महँगी चूत सस्ता पानी compleet

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rajaarkey
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महँगी चूत सस्ता पानी compleet

Post by rajaarkey »

महँगी चूत सस्ता पानी

आज के इस नेट और , मोबाइल की दुनिया में वो दिन लड़ गये जब लोग चूत देख पानी पानी हो जाया करते थे ... अब तो चूत के पानी से ही दिन चर्या शूरू होती है और रात की रंगीनियाँ भी इसी के पानी से ख़तम ..हा हा हा हा !! क्या पानी है ... इस का कोई सानी नहीं ...

हां दोस्तो आज सही में चूत सस्ती है और महँगा है पानी ... आइए मेरे इस नये थ्रेड में इसी पानी का भरपूर आनंद लीजिए ,,कुछ नमकीन , कुछ लिस लिसा ..कुछ खट्टा तो कुछ मीठा ..उफफफफ्फ़ क्या स्वाद है चूत की पानी का .. बस चूत रिस्ति रहे और और आप मुँह खोले इसे पीते रहें ...गटकते रहें ..चूस्ते रहें ...चूत उछलती रहे और आप उसे थामे चाट ते रहें , इस कुदरत के अनमोल रस का पान करते रहें ..

हां तो चलें इस रंगीन , लिस लाइज़ , नमकीन और स्वादिष्ट चूत के सफ़र में... ये सफ़र मेरे अपने संस्मरण हैं ..मेरी कहानी .... मेरी ज़ुबानी ... कैसे किया मैने चूतो को पानी पानी ..हा हा हा!!

मैं किशोर ..लोग मुझे किश के नाम से जानते हैं ...हा हा हा...हां ये किस के बहुत करीब है..शायद इसलिए मुझे औरतें किस-एक्सपर्ट समझती हैं .... ...

ये कहानी शूरू होती है जब मैं सिर्फ़ 18 साल का था .... और मेरी कज़िन (मेरे मामा की बेटी) 32 साल की ....तीन बच्चो की माँ ,,भरपूर चूचियाँ..उछलते नितंब ...भरे होंठ ....चिकने सपाट और मांसल गोरे पेट की स्वामिनी ..जब वो चलती ..मेरे पॅंट के अंदर खलबली मच जाती ....

कहानी चूत और उसके नशीले और लिस लीसे पानी का है ....और चूत से पानी यूँ ही नहीं निकलता ..चूत को सहला के , चाट के , जीभ फिरा के , उंगलियों से मसल के उसे इस अवस्था में लाना पड़ता है..और अगर थोड़े शब्दों में कहें तो पृष्ठभूमि तैय्यार करनी पड़ती है ...

मेरी कज़िन पायल की चूत से भी पानी निकले और लगातार निकले इसकी भी पृष्ठभूमि तैय्यर करनी पड़ेगी ना ..तो चलिए चलते हैं कुछ साल पहले और देखते हैं हमारी तैय्यारि ...

मैं एक बहुत ही सुशील , सीधा सादा अपने माँ बाप का लाड़ला एकलौती संतान था . बड़े लड़ प्यार और स्नेह से मुझे रखा जाता ..किसी भी चीज़ की कोई कमी नहीं होती ....और पायल मेरे मामा की इक लौति संतान .....बड़ी नटखट , शरारती और सारे घर को अपने सर पर उठाने वाली ....

मेरे मामा भी हमारे साथ ही रहते ... उनकी नौकरी भी हमारे ही शहेर में थी..और हमारा घर काफ़ी बड़ा ... माँ ने ज़िद कर मामा को भी अपने साथ रहने को मजबूर कर दिया ...

पायल दीदी भले ही शरारती और नटखट हो ..पर मेरे साथ बड़े स्नेह और प्यार से रहती ...हमारी उम्र में भी काफ़ी अंतर था ...वो मुझे किशू बुलाती ...

मुझे अपने हाथों से खिलाती ...मेरे स्कूल का बस्ता तैय्यार करती ... मुझे मेरी पढ़ाई में मदद करती ...

हम दोनों का एक दूसरे के बिना रहना मुश्किल हो जाता ...मैं जब स्कूल से आता ..मेरी आँखें पायल दीदी को ढूँढती ...घर के चारों ओर मैं उन्हें ढूंढता ....जब वो सामने दिखतीं ...मेरे सांस में सांस आता ...मैं सीधा उनकी गोद में बैठ जाता ..वो प्यार से मेरे बाल सहलाती ..मेरे दिन भर की थकान उनके स्पर्श से ही गायब हो जाती ... मैं खिल उठता ....

उन दिनों पायल दीदी 20-22 साल की एक आल्मास्ट , दुनिया से बेख़बर, जवानी के नशे में झूमती लहराती रहती.... और मेरे मामा उनकी शादी की चिंता मे डूबे रहते .....

हाइ स्कूल की पढ़ाई के बाद वो घर में ही रहती ... घर के कम काज़ में हाथ बटाना तो दूर ...अपने में ही खोई रहती ...कहानियाँ पढ़ती , फिल्मी मॅगज़ीन्स पढ़ती ( जिन्हें मैं अपनी किताबों के बस्ते में छुपा कर लाता ..और उसी तरह दीदी के पढ़ने के बाद दूकानवाले को वापस कर देता ) ...

