सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

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jay
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Re: सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ

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रंगीन हवेली
भाग 3
शुरुआत



ठाकुर साहब शुरू से ही अय्याश थे और शिकार पर भी जाते थे। उन्होंने अपने इन शौकों की जानकारी ठकुराइन को भी शुरू से ही दे रखी थी ताकि कोई बवाल न खड़ा हो। जवाब में ठकुराइन ने जता दिया था कि वे भी आजाद खयाल की हैं तो ठाकुर बहुत खुश हुआ और उसने ठकुराइन को भी मनमानी करने की छूट दे दी। आजकल बेला की लड़की आशा ठाकुर के शिकार के लश्कर के साथ जाती है तो उस दिन जय बहादुर जोकि छोटे ठाकुर कहे जाते हैं ठकुराइन का बिस्तर गरम करते है इस की भी एक अलग ही कहानी है। हुआ यों कि उन्हीं दिनों ठाकुर साहब का दूर के रिश्ते का भाई जय बहादुर जिनके मॉबाप अब इसदुनियॉ में नहीं हैं उनके के यहॉं रह कर पढ़ने के लिए आया। जय मात्र 17 साल का था। उम्र में छोटा और रिश्ते में ठाकुर साहब का छोटा भाई लगने के कारण लोग उन्हें छोटे ठाकुर कहने लगे। एक दिन मनचली ठकुराइन ने नहाते समय उसका 7 " हथियार देख लिया बस उन्हें ठाकुर से मिली खुली छूट की शुरूआत का आसान रास्ता मिल गया।
अब ठकुराइन बड़े प्यार से छोटे ठाकुर जय का ख्याल रखने लगीं और उसे कभी भी यह एहसास नहीं होने देती थी कि वह घर में अकेला है। वह उसे प्यार से लाला कह कर बुलाती थी। वो भी जानता था कि हवेली में अकेली होने के कारण नौकर चाकर के अलावा वही तो जिसके साथ वो बात चीत कर सकती हैं खास तौर पर जब ठाकुर साहब शिकार पर जाते थे। वो भी हमेशा उनके पास रहना पसन्द करता था। ठकुराइन लम्बी तगड़ी और बेहद खुबसूरत तो थीं ही एकदम गोरी चिट्टी लम्बे लम्बे काले बाल और 38 24 38 का फिगर। वो उनके बड़े बड़े भारी उरोजों पर फिदा था और हमेशा उनकी एक झलक पाने को बेताब रहता था। जब भी काम करते वक्त उनका आंचल उनकी छाती पर से फिसल कर नीचे गिरता या वह नीचे को झुकती वो उनके उरोजों की एक झलक पाने की कोशिश करता। ठकुराइन भी यह भांप गईं थी और जान बूझ कर अक्सर ही उसे अपने जोबन का जलवा दिखा देती थीं।
उन दिनों आशा की मॉ बेला और बाप बिल्लू दोनों ठाकुर साहब के साथ शिकार पर जाते थे। इस बार जब ठाकुर साहब शिकार पर गए और ठकुराइन पर हवेली संभालने की जिम्मेदारी बताते समय जय को घर पर ही रह कर पढ़ाई करने को कह गए क्योंकि उसकी परिक्षायें नजदीक थीं। और ठकुराइन भाभी को भी अकेलपन महसूस ना हो।
ठकुराइन उस दिन बहुत खुश थी। ठाकुर साहब के जाते ही उन्होंने उसे अपने कमरे में बुलाकर बताया कि उन्हें अकेले सोने की आदत नहीं है और जब तक भैया वापस नहीं आते वो उनके कमरे में ही सोये। उन्होंने छोटे ठाकुर से अपनी किताबें वगैरा भी वहीं ला कर पढ़ने को कहा। वो तो खुशी से झूम उठा और फटाफट अपनी टेबल और कुछ किताबें उनके कमरे में पहुंचा दीं। ठकुराइन ने खाना पकवाया और दोनों ने साथ साथ खाया। आज वो छोटे ठाकुर पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी और बार बार किसी न किसी बहाने अपने उरोजों का जलवा दिखा रहीं थीं। खाने के बाद ठकुराइन ने फल मंगवाये और फल देते वक्त उन्होंने उसका हाथ मसलते हुए कहा कि इतनी पढ़ाई करता है ठीक से खायाकर नहीं तो कमजोर हो जायेगा और बडी ही मादक अदा के साथ मुस्करा दीं। वो शरमा गया क्योंकि यह मुस्कान कुछ अलग ही तरह की थी और इसमें शरारत झलक रही थी। खाने के बाद वो तो पढ़ने बैठ गया और ठकुराइन अपने कपड़े बदलने लगीं। गर्मियों के दिन थे और उस दिन गर्मी भी कुछ ज्यादा ही थी। वो भी अपनी शर्ट और बनियान उतार कर केवल पैन्ट पहन कर पढने बैठा था। छोटे ठाकुर की टेबुल के ऊपर दीवाल पर एक शीशा टंगा हुआ था और वो उसमें ठकुराइन को देख रहा था। ठकुराइन भी उसकी ओर देख रहीं थीं और अपनी साड़ी उतार रही थीं। वो सोच भी नहीं सकती थी कि छोटे ठाकुर शीशे में उनकी परछाई को घूर रहा है। ब्लाउज में कसे उनके बड़े बड़े उभारदार उरोज और पेटीकोट में से उभऱे उनके बड़े बड़े भारी चूतड़ छोटे ठाकुर की पैन्ट में हलचल मचा रहे थे फिर उन्होंने अपना ब्लाउज भी उतार दिया। वो पहली बार लेस वाली ब्रा में बन्धे बड़े बड़े दूध से सफेद कपोतों को देख रहा था जोकि ब्रा में समा नहीं रहे थे और बुरी तरह फड़फड़ा रहे थे। उनके उरोज छलक कर आधे से ज्यादा तो बाहर ही निकल आए थे। ब्रा पेटीकोट के ऊपर एक झीनी सी नाइटी पहन कर वह बिस्तर पर चित्त लेट गईं और कोई किताब पढ़ने लगीं पढ़ते पढ़ते वो सो गईं और कुछ ही देर में उनकी नाइटी सीने पर से हट गयी और सांसों के साथ उठती गिरती उनके मस्त रसीले बड़े बड़े भारी गुलाबी स्तन साफ साफ दिखाई देने लगे। एक पल को तो छोटे ठाकुर का मन विचलित हुआ कि कहीं ठकुराइन भाभी चुदवाना तो नहीं चाहती है फिर मनमारकर अपनी पढ़ाई में लग गये।
रात के बारह बज चुके थे। छोटे ठाकुर ने पढ़ाई खत्म की और बत्ती बुझाने ही वाला था कि ठकुराइन की खनखनाती हुई आवाज उनके कानों में पड़ी पढ़ चुके लाला थक गये होगे थोड़ी देर यहॉं बैठो हम थोड़ी देर बात करेंगे फिर जब नींद लगे तब अपने बिस्तर पर जाकर सो जाना वो बोली।
छोटे ठाकुर फिर कुछ उम्मीद हुई वो उनकी तरफ बढ़ा। अब उन्होंने अपनी नाइटी सीने पर ठीक कर ली थी।
“अब सुनाइये भाभी” वो बोला।
आओ लाला यहॉं मेरे पास बैठो वो बोली।
फिर वो थोड़ी देर इधर उधर की बातें करती रही। बात आगे बढ़ती न देख थोड़ी देर बाद जय ने जमुहाई ली। ठकुराइन बोली नींद आ रही है क्या।
थोड़ी थोड़ी - वो बोला।
ऐसा करो यहीं लेट जाओ ना। वहॉं अकेले बोर हो जाओगे। आओ आओ शरमाओ मत- वो बोली।
छोटे ठाकुर हिचकिचाते़ हुए मान गये। और बोले- मैं लुन्गी पहन कर सोता हूं सो अब मुझे पैन्ट में सोने में दिक्कत हो रही है।”
