सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

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jay
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

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दुलारा भतीजा
भाग -7




पद्मा की चूत अजय के मोटे लण्ड के कारण चौड़ी हुई पड़ी थी और शोभा भी उसे बख्श नहीं रही थी. रह रह कर बार बार चूत के दाने को सहला छेड़ रही थी. पद्मा बार बार अजय की जांघों पर ही कमर को गोल गोल घुमा और ज्यादा उत्तेजना पैदा करने की कोशिश कर रही थी. पद्मा तो पहले से ही चरम सीमा के करीब थी , सो शोभा की इस हरकत से जल्दी ही झड़ने लग़ी “शोभा~आआआआआ”
शोभा तुरन्त समझ गयी कि पद्मा झड़ गयी है। उसने पद्मा के कंधे को छोड़ अपना हाथ उसकी बाहों के नीचे फ़सा दिया और बलपूर्वक पद्मा को अजय के ऊपर से उठाने लगी. दिमाग चलाते हुये उसने तुरंत ही अपने दुसरे हाथ की पांचों उंगलियों को एक साथ कर पद्मा की झड़ती रिसती चुत में घुसेड़ दिया. परंतु शोभा की उन्गलियां अजय के लण्ड की भांति गीली और चिकनी नहीं थी अतः पीड़ा की एक लहर उसके चेहरे पर फ़ैल गई. अजय भी गुर्रा पड़ा. वो झड़ने की कगार पर ही था कि उसकी चाची ने ताई की चूत को लण्ड पर से हटा लिया था. अब उसका पानी भी वापिस टट्टों में लौट गया था. शोभा ने पद्मा को खींच कर जमीन पर गिरा दिया और खुद उसके ऊपर आ गई. औरतों के बीच चलते इस मदन-युद्ध को पीछे से देख अजय भौंचक्का रह गया. दोनों ही उसे प्यारी थी. खुद के आनन्द के लिये वो किसी एक को भी छोड़ने को तैयार नहीं था. अपनी चाची के पुष्ट भारी स्तनों और फ़ुदकती चूत की तस्वीर उसके दिमाग में अब भी ताजा थी जिसे याद कर वो रोज ही मुट्ठ मारता था. उसकी ताई भी रोज रात को उसे स्त्री शरीर का सुख देती थी. दोनों ही औरतों से उपेक्षित अजय ने अपने बेबस तेल पिये लण्ड को मुट्ठी में भर लिया.


अजय के सामने ही शोभा पद्मा को अपने नीचे दबा एक हाथ से उनकी चूत में पांचों उन्गलियां घुसाये दे रही थी और दूसरे से पद्मा के बड़े बड़े स्तनों को निचोड़ रही थीं. चाची के होंठ पद्मा ताई के होंठों से चिपके हुये थे और जीभ शायद कहीं ताई के गहरे गले में गोते लगा रही थी. आंख के कोने से शोभा चाची ने अजय को लन्ड मुठियाते देखा तो झटके से जेठानी की चूत को छोड़कर अजय की कलाई थाम ली. अजय का हाथ उसके लन्ड पर से खींच कर चाची पद्मा के कानों मे फ़ुसफ़ुसाई "दीदी, देखो हमारा अजय क्या कर रहा है?"
इस प्रश्न के साथ ही शोभा ने पद्मा और अपने बीच में चल रहा अजय का विवाद भी जैसे निपटा दिया. और यही तो उन दोनों के बीच चले लम्बे समलैंगिक संभोग का भी आधार था. जिस्मों की उत्तेजना में कुछ भी स्वीकार कर लेना काफ़ी आसान होता है. हां, अपने भतीजे के सामने पद्मा पूरी तरह से चरित्रहीन साबित हो चुकी थी परन्तु जब उसने शोभा के हाथ को अजय के विशालकाय लण्ड को सहलाते देखा तो उसे शोभा में अपनी प्रतिद्वंद्धी नहीं, बल्कि अजय को उसके ही समान प्यार करने वाली एक और ताई/चाची दिखाई दी. अजय हालांकि रोज अपनी ताई को चोदता था और इस तरह से उसकी शारीरिक जरुरतें सीमा में रहती थी. किन्तु ताई सिर्फ़ रात में ही उसके पास आती थीं. उसके बेडरूम के बाहर वो सिर्फ़ उसकी ताई थीं. अपनी ताई के जाने के बाद ना जाने कितनी ही रातों को अजय ने चाची के बारे बारे में सोच सोच कर अपना पानी निकाला था. अन्जाने में ही सही, एक बार तो चाची की चूत के काफ़ी नजदीक तक उसके होंठ जा ही चुके थे और दोनों ही औरतों ने अपने जिस्म से उसके लण्ड की जी भर के सेवा भी की है. वो भी उन दोनों के इस कृत्य का बदला चुकाने को उत्सुक था. पर किससे कहे, दोनों ही उससे उम्र में बड़ी होने के साथ साथ पारिवारिक परम्परा के अनुसार सम्मानीय थी. दोनों ही के साथ उसका संबंध पूरी तरह से अवैध था. अपने दिल के जज्बातों को दबाये रखने के सिवा और कोई चारा नहीं था उसके पास. इसीलिये जब उसकी चाची ने मात्र एक चादर में लिपट कर उसके कमरे में प्रवेश किया था और अपने भारी भारी स्तनों को ताई के कन्धे से रगड़ना शुरु किया तो वो उन पर से अपनी नज़र ही नहीं हटा पाया था। शोभा की नाजुक उन्गलियां अजय के तने हुये काले लन्ड पर थिरक रही थीं तो बदन पद्मा के पूरे शरीर से रगड़ खा रहा था. दोनों ही औरतों के बदन से निकले मादा खुश्बू अजय को पागल किये जा रही थी. पद्मा ने जब अजय को शोभा के नंगे शरीर पर आंखें गड़ाये देखा तो उन्हें भी अहसास हुआ कि अजय को भरपूर प्यार देने के बाद भी आज तक उसके दिल में अपनी चाची के लिये जगह बनी हुई है. दोनों औरतों के बदन के बीच में पद्मा की चूत से निकलता आर्गैज्म का पानी भरपूर चिकनाहट पैदा कर रहा था.
"देखो दीदी" शोभा ने अजय के फ़ूले तने पर नजरें जमाये हुए कहा. कुशल राजनीतिज्ञ की तरह शोभा अब हर वाक्य को नाप तोल कर कह रही थी. पद्मा को बिना जतलाये उसे अजय को पाना था. अजय को बांटना अब दोनों की ही मजबूरी थी और उसके लिये पद्मा की झिझक खत्म करना बहुत जरूरी था.
"कैसा कड़क हो गया है?" पद्मा के चूतरस से सने उस काले लट्ठ को मुट्ठी में भरे भरे ही शोभा धीरे से बोली.
पद्मा के गले से आवाज नहीं निकल पाई.
“हम इससे अपनी चूत चुसवाना चाहते थे.” शोभा बोली.शोभा ने चेहरा पद्मा की तरफ़ घुमाया और अपने होंठ पद्मा की रसीली चूत के होंठों पर रख दिये. पद्मा के चूत को चूसते हुये भी उसने अजय के लण्ड को मुठियाना जारी रखा. नजाकत के साथ अजय के सुपाड़े पर अंगूठा फ़िराने लगी.
"चाचीईईईईई", अजय ने सिसक कर झटका दिया और ताई के चूतरस से चिकना लण्ड चाची के हाथ से छुट गया। अंगूठे की सहलाहट दबाव से लण्ड में खून का दौड़ना तेज हो गया था और वो बुरी तरह बौखला रहा था। अजय घूम के चाची के पीछे जा पहुँचा । ताई की चूत पर झुकी होने के कारण चाची के शानदार संगमरमरी गुदाज भारी भारी गोल चूतड़ ऊपर को उठे थे और उनके नीचे उनकी पावरोटी सी चूत अपने मोटे मोटे होठ खोले अजय के लण्ड को आमन्त्रित सा कर रही थी। एक अरसा हुआ जब अजय के लण्ड ने इस चूत का स्वाद एक बार चखा था अब अजय कुछ सोच पाने की हालत में नहीं था उसने अपना फ़ौलादी लण्ड उस पावरोटी सी चूत के मोटे मोटे होठों के बीच रखकर धक्का मारा और उसका लण्ड बुरी तरह से गीली चूत में एक ही धक्के मे समूचा अन्दर चला गया।
शोभा की चूत को जैसे ही अपना मनपसन्द लण्ड मिला उसकी कमर यन्त्रवत चूत को लण्ड पर उछालने लग़ी शोभा आगे सरक आई और खुद को कुहनियों पर व्यवस्थित करते हुये होंठों को पद्मा के उरोजों पर पर जमा दिया. इस समय शोभा की गीली टपकती चूत अजय के प्यासे लण्ड से दनादन चुद रही थी. अपने प्लान की कामयाबी से जेठानी पद्मा का ध्यान बटाने के लिये शोभा ने अपना ध्यान पद्मा के ऊपर लगा दिया. पद्मा के चेहरे के पास जा शोभा ने उनके गालों को चूमा. पद्मा ने भी जवाब में शोभा के दोनों होठों को अपने होठों की गिरफ़्त में ले लिया. दोनों औरते फ़िर से एक दूसरे में तल्लीन हो गईं. अजय ने अपने दोनो हाथों से शोभा चाची की गुदाज सगंमरमरी जाघें दबोच लीं और उनके भारी भारी गद्देदार चूतड़ों पर धक्का मारमारकर उनके गुदगुदेपन का आनन्द लेते हुए चाची की पावरोटी सी चूत को अपने फ़ौलादी लन्ड से चोदे जा रहा था.
अजय ने सिर उठा कर देखा तो उसकी ताई और चाची जैसे किसी दूसरे ही संसार में थी. आज की रात तीनों ही प्राणी एकाकार हो गये थे. अजय ने जब ये दृश्य देखा तो मारे जोश के उसने शोभा चाची के दोनों नितम्बों को और कस के जकड़ लिया. वो चाची की चूत से बहते झरने से वो अपने प्यासे लन्ड की प्यास बुझा लेना चाहता था और शोभा चाची ये होने नहीं दे रही थीं. क्योंकि बीच बीच में वो छिटक कर चूत हटा लेती थी फ़िर थोड़ी देर तक तड़पाने के बाद चूत को अजय के लन्ड के हवाले कर देती ।
पद्मा आंखों के कोनों से पद्मा ने शोभा के मोटे मोटे बड़े बड़े स्तनों को झूलते देखा. थोड़ा सा उठ कर उसने दोनों हाथों से शोभा के उछलते स्तनों को सहार दिया। मन शोभा के लिये कृतज्ञ था कि उसने उसे अजय के और करीब ला दिया है. अजय जो इतनी देर से अपनी आंखों के सामने अपनी ताई और चाची की उत्तेजक हरकतें देख रहा था, अब और सक्रिय हो उठा. थोड़ा सा आगे हाथ बढ़ाकर उसने दोनों हाथों से शोभा के उछलते स्तनों को दबोच लिया. अजय के हाथ अपने बड़े बड़े स्तनों पर पड़ते ही शोभा कराह उठी.

क्षण भर के लिये दोनों को छोड़ शोभा बिस्तर के सिरहाने पर जा कर बैठ गयी. पद्मा "शोभा? तुम किधर जा रही हो?", अजय जल्दी ही झड़ने वाला था वो भी उसी समय बोला “ चाची? कहाँ हो?” दोनो ये पल शोभा के साथ बांटना चाहते थे.
"आपके और अपने लिये इसको कुछ सिखाना बाकी है.." शोभा ने अपनी जीत पर मन ही मन खुश हो जवाब दिया. जब अजय ने शोभा को ये कहते सुना तो वो चौंका. निश्चित ही दोनों औरते उसके ही बारे में बातें कर रही थी.

शोभा पद्मा को वही छोड़ अजय के चेहरे के पास जाकर होंठों पर किस करने लगी. दोनों ही एक दूसरे के मुहं में अपना अपना रस चख रहे थे. "अजय चलो.. गेट रैडी..वर्ना ताई, ताई नाराज हो जायेंगी". शोभा ने अजय का ध्यान उसकी दोबारा से प्यासी हुई ताई की तरफ़ खींचा. अजय एक बार को तो समझ नहीं पाया कि चलने से चाची का क्या मतलब है. उसकी ताई तो यहीं उसके पास है.शोभा ने अजय को इशारा कर बिस्तर पर एक तरफ़ सरकने को कहा और पद्मा को खींच कर लिटा लिया. अजय से अपना ध्यान हटा शोभा ने जेठानी के स्तनों पर अपने निप्पलों को रगड़ा और धीरे से उनके होंठों के बीच अपने होंठ घुसा कर फ़ुसफ़ुसाई,"अब उसे मालूम है कि हम औरतों को क्या पसन्द है. आपको बहुत खुश रखेगा." कहते हुये शोभा ने जेठानी को अपनी बाहों में भर लिया. अजय अपनी चाची के पीछे लेटा ये सब करतूत देख रहा था. लन्ड को पकड़ कर जोर से चाची कि चूतड़ की दरार में घुसाने लगा, बिना ये सोचे की ये कहां जायेगा. दिमाग में तो बस अब लण्ड में उठता दर्द ही बसा हुआ था. किसी भी क्षण उसके औजार से जीवनदाय़ी वीर्य की बौछार निकल सकती थी. घंटों इतनी मेहनत करने के बाद भी अगर मुट्ठ मार कर पानी निकालना पड़ा तो क्या फ़ायदा फ़िर बिस्तर पर दो-दो कामुक औरतों का. शोभा ने गर्दन घुमा अजय की नज़रों में झांका फ़िर प्यार से उसके होंठों को चूमते हुये बोली, "बेटा, मेरे नहीं, ताई के ताई के. शोभा को अजय के लण्ड का सुपाड़ा अपनी चूतड़ के छेद पर चुभा तो था पर इस वक्त ये सब नये नये प्रयोग करने का नहीं था.
रात बहुत हो चुकी थी और शोभा एवं अजय अभी तक ढंग से झड़े नहीं थे. उस्के लिए ताई का थक के सोना जरूरी था अजय ने ताई के चेहरे की तरफ़ देखा. पद्मा की आंखों में शर्म और वासना के लाल डोरे तैर रहे थे. ताई, जो उसकी रोजाना जरुरत को पूरा करने का एक मात्र सुलभ साधन थी पद्मा ने हाथ बढ़ा अजय के चेहरे को सहलाया
"आ जा बेटा?".
अपनी ताई से किये वादे को निभाने के लिये अजय शोभा से अलग हो गया.
शोभा ने राहत की सांस ली. अजय उठ कर पद्मा के ऊपर चढ गया. इस तरह पद्मा अब अपनी देवरानी और भतीजे के नंगे जिस्मों के बीच में दब रही थी. शोभा के चेहरे पर अपना गोरा चेहरा रगड़ते हुये बोली "शोभा, तुम हमें कहां से कहां ले आई?".
"कोई कहीं नहीं गया दीदी. हम दोनों यहीं है.. आपके पास". कहते हुये शोभा ने अपने निप्पलों को पद्मा के निप्पलों से रगड़ा.
"हम तीनों तो बस एक-दूसरे के और करीब आ गये हैं." शोभा ने अपनी उन्गलियां पद्मा के पेट पर फ़िराते हुये गीले चूत-कपोलों पर रख दीं. "आप तो बस मजे करो.." शोभा की आवाज में एक दम से चुलबुलाहट भर गई. आंख दबाते हुये उसने अजय को इशारा कर दिया था.
पद्मा ने अजय के गरम बदन को महसूस किया. अजय ने एक हाथ पद्मा की कमर पर लपेट कर ताई को अपनी तरफ़ दबाया. यहां भी अनुभवहीन किशोर का निशाना फ़िर से चूका. लन्ड सीधा पद्मा की चूतड़ के सकरे रास्ते में फ़िसल गया.
"उधर नहीं". पद्मा कराही. अपना हाथ पीछे ले जा कर अजय के सिर को पकड़ा और उसके गालों पर एक गीला चुम्बन जड़ दिया. आज रात एक पारम्परिक भारतीय घर में जहां एक दूसरे के झूठे गिलास में कोई पानी भी नहीं पी सकता था सब कुछ उलट पलट गया था. लण्ड और चूतों का रस सभी सम्भावित तरीकों से मिश्रित थे.
शोभा अजय की ओर मुँह कर पद्मा के चेहरे के दोनों तरफ़ अपने घुटने रखकर इस तरह से बैठ गई कि उसकी चूत पद्मा के होठों से छूने लगी जैसे पद्मा से अपनी चूत चुसवाना चाहती हो । शोभा दोनों के साथ आज रात एकाकार हो गई थी. विचारों में खोई हुई पद्मा को पता ही नहीं चला कि कब शोभा ने उसकी टांगें उठा कर अजय के कन्धों पर रख दीं और उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच हाथ डालकर हाथकर अजय के सख्त लन्ड को पकड़ लिया था और सहलाने लगी. उसकी खुद की चूत में अभी तक हल्के हल्के झटके आ रहे थे. शायद अजय के द्वारा की अधूरी चुदाई के बाद कहीं ज्यादा संवेदनशील हो गई थी. आज रात दुबारा अजय का लन्ड उसकी चूत पायेगी या नहीं। सिर्फ़ सोचने मात्र से ही लिसलिसा जाती थी. दिमाग को झटका दे शोभा ने अजय तेल पिये लट्ठ को पद्मा की रिसती चूत के मुहं पर रखा.
"अब डाल", अजय के चेहरे की ओर देखती शोभा बोली जो इस समय अपने बिशाल लण्ड को ताई की चूत में गुम होते देख रहा था.
"आह. बेटा धीरे...शोभा आह", पद्मा चित्कारी. चूत की निचली दीवारों से सरकता हुआ अजय का लन्ड ताई के गर्भाशय के मुहांने को छू रहा था. इतने सालों की चुदाई के बाद भी पद्मा की चूत में ये हिस्सा अनछुया ही था. अजय के साथ संभोग करते समय भी उसने कभी इस आसन के बारे में सोचा नहीं था. कृतज्ञतावश पद्मा शोभा चूत पर चुम्बन बरसाने लगी. इस आसन में अजय के हर धक्के के साथ पद्मा के चूतड़ ऊपर उठकर चूत के साथ एक लाइन में होने के कारण लण्ड के आसपास कराकर गुदगुदे गद्दे का मजा दे रहे थे। अजय दनादन धक्को मार रहा था उसे भरोसा नहीं था कि वो पूरी रात में एक बार भी झड़ भी पायेगा या नहीं, पूरे वक्त तो शोभा के इशारों पर ही नाचता रहा था. अजय ने ताई के एक चूंचे को हाथ में कस के दबा लिया. पद्मा को अपने फ़ूले स्तनों पर अजय के कठोर हाथ सुहाने लगे. वो अपना दूसरा स्तन भी अजय के सुपुर्द करना चाहती थी. शरीर को हल्का सा उठा अजय को दूसरा हाथ भी इस्तेमाल करने के लिये उकसाया. अजय ने तुरन्त ही ताई के बदन के उठे बदन के नीचे से दूसरा हाथ सरका के दूसरे चूंचे को दबोच लिया . अब दोनों ही चूंचे अजय के पंजों में जकड़े हुये थे और वो उनके सहारे शरीर के निचले हिस्से को ताई की चूत पर जोर जोर से पटक रहा था. अजय के जबड़े भींच गये. शोभा की नज़रें उसी पर थी. पद्मा के ऊपर चेहरा आगे कर दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. पद्मा ने गर्दन मोड़ कर अपने सिर के पीछे चलती चाची भतीजे की हरकत को देखा और उसने अपने होंठों को शोभा की चूत पर टिका दिया. तीनों अब बिना किसी भेद-भाव के साथ चुमने चाटने लगे. अजय के होठ चाची के होठों से नीचे गरदन पर सरकते हुए नीचे चाची के थिरकते हुए बड़े बड़े स्तनों पर आ टिके। अब अजय हाथों से ताई के बड़े बड़े स्तनों को गूथ कर लालकर रहा था और चाची के उछलते दूधिया उरोजों पर मुँह मार रहा था।
उत्तेजना से बौखलाये अजय का बलशाली पुरुषांग पद्मा की चूत को रौंद उसके होश उड़ाये दे रहा था।
अजय की हालत भी खराब थी. हे भगवान, ये चाची चोदने की सब कलाओं में पारंगत है. प्रणय क्रीड़ा के चरम पर खुद को महसूस कर अजय लण्ड को जोर जोर से मशीनी पिस्टन की भांति ताई की चिकनी चूत में भरने लगा. पद्मा खजुराहों की किसी सुन्दर मूर्ति के जैसी बिस्तर पर भतीजे और देवरानी के बीच पसरी पड़ी थी. गोरा गदराया शरीर अजय के धक्कों के साथ बिस्तर पर उछल रहा था.
पद्मा की चूत भतीजे के द्वारा चुद रही थीं चूचियां का मर्दन होरहा था और शोभा की चूत और चूचियां चूसी जा रही थी. शोभा ने अजय के लण्ड के साथ तालमेल बैठा लिया था. जब अजय का लन्ड ताई की चूत में गुम होता ठीक उसी समय शोभा अपनी चूचियों को बारी बारी से अजय के होंठों में दे देती. फ़िर जैसे ही अजय लन्ड को बाहर खींचता, वो भी अपनी चूची छुड़ा लेती। अजय तड़पकर रह जाता। चूत की दिवारों पर घर्षण से उत्पन्न आनन्द, लाल सुर्ख क्लिट से निकलते बिजली के झटके और अजय के हाथों में दुखते हुये बड़े बड़े स्तन, कुल मिलाकर अब तक का सबसे वहशीयाना और अद्भुत काम समागम था ये पद्मा के जीवन में.
अगले कुछ ही धक्कों के बाद दोनों अपने चरम सीमा के पास पहुंच गये. अब किसी भी क्षण वो अपनी मंजिल को पा सकते हैं. पहले पद्मा की चूत का सब्र टूटा. अजय के गले में "म्म्म." की कराह के साथ ही पद्मा ने शोभा की चूत को होठों मे दबा लिया. अजय के हाथों ने पहले से ही दुखते पद्मा के स्तनों पर दवाब बढ़ा दिया. जैसे ही उसे लन्ड में कुछ बहने का अहसास हुआ, उसने लन्ड से पद्मा की चूत पर कहर बरसाना शुरु कर दिया. बेतहाशा धक्कों के बीच पद्मा के गले से निकली घुटी हुई चीखें सुन नही सकता था. आर्गैज्म के बाद आते हल्के हल्के झटकों के बाद दिमाग सुन्न और शरीर निढाल हो गया. मानो किसी ने पूरी ऊर्जा खींच कर निकाल ली हो. परन्तु अभी तक अजय का लण्ड तनिक भी शिथिल नहीं हुआ था. बार बार धक्के मार कर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा था. शोभा रुक कर ये सब देख रही थी. बिचारा, अब ताई की झड़ती झटकती चूत उसे झेल नहीं पा रही थी. अजय ने ताई की चूत को आखिरी झटके तक तक आराम से चूत में धक्के मार मार के झड़ने दिया. अजय आनन्द के मारे कांप रहा था. उत्तेजना से भर कर अपने दांत शोभा चाची के सुन्दर नरम कंधों में गड़ा दिये. जब ताई की चूत में कोई हरकत न रही तो ताई की चूत में से अजय ने लन्ड के साथ चूत से बाहर निकाल लिया । जिससे "पॉप" की आवाज आयी। थकान से चूर होकर पद्मा बेसुध सो गयी।