मामा ..मामी की डाँट का उन पर कोई असर नहीं होता...

" अरे कुछ तो शर्म कर ...कल को तेरी शादी होगी ...ससुराल में हमारी नाक काटेगी ये लड़की .."

मामी के इस तकियकलाम शब्दों को पायल दीदी अन्सूना कर देती ...मुझे अपने हाथों से अपने बगल चिपकाते हुए बोलती

"किशू...तेरी पढ़ाई हो गयी....? "

"हां दीदी.."

"तो फिर चल लुडो खेलते हैं .."

मेरे लिए उनके ये शब्द जादू का काम करते..मैं फटाफट अपने कमरे में अपने बिस्तर पे लुडो का बोर्ड बिछा देता ...हम दोनों आमने सामने बैठ जाते ..इतने पास कि दीदी की गर्म साँसें मेरे चेहरे को छूती ....इसमें स्नेह की गर्मी , निस्चल प्यार का स्पर्श और उनकी मदमस्त जवानी का झोंका भी शामिल रहता ..मुझे बहुत भाता ...

उन दिनों टीवी नहीं था ..रेडियो का प्रचलन था ....मेरे अलावा पायल दीदी का ये दूसरा चहेता था ..उस समय की फिल्मों का एक-एक गाना उनकी ज़ुबान पे होता ....हमेशा गुनगुनाती रहती अपनी सुरीली और मीठी आवाज़ में ...

दिन गुज़रते गये और मैं पायल दीदी के स्नेह और प्यार के बंधन में जकड़ता गया...हम दोनों के लिए एक दूसरे के लिए एक अटूट आकर्षण , बंधन , प्यार और स्नेह पनपता गया .....

और फिर एक दिन जब मैं स्कूल से वापस आया ,,दीदी ने मेरे लिए दरवाज़ा नहीं खोला ... दरवाज़ा भिड़ा था ..मेरे धक्का देते ही खूल गया..पर दीदी के बजाय अंदर सन्नाटे ने मेरा स्वागत किया.. दीदी की प्यार भरी बाहों की जगह एक घनघोर चुप्पी ने मुझे जाकड़ लिया .... मैं तड़प उठा ..दीदी कहाँ गयीं..??

मैं उनके कमरे की तरफ बढ़ा .... अंदर झाँका ..दीदी अपने पलंग पर लेटी थीं .....मैं और नज़दीक गया ..
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Re: महँगी चूत सस्ता पानी

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मैं बेतहाशा उनकी ओर बढ़ा .... पायल दीदी पेट के बल लेटी थी , सर तकिये पर रखे सूबक सूबक कर रो रहीं थी ...उनका चेहरा मेरी ओर था ..उनके गुलाबी गाल आँसुओं से सराबोर थे ...तकिया गीला था ... आख़िर क्या बात हो गयी ..?? क्या हुआ आज दिन भर में ..??? जिस चेहरे पर हमेशा खिलखिलाहट और मुस्कान छाई रहती ..आज आँसुओं से सराबोर है ..आख़िर क्यों..??? किसी ने कुछ कहा ...?? मेरे मन में हलचल मची थी ...

मैं उनके बगल बैठ गया और पूछा " दीदी क्या हुआ ..आप रो क्यूँ रही हैं ..?? "

मेरी आवाज़ भी रुआंसी थी ...

दीदी ने मेरी तरफ चेहरा किया और उठ कर बैठ गयीं , मुझे अपनी छाती से लगाया ..मुझे भींच लिया और फिर और सूबक सूबक कर रोने लगीं ...

मैं हैरान परेशान था , पर उनकी छाती की गर्मी और स्तनों की नर्मी से बड़ा अच्छा भी लगा ...मैं एक बहुत ही अलग अनुभूति में डूबा था ...उनके साथ चिपके रहने का आनंद , पर उनके रोने से परेशान ... दो बिल्कुल अलग अनुभव थे ...मुझे समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ ..दीदी को चूप कराऊँ या फिर उनकी छाती से चिपके इस जन्नत में खोया रहूं ... पायल दीदी के शरीर की सुगंध ..उनके आँसू और पसीने की मिली जुली नमकीन खूशबू , मेरा मुँह उनकी छाती से इस तरेह चिपका था के मेरी नाक उनकी आर्म्पाइट की तरफ था ..उफ़फ्फ़ वहाँ से भी एक अजीब मादक सी खूशबू आ रही थी ....वोई पसीने की ...मैं एक अजीब ही स्तिथि में था ..क्या करूँ क्या ना करूँ ...पायल दीदी आप रोते हुए भी मुझे इतना सूख दे सकती हैं....दीदी दीदी ........मेरा रोम रोम उनके लिए तड़प रहा था ..उन्हें कैसे शांत करूँ ..मैं क्या करूँ ......

