मेरी बेकाबू जवानी compleet

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मेरी बेकाबू जवानी compleet

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raj sharma stories

मेरी बेकाबू जवानी--1

हाई मेरा नाम जया है. मैं सूरत की रहने वाली हू. मेरी सर नेम मे काफ़ी ट्विस्ट है. मेरे पापा हिंदू है और उनका नाम संजय पटेल है. मेरी मा मुस्लिम है और उनका नाम नाज़ गोडिल है. उनकी लव मेरीज हुई है. . बात मेरे सर नेम की तो मेरा सर नेम गोडिल है. मेरा पूरा नाम जया संजय गोडिल है.

अब मैं अपने बारे मे कुछ बताती हू. मेरा बर्तडे है 01/05/83, गुजरात स्टेट का जनम दिवस और मेरी उमर 28 साल की है. मेरा जनम सूरत मे नही . महसाना जिले(डिस्ट्रिक्ट) के एक छोटे से गौव मे हुआ था. मैने 12थ, BBआ, MBआ किया है. मेरी शादी हो चुकी है और मे मेरे पति के साथ सूरत मे रह रही हू और मेरा मयका भी सूरत मे ही है. मेरा रंग गोरा है (मम्मी की तरह). मेरी हाइट 5फ्ट 3इंच है. मेरे बाल . तक लंबे, काले और बहुत ज़्यादा घने है.

अब मे आपको मेरी पिछली ज़िंदगी के बारे मे बताती हू. ये कहानी उस वक़्त की है जब मे 12थ स्ट्ड ख़तम कर के कॉलेज के पहले साल मे पढ़ती थी. हम मेरे नेटिव प्लेस से सूरत रहने आए थे. बजाह थी पापा की जॉब जो कि हज़ीरा मे ट्रान्स्फर हुई थी. हमे हज़ीरा के क्वॉर्टर्स मे रहने को मिला था. लेकिन मेरा कॉलेज जो कि गुजराती कॉलेज था उसकी बजाह से हमे रंदर मे घर किराए पे लेना पड़ा.

मुझे सीधे ही उस घर मे शिफ्ट हो ना था क्यूंकी पापा ने खुद ही वो घर सेलेक्ट कर लिया था. ., 1स्ट जून को हम वाहा शिफ्ट हो गये. वो दो मज़िला घर था, हमे दूसरी मज़िल मे रहना था. उसमे 2 रूम और 1 हॉल कम किचन था. दोनो रूम मास्टर बेडरूम थे. एक मेरे लिए और एक मम्मी-पापा के लिए. मे बहुत खुस थी अपने नये घर मे आके. पापा ने हमे बताया था कि नीचे वाले घर मे एक अंकल रहते है जो इस बंगलो के मालिक है. मेने और मम्मी ने उन्हे अभी तक नही देखा था और उनके बारे मे हमे कोई जानकारी भी नही थी.

डेट 17-जून-2000 हल्की सी बारिस हो रही थी. मेने अपने जिस्म को खुद अच्छी तरह से साफ कर के कॉलेज ड्रेस पहन लिया. हमारी कॉलेज मे ड्रेस पहनना है, उपर एक शर्ट और नीचे एक लहँगा या पयज़ामा. जब मे सुबह कॉलेज जाने के लिए नीचे सीडिया उतर के पहले माले से जा रही थी तभी एक हाथ पीछे से आके मेरी गर्दन पे आया और मुझे उसकी और खीच लिया, और मेरे नाज़ुक होंठो को चूमने लगे. मेरे एक हाथ मे कॉलेज बॅग थी जिसे मेने बहुत ज़ोर से पकड़ा हुआ था और एक हाथ मे छाता था उसे भी मेने ज़ोर से पकड़ लिया क्यूंकी मे काफ़ी डर चुकी थी. मेने अपनी आखे बंद कर रखी थी क्यूंकी मुझे पता नही था वो कौन है इंसान या कोई भूत.वो मेरे होंठो को हल्के से चूस रहे थे, मे कोई विरोध नही कर रही थी, मे डरी हुई थी. वो पहले मेरे उपर के होठ को चूम के उसके रस को चूस रहे थे और उसके साथ लेफ्ट हाथ मेरी गर्देन पे था और राइट हाथ मेरी कमर पे. फिर वो मेरे नीचे के होठ को चूमने लगे और उसका भी रस पी लिया.वो मुझे करीब 10 मिनट तक मेरे दोनो होंठो को बारी बारी चूम ते रहे. इस दोरान मेने अपनी आँखो को थोड़ा सा खोल के देखा, वो एक इंसान का मूह था, मे थोड़ा सा शांत हुई क्यूंकी ये कोई भूत नही है, उनके चेहरे मे एक अजीब सा आकर्षण था, उनके बाल सफेद थे, आँखे बड़ी थी, उनके पूरा चेहरा गोरा था. मेने सोचा ये नीचे वाले अंकल ही होंगे जो इस घर के मालिक है. मुझे बहुत अजीब और अच्छा सा महसूस हो रहा था, क्यूंकी हल्की बारिश से मौसम भी थोड़ा भीना हो गया था और ठंडी हवाए चल रही थी, ये मेरी जिंदगी का पहला अनुभव था जब मेरे होंठो को किसी ने होंठो से चूमा था, उस वक़्त कोई खुले आम कुछ नही करता था इसलिए मुझे सेक्स और लव और किस की कोई पता नही थी (राइट टू इन्फर्मेशन) और हमे मम्मी-पापा भी कुछ बताते नही थे, और मेने कभी मेरे जिस्म के साथ कुछ प्यार भरा अनुभव नही किया था, और मेरे लिए वो चुंबन का पहला शारीरिक(फिज़िकल) अनुभव था.10 मिनट के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया और मे ने कुछ पीछे कदम लेते हुए आँख खोल के देखा. वो एक प्रौढ़ आदमी थे तकरीबन 41 यियर्ज़ की उमर के, वो काफ़ी हत्ते कत्ते लग रहे थे, उन्होने उपर कुछ पहना नही था और इनका सीना काफ़ी चौड़ा था और उनकी छाती पे सफेद बाल भी थे, नीचे एक पेंट था और वो मुझे देख के मुस्करा रहे थे. मे भी मुस्करा कर वाहा से कॉलेज चली गयी.

