Hot stori घर का बिजनिस compleet

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jay
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Re: Hot stori घर का बिजनिस

Post by jay »

घर का बिजनिस -14

दीदी ने जब देखा कि मैं सिर्फ़ उनकी फुद्दी को हो देखे जा रहा हूँ कुछ कर नहीं रहा तो दीदी ने कहा- आलोक, क्या बात है? क्या देख रहे हो?

मैंने कहा- दीदी, मैं आपकी इस प्यारी सी फुद्दी को देख रहा हूँ जिसने मुझे अपना बना लिया है।

दीदी ने कहा- “अच्छा जी, अगर अपना बना लिया है तो तुम्हें इसने ये नहीं बताया कि आपने खुद तो नाश्ता कर लिया है लेकिन ये अभी तक भूखी है, हाँ…”

मैंने दीदी की फुद्दी पे एक किस की और कहा- दीदी, एक बात कहूं मानोगी?

दीदी ने कहा- हाँ आलोक, बोलो क्या बात है?

मैंने दीदी की आँखों में देखते हुये कहा- “दीदी, आज मैं आपकी फुद्दी नहीं बलकि आपकी ये गाण्ड मारना चाहता हूँ…”

दीदी मेरी बात से चौंक गई और कुछ सोचने के बाद बोली- “नहीं आलोक, तुम्हारा बहुत बड़ा है। मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा प्लीज़्ज़… नाराज नहीं होना भाई…”

मैंने कहा- दीदी, प्लीज़्ज़ मान जाओ ना… क्या आपको मेरे साथ कोई प्यार नहीं है? आप मेरी इतनी सी बात भी नहीं मान सकती हो?

दीदी ने कहा- “आलोक, तेरा बहुत बड़ा है, ये मेरी गाण्ड फाड़ देगा…”

मैंने कहा- “दीदी, आप प्लीज़्ज़ एक बार कोशिश तो करो अगर आपका दिल नहीं किया तो नहीं करूंगा…”

दीदी ने कहा- “भाई, दिल तो मेरा भी करता है कि मैं गाण्ड में भी करवाऊँ लेकिन तुम्हारा बहुत बड़ा है…”

मैंने दीदी की मिन्नतें शुरू कर दीं।

तो दीदी सोच में पड़ गई और कुछ देर के बाद बोली- “ठीक है आलोक, तुम तेल की बोतल ले आओ…”

मैं दीदी की बात से खुश हो गया और तेल ले आया।

तो दीदी ने कहा- आलोक, जो करना है और जितना भी करना है एक ही झटके में कर देना बार-बार का दर्द मुझसे नहीं बर्दाश्त होगा।

मैंने कहा- लेकिन दीदी, इस तरह तो ज्यादा दर्द होगा और आपकी चीखें भी बाहर तक जा सकती हैं…”

दीदी ने कहा- तुम परवाह नहीं करो, मैं अपने मुँह में कपड़ा डाल लूँगी जिससे आवाज दब जायेगी।

मैंने फौरन दीदी को डागी बना दिया और दीदी की गाण्ड पे तेल से मालिश करने लगा और साथ ही अपने लण्ड को भी तेल से अच्छी तरह भिगो दिया और दीदी की गाण्ड के सुराख के साथ लगा दिया और दीदी को कहा- दीदी, क्या मैं घुसा दूँ?

दीदी ने अपने मुँह में कपड़ा घुसा लिया और हाँ में सर हिला दिया। दीदी के सर का हिलना था कि मैंने दीदी की गाण्ड को पकड़कर एक पूरी ताकत का झटका दिया, जिससे मेरा लण्ड दीदी की नरम और मुलायम गाण्ड को खोलता हुआ जड़ तक घुस गया।

लण्ड के घुसते ही दीदी बुरी तरह से तड़पी और मुँह से गूउुउन्ण… गऊवन्न… की आवाज के साथ ही बेड पे गिर गई और मेरे नीचे से निकलने की कोशिश करने लगीं।

क्योंकि मैं पहले से ही तैयार था इसलिए मैं लण्ड के घुसते ही दीदी के साथ लिपट गया और मजबूती से पकड़ लिया, जिससे दीदी अपनी गाण्ड में से मेरे लण्ड को निकालने में नाकाम रही। दर्द के मारे दीदी की आँखों में से आँसू निकल रहे थे और दीदी अपने हाथ पीछे करके मुझे अपने लण्ड को बाहर निकालने को बोल रही थी लेकिन मैंने लण्ड नहीं निकाला और इसी तरह लण्ड को घुसाए दीदी के साथ लिपटा रहा।

कुछ देर के बाद दीदी ने मुँह से कपड़ा निकाल दिया और बोली- “आलोक, प्लीज़्ज़ भाई… अभी निकाल लो… मेरी गाण्ड फट गई है… आअह्ह… भाई मान जाओ… प्लीज़्ज़ बाहर निकाल लो ना…”

मैंने दीदी से कहा- “दीदी, जो दर्द होना था हो गया है अब आपकी गाण्ड मेरे लण्ड से चुदवाने के लिए तैयार है और आप ही मना कर रही हो…”

दीदी ने कहा- “भाई, थोड़ा देर में कर लेना लेकिन अभी नहीं… प्लीज़्ज़… बाहर निकालो…”

मैंने दीदी को कोई जवाब नहीं दिया और अपने लण्ड को हल्का सा बाहर खींच के फिर से घुसा दिया जिससे दीदी के मुँह से- आऐ… आलोक… बहनचोद… ये क्या कर रहा है? मेरी गाण्ड फट गई… उउफफ्फ़ माँ… भाई, प्लीज़्ज़… निकालो मैं मर जाऊँगी…”

लेकिन अब मैं दीदी की कोई बात नहीं सुन रहा था और आराम-आराम से दीदी की गाण्ड में अपने लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा जिससे दीदी को भी अब दर्द कम होने लगा था और मेरे लण्ड पे जो दीदी की गाण्ड की पकड़ थी अब कुछ ढीली हो गई थी जिससे मेरा लण्ड अब कुछ आराम से दीदी की गाण्ड में जा रहा था।

अब दीदी- “आअह्ह… भाई, बस इसी तरह करो… तेज नहीं करना… इस तरह अच्छा लग रहा है… उन्म्मह… हाँ भाई अब कुछ मजा मिल रहा है…”

मेरा लण्ड अब जैसे ही दीदी की गाण्ड के अंदर घुसता तो दीदी अपनी गाण्ड को दबा लेती और फिर ढीला छोड़ देती जिससे मुझे अनोखा ही मजा आने लगा और मैंने अपनी स्पीड को भी बढ़ा दिया और साथ ही-
“आअह्ह… दीदी, क्या गाण्ड है आपकी? कसम से मजा आ गया… उन्म्मह… दीदी, मेरा होने वाला है दीदी…”

दीदी भी अब- हाँ भाई हो जाओ… उन्म्मह… नहीं भाई, जोर से नहीं… उन्म्मह… भाई अभी कुछ अच्छा लगने लगा है। हाँ बस इसी तरह आराम से करो।

मैं इसके बाद एक दो मिनट में ही दीदी की गाण्ड में फारिग़ हो गया और दीदी के ऊपर ही गिर गया और हाँफने लगा कि तभी दीदी के मुँह से- पायल तुम यहां?

मैं फौरन दीदी के ऊपर से उठा तो मेरा आधा खड़ा लण्ड दीदी की गाण्ड से पुकचाआक्क की आवाज के साथ बाहर निकल आया जिससे पायल बड़े प्यार भरी नजरों से देखने लगी और साथ ही मुश्कुराने लगी।

मैंने पायल की तरफ देखा और कहा- पायल तुम कब उठी?

पायल- अभी थोड़ी ही देर हुई है भाई, क्यों नहीं उठना चाहिए था क्या?

मैं- नहीं, ऐसी बात नहीं है। चलो तुम नहा लो फिर बुआ के साथ ही नाश्ता कर लेना।

पायल हल्का सा मुश्कुराई और बोली- “भाई, मेरा दिल तो कर रहा है कि मैं भी दीदी वाला नाश्ता ही कर लूँ…”

दीदी- “पायल, जब तुम्हारा दिल चाहे कर लेना, जितना ये मेरा भाई है उतना ही तुम्हारा भी है…”

पायल- भाई, क्या दीदी सच बोल रही हैं?

मैं- “हाँ पायल, जब तुम्हारा दिल करे मैं अपनी छोटी बहन को मना थोड़ी ना करूंगा…” और हँस पड़ा।

पायल- “ठीक है भाई, फिर तैयार रहना आप मैं किसी भी वक़्त आपसे अपना हिस्सा माँग सकती हूँ…”

दीदी- “पायल, मैंने और आलोक ने कहा ना कि तुम्हें कोई भी मना नहीं करेगा। चल अभी जाकर नहा ले और बुआ को भी उठा दे…”

पायल दीदी की बात सुनकर वापिस रूम की तरफ मुड़ गई और दरवाजा के पास जाकर फिर मुड़ी और मेरे लण्ड की तरफ देखकर ठंडी सांस भरी और रूम में चली गई।

पायल के जाते ही मैंने दीदी की तरफ देखा और कहा- दीदी, क्या आपने अरविंद की ओफर को सच में मान लिया है?

