बात एक रात की compleet

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बात एक रात की compleet

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बात एक रात की--1

'मेम्साब रात बहुत हो चुकी है आप कब तक रहेंगी यहा' राजकुमार ने पूछा.

'बस काका जा रही हूँ' पद्‍मिनी ने टेबल पर बिखरे कागजॉ को एक फाइल कवर में रखते हुवे कहा.

पद्‍मिनी ऑफीस के चोकीदार को काका कह कर ही बुलाती थी.

जैसे ही पद्‍मिनी अपने कॅबिन से बाहर निकली ऑफीस के सन्नाटे को देख कर उसका डर के मारे गला सुख गया.

'ओह... कितनी देर हो गयी. पर क्या करूँ ये असाइनमेंट भी तो पूरी करनी ज़रूरी थी वरना वो कमीना सेक्शेणा मेरी जान ले लेता कल. भगवान ऐसा बॉस किसी को ना दे' पद्‍मिनी पार्किंग की तरफ तेज़ी से बढ़ती हुई बड़बड़ा रही है.

कार में बैठते ही उसने अपने पापा को फोन लगाया,'पापा मैं आ रही हूँ. 20 मिनिट में घर पहुँच जाउन्गि.

पद्‍मिनी शादी शुदा होते हुवे भी 5 महीने से अपने मायके में थी. कारण बहुत ही दुखद था. उसका पति सुरेश उसे दहेज के लिए ताने देता था. हर रोज उसकी नयी माँग होती थी. माँगे पूरी करते करते पद्‍मिनी के परिवार वाले थक चुके थे. जब पानी सर से उपर हो गया तो पद्‍मिनी अपने ससुराल(देल्ही) से मायके(देहरादून) चली आई.

'उह आज बहुत ठंड है. सड़के भी शुन्सान है. मुझे इतनी देर तक ऑफीस नही रुकना चाहिए था.'

रात के 10:30 बज रहे थे. सर्दी में जन्वरी के महीने में इस वक्त सभी लोग अपने-अपने घरो में रज़ाई में दुबक जाते हैं.

पहली बार पद्‍मिनी इतनी देर तक घर से बाहर थी. कार चलाते वक्त उसका दिल धक-धक कर रहा था. जो रास्ते दिन में जाने पहचाने लगते थे वो रात को किसी खौफनाक खंडहर से कम नही लग रहे थे.

पद्‍मिनी के हाथ स्टीरिंग पर काँप रहे थे.'ऑल ईज़ वेल...ऑल ईज़ वेल' वो बार बार दोहरा रही थी.

अचानक उसे सड़क पर एक साया दीखाई दिया. पद्‍मिनी ने पहले तो राहत की साँस ली कि चलो सुनसांसड़क पर उसे कोई तो दिखाई दिया. पर अचानक उसकी राहत घबराहट में बदल गयी. वो सामने बिल्कुल सड़क के बीच आ गया था और हाथ हिला कर गाड़ी रोकने का इशारा कर रहा था.

पद्‍मिनी को समझ नही आया कि क्या करे. जब वो उस साए के पास पहुँची तो पाया कि एक कोई 35-36 साल का हॅटा कॅटा आदमी उसे कार रोकने का इशारा कर रहा था.

पद्‍मिनी को समझ नही आ रहा था कि क्या करे क्या ना करे. पर वो शक्स बिल्कुल उसकी कार के आगे आ गया था. ना चाहते हुवे भी पद्‍मिनी को ब्रेक लगाने पड़े.

जैसी ही कार रुकी वो आदमी पद्‍मिनी के कार को ज़ोर-ज़ोर से ठप-थपाने लगा. वो बहुत घबराया हुवा लग रहा था.

पद्‍मिनी को भी उसके चेहरे पर डर की शिकन दीखाई दे रही थी. पद्‍मिनी ने अपनी विंडो का शीसा थोड़ा नीचे सरकाया और पूछा, “क्या बात है, पागल हो क्या तुम.”

“मेडम प्लीज़ मुझे लिफ्ट दे दीजिए. मेरी जान को ख़तरा है. कोई मुझे मारना चाहता है,”

“मेरे पास ये फालतू बकवास सुनने का वक्त नही है,” पद्‍मिनी के मूह से ये शब्द निकले ही थे कि उस आदमी की चीन्ख चारो तरफ गूंजने लगी.