क्रमश:………………
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दुलारा भतीजा
भाग -8





अजय ने चारों तरफ़ नज़र घुमा चाची को देखने का असफ़ल प्रयास किया. आंखें बन्द किये हुये भी उसके दिमाग में बस शोभा ही समाई हुई थी. माथे पर एक गीले गरम चुम्बन से अजय की आंखें खुलीं. शोभा उसके पीछे से वासना की देवी की तरह प्रकट हो ये आसन बनाया था. अपने खुले रेशमी बालों को अजय के सीने पर फ़ैला, होठों को खोल कर उसके होठों से भिड़ा दिया. शोभा चाची ने जब अपनी थूक सनी जीभ अजय के मुख में डाली तो जवाब में अजय ने भी अपनी जुबान को शोभा चाची के गरम मुख में सरका दिया. दोस्तों सम्भोग के समय होने वाली थूक के आदान प्रदान की ये प्रक्रिया बड़ी ही उत्तेजक एवं महत्वपूर्ण होती है. शोभा के स्तन अजय के सिर पर टिके हुये थे और अजय उनको अपने मुहं में भरने के लिये उतावला हो रहा था. चाची का गले का हार उसके गालों से टकराकर ठंडा अहसास दे रहा था. शायद इन्हीं विपरीत परिस्थितियों से निकल कर वो भविष्य में जबर्दस्त चुदक्कड़ बन पायेगा. और फ़िर भीषण चुदाई का अनुभव पाने के लिये घर की ही दो दो भद्र महिलाओं से ज्यादा भरोसेमंद साथी भला कौन मिलेगा?

अजय की गहरी आंखों में झाकते हुये शोभा ने उसके गालों को चूम लिया. इतने सालों तक चाची ने उसे कई बार चूमा था. कहीं वो सब भी तो...अजय ने भी प्रत्युत्तर में जीभ शोभा के चिकने गालों पर फ़िरा दी. अन्दर तक सिहर उठी शोभा चाची. अजय के खुले सिग्नल से उनकी चूत में चिकने पानी का दरिया बनना चालू हो गया. ठीक इसी तरह से अगर अजय मेरी चूत पर भी जीभ फ़िराये तो? पहली बार तो बस चूम कर रह गया था. आज इसको सब कुछ सिखा दूंगी, और इस तरह से पद्मा के लिये भी रोज चूत चुसाई का इन्तजाम हो जायेगा. इन्ही ख्यालों में डूबी हुय़ी शोभा भतीजे के सीने को सहलाने लगी.
अजय को आज बल्कि अभी इसी वक्त उनकी चूत को चाटना होगा तब तक जब तक की उन्हें आर्गेज्म नहीं आ जाता. शोभा ने हथेलिया अजय के सीने पर जमा बाल रहित चूत को उसके मुहं के ठीक ऊपर हवा में व्यवस्थित किया. अजय ने सिर को उठा जीभ की नोंक से चूत की पंखुड़ियों को सहलाया. अब शोभा की चूत अजय के मुहं में समाने के लिये तैयार थी शोभा ने अपनी टांगें चौड़ा दी ताकि नीचे बैठने में आसानी हो. अजय ने भी फ़ुर्ती दिखाते हुये चाची की नन्गी कमर को जकड़ा और सहारा दे उनकी खुली चूत को अपने मुहं के ठीक ऊपर रखा. शोभा ने धीरे ने एक नाखून पेट में गड़ा उसे इशारा दिया तो अजय ने अपनी जीभ चूत के बीच में घुसेड़ दी. आधी लम्बाई तक चाची की चूत में जीभ सरकाने के बाद अजय ने उसे चूत की फ़ूली दीवारों पर फ़िराया और फ़िर किसी रसीले संतरे के फ़ांक के जैसे शोभा की चूत के होंठों को चाटने लगा. शोभा को तो जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था पर अभी अजय की असली दीक्षा बाकी थी. शोभा ने दो उन्गलियों से चूत के दरवाजे को चौड़ाया और खुद आगे पीछे होते हुये अपनी तनी हुई चिकनी क्लिट को अजय की जीभ पर मसला. "हांआआआ.. आह", शोभा ने अजय को इशारा करने के लिये आवाज़ निकाली. जब अजय की जीभ क्लिट पर से हटी तो चाची शान्त बैठी रहीं. दुबारा अजय की जीभ ने जब क्लिट को सहलाया तो "हां.." की ध्वनि के साथ शोभा ने नाखून अजय के पेट में गड़ा दिया. कुछ "हां हां" और थोड़े बहुत धक्कों के बाद अजय समझ गया कि उसकी चाची क्या चाहती हैं. चाची की ट्रैनिंग पा अजय पूरे मनोयोग से उनकी चूत को चाटने चोदने में जुट गया. शोभा चाची हथेलियां अजय के सीने पर जमाये दोनों आंखें बन्द किये उकड़ू अवस्था में बैठी हुई थीं. उनकी पूरी दुनिया इस समय अजय की जीभ और उनकी चूत के दाने में समाई हुई थी. अजय की जीभ में जादू था. कितनी देर से बिचारी दूसरों के आनन्द के लिये कुर्बानियां दिये जा रही थी. लेकिन अब भी काफ़ी धीरज और सावधानी की जरुरत थी. चूत के दाने से उठी लहरें शोभा के पूरे शरीर में चींटी बन कर रेंगने लगी थीं. बार-बार अजय के सीने में नाखून गड़ा वो उसको रफ़्तार बढ़ाने के लिये उकसा रही थीं. दोनों चाची-भतीजा मुख मैथुन के मामले में अनुभवहीन थे
"आह..और तेज..तेज!", शोभा अपने नितंबों को अजय के ऊपर थोड़ा हिलाते हुये कराही.
दोनों आंखें बन्द किये शोभा पसीने से लथपथ जैसे किसी तपस्या में लीन थी. शोभा ने अजय के पेट पर उन्गलियों से छोटे घेरे बना जतला दिया कि उसे क्या पसन्द है. अजय भी तुरन्त ही चाची के निर्देश को समझ गया. जैसे ही उसकी जीभ सही जगह पर आती शोभा उसके जवान भरे हुये सीने पर चिकोटी काट लेती. अपनी चूत के मजे में उन्हें अब अजय के दर्द की भी परवाह नहीं थी.
"ऊह.. आह.. आह.. उई ईआआआ... आह", शोभा के मुहं से हर सांस के साथ एक सीत्कार भी छुटती. पागलों की तरह सारे बाल खोल जोर जोर से सिर हिलाने लगी थीं. शर्मो हया से दूर शोर मचाती हुई शोभा को दीन दुनिया की कोई खबर ना थी. अभी तो खुद अगर कमरे में उसका पति भी आ जाता तो भी वो अजय के मुहं को ना छोड़ती थी. अजय की जीभ इतने परिश्रम से थक गयी थी. क्षण भर के लिये रुका तो चाची ने दोनों हाथों के नाखून उसकी खाल में गहरे घुसा दिये "नहीं बेटा अभी मत रुक.. प्लीज...आह".
बेचारा अजय कितनी देर से दोनों औरतों की हवस बुझाने में लगा हुआ था. चाची तो अपने भारी भरकम चूतड़ लेकर उसके चेहरे के ऊपर ही बैठ गय़ीं थीं. फ़िर भी बिना कुछ बोले पूरी मेहनत से ताई और चाची को बराबर खुश कर रहा था. अजय का लन्ड थोड़ा मुरझा सा गया था. पूरा ध्यान जो चाची की चूत के चोंचले पर केन्द्रित था.
सब कुछ पूरी तरह से आदिम और पाशविक था. उसका अधेड़ मादा शरीर जैसे और कुछ नहीं जानता था. ना कोई रिश्ता, ना कोई बंधन और ना कोई मान्यता. कमरे में उपस्थित तीनों लोगों में सिर्फ़ वही अकेली इस वक्त मैथुन क्रिया के चरम बिन्दु पर थीं. उनकी इन स्वभाविक भाव-भंगिमाओं से किसी ब्लू-फ़िल्म की नायिकायें भी शरमा जायेंगी. अजय की समझ में आ गया कि अगर किसी औरत को इस तरीके से इस हद तक गरम कर दिया जाये तो वो सब कुछ भूल कर उसकी गुलाम हो सकती है. अजय के दिल में काफ़ी सालों से शोभा चाची के अलग ही जज्बात थे. चाची ने ही पहली बार उसके लण्ड को चूसा था और उससे चुद कर उसका कौमार्य भी भंग किया था. आज वही चाची दुबारा से उसे एक नयी काम कला सीखा रही थीं और अगर इस समय उसके कारण शोभा के आनन्द में जरा भी कमी हुई तो ये उसके लिये शर्म की बात होगी. बाद में वो शोभा को अपने दिल की बात बतायेगा कि अब उन्हें किसी और से चुदने की जरुरत नहीं है. चाचा से भी नहीं. उन्हें जो चाहिये जैसे चाहिये वो देगा. चाची की चूत को चाटने का हक अब सिर्फ़ उसका है. नादान अजय, ये भी नहीं जानता था कि चाची आज पहली बार ही मुख मैथुन कर रही है और वो ही उनकी जिन्दगी में ये सब करने वाला पहला पुरुष भी है. अब शोभा के सब्र का बांध टूटने लगा. दो-चार बार और अजय के जीभ फ़िराने के बाद शोभा चीख पड़ी "ओहहह!.. आहहहह.. मैं झड़ रही हूं.बेटा... आह आह.. हां हां हांआआआ" आखिरी हुम्कार के साथ ही उनकी चूत से चूत रस निकलने लगा चाची के कीमती आर्गैज्म की एक भी बूंद व्यर्थ ना हो, यही सोच अजय ने उनकी चूत के पपोटों को अपने होंठो के बीच दबा लिया.


चाची अब अजय को ऊपर खीच के उसका सीना फ़िर मत्था चूमने लगीं. आगे सरकने से उनके स्तन अजय के चेहरे पर आ गये थे. जब अजय के होठों ने नादानों की तरह गदराये बड़े बड़े स्तनों पर निप्पलों को तलाशा तो स्तनों मे अचानक उठी गुदगुदी से शोभा हंस पड़ी. कमरे के अन्दर का वातावरण अब इन प्राणियों के लिये काफ़ी सहज हो चला था. अजय अब सारी शर्म त्याग करके पूरी तरह से दोनों औरतों के मस्त बदन को भोगने के लिये तैयार हो चुका था. अब उन्हें भी अपने भतीजे अजय के साथ साथ किसी तीसरे प्राणी के साथ प्रणय क्रीड़ा करने में भी कोई संकोच ना था. शोभा की शरारतें भी रुकने का नाम नहीं ले रही थी. अजय के पेट का सहारा ले वो बार बार शरीर ऊपर को उठा अपने बड़े बड़े स्तनों को अजय के होठों की पहुंच से दूर कर देतीं. कभी अजय की जीभ निप्पलों पर बस फ़िर कर रह जाती तो बिचारे और उत्तेजित हो कर कड़क हो जाते. खुद ही उन दोनों तरसते यौवन कपोतों को अजय के मुहं में ठूस देना चाहती थी पर अजय की पूरी दीक्षा के लिये उसे औरतों पर बलपूर्वक काबू पाना भी सिखाना था. और अजय ने यहां भी उसे निराश नहीं किया. चाची की उछल-कूद से परेशान अजय ने दोनों हाथों से चाची के झूलते स्तनों को कस कर पकड़ा और दोनों निप्पलों को एक दूसरे से भिड़ा कर एक साथ दाँतों के बीच में दबा लिया मानों कह रहा हो कि अब कहां जाओगे बच कर.

शोभा ने हल्की हँसी के साथ आंखें बन्द लीं जैसे कि अजय की जिद के आगे समर्पण कर दिया हो। अजय उनके निप्पलों पर अपने होंठों से मालिश कर रहा था और इसी वजह से रह रह कर चाची की चूत में बुलबुले उठ रहे थे. शोभा आंखें बन्द करके सर उठाये सिसक सिसक कर अजय की करतूतों का मजा ले रही थी और उसकी टागें फ़ैलती जा रही थी. अजय ने देखा कि चाची की शानदार सुडोल संगमरमरी गुदाज और रेशमी चिकनी जांघों के बीच दूध सी सफ़ेद पावरोटी सी चूत अपने मोटे मोटे होठ खोले अजय के लण्ड को जैसे अधूरा काम पूरा करने को आमन्त्रित सा कर रही थी। अजय ने आमन्त्रण स्वीकार कर अपने हलव्वी लण्ड का फ़ौलादी सुपाड़ा उस पावरोटी सी चूत के मोटे मोटे होठों के बीच रखा।
“इस्स्स्स्स्स्स आआआह” चाची ने सिसकारी ली
अजय ने धक्का मारा और उसका लण्ड बुरी तरह से गीली चूत में एक ही धक्के मे समूचा अन्दर चला गया।
अजय उनका अपना भतीजा आज दुबारा उनके साथ सहवास रत हो रहा था.

"दीदी, दीदी..देखो", शोभा उत्तेजना के मारे चीख सी रही थी. "आपका भतीजा....आह.. आह...मेरा क्या हाल बना रहा है.. आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह. मर गईईईईईईईईईई", शोभा का पूरा शरीर कांप रहा था. थकान से चूर होकर पद्मा बेसुध सो गयी रही थी कि देर रात में बिस्तर की इन कराहों से उसकी आंख खुली. आंखों ने अजय को शोभा की टंगों के बीच में धक्के मारते देखा. शोभा ने चादर मुट्ठी में भर रखी थी और निचला होंठ दाँतों के बीच में दबा रखा था.
" अभी तक जी नहीं भरा इस का? मर ! इसी बर्ताव के लायक है तू "
अजय अपने बलिष्ठ शरीर के नीचे शोभा के मांसल गुदाज जिस्म को दबाये पुरी ताकत से रौंद रहा था. बिना किसी दया भाव के.. इसी बर्ताव के लायक है तू सोचते हुये पद्मा की आंखें फ़िर से बन्द होने लगी. गहन नींद में समाने से पहले उसके कानों में शोभा का याचना भरा स्वर सुनाई दिया.
"अजय,, बेटा बस कर. खत्म कर. प्लीईईईज. देख में फ़िर रात को आऊंगी.. तब जी भर के कर लेना। अब चल जल्दी से निबटा दे मुझे..जोर लगा". शायद उकसाने से अजय जल्दी जल्दी करेगा और दोनो जल्दी झड़ जायेंगे और वो उससे छूट कर थोड़ा सो पायेगी.
जब पद्मा दुबारा उठी तो बाथरुम से किसी के नहाने की आवाज आ रही थी. अजय पास में ही सोया पड़ा था. बाहर सवेरे की रोशनी चमक रही थी. शायद छह बजे थे. अभी उसका पति या देवर नही जागे होंगे. लेकिन यहां अजय का कमरा भी बिखड़ा पड़ा था. चादर पर जगह जगह धब्बे थे और उसे बदलना जरुरी था. तभी याद आया कि आज तो उसके सास ससुर आने वाले है. घर की बड़ी बहू होने के नाते उसे तो सबसे पहले उठ कर नहाना-धोना है और उनके स्वागत की तैयारियां करनी है.
पुरी रात रंडियों की तरह चुदने के बाद चूत दुख रही थी. गोरे बदन पर जगह जगह काटने और चूसने के निशान बन गये थे और बालों में पता नहीं क्या लगा था. माथे का सिन्दूर भी बिखर गया था. जैसे तैसे उठ कर जमीन पर पड़ी नाईटी को उठा बदन पर डाला और कमरे से बाहर आ सीढीयों की तरफ़ बढ़ी.
और जादू की तरह शोभा पता नहीं कहां से निकल आई. पूरी तरह से भारतीय वेश भूषा में लिपटी खड़ी हाथों में पूजा की थाली थामे हुये थी.
"दीदी, माँ बाबूजी आते होंगे. मैने सबकुछ बना लिया है. आप बस जल्दी से नहा लीजिये"
कहकर शोभा झट से रसोई में घुस गई, रात की तरह आज दिन भर भी उसे सास ससुर की खातिरदारी में अपनी जेठानी का साथ देना था.
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

Post by jay »

रंगीन हवेली
भाग 1




ठाकुर साहब की हवेली में हमेशा तीन खूबसूरत नौकरानियॉ चहकती रहती थी। ये तीनों नीरा बेला और शीला राजा ठाकुर विजयबहादुर ​सिंह की चहेती थी। नीरा का रंग गोरा कद ठिगना कमर पतली बड़े बड़े गोल बेलों सी चूचियां बड़े बड़े गुदाज चूतड़ शीला का रंग गेंहुँआ ताम्बई सिल्की चिकना बदन कद लम्बा कमर लम्बी केले के तने जैसी लम्बी थोड़ी भरी भरी मांसल जॉघें बड़े बड़े कटीले लंगड़ा आमों जैसे स्तन गोल बड़े बड़े उभरे हुए नितंब बेला का रंग गुलाबी कद बीच का बेहद गुदाज बदन तरबूज के जैसी बड़ी बड़ी चूचियों मोटी मोटी चिकनी गोरी गुलाबी जांघें भारी घड़े जैसे चूतड़ थे।
ठाकुर साहब की उम्र लगभग चालीस की थी। वे शादी शुदा भी थे। ठकुराईन भी लम्बी तगड़ी पर बेहद गोरी चिटटी व सुन्दर महिला थी। ठाकुर साहब व ठकुराईन दोनो ही बहुत रंगीन मिजाज थे और वो दोनो ही एक दूसरे के कामों में दखल नही देते थे। अधिकतर ठाकुर साहब हवेली के बाहर के हिस्से में रहते थे और ठकुराईन हवेली के अन्दर के घर मे रहती थी। इस समय रात के 10 बज रहे हैं। ठाकुर साहब की हवेली के सोने के कमरे मे उनकी अय्यासी का दरबार लगा था। ठाकुर साहब अपने लम्बे चौड़े पलगं पर अधलेटे थे उनके एक तरफ बेला और दूसरी तरफ शीला बैठी थी।टीवी पर एक ब्लू फिल्म लगी थी और सब लोग फिल्म देख रहे थे । थोड़ी देर में उसका असर होने लगा। ठाकुर के हाथ बेला और शीला के मांसल जिस्मों पर लापरवाही से घूमने लगे। थोड़ी देर में उनका बॉंया हाथ शीला की गरदन के पीछे से उसके ब्लाउज में कसे बड़े बड़े कटीले लंगड़ा आमो जैसे गुलाबी स्तनों में घुस गया और दॉंया हाथ बेला की गरदन के पीछे से उसकी ब्लाउज में कसी दूधसी सफेद तरबूज के जैसी बड़ी बड़ी चूचियों जोकि बड़े गले के ब्लाउज से फटी पड़ रही थी को सहला दबा व पकड़ने की कोशिश कर रहा था। नीरा उनकी गोद में उनके साढ़े सात इंच फौलादी लण्ड को बड़े बड़े गुदाज चूतड़ों के बीच में दबाये बैठी थी और अपने हाथों से उनका बदन सहला रही थी। ठाकुर ने एक हाथ में बेला का बेहद सफेद दूध सा विशाल उरोज व दूसरे हाथ में शीला का बड़े लंगड़ा आम के जैसा स्तन थामे थामे ही मुंह आगे बढ़ाकर नीरा के होठों से अपने होठ लगा दिये।तभी नीरा ने अपने ब्लाउज के बटन खोल कर अपने बायें उरोज का निपल उनके मुंह में दे दिया। वह पूरे जोश में थी ।
नीरा ठाकुर साहब के कपड़े खीचने लगी तो ठाकुर साहब ने नीरा का ब्लाउज नोच डाला और दोनों फड़फड़ाते बड़े बड़े दूध से सफेद कबूतरों पर मुंह मारने लगा नीरा के उरोज बिल्कुल कसे कसे बड़े बेल से थे। नीरा ने ठाकुर साहब के अन्डरवियर को भी खीचकर निकाल दिया। ठाकुर साहब का साढ़े सात इंच का फेोलादी लण्ड बिल्कुल टाइट खड़ा था । तीनों औरतें उनके मोटे लण्ड को देखकर बेहद खुश हो रही थीं। ठाकुर साहब ने बेला की तरबूज के मानिन्द बड़ी बड़ी सफेद चूचियों पर मुंह रगड़ते हुए पूछा क्या बात है नीरा आज बहुत मचल रही है। बेला ने नीरा के बड़े बड़े भारी चूतड़ों के बीच में हाथ डालकर ठाकुर साहब के साढे़ सात इंची फौलादी लण्ड को सहलाते हुए जवाब दिया असल में हम इसे चिढ़ाते थे कि तू सबसे आखीर मे चुदवाती है क्योंकि तू ठाकुर साहब की पहली चुदायी झेल नहीं सकती इसीलिए आज ये पहले चुदवाना चाह रही है।
ठाकुर साहब ने नीरा को गोद में उठाया और बेड पर लिटाते हुए कहा ठीक है अगर ऎसा है तो यही सही।
वो उसके बदन को चूमने लगा। नीरा उनके लण्ड को हाथ मे ले सहलाने लगी।अब उनका लण्ड और भी कड़क हो गया। ठाकुर साहब ने अब उसकी बड़ी बड़ी चूचियों के काले काले निपलो को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। नीरा के मुंह से सिसकारियॉ निकल रही थी । ठाकुर साहब का हाथ धीरे धीरे उसकी नाभी से होता हुआ चूत की तरफ बढ़ने लगा। उनके हाथ नीरा की गोरी पावरोटी सी फूली चूत को सहला रहे थे। उसने अपनी उंगली चूत के अन्दर बाहर करना शुरू किया। नीरा को बहुत ही मजा आ रहा था। थोडी देर मे उसने अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए सिसकारी भर कर बोली चोदा जाय मालिक अब बरदास्त नही होता । इधर बाकी दोनो औरते ठाकुर साहब का साढे सात इंच का फौलादी लण्ड पकड़कर बारी बारी से अपनी गोरी पावरोटी सी फूली चूतों पर मल रही थीं। जिससे लण्ड का सुपाड़ा उनकी चूतों के पानी से तर हो गया था।
वह उठा और उसने अपने भीगे लण्ड को नीरा की गोरी पावरोटी सी फूली चूत के मुँह पर रखा और धीरे से अन्दर की तरफ धक्का दिया। नीरा का बदन दर्द से कॉप गया। वह चिल्लाने लगी बाहर निकालो मालिक क्या खाते हो इतने सालो से चुदवा रही हूँ फिर भी जान निकाल देते हो। ठाकुर समा गया कि नीरा अब क्या चाहती है उसने उसके मुंह पर हाथ रखा और एक जोर का धक्का दिया। उसका पूरा का पूरा लण्ड अन्दर चला गया। नीरा फिर मचली लेकिन ठाकुर ने अपने लण्ड को अन्दर ही रहने दिया। उसने नीरा की चूची के निपल को अपनी जीभ से सहलाना शुरू कर दिया और दूसरी चूची को हाथ से सहलाने दबाने लगा। थोडी देर मे नीरा को मजा आने लगा। उसने अपनी कमर को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। ठाकुर धीरे धीरे अपने लण्ड को अन्दर बाहर करने लगा । थोडी देर मे नीरा ने भी जोरदार धक्के देने शुरू कर दिये और जब ठाकुर का लण्ड बुर मे रहता तो नीरा उसे कसकर जकड लेती थी और अपनी बुर को सिकोड़ लेती थी।अब ठाकुर नीरा पर औंधकर उसकी बड़ी बड़ी चूचियां को दोनो हाथो मे दबोचकर दबाते हुए जोर जोर से धक्का मारने लगा ।
नीरा ठाकुर से बुरी तरह से लिपट हुयी थी। उसने ठाकुर को बुरी तरह से जकड रखा था । सारे कमरे में सिसकारियों कि आवाज उठ रही थी। नीरा के मुँह से आह आह की आवाजें निकल रही थी । उसने और जोर से और जोर से बड़बड़ाना शुरू कर दिया। ठाकुर उसकी चिकनी संगमरमरी जांघों को दोनो हाथो से सहलाते नितंबों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए फुल स्पीड में चोदने लगा नीरा बुरी तरह से उससे चिपटने लगी। तभी ठाकुर ने तीन चार धक्के बहुत जोरदार ढ़ंग से हुमच हुमचकर लगाये ही थे कि नीरा झड़ने लगी और ठाकुर से बुरी तरह चिपक गयी। नीरा उसके ऊपर ही गिर कर हॉफने लगी। फिर नीरा उठकर बाथरूम की ओर चली गयी।