दीदी- हाँ भाई, मेरा ख्याल है कि ये ही ठीक रहेगा। क्योंकि इस तरह मैं इस जलालत से बची रहूंगी और पैसा भी कमा लूँगी…”

मैं- “हाँ दीदी, बात तो आपकी ठीक है लेकिन इस तरह तो आप मुझे भी पास नहीं आने दोगी…”

दीदी- क्यों? तू कोई बाहर का थोड़ी है। मेरा अपना है और जो मजा तेरे साथ है वो कोई बाहर का आदमी तो नहीं दे सकता ना…”

मैंने दीदी को एक किस किया और उठकर नहाने चला गया और फिर वापिस आकर ड्रेस पहनी और तैयार हो गया। क्योंकि काम का टाइम भी होने वाला था कि तभी बापू की काल आ गई। बापू ने कहा- “आलोक, अंजली को बोलो कि वो तैयार हो जाये…”

मैंने हैरानी से कहा- लेकिन, वो क्यों बापू?

बापू ने कहा- वो… अभी अरविंद साहब आ रहे हैं मेरे साथ और हम अंजली को साथ लेकर जायेंगे। अरविंद साहब ने अंजली के लिए एक कोठी पसंद की है और अब अंजली सिर्फ़ उनके लिए ही बुक रहा करेगी। ठीक है…”

मैंने कहा- ठीक है बापू, जैसे आप बोलो और काम का क्या करना है आज छुट्टी है क्या?

बापू ने कहा- हाँ, आज छुट्टी करो और ऐसा करो कि तुम लोग घर ही चले जाओ। यहाँ रुकने का क्या फायदा है?

मैंने कहा- “जी बापू, जैसे आप कहो…” और काल कट करके दीदी को आवाज दी और कहा- “दीदी आप तैयार हो जाओ, बापू आ रहे हैं अरविंद साहब को लेकर, आपने साथ जाना है…”

दीदी मेरी बात सुनकर बोली- ठीक है भाई, मैं तैयार हूँ।

तो पायल ने कहा- भाई, हमने क्या करना है?

मैंने कहा- हम अभी घर जायेंगे और आराम करेंगे आज छुट्टी है।

पायल ने फौरन ही इनकार कर दिया और बोली- “वो कहीं भी नहीं जाएगी और यहाँ ही रहा करेगी…”

लेकिन बुआ ने कहा- मुझे तो घर जाना ही होगा, कुछ सामान भी ले आऊँगी वहाँ से।

बापू कोई एक घंटे के बाद आए और दीदी के साथ बुआ को भी ले गये कि घर छोड़ते जायेंगे और निकल गये। उन लोगों के जाने के बाद मैंने टीवी लगा लिया और देखने लगा लेकिन पायल रूम की तरफ गई और रात की बची हुई शराब उठा लाई और साथ ही दो गिलास भी ले आई और मेरे सामने रख दिए।

मैंने कहा- पायल, ये क्यों लाई हो यहाँ?

पायल ने कहा- भाई, आज आपके साथ पीना चाहती हूँ। क्या पियोगे मेरे साथ? ये बात बोलते हुये पायल की आँखों में सेक्स का नशा मुझे साफ नजर आ रहा था। और मैं समझ गया कि मेरी छोटी बहन मुझसे क्या चाहती है।

मैंने हाँ में सर हिला दिया और कहा- लेकिन आज अगर पिलानी है तो तुम्हें ही पिलाना पड़ेगी।

पायल मेरी बात सुनकर खुश हो गई और उठकर मेरे पास बैठ गई और दो पेग बना दिए और एक गिलास मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैंने अपना गिलास पकड़ लिया और शराब के सिप लेने लगा।

पायल मेरे साथ जुड़ के बैठ गई और बोली- भाई, एक बात कहूं, मानोगे क्या?

मैं- हाँ बोलो, क्या बात है मेरी जान?

पायल- भाई, वो ऋतु को भी हम अपने साथ मिला लेते हैं।

मैं हैरानी से पायल की तरफ देखने लगा और बोला- “पायल, तुम्हें पता है कि तुम क्या बोल रही हो? ऋतु अभी सिर्फ़ 19 साल की है…”

पायल- “भाई, आपको नहीं पता कि लड़की 18 साल की होते ही काम के लिए पक जाती है अब ये खाने वाले की मर्ज़ी की उसे कब खाता है…”

मैं समझ गया था क्योंकि ऋतु ने पायल को हमारे सामने नंगा किया था और अब पायल ये चाहती थी कि ऋतु की भी चुदाई हो जाये। ये एक जलन थी जो कि पायल को ऋतु के साथ थी इसलिए मैंने पायल को अपनी तरफ खींच लिया और कहा- देखो पायल, मैं अकेला क्या कर सकता हूँ? लेकिन हाँ बापू और अम्मी के साथ बात करूंगा। ठीक है?

पायल खुश हो गई और बाकी की शराब एक ही घूंट में पी गई और दूसरा पेग बनाने लगी और बोली- भाई, कसम से मेरा दिल करता है कि ऋतु के साथ पहली बार आप ही करो।

पायल की बात सुनकर पता नहीं क्या हुआ कि मेरा लण्ड शलवार को फाड़कर बाहर आने के लिए मचल गया और मैंने भी बाकी की शराब को एक ही घूंट में अपने अंदर उतार दिया और गिलास पायल को पकड़ा दिया और बोला- “नहीं पायल, ऐसा किस तरह हो सकता है भला? अम्मी और बापू नहीं मानेगे इस बात को और वैसे भी ऋतु अभी इतना बर्दाश्त नहीं कर पाएगी…”

पायल- “भाई, आप इस बात को छोड़ो कि ऋतु बर्दाश्त कर सकती है या नहीं? बस आप उसके साथ पहली बार सोने के लिए तैयार रहो क्योंकि लड़की को जितना बड़ा लण्ड मिलता है लड़की उतना ही खुश होती है…”

मैं पायल की बात सुनकर मचल सा गया कि मुझे भी अपनी किसी बहन की सील को तोड़ना चाहिए… देखूं तो सही कि इसमें कितना मजा आता है?

अभी मैं ये सोच ही रहा था कि पायल ने मुझे एक पेग बनाकर पकड़ा दिया जिसे मैं एक ही सांस में चढ़ा गया और पायल को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और किस करने लगा। पायल भी काफी गरम हो रही थी और मेरी जुबान को अपने मुँह में भर के चूसने लगी और मेरे साथ लिपटने लगी। अब मैंने पायल को किस करने के साथ उसकी शर्ट में भी हाथ घुसा दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा, कभी अपनी जुबान पायल के मुँह में घुसा देता, और कभी उसकी जुबान को अपने मुँह में भर के चूसने लगता।

तभी पायल ने अपना एक हाथ नीचे की तरफ किया और मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़कर सहलाने लगी जिससे मुझे मजा भी ज्यादा आने लगा। कुछ देर के बाद मैंने पायल को पीछे किया और उसकी शर्ट को भी निकाल दिया जिससे अब मेरी छोटी बहन सिर्फ़ पिंक कलर की ब्रा और निक्कर में ही मेरे सामने रह गई। पायल की चूचियां ब्रा में ऐसे लग रही थी कि जैसे दो कबूतर पकड़कर किसी पिंजरे में बंद कर दिए गये हों और वो आजाद होने के लिए फड़फड़ा रहे हों। मैंने जल्दी से पायल की ब्रा को भी खोल दिया और अपनी बहन की प्यारी और मुलायम चूचियों को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।

पायल ने मेरे सर को अपने चूचियां के साथ दबा दिया और- “उन्म्मह… भाई, खा जाओ मेरे चूचियों को… आअह्ह…” की आवाज के साथ मुझे और भी गरम करने लगी।

पायल की सिसकियों को सुनकर मैं और भी गरम हो गया और एक चूची को चूसने के साथ दूसरी को अपने हाथ से दबाने और मसलने लगा, क्योंकि मैं जरा जोर से दबा रहा था और साथ ही पायल की चूचियों पे काट भी रहा था, जिससे पायल मुझे मना करते हुये बोली- “आऐ… भाई, नहीं सस्स्स्सीई… आअह्ह… भाई प्लीज़्ज़… ऐसा नहीं करो… दर्द होता है…” और मुझे अपनी चूचियों से हटाने लगी।

फिर भी मैं अपने काम में लगा रहा लेकिन चूचियां को दबाने में अब मैं ज्यादा ताकत नहीं लगा रहा था जिससे पायल को भी दर्द की जगह मजा आने लगा और वो सिसकी- “आअह्ह… भाई हाँ अब अच्छा लग रहा है ऐसे ही चूसो… उन्नमह…”
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घर का बिजनिस -15

अब मैंने पायल की चूचियों को छोड़ दिया और नीचे आ गया और एक ही झटके के साथ पायल की निक्कर को भी निकाल दिया, जिससे की पायल मेरी आँखों के सामने नंगी हो गई और मैं पायल के नंगे जिश्म को देखकर खो सा गया। क्या प्यारा जिश्म था मेरी बहन का? सबसे खास बात मेरी बहन की गाण्ड थी जो कि काफी भारी और नरम थी, जो किसी भी बहनचोद का लण्ड खड़ा करके छुड़वा सकती थी। फिर मैं नीचे की तरफ झुका और पायल की फुद्दी को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।

जिससे पायल के मुँह से आअह्ह की आवाज निकली और पायल ने मेरे सर को अपने हाथों से अपनी फुद्दी की तरफ दबा दिया और सिसकी- “हाँ भाई, मुझे अपनी रंडी बना लो… भाई खा जाओ अपनी बहन की फुद्दी को…”

अब मैं अपनी जुबान को बाहर निकालकर पायल की फुद्दी के ऊपर से नीचे की तरफ घुमाता और सररलाप्प की आवाज के साथ किसी कुत्ते की तरह चाटने लगता, तो कभी अपनी जुबान को पायल की फुद्दी में घुसाने की कोशिश करने लगता, तो कभी पायल की फुद्दी पे हल्का सा काट भी लेता।

जिससे पायल मचल जाती थी। पायल मेरी इन हरकतों की वजह से अब आअह्ह भाई, आप बहुत अच्छे हो… भाई, खा जाओ अपनी बहन की फुद्दी को भाई… उंनमह…” और सिसकियां भरते हुये मुझे अपनी फुद्दी की तरफ दबाने लगती।

अब मैं उठा और पायल की फुद्दी के साथ अपने लण्ड को लगा दिया और पायल की तरफ देखा जो कि मेरी तरफ ही देख रही थी। मैंने कहा- क्यों बहना? अब मेरा लण्ड तुम्हारी फुद्दी में जाने के लिए तैयार है घुसा दूँ क्या?
पायल ने मेरी आँखों में देखते हुये कहा- भाई, डाल दो अंदर। लेकिन आराम से करना प्लीज़्ज़… आपका बहुत बड़ा और मोटा है कहीं मेरी फाड़ ही ना दे?

मैं पायल की बात सुनकर अपने लण्ड को पायल की फुद्दी की तरफ दबाने लगा जिससे मेरा लण्ड बड़े आराम के साथ पायल की फुद्दी में जाने लगा। और पायल- “आअह्ह… भाई मजा आ रहा है बस इसी तरह करो…”
मुझे काफी हैरानी हो रही थी, क्योंकि पायल सिर्फ़ दो बार चुदवाई थी लेकिन उसकी फुद्दी में मेरा आधे से ज्यादा लण्ड घुस चुका था लेकिन उसे कुछ भी दर्द नहीं था, बलकि वो मजा ले रही थी जो कि मेरे लिए हैरानी की बात थी। मैंने पायल को आवाज दी।

तो उसने आँखें खोलकर मेरी तरफ सवालिया नजरों से देखा।

तो मैंने कहा- “पायल, कोई तकलीफ तो नहीं हो रही मेरी जान? हाँ…”

पायल मेरी बात सुनकर हल्का सा मुश्कुराई और बोली- “भाई, आपने कल जिनसे मुझे चुदवाया था अगर आप उनके लण्ड देख लेते तो आप ये बात नहीं पूछते। लेकिन एक बात ये है कि आपके लण्ड का मजा उन दोनों से ज्यादा है पता नहीं क्यों?” और साथ ही आँखों को बंद कर लिया।

अब मैंने जरा झटका दिया तो मेरा लण्ड अपनी बहन की फुद्दी में आराम से घुस गया।

तो पायल के मुँह से- आऐ भाई, मैंने आपको बोला भी था कि झटका नहीं प्लीज़्ज़… आराम से मजा लो और मुझे भी आज की रात एंजाय करने दो क्योंकि कल का सारा दिन हमें कोई भी तंग नहीं करेगा, जितना दिल करे कर लेना… लेकिन मजा के लिए… ठीक है?”

मैंने कहा- ठीक है जान जी, जैसे आप कहो…” और इसके साथ ही अपने लण्ड को पायल की फुद्दी से बाहर निकाल लिया और फिर से घुसा दिया लेकिन आराम से।

जैसे ही मेरा लण्ड अपनी छोटी बहन की फुद्दी में पूरा जाता पायल अपनी फुद्दी को अंदर से भींच लेती और फिर ढीला कर देती जिससे मुझे और भी मजा आता था। अब मैं पायल को बड़े प्यार से चोद रहा था और पायल की चूचियों को भी चूस रहा था और दबा रहा था।

जिससे मेरे साथ पायल भी मजे से बेहाल हो रही थी और सिसकी- हाँ भाई, बड़ा मजा आ रहा है मेरी जान… उन्नमह… बस भाई, ऐसे करते रहो… भाई मुझे अपनी रंडी बना लो… भाई मुझे रोज इतना मजा दिया करोगे ना? हाँ भाई, बोलो ना भाई… बताओ करोगे ना रोज मेरे साथ?

मैं भी अब अपनी छोटी बहन का दीवाना हो रहा था और बोला- “हाँ पायल, मैं रोज तुम्हें चोदा करूंगा और खुद अपने हाथों से चुदवाया करूंगा मेरी जान, मेरी गश्ती बहन आअह्ह…”

अब पायल मेरे साथ बुरी तरह लिपट गई और मुझे किस करने लगी और साथ ही अपनी टाँगों को मेरी कमर पे कस लिया और अपनी गाण्ड को मेरी तरफ दबाने लगी और बोली- “हाँ भाई, मैं गई… ऊओ… भाई अपना पानी मेरी फुद्दी में ही निकालो… भाई मुझे अपने बच्चे की माँ बना लो… भाई आअह्ह…” और इसके साथ ही उसका जिश्म एक बार अकड़ गया और फिर ढीला पड़ गया।

क्योंकि पायल फारिग़ हो गई थी और उसकी फुद्दी का पानी मुझे अपने लण्ड पे मजा दे रहा था जिससे मेरा लण्ड भी पायल की फुद्दी में आराम से अंदर-बाहर होने लगा था जो कि और भी मजा दे रहा था। अब मैंने भी अपनी रफ़्तार को बढ़ा दिया औ- “हाँ पायल, ले लो अपने भाई का पानी अपनी फुद्दी में… आअह्ह… पायल, मैं गया… उन्नमह…” की आवाज के साथ ही पायल की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और पायल के ऊपर ही गिर गया और लंबी-लंबी सांसें लेने लगा।

और पायल मेरे बालों में ऊँगलियां घुमाने लगी।

कुछ देर के बाद मैं पायल के ऊपर से उठा और बगल में होकर लेट गया।

तो पायल उठी और शराब का एक पेग बनाकर खुद पकड़ लिया और एक मुझे बना दिया।

तो मैंने कहा- पायल, क्या तुम पहले भी पीती रही हो?

पायल- नहीं भाई, पहले कभी नहीं पी लेकिन अब दिल करता है कि जब पूरी आजादी है तो जो दिल चाहे करूं अब मुझे कौन रोकेगा?

मैं- “पायल, तुम्हें तो पहले भी किसी ने मना नहीं किया था और अब भी कोई मना नहीं करेगा जो दिल चाहे करो ये तुम्हारी अपनी जिंदगी है…”

पायल- भाई, एक बात बोलूं, क्या मानोगे?

मैं- हाँ, बोलो क्या बात है? जिसके लिए तुम्हें मेरी नाराजगी का डर है?

पायल- भाई, मैं चाहती हूँ कि आपके साथ मिलकर किसी और के साथ भी सेक्स करूं।

मैं- क्या मतलब? मैं समझा नहीं तुम्हारी बात, खोलकर बोलो जो बात है।

पायल- भाई, मैं चाहती हूँ कि आप अपने साथ कोई दो दोस्त बुला लो और पूरी रात मुझ सेक्स का मजा दो।
मैं हैरानी से पायल की तरफ देखा और बोला- लेकिन पायल, इस तरह करने का क्या फायदा होगा?

पायल- बस भाई, मेरा दिल करता है कि मैं एक साथ ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ सेक्स करूं।

मैं पायल की बात सुनकर सोच में पड़ गया और बोला- “देखो पायल, बात ये है कि अगर तुम्हारा दिल इतना ही चाहता है तो थोड़ा सबर करो और पहले अपनी गाण्ड का सुराख भी खोलवा लो, उसके बाद जब तुम ज्यादा लोगों के साथ सेक्स करोगी तो तुम्हें ज्यादा मजा आएगा…”

पायल- हूँ भाई, अगर ये बात है तो मैं कल ही किसी से अपनी गाण्ड खुलवा लूँगी।

मैं- हाँ, जरा बताओ तो सही कि मेरी बहन ने अपनी गाण्ड किससे खुलवानी है? क्या मेरे अलावा भी मेरी बहन किसी को इतना चाहती है कि उसे अपनी इतनी प्यारी गाण्ड का तोहफा दे?

पायल- “नहीं भाई, लेकिन बात ये है कि जब मेरी गाण्ड का सुराख खुलेगा तो आपके सामने ही खुलेगा और घर में ही हेहेहेहेहे…”

मैं जरा गुस्से से बोला- क्या मजाक है पायल? जो बात है सीधी तरह क्यों नहीं करती हो इतना ड्रामा क्यों कर रही हो?

पायल- “भाई, मैं अभी आपसे इस पे कोई बात नहीं करूंगी। हाँ कल आपको पता चल ही जायेगा क्योंकि सब कुछ आपके सामने ही होगा…” और शराब पीने लगी।

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घर का बिजनिस -16

पायल की बातों ने मुझे हैरान कर दिया था क्योंकि वो 2-3 दिन में ही इतना बोल्ड हो गई थी कि दीदी और बुआ भी नहीं हो सकी थी और परेशानी की बात ये थी कि आखिर पायल किससे अपनी गाण्ड मरवाना चाहती है? कौन है वो?
मैंने उस रात दो बार और भी पायल की चुदाई की और उससे पूछता भी रहा कि आखिर वो किससे चुदवाना चाहती है? लेकिन उसने मुझे कुछ भी नहीं बताया।

सुबह मैं उठा और नहाने के बाद नाश्ता ले आया और पायल को भी उठा दिया जो कि वैसे ही नंगी सो रही थी। पायल ने उठकर हाथ मुँह धोया और आकर नाश्ता करने बैठ गई। पायल उस वक़्त भी नंगी ही थी फिर हमने नाश्ता खतम किया और मैंने बापू को काल की और पूछा- “कब आ रहे हो?

तो बापू ने कहा- यार बस 5 मिनट में हम तुम्हारे पास होंगे।

मैंने काल कट की और पायल की तरफ देख जो कि अभी भी नंगी ही बैठी हुई टीवी देख रही थी और कहा- पायल तुम अभी कपड़े पहन लो बापू आ रहे हैं।

पायल ने हैरानी से मेरी तरफ देखा और बोली- क्यों भाई? बापू आ रहे हैं तो क्या हुआ? मैं कपड़े क्यों पहनूं?

मैंने कहा- वो बात ये है कि हो सकता है कि बापू के साथ कुछ और लोग भी हों इसलिए तुम अपने कपड़े पहन लो।

पायल कुछ देर हैरानी से मेरी तरफ देखती रही और फिर उठकर अपने रूम में चली गई लेकिन उसने कपड़े नहीं पहने और बेड पे लेट गई और अपने ऊपर एक चादर ले ली। मुझे पायल की इन हरकतों से बड़ी उलझन हो रही थी लेकिन मैंने पायल को कुछ नहीं कहा। और खामोशी से बैठा टीवी देखने लगा कि तभी डोरबेल बज उठी और मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया। बापू अकेले ही आए थे और काफी खुश भी लग रहे थे।

मैं बापू को अंदर लाया तो बापू ने आते ही कहा- “पायल कहाँ है? नजर नहीं आ रही है।

मैंने कहा- वो रूम में है और आराम कर रही है।

बापू ने कहा- “आलोक बेटा, हमारे तो दिन ही फिर गये हैं। पता है अरविंद साहब ने हमें एक कीनल का मकान लेकर दिया है और शर्त सिर्फ़ इतनी है कि अंजली किसी और के साथ वक़्त नहीं गुजारेगी और ना ही हम उस घर में कोई ऐसा वैसा काम करेंगे…”
मैं भी बापू की बात सुनकर खुश हो गया और बोला- “सच में बापू, अब मजा आएगा…”

अभी मैंने इतना ही कहा था कि पायल जो कि रूम में नंगी ही थी, बाहर निकल आई और बापू के पास आकर खड़ी हो गई और बोली- बापू, हमारा नया घर कहाँ है?

बापू जो कि पायल के नंगे जिश्म का नजारा कर रहे थे पायल की बात सुनकर चौंक गये और बापू ने एक पाश एरिया का नाम बता दिया जहाँ कोई भी घर हमारे जैसा और गरीब नहीं था। बापू जिस तरह पायल को देख रहे थे, मुझे लग रहा था कि बापू की भी नियत पायल को इस तरह नंगा देखकर खराब हो रही है और पायल भी बापू से किसी किश्म की कोई शरम नहीं कर रही थी जिससे मुझे पायल की कल रात वाली बात भी समझ में आ गई कि वो कौन है जिससे पायल अपनी गाण्ड खोलवाना चाहती है।

मुझे बापू से जलन हो रही थी क्योंकि पायल ने मुझे छोड़ के बापू से अपनी गाण्ड मरवाने का सोचा था। लेकिन फिर ये सोचकर कि मेरा लौड़ा जितना बड़ा है अगर मैं अपनी इस छोटी बहन की गाण्ड में झटके से घुसा देता तो उसकी गाण्ड फट ही जाती इसलिए तो उसने पापा से गाण्ड मरवाने का सोचा था तो अच्छा ही किया था।

बापू ने अब पायल को अपने पास बिठा लिया था और अपना एक हाथ से पायल के कंधों को पकड़कर पायल को अपनी तरफ खींच लिया और बोले- हाँ तो मेरी रानी बेटी, तुम सुनाओ क्या हाल हैं? भाई ने तंग तो नहीं किया?

पायल- नहीं बापू, भाई तो बहुत अच्छे हैं मुझे बड़े प्यार और आराम से रखा है भाई ने।

बापू- अच्छा, लेकिन मुझे तो लगता है कि इसने तुम्हें काफी तंग किया होगा?

पायल- बापू, भाई तो मुझे तंग करना चाहते थे लेकिन मैंने मना कर दिया कि नहीं अभी तंग नहीं करो तो भाई मान गया कि पहले कोई और तंग कर ले फिर मुझे और भाई दोनों को कोई परेशानी नहीं होगी।

बापू- क्यों आलोक, ये मैं क्या सुन रहा हूँ कि तुम मेरी इस रानी बेटी को तंग करने की कोशिश करते रहे हो?

पायल- नहीं पापा, भाई ने तंग थोड़ा ही किया है, हाँ प्यार जरूर किया है।

मैं- बापू, लगता है कि पायल चाहती है कि आप उसे तंग करो क्योंकि मुझे तो इसने मना कर दिया था।

पायल मेरी बात सुनकर मुझे घूरने लगी और बोली- “भाई, मैं नहीं चाहती थी कि कोई ज्यादा मसला हो जाये इसलिए मना किया था लेकिन आप तो लगता है कि दिल पे लिए बैठे हो अभी तक…”

बापू- आलोक यार, मुझे भी तो बताओ कि बात क्या है? हो सकता है कि मैं ही कुछ फैसला कर दूँ, तुम लोगों का।

पायल- “बापू, करना तो आप ही ने है…” और मेरी तरफ देखने लगी।

तो मैं भी पायल की बात सुनकर मुश्कुरा दिया।

बापू- अरे बेटी, मैंने कब मना किया है? जो कहो, मैं करने के लिए तैयार हूँ क्योंकि तुम लोग ही तो मेरा सरमाया हो, तुम्हारी नहीं मानूंगा तो किसकी मानूंगा?

बापू की बात सुनकर पायल सोफे से उठी और नीचे गिरे हुये गिलास को उठाने के लिए झुक गई जिससे उसकी गाण्ड और फुद्दी खुलकर बापू के सामने आ गई जिसे देखकर बापू अपने लण्ड को शलवार के ऊपर से ही मसलने लगे।
पायल गिलास उठाकर सीधी हुई और टेबल पे रखकर बापू की तरफ घूम गई और बापू को अपना लण्ड मसलते हुये देखकर हँस पड़ी और बोली- बापू, लगता है कि आपका ये शहजादा कुछ माँग रहा है?

बापू भी थोड़ा खुल गये और बोले- “अरे बेटी, इसका क्या पूछती हो? ये तो माँगता ही रहता है लेकिन जरूरी तो नहीं कि इसे सब कुछ मिल ही जाये…”

पायल- “बापू, हो सकता है कि जो ये माँग रहा हो इसे मिल जाए? आप बता के तो देखो…”

बापू ने कहा- बेटी, अब तुम खुद समझदार हो, मैं क्या बताऊँ कि ये क्या माँगता है और क्यों?

पायल बापू के पास बैठ गई और बापू के हाथ को पकड़कर लण्ड से हटा दिया और बोली- “तो लगता है कि मुझे इससे ही पूछना पड़ेगा कि इसे क्या चाहये है…” पायल ने इतना बोलते हुये बापू के लण्ड को पकड़ लिया और बोली- “हाँ शैतान शहजादे, क्यों मेरे बापू को तंग कर रहे हो? बोलो जरा…”

मैं पायल की इन हरकतों को देखकर हँस पड़ा और बोला- पायल, तुमसे ज्यादा कौन जानता होगा कि इसे क्या चाहिए? और ये बापू को क्यों तंग कर रहा है?

पायल ने बापू की तरफ देख तो बापू ने सर झुका लिया। तो पायल ने कहा- क्यों बापू क्या हुआ? क्या बेटी को दूसरे लोगों से चुदवाना ही आता है? क्या खुद कुछ करते हुये शरम आ रही है?

