरी कोशिश कर रही थी उनको छुपाने की लेकिन इसी कोशिश मे उनके बूब्स
ज्याद उभर कर बाहर निकल रहे थे,,,,,,,आंटी ने मिरर मे पीछे मेरी तरफ देखा तो मैने अपना ध्यान डोरी बाँधने
पर केंद्रित्त कर दिया ऑर अंजान बनके डोरी बाँधने लगा ,,जैसे मेरे मन मे कुछ नही मैं तो बस डोरी बाँध रहा
हूँ लेकिन बीच बीच मे मैं आंटी की तरफ देख लेता था नज़रे बचा कर,,,,जब भी डोरी बाँधते टाइम मेरे हाथ आंटी
की पीठ से लगते तो एक तूफान उठने लगता था मेरे दिल मे,,लेकिन मैं खुद पर क़ाबू करके डोरी बंद रहा था,,लेकिन
आंटी के खुद पर क़ाबू नही हो रहा था ,,,जब भी मेरा हाथ हल्के से उनकी पीठ पर टच करता वो एक दम से सिहर
जाती ऑर शरमाने लगती,,,,मैने जल्दी ही डोरी बाँध दी लेकिन आंटी के लिए वो एक दो पल का टाइम बहुत लंबा था,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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- Ankit
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- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: कहीं वो सब सपना तो नही
superb update