Hindi stori--मौसी का गुलाम compleet

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rajsharma
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Re: मौसी का गुलाम

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अंकल जब समझ गये कि मैं सम्भल गया हूँ तो वे फिर लंड पेलने लगे अब उनकी वासना इस सीमा तक बढ़ गयी थी कि जब मैं फिर दर्द से बिलबिला उठा तो उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया और पेलते रहे इंच इंच करके वह मोटा सोंटा मेरे चुतडो के बीच गढ़ता गया आख़िर तीन-एक इंच डंडा बाहर बचा जब मैं बुरी तरह से छटपटाने लगा लंड फँस सा गया था और अंदर नहीं जा रहा था मौसाजी तैश में थे, मौसी से बोले "रानी इसे पकड़ना, अब मैं इसकी गान्ड में जड तक अपना लंड डाले बिना नहीं रुकने वाला, भले कुछ भी हो जाए"

फिर उन्होंने ऐसा जोरदार झटका मारा कि जड तक उनका सोंटा मेरी गान्ड में उतर गया उनकी घूंघराली झांतें मेरी गुदा से सिमट गयीं मेरे आँसू निकल आए और मैंने चीखने की कोशिश की पर मौसी की चुनमूनियाँ ने मेरा मुँह सील किया हुआ था इसलिए सिवाय गोंगियाने के कोई आवाज़ नहीं निकली

मैं अब पानी से बाहर निकाली मछली जैसा तडप रहा था ऐसा लगता था कि घूँसा बाँधकर किसीने अपना हाथ गान्ड में डाल दिया हो मुझे समझाते हुए मौसी बोली "घबरा मत राज, हो गया काम, बस पाँच मिनिट रुक, देख फिर कैसा आनंद आता है"

फिर मौसी ने मेरा गुदा टटोल कर देखा उंगली पूरे गुदा पर मौसाजी के डंडे के चारों ओर घुमाई और बोली "बिलकुल ठीक है तेरी गान्ड ज़रा भी फटी नहीं है यह तो कमाल हो गया, इतना बड़ा लौडा तूने आराम से अंदर ले लिया इनके एक साथी को इनसे पहली बार मराने के बाद टाँके लगवाने पड़े थे" मौसाजी भी अब बिलकुल स्थिर थे कि मुझे और दर्द ना हो और मुझे चूमते हुए बोले "पक्का गान्डू है यह प्यारा लडका, इसकी गान्ड बनी ही चोदने के लिए है इसीलिए तो नहीं फटी और अब इसकी गान्ड का मालिक मैं हूँ"

मौसाजी अब मेरे शरीर पर लेट गये और पीछे से मेरे बालों और गर्दन को चूम ने लगे अपने हाथ उन्होंने मेरी छाती के इर्द गिर्द लपेट कर मेरे निपलो को हौले हौले मसलना और खींचना शुरू कर दिया अब धीरे धीरे एक मादक सुखद अनुभूति से मेरा शरीर सिहर उठा और दर्द कम होने लगा पाँच मिनिट में मैं ऐसा मस्त हो गया कि गुदा सिकोड कर अपनी गान्ड में फँसे उस मोटे सोंटे को पकड़ने लगा

मौसाजी ने यह अनुभव करते ही हँस कर मौसी को कहा कि मुझे छोड़ दे "देखा, बच्चा अब कैसे मस्त हो गया! सच, यह मुन्ना इतना प्यारा और एक नंबर का चुदक्कड होगा, मैं पहले जानता तो कब का चोद चुका होता"

उन्होंने मुझे थोड़ा उठाकर मौसी को मेरे नीचे से निकल जाने दिया और फिर मुझे पलंग पर ओँधा लिटाकर मेरे उपर ठीक से सो गये उनका पूरा वजन अब मुझ पर था वे मुझ पर पूरी तरह से चढे थे जैसे चोदने को नर मादा पर चढता है मेरे पैर उन्होंने अपनी जांघों में कस लिए थे और उनके हाथ मेरी छाती को जकडकर मेरे निपलो को मसल रहे थे

