kamuk kahaani-जवानी की मिठास compleet

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Re: kamuk kahaani-जवानी की मिठास

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जवानी की मिठास--5

सावधान-

दोस्तो ये कहानी मा और बहन की चुदाई पर आधारित है जिन भाइयो को इन रिश्तो की कहानियाँ पढ़ने मे अरुचि होती है कृपया वो इस कहानी को ना पढ़े

गतान्क से आगे................

करीब 15 दिनो के बाद विजय गुड़िया के लेकर गाँव गया, गुड़िया की मोटी गंद और दूध काफ़ी बढ़ गये थे उसे कोई भी

देखता तो यही कहता कि यह ज़रूर खूब चूत मरवा कर आ रही है, रुक्मणी ने जब गुड़िया को देखा तो तुरंत समझ गई

कि विजय ने गुड़िया कि इन 15 दिनो मे खूब तबीयत से चुदाई की है, पर उसकी आँखे तो अपने बेटे के लंड के लिए तरस रही थी उसने पहले गुड़िया को प्यार से अपने गले लगाया और फिर जब विजय को अपने सीने से लगाया तो उसका दिल करने लगा विजय अभी उसके भारी भरकम चूतादो को अपने हाथो मे खूब कस कर भर ले और खूब ज़ोर -ज़ोर से मसल डाले, वह ना जाने क्या सोचती हुई विजय से बहुत देर तक चिपकी रही और विजय अपने मोटे लंड को खड़ा किए हुए बड़े प्यार से अपनी गदराई मा के भारी चूतादो को सहलाता रहा.

शाम को विजय घूमने निकल गया और घर मे जमुना काकी गुडया और रुक्मणी बैठी थी कुछ देर बाद गुड़िया यह कह

कर चल देती है कि मैं चंदा के यहा से आती हू और अपने भरी चूतादो को मटकाती हुई जाने लगती है,

रुक्मणी और जमुना दोनो गुड़िया के भारी भरकम चूतादो को मूह फाडे हुए देखती रह जाती है,

जमुना- हे राम यह जब से शहर से लॉटी है इसकी मोटी गंद और दूध कितना बढ़ गये है, रुक्मणी मुझे तो लगता है

तुम्हारे बेटे विजय ने तुम्हारी गुड़िया को तबीयत से चोदा है,

रुक्मणी- चुप कर कोई सुन लेगा तो क्या कहेगा

उन्हे पता नही था कि गुड़िया चुप कर उनकी बाते सुन रही है

जमुना- तेरा बेटा तो बड़ा छुपा रुष्टम निकला ना जाने कब से बहन पर नज़र गड़ाए बैठा होगा, सच बता रुक्मणी

क्या तुझे पहले से पता था कि वह गुड़िया को चोदना चाहता था

रुक्मणी- नही रे मुझे कुछ नही मालूम था, मैंने तो बस एक दिन विजय का.....

जमुना- क्या विजय का, कही तूने विजय का लंड तो नही देख लिया

रुक्मणी- हा जमुना मैंने एक दिन विजय का पूरा तना हुआ लंड देख लिया है तब से मुझे जब भी उसके मोटे डंडे का

ख्याल आता है मेरे बदन मे चीटियाँ रेंगने लगती है,

जमुना- क्या खूब मोटा और लंबा है तेरे बेटे का लंड

रुक्मणी- अब क्या बताउ जमुना उसका मोटा लंड तो हम औरतो को छोड़ने के लायक है, पता नही इस गुड़िया ने कैसे उसका लंड लिया होगा,

जमुना- हे रुक्मणी तूने तो अपने बेटे के लंड के बारे मे बता कर मेरी चूत से पानी च्छुड़वा दिया

जमुना- अच्छा रुक्मणी यह तो पता कर कि तेरे बेटे के मन मे तेरे लिए क्या है, कही ऐसा तो नही कि वह तुझे भी पूरी

नंगी करके चोदना चाहता हो

रुक्मणी- नही रे लगता तो नही है, और फिर मैं कैसे पता करू कि वह मुझे चोदना चाहता है या नही

जमुना- अरे रात को उससे अपने पेर दबवा कर उसे धीरे से अपनी फूली हुई चूत दिखा देना अगर उसके मन मे कुछ होगा तो वह तेरी भी तबीयत से मालिश कर देगा,

उनकी बातो से गुड़िया को यकीन हो जाता है कि उसकी अपनी मा भी उसके भाई का मोटा लंड देख चुकी है और उसे लेने के लिए तड़प रही है वह चहकति हुई चंदा के घर की ओर भाग जाती है.

चंदा से बाते करते हुए गुड़िया को अपनी मा के आने की आहट सुनाई देती है और वह अपनी मा को सुनाने के लिए ज़ोर-ज़ोर से बात करने लगती है,

चंदा जैसे तुझे तेरा भाई चोदता है ना वैसी ही एक बात मैं तुझे बताना चाहती हू

चंदा- क्या तेरे भैया ने तुझे भी चोद दिया है

रुक्मणी उन दोनो की बाते सुन कर एक दम से रुक कर दीवार के पीछे छुप कर उन दोनो की बाते सुनने लगती है,

गुड़िया- अरे चंदा अब तुझे क्या बताउ पूरे 15 दिनो तक मेरे भैया ने मुझे इस तबीयत से चोदा है कि पूरे रोम-रोम

मैं मस्ती भारी हुई है, तू अगर मेरे भैया का मोटा लंड देख ले तो तू भी उनसे चुदे बिना नही रह पाएगी

चंदा- क्या इतना मस्त लंड है तेरे भैया का

गुड़िया- हाँ बहुत ही मोटा और लंबा है उनका लंड सच कहु तो उनका लंड तेरे मेरे जैसी लोंदियो के लायक है ही नही

चंदा- तो फिर किसके लायक है

गुड़िया- उनका मोटा लंड तो मेरी मम्मी जैसी मजबूत और कसी हुई जवान औरतो के लायक है

चंदा- तो क्या तेरे भाई को तुझे चोद कर मज़ा नही आया

गुड़िया- अरे उन्हे तो बहुत मज़ा आया वह तो दिन भर मुझे घर मे नंगी ही रखते थे और खूब मेरी चूत मारते थे