एक नकाब पोश साया उस आदमी को पीछे से लगातार चाकू घोंपे जा रहा था.

“ओह गॉड…” पद्‍मिनी का पूरा शरीर ये दृश्य देख कर थर-थर काँपने लगा.”

वो इतना डर गयी कि कार को रेस देने की बजाए ब्रेक को दबाती रही. उसे लगा कि कार स्टार्ट नही होगी. वो कार से निकल कर फॉरन उस साए से ऑपोसिट दिसा में भागी.

जो साया उस आदमी को मार रहा था फुर्ती से आगे बढ़ा और पद्‍मिनी को दबोच लिया, “च…चओडो मुझे…मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.”

बिगाड़ा तो उस आदमी ने भी मेरा कुछ नही था.

“फिर…फिर… तुमने उसे क्यों मारा.”

“आइ जस्ट लाइक किल्लिंग पीपल.”

“ओह गॉड क्या तुम्ही हो वो साइको सीरियल किल्लर.”

“बिल्कुल मैं ही हूँ वो…आओ तुम्हे जंगल में ले जाकर आराम से काटता हूँ. तेरे जैसी सुंदर परी को मारने में और मज़ा आएगा.”

“बचाओ…” इस से ज़्यादा पद्‍मिनी चिल्ला नही सकी. क्योंकि उस साए ने उसका मूह दबोच लिया था.”

“हे भगवान मैं किस मुसीबत में फँस गयी. इस किल्लर का अगला शिकार मैं बनूँगी मैने सोचा भी नही था. काश दरिंदे का चेहरा देख पाती”

पीछले 2 महीनो में चार मर्डर हो चुके थे. उनमे से 3 आदमी थे और एक कॉलेज गर्ल. पूरे देहरादून में लोग ख़ौफ़ में जी रहे थे. उसके पापा उसे रोज कहते थे कि कभी शाम 6 बजे से लेट मत होना. पद्‍मिनी भी इस घटना से घबराई हुई थी पर काम में बिज़ी होने के कारण उसे वक्त का ध्यान ही नही रहा.

जंगल की गहराई में ले जा का उस साए ने पद्‍मिनी के मूह से अपना हाथ हटाया और बोला,”बताओ पहले कहा घुसाऊ ये तेज धार चाकू.”

“प्लीज़ मुझे जाने दो. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मेरे पर्स में जितने पैसे हैं रख लो. मेरी कार भी रख लो…मुझे मत मारो प्लीज़.”

“वो सब तुम रखो मुझे वो सब नही चाहिए. मुझे तो बस तुम्हे मार कर तस्सल्ली मिलेगी. वैसे तुम्हारे पास कुछ और देने को हो तो बताओ.”

“पद्‍मिनी समझ रही थी कि कुछ और से उसका मतलब क्या है. मेरे पास इस वक्त कुछ और नही है प्लीज़ मुझे जाने दो”

“अब तो यहा से तुम्हारी लाश ही जाएगी फिर,” वो चाकू को उसके गले पर रख कर बोला.

“रूको अगर चाहो तो मैं ब्लो जॉब दे सकती हूँ”

“वो क्या होता है.”

“ब…ब…ब्लो जॉब मतलब ब्लो जॉब,” पद्‍मिनी ने हकलाते हुवे कहा.

“हां पर इसमें करते क्या हैं. समझाओ तो सही तुम्हारा पेर्पोजल समझ में आया तो ही बात आगे बढ़ेगी वरना में तुम्हे काटने को मरा जा रहा हूँ. मेरा मज़ा खराब मत करो.”
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Re: बात एक रात की

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पद्‍मिनी से कुछ कहे नही बन रहा था. उसे समझ नही आ रहा था कि वो इस दरिंदे को कैसे समझाए. वो बस जिंदा रहना चाहती थी इश्लिये उसने ये पेरपोजल रखा था. “क्या गारंटी है कि ये साइको वो करने पर भी मुझे जिंदा जाने देगा. इसे तो लोगो को मारने में मज़ा आता है.”

“अरे क्या सोच रही हो. कुछ बोलॉगी कि नही या काट डालूं अभी के अभी.”

“देखो मुझे उसका मतलब नही पता जो करना है करो.”

“अरे समझाओ तो सही. मैं वादा करता हूँ कि अगर मुझे पसंद आया तो मैं तुम्हे जाने दूँगा.”