मौसी ने मुझसे प्यार से पूछा "राज बेटे, ठीक तो है ना तू?" मैंने अपनी आँसू भरी आँखों से उसकी ओर देखा और मुस्करा कर सिर हिलाकर हाँ कहा अब दर्द के साथ एक मीठी मादकता मेरी नस नस में भरी थी मौसी मेरे जवाब से आश्वस्त होकर आराम से एक तृप्ति की साँस ले कर पीछे टिक कर बैठ गयी क्योंकि वह मेरी गान्ड में लंड घुसते समय मेरे मुँह मे दो बार झड चुकी थी और खुश थी कि उसका काम हो गया है आराम से बैठ कर अब वह अपने पातिदेव द्वारा अपनी सग़ी बहन के कमसिन बेटे की कुँवारी किशोर गान्ड का कौमार्य भंग होने की रति क्रीडा देखने लगी

क्रमशः……………………
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

मौसी का गुलाम---12

गतान्क से आगे………………………….

मौसाजी को उसने जताया "देखो जी, इतनी मेहनत से घुसाया है तो अब कम से कम एक घंटे तक राज की गान्ड मारो मैं भी तो देखूं कि कितना दमा है तुममें और मेरे इस प्यारे भांजे में"

मौसाजी अब धीरे धीरे मुझे चोदने लगे उनका लौडा मेरे फैले चुतडो में एक इंच अंदर बाहर हो रहा था फिर मेरे गुदा में यातना होने लगी पर मज़ा इतना आ रहा था कि मैंने दर्द पर ध्यान नहीं दिया जल्द ही मौसाजी ने ज़ोर के धक्के लगाना शुरू किया और तीन चार इंच लंड मेरी गान्ड में अंदर बाहर करने लगे मख्खन से मेरा गुदा इतना चिकना हो गया था कि लंड आसानी से पच-पुच-पच की आवाज़ से अंदर बाहर हो रहा था उसका वह मीठा घर्षण मुझे बहुत सुख दे रहा था

जल्द ही मौसाजी एक लय से मुझे चोदने लगे "राज बेटे, मेरे लंड को अपनी गान्ड से पकड़ , ऐसे सिकोड और छोड़ जैसे दूध निकाल रहा हो" मौसाजी का आदेश मैंने माना और गान्ड सिकोडते ही मीठी चुभन से भरा ऐसा दर्द हुआ कि मैं सिहर उठा

लंड पर मेरी गान्ड का दबाव बढ़ते ही मौसाजी ऐसे उत्तेजित हुए कि मेरा सिर अपनी ओर खींच कर मुझे चूमने लगे "आहा हाइईईईई, मज़ा आ गया, बस ऐसे ही बेटे, बहुत सुख दे रहा है तू मुझे, अब मुझे चुम्मा दे, तेरे मुँह का मीठा रस तो चूसूं ज़रा" हमारे होंठ अब एक दूसरे के होंठों पर जमे थे और जीभ लडाना, जीभ चूसना, गले में जीभ गहरे तक उतारना इत्यादि मीठी क्रियाएँ जोरों से चल रही थीं

हमने घंटे भर तक जम के चुदाई की दस दस मिनिट बाद जब अंकल झडने को आते तो रुक जाते रुके रुके वे मुझे खूब चूमते और मेरे लंड को सहला कर मुझे मस्त करते मेरा लंड अब लोहे के डंडे जैसा खड़ा था अंकल जैसे मस्ताने मर्द से मराने में और एक रंडी की तरह खुद को चुदवाने में वह मज़ा आ रहा था कि कहा नहीं सकता मौसी भी अब मतवाली होकर हमारी कामक्रीडा को देखती हुई एक डिल्डो से खुद को चोद रही थी

आख़िर एक घंटे बाद मौसाजी की सहनशक्ति खत्म हो गयी और वे उछल उछल कर ज़ोर से मेरी गान्ड चोदने लगे मैं भी पक्के गान्डू जैसा अपनी गुदा सिकोड सिकोड कर अपने नितंब उछाल उछाल कर गान्ड मरा रहा था वासना के आवेश में मैं चिल्लाने लगा "अंकल, मेरी गान्ड और ज़ोर से मारिए, पूरा घुसाइए ना, फट जाने दीजिए, मेरे निपल भी खींचिए प्लीज़, पटक पटक कर मेरी गान्ड मारिए"

अंकल मेरे निपलो को खींच खींच कर मसलते हुए अब हचक हचक कर चूतड़ उछाल उछाल कर मुझे पूरी शक्ति से चोद रहे थे उनका लंड करीब करीब पूरा सात आठ इंच मेरी गुदा में से निकल और घुस रहा था मेरा गुदा का छल्ला अब ढीला होकर पूरा खुल गया था स्पीड बढने से अब गान्ड में से पचाक-पचाक-पचाक की आवाज़ आ रही थी मौसी भी डिल्डो चलाती हुई गरम कर बोली "डार्लिंग, अब बिलकुल दया नहीं करना इस गान्डू पर, भले साले की नरम गान्ड फॅट जाए, तुम्हे मेरी कसम कस के हचक हचक के मारो इस हरामी की, इतनी मारो कि कल यह मादरचोद चल ना पाए"

मौसाजी अचानक इतनी ज़ोर से झडे कि एक घोड़े की तरह हिनहिनाए तपते उबलते वीर्य का फुहारा मेरी गान्ड की गहराई में निकल पड़ा मुझे ऐसी तृप्ति महसूस हुई जैसी किसी औरत को चुद कर होती है प्यार से मैंने अंकल के होंठ अपने दाँतों में दबा लिए और उन्हें चूसने लगा

हाम्फते हुए अंकल के मुँह से रस छूट रहा था जो मैं पूरे जोश से निगल रहा था मेरे दाँतों मे दबे होने से अंकल की सीतकारियाँ भी दब कर बस उनके मुँह से हल्की हिचकियाँ भर निकल रही थीं मैं बड़ा गर्व महसूस कर रहा था कि उस मस्ताने मर्द को मैंने इतना सुख दिया था मौसाजी को पूरा झडने में पाँच मिनट लग गये और आख़िर उनका लंड सिकुड कर ज़रा सा हो गया
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Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

रवि अंकल ने झडा लंड मेरी गान्ड से निकाला और तृप्ति की साँसें भरते हुए लेट गये मौसी ने चुनमूनियाँ से डिल्डो निकाला और उनके मुँह में घुसेड दिया "मज़ा आया मेरे भांजे की सील तोड कर? चलो, अब ज़रा अपनी बीवी की चूत का रस भी चाटो, जो बेचारी इतनी देर से मुठ्ठ मार रही है" तभी मौका देखकर मैंने अपना मुँह शन्नो मौसी की रिसती चुनमूनियाँ पर लगा दिया और रस पीने लगा

अंकल का मन अभी मुझ से नहीं भरा था डिल्डो चाटने के बाद मुझे खींच कर उन्होंने अपनी छाती पर छोटे बच्चे जैसा बिठा लिया और मेरा तन्ना कर खड़ा शिश्न चूसने लगे "राज डार्लिंग, मैंने बुरी तरह तेरी गान्ड मार ली, अब तू बदले में मेरा मुँह चोद ले" और उन्होंने मेरा पूरा लंड निगल लिया

उनके गीले गरम मुँह ने मुझे ऐसा उत्तेजित किया कि मैं उनके उपर लेट गया और उनके सिर को पकड़ कर अपने पेट में दबाते हुए उनके मुँह को ऐसे चोदने लगा जैसे चुनमूनियाँ चोदी जाती है मेरा लंड उनके गले में उतर गया और उस सकरे गले को चोदते हुए मुझे वही सुख मिला जो चुनमूनियाँ चोदकर मिलता मौसाजी भी मज़े से मेरे लंड को अपनी जीभ से पुचकारते हुए दाँतों से हलके हलके काटते हुए चूस रहे थे काफ़ी देर से मैं मस्ती में था, ज़्यादा नहीं चोद पाया और कसमसा कर उनके मुँह में झड गया उन्होंने भी मेरी बूँद बूँद निचोड़ ली और तभी छोड़ा

अब मैं बुरी तरह से थक गया था और सिमट कर सोने की कोशिश करने लगा लंड की मस्ती उतरने के बाद गुदा में होते भयानक दर्द से अब फिर मेरी आँखें भर आईं गान्ड ऐसी लग रही थी जैसे उसमें आग लगी है मौसी और अंकल ने मेरी गुदा को ध्यान से पास से देखा और बोले "डर मत, फटी नहीं है, पर गान्ड के छोटे छेद के बजाय तेरा छेद अब चुदी लाल चुनमूनियाँ जैसा खुल गया है और बड़ा प्यारा लग रहा है"