वह छोटे की परेशानी समझ गईं और बोलीं “कोई बात नहीं लाला। तुम अपनी पैन्ट उतार दो और जैसे रोज सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जाओ। शरमाओ मत। आओ भी। ”
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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छोटे ठाकुर हैरान हो गये। उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था। लुन्गी पहन कर उसने लाईट बन्द की और नाईट लैम्प जला कर बिस्तर पर उनके पास ही लेट गया। जिस बदन को वो अब तक सिर्फ़ निहारता था उसी के पास लेटा था। भाभी का अधनंगा शरीर बिल्कुल पास था। वो ऐसे लेटी थी कि उनके गुलाबी स्तन लगभग पूरे दिखरहे थे क्योंकि थोडा ही हिस्सा ब्रा में छुपा था।
“इतने महीनों से मैं अकेली नहीं सोई ना इस लिए अब आदत नहीं है अकेले सोने की” - वो बोलीं।
“और मैं कभी किसी के साथ नहीं सोया ” वो लड़खड़ाते हुए बोला।
वह खिलखिलाई और बोली -“अनुभव ले लेना चाहिए जब भी मौका मिले। काम आएगा। मुझे यहां पीठ में कुछ खुजा रहा है जरा खुजलाओ ना।
यह कहकर उन्होंने उसकी तरफ पीठ कर ली और बोली- “लाला ये अंगिया का हुक खोल दो और ठीक से खुजलाओ”
जय ने नाइटी के पीछे की जिप खोलकर अंगिया का हुक खोल दिया और उनकी पीठ खुजलाने लगा। उसका लण्ड अब खड़ा होने लगा था और अन्डरवियर से बाहर निकलने के लिए जोर लगा रहा था। ठकुराइन के उभरे हुए बड़े बड़े चूतड़ों के बिल्कुल पास होने के कारण बीच बीच में उनसे टकरा भी जाता था।
तभी ठकुराइन ने उसका हाथ पकड़ कर धीरे से अपनी ओर खींचा और अपने उभरे हुए सीने पर रख दिया। वो बोली- “यहॉ कुछ सुरसुराहट सी हो रही है जरा सहलादो ”
वो कुछ भी बोल नहीं पाया और ब्रा के ऊपर से ही उनकी चूचियों को सहलाने लगा। ठकुराइन ने उससे हाथ ब्रा के अन्दर डालकर सहलाने को कहा और उसका हाथ अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर से ब्रा के अन्दर डाल दिया। अब उसके हाथ में ठकुराइन के बड़े बड़े उरोज थे जिनके निपलों को वो अपनी हथेली में महसूस कर रहा था। वो उन्हें सहलाने लगा। जय की हथेली की रगड़ से ठकुराइन के निप्पल कड़े हो गए। सहलाते सहलाते वो ठकुराइन के बदन के बिल्कुल पास आ गया था और उसका लण्ड उनके बड़े बड़े उभरे हुए भारी नितंबों से रगड़ खा रहा था।
अचानक वो बोली – “लाला यह मेरे पीछे क्या चुभ रहा है जरा देखूं तो।” उन्होंने पूछा ।
लेकिन जय के जवाब देने से पहले ही अपना हाथ उसके लण्ड पर रख कर टटोलने लगीं। अपनी हथेली में लण्ड थाम कर कस कर मुट्ठी बन्द कर ली और बोली – “अरे ये तो तेरा लण्ड है बाप रे ये तो अभी से बहुत बड़ा और सख्त है ठाकुर साहब के जैसा। क्या सभी ठाकुरों के लण्ड बड़े और सख्त होते हैं।”
वह जय की तरफ घूमी और अपना हाथ उसके अन्डरवियर में डालकर फड़फड़ाते हुए लण्ड को इलास्टिक के ऊपर निकाल लिया। लण्ड को कस के पकडे हुए वह अपना हाथ लण्ड की जड़ तक ले गई जिस से सुपाड़ा बाहर आ गया। सुपाड़े का साइज और आकार देखकर हैरानी का नाटक करते हुए बोलीं - मुझे क्या पता था कि तेरा इतना बड़ा होगा। छोटे का लण्ड बड़े के लण्ड के बराबर भी हो सकता है। ”
“लाला कहां छुपा के रखा था इसे इतने दिन –“उन्होंने लण्ड सहलाते हुए पूछा।
“यहीं तो था पर ये आप क्या कर रही हैं मुझे पता नहीं क्या हो रहा है जो ये कड़ा और सख्त होकर दर्द भी कर रहा है ” -जय सकपकाया।
उसे उनकी बिन्दास बोली पर आश्चर्य हुआ जब उन्होंने लण्ड कहा साथ ही बड़ा मजा भी आया। वह लण्ड को अपने हाथ में लेकर सहला रही थी और बीच बीच में कस कर दबा भी देती थी। मुलायम हथेली का स्पर्श बहुत ही अच्छा लग रहा था नाइटी उनके गुलाबी बदन से इस छीन झपट में कब उतर गयी पता ही नहीं चला ब्रा का हुक खुला होने से वो भी नाम मात्र को लटकी थी उसमें से उनके बड़े बड़े भारी गुलाबी स्तन झॉंक रहे थे लेकिन ब्रा के अन्दर हाथ करके सहलाने में जय को दिक्कत सी हो रही थी।
हिम्मत करके उसने कांपते हुए हाथों से ठकुराइन की ब्रा को बदन से उसे उतार दिया। अब उनका कमर के ऊपर का गोरा गुलाबी मांसल बदन पूरी तरह नंगा हो गया गोरे मांसल सुडोल कन्धे मांसल संगमरमरी बाहें बड़े बड़े गुलाबी स्तन देख कर जय बुरी तरह उत्तेजित हो रहा था। अधनंगी ठकुराइन ने उसके दोनों हाथ अपने सीने पर ले जा कर अपने बड़े बड़े दूध से सफेद पर हल्के गुलाबी स्तन थमा दिये और बोली – “अरे थोड़ा कस के दबा ना। ”
मारे उत्तेजना के जय उनके बड़े बड़े उरोजों से जम कर खेलने लगा और जोर जोर से दबाने लगा।

ठकुराइन को भी बहुत मजा आ रहा था वो अपनी गुदाज हथेली में लेकर उसका फ़ौलादी लण्ड सहला रही थी। उनकी चूचियों को सहलाते दबाते जय उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और उसका 8 इन्च का फनफनाता लण्ड पूरे जोश में उनकी मोटी मोटी जांघों में रगड़ रहा था।
फिर वह जय की तरफ करवट ले कर लेट गई और अपना पेटीकोट अपनी कमर के ऊपर उठा लिया और उसके तने हुए लण्ड को अपनी मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघों के बीच दबा कर मसलने लगी। बड़े बड़े बेल से उरोजों पर चेरी से भूरे रसीले निप्पल जय के मुंह के बिल्कुल पास थे और वह उन्हें बीच बीच में पकड़कर मसल देता था। अचानक उन्होंने अपना बायां निप्पल उसके मुंह में ठेलते हुए कहा – “हाय इनको मुंह में लेकर चूस ना। ”
जय ने उनके बायें स्तन का निप्पल अपने मुंह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा।
फिर क्या था। भाभी की हरी झन्डी पाकर छोटे ठाकुर टूट पड़े ठकुराइन भाभी की चूचियों पर। उसकी जीभ उनके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी। उसने अपनी जीभ ठकुराइन भाभी के उठे हुए कडे़ निप्पलों पर घुमाई। वो दोनों बेलों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से निप्पलों को चूस रहा था। वो ऐसे कस कस कर चूचियों को दबा रहा था मानो इनका पूरा का पूरा रस ही निचोड़ लेगा। ठकुराइन के मुंह से
आह उई सी स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्ससी
की आवाज निकल रही थी। वो जय के लण्ड को मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघों के बीच ले कर बुरी तरह से मसल रही थी और उससे पूरी तरह से सटती जा रही थी। उन्होने अपनी बाईं टांग उसकी जांघ के ऊपर चढ़ा दी । जय के लण्ड को उनकी जांघों के बीच एक मुलायम मुलायम रेशमी अहसास हुआ। यह उनकी चूत थी। भाभी ने पैन्टी नहीं पहनी थी और उसके लण्ड का सुपाड़ा उनकी झांटों में घूम रहा था और उसकेे सब्र का बान्ध टूट रहा था।
भाभी मुझे कुछ हो रहा है़ मैं अपने आपे में नहीं हूं। प्लीज मुझे बताओ मैं क्या करूं।
अरे तो क्या तुम्हें कुछ नहीं मालुम तुम जैसे खेल रहे थे उससे तो लगा था कि सब जानते हो।
ये सब तो सुना पढ़ा और वयस्क पिक्चरों में देखा था।
वो अपनी गुदाज हथेली में लेकर उसका फ़ौलादी लण्ड सहलाते हुए बोली – “इतना तगड़ा लौंड़ा ले के भी कुछ नहीं किया। कितने दुख की बात है। कोई भी लड़की इसे देख कर कैसे मना कर सकती है। क्या शादी तक ऐसे ही रहने का इरादा था।”
जय बोला – “ये तो मालुम है कि क्या करना है पर कैसे ये नहीं मालुम।
“वाह कैसे ठाकुर हो क्या शादी के बाद बीबी से पूछोगे या क्या करोगे। ”- ठकुराइन बोली।
जय के मुंह में कोई शब्द नहीं थे। वो चुपचाप नजर नीची किये उनके हुए स्तनों से खेल रहा था। उन्होंने अपना मुंह उसके मुंह से बिलकुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली- “कोई बात नहीं अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा अपनी ठकुराइन भाभी से सीख लो।
“क्क क्यों नहीं ” जय बड़ी मुश्किल से बोल पाया।
उसका गला सूख रहा था। वह बड़े मादक अन्दाज में मुस्करा दी और उसके लण्ड को आजाद करते हुए बोलीं ष्तब ठीक है। अपने अनाड़ी देवर राजा को ठकुराइन भाभी सब सिखा देगी। पर गुरू दक्षिणा देनी पड़ेगी ।
क्या गुरू दक्षिणा देनी होगी। ”-जय ने पूछा।
“चोदना पडे़गा मूरख और क्या वो भी जब और जितनी बार मैं बुलाऊॅं आखिर सिखाने में मुझे अपनी चूत का इस्तेमाल करना पड़ेगा और मुझे तेरे इस लण्ड की आदत पड़ जायेगी कि नहीं। चल अपनी चडढी उतार कहते हुए ठकुराइन ने उसकी चडढी खीच कर उतार दी।
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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छोटा ठाकुर पलंग पर से उतर गया और अपने तने हुए लण्ड को लेकर नंग धडंग सा अपनी अधनंगी ठकुराइन भाभी के सामने खड़ा हो गया। ठकुराइन ने हाथ बढ़ा कर उसके तने हुए लण्ड को थाम अपने रसीले होठों को अपने दांतों में दबाकर देखने लगी।
आप भी तो इसे उतार कर नंगी हो जाओ कहते हुए छोटे ठाकुर ने उनके पेटीकोट का नाड़ा खींच कर ढीला कर दिया और पेटीकोट नीचे से पकड़कर खींचा। भाभी ने अपने भारी चूतड ऊपर कर उठा दिए जिससे कि पेटीकोट उनकी मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघों पिण्डलियों से होता हुआ टांगों से उतर कर अलग हो गया। ठकुराइन अब पूरी तरह नंगी होकर उसके सामने चित्त पड़ी थीं। ठकुराइन ने अपनी टांगें फैला दीं और जय को रेशमी झांटों के जंगल के बीच छुपी हुई उनकी पावरोटी सी फूली रसीली गुलाबी चूत दिखी। नाईट लैम्प की हल्की हल्की रोशनी में चमकते हुए उनके नंगे जिस्म को देखकर उत्तेजना के मारे उसका लण्ड फड़फड़ाने लगा।
ठकुराइन ने अब जय से अपने ऊपर आने को कहा। वो झट से उनके ऊपर चढ़ गया और उनके बड़े बड़े दूध से सफेद गुलाबी उरोजों को थाम कर दबाते हुए उनके रसीले होंठों पर होंठ रख चूसने लगा। ठकुराइन ने भी उसे कस कर अपने बाहों में कस कर जकड़ लिया और उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी। जय उनकी जीभ को जोर जोर से चूसने लगा। कुछ देर बाद जय ने अपने होंठ ठकुराइन के गुलाबी टमाटर जैसे फूले गालों पर रगड़ रगड़ कर चूमने लगा। ठकुराइन ने जय का सर पकड़ लिया और उसे नीचे की ओर ठेला। जय के होंठ उनके होठों से उनकी ठोड़ी पर होते हुए सुराही दार गरदन और गोरे मांसल कन्धों को चूमते दांत गड़ाते हुए उनके बड़े बड़े उरोजों पर पहुंचा। जय उन्हें थाम कर दबाते हुए उनके निपलों को उंगलियों से मसलता और खेलता हुआ जोर जोर से काटने और चूसने लगा। ठकुराइन ने अपना बदन जय के बदन के नीचे से निकाला। अपने दाएं हाथ से वह मेरा लण्ड थामकर सहलाने लगीं और बांए हाथ से जय का दाहिना हाथ पकड़कर अपनी मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी चिकनी जांघों के बीच ले गईं और उसे अपनी पावरोटी सी फूली चूत पर रख दिया। समझदार को इशारा काफी । जय उनकी बड़ी बड़ी चूचियों दाब कर निपलों को चूसते हुए उनकी पावरोटी सी फूली चूत को सहलाने लगा।
ठकुराइन ने टांगें फैलायी फिर एक हाथ से अपनी चूत की दोनों फॉके फ़ैला कर दूसरे हाथ से छोटे ठाकुर के फड़फड़ाते हुए लण्ड को पकड़ कर सुपाड़ा चूत के मुहाने पर रखा अब जय अपना लण्ड चूत के मुहाने पर रगड़ने लगा। ठकुराइन मजे और उत्तेजना से सिसकारी भरे जा रही थी। थोड़ी देर में छोटे ठाकुर का लण्ड और ठकुराइन की चूत काफी गीली हो गई तब उत्तेजना से सिसकारी भर ठकुराइन बोली अब अपना लण्ड मेरी चूत में डाल। धीरे धीरे प्यार से। नहीं तो मुझे दर्द होगा क्योंकि तेरा बहुत बड़ा है।
जय नौसिखिया था इसलिए शुरू शुरू में मुझे अपना लण्ड उनकी टाईट चूत में नहीं गया। जब जोर लगा कर लण्ड अन्दर ठेलना चाहा तो ठकुराइन के मुँह से उफ़ निकल गयी। लेकिन पहले से ही लण्ड रगड़ने से उनकी चूत काफी गीली हो गई थी। ठकुराइन ने हाथ से लण्ड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखाया। रास्ता मिलते ही एक ही धक्के में सुपाड़ा अन्दर चला गया।
आााााााह।
“ऊई ई ई ई ई ई ई ई मांााााा ऊऊऊऊहहहहहह ओह लाला। ऐसे ही रहो कुछ देर। हिलना डुलना नहीं।
हाय रे बडा जालिम है ठाकुर तुम्हारा लण्ड तो। मार ही डाला अनाड़ी देवर राज्ज्ज्जा। ”
-ठकुराइन को काफी दर्द हो रहा था। पहली बार किसी अनाड़ी से पाला पड़ा था। क्योंकि बड़े ठाकुर तो चुदायी के माहिर खिलाड़ी थे। जय को कसी हुई चूत में लण्ड डाल कर बड़ा मजा आ रहा था वो अपना लण्ड उनकी चूत में डाले चुपचाप पड़ा रहा। ठकुराइन की उठी हुई बड़ी बड़ी चूचियां काफी तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी। जय ने हाथ बढ़ा कर दोनो चूचियों को पकड़ लिया और निपल मुंह में लेकर चूसने लगा। थोड़ी देर में ठकुराइन की चूत धीरे धीरे फड़कने लगी और अन्दर ही अन्दर उसके लण्ड को पकड़ने लगी। ठकुराइन को कुछ राहत मिली और उन्होंने कमर हिलानी शुरू कर दी।
“छोटे ठाकुर शुरू करो चुदाई। चोदो ठकुराइन की चूत। दिखा दो कि तुम भी ठाकुर हो। ले लो मजा जवानी का छोटे राज्ज्ज्ज्जा ”
-कहती हुई ठकुराइन अपने चूतड़ हिलाने लगी।
अनाड़ी छोटे ठाकुर ने पहले अपनी कमर को ऊपर किया तो लण्ड बाहर आ गया। फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नहीं बैठा और भाभी की चूत को रगड़ता हुआ नीचे फिसल गया। मैंने दो तीन बार धक्का लगाया पर लण्ड चूत में वापस जाने के बजाए फिसल कर नीचे चला जाता। ठकुराइन से रहा नहीं गया और ताना देती हुई बोली – “अनाड़ी का चोदना और चूत का सत्यानाश । अरे मेरे भोले छोटे राजा जरा ठीक से निशाना लगा कर ठेलो। नहीं तो यूंही चूत के ऊपर लण्ड रगड़ रगड़ कर झड़ जाओगे। ”
जय बोला- “भाभी अपने इस अनाड़ी देवर को कुछ सिखाओ। जिन्दगी भर तुम्हें गुरू मानूंगा और लण्ड की दक्षिणा दूंगा।”
ठकुराइन लम्बी सांस लेती हुई बोली “हाँ लाला। मुझे ही कुछ करना होगा नहीं तो देवरानी आकर कोसेगी कि तुम्हें कुछ नहीं सिखाया। ”
जय का हाथ अपनी चूची पर से हटाया और लण्ड पर रखती हुई बोली- ”इसे पकड़ कर मेरी चूत के मुंह पर रखो।”
जय ने वैसा ही किया। ठकुराइन ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत की फांके फैलायी और बोली- “लगा धक्का जोर से। ”

छोटे ठाकुर ने धक्का मारा और लण्ड ठकुराइन की चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अन्दर चला गया।
“अब लण्ड को बाहर निकालो लेकिन पूरा नहीं। सुपाड़ा अन्दर ही रहने देना। फिर दोबारा पूरा लण्ड अन्दर पेल देना। इसी तरह से बारबार करो। ”
छोटे ठाकुर ने वैसे ही करना शुरू किया और लण्ड धीरे धीरे ठकुराइन की चूत में अन्दर बाहर होने लगा। फिर ठकुराइन भाभी ने स्पीड बढ़ा कर जल्दी जल्दी अन्दर बाहर करने को कहा।
छोटे ठाकुर ने अपनी स्पीड बढा दी और तेजी से लण्ड अन्दर बाहर करने लगा। ठकुराइन भाभी को भी पूरी मस्ती आ रही थी और वह भी नीचे से कमर उठा उठा कर छोटे ठाकुर के हर शॉट का जवाब देने लगी। लेकिन ज्यादा स्पीड होने से बार बार छोटे ठाकुर का लण्ड बाहर निकल जाता। इससे चोदाई की लय टूट जाती। आखिर ठकुराइन से रहा नहीं गया और करवट लेकर छोटे ठाकुर को अपने ऊपर से उतार दिया और उसे चित्त लिटा कर उसके ऊपर चढ गईं। अपनी जांघों को फैला कर छोटे ठाकुर की जांघों के अगल बगल कर के उसकी जांघों पर अपने गद्देदार चूतड रखकर बैठ गई।

ठकुराइन की चूत छोटे ठाकुर के लण्ड केसामने थी और हाथ कमर को पकड़े हुए थे। बोली – “मैं दिखाती हूं कि कैसे चोदते हैं ”
और ठकुराइन ने धक्का लगाया। लण्ड घप से चूत के अन्दर चला गया।
ठकुराइन भाभी ने अपनी बड़ी बड़ी चूचियों को छोटे ठाकुर की छाती पर रगड़ते हुए अपने गुलाबी होंठ उसके होठों पर रख दिए और जीभ मुंह के अन्दर ठेल दी। फिर ठकुराइन मजे से कमर हिला हिला कर धक्के लगाने लगी। बडे़ कस कस कर धक्के लगा रही थी ठकुराइन। चूत लण्ड को अपने में समाए हुए तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी। छोटे ठाकुर को लग रहा था कि जैसे जन्नत मिल गई हो । अब ठकुराइन छोटे ठाकुर के ऊपर कन्धों को पकड़ कर घुटनों के बल बैठ गई और जोर जोर से कमर हिला कर लण्ड पर अपनी पावरोटी सी फूली चूत पटककर को तेजी से लण्ड लेने लगी। उनका सारा बदन हिल रहा था और सांस तेज तेज चल रही थी। ठकुराइन भाभी की चूचियां तेजी से उछल रही थी। जिन्हें उसने को दबादबाकर निपलों को मसल़मसल़कर और होंठों से चूसकर गुलाबी से लाल कर दिया था। छोटे ठाकुर से रहा नहीं गया और झपट कर दोनों चूचियों को पकड़ लिया निपल मुँह में भरकर जोर जोर से चूसने और चूचियों को हार्न की तरह दबाने लगा। भाभी एक सधे हुए खिलाडी की तरह कमान अपने हाथों में लिए हुई थी और कस कस कर शॉट लगा रही थी। जैसे जैसे वह झड़ने के करीब आ रही थी उनकी रफ्तार बढती जा रही थी। कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी। जब उनकी सांस फूल गई तो खुद नीचे आकर जय को अपने ऊपर खींच लिया और टांगों को फैला कर ऊपर उठा लिया। बोली “मैं थक गई मेरे छोटे राज्ज्ज्जा। अब तू मोर्चा संभाल। ”
छोटे ठाकुर ने झट उनकी मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघों के बीच बैठ निशाना लगाया एक ही धक्के में लण्ड अन्दर धॉस कर बड़ी बड़ी चूचियां थाम चोदने लगा। ठकुराइन बोली भई वाह।
“अब मैं उतना अनाड़ी नहीं रहा। ”
-छोटे ठाकुर ने जवाब दिया।
ठकुराइन भाभी ने अपनी टांगों को छोटे ठाकुर की कमर पर जकड़ लिया और जोर जोर से चूतड़ उछाल उछाल कर चुदाई में साथ देने लगी। कमरे में मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघों को सहलाने गद्देदार चूतड़ों को दबाने बिस्तर जिस्मों के रगड़ने स्तनों के साथ खेलने हमारी चुदाई की उठापटक ठकुराइन की सिसकारियों की आवाजों से भर रहा था। छोटे ठाकुर ने उनकी दोनों टॉगें उठाकर अपने कन्धों पर रखलीं और मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघों को सहलाते हुए गोरी गुलाबी पिण्डलियों को दॉतोंसे पकाड़ते हुए जोर जोर से चोदने लगा और बोला- “हाय भाभी मैं हमेशा तुम्हारे ब्लाउज में कसी तुम्हारी चूचियों नहाते कपडे़ बदलते समय इन बड़े बड़े गुलाबी चूतड़ों संगमरमरी जांघों पिण्डलियों को देखता था और हैरान होता था। इनको छूने सहलाने दॉत मारने की बहुत इच्छा होती थी और दिल करता कि तुम्हारी चूचियों को मुंह में लेकर निपल चूसूं और इनका रस पिऊं। पर डरता था। तुम नहीं जानती भाभी कि तुमने मुझे और मेरे लण्ड को कितना परेशान किया है। ”
