कमसिन कलियाँ--26
गतान्क से आगे..........
(राजेश अपनी जुबान से ऐंठी हुई घुन्डी के उपर घिसाव आरंभ करता है। लीना इस वार से हतप्रभ रह जाती है। नादान टीना और करीना के मुखों के सुख से कहीं ज्यादा एक खेले खाये मर्द की लपलपाती हुई जुबान का सुख लीना को पागल कर देता है। राजेश अपने होठों से लीना की योनि को अपने कब्जे में ले कर बार-बार अपनी जुबान को योनिच्छेद के भीतर डालने का प्रयास करता है।)
राजेश: बेटा… (उधर राजेश के हिलने से लिंगदेव भँवरें की भाँति बार-बार लीना के चेहरे और होंठों पर चोट मारते है। लीना अपना चेहरा बचाने की कोशिश में राजेश के लंड को अपने हाथ में ले लेती है। नरम हाथ का स्पर्श पा कर लिंगदेव एक जिवित गर्म लोहे की सलाख में तब्दील हो जाते है।)
लीना: …आह....पापा
(राजेश की जुबान योनि की गहराई और लम्बाई नापने की कोशिश मे वार पर वार कर रही थी और लीना के हाथ में कैद लिंगदेव ने भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह उघाड़ दिया है। क्षण भर रुक कर, राजेश दो तरफा वार शुरु करता है। एक तरफ जुबान का वार योनिच्छेद पर, दूसरी ओर लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर करीना के होंठों को खोलने पर आमादा हो रहा है। ऐसे दो तरफा वार लीना के लिए एक नया अनुभव है जिसको लीना बरदाश्त नहीं कर पायी और झटके खाते हुए झरझरा कर बहने लगी। असीम आनंद को महसूस करते हुए लीना के होंठ खुल गये। राजेश इसी क्षण की आस में बैठा था, जैसे ही होंठों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हल्का सा जोर लगाते हुए लिंगदेव के सिर से लीना के मुख को सीलबन्द कर दिया।)
लीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.न्ई…आह.....
(साँस घुटती हुई लगी तो लीना को मुख पूरा खोलना पड़ गया, राजेश ने थोड़ा सा और भीतर सरका दिया। बेबस लीना जितना राजेश को उपर से हटाने की कोशिश करती, राजेश अपने लंड पर दबाव बढ़ा कर उसे और अन्दर खिसका देता। राजेश का लंड सरकते हुए अपनी जगह बनाते हुए लीना के गले में जा कर बैठ गया। राजेश ने पूरा लंड धँसा कर बाहर निकाल लिया क्योंकि अब वह भी ज्यादा देर ज्वालामुखी को फटने से रोक नहीं सकता था।) राजेश ने सीधे हो कर लीना को अपने आगोश में ले कर बेड पर लेट गया।)
राजेश: (धीरे से कन्धा हिलाते हुए) लीना…लीना…
लीना: (शर्माती हुई) हुं…
राजेश: तुम्हें यह कैसा लगा?
लीना: पापा… बहुत बड़ा है (अपना गाल सहलाते हुए और मुँह खोल कर बन्द करते हुए)…
राजेश: बेटा तुम्हें इसकी आदत नहीं है…(बात करते हुए अपने अन्दर उफनते हुए लावा को शान्त करते हुए)…आज के बाद तो तुम्हें इसको रोज ही अपने मुख से नहलाना पड़ेगा…आखिर पत्नी धर्म की लाज तो रखनी है।
लीना: प्लीज, पापा यह नहीं…
राजेश: बेटा अभी तो तुम्हें मेरी पूरी तरह से पत्नी बनना है… (कहते हुए राजेश एक बार फिर से लीना के उपर छा जाता है।)
(राजेश अपने तन्नायें हुए हथियार को मुठ्ठी में लेकर धीरे से एक-दो बार हिलाता है और फिर लीना के योनिमुख पर टिका देता है। लोहे सी गर्म राड का एहसास होते ही लीना के मुख से एक सिसकारी निकल जाती है। राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपने फनफनाते हुए अजगर से रगड़ता है और फिर धीरे-धीरे रगड़ाई की लम्बाई बढ़ाता है)
लीना: …आह... …आह..... …आह..... (आँखें मूदें एक गर्म सलाख को सिर उठाती घुन्डी के सिर पर बढ़ते हुए दबाव और योनिच्छेद से उठती हुई तरंगों को महसूस करती हुई एक सिस्कारी भरती है)
(राजेश अपनी जुबान से करीना के होंठों को खोल कर उसके गले की गहराई नापता है। ऐठीं हुई घुन्डी के उपर लिंगदेव का घिसाव अन्दर तक लीना को विचलित कर देता है। बेबस लीना इस नये वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश तन्नाये हुए लिंगदेव को योनिच्छेद के अन्दर डालने का प्रयास करता है। उधर उत्तेजना में तड़पती लीना के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है। गीली होने की वजह से अकड़ी हुई घुन्डी और भी ज्यादा संवेदनशील हो चुकी थी और राजेश का लंड सतह पर आराम से फिसलने लगता है।)
लीना: आह.....
(राजेश अपने लंड का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों की गिरफ्त में लीना के होंठों को ले लेता है। एक हाथ से कभी उन्नत उरोजों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे निपल को फँसा कर तरेड़ता, कभी एक कलश को अपनी हथेली मे छुपा लेता और कभी दूसरी को जोर से मसक देता। लीना भी एक बार फिर से असीम आनंद में लिप्त होती जा रही हैं।)
राजेश: (लीना के होंठ को चूसते हुए) लीना… अब द्वार खोलने का टाइम आ गया है… रेडी
(राजेश प्यार से अपने तन्नायें हुए लंड को योनिच्छेद के मुख पर लगा कर ठेलता है। संकरी और गीली जगह होने की वजह से फुला हुआ कुकुरमुत्तेनुमा सिर फिसल कर जगह बनाते हुए भीतर घुस जाता है।)
लीना: …उ.उई.माँ..…पा.…पा…उफ.उ.उन्हई…आह.....
(राजेश कुछ देर अपना लंड अटका कर लीना के कमसिन उरोजों के साथ खेलता है ताकि योनिच्छेद इस नये प्राणी की आदि हो जाए। धीरे-धीरे आगे पीछे होते हुए सिर का घिसाव अन्दर तक लीना को विचलित कर देता है। इधर योनिच्छेद मे फँसा हुआ लंड अपने सिर की जगह बन जाने के बाद और अन्दर जाने मे प्रयासरत हो जाता है। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती हुई लीना के होंठों को राजेश अपने होंठों से सीलबंद कर देता है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लंड लीना के प्रेम रस से सरोबर सारे संकरेपन और रुकावट को खोलता हुआ जड़ तक जा कर फँस जाता है। लीना की आँखें खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी।)
लीना: उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररउक.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह.
राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) शश…शशश्…लीना…ली…ना
लीना: पापा…निका…उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररगय…यईई…निक्…उफ..लि…ए…आह..ह..ह.
राजेश: लीना…बस अब सारा दर्द खत्म…।
(लीना की चूत भी राजेश के लंड को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ कर दोहना आरंभ करती। क्षण भर रुक कर, राजेश ने लीना के सुडौल नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है। एक तरफ लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर लीना की बच्चेदानी के मुहाने पर चोट मार कर खोलने पर आमादा है और फिर वापिस आते हुआ कुकुरमुत्ते समान सिर छिली हुई जगह पर रगड़ मारते हुए बाहर की ओर आता हुआ लीना के पूरे शरीर में आग लगा देता है। लंड को गरदन तक निकाल कर एक बार फिर से राजेश अन्दर की ओर धक्का देता है। लीना की योनि भी अब इस प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गयी है।)
राजेश: (गति कम करते हुए) लीना अब दर्द तो नहीं हो रहा है…
लीना: हाँ …बहुत दर्द हो रहा है…
राजेश: (रोक कर)… ठीक है मै फिर निकाल देता हूँ… (और अपने को पीछे खींचता है)
लीना: (अपनी टाँगे राजेश की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेटते हुए) …न…हीं, पापा अभी नही…
(धक्कों की बाढ़ आते ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया और धीरे-धीरे वह अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। ज्वालामुखी फटने से पहले राजेश एक जबरदस्त आखिरी वार करता है और उसका लंड लीना की बच्चेदानी का मुख खोल कर गरदन तक जा कर अन्दर धँस जाता है। इस करारे वार की मीठी सी पीड़ा और रगड़ की जलन आग मे घी का काम करती है। लीना का शरीर धनुषाकार लेते हुए तनता हुआ बेड की सतह से उपर उठता है और एक झटके के साथ लीना की चूत झरझरा कर बहने लगती है। उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगे और एकाएक राजेश के लंड को गरदन से जकड़ कर लीना की चूत झटके लेते हुए दुहना शुरु कर देती है। इस एहसास से सारे बाँध तोड़ते हुए राजेश का लंड भी बिना रुके लावा उगलना शुरु कर देता है। लीना की चूत को प्रेमरस से लबालब भरने के बाद भी राजेश अपने लंड को अन्दर फँसाये रखता है। लीना को अपने नीचे दबाये राजेश एक और नई-नवेली संकरी चूत को खोलने का लुत्फ लेता है। लीना का शरीर रजेश के नीचे शिथिल पड़ा हुआ है।)
राजेश: (उपर से हटते हुए) लीना…लीना…
लीना: (कुछ क्षणों के बाद)….गअँ.न्ई…आह..... (होश मे आकर अपनी आँखें खोलती हुई) पापा…
राजेश: (लीना के सिर को सहारा दे कर उठाते हुए) क्या हुआ लीना… क्या आँखों के आगे अंधेरा छा गया था।
लीना: (पल्कें झपकाती हुई) हाँ कुछ ऐसा ही हुआ था… आपको कैसे पता चला…