बापू ने पायल की तरफ बड़ी हैरानी से देखा और फिर मेरी तरफ देखा तो मैं बापू की आँखों में लिखा साफ पढ़ गया की बापू को पायल के इतना बोल्ड होने का यकीन ही नहीं हो रहा था। कुछ देर के बाद बापू इस कैफियत से बाहर निकल आए और एक झटके से पायल को अपनी तरफ खींच लिया और उसके तपते होंठों के साथ अपने होंठ भी लगा दिए और किस करने लगे और साथ ही अपना एक हाथ पायल की गाण्ड पे रख दिया और सहलाने लगे।

बापू अब पायल के होंठों को बुरी तरह चूस रहे थे और पायल की गाण्ड को भी मसल रहे थे जिससे कि पायल बुरी तरह से मचल रही थी और बापू के साथ और भी लिपटने की कोशिश कर रही थी। बापू और पायल के इस तरह किस करने से मैं भी गरम हो उठा और अपनी शलवार को खोल दिया और लण्ड को बाहर निकालकर हाथ में पकड़ लिया।

अब बापू ने पायल को सोफे पे गिरा दिया और खुद खड़े हो गये और अपने कपड़े उतारने लगे जिसे देखकर पायल का चेहरा लाल होने लगा और होंठ काँपने लगे थे। बापू ने अपने कपड़े उतार दिए और पायल की टाँगों को खोलकर बीच में बैठ गये और पायल की फुद्दी के साथ अपना मुँह लगा दिया और पायल की फुद्दी चाटने लगे।

बापू के फुद्दी पे मुँह लगाते ही पायल बुरी तरह तड़प उठी और सिसकी- “आअह्ह… बापूऊउ उंमन्ह… आज अपनी बेटी की फुद्दी को खा जाओ… कुतिया बना दो मुझे बापूऊउ…”

बापू ने अब अपनी जुबान बाहर निकाल ली और उसे पायल की फुद्दी में घुसाकर चाटने लगे और साथ ही अपने एक हाथ की बिचली-उंगली को पायल की गाण्ड के छेद पे रख दिया और दबाने लगे। जैसे-जैसे बापू की उंगली पायल की गाण्ड में घुस रही थी, पायल के चेहरा पे दर्द का एहसास साफ नजर आने लगा था और वो आऐ… बापू जी, थोड़ा और गीला करो… प्लीज़्ज़… दर्द हो रहा है।

पायल की बात को सुनते ही बापू ने अपनी उंगली निकाल ली और अपने मुँह में घुसाकर चाटने लगे और फिर पायल की गाण्ड के छेद पे भी हल्का सा थूक लगा दिया और फिर से अपनी उंगली पायल की गाण्ड के सुराख पे रखा और एक ही झटके में पूरी उंगली घुसा दी।

उंगली के घुसते ही पायल के मुँह से- “आऐ… बापूऊउ प्लीज़्ज़… रुको… आराम से आअह्ह… दर्द होता है बापूऊउ…”

बापू ने अबकी पायल की कोई बात नहीं सुनी और उंगली को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया और साथ ही पायल की फुद्दी को भी चाटने लगे जिससे पायल का दर्द खतम हो गया और वो मजा लेने लगी जो कि उसकी सिसकियों से भी पता चल रहा था।

पायल- “आअह्ह… बापू, आप कितने अच्छे हो… उन्म्मह… अब अच्छा लग रहा है…”

बापू और पायल की बातों सी मैं भी काफी उत्तेजित हो रहा था तो मैं भी उठा और अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया और पायल के पास जा के नीचे ही बैठ गया और पायल की चूचियां के साथ अपना मुँह लगाकर चूसने लगा।

पायल को मेरा इस तरह करना अच्छा लगा और वो मेरे बालों में अपनी ऊँगलियां घुमाने लगी और सिसकी- “हाँ भाई, चूसो इन्हें… उन्म्मह… भाई जरा जोर से चूसो… आअह्ह…”

मैंने अपना सर पायल की चूचियां से उठाया और बापू की तरफ देखकर बोला- “बापू रूम में चलते हैं, यहाँ ठीक नहीं…”

बापू ने सर उठाकर मेरी तरफ देखा और फिर अपनी उंगली भी पायल की गाण्ड में से निकाल ली और पायल का हाथ पकड़कर उठा लिया और हम रूम में आ गये। रूम में आते ही मैं बाथरूम में गया और तेल उठा लाया। मेरे हाथ में तेल देखते ही बापू मुश्कुरा दिए और बोले- आलोक बेटा, ये अच्छा किया जो तेल ले आए इससे पायल की गाण्ड मारने में मजा आ जाएगा…” और तेल मेरे हाथ से ले लिया और पायल को उल्टा लिटा के उसके नीचे एक तकिया रख दिया जिससे पायल की गाण्ड उभर के ऊपर को हो गई तो बापू ने पायल की गाण्ड को हाथ से सहलाया और तेल लगाने लगे।

पायल की गाण्ड पे तेल लगाने के बाद बापू ने अपने लण्ड को भी तेल से भर दिया और मेरी तरफ देखा तो मैं आगे बढ़कर पायल की गाण्ड को दोनों हाथों से पकड़कर खोल दिया, तो बापू ने अपना लण्ड पायल की गाण्ड के छेद पे रखकर हल्का सा दबा दिया। जिससे बापू के लण्ड का सुपाड़ा पायल की गाण्ड में घुस गया।

लण्ड का सुपाड़ा घुसते ही पायल की दर्द से भरी आवाज सुनाई दी- बापू अभी रोुको प्लीज़्ज़… अभी और आगे नहीं करना।

बापू पायल की बात सुनकर थोड़ा रुक गये और फिर कुछ देर रुकने के बाद अपने लण्ड को अपनी बेटी की गाण्ड में दबाने लगे जिससे बापू का लण्ड आहिस्ता-आहिस्ता पायल की गाण्ड में जाने लगा तो पायल ने अपनी गाण्ड को दबा के बापू के लण्ड को अंदर जाने से रोकने की कोशिश की और बोली- “बापू प्लीज़्ज़… आराम से आऐ… बापू जी फट जायेगी…”

बापू ने अब अपने लण्ड को थोड़ी देर वहीं रोक लिया और बोले- हाँ मेरी जान… बेटी, ज्यादा दर्द हो रहा है क्या?

पायल की आँखों में अब आँसू नजर आ रहे थे तो वो बोली- जीए बापू, बड़ा दर्द हो रहा है… बस इससे ज्यादा नहीं करो, इतना ही ठीक है।

बापू ने मुझे इशारा किया कि मैं पायल को कस के पकड़ लूं, तो मैंने ऐसा ही किया।

जिससे पायल चौंक गई और बोली- “नहीं बापू, प्लीज़्ज़… ऐसा मत करना नहीं तो मेरी गाण्ड फट जायेगी…”

बापू ने कहा- “नहीं बेटी, मैं बाहर निकालने लगा हूँ…” और थोड़ा सा लण्ड को बाहर खींचा जिससे पायल रिलैक्स हो गई। तभी बापू ने अपनी पूरी ताकत से अपने लण्ड को पायल की गाण्ड में उतार दिया।

लण्ड के जड़ तक घुसते ही पायल चिल्ला उठी- “हाऐ… अम्मी जी, मुझे बचा लो… फट गई मेरी… नहीं बापू… बाहर निकालो प्लीज़्ज़… मुझे नहीं करना है… भाई, बापू को बोलो ना प्लीज़्ज़…”

अब बापू ने अपने लण्ड को पायल की गाण्ड में ऐसे ही रोक दिया और ऊपर लेट गये तो मैं पायल के पास लेट गया और उसके नीचे हाथ घुसाकर चूचियों को पकड़कर दबाने लगा कि पायल का दर्द जल्दी कम हो जाए।

पायल बुरी तरह मचल रही थी और अब गालियां भी दे रही थी- “आअह्ह… बापू, बहनचोद बाहर निकालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी… बापू प्लीज़्ज़ बाहर निकालो… आअह्ह… आलोक, बहनचोद रंडी के बच्चे… कुछ बोलता क्यों नहीं? बोल ना बापू को बाहर निकाल लें…”

बापू ऐसे ही पायल के ऊपर लेटे रहे और पायल के कानों की लौ को अपने मुँह में भर के चूसते और कभी गर्दन पे किस करते और इस तरह कुछ देर के बाद पायल के दर्द में कमी होना शुरू हो गया और कुछ देर के बाद पायल के मुँह से आवाज निकलना भी बंद हो गया।

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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घर का बिजनिस -17

अब मैं उठा और अपने लण्ड को पायल के मुँह में घुसा दिया जिसे वो चूसने लगी। तो बापू ने भी अपने लण्ड को पायल की गाण्ड में आहिस्ता से अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया।
बापू का लण्ड जैसे ही पायल की गाण्ड में हिलाने लगा तो पायल ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में से निकाल दिया और बोली- “बापू, आहिस्ता प्लीज़्ज़… आप ने बड़ा दर्द दिया है मुझे आअह्ह…”

तभी बापू ने कहा- बेटी, अब नहीं डरो। अब दर्द नहीं होगा। मैं अपनी बेटी को आराम से ही चोदूंगा और लण्ड को अंदर-बाहर करना जारी रखा। क्योंकि बापू का लण्ड पायल की गाण्ड में पूरा फँसा हुआ था जिसकी वजह से बापू को भी थोड़ा परेशानी हो रही थी। लेकिन बापू आराम-आराम से पायल की गाण्ड को खोलते रहे।

पायल अब मेरे लण्ड को नहीं चूस रही थी क्योंकि उसका सारा ध्यान बापू के लण्ड की तरफ ही लगा हुआ था जो कि अब पायल की गाण्ड में आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। क्योंकि पायल की गाण्ड ने बापू के लण्ड को अपने अंदर जगह दे दी थी जिससे बापू को पायल की गाण्ड में आसानी हो गई थी।

अब पायल भी बापू का साथ अपनी गाण्ड को बापू के लण्ड की तरफ दबा के दे रही थी और साथ ही- “आअह्ह… बापू जी… अब अच्छा लग रहा है… उन्म्मह… बापू अभी थोड़ा से तेज करो प्लीज़्ज़… आह्ह… बस बापू… इससे ज्यादा नहीं… उन्म्मह… हाँ अब ठीक है…” की आवाज भी कर रही थी.

पायल की बापू के साथ ये गाण्ड चुदाई इतनी जबरदस्त थी कि मैं पायल के हाथ में लण्ड को पकड़कर हिलाने से ही फारिग़ हो गया और बगल में लेटकर बापू की चुदाई देखने लगा। मुझे लग रहा था कि अब बापू भी अपने अंत पे हैं क्योंकि उनके मुँह से भी अब- “आअह्ह… बेटी, क्या गाण्ड है तेरी… मजा आ गया बेटी… ऊओ… बेटी मैं तो दीवाना हो गया हूँ तेरी गाण्ड का…”

क्योंकि बापू अब झटके भी जरा जोर-जोर से लगा रहे थे जिसकी वजह से पायल के मुँह से- “आअह्ह… बापू जरा आराम से करो प्लीज़्ज़… बापू, आप बहुत अच्छे हो उन्म्मह…” की आवाज करने लगी और साथ ही अपना एक हाथ अपने नीचे घुसाकर अपनी फुद्दी को भी मसल रही थी जिससे पायल भी फारिग़ होने वाली थी।

तभी बापू ने- “आअह्ह… पायल बेटी, मैं गया ऊओ… बेटी, अपने बापू का पानी अपनी गाण्ड में ही ले लो बेटी…” की आवाज के साथ ही बापू पायल के ऊपर ही गिर पड़े और अपनी आँखों को बंद करके लंबी सांसें लेने लगे। बापू के पायल की गाण्ड मारने के बाद मैंने पायल के साथ कुछ भी नहीं किया क्योंकि अभी हमें जाना भी था। फिर पायल उठकर वहाँ से अजीब सी चाल चलते हुये बाथरूम में घुस गई तो बापू भी बाहर वाले वाश-रूम में चले गये और नहाकर वापिस आए।

तभी पायल भी आ गई थी नहाकर।

तो बापू ने कहा- “चलो भाई तैयार हो जाओ अभी हमने जाना है, नया घर में शिफ्ट भी करना है…” बापू की बात सुनकर पायल खुश हो गई और जल्दी से तैयार होकर आ गई।

फिर हम वहाँ से निकल पड़े और अपने पुराने घर आ गये। जहाँ अम्मी, दीदी, ऋतु और बुआ सामान को पैक करने के बाद हमारा इंतेजार कर रही थीं। फिर बापू ने किसी को फोन किया तो कुछ ही देर के बाद एक मिनी ट्रक आ गया और उसके साथ 3-4 मजदूर भी थे, जिन्होंने हमारा सामान ट्रक में लोड किया और हम वहाँ से नये घर की तरफ रवाना हो गये, जो कि एक पाश एरिया में था और वहाँ जरूरत की हर चीज पहले से ही मोजूद थी। इसलिए पुराने घर से लाया गया तकरीबन सारा सामान स्टोर में रखवा दिया गया और उसके बाद सबने अपने लिए रूम पसंद कर लिया और रूम में घुस गये।

फिर बापू ने हम सबको अपने पास बुला लिया और बोले- देखो भाई, अब बात ऐसी है कि हमें फ्लैट की जरूरत नहीं है। क्योंकि यहाँ हमारे पास एक एलहदा से गेस्टरूम हैं जो कि घर से अलहदा हैं और वहाँ हम अपना काम चला लिया करेंगे। क्या ख्याल है तुम लोगों का?

पायल- “लेकिन बापू, इस तरह ऋतु को भी पता चल जायेगा हमारे काम का…”

अम्मी- तो अच्छा है ना… वो भी इस काम में आ जाएगी और जितनी उम्र है उसकी, पैसे भी अच्छे कमा लिया करेगी।

बुआ- भाभी, बात तो आपने सही की है कि अब ऋतु को हमारे साथ आ ही जाना चाहिए। क्योंकि इस तरह कोई बात छुपानी नहीं पड़ेगी।

बापू- क्यों आलोक, तुम्हारा क्या ख्याल है?

मैं- मेरा क्या है बापू? जब आप लोग भी ये ही चाहते हो तो मुझसे क्यों पूछ रहे हो?

अम्मी- नहीं बेटा तुम्हारी बात भी जरूरी है, जो बात दिल में है वो बताओ।

मैं- देखो अम्मी, जब हम कंजर बन ही चुके हैं तो क्या फरक पड़ता है कि हम किसको चुदवा रहे हैं? और किससे? और खुद किसकी चुदाई कर रहे हैं?

मेरी बात सुनकर सब खामोश हो गये और कोई कुछ नहीं बोला। क्योंकि बात जो भी थी सच ही थी। फिर हम लोग वहाँ से उठे और अपने-अपने रूम में आ गये और आराम करने लगे। इसी भाग दौड़ में रात के खाने का टाइम हो गया और पता ही नहीं चला।

बुआ मेरे रूम में आ गई और बोली- अरे आलोक, अभी तक लेटे हुये हो? खाना नहीं खाओगे क्या?

मैं बुआ की बात सुनकर चौंक गया और टाइम देखा तो रात के 8:00 बज चुके थे। मैं जल्दी से उठा और फ्रेश होकर खाना खाने की टेबल पे आ गया और अम्मी और बुआ किचेन से खाना लाकर रखने लगीं।

तभी अरविंद साहब भी आ गये और आते ही बोले- अहाआ… लगता है कि मैं सही टाइम पे आ गया हूँ क्योंकि बड़ी भूख लग रही है और एक कुर्सी खींचकर दीदी की बगल में ही बैठ गये और दीदी को अपनी तरफ खींचकर एक किस भी कर दी, जिसे ऋतु ने बड़ी अजीब नजरों से देखा और फिर हमारी तरफ देखा। लेकिन जब ऋतु ने देखा कि हम सब नार्मल हैं तो वो भी खामोश हो गई और खाना निकालकर खाने लगी लेकिन उसका ध्यान खाने में कम लेकिन दीदी और अरविंद के बीच होने वाली छेड़-छाड़ में ज्यादा लगा हुआ था।

खाना खाने के बाद हम सब टीवी देखने बैठ गये तो अरविंद साहब ने मेरी तरफ देखा और कहा- यार हमारी दिलवर जानी भी ले आओ इस तरह क्या खाक मजा आएगा?

मैं अरविंद की बात का मतलब समझ गया और पायल की तरफ देखकर बोला- “जाओ बापू के रूम में से एक बोतल निकाल लाओ और साथ में गिलास और बर्फ भी ले आना…”

पायल उठकर चली गई तो ऋतु बड़ी अजीब नजरों से मेरी तरफ देखने लगी, लेकिन बोली कुछ नहीं क्योंकि वो काफी देर से यहाँ घर में जो देख रही थी उसकी समझ में नहीं आ रहा था।

पायल बापू के रूम में से शराब की बोतल निकाल लाई और उसे अरविंद के सामने रखकर किचन की तरफ चल पड़ी तो बुआ जो कि किचेन से ही आ रही थी उसके हाथ में बाकी सामान देखकर फिर से बैठ गई और बुआ ने बाकी सामान भी उनके सामने रख दिया और अरविंद ने दो गिलास में पेग बना लिए और एक दीदी को पकड़ा दिया और दूसरा खुद उठा लिया और पीने लगा।

दीदी को इस तरह सब घर वालों के सामने एक गैर-मर्द के साथ इस तरह चिपक के बैठने और किस करने के बाद अब शराब पीता देखकर ऋतु की आँखें हैरत के मारे फटने के करीब थीं कि वो एक झटके से उठी और अपने रूम की तरफ भाग गई।

ऋतु के वहाँ से जाते ही अम्मी ने और बुआ ने हल्का सा मुश्कुराकर मेरी तरफ देखा और ऋतु की तरफ इशारा कर दिया और पुछा- सुनाओ कैसी रही?

ऋतु के जाने के कुछ ही देर के बाद अरविंद साहब भी दीदी को लेकर उसके रूम में चले गये। तो अम्मी ने कहा- क्यों आलोक, कुछ परेशान हो कोई बात है तो बताओ मुझे।

मैंने अम्मी की तरफ देखा और कहा- अम्मी आप लोग ऋतु को अपने साथ शामिल करने के लिए जो कुछ कर रहे हो, क्या वो सही है?

अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- देखो बेटा, ऐसा है कि तुम अभी जाओ अपने रूम में इस पे हम बात करेंगे। लेकिन अभी नहीं ठीक है।

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Re: Hot stori घर का बिजनिस

Post by jay »

घर का बिजनिस -18

अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- देखो बेटा, ऐसा है कि तुम अभी जाओ अपने रूम में इस पे हम बात करेंगे। लेकिन अभी नहीं ठीक है।

अम्मी की बात सुनकर मैंने हाँ में सर हिला दिया और वहाँ से उठकर अपने रूम में आ गया और एक लूज निक्कर पहन ली और आराम करने के लिए लेट गया। कोई एक घंटे के बाद मेरे रूम का दरवाजा खुला और अम्मी अंदर आ गई और अपने पीछे दरवाजे को भी बंद कर दिया। और मेरे पास आकर बेड पे मेरे साथ ही लेट गईं और मुझे अपनी तरफ खींच लिया और मेरे बालों में उंगलियां घुमाने लगी।

मैंने कहा- क्यों अम्मी, क्या बात है? आज आप इतने दिनों के बाद मेरे रूम में? खैर तो है ना?

अम्मी ने मेरी तरफ देखा और बोली- आलोक बेटा, वो मैंने ऋतु के बारे में तुम्हारे साथ बात करनी थी।

इसीलिए सोचा कि आज मैं यहाँ तुम्हारे पास ही सो जाती हूँ और बात भी कर लूँगी।

मैंने कहा- “जी अम्मी, बोलो आप क्या बताना चाहती हो? जब कि मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ कि आप जिसके साथ जो करना चाहती हो या करवाना चाहती हो मुझे कोई ऐतराज नहीं है बस मैं ये चाहता हूँ कि किसी के साथ जोर-जबरदस्ती वाला काम ना हो कि हमें कल को जलील होना पड़े…”

अम्मी ने मेरी पूरी बात सुनी और बोली- आलोक, हम भी ऋतु को ये सब इसीलिए दिखा रहे हैं कि वो जितना इस माहौल को देखेगी, अपने अंदर की गर्मी से मजबूर होकर खुद ही बोल देगी कि वो भी हमारे साथ इस काम में आना चाहती है।

मैंने कहा- अम्मी, अगर ऋतु ने नहीं कहा और वो आपके कहने से भी इस काम के लिए नहीं मानी तो आप क्या करोगी?

अम्मी ने कहा- आलोक, अगर वो नहीं मानी तो फिर हम उसकी शादी करके उसे खुद से दूर कर देंगे, जहाँ उस पे हमारा साया भी ना पड़े।

अम्मी की बात सुनकर मैं शांत हो गया और अम्मी को लिपट गया।

तो अम्मी ने भी मुझे अपने साथ भींच लिया और किस करने लगी और साथ ही मुझे दबाने लगी। मैं भी अम्मी की किस के जवाब में अम्मी की जुबान को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से अम्मी की गाण्ड को दबाने लगा और सहलाने लगा। कुछ देर तक हम ऐसे ही एक दूसरे को किस करते रहे और फिर मैंने अम्मी को पीछे हटा दिया और खुद अम्मी की कमीज को निकाल दिया और साथ ही शलवार को भी तो अम्मी मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा में ही रह गई क्योंकि अम्मी पैंटी नहीं पहनती थी।

और इस वक़्त मेरी माँ जिसने मुझे पैदा किया था मेरे सामने सिर्फ़ एक ब्रा में लेटी मेरी तरफ बड़ी प्यार भरी नजरों से देख रही थी। अम्मी को इस तरह देखता पाकर मैं अम्मी की ब्रा पे झपट पड़ा और एक ही झटके से अम्मी की चूचियों को ब्रा से निकाल दिया और अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। मेरे इस तरह झपटने से अम्मी के मुँह से से की हल्की आवाज निकली और इसके साथ ही अम्मी ने मुझे अपने चूचियों के साथ दबा लिया और बोली- “आअह्ह… बेटा पी लो अपनी माँ का दूध उंनमह…”

अब मैं अम्मी की चूचियों को चूसने के साथ दबा भी रहा था जिससे अम्मी काफी गरम हो रही थी और सिसकियां भर रही थी और मेरे सर को अपनी चूचियां के साथ दबा रही थीं। कुछ देर के बाद मैंने अपना हाथ अम्मी के चूची से हटा लिया और अम्मी की फुद्दी की तरफ बढ़ने लगा और फिर अम्मी की गरम और तपती हुई फुद्दी के ऊपर रख दिया जो कि हल्की से गीली भी हो रही थी। मेरे हाथ लगाते ही अम्मी के मुँह से ऊओ आलोक, उन्म्मह… की आवाज निकल गई।

अम्मी के मुँह से निकालने वाली आवाजें आहिस्ता-आहिस्ता तेज हो रही थीं। मैं अम्मी की चूचियों को छोड़कर सीधा फुद्दी की तरफ आया और अपना मुँह अम्मी की फुद्दी के साथ लगा दिया और अपनी जुबान को बाहर निकालकर अम्मी की फुद्दी में घुमाने लगा जिससे अम्मी मचल उठी। मेरे इस तरह अम्मी की फुद्दी में जुबान घुमाने से अम्मी की हालत और भी बुरी हो गई और वो तड़प के थोड़ा उठी और अपने हाथों से मेरा सर अपनी फुद्दी पे दबा लिया और बोली- “आअह्ह… आलोक, चाट अपनी माँ की फुद्दी को मादरचोद… उन्म्मह… हाँ… बेटा खा जाओ मेरी फुद्दी को ऊओ… आलोक ये क्या कर दिया है तूने हरामी?”

अम्मी के मुँह से इन सिसकियों और गालियों की आवाज़ों ने तो जैसे मुझे दीवाना कर दिया था कि मैं अब अपनी जुबान से अम्मी की फुद्दी को चाटने के साथ अम्मी की फुद्दी में घुसा भी रहा था और साथ ही हल्का सा काट भी लेता जिससे अम्मी और भी ज्यादा तड़प जाती।

अब अम्मी के मुँह से- आअह्ह… आलोक बेटा ऊओ… मैं गई… कमीने खा जा अपनी माँ की फुद्दी को… ऊओाअ… आलोक मैं गई…” और इसके साथ ही अम्मी के जिश्म को जोर का झटका लगा और अम्मी ने मेरे सर को अपनी रानो में दबा लिया और अम्मी की फुद्दी से पानी का सैलाब सा निकला और मेरे मुँह में गया जिसे मैं चाट गया और फिर उठा और अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी के साथ लगा दिया और रगड़ने लगा। अब मैं अपने लण्ड को अम्मी की फुद्दी के ऊपर रगड़ता और हल्का सा दबा के अम्मी की फुद्दी में घुसा देता और फिर बाहर निकाल लेता और रगड़ने लगता।

अम्मी ने जब देखा कि मैं अंदर नहीं घुसा रहा और बस ड्रामा कर रहा हूँ तो अम्मी ने कहा- “बेटा, क्यों तंग कर रहा है अपनी माँ को? अब घुसा भी दे ना…”

अम्मी की बात सुनते ही मैंने अपनी पूरी ताकत से झटका दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की फुद्दी को खोलता हुआ जड़ तक घुस गया और तभी मैंने अम्मी के घुटनों को अम्मी की कंधों की तरफ मोड़ के पूरी तरह दबा दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की फुद्दी में जड़ तक घुस गया।

लण्ड के इस तरह घुसने से अम्मी के मुँह से- “आऐ आलोक, आराम से करो ये क्या कर रहे हो? मारना है क्या मुझे? बेटा दर्द होता है इस तरह, एक तो तेरा बहुत बड़ा है प्लीज़्ज़… आराम से करो…”

मैंने कोई जवाब नहीं दिया और अम्मी की टाँगों को उसी पोजीशन में रखा और एक बार फिर से अपने लण्ड को सुपाड़े तक बाहर निकाला और फिर से अपने जिश्म का सारा वजन अपने लण्ड पे डाल दिया जिससे मेरा लण्ड अम्मी की बच्चेदानी तक टकराया तो अम्मी दर्द की वजह से तड़प उठी।

मेरे इस झटके से अम्मी के मुँह से- “ऊओई आलोक, क्या कर रहा है? फाड़नी है क्या? कमीने, मैं माँ हूँ तेरी… रंडी नहीं जो इस तरह चोद रहा है आअह्ह… प्लीज़्ज़… बेटा आराम से करो…”

मुझे भी अम्मी को इस तरह चोदने में मजा आ रहा था तो मैं भी इस तरह अम्मी की फुद्दी में अपने लण्ड को झटके देता रहा और बोला- “हाँ पता है तू मेरी माँ है, रंडी नहीं है… पर साली तू किसी रंडी से क्या कम है… हाँ…” और बार-बार झटके देता रहा।

अब अम्मी को भी इतना दर्द नहीं हो रहा था बलकि इसकी जगह वो मुझे अपने साथ लिपटा के चुदाई का मजा ले रही थी और साथ ही- “हाँ आलोक, अभी अच्छा लग रहा है बेटा… फाड़ दे अपनी माँ की फुद्दी को… उन्म्मह… ऊओ… आलोक मेरा बच्चा, तू कितना अच्छा है बेटा अपनी माँ का कितना ख्याल रखता है…”

अब मैं अपने अंत पे आ चुका था और अम्मी के ऊपर से थोड़ा ऊपर उठा और तेज झटके लगाने लगा जिससे अम्मी भी जरा ज्यादा सिसकने लगी और- “हाँ आलोक, बस हो गया मेरा… आअह्ह… मैं गई बेटा…” की आवाज के साथ ही अम्मी की फुद्दी में पानी की वजह और मेरे धक्कों की वजह से पिकचाक्क-पीकचाक्क की आवाज आने लगी और इसके साथ ही मैं भी अम्मी की फुद्दी में ही फारिग़ हो गया और वहीं गिर के लंबी-लंबी सांसें लेने लगा।

मैं उस रात अम्मी को एक बार ही चोद के इतना थक गया था िहोश ही नहीं रहा कि मैं कब सो गया। सुबह के 9:00 बजे मेरी आँख खुली तो देखा कि मैं अभी तक नंगा ही पड़ा हुआ सो रहा था और अम्मी अब मेरे रूम में नहीं थी। मैं उठा और अपने रूम में ही बने हुये बाथरूम में घुस गया और नहाकर ड्रेस पहनकर बाहर आया तो बापू और बुआ बैठे बातें कर रहे थे।

मुझे देखते ही बुआ ने कहा- लो भाई जान, आपका बेटा भी उठ गया है।

बापू भी मुझे आता हुआ देख चुके थे और जैसे ही मैं उन लोगों के पास जाकर बैठा बापू ने मुझसे कहा- हाँ भाई आलोक, कैसी गुजर रही है?