मौसी ने मेरी गान्ड में कोल्ड क्रीम लगा दी थका होने से मेरी आँख लग गयी सोते सोते मुझे याद है कि अब मौसाजी मौसी पर चढ कर उसे चोद रहे थे

सुबह जब मैं उठा तो सूरज काफ़ी उपर आ गया था मौसी उठ कर जा चुकी थी, बिस्तर में मैं और मौसाजी भर थे उनकी नींद पहले ही खुल गयी थी और वे मुझे बाँहों में लेकर चुम्मा ले रहे थे और मेरा शिश्न रगड कर उसे खड़ा कर रहे थे उनका लंड कस कर खड़ा था बड़ा अच्छा लग रहा था और उनके चुम्मे के जवाब में मैं भी उनका चुम्मा लेने लगा पलट कर वे उलटी बाजू से सो गये और सिक्सटी नाइन का पॉज़ बना लिया चूसते हुए उनकी जीभ मेरे लंड को पागल कर रही थी मैंने भी मुँह खोल कर जितना हो सकता था, उतना उनका लौडा मुँह में ले लिया और चूसने लगा

लंड पहले ही मस्त होकर खड़ा था और मेरे चूसने के बाद करीब करीब कल रात जितना ही बड़ा हो गया था आधे से ज़्यादा लंड मुँह में लेकर चूसने में मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था अंकल ने ज़रा गर्दन लंबी की और मेरी जांघों के बीच सिर डाल कर मेरी गुदा चूसने लगे उनकी तपती गीली जीभ मेरी गान्ड में घुसी और मैं आनंद से हुनक उठा अंकल पर मुझे बहुत प्यार आ रहा था कि देखो मेरे शरीर को कितना प्यार करते हैं मुझे यही लगा कि शायद अब हम एक दूसरे का वीर्यापान करके ही उठेंगे पर प्यार के अलावा उनके दिमाग़ में वासना का शैतान भी सवार था

यह मुझे तब पता चला जब सहसा मुझे ओँधा लिटा कर वे मुझ पर चढ बैठे मेरी समझ में आने के पहले ही उन्होंने अपना सुपाडा मेरी गुदा पर रखा और कस कर पेल दिया लंड और मेरी गुदा हमारे थूक से चिकनी थी ही, इसलिए बड़ा मोटा होकर भी सुपाडा सट करके मेरी गान्ड में घुस गया मेरी गान्ड कलकी ठुकाई से अभी भी बहुत दुख रही थी और रही सही कसर उनके मोटे लंड ने मेरी गान्ड में घुस कर पूरी कर दी

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Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

मौसी का गुलाम---13

गतान्क से आगे………………………….

दर्द से बिलबिला कर मैंने चीखने के लिए मुँह खोला ही था कि उनके शक्तिशाली हाथ ने मेरा मुँह दबा कर मेरी चीख रोक दी बचे हुए लंड को अब बेरहमी से मेरी गान्ड में खोँसते हुए वे वासना से हाम्फते हुए बोले "चिल्ला मत राज बेटे, कोई फ़ायदा नहीं होगा, तेरी नरम नरम कमसिन गान्ड तो मैं मार के रहूँगा, ऐसी हाथ में आई चीज़ छोड़ने के लिए क्या मैं पागल हूँ? आज तो दिन भर मारूँगा तेरी, ले लूँगा आज"

जड तक लंड मेरी गान्ड में घुसेड कर वे मेरे उपर चढ कर सटासट मुझे चोदने लगे मेरा मुँह उन्होंने अपने हाथ से दबोचे रखा और मस्त घचाघाच गान्ड मारते रहे दर्द से ऐम्ठता हुआ मेरा शरीर शायद उन्हें और उत्तेजित कर रहा था आख़िर जब मैंने हार मान ली और रोता हुआ निढाल होकर पड गया तब धीरे से उन्होंने मेरा मुँह छोड़ा उस हाथ से वे अब मेरे निपल मसलने लगे और दूसरे हाथ से मेरा लंड रगड कर मुझे मस्त करने लगे जल्द ही लंड में मस्ती चढ़ने से मेरा रोना कुछ कम हुआ, पर दर्द अब भी बहुत हो रहा था

मौसी ने हल्ला सुना तो देखने को आई कि क्या गडबड चल रही है मैंने रोते हुए उससे मौसाजी की शिकायत की "मौसी, मौसाजी को डान्टो ना, देखो फिर मेरी गान्ड मार रहे हैं, बहुत दर्द हो रहा है मौसी, मैं मर जाउन्गा आज तो मख्खन भी नहीं लगाया"

उसने अपने पति का ही साथ दिया वासना से भरी उनकी आँखों को चूम कर वह मेरे पास बैठ गयी वह पूरी नग्न थी और बड़ी मादक लग रही थी "मारने दो बेटे, इतनी चिकनी गान्ड जब मिली है तो पूरा मज़ा लेंगे ही खाने की चीज़ है तो खाएँगे नहीं? ले मेरी चूची चूस ले और ज़रा दर्द सहन करना सीख" फिर अंकल की ओर मुड कर बोली "मारो जी, और ज़ोर से मारो इस बच्चे की गान्ड पूरा मज़ा वसूल कर लो इतना मस्त छोकरा है, मेरा लंड होता तो मैं भी ऐसे ही चोदती इसे"

रोते बच्चों को चुप कराने के लिए जैसे औरतें करती हैं वैसे मेरे मुँह में उसने एक निपल दे दिया कि मैं शांत हो जाऊ अब तक मेरा दर्द कम हो गया था और मुझे गान्ड मराने में मज़ा आने लगा था रोना बंद करके अब मैं अपने चुतड उछाल कर और ज़ोर से मरवाने की कोशिश कर रहा था

मौसाजी मेरे इस उतावलेपन पर लाढ़ से हँसने लगे "देख रानी, अभी तक रो रहा था बदमाश, अब कैसा मस्ती से मरा रहा है, अपने चूतड उछाल उछाल के डार्लिंग, आज तो मैं कसम ले लेता हूँ, दिन भर इसकी गान्ड मारूँगा" इस वायदे के साथ वे पूरी शक्ति से मुझे चोदने लगे पंद्रहा मिनिट मज़ा लेकर आख़िर वे झडे

जब अंकल ने लौडा निकाला तो फिर मेरा दर्द बढ़ गया पर अब मैं रोया नहीं सच तो यह है कि अब मैं गान्ड मराने का आदी हो चला था मौसी ने कहा कि सब अब नहाने को चलें पर जब मैंने पलंग से उतर के चलने की कोशिश की तो गान्ड में ऐसी दर्द की हुक उठी की तडप कर गिरते गिरते बचा आख़िर मौसाजी मुझे बाँहों मे उठा कर बाथरूम में ले गये मुझे चूमते चूमते वे बोले "तू तो मेरा खिलौना है, मेरा गुड्डा है, आज दिन भर कर अपने गुड्डे से मैं खेलूँगा" मैं यह सुनकर मन ही मन खुश हुआ पर घबराया भी मैंने समझ लिया कि आज मेरी गान्ड की खैर नहीं

गरमा गरम पानी के शोवर से मुझे आराम मिला मेरा लंड अब खड़ा हो गया था और मैं मचल रहा था मौसी ने सोचा कि चूसने का अच्छा मौका है पर अंकल ने मना कर दिया बोले "डीयर, इसे ऐसा ही खड़ा रहने दो, जब तक राज मस्त रहेगा, प्यार से मरवाएगा अगर झडाना ही हो, तो मैं इसे चूसूंगा आज इसका वीर्य सिर्फ़ मेरे लिए है"
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Re: मौसी का गुलाम

Post by rajsharma »

मौसी नाराज़ हुई कि मौसाजी उसके प्यारे भांजे को अपने ही सुख के लिए पकड़ कर रखे हुए हैं, अपनी पत्नी का उन्हें ज़रा भी ख़याल नहीं मौसाजी ने चूम कर उसे मनाया "मैं तुझे भी खूब चोदून्गा और तेरी गान्ड मारूँगा मेरी रानी सिर्फ़ झड़ूँगा नहीं लंड अपना मैं सिर्फ़ इस बालक की गान्ड के लिए ही खड़ा रखूँगा यह गान्ड नहीं, मेरे लिए तो बड़ी प्यारी बच्चा चुनमूनियाँ है और फिर मैं बस दो दिन तो यहाँ हूँ, मुझे फिर दौरे पर जाना है तब तक तो मन भर के इसे भोगने दे"