राजेश: तुम अपने प्यार की सातवीं सीढ़ी पर पहुँच गयी थी… जब मेरा हथियार तुम्हारी सुरंग को भेद कर पूरी तरह से भर देता है तो वही स्तिथि को फाईनल सीड़ी या प्रेममिलन के सातवें आसमान पर पहुंचना कहते हैं। हर नारी कामक्रीड़ा मे लीन हो कर इस स्तिथि से गुजरना चाहती है पर कुछ ही नारियों अपने जीवन मे इस स्तिथि का बोध कर पाती है। तुमने तो अपनी सुहाग रात पर ही इस स्तिथि का स्वाद चख लिया।
लीना: (राजेश से लिपटते हुए) पापा…कल क्या होगा… आपको पुलिस पकड़ कर ले जायगी क्या…
राजेश: (अपने सीने से लगाते हुए) न बेटा… अगर हम पति-पत्नी है तो कोई ताकत हमें एक दूसरे से अलग नहीं कर सकती है… चलो अब सो जाओ……क्या टाइम हो गया है…ओफ्फो सुबह के चार बज रहे है…
लीना: पापा… मै आपसे बहुत प्यार करती हूँ
(राजेश ने आगे बढ़ कर लीना को अपने आगोश में ले कर बेतहाशा चूमना शुरु कर देता है। लीना भी राजेश का पूरा साथ देती है। कुछ देर एक दूसरे के साथ प्रेमालाप के बाद, राजेश लीना को अपने आगोश में भर कर सो जाता है…।)
(सुबह के ग्यारह बज रहे हैं। टीना अपने कमरे से अलसायी सी नीचे ड्राइंगरूम में आती है। सब कुछ शान्त देख कर राजेश के बेडरूम की ओर बढ़ती है। दरवाजा खुला हुआ पा कर धीरे से कमरे प्रवेश करती है। सामने बेड पर निर्वस्त्र अवस्था में राजेश और लीना एक दूसरे के साथ बेल की तरह लिपटे हुए गहरी नींद में सो रहे है। टीना दबे कदमों से बेड के सिरहाने खड़े हो कर रात के प्रेमालाप का जायजा लेती है।)
टीना: (लीना के कन्धे को हिलाती हुई) दीदी…दीदी… पापा…उठ जाओ… ग्यारह बज रहे है
(आवाज सुन कर राजेश चौंकते हुए उठता है… लीना नींद में कसमसाती हुई करवट लेती है।)
राजेश: (टीना को देख कर झेंपता हुआ) टीना… आज बहुत देर हो गयी
टीना: हाँ पापा… यह देखो दीदी को… दीदी…दीदी
लीना: (उनींदी आँखों से उठती हुई) क्यों परेशान कर रही है… (आँखे खोलती हुई)
टीना: आप दोनों कपड़े पहन लो… क्योंकि अब कोई भी आ सकता है…
(इतना सुनते ही दोनों को अपने निर्वस्त्र होने का एहसास होता है। दोनों झेंप जाते है और उठने का प्रयास करते है। लीना पास ही पड़ी साड़ी को अपने उपर ढक लेती है और राजेश के उपर बची हुई साड़ी डाल देती है)
लीना: टीना की बच्ची अब से हमारे कमरे में खटखटा करके आया कर… आखिर एक पति-पत्नी के कमरे में ऐसे ही नहीं चले आते… क्यों पापा
टीना: अच्छा जी… दीदी तुमसे पहले मैं पापा की आधी घरवाली हूँ…इन पर मेरा भी उतना हक है जितना तुम्हारा… क्यों पापा
राजेश: (बेड से उतर कर बाथरूम की ओर बढ़ता हुआ) हां बिलकुल… मै जा कर तैयार होता हूँ कभी भी वकील साहिब आ सकते है… (कहते हुए बाथरूम में घुस जाता है)
टीना: दीदी…कैसी रही सुहाग रात… अजगर को पूरा निगल गयीं या नहीं…
लीना: एक बार अजगर को जगह दी तो उसने तो मेरा कचूमर निकाल दिया… सच टीना यह रात तो मै जीवन भर नहीं भूल पाऊँगी… शायद मै अब पापा के बिना नहीं रह पाऊँगी…
टीना: मैनें कहा था न… कि एक बार सुहाग रात होने दो फिर तुम हम सबको भूल जाओगी…
लीना: हाँ…चल अब मुझे तैयार होने दे… और तू भी जा कर तैयार हो जा… फिर देखती हूँ कि क्या करना है…
टीना: दीदी…प्लीज रात की कहानी सुनाओ न…
लीना: अभी नहीं… (उठते हुए)
टीना: दीदी तुम बहुत सुन्दर हो… लगता है कि पापा ने तुम्हारे अंग-अंग को अपने प्यार से लाल कर दिया… (लीना के नग्न सीने और गरदन की ओर इशारा करते हुए)
लीना: चल हट… बेशर्म
(बात करते हुए दोनों बहनें अपने-अपने कमरे में चली जाती है। कुछ देर के बाद राजेश तैयार हो कर ड्राइंगरूम में आता है।)
राजेश: लीना… टीना… तैयार हो कर नीचे आ जाओ… मैं नाश्ता की तैयारी करता हूँ (कहते हुए रसोई की ओर बढ़ जाता है)
लीना: पापा… मै तैयार हो कर आपकी मदद करने के लिए आती हूँ…
(लीना तैयार हो कर अपने कमरे से निकल कर टीना को आवाज दे कर नीचे रसोई की तरफ़ जाती है।)
लीना: टीना…जल्दी से तैयार हो कर नीचे आ जाओ…
(राजेश नाश्ते की तैयारी में लगा हुआ है। पीछे कुछ आहट सुन कर मुड़ता है तो रसोई के अन्दर लीना घुसती हुई दिखती है। लीना के चेहरे पर संतुष्टि आभा और नई नवेली दुल्हन की चमक देख कर राजेश खुशी से फूला नहीं समाता है। टाइट वेस्ट और स्कर्ट लीना के जिस्म के उभार और कटावों को निखार कर दिखाते हुए राजेश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करती है। गले में पड़ा मंगलसूत्र लीना के हर कदम पर दोनों पहाड़ियों के बीच झूलता हुआ राजेश को गयी रात का एह्सास दिलाता है।)
लीना: पापा… मै कुछ मदद करूँ
राजेश: (लीना को अपनी बाहों मे भर कर) नहीं बस तुम यह सब मेज पर सजा दो…(कहते हुए लीना के होंठ चूम लेता है)… मेरा तो नाश्ता हो गया।
लीना: (शर्म से लाल होती हुई) पापा…
राजेश: (लीना के उभारों को सहलाते हुए) लीना तुम बहुत सुन्दर हो… (कहते हुए एक बार फिर से लीना के होंठों का रसपान करता है)
टीना: (अन्दर आ कर) पापा… मेरा नम्बर कब आएगा।
राजेश: (लीना को छोड़ कर) आजा…(टीना को अपनी बाँहों मे ले कर)…तेरा नम्बर आ गया (कहते हुए टीना के होंठों को चूम लेता है।)
लीना: पापा… चलिए नाश्ता लग गया है। अगर ऐसे ही नम्बर चलता रहा तो नाश्ता ठंडा हो जाएगा।
(तीनों हँसते हुए डाईनिंग टेबल पर करीने से लगे नाश्ते पर टूट पड़ते है। इधर-उधर की बातें करते हुए नाश्ता करते हैं। दरवाजे की घंटी बजती है। टीना हाथ में ब्रेड ले कर दरवाजा खोलने जाती है। गेट पर आभा को कुछ पुलिस वालों के साथ देख कर ठिठ्क जाती है और राजेश को पुकारती है)
टीना: पापा…पापा…
राजेश: कौन है…
टीना: आप बाहर आइए… (राजेश दरवाजे पर आता है)
राजेश: हाँ बताइए आप लोगों को क्या काम है…
आभा: इन्स्पेक्टर साहिब यही वह कमीना है जिसने मेरी भतीजियों को बंधक बना रखा है…।
राजेश: आभा… क्या बक रही हो…पागल हो गयी हो।
आभा: इन्स्पेक्टर आप इस आदमी को अभी अरेस्ट किजीए…
इन्स्पेक्टर: सर, इन्होंने हमारे पास कम्प्लेंट लिखाई है कि आपने इनकी नाबलिग भतीजियों को बहला फुसला कर अपने पास बंधक बना रखा है…हम इधर तफतीश के लिए आये है…
राजेश: देखिए इन्स्पेक्टर साहिब… आप लोग अन्दर आइए… बैठ कर भी हम बात कर सकते हैं…।
(सब लोग अन्दर आ जाते है और ड्राइंगरूम में बैठ जाते है।)
राजेश: देखिए…(लीना की ओर इशारा करते हुए) यह मेरी पत्नी लीना है और (टीना की ओर इशारा करता हुआ) यह मेरी छोटी साली टीना है… और जिसने शिकायत दर्ज कराई है वह मेरी बड़ी साली स्वर्णाभा है… इसको कई सालों से पागलपन का दौरा पड़ता जिस वजह से यह अपनी याददाश्त खो देती है। पता नहीं अबकी बार इसे क्या हुआ है…
आभा: (गुस्से से बिफरती हुई) यह कमीना झूठ बोल रहा है…
राजेश: तो ठीक है… यह कहती है कि मैनें जबरदस्ती इन दोनों को बंधक बना रखा है…आप इन्हीं से क्यों न पूछ लेते…
इन्स्पेक्टर: (लीना की ओर रुख करके) हाँ बेटा बताओ…
लीना: यह यह मेरे पति है… (गले में लटकते हुए मंगलसूत्र को दिखाते हुए)
टीना: यह मेरे जीजू है…
इन्स्पेक्टर: परन्तु अभी तो तुम इन्हें पापा कह रही थी…
टीना: हाँ… यह मेरे पापा से भी ज्यादा है क्योंकि यह मेरे पिताजी से भी ज्यादा मेरा ख्याल रखतें हैं… और यह जो खुद को मेरी मौसी बता रही है…कल यह एक गुंडे को लेकर आयी थी मेरी बड़ी बहन को अगवा करने के लिए…
इन्स्पेक्टर: बेटा आप लोगों की क्या उम्र है…
लीना: सत्रह साल
टीना: तेरह साल
इन्स्पेक्टर: सर… आप दोनों के विवाह का कोई गवाह या प्रमाण है?
राजेश: हाँ क्यों नहीं… हमारे विवाह की गवाही मिस्टर एलन और उनकी पत्नी मिसेज डौली या फिर आर्य समाज मन्दिर के पंडित शास्त्री दे सकते है… प्रमाण के लिए मै फोटो दिखा सकता हूँ और अगर आप चाहें तो हमारा मैरिज सर्टिफिकेट दिखा सकता हूँ…
आभा: यह बहुत बहुत झूठा आदमी है… यह हरामी मेरी बच्चियों की जिन्दगी बर्बाद कर देगा…
इन्स्पेक्टर: (थोड़ी कठोरता से) चुप… हम तफतीश कर रहें है न… अगर आप औरत न होती तो अब तक पुलिस के पास झूठी रिपोर्ट लिखाने के जुर्म में आपको बन्द कर दिया होता। जनाब क्या आप अपने विवाह के हमें प्रमाण दिखा सकते है?
राजेश: हाँ क्यों नहीं…(कहते हुए मेज पर रखी एलबम इन्स्पेक्टर को देता है)… जब तक आप इसे देखिए मै सर्टिफिकेट ले कर आता हूँ (कहते हुए अपने बेडरूम की ओर रुख करता है)
इन्स्पेक्टर: देखो बेटा आप लोगों को डरने की जरूरत नहीं है… अगर यह आदमी आपको जबरदस्ती अपने यहाँ रखे हुए है तो अब बता दो… यह आदमी तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगा।
लीना: अंकल… क्या कोई लड़की ऐसे ही किसी भी आदमी को अपना पति कह सकती है… यह मेरे पति है… मैं इनसे बहुत प्यार करती हूँ
टीना: अंकल अगर यहाँ कोई गलत है वह यह हमारी मौसी हैं… इन से पूछिए कि यह हमें कब से जानती है… इन को आज मिला कर हम सिर्फ तीन बार मिले है…
आभा: इन्स्पेक्टर साहिब… उस ने इन्हें मेरे खिलाफ बरगला दिया है…
लीना: अच्छा… तो यह बता दो कि अब तक हम तुम्हारे पास कहाँ रहते थे…
क्रमशः
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कमसिन कलियाँ--27
गतान्क से आगे..........
(राजेश कमरे में दाखिल होता हुआ)
राजेश: इन्स्पेक्टर साहिब यह रहा हमारा मैरिज सर्टिफिकेट…
इन्स्पेक्टर: (सर्टिफिकेट देखते हुए)… हाँ ठीक है (वापिस लौटाते हुए) अगर आपको एतराज न हो तो कृपया आप इसकी कापी दे सकते है… यह केस को फाइल करने में हमारी मदद करेगी… और अगर अपने गवाहों के नाम और पते भी दे दें…
राजेश: बिल्कुल… मै आपके थाने में यह दोनों चीजें कुछ देर में पहुंचा दूंगा…
इन्स्पेक्टर: सर… हम चलते है…(कहते हुए आभा को छोड़ कर सब उठ खड़े हुए) क्यों मैडम चलना नहीं है… चलिए
राजेश: रहने दिजीए… आखिर यह भी मेरी रिश्तेदार ठहरी… आपका बहुत थैंक्स (कहते हुए पुलिस पार्टी को गेट से विदा किया)
(आभा आँखें झुकाए चुपचाप सोफे पर बैठी हुई। लीना और टीना बहुत क्रोधित निगाहों से आभा को घूरती हुई।)
टीना: पापा… इन्हें क्यों रोक लिया…इनको हमारे घर से बाहर निकाल दो इसी वक्त…
राजेश: न बेटा, ऐसे नहीं बोलते। तुम भूल रही हो कि यह तुम्हारी मम्मी की छोटी बहन है… नहीं तुम्हारी बड़ी बहन है… क्या हमने आप को ऐसी शिक्षा दी है…
लीना: परन्तु पापा… कल देखा था इन्हें… फिर भी
राजेश: (आभा के नजदीक बैठ कर) बेटा तुम भूल रही हो कि इन्हीं के कहने पर मंगल ने तुम्हें कल छोड़ा था… अगर यह नहीं कहती तो वह तुम्हें कोई चोट भी लगा सकता था… आभा आज मैं तुम से अपना समझ कर कह रहा हूँ कि अब इस दुश्मनी को खत्म करो… क्या मुझे नीचा दिखाने के चलते तुम अपनों को नुक्सान पहुँचाओगी… लीना और टीना आखिर तुम्हारा अपना खून है…तुम्हारी भतीजी और तुम्हारी अपनी सगी बहनें है…
आभा: (धीरे से सिसकते हुए)… क्या यह मेरी किस्मत है कि पिताजी के लिए मै ही अपने को जलाऊँ…
राजेश: (आभा के सिर पर हाथ फेरते हुए) नहीं हम सब का फर्ज है परन्तु हम सब को सही और गलत का एहसास होना चाहिए… अगर कोई बात पिताजी की गलत है तो वह हमेशा गलत ही रहेगी… और गलत बात का साथ देने वाला भी गलत होता है… मुझे पूरा विश्वास है कि यह तुम्हारा असली रूप नहीं है… किसी कोने में तुम मुझसे आज भी उतना ही प्यार करती हो जितना तुम तनवी के रहते करती थीं… क्या तुम भूल गयी कि बचपन में तनवी को मेरे पास छोड़ने के लिए मेरी उँगली पकड़ कर आइस्क्रीम खाने की जिद्द करती थी और जब मै मना करता था तो तुम मुझसे रूठ जाती थीं। और फिर मै और तनवी तुम्हारे आगे-पीछे भागते थे कि तुम हमारे बारे मे अपने पिताजी से नहीं बताना… क्या उस वक्त भी तुम मुझसे इतनी नफरत र
आभा: (फफक कर रो पड़ती है) मै क्या करूँ… एक तरफ पिताजी और हमारी बर्बादी… दूसरी ओर तुम और फिर तुम्हारी वजह से तनवी दीदी की मौत… और फिर तुम्हारे कारण मुमु दीदी का हमसे मुँह फेरना… क्या करती…
राजेश: कुछ नहीं करती… जब मै तुम्हें लेने आया था तो मेरे साथ आ कर यहाँ रह कर देखती… अगर मै गलत होता तो मुझे सजा देती परन्तु अपने ही खून को उस जालिम मंगल के हवाले करने की सोचती भी नहीं…।
आभा: (राजेश के सीने से लग कर रोते हुए) हाँ तुम्हारे पास सब कुछ था परन्तु मेरे पास कुछ भी नहीं था जब मेरे पिताजी ने मुझे मंगल के हवाले कर दिया था… पहले पिताजी ने मेरा शोषण किया फिर मुझे उस कसाई के हाथ मे दे दिया था… तब तुम कहाँ थे…
(लीना और टीना अचरज से दोनों की बातें चुपचाप सुनती है। आभा की बातें सुन कर दोनों बहनों की आँखे नम हो गयीं।)
राजेश: तुम अब मंगल की चिन्ता छोड़ दो… वह अब कभी भी तुम्हें परेशान करने के योग्य नहीं रहेगा। कल रात को मैनें उसका इंतजाम कर दिया है… मुझे सिर्फ तुम्हारी चिन्ता थी क्योंकि मै तुम्हें कोई भी नुक्सान नहीं पहुँचा सकता था…
राजेश: क्या तुम दुबारा से मेरी सुन्दरी नहीं बन सकती… पीछे का सब भूल जाओ और अब हमारे साथ रहो… सौरी परन्तु पहले मुझे अपनी पत्नी से पूछना पड़ेगा… क्यों लीना
लीना: (भर्रायी हुई आवाज से) पापा… प्लीज इन्हें यहीं रोक लिजीए…
टीना: हाँ पापा… मौसी यहीं रुक जाइए… (कहते हुए आभा से लिपट कर रोने लगी)
आभा: राजेश क्या तुम मुझे आभा के रुप में स्वीकार नहीं सकते…
राजेश: अरे पगली… तुम मेरे लिए पहले भी आभा थीं और जब तुम सुन्दरी थी तब भी तुम मेरे लिए आभा थी… लेकिन पहले नाश्ता कर लें बहुत भूख लग रही है।
(सब डाईनिंग टेबल पर इकट्ठे हो जाते है और हँसी-खुशी नाश्ता करते है। लीना, टीना और आभा, तीनों बातों मे लीन है। दरवाजे की घंटी बजती है, राजेश जाकर दरवाजा खोलता है…)
राजेश: आईए वकील साहिब… सब दुरुस्त हो गया है (कहते हुए दोनों अन्दर आते हैं। सामने आभा को हँसते हुए लीना और टीना से बात करते हुए देख वकील साहिब अचरज भरी निगाहों से राजेश की ओर देखते है।)
वकील: अरे यह क्या देख रहा हूँ…
राजेश: यह एक परिवार है…सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उस को भूला नहीं कहते… आभा, लीना और टीना… नाश्ता हो गया हो तो इधर आ जाओ…वकील साहिब आये है।
(तीनों उठ कर ड्राइंगरूम में आ कर सामने बैठ जाते है। कुछ ही देर में तीनों बहने की तरह हिल-मिल गयी है। बहुत दिनों के बाद आभा के चेहरे पर खुशी के भाव दिखाई दे रहें है।)
वकील: राजेश सबसे पहले तो आभा जी की शिकायत वापिस लेनी होगी… आभाजी आप को कुछ नहीं करना (एक कागज बढ़ा देता है)… इस पर साइन कर दें… बाकि मेरा दफ्तर देख लेगा…
राजेश: वकील साहिब मै चाहता हूँ कि आप ठाकुर साहिब की तरफ से पैरवी करें कि ज्यादा उम्र हो जाने कि वजह से उन्हें फाँसी की सजा उम्र कैद में तब्दील हो जाए… और मै अपनी वसीयत लिखवाना चाहता हूँ…
वकील: अब आपका विवाह हो चुका है…जायज बात है कि आप नयी वसीयत बनाना चाहेंगे… मुझे सिर्फ नाम दे दिजिएगा बाकी मै देख लूँगा… अच्छा चलता हूँ…
(वकील साहिब को छोड़ने राजेश बाहर चला गया और फिर से तीनों बहनें अपनी बातों मे तल्लीन हो गयीं…।)
(शाम का समय। सब ड्राइंगरूम में गपशप में मस्त है। टीना और आभा किसी गहन चर्चा में मशगूल है। लीना राजेश की गोदी में लेटी हुई है और राजेश अपनी उँगलियॉ लीना के बालों में फिराता हुआ सबकी बातें सुन रहा है।)
राजेश: मुझे लीना को कुछ बताना है… बेटा पिछले दिनों इतना कुछ हो गया कि तुम्हें सारी बात नहीं बता सका… पहले तुम अपनी छुट्टियॉ बिताने श्रीनगर गयी हुई थी, वहाँ से वापिस आयीं तो अपनी मम्मी को खो दिया… फिर तुम्हारी झटपट में मेरे साथ शादी हो गयी… कुछ भी बताने का समय नहीं मिल सका…
लीना: (राजेश के गले में बाँहे डाल कर) कोई बात नहीं पापा…
राजेश: न… आज हमें सारी बात साफ कर लेनी चाहिए… क्यों आभा… क्यों टीना…
आभा: राजेश क्यों बेचारी को उम्र से बड़ी बना रहे हो… इसके खेलने-खाने के दिन है…धीरे-धीरे इसे सब समझ में आ जाएगा…
राजेश: नहीं आभा… इसे सब कुछ जानने का हक है… लीना तुम मेरी दूसरी ब्याहता पत्नी हो…मेरी पहली पत्नी का नाम तनवी है (तनवी की याद आते ही राजेश की आँख नम हो गयी) जो अब इस दुनिया में नहीं है… तो कानूनन आज तुम मेरी पहली पत्नी हो…
लीना: तो क्या हुआ पापा…
राजेश: इसी लिए यह जरूरी है कि तुम्हें मेरे बारे में सब कुछ पता हो… अगर सब कुछ जानने के बाद तुम्हें लगता है कि मै तुम्हारा पति बनने के लायक नहीं हूँ…तो मै तुम्हें तलाक दे कर आजाद कर दूँगा… लेकिन तुम्हारे लिए मेरे प्यार पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ेगा…
लीना: पापा मै आपसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ…मै सोच भी नहीं सकती आप से दूर जाने की…
राजेश: बेटा क्या तुम मेरी पत्नी हो कर मुझे कुछ और लोगों के साथ बाँट सकती हो…
लीना: पापा…मुझे पता है कि आप आभा दीदी से बहुत प्यार करते हो… और आपके सम्बंध करीना के साथ भी हैं… इस से क्या फर्क पड़ता है…मुझे कोई तकलीफ नहीं है जब तक आप मुझसे प्यार करते हो…
राजेश: बेटा… यह बात नहीं है…आखिर इन को भी तो मेरे सहारे की जरूरत पड़ेगी… अगर इनमें से कोई सिर्फ मेरी पत्नी बनना चाहे तो बिना तुम्हारी रजामन्दी के मै कुछ भी नहीं करना चाहूँगा… ऐसे वक्त में तुम्हें कुछ तकलीफ हो यह मै नहीं कर सकता…
लीना: पर अगर इन को मालूम है कि मै आपकी पत्नी हूँ और फिर भी अगर यह आपके साथ रहना चाहें तो मुझे क्या आपत्ति होगी…
आभा: (बीच में बात काटती हुई) राजेश… लीना अभी छोटी और नासमझ है। मेरा तो यह विचार है कि इसे समय के साथ अपने विचार रखने की आजादी देनी होगी… पढ़ाई के बाद यह जैसा जीवन जीना चाहें इस को अपनी सारी अभिलाषाऐं पूरी करने की छूट देनी चाहिए। इसको ही क्यों, मेरा ख्याल है कि वह सब जो तुमसे प्यार करते तुम्हें उनको भी पूरी छूट देनी चाहिए…
राजेश: आभा… तुम सही कह रही हो… लीना तुम दुनिया की नजरों में मेरी पत्नी हो परन्तु तुम मेरी प्यारी गुड़िया भी हो जिसको अपनी मम्मी की सारी उम्मीदों को पूरा करना है… टीना यह मै तुम्हारे लिए भी कह रहा हूँ… मुमु चाहती थी उसकी दोनों बेटियाँ अपने जीवन की राह खुद तय करें… तो प्लीज अपनी मम्मी की इच्छा को पूरा करो…। आभा मै तुम से भी यही कहूँगा कि अपने भविष्य को बनाओ… अपनी छूटी हुई पढ़ाई को दुबारा शुरु करो… मै तुम सब के सपने पूरे करने मे अपना बिना हिचक साथ दूँगा…
टीना:…पापा…… सिर्फ आप दीदी के पति नहीं है, मेरे भी है…
लीना: क्या… (अचरज भरे स्वर में)
राजेश: हाँ… यह सच है। टीना शारीरिक सम्बंध और जीवन भर का साथ, दोनों में बहुत अन्तर है। तुम्हें जल्दी करने की जरूरत नहीं है… समय आने पर तुम अपना निर्णय लेना… मैं तुम्हारे निर्णय का आदर करूँगा और तुम्हारा साथ भी दूँगा।
टीना: नहीं पापा…इस मामले में आपकी नहीं चलेगी…आप मुझसे दीदी की तरह ही विवाह करेगें।
राजेश: बेटा इधर आओ… (टीना को अपने पास बिठा कर) जैसे तुम चाहोगी वैसे ही होगा, बस… लेकिन जब तुम अपनी पढ़ाई पूरी कर लोगी तब…
टीना: (जिद्द पकड़ते हुए) नहीं पापा… जैसे ही मै सोलहवें साल मे लगूँगी मुझे आपसे तब शादी करनी है…
राजेश: (हार मान कर) ठीक है…
आभा: तो मेरे बारे में क्या सोचा…
राजेश: अरे आज सब ही मेरे पीछे पड़ गये हो…(तभी दरवाजे की घंटी बजती है)
लीना: मै देखती हूँ… (कहते हुए गेट की ओर जाती है)
टीना: मुझे लगता है कि… (लीना और करीना बातें करती हुई अन्दर आती हैं)
राजेश: आओ करीना…
टीना: करीना…आज पापा को हम सब ने घेर रखा है… अच्छा हुआ तू भी आ गयी क्योंकि तेरे को भी पापा के साथ रहने का निर्णय करना है…
राजेश: हाँ… आभा मुझको लगता है कि मेरा हरम पूरा हो गया है…
आभा: (खिलखिला कर हँसते हुए) हाँ हम सब तुमको छोड़ेंगी नहीं…तुम सोच लो कि तुम्हें हम सब का ख्याल रखना है… कैसे रखोगे…।
राजेश: (हँसते हुए) हाँ मै आज वचन देता हूँ कि मै तुम सब का पूरी तरह ख्याल रखूंगा…
आभा: तनवी और मुमु आज जहाँ भी होंगी… आज तुम्हें देख कर उन्हें बहुत शान्ति मिलेगी।
लीना: आभा दीदी… यह तनवी की क्या कहानी है…
आभा: लीना… तनवी मेरी बड़ी बहन थी (राजेश की ओर देख कर) राजेश मै समझ सकती हूँ कि तुम करीना से क्यूँ इतना लगाव रखते हो… वाकई में चेहरे और शरीर की बनावट में हुबहू करीना बिल्कुल तनवी की कापी है…
राजेश: हाँ आभा…तुम सही कह रही हो। जब करीना को मैने पहली बार देखा था तो मुझे लगा था कि तनवी वापिस आ गयी है… यह तब मेरे ख्याल से आठ वर्ष की होगी… फिर जब भी यह टीना के साथ घर पर आती थी तो मेरी निगाह इस पर जा कर टिक जाती थीं… कई बार मुझे आत्मग्लानि होती थी…पर दिल था कि मानता नहीं…
करीना: अंकल… तनवी कौन थी…
आभा: उसी के बारे में तो बता रही थी…वह मेरी बड़ी बहन थी… लीना की मम्मी से छोटी… तुम्हारे प्रेमी की पहली पत्नी… बहुत सुन्दर और मिलनसार थी। तनवी और राजेश की प्रेम कहानी तब शुरु हुई थी जब राजेश स्कूल पास करके अमेरिका जाने से पहले अपने घर आया था। अमेरीका जाने की पूर्व रात को इन दोनों ने गाँव के मन्दिर में विवाह कर लिया था।
क्रमशः
गतान्क से आगे..........
(राजेश कमरे में दाखिल होता हुआ)
राजेश: इन्स्पेक्टर साहिब यह रहा हमारा मैरिज सर्टिफिकेट…
इन्स्पेक्टर: (सर्टिफिकेट देखते हुए)… हाँ ठीक है (वापिस लौटाते हुए) अगर आपको एतराज न हो तो कृपया आप इसकी कापी दे सकते है… यह केस को फाइल करने में हमारी मदद करेगी… और अगर अपने गवाहों के नाम और पते भी दे दें…
राजेश: बिल्कुल… मै आपके थाने में यह दोनों चीजें कुछ देर में पहुंचा दूंगा…
इन्स्पेक्टर: सर… हम चलते है…(कहते हुए आभा को छोड़ कर सब उठ खड़े हुए) क्यों मैडम चलना नहीं है… चलिए
राजेश: रहने दिजीए… आखिर यह भी मेरी रिश्तेदार ठहरी… आपका बहुत थैंक्स (कहते हुए पुलिस पार्टी को गेट से विदा किया)
(आभा आँखें झुकाए चुपचाप सोफे पर बैठी हुई। लीना और टीना बहुत क्रोधित निगाहों से आभा को घूरती हुई।)
टीना: पापा… इन्हें क्यों रोक लिया…इनको हमारे घर से बाहर निकाल दो इसी वक्त…
राजेश: न बेटा, ऐसे नहीं बोलते। तुम भूल रही हो कि यह तुम्हारी मम्मी की छोटी बहन है… नहीं तुम्हारी बड़ी बहन है… क्या हमने आप को ऐसी शिक्षा दी है…
लीना: परन्तु पापा… कल देखा था इन्हें… फिर भी
राजेश: (आभा के नजदीक बैठ कर) बेटा तुम भूल रही हो कि इन्हीं के कहने पर मंगल ने तुम्हें कल छोड़ा था… अगर यह नहीं कहती तो वह तुम्हें कोई चोट भी लगा सकता था… आभा आज मैं तुम से अपना समझ कर कह रहा हूँ कि अब इस दुश्मनी को खत्म करो… क्या मुझे नीचा दिखाने के चलते तुम अपनों को नुक्सान पहुँचाओगी… लीना और टीना आखिर तुम्हारा अपना खून है…तुम्हारी भतीजी और तुम्हारी अपनी सगी बहनें है…
आभा: (धीरे से सिसकते हुए)… क्या यह मेरी किस्मत है कि पिताजी के लिए मै ही अपने को जलाऊँ…
राजेश: (आभा के सिर पर हाथ फेरते हुए) नहीं हम सब का फर्ज है परन्तु हम सब को सही और गलत का एहसास होना चाहिए… अगर कोई बात पिताजी की गलत है तो वह हमेशा गलत ही रहेगी… और गलत बात का साथ देने वाला भी गलत होता है… मुझे पूरा विश्वास है कि यह तुम्हारा असली रूप नहीं है… किसी कोने में तुम मुझसे आज भी उतना ही प्यार करती हो जितना तुम तनवी के रहते करती थीं… क्या तुम भूल गयी कि बचपन में तनवी को मेरे पास छोड़ने के लिए मेरी उँगली पकड़ कर आइस्क्रीम खाने की जिद्द करती थी और जब मै मना करता था तो तुम मुझसे रूठ जाती थीं। और फिर मै और तनवी तुम्हारे आगे-पीछे भागते थे कि तुम हमारे बारे मे अपने पिताजी से नहीं बताना… क्या उस वक्त भी तुम मुझसे इतनी नफरत र
आभा: (फफक कर रो पड़ती है) मै क्या करूँ… एक तरफ पिताजी और हमारी बर्बादी… दूसरी ओर तुम और फिर तुम्हारी वजह से तनवी दीदी की मौत… और फिर तुम्हारे कारण मुमु दीदी का हमसे मुँह फेरना… क्या करती…
राजेश: कुछ नहीं करती… जब मै तुम्हें लेने आया था तो मेरे साथ आ कर यहाँ रह कर देखती… अगर मै गलत होता तो मुझे सजा देती परन्तु अपने ही खून को उस जालिम मंगल के हवाले करने की सोचती भी नहीं…।
आभा: (राजेश के सीने से लग कर रोते हुए) हाँ तुम्हारे पास सब कुछ था परन्तु मेरे पास कुछ भी नहीं था जब मेरे पिताजी ने मुझे मंगल के हवाले कर दिया था… पहले पिताजी ने मेरा शोषण किया फिर मुझे उस कसाई के हाथ मे दे दिया था… तब तुम कहाँ थे…
(लीना और टीना अचरज से दोनों की बातें चुपचाप सुनती है। आभा की बातें सुन कर दोनों बहनों की आँखे नम हो गयीं।)
राजेश: तुम अब मंगल की चिन्ता छोड़ दो… वह अब कभी भी तुम्हें परेशान करने के योग्य नहीं रहेगा। कल रात को मैनें उसका इंतजाम कर दिया है… मुझे सिर्फ तुम्हारी चिन्ता थी क्योंकि मै तुम्हें कोई भी नुक्सान नहीं पहुँचा सकता था…
राजेश: क्या तुम दुबारा से मेरी सुन्दरी नहीं बन सकती… पीछे का सब भूल जाओ और अब हमारे साथ रहो… सौरी परन्तु पहले मुझे अपनी पत्नी से पूछना पड़ेगा… क्यों लीना
लीना: (भर्रायी हुई आवाज से) पापा… प्लीज इन्हें यहीं रोक लिजीए…
टीना: हाँ पापा… मौसी यहीं रुक जाइए… (कहते हुए आभा से लिपट कर रोने लगी)
आभा: राजेश क्या तुम मुझे आभा के रुप में स्वीकार नहीं सकते…
राजेश: अरे पगली… तुम मेरे लिए पहले भी आभा थीं और जब तुम सुन्दरी थी तब भी तुम मेरे लिए आभा थी… लेकिन पहले नाश्ता कर लें बहुत भूख लग रही है।
(सब डाईनिंग टेबल पर इकट्ठे हो जाते है और हँसी-खुशी नाश्ता करते है। लीना, टीना और आभा, तीनों बातों मे लीन है। दरवाजे की घंटी बजती है, राजेश जाकर दरवाजा खोलता है…)
राजेश: आईए वकील साहिब… सब दुरुस्त हो गया है (कहते हुए दोनों अन्दर आते हैं। सामने आभा को हँसते हुए लीना और टीना से बात करते हुए देख वकील साहिब अचरज भरी निगाहों से राजेश की ओर देखते है।)
वकील: अरे यह क्या देख रहा हूँ…
राजेश: यह एक परिवार है…सुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उस को भूला नहीं कहते… आभा, लीना और टीना… नाश्ता हो गया हो तो इधर आ जाओ…वकील साहिब आये है।
(तीनों उठ कर ड्राइंगरूम में आ कर सामने बैठ जाते है। कुछ ही देर में तीनों बहने की तरह हिल-मिल गयी है। बहुत दिनों के बाद आभा के चेहरे पर खुशी के भाव दिखाई दे रहें है।)
वकील: राजेश सबसे पहले तो आभा जी की शिकायत वापिस लेनी होगी… आभाजी आप को कुछ नहीं करना (एक कागज बढ़ा देता है)… इस पर साइन कर दें… बाकि मेरा दफ्तर देख लेगा…
राजेश: वकील साहिब मै चाहता हूँ कि आप ठाकुर साहिब की तरफ से पैरवी करें कि ज्यादा उम्र हो जाने कि वजह से उन्हें फाँसी की सजा उम्र कैद में तब्दील हो जाए… और मै अपनी वसीयत लिखवाना चाहता हूँ…
वकील: अब आपका विवाह हो चुका है…जायज बात है कि आप नयी वसीयत बनाना चाहेंगे… मुझे सिर्फ नाम दे दिजिएगा बाकी मै देख लूँगा… अच्छा चलता हूँ…
(वकील साहिब को छोड़ने राजेश बाहर चला गया और फिर से तीनों बहनें अपनी बातों मे तल्लीन हो गयीं…।)
(शाम का समय। सब ड्राइंगरूम में गपशप में मस्त है। टीना और आभा किसी गहन चर्चा में मशगूल है। लीना राजेश की गोदी में लेटी हुई है और राजेश अपनी उँगलियॉ लीना के बालों में फिराता हुआ सबकी बातें सुन रहा है।)
राजेश: मुझे लीना को कुछ बताना है… बेटा पिछले दिनों इतना कुछ हो गया कि तुम्हें सारी बात नहीं बता सका… पहले तुम अपनी छुट्टियॉ बिताने श्रीनगर गयी हुई थी, वहाँ से वापिस आयीं तो अपनी मम्मी को खो दिया… फिर तुम्हारी झटपट में मेरे साथ शादी हो गयी… कुछ भी बताने का समय नहीं मिल सका…
लीना: (राजेश के गले में बाँहे डाल कर) कोई बात नहीं पापा…
राजेश: न… आज हमें सारी बात साफ कर लेनी चाहिए… क्यों आभा… क्यों टीना…
आभा: राजेश क्यों बेचारी को उम्र से बड़ी बना रहे हो… इसके खेलने-खाने के दिन है…धीरे-धीरे इसे सब समझ में आ जाएगा…
राजेश: नहीं आभा… इसे सब कुछ जानने का हक है… लीना तुम मेरी दूसरी ब्याहता पत्नी हो…मेरी पहली पत्नी का नाम तनवी है (तनवी की याद आते ही राजेश की आँख नम हो गयी) जो अब इस दुनिया में नहीं है… तो कानूनन आज तुम मेरी पहली पत्नी हो…
लीना: तो क्या हुआ पापा…
राजेश: इसी लिए यह जरूरी है कि तुम्हें मेरे बारे में सब कुछ पता हो… अगर सब कुछ जानने के बाद तुम्हें लगता है कि मै तुम्हारा पति बनने के लायक नहीं हूँ…तो मै तुम्हें तलाक दे कर आजाद कर दूँगा… लेकिन तुम्हारे लिए मेरे प्यार पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ेगा…
लीना: पापा मै आपसे बहुत ज्यादा प्यार करती हूँ…मै सोच भी नहीं सकती आप से दूर जाने की…
राजेश: बेटा क्या तुम मेरी पत्नी हो कर मुझे कुछ और लोगों के साथ बाँट सकती हो…
लीना: पापा…मुझे पता है कि आप आभा दीदी से बहुत प्यार करते हो… और आपके सम्बंध करीना के साथ भी हैं… इस से क्या फर्क पड़ता है…मुझे कोई तकलीफ नहीं है जब तक आप मुझसे प्यार करते हो…
राजेश: बेटा… यह बात नहीं है…आखिर इन को भी तो मेरे सहारे की जरूरत पड़ेगी… अगर इनमें से कोई सिर्फ मेरी पत्नी बनना चाहे तो बिना तुम्हारी रजामन्दी के मै कुछ भी नहीं करना चाहूँगा… ऐसे वक्त में तुम्हें कुछ तकलीफ हो यह मै नहीं कर सकता…
लीना: पर अगर इन को मालूम है कि मै आपकी पत्नी हूँ और फिर भी अगर यह आपके साथ रहना चाहें तो मुझे क्या आपत्ति होगी…
आभा: (बीच में बात काटती हुई) राजेश… लीना अभी छोटी और नासमझ है। मेरा तो यह विचार है कि इसे समय के साथ अपने विचार रखने की आजादी देनी होगी… पढ़ाई के बाद यह जैसा जीवन जीना चाहें इस को अपनी सारी अभिलाषाऐं पूरी करने की छूट देनी चाहिए। इसको ही क्यों, मेरा ख्याल है कि वह सब जो तुमसे प्यार करते तुम्हें उनको भी पूरी छूट देनी चाहिए…
राजेश: आभा… तुम सही कह रही हो… लीना तुम दुनिया की नजरों में मेरी पत्नी हो परन्तु तुम मेरी प्यारी गुड़िया भी हो जिसको अपनी मम्मी की सारी उम्मीदों को पूरा करना है… टीना यह मै तुम्हारे लिए भी कह रहा हूँ… मुमु चाहती थी उसकी दोनों बेटियाँ अपने जीवन की राह खुद तय करें… तो प्लीज अपनी मम्मी की इच्छा को पूरा करो…। आभा मै तुम से भी यही कहूँगा कि अपने भविष्य को बनाओ… अपनी छूटी हुई पढ़ाई को दुबारा शुरु करो… मै तुम सब के सपने पूरे करने मे अपना बिना हिचक साथ दूँगा…
टीना:…पापा…… सिर्फ आप दीदी के पति नहीं है, मेरे भी है…
लीना: क्या… (अचरज भरे स्वर में)
राजेश: हाँ… यह सच है। टीना शारीरिक सम्बंध और जीवन भर का साथ, दोनों में बहुत अन्तर है। तुम्हें जल्दी करने की जरूरत नहीं है… समय आने पर तुम अपना निर्णय लेना… मैं तुम्हारे निर्णय का आदर करूँगा और तुम्हारा साथ भी दूँगा।
टीना: नहीं पापा…इस मामले में आपकी नहीं चलेगी…आप मुझसे दीदी की तरह ही विवाह करेगें।
राजेश: बेटा इधर आओ… (टीना को अपने पास बिठा कर) जैसे तुम चाहोगी वैसे ही होगा, बस… लेकिन जब तुम अपनी पढ़ाई पूरी कर लोगी तब…
टीना: (जिद्द पकड़ते हुए) नहीं पापा… जैसे ही मै सोलहवें साल मे लगूँगी मुझे आपसे तब शादी करनी है…
राजेश: (हार मान कर) ठीक है…
आभा: तो मेरे बारे में क्या सोचा…
राजेश: अरे आज सब ही मेरे पीछे पड़ गये हो…(तभी दरवाजे की घंटी बजती है)
लीना: मै देखती हूँ… (कहते हुए गेट की ओर जाती है)
टीना: मुझे लगता है कि… (लीना और करीना बातें करती हुई अन्दर आती हैं)
राजेश: आओ करीना…
टीना: करीना…आज पापा को हम सब ने घेर रखा है… अच्छा हुआ तू भी आ गयी क्योंकि तेरे को भी पापा के साथ रहने का निर्णय करना है…
राजेश: हाँ… आभा मुझको लगता है कि मेरा हरम पूरा हो गया है…
आभा: (खिलखिला कर हँसते हुए) हाँ हम सब तुमको छोड़ेंगी नहीं…तुम सोच लो कि तुम्हें हम सब का ख्याल रखना है… कैसे रखोगे…।
राजेश: (हँसते हुए) हाँ मै आज वचन देता हूँ कि मै तुम सब का पूरी तरह ख्याल रखूंगा…
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गतान्क से आगे..........
आभा: लीना… तनवी मेरी बड़ी बहन थी (राजेश की ओर देख कर) राजेश मै समझ सकती हूँ कि तुम करीना से क्यूँ इतना लगाव रखते हो… वाकई में चेहरे और शरीर की बनावट में हुबहू करीना बिल्कुल तनवी की कापी है…
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राजेश: बेटा…बिल्कुल तुम्हारी तरह थी… (एक पल के लिए राजेश अपने ख्यालों मे खो गया और अचानक राजेश जोरों से चीखता है जैसे कि उसे बिजली का करन्ट लगा हो)……अरे…अरे…(कहते हुए चक्कर खा कर बेहोश हो जाता है)
आभा: (उठ कर राजेश की ओर आती हुई) क्या हुआ राजेश…
(टीना और लीना भी राजेश की ओर बढ़ती हैं। सब मिल कर राजेश को उठाने की कोशिश करते है। करीना धीरे से अपनी जगह से उठ कर फ्रिज से एक ठंडे पानी की बोतल निकाल कर ले आती है।)
करीना: प्लीज आप लोग इनके इर्द-गिर्द से हट जाओ… (सारे राजेश को घेरे खड़े लोग हट जाते है)… आप लोग अपनी जगह पर जा कर बैठ जाइए…
(राजेश के चेहरे पर करीना ठंडे पानी के छीटें मारती है। राजेश को धीरे-धीरे होश आता है। जैसे ही राजेश अपनी आँखें खोलता है करीना से आँखें चार होती है…राजेश झपट कर करीना को अपने आगोश में लेकर रोने लगता है। लीना, टीना और आभा अवाक हो कर सारा दृश्य देख रहे हैं। करीना धीरे-धीरे राजेश को थपथपाती हुई सांत्वना देती है। थोड़ी देर के बाद जब राजेश का रोना कम होता है तो सब प्रश्नवाचक निगाहों से राजेश को घूरते है।)
लीना: पापा…आप को क्या हो गया था…
आभा: राजेश मैने कभी भी तुम्हारा यह रूप नहीं देखा था… क्या हुआ?
राजेश: (उनकी बात को अनसुना करते हुए) मुझे माफ कर दो।
करीना: अंकल आपको क्या हो गया है…?
राजेश: (हड़बड़ा कर करीना से लिपटते हुए) तनवी… मैनें तुम्हें पहचान नहीं पाया प्लीज मुझे माफ कर दो… (सब लोग हतप्रभ रह जाते है)
आभा: राजेश… तुम को क्या हो गया है…यह तनवी नहीं करीना है…
राजेश: (अपने आप को काबू में करते हुए) आभा… यह आज करीना है… पर यही तनवी है। पच्चीस साल पहले की कहानी हुबहू दोहराई गयी है… मुझे बात करते हुए अचानक ख्याल आया कि करीना की उम्र और तनवी की उम्र में कोई अन्तर नहीं था जब मैं उनके प्रेम कायल हो गया था। उस वक्त हमारा मिलन नहर के किनारे तारों की छाँव मे हुआ था और कुछ दिन पहले करीना के साथ मेरा मिलन भी रात को खुले आसमान के नीचे हुआ था… यह सब चीजों को मैने कैसे अनदेखा कर दिया…।
आभा: राजेश… यह इत्तेफ़ाक़ भी हो सकता है… कि उम्र, जगह और समय लगभग एक ही जैसा था… (टीना और लीना भी गरदन हिलाती हुई हामी भरती है)
राजेश: हाँ यह एक इत्तेफ़ाक़ हो सकता है… करीना प्लीज मेरे लिए तुम अपनी टी-शर्ट उतारो…
करीना: (झिझकती हुई टीना और आभा की ओर देखती है)…अंकल
राजेश: प्लीज उतारो… सालों से मेरे दिमाग में धूल की परत जमा थी और मुझे याद नहीं आ रहा था कि वह चिन्ह मैनें कहाँ देखा था…पर आज बात करते हुए सारी धूल हट गयी है और अब मुझे सब याद आ गया है… आभा यह तुम्हें अच्छी तरह याद होगा…तनवी के बाँये स्तन पर कहाँ पर तिल था…
आभा: हाँ, तनवी के बाँये स्तन के नीचे की ओर तिल था…।
राजेश: (खुशी में काँपता हुआ) करीना…प्लीज टी-शर्ट उतार कर दिखा दो…
(सब उत्सुकतावश करीना से दिखाने के लिए आग्रह करते हैं। करीना झेंपती हुई अपनी टी-शर्ट उतारती है। राजेश झपट कर करीना की ब्रा को हटा कर बाँये स्तन को हाथ में ले कर नीचे की ओर बने हुए तिल को दिखाता है।)
लीना: पापा… यह तो कमाल है। क्या करीना ही तनवी है…
राजेश: बेटा…यही तनवी है… आखिर मैने उस रात जो मैने करीना के साथ महसूस किया था वह मै बयान नहीं कर सकता…
टीना: पापा… मै इन सब बातों को नहीं मानती… मुझे लगता है कि यह सिर्फ इत्तेफ़ाक़ है…
राजेश: न बेटा… ऐसा मत कहो… अगर मै एक और चीज दिखा दूँ तो सब मेरी बात मान लोगे…करीना जरा इधर आओ…(करीना अपनी ब्रा को ठीक करते हुए टी-शर्ट पहनती हुई राजेश की ओर आती है)… एक और चीज दिखानी है…(कहते हुए स्कर्ट को उपर करता हुआ करीना की पैन्टी को नीचे सरका कर योनिमुख को दिखाता है। योनिमुख के बाँयी ओर नीचे की तरफ एक और तिल को दिखाता है)… याद है आभा मै हमेशा मजाक में कहता था कि तनवी बहुत ही कामुक, संवेदनशील और रोमांटिक प्रवऋत्ति की है जिसको सुन कर तुम्हारी बहन मेरे से नाराज हो जाती थी और मै तुमसे गुहार लगाता था कि प्लीज उसे मना कर ले आओ… याद है न… इसी जगह तिल की दुहाई दे कर मै तनवी को छेड़ता था और वह चिड़ जाती थी।
आभा: (आवाक खड़ी देखती हुई)…हुँम…हाँ…
करीना: अंकल… आपने मुझे भी उस रात को यही कहा था…
राजेश: करीना… सौरी मुझे यह सब खुदाई इशारे पहले क्यों नहीं याद आए…
टीना: पापा… यह करीना हो या तनवी… यह तो आप पर तो पहले दिन से फिदा है… तो क्या फर्क पड़ता है…
लीना: हाँ पापा… टीना ठीक कह रही है… आखिर करीना भी तो आप से प्यार करती है… क्यों करीना…
करीना: (शर्माते हुए) हाँ…
राजेश: भई… तुम लोगों को पा कर तो मै धन्य हो गया… लेकिन करीना तुम्हें मै आज से तनवी ही पुकारा करुँगा।
(सब लोग खिलखिला कर हँस पड़ते है। आज बहुत दिनों के बाद घर में खुशी का वातावरण है। सब के चेहरों पर खुशी की रौनक है। बस की मुमु की कमी खल रही है पर सब को विश्वास है कि जैसे तनवी वापिस आ गयी वैसे ही एक दिन मुमु भी वापिस आ जाएगी……)
(राजेश के घर का दृश्य। राजेश, आभा, टीना और करीना ड्राइंगरूम में बैठ कर गपशप में मशगूल है। एलन, डौली और स्वीटी का अभी-अभी कमरे में प्रवेश होता है।)
राजेश: हाय…
एलन: हैलो… राजेश कैसे हो
डौली: राजेश मुझे देख कर अच्छा लगा है कि तुम लोग खुश हो… क्यों आभा आज कल यह तुम्हारी सुध लेता है कि सिर्फ उनको खुश करने में लगा रहता है…
आभा: इन्होंने ने तो हद कर रखी है… किसी को भी खाली नहीं छोड़ते। तुम सुनाओ क्या हाल है… कौन सा महीना चल रहा है।
डौली: (झेंपती हुई) किस का…
आभा: क्या बात है… क्यों स्वीटी… कब से
स्वीटी: (मुस्कुराती हुई) पिछले महीने से…
एलन: लीना कब घर आ रही है… हम बहुत दिनों से पार्टी के इंतजार में बैठे है…
आभा: लीना कल तक आ जाएगी…
डौली: मै तो इसका अनुमान लगा रही हूँ कि पहले तुम जाओगी या टीना…
टीना: आन्टी… पहले दीदी का नम्बर है
राजेश: (सब को बात करते देख कर) भई मैनें तो निश्चय कर लिया है कि जब तक टीना और करीना की पढ़ाई पूरी नहीं होगी तब तक इन्हें इस सुख से वंचित रखा जाएगा…
करीना: यह नहीं हो सकता… अभी तो मेरी और टीना की पढ़ाई को खत्म होने में चार साल है…
टीना: पापा…प्लीज
राजेश: नो वे… वैसे ही मेडिसिन कि पढ़ाई बहुत कठिन है… और उस पर प्रेगनेन्सी… कभी नहीं।
टीना: दीदी ही अच्छी रही कि सिर्फ एक साल का फिल्म बनाने का डिप्लोमा किया और बस… करीना हमने गलती कर दी हमें भी कोई ऐसा ही कोर्स कर लेना चाहिए था…
एलन: यार… कभी मुझ को तुझ पर दया आती है।
राजेश: न यार मुझ पर दया न कर… मै बहुत लकी हूँ कि मुझसे प्यार करने वाले इतने सारे है…
एलन: (आँख मारते हुए) हाँ और एक से एक खूबसूरत और सेक्सी…
डौली: (आँख तरेरते हुए) अच्छा जी…क्या हम नहीं है…
एलन: मैने ऐसा कब कहा…
आभा: डौली… रहने दो। बेकार है इनसे बहस करना।
डौली: राजेश… फार्म हाउस पर कब शिफ्ट कर रहे हो…अब तक तो काम पूरा हो गया होगा…
राजेश: काम तो पूरा हो गया है… बस लीना और नये मेहमान की इंतजार है। जैसे ही घर आँएंगे… बस फिर शिफ्ट कर लेंगें।
आभा: आप लोग बातें करिए… तब तक मैं कुछ खाने पीने का प्रबन्ध करती हूँ (कह कर रूम से बाहर चली जाती है)
राजेश: एलन मै तुम लोगों का कैसे शुक्रिया अदा करूँ… अगर तुम न होते तो मुझे पता नहीं मै कैसे जी पाता… थैंक्स यार्।
डौली: राजेश हमारे ऊपर तुम्हारे इतने एहसान है… पहले तुम ने मुझे एलन से मिलवाया फिर हम दोनों को तुम ने पैसे से मदद करके काम शुरु करवाया… यह सब क्या मै भूल सकती हूँ परन्तु… मैं इसको तुम्हारी दोस्ती का फर्ज समझती हूँ और इस लिए मैनें आज तक तुमसे कभी एहसान और थैंक्स की बात नहीं करी है…
राजेश: सौरी डौली… तुम सही कह रही हो… गलती हो गयी।
(आभा सारी लड़कियों को आवाज दे कर अपने पास बुलाती है। टीना, करीना और स्वीटी उठ कर आभा का हाथ बटाने के लिए ड्राइंगरूम के बाहर जाती है।)
एलन: यार मुमु के जाने के बाद से… तू बिल्कुल कट गया… ठाकुर साहब का क्या हुआ…
राजेश: कुछ नहीं…उन्हें उम्र कैद की सजा हो गयी थी। एक बार मै आभा, करीना, लीना और टीना को लेकर उनसे जेल में मिलने गया था… तो उन्होंने कोई अच्छा रेस्पान्स नहीं दिया बस यह कह कर वापिस चले गये कि मेरी सारी छिनालों को तू ने अपनी बिस्तर की शोभा बना ली… पर शायद अन्दर से वह जानते थे कि उनकी बेटियाँ खुश हैं।
डौली: राजेश मुझे आज तक समझ नहीं आया कि वह तुम से इतना क्यों चिड़ते थे…
राजेश: यही सवाल मैनें उनसे पूछा था… तो उनका जवाब था कि जवानी में मेरी माँ को उनके शिकंजे से मेरे पिता ने छुड़ा लिया था… और फिर मैनें उनके शिकंजे से तनवी और मुमु को अपने साथ ले आया था… और उनकी बेटी आभा को मैनें उनके खिलाफ बरगला दिया था। यार मैने सिर्फ उन के बुरे व्यवहार के बदले में अच्छा ही किया जिसकी वजह से वह हमेशा मुझ से चिड़ा करते थे।
एलन: चल यार अंत भले का भला… तूने अपनी कसम भी पूरी कर ली…ठाकुर की सारी बेटियाँ को तूने अपनी पत्नी का दर्जा दिया और उनके बाप की दुश्मनी उनसे नहीं निकाली…यह तेरी अच्छाई उनकी बुराई के ऊपर हावी हो गयी…।
डौली: हाँ अब आगे सब को खुश रखो और खुशी-खुशी रहो…
(आभा, करीना, स्वीटी और टीना सारा खाने का सामान मेज पर सजा कर उनको बुलाते हैं। तीनों उठ कर ड्राइंगरूम से निकल कर डाईनिंग टेबल पर आ जाते हैं। सब हँसी खुशी बातें करते हुए)
चार साल बाद…
(फार्म हाउस का दृश्य। राजेश झरने के पास आर्मचेयर पर बैठ कर सामने का नजारा ले रहा है। पास ही टीना अपनी गोद में एक रोती हुई बच्ची को चुप कराने की कोशिश में लगी हुई है। उधर आउटहाउस से बाहर निकलती हुई आभा एक चार वर्षीय लड़के की उँगली थामे पूल की ओर आती दिखाई देती है। दो हमउम्र बच्चियाँ सामने घास में खेल रही है। उन सब पर एक दृष्टि डालते हुए राजेश को आत्मिक संतुष्टि का एहसास होता है। इधर लीना और करीना निर्वस्त्र हो कर पानी के साथ अठखेलियाँ करती हुई राजेश को पूल मे आने का निमंत्रण देती है। अब दोनों बेहत खूबसूरत नवयुवतियाँ हो चुकी है। दो बच्चों के बाद भी लीना के जिस्म में अभी वही सुहाग रात वाली कशिश है, बस सीना और नितंब थोड़े से भर गये है परन्तु कमर का कटाव और भी गहरा गया है। करीना के शरीर में हलका सा भी बदलाव नहीं आया है। एक बच्ची की माँ बनने के बाद भी उसके जिस्म में वही आकर्षण और छरहरापन, ऐसा मानो कि जैसे आसमान से अपसराएं धरती पर उतर आयीं है।)
राजेश: टीना… इस को मेरे को दे दो।
टीना: पापा… यह मेरी तरह जिद्दी है… मै इसका दूध छुड़ाने की कोशिश कर रही हूँ
राजेश: क्यों भई…
टीना: (आँखे नचाते हुए) आपके बाद इस के लिए कम पड़ जाता है… इसी लिए
राजेश: (मुस्कुरा कर) कोई बात नहीं आज की रात मैं अपनी गाय को फिर से हरी कर देता हूं जिससे इसके लिए दूध की कमी न रहे…
टीना: नहीं पापा… दो साल के बाद बच्चे को थोड़ा भारी आहार चाहिए… इस लिए इसका यह दूध छुड़ाना जरुरी है… उनको देखो…कैसी मस्ती छाई है…करीना और दीदी आपको सेड्यूस करने में लगी हुई है…ठीक भी है एक हफ्ते से दीदी बाहर गयी हुई थी और करीना की भी नाइट शिफ्ट चल रही है…
राजेश: तुम भूल रही हो… वह अपना कोटा लंच टाइम में पूरा कर लेती है…
टीना: (आभा की ओर आवाज देते हुए) दीदी इस शैतान को छोड़ दो…
राजेश: हाँ आभा… इसको छोड़ दो…गिर कर ही सँभलना सीखेगा।
आभा: (बच्चे की उँगली छोड़ते हुए) तुम पानी में नहीं जा रहे…
राजेश: तुम्हारा और टीना का इंतजार कर रहा था कि तुम लोग आ जाओ तो साथ चलते है… और थोड़ी देर लीना और करीना को भी तड़पने दो…
आभा: राजेश तुम भी… आओ टीना
टीना: इस का क्या करुँ…
राजेश: (अपने कपड़े उतारते हुए) इसको मुझे दे दो और जल्दी से कपड़े उतार कर पानी में आ जाओ… आओ आभा
(राजेश ने गोदी में बच्ची को उठा लिया और निर्वस्त्र टीना और आभा को अपने साथ ले कर कर पूल की ओर बड़ गया……)
समाप्त
गतान्क से आगे..........
आभा: लीना… तनवी मेरी बड़ी बहन थी (राजेश की ओर देख कर) राजेश मै समझ सकती हूँ कि तुम करीना से क्यूँ इतना लगाव रखते हो… वाकई में चेहरे और शरीर की बनावट में हुबहू करीना बिल्कुल तनवी की कापी है…
राजेश: हाँ आभा…तुम सही कह रही हो। जब करीना को मैने पहली बार देखा था तो मुझे लगा था कि तनवी वापिस आ गयी है… यह तब मेरे ख्याल से आठ वर्ष की होगी… फिर जब भी यह टीना के साथ घर पर आती थी तो मेरी निगाह इस पर जा कर टिक जाती थीं… कई बार मुझे आत्मग्लानि होती थी…पर दिल था कि मानता नहीं…
करीना: अंकल… तनवी कौन थी…
आभा: उसी के बारे में तो बता रही थी…वह मेरी बड़ी बहन थी… लीना की मम्मी से छोटी… तुम्हारे प्रेमी की पहली पत्नी… बहुत सुन्दर और मिलनसार थी। तनवी और राजेश की प्रेम कहानी तब शुरु हुई थी जब राजेश स्कूल पास करके अमेरिका जाने से पहले अपने घर आया था। अमेरीका जाने की पूर्व रात को इन दोनों ने गाँव के मन्दिर में विवाह कर लिया था।
टीना: पापा… तनवी दीदी कैसी थी?
राजेश: बेटा…बिल्कुल तुम्हारी तरह थी… (एक पल के लिए राजेश अपने ख्यालों मे खो गया और अचानक राजेश जोरों से चीखता है जैसे कि उसे बिजली का करन्ट लगा हो)……अरे…अरे…(कहते हुए चक्कर खा कर बेहोश हो जाता है)
आभा: (उठ कर राजेश की ओर आती हुई) क्या हुआ राजेश…
(टीना और लीना भी राजेश की ओर बढ़ती हैं। सब मिल कर राजेश को उठाने की कोशिश करते है। करीना धीरे से अपनी जगह से उठ कर फ्रिज से एक ठंडे पानी की बोतल निकाल कर ले आती है।)
करीना: प्लीज आप लोग इनके इर्द-गिर्द से हट जाओ… (सारे राजेश को घेरे खड़े लोग हट जाते है)… आप लोग अपनी जगह पर जा कर बैठ जाइए…
(राजेश के चेहरे पर करीना ठंडे पानी के छीटें मारती है। राजेश को धीरे-धीरे होश आता है। जैसे ही राजेश अपनी आँखें खोलता है करीना से आँखें चार होती है…राजेश झपट कर करीना को अपने आगोश में लेकर रोने लगता है। लीना, टीना और आभा अवाक हो कर सारा दृश्य देख रहे हैं। करीना धीरे-धीरे राजेश को थपथपाती हुई सांत्वना देती है। थोड़ी देर के बाद जब राजेश का रोना कम होता है तो सब प्रश्नवाचक निगाहों से राजेश को घूरते है।)
लीना: पापा…आप को क्या हो गया था…
आभा: राजेश मैने कभी भी तुम्हारा यह रूप नहीं देखा था… क्या हुआ?
राजेश: (उनकी बात को अनसुना करते हुए) मुझे माफ कर दो।
करीना: अंकल आपको क्या हो गया है…?
राजेश: (हड़बड़ा कर करीना से लिपटते हुए) तनवी… मैनें तुम्हें पहचान नहीं पाया प्लीज मुझे माफ कर दो… (सब लोग हतप्रभ रह जाते है)
आभा: राजेश… तुम को क्या हो गया है…यह तनवी नहीं करीना है…
राजेश: (अपने आप को काबू में करते हुए) आभा… यह आज करीना है… पर यही तनवी है। पच्चीस साल पहले की कहानी हुबहू दोहराई गयी है… मुझे बात करते हुए अचानक ख्याल आया कि करीना की उम्र और तनवी की उम्र में कोई अन्तर नहीं था जब मैं उनके प्रेम कायल हो गया था। उस वक्त हमारा मिलन नहर के किनारे तारों की छाँव मे हुआ था और कुछ दिन पहले करीना के साथ मेरा मिलन भी रात को खुले आसमान के नीचे हुआ था… यह सब चीजों को मैने कैसे अनदेखा कर दिया…।
आभा: राजेश… यह इत्तेफ़ाक़ भी हो सकता है… कि उम्र, जगह और समय लगभग एक ही जैसा था… (टीना और लीना भी गरदन हिलाती हुई हामी भरती है)
राजेश: हाँ यह एक इत्तेफ़ाक़ हो सकता है… करीना प्लीज मेरे लिए तुम अपनी टी-शर्ट उतारो…
करीना: (झिझकती हुई टीना और आभा की ओर देखती है)…अंकल
राजेश: प्लीज उतारो… सालों से मेरे दिमाग में धूल की परत जमा थी और मुझे याद नहीं आ रहा था कि वह चिन्ह मैनें कहाँ देखा था…पर आज बात करते हुए सारी धूल हट गयी है और अब मुझे सब याद आ गया है… आभा यह तुम्हें अच्छी तरह याद होगा…तनवी के बाँये स्तन पर कहाँ पर तिल था…
आभा: हाँ, तनवी के बाँये स्तन के नीचे की ओर तिल था…।
राजेश: (खुशी में काँपता हुआ) करीना…प्लीज टी-शर्ट उतार कर दिखा दो…
(सब उत्सुकतावश करीना से दिखाने के लिए आग्रह करते हैं। करीना झेंपती हुई अपनी टी-शर्ट उतारती है। राजेश झपट कर करीना की ब्रा को हटा कर बाँये स्तन को हाथ में ले कर नीचे की ओर बने हुए तिल को दिखाता है।)
लीना: पापा… यह तो कमाल है। क्या करीना ही तनवी है…
राजेश: बेटा…यही तनवी है… आखिर मैने उस रात जो मैने करीना के साथ महसूस किया था वह मै बयान नहीं कर सकता…
टीना: पापा… मै इन सब बातों को नहीं मानती… मुझे लगता है कि यह सिर्फ इत्तेफ़ाक़ है…
राजेश: न बेटा… ऐसा मत कहो… अगर मै एक और चीज दिखा दूँ तो सब मेरी बात मान लोगे…करीना जरा इधर आओ…(करीना अपनी ब्रा को ठीक करते हुए टी-शर्ट पहनती हुई राजेश की ओर आती है)… एक और चीज दिखानी है…(कहते हुए स्कर्ट को उपर करता हुआ करीना की पैन्टी को नीचे सरका कर योनिमुख को दिखाता है। योनिमुख के बाँयी ओर नीचे की तरफ एक और तिल को दिखाता है)… याद है आभा मै हमेशा मजाक में कहता था कि तनवी बहुत ही कामुक, संवेदनशील और रोमांटिक प्रवऋत्ति की है जिसको सुन कर तुम्हारी बहन मेरे से नाराज हो जाती थी और मै तुमसे गुहार लगाता था कि प्लीज उसे मना कर ले आओ… याद है न… इसी जगह तिल की दुहाई दे कर मै तनवी को छेड़ता था और वह चिड़ जाती थी।
आभा: (आवाक खड़ी देखती हुई)…हुँम…हाँ…
करीना: अंकल… आपने मुझे भी उस रात को यही कहा था…
राजेश: करीना… सौरी मुझे यह सब खुदाई इशारे पहले क्यों नहीं याद आए…