“तुम झूठ बोल रहे हो. तुम्हारा इन सब बातो में कोई इंटेरेस्ट नही है. तुम बस मुझसे खेल रहे हो. मुझे सब पता है उस कॉलेज गर्ल को तुमने बिना कुछ किए मारा था.”

“कोन सी कॉलेज गर्ल.”

“अछा तो तुम लोगो को मार-मार कर भूल भी जाते हो. वही जिसको मार कर तुमने बस स्टॅंड के पीछे फेंक दिया था.”

“अछा वो…उसने ऐसा पेर्पोजल रखा होता तो हो सकता है आज वो जिंदा होती.”

“अछा क्या कपड़े पहने थे उस लड़की ने उस दिन. जिस दिन तुमने उसे मारा था.” पद्‍मिनी को शक हो रहा था कि ये नकाब पॉश वही साइको किल्लर है कि नही.

“देखो में यहा तुम्हे मारने लाया हूँ तुम्हारे साथ कोई क़्विज़ में हिस्सा लेने नही. बहुत हो चुक्का लगता है मुझे अब तुम्हे ख़तम करना ही होगा.” उसने ये कहते ही चाकू पद्‍मिनी के गले पर रख दिया.

“रूको…”

“क्या है अब. मुझे कुछ नही सुन-ना. अगर ब्लो जॉब का मतलब सम्झाओगि तो ही रुकुंगा वरना तुम गयी काम से.”

“अछा चाकू तो गले से हटाओ.”

“हां ये लो बोलो अब.”

“तुम सब जानते हो है ना…” पद्‍मिनी ने दबी आवाज़ में कहा.

'देखो मेरे पास ज़्यादा बकवास करने का वक्त नही है. तुम बताती हो या नही या फिर उस आदमी की तरह तुम्हे भी मार डालूं'

'बताती हूँ, मुझे थोड़ा वक्त तो दो'

'जल्दी बोलो वरना फिर कभी नही बोल पाओगि'

'ब्लो जॉब मतलब कि मूह में उसे रख कर सकिंग करना'

'ये उसे का क्या मतलब है सॉफ-सॉफ बताओ'

'इस से ज़्यादा मैं नही जानती'

'चल ठीक है जाने दे सुरू कर ये तेरी ब्लो जॉब'

'क्या गारंटी है कि ये सब करने के बाद तुम मुझे मारोगे नही'

'किया ना वादा तुझ से मैने...चल अब जल्दी कर'

'उसे बाहर तो निकालो'

'तुम खुद निकालो...'

'खुद निकाल कर दो वरना मैं नही करूँगी'

'ऐसा है तो तुम्हे जिंदा रखने का क्या फ़ायडा. अभी काट डालता हूँ तुम्हे' उसने पद्‍मिनी के गले पर चाकू रख कर कहा.

'रूको निकालती हूँ' पद्‍मिनी ने दबी आवाज़ में कहा

पद्‍मिनी के काँपते हाथ उस नकाब पोश साए की पॅंट की ज़िप की तरफ बढ़े.

उसने धीरे से ज़िप खोलनी सुरू की. पर अभी वो थोड़ी सी ही खुली थी कि वो अटक गयी.

'ये अटक गयी है...मुझसे नही खुल रही'

'थोड़ा ज़ोर लगाओ खुल जाएगी'

पद्‍मिनी ने कोशिस की पर ज़िप नही खुली

'अफ हटो तुम. मुझे खोलने दो'

उसने एक झटके में ज़िप खोल दी और बोला,'चलो अपने काम पे लग जाओ'

पद्‍मिनी ने अपनी जान बचाने के लिए बोल तो दिया था कि वो ब्लो जॉब करेगी पर अब वो दुविधा में थी. 'क्या करूँ अब. मन नही मानता ये सब करने का पर अगर नही किया तो ये ज़रूर मुझे मार देगा. पर अगर ये सब करने के बाद भी इसने मुझे मार दिया तो? '

'हे जल्दी करो मेरे पास सारी रात नही है तुम्हारे लिए.'

दोस्तो क्या पद्‍मिनी ने उस कातिल को ब्लॉजोब दिया या कातिल ने पद्‍मिनी को मार दिया पढ़े इस कहानी का अगला भाग

क्रमशः..............................

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BAAT EK RAAT KI--1

'memsaab raat bahut ho chuki hai aap kab tak rahengi yaha' rajkumar ne pucha.