“अच्छा तो फिर आज अपनी तमन्ना पूरी कर ले। जी भर कर दबा चूस और मजे ले। मैं तो पूरी की पूरी तुम्हारी हूं। जैसे दिल चाहे वैसे कर।”
ठकुराइन कमर हिला कर बड़े बड़े गुलाबी चूतड़ उछालकर चुदा रही थी और बोले जा रही थी
आाााह आाााह ऊंहहह आाोाोाााह ओोाोेाोोोोोह हाााााााया मेरे राज्ज्ज्ज्ज्जाााा। मर गई रे। लााााााल्ल्ल्ल्लाााा चोद रे चोद। उफ़ईईईईईई हाय फाड़ दी ईईईईईईईईईईइ रे आज तो छोटे ठाकुर राज्ज्ज्ज्ज्जा ने बड़ा जालिम है तुम्हारा लौंड़ा। एकदम महीन मसाला कूट दिया रे। ”
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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छोटा ठाकुर भी बोल रहा था-
“ले ठकुराइन रान्न्न्न्न्नी ले ले मेरा लण्ड अपनी ओखली में। बड़ा तड़पाया है तूने मुझे। ले और ले। ले छोटे ठाकुर का यह लण्ड तेरा ही है। आाााााााहहहहह ऊऊऊऊऊऊऊहहह क्या मजा सिखाया है तूने। मैं तो तेरा गुलाम हो गया। ”
ठकुराइन चूतड़ उछाल उछाल कर छोटे ठाकुर का लण्ड अपनी चूत में ले रही थी और वो भी पूरे जोश को साथ चूचियों को दबादबाकर चोदे जा रहा था।
उफ्फ्फ्फ्फ्फ क्या आग सी लगी हुई थी दोनों को तन बदन में।
ठकुराइन ललकार कर कहती लगा ठाकुरों वाला धक्का छोटे ठाकुर राजा।
छोटा ठाकुर जवाब देता ये ले ठकुराइन रानी ले ले अपनी चूत में।
जरा और जोर से मार धक्का अपने लण्ड का छोटे ठाकुर राजा
ये लो रानी साहिबा ये लण्ड तो बना ही आपके लिए है ।”
“देख छोटे राज्ज्ज्जा मेरी चूत तो तेरे लण्ड की दीवानी हो गई। और जोर से और जोर से आाााााााााईईईईईईईईई छोटे ठाकुर राज्ज्ज्ज्जाााा। मैं गईईईईईईईईईईईईईईईई रे”
कहते हुए ठकुराइन ने छोटे ठाकुर को कस कर अपनी गोरी गुलाबी संगमरमरी मांसल बांहों में जकड़ लिया और उनकी चूत के ज्वालमुखी ने लावा छोड़ दिया।
मेरा भी गयाााााा ठकुराइन रान्न्न्न्न्न्न्न्न्न न्नीईईई ईईईईईईई तेरीईईईईईईईईईइ चूत में ले ले पूरे लण्ड का रस चूस ले अपनी चूत से।
कहते हुए छोटे ठाकुर के लण्ड ने भी पानी छोड दिया और मैं हांफते हुए ठकुराइन की चूचियों पर सिर रखकर उनके गोरे गुलाबी संगमरमरी गदराये मांसल जिस्म को दबोचकर लेट गया।
यह छोटे ठाकुर की पहली चुदाई थी और ठकुराइन ने भी चुदाई सिखाने और चुदाने में आज नया लण्ड मिलने के जोश में बहुत मेहनत की थी इसलिए दोनों को काफी थकान सी महसूस हो रही थी। दोनों सो गए। कुछ देर बाद जब होश आया तो जय ठाकुर ने ठकुराइन भाभी के रसीले होठों का चुम्बन लेकर उन्हें जगाया। ठकुराइन ने करवट लेकर उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहों में कस कर कान में फुसफुसा कर बोली-
“तुमने तो कमाल कर दिया लाला। क्या गजब की ताकत है तुम्हारे लण्ड में। ”
“कमाल तो आपने किया है भाभी। आजतक मुझे मालूम ही नहीं था कि अपने लण्ड का इस्तेमाल कैसे करना है। ये तो आपकी ही मेहरबानी है जो आज मेरे लण्ड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला। ”
अबतक उसका लण्ड उनकी चूत के बाहर आकर झांटों के जंगल में रगड़ मार रहा था।
ठकुराइन ने अपनी मुलायम गुदाज हथेलियों में छोटे ठाकुर का लण्ड थाम कर सहलाना शुरू किया। उनकी नाजुक उंगलियों का स्पर्श पाकर छोटे ठाकुर का लण्ड भी जग गया और एक अंगडाई लेकर ठकुराइन की पावरोटी सी फूली चूत पर ठोकर मारने लगा। ठकुराइन ने कस कर अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड को कैद कर लिया और बोली- “बहुत जान है तुम्हारे लण्ड में। देखो फिर फड़फड़ाने लगा। अब तो मैं इसे छोडुंगी नहीं। ”
दोनों अगल बगल लेटे हुए थे। ठकुराइन ने छोटे ठाकुर को चित्त लिटा दिया और उसकी जांघ पर अपनी जांघ चढ़ा कर लण्ड को हाथ से उमेठने लगी। साथ ही साथ भाभी अपनी कमर को हिलाते हुए अपनी चूत मेरी जांघ पर रगड़ने लगी। उनकी चूत पिछली चुदाई से अभी तक गीली थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाए हुए था। अब जय ठाकुर से रहा नहीं गया और करवट लेकर ठकुराइन की तरफ मुंह कर के लेट गया। उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को हाथों में थाम चेरी से निपल मुंह में दबा कर चूसते हुए अपना लण्ड को चूत के मुँह पर रगड़ने लगा। ठकुराइन एक सिसकारी लेकर जय ठाकुर से कस पर चिपक गई और जोर जोर से कमर हिलाते हुए अपनी का चूत मुँह मेरे लण्ड के सुपाड़े पर रगड़ने लगी। जय ठाकुर का लण्ड पूरे जोश में अकड़ कर लोहे की तरह सख्त हो गया था। अब ठकुराइन की बेताबी हद से ज्यादा बढ़ गई थी सो उन्होंने खुद चित्त होकर छोटे ठाकुर को अपने ऊपर खींच लिया।
ठकुराइन जय ठाकुर के लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर रखती हुई बोली-
“बोलो छोटे ठाकुर राज्जा। सेकेन्ड राउन्ड हो जाए। ”
छोटे ठाकुर ने झट कमर उठा कर धक्का दिया और उसका लण्ड ठकुराइन की चूत को चीरता हुआ जड़ तक धंस गया। ठकुराइन चिल्लाई “जियो मेरे राज्जा। क्या शाट मारा है। अब मेरे सिखाए हुए तरीके से दो शॉट पर शॉट और फाड़ दो ठकुराइन की चूत को।”
ठकुराइन का प्रोत्साहन पाकर छोटा ठाकुर दूने जोश में आ गया और चूचियों को पकड़ कर हुमच हुमच कर उनकी की चूत में लण्ड पेलने लगा। पहली चुदाई से गीली ठकुराइन की चूत में लण्ड सटासट अन्दर बाहर हो रहा था। ठकुराइन नीचे से कमर उठा कर हर शॉट का पूरे जोश के साथ जवाब दे रही थी। ठकुराइन भाभी ने अपने दोनें हाथों से मुँह बोले देवर छोटे ठाकुर की कमर को पकड़ रखा था और जोर जोर से अपनी पावरोटी सी फूली चूत में उसका ठाकुरी फौलादी लण्ड डलवा रही थी। वह उसे इतना उठने देती कि बस लण्ड का सुपाड़ा अन्दर रहता और फिर जोर से नीचे खींचती हुई घप से लण्ड चूत में घुसड़वा लेती। पूरे कमरे में हमारी तेज सांस और फटाफट की आवाजें गूंज रही थी।