टीना: पापा… यह करीना हो या तनवी… यह तो आप पर तो पहले दिन से फिदा है… तो क्या फर्क पड़ता है…
लीना: हाँ पापा… टीना ठीक कह रही है… आखिर करीना भी तो आप से प्यार करती है… क्यों करीना…
करीना: (शर्माते हुए) हाँ…
राजेश: भई… तुम लोगों को पा कर तो मै धन्य हो गया… लेकिन करीना तुम्हें मै आज से तनवी ही पुकारा करुँगा।
(सब लोग खिलखिला कर हँस पड़ते है। आज बहुत दिनों के बाद घर में खुशी का वातावरण है। सब के चेहरों पर खुशी की रौनक है। बस की मुमु की कमी खल रही है पर सब को विश्वास है कि जैसे तनवी वापिस आ गयी वैसे ही एक दिन मुमु भी वापिस आ जाएगी……)
(राजेश के घर का दृश्य। राजेश, आभा, टीना और करीना ड्राइंगरूम में बैठ कर गपशप में मशगूल है। एलन, डौली और स्वीटी का अभी-अभी कमरे में प्रवेश होता है।)
राजेश: हाय…
एलन: हैलो… राजेश कैसे हो
डौली: राजेश मुझे देख कर अच्छा लगा है कि तुम लोग खुश हो… क्यों आभा आज कल यह तुम्हारी सुध लेता है कि सिर्फ उनको खुश करने में लगा रहता है…
आभा: इन्होंने ने तो हद कर रखी है… किसी को भी खाली नहीं छोड़ते। तुम सुनाओ क्या हाल है… कौन सा महीना चल रहा है।
डौली: (झेंपती हुई) किस का…
आभा: क्या बात है… क्यों स्वीटी… कब से
स्वीटी: (मुस्कुराती हुई) पिछले महीने से…
एलन: लीना कब घर आ रही है… हम बहुत दिनों से पार्टी के इंतजार में बैठे है…
आभा: लीना कल तक आ जाएगी…
डौली: मै तो इसका अनुमान लगा रही हूँ कि पहले तुम जाओगी या टीना…
टीना: आन्टी… पहले दीदी का नम्बर है
राजेश: (सब को बात करते देख कर) भई मैनें तो निश्चय कर लिया है कि जब तक टीना और करीना की पढ़ाई पूरी नहीं होगी तब तक इन्हें इस सुख से वंचित रखा जाएगा…
करीना: यह नहीं हो सकता… अभी तो मेरी और टीना की पढ़ाई को खत्म होने में चार साल है…
टीना: पापा…प्लीज
राजेश: नो वे… वैसे ही मेडिसिन कि पढ़ाई बहुत कठिन है… और उस पर प्रेगनेन्सी… कभी नहीं।
टीना: दीदी ही अच्छी रही कि सिर्फ एक साल का फिल्म बनाने का डिप्लोमा किया और बस… करीना हमने गलती कर दी हमें भी कोई ऐसा ही कोर्स कर लेना चाहिए था…
एलन: यार… कभी मुझ को तुझ पर दया आती है।
राजेश: न यार मुझ पर दया न कर… मै बहुत लकी हूँ कि मुझसे प्यार करने वाले इतने सारे है…
एलन: (आँख मारते हुए) हाँ और एक से एक खूबसूरत और सेक्सी…
डौली: (आँख तरेरते हुए) अच्छा जी…क्या हम नहीं है…
एलन: मैने ऐसा कब कहा…
आभा: डौली… रहने दो। बेकार है इनसे बहस करना।
डौली: राजेश… फार्म हाउस पर कब शिफ्ट कर रहे हो…अब तक तो काम पूरा हो गया होगा…
राजेश: काम तो पूरा हो गया है… बस लीना और नये मेहमान की इंतजार है। जैसे ही घर आँएंगे… बस फिर शिफ्ट कर लेंगें।
आभा: आप लोग बातें करिए… तब तक मैं कुछ खाने पीने का प्रबन्ध करती हूँ (कह कर रूम से बाहर चली जाती है)
राजेश: एलन मै तुम लोगों का कैसे शुक्रिया अदा करूँ… अगर तुम न होते तो मुझे पता नहीं मै कैसे जी पाता… थैंक्स यार्।
डौली: राजेश हमारे ऊपर तुम्हारे इतने एहसान है… पहले तुम ने मुझे एलन से मिलवाया फिर हम दोनों को तुम ने पैसे से मदद करके काम शुरु करवाया… यह सब क्या मै भूल सकती हूँ परन्तु… मैं इसको तुम्हारी दोस्ती का फर्ज समझती हूँ और इस लिए मैनें आज तक तुमसे कभी एहसान और थैंक्स की बात नहीं करी है…
राजेश: सौरी डौली… तुम सही कह रही हो… गलती हो गयी।
(आभा सारी लड़कियों को आवाज दे कर अपने पास बुलाती है। टीना, करीना और स्वीटी उठ कर आभा का हाथ बटाने के लिए ड्राइंगरूम के बाहर जाती है।)
एलन: यार मुमु के जाने के बाद से… तू बिल्कुल कट गया… ठाकुर साहब का क्या हुआ…
राजेश: कुछ नहीं…उन्हें उम्र कैद की सजा हो गयी थी। एक बार मै आभा, करीना, लीना और टीना को लेकर उनसे जेल में मिलने गया था… तो उन्होंने कोई अच्छा रेस्पान्स नहीं दिया बस यह कह कर वापिस चले गये कि मेरी सारी छिनालों को तू ने अपनी बिस्तर की शोभा बना ली… पर शायद अन्दर से वह जानते थे कि उनकी बेटियाँ खुश हैं।
डौली: राजेश मुझे आज तक समझ नहीं आया कि वह तुम से इतना क्यों चिड़ते थे…
राजेश: यही सवाल मैनें उनसे पूछा था… तो उनका जवाब था कि जवानी में मेरी माँ को उनके शिकंजे से मेरे पिता ने छुड़ा लिया था… और फिर मैनें उनके शिकंजे से तनवी और मुमु को अपने साथ ले आया था… और उनकी बेटी आभा को मैनें उनके खिलाफ बरगला दिया था। यार मैने सिर्फ उन के बुरे व्यवहार के बदले में अच्छा ही किया जिसकी वजह से वह हमेशा मुझ से चिड़ा करते थे।
एलन: चल यार अंत भले का भला… तूने अपनी कसम भी पूरी कर ली…ठाकुर की सारी बेटियाँ को तूने अपनी पत्नी का दर्जा दिया और उनके बाप की दुश्मनी उनसे नहीं निकाली…यह तेरी अच्छाई उनकी बुराई के ऊपर हावी हो गयी…।
डौली: हाँ अब आगे सब को खुश रखो और खुशी-खुशी रहो…
(आभा, करीना, स्वीटी और टीना सारा खाने का सामान मेज पर सजा कर उनको बुलाते हैं। तीनों उठ कर ड्राइंगरूम से निकल कर डाईनिंग टेबल पर आ जाते हैं। सब हँसी खुशी बातें करते हुए)
चार साल बाद…
(फार्म हाउस का दृश्य। राजेश झरने के पास आर्मचेयर पर बैठ कर सामने का नजारा ले रहा है। पास ही टीना अपनी गोद में एक रोती हुई बच्ची को चुप कराने की कोशिश में लगी हुई है। उधर आउटहाउस से बाहर निकलती हुई आभा एक चार वर्षीय लड़के की उँगली थामे पूल की ओर आती दिखाई देती है। दो हमउम्र बच्चियाँ सामने घास में खेल रही है। उन सब पर एक दृष्टि डालते हुए राजेश को आत्मिक संतुष्टि का एहसास होता है। इधर लीना और करीना निर्वस्त्र हो कर पानी के साथ अठखेलियाँ करती हुई राजेश को पूल मे आने का निमंत्रण देती है। अब दोनों बेहत खूबसूरत नवयुवतियाँ हो चुकी है। दो बच्चों के बाद भी लीना के जिस्म में अभी वही सुहाग रात वाली कशिश है, बस सीना और नितंब थोड़े से भर गये है परन्तु कमर का कटाव और भी गहरा गया है। करीना के शरीर में हलका सा भी बदलाव नहीं आया है। एक बच्ची की माँ बनने के बाद भी उसके जिस्म में वही आकर्षण और छरहरापन, ऐसा मानो कि जैसे आसमान से अपसराएं धरती पर उतर आयीं है।)
राजेश: टीना… इस को मेरे को दे दो।
टीना: पापा… यह मेरी तरह जिद्दी है… मै इसका दूध छुड़ाने की कोशिश कर रही हूँ
राजेश: क्यों भई…
टीना: (आँखे नचाते हुए) आपके बाद इस के लिए कम पड़ जाता है… इसी लिए
राजेश: (मुस्कुरा कर) कोई बात नहीं आज की रात मैं अपनी गाय को फिर से हरी कर देता हूं जिससे इसके लिए दूध की कमी न रहे…
टीना: नहीं पापा… दो साल के बाद बच्चे को थोड़ा भारी आहार चाहिए… इस लिए इसका यह दूध छुड़ाना जरुरी है… उनको देखो…कैसी मस्ती छाई है…करीना और दीदी आपको सेड्यूस करने में लगी हुई है…ठीक भी है एक हफ्ते से दीदी बाहर गयी हुई थी और करीना की भी नाइट शिफ्ट चल रही है…
राजेश: तुम भूल रही हो… वह अपना कोटा लंच टाइम में पूरा कर लेती है…
टीना: (आभा की ओर आवाज देते हुए) दीदी इस शैतान को छोड़ दो…
राजेश: हाँ आभा… इसको छोड़ दो…गिर कर ही सँभलना सीखेगा।
आभा: (बच्चे की उँगली छोड़ते हुए) तुम पानी में नहीं जा रहे…
राजेश: तुम्हारा और टीना का इंतजार कर रहा था कि तुम लोग आ जाओ तो साथ चलते है… और थोड़ी देर लीना और करीना को भी तड़पने दो…
आभा: राजेश तुम भी… आओ टीना
टीना: इस का क्या करुँ…
राजेश: (अपने कपड़े उतारते हुए) इसको मुझे दे दो और जल्दी से कपड़े उतार कर पानी में आ जाओ… आओ आभा
(राजेश ने गोदी में बच्ची को उठा लिया और निर्वस्त्र टीना और आभा को अपने साथ ले कर कर पूल की ओर बड़ गया……)
समाप्त
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- Sexi Rebel
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Re: कमसिन कलियाँ compleet
Wah wah bandhu padhkar masti se awibhut ho gaya
- shubhs
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Re: कमसिन कलियाँ compleet
बेहतरीन प्रदर्शन
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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