शौहरत का काला सच
दोस्तो आज की दुनियाँ मे हर इंसान शौहरत और दौलत के पीछे पड़ा है मगर वो ये नही जानता की शौहरत के लिए कभी कभी कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है शौहरत और चमक दमक हर किसी को अच्छी लगती है। मगर उस चमक के पीछे की सच्चाई उतनी ही काली होती है। यही है आज के युग का एक सुन्दर सत्य… तो फ्रेंड यह कहानी है एक भारत सुन्दरी की, ग्लैमर क्वीन की, जो मॉडलिंग से होते हुए एक सफ़ल फिल्म हीरोइन बनी। जब शीबा ने हिन्दूस्तान की सबसे खूबसूरत लड़की का खिताब हासिल किया तो कई फिल्म डायरेक्टरों ने उसके हुस्न के जलवे से फ़ायदा कमाने की सोची।
शीबा बला की खूबसूरत थी, जिस्म जैसे संगमरमर से तराशा हुआ कोई बेपनाह हसीन मुज़स्स्मा !
होंठ जैसे गुलाब की कली… चाल ऐसी जैसे मदमस्त अल्हड़ जंगली हिरणी।
जो भी उसे देखे उस पर फ़िदा हो जाये, उसे पाने की लालसा जाग उठे!
शीबा ने भी धड़ाधड़ कई फ़िल्में साइन कर ली।
आखिर उस जमाने के एक बड़े प्रोड्यूसर वसीम ने उसके साथ एक फिल्म बनाने की सोची और वो जा पहुँचा उसके घर।
शीबा खान के सामने फिल्म का प्रस्ताव रखा।
शीबा खान अपनी सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती जा रही थी, इतने नामी गिरामी प्रोड्यूसर को अपने दरवाजे पर खड़ पाकर वो खुशी से झूम उठी और उसने इस प्रस्ताव को पाकर मना नहीं कर पाई, उसने ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लिया।
यह शीबा खान की पहली फिल्म नहीं थी, और इस तरह फिल्म जोर शोर से शुरू हो गई।
इस फिल्म में तब तक के जमाने तक बनी सभी फ़िल्मों से ज्यादा नग्नता थी, बहुत ज्यादा बोल्ड सीन थे पर आखिर यह फिल्म तैयार होकर सेंसर बोर्ड में गई।
सेंसर बोर्ड में फिल्म को देखा गया और सब के सब सदस्य इस फ़िल्म के उन बोल्ड नजारों को देख कर हैरान हो गये।
तब से पहले उन्होंने किसी मशहूर अदाकारा को इस हद तक नग्न नहीं देखा था, सभी को वे सीन उत्तेजित कर रहे थे, लेकिन इस फ़िल्म को पास करने की तो वे लोग सोच भी नहीं सकते थे।
और फिल्म पास नहीं हुई।
प्रोड्यूसर वसीम ने बात की सेंसर बोर्ड में।
सेंसर बोर्ड के सदस्यों ने बताया कि वे किसी हालत में इस फ़िल्म को पास नहीं कर सकते।
फिर वसीम ने सेन्सर बोर्ड के माई बाप यानि मिनिस्ट्री लेवल पर बात करने की सोची।
मन्त्री साहब को फ़िल्म दिखाई गई, मन्त्री महोदय भी जवान थे, उसकी कामलोलुप नजर शीबा के मखमली बदन पर अटक कर रह गई।
लेकिन मन्त्री ने कहा- यह भारत है साब, यहाँ इस फ़िल्म को पास कैसे कर सकते हैं?
प्रोड्यूसर ने खूब मिन्नतें की तो मन्त्री महोदय ने वसीम को कुछ दिन बाद आने का कह कर टाल दिया।
लेकिन फ़िल्म का प्रिन्ट अपने पास रखवा लिया।
वे अभी शीबा के नंगे बदन का और लुत्फ़ लेना चाह रहे थे।
प्रोड्यूसर के बाद मन्त्री जी ने फिर से फिल्म देखना शुरू किया, उनकी नजरें शीबा के संगमरमरी बदन और बला के हुस्न से हट नहीं रही थी, उसी पल उन्होंने फैसला किया कि चाहे जो भी हो, इसके हुस्न की तपिश को अपने सीने में उतार कर ही रहूँगा।
वो अब सोच रहे थे कि कैसे करूँ? उनके बस में सब कुछ तो नहीं था, उन्हें यह एहसास था कि अगर फिल्म रिलीज हो गई तो हंगामा तो होना ही है, लेकिन शीबा के मखमली बदन की शीबा से वो रूबरू होने का ख्वाब टूटते नहीं देख सकते थे।
उनका दिमाग तेजी से चल रहा था, शीबा के हुस्न का नशा कुछ था ही ऐसा !
उन्होंने फैसला कर लिया अब किसी भी कीमत पर शीबा के बदन की खुशबू अपने सीने में उतारनी है।
मन्त्री साहब ने प्रोडयूसर को फ़ोन किया और बोले- मैंने आपकी फिल्म दोबारा देखी, अब भी मुझे यही लग रहा है कि मेरे लिये संभव नहीं है इसे पास करना।
प्रोडयूसर वसीम गिड़गिड़ाने लगा, बोला- कुछ कीजिये नहीं तो मैं बर्बाद हो जाऊँगा।
मन्त्री जी बोले- मुश्किल है… हंगामा हो जायेगा।
गिड़गिड़ाता रहा और फिर मन्त्रीजी बोले- चलो मैं देखता हूँ कि क्या हो सकता है?
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- jay
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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Re: शौहरत का काला सच
प्रोड्यूसर वापस मुंबई चला गया और वहाँ उसने अपनी परेशानी एक दूसरे प्रोडयूसर को बताई, उसने सारी कहानी मन्त्री से मिलने तक की उसे सुना दी।
वो प्रोड्यूसर मन्त्री के बारे में अच्छी तरह से जानता था, वो बोला- मन्त्री साला ठरकी है, उसकी ठरक का इन्तजाम करो! मैं मन्त्री के एक चमचे को जानता हूँ, उससे बात करके देखता हूँ।
‘तो अभी बात करो ना उस चमचे से!’ वसीम ने कहा।
दूसरे प्रोड्यूसर ने फ़ोन घुमाया, फ़ोन लग गया, उन दिनों बम्बई से दिल्ली फ़ोन लग जाना भी बड़ी बात थी।
चमचे ने मन्त्री से बात करने का आश्वासन दे कर फ़ोन बन्द कर दिया।
दो दिन बाद फ़िर वसीम उन प्रोड्यूसर से मिले और फ़िल्म के पास होने की बात कहाँ तक बढ़ी इस बारे में पूछा।
दूसरे प्रोड्यूसर ने बताया- मामला मन्त्री के नहीं सरकार के बॉस के हाथ का है।
वसीम के पसीने छूटने लगे, वो बोला- बॉस मतलब?
‘अरे यार… तुम्हें इतना भी नहीं पता कि आजकल किसकी सबसे ज्यादा चलती है? वह एक ही तो हो सकता है…’
‘क्या?’
‘हाँ, बॉस को शीबा पसन्द आ गई है। अब शीबा अगर बॉस को खुश कर दे तो बात बन सकती है…’
वसीम सब मामला समझ गया पर अब वो सोच रहा था कि शीबा को कैसे मनौउँग?
हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन फ़िर भी वो उसी दिन शीबा के घर जा पहुँचा, शीबा को बताया कि फिल्म पास नहीं हो रही है, मामला मन्त्री और उसके भी ऊपर का है।
‘उसके ऊपर कौन?” शीबा ने पूछ।
ने उसका नाम सीधे सीशे ना लेकर शीबा को समझा दिया कि वो किसकी बात कर रहा है।
शीबा की आँखों में एक चमक सी आई, वो समझ गई कि किसकी बात कर रहा है, उसे मालूम था कि बॉस की नज़र हमेशा ग्लैमर की दुनिया की मलाई पर रहती है, और उसने शादी भी एक ग्लैमर गर्ल से ही की है।
शीबा बोली- तो हमें एक बार बॉस से मिलना चाहिए।
लेकिन ने बताया कि बॉस से मिलना इतना आसान नहीं है।
शीबा ने पूछा- कोई तो रास्ता होगा?
तो प्रोड्यूसर बोला- मन्त्री साब ही मुलाकात करवा सकते हैं और वो बहुत घटिया आदमी है उसकी नजर तुम्हारे ऊपर है। अगर तुम मन्त्री और बॉस को किसी तरह मना लो तो…?
यह सुनकर शीबा गुस्से से लाल हो गई, बोली- मना लो तो? क्या मतलब?
‘मतलब अगर… तुम मन्त्री को खुश कर दो एक बार तो…!’
‘मुझे उन दोनों के नीचे आना पड़ेगा? आपकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा बोलने की?’
बोला- देख शीबा सच्चाई तू भी जानती है और मैं भी, तू कोई दूध की धुली तो है नहीं, भारत की सुन्दरी का खिताब कईंयों के नीचे बिछे तो मिलता नहीं ! एक बार तू उन दोनों को खुश कर दे तो तेरे साथ साथ मेरे भी वारे न्यारे हो जायेंगे ! फिल्म इंडस्ट्री में रहना है तो ये सब करना ही पड़ेगा, अगर नहीं करेगी तो तेरी आगे आने वाली फ़िल्में भी पास नहीं पायेंगी, सेंसर बोर्ड मन्त्री के हाथ में है। उसके एक इशारे पर तुझे फ़िल्में मिलनी ही बन्द हो जायेंगी।
शीबा बॉस के नीचे तो खुद ही लेट जाना चाह रही थी लेकिन वो मन्त्री, उसकी क्या औकात की भारत की सबसे सुन्दर लड़की पर बुरी नजर डाले !
शीबा मना करती रही और गिड़गिड़ाता रहा, वो बार बार मिन्नतें कर रहा था, बोला- अगर यह फिल्म रिलीज नहीं हुई तो मैं बर्बाद हो जाऊँगा, साथ में तू भी कहीं की नहीं रहेगी।
की बात सुनकर शीबा ने भी सोचा कि जहाँ इतने चढ़वा लिये, वहाँ दो और सही !
और आखिर वो दिल्ली आने को राजी हो गई।
ने दूसरे प्रोडयूसर से फ़ोन करवा के चमचे को बता दिया कि साहब और शीबा मन्त्री जी से एक बार मिलना चाहते हैं।
मन्त्रीजी तो इसी इन्तजार में बैठे थे, तुरन्त मन्त्री ने अगले ही दिन उन दोनों को मिलने का वक्त दे दिया।
अगले दिन साहब तबीयत खराब होने का बहाना बना कर दिल्ली नहीं गए और शीबा अकेली दिल्ली पहुँच गई।
मन्त्री जी ने उसके लिए एक बड़े पंचतारा होटल में व्यस्था कर रखी थी।
एक खूबसूरत सुइट बुक था उसके लिए।
मन्त्री जी बेक़रार थे, जैसे ही शाम हुई, वो पहुँच गए होटल! उनका एक कमरा तो हमेशा ही बुक रखते थे होटल वाले, मन्त्री जी सीधे अपने महाराजा स्युइट में पहुँचे।