मेरी इस उधेड़बून का हल,भी आख़िर दीदी ने ही निकाला ... उन्होने मुझे अपनी छाती से अलग किया ..मेरे चेहरे को अपने नर्म हथेलियों से थाम लिया और मुझे बेतहाशा चूम ने लगीं ... मेरे गालों पर अपने मुलायम होंठों से चुंबनों की वर्षा कर दी .... ये भी मेरे लिए एक नया ही अनुभव था ..... पायल दीदी मुझे चूमे जा रहीं थी पर उनका रोना अब हिचक़ियों में तब्दील हो गया था ... और बीच बीच में मुझ से पूछती

" किशू ..किशू .....मैं तुम्हारे बिना कैसे रहूंगी ..?? "

मैं फिर परेशानी में आ गया ..आख़िर इन्हें मेरे बिना रहने की क्या ज़रूरत आ पड़ी ..?? मेरे छोटे से मश्तिश्क में हज़ारों सवाल थे ..जिनका जवाब मुझे मिल नहीं रहा था ..और मैं उलझनों में डूबता जाता ..पर दीदी के प्यार और निकट ता से शूकून भी मिल रहा था ....

और तभी मुझे अपने सारे सवालों का जवाब मिल गया ....

मेरी मामी ने कमरे में कदम रखा और भाई बहेन का प्यार , खास कर दीदी का रोना देख वो बोल उठीं ..

"वाह रे वा पायल रानी..अभी तेरी सिर्फ़ शादी की बात पक्की हुई है और इतना रोना धोना ..अरे जब तेरी विदाई होगी तू क्या करेगी ....बस बस बहुत हो गया ..अब चूप भी कर ..देख बेचारा किशू स्कूल से कब का आ चूका है ...उठ और उसे कुछ खिला ,,बेचारा कब का भूखा है..तुम्हारे रोने से इतना परेशान है....."

ह्म्‍म्म्ममम तो ये बात थी पायल दीदी के रोने के पीछे..उनकी शादी .... पर इस बात ने मुझे और उलझन में डाल दिया ... जितना मुझे मालूम था ...जितना मेरी छोटी सी मासूम जिंदगी ने मुझे बताया था ...शादी की बात से सारी लड़कियाँ खुशी से झूम उठती हैं .... पर यहाँ तो बिल्कुल ही अलग माजरा था ....खुशी से झूमना तो अलग दीदी दुख और दर्द का रोना ले बैठी थीं....

मामी की बातों ने जादू का असर किया .. मेरे भूखे रहने की बात से उनका रोना धोना एक झटके में ही रुक गया ...उन्होने मुझे बड़े प्यार से अलग किया ..अपनी आँचल से अपना चेहरा और आँखें पोन्छि ....और मुझे कहा

" अले ..अले ..मेला बच्चा अभी तक भूखा है ...उफ़फ्फ़ मैं भी कितनी पागल हूँ ..किशू यहीं बैठ ..मैं 5 मिनिट में तुम्हारा नाश्ता लाती हूँ ...."

इतना कहते हुए वो रसोई की तरफ भागती हुई चली गयीं ..कमरे में मामी और मैं रह गये ....

मैने मामी से पूछा "मामी ..दीदी शादी की बात से क्यूँ रो रही थी..??? शादी की बात से तो सब खुश होते हैं ना..??"

मामी ने झल्लाते हुए कहा " किशू बेटा ..अब मैं क्या जानूं इस पागल के दिमाग़ में क्या है ...... तू ही पूछ ले उस से ...तुम दोनों भाई बहेन की बात तुम ही जानो ......"

और बड़बड़ाती हुई वो भी कमरे से बाहर चली गयीं .

"ठीक है " मैने सोचा " आने दो उनको उन से ही पूछता हूँ.."

और मैं दरवाज़े की तरफ टकटकी लगाए पायल दीदी का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहा था .......

अब तक दीदी के रोने धोने के मारे मैं अपनी भूख-प्यास भूल चूका था .... वरना स्कूल से घर आते ही मुझे जोरों की भूख लगती थी , जो स्वाभाविक है... और दीदी भी हमेशा तैय्यार रहती थी मेरे पेट की भूख शांत करने को .

मैं हाथ मुँह धो कर आता ..दीदी थाली भर नाश्ता ले आतीं और मैं उनकी गोद में उनके हाथों से नाश्ता करता ..खूब बातें करता .... अपने स्कूल की , उनकी पढ़ी किसी नयी कहानी की ....या फिर फिल्म-मॅगज़ीन से किसी आक्टर आक्ट्रेस की गॉसिप ...मीना कुमारी और मधुबाला उनकी फॅवुरेट थीं ..उन दोनों की एक एक बात उन्हें मालूम रहती ... बड़े मज़े ले ले कर पायल दीदी मुझे उनके नये फिल्मों के बारे बताती ...

उस दिन पहली बार इस रुटीन में रुकावट आई ....

पर अब जब मामला शांत था ..मेरी भूख फिर से जाग उठी .... मैने दरवाजे की तरफ देखा ..दीदी एक हाथ से थाली और दूसरे हाथ से पानी का ग्लास थामे चली आ रही थीं ...

मैने उन की ओर देखा ..पता नहीं क्यों मुझे उस दिन वो कुछ बदली बदली सी नज़र आईं... उनकी चाल में वो पहले वाली अल्हाड़पन, शोखी , मस्ती नहीं थी ..बड़े नपे तुले कदम थे ... और चेहरा भी काफ़ी सीरीयस था ... मुझे समझ नहीं आ रहा था एक ही दिन में ऐसा क्या हो गया ..?? शादी की बात से ऐसा क्या हो गया दीदी को..?? क्या शादी इतनी बूरी चीज़ होती है ...पर बाकी सभी लड़कियाँ तो कितनी खुश होती हैं .....

क्रमशः..............................................

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Re: महँगी चूत सस्ता पानी

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Mahangi chut sasta pani--1

Aaj ke is net aur , mobile ki duniya mein vo din lad gaye jab log choot dekh pani pani ho jaya karte the ... ab to choot ke pani se hi din charya shooroo hoti hai aur raat ki ranginiyan bhi isi ke paani se khatam ..ha ha ha ha !! Kya paani hai ... is ka koi saani nahin ...

Haan dosto aaj sahi mein choot sasti hai aur mehnga hai paani ... aaiye mere is naye thread mein isi paani ka bharpoor anand lijiye ,,kuch namkin , kuch lis lisa ..kuch khatta to kuch mitha ..ufffff kya swad hai choot ki pani ka .. bas choot risti rahe aur our aap munh khole ise pite rahein ...gatakte rahein ..chooste rahein ...choot uchalti rahe aur aap use thame chat te rahein , is kudrat ke anmol ras ka paan karte rahein ..

Haan to chalein is rangin , lis lise , namkin aur swadisht choot ke safar mein... ye safar mere apne sansmaran hain ..meri kahani .... meri jubani ... kaise kiya maine chooton ko pani pani ..ha ha ha!!

Main KIshore ..log mujhe Kish ke naam se jante hain ...ha ha ha...haan ye Kiss ke bahut karib hai..shayad isliye mujhe auratein kiss-expert samajhti hain .......

Ye kahani shooroo hoti hai jab main sirf 18 saal ka tha .... aur meri cousin (Mere Mama ki beti) 32 saal ki ....tin bachon ki maan ,,bharpoor choochiyan..uchalte nitamb ...bhare honth ....chikane sapat aur mansal gore pet ki swaamini ..jab vo chalti ..mere pant ke andar khalbali mach jati ....

Kahani choot aur uske nashile aur lis liise paani ka hai ....aur choot se pani yun hi nahin nikalta ..choot ko sehla ke , chat ke , jibh phira ke , ungliyon se masal ke use is awastha mein lana padta hai..aur agar thode shabdon mein kahein to prishthbhoomi taiyyar karni padti hai ...

Meri cousin Payal ki choot se bhi pani nikle aur lagatar nikle iski bhi pristhbhoomi taiyyar karni padegi na ..to chaliye chalte hain kuch saal pehle aur dekhte hain hamari taiyyari ...

Main ek bahut hi sushil , sidha sada apne maan baap ka ladla eklauti santaan tha . bade lad pyaar aur sneh se mujhe rakha jata ..kisi bhi chiz ki koi kami nahin hoti ....aur Payal mere Mama ki ik lauti santaan .....badi natkhat , shararti aur sare ghar ko apne sar par uthane wali ....

Mere Mama bhi hamare saath hi rehte ... unki naukri bhi hamare hi shaher mein thi..aur hamara ghar kaphi bada ... Maan ne zid kar Mama ko bhi apne saath rehne ko majboor kar diya ...

Payal Didi bhale hi shararti aur natkhat ho ..par mere saath bade sneh aur pyaar se rehti ...hamari umra mein bhi kaphi antar tha ...vo mujhe Kishu bulati ...

Mujhe apne hathon se khilati ...mere school ka basta taiyyar karti ... mujhe meri padhai mein madad karti ...

Hum donon ka ek doosre ke bina rehna mushkil ho jata ...main jab school se aata ..meri ankhein Payal Didi ko dhoondhati ...ghar ke charon or main unhein dhoondhta ....jab vo samne dikhtin ...mere sans mein sans aata ...main sidha unki god mein baith jata ..vo pyyar se mere bal sehlatin ..mere din bhar ki thakan unke sparsh se hi gayab ho jati ... main khil uthta ....

Un dinon Payal Didi 20-22 saal ki ek almast , duniya se bekhabar, jawani ke nashe mein jhoomti lehrati rehti.... aur mere Mama unki shadi ki chinta me doobe rehte .....

High School ki padhai ke baad vo ghar mein hi rehti ... ghar ke kam kaaz mein haath batana to door ...apne mein hi khoyi rehti ...kahaniyan padhti , filmi magazines padhti ( jinhein main apni kitabon ke baste mein choopa kar lata ..aur usi tareh Didi ke padhne ke baad dookanwale ko wapas kar deta ) ...
Mama ..Mami ki daant ka un par koi asar nahin hota...

" Are kuch to sharm kar ...kal ko teri shadi hogi ...Sasural mein hamari nak katayegi ye ladki .."
Mami ke is takiyakalam shabdon ko Payal Didi ansoona kar deti ...mujhe apne hathon se apne bagal chipkate hue bolti
"Kishu...teri padhai ho gayi....? "
"Haan Didi.."
"To phir chal Ludo khelte hain .."

Mere liye unke ye shabd jadu ka kaam karte..main phataphat apne kamre mein apne bistar pe Ludo ka board bicha deta ...hum donon aamne saamne baith jate ..itne pas ki Didi ki garm sansein mere chehre ko chootin ....ismein sneh ki garmi , nischaal pyar ka sparsh aur unki madmast jawani ka jhonka bhi shamil rehta ..mujhe bahut bhaata ...

Un dinon TV nahin tha ..Radio ka prachalan tha ....mere alawa Payal didi ka ye doosra chaheta tha ..us samay ke filmon ka ek-ek gana unki juban pe hota ....hamesha gungunati rehti apni surili aur mithi awaaz mein ...

Din gujarte gaye aur main Payal Didi ke sneh aur pyaar ke bandhan mein jakadta gaya...hum donon ke liye ek doosre ke liye ek atoot akarshan , bandhan , pyaar aur sneh panapta gaya .....

Aur phir ek din jab main school se wapas aaya ,,Didi ne mere liye darwaza nahin khola ... darwaza udhka tha ..mere dhakka dete hi khool gaya..par Didi ke bajaiy andar sannate ne mera swagat kiya.. Didi ki pyaar bhari bahon ki jageh ek ghanghor chuppi ne mujhe jakad liya .... main tadap utha ..Didi kahan gayin..??

Main unke kamre ki taraph badha .... andar jhanka ..Didi apne palang par leti thin .....main aur nazdik gaya ..

Main betahasha unki or badha .... Payal Didi pet ke bal leti , sar takiye par rakhe subak subak kar ro rahin thi ...unka chehra meri or tha ..unke gulabi gal aansuon se sarabor the ...takiya gila tha ... aakhir kya baat ho gayi ..?? Kya hua aaj din bhar mein ..??? Jis chehre pa hamesha khilkhilahat aur muskan chaayi rehti ..aaj aansuon se sarabor hai ..aakhir kyon..??? Kisi ne kuch kaha ...?? Mere man mein halchal machi thi ...

Main unke bagal baith gaya aur poocha " Didi kya hua ..aap ro kyoon rahi hain ..?? "
Meri aawaaz bhi ruansi thi ...

Didi ne meri taraf chehra kiya aur uth kar baith gayin , mujhe apni chaati se lagaya ..mujhe bhinch liya aur phir aur subak subak kar rone lagin ...

Main hairan pareshan tha , par unki chaati ki garmi aur stanon ki narmi se bada achha bhi laga ...main ek bahut hi alag anubhuti mein dooba tha ...unke saath chipke rehne ka anand , par unke rone se pareshan ... do bilkul alag anubhav the ...mujhe samajh nahin aa raha tha main kya karoon ..Didi ko choop karaoon ya phir unki chaati se chipke is jannat mein khoya rahoon ... Payal Didi ke sharir ki sugandh ..unke aansoo aur pasine ki mili juli namkin khooshboo , mera munh unki chhati se is tareh chipka tha ke meri nak unki armpit ki taraph tha ..ufff wahan se bhi ek ajib madak si khooshboo aa rahi thi ....voi pasine ki ...main ek ajib hi stithi mein tha ..kya karoon kya na karoon ...Payal Didi aap rote hue bhi mujhe itna sookh de sakti hain....Didi Didi ........mera rom rom unke liye tadap raha tha ..unhein kaise shant karoon ..main kya karoon ......

Meri is udhedboon ka hal,bhi aakhir Didi ne hi nikala ... unhone mujhe apni chaati se alag kiya ..mere chehre ko apne narm hatheliyon se tham liya aur mujhe betahasha choom ne lagin ... mere galon par apne mulayam honthon se chumbanon ki varsha kar di .... ye bhi mere liye ek naya hi anubhav tha ..... Payal Didi mujhe choome ja rahin thi par unka rona ab hichkiyon mein tabdil ho gaya tha ... aur bich bich mein mujh se poochati

" Kishu ..Kishu .....main tumhare bina kaise rahoongi ..?? "

Main phir pareshani mein aa gaya ..aakhir inhein mere bina rehne ki kya jaroorat aa padi ..?? Mere chote se mashtishk mein hazaron sawal the ..jinka jawaaab mujhe mil nahin raha tha ..aur main uljhanon mein doobta jata ..par Didi ke pyaar aur nikat ta se shookoon bhi mil raha tha ....

Aur tabhi mujhe apne saare sawalon ka jawab mil gaya ....

Meri Maami ne kamre mein kadam rakha aur Bhai Behen ka pyaar , khas kar Didi ka rona dekh vo bol uthin ..

"Wah re wah Payal Rani..abhi teri sirf shadi ki baat pakki hui hai aur itna rona dhona ..are jab teri Vidai hogi tu kya karegi ....bas bas bahut ho gaya ..ab choop bhi kar ..Dekh bechara Kishu school se kab ka aa chooka hai ...uth aur use kuch khila ,,bechara kab ka bhookha hai..tumhare rone se itna pareshan hai....."

Hmmmmmm to ye baat thi Payal Didi ke rone ke piche..unki shadi .... par is baat ne mujhe aur uljhan mein dal diya ... jitna mujhe maloom tha ...jitna meri choti si masoom jindagi ne mujhe bataya tha ...shadi ki baat se saari ladkiyan khushi se jhoom uthti hain .... par yahan to bilkul hi alag mazra tha ....khushi se jhumna to alag Didi dukh aur dard ka rona le baithi thin....

Maami ki baaton ne jadu ka asar kiya .. mere bhookhe rehne ki baat se unka rona dhona ek jhatke mein hi rook gaya ...unhone mujhe bade pyaar se alag kiya ..apni anchal se apna chehra aur ankhein ponchi ....aur mujhe kaha

" Ale ..ale ..mela bachha abhi tak bhookha hai ...ufff main bhi kitni pagal hoon ..Kishu yahin baith ..main 5 minute mein tumhara nashta lati hoon ...."

Itna kehte hue vo rasoi ki taraf bhagti hui chali gayin ..kamre mein Mami aur main reh gaye ....

Maine Mami se poocha "Mami ..Didi shadi ki baat se kyoon ro rahi thi..??? Shadi ki baat se to sab khush hote hain na..??"

Mami ne jhallate hue kaha " Kishu Beta ..ab main kya janoon is pagal ke dimag mein kya hai ...... tu hi pooch le us se ...tum donon Bhai Behen ki baat tum hi jano ......"

Aur badbadati hui vo bhi kamre se bahar chali gayin .

"Thik hai " maine socha " Aane do unko un se hi poochta hoon.."

Aur main darwaaze ki taraf taktaki lagaye Payal Didi ka besabri se intezaar kar raha tha .......

Ab tak Didi ke rone dhone ke maare main apni bhookh-pyaas bhool chooka tha .... warna school se ghar aate hi mujhe joron ki bhookh lagti thi , jo swabhawik hai... aur Didi bhi hamesha taiyyar rehti thin mere pet ki bhookh shant karne ko .
Main hath munh dho kar aata ..Didi thali bhar nashta le aatin aur main unke god mein unke hathon se nashta karta ..khoob batein karta .... apne school ki , unke padhe kisi naye kahani ki ....yah fir film-magazine se kisi actor actress ki gossip ...Mina Kumari aur Mdhubala unki favourite thin ..un donon ki ek ek baat unhein maloom rehti ... bade maje le le kar Payal Didi mujhe unke naye filmon ke baare batati ...

Us din pehli baar is routine mein rukawat aayi ....

Par ab jab mamla shant tha ..meri bhookh phir se jaag uthi .... maine darwaje ki taraf dekha ..Didi ek haath se thali aur doosre hath se pani ka glass thame chali aa rahi thin ...

Maine un ki or dekha ..pata nahin kyon mujhe us din vo kuch badli badli si nazar aayin... unki chal mein vo pehlewali alhadpan, shokhi , masti nahin thi ..bade nape tule kadam the ... aur chehra bhi kafi serious tha ... mujhe samajh nahin aa raha tha ek hi din mein aisa kya ho gaya ..?? Shadi ki baat se aisa kya ho gaya Didi ko..?? Kya shadi itni boori chiz hoti hai ...par baki sabhi ladkiyan to kitni khush hoti hain .....
kramashah……………………………….

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Re: महँगी चूत सस्ता पानी

Post by rajaarkey »

महँगी चूत सस्ता पानी--2

गतान्क से आगे…………………………….

मैं इन सब बातों में खोया था ....तब तक वो मेरे बगल में बैठ गयीं ,,थाली और ग्लास फर्श पे रख दिया और अपने हाथों से एक कौर मेरी ओर बढ़ाया ..मैने मुँह नहीं खोला ... आस्चर्य से दीदी ने अपनी बड़ी बड़ी आँखों को और बड़ी करती हुई मेरी ओर देखा ...

" क्या बात है किशू ..? आज खाएगा नहीं क्या ..अभी तक तो तुझे जोरों की भूख लगी थी ... मुझ से नाराज़ है ..??? " उन्होने मेरे चेहरे को उपर उठाते हुए कहा ...

" नहीं दीदी ..मैं भला आप से क्यूँ नाराज़ होऊँगा ..? पर आप कुछ भूल रहीं हैं ..क्या आज तक मैने आप से अलग बैठ कर खाया है..????"

ये सुनते ही उनकी आँखों से फिर से आँसुओं की बड़ी बड़ी बूंदे टपकने लगी .....

उन्होने झट अपनी जांघों पर मुझे खींच कर बिठा लिया .....

बड़ी मुश्किल से फिर अपने आप को रोने से रोकते हुए उन्होने कहा " देख ना किशू आज मुझे ये क्या हो गया है ,,इतनी सी बात भी मैं भूल रही हूँ .."

इतनी देर तक एक तनाव भरे वातावरण के बाद दीदी की गोद में आते ही मुझे बड़ा शूकून मिला ... सारा तनाव एक पल में मिट गया ..

"हां दीदी ..शायद आप शादी की बात से काफ़ी परेशान हैं .... एक बात पूछूँ ..??"

" हां ..हां पूछ ना किशू ... "

" दीदी ....शादी की बात से तो मैने किसी को भी इतना दुखी होते नहीं देखा ..जितना आप दिख रही हो.....आख़िर क्या बात है ..प्लज़्ज़्ज़ बताओ ना ..?? क्या आप खुश नहीं ..???"

उन्होने अपने आँचल से फिर से अपने चेहरे और आँखों को पोन्छा ....और अपने चेहरे पे मुस्कान लाने की कोशिश करते हुए एक बड़ा नीवाला अपने लंबी लंबी सुडौल उंगलियों के बीच थामते हुए मेरी ओर बढ़ाया और कहा

" ले ..पहले खाना शुरू कर फिर बताती हूँ "

मैने भी मुँह खोलते हुए पुर का पूरा कौर अंदर ले लिया ..दीदी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा

" अरे नहीं किशू ..ऐसी बात नहीं .... पर शादी की खुशी से ज़्यादा मुझे तुम से बिछड़ने का गम है .... देखो ना सिर्फ़ एक दिन तुम्हें नाश्ता कराने में देर हो गयी ..तुम्हें कितना बूरा लगा ..और जब मैं नहीं रहूंगी ..फिर क्या होगा ..??? और क्या तू भी मेरे बिना रह पाएगा ..??? "

इस आखरी सवाल से मैं एक दम सकते में आ गया ....मुझे झकझोर सा दिया दीदी के इस सवाल ने ...

मुझे अब आहेसस हुआ पायल दीदी शादी की बाद मेरी बहन से ज़्यादा किसी और की बीबी हो जाएँगी ... किसी और की पत्नी ..उनपे मेरा हक़ नहीं के बराबर होगा ..और उसी पल उन्हें देखने का मेरा नज़रिया ही बदल गया . वो मेरे सामने एक औरत थीं अब ..बहन नहीं ...

मैं अब पायल दीदी की गोद में नहीं बलके एक खूबसूरत , जवान औरत की गोद में बैठा था ...

मेरे सारे बदन में एक झूरजूरी सी हो उठी ....मेरी समझ में नहीं आया ये क्या हो रहा था ... मेरे दिमाग़ में फिर से सवाल खड़े हो उठे ...ये क्या है ..???

पायल दीदी की गोद में मैं हर रोज़ बैठ ता हूँ ..पर ऐसा तो कभी महसूस नहीं हुआ ....फिर आज क्यूँ ..?? इन्ही सब सोच में खोया था

"अरे किस सोच में डूब गये ....लो और लो ..मुँह खोलो ना किशू .."

दीदी की आवाज़ से मैं वापस आया ... किसी तरह नाश्ता किया.... .और मुँह हाथ धो कर बाहर निकल गया दोस्तों के साथ खेलने ......

दीदी के रोने का कुछ कुछ मतलब शायद मुझे समझ आ रहा था ..शायद दीदी के मन में कुछ ऐसी ही भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा होगा ...

जब मैं वापस आया ..तो मेरे कानों में दीदी की सुरीली आवाज़ आई.... किसी फिल्मी गीत के बोल थे ..उनके चेहरे पे मुस्कुराहट थी ...खुशी थी ....

मुझे देखते ही उन्होने कहा "देख किशू आज पढ़ाई के बाद तू एक दम से सो मत जाना ..हम लोग आज ढेर सारी बातें करेंगे ..ठीक है ना ..???

" हां दीदी .... बिल्कुल सही कहा आप ने .... "

उन्होने मुझे फिर से अपनी छाती से चिपका लिया ..." ओओह किशू ...किशू ... तू कितना भोला है रे ...."
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Re: महँगी चूत सस्ता पानी

Post by rajaarkey »

मैं समझ नहीं पा रहा था ..एक ही दिन में उन्होने मुझे दो बार सीने से लगाया और हर बार उनका तरीका कितना अलग था .....

"किस उधेड़बून में खो जाता है रे तू..?? चल आज रात को तेरी सारी उलझनें दूर कर दूँगी ...अब जा तू नहा धो और पढ़ाई कर .."

मैं दीदी के साथ रात होनेवाली बातों की कल्पना में खोया अपने रूम के अंदर चला गया.....

मैं कमरे में आने के बाद नाहया , फ्रेश हुआ , कुछ हल्का महसूस किया ..पर मन अभी भी बेचैन सा था ..पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था ...मैने किताब खोली ..पर दिमाग़ में अभी भी दीदी के आज के दो रूप मेरे मश्तिस्क पटल पर बार बार आते जाते ..जैसे किसी फिल्म की सीन बार बार दोहराई जा रही हो..

एक तो उनका वो रोना और मुझे अपने सीने से लगाना.... इस तरह जैसे वो मुझ से अलग नहीं होना चाहती ..मुझे अपने बाहों में भर मुझे हमेशा के लिए अपने साथ कर लेना चाहती हों .ज़रा भी दूर नहीं होने देना चाहती हों .. मुझ से अलग होने का दर्द और तड़प भरा था उस आलिंगन में .

.और दूसरी बार सुरीली धुन गुनगुनाते हुए मुझे अपनी छाती से चिपकाना ..इसमें कितना आनंद था ...मेरे साथ का आनंद .. मेरे साथ का सुख ..मुझे भी कितना अछा लगा ... पर इस दूसरी बार मुझे कुछ और भी महसूस हुआ ..उनके भरे भरे गोलाकार मुलायम स्तनों का दबाब मेरे सीने पर ... इसके पहले आज तक मेरा ध्यान इस तरह के आनंद पर कभी नहीं गायक़ था ..उस दिन क्यूँ ..?? ये महसूस अभी भी मेरे सीने पर था .. मुलायम स्तनों का दबाब , याद करते मेरे पॅंट के अंदर हलचल सी महसूस हुई ...कुछ कडपन महसूस हुआ ..नीचे झाँका तो देखा मेरा पॅंट उभरा हुआ है ...

मैने सामने के बटन खोले ....मेरा लंड खड़ा था ...

हे भगवान ये क्या हो रहा है ... मैने अपने हाथ से उसे शांत करने को थामा और सहलाया ... पर ये तो और भी कड़क हो गया और मुझे अच्छा लगा ... मैं उसे ऐसे ही थामे रहा ..एक दो बार उत्सुकतावश उसकी चॅम्डी उपर नीचे की ..और भी अच्छा महसूस हुआ ...मेरे पूरे शरीर में सिहरन हो उठी ...( मैने अपने स्कूल में कुछ लड़कों को ये बात करते सूना था के चॅम्डी उपर नीचे करने से बड़ा मज़ा आता है ) ..मैने इसे आज़माना चाहा ...

मैने चॅम्डी उपर नीचे करना जारी रखा ..एक असीम आनंद में मैं डूबा था ..दीदी का चेहरा और भरे स्तनों का मेरे सीने पर दबाब याद करते मैं लगातार चॅम्डी उपर नीचे कर रहा था , अचानक मेरा लंड काफ़ी कड़ा हो गया और फिर मुझे ऐसा लगा मानो पूरे शरीर से कुछ वहाँ मेरे लंड के अंदर आ रहा है , कुछ जमा हो रहा है ..मेरे चॅम्डी उपर नीचे करने की गति अपने आप तेज़ हो गयी ..तेज़ और तेज़ और तेज़ और उस के बाद पेशाब वाले छेद से एक दम से गाढ़ा सफेद पानी जैसा पिचकारी छूटने लगा ...मेरा शरीर कांप रहा था ...लंड झटके खा रहा था और थोड़ी देर बाद वो शांत हो कर सिकूड गया ..मुझे काफ़ी राहत महसूस हुआ ..

उस दिन मैने जिंदगी में पहली बार मूठ मारी .

मैं हैरान था अपने में इस बदलाओ को देख ..पायल दीदी के बारे ऐसी सोच ...क्या हो गया है मुझे..??? अगर उनको मालूम हुआ , वो क्या सोचेंगी ..??

मैं आँखें बंद किए कुर्सी पर सर पीछे किए हाँफ रहा था ...

थोड़ी देर बाद मैं नॉर्मल हुआ ..कुर्सी से .उठा अपने रूमाल से लंड को पोन्छा और फर्श पर जो सफेद गाढ़ा पानी गिरा था ..उसे भी सॉफ किया ... मुझे अब तक उस पानी का नाम तक नहीं मालूम था ....

तभी दीदी की आवाज़ आई ...." किशू पढ़ाई ख़त्म हो गयी ..???" और वो अंदर आ गयीं .

मैं अपनी किस्मेत सराह रहा था ..अगर थोड़ी देर पहले आतीं तो मेरी क्या हालत होती..??

"हां दीदी स्कूल की पढ़ाई तो ख़त्म हो गयी .पर अभी आप से बहुत कुछ पढ़ना बाकी है.."

"मुझ से पढ़ाई ....क्या मतलब ..???'

" अरे कुछ नहीं दीदी ..आप ने ही कहा था ना आप मेरी सारी उलझनें दूर करनेवाली हो ..??"

"ओह ..हां ..चल पहले खाना खा लो ..फिर बातें करते हैं .."

उस वक़्त उनके बोलने का लहज़ा बिल्कुल नॉर्मल था.... फिर वोई हँसी..खीखिलाहट और मस्ती ..मैं एक तक उन्हें देख रहा था ...

उफफफफफ्फ़..कितनी अछी लग रहीं थी ..पर उस वक़्त मुझे दीदी कुछ और भी लग रही थी....

"अरे ऐसे टकटकी लगाए क्या देख रहा है ... पहले कभी देखा नहीं है क्या .."

मैने मन ही मन में कहा " देखा तो है पर इस नज़र से नहीं .."

पर दीदी से कहा " नहीं दीदी ..अभी आपकी रोनेवाली सूरत नहीं है ना ... इसलिए आप हँसती हुई कितनी अच्छी लग रहीं हैं.."

दीदी थोड़ी देर मुझे देखती रहीं ...मेरे कंधे पे हाथ रखा .." अब नहीं रोउंगी ..कभी नहीं ... चल अब खाना खा ले " इतना कहते कहते उन्होने मुझे मेरे कंधों से जाकड़ लिया और साथ साथ किचन की तरफ हम जाने लगे ...
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