कमसिन कलियाँ compleet

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jay
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Re: कमसिन कलियाँ

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कमसिन कलियाँ--19

गतान्क से आगे..........

मुमु: हाँ…लीना के टाईम वह मुश्किल से बारह की होगी…या तेरह मे लगने वाली होगी।

राजेश: परन्तु कद काठी से तेरह की लगती थी। मेरे पास कुछ करने को नही था तो मै अगले रोज उसी रास्ते से चिठ्ठी डालने पोस्ट आफिस जा रहा था कि तनवी स्कूल से लौटती हुई दिखायी दी… मुझको देख कर मेरी ओर आ गयी और कहने लगी राजू भैया मुझसे चला नहीं जा रहा… तो मैनें हँसते हुए कहा कि क्या तुमने मुझे अपनी स्कूल बस समझ लिया है…अभी तो ठीक ठाक चलती हुई दिख रही थी और अब मुझे देख कर अपना बोझा ढोने के लिए ऐसा बहाना बना रही हो… तो अचानक उसके चेहरे पर मायूसी आ गयी…मुमु तुम्हें तो पता है कि उसका चेहरा मासूम होते हुए भी कितना एक्सप्रेसिव था…मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और मैनें एक बार फिर से उसे अपनी बाहों मे उठा लिया और तुम्हारे घर का रुख करने को हुआ तो तनवी ने मुझे रोका और बोली कि क्या कुछ देर हम वहीं पर बैठ सकते है… मुझे पोस्ट करने की जल्दी थी आखिर वह मेरे अमरीका मे दाखिले के पेपर्स थे… पर उसकी आवाज में जो भाव थे मुझसे आगे नहीं बढ़ा गया…

मुमु: यही तनवी की खूबी थी…वह जो भी बोलती ऐसा लगता था कि दिल से बोल रही है…

राजेश: उसे अपनी बाहों मे उठा कर मै नहर के किनारे ले जा कर बैठ गया… तनवी मुझे देख रही थी और मै अपनी झेंप मिटाने के लिए अनाप-शनाप बकता चला जा रहा था… अचानक तनवी ने मेरे होंठों पर उंगली रख कर चुप कर दिया और कहा कि तुम मेरा बोझ कितनी देर तक उठा सकते हो…। उसे खुश करने के लिए मैने मजाक मे कह दिया कि तुम कहो तो सारी जिन्दगी मै तुम्हारा बोझ ऐसे ही उठा सकता हूँ। परन्तु मै उस वक्त यह नहीं जानता था कि ऐसा करके मैनें उसके डेथ वारन्ट पर दस्तखत कर दियें है…(कुछ देर चुप हो कर राजेश अपनी भावनाओं को सँभालने की कोशिश करता है)… मुमु यह सुनते ही तनवी ने जिस तरीके से मुझे देखा तो पहली बार मुझे लगा कि उसकी आंखे जैसे मेरी आत्मा से सीधे कुछ कह रही है। उस समय तो मुझे कुछ समझ नहीं आया परन्तु जब उसे तुम्हारे घर पर छोड़ कर लौट रहा था तो मुझे लगा जैसे मेरा कुछ पीछे छूट गया है… सारे रास्ते अपने आप को यकीन दिलाता रहा कि वह तो बहुत छोटी है परन्तु दिल में तो जैसे उसकी वह आँखे मेरे दिल में घर कर चुकीं थी… उस रात को मै सो नहीं सका। पहली बार अपने को बेबस पा रहा था…

मुमु: यही तो पहली नजर की मोहब्ब्त कहलाती है…

राजेश: तुम नहीं मानोगी तब तक मैं स्त्री सुख भोग चुका था आखिर होस्टल में रहता था और जमींदार परिवार का इक्लौता वारिस था… परन्तु पहली बार एक बारह वर्षीय लड़की के मोहपाश में पागल हो गया था। अगले दिन मै सीधा स्कूल पहुँच गया और तनवी का इंतजार करने लगा…स्कूल की छुट्टी हुई कि सामने तनवी अपनी सहेलियों के साथ बाहर आती हुई दिखाई दी तो मै थोड़ा सा दीवार की आड़ ले कर खड़ा हो गया। हाँलाकि तनवी अपनी सहेलियों के साथ थी परन्तु वह बार-बार इधर-उधर कुछ ढूँढती हुई दिखी… कुछ देर बात कर के उसने अपने घर की ओर चलना शुरु किया…और मै कुछ दूरी बना कर उसके पीछे-पीछे चलने लगा… एक सुनसान जगह पर मैने उसे आवाज दे कर रोका तो मुझे देख कर भाग कर आकर मुझसे लिपट कर रोने लगी। मै डर के मारे जल्दी से उसे सड़क से उतार कर झुरमुटों के पीछे ले गया जिस से कोई कुछ गलत न समझ लें… तनवी जब शान्त हुई तो मेरे सीने पर मुक्का मारते हुए पूछा कि तुम मुझे लेने क्यों नहीं आए… हतप्रभ हो कर मुझे तो जैसे साँप सूँघ गया… कोई जवाब नहीं बन पड़ा और वह रोती हुई कहे जा रही थी कि वह मुझे स्कूल के बाहर ढूँढ रही थी। बात बनाते हुए मैने कहा कि मैने कब कहा था कि मै उसे लेने स्कूल आऊँगा तो उसने जवाब दिया कि कल ही तो कहा था कि आज से तुम मेरा बोझ सारे जीवन भर उठाओगे…कल तुम्हारी आँखों ने मुझसे कहा था कि आज से तुम रोज मुझे स्कूल से लेने आओगे…फिर क्या हुआ कह कर लड़ने लगी। उसकी यह बातें सुन कर मै हैरानी भरे स्वर में बताया कि मै उसके स्कूल के गेट पर खड़ा हो कर पिछले आधे घंटे से उसका इंतजार कर रहा था पर जब उसको सहेलियों के साथ देखा तो शर्म के कारण छिप गया था…

मुमु: (राजेश के बालों मे अपनी उँगलियॉ फिराते हुए) इसको कहते दिल से दिल की राह…

राजेश: सच में मुमु… प्यार की पराकाष्ठा ही कह सकता हूँ कि मोहब्बत का इजहार किये बिना बस मेरी आँखों में सब पढ़ लिया था और उसने मुझे अपना मान लिया था। उसको अपनी बाँहों मे उठा कर वहीं नहर के किनारे ले जा कर बैठ गया। हम बिना कुछ बोले एक दूसरे को देख रहे थे और मुझे आज भी विश्वास है कि हमारे बीच जैसे कुछ बात हो रही थी। काफी देर के बाद मैनें झिझकते हुए कहा कि तनवी मै उम्र में तुमसे बहुत बड़ा हूँ परन्तु मुझे तुमसे मोहब्ब्त हो गयी है… तनवी का जवाब था कि मै जानती हूँ पर क्या तुम जानते हो कि मै तुमसे बहुत दिनों से प्यार करती हूँ… इस प्यार में वासना नहीं थी… मुमु वह पहला दिन था जब हमने एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसम खायी थी।

मुमु: तभी…जब तनवी मेरे पास आयी थी पिताजी की शिकायत करने तब तक यह बात हो चुकी थी…

राजेश: नही… यह वाला वाक्या तो पहले हो चुका था…मुझे तनवी ने बताया था।

मुमु: अच्छा… कमाल है कि बिना इजहारे इश्क तनवी को पहले से विश्वास था कि वह तुम्हारी है… फिर पिताजी को कब और कैसे पता चला…

राजेश: जैसे तुमने आज अपना दिल खोल कर रख दिया वैसे आज मै भी सारे दिल के राज तुम्हें बता देता हूँ… उस दिन के बाद हम रोज नहर पर अपना समय बिताते थे… तनवी अब तक मुझे अपना पति मान चुकी थी। मेरे अमरीका जाने का टाइम नजदीक आ चुका था… अमरीका जाने से एक दिन पहले जिद्द करके मुझे मन्दिर ले गयी और भगवान की मूर्ती के सामने हमने एक दूसरे के गले में फूलमाला डाल कर विवाह कर लिया… तुम्हें याद होगा कि तनवी एक पूरी रात घर नहीं आयी थी क्योंकि उस रात हम दोनों आसमान के नीचे तारों की छाँव में नहर के किनारे अपनी सुहाग रात मना रहे थे।

मुमु: कमाल है…तनु ने इस बात की कानोकान खबर नहीं लगने दी… उसने तो बताया था कि वह टेस्ट के चक्कर में सुनीता के घर पर रुक गयी थी… वाह रे मोहब्ब्त… तो पिताजी को कैसे पता चला…

राजेश: अब सो जाओ… इसकी भी एक कहानी है… कल दफ्तर भी जाना है…

मुमु: राजेश… आज हमारे बीच कोई हिचक नहीं है… आज सब बता दो…फिर क्या पता कल हो न हो…

राजेश: शायद तुम सही कह रही हो… मै कल की छुट्टी ले लेता हूँ। परन्तु आगे कुछ बताऊँ इससे पहले जरा गला तर कर लेते है… क्या कहती हो… मेरे लिए वोदका तुम्हारे लिए ब्लडी मैरी…

(कहते हुए कमरे के बाहर चला जाता है और फ्रिज खोल कर ड्रिंक्स बनाता है।राजेश अपने हाथों में ड्रिंक्स की ट्रे लिए बेडरूम में आता है। बेड पर निर्वस्त्र लेटी हुई मुमु को देख कर ठिठक कर रुक जाता है और उसके के अंग-अंग को निहारता है। गोल चेहरा, तीखे नाक-नक्श, भरपूर गोलाई लिये सुडौल नितंब, बालोंरहित कटिप्रदेश, बल खाती हुई कमर और कटाव लेते हुए कुल्हे, उन्नत और भारी स्तन और उनके शिखर पर काले अंगूर सिर उठा कर बैठे हुए। राजेश के शरीर में एक बार फिर से खून का बहाव तेज होता है पर कुछ सोच कर अपने उपर काबू करता है। मुमु भी राजेश को निहारती हुई एक बदन तोड़ने वाली अंगड़ाई लेती है।)

राजेश: (मुमु की ओर बढ़ते हुए) अ…ररे क्या कत्ल करने का इरादा है

मुमु: (मुस्कुराते हुए) हाँ बिल्कुल…

राजेश: (हँसते हुए) तुम कहो तो…

मुमु: नहीं। आज नहीं… आज से पहले हम कितनी बार एक दूसरे के शरीर मे समा चुके है। परन्तु आज से पहले हम एक दूसरे के इतने निकट नही आ सके… जितना आज रात को बिना कुछ किए आ गये…

राजेश: तुम सही कह रही हो… इतने साल से तुम मेरे साथ रह रही हो पर हमारे बीच में हमेशा एक दूरी या दीवार रही है जिसे हम दोनों ने कभी लांघने की कोशिश नहीं की बस अपने पास्ट को सीने से लगाए चलते जा रहे थे…

मुमु: (अपनी ड्रिंक की चुस्की ले कर) हाँ… मेरे पिताजी को तुम्हारी मोहब्बत का कब और कैसे पता चला?

राजेश: (ड्रिंक की चुस्की ले कर) अच्छा तो फिर हमारी सुहाग रात के बाद अगले दिन मै अमरीका चला गया… तनवी अपनी पढ़ाई में जुट गयी आखिर उसे परीक्षा में भी पास होना था… लेकिन हर हफ्ते वह मुझे एक खत लिखती थी… मेरी मजबूरी थी कि मै उस को जवाब नहीं दे सकता था… तनवी बहुत साफ दिल और मिलनसार थी।

मुमु: क्यों नहीं लिख देते… पिताजी को कौन सी अंग्रेजी आती है…

राजेश: तुम नहीं जानती हो अपने पिताजी को… जब से तनवी ने खिलाफत की थी वह इसी ताक मे थे कि कैसे उसे दंडित करें… तनवी अपने खतों में यहाँ की सब बातों का जिकर करती थी। लीना के पैदा होने की खबर भी मुझे उसने दी थी… बच्ची को जन्म देने के बाद जब तुम अपने पिताजी के कमरे मे रहने चली गयी तो उसने मुझे लिखा था कि पिताजी सबसे ज्यादा मुमु को प्यार करते है… और बहुत सारी यहाँ की बातें लिखती थी। एक बार मुझसे नहीं रहा गया… तो मैनें तनवी से बात करने के लिए स्कूल मे फोन किया… समझ सकती हो तुम कि यहाँ के दिन के एक बजे वहाँ पर रात के एक बज रहा होता है। पर प्यार अंधा होता है, तनवी की आवाज सुनने के लिए मै तीन मील चल कर रात के एक बजे अपने होस्टल से फोन बूथ पर आया था। उसके साथ बात करके मुझे कुछ दिन के लिए चैन हो गया परन्तु उसकी आवाज सुनने के लिए मै हर दम बेचैन रहता था। मैनें एक दिन फिर से तनवी से बात करने के लिए स्कूल फोन किया… और फिर हर हफ्ते हम फोन पर बात करने लगे… यह मेरी पहली गलती थी