मौसी की नाराज़गी दूर हुई और तुरंत मौसाजी को अपना वायदा पूरा करने के लिए कहती हुई वह झुक कर टब का किनारा पकड़ कर झुक कर खडी हो गई उसे कुतिया स्टाइल में चुदाना था अंकल ने उसके पीछे खड़े होकर उसकी चुनमूनियाँ में लंड डाला और चोदने लगे उसे उन्होंने आधे घंटे तक चोदा और तीन चार बार झडा कर खुश कर दिया सारे समय मैं मौसी के सामने खड़ा था और वह मेरा लंड चूस रही थी उसने मुझे झड़ाया नहीं, सिर्फ़ गरम रखा अपने पति के लिए अंकल के कहने पर मैंने उसके लटकते स्तन भी खूब दबाए वे अंकल के झटकों से पेम्डुलम जैसे हिल रहे थे

मैं इतना उत्तेजित था क़ी वासना से सिसकने लगा "मौसी, चूस ले मेरा लंड, प्लीज़, मुझसे नहीं रहा जाता" मौसी ने भी मौसाजी से कहा कि एक बार तो उसे चूसने दें, कल से उसने अपने प्यारे भांजे का वीर्य नहीं चखा था मौसाजी ने आख़िर परमिशन दे दी और मौसी के स्तन पकड़े पकड़े ही मैं ऐसा झडा की किलकारियाँ मारने लगा

मौसी ने मन लगाकर मेरा वीर्य पान किया और इस बीच अंकल ने उसे एक बार और चोद डाला मैंने गौर किया कि मौसाजी एक भी बार नहीं झडे वी और अपना तन्नाया लंड मेरे लिए बचाए हुए थे जब उन्होंने मुझे मौसी की चुनमूनियाँ में घुसते निकलते अपने लौडे को ताकते देखा तो मुझे आँख मार कर हँसने लगे कि ठहरा राजा, यह अब तेरे लिए है

मौसाजी अब फर्श पर लेट गये और शन्नो मौसी की तरफ देख कर हँसने लगे कल की रात की घटना याद करके मैं समझ गया कि अब क्या होगा मौसी तैयार नहीं थी और मेरी ओर इशारा कर के अंकल को आँख दिखाने लगी मौसाजी बोले "बच्चे को भी देखने दो रानी, क्या हुआ, उसे भी इसकी आदत लगा दो, उसे बहुत मज़ा आएगा तेरा मूत पीकर उसने शायद कल देख भी लिया है, क्यों राज बेटे? चलो, मुझे मत प्यासा रखो, पिला दो अपना शरबत"

मौसी आख़िर थोड़ा शरमा कर मेरी ओर कनखियों से देखती हुई मौसाजी के सिर के दोनों ओर पैर जमा कर घुटने मोड कर बैठ गयी और उनके मुँह में मूतने लगी आज वह बड़े प्यार से रुक रुक कर धीरे धीरे मूत रही थी कि उसके पति को स्वाद ले ले कर पीने का मौका मिले मुझसे ना रहा गया और मैं झुक कर मौसी के चुंबन लेता हुआ उसकी आँखों में झाँकने लगा मेरे कुछ ना कहने पर भी वह मेरी आँखों की याचना समझ गयी और धीरे से मेरे कान में बोली "बाद में बेटे, अकेले में"

नहाने के बाद हम नाश्ते पर बैठे मौसाजी ने मुझे अपनी गोद में बिठा रखा था उनका लंड मेरे नितंबों की बीच की लकीर में धँसा हुआ था और मैं उसपर ऐसा बैठा था कि साइकिल का राउन्ड हो मौसाजी बीच बीच मे अपना लंड मुठियाते तो लंड उपर होकर मुझे आराम से उठा लेता जैसे कोई क्रेन हो उनके ताकतवर लिंग की यह शक्ति देखकर मौसी भी खूब हँसी

नाश्ता खतम करके हम ड्राइंग रूम में गये मुझे बाँहों में लेकर चूमते हुए वे दोनों सलाह मशवरा करने लगे कि मेरे साथ अब क्या किया जाए, जैसे मैं कोई ज़िंदा बालक नहीं, उनका खिलौना हूँ जिससे चाहे जैसे खेला जा सकता है आख़िर मौसी मेरी तरफ दुष्ट निगाह से देखती हुई बोली "इसे मीठी सूली पे क्यों ना चढाया जाए जैसा उस दिन वीडीओ पर देखा था"

क्रमशः……………………

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