रिसेप्शन से चमचे ने शीबा को फ़ोन करवाया कि आपसे मिलने मन्त्री जी अपने महाराजा स्युइट में पहुँच चुके हैं।
मन्त्री की एक खूबसूरत निजी सचिव शीबा को लिवाने उसके स्युइट के बाहर खड़ी थी।
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- jay
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Re: शौहरत का काला सच
उधर मन्त्री का चमचा ऊपर आ गया था और मन्त्री की सचिव ज़ेबा को इशारे से उसने अपने पीछे आने को कहा।
दोनों का खूब याराना था तो जब भी मौका मिले अपने नंगे बदन भिड़ा बैठते थे।
ज़ेबा भी बिना कुछ बोले उसके पीछे आ गई, दोनों शीबा के कमरे में चले गये।
ज़ेबा- क्या हुआ? यहाँ क्यों बुलाया है मुझे? मिस शीबा आ के पास जा तू…
चमचा- अरे मेरी छम्मक छल्लो… इतनी जल्दी मन्त्री जी थोड़े ही उसे आज़ाद कर देंगे… आज तो बड़ी प्यारी बुलबुल पकड़ में आई है… मन्त्री जी पूरा मज़ा लेने के बाद की उसको जाने देंगे… तब तक इस कमरे में थोड़ा गुटर-गूँ हम भी कर लेते हैं।
ज़ेबा- आजकल कुछ ज़्यादा ही बदमाश हो गये हो, जब देखो गंदी बातें करने लगते हो? जाओ मुझे नहीं करना कुछ भी…
चमचा- ओये बहन की लौड़ी… नखरे मत दिखा। तुझे मन्त्री जी की पी ए मैंने ही बनाया है और साली, मन्त्री जी को तो कभी ना नहीं कहती… जब देखो उनकी गोद में बैठी रहती हो?
ज़ेबा- वो तो मेरे अन्नदाता है, उनको कैसे ना कह सकती हूँ मैं…
चमचा- अन्नदाता नहीं लण्डदाता बोल… मेरी ज़ेबा चल अब टाईम मत खराब कर…
इतना बोलकर चमचा ज़ेबा के बदन से चिपक गया उसके चूतड़ दबाने लगा।
उधर अब जरा मन्त्री जी और शीबा खान का हाल चाल भी देख लें-
अब वो धीरे धीरे आगे बढ़े और अपना होंठ शीबा के होठों के पास ले जाने लगे।
शीबा की तेज होती गरम सांसें उनको अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी।
बस इतना कहते ही उसने शीबा के उत्तर की प्रतीक्षा किये बिना उन्होंने अपना हाथ उसके सर के पीछे करके शीबा के सर को पकड़ लिया और उसके होठों को चूमने लगे, उसके होठों के मीठे रस को पीने लगे।
अब धीरे धीरे शीबा भी उत्तेजित हो रही थी, आखिर वो भी तो इंसान थी, इस हालत में कब तक अपने जज्ब्बात काबू में रख पाती।
अब शीबा भी साथ देने लगी थी।
मन्त्रीजी अब भी उसके होंठ चूस रहे थे, लेकिन अब उनके हाथ भी गहराइयों को टटोलने लगे थे।
उनके हाथ अब उसके उरेजों पर था और वो प्यार से धीरे धीरे उसे दबा रहे थे।
मन्त्री जी बोले- ऐ बेपनाह हुस्न की मलिका, अब तो अपने हुस्न का दीदार करा दो, ऐसे अपना मुखड़ा ना छुपाओ… देखने दो मुझे इस चमकते हुए चेहरे को… निहारने दो मुझे इन रस से भरे चूचों को… मेरी आँखों कैद कर लेने दो इस सुलगते जिस्म को… आज मेरा रोम रोम तेरे क़ातिल हुस्न में रम जाने दो… दीवाना बना हूँ, कब से बेक़रार हूँ इस हुस्न को पाने को।
बस मन्त्री के हाथ उसकी पीठ के नीचे गये और पीछे से उसके ब्लाऊज़ के हुक खोलने लगा, सत्तर के दशक में साड़ी के साथ ब्लाऊज़ में पीछे के हुक लगाने का फ़ैशन था।
शीबा ने भी करवट ली और अब उसकी पीठ मन्त्री के सामने थी।
अब मन्त्री जी के हाथ उसके ब्लाउज के हुक पर तेजी से घूम रहे थे और हर पल एक हुक खुलता जा रहा था।
कुछ देर में उसकी ब्लाउज खुल चुकी थी तो शीबा सीधी हो गई, अब अंदर की काली ब्रा नजर आ रही थी, जो उरोजों को छुपा तो नहीं पा रही थी बल्कि आमंत्रण दे रही थी।
मन्त्री जी ने अब अपना हाथ पीछे करके उसकी ब्रा का हुक खोला और उसे उतार दिया।
क्या खूबसूरत दूधिया दो कबूतर थे। मन्त्री तो बस उस लाजवाब हुस्न को देखता रह गया।
मन्त्री जी ने शीबा के सुडौल वक्षों को हाथों में दबोच लिया और आराम से धीरे धीरे सहलाने लगे।
कुछ देर तक वैसे ही सहलाते रहे फिर एक को अपने मुंह में लेकर धीरे धीरे प्यार से चूसने लगे।
शीबा की आँखें बंद थी और वो रह रह कर सिहर रही थी।
मन्त्री जी उसके निप्प्ल्स को चुटकी में दबा कर गोल गोल घुमा रहे थे।
शीबा का बदन अकड़ रहा था, वो उत्तेजित हो रही थी, अब उसके मुंह से मादक सीत्कार निकल रही थी।
अब तो मन्त्री जी के हाथ पूरी हरकत में आ गए, वो शीबा के बूब्स को बुरी तरह से मसलने लगे।
शीबा मन ही मन सोच रही थी- कमीना ऐसे कर रहा है जैसे कभी कोई लड़की नहीं चोदी।
चूमाचाटी का यह सिलसिला जब रुका तो मन्त्री के साथ साथ शीबा भी गर्म हो चुकी थी, दोनों की साँसें तेज हो गई थी।
धीरे धीरे उनके हाथ शीबा के बदन पर फिसल रहे थे, तेजी से निचे आ रहे थे, जैसे जैसे हाथ नीचे आ रहे थे, शीबा की सांसे तेज हो रही थी।
अब हाथ पेट पर पहुँच चुका था, और उन्होंने अपनी ऊँगली शीबा की नाभि में डाल दिया।
शीबा का बदन अकड़ रहा था।
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Re: शौहरत का काला सच
इधर चमचा ज़ेबा को चोदने के लिये मरा जा रहा था-
जब चमचे ने ज़ेबा के चूतड़ मसलने शुरु किये तो ज़ेबा बोली- ऐसे नहीं… कपड़े खराब हो जायेंगे… अगर मन्त्री जी को जरा भी शक हो गया कि तू मुझे चोदता है तो हम दोनों की छुट्टी हो जाएगी… मुझे नंगी कर ले… इन कपड़ों पहले निकाल तो लेने दे…
चमचा- हा हा… जल्दी कर आज तुझे नया मज़ा दूँगा मैं… साली उस शीबा को जब से देखा है, लौड़ा बैठने का नाम ही नहीं ले रहा… अब वो तो नसीब में है नहीं, तुझे ही शीबा समझ के चोद लूँगा!
कुछ ही देर में दोनो नंगे हो गये।
ज़ेबा का जिस्म भी काबीले तारीफ था, बड़े बड़े रस से भरे चूचे, पतली कमर पीछे बाहर को निकले हुए चूतड़, जिन्हें देख कर साफ पता चलता था कि इसकी खूब ठुकाई हो चुकी है।
चमचे का लण्ड भी करीब 6″ का ठीकठाक मोटाई वाला था।
उसने ज़ेबा की स्कर्ट का हुक खोला तो वो नीचे गिर गई, अन्दर देखा तो ज़ेबा ने कच्छी ही नहीं पहनी थी।
चमचा बोला- साली रण्डी, कच्छी भी नहीं पहनी आज?