मुमु: हाँ स्कूल से तनवी के खिलाफ शिकायत आई थी और पिताजी ने उसे बुला कर बहुत बुरा भला कहा था… बहुत पूछने के बाद भी उसने तुम्हारा नाम नहीं बताया था…

राजेश: इसके बाद से तुम्हारे पिताजी ने तनवी के प्रति ज्यादा सजग हो गये थे… उसके आने-जाने, किस से मिलती है और उसकी कौन सहेलियाँ है, सब पर नजर रखने लगे थे… फिर एक साल बाद मै अपनी छुट्टियाँ बीताने घर आया था… तुम्हारे पिताजी ने शायद तनवी के चेहरे पर आयी खुशी पढ़ ली थी… तनवी को जबरद्स्ती उन्होंने मामा के घर भेज दिया था। इस बात का बड़ी मुश्किल से मुझे पता चला तो उस से मिलने तुम्हारे मामा के गाँव चला गया। तनवी बहाना लगा कर मेरे साथ वापिस आ गयी और वह मेरे खेत वाले मकान मे रहने लगी। अब हमारे दिन और रात साथ-साथ बीतने लगी थी। मेरे पापा और मम्मी ने जब इसके बारे में मुझ से पूछा तब तनवी को उनके सामने ला कर मैने उनको सच-सच सारी बात बता दी। यह मेरी दूसरी गलती थी।

मुमु: मुझे उस वक्त मामला तो समझ नहीं आया अपितु यह पता चला कि तुम्हारे पापा ने हमें बहुत बड़ा नुकसान दिया था और दुश्मनी निभाई थी… एक या दो बार तो पिताजी अपनी गन ले कर तुम्हारे पिताजी को मारने के लिए गये थे…

राजेश: हाँ परन्तु यह सब बात मेरे जाने के बाद हुई थी… उस दिन के बाद तनवी हमारे घर पर ही रहने लगी थी… मेरी मम्मी के साथ उसकी काफी घनिष्टता हो गयी थी। मेरे जाने के बाद मेरे पापा तुम्हारे पिताजी के पास गये थे और उन्हें सारी बातों से अवगत करा दिया तो तुम्हारे पिताजी आग-बबूला हो कर जबरदस्ती तनवी को अपने साथ रास्ते भर मारते हुए ले जा कर खेत पर बने गोदाम में बन्द कर दिया था। इसके बाद से हमारे परिवारों मे दुश्मनी हो गयी कभी तुम्हारे पिताजी के गुंडे हमारे खेतों में आग लगा देते और कभी मेरे पापा के गुंडे तुम्हारे खेतों को नुक्सान पहुँचाते थे। इन्ही दिनों में टीना तुम्हारे पेट में आ गयी थी… और तुम अपने पिताजी के काम की नहीं रह गयी थी… तनवी की पढ़ाई भी तुम्हारे पिताजी छुड़वा दी थी… तुम्हारे पिताजी ने तनवी का जीना दूभर कर रखा था। बेचारी इतने दुख में भी अपनी चिठ्ठी मेरे पास भिजवाना नहीं भूलती थी। तुम्हें पता है कि कौन तुम्हारे घर से तनवी की चिठ्ठी मेरी मम्मी के पास पहुँचाता था…

मुमु: पता नहीं

राजेश: दाई अम्मा… तनवी के एक-एक आँसू की वही अकेली गवाह थी। दाई अम्मा ने तुम्हारे बारे मे भी तनवी को बता दिया था… उसे यह भी बताया था कि कैसे तुमने अपने पिताजी को धमकी दे कर तनवी को बचाया था। बेचारी उसने कभी भी अपने उपर होते हुए जुल्मों को अपनी चिठ्ठी मे नहीं लिखा था। हाँ बस एक बार हमारे परिवारों के बीच हुई दुश्मनी का जिकर किया था… बहुत बार उसने तुम्हारे बारे में लिखा था। हर चिठ्ठी में लीना का जिकर करती थी… लीना से बहुत प्यार करती थी उसने मुझे एक लिस्ट भेजी थी कि अगली बार जब मै वापिस आऊँगा तब इन सब चीजों को लेता हुआ आँऊ… टीना के जन्म पर तनवी ने एक ऐसी ही लिस्ट और भेजी थी… तुम विश्वास नहीं करोगी कि दो साल से बाहर रह रहा था परन्तु एक बार भी मेरे जहन में किसी और लड़की का ख्याल नहीं आया। ऐसे ही रस्साकशी में दूसरा साल भी निकल गया। पढ़ाई के जोर की वजह से उस बार छुट्टियों में नहीं आ सका था। तुम्हारे पिताजी ने मेरे खिलाफ न जाने तनवी से क्या-क्या कहा मगर उसने कभी भी उन बातों का जिक्र नहीं किया… मुझे हर बात दाई अम्मा की जुबानी पता चली थी।

मुमु: तुम्हें पता है जब टीना हुई तो पिताजी गुस्से से बिफर गये और उन्होंने मुझे छिनाल कह कर घर से निकाल दिया था… मै दूध पीती हुई बच्चियों को ले कर कहाँ जाती… तो बेचारी तनवी ने मुझे अपने कमरे में ही रख लिया था। बेचारी कभी मुझे संभालती कभी बच्चियों को संभालती…जैसे तैसे तुम्हारी पढ़ाई खत्म होने की खबर आयी तो तनवी के चेहरे पर पहली बार इतने दिनों के बाद रौनक देखने को मिली थी… जब तुम लौट के वापिस आ गये तो एक दिन पिताजी हमारे कमरे में आकर तनवी को चेतावनी दे कर गये कि अगर तुम उनके घर के आस-पास भी दिखे तो तुम्हें गोली मार देंगें… हम दोनों बहुत डर गये थे क्योंकि तनवी को विश्वास था कि तुम वापिस आकर जरूर उसको लेने आओगे…

राजेश: दुश्मनी बहुत आगे तक जा चुकी थी और मेरे और तनवी के पिताजी का आमना-सामना बहुत घातक होगा…इसलिए मेरे पापा ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया था… बहुत कोशिश के बाद दाई अम्मा ने मुझे बता दिया था। मैने तनवी को बचाने की योजना अपने दोस्तों के साथ मिल कर बनाई और उसी रात को गोदाम पर पहुँच गये और तुम्हें और तनवी को लेकर अपने घर ले कर आये थे। यह मेरी तीसरी गलती थी… हमारे घर पर तुम्हारे पिताजी अपने गुंडों को ले कर पहले से ही बैठे थे… मुझे देखते ही मुझ पर गोली चला दी परन्तु तनवी अपने पिताजी को रोकती हुई मेरे सामने आ गयी… तुमने तो सारा कुछ अपनी आँखों से देखा था। मेरे पापा जब मुझे बचाने के लिए आगे बढ़े तब पास खड़े जगबीर ने उन्हें भी गोली मार दी थी। मुझे तो होश ही नहीं था एक तरफ तनवी खून में लथपथ मेरी बाँहों में तड़प रही थी और दूसरी ओर मेरे पापा की लाश पड़ी हुई थी। उस दिन मैनें तुम्हारा असली रूप देखा था (राजेश डबडबाती हुई पलकों से मुमु की ओर देखते हुए)… जब तुमने तनवी का हाथ पकड़ कर अपने पिताजी का खुलेआम विरोध किया और उनको छोड़ने का निश्चय करते हुए कहा था कि आज के बाद तुम और तुम्हारी बच्चियाँ उनके लिए मर गये… और तनवी ने अपने आखिरी वक्त में मुझे तुम्हारी और बच्चियों की जिम्मेदारी दे कर हमेशा के लिए छोड़ कर चली गयी।

मुमु: हाँ मुझे मालूम है… तुमने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे पिताजी को कहा था कि तुमने अपनी एक बेटी को इस लिए मार दिया कि वह मेरी पत्नी थी पर अब क्या करोगे जब तुम्हारी सारी बेटियों को मै सिर्फ मेरी हमबिस्तर बना कर रखूंगा… मुझे रोक सको तो रोक लेना। मेरे पिताजी को पुलिस पकड़ कर ले गयी थी और कुछ दिन गाँव मे ठहर कर तुमने अपने और हमारे खेतों की जिम्मेदारी अपने पुराने नौकर पर डाल कर इस शहर आने का फैसला लिया था। पिताजी को बारह वर्ष की सजा हो गयी और हम इस शहर में आकर बस गये। तुमने तो स्वर्णाआभा को भी साथ चलने को कहा था… परन्तु पिताजी के बहकावे में आ कर वह दाई अम्मा के साथ ही रह गयी थी। हमारा किसी रीति-रिवाज से विवाह तो नहीं हुआ परन्तु आज तक हम पति-पत्नी की तरह रह रहें है। मेरी बच्चियाँ के लिए तुम ही उनके बाप हो… और मै अपनी बच्चियों के उपर उस जालिम आदमी का साया भी पड़ने नहीं देना चाहती…

राजेश: (मुमु को अपने सीने से लगाते हुए) मुमु… तुम यह नहीं जानती कि मैने तुम्हारे पिताजी को फाँसी से बचाने के लिए वकील किया और हर महीने स्वर्णाआभा को जेब खर्च के लिए पैसे भेजता था… जब तुम्हारे पिताजी अपनी सजा काट कर पिछले साल मेरे पास तुम्हारी जानकारी लेने आये तो बहुत बुरी हालत में थे… कोर्ट-कचहरी के चक्कर में उनका सब कुछ लुट चुका था। पर उनको देख कर मुझे उन पर गुस्सा नहीं आया अपितु उन पर द्या करते हुए मैनें उन्हें किसी से कह कर काम पर लगा दिया था…।

मुमु: यह क्या किया तुमने… वह आदमी भरोसे के काबिल नहीं है।

राजेश: (मुमु के होंठों को चूम कर अपने जिस्म से उसके नग्न जिस्म को ढकते हुए) मुमु क्या तुम एक और बच्चे के लिए तैयार हो…

मुमु: राजू (भावविह्ल हो कर) अब तक याद नहीं हमने कितनी रातें साथ बिताई है पर तुमने ने कभी भी यह प्रश्न पहले नहीं किया… न ही तुमने तनवी के बाद कभी बच्चे की चाहत दिखाई है…

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

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कमसिन कलियाँ--20

गतान्क से आगे..........

राजेश: (अपनी लुंगी को खोलते हुए)… आज मुझे लगता है कि मुझे तनवी की यादों से बाहर आ जाना चाहिए… अब तक मै सोचता था कि तनवी के बाद मेरे दिल में कोई उसकी जगह नहीं ले सकेगी… जहाँ तक सेक्स की भूख मिटाने की बात थी तो उसके लिए तो इस दुनिया में बहुत नवयौवना है… परन्तु आज से हम…

मुमु: (अपने हाथों में राजेश के लंड को पकड़ कर सहलाते हुए) अभी कुछ न कहो… पहले हम पिताजी वाली गुत्थी को सुलझा लें… क्योंकि पिछले कुछ दिनों में बहुत बदल गया है…

राजेश: (मुमु की बात को अनसुना करते हुए मुमु की चूत में अपने लंड को पूरी तरह से बिठा कर) मुझे मालूम है…

(दोनों के नग्न जिस्म एक दूसरे में पूरी तरह गुथे हुए है। राजेश अपने मुख से मुमु की गोलाईयों को निचोड़ रहा है। अंगूर से शिखर कलश को होंठों में दबा कर मुमु की आग को भड़काने में लगा हुआ है। मुमु की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से एक भरपूर धक्का देता हुआ उन्नत स्तनों को अपनी हथेली में लेकर कर मसकता है। राजेश की गर्म साँसों का आघात अपने चेहरे पर महसूस करते हुए मुमु और अधिक उत्साह से अपनी टांगों को राजेश की कमर पर लपेट देती है। भावतिरेक हो कर राजेश का लंड अपना भयावह रूप धारण कर लेता है और मुमु के चूत की दीवार पर जोर अजमाईश करता है। मुमु के अर्ध खुले होठों पर अपने होंठों लगा कर उनका रस निचोड़ता है। इधर मुमु भी उत्तेजना में अपना सिर इधर-उधर पटकती है।)

मुमु: .उ.अ..आह.राजे…शअ.उउआ.…आह....

राजेश: जान… तुम्हारी चूत को मेरे फनफनाते हुए लौड़े की जरुरत है… क्या कहती हो…

मुमु: राजेश…अ.उउआ....(अपनी बच्चेदानी के मुहाने पर राजेश के चिरपरिचित लंड के फूले हुए सुपाड़े को महसूस करती हुई) राजेश्……आ…हन…

(राजेश एक हाथ से मुमु की गुलाबी बुर्जीयों को लाल करने में वयस्त हो जाता है। कभी पूरा स्तन अपने मुख मे भर कर निचोड़ता है और कभी स्तन पर विराजमान अंगूर के दाने को अपने होंठों में दबा कर चूसता है।)

मुमु: आह....प्लीज

(अब राजेश से भी नहीं रुका जा रहा। मुमु को अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से मुमु के पाँवों को अपने कन्धे पर रख कर अपने लंड को पुरी ताकत से अन्दर की ओर ढकेलता है। जैसे ही लंड का पुरा सुपाड़ा सरक कर बच्चेदानी का मुहाना खोल कर अन्दर धँस जाता है, एक लम्बी सी सिसकारी के साथ मुमु अपना शिकंजा कसती हुई राजेश को जकड़ लेती है।)

मुमु: .उउआ.आह....उई...आ...उ.उ.उ...आह.....