'bas kaka ja rahi hun' padmini ne table par bikhre kagjo ko ek file cover mein rakhte hue kaha.

Padmini office ke chokidaar ko kaka kah kar hi bulaati thi.

Jaise hi padmini apne cabin se baahar nikli office ke sannaate ko dekh kar uska dar ke maare gala sukh gaya.

'oh... Kitni der ho gayi. Par kya karun ye assignment bhi to puri karni jaroori thi varna vo kamina sexena meri jaan le leta kal. Bhagvaan aisa boss kisi ko na de' padmini parking ki taraf teji se badhti huyi badbada rahi hai.

Car mein baithate hi usne apne papa ko phone lagaya,'papa main aa rahi hun. 20 minat mein ghar pahunch jaaungi.

Padmini shadi shuda hote hue bhi 5 mahine se apne maayke mein thi. Kaaran bahut hi dukhad tha. Uska pati suresh use dahej ke liye taane deta tha. Har roj uski nayi maang hoti thi. Maange puri karte karte padmini ke parivaar wale thak chuke the. Jab paani sar se upar ho gaya to padmini apne sasural(delhi) se maayke(dehradun) chali aayi.

'uh aaj bahut thand hai. Sadke bhi shunsaan hai. Mujhe itni der tak office nahi rukna chaahiye tha.'

raat ke 10:30 baj rahe the. Sardi mein january ke mahine mein is vakt sabhi log apne-apne gharo mein rajayi mein dubak jaate hain.

Pahli baar padmini itni der tak ghar se baahar thi. Car chalaate vakt uska dil dhak-dhak kar raha tha. Jo raaste din mein jaane pahchaane lagte the vo raat ko kisi khaufnaak khandar se kam nahi lag rahe the.

Padmini ke haath stearing par kaanp rahe the.'all is well...all is well' vo baar baar dohra rahi thi.

Achchaanak use sadak par ek saaya dikhaai diya. Padmini ne pahle to raahat ki saans li ki chalo sunsaan sadak par use koi to dikhayi diya. Par achchaanak uski raahat ghabraahat mein badal gayi. Vo saay bilkul sadak ke beech aa gaya tha aur haath hila kar gadi rokne ka ishaaraa kar raha tha.

Padmini ko samajh nahi aaya ki kya kare. Jab vo us saaye ke paas pahunchi to paya ki ek koi 35-36 saal ka hatta katta aadmi use car rokne ka ishara kar raha tha.

Padmini ko samajh nahi aa raha thi ki kya kare kya na kare. Par vo shaks bilkul uski car ke aage aa gaya tha. Na chaahte hue bhi padmini ko break lagaane pade.

Jaisi hi car ruki vo aadmi padmini ke car ko jor-jor se thap-thapaane laga. Vo bahut ghabraya hua lag raha tha.

Padmini ko bhi uske chehre par dar ki shikan dikhaai de rahi thi. Padmini ne apni window ka sheesa thoda neeche sarkaya aur pucha, “kya baat hai, paagal ho kya tum.”

“Madam please mujhe lift de dijiye. Meri jaan ko khatra hai. Koi mujhe maarna chaahta hai,”

“mere paas ye faaltu bakwaas sunane ka vakt nahi hai,” padmini ke muh se ye shabd nikle hi the ki us aadmi ki cheenkh charo taraf gunjane lagi.

Ek nakaab posh saaya us aadmi ko peeche se lagaatar chaaku ghonpe ja raha tha.

“oh god…” padmini ka pura sharir ye drisya dekh kar thar-thar kaanpne laga.”

Vo itna dar gayi ki car ko race dene ki bajaaye break ko dabaati rahi. Use laga ki car start nahi hogi. Vo car se nikal kar foran us saaye se opposite disha mein bhaagi.

Jo saaya us aadmi ko maar raha tha furti se aage badha aur padmini ko daboch liya, “ch…chaodo mujhe…maine tumhaara kya bigaada hai.”

Bigaada to us aadmi ne bhi mera kuch nahi tha.

“phir…phir… tumne use kyon maara.”

“I just like killing people.”

“oh god kya tumhi ho vo serial killer.”

“bilkul main hi hun vo…aao tumhe jungle mein le jaakar araam se kaatata hun. Tere jaisi sunder pari ko maarne mein aur maja aayega.”

“bachchaao…” is se jyada padmini cheella nahi saki. Kyonki us saaye ne uska muh daboch liya tha.”

“Hey bhagvaan main kis musibat mein phans gayi. Is pshychi killer ka agla shikaar main banungi maine socha bhi nahi tha. Kaash darinde ka chehra dekh paati”

Peechle 2 mahino mein char murder ho chuke the. Unme se 3 aadmi the aur ek college girl. Pure dehradun mein log khauf mein ji rahe the. Uske papa use roj kahte the ki kabhi sham 6 baje se let mat hona. Padmini bhi is ghatna se ghabraayi huyi thi par kaam mein busy hone ke kaaran use vakt ka dhyaan hi nahi raha.

Jungle ki gahraayi mein le ja ka us saaye ne padmini ke muh se apna haath hataaya aur bola,”bataao pahle kaha ghusaaun ye tej dhaar chaaku.”

“please mujhe jaane do. Maine tumhaara kya bigaada hai, mere purse mein jitney paise hain rakh lo. Meri car bhi rakh lo…mujhe mat maaro please.”

“vo sab tum rakho mujhe vo sab nahi chaahiye. Mujhe to bas tumhe maar kar tassalli milegi. Vaise tumhaare paas Kuch aur dene ko ho to bataao.”

“Padmini samajh rahi thi ki kuch aur se uska matlab kya hai. Mere paas is vakt kuch aur nahi hai please mujhe jaane do”

“Ab to yaha se tumhaari laash hi jaayegi phir,” vo chaaku ko uske gale par rakh kar bola.

“Ruko agar chaaho to main blow job de sakti hun”

“Vo kya hota hai.”

“b…b…blow job matlab blow job,” padmini ne haklaate hue kaha.

“haan par ismein karte kya hain. Samjhaao to sahi tumhaara perposal samajh mein aaya to hi baat aage badhegi varna mein tumhe kaatne ko mara ja raha hun. Mera maja kharaab mat karo.”

Padmini se kuch kahe nahi ban raha tha. Use samajh nahi aa raha tha ki vo is darinde ko kaise samajhaaye. Vo bas jindaa rahna chaahti thi isliye usne ye perposal rakha tha. “kya gaaranti hai ki ye vo karne par bhi mujhe jindaa jaane dega. Ise to logo ko maarne mein maja aata hai.”

“arey kya soch rahi ho. Kuch bologi ki nahi yaa kaat daalun abhi ke abhi.”

“Dekho mujhe uska matlab nahi pata jo karna hai karo.”

“Arey samjhaao to sahi. Main vaada karta hunk i agar mujhe pasand aaya to main tumhe jaane dunga.”

“tum jhut bol rahe ho. Tumhaara in sab baato mein koi interest nahi hai. Tum bas mujhse khel rahe ho. Mujhe sab pata hai us college girl ko tumne bina kuch kiye maara tha.”

“kon si college girl.”

“achcha to tum logo ko maar-maar kar bhul bhi jaate ho. Vahi jisko maar kar tumne bus stand ke peeche fenk diya tha.”

“Achcha vo…usne aisa perposal rakha hota to ho sakta hai aaj vo jindaa hoti.”

“achcha kya kapde pahne the us ladki ne us din. Jis din tumne use maara tha.” Padmini ko shak ho raha tha ki ye nakaab posh vahi killer hai ki nahi.

“Dekho mein yaha tumhe maarne laaya hun tumhaare saath koi quize mein hissa lene nahi. bahut ho chukka lagta hai mujhe ab tumhe khatam karna hi hoga.” Usne ye kahte hi chaaku padmini ke gale par rakh diya.

“ruko…”

“Kya hai ab. Mujhe kuch nahu sun-na. agar blow job ka matlab samjhaaogi to hi rukunga varna tum gayi kaam se.”

“achcha chaaku to gale se hataao.”

“haan ye lo bolo ab.”

“Tum sab jaante ho hai na…” padmini ne dabi awaaj mein kaha.

'dekho mere paas jyada bakwaas karne ka vakt nahi hai. Tum bataati ho ya nahi ya phir us aadmi ki tarah tumhe bhi maar daalun'

'bataati hun, mujhe thoda vakt to do'

'jaldi bolo varna phir kabhi nahi bol paaogi'

'blow job matlab ki muh mein use rakh kar sucking karna'

'ye use ka kya matlab hai saaf-saaf bataao'

'is se jyada main nahi jaanti'

'chal theek hai jaane de suru kar ye teri blow job'

'kya gaaranti hai ki ye sab karne ke baad tum mujhe maaroge nahi'

'kiya na vaada tujh se maine...chal ab jaldi kar'

'use baahar to nikaalo'

'tum khud nikaalo...'