चंदा- फिर तुझे कैसा लगा

गुड़िया- बहुत मज़ा आया बहुत लेकिन एक बात कहु चंदा मेरे भैया को मैंने कल अपनी मम्मी के मोटे-मोटे चूतादो

को अपना लंड मसल-मसल कर घूरते हुए देखा है,

चंदा- क्या कह रही है, कही ऐसा तो नही तेरे भैया तेरी मम्मी को भी चोदना चाहते हो

गुड़िया- मुझे भी ऐसा ही लगता है चंदा, मेरे भैया आजकल जब भी मम्मी को देखते है उनका मोटा लंड खड़ा हो

जाता है मुझे तो लगता है मेरे भैया मम्मी को पूरी नंगी करके खूब कस-कस कर चोदना चाहते है

चंदा- तो फिर रुक्मणी काकी अपनी चूत उनसे मरवा क्यो नही लेती उन्हे तो तेरे भैया चोद-चोद कर मस्त कर देंगे,

गुड़िया- जब मैंने भैया से पूछा कि आज कल कुछ बैचन से रहते है तो उन्होने कहा कि एक बार मम्मी उनके साथ

शहर चली जाती तो उनका सारा काम बन जाता, तब मैंने भैया से कहा कि इसमे क्या है जब मर्ज़ी हो मम्मी को ले जाओ, तब भैया ने कहा जब मा खुद कहेगी तब ही उन्हे शहर घुमाने ले जाउन्गा, और मा जब जाएगी तो तू यही जमुना काकी के

पास ही रहेगी क्योकि वाहा एक ही छ्होटा सा कमरा है,

चंदा- मतलब तेरे भैया बस इस इंतजार मे है कि एक बार मा उनके साथ शहर चली जाए तो वाहा फिर वह पूरी तबीयत से तेरी मा को नंगी करके चोदेगे,

उनकी बाते सुन कर रुक्मणी की मखमली पाव रोटी जैसी फूली हुई चिकनी चूत पानी छोड़ने लगी, उसे उस एहसास ने अपनी फूली चूत मे इतनी चुदास पेदा कर दी कि वह अपनी फूली चूत को अपने हाथो से मसल्ते हुए बिना ना रह पाई

गुड़िया- अरे चंदा आज रात को जब मा सो जाएगी तो भैया को मा के बगल मे ही लिटा कर उनके उपर चढ़ जाउन्गि,

चंदा- और कही तेरी मा जाग गई तो

गुड़िया- अरे हम दोनो भाई बहन बिना किसी आवाज़ के एक दूसरे मे समा जाएगे या फिर मैं भैया से कह दूँगी कि मुझे

अपने मोटे लंड पर खड़े-खड़े उठा कर इधर उधर घूमते हुए ही चोद दो और आज मैं भैया से पुंछ भी लूँगी की

क्या वो मा को भी चोदने की नज़र से देखते है.

चंदा- अच्छा यह बता गुड़िया तेरा भाई अगर तेरे ही सामने तेरी मा को चोदेगा तो तुझे कैसा लगेगा

गुड़िया- मुझे लगेगा कि मैं भी अपनी मा के साथ अपने भाई के लंड पर चढ़ जाउ और खूब कस-कस के उससे चुदवाउ.

गुड़िया- पर एक बात तो है चंदा भैया मम्मी को पूरी नंगी करके खूब तबीयत से चोदना चाहते है.

चंदा- पर एक बात कहु गुड़िया, तेरी मा भी कम चुदासी नही है उसकी मस्तानी चूत के लिए तो तेरे भाई के घोड़े जैसे

लंड की ही ज़रूरत थी, तेरी मम्मी अगर तुम दोनो भाई बहनो की चुदाई देख लेगी तो खुद भी पूरी नंगी होकर तेरे भैया

के लंड के उपर चढ़ जाएगी,

वैसे गुड़िया तेरी मम्मी के चूतड़ है बड़े मोटे, पूरे गाँव का हर आदमी तेरी मम्मी की गंद का दीवाना है,

सच

मैं तेरा भाई तेरी मम्मी की नंगी गंद देखेगा तो अपना मूह सीधे तेरी मम्मी की मोटी गंद मे भर देगा.

रुक्मणी की चूत से पानी बह्बह कर उसकी जाँघो से रिसने लगा था उसकी चूत फूल कर कुप्पा हो गई थी उसकी नज़र के सामने उसके बेटे का मोटा लंड झूल रहा था

रुक्मणी वहाँ ना रुक सकी और पलट कर वापस घर आई और घर आते ही उसे सामने खाट पर लूँगी और बनियान पहनकर

बेटे अपने बेटे को देखा,

रुक्मणी- कब आया बेटे

विजय- बस अभी आकर बैठा ही हू मा

रुक्मणी खाना लगा दू

विजय- लगा दो मा
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रुक्मणी अपने बेटे के लिए खाना लगाने के बाद उसके सामने घूम फिर कर काम करने लगती है, विजय अपनी मम्मी की

गदराई जवानी को घूरता हुआ खाना खाने लगा लेकिन जब रुक्मणी कुछ उठाने के लिए नीचे झुकती है तो विजय का मोटा

लंड अपनी मम्मी की गदराई चौड़ी गंद देख कर झटके मारने लग जाता है,

विजय का लंड उसकी लूँगी के अंदर पूरी तरह तन चुका था, रुक्मणी ने एक पतली सी साडी और ब्लाओज पहन रखा था उसके उभरे हुए पेट और गहरी नाभि का नगपन देख कर विजय का लंड झटके पे झटके ले रहा था,

विजय ने जैसे तैसे खाना खाया और फिर वह लेट गया, कुछ देर बाद मा उसके पास आकर बैठ गई,

रुक्मणी-बेटे आजकल तू मेरा बिल्कुल ख्याल नही रखता है

विजय - अपने हाथ से अपनी मा की नंगी कमर और उठा हुआ पेट सहलाते हुए, मा मैं तो तेरा हर तरह से ख्याल रखने को तैयार हू बस तू हाँ कह दे,