(राजेश अपनी उंगलियों से मुमु की गाँड के छिद्र को टटोलता है और अपनी उँगली को मुहाने पर रख दबाव डालता है। उत्तेजना में तड़पती मुमु के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है और अपनी उंगली गाँड के मुहाने पर फिरा रहा है।)

मुमु: …उ.उई.माँ.....न्हई…आह.....

(क्षण भर रुक कर, राजेश ने मुमु के नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है और पीछे से गाँड के छिद्र के मुहाने को खोल कर अपनी उँगली अन्दर तक धँसा देता है। दोनों जिस्म वासना की आग में जल रहे है।)

राजेश: (गति बढ़ाते हुए) मुमु……

मुमु: हूँ…हाँ…

(ऐसे ही कुछ देर तक जबरदस्त धक्कों मे ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया है। ज्वालामुखी फटने से पहले एक जबरदस्त आखिरी वार करता है। इस वार को मुमु बरदाश्त नहीं कर पाती और उसकी चूत झरझरा कर बहने लगती है। राजेश का लंड भी सारे बाँध तोड़ते हुए बिना रुके मुमु की बच्चेदानी मे लावा उगलना शुरु कर देता है। कुछ देर लिपटे हुए पड़े रहने के बाद दोनों एक दूसरे से अलग होते है।)

राजेश: मुमु… आज क्या हो गया था तुम्हें…

मुमु: (शर्माते हुए) कुछ नही…

राजेश: अरे आज बहुत दिनों के बाद तुम्हें शर्माते हुए देखा है… देखो तुम्हारे गाल कैसे लाल हो गये है…

मुमु: (नजरे चुराती हुई) अब सो जाओ… कल दफ़्तर नहीं जाना है क्या…

राजेश: यह तो पहले ही तय हो गया था कि कल मै छुट्टी पर हूँ…

मुमु: तो पिताजी का क्या करना है… अगली बार फोन करें तो यहाँ बुला लूँ…

राजेश: (मुमु से लिपटते हुए) हाँ… अच्छा बताओ एलन का प्रोग्राम कैसा चल रहा है…

मुमु: (झिझकते हुए) अच्छा है… हर रोज की ट्रेनिंग मेरे शरीर को तोड़ कर रख देती है परन्तु (हल्की मुस्कुराहट लिए) यह एक नया अनुभव है।

राजेश: मुमु… तुम्हें डौली कैसी लगती है…

मुमु: (चौंक कर) क्यों… मतलब यह कैसा सवाल है…

राजेश: देखो…मुझे डौली ने बताया है कि वह तुमसे मोहब्ब्त करने लगी है…

मुमु: (झेंप कर) वह पागल है… हाँ हम एक दूसरे को चाहते हैं पर मैने उसे साफ शब्दों में समझाया है कि मैं तुम्हारी पत्नी और उसकी दोस्त हूँ… इससे ज्यादा कुछ नहीं…

राजेश: ठीक है… मै उसे बता दूँगा कि वह तुमसे कुछ ज्यादा एक्सपेक्ट न करें…

मुमु: तुम रहने दो… मै ही समझा दूँगी…

राजेश: ठीक है… चलो सो लेते है… सुबह के पाँच बज रहे हैं… सारी दुनिया के जागने का टाईम हो रहा है…और हम सोने की तैयारी कर रहे हैं।

(कुछ देर पहले की एक्सरसाइज से दोनों थके हुए होने के कारण एक दूसरे से लिपट कर सो जाते है…)

(शाम का समय। मुमु अपनी ट्रेनिंग करने के लिये जा चुकी है। टीना अपनी सहेली करीना के घर गयी हुई है। राजेश ड्राईंगरूम में बैठ कर टीना की राह देख रहा है। दरवाजे की घंटी बजती है। राजेश झपट कर दरवाजे की ओर जा कर दरवाजा खोलता है। सामने टीना और करीना मुस्कुराती हुई घर में प्रवेश करती है। दोनों ने आज बड़े सेक्सी वस्त्र पहने हुए हैं। टीना और करीना, दो जुड़वाँ बहनों की तरह, महीन सी लो कट टी-शर्ट और मिनी स्कर्ट पहनें हुए है। सीने की गोलाईयाँ आधी टी-शर्ट के बाहर झाँकती हुई और तन्नाते हुए शिखर कलश टी-शर्ट के नीचे साफ विदित होते हुए और मिनी स्कर्ट से निकलती हुई मांसल चिकनी गोरी टाँगे देख कर राजेश का मुँह खुला का खुला रह गया।)

टीना: पापा…आज बहुत थके-थके हुए दिख रहे हैं।

करीना: नमस्ते अंकल… (कहते हुए खिलखिला कर हँस पड़ी)

राजेश: (मुस्कुरा कर) नमस्ते…

टीना: मम्मी गयी क्या…

राजेश: हाँ… अभी थोड़ी देर पहले ही गयी है। तुम दोनों इस हालत में कहाँ से घूम कर आ रही हो… टीना कुछ खाने के लिये बनाऊँ क्या?

टीना: पापा मुझे कुछ नहीं खाना है… करीना तुझे कुछ खाना हो तो बता दे

करीना: मुझे भी कुछ नहीं चाहिए… पर जल्दी कर तुझे मेरे नोट्स उतारने में एक घंटे ज्यादा लग जाएगा…

टीना: करीना मै उपर जा कर नोट्स उतारती हूँ… तू तब तक टीवी देख और पापा से बात कर… (कुल्हें को मटकाते हुए अपने रूम की ओर रुख करती है)

करीना: (अपनी जगह से उठ कर राजेश के निकट बैठते हुए) जानू… आज कैसी लग रही हूँ?

राजेश: क्या चक्कर है आज… किसी को मारने का इरादा है (करीना को अपने नजदीक लाते हुए)… दोनों किसी शैतानी के मूड में हो…

करीना: (राजेश का हाथ पकड़ कर खींचती हुई) डार्लिंग हमारे पास एक घंटा है… कुछ मीठा हो जाये…

राजेश: करीना आज तुमको क्या हो गया है… अगर टीना नीचे आ गयी तो गजब हो जाएगा।

करीना: मुझे मालूम है कि टीना इतनी जल्दी नीचे नहीं आएगी… चलो न (कहते हुए राजेश के बेडरूम की ओर चल पड़ी। करीना के पीछे-पीछे राजेश भी बेडरूम में चला गया।)

राजेश: (करीना को पीछे से अपनी बाँहों में भर कर)… तुम सिर्फ मेरी हो…जो कार्य फ़ार्म पर अधुरा रह गया था कहो तो आज पूरा कर लें… (कहते हुए पीछे की दरार में अपना हथियार गड़ाता है)… आज हमारा तुम्हारा मिलन इस बेड पर होगा… (कहते हुए करीना की अधखुली टी-शर्ट में अपना हाथ डाल कर दोनों पहाड़ियों की चोटीयों को सहलाता है)

करीना: आ…ह… मैं तो आपकी हूँ। जैसे चाहो प्यार करो…परन्तु पीछे की तिजोरी आपको फार्म पर ही खोलने दूँगी…(कहते हुए करीना अपनी टी-शर्ट उतार फेंकती है)

राजेश: जैसा तुम चाहो… मैं तो तुम्हारे हर अंग का दीवाना हूँ देखो तुम्हें देखते ही मेरे लंड में आग लग जाती है… (इतना कहते ही अपना पजामा उतार कर एक तरफ रख देता है)।

करीना: अं…(राजेश के लंड को अपने हाथ मे ले कर) लवली… अच्छा सच बोलिएगा कि यह मुझे देख कर या टीना को देख कर ऐसे अकड़ गया…

राजेश: सच पूछो तो यह तुम दोनों को देख कर ऐसा हो गया था… जितना तुममें नशा है उतनी ही टीना में कशिश है।

करीना: अच्छा जी… क्या आप टीना को भी ऐसे ही प्यार करते हैं…

राजेश: (करीना की मिनी स्कर्ट की ज़िप को खोल कर नीचे की ओर सरका देता है) मै टीना को एक बेटी और प्रेमिका के रूप में प्यार करता हूँ…(कहते हुए करीना के चिकने कटिप्रदेश और नितंबो पर हाथ फिराता हुआ)…अर…रे आज पैन्टी पहनना भूल गयीं… (कहते हुए अपनी उँगलियों से चूत की फाँकों को खोल कर छिपे हुए मोती से आकार लिए घुंडी को छेड़ता है)

करीना: हा…य माँ… तो आप मुझसे कैसा प्यार करते हैं?

राजेश: एक प्रेमिका और दोस्त की तरह… आह

करीना: मेरे प्रीतम… मेरी जल्दी से आग बुझाओ वरना…(करीना को राजेश अपनी बाँहों में उठा कर बेड की ओर ले जाता है)

राजेश: वरना क्या…(कहते हुए बेड पर लिटा देता है और अपने होंठों से करीना के होंठों का रसपान करता है। करीना का नग्न जिस्म राजेश के नीचे दबा हुआ है। करीना अपनी टांगों को राजेश की कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मचलती है। दोनों नग्न अवस्था में एक दूसरे की आग को भड़काने में लगे हुए है। राजेश के निशाने पर अब करीना के सीने की गोलाईयाँ है। कभी पूरा स्तन मुख में भर कर उनका रस निचोड़ता और कभी उत्तेजना से फूले हुए शिखर कलश को होंठों में दबा कर सोखता।)

करीना: अंकल…प्लीज (अपने हाथ से राजेश के लिंग को सही दिशा दे कर योनिमुख पर लगाती हुई)

(राजेश भी पूरे जोश मे आकर एक करारा धक्का देकर अपना लिंग अन्दर तक बैठा देता है। राजेश का नौ इंची हथियार चीरता हुआ अन्दर जा कर बच्चेदानी का मुख खोल कर गले तक जा कर फँस जाता है। एक क्षण के लिए तो करीना की साँस रुक जाती है परन्तु दूसरे ही क्षण अन्दर धँसती हुई गर्म राड कि लम्बाई और मोटाई को महसूस करती हुई एक लम्बी सिसकारी लेती है।)

करीना: अ…आह…हाय

राजेश: करीना तुम्हें उपरवाले ने मेरे लिए बनाया है…

करीना: हूँ…आह

(राजेश एक लय के साथ अपनी गति बढ़ाता है और हर धक्के पर करीना के मुख से निकलती हुई सिसकारी कमरे के माहौल को अति विलासमय बना देती है। करीना के कोमल अंगो के साथ निरन्तर खिलवाड़ करते हुए राजेश भी अपने होशोहवास खो कर कमसिन जवानी को भोगने का आनंद लेता है। पर्दे के पीछे से टीना बेड पर दो जिस्मों को एक दूसरे के साथ गुथे हुए चुपचाप खड़ी देखती है।)

क्रमशः

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: कमसिन कलियाँ

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कमसिन कलियाँ--21

गतान्क से आगे..........

(पर्दे के पीछे से टीना बेड पर दो जिस्मों को एक दूसरे के साथ गुथे हुए चुपचाप खड़ी देखती है।)

राजेश: करीना…करीना…

करीना: हूँ…थैंक्स मेरे प्रीतम

राजेश: आज तुम्हें क्या हुआ…हम तो एक साथ ही सीमा के पार पहुँचा करते हैं…

करीना: परन्तु आज नहीं…

(टीना पर्दे के पीछे से निकल कर राजेश के पीछे आ कर खड़ी हो जाती है। करीना उसको देख कर राजेश के नीचे से निकलने कि चेष्टा करती है।)

राजेश: अभी नहीं…तुम कुछ देर आराम कर लो…

टीना: पापा…(टीना की आवाज सुनते ही राजेश चौंक कर करीना से अलग होता है)

राजेश: टीना तुम…

टीना: हाँ पापा…अभी मेरा ट्रेनिंग रूटीन बचा हुआ है (कहते हुए अपनी टी-शर्ट और स्कर्ट उतार फेंक कर बेड पर करीना के साथ लेट जाती है। असमंजस में पड़े हुए राजेश के मुख से आवाज नहीँ निकलती है।)

टीना: क्या हुआ…प्लीज पापा…आप दोनों को देख कर तो मैं कितनी देर से आग में जल रही हूँ… (राजेश होश में आते हुए और सारा माजरा समझते हुए)

राजेश: बेटा…(टीना के निकट जा कर) इस सरप्राईज के बाद तुम्हारे साथ आज कुछ भी करना मेरे लिये बड़ा मुश्किल होगा…(कहते हुए करीना और टीना के बीचोंबीच जा कर लेट जाता है)

टीना: (राजेश पर सवार हो कर) प्लीज पापा…आप ही तो कह रहे थे कि हम दोनों ही आपकी प्रेमिका हैं…

राजेश: बेटा…(अपने सामने टीना की खुली हुई टांगों के बीच योनिच्छेद से रिसते हुए रस अपने सीने पर टपकते हुए देख कर)…करीना और तुम दोनों मुझे बहुत प्रिय हो पर एक समय दोनों के साथ… शायद यह मुझसे न हो सकेगा…(लेकिन तब तक टीना अपनी चूत राजेश के सीने पर रगड़ना शुरू कर देती है)