ठाकुर बेड पर लेटा रहा। वह थका कम नीरा के झड़ जाने से बौखलाया ज्यादा लग रहा था। उसका लण्ड अभी भी मुस्तैद खड़ा था और बुरी तरह फनफना रहा था क्योंकि झड़ा नहीं था। अब बेला और शीला उसपर झपटे और शीला ने लपककर उस फनफनाते लण्ड को थाम लिया। ठाकुर अपनी जगह उठकर और उन दोनो की चिकनी तांम्बई लाल केले के तने जैसी जांघों पर अपने हाथ फिराने लगा। शीला जो पहले से ही मदहोश थी वह अपने आप पर काबू नही कर पा रही थी। अब वह ठाकुर के सामने बिल्कुल नंगी खडी थी। ठाकुर शीला के सामने खड़ा हो गया। ठाकुर का लण्ड उसकी चूत की तरफ मुंह किये मुस्तैद खड़ा था और अभी पूरे मूड मे था। उसने झपटकर उसके बड़े बड़े कटीले लगंड़ा आमों जैसे उत्तेजना से तांम्बई लाल हो रहे स्तन थाम लिये और उन्हें बुरी तरह से चूमने लगा। शीला बेकाबू हो रही थी उसके हाथ में ठाकुर का लण्ड था जिसे वह दोनों हाथों से सहला रही थी। तभी ठाकुर ने शीला को टांगे फैलाने का इशारा किया। शीला ने टांगे फैलायी और एक पैर उठाकर बेड पर रख लिया जिससे चूत ऊपर उठकर ठाकुर के लण्ड के सामने आ गयी । बेला आमने सामने खडे़ ठाकुर और शीला के बीच मे बेड पर पैर नीचे लटकाकर बैठ गयी और उसने शीला के हाथ से ठाकुर के लण्ड को ले लिया ठाकुर बिल्कुल अचकचा गया जब बेला उसे शीला की चूत पर रगड़ने लगी। ठाकुर ने बेला की तरफ देखा बेला ठाकुर के लण्ड को अपने हाथ से शीला की चूत पर रगड़ रही थी।
उसने ठाकुर की तरफ देखा मुस्कुरायी और बोली मालिक आप अभी आधे रास्ते पर हो सो इसे भी निपटा लो फिर आखरी मुकाबला मेरा तुम्हारा इत्मिनान से होगा।
ठाकुर पूरे जोश मे आ गया और बोला ठीक है।
ठाकुर ने अपने बॉयें हाथ से शीला के बड़े बड़े गद्देदार चूतड़ों और दायें हाथ से उसके बड़े बड़े कटीले लगंड़ा आमों जैसे स्तनों को सहलाते हुए उनपर झुककर मुंह मारने लगा। बेला ने ठाकुर के लण्ड का हथौडे़ जैसा सुपाड़ा शीला की उभरी हुई चूत के मुहाने पर रखा और ठाकुर ने कमर उचकाकर सुपाड़ा अन्दर की ओर ठेला। उस जबरदस्त सुपाड़े के चूत में घुसते ही शीला के मुह से हूकसी निकली औफ्ओह।
ठाकुर उसके स्तनों के निपलों को बारी बारी अपने मुँह मे ले कर चुभलाकर चूसने लगा और दायें हाथ से स्तनों को दबाने और निपलों को मसलने लगा। शीला की चूत पनियाने लगी़ और सुपाड़ा अपनी जगह बनाता हुआ चूत में आगे बढ़ने लगा। ठाकुर ने अपने दोनों हाथ शीला के बड़े बड़े गद्देदार चूतड़ों पर लगाकर उन्हें अपने लण्ड की ओर दबाते हुए अपना पूरा फौोलादी लण्ड उसकी चूत में धांस दिया। शीला उत्तेजना भरी सिसकी ली इस्स्स्स्स्स्स्सीउउफ और धीरे धीरे अपनी कमर चलाने लगी । शीला का धड़ इतना लम्बा था कि बिना झुके ठाकुर का मुंह उसके स्तनों के ठीक सामने आ रहा था ठाकुर ने उसके बड़े बड़े कटीले लगंड़ा आमों जैसे स्तनों पर मुंह मारते निपलों को बारी बारी अपने मुँह मे ले कर चुभलाकर चूसते हुए अपनी स्पीड बढ़ायी । अब शीला और ठाकुर एक दूसरे मे पूरी तरह से समाने की भरपूर कोशिश कर रहे थे। शीला ने अपनी संगमरमरी बाहें ठाकुर के गले में डाल अपनी दोनों केले के तने जैसी जॉघें ठाकुर की कमर के चारो तरफ लपेट ली ठाकुर ने अपने दोनों मजबूत हाथों में शीला की संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को दबोचकर गोद में उठाया हुआ था और उसकी मांसल बाहों बड़े बड़े कटीले लगंड़ा आमों पर जॅहा तॅहा कभी मुंह मारते कभी उनके निपलों को होंठों दांतों मे दबा चूसते हुए चोद रहा था। शीला भी ऊपर से अपने गुदगुदे गददेदार चूतड़ उछाल उछाल कर ठाकुर की गोद में पटककर अपनी गोरी पावरोटी सी फूली चूत मे जड़तक लण्ड धॅंसवाकर पूरी स्पीड से चुदवा रही थी। पूरे कमरे मे सिसकारियों की आवाज गूँज रही थी।
अचानक शीलाउम्म्म्म्म्म्म्म्ह़ आहहहहहहहहहहहहहहह।
शीला अचानक बहुत जोरो से धक्के मारते हुए ारने लगी। उसने ठाकुर की कमर को उसने अपने पैरो से जकड़ लिया फिर वह थोडा ढीली पड गयी। ठाकुर शीला का लिये लिये ही बिस्तर पर गिर के जोरो से तीन चार शॉट लगाये और शीला की चूत मे जोरो से झरने लगा।

ठाकुर पुराना खिलाड़ी था। उसने एक ही बार में दो दो औरतों की शान्दार और तगड़ी चूतें अपने फेोलादी लण्ड से रौंदकर चोद डाली थी। वो थका हुआ लग रहा था बेला ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरायी वह समा गया और उसने बेला से एक गिलास गरम दूध लाने को कहा। वो उठकर दूध लाने जाने लगी। ठाकुर रसोई की तरफ जाती बेला को देख रहा था। वो पूऱी तरह नंगी थी उसकी गोरी गुलाबी भरी हुई चिकनी पीठ बड़े बड़े गुलाबी चूतड़ चलने पर थिरक रहे थे झुककर चीनी का डिब्बा उठाते समय बड़े बड़े गुलाबी चूतड़ों के बीच में से गोरी पावरोटी सी फूली चूत भी दिख गयी जिसे वो पहले भी चोद चुका था। पर तमाम चूते चोद चुकने के बाद आज भी उसे सबसे ज्यादा पसन्द थी ठाकुर ने देखा अब वो वापस आ रही थी । हाथों में थमे दूध के गिलास के दोनो ओर झाँकती थिरकती बड़ी बड़ी चूचियां मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी गोरी गुलाबी जांघों के बीच में से गोरी पावरोटी सी फूली चूत देख ठाकुर का लण्ड फिर से तरह खड़ा होने लगा जब बेला दूध का गिलास ठाकुर को पकड़ाने आगे को झुक़ी तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां फड़ककर और बड़ी व तनाव से भरी लगने लगी। ठाकुर ने लपक कर उनको दोनों हाथों मे दबोच लिया और बोला अब तू ही अपने हाथ से पिला दे और फिर मेरा कमाल देख।
बेला ठाकुर की गोद मे उनके साढ़े सात इंच फौलादी लण्ड को बड़े बड़े गुदाज चूतड़ों के बीच में दबाकर बैठ गयी अपने हाथ से दूध का गिलास ठाकुर के होंठों से लगा दिया। ठाकुर उसकी बड़ी बड़ी चूचियां सहलाते हुये दूध पीने लगा। दूध पीकर ठाकुर फिर से ताजादम हो गया।
बेला और ठाकुर दोनो बेड पर लेटे हुये थे। ठाकुर ने बेला के भरे भरे गुलाबी होंठों पर होंठ रख दिये फिर उसके होंठ बेला के टमाटर जैसे गालो से होते हुये गरदन और वहां से तरबूज के मानिन्द बड़ी बड़ी सफेद चूचियों पर जॅहा तॅहा मुंह मारने और कभी नुकीले निपलो को बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाने चूसने लगे।

बेला उसके लण्ड को अपने हाथो में लेकर उसे सहला रही थी। ठाकुर बेला के गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलने और सारे गोरे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारने लगा। ठाकुर का लण्ड अब पहले जैसा तगडा हो रहा था। वो ठाकुर के लम्बे फौलादी लण्ड को अपनी दोनों मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों के बीच दबाकर मसल़ने लगी। ठाकुर बेला की टांगो के बीच बैठ गया। उसने बेला की दोनो मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरे गुलाबी जांघों को फैलाया और अपने हाथो से बेला की गोरी पावरोटी सी फूली चूत को फैलाकर अपनी जीभ उसमें डाल दी । ठाकुर की जीभ बेला की चूत के अन्दर की दीवारों के साथ खेल रही थी। बेला अब बेचैन होने लगी थी। वो बोली अब चोदो ठाकुर हो जाए मुकाबला ठाकुर ने अपनी जीभ बेला की चूत से निकाली और वह अब चोदने को तैयार था। बेला ने दोनों हाथों से अपनी चूत की फांके फैेलायी ठाकुर ने अपने फेोलादी लण्ड का सुपाड़ा उसपर धरा और एक हल्का सा धक्का दिया बेला के मुँह से निकला-उफ़ आहहहहहहहहहहहहहह।
पर बेला ठाकुर से पीछे नहीं रहना चाहती थी सो उसने भी दॉत पर दॉत जमा कर धक्का मारा। दोनो पुराने खिलाड़ी थे पहले धीरे धीरे धक्के लगाने लगे जब बेला को भी मजा आने लगा तब वह नीचे से भारी नितंबों को उछाल कर सहयोग देने लगी। दोनो एक दूसरे को जोरो से धक्के दे रहे थे। कमरे में उन दोनो की सिसकारियॉ गूँज रही थी। तभी बेला ने ठाकुर को पलट दिया ऊपर चढ़कर ठाकुर के लण्ड को पकड़कर सुपाड़ा चूत पर धरा और धीरे धीरे पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया फिर बरदास्त करने की कोशिश में अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी पहले धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये जैसे जैसे मजा बढ़ा वो सिसकारियॉ भरने लगी और उछल उछलकर धक्के पे धक्का लगाने लगी उसके बड़े बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ ठाकुर के लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे उसकी गोरी गुलाबी बड़ी बड़ी उभरी चूचियां भी उछल रही थी जिनपर ठाकुर मुंह मारता तो कभी दोनों हाथों से पकड़ निपल चुभलाता तो कभी उछल कूद में वे फिर से छूट जाते करीब आधे घंटे तक ठाकुर बेला के गदराये गोरे गुलाबी नंगे उछलते जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचने बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों पर झपटने सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारने के बाद ठाकुर ने दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी उभरी चूचियां पकड़कर एक साथ दोनों निपल मुंह में दबा लिये और उसके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड़ने लगा तभी बेला के मुंह से जोर से निकला उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्हहहहहहहहहहह वो जोर जोर से उछलते हुए अपनी पावरोेटी सी फूली चूत में जड़ तक ठाकुर का लण्ड धॉंसकर और उसे लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए वो भी झड़ते हुए बेला ठाकुर के ऊपर ही औंध गयी। ठाकुर ने बेला के गुदाज़ जिस्म को बॉहो में जकड़ लिया। झड़ चुकने के बाद दोनो एक दूसरे को बॉहो में लिये हुये लेट गये। दोनो एक दूसरे की बाहों मे पडे हॉफ रहे थे कि नीरा और शीला भी आकर उनसे लिपट गयी और सभी एक दूसरे की बाहों में लिपटे सो गये।
दूसरे दिन जब तीनो औरते सोकर उठी तो जल्दी जल्दी कपडे़ पहनकर हवेली के घर मे जाने लगी। उन्होने देखा कि उनके आदमी अन्दर से निकलकर बाहर के हिस्से मे जारहे हैं सब एकदूसरे को देख कर मुस्कुराये और अपने रास्ते चले गये।
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jay
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

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रंगीन हवेली
भाग 2
ठकुराईन का इन्साफ़




दरअसल ठाकुर रोज रात मे हवेली की किसी एक औरत को चोदने के लिये बुलवाता था लेकिन सप्ताह मे एक बार अय्यासी का दरबार लगाता था। जब पहली बार इन तीनों को एक साथ बुलवाया था तो इनके आदमी फरियाद लेकर ठकुराईन के पास गये थे।ठकुराईन के पूछने पर बेला के पति बलदेव उर्फ‍ बल्लू ने डरते हुए कहा –
“मालकिन अभी तक तो ठाकुर साहब हम मे से किसी एक की औरत को अपनी सेवा मे बुलवाते थे हमे कोई एतराज नहीं क्योंकि हमारा तो काम ही आप सबकी सेवा करना है और हमारी औरतो की तरह हम सब भी दोस्त हैं सो अगर तीन मे से दो भी घर मे हो तो हमारा भी काम चल जाता था क्योंकि हम सब भी मर्द हैं हमें भी रात मे औरत की जरूरत पड़ती है।”
सुनकर ठकुराइन मुस्कुरायी उन्होंने एक भरपूर नज़र तीनो मर्दों पर डाली नीरा का पति नन्दू ठिगना पर मजबूत जिस्म का मालिक था शीला का पति धीरा लम्बा तगड़ा बाडीबिल्डर जैसा था बल्लू का कद बीच का बदन तगड़ा कसरती पर थोड़ा भारी था फिर ठकुराइन मुस्कुराते हुए बोली –
“ ठीक तुम लोग अभी काम से आये हो थके होगे नहाधो आओ तुम्हारा इन्साफ़ होगा।”
जब वे नहाधोकर आये तो देखा ठकुराइन के कमरे मे उनके पलंग से अलग एक बहुत बड़ा गददा बिछा है उसपर गाव तकिया लगाये ठकुराइन मुस्कुराते हुए अपनी पीठ के बल अधलेटी हैं उनके बदन पर कपड़ों के नामपर सिर्फ़ पेटीकोट ब्लाउज थे। जिसमें से उनका गदराया गुलाबी बदन जगह जगह से झॉक रहा था। उनके बड़े गले के लोकट ब्लाउज में से उनके बड़े बड़े उरोज फ़टे पड़ रहे थे इन तीनों को देखकर मुस्कुराते हुए बोली –
“आओ आओ बैठो बैठो। अब मुझे विस्तार से बताओ कि ठाकुर साहब के कमरे मे तुमने क्या देखा।”
तीनो ने एक दूसरे की तरफ़ देखा फिर नन्दू ने कहना शुरू किया –
“अब क्या बताये मालकिन मैने देखा ठाकुर साहब की नंगी गोद में नीरा पेटीकोट ऊपर किये अपने बड़े बड़े गुदाज नंगे चूतड़ों के बीच में उनके साढे सात इंची हलव्वी लण्ड को दबाये बैठी थी।”
ठकुराइन मुस्कुराते हुए बोली –
“अरे तेरा हिसाब साफ़ करना तो बहुत ही आसान है।”
यह कहकर उन्होंने खीचकर उसे बगल में बैठा लिया और झटके से उसकी धोती खीचकर निकाल दी फिर अपने दोनों हाथों से धीरे धीरे अपना पेटीकोट ऊपर उठाने लगी पहले उनकी पिण्डलियाँ फिर मोटी मोटी चिकनी गोरी गुलाबी जांघें बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ दिखे और फिर पावरोटी सी फूली दूधिया मलाई सी सफेद बिना बालों चूत देखकर तीनों दंग रह गये। अपना पूरा पेटीकोट ऊपर समेट कर नन्दू की नंगी गोद में बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतड़ों को रखकर बैठ गयीं। फिर बोली –
“अब बताओ फिर क्या हुआ।”
ठकुराइन का यह मस्ताना रूप देखकर उनकी हिम्मत बढ़ी और धीरा बोला –
“हमने देखा ठाकुर साहब के एक तरफ़ शीला और दूसरी तरफ़ बेला बैठी थी । ठाकुर साहब के हाथ उनकी गरदनों के पीछे से होकर उनके ब्लाउज में घुसे हुए थे और उनके उरोजों से खेल रहे थे।”
ठकुराइन चहकी –
“अरे ये तो और भी आसान है आ जाओ दोनों फ़टाफ़ट।” इतना सुनना था कि दोनों ठकुराइन की तरफ झपटे। ठकुराइन के ब्लाउज में एक तरफ से धीरा ने हाथ डाला और दूसरी तरफ से बल्लू ने । ठकुराइन के ब्लाउज के बटन चुटपुटिया वाले थे कसा ब्लाउज दो दो हाथों का तनाव बरदास्त नहीं कर पाया चुटपुटिया वाले बटन एकदम से सारे के सारे खुल गये और उनके बड़े बड़े खरबूजों जैसे गुलाबी स्तन कबूतरों की तरह फ़डफ़ड़ा़कर बाहर आ गये। धीरा और बल्लू अपने दोनों हाथों से उनके एक एक विशाल स्तन को थाम कर उनके निप्पल को कभी चूसने लगते तो कभी अपने अंगूठो और अंगुलियो के बीच मसलने लगते। उधर नन्दू का लण्ड ठकुराइन के बड़े बड़े गुलाबी भारी चूतडों के बीच साँप की तरह लम्बा होकर उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत तक फैल रहा था। वो ठकुराइन के गोरे गुलाबी गुदाज कंधों पर मुंह मार रहा था उनकी गोरी गदरायी कमर को सहलाते हुए उनके गुदगुदे चिकने पेट और नाभी को टटोल रहा था और उनकी गोल नाभी में उंगली डाल रहा था। ठकुराइन सिसकारी भरते हुए बोली –“इस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स आहऔर बताओ आगे क्या हुआ।”
धीरा और बल्लू ठकुराइन के बड़े बड़े गुलाबी कबूतरों को सहलाते और अपने अंगूठो और अंगुलियो के बीच उनकी चोंच मसलते हुए बोले –
“पता नहीं मालकिन क्योंकि फिर हम चले आये आपके पास फ़रियाद लेकर।”
ठकुराइन ने चुटकी ली –
“ अभी तो कह रहे थे कि तुम भी मर्द हो क्या अन्दाज़ा नहीं लगा सकते।”
यह कहते हुए उन्होंने झटसे उनकी धोतियॉं खीचकर निकाल दी अब उनके नीचे के बदन बिलकुल नंगे थे ठकुराइन ने देखा कि उनके औजार बार बार हवा में ऊपर नीचे हो रहे हैं। ठकुराइन भी हवा में लहराते फौलादी लण्डों को देखकर मस्त हो रही थी। उन्होंने अपने दोनों हाथों में उनका एक एक लण्ड थाम लिया और सहलाने लगी। ठकुराइन के ऐसा करने से वे और भी जोश में आ गये और उनकी बड़ी बड़ी चूचियॉं को जोर जोर से दबाने और उनके निप्पल को कभी चूसने कभी चुभलाने लगे। तभी नन्दू ने ठकुराइन की गोरी पावरोटी सी फूली चूत को फैलाया और अपनी अंगुली उसमें डाल दी ठकुराइन के मुंह से एक सिसकारी सी निकली वो अपने होंठों को दांतों में दबाये थी। वह अपने आपको रोक नही पा रही थी। वह नन्दू को उत्साहित कर रही थी। नन्दू का लण्ड भी चूत के लिए तड़प रहा था। अचानक ठकुराइन उठ गयी और पलट कर नन्दू की तरफ घूम कर फिर से उसकी गोद में बैठ गयीं। ऐसा करने से उनकी चूचियॉं धीरा और बल्लू के हाथों से छूट गयी नन्दू ने उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को देखा धीरा और बल्लू ने चूचियों को दबादबाकर निपलों को मसल़मसल़कर और होंठों से चूसकर लाल कर दिया था। उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघों भारी नितंबों के बीच मे उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का मुंह खुला था और उसके फौलादी लण्ड का सुपाड़ा चूत के मुंह की दोनों फूली फांको की तरफ़ मुंह उठाये था । नन्दू की उत्तेजना आपे से बाहर हो रही थी उसने झपट़कर दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी चूचियों दबोच ली और उठकर उनपर मुंह मारने लगा । अब ठकुराइन ने नन्दू के लण्ड को पकड़कर सुपाड़ा चूत पर धरा और धीरे धीरे पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया फिर बरदास्त करने की कोशिश में अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी पहले धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये जब मजा बढ़ा तो उन्होंने अपने दोनों हाथों में धीरा और बल्लू का एक एक लण्ड थाम लिया और वो सिसकारियॉं भरते हुए उछल उछलकर धक्के पे धक्का लगाने लगी उनके बड़े बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ नन्दू के लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे उनकी गोरी गुलाबी बड़ी बड़ी उभरी चूचियां भी उछल रही थी जिन्हें नन्दू कभी मुंह से तो कभी दोनों हाथों से पकड़ने की कोशिश करता कभी पकड़ में आ जाते तो कभी उछल कूद में फिर से छूट जाते करीब आधे घंटे तक की उठापटक में नन्दू ने उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे उछलने जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचने बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों पर झपटने सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारने के बाद दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी उभरी चूचियां पकड़कर एक साथ मुंह में दबा ली और उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड़ने लगा तभी ठकुराइन के मुँह से जोर से निकला –“उम्म्म्म्म्म्म्म्हहहहहहहहहहह
वो जोर से उछली और अपनी पावरोटी सी फूली चूत में जड़ तक नन्दू का लण्ड धॅंसा लिया और चूत को लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए वो भी झड़ने लगी।
धीरा व बल्लू के लण्ड अभी भी उन्होंने अपने हाथों में पकडे हुए थे जो बुरी तरह फनफना रहे थे। खासतौर से धीरा और उसका लण्ड बुरी तरह फनफना रहा था उसकी हालत बहुत खराब थी यह हालत देखकर ठकुराइन मुस्करायी –
“घबराओ नहीं मैं अभी आधी ही झड़ी हूँ और एक रात में मैं कम से कम दो राउण्ड तो चुदवाती ही हूँ।”
बल्लू ने धीरा और ठकुराइन की तरफ देखा और बोला,“तो फिर ठीक है मालकिन आप अभी आधे रास्ते पर हो सो इसे भी निपटा लो मैं इत्मिनान से दूसरे राउण्ड में चोदूँगा क्योकि आधे राउण्ड से मेरा काम नहीं चलता।”
ठकुराइन मुस्कराते हुए बोली “अच्छा ये बात है तो फिर तैयार रहना ।”
उन्होंने धीरा को इशारे से बुलाया धीरा उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म और लाल पड़ गयी बड़ी बड़ी चूचियों को देख रहा था वह उनके निप्पल को अपने मुंह मे लेकर चुभलाने और अपनी जीभ से खेलने लगा। ठकुराइन ने अपनी नंगी नर्म चिकनी संगमरमरी जांघों को अलग किया उनके के बीच मे दबी अपनी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का लाल मुंह अपने दोनो हाथों से खोल कर दिखाते हुए कहा आजा प्यारे धीरा चूत तैयार है धीरा ने चूत के मुंह की दोनों फूली फांको के ऊपर अपने फौलादी लण्ड का सुपाड़ा धरा और उसे चूत पर रगड़ने लगा। थोड़ी देर में ठकुराइन मारे उत्तेजना के आपे से बाहर हो गयीं और सिसकारियॉं भरने लगी और बोली अब जल्दी डाल। धीरा समझ गया उसने झपट़कर दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी चूचियाँ दबोच उनके ऊपर झुककर गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखकर लण्ड का सुपाड़ा चूत मे धकेला सुपाड़ा अन्दर जाते ह़ी उनके मुँह से निकला “ओहहहहहहहहहहह शाबाश धीरा सुपाड़ा तगड़ा है अब बाकी लण्ड भ़ी डाल कर दिखा।”
धीरा बड़ी बड़ी चूचियों को जोर जोर से दबाने गुलाबी होंठों को चूसने लगा। ठकुराइन की चूत एक लण्ड से चुदने के बाद भी बेहद गरम थी। धीरा को ऐसा लग रहा था जैसे लण्ड अन्दर खिचा जा रहा हो या चूत अपने मुंह की दोनों फूली फांको मे लण्ड दबाकर उसे अन्दर चूस रही हो। पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी ठकुराइन के मुँह से निकला- “आहहहहहहहहहहहहहहह आह वाहहहह शाबाश लगा धक्का।”
धीरा ने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर वापस धक्का मारा दो तीन बाहर ह़ी धीरे धीरे ऐसा किया था कि ठकुराइन के मुँह से निकला- “अबे थोड़ा जोर जोर से। शाबाश लगा धक्के पे धक्का धक्के पे धक्का चोद ठकुराइन की चूत को उधर तेरी बीबी ठाकुर साहब के लण्ड से जम के मजे ले रही होगी। तू भी मजे ले उनकी बीबी की चूत चोद के। मेरी चूचियों और जिस्म का रस चूस और जोर जोर से चोद।”

धीरा मारे उत्तेजना के आपे से बाहर हो जोर जोर से धक्के पे धक्का लगाकर चोदने लगा उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलने और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारते हुए चोदने लगा हर धक्के पे उनके मुंह से आवाजें आ रही थी-
आह आहहहह उम्म्म आहहहहहहहहहहहहहहह उम्म्म्ह

उनकी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को देख धीरा पागल हो रहा था ठकुराइन ने अपनी दोनों टांगे हवा मे फैला दी जिससे लण्ड उनकी चूत की जड़ तक धॉंसकर जा रहा था फिर उन्होंने दोनों टांगे उठाकर धीरा के कंध़ों पर रख दी अब हर धक्के पे उनकी चिकनी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ धीरा की जांघों और लण्ड के आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे जिससे फट फट की आवाज आ रही थी। लम्बे चौड़े धीरा ने दोनों हाथों में उनकी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को दबोचकर उन्हें गोद में उठा लिया और खड़ा हो गया। उनके गुलाबी मांसल बाहों बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों पर जॅहा तॅहा कभी मुंह मारते कभी उनके निपलों को होंठों दांतों मे दबा चूसते हुए चोदने लगा ठकुराइन भी ऊपर से अपने गुदगुदे गददेदार चूतड़ उछाल उछाल कर गोरी पावरोटी सी फूली चूत मे जड़तक लण्ड धॅंसवाकर चुदवा रही थी। करीब आधे घंटे तक पागलों की तरह उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलते तो कभी दांतों मे दबा निप्पलो को तो कभी बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाते व चूसते हुए और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर संगमरमरी जांघ़ों और भारी चूतड़ों पर जहॉ तहॉं मुंह मारते हुए चोदने के बाद ऐसा लगा कि अचानक दोनो के जिस्म ऐठ रहे हों तभी धीरा ने ठकुराइन को नीचे गद्दे पर लिटा दिया और हुमच हुमचकर धक्के मारने लगा कि अचानक तभी ठकुराइन ने जोर से अपने चूतड़ों को उछाला और धीरा ने अगला धक्का मारा कि उनके जिस्मों से जैसे लावा फूट पडा़ ।
ठकुराइन के मुंह से जोर से निकला- उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्फ्फहहहहहहहहहहह ।
वो नीचे से अपनी कमर और चूतड़ों का दबाव डालकर अपनी चूत मे जड़ तक धीरा का लण्ड धॉंसकर झड़ रही थी और धीरा भी उनके गदराये जिस्म को बुरी तरह दबाते पीसते हुए दोनों हाथों में उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड़ रहा था। दोनों निढाल हो एक दूसरे के ऊपर पड़ गये।
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