कॉलेज मे रिसेस के टाइम पे सोच ने लगी अंकल ने मेरे होंठो को जिस तरह चूम लिया था उसे मे याद कर रही थी. मेने जब उनकी तरफ देखा था उस वक़्त उनका थोड़ा सा हस्ता हुआ चेहरा मेरे सामने आ गया, मे उनके लाल होंठो को देख रही थी, वो भी मेरी तरह गोरे ही थे. अंकल के मेरे होंठो को चूम ने से मुझे काफ़ी शरम आ रही थी और मेरे दिल मे कुछ हो रहा था. मेरा दिमाग़ बस उस चुंबन को ही याद कर रहा था और जो मे सोच रही थी कि वो इंसान है या भूत उस पे हंस रही थी. मेरे लिए ज़िंदगी का पहला अनुभव है, अंकल ने मेरे नाज़ुक होंठो बहुत ही प्यार से चूमा था. यही सोचते रिसेस ख़तम हो गयी और जल्दी छुट्टी मिली थी क्यूंकी सुरू के दिनो मे कॉलेज मे ज़्यादा पढ़ाते नही है और मे घर के लिए चल पड़ी.

मेने घर आके देखा कि नीचे का कमरा बंद था. जैसे ही सीडियो से उपर जाने लगी कि मुझे सुबह वाला चुंबन का किस्सा याद आ गया और मे मुस्काराके उपर चली गयी. मे घर जाते मम्मी से ये सब बात करने वाली थी, क्यूंकी मेरे साथ ऐसा पहले कभी नही हुवा था, वैसे तो मेरे मम्मी - पापा मुझे ज़्यादा प्यार नही करते, क्यूंकी लव मॅरेज के बाद वो दोनो काफ़ी लड़ते थे और उनका वक़्त सिर्फ़ उसमे ही निकल जाता था. मे ने घर मे जाके के देखा के मम्मी के रिस्तेदार जो कि सूरत मे रंदर मे रहते है वो उनसे मिलने आए थे और उनकी बजह से सारा घर भरा हुआ था क्यूंकी वो एक दो तो होते नही है एक ही घर मे टोटल 20 लोग होगे और ऐसे दो रिस्तेदार के घर वाले आए थे जो कि 40 लोग थे. उनमे से काफ़ी सारे छोटे बच्चे भी थे. सो मे उसमे से एक बच्चे को नीचे घुमाने ले के गयी क्यूंकी उपर गर्मी की परेसानी से वो रो रहा था. मेने नीचे जाते ही देखा कि अंकल के रूम मे लाइट ऑन थी, मे थोड़ा सा डर गयी कही अंकल मुझे फिरसे ना पकड़ ले. वो बच्चे की रोने की आवाज़ से बाहर आए और उन्होने मुझे देखा कि वो बच्चा मेरे से चुप नही हो रहा था. सो अंकल मेरे आगे आए और बच्चा मेरे पास से ले लिया और अंदर चले गये मे भी उनके पीछे चली गयी. उन्होने बच्चे को फॅन के पास सोफे पे लिटा दिया, और वो बच्चा भी तुरंत फॅन की हवा से सो चुप हो गया और उसे नींद आने लगी.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: मेरी बेकाबू जवानी

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मे जैसे ही अंकल के हॉल कम किचन मे गयी तो मे अंदर की सजावट को देखती ही रह गयी. बड़े और आलिसन सोफे, माचिल घर, कलातंक और डॅन्स करती हुई मूर्तिया, बड़ा सा टीवी, उपर की दीवाल पे डिज़ाइन, नीचे मार्बल लगे हुए थे. जब अंकल ने उस बच्चे को सुला दिया तो उन्होने मुझे सर से पाव तक देखा. मेने उस समय पे वाइट कलर की फ्रोक पहनी हुई थी. अंकल खड़े हो के दरवाजा बंद करने गये. अंकल ने एक दो कदम बढ़ते ही मुझे पीछे से पकड़ लिया, मे थोड़ा डर सी गयी. अंकल ने मेरा मूह उनकी ओर करते हुए मेरी कमर को अपने कड़क हाथो से घुमाया. मेरी नज़र नीचे थी और सुबह की तरह ही उन्होने उपर कुछ नही पहना था. उन्होने मुझे अपनी ओर काफ़ी ज़ोर से खिच के पकड़ा हुआ था, उससे मेरा पूरा जिस्म उनके जिस्म से पूरी तरह लग गया था, मानो हवा भी हमारे बीच नही थी. सबसे ज़्यादा ज़ोर मेरी छाती पे था क्यूंकी उनकी छाती काफ़ी बड़ी थी और उनका घाटीला बदन, जो मुझे ज़ोर से पकड़ के रखा हुआ था. अंकल के दोनो हाथ मेरी कमर पे थे और मेरे दोनो हाथ नीचे की ओर थे. फिर अंकल ने अपना राइट हॅंड मेरी कमर से हटा के मेरी गर्दन की और बढ़ाया और मेरे चेहरे को उपर किया. लेकिन मेने आँख बंद कर ली थी शरम और डर के मारे. फिर अंकल ने अपना लेफ्ट हॅंड जो मेरी कमर पे था उसे मेरी गर्दन पे रख दिया और तुरंत ही राइट हॅंड से मेरी कमर पकड़ ली और मुझे अपने जिश्म से दबाते हुए मेरे उपर के होठ को अपने दोनो होंठो के बीच मे रखा के हल्के से चूमने लगे. मेरा पूरा ध्यान सिर्फ़ मेरे होंठो पर ही रहा इस नये अनुभव के आनंद मे डूबा हुवा था. करीब 5 मिनट उपर के होठ को चूमने के बाद उन्होने मुझे थोड़ा सा ढीला छोड़ दिया, मेरी आँखे अब भी बंद थी और मे अपने होंठो पे आए पानी को अपने राइट हाथ से पोछने वाली थी कि अंकल ने मेरा राइट हाथ अपने गर्दन पे रख दिया और लेफ्ट हाथ को उनकी कमर के पीछे के साइड पे रख दिया और मुझे अपनी और नज़दीक करते हुए मेरे नीचे के होठ को अपने दोनो होंठो के बिचमे रखते हुए चूमने लगे, मेरे दोनो हाथ उनके जिश्म पे थे और उनका जिस्म उपर से नंगा था और ये पहली बार था का मे किसी इंसान को इस तरह से पकड़ रही थी, मेरे दिल को ये बहुत अच्छा लग रहा था. मेरी ज़िंदगी का ये पहला सरिरिक(फिज़िकल) अनुभव था और वो एक अंजान आदमी के साथ. सो अंकल की और से किए गये इस चुंबन से मे काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी और मेरा दिल भी ज़ोरो से धड़क रहा था. करीब 20 मिनट मेरे होंठो को चूमने के बाद उन्होनो ने मुझे छोड़ दिया.

फिर मेरी कमर मे हाथ डालके अंकल ने मुझे सोफे पे बिठा दिया और मेरे बाजू मे राइट साइड मे बैठ गये. अंकल का लेफ्ट हाथ मेरे गर्दन पर था और राइट हाथ से उन्होने मेरे राइट हाथ को पकड़ लिया और अपनी हाथो की उंगलिया को मेरी हाथो की उंगलिया को ज़ोर से दबा दिया. मेरी आँखे अभी भी बंद थी ये सब मे अपने जिस्म पे चल रहे उनके हाथो को महसूस कर के सोच रही थी और मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था. अंकल मुझे अपनी ओर नज़दीक करते हुए मेरे होंठो को चूमने लगे. इस पोज़िशन मे मेरी गर्दन और मेरा राइट हाथ ही उनसे दबा हुवा था और बाकी का जिस्म आज़ाद था, सो मे काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी. इस बार मेरे होंठो मे आए मेरे रस को अंकल काफ़ी ज़ोर से होंठो को खिच के चूम रहे थे, इस से मेरा गला सुख रहा था. मेने ज़ोर से सास लेते हुए अंकल के होंठो को चूम लिया, और तभी मेरे पूरे जिस्म मे जैसे एक करेंट सा लगा हो वो पूरा काँपने लगा. में उस वक़्त अंकल की सासो को अपने मूह के पास गरम गरम महसूस कर रही थी. मेने भी अंकल के होंठो कई बार सास लेने की और गला सुख जाने की बजह चूम लिया. मुझे नही पता मे क्या कर रही थी लेकिन मेरे दिल को बहुत अच्छा लग रहा था और मेरे गले की प्यास भी भुज रही थी. अंकल मुझे और ज़ोर से अपने करीब लाते हुए मेरी गर्दन और मेरे हाथो पर दबाव बढ़ाने लगे, मेरा पूरा जिस्म अकड़ रहा था. ये देखते ही अंकल ने मुझे सोफे पे पीछे की ओर झुकाते हुए मुझे आराम से चूमने लगे, इसके साथ ही उन्होने मेरा राइट हाथ छोड़ दिया और उसे अपनी कमर के पीछे अपनी पीठ पर रख दिया और मेरे लेफ्ट हाथ को अपने गर्दन पे रख दिया और अपना राइट हाथ मेरी कमर के उपर के भाग से और मेरी छाती की नीचे से मेरी पीठ पे ले के मुझे ज़ोर से दबोच लिया. इसके साथ ही उनकी बड़ी सी छाती से मेरी नाज़ुक सी छाती दब सी गयी. मेने पहली बार अपने छाती को और मेरे छोटे से स्तन दबते हुए महशुस कर रही थी, क्यूंकी इस से पहले मेरा सिर्फ़ चुंबन पर ही ध्यान था. मेरे छाती दबने से मुझे काफ़ी गुदगुदी सी होने लगी और मेरा दिल जोकि जोरो से धड़क रहा था और साँसे तेज चल रही थी उसके बजह से मेरी छाती जोरो से उपर नीचे हो रही थी लेकिन अंकल की छाती से जोरो से दबने से वो और उपर नीचे नही हो सकी और दबने के बाद मेरी छाती उनकी छाती मे जेसे समा गयी हो, ऐसा सोचते ही मुझे काफ़ी शरम सी आ गयी और में अंकल को अपने राइट हाथ से उनकी पीठ पर घुमाने लगी.

मेरे राइट हाथ को अंकल की पीठ पे घुमाने से उन्होने उनका राइट लेग मेरी दोनो लेग के बिचमे दबाने लगे, मेने उनकी सहायता करते अपने लेफ्ट लेग को थोड़ा सा उपर उठाके उनकी जाँघो पर रख दिया, अब वो और आज़ाद लग रहे थे और वो मेरे पूरे जिस्म पे ज़ोर से दबाव बढ़ाने लगे. मे एक चिड़िया की तरह उनके गिरफ्तमे थी. फिर ऐसे ही करीब 30 मिनट कब बीत गये पता ही नही चला. उन्होने एक मोड़ पर मुझे छोड़ दिया, तब मेने देखा के वो काफ़ी थके हुए लग रहे थे और उनका जिस्म फॅन चालू हो ने के बबजूद पूरा पसीने से भरा था. मेरा राइट हाथ जो कि उनकी पीठ पर था वो भी उनके पीठ पे घुमाने से पूरा भीग गया था, मेरी छाती भी भीग गयी थी, और मेरे चेहरे पे उनके पसीने की बूँद गिर रही थी. मेने अपनी आँख खोलते हुए देखा कि अंकल का पूरा जिस्म पसीने से पानी पानी हो रहा था. उन्होने एक बड़े रुमाल से अपने आपको साफ किया और फिर मेरे चेहरे को साफ कर के मेरे हाथो को साफ कर दिया. उसी दौरान मेरा एक कज़िन भाई जो की 2न्ड मे पढ़ता है वो नीचे मुझे ढूढ़ने आया था क्यूंकी वो लोग जाने वाले थे, उसने मुझे बाहर ढूँढा लेकिन नही मिलने पर उसने अंकल के रूम के पास आके मुझे आवाज़ लगाई “ जया दीदी क्या आप अंदर हो” , और मे उस छोटे बच्चा के साथ उसके साथ अपने घर चली गयी. वाहा जाके मेने उस छोटे बच्चे को उसकी मा को दे दिया और अपनी मम्मी के पास चली गयी. मम्मी ने मुझे बताया कि हम सब उनके रिस्तेदार के घर जा रहे है. जब मे उन लोगो के साथ नीचे उतर रही थी मेने अंकल के घर का डोर बंद पाया और हम चले गये. हम रात को काफ़ी देर से घर आए. मेने देखा के अंकल के घर की लाइट ऑफ थी तो मे समझ गयी की अंकल सो गये होंगे. मे घर मे आते ही अपनी मम्मी को सब बताने वाली थी क्यूंकी मे उन्हे अकेले मे मिल नही पाई थी, लेकिन मम्मी पूरे दिन की थकान से लोट पोट होके सोने चली गयी. मे भी अपने कमरे आके दोपहर को जो हुआ था उसे याद करके मीठे सपनो मे सो गयी.
क्रमशः........
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: मेरी बेकाबू जवानी

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Meri Bekaabu jawaani--1

Hi Mera nam Jayaa hai. Main Surat ki rahne vali hu. Meri sir name me kafi twist hai. Mere papa Hindu hai aur unka nam Sanjay Patel hai. Meri maa Muslim hai aur unka nam Naz Godil hai. Unki love meriage hui hai. Rahi bat mere sir name ki to mera sir name Godil hai. Mera pura nam Jayaa Sanjay Godil hai.

Ab main apne bare me kuch batati hu. Meri birthday hai 01/05/83, Gujarat state ka janam divas aur meri umar 28 sal ki hai. Mera janam Surat me nahi balke Mehasana jile(district) key ek chote se gauv me hua tha. Maine 12th, BBA, MBA kiya hai. Meri shadi ho chuki hai aur me mere pati ke sath Surat me rah rahi hu aur mera mayka bhi surat me hi hai. Mera rang gora hai (mummy ki tarah). Meri hight 5ft 3inch hai. Mere baal kamar tak lambe, kale aur bahut jyada ghane hai.

Ab me aapko meri pichali zindagi ke bare me batati hu. Ye kahani us waqt ki hai jab me 12th std khatam kar ke college ke pahle sal me padhti thi. Hum mere native place se Surat rahne aaye the. Bajah thi papa ki job jo ke Hazira me transfer hui thi. Hume hazira ke quarters me rahne ko mila tha. Lekin mera college jo ki Gujarati college tha uski bajah se hame Randar me ghar kiraye pe lena pada.

Mujhe sidhe hi us ghar me shift ho na tha kyunki papa ne khud hi vo ghar select kar liya tha. So, 1st jun ko hum vaha shift ho gaye. Vo do mazila ghar tha, hame dusri mazil me rehna tha. Usme 2 room aur 1 hall cum kitchen tha. Dono room master bedroom the. Ek mere liye aur ek mummy-papa ke liye. Me bahut khus thi apne naye ghar me aake. Papa ne hame bataya tha ki niche vale ghar me ek Uncle rahte hai jo is bungalow ke malik hai. Mene aur mummy ne unhe abhi tak nahi dekha tha aur unke bare me hame koi jankari bhi nahi thi.

Date 17-Jun-2000 halki si baris ho rahi thi. Mene apne jism ko khud achhi tarah se saf kar ke college dress pahan liya. Hamari college me dress pahana hai, upar ek shirt aur niche ek lehnga ya payjama. Jab me subah college jane ke liye niche sidiya utar ke pahle male se ja rahi thi tabhi ek hath piche se aake meri gardan pe aaya aur mujhe uski aur khich liya, aur mere nazuk hontho ko chumne lage. Mere ek hath me college bag thi jise mene bahut jor se pakda hua tha aur ek hath me chhata tha use bhi mene jor se pakad liya kyunki me kafi dar chuki thi. Mene apni aakhe band kar rakhi thi kyunki mujhe pata nahi tha vo koun hai insan ya koi bhoot.Vo mere hontho ko halke se chus rahe the, me koi virodh nahi kar rahi thi, me dari hui thi. Vo phale mere upar ke hoth ko chum ke uske ras ko chus rahe the aur uske sath left hath meri garden pe tha aur right hath meri kamar pe. Phir vo mere niche ke hoth ko chumne lage aur uska bhi ras pi liya.Vo mujhe karib 10 minat tak mere dono hontho ko bari bari chum te rahe. Is doran mene apni aankho ko thoda sa khol ke dekha, vo ek insane ka muh tha, me thoda sa shant huee kyunki ye koi bhoot nahi hai, unke chare me ek ajib sa aakarshan tha, unke bal safed the, aankhe badi thi, unke pura chehra gora tha. Mene socha ye niche vale uncle hi honge jo is ghar ke malik hai. Mujhe bahut ajib aur achcha sa mahsus ho raha tha, kyunki halki barish se mousam bhi thoda bhina ho gaya tha aur thandi hawaye chal rahi thi, ye meri jindgi ka pahla anubhav tha jab mere hontho ko kisi ne hontho se chuma tha, us waqt koi khule aam kuch nahi karta tha isliye mujhe sex aur love aur kiss ki koi mahiti nahi thi (Right to Information) aur hame mummy-papa bhi kuch batate nahi thi, aur mene kabhi mere jism ke sath kuch pyar bhara anubhav nahi kiya tha, aur mere liye vo chumban ka pehla saririk(physical) anubhav tha.10 minat ke bad unhone mujhe chod diya aur me ne kuch piche kadam lete hue ankh kolke dekha. Vo ek budhhe aadmi the takriban 41 years ki umar ke, vo kafi hatte katte lag rahe the, unhone upar kuch pehana nahi tha aur inka sina kafi chouda tha aur unki chaatee pe safed bal bhi the, niche ek pent tha aur vo mujhe dekh ke muskara rahe the. Me bhi muskara kar vaha se college chali gayi.

College me recess ke time pe soch ne lagi Uncle ne mere hontho ko jis tarah chum liya tha use me yad kar rahi thi. Mene jab unki taraf dekha tha us waqt unka thoda sa hasta hua chehara mere samne aa gaya, me unke lal hontho ko dekh rahi thi, vo bhi meree tarah gore hi the. Uncle ke mere hontho ko chum ne se mujhe kafi sharam aa rahi thi aur mere dil me kuch ho raha tha. Mera dimag bas us chumban ko hi yad kar raha tha aur jo me soch rahi thi ki vo insan hai ya bhoot us pe has rahi thi. Mere liye zindagi ka pehla anubha hai, uncle ne mere nazuk hontho bahut hi payar se chuma tha. Yahi sochte recess khatam ho gayi aur jaldi chuti mili thi kyunki suru ke dino me college me jayda padhate nahi hai aur me ghar ke liye chal padi.

Mene ghar aake dekha ki niche ka karma band tha. Jaise hi sidiyo se upar jane lagi ki mujhe subah vala chumban ka kissa yad aa gaya aur me muskarake upar chali gayi. Me ghar jate mummy se ye sab bat karne vali thi, kyunki mere sath aisa pahle kabhi nahi huva tha, vaise to mere mummy - papa mujhe jyada pyar nahi karte, kyunki love marriage ke bad vo do kafi ladte the aur unka waqt sirf usme hi nikal jata tha. Me ne ghar me jake ke dekha ke mummy ke ristedar jo ki surat me randar me rahte hai vo unse milne aaye the aur unki baje se sara ghar bhara hua tha kyunki vo ek do to hote nahi hai ek hi ghar me total 20 log hoge aur aise do ristedar ke ghar vale aaye the jo ki 40 log the. Unme se kafi sare chote bachhe bhi the. So me usme se ek bachhe ko niche gumane le ke gayi kyunki upar garmi ki paresani se vo ro raha tha. Mene niche jate hi dekha ki uncle ke room me light on thi, me thoda sa dar gayi kahi uncle mujhe phirse na pakad le. Vo bachhe ki rone ki aavaj se bahar aaye aur unhone mujhe dekha ki vo bachha mere se chup nahi ho raha tha. So uncle mere aage aaye aur bachha mere pas se le liya aur andar chale gaye me bhi unke piche chali gayi. Unhone bachhe ko fan ke pas sofe pe lita diya, aur vo bachha bhi turant fan ki hawa se so chup ho gaya aur use nind aane lagi.

Me jaise hi uncle ke hall cum kitchen me gayi to me andar ki sajavat ko dekhti hi rah gayi. Bade aur aalisan sofe, machil ghar, kalatamk aur dance karti hiu murtiya, bada sa TV, upar ki diwal pe design, niche marbal lage hue the. Jab uncle ne us bachhe ko sula diya to unhone mujhe sar se paw tak dekha. Mene us samay pe white color ki frok pahani hui thi. Uncle khade ho ke darwaja band karne gaye. Uncle ek do kadam badhate hi mujhe piche se pakad liya, me thoda dar si gayi. Uncle ne mera muh unki or karte hue meri kamar ko apne kadak hatho se ghumaya. Meri nazar niche thi aur aur subah ki tarah hi unhone upar kuch nahi pahana tha. Unhone mujhe apni or kafi jor se khich ke pakda hua tha, usse mera pura jism unke jism se puri tarah lag gaya tha, mano hawa bhi hamare bich nahi thi. Sabse jayda jor meri chaatee pe tha kyunki unki chati kafi badi thi aur unka ghatila badan, jo mujhe jor se pakad ke rakha hua tha. Uncle ke dono hath mere kamar pe the aur mere dono hath niche ki aur the. Phir uncle ne apna right hand meri kamar se hata ke meri gardan ki aur badhaya aur mere chehre ko upar kiya. Lekin mene aankh band kar li thi sharam aur dar ke mare. Phir Uncle ne apna left hand jo meri kamar pe tha use meri gardan pe rakh diya aur turant hi right hand se meri kamar pakad li aur mujhe apne jisme se dabate hue mere upar ke hoth ko apne dono hontho ke bicha me rakha ke halke se chumne lage. Mera pura dhyan sirf mere hontho par ho rahe is naye anubhav ke anand me duba huva tha. Krib 5 minat upper ke hoth ko chumne ke bad unhone mujhe thoda sa dhila chod diya, meri ankhe ab bhi band thi aur me apne hontho pe aaye pani ko apne right hath se pochne vali thi ki uncle ne mera right hath apne gardan pe rakh diya aur left hath ko unki kamar ke piche ke side pe rakh diya aur mujhe apni aur nazdik karte hue mere niche ke hoth ko apne dono hontho ke bichme rakhte hue chumne lage, mere dono hath unke jisme pe the aur unka jism upar se nanga tha aur ye pahali bar tha ka me kisi insan ko is tarah se pakad rahi thi, mere dil ko ye bahut achha lag raha tha. Meri zindagig ka ye pehla saririk(physical) anubhav tha aur vo ek anjan aadmi ke sath. So uncle ki aur se kiye gaye is chmban se me kafi achcha mehsus kar rahi thi aur mera dil bhi zoro se dhadak raha tha. Karib 20 minat mere hontho ko chumne ke bad unhono ne mujhe chod diya.

Phir meri kamar me hath dalke Uncle ne mujhe sofe pe bitha diya aur mere baju me right side me baith gaye. Uncle ka left hath mere gardan par tha aur right hath se unhone mere right hath ko pakad liya aur apni hatho ki ungliya ko meri hatho ki ungliya ko jor se daba diya. Meri aankhe abhi bhi band thi ye sab me apne jism pe chal rahe unke hatho ko mahsus kar ke soch rahi thi aur mere dil joro se dhadak raha tha. Uncle mujhe apni or nazdik karte hue mere hontho ko chumne lage. Is position me meri gardan aur mera right hath hi unse daba huva tha aur baki ka jism aazad tha, so me kafi achha mahsus kar ahi thi. Is bar mere hontho me aaye mere ras ko uncle kafi zor se hontho ko khich ke chum rahe the, is se mera gala sukh raha tha. Mene jor se sas lete hue uncle ke hontho ko chum liya, aur tabhi mare pure jism me jaise ek current sa laga ho vo pura kapne laga. Mene us waqt uncle ki saso ko apne muh ke pas garam garam mahsus kar rahi thi. Mene bhi uncle ke hontho kai bar sas lene ki aur gala sukh jane ki bajhase chum liya. Mujhe nahi pata me kya kar rahi thi lekin mere dil ko bahut achha lag raha tha aur mere gale ki pyas bhi buj rahi thi. Uncle ne mujhe aur zor se apne karib late hue meri gardan aur mere hatho par dabav badhane lage, mera pura jism akad raha tha. Ye dekhate hi uncle ne mujhe sofe pe piche ki aur jukate hue mujhe aaram se chumne lage, iske sath hi unhone mera right hath chod diya aur use apni kamar ke piche apni pith par rakh diya aur mere left hath ko apne gardan pe rakh diya aur apna right hath meri kamar ke upar ke bhag se aur meri chati ki niche se meri pith pe le ke mujhe zor se daboch liya. Iske sath hi unki badi si chaatee se meri najuk si chaatee dab si gayi. Mene pahli bar apne chaatee ko aur mere chote se stan dabat hue mehshus kar rahi thi, kyunki is se pahle mera sirf chumban par hi dhyan tha. Mere chaatee dabne se mujhe kafi gudgudi si hone lagi aur mera dil joki joro se dhadak raha tha aur sase tej chal rahi thi uske baje se meri chaatee joro se upar niche ho rahi thi lekin uncle ki chaatee se joro se dabne se vo aur upar niche nahi ho saki aur dabne ke bad meri chaatee unki chaatee me jese sama gayi ho, aisa sochate hi mujhe kafi sharam si aa gayi aur mene uncle ko apne right hath se unki pith par gumane lagi.