कुछ देर बाद ठकुराइन ने कहा-
“अब तू काफी सीख गया चल तुझे एक नया आसन सिखाती हूँ। ” और छोटे ठाकुर को अपने ऊपर से हटा कर किनारे कर दिया। लण्ड पक की आवाज के साथ बाहर निकल गया। वो चित्त लेटा था और लण्ड पूरे जोश में सीधा खडा था। ठकुराइन उठ कर घुटनों और हथेलियों पर उसके बगल में ही चौपाया बन गई। जय लण्ड को हाथ में पकड कर बस उनकी हरकत देखता रहा।
ठकुराइन ने उसे खींच कर उठाते हुए कहा –
“ऐसे पड़े पडे़ क्या देख रहा है । चल उठ अब पीछे से लण्ड डाल।
छोटे ठाकुर उठ कर ठकुराइन के पीछे आ कर घुटनों के बल बैठ गये ठकुराइन ने जांघों को फैला कर अपने गोल बड़े बड़े गद्देदार गुलाबी मस्ताने चूतड़ ऊपर को उठा दिए जिससे उनकी पावरोटी सी फूली रसीली चूत साफ नजर आने लगी। छोटे ठाकुर अपना फ़ौलादी लण्ड हाथ में पकड़कर उसका सुपाड़ा उनकी चूत पर रगड़ने लगा।

थोड़ी देर में जब उत्तेजना से ठकुराइन की चूत गीली हो गयी तो उन्होंने इशारा किया भाभी का इशारा समझ कर छोटे ठाकुर ने लण्ड का सुपाड़ा उनकी चूत पर रख कर धक्का मारा और लण्ड चूत को चीरता हुआ जड तक धंस गया। भाभी ने एक सिसकारी भर कर अपने चूतड़ पीछे कर के जय की जांघों से चिपका दिये।
छोटा ठाकुर ठकुराइन की संगमरमरी गदरायी पीठ से चिपक कर लेट गया और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनों बड़ी बड़ी बेल सी चूचियों को थाम कर दबाने लगा। वो भी मस्ती में धीरे धीरे चूतड़ों को आगे पीछे करके मजे लेने लगी। उनके मुलायम बड़े बड़े गद्देदार मस्ताने चूतड़ उसकी मस्ती को दोगुना कर रहे थे। लण्ड उनकी रसनही पावरोटी सी फूली चूत में आराम से आगे पीछे हो रहा था। मस्ती का वो आलम था कि बस पूछो मत।
कुछ देर यूंही मजा लेने के बाद ठकुराइन बोली-
“चल राज्जा अब आगे उठ कर शॉट लगाओ। अब रहा नहीं जाता।”


छोटा ठाकुर उठ कर सीधा हो गया और ठकुराइन के चूतडों को दोनों हाथों से कस कर पकड़कर हमला बोल दिया। जैसा कि ठकुराइन भाभी ने सिखाया था पूरा लण्ड धीरे से बाहर निकाल कर जोर से अन्दर कर देता। शुरू तो धीरे धीरे किया लेकिन जैसे जैसे जोश बढ़ता गया धक्कों की रफ्तार भी बढती गई। धक्का लगाते समय ठकुराइन के चूतड़ों को कस के अपनी ओर खींच लेता ताकि शॉट तगड़ा पडे। ठकुराइन भी उसी रफ्तार से अपने चूतडों को आगे पीछे कर रही थी। दोनों की सांस तेज हो गई थी। ठकुराइन की मस्ती पूरे परवान पर थी। नंगे जिस्म जब आपस में टकराते तो धप धप की आवाज आती। जब हालत बेकाबू होने लगी तो जय ठकुराइन भाभी को फिर से चित्त कर उन पर सवार हो गया और भीषण चुदाई शुरू की। तभी भाभी ने उसे कस कर जकड़ लिया और अपनी चिकनी मोटी मोटी गोरी गुलाबी संगमरमरी जांघें उसकी कमरं पर कस कर जोर जोर से चूतड़ हिलाते हुए चिपक कर झड़ गई। तभी जय भी ठकुराइन भाभी की बड़ी बड़ी बेल सी चूचियों को हार्न की तरह जोर जोर से दबाते हुए झड़ गया और हांफते हुए उनके ऊपर लेट गया। दोनों काफी देर तक एक दूसरे से चिपके पड़े रहे।
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कुछ देर बाद ठकुराइन ने पूछा- “क्यों लाला कैसी लगी चुदाई।”
छोटे ठाकुर -
“हाय भाभी जी करता है जिन्दगी भर इसी तरह तुम्हारी चूत में लण्ड डाले पडा रहूं।”
ठकुराइन –
“जब तक बडे़ ठाकुर नहीं आते तब तक तो दिन हो या रात ये चूत तुम्हारी है। जो मर्जी हो कर सकते हो। फ़िलहाल अब थोड़ी देर आराम करते हैं।”
छोटे ठाकुर –
“नहीं भाभी। कम से कम एक बार तो और हो जाए। देखो मेरा लण्ड अभी भी बेकरार है ।”
ठकुराइन ने छोटे ठाकुर के लण्ड को अपनी गुदाज हथेली में कस लिया और बोली –
“ये तो ऐसे रहेगा ही चूत की खुशबू जो मिल गई है। पर देखो रात के तीन बज गए हैं। अगर सुबह टाईम से नहीं उठे तो हवेली के नौकरों को शक हो जाएगा। अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के भी कई दिन हमारे हैं। जी भर कर मस्ती लेना। मेरा कहा मानोगे तो रोज नया स्वाद चखाउंगी।”
ठकुराइन का कहा मान कर छोटे ठाकुर ने जिद छोड़ दी ठकुराइन करवट लेकर लेट गई। छोटे ठाकुर उनकी गदरायी पीठ से सट बगल से हाथ डालकर दोनों हाथों में बड़ी बड़ी चूचियों थाम उनके बड़े बड़े गद्देदार गुलाबी चूतड़ों की दरार में लण्ड फंसा दिया और उनके मांसल कन्धों पर होंठ रख कर लेट गया। नींद कब आगई इसका पता ही नहीं चला।


भाग 2
सुबह जब अलार्म घड़ी बजी तो छोटे ठाकुर ने समय देखा। सुबह के सात बज रहे थे। ठकुराइन भाभी ने उसकी तरफ मुस्करा कर करवट लेकर देखा और एक गरमा गरम चुम्बन होठों पर जड़ दिया। उसने भी ठकुराइन भाभी को जकड़ कर उनके चुम्बन का जोरदार जवाब दिया। फिर ठकुराइन उठ कर अपने रोज के काम काज में लग गई। वह बहुत ही खुश थी और उनके गुनगुनाने की आवाज उसके कानों में शहद घोल रही थी। तभी घन्टी बजी और नौकरानी आशा आ गई।
उस दिन जय ठाकुर कालेज नहीं गये। नाश्ता करने के बाद वो पढ़ने बैठ गया। जब बेला की बेटी आशा कमरे में झाडू लगाने आई तब भी वो टेबल पर बैठा पढ़ाई करता रहा। पढ़ाई तो क्या खाक होती। बस रात का ड्रामा ही आँखों के सामने घूमता रहा। सामने खुली किताब में भी भाभी का संगमरमरी बदन उनकी दूध सी सफेद बेल सी चूचियां और पाव सी चूत ही नजर आ रही थी।
बाबू जरा पैर हटा लो झाड़ू देनी है।
छोटे ठाकुर चौंक कर हकीकत की दुनिया में वापस आये। देखा आशा कमर पर हाथ रखे पास खड़ी है। वो खड़ा हो गया और आशा झुक कर झाड़ू लगाने लगी। वो उसे यूं ही देखने लगा। आशा का रंग गेंहुआ अपने बाप बल्लू के जैसा, और भरा भरा बदन अम्मा के जैसा। तीखे नाक नक्श । बडे़ ही साफ सुथरे ढंग से सज संवर कर रहती थी। आज से पहले मैंने उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। वो आती थी और अपना काम कर के चली जाती थी। पर आज की बात ही कुछ और थी। चुदाई की ट्रेनिंग पाकर एक रात में ही उसका नजरिया बदल गया था। अब वो हर औरत को चुदाई के नजरिये से देखने लगा था। उसे पता था कि आशा की गोरी चिट्टी मुटल्ली अम्मा बेला बड़े ठाकुर से जम के चुदवाती है हो सकता है ये भी चालू हो। आशा लाल हरी साड़ी पहने हुई थी जिसका पल्लू छाती पर से लाकर कमर में दबा लिया था। छोटा सा पर गहरे गले का चोलीनुमा ढीला ब्लाउज उसकी चूचियों को संभाले हुए था। जब वो झुक कर झाडू लगाने लगी तो ब्लाउज के गहरे गले से उसकी गोल गोल बेल सी चूचियां साफ दिखाई दे रही थी। छोटे ठाकुर का लण्ड फनफना कर तन गया। रात वाली ठकुराइन भाभी की चूचियां मेरे दिमाग में कौंध गई। तभी आशा ने नजर उठाई तो छोटे ठाकुर को एक टक घूरता पाकर उसने एक दबी सी मुस्कान दी और अपना आंचल संभाल कर चूचियों को छुपा लिया। अब वो छोटे ठाकुर की तरफ पीठ कर के टेबल के नीचे झाडू लगा रही थी। उसके चूतड़ तो और भी मस्त थे। गोल बड़े बड़े और गद्देदार। छोटा ठाकुर मन ही मन सोचने लगा कि इसके गद्देदार चूतड़ों पर लण्ड रगड़ने और चूचियों को मसलने में कितना मजा आएगा। बेखयाली में उसका हाथ तन्नाए हुए लण्ड पर पहुंच गया और पाजामे के ऊपर से ही उसे सहलाने लगा। तभी आशा अपना काम पूरा कर के पलटी और छोटे ठाकुर की हरकत देख कर मुंह पर हाथ रख कर हंसती हुई बाहर चली गई। छोटा ठाकुर झेंप कर कुर्सी पर बैठ पढ़ाई करने की कोशिश करने लगा।
जब आशा काम कर के चली गई तब ठकुराइन ने खाने के लिए बुलवा भेजा। जय डाईनिंग टेबल पर आ गया। ठकुराइन भाभी ने खाते समय पूछा-
“क्यों छोटे , आशा के साथ कोई हरकत तो नहीं की।”
वो अचकचा गया-
“नहीं तो। कुछ बोल रही थी क्या?”
ठकुराइन –
“नहीं कुछ खास नहीं। बस कह रही थी कि आप के देवर छोटे ठाकुर अब जवान हो गये हैं जरा खयाल रखना।”
वो कुछ नहीं बोला और चुपचाप खाना खा कर अपनी स्टडी टेबल पर आ कर पढ़ने बैठ गया। ठकुराइन ने हवेली का काम निबटवा कर नौकरों की बाकी के आधे दिन की छुटटी कर दी कि ठाकुर साहब हैं नहीं सो कोई खास काम शाम को है नहीं सो तुम लोग भी आराम करो। सबको भेज भाज कर ठकुराइन कमरे में आई और छोटे ठाकुर के सामने उसकी स्टडी टेबल पर बैठ गई और पैर सामने कुर्सी पर बैठे छोटे ठाकुर की दोनो जॉघों पर रख लिये। उसके हाथ से किताब लेते हुए बोली-
“ज्यादा पढ़ाई मत कर। सेहत पर असर पड़ेगा।”
और अपनी एक आंख दबा कर कनखी मार दी। फिर छोटे ठाकुर की दोनो टॉगों के बीच में अपने पैर के अंगूठे से उसका लण्ड सहलाते हुए बोली-
“छोटे ठाकुर तेरा लण्ड तो बहुत जोरदार है। कितना मोटा लम्बा और सख्त। रात जब तुने पहली बार मेरी चूत में डाला तो ऐसा लगा कि ये तो मेरी बुर को फाड़ ही डालेगा। सच कितना अच्छा होता अगर एक रात मैं बारी बारी से दोनों ठाकुरों के लण्ड अपनी चूत में लेकर मजे लेती और देखती दोनो ठाकुरों से एक साथ चुदवाकर कि कौन ऊंचा कलाकार है ।”
जय के हाथ उनके पैरों को सहलाते हुए धीरे धीरे उनकी पिण्डलियों की तरफ बढ़ने लगे उनका लंहगा ऊपर सरकने लगा।
“तुम कितनी अच्छी हो भाभी”
वो बोला- “मुझे अपनी चूत देकर चोदना सिखाया।”
धीरे धीरे छोटे ठाकुर ने ठकुराइन का लंहगा उनके घुटनों तक ऊपर सरका दिया और उनकी पिण्डलियों को दोनों हाथों से सहलाने हथेलियों में दबोचने लगा। बीच बीच में उत्तेजित हो उनकी गोरी गोरी गुलाबी पिण्डलियों पर दॉत भी गड़ा देता था। धीरे धीरे ठकुराइन का लंहगा उनकी के जांघों तक ऊपर सरककर पहुंच गया और जयठाकुर उनकी मोटी मोटी केले के तने जैसी चिकनी गोरी गुलाबी जांघों पिण्डलियों को दोनों हाथों से सहलाने हथेलियों में दबोचने लगा। बीच बीच में उत्तेजित हो जहॉ तहॉ मुँह भी मार रहे थे। फिर छोटे ठाकुर मारे उत्तेजना के खड़े हो गये और ठकुराइन के रसीले होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूसने लगे और उनका लंहगा अपने हाथों से उनकी के जांघों से ऊपर कर उनकी चूत और चूतड़ों को नंगा करने की कोशिश करने लगे ठकुराइन ने टेबिल पर बैठ बैठे बारी बारी से दायें बायें झुककर अपने बड़े बड़े भारी चूतड़ों को उठा कर उनकी मदद की अब उनका लंहगा उनकी कमर तक सिमट गया था आज ठकुराइन नीचे कुछ भी नहीं पहने हुई थी और अब वो कमर के नीचे बिलकुल नंगी थी। उनके बड़े बड़े गद्देदार गुलाबी चूतड़ गोरी गुलाबी रेशमी पावरोटी सी फूली चूत मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरे गुलाबी जांघें और पिण्डलियां देख कर छोटे ठाकुर उत्तेजना के मारे जहॉ तहॉ नोचने हथेलियों में दबोचने मुँह मारने लगे। ठकुराइन के मुँह से सिसकारियॉं छूटने लगी। ठकुराइन ने छोटे ठाकुर का सर दोनों हाथों में थाम उसका मुँह अपने उभरे सीने पर रख दिया। छोटे ठाकुर अपने हाथ उनकी गदराई पीठ पर कस कर उनके बड़े बड़े उरोजों पर अपना चेहरा रगड़ने लगे। छोटा ठाकुर एक हाथ पीछे ले जाकर उनके ब्लाउज के बटन खोलते हुए दूसरा हाथ ब्लाउज के अन्दर डाल उनके उरोज सहलाने लगा और निपल पकडकऱ मसलने लगा। फिर एक हाथ से उरोज सहलाते हुए दूसरा हाथ नीचे ले जाकर ठकुराइन का विशाल चूतड़ पकड़ लिया।ठकुराइन से रहा नहीं गया तो छोटे ठाकुर के नारे को ढीला कर के ऊपर से ही हाथ घुसा कर छोटे ठाकुर के फौलादी लण्ड को सहलाने लगी फिर अपनी दोनों मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों के बीच दबाकर मसल़ने लगी अब छोटे ठाकुर के होंठ और हाथ उनके सारे गदराये जिस्म की ऊँचाइयों व गहराइयों पर पहुँच रहे थे और सहला टटोल दबोच रहे थे उनके गदराये जिस्म पर जॅहा तॅहा मुँह मार रहे थे और ठकुराइन धीरे धीरे टेबिल के पीछे की दीवार से सटती जा रही थी धीरे धीरे वे पूरी तरह सट गयीं, केवल दोनों टांगे छोटे ठाकुर की कमर से लपेट ली थी। छोटे ठाकुर उनके गदराये जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी चूचियों और सारे गदराये जिस्म की ऊँचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मार रहे थे बीच बीच मे उनके निप्पलो को बारी बारी से होंठों में ले कर चुभला व चूस रहा था। ठकुराइन छोटे ठाकुर का लण्ड अपनी चूत पर रगड़ते हुए बोली –
“टेबिल चुदाई सीखेगा।”
छोटे ठाकुर –
“ये क्या होता है?”