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थोड़ी देर में ठकुराइन उठी और बोली हाय बल्लू मैं तो बहुत थक गयी हूँ अब मैं गरम पानी से स्नान करूंगी तभी थकान उतरेगी ।
बल्लू ने कहा ठीक है मालकिन चलिये मैं भी आपकी मदद करता हूँ ।
वो देख रहा था कि ठकुराइन का जिस्म डबल चुदाई की थकान से निढाल है। उसने उनकी दोनों बगलों में हाथ डाल सहारा देकर ठकुराइन को उठने में मदद की। बगलों में हाथ डालकर उठाने में ठकुराइन की बड़ी बड़ी चूचियां भी बल्लू के हाथों में आ गयी। वो उनकी तरफ़ देखने लगा। बल्लू को अपनी तरफ़ देखता पा कर ठकुराइन बोली, “क्या देख रहा है बल्लू।”
बल्लू ने जवाब दिया- “कुछ नहीं मालकिन देख रहा था कि सालों ने रगड़कर सारा कोमल बदन लाल कर दिया है।” ठकुराइन ने मुस्कराते हुए बल्लू के फ़नफ़नाते फौलादी लण्ड को थामकर सहलाते हुए जवाब दिया- “तू घबरा मत अभी ठकुराइन में बहुत दम है अभी गरम पानी से स्नान करने के बाद दूसरा राउण्ड पूरा का पूरा तेरा। अगर उसके बाद भी दम बचे तो सारी रात अपनी है।”
बल्लू मान गया कि दो जबरदस्त फौलादी लण्डों से चुदवाने के बाद भी ठकुराइन तीसरे से चुदवाने का दम रखती है और अपने ठाकुर साहब से किसी तरह कम नहीं है।
ठकुराइन आगे आगे और वो पीछे पीछे बाथरूम की तरफ़ जाने लगे। बल्लू बाथरूम की तरफ जाती ठकुराइन को देख रहा था। वो पूऱी तरह नंगी थी उसकी गोरी गुलाबी भरी हुई चिकनी पीठ बड़े बड़े गुलाबी चूतड़ चलने पर थिरक रहे थे। बाथरूम में पहुँचकर ठकुराइन टब का फव्वारा चलाने के लिए झुककर उसकी टोटी घुमाने लगी। झुकी हुयी ठकुराइन बड़े बड़े गुलाबी चूतड़ों के बीच में से गोरी पावरोटी सी फूली चूत दिखी जिसे वो चोदने वाला था। ठकुराइन टब में घुस गयी ओर बल्लू एक हाथ में फव्वारा लेकर दुसरे हाथ से ठकुराइन का संगमरमरी गदराया बदन मलमलकर नहलाने लगा। बल्लू के मर्दाने हाथ बड़े बड़े उरोजों पर फिसल रहे थे। मर्दाने हाथों के स्पर्श से ठकुराइन को हल्की मालिश का मजा आ रहा था और वो फिर से उत्तेजित होने लगी थी। थोड़ी देर में बल्लू ने देखा कि ठकुराइन के उभरे हुए बड़े बड़े खरबूजों जैसे गुलाबी स्तन और भी उभारदार व गोल हो गये। उनके निप्पल कठोर और बड़े बडे़ हो गये थे उसे मालुम था कि ऐसा तब होता है जब औरत बेहद उत्तेजित हो जाती है। वो देख रहा था कि पानी की बूंदे उनके नंगे गदराये गोरे गुलाबी जिस्म संगमरमरी बाहों बड़े बड़े उरोजों पर मोती के समान चमक रही थी। ये मोती उनक़ी बड़ी बड़ी चूचियों के निप्पलो से भी टपक रहे थे। जिन्हें बल्लू होंठों से पकड़कर चूसने लगा निप्पलो को बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाने चूसने लगा बल्लू के बल्लू के मरदाने हाथ उनकी मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों उनके बीच में उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत से होते हुए भारी नितंबों सुन्दर टांगों पर फिसल रहे थे। बल्लू के होंठ ठकुराइन के बड़े बड़े उरोजों गदराये पेट गोल नाभी से फिसलकर पावरोटी सी फूली दूधिया मलाई सी सफेद बिना बालों वाली चूत जोकि धुलकर और भी कमसिन लगरही थी पर पहुंचे। बल्लू ने चूत होंठों में दबाकर चूसते हुए कहा- “हाय मालकिन मैनें कभी सोचा भी नहीं था कि चूत इतनी सुन्दर दूधिया मलाई सी सफेद बिना बालों वाली हो सकती है। आपकी इतनी सुन्दर चूत और बेला मेरी बीबी बता रही थी ठाकुर साहब का लण्ड भी जबरदस्त है फिर ठाकुर साहब क्यों हर रात दूसरी दूसरी औरतों को चोदते हैं।”
ठकुराइन ने बल्लू के होंठों में दबी चूत चुसवाते हुए सिसकी ली – “स्स्स्स्स्स्स्सी हाय बल्लू आखिर बिचारी दूसरी शानदार चूतों को भी तो ठाकुर साहब के जबरदस्त लण्ड का मजा मिलना चाहिये और उसी तरह तेरे जैसे जबरदस्त लण्डों को भी मेरी इस तेरे कहे मुताबिक दूधिया मलाई सी सफेद बिना बालों वाली चूत में हिस्सा मिलना चाहिये।”
यह कहकर ठकुराइन ने बल्लू का साढ़े सात इंच का फ़ौलादी लण्ड थाम लिया और बल्लू का मुंह अपनी चूत से हटा कर लण्ड का हथौड़े जैसा सुपाड़ा अपनी फूली चूत पर रगड़ने लगी बल्लू ने अपना एक पैर टब की दीवार पर जमाया और उस पर ठकुराइन ने अपनी संगमरमरी जांघ चढ़ायी अब लण्ड का सुपाड़ा ठीक चूत के मुंह पर था ठकुराइन ने लण्ड अपनी चूत पर लगाया बल्लू ने अपने दोनो हाथों की उंगलियां उनके भारी चूतड़ों पर जमा लण्ड उचकाया तो सट से पूरा लण्ड अन्दर चला गया। पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी ठकुराइन ने सिसकारी भरी उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्मह । बल्लू ने अभी तीन चार धक्के ही मारे थे कि ठकुराइन बोल पड़ी- “उफ़ मुझे कमरे में ले चलो बल्लू राजा मैं तुमसे इतमिनान से चुदवाना चाहती हूँ।”
बल्लू बोला- “ठीक है मालकिन।”
उसने लण्ड चूत के अन्दर ही रहने दिया और ठकुराइन को वैसे ही गोद में उठा लिया। ठकुराइन ने अपनी दोनो टॉगें उसकी कमर से लपेट ली और अपनी संगमरमरी सुडोल मांसल बाहें गले में डाल दी। उनके बड़े बड़े खरबूजों जैसे गोल गोल गुलाबी स्तन बल्लू के गालों से टकरा रहे थे। बल्लू अपने दोनो हाथों की उंगलियां उनके भारी गुदाज चूतड़ों पर जमाये हुए उन्हें कमरे की तरफ़ ले चला । चलने से लगने वाले हिचकोलों से बल्लू का लण्ड ठकुराइन की चूत में थोड़ा अन्दर बाहर हो रहा था। कमरे में पहुँचकर उन्होंने देखा नन्दू और धीरा जमीन वाले से गद्दे से उठकर पलंग पर सो रहे हैं।
ठकुराइन को हॅंसी आगयी वो बोली-“ काफ़ी समझदार हैं साले हमारे चुदायी के खेल के लिए पूरा ही गद्दा खाली कर दिया।”
फिर वो हॅंसते हुए बल्लू की गोद से उतर गयी जिससे बल्लू का लण्ड ठकुराइन की चूत से झटके से निकल गया बल्लू के मुँह से “हाय” निकल गयी। उसने एक तौलिया बल्लू को दिया क्योंकि वो भी भीग गया था दूसरे से अपना बदन पोंछने लगी। बदन पोंछकर दोनों गद्दे पर आ गये। बल्लू का लण्ड मीनार की तरह खड़ा था। ठकुराइन और बल्लू ने एक दूसरे की तरफ करवट ली बल्लू ठकुराइन की बड़े बड़े उरोजों और निप्पलों को टटोलते हुए बोला “हाय मालकिन अब तो शुरू करें।”
ठकुराइन ने अपनी बाईं टांग बल्लू की जांघ के ऊपर चढ़ा दी बल्लू के लण्ड का सुपाड़ा ठकुराइन की संगमरमरी जांघों के बीच पावरोटी सी फूली चूत के मॅुह के ठीक सामने आ गया। दोनों पुराने खिलाड़ी थे ठकुराइन ने लण्ड हाथ से पकड़ कर सुपाड़ा ठिकाने से लगाया और पूछा क्या ऐसे डालकर चोद सकते हो। जवाब में बल्लू ने धक्का मारा। पूरा का पूरा लण्ड अन्दर चला गया ठकुराइन के मुँह से निकला –
ओहहहहहहहहहहह भई वाह।
बल्लू उनके निप्पल को अपने मुँह मे लेकर चुभलाते और अपनी जीभ से खेलते हुए धीरे धीरे कमर चला कर रगड़ते हुए चोदने लगा। बल्लू के दोनो हाथों की उंगलियॉं ठकुराइन की गुदाज़ पीठ और मोटी मोटी संगमरमरी चिकनी जांघों को सहला गद्देदार भारी नितंबों को दबा रही थी करीब आधे घंटे तक दोनो गद्दे भर में लोट ते हुए चुदायी करते रहे कभी ठकुराइन ऊपर तो कभी बल्लू ऊपर कि अचानक बल्लू ठकुराइन को ऊपर करके खुद नीचे हो गया दोनो की नजर मिली बल्लू ने कुछ इशारा किया तो ठकुराइन उठकर बैठ गयी। अब उनके गद्देदार भारी चूतड़ बल्लू की जांघों पर आ गये। बल्लू ने बड़ी बड़ी चूचियां थाम कर कमर उचकायी तो ठकुराइन अपने आपको उछलने से रोक नहीं पायी और उसकी कमर की ताकत का लोहा मान गयीं। ठकुराइन को उछालकर बल्लू ने अपनी कमर रोकली तो लण्ड बाहर आने लगा जैसे ही बल्लू ने महसूस किया कि सुपाड़ा बाहर निकलने वाला है उसने हाथों में थमी बड़ी बड़ी चूचियां नीचे खीच ली।ठकुराइन का जिस्म अपने वजन के साथ नीचे आकर गिरा पावरोटी सी फूली चूत में जड़ तक बल्लू का लण्ड धॅंस गया जांघें और भारी चूतड़ बल्लू की कमर जांघों और लण्ड के आस पास जोर से टकराये ठकुराइन जैसी जबरदस्त चुदक्कड़ औरत भी उफ़ कर गयी। लेकिन ठकुराइन को मजा भो बहुत आया वो बोली –
“हाय बल्लू फिर ऐसे ही कर।”
बस फिर क्या था बल्लू ने अपनी कमर के जोर से ठकुराइन की पावरोटी सी फूली चूत उछाल उछालकर अपने लण्ड पर पटक पटक कर चोदी।
बल्लू करीब आधे घंटे तक उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे उछलते जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचता तो कभी बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों पर झपटता और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारता रहा। काफी उठापटक के बाद बल्लू ने दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी उभरी चूचियां पकड़कर दोनो निपल एक साथ मुंह में दबा लिये फिर दोनों हाथों मे उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड़ने लगा तभी ठकुराइन के मुँह से जोर से निकला- उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्ह आहहहहह

और फिर जोर से उछलकर हुए अपनी पावरोटी सी फूली चूत में जड़ तक बल्लू का लण्ड धॉंसकर और उसे लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए वो भी झड़ने लगी । दोनों एक दूसरे की बाहों मे पडे हॉफ रहे थे एक दूसरे की बाहों में लिपटे लिपटे ही सो गये।
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