Mere right hath ko uncle ki pith pe gumane se unhone unka right leg meri dono leg ke bichme dabane lage, mene unki sahayata karte apne left leg ko thoda sa upar uthake unki jahngo par rakh diya, ab vo aur aazad lag rahe the aur unhone mere pure jisme pe zor se dabav badhane lage. Me ek chidiya ki tarah unke girftme thi. Phir aise hi karib 30 minat kab bit gaye pata hi nahi chala. Unhone ek mod par mujhe chod diya, tab mene dekha ke vo kafi thake hue lag rahe the aur unka jism fan chalu ho ne ke babjud pura pasine se bhara tha. Mera right hath jo ki unki pith par tha vo bhi unke pith pe gumane se pura bhig gaya tha, meri chaatee bhi bhig gayi thi, aur mere chehare pe unke pasine ki bund gir rahi thi. Mene apni aankh kholte hue dekha ki uncle ka pura jism pasine se pani pani ho raha tha. Unhone ek bade rumal se apne aapko saf kiya aur phir mere chehre ko saf kar ke mere hatho ko saf kar diya. Usi doran mera ek cousin bhai jo ki 2nd me padhta hai vo niche mujhe dhudhne aaya tha kyunki vo log jane vale the, usne mujhe bahar dhudha lekin nahi milne par usne uncle ke room ke pass aake mujhe aavaj lagai “ Jayaa didi kya aap andar ho” , aur me us chote bachha ke sath uske sath apne ghar chali gayi. Vaha jake mene us chote bachhe ko uski maa ko de diya aur apne mummy ke pas chali gayi. Mummy ne mujhe bataya ki hum sab unke ristedar ke ghar ja rahe hai. Jab me un logo ke sath niche utar rahi thi mene uncle ke ghar ka dor band paya aur hum chale gaye. Hum rat ko kafi der se ghar aaye. Mene dekha ke uncle ke ghar ki light off thi to me samajh gayi ki uncle so gaye honge. Me ghar me aate hi apni mummy ko sab batane vali thi kyunki me unhe akele me mil nahi payi thi, lekin mummy pure din ki thakan se lot pot hoke sone chali gayi. Me bhi apne kamre aake dopahar ko jo hua tha use yad karke mithe sapno me so gayi.
kramashah........




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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: मेरी बेकाबू जवानी

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मेरी बेकाबू जवानी--2


गतान्क से आगे......
डेट 18-जून-2000. सुबह उठ ते ही मेने फ़ैसला कर दिया के मे मम्मी को अभी कुछ नही बताउन्गि क्यूंकी मुझे भी अजीब सा मज़ा आ रहा था और मे इसे रोकना नही चाहती थी. मम्मी को नही बताने की एक और बजह थी कि अंकल इस घर के मालिक है और अगर मेने उनके खिलाफ कुछ कहा तो मम्मी पापा मेरा विश्वास नही करेंगे, क्यूंकी वो मेरी किसी भी बात को कभी भी दिमाग़ पे नही लेते थे, क्यूंकी वो मुझे एक छ्होटी बच्ची ही समझ ते थे. मे बाथरूम मे नहा धोके फ्रेश हो कर अपना कॉलेज यूनिफॉर्म जोकि उपर एक शर्ट और नीचे पेंट, दोनो ही वाइट थे वो पहन्के और अपना कॉलेज बेग और छाता लेके कॉलेज जाने लगी. नीचे उतरते ही अंकल सामने खड़े थे कल वाली ड्रेस मे, मे नज़र झुकाते वाहा से आगे जाने लगी, अंकल ने मुझे पकड़ा के अपने जिस्म के साथ मुझे पूरा सटा दिया, लेफ्ट हाथ मेरे गर्दन पे और राइट हाथ मेरी कमर पे रख के मेरे होंठो को चूमने लगे. मेरे दोनो हाथो मे बॅग और छाता था. मेरे होंठो को 15 मिनट तब चूमने के बाद उन्होने मुझे छोड़ दिया. उन्होने मेरी दोनो बाजू को पकड़ कर मुझे उपर से नीचे देख रहे थे, मेरी नज़र नीचे की ओर थी. अंकल ने अपने पॉकेट मे से एक सोने की चैन निकाली और मेरी शर्ट की पॉकेट मे रख दी जोकि मेरे दिल के बहुत पास थी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था उनके इस प्यार से के वो मुझे इतनी कीमती सोने की चैन दे रहे थे. फिर मे वाहा से कॉलेज जाने के लिए निकल गयी और एक बार अंकल की ओर देख कर उन्हे हल्की सी मुस्कुराहट दी. कॉलेज मे रिसेस के टाइम मे मेने वो चैन अपने शर्ट के पॉकेट से निकाल के देखा, वो एक भारी सोने की चैन थी, उसमे एक लॉकेट भी था जिस का शेप दिल जैसा था, मे उसे देख के बहुत ही ज़यादा शर्मा गयी और उस चैन को अपने दिल से लगा दिया और मन ही मन मे शरमाने लगी. मेने सोने की चैन को वापस अपने स्कूल के बेग मे रख दी ता कि कोई देख ना ले. और आज भी जल्दी छुट्टी मिली थी सो मे जल्दी ही अपने घर जाने के लिए चल पड़ी.