मैं बापू की बात से थोड़ा शर्मा गया और बोला- अच्छी गुजर रही है।

बुआ हँसते हुये- अच्छा, तो फिर क्या सोचा है तुमने ऋतु के बारे में?

मैं- बुआ बात ये है कि अगर ऋतु की अपनी मर्ज़ी हो तो अच्छी बात है लेकिन उससे जबरदस्ती नहीं करे कोई।

बापू- हाँ क्यों नहीं, हम भी तो ये ही चाहते हैं कि वो अपनी मर्ज़ी से करे।

बुआ- हाँ आलोक, इसीलिए तो हमने सोचा है कि ऋतु के सामने ज्यादा से ज्यादा फ्री हुआ जाए ताकि वो भी घर के नये माहौल को अच्छी तरह समझ के फैसला करे।

मैं- ठीक है बुआ, जो आप लोगों की मर्ज़ी… लेकिन अभी नाश्ता तो करवा दें बड़ी भूख लगी है।

बुआ- थोड़ा सबर करो, अंजली नाश्ता बना रही है फिर करते हैं।

मैं- क्यों बुआ? आप लोगों ने भी नहीं किया नाश्ता अभी तक?

बुआ- हेहेहेहे क्यों तुम ही रात को देर से सोए थे, क्या हम नहीं सो सकते देर से?

मैं बुआ की बात समझ गया और हँसते हुये बोला- हाँ हाँ क्यों नहीं? आपका तो हक है देर से सोना। और वो अम्मी और ऋतु कहाँ हैं नजर नहीं आ रहे…”

बापू- वो… तुम्हारी माँ ऋतु को अपने साथ लेकर अभी निकली है। बोल रही थी कि बाजार जाना है लड़कियों के लिए अच्छे कपड़े नहीं हैं।

मैं- लेकिन बापू, अभी तो बाजार पूरी तरह से खुले भी नहीं होंगे?

बुआ- अरे यार, भाभी के जाते तक खुल जायेंगे और वो जो कुछ लाना है लेकर जल्दी वापिस आ जायेंगी।
तभी दीदी भी नाश्ता तैयार होने का बताने के लिए हमारे पास आ गई और बोली- चलो सब लोग पहले नाश्ता कर लो।

फिर हम सब वहाँ से उठे और नाश्ता करने के लिए टेबल पे बैठ गये और खामोशी से नाश्ता करने लगे। नाश्ता करने के बाद बापू को कहीं से काल आई तो वो घर से निकल गये। तो मैं भी उठकर घर से निकल आया और घूमने लगा।

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क्योंकि इस इलाके में मेरा कोई दोस्त नहीं था और ना ही कोई जानने वाला तो मैं ज्यादा देर बाहर नहीं रहा और घर आ गया। तब तक अम्मी और ऋतु भी आ चुकी थीं। जैसे ही मैं घर में दाखिल हुआ पायल ने मुझे देखकर कहा- “भाई, वो बापू का फोन आया था। बोल रहे थे कि दो बजे तक उनका कोई दोस्त आएगा उसे गेस्टरूम में बिठा देना और जो माँगे मना नहीं करना…”

मैं समझ गया कि कौन सा दोस्त होगा। मैंने हाँ में सर हिला दिया और अपने रूम में चला गया। दो बजे से पहले ही मैं गेस्टरूम में चला गया और उस आदमी का इंतेजार करने लगा। वो आदमी आया तो तब तक 2:15 हो चुके थे और उसने आते ही मेरे साथ हाथ मिलाया और बोला- “जी मुझे किसी ने यहाँ का पता देकर भेजा था और बोला था कि यहाँ मेरा काम हो जाएगा…”

मैंने कहा- जी अगर आपको किसी ने भेजा है तो उसने मुझे भी बता दिया है। क्या आप अपना नाम बतायेंगे मुझे?

उसने मुझे अपना नाम समीर बताया। उसकी उम्र कुछ ज्यादा तो नहीं थी लेकिन 27 साल के करीब तो थी ही। मैंने उसे बिठाया और पूछा- जी अब बतायें कि आप क्या पियोगे?

समीर ने कहा- “जो भी मिल जाए… जिससे जरा मूड बन जाए…”

मैंने उसकी बात को समझा और उसे बैठने का बोलकर घर आ गया और पायल को जो कि पहले से ही तैयार बैठी हुई थी बोला- “तुम जाकर उसके पास बैठो…” और ऋतु की तरफ देखकर कहा- “तुम कुछ देर के बाद अम्मी से एक बोतल और 3 गिलास लेकर आना…”

ऋतु जो कि पहले ही कुछ परेशान नजर आ रही थी मेरी बात सुनकर हकला गई और बोली- “भाई… वा… वो… मैं क…क्या करूंगी वहाँ?

मैंने कहा- “कुछ नहीं, बस जो बोला है लाकर दे जाना…” और बस इतना बोलकर मैं पायल के पीछे ही गेस्टरूम में आ गया जहाँ पायल समीर के साथ लिपट के बैठी हुई थी और समीर उसकी चूचियों को मसल रहा था।

समीर ने जब मुझे देखा तो अपना हाथ पायल की चूचियों से हटा लिया और खामोश होकर बैठ गया। मैं उसकी ये हालत देखकर हँस पड़ा और बोला- “यार लगे रहो, डरो नहीं। अभी तुम्हारे मूड को बनाने के लिए भी सामान आ जाएगा…”

समीर मेरी बात सुनकर फिर से मेरी बहन की चूचियों को दबाने लगा और साथ ही उसे किस भी करने लगा।
तभी ऋतु भी शराब की बोतल और ग्लास लेकर आ गई और पायल को इस हालत में देखकर, और वो भी मेरे सामने, घबरा गई और उसके हाथ काँपने लगे।

मैंने ऋतु को देख लिया और बोला- हाँ ले आओ, शाबाश… यहाँ टेबल पे रख दो और अगर बैठना है तो यहाँ बैठ जाओ मेरे पास आकर।

समीर ने जब ऋतु की कमसिन जवानी को देखा तो बोला- “यार आलोक भाई, अगर नाराज नहीं हो तो क्या मैं इस लड़की के साथ नहीं कर सकता?

मैं उसकी बात सुनकर हँस पड़ा और बोला- “नहीं भाई, ये रंडी नहीं है…” और ऋतु की तरफ देखा जिसका चेहरा पशीना-पशीना हो रहा था और सांस भी तेज चल रही थी।

ऋतु ने जल्दी से बर्तन और शराब को टेबल पे रखा और वहाँ से भाग गई।

तो पायल ने उठकर 3 गिलास शराब बनाई और एक मुझे पकड़ा दिया और एक समीर को पकड़ा के खुद भी शराब पीने लगी। शराब के दो पेग लगाते ही समीर ने पायल को पकड़ लिया और साथ ही बने हुये रूम में चला गया।

मैं बाहर सोफे पे बैठा रहा और रूम से आने वाली पायल और समीर की आवाज़ों को सुनता रहा और अपने लण्ड को मसलता रहा जो कि पायल की सेक्सी और मजे से भरपूर सिसकियों को सुनकर खड़ा हो गया था। समीर के फारिग़ होने के बाद पायल ने मुझे आवाज दी।

जैसे ही मैं रूम में गया पायल ने कहा- “भाई, वो बाहर से शराब तो ला देना जरा…”

मैं पायल की फुद्दी को देखता हुआ बाहर आ गया और शराब की बोतल और गिलास रूम में लाकर रख दिया।
तो पायल ने कहा- “भाई, यहाँ हमारे पास ही बैठ जाओ ना प्लीज़्ज़…”

मैं पायल की बात मान गया और वहाँ रखी एक चेयर पे बैठ गया और उन दोनों के लिए शराब बनाने लगा। शराब का एक और पेग लगाने के बाद समीर फिर से पायल के साथ लिपट गया और किस करने लगा और उसकी फुद्दी में उंगली घुसाने लगा।

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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