'khud nikaal kar do varna main nahi karungi'

'aisa hai to tumhe jinda rakhne ka kya faayadaa. Abhi kaat daalta hun tumhe' usne padmini ke gale par chaaku rakh kar kaha.

'ruko nikaalti hun' padmini ne dabi awaj mein kaha

padmini ke kaanpte haath us nakaab posh saaye ki pant ki zip ki taraf badhe.

Usne dheere se zip kholni suru ki. Par abhi vo thodi si hi khuli thi ki vo atak gayi.

'Ye atak gayi hai...mujhse nahi khul rahi'

'thoda jor lagaao khul jaayegi'

padmini ne koshis ki par zip nahi khuli

'uff hato tum. Mujhe kholne do'

usne ek jhatke mein zip khol di aur bola,'chalo apne kaam pe lag jao'

padmini ne apni jaan bachchaane ke liye bol to diya tha ki vo blow job karegi par ab vo duvidha mein thi. 'kya karun ab. Man nahi maanta ye sab karne ka par agar nahi kiya to ye jaroor mujhe maar dega. Par agar ye sab karne ke baad bhi isne mujhe maar diya to? '

'hey jaldi karo mere paas saari raat nahi hai tumhaare liye.'

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बात एक रात की--2

गतान्क से आगे.................

पद्‍मिनी ने दाया हाथ उसकी ज़िप में डाला. जैसे ही उसका हाथ नकाब पॉश के तने हुए लंड से टकराया उसके पसीने छूटने लगे. उसे अहसास हो चला था कि वो जिसे बाहर निकालने की कोशिस कर रही है वो बड़ी भारी भरकम चीज़ है. 'ओह गॉड ये तो बहुत बड़ा है' उसने अपने मन में कहा. उसने अब तक अपने पति का ही देखा और छुआ था और वो अब इस नकाब पोश के हतियार से बहुत छोटा मालूम पड़ रहा था. पद्‍मिनी इतने लंबे लंड को अपने हाथ में पाकर अचंभित भी थी और परेशान भी.

'कैसे सक करूँगी इसे...ये तो बहुत बड़ा है.'

'अरे निकालो ना जल्दी बाहर और जल्दी से मूह में डालो. मुझ से इंतजार नही हो रहा.'

पद्‍मिनी ने धीरे से उसके लंड को ज़िप से बाहर निकाला. और अपना मूह बिल्कुल उसके लंड के नज़दीक ले आई. उसने उसे मूह में लेने के लिए मूह खोला ही था कि......

एक दर्द भरी ज़ोर की चीन्ख अचानक वहा गूंजने लगी.

'एक मिनट रूको. मुझे देखना होगा कि ये कौन चीन्खा था' नकाब पॉश ने अपने लंड को वापिस पॅंट के अंदर डालते हुए कहा.

पद्‍मिनी को कुछ भी समझ में नही आ रहा था कि आख़िर हो क्या रहा है.

‘’चलो मेरे साथ और ज़रा भी आवाज़ की तो अंजाम बहुत बुरा होगा,’’ नकाब पोश ने पद्‍मिनी के गले पर चाकू रख कर कहा.

पद्‍मिनी के पास कोई और चारा भी नही था. वो चुपचाप उसके साथ चल दी.

वो नकाब पोश पद्‍मिनी को ले कर सड़क के करीब ले आया. पर वो दोनो अभी भी घनी झाड़ियों के पीछे थे. वाहा पहुँच कर पद्‍मिनी ने देखा कि उसकी कार के पास कोई खड़ा है. वो तुरंत नकाब पोश को ज़ोर से धक्का दे कर भाग कर अपनी कार के पास आ गयी.

“प्लीज़ हेल्प मी वो दरिन्दा मुझे मारना चाहता है. उसी ने इस आदमी को भी मारा है जो मेरी कार के पास पड़ा है.”

"अच्छा ऐसा है क्या बताओ मुझे कहा है वो,’’ उस आदमी ने कहा.

“वो वाहा उन झाड़ियों के पीछे है,” पद्‍मिनी ने इशारा करके बताया.

उस आदमी ने टॉर्च निकाली और झाड़ियों की तरफ रोशनी की. “वाहा तो कोई नही है, आपको ज़रूर कोई वेहम हुआ है”

“मेरा यकीन कीजिए वो यहीं कहीं होगा. इस आदमी को भी उसी ने मारा है. क्या ये लाश आपको दिखाई नही दे रही”

“हां दिखाई दे रही है…पर हो सकता है इसे आपने मारा हो.”

“क्या बकवास कर रहे हैं. मैं क्या आपको खूनी नज़र आती हूँ”

“खूनी नज़र तो नही आती पर हो सकता है कि तुमने ही ये सब किया हो और अब कहानियाँ बना रही हो. चलो मेरे साथ पोलीस स्टेशन.”

“देखिए मेरा यकीन कीजिए…मैने किसी का खून नही किया. मैं आपको कैसे समझाऊ.”

“मुझे कुछ समझाने की ज़रूरत नही है. ये खून तुमने ही किया है बस.”

तभी एक मोटरसाइकल सवार वाहा से गुज़रते हुए ये सब देख कर रुक जाता है.

“ठीक है जो भी होगा सुबह देखा जाएगा अभी मैं घर जा रही हूँ,” पद्‍मिनी ने उस आदमी से कहा

“तुम कहीं नही जाओगी.” वो आदमी ज़ोर से बोला.

“क्या हुआ मेडम कोई प्राब्लम है क्या.” मोटरसाइकल सवार ने उनके पास आकर पूछा.

पर इस से पहले कि वो कुछ बोल पाती उस आदमी ने उस मोटरसाइकल सवार को शूट कर दिया. 2 गोलियाँ उसके शीने में उतार दी. ये देख कर पद्‍मिनी थर-थर काँपने लगी. “ओह माइ गोद, त…त…तुमने उसे मार दिया. क…क…कौन हो तुम.”

“कोई प्राब्लम है क्या. क्या किसी ने सिखाया नही की दूसरो के मामले में टाँग नही अदाते.” वो आदमी पागलो की तरह बोला.

“वो तो बस मुझसे पूछ रहा था…”

“चुप कर साली…अब तेरी बारी है. पागल समझती है मुझे. बता क्या नाटक चल रहा है यहा.”

“मैं सच कह रही हूँ. इस आदमी को एक नकाब पोश ने मारा था. वो मुझे भी घसीट कर झाड़ियों में ले गया था…”

“फिर कहा गया वो नकाब पोश.”

“म…म…मुझे नही पता.”

“तुम सरा सर झूठ बोल रही हो.”

“आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं.”

“क्योंकि इस आदमी को जो तुम्हारी कार के पास पड़ा है, मैने मारा है. वो भी इस चाकू से. और अब इसी चाकू से मैं तुम्हारी खाल उधहेड़ूँगा.”

पद्‍मिनी का डर के मारे वैसे ही बुरा हाल था. अब उसका सर घूम रहा था. वो जो कुछ भी देख और सुन रही थी वो सब यकीन के परे थे. एक बार तो उसने ये भी सोचा की कहीं ये सब सपना तो नही. पर अफ़सोस ये सब सपना नही हक़ीकत थी.

उस आदमी ने चाकू को हवा मैं लहराया और बोला, “तैयार हो जाओ मरने के लिए…आज तो ,मज़ा आ गया एक ही रात में तीसरा खून करने जा रहा हूँ.”

पर तभी उसके सर पर एक बड़े डंडे का वार हुआ और वो नीचे गिर गया. ठीक पद्‍मिनी के कदमो के पास.
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पद्‍मिनी ने देखा कि उस आदमी को नीचे गिराने वाला कोई और नही वही नकाब पोश था जिसके चुंगुल से बच कर वो भागी थी.

इस से पहले कि पद्‍मिनी कुछ कह और सोच पाती उस आदमी ने फुर्ती से अपनी पिस्टल से नकाब पोश की ओर फाइरिंग की. पर वो बच गया.

नकाब पोश ने पद्‍मिनी का हाथ पकड़ा और उसे खींच कर झाड़ियों में ले गया.

“भागते कहा हो तुम बचोगे नही.” वो आदमी खड़ा हो कर चिल्लाया.

“ये…ये सब हो क्या रहा है. कौन हो तुम.”