मे जल्दी जल्दी चलके अपने घर पर जाना चाहती थी बलके आज जल्दी छुट्टी मिलने की बजह से मे अंकल के पास जाना चाहती थी. मे जैसे ही नीचे से गुज़री की अंकल वाहा खड़े थे शायद उन्हे मालूम था कि कॉलेज मे जल्दी छुट्टी मिलने वाली थी. मुझे वो उन्होने मेरी कमर पे हाथ रख के अपने घर मे ले गये. अंदर जाते ही उन्होने मेरे हाथो से कॉलेज बेग और छाता ले लिया और बाजू पे रख दिया. मे अंकल की छाती को देख रही थी जोकि ओपन थी और उन्होने नीचे आज पेंट की जगह एक बड़ी चढ्ढि पहनी हुई थी. उस वक़्त अंकल की निगाहे मेरी आँखे को देख रही थी वो देख रहे थे और जैसे ही मेने उपर की ओर देखा तो मेरी और उनकी नज़र एक हो गयी और मे शरम से लाल हो गयी और मेरा जिस्म कपने लगा मानो एक अजीब सी लहेर दौड़ रही हो पूरे जिस्म मे, और मेने आँखे नीचे झुका दी.अंकल ने डोर बंद कर दिया.हम दोनो सोफे की और बैठने के लिए बढ़े. अंकल ने अपना लेफ्ट हाथ मेरी गर्दन पर रख कर मुझे सोफे पे बिठा दिया और राइट हाथ मेरे छाती से तोड़ा नीचे ले जाके मेरी पीठ पे रख दिया और मेरे होंठो को चूमने लगे. फिर कल की ही तरह उन्होने अपना राइट लेग मेरी दोनो लेग के बीच मे रख दिया. मुझे आज कल से ज़्यादा मज़ा आ रहा था. उन्होने 15 मिनट मेरे होंठो को चूमने के बाद मुझे छोड़ दिया. अंकल ने अपना राइट हाथ जोकि मेरी पीठ पे था उसे मेरी गर्दन के पास लाके घुमाने लगे. मेरी नज़र उनके हाथ पे थी. फिर मे समझ गयी कि वो सोने की चैन ढूँढ रहे थे. मेने डरते और शरमाते हुए इशारो से बेग बताया और वो समझ गये कि सोने की चैन कॉलेज बेग मे है. वो उठ के बेग मे चैन ढूँढ रहे थे. मेरी हिम्मत नही हो रही थी के मे उन्हे वो चैन निकाल के दू. उन्हे मेरे कॉलेज बेग मे ज़्यादा बुक ना होने की बजह से वो सोने की चैन मिल गयी. अंकल वो चैन लेके मेरे पास आए और अपने घुटनो के बल बैठ के मेरी ओर देखने लगे, मे तिरछी नज़र से उन्हे देख रही थी, उन्होने चैन के लॉकेट को चूमा और मेरी तरफ आगे बढ़ गये. उन्होने बैठे बैठे ही अपने घुटनो के बल पे मेरे सामने आ गये. उनकी हाइट मेरे से 3 या 4 इंच ज़्यादा थी. उन्होने मेरी कमर पर हाथ रख के मुझे सोफे से उनकी और खिचा. उन्होने मेरे दोनो पाव को थोड़ा सा चौड़ा कर दिया और अपनी कमर के दोनो बाजू पे एक एक करके रख दिया. अंकल ने मेरे शर्ट का पहला बटन खोल दिया, मे बहुत ज़ोर्से काँप रही थी, फिर अंकल ने मेरे गर्दन के पीछे हाथ रहके वो चैन मेरे गले पे रख दिया. अंकल से चैन लॉक नही लग रहा था, वो उठ के जल्दी से सोफे पे आके मेरे पीछे बैठ गये और मेरे बालो को आगे करते हुए चैन का लॉक लगा दिया. उन्होने मुझे पीछे से मेरी कमर मे हाथ डाल के पकड़ लिया. मेरी पीठ उनकी छाती से लगी हुई थी और उनके हाथ मेरी कमर पे थे, उन्होने पहले मेरे राइट डाल को चूम लिया और फिर मेरे बालो को पीछे करते हुए मेरे लेफ्ट गाल को चूम लिया, इन दो नो चुंबन से मेरे दिल मे कुछ कुछ होने लगा और मैने शरम से अपना मूह अपने हाथो से छुपा लिया. अंकल पीछे से खड़े होके मेरे बाजू मे आके बैठ गये और कल की तरह अपने हाथ रख के और मेरे दोनो हाथ भी कल की जगह पे रख के मेरे होंठो को चूमने लगे. अंकल 5 मिनट के बाद मेरी गर्दन पे चूमने लगे जहा वो सोने की चैन लगी हुई थी, इससे मे काफ़ी कराह रही थी और मेने एक हाथ से उनके सिर को पकड़ लिया और उनके बालो मे हाथ फेरने लगी. अंकलने मेरा ये बर्ताव देख कर मेरी गर्दन पर हल्का सा काट दिया और मुझे छोड़ दिया. मेने अपनी शर्ट मे हाथ डाल के सोने की चैन के लॉकेट को अपने दिल के पास रख ते हुए पहला बटन बंद करके वही बैठी रही. फिर अंकल किचन मे चले गये और दो ग्लास जूस के बनाने लगे. अंकल हॉल मे आके मेरे हाथो को पकड़ कर मुझे किचन मे ले गये और डिन्निंग टेबल पे बिठा दिया और वो मेरे बाजू वाली चेअर पे बैठ गये. मेने किचन देखा वो भी हॉल की तरह बड़ा था और जो किचन मे होना चाहिए था वो सब कुछ था.