रुक्मणी- अच्छा तो ये बता मुझे शहर कब ले चलेगा

विजय- उसकी मोटी जाँघो को सहलाता हुआ, तू जब कहे मा मैं तुझे ले चलने को तैयार हू,

रुक्मणी- तो फिर कल मैं तेरे साथ ही चलूंगी और दो तीन दिन तेरे साथ ही रहूंगी

विजय- अपनी मा के दोनो हाथ पकड़ लेता है और अपने मूह से उसके गालो को चूमते हुए, मा तुझे तो मैं जिंदगी भर

अपने साथ ही रखना चाहता हू,

रुक्मणी- खड़ी होकर तो ठीक है मैं कल तेरे साथ चलूंगी पर वाहा लेजा कर तू क्या देगा मुझे,

विजय- अपनी मा को अपने बाँहो मे भर कर, मा तुम्हे जिस चीज़ की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है वह दूँगा तुम्हे,

अपने बेटे द्वारा धीरे-धीरे अपने चूतड़ दब्वाने से रुक्मणी की चूत मे पानी आ गया था, तभी अचानक दरवाजा

खुला और गुड़िया अंदर आ गई, उसके आने के बाद विजय और रुक्मणी अलग हुए,

रुक्मणी- बेटी कल मैं तेरे भैया के साथ शहर जा रही हू, यहा तू अपना ख्याल रखना,

गुड़िया- तुम चिंता मत करो मा मैं अपना ध्यान रख लूँगी

रात को करीब 12 बजे विजय धीरे से उठ कर बैठ जाता है गुड़िया पहले से ही इंतजार मे थी, वही रुक्मणी की आँखो मे

नींद नही थी और वह एक पेटिकोट और ब्लौज पहने पड़ी हुई थी विजय धीरे से अपनी मा और गुड़िया के पैरो के पास आ जाता है,

विजय गुड़िया की गोरी टाँगो को सहलाने लगता है तो गुड़िया अपना पूरा घाघरा अपनी कमर तक उठा लेती है और अपने

भैया को अपने उपर चढ़ा लेती है, विजय अपनी बहन की चूत मे अपना लंड पेल कर सीधे उसके उपर लेट जाता है और

गुड़िया अपनी मा से बिल्कुल सॅट कर पड़ी हुई आह की आवाज़ इतनी ज़ोर से निकालती है कि रुक्मणी को बड़ी आसानी से सुनाई देती है,

रुक्मणी पड़े-पड़े उनकी आवाज़े सुनने लगती है,

गुड़िया- आह भैया कितना मोटा डंडा है तुम्हारा बहुत कसा हुआ जा रहा है

विजय- मेरी रानी इस मोटे डंडे का मन तो तुझसे भी बड़े-बड़े भोस्डे चोदने का करता है,

गुड़िया- आह मैं सब जानती हू तुम किसको नंगी करके चोदना चाहते हो,

विजय- एक करारा धक्का अपनी बहन की चूत मे मारते हुए, किसको चोदना चाहता हू

गुड़िया- आह मा को और किसको

गुड़िया की बात सुन कर रुक्मणी की चूत फूलने लगती है वह चुपचाप सोने का नाटक करती हुई पड़ी रहती है,

गुड़िया- भैया तुम्हे मम्मी मे सबसे ज़्यादा क्या पसंद है

विजय- मुझे मम्मी की यह मोटी गंद सबसे अच्छी लगती है

गुड़िया- तो एक बार अपनी मा की गंद अपनी बहन को चोद्ते हुए सहला लो ना और ऐसा सोचो जैसे तुम मा की ही मोटी गंद मार रहे हो,

विजय- पर कही मा जाग गई तो

गुड़िया- नही जागेगी वह पक्की नींद मे सोती है तुम एक बार मेरे सामने मम्मी की मोटी गंद चूम कर देखो ना पर हा

मम्मी का पेटिकोट उसकी मोटी गंद से उपर सरका दो,

विजय- ना बाबा मुझे डर लगता है

गुड़िया- अच्छा हटो मैं सरकाती हू और गुड़िया उठ कर अपनी मम्मी का पेटिकोट सरका कर उसकी गदराई गंद को पूरी नंगी

कर देती है, विजय अपनी मा के नंगे चूतादो को देख कर पागल हो जाता है और अपने दोनो हाथो से जब अपनी मा के भारी चताड़ो की गहराई को फैला-फैला कर देखता है तो उससे रहा नही जाता है और वह अपने मूह को अपनी मम्मी की मस्त गुदा मे भर कर चूम लेता है, उसकी इस हरकत से करवट लेकर सोई हुई रुक्मणी की चूत टनटना जाती है और वह अपने बेटे के लंड के लिए व्याकुल हो जाती है,

गुड़िया- अपने भैया का मोटा लंड बैठ कर सहलाती रहती है और भैया अच्छा यह बताओ तुम मा को शहर ले जाकर खूब

चोदने वाले हो ना,

विजय- अपनी मा की मोटी गंद को खूब कस-कस कर सहलाते हुए हा मेरी रानी बहना मैंने जब से अपनी मा की गदराई जवानी देखी है मैं उसे पूरी नंगी करके खूब चोदना चाहता हू पर अभी तो तू मेरे लंड पर चढ़ जा अब मैं तुझे अपने लंड

पर घुमा-घुमा कर चोदुन्गा,

विजय के कहते ही गुड़िया उसके मोटे लंड पर चढ़ा कर बैठ जाती है और विजय उसे

खड़े होकर अपनी गोद मे बैठा कर खूब कस-कस कर चोदने लगता है, रुक्मणी धीरे से अपनी आँखे खोल कर जब देखती

है तो उसके होश उड़ जाते है, उसकी बेटी गुड़िया उसके बेटे के मोटे लंड पर किसी बंदरिया की तरह चढ़ कर बैठी उसके

सीने से चिपकी हुई थी और उसका बेटा अपने मोटे लंड को उसकी गंद के नीचे से उसकी गुलाबी चूत मे कस-कस कर मार रहा था,

क्रमशः...............

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JAWAANI KI MITHAS--5

gataank se aage................

karib 15 dino ke bad vijay gudiya ke lekar ganv gaya, gudiya ki moti gand aur doodh kaphi badh gaye the use koi bhi

dekhta to yahi kahta ki yah jarur khub chut marwa kar aa rahi hai, rukmani ne jab gudiya ko dekha to turant samajh gai

ki vijay ne gudiya ki in 15 dino main khub tabiyat se chudai ki hai, par uski aankhe to apne bete ke land ke liye taras rahi

thi usne pahle gudiya ko pyar se apne gale lagaya aur phir jab vijay ko apne sine se lagaya to uska dil karne laga vijay

abhi uske bhari bharkam chutado ko apne hantho main khub kas kar bhar le aur khub jor -jor se masal dale, wah na jane

kya sochti hui vijay se bahut der tak chipki rahi aur vijay apne mote land ko khada kiye huye bade pyar se apni gadaraai ma

ke bhari chutado ko sahlata raha.

sham ko vijay ghumane nikal gaya aur ghar main jamuna kaki gudya aur rukmani baithi thi kuch der bad gudiya yah kah

kar chal deti hai ki main chanda ke yaha se aati hu aur apne bhari chutado ko matkati hui jane lagti hai,

rukmani aur

jamuna dono gudiya ke bhari bharkam chutado ko muh phade huye dekhti rah jati hai,

jamuna- hay ram yah jab se shahar se loti hai iski moti gand aur doodh kitna badh gaye hai, rukmani mujhe to lagta hai

tumhare bete vijay ne tumhari gudiya ko tabiyat se choda hai,

rukmani- chup kar koi sun lega to kya kahega

unhe pata nahi tha ki gudiya chup kar unki bate sun rahi hai

jamuna- tera beta to bada chupa rushtam nikla na jane kab se bahan par najar gadaye baitha hoga, sach bata rukmani

kya tujhe pahle se pata tha ki vah gudiya ko chodna chahta tha

rukmani- nahi re mujhe kuch nahi malum tha, mainne to bas ek din vijay ka.....

jamuna- kya vijay ka, kahi tune vijay ka land to nahi dekh liya

rukmani- ha jamuna mainne ek din vijay ka pura tana hua land dekh liya hai tab se mujhe jab bhi uske mote dande ka

khyal aata hai mere badan main chitiya rengne lagti hai,

jamuna- kya khub mota aur lamba hai tere bete ka land

rukmani- ab kya bataau jamuna uska mota land to hum aurto ko chodane ke layak hai, pata nahi is gudiya ne kaise uska

land liya hoga,

jamuna- hay rukmani tune to apne bete ke land ke bare main bata kar meri chut se pani chhudwa diya

jamuna- achcha rukmani yah to pata kar ki tere bete ke man main tere liye kya hai, kahi aisa to nahi ki vah tujhe bhi puri

nangi karke chodna chahta ho

rukmani- nahi re lagta to nahi hai, aur phir main kaise pata karu ki vah mujhe chodna chahta hai ya nahi

jamuna- are rat ko usse apne per dabwa kar use dhire se apni phuli hui chut dikha dena agar uske man main kuch hoga to

vah teri bhi tabiyat se malish kar dega,

unki bato se gudiya ko yakin ho jata hai ki uski apni ma bhi uske bhai ka mota land dekh chuki hai aur use lene ke liye

tadap rahi hai vah chahakti hui chanda ke ghar ki aur bhag jati hai.

chanda se bate karte huye gudiya ko apni ma ke aane ki aahat sunai deti hai aur vah apni ma ko sunane ke liye jor-jor se

bat karne lagti hai,

chanda jaise tujhe tera bhai chodataa hai na vaisi hi ek bat main tujhe batana chahti hu

chanda- kya tere bhaiya ne tujhe bhi chod diya hai

rukmani un dono ki bate sun kar ek dam se ruk kar deewar ke piche chup kar un dono ki bate sunne lagti hai,

gudiya- are chanda ab tujhe kya bataau pure 15 dino tak mere bhaiya ne mujhe is tabiyat se choda hai ki pure rom-rom

main masti bhari hui hai, tu agar mere bhaiya ka mota land dekh le to tu bhi unse chude bina nahi rah payegi

chanda- kya itna mast land hai tere bhaiya ka

gudiya- ha bahut hi mota aur lamba hai unka land sach kahu to unka land tere mere jaisi londiyo ke layak hai hi nahi

chanda- to phir kiske layak hai

gudiya- unka mota land to meri mummy jaisi majboot aur kasi hui jawan aurto ke layak hai

chanda- to kya tere bhai ko tujhe chod kar maza nahi aaya

gudiya- are unhe to bahut maza aaya vah to din bhar mujhe ghar main nangi hi rakhte the aur khub meri chut marte the

chanda- phir tujhe kaisa laga

gudiya- bahut maza aaya bahut lekin ek bat kahu chanda mere bhaiya ko mainne kal apni mummy ke mote-mote chutado

ko apna land masal-masal kar ghurte huye dekha hai,

chanda- kya kah rahi hai, kahi aisa to nahi tere bhaiya teri mummy ko bhi chodna chahte ho

gudiya- mujhe bhi aisa hi lagta hai chanda, mere bhaiya aajkal jab bhi mummy ko dekhte hai unka mota land khada ho

jata hai mujhe to lagta hai mere bhaiya mummy ko puri nangi karke khub kas-kas kar chodna chahte hai

chanda- to phir rukmani kaki apni chut unse marwa kyo nahi leti unhe to tere bhaiya chod-chod kar mast kar denge,

gudiya- jab mainne bhaiya se pucha ki aaj kal kuch baichan se rahte hai to unhone kaha ki ek bar mummy unke sath

shahar chali jati to unka sara kam ban jata, tab mainne bhaiya se kaha ki isme kya hai jab marji ho mummy ko le jao, tab

bhaiya ne kaha jab ma khud kahegi tab hi unhe shahar ghumane le jaunga, aur ma jab jayegi to tu yahi jamuna kaki ke

pas hi rahegi kyoki vaha ek hi chhota sa kamra hai,

chanda- matlab tere bhaiya bas is intjar main hai ki ek bar ma unke sath shahar chali jaye to vaha phir vah puri tabiyat se

teri ma ko nangi karke chodege,

unki bate sun kar rukmani ki makhmali pav roti jaisi phuli hui chikni chut pani chaudne lagi, use us ehsas ne apni phuli

chut main itni chudas peda kar di ki vah apni phuli chut ko apne hantho se masalte huye bina na rah pai

gudiya- are chanda aaj rat ko jab ma so jayegi to bhaiya ko ma ke bagal main hi lita kar unke upar chadh jaungi,

chanda- aur kahi teri ma jag gai to

gudiya- are hum dono bhai bahan bina kisi aawaj ke ek dusre main sama jayege ya phir main bhaiya se kah dungi ki mujhe

apne mote land par khade-khade utha kar idhar udhar ghumate huye hi chod do aur aaj main bhaiya se punch bhi lungi ki

kya vo ma ko bhi chodane ki najar se dekhte hai.

chanda- achcha yah bata gudiya tera bhai agar tere hi samne teri ma ko chodega to tujhe kaisa lagega

gudiya- mujhe lagega ki main bhi apni ma ke sath apne bhai ke land par chadh jau aur khub kas-kas ke usse chudwau.

gudiya- par ek bat to hai chanda bhaiya mummy ko puri nangi karke khub tabiyat se chodna chahte hai.

chanda- par ek bat kahu gudiya, teri ma bhi kam chudasi nahi hai uski mastani chut ke liye to tere bhai ke ghode jaise

land ki hi jarurat thi, teri mummy agar tum dono bhai bahno ki chudai dekh legi to khud bhi puri nangi hokar tere bhaiya

ke land ke upar chdha jayegi,

vaise gudiya teri mummy ke chutad hai bade mote, pure ganv ka har aadmi teri mummy ki gand ka deewana hai,

sach

main tera bhai teri mummy ki nangi gand dekhega to apna muh sidhe teri mummy ki moti gand main bhar dega.

rukmani ki chut se pani bahbah kar uski jangho se risne laga tha uski chut phul kar kuppa ho gai thi uski najar ke samne

uske bete ka mota land jhul raha tha

rukmani vaha na ruk saki aur palat kar vapas ghar aai aur ghar aate hi use samne khat par lungi aur baniyan pahankar

bete apne bete ko dekha,

rukmani- kab aaya bete

vijay- bas abhi aakar baitha hi hu ma

rukmani khana laga du

vijay- laga do ma

rukmani apne bete ke liye khana lagane ke bad uske samne ghum phir kar kam karne lagti hai, vijay apni mummy ki

gadaraai jawani ko ghurta hua khana khane laga lekin jab rukmani kuch uthane ke liye niche jhukti hai to vijay ka mota

land apni mummy ki gadaraai chaudi gand dekh kar jhatke marne lag jata hai,

vijay ka land uski lungi ke andar puri tarah tan chuka tha, rukmani ne ek patli sio sadi aur blaoujt pahan rakha tha uske

ubhare huye pet aur gahari nabhi ka nagapan dekh kar vijay ka land jhatke pe jhatke le raha tha,

vijay ne jaise taise khana khaya aur phir vah let gaya, kuch der bad ma uske pas aakar baith gai,

rukmani-bete ajakal tu mera bilkul khyal nahi rakhta hai

vijay - apne hath se apni ma ki nungi kamar aur utha hua pet sahlate huye, ma main to tera har tarah se khyal rakhne ko

taiyar hu bas tu ha kah de,

rukmani- achcha to ye bata mujhe shahar kab le chalega

vijay- uski moti jangho ko sahlata hua, tu jab kahe ma main tujhe le chalne ko taiyar hu,

rukmani- to phir kal main tere sath hi chalungi aur do teen din tere sath hi rahungi

vijay- apni ma ke dono hath pakad leta hai aur apne muh se uske galo ko chumte huye, ma tujhe to main jindagi bhar

apne sath hi rakhna chahta hu,

rukmani- khadi hokar to thik hai main kal tere sath chalungi par vaha lejakar tu kya dega mujhe,

vijay- apni ma ko apne banho main bhar kar, ma tumhe jis cheej ki sabse jyada jarurat hai vah dunga tumhe,

apne bete dwara dhire-dhire apne chutad dabwane se rukmani ki chut main pani aa gaya tha, tabhi achanak darwaja

khula aur gudiya andar aa gai, uske aane ke bad vijay aur rukmani alag huye,

rukmani- beti kal main tere bhaiya ke sath shahar ja rahi hu, yaha tu apna khyal rakhna,

gudiya- tum chinta mat karo ma main apna dhyan rakh lungi

rat ko karib 12 baje vijay dhire se uth kar baith jata hai gudiya pahle se hi intjar main thi, vahi rukmani ki aankho main

neend nahi thi aur vah ek petikot aur blauj pahne padi hui thi vijay dhire se apni ma aur gudiya ke pairo ke pas aa jata

hai,

vijay gudiya ki gori tango ko sahlane lagta hai to gudiya apna pura ghaghra apni kamar tak utha leti hai aur apne

bhaiya ko apne upar chadha leti hai, vijay apni bahan ki chut main apna land pel kar sidhe uske upar let jata hai aur

gudiya apni ma se bilkul sat kar padi hui aah ki aawaj itni jor se nikalti hai ki rukmani ko badi aasani se sunai deti hai,

rukmani pade-pade unki aawaje sunne lagti hai,

gudiya- aah bhaiya kitna mota danda hai tumhara bahut kasa hua ja raha hai

vijay- meri rani is mote dande ka man to tujhse bhi bade-bade bhosde chodane ka karta hai,

gudiya- aah main sab janti hu tum kisko nangi karke chodna chahte ho,

vijay- ek karara dhakka apni bahan ki chut main marte huye, kisko chodna chahta hu

gudiya- aah ma ko aur kisko

gudiya ki bat sun kar rukmani ki chut phulne lagti hai vah chupchap sone ka natak karti hui padi rahti hai,

gudiya- bhaiya tumhe mummy main sabse jyada kya pasand hai

vijay- mujhe mummy ki yah moti gand sabse achchi lagti hai

gudiya- to ek bar apni ma ki gand apni bahan ko chodte huye sahla lo na aur aisa socho jaise tum ma ki hi moti gand mar

rahe ho,

vijay- par kahi ma jag gai to

gudiya- nahi jagegi vah pakki neend main soti hai tum ek bar mere samne mummy ki moti gand chum kar dekho na par ha

mummy ka petikot uski moti gand se upar sarka do,

vijay- na baba mujhe dar lagta hai

gudiya- achcha hato main sarkati hu aur gudiya uth kar apni mummy ka petikot sarka kar uski gadaraai gand ko puri nangi

kar deti hai, vijay apni ma ke nange chutado ko dekh kar pagal ho jata hai aur apne dono hantho se jab apni ma ke bhari

chatado ki gahrai ko phaila-phaila kar dekhta hai to usse raha nahi jata hai aur vah apne muh ko apni mummy ki mast

guda main bhar kar chum leta hai, uski is harkat se karwat lekar soi hui rukmani ki chut tantana jati hai aur vah apne

bete ke land ke liye vyakul ho jati hai,

gudiya- apne bhaiya ka mota land baith kar sahlati rahti hai aur bhaiya achcha yah bataao tum ma ko shahar le jakar khub

chodane wale ho na,

vijay- apni ma ki moti gand ko khub kas-kas kar sahlate huye ha meri rani bahna mainne jab se apni ma ki gadaraai jawani

dekhi hai main use puri nangi karke khub chodna chahta hu par abhi to tu mere land par chadh ja ab main tujhe apne land

par ghuma-ghuma kar chodunga,

vijay ke kahte hi gudiya uske mote land main chadha kar baith jati hai aur vijay use

khade hokar apni god main baitha kar khub kas-kas kar chodane lagta hai, rukmani dhire se apni aankhe khol kar jab dekhti

hai to uske hosh ud jate hai, uski beti gudiya uske bete ke mote land par kisi bandariya ki tarah chadha kar baithi uske

sine se chipki hui thi aur uska beta apne mote land ko uski gand ke niche se uski gulabi chut main kas-kas kar mar raha

tha,

KRAMASHAH...............
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Re: kamuk kahaani-जवानी की मिठास

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जवानी की मिठास--6


गतान्क से आगे................

रुक्मणी की हालत खराब हो चुकी थी और उससे बर्दस्त नही हो रहा था,

कुछ देर बाद विजय अपनी बहन को अपनी मा के बगल मे लेटा कर उसकी चूत मारते हुए एक बार अपने मा के चेहरे की ओर देखता है और उसकी मा अपनी आँखे बंद किए हुए पड़ी थी विजय धीरे से अपनी बहन की चूत मारते हुए अपनी मा के रसीले होंठो को चूम लेता है, विजय अपने हाथो से अपनी मा की गोरी मोटी गंद को सहलाता हुआ अपनी बहन गुड़िया की चूत खूब कस-कस कर चोदने लगता है, करीब 1 घंटे तक विजय अलग-अलग मुद्रा मे अपनी बहन को खूब कस कर चोदता है,

अगले दिन सुबह-सुबह विजय अपनी मा को लेकर शहर चला जाता है, शहर मे उसका एक ही रूम था और एक तरफ तो वह खाना बनाने का समान रखे था जहा एक गॅस स्टॅंड बना था और उसी पर गॅस रखी थी और दूसरी तरफ उसने ज़मीन पर सोने के लिए बिच्छा रखा था,

विजय अपनी मा को यह कह कर चला जाता है कि वह शाम तक लोटेगा, रुक्मणी एक दिन रुकने

के हिसाब से आई थी और कोई कपड़े साथ लाई नही थी काम करते हुए उसकी साडी और पेटिकोट पूरे गीले और गंदे हो गये थे

वह सोचने लगी अब पहनेगी क्या बहुत सोचने के बाद उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए और फिर विजय की लूँगी लपेट ली और उपर केवल अपना ब्लौज पहन लिया उसे थोड़ा अजीब भी लग रहा था कि विजय उसे इस छ्होटी सी लूँगी मे देखेगा तो क्या सोचेगा,

उसके भारी भरकम चूतड़ और मोटी गदराई जंघे लूँगी मे समा नही रही थी,

शाम को जब विजय वापस आ रहा था तो रास्ते मे उसने सोचा क्यो ना थोड़ी बेअर चढ़ा ली जाय आज रात मा को पूरी रात नंगी करके चोदने मे मज़ा आ जाएगा, तभी विजय ने सोचा क्यो ना आज मा को भी थोड़ी बेअर चखा दी जाय साली मस्त होकर अपनी चूत अपने बेटे से मराएगी, और फिर विजय ने दो बोत्तेल बेअर की ले ली और घर आ गया जैसे ही उसने दरवाजा बजाया

रुक्मणी को लूँगी और ब्लॉज मे देखते ही उसका मोटा लंड खड़ा हो गया,

विजय- अरे वाह मा तुम लूँगी मे बहुत अच्छी लग रही हो

रुक्मणी आगे चलती हुई अपने भारी चूतादो को छुपाने की कोशिश करती हुई, क्या करू बेटा काम करते हुए मेरे सब

कपड़े खराब हो गये और मैं कुछ ले कर भी नही आई,

विजय- कोई बात नही यहा तुम्हारे बेटे के अलावा और देखने वाला है ही कौन और फिर विजय अपनी मा के गले लग कर अपने दोनो हाथो को पीछे लेजाकार अपनी मा के भारी चूतादो को सहलाते हुए उसके गालो को चूम कर, उसके उठे हुए पेट पर हाथ फेर कर बहुत भूख लगी होगी मा,

रुक्मणी-मैंने खाना तैयार कर दिया है चल खा ले,

विजय- मा तुम उधर मूह करके खाना लगाओ मैं अपनी मा को बस ऐसे ही प्यार करते रहना चाहता हू, रुक्मणी दूसरी ओर

घूम कर खाना लगाने लगती है और विजय अपनी मा की मोटी गंद को अपने लंड से दबाने लगता है,

विजय- मा तुम्हारे लिए शरबत लेकर आया हू और फिर विजय बेअर की बोतटेल खोल कर एक ग्लश मे भर कर अपनी मा को देता है, रुक्मणी जैसे ही बेअर पीती है उसे उसका स्वाद अच्छा नही लगता और वह कहती है हे कितनी कड़वी है यह शरबत

विजय- अपनी मा के चूतादो को सहलाते हुए लाओ मैं तुम्हे अपने हाथो से पिलाउँगा और फिर विजय एक घूँट खुद लेता है

और एक घुट अपनी मा को देता है, एक ग्लश पीते ही रुक्मणी कहती है बेटे यह तो ऐसी शरबत है कि एक ग्लाश पीने के बाद इसका स्वाद अच्छा लगता है,

विजय आओ मा हम सारा खाना और शरबत नीचे रख कर आराम से बैठ कर खाते है और फिर

विजय अपनी मा के साथ नीचे आराम से बैठ जाता है और दोनो बाते करते हुए बेअर पीने लगते है जब एक बेअर पूरी ख़तम हो जाती है तो रुक्मणी की आँखो मे नशा चढ़ने लगता है और वह हस्ती हुई,

रुक्मणी- बेटे यह शरबत तो बहुत अच्छी है बड़ा मज़ा आ रहा है

विजय जब देखता है कि उसकी मा अब पूरी तरह मस्ताने लगी है वह दीवार से टिक कर अपनी मा को कहता है कि उसके पास आकर बैठ जाए, फिर विजय रुक्मणी से कहता है कि मा आज बहुत गर्मी है यह ब्लॉज उतार दो थोड़ी हवा लग जाएगी

रुक्मणी- हस्ते हुए लड़खड़ाती आवाज़ मे बेटे मैं तो बहुत थक गई हू तू ही उतार दे ना, विजय अपनी मा को अपने हाथो

से धीरे-धीरे खाना खिलाता हुआ उसके ब्लौज के एक-एक बॅटन को खोल देता है रुक्मणी खाने के बाद जब पानी मांगती है

तो विजय उसे बेअर भर कर दे देता है और रुक्मणी एक ही सांस मे गटक जाती है, विजय केवल चड्डी बनियान मे अपनी मा के पास सॅट कर बैठा था और उसने उसका ब्लौज उतार कर अलग रख दिया और एक दम से रुक्मणी के मोटे-मोटे दूध मे अपना मूह भर करकर उन्हे खूब कस-कस कर मसल्ने लगा, रुक्मणी पूरी तरह नशे मे मस्त हो चुकी थी और अपने

बेटे से अपने मोटे-मोटे कसे हुए दूध खूब कस-कस कर दब्वाते हुए अपने बेटे को चूमने लगती है,

जब बेअर और खाना ख़तम हो गया तब विजय ने अपनी मा को खड़ा किया और उसके रसीले होंठो को खूब ज़ोर-ज़ोर से चूमते हुए उसके मोटे-मोटे दूध को खूब ज़ोर-ज़ोर से मसल्ने लगा और फिर विजय ने अपनी मा की लूँगी को एक दम से खोल दिया,

रुक्मणी- बेटे यह क्या कर रहा है
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विजय ने तुरंत अपना कच्छा उतार कर अपने मोटे लंड को अपनी मा के हाथो मे दे दिया अपने बेटे का मोटा लंड अपने

हाथ मे आते ही रुक्मणी की चूत फड़कने लगी और वह अपने बेटे के उपर अपने शरीर का भार देकर उसके मोटे लंड और

उसकी बड़ी-बड़ी गोटियो को अपने दोनो हाथो मे भर-भर कर दबाने लगी तब विजय ने अपनी मा को गॅस स्टॅंड पर चढ़ा

कर बैठा दिया और उसकी दोनो मोटी जाँघो को खूब फैला कर जब अपनी मा की मस्त फूली हुई चूत को देखा तो पागलो की तरह वह अपनी मा की चूत को चाटने लगा, रुक्मणी मस्ती से भरी हुई आह आह करती हुई अपने बेटे के सामने अपनी जाँघो को और फैला कर अपनी चूत उठा-उठा कर अपने बेटे के मूह से रगड़ने लगी, विजय ने अपने दोनो हाथो से अपनी मा की चूत की फांको को फैला कर उसके गुलाबी छेद को खूब चूसने लगा और एक हाथ से अपनी मा के मोटे-मोटे दूध को भी मसल्ने लगा,

लगभग 15 मिनिट तक विजय अपनी मा की चूत को चाटता रहा उसके बाद विजय ने अपनी मा को नीचे उतार कर उसे ज़मीन पर घोड़ी की तरह झुका दिया और उसकी मोटी गंद को उभार कर अपने मूह को सीधे अपनी मा की मोटी-मोटी गोरी गंद मे लगा कर अपनी मा की गुदा से लेकर चूत तक अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगा, विजय ने अपनी मा की गंद और चूत को चाट-चाट कर

लाल कर दिया, तभी अचानक रुक्मणी को ना जाने क्या हुआ और उसने पलट कर एक दम से अपने बेटे के मोटे लंड को अपने मूह मे भर कर पागलो की तरह चूसने लगी, रुक्मणी खूब कस-कस के अपने बेटे का लंड चूस रही थी और विजय अपने हाथो से अपनी मा की चूत को खुरेद रहा था, विजय ने अपनी मा की चूत मे दो तीन उंगलिया डाल कर आगे पीछे करना शुरू कर दिया और रुक्मणी अपने बेटे के लंड को दोनो हाथो से खूब दबोच-दबोच कर चाट रही थी,

कुछ देर बाद

रुक्मणी-हान्फ्ते हुए बेटे कितना मस्त लंड है तेरा मैं कब से तेरे इस मोटे डंडे को चूसने के लिए तड़प रही थी आज मैं

इसे रात भर चुसुन्गि

विजय- अपनी मा के रसीले होंठो को चूस कर मा मैं भी तो तेरी इस रसीली चूत का रस पीने के लिए कब से तड़प रहा हू आज तू अपने बेटे का लंड चूस मैं अपनी मा की फूली हुई चूत का रस चूस्ता हू और फिर विजय ने लेट कर अपनी मा को उल्टा अपने उपर चढ़ा लिया और अपनी मा की मोटी गदराई गंद को अपने मूह की ओर खींच कर उसके गुलाबी रस से भरी चूत को अपने मूह से पीने लगा उधर रुक्मणी अपने बेटे के उपर चढ़ि-चढ़ि उसका मोटा लंड पीने लगी दोनो पागलो की तरह एक दूसरे के चूत और लंड को चूसने लगे दोनो ने एक दूसरे के चूत और लंड को चूस -चूस कर लाल कर दिया,

रुक्मणी एक दम से उठ कर अपने बेटे के लंड को अपने हाथो से पकड़ कर उस पर अपनी फटी चूत रख कर बैठ गई और

अपने बेटे के मोटे लंड पर कूदने लगी विजय आराम से लेटा अपनी मा के मोटे-मोटे दूध को चूसने लगा, करीब 10 मिनिट

बाद रुक्मणी एक तरफ लुढ़क कर हाफने लगती है तब विजय अपनी मा की दोनो जाँघो को उपर तक उठा कर मोड़ देता है और फिर उसकी उठी हुई चूत मे अपने लंड का एक ज़ोर दार झटका मरता है कि रुक्मणी के मूह से आह की सिसकारी निकल जाती है,

विजय अब तबाद तोड़ तरीके से अपनी मा की चूत कूटने लगता है, वह हर धक्का इतना ज़ोर से मारता है कि उसका लंड उसकी मा की बच्चेदानी से टकराने लगता है, रुक्मणी हे-हे करती हुई अपने भारी चूतादो को खूब उठाने लगती है और विजय अपनी मा की चूत मे सतसट अपने लंड को पेलने लगता है, बीच-बीच मे विजय जब अपनी मा की फूली हुई चूत देखता है तो अपने लंड को बाहर निकाल कर अपनी मा की चूत बुरी तरह चाटने लगता है,

करीब आधे घंटे तक विजय अपनी मा की चूत को कभी अपनी जीभ से चाटता है कभी अपने लंड से चोदता है, रुक्मणी

अपने बेटे की इस तरह की चुदाई से पानी-पानी होकर अपनी चूत से ढेर सारा पानी छ्चोड़ देती है,

विजय अपनी मा की चूत से अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे अपनी मा के मूह मे दे देता है और रुक्मणी अपने बेटे का लंड फिर से पीने लगती है,

विजय पास मे रखा तेल उठा कर अपनी मा की गुदा मे उंगली डाल-डाल कर तेल लगाने लगता है और अपने होंठो से अपनी मा की चूत भी चूसने लगता है, विजय की पहले एक फिर दो उंगलिया तेल मे भीगी होने से सॅट से उसकी मा की मोटी गंद के छेद मे घुसने लगती है, अब विजय अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा कर अपने लंड को धीरे से अपनी मा की गुदा से लगा कर धीरे-धीरे अपनी मा की गंद मे पेलने लगता है,

रुक्मणी आह आह करती हुई अपनी गंद नाचने लगती है, विजय धीरे-धीरे

अपना आधा लंड अपनी मा की मोटी गंद मे फँसा देता है

आह बेटे ये क्या कर रहा है बहुत खुज़ला रही है मेरी गंद आह आह विजय थोड़ा लंड बाहर खीच कर उस पर और तेल लगा कर एक ज़ोर दार धक्का जब अपनी मा की मोटी गंद मे मारता है तो उसका पूरा लंड अपनी मा की गदराई गंद मे पूरा का पूरा घुस जाता है और रुक्मणी आह मर गई रे आह करते हुए सीसीयाने लगती है, विजय का लंड अपनी मा की गंद मे फसा हुआ और भी सख़्त होकर फूलने लगता है, विजय अपनी मा की गंद को चीर-चीर कर अपने मोटे लंड को सतसट अंदर पेलने लगता है और रुक्मणी ओह ओह करते हुए सीसियती रहती है, विजय धीरे-धीरे अपनी मा की गंद जितना हो सकता था अपने हाथो से फैला-फैला कर चोद रहा था,

उसे बहुत मज़ा आ रहा था और रुक्मणी भी मस्ती मे अपने बेटे के मोटे

लंड को अपनी मोटी गंद मे भरे हुए खूब कस-कस कर मरवा रही थी, कुछ देर बाद विजय ने अपनी मा की गंद पर

चढ़-चढ़ कर उसे चोदना शुरू कर दिया और इतना ज़ोर-ज़ोर से अपनी मा की गुदा को ठोंकने लगा कि पूरे कमरे मे उसके

द्वारा उसकी मा की गंद की ठुकाई की आवाज़ गूंजने लगी, रुक्मणी ने अपनी सारी जिंदगी मे इतनी तगड़ी मार अपनी गंद और चूत पर कभी नही खाई थी जितना तबीयत से आज उसका बेटा उसकी गंद को चोद रहा था,

तभी विजय के लंड का पानी रुक्मणी की गंद मे गहराई तक भर गया और रुक्मणी निढाल होकर पेट के बल लेट गई और विजय भी अपनी मा की गंद मे अपना लंड फसाए-फसाए ही उसकी गंद पर लेट गया, करीब 5 मिनिट तक विजय वैसे ही पड़ा रहा फिर विजय उठ कर एक तरफ लेट गया

और रुक्मणी नशे और चुदाई की मस्ती मे हाफ्ती हुई लेटी रही,

कुछ देर बाद विजय का लंड फिर से खड़ा हो गया और वह फिर से अपनी मा के उपर चढ़ा कर उसकी चूत मारने लगा, इस तरह विजय ने उस रात अपनी मा को पूरी रात नंगी करके चोदता रहा और रुक्मणी ने अच्छे से अपने बेटे से अपनी चूत की आग बुझवाई.

उसके बाद विजय ने करीब 6 दिनो तक अपनी मा को अपने पास रख कर उसकी खूब तबीयत से चुदाई की, फिर विजय उसे लेकर अपने गाँव आ गया, अब विजय बारी-बारी से कभी गुड़िया को और कभी अपनी मा को अपने साथ ले जाता था और उनकी वाहा लेजाकर जम कर चुदाई करता था,

दा एंड

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