ज़ेबा बोली- वो शीबा ने आना था तो मन्त्री जी ने एक बार मुझे चोद कर माल निकाल दिया था तो मैंने कच्छी अपनी फ़ुद्दी साफ़ करके वहीं फ़ेंक दी थी।
चमचा ज़ेबा को झट से अपनी बाहों में लेकर बेड पे लेट गया और इस बीच ज़ेबा ने अपना टॉप उतार दिया।
अब इनका कार्यक्रम चालू हो गया।
उधर देखें क्या हो रहा है शीबा के साथ-
अब मन्त्री जी का हाथ धीरे धीरे नीचे और नीचे जाने लगा, और उनका हाथ उसके पैर के तलवे तक पहुँच गए थे।
अब उन्होंने उसकी साड़ी के नीचे अपना हाथ डाल कर उसकी टाँगों को सहलाना शुरू किया।
जैसे जैसे हाथ अंदर जाता, वो हर पल उत्तेजित होती जा रही थी।
अब उनका हाथ उसकी जांघों पर था और साड़ी भी ऊपर सरकती जा रही थी।
जब मन्त्री जी ने उसके जांघों को सहलाना शुरू किया। शीबा दोनों हाथों से बेडशीट पकड़ रखी थी, और वो अपनी एड़ियाँ बिस्तर पर रगड़ रही थी।
अब उसकी पैंटी नजर आने लगी, काली जालीदार, जिसके नीचे से उसकी खूबसूरत दूधिया चूत नजर आ रही थी।
मन्त्री जी अब उसकी साड़ी को उतार चुके थे और वो अब पैंटी में थी।
ब्लाऊज उतर गया, ब्रा उतर गई, साड़ी जाघों तक उठ गई तो पेटिकोट उतरने में कौन सी देर लगनी थी, मन्त्री ने जल्दबाज़ी दिखाते हुए उसे भी नाड़ा खींच कर नीचे सरका दिया।
उसकी छुई मुई सी प्यारी चूत पैंटी में अपना रस छोड़कर अपनी हालत का अहसास करवा रही थी।
जैसे ही मन्त्री जी ने अपना हाथ पैन्टी से ढकी उसकी चूत पर रखा, शीबा ने अपने होठों को दांतों से भींच लिया।
अब उसके बस में नहीं था खुद पर काबू करना !
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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- jay
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Re: शौहरत का काला सच
मन्त्री जी भी कैसे सब्र कर सकते थे, बेपनाह हुस्न की मल्लिका आँखों के सामने, लगभग निरावृत लेटी थी।
तो उन्होंने शीबा की पैंटी उतार दी।
शीबा शर्म से पेट के बल लेट गई।
पास में फूलों के गुलदस्ते में गुलाब था, मन्त्री जी ने उसे उठाया और उसके पैरों से गुलाब को धीरे धीरे ऊपर ले जाने लगे, गुलाब शीबा की खूबसूरत जिस्म को चूम रहा था और गुलाब के ठीक पीछे मन्त्री जी का हाथ।
अब गुलाब उसके हिप्स से होता हुआ शीबा के कन्धों पर था, शीबा अभी भी वैसे ही लेटी थी।
मन्त्रीजी ने उसके कन्धों को पकड़ कर उसे सीधा लिटा दिया, शीबा ने अपनी आँखों को दोनों हाथों से ढक लिया।
मन्त्री जी उसके हाथों को हटाते हुए बोले- मेरी तरफ देखो, और मुझे अपनी आँखों से इस खूबसूरती को देखने दो।
अब दोनों एक दूसरे की आँखों देख रहे थे, मन्त्री जी के हाथ उसके प्यारी सी मखमली चूत पर थे और वो धीरे धीरे सहला रहे थे।
शीबा की साँसें तेज चल रही थी।
मन्त्री जी ने आनन-फानन में अपने कपड़े निकाले तो उसका 7″ का लौड़ा आज़ाद हो गया जिसकी मोटाई भी अच्छी खासी थी।