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Re: मेरी बेकाबू जवानी

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पहली बार मैं अंकल से थोड़ा दूर बैठी थी क्यूंकी इससे पहले तो हर बार की मुलाकात मे उन्होने सिर्फ़ मेरे होंठो को चूमा ही था और आज मुझे सोने की चैन पहना दी थी. पहली बार अंकल के साथ बातचीत हो रही थी ये इस तरह है.
अंकल : “ मेरा नाम राज शर्मा है और मैं इस घर का मालिक हू. आपके पापा ने मुझे बताया था कि आपकी फॅमिली मे 3 मेंबर है. जब मेने सुना कि एक लड़की है जो कॉलेज मे पढ़ती है और इसका दाखिला करना है, तो मेने अपने ही कॉलेज मे तुम्हे दाखिला दिलवा दिया. हा मे तुम्हारी कॉलेज का रिटाइर्ड प्रोफेसर हू. तुम्हारा नाम जया है. जब मेने तुम्हे पहली बार देखा तो मे देखा ता रह गया क्यूंकी मेरी पूरी कॉलेज की लाइफ मे मेने तुम जैसी लड़की नही देखी थी. मे अकेला रह रहा हू सो मेने तुम्हे चुना है मेरा अकेला पन दूर करने के लिए और अपने दोनो के जिस्म की प्यास मिटाने के लिए. क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगी ? मेरे साथ दोस्ती करोगी तो मे तुम्हे कॉलेज की सभी परेसानियो से बचा लूँगा और तुम्हे मुझे खुस करने पर हर वक़्त एक सर्प्राइज़ गिफ्ट भी मिलेगा. बोलो क्या सोच रही हो ?”
मे उनकी सारी बात सुन रही थी लेकिन जिस्म की प्यास के बारे मे कुछ पता नही चला और मे सोच मे डूब गयी कि क्या वो मुझे हर रोज़ चूमेंगे ………
मेने कहा : “ मे आपका बहुत ज़्यादा सुकिरया करती हू के आपके कहने पर मुझे कॉलेज मे अड्मिशन मिला और आपने कहा कि आपके साथ दोस्ती कर लू तो कोई परेसानी नही होगी. लेकिन ये जिस्म की प्यास क्या है ? वो मुझे मालूम नही है शायद मे उसे नही मिटा सकी तो आप से दोस्ती भी टूट जाएगी और मेरी परेसानिया भी बढ़ सकती है.सो आप मुझे जिस्म की प्यास के बारे मे कुछ बातायँगे तो ठीक है क्यूंकी मे आपसे दोस्ती करना चाहती हू आपका अकेला पन भी दूर हो जाएगा और मेरा ट्यूशन भी लेना नही पड़ेगा.”
राज अंकल: “ अरे जया बिटिया तुमने मेरी दोस्ती को कबूल कर लिया वोही मेरे लिए बहुत है. रही बात जिस्म की प्यास की वो तुम मुझ पे छोड़ दो. तुम आजसे बस वही करोगी जो मे चाहता हू. ठीक है.” मेने कहा : “ ठीक है”. राज अंकल बोले : “ आ जाओ मेरी जया रानी मेरी जाँघो पे बैठ जाओ और अपने इस प्यारे हाथो से मुझे जूस पिलाओ.” मैं शरम के मारे उठ के अंकल की जाँघो पे बैठ गयी और उन्हे जूस पिलाने लगी. फिर अंकल ने भी मुझे अपने ग्लास से जूस पिलाया. मेने पहली बार किसी का झूठा पिया होगा. उन्होने ग्लास नीचे रखते हुए कहा “ अपनी शर्ट का पहला बटन खोल दो” मेने अपनी शर्ट का पहला बटन खोल दिया और लज्जा से लाल हो गयी. उन्होने कहा “ जया मेने तुम्हे जो चैन पहनाई है वो मेने सिर्फ़ तुम्हारे लिए ही बनवाई है जिस मे लगा हुवा लॉकेट मेरा दिल है, वो लॉकेट मुझे दिख नही रहा, ज़रा उसे निकाल दो मे उसे चूमना चाहता हू, अपनी शर्ट का दूसरा बटन भी खोल दो ताकि वो मुझे साफ दिख सके और मे उसे चूम सकु.” मेने ये सुनते ही लाल हो गयी और जो लॉकेट उनका दिल था वो इस वक़्त मेरे दिल के पास था. मेने कहा “ आपका दिल मेरे दिल के पास सुरक्षित है, मुझे शरम आ रही है मेरा दूसरा बटन खोलते हुए, आपको उसे चूम ना है तो आप मेरी शर्ट के उपर से ही उसे महशुस करके उसे चूम लीजिए” इतना कहते ही राज अंकल ने मेरी लेफ्ट छाती को यानी के मेरे लेफ्ट स्तन पे हाथ रख दिया. मे ज़ोर से काँप गयी और उनकी जाँघो से नीचे गिरने ही वाली थी उन्होने मुझे गर्दन पे हाथ रख के अपने पास खिच लिया. फिर वो मेरे स्तन पे हाथ फेरते हुए वो लॉकेट यानी कि उनका दिल ढूँढ ने लगे और हल्के से दबाने भी लगे. मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था, मेरे स्तन पहली बार किसी जिंदा इंसान के हाथ से दब रहे थे, मेरे स्तन बहुत ही नरम थे कि राज अंकल का हाथ मानो मेरे दिल को छू रहा हो. राज अंकल को उनका दिल मिल गया जो कि मेरे स्तन के निपल के पास ही था. उन्होने अपना सिर मेरे स्तन के पास लाते हुए मेरे स्तन को चूम लिया और में अपना हाथ उनके बालो मे घुमाने लगी. फिर राज अंकल ने घड़ी मे टाइम देख ते कहा “ जया अब तुम जाओ और कल सुबह मे तुम्हारा इंतेजार करूँगा. और हा एक बात खास याद रखना कि मेरे दिल को अपने दिल से जुदा मत करना और अपनी मम्मी पापा को इस के बारे मे कुछ नही बताना नही तो वो तुम्हे कभी भी मेरे साथ दोस्ती नही करने को कहेंगे, क्यूंकी कोई भी मा बाप नही चाहते के उनकी लड़की किसी गैर इंसान के साथ कुछ संबंध रखे, हलाकि तुम्हारे पापा मुझे जानते है लेकिन वो विश्वास नही बना कि तुम मेरे साथ अकेले मे कुछ समय रहो और तुम्हारा जो डर था जिस्म की प्यास का वो मे तुम्हे कभी बता नही सकूँगा”. मेने कहा “ राज अंकल आअप ज़रा भी चिंता मत कीजिए मे ये दोस्ती की और जिस्म की प्यास की बात किसी से नही कहूँगी, मेरी मम्मी से भी नही, और मे ने पहले भी कहा है मे वही करूँगी जो आप चाहते हो और रही बात आपके दिल की तो मे उसे अपने दिल के पास ही रखूँगी हर वक़्त.”


मे जैसे ही अपने घर मे आई तो मम्मी ने मुझे कहा “ बेटी आज थोड़ा देर से आई” मेने कहा “ हा मम्मी मुझे कुछ काम था बुक लेने को चली गयी थी”. और मे अपने कमरे आके अपना कॉलेज ड्रेस निकाल के अपने जिस्म पे सिर्फ़ मेरी कछि ही थी और नहाने चली गयी, नहाते वक़्त मेने अंकल के दिल को भी अच्छी तरह साफ किया और उसे मेरे लेफ्ट स्तन के निपल पे रख दिया, नहाने के बाद मे जब अपना जिस्म पोछ रही थी तभी मेने देखा की अंकल का दिल मेरे दोनो स्तन के बिचमे आ रहा था, मे उस वक़्त ब्रा नही पहनती थी क्यूंकी मेरे स्तन छोटे थे ऐसा मम्मी कह रही थी. मेने जल्दी से अपना पेंट पहना और उपर एक टी-शर्ट पहन लिया और राज अंकल के दिल को अपने दिल के पास रख दिया. फिर में पूरे दिन मे होमवर्क, खाना, प्ले ख़तम करके सो गयी. रात को मुझे सिर्फ़ राज अंकल के ही सपने आते थे वो मुझे मेरे जिस्म के हर जगह को चूम रहे थे और मे पूरी तरह से नगी थी. मे इस सपने से जाग गयी और शरम से लाल होके अपना चेहरा तकिये से छुपा के सो गयी.
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