ठकुराइन –
“सीखेगा तब तो जानेगा। इसके बड़े फायदे हैं जैसेकि कपड़े नहीं उतारने पड़ते और यदि किसी के आने की आहट हो तो जल्दी से हट सकते हैं जैसे कुछ कर ही नहीं रहे थे इसे चोरी की चुदाई या फ़टाफ़ट चुदाई भी कहते हैं।”
छोटे ठाकुर –
“तब तो जरूर सीखूँगा।”
ठकुराइन –
“तो जल्दी से आजा।”
छोटे ठाकुर-
“जैसा आप कहें, पर कैसे?”
ठकुराइन ने टेबिल से लगी दीवार से पीठ लगा अपने दोनों पैर मोड़कर टेबिल पर कर लिए और दोनों हाथों से अपनी चूत की फांके फैलायी और बोली–
“ऐसे।”
बसछोटे ठाकुर ने अपने फौलादी लण्ड का सुपाड़ा उस पर धरा। ठकुराइन ने अपने हाथ से उसका लण्ड पकड़कर निशाना ठीक किया। ठकुराइन की मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघों भारी नितंबों के बीच मे उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का मुँह खुला था। चूत के मुँह की दोनों फूली फांको के ऊपर धरा अपना फौलादी लण्ड का सुपाड़ा देख छोटे ठाकुर अपना सुपाड़ा ठकुराइन की चूत पर रगड़ने लगे।
ठकुराइन से जब उत्तेजना बरदास्त नहीं हुई तो चिल्लाई “अबे जल्दी लण्ड डाल।”
और तभी उत्तेजना में आपे से बाहर हो छोटे ठाकुर ने झपट़कर दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी चूचियाँ दबोच झुककर उनके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रखकर लण्ड का सुपाड़ा चूत मे धकेला सुपाड़ा अन्दर जाते ह़ी उनके मुँह से निकला “उम्म्म्म्म्म्महहहहहहहहहहह शाबाश छोटे अब धीरे धीरे बाकी लण्ड भ़ी चूत मे डालदे।”
वो बड़ी बड़ी चूचियों को जोर जोर से दबाने गुलाबी होंठों को चूसने लगा। ठकुराइन की चूत बैठे होने से बेहद टाइट लग रही थी पर जैसे लण्ड अन्दर खिचा जा रहा हो या चूत अपने मुंह की दोनों फूली फांको मे लण्ड दबाकर उसे अन्दर चूस रही हो। पूरा लण्ड अन्दर जाते ह़ी ठकुराइन के मुँह से निकला-
“आहहहहहहहहहहहहहहह आह वाहहहह छोटे शाबाश अब लगा धक्के।”
छोटे ठाकुर ने थोड़ा सा लण्ड बाहर निकालकर वापस धक्का मारा दो तीन बाहर ह़ी धीरे धीरे ऐसा किया था कि ठकुराइन –
वाहहहह बेटा शाबाश अब लगा धक्के पे धक्का धक्के पे धक्का और जोर जोर से लगा धक्के पे धक्का । चोद ठकुराइन की चूत को अपने लण्ड से। मेरी चूचियों और जिस्म का रस चूस और जोर जोर से चोद।”
छोटे ठाकुर ने ठकुराइन की मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघों को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलते और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर जॅहा तॅहा मुंह मारते हुए जोर जोर से धक्के पे धक्का लगाकर चोदने लगे। हर धक्के पे उनके मुंह से आवाजें आ रही थीं आह आहहहह आहहहहहहहहहहहहहहह।
ठकुराइन ने अपनी दोनों टांगे मोड़कर टेबिल पर कर रखी थी जिससे उनकी संगमरमरी जांघें छोटे ठाकुर सीने की सीध में और पावरोटी सी फूली चूत बड़े बड़े गद्देदार गुलाबी भारी चूतड लण्ड की सीध में हो गये थे जिन्हें देख देख जय पगला रहा था साथ ही उसका लण्ड भी ठकुराइन की चूत की जड़ तक धॉंसकर जा रहा था हर धक्के पे उनकी चिकनी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ छोटे ठाकुर की जांघों और लण्ड के आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे जब ठकुराइन के थिरकते हुए बड़े गद्देदार गुलाबी भारी चूतड़ों से छोटे ठाकुर की जांघें टकराती तो लगता कोई तबलची तबले पर थाप दे रहा हो। पूरे कमरे में चुदाई की थप थप फट फट गूंज रही थी। छोटे ठाकुर दोनों हाथों मे उनकी संगमरमरी जांघें और भारी चूतड़ों को दबोचकर उनकी गुलाबी मांसल पिण्डलियों पर जॅहा तॅहा कभी मुंह मारते कभी दांतों मे दब चूसते हुए चोदने लगा ठकुराइन भी अपने चूतड़ हिला हिला कर गोरी पावरोटी सी फूली चूत मे जड़तक लण्ड धॅंसवाकर चुदवा रही थी। करीब आधे घ्ंटे तक वो पागलों की तरह उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म को दोनों हाथों मे दबोचकर उनके ऊपर झुककर बड़ी बड़ी गुलाबी चूचियों के साथ खेलते तो कभी दांतों मे दबा निप्पलो को तो कभी बारी बारी से होंठों में ले कर चुभलाते व चूसते हुए और सारे गदराये जिस्म की ऊचाइयों व गहराइयों पर संगमरमरी जांघों और भारी चूतड़ों पर जहॉ तहॉं मुंह मारते हुए चोदता रहा। ठकुराइन बार बार ललकार रही थी-
“चोद ले छोटे राजा चोद ले अपनी भाभी की आज फाड़ डाल इसे। शाबाश मेरे शेर। मजा ले ले जवानी का। और जोर से छोटे राज्जा और जोर से। फाड़ डाल तू आज मेरी तो। नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवाती रही कि अचानक ऐसा लगा जैसे जिस्म ऐठ रहे हों तभी ठकुराइन ने नीचे से जोर से अपने चूतड़ों को उछाला और छोटे ठाकुर ने अगला धक्का मारा कि उनके जिस्मों से जैसे लावा फूट पडा़ । ठकुराइन के मुँह से जोर से निकला- “उहहहहहहहहहहह ।”
नीचे से अपनी कमर और चूतड़ों का दबाव डालकर अपनी चूत मे जड़ तक लण्ड धॉंसकर झड रही थी और वो भी उनके गदराये जिस्म को बुरी तरह दबाते पीसते हुए दोनों हाथों मे उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉंसकर झड रहा था। जब दोनों झड चुके तब भी बुरी तरह चिपटे हुए थे ।दोनों उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गए और थकान की वजह से सो गए।


क्रमश:……………॥
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