मन्त्री जी भी अब नंगे हो चुके थे, और वो शीबा के बगल में लेट गए, उन्होंने अपने पैर शीबा के चेहरे की तरफ किये तो उनका मुंह शीबा के हसीं मखमली प्यारी सी चूत के करीब था।
उन्होंने शीबा को करवट करके उसकी चूत अपनी तरफ किया और शीबा के कूल्हों को अपने हाथों से पकड़ कर उसकी चूत को अपने मुंह के करीब लाए।
मन्त्री जी का तगड़ा मोटा लंड शीबा के चेहरे के करीब था, लेकिन वो बस उसे देख रही थी पर मन्त्री जी ने उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया था।
उनके लौड़े से पानी की बूंदें आने लगी।
अचानक से मन्त्री जी ने अपने हाथ से शीबा का हाथ पकड़ा और उसके हाथ में अपना लंड दे दिया और बोले- शरमाओ नहीं, आओ एक दूसरे में खो जाएँ, आज की रात मुझे शीबा नसीब होने दो, पूरी तरह।
मन्त्री जी के इतना बोलने से शीबा, जो उत्तेजित तो पहले ही थी, अब साथ देने लगी, वो लंड हाथ में लेकर उसे धीरे धीरे ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर सहलाने लगी।
शीबा पर अब वासना हावी हो चुकी थी, उसने झट से लौड़ा अपने मुख में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।
मन्त्री जी भी पूरी तरह मदहोश हो चुके थे, उन्हें तो वो मिल गया था, जिसके लिए वो तब से तड़प रहे थे, जब से उसे रुपहले परदे पर, गीली साड़ी में देखा था।
यकीं नहीं हो रहा था कि आज वही बिना किसी आवरण के पूरी तरह निरावृत लेटी थी, ये सोच कर उन्हें और जोश आ गया।
अब दोनों पूरी तरह तैयार थे, मन्त्री जी शीबा की चूत चाट कर शीबा का नशा महसूस कर रहे थे, वो अपनी जीभ की नोक से चूत को चोदने लगे, उनको बड़ा मज़ा आ रहा था, शीबा की चूत पानी पानी हो गई थी।
ज़ेबा और चमचे का हाल भी जान लें एक बार-
ये दोनों एक दूसरे को चूसने में लग गये थे, थोड़ी देर बाद दोनों 69 के पोज़ में हो गये और रस का मज़ा लेने लगे।
दोनों काफ़ी उत्तेज़ित हो गये थे, अब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था तो चमचे ने उसकी दोनों टाँगें फ़ैला दी और फच की आवाज़ के साथ पूरा लौड़ा एक धक्के में ज़ेबा की फ़ुद्दी में घुसा दिया।
ज़ेबा- आह… मार डाला रे… जालिम… उई!
चमचा- अभी कहाँ जानेमन… ले अब और मज़ा ले!
वो दे दनादन लौड़ा ज़ेबा की खुली चूत में पेलने लगा। ज़ेबा भी कूल्हे उछाल उछाल कर चुदने लगी थी। दोनों ने कमरे का माहौल काफ़ी सेक्सी बना दिया था क्योंकि उनके मुँह से ‘आ… आईई… उफ़फ्फ़…’ की सी आवाज़ें चारों और गूंजने लगी थी।
10 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद दोनों शांत हो गये, उनका वीर्य निकल कर मिक्स हो गया और वो अब बेड पे एक दूसरे की ओर देख कर बस मुस्कुरा रहे थे।
इधर तो खेल खत्म, मन्त्री जी का देखें क्या हाल है-
अब उन्माद चरम पर था, मन्त्री जी के जीभ जो शीबा की चूत पर घूम रही थी, वो शीबा के शरीर में बिजली जैसी हलचल मचा रही थी, और एक रोमांच पैदा कर रही थी, अब मन्त्री जी और शीबा दोनों एक दूसरे में समां जाने को तैयार थे।
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