“चुप रहो…सब बताउन्गा. अभी वो हमे ढूँढ रहा है. पिस्टल है उसके पास. हमे ज़रा भी आवाज़ नही करनी ओके.”

“यू कॅन रन बट यू कन्नोट हाइड. ज़्यादा देर तक मुझसे बचोगे नही….”

उस आदमी ने पद्‍मिनी की कार का दरवाजा खोल कर उसकी कार की चाबी निकाल ली. “तुम लोग यहा से बच कर नही जा सकते. नौटंकी करते हो मेरे साथ…हा”

जब वो उन्हे ढूँढते हुए थोड़ा दूर निकल गया तो पद्‍मिनी ने कहा, “क्या तुम मुझे बताओगे अब की यहा हो क्या रहा है. ये सब कुछ नाटक है या हक़ीकत.”

“जो कुछ हम तुम्हारे साथ कर रहे थे वो सब नाटक था. पर अब जो हो रहा है वो हक़ीकत है.”

“क्या…तुम्हारा मतलब तुम उस साइको किल्लर की कॉपी कर रहे थे पर क्यों.”

“तुम्हे परेशान करने के लिए.” नकाब पॉश ने कहा

“पर मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है. मैं तो तुम्हे जानती तक नही.”

“तुम मुझे जानती हो…”

“क्या…कौन हो तुम…सॉफ-सॉफ बताओ मेरा वैसे ही सर घूम घूम रहा है.”

“तुमने तीन महीने पहले मुझे नौकरी से निकलवाया था याद करो…”

“क्या…तुम वो हो! एक तो तुम काम ठीक से नही करते थे. मेरी जगह कोई भी होता तो तुम्हे निकाल ही देता.”

“श्ह्ह. धीरे से कहीं वो सुन ला ले”

“ह्म्म क्या नाम था तुम्हारा?”

“मोहित…” नकाब पोश ने कहा.

“हाँ मोहित…उस बात के लिए तुमने मेरे साथ इतना घिनोना मज़ाक किया…और…और तुम तो मेरा रेप करने वाले थे…”

“ऐसा नही है मेडम… मैं तो बस”

“क्या मैं तो बस तुमने मुझे वो सब करने पर मजबूर किया”

“हां पर ब्लो जॉब का प्रपोज़ल तो आपने ही रखा था. मेरा मकसद तो आपको बस डराना था. थोड़ी देर में मैं आपको जाने देता पर आप ही ब्लो जॉब करना चाहती थी.”

“चुप रहो ऐसा कुछ नही है… मैं बस अपनी जान बचाने की कोशिस कर रही थी. तुम मेरी जगह होते तो तुम भी यही करते.”

“मैं आपकी जगह होता तो ख़ुसी-ख़ुसी मर जाता ना की किसी का लंड चूसने के लिए तैयार हो जाता.”

“चुप रहो तुम”

“श्ह्ह…किसी के कदमो की आवाज़ आ रही है” नकाब पोश ने पद्‍मिनी के मूह पर हाथ रख कर कहा.”

“मुझे पता है तुम दोनो यहीं कहीं हो. चुपचाप बाहर आ जाओ. प्रॉमिस करता हूँ कि धीरे-धीरे आराम से मारूँगा तुम्हे.” उस साइको ने चिल्ला कर कहा.

“यही वो साइको किल्लर है.” पद्‍मिनी ने धीरे से कहा.

“इसमे क्या कोई शक बचा है अब. थोड़ी देर चुप रहो.”

“तुमने मुझे इस मुसीबत में फँसाया है.”

“चुप रहो मेडम वरना हम दोनो मारे जाएँगे. बंदूक है उस पागल के पास. मुझे लगता है यहा रुकना ठीक नही पास ही मेरा घर है वाहा चलते हैं.”

“तुम्हारे पास फोन तो होगा, अभी पोलीस को फोन लगाओ.”

“फोन मेरे दोस्त के पास था.”

“कौन दोस्त?”

“वही जिसकी लाश तुम्हारी कार के पास पड़ी है.”

“तुमने उसे मारने का नाटक किया था है ना.”

“हां…हमारा प्लान था कि तुम्हे डराया जाए. मेरा मकसद तुम्हे जंगल में ले जाना नही था. पर जब तुम कार से निकल कर भागी तो मैने सोचा थोड़ा सा खेल और हो जाए.”

क्रमशः..............................

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