टीना: (राजेश के जिस्म पर अपनी योनि रगड़ती हुई) करीना…उठ यार अपना काम हो जाने के बाद मुझे भूल गयी…तू पापा के लंड को तैयार कर…देखो तो बेचारे का डर के मारे क्या हाल हो गया है।

करीना: टीना…(उठते हुए)…मेरे प्रीतम को शाक लगा है…तू चिन्ता मत कर अभी कुछ देर में इन का एक आँख वाला अजगर तेरा बुरा हाल कर देगा…देखती जा…

राजेश: करीना…(कुछ और बोलने से पहले टीना झुक कर अपने होंठ की गिरफ्त में राजेश के होंठों ले लेती है। राजेश के होंठों के साथ खेलती हुई टीना अपनी उन्नत और पुष्ट पहाड़ियों को राजेश के सीने पर रगड़ती है। दूसरी ओर राजेश के लंड को करीना अपने मुख में ले कर अपनी जुबान की ठोकरों से उठाने में लग जाती है।)…टीना…आह…

टीना: आप भी तो कुछ करिए…(कह कर अपने योनिच्छेद को राजेश के मुख पर रख देती है। रिसता हुआ प्रेमरस राजेश के होंठों को गीला कर देता है। राजेश से भी नहीं रहा जाता और अपनी उँगलियों से जुड़ी हुई फाँको को अलग करता है अपनी लपलपाती जुबान से लाल रंग के ऐंठें हुए बीज पर चोट करता है)…आअ…आह…अ…आह पापा

(राजेश टपकते हुए योनिरस को सोखने में लग जाता है। बार बार करीना की जुबान की कुकुरमुत्ते समान सिर पर चोट, मुलायम हाथों से अंडकोशों से खिलवाड़ और करीना के होंठों की मालिश से लिंगदेव भी प्रसन्न हो कर एक बार रौद्र रूप धारण कर के लहराने लगते है।)

राजेश: (अपना मुख योनि पर से हठा कर) टीना…तुम अब पूरी तरह से तैयार हो गयी हो मेरे लंड को अपने दूसरे मुख में लेने के लिये…पीछे हो कर तुम उस पर बैठ जाओ…करीना तुम टीना की मदद करो…

(करीना अपने मुख से राजेश का लंड को आजाद करती है और गरदन पकड़ कर सीधा कर देती है। टीना पीछे सरक कर धीरे से चूत के मुहाने को बैगनी रंग के फूले हुए लंड के सुपाड़े पर बिठाती है और धीरे से अपना वजन डाल कर अन्दर सरकाती है।)

टीना: (आँखे मूंद कर गर्म मोटी सलाख को अन्दर महसूस करती हुई)… अ…आ…ह्…आह

(करीना अब आगे आकर राजेश के मुख पर अपनी चूत को रख देती है। टीना थोड़ा जोर लगा कर एक झटके के साथ बैठ जाती है। जोश में तन्नायें हुए लिंगदेव चूत के संकरेपन में अपना रास्ता खोजते हुए सीधे बच्चेदानी के मुहाने पर जा कर रुक जाते है। इधर राजेश को आधा-अधुरापन महसूस होता है और वह भी अचकचा कर नीचे से एक भरपूर धक्का देता है जिसकी वजह से बच्चेदानी का मुख खोल कर लिंगदेव गरदन तक जा कर अन्दर फँस जाते है। टीना पूरा लंड निगल कर आँखें मूंदे योनि में पल-पल उठते हुए जलजले को महसूस करती हुई भावविभोर हो जाती है। करीना भी आँखें मूंद कर अपनी चूत के साथ होते हुए खिलवाड़ को महसूस करती है। तीन जिस्म अपने-अपने तरीके से वासना के तूफान में बहते हुए चरम सीमा तक पहँचने की तैयारी में लग जाते है। उत्तेजना में आसक्त हो कर टीना अपने हाथ बढ़ा कर करीना के स्तन को कभी सहलाती और कभी जोश मे मसक देती है।)

करीना: (टीना के कोमल हाथ और राजेश की जुबान की ठोकर से) अ आ…आह…आ…ह (कहती हुई झरझरा के बह उठती है। राजेश बहते हुए प्रेमरस के झरने में मुँह लगा कर पी कर तृप्त हो जाता है। करीना निढाल हो कर राजेश के उपर से हट कर बेड पर लेट जाती है और अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में करती है।)

टीना: प…आ…पा (राजेश के लंड पर उन्मुक्त घुड़सवारी करते हुए)…हाय…आह…

(करीना के जोश को ठंडा करके अब राजेश अपना ध्यान टीना पर केन्द्रित करता है। टीना के हिलते हुए स्तनों को अपनी हथेली का सहारा देकर सहलाता और मसलता है। उँगलियों के बीच मे फूले हुए अंगूरों को दबा कर तरेड़ता है।)

राजेश: टीना…आअ…मुझे लगता है कि मेरा लंड किसी लोहे के जबड़े में फँस कर रह गया है…आह

(राजेश के लंड की लम्बाई और मोटाई को नापते हुए टीना की चूत भी अपने अन्दर उफनते ज्वालामुखी को रोक नहीं पाती और झरझरा कर प्रेमरस की झड़ी लगा देती है।)

टीना: .उउआ.आह....उई...आ...उ.उ.उ...आह.....

(कुछ ऐसा ही हाल राजेश के साथ भी होता है। जैसे ही टीना के अन्दर ज्वालामुखी फटता है वह धम्म से अपना सारा वजन डाल कर बैठ जाती है और उसी गति राजेश का लंड सारी बाधाएँ पार करते हुए अपना सिर टीना की बच्चेदानी में जा कर फँसा देता है। टीना की चूत राजेश के लंड को इर्द-गिर्द से जकड़ कर उसका रस सोखने में लग जाती है। इसके एहसास से राजेश के अन्दर उफनता हुआ लावा सारे बाँधों को तोड़ कर बाहर आ जाता है और टीना की चूत को लबालब प्रेमरस से भर देता है। टीना भी थक कर राजेश के उपर गिर जाती है और राजेश भी टीना को अपने आगोश में ले कर अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में करने की कोशिश करता है। दोनों का मिला जुला प्रेमरस टीना की चूत में से रिसता हुआ अब बाहर छलकने लगता है और राजेश के पेट पर फैल जाता है।)

राजेश: (टीना को हिलाते हुए) टीना…बेटा…

टीना: हूँ…पापा

राजेश: क्या हुआ…तुम ठीक हो…

टीना: हूँ…

राजेश: (साथ में लेटी करीना की ओर रुख करके) करीना…करीना…

करीना: हूँ…

राजेश: (टीना को अपने उपर से हटा कर बैठते हुए)…अरे दोनों सिर्फ हूँ ही करती रहोगी या कुछ और भी बोलोगी…आखिर हम तीनों के मिलन का पहला दिन है…कैसा लगा?

करीना: एक्स्क्युइजिट्…

टीना: माइन्ड ब्लोइंग… पापा आप परफेक्ट पार्टनर हो…

राजेश: (दोनों को चूमते हुए) तुम दोनों मेरे लिए परफेक्ट फिट हो…अब जल्दी से तैयार हो जाओ मम्मी के आने का टाइम नजदीक आ रहा है…

टीना: नहीं पापा…ऐसे ही लेटे रहना अच्छा लगता है…(और कह कर करीना से लिपट जाती है)

करीना: हाँ डार्लिंग…टीना ठीक कह रही है (और कह कर टीना को कस कर अपने आगोश में बाँध लेती है)

राजेश: (दोनों लड़कियों को जबरदस्ती अलग करके बीच में बैठते हुए) मेरी परियों प्लीज होश में आ जाओ…जल्दी से कपड़े पहन लो मम्मी का टाइम हो गया है…

टीना: (ठुनकती हुई) पापा…ठीक है हम दोनों मेरे कमरे में जा कर आराम कर लेती है…(कह कर बेड पर खड़ी हो जाती है) करीना चल यार मेरे कमरे में वहाँ जा कर आराम करते है…

करीना: (बेड पर खड़ी होती हुई)…चल यार…मेरे प्यारे अंकल नें दिल तोड़ दिया…

(राजेश टुकुर-टुकुर दोनों की बातें सुनता है और दो नग्न कमसिन जिस्मों को निहारता है। दोनों के हसीन चेहरों पर पूर्ण तृप्ति के भाव, थरथराते हुए सुडौल वक्ष, कटाव लेते हुए नितंब, मासंल जांघें और बालोंरहित कटिप्रदेश देखते हुए राजेश के शरीर में एक बार फिर से रक्त संचारित होने लगता है। दोनों अपने कपड़े उठा कर नग्न अवस्था में इठलाती और बल खाती हुई टीना के कमरे का रुख करती है।)

राजेश: लड़कियों प्लीज… रहम करो… अपने को रोक नहीं सकूँगा…

करीना: (मुड़ कर) न रहा जाए तो…उपर आ जाईएगा…

टीना: (रुक कर) पापा…हम दोनों आपकी राह देखेंगीं…

राजेश: ओके बेटा…

(तभी दरवाजे की घंटी बजती है…दोनों लदर-पदर भागते हुए सीड़ीयाँ चड़ती हुई टीना के कमरे में चली जाती है। राजेश जल्दी से अपनी लुंगी को लपेट कर दरवाजे की ओर झपटता है।)

(दरवाजा खुलने पर अपने सामने कुरियर वाले को खड़ा पा कर खिसिया जाता है। लीना की वापिसी की फ्लाइट की जानकारी स्कूल वालों ने दी थी। जब तक राजेश कुरियर वाले को निपटाता है…सामने से मुमु कार को शेड के नीचे पार्क करती हुई दिखाई देती है…)

मुमु: (घर मे प्रवेश करते हुए) किसकी खबर है?

राजेश: कुछ खास नहीं…स्कूल वालों ने बताया है कि संडे सुबह लीना आ रही है।

मुमु: (सोफे पर बैठती हुई) टीना कहाँ है…

राजेश: उपर अपने कमरे में करीना के साथ है…खाना आज बाहर से मँगवा लेते है क्योंकि तुम थकी हुई होगी और करीना भी है…

मुमु: हाँ यही ठीक रहेगा…आज क्वालिटी रेस्टोरेन्ट से मँगवा लेते है।

राजेश: अच्छा ठीक है। तुम ओर्डर दे दो और मैं जल्दी से तैयार हो कर आता हूँ फिर तुम बाथरूम यूज कर लेना…

मुमु: हाँ यही ठीक रहेगा (कहते हुए फोन की ओर बढ़ जाती है)

(करीना, राजेश और उसका परिवार रात का भोजन एक साथ करते है। मुमु और राजेश अपने बेडरूम में चले जाते है। दोनों लड़कियाँ उपर टीना के कमरे में चली जाती हैं।)

मुमु: प्लीज एक नींद की गोली दे दो…

राजेश: मुमु अब इसकी आदत मत डालो…आगे चल कर तुम्हें इसकी आदत हो जाएगी।

मुमु: मै जानती हूँ परन्तु क्या करूँ…थकान और पिताजी की चिन्ता की वजह से नींद नहीं आएगी।

राजेश: (नींद की गोली मुमु को थमाता है) अच्छा चलो अब सो जाओ…(कहते हुए करवट बदल कर सोने का उपक्रम करता है)

(एक घंटे के बाद राजेश अपने बिस्तर से उतर कर दबे पाँव टीना के कमरे का रुख करता है। दरवाजे पर कान लगा कर अन्दर के हाल का जायजा लेता है। कमरे में उत्तेजना से भरी सिसकारियाँ गूँज रही है। थोड़ी देर बाहर खड़ा हो कर चुपचाप सुनता है और फिर दरवाजे को ठेल कर देखता है कि कहीं अन्दर से बन्द तो नहीं है परन्तु बिना कोई आहट किए दरवाजा खुल जाता है। राजेश कमरे में प्रवेश करके पर्दे के पीछे से अन्दर की ओर झाँकता है।)

(राजेश पर्दे के पीछे से अन्दर की ओर झाँक कर बेड पर पसरी हुई टीना और करीना के बीच मे होते हुए समलैंगिक एकाकार पर दृष्टि डालता है। उसके भी खून मे तेजी आ जाती है।) टीना:.उ.अ..आह.पा…अ.उउआ.पाआह....

करीना: अ..आह.…अ.उउआ.ह....

(दोनों लड़कियाँ 69 पोजीश्न बनाए एक दूसरे की जवानी के रस को सोखती हुई बेसुध हालत में है। सामने का दृश्य देख कर राजेश स्तब्ध खड़ा रह जाता है। धीरे से अपने को होश में ला कर दोनों की ओर बढ़ता है। दोनों हसीनाएँ आँखें मूंदे अपनी ही बनाई दुनिया में मस्त है और राजेश के आगमन से अनिभिज्ञ है। टीना की चूत पर करीना मुख लगा कर अपनी जुबान के अग्र भाग से लाल रंग के मोती को घिसती है। यही कुछ टीना भी करीना की चूत के साथ करती है। सामने का द्दृश्य देख कर राजेश का लंड भी अपनी हरकत में आ जाता है। राजेश अपनी लुंगी को निकाल फेंकता है और अपने लंड को एक मुठ्ठी में ले कर उसके सिर को अनावरित करते हुए अपने अंगूठे को चिकने बैंगनी रंग के फूले हुए सिर पर धीरे से फिराता है। अचानक करीना की निगाह राजेश पर पड़ती है और उसके मुख से दबी हुई चीख निकल जाती है। टीना भी हड़बड़ा कर उठ बैठती है और राजेश को देख कर हतप्रभ रह जाती है।)

टीना: पापा… यह क्या आपने दरवाजा कैसे खोला…

राजेश: (अपने तन्नाते हुए लंड को प्यार से हिलाते हुए) क्यों तुमने चिटकनी नहीं लगाई थी क्या? करीना डार्लिंग इसे तुम्हारे मुख की जरूरत है प्लीज…

टीना: नहीं करीना। हमनें कुण्डी तो लगाई थी…पर लगता है कि ठीक से नहीं लगी होगी…फिर भी आप दरवाजा तो खटखटा देते…

राजेश: तुम दोनों ने इतना उधम मचा रखा था की दरवाजे के बाहर तक आवाजें आ रही थीं।… और अगर मैनें खटखटा दिया होता तो मुझे इतना हसीन यादगार सीन कैसे देखने को मिलता?

टीना: (गुस्से से) पापा…(फिर रुआँसी आवाज में) आप बड़े वो हो…

राजेश: (टीना को अपनी ओर खींचते हुए) बेटा…तुम दोनों के बीच की घनिष्टता को मै जानता हूँ…पर क्या मैं तुम दोनों के साथ घनिष्ठ नहीं हो सकता (कहते हुए पास बैठी करीना को भी अपने उपर खींचता है)

करीना: (कुछ सोचते हुए) टीना तुझे तो पता है कि मै तो अंकल की पूरी तरह से हो चुकी हूँ…मेरे अंग-अंग पर उनका अधिकार है (कहते हुए नीचे झुक कर राजेश के लंड को अपने मुख में रख कर चूसना शुरू कर देती है)

टीना: करीना हमारे पैक्ट का क्या हुआ…हम दोनों ने वादा किया था कि हम दोनों सारा जीवन साथ बिताएँगी…एक पति और पत्नी की तरह…और (राजेश की ओर देखती हुए) …देखो मेरी पत्नी ने कैसे अपने मुख में मेरे पापा का लंड ले रखा है?

राजेश: तो क्या हुआ (आ…ह)…क्या एक पत्नी के दो पति नहीं हो सकते…करीना तुम्हारी पत्नी ही रहेगी परन्तु मेरी प्रेमिका बन कर भी रह सकती है। क्या तुम मेरी प्रेमिका नहीं बनना चाहती…तुम्हें भी तो मेरे हथियार की धार बनानी है…(कह कर टीना के थरथराते होंठों को अपने होंठों में दबा कर उसकी सीने की पहाड़ियों को धीरे से सहलाता हुआ नीचे की ओर सरक कर बेड पर लेट जाता है।)

टीना: अ..आह…पापा…अ.उउआ.ह....

राजेश: बेटा…तुम एक स्त्री पहले हो और बाद में तुम्हारा प्यार…एक के बजाय तुम्हारे लिए वैराय्टी को भोगने का सुख है तो क्यों जबरदस्ती कर रही हो…(करीना अब गति पकड़ती हुई अपने होंठों से राजेश के लंड की नपाई करने लगती है)…तुम मेरी हो…अ..आह....तुम्हारा अंग-अंग मेरा है… (कहते हुए टीना को अपने सीने के उपर बिठा लेता है और अपनी उँगली को योनिच्छेद में डाल कर अन्दर ऐंठें हुए बीज के साथ छेड़खानी शुरु कर देता है)

टीना: अ..आह…अ.उउआ.ह...पापा.

राजेश: बेटा…थोड़ा सरक कर आगे की ओर आओ (उत्तेजित अवस्था में टीना राजेश के मुख पर अपनी चूत रख देती है)… अ..आह…(राजेश की लपलपाती हुई जुबान टीना की योनिछिद्र में घुस कर आग भड़का देती है)

टीना: आह.…अ.उउआ.ह....

(राजेश की जुबान ने टीना की चूत में खलबली मचा रही है। करीना ने राजेश के लंड को अपने गले तक निगल रखा है। कमरे का माहौल सिसकारियाँ और तेज साँसों से बोझिल हो रहा है। एकाएक टीना उत्तेजना से काँपती हुई झरझरा कर वासना के ज्वर में पिघल जाती है और निढाल हो कर साइड में लेट जाती है।)

राजेश: जान… इस को अब अपने दूसरे मुख का स्वाद लेने दो…आओ इस के उपर बैठ जाओ (इतना सुनते ही करीना अपने मुख से लंड को निकाल कर अपनी चूत के मुहाने पर रख कर धम्म से बैठ जाती है। वजन के दबाव की वजह से राजेश का लंड अपनी जगह बनाता हुआ सरक कर अन्दर तक जा कर धँस जाता है।)

राजेश: अ..आह.…

करीना: अ.उउआ.ह....

(करीना ने लंड की सवारी करते हुए गति पकड़नी शुरु कर दी है और राजेश की उँगलियों करीना की चूत की फाँकोँ को अलग कर के सिर उठाए बीज को घिसती है। करीना आँखे मूंद कर राजेश के लंड की मोटाई और लंबाई को नापती हुई अपनी उत्तेजना को शान्त करने में मग्न है। राजेश का एक हाथ करीना के स्तनों के साथ छेड़खानी करने में व्यस्त है। कभी कलश को सहलाते हुए निप्पलों को तरेड़ता है और कभी उंगलियों में दबा कर खींचता है और कभी कचकचा कर पीस देता है।)

करीना: अ..आह.…अ.उउआ.ह....उई…म… माँ…

राजेश: अ.उउआ.ह....

(एक झटके के साथ दोनों के अन्दर का उफ़नता हुआ ज्वालामुखी फट पड़ता है। राजेश एक आखिरी झटके के साथ निढाल हो कर करीना को बाँहों में भर कर लस्त हो कर पड़ जाता है। दोनों का मिश्रित प्रेमरस करीना की चूत से धीरे-धीरे रिसता हुआ राजेश की जांघों से होता हुआ नीचे बिछी चादर को अंकित करता है। टीना को भी अपनी ओर खींच कर अपने अंग से लगा कर राजेश कुछ देर अपनी धड़कनों को काबू में करता है।)

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

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कमसिन कलियाँ--22

गतान्क से आगे..........

राजेश: टीना…करीना…टीना

टीना: हूँ…

करीना: हूँ…

राजेश: मैं तुम दोनों से बहुत प्यार करता हूँ…क्या तुम दोनों मुझे आपस में बाँट सकती हो…

टीना: क्यों नहीं…क्या हमने अभी तक नहीं बाँटा था…परन्तु करीना…

करीना: टीना प्लीज जब हम दोनों अंकल को बाँट सकती है तो क्या तुम मुझे अंकल के साथ नहीं बाँट सकती…

टीना: पर… (राजेश खामोशी से दोनों के बीच होता हुआ वार्तालाप सुनता है)

करीना: पर क्या… अंकल ठीक ही तो कह रहे है… हम तीनों एक दूसरे के साथ कितना मजा कर रहे है… तुझे किस बात की तकलीफ है फिर…

टीना: परन्तु जब लीना दीदी…

राजेश: क्यों क्या हुआ लीना को… टीना क्या वह भी…

टीना: पापा… लीना दीदी लेस्बियन है। पहले वह मेरे साथ सोया करती थीं और फिर करीना ने भी लीना दीदी को जौइन कर लिया था… परन्तु जिस दिन से करीना ने आपके साथ काम सुख का आनन्द लिया है उस दिन से इसकी कायापलट हो गयी है…यह भी सही है कि जब से आपके लंड का स्वाद चखा है मेरी चूत की आग बहुत ज्यादा भड़क गयी है जिसको एक लड़की का संसर्ग बुझाने में पूर्णतः अस्मर्थ है।

राजेश: (टीना के बालों में उँगलियों को फिराते हुए) तो फिर परेशानी की बात क्या है…

करीना: अंकल… टीना को लीना दीदी कि रह-रह कर चिन्ता सता रही है…उसका कहना है कि जब दीदी को पता चलेगा की हम दोनों की चूत को लंड का स्वाद पसन्द है तो उनको बहुत आघात लगेगा। इस लिए टीना आपके साथ चुदाई के लिए मना कर रही है…

राजेश: (करीना की बात सुन कर खिलखिला कर हँस देता है)…यह बात है बस… पर बेटा अगर तुम्हारी दीदी ने अभी तक मेरे या किसी के लंड का स्वाद चखा नहीँ तो वह किस बात की वजह से अपने को लेस्बियन मान रही है…

टीना: नहीं पापा…ऐसी बात नहीं है। मुझे तो उन्होंने कुछ नहीं बताया था परन्तु मुझे लगता है कि दीदी ने किसी के लंड का स्वाद चख रखा है…

राजेश: टीना…तुम और करीना इसके बारे में सोचना छोड़ दो…तुम दोनों मेरी प्रेमिका हो और मै तुम्हारा…लीना को लौटने दो…मुझे विश्वास है कि इस बात का हल भी निकल आएगा…

(दोनों लड़कियाँ खुश हो कर राजेश से लिपट जाती हैं।)

राजेश: अब दोनों आराम करो…जल्दी से सो जाना (कह कर अपनी लुंगी समेट कर पहनता हुआ बेड से उतरता है। दोनों लड़कियों के माथे को चूम कर अपने कमरे की ओर रुख करता है। राजेश के जाने के बाद…)

करीना: टीना…अंकल सही कह रहें है। जब तक लीना दीदी की चूत ने लंड को निगल कर नहीं देखा तब तक उनको कैसे पता चलेगा की चूत और लंड का मिलन तो प्रकृति का नियम है… देखना एक बार अंकल ने दीदी की चूत खोल दी तो वह सब कुछ भूल जाएँगीं।

टीना: हाँ… शायद तू सही कह रही है… चल सो जा बहुत थक गयी हूँ।

करीना: हाँ…आज तेरे पापा ने तो मेरा अंग-अंग तोड़ कर रख दिया…बहुत थक गयी हूँ…अब सो जा यार…

(कहते हुए दोनों सहेलियाँ निर्वस्त्र हालत में एक दूसरे के साथ लिपट कर सो जाती है…।)

(रविवार की सुबह। राजेश, मुमु और टीना एअरपोर्ट की विजिटर गैलरी में खड़े हुए लीना की फ्लाईट का इंतजार कर रहे हैं।)

राजेश: अभी तक फ्लाईट लैंड नहीं हुई है…

टीना: पता नहीं और कितनी देर लगेगी?

राजेश: बेटा जब आनी होगी उससे पहले अनाउँस्मेन्ट हो जाएगा…मुमु तुम तब तक टीना को ले जाओ और सामने बैठ जाओ…

मुमु: आओ टीना…चल कर सामने बैठ जाते है।

राजेश: सुनो…सुनो…श्रीनगर की फ्लाईट लैंड हो गयी है…

(इतना सुन कर सब के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ जाती है और बेसब्री के साथ लीना का इंतजार करते हैं। कुछ मिनटों के बाद एक लड़कियों का झुण्ड एक दूसरे के साथ बातें करता हुआ गेट से बाहर आता हुआ दिखाई देता है।)

टीना: पापा…यह लड़कियाँ हमारे स्कूल की है…

राजेश:…ध्यान से देखना शायद लीना भी इसी ग्रुप में हो…

टीना: नहीं पापा…यह दूसरे सेक्शन की लड़कियाँ है…पापा वह रही दीदी…(खुशी से चील्लाती है) दीदी…दीदी (सामने से लीना अपनी सहेलियों के साथ इधर-उधर देखते हुए गेट से बाहर निकलती है और टीना को देखते ही अपना हाथ हिलाती है)

राजेश: लीना…(अपना हाथ हिला कर उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है)

(राजेश पर नजर पड़ते ही लीना अपनी सहेलियों को छोड़ कर राजेश की ओर भागती है और उसके सीने से लिपट जाती है। पीछे से टीना भी भागते हुए आकर लीना से लिपट जाती है।)

राजेश: बेटा…(पीठ पर हाथ फेरते हुए) कैसा रहा तुम्हारा ट्रिप…

मुमु: लीना…

लीना: मम्मी…(कहते हुए मुमु के गले लग जाती है)…पापा इट वाज फन… हाय टीना (कह कर टीना से लिपट जाती है)…सो लिटिल सिस्टर…आई मिस्ड यू अ लाट…

टीना: ओह दीदी…आई मिस्ड यू टू

राजेश: लीना…तुम जल्दी से जा कर अपनी टीचर और फ्रेंड्स से बाय कर लो…मुमु और टीना तुम लीना को ले कर बाहर आओ मै पार्किंग से कार निकाल कर लाता हूँ…(कहते हुए कार लेने चला जाता है। लीना अपनी सहेलियों से मिलने चली जाती है।)

मुमु: टीना…(सामने से लीना अपनी सामान की ट्राली ढकेलती आती दिखाई देती है) अपनी दीदी की जरा हेल्प कर्…

(दोनों बहने बतियाती हुई मुमु के साथ गेट की ओर बढ़ती है। अचानक किसी के चेहरे पर नजर पड़ते ही मुमु का चेहरा डर के मारे सफेद हो जाता है। सामने राजेश कार में बैठा हुआ तीनों का इंतजार कर रहा है और उन पर नजर पड़ते ही झट से उतर कर कार की डिक्की को खोलता है। लीना और टीना सामान रखवाने में राजेश की मदद करती है। दोनों बहने पीछे की सीट पर बैठ कर अपनी बातों का सिलसिला आगे बढ़ाती है। मुमु आगे की सीट पर राजेश के साथ बैठ जाती है। राजेश कार को घर की ओर बढ़ा देता है।)

राजेश: मुमु बड़ी खामोश हो…क्या बात है…

मुमु: नहीं…कुछ नहीं

राजेश: पर अन्दर तो तुम ठीक थीं पर अब बहुत सहमी सी लग रही हो…क्या बात है…

मुमु: कुछ नहीं…तुम…घर पर चल कर बात करेंगें…अभी नहीं

(राजेश अपनी नजर मुमु पर डाल कर अपना ध्यान सड़क पर लगाते हुए चुपचाप कार चलाता है। पीछे दोनों बहनें अभी भी बतिया रही है। घर पर पहुँच कर राजेश और मुमु सामान निकालने में टीना और लीना की मदद करते है। सब लोग अन्दर जा कर सोफे पर थकान से पसर जाते है।)

मुमु: लीना और टीना तुम दोनों अब कुछ देर आराम करो… तब तक मै खाने का इंतजाम करती हूँ…

टीना: मम्मी…

लीना: चल न …(कह कर अपने कमरे की ओर बढ़ती है और पीछे-पीछे टीना भी उठ कर अपनी बहन के कमरे में चली जाती है)

राजेश: अब बताओ…क्या हुआ था

मुमु: एअरपोर्ट के गेट पर मैने मंगल को देखा था…

राजेश: कौन मंगल…वही खूनी,…तुम्हारा नौकर…पागल हो क्या…भला वह वहाँ क्या करेगा। तुम्हें कोई गलतफहमी हो गयी है…

मुमु: नहीं…वह मंगल ही था। मुझे कोई गलतफहमी नहीं हुई है…उस कमीने को मै कैसे भूल सकती हूँ।

राजेश: मुमु…अगर तुम सही कह रही हो तो फिकर करने की बात है। तुमने अपने पिताजी को कब और कहाँ बुलाया है? यह जानना जरूरी है कि तुम्हारे पिताजी और मंगल के बीच क्या कुछ चल रहा है…

मुमु: मैनें कोई ऐसी बात नहीं की थी…जब भी उनसे बात करती हूँ तो उनके कटाक्ष सुन कर तन बदन में आग लग जाती है और मैं फोन रख देती हूँ।

राजेश: कोई बात नहीं…(दरवाजे की घंटी बजती है)

मुमु: मै देखती हूँ…(कहते हुए जाकर दरवाजे को खोलती है)…तुम…(आने वाले को देख कर गुस्से से भन्नाते हुए) तुम्हें यहाँ पर आने की हिम्मत… चले जाओ

राजेश: कौन है…मुमु किस पर बरस रही हो (कहते हुए दरवाजे की ओर आता है)…अरे आप हैं आइये…मुमु तुम्हारे पिताजी हैं…आने दो…ठाकुर साहिब अन्दर आईए…तुम भी आओ सुन्दरी…सौरी आभा आओ तुम्हारा ही घर है…

मुमु: क्या कह रहे हो राजेश…मै अपने घर पर इन लोगों की छाया भी नहीं पड़ने देना चाहती

राजेश: मै तुम्हारी परेशानी जानता हूँ…पर जब मैं अपने पिताजी की मौत को भूल सकता हूँ तो तुम से कहूँगा कि तुम भी पिछ्ली बातें भुला कर इन्हें माफ कर दो। ठाकुर शमशेर सिंह और आभा आप इनकी किसी भी बात का बुरा न मानना… (सारे लोग ड्राइंगरूम में आकर बैठ जाते है। शमशेर सिंह और आभा ड्राइंगरूम की भव्यता को निहारते है)

शमशेर: (मुमु की ओर देखते हुए) कैसी हो बेटी…

मुमु: आपकी बेटी तो उसी दिन मर गयी थी

शमशेर: न बेटी…ऐसा नहीं बोलते।

आभा: दीदी…कैसी हो? बहुत दिनों से आपकी याद आ रही थी (राजेश की ओर मुस्कुरा कर नजर डालते हुए) उस दिन जीजू मिले थे तब आपकी खैर-खबर ली थी और उस दिन से आपसे मिलने की इच्छा तीव्र हो गयी थी।

मुमु: तू बता कैसी है। इतने दिन कहाँ थी? अम्मा कैसी है…उनके बहुत एहसान है।

आभा: अम्मा को मरे तो तीन साल हो गये हैं। उनके मरने के बाद से मै पिताजी के साथ रह रही हूँ…आखिर इस उमर में उन्हें किसी के साथ की जरूरत है और मै भी कहाँ जाती सारे खेत तो मुकदमेबाजी में पहले ही बिक गये थे। अगर जीजू मदद न करते तो पता नहीं मेरा क्या होता।

मुमु: पगली अभी तो मै जिन्दा हूँ…तू मेरे पास पहले क्यों नहीं आयी। आखिर माँ के मरने के बाद मैनें ही तो तुझे पाला है।

आभा: दीदी आँख खोली तो आपको ही माँ माना है…दीदी छोड़ो पुरानी बातें…आप बताओ आप खुश तो हो…

मुमु: बहुत खुश हूँ…राजेश बहुत प्यार करते हैं मुझे

आभा: (राजेश को घूरते हुए) अच्छा…जीजू तो सभी को बहुत प्यार करते है।

राजेश: आप लोग बातें करो…मै आप लोगों के लिए कुछ चाय नाश्ते की तैयारी करता हूँ।

मुमु: नहीं आप बैठो…मै तैयारी करती हूँ।

राजेश: न तुम बैठो…यह लोग तुम से मिलने आए हैं। (कह कर रसोई की तरफ जाता है)

(शमशेर सिंह खामोशी से सब की बातें सुन रहा है और उसकी नजर मुमु पर टिकी हुई है। आभा सरक कर मुमु के पास आती है और अपनी आँखों से शमशेर सिंह को इशारे से अपनी ओर बुलाती है। शमशेर सिंह उठ कर मुमु के दूसरी ओर आकर बैठ जाता है।)

आभा: दीदी…हम दो साल से जीजू के फार्म हाउस पर नौकर की तरह काम कर रहे है…क्या जीजू ने आप को कभी हमारे बारे में नहीं बताया…

मुमु: (असमंजस में) नहीं तो। हाँ अभी कुछ दिन पहले राजेश कह रहे थे कि पिताजी को उन्होंने किसी दोस्त के पास काम पर रखवा दिया था पर अपने फार्म पर…

शमशेर: मुमु…जब से तू गयी है मेरी बर्बादी शुरू हो गयी…सिर्फ तेरे कारण ही मै उसके फार्म पर नौकरी कर रहा था…अब तू मुझे माफ कर दे जिससे मै अपने बुढ़ापे में आराम से मर सकूँ।

आभा: दीदी प्लीज जीजू को कुछ न बताना… वह बहुत खतरनाक और ऐयाश किस्म के आदमी है…। आपने पूछा था कि मै आपके पास पहले क्यों नहीं आयी बस इतना समझ लो कि उन्होंने मुझे अपना हमबिस्तर बनाने का भरसक प्रयत्न कर लिया परन्तु मै किसी तरह से उनके चंगुल में नहीं फँस पायी।

शमशेर: मुमु…वह निहायत कमीना आदमी है। आभा गवाह है कि उसने हमारे सामने कितनी लड़कियों के साथ अपने फार्म पर रंगरेलियां मनायी है। अभी कुछ दिन पहले की बात है कि वह एक स्कूल की लड़की को अपने साथ ले कर फार्म पर आया था।

मुमु: पिताजी आपके मुख से यह बातें शोभा नहीं देती। आप तो उस से भी बड़े कमीने हो क्योंकि आपने मुझे तेरह साल की उम्र में एक बच्ची की माँ बना दिया था…

आभा: दीदी…पिताजी ठीक कह रहे है। यह बहुत ही कमीना आदमी है। इसको त्याग कर हमारे साथ चलो…सुना है मेरी दो और बहनें है…अब तो बड़ी हो गयी होंगीं…कहां पर है

मुमु: अगर तुम लोग इसी तरह की बकवास करोगे…तो अभी और इसी वक्त मेरे घर से निकल जाओ…

(पैर पटकती हुई लीना आती है और दो अजनबियों को मुमु के साथ बात करते हुए देख कर ठिठक जाती है। सभी की निगाहें लीना पर पड़ती है।)

लीनाझल्लाती हुई आती है)…मम्मी मेरा सारा सामान कहाँ रख दिया…कुछ भी नहीं मिल रहा…ओह सौरी…(कह कर वापिस जाने के लिए मुड़ती है)

आभा: बेटी…इधर आओ…(लीना मुड़ कर आभा की ओर देखती है और प्रश्नवाचक द्रष्टि से मुमु को देखती है)

आभा: बेटी आओ न…मै तुम्हारी एक रिश्ते से मौसी लगती हूँ और… (इससे पहले कुछ बोलती राजेश हाथ में चाय की ट्रे और कुछ नाश्ते का सामान लेकर कमरे में प्रवेश करता है)

राजेश: और बेटा एक रिश्ते से यह तुम्हारी बहन भी लगती है। लीना बेटे आप अपने कमरे में जाओ।

आभा: (इठला कर) क्यों जीजू क्या हमारा कोई भी हक नहीं है। बेटा प्लीज मेरे पास आओ…

राजेश: (अनसुनी करते हुए) आप लोग चाय लीजिए…लीना तुम मेरे साथ चलो मै बताता हूँ कि तुम्हारा सामान कहाँ पर रखा हुआ है…(कह कर लीना का हाथ पकड़ कर अपने साथ ले जाता है।)

आभा: यह बड़ी वाली है न…

मुमु: हाँ…छोटी वाली का नाम टीना है।

शमशेर: (जाती हुई लीना को घूरते हुए) बहुत हसीन है…बिल्कुल तुम्हारे ऊपर गयी है। इस उम्र में तुम इतनी ही खूबसूरत दिखती थी।

आभा: पिताजी…कोई भी…दीदी तुम अपनी लीना और टीना की तो सोचो…जब वह कमीना स्कूली लड़कियों के साथ रंगरेलियॉ मनाने से नहीं हिचकता…इतनी सुन्दर और हसीन बच्ची को भला राजेश जैसा ऐयाश कभी छोड़ेगा…

मुमु: तुम लोग इज्ज्त से अन्दर आये हो…अब लगता है कि बेइज्जत हो कर बाहर जाओगे…

शमशेर: मुमु…तूने मेरी कई रातें रंगीन की है…और लीना और टीना उन्हीं रातों की देन है…क्या तुझे कुछ भी नहीं समझ आता…वह मुझसे तनवी और अपने बाप का बदला लेना चाहता है… तू क्या भूल गयी…

आभा: दीदी आप नादान न बनो…

राजेश: (पर्दा हटा कर गुस्से में आग बबूला होता हुआ अन्दर प्रवेश करता है)… ठाकुर तू जन्म-जात कमीना है। जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है। अपनी बेटी को मेरे खिलाफ भड़का रहा है जिस ने तेरी इतने दिनों तक देखभाल की…साले फाँसी हो जाती अगर मैने वकील नहीं किया होता…शायद वही हम सब के लिए अच्छा होता…

आभा: तुम तो रहने दो…जरूर पिताजी आपकी लड़कियों भाग्य ही खराब है कि सब इस लम्पट के जाल में फँस जाती है…

राजेश: (गुस्से से दहाड़ते हुए) सुन्दरी तूने शायद कितनी बातें झूठ बोली हो परन्तु एक बात बहुत सही कह रही है कि ठाकुर शमशेर सिंह ने अपनी सारी बेटियाँ शायद मेरे लिए ही पैदा की हैं। ठाकुर कुछ भी कहो तेरी एक-एक बेटी के लिए मै अपनी हजार जानों की कुर्बानी देने को तैयार हूँ…

(घमासान के शोर को सुन कर टीना और लीना अपने कमरे से निकल कर पर्दे के पीछे से अन्दर होती हुई लड़ाई को समझने की कोशिश में लगी हुई हैं।)

शमशेर: तेरा गन्दा खून तेरे सिर चड़ कर बोल रहा है… मै अपनी बेटी से बात कर रहा हूँ…

मुमु: पिताजी…मुझे पता है कि आप इस से क्यों नफरत करते है। यह आपके मुख से तनवी नाम के शिकार को ले उड़ा…पर कभी आपने सोचा कि कैसे जानते-बूझते इसने आपकी झूठन को अपने घर की जीनत बना ली और आपके पाप को अपना नाम दिया…

आभा: दीदी…यह सिर्फ हमारे को नीचा दिखाने के लिए ऐसा कर रहा है…

मुमु: अच्छा तू इतनी बड़ी हो गयी है कि मुझे सिखाएगी…(दिल की पीड़ा से सिसकती हुई)… मरते समय तनवी ने इसे मेरा और मेरी बच्चियों का ख्याल रखने को कहा था। बच्चियों के बाप ने तो दूसरी लड़की होने पर मुझे अपने घर से निकाल दिया था परन्तु बेचारा राजू आज तक अपनी पत्नी की बात को गाँठ बाँध कर अमल कर रहा है।

राजेश: मुमु…मै तुम्हें रोते हुए देख कर कमजोर पड़ जाऊँगा…प्लीज

आभा: तुम रहने दो…अपना नाटक बन्द करो। दीदी…लीना और टीना की सोचो आखिर यह कमीना उनका बाप नहीं है और अपनी कसम पूरी करने के लिए उनकी जिन्दगी बर्बाद कर देगा…

राजेश: मुमु तुम्हें इस बात की हैरानी तो होगी कि लेकिन सुन्दरी आखिर मे सही मायने में ठाकुर की औलाद है। मै तो तुम्हें पहले बता देता कि दाई अम्मा के मरने के बाद जब इस को यहाँ लाने के लिये गाँव गया था तो यह मुझ पर अपनी जवानी लुटाने की कसम खा रही थी…क्यों सुन्दरी अब बोलती बन्द हो गयी…पर साथ में शर्त रख रही थी कि तुम्हें और दोनों बच्चियों को अपने घर से बेदखल कर दूँ।तुम तो जानती हो कि ऐसा मै कभी भी नहीं कर सकता था तो मेरे इंकार से खफा हो कर इसने मुझे बदनाम करने की कोशिश करी थी…पर मेरी माँ इन सब बातों की गवाह थी जिसकी वजह से यह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पायी। मेरी माँ ने इसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया था। आखिर तनवी मेरी माँ की बहू नहीं बेटी थी तो भला वह कैसे तनवी की बात को झूठ्ला देती… मै तो स्वर्णाभा को ही ठाकुर की असली औलाद मानता हूँ क्योंकि जितना कमीना वह है यह उससे दो कदम आगे है।

आभा: (गुस्से से बिफरती हुई) सब झूठ है…बहुत झूठा है यह…

राजेश: (खिलखिला कर हँसते हुए) अच्छा सावित्री…तो तूने मेरा कभी भी बिस्तर गर्म नहीं किया? क्या पिछले हफ्ते फार्म हाउस पर मेरे साथ माला पढ़ रही थी… यही वह औरत है जो अपने बाप के साथ दो साल पहले जब फार्म हाउस पर आयी तो मुझे मेरा ही वचन याद करा रही थी…

मुमु: राजेश… तुम्हारे मेरे ऊपर बहुत एहसान है…बिना विवाह किए तुमने मेरी बच्चियों को अपना नाम दिया…कभी किसी को इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि हम पति-पत्नी नहीं है। अगर मै नहीं जोर देती तो तुम कभी भी मेरे साथ संबंध नहीं बनाते…

राजेश: (घबराहट में) कौन है…पर्दे के पीछे… टीना…

(डरते हुए लीना और टीना सुबकते हुए पर्दे के पीछे से बाहर निकल कर कमरे मे प्रवेश करती है और राजेश की ओर देखते हुए भाग कर उस से लिपट जाती हैं।)

राजेश: न बेटा…न बेटा…रोते नहीं (उनको चुप करने की कोशिश करता है। मुमु भी भाग कर लीना और टीना के पास आ कर सिर पर हाथ फेरती हुई चुप कराने की कोशिश करती है। दोनों को मुमु के सुपुर्द कर के राजेश कमरे के बाहर जाता है।)

आभा: बेटा तुम अपने पिताजी से नहीं मिलना चाहोगे…(शमशेर सिंह की ओर इशारा करते हुए)…यह तुम्हारे और मेरे पिताजी है…

मुमु: आज तो हम पर कहर टूट पड़ा…(चीखते हुए) तुम मेरे घर से इसी समय निकल जाओ और मै तुम दोनों की सूरत नहीं देखना चाहती…

(राजेश एक बार फिर से कमरे में प्रवेश करता है। मेज पर धीरे से कागज का पुलिन्दा रखता है और फिर उस पुलिन्दे के साथ एक पिस्तौल रख देता है)

राजेश: ठाकुर और सुन्दरी आज तुम्हारे पास सिर्फ एक रास्ता है…जब तुम मेरे पास आये थे अपने लुटने का रोना सुनाने…तब मैने वह फार्म हाउस तुम्हारे नाम पर ट्रांसफर कर दिया था कि तुम्हारा बुढ़ापा आराम से गुजरे यह उसके कागजात है…अगर तुम आज और अभी फिर कभी भी यहाँ न आने का वादा करो तो यह कागज उठा लो हमेशा के लिए चले जाओ… और अगर एक क्षण की भी देरी की तो यह पिस्तौल से मै एक बहुत पुराना काम जो रह गया था आज पूरा कर दूँगा…।

आभा: पिताजी…(जल्दी से पुलिन्दा उठा कर शमशेर सिंह का हाथ थामती है) जीजू ने तो हमें…

शमशेर: (आभा के हाथ से पुलिन्दा छीन कर राजेश की ओर फेंकता है) मै कोई कुत्ता नहीं हूँ कि हड्डी मिलते ही दुम हिलाना शुरु कर दूँ…(झपटते हुए पिस्तौल उठा लेता है) आज मैं तुम्हारा बहुत पुराना काम खत्म कर देता हूँ…(राजेश की ओर निशाना लगाता हुआ गोली चला देता है)…

(पिस्तौल को ठाकुर के हाथ मे देख कर मुमु अपनी दोनों बेटियों को छोड़ कर शमशेर की ओर रोकने के लिए बढ़ती है। इस से पहले मुमु कुछ कर पाती पिस्तौल की गोली मुमु के सीने को चीरती हुई निकल गयी। सब अवाक् से खड़े देखते रह गये।)

आभा: (अचानक होश में आ कर) आपने यह क्या किया…भागो यहाँ से (कह कर शमशेर सिंह का हाथ पकड़ कर खींचते हुए बाहर की ओर भागती है)

राजेश: (मुमु को बाँहों मे उठा कर) बेटा जल्दी से ताला लगा कर के बाहर आओ हमें अभी अस्पताल जाना है…ठाकुर अगर आज इसको कुछ हो गया तो तुम्हें कहीं से भी खोद कर निकाल कर ऐसी मौत मारूँगा की…(भागता हुआ कार तक पहुँच कर घायल मुमु को पिछली सीट पर लिटाता है और लीना और टीना को ले कर सीधा अस्पताल की ओर रुख करता है)

मुमु: र…रा…जेश…तुम्हें इन दोनों का ख्याल रखना है…इनके उपर कभी पिताजी का साया नहीं पड़ने देना।

राजेश: तुम्हें कुछ नहीं होगा… बस आ गया…(तेजी से ब्रेक लगा कर कार को रोकता है)…बेटा तुम लोग मेरे पीछे-पीछे रहना…इमर्जेन्सी जल्दी…(वार्ड के लोग भाग कर आते है और मुमु को स्ट्रेच्रर पर लिटा कर अन्दर ले जाते है। राजेश भागता हुआ रिसेप्शन डेस्क पर आता है।)

राजेश: डाक्टर सोनी कहाँ है…जरा उन्हें अभी यहाँ बुलवाईए, इमर्जेन्सी है…

(इधर राजेश अपने रसूख का इस्तेमाल मुमु की जान बचाने के लिए कर रहा है और उधर मुमु जीवन और मौत के बीच झूल रही है। लीना और टीना सिसकती हुई अपनी माँ के लिए दुआएँ माँग रही है…। वाह री किस्मत, कैसी विडम्बना है कि एक बार फिर ठाकुर ने अपनी एक और लड़की को राजेश से मोहब्बत करने के कारण कुर्बान कर दी…)

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--23

गतान्क से आगे..........

(होस्पिट्ल के वेटिंग लाउंज में राजेश, लीना और टीना बेसब्री से मुमु की खबर का इंतजार कर रहे हैं। राजेश के सीने पर सिर टिका कर लीना अभी कुछ देर पहले रोते हुए सो गयी है। टीना के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई है और बीच में कभी-कभी सुबक उठती है। राजेश के चेहरे पर पीड़ा और चिन्ता के भाव साफ दिख रहे है। आप्रेशन थियेटर का दरवाजा खुलता है, एक डाक्टर और नर्स बात करते हुए बाहर निकलते है। राजेश उनको देख कर उठ जाता है।)

डाक्टर सोनी: राजेश…जो हम कर सकते थे हम ने कर दिया। अब सब उपर वाले के हाथ में है।

राजेश: हाँ यार…क्या उम्मीद है।

डाक्टर: यार क्या बताऊँ गोली तो जो नुकसान कर सकती थी उसने कर दिया। तुम समय पर ले आये तो हम कुछ कोशिश भी कर रहें है वरना उसके लिए भी हमारे पास समय नहीं मिलता… भाभी तो बेहोशी में तेरा नाम ले रही है…

राजेश: बेचारी अभी भी मेरी चिन्ता कर रही है…

डाक्टर: पुलिस का क्या करना है…यह पुलिस केस है पर मैने अपनी गारन्टी पर इलाज शुरु तो कर दिया है…आगे क्या करना है…

राजेश: यार…मुझे समझ नहीं आ रहा है। पता नहीं मुमु मुझसे क्या उम्मीद करेगी- उसके पिताजी का नाम लूँ या नहीं। यार जरा थोड़ी देर और नहीं रुक सकते…

डाक्टर: नहीं यार…वैसे ही बहुत देर हो गयी है

राजेश: प्लीज यार कुछ कर…मुमु को होश आने दे (टीना झपटती हुई उन दोनों की ओर बढ़ती है)

टीना: पापा क्या सोचना…(गुस्से से लाल होते हुए) मै उस आदमी को फांसी लगते हुए देखना चाहती हूँ। अंकल आप पुलिस को बुला लिजिए…

राजेश: बेटा…गुस्से से नहीं विवेक से काम लेना चाहिए (कहते हुए टीना को अपनी बाँहों मे भर कर फफक कर रो पड़ता है। टीना भी राजेश से लिपट कर रोने लगती है।)

डाक्टर: राजेश…संभालों अपने आप को…अगर तुम ही हिम्म्त छोड़ दोगे तो इनका क्या होगा… (कहते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ जाता है और पीछे-पीछे नर्स भी वार्ड का राउन्ड लेने के लिए चली जाती है।)

राजेश: (टीना की पीठ पर प्यार से थपथपाकर चुप कराते हुए) बेटा…जब बदले का वक्त आएगा तब अवश्य बदला लेंगें पर अभी तो तुम्हारी मम्मी की सुरक्षा का सवाल है…

टीना: आप सच बताइए…क्या आप हमारे पापा नहीं हो…क्या वह राक्षस हमारा पापा है…

राजेश: बेटा तुम्हें क्या लगता है… कि एक दिन कोई भी आएगा और कहेगा मै तुम्हारा पापा हूँ तो तुम मान लोगी और इतने साल का मेरा प्यार बेमानी हो जाएगा…

टीना: नहीं पापा…(सिसकती हुई)आप ही मेरे और लीना के पापा हो…

राजेश: बेटा…तुम और लीना ही मेरे जीवन का सहारा हो…अगर तुम्हारे और मेरे बीच में कोई भी आया तो…(लीना की नींद टूट चुकी है और दोनों को देख कर इनकी ओर बड़ती है)

लीना: पापा…मम्मी कैसी है…अब तक कुछ अन्दर से खबर आयी…

राजेश: अभी खतरा बना हुआ है…आगे उपर वाले पर भरोसा है…

(तीनों फिर से सामने पड़ी कुर्सीयों पर बैठ जाते है। अन्दर मुमु जीवन और मौत के साथ घमासान होते देख रही है। जरा सा होश आता है तो राजेश को पुकारती है…ड्यूटी नर्स बाहर आ कर राजेश को आवाज देती है…)

राजेश: बोलिए…

नर्स: आपको बुला रही है परन्तु अब उनके पास ज्यादा समय नहीं है…आप उनसे मिल लें…मै डाक्टर को बुलाने जा रही हूँ।

राजेश: मै इनको भी साथ ले जाऊँ…इनको देख कर शायद भगवान को दया आ जाये…

नर्स: ठीक है…(कह कर फोन के पास चली गयी)

(धीरे कदमों से चलते हुए तीनों दरवाजा धकेल कर रूम के अन्दर चले जाते है। अन्दर मुमु बेड पर आँखें मूंदे लेटी हुई है। विभिन्न प्रकार के यन्त्र मुमु के अलग-अलग अंग से जुड़े हुए है। आहट सुन कर मुमु आँखे खोलती है। राजेश, लीना और टीना सिर्हाने खड़े हो कर ढबढबाई आँखों से मुमु को निहारते हैं।)

मुमु: (करहाते हुए)…राजू…मेरा समय आ गया है…

राजेश: तुम्हें कुछ नहीं होगा…

मुमु: लीना…टीना… हमारे लोगों ने इन्हें सिर्फ दुख दिया है… अब एक बार फिर तुम पर इनका भार डाल रही हूँ। कुछ भी हो जाए इन दोनों पर मेरे पिताजी का साया नहीं पड़ने देना…

राजेश: तुम नाहक ही चिन्ता कर रही हो…तुम्हें कुछ नहीं होगा

मुमु: लीना…तू बड़ी है देख टीना का ख्याल रखना…तुम दोनों कभी भी इनका साथ नहीं छोड़ना…राजू हर पल तुम्हारे साथ बीता हुआ मेरे जीवन के सुनहरे पल है…तनवी की कमी तो मै पूरी नहीं कर सकी पर हाँ तुमने अपने प्यार में कभी कोई कमी नहीं आने दी…जब तनवी से मिलूँगी तो उसे बताऊँगी कि राजेश… बेटा यह अकेले हो जाएगें इनकी देखभाल करना (कहते हुए आँखे मूंद कर खामोश हो जाती है)

(डाक्टर और नर्स भागते हुए अन्दर आते है…सामने लगे मोनिटर की ओर देखते ही ठिठ्क कर रुक जाते हैं)

डाक्टर: आप लोग बाहर जाईए…नर्स इन्हें बाहर निकालिए और जरा शाक पैड ट्यून किजीए…

(तीनों भारी मन से बाहर आ जाते हैं। कुछ ही समय बाद डाक्टर बाहर आता है)

डाक्टर: सौरी राजेश…हम भाभीजी को बचा नही सके… तुम मेरे रूम में आओ और पुलिस कार्यवाही के पेपर्स पर साइन कर दो…हम ब्रोट डेड की रिपोर्ट देंगें…

(तीनों एक बार फिर से फफक कर रो पड़ते है…।)

(ड्राइंगरूम रूम में तीनों चुपचाप बैठे हुए है। मुमु की मृत्यु को एक महीना बीत चुका है। ठाकुर और आभा को पुलिस पकड़ कर ले गयी है और उन पर खून का मुकद्दमा चल रहा है। धीरे-धीरे सब कुछ रोज की तरह से हो रहा है परन्तु सिर्फ मुमु की कमी खल रही है। दरवाजे की घंटी बजती है…)

राजेश: लीना…देखना कौन है…

(लीना दरवाजा खोलती है)

लीना: पापा…करीना है…आजा सब ड्राइंगरूम में बैठे है।

(लीना और करीना ड्राइंगरूम में प्रवेश करते है।)

करीना: नमस्ते अंकल…हाय टीना

राजेश: आओ करीना…

टीना: हाय…

(फिर सब नजरें झुका कर चुप बैठ जाते है)

राजेश: (सब के उदास चेहरे को देख कर) बहुत दिन हो गये है…चलो आज फार्म पर चलते है… थोड़ा मन बहल जाएगा…

टीना: मन नहीं है पापा…

लीना: पापा…आप हो आइए, मेरा भी मन नहीं है…

राजेश: आज कोई कुछ नहीं कहेगा…तुम्हारी मम्मी को बहुत तकलीफ होगी जब वह उपर बैठ कर तुम्हारे उदासीन चेहरे देखती होगी। आज फार्म पर हम सब लोग जाँएंगे… करीना तुम भी चलो…तुम्हारे घर पर मै बात कर लेता हूँ।

(बेमन से लीना और टीना उठ कर अपने कमरे में कपड़े बदलने के लिए जाते है। करीना नजरें झुकाए सोफे पर बैठी रहती है। राजेश उठ कर करीना के पास आ कर बैठ जाता है।)

राजेश: करीना…

करीना: हूँ…

राजेश: कैसी हो…

करीना: ठीक हूँ…

राजेश: क्या बात नहीं करोगी…बस ठीक हो

करीना: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है…सोच कर हैरानी होती है कि वह लोग ऐसे भी हो सकते हैं

राजेश: हाँ तुम तो उनसे मिल चुकी हो…

करीना: मैं तो उस आदमी की नजरों से समझ गयी थी कि यह अच्छा आदमी नही है…जिस तरह से मुझे घूर रहा था…

राजेश: छोड़ो…यह सब…बहुत दिनों के बाद आयी हो…कभी मेरे बारे में नहीं सोचा…

करीना: रोज…परन्तु जो कुछ उस दिन हुआ था उस वजह से…।

राजेश: (करीना की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींचते हुए) तुम्हें पता नहीं कि तुम मेरे लिए क्या हो… कम से कम फोन पर तो बात कर सकती थीं। तुम मेरे जीवन का अहम् हिस्सा हो…।

करीना: (ढबढबाई आँखों से) आपको इस मुश्किल में देख कर मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ…(लीना और टीना कमरे में दाखिल होती हुई)

लीना: क्या समझ नहीं आ रहा था तुझे…

करीना: (झेंपती हुई) कुछ नहीं…

टीना: पापा…चलें क्या…

राजेश: हाँ (कह कर उठ खड़ा होता है)

(राजेश तीनों को ले कर कार में बैठ जाता है और अपने फार्म हाउस की ओर कार को ड्राईव करता है)

राजेश: आज क्या बात है सब जीन्स और कुर्ते पहने हुए हैं… मै वैसे ही दुखी हूँ और पिछ्ले दिनों में तुम्हारी मातमी सूरतें देख कर और भी ज्यादा परेशान हो गया हूँ…जाने वाला चला गया परन्तु उसकी बेहतर यादें हमें जीवन का सहारा देती है…

टीना: पापा…मम्मी की कमी बहुत खलती है और उन्हें याद करके…

राजेश: (बीच में बात काटते हुए) बेटा…तुम्हारी मम्मी को चहकती हुई टीना अच्छी लगती थी या मातमी सूरत वाली टीना…

करीना और लीना: (एक स्वर में बोलती हुई) शैतान टीना…

राजेश: यही तो मै भी कह रहा हूँ… अगर तुम खुश तो तुम्हारी मम्मी भी खुश और तुम दुखी तो तुम्हारी मम्मी भी दुखी…

लीना: पापा…बहुत दिनों से एक बात पूछना चाहती हूँ…

राजेश: वही न कि उस दिन की बातों में कितनी सच्चाई है…तुम्हारे पूछे बिना ही मैं बता देता परन्तु मै तुमसे पूछ्ना चाहता हूँ कि अगर कल तुम्हें कोई कहे कि मुमु तुम्हारी मम्मी नहीँ थी तो क्या तुम्हारा दिल मानेगा… क्या पैदा करना ही जरूरी है माँ या बाप बनने के लिए…

लीना: पापा मेरा यह मतलब नहीं था…

राजेश: बेटा…मुझसे पूछने के बजाय तुम्हें अपने दिल से पूछना चाहिए कि क्या कोई और तुम्हारे लिए मुझसे ज्यादा प्रिय हो सकता है…अगर हाँ तो मेरा रिश्ता कमजोर है और नहीं तो फिर सारी बातें बेमानी है…

लीना: पापा…मै मम्मी से ज्यादा आपसे प्यार करती हूँ…मेरे लिए सब बेमानी है परन्तु जो हमने उस दिन सुना था क्या वह सच है।

राजेश: बेटा इस दुनिया में बहुत सी बातें हैं जिनका तुम्हें पता नहीं है…अगर तुम जानना चाहती हो तो मै तुम्हें जरूर बताऊँगा परन्तु इतना हमेशा याद रखना पुराने घाव को कुरेदने से तकलीफ ही होती है…

(कार फार्म हाउस के गेट पर आ कर रुक जाती है…राजेश हार्न बजाता है लेकिन फिर कुछ याद करके खुद जा कर गेट खोल कर कार को अन्दर ले जा कर खड़ी कर देता है।)

टीना: पापा…यह तो बहुत सुन्दर जगह है आप पहले यहाँ हमें क्यों नहीं लाये थे…

राजेश: मै नहीं चाहता था कि तुम उन लोगों से मिलो।

लीना: वही जो उस दिन हमारे घर पर आये थे…(एकाएक) पापा…तनवी कौन थी…

टीना: हाँ…वह कौन थी…

राजेश: बाद में…पहले घूम कर देख तो लें कि यहाँ का क्या हाल है।

(राजेश तीनों लड़कियों को लेकर कर फार्म दिखाने ले जाता है। खुला और शान्त वातावरण, चारों ओर हरियाली, पहाड़ी के आँचल में फैला हुआ खेत, किनारे से कल-कल बहता हुआ मौसमी जंगली झरना, कुल मिला कर एक मनमोहक दृश्य।)

टीना: (इतने दिनों में पहली बार चहकते हुए) ब्यूटीफुल प्लेस…पापा मैं आपसे नाराज हूँ कि आप मुझे पहले यहाँ पर ले कर क्यों नहीं आए… करीना तुझे कैसा लगा?

लीना: हाँ पापा…बहुत सुन्दर जगह है। क्या मम्मी ने यह जगह देखी है?

राजेश: नहीं… अर…रे वहाँ कौन है…चलो वहाँ चल कर देखते है…

लीना: पापा…हम अपने स्विमिंग कास्ट्यूम ले आते तो अच्छा रहता…इस जगह हम आराम से तैरना सीख सकते है…

राजेश: वो तुम ऐसे भी सीख सकते हो…(तेज कदमों से बढ़ता हुआ पेड़ के पास जा कर रुक जाता है)…यहाँ तो कोई भी नहीं है…

करीना: हाँ मैने भी किसी को पेड़ की आड़ में खड़ा देखा था…

राजेश: चलो यहाँ से…(कह कर आउट हाउस की ओर बढ़ता है। तीनों लड़कियाँ भी राजेश के पीछे-पीछे आउट हाउस की ओर चल देती है।)

टीना: पापा…कहीं आपको कोई गलतफहमी तो नहीं हो गयी…यहाँ पर जंगली जानवर भी तो होते होंगें…शेर, चीता, साँप,…

लीना: टीना तू नाहक ही डरा रही है…यहाँ पर ऐसा कुछ भी नहीं है…क्यों पापा?

(राजेश दरवाजा खोल कर अन्दर का जायजा लेता है। करीना को एक महीने पहले की इस कमरे मे खेली हुई रंगरेलियां याद आते ही चेहरे पर शर्म कि लालिमा फैल जाती है।)

टीना: (करीना के भाव को पढ़ते हुए) करीना तुझे क्या हुआ…

करीना: कुछ नहीं…

(पीछे से किसी के आने की आहट होती है। चारों पीछे घूम कर देखते है तो अपने सामने सुन्दरी उर्फ आभा को खड़ा पाते है।)

आभा: यह तुम्हें क्या बताएगी…मै बताती हूँ (इतना सुन कर करीना के चेहरे पर हवाइयां उड़ गयीं)

राजेश: पहले तो तू बता आभा कि तू यहाँ क्या कर रही है…तेरी हिम्मत कैसे हो गयी यहाँ आने की…

आभा: मैं तो बीते तीन दिन से रह रही हूँ क्योंकि यह मेरे पिताजी की जगह है। तुम्हीं ने कहा था कि यह जगह तुमने मेरे पिताजी के नाम पर खरीदी है…तो क्या मै पूछ सकती हूँ तुम मेरी जगह पर क्या कर रहे हो…

राजेश: अच्छा…बहुत नीच खानदान की हो…पहली बात तो यह जगह मेरे नाम पर है। मैने ट्रान्सफर के कागजात तुम्हारे पिताजी के नाम पर बनवाए थे…जिससे कि उनका बुढ़ापा आराम से कट जाए…पर जेल से कब छूटीं…

आभा: बात क्यों बदल रहे हो…तुम्हारी बेटी ने इस छोकरी से कुछ पूछा था…क्या उसका जवाब नहीं दोगे…खैर यह क्या जवाब देगी मै बताती हूं यह छोकरी तुम्हारे बाप की रखैल है और कुछ दिन पहले इसी जगह पर एक पूरा दिन तुम्हारे बाप ने इसकी जवानी को भरपूर लूटा था…

(आभा की बात सुन कर लीना और टीना सकते में आ गयी और करीना लाज के मारे नजरें झुकाए जमीन में गड़ी जा रही है। बेबसी के आँसु करीना की आँख से टपकने लगे थे जिसे देख कर राजेश बेंचैन हो उठा है। राजेश अपना आपा खो कर आभा की ओर झपटता है और खींच कर उसके गाल पर एक चांटा रसीद कर देता है। इस अचानक वार से आभा चक्कर खा कर जमीन पर ढेर हो जाती है।)

लीना: पापा यह क्या कह रही है…आप और करीना

राजेश: हां…मै और करीना ही नहीँ…मैं और…

लीना: (गुस्से से बाहर की ओर भागती हुई)…तो जो उस दिन सब कह रहे थे वह सच है…

राजेश: (पीछे-पीछे भागते हुए) मेरी बात सुनो…लीना…प्लीज (एक पल के लिए ठिठ्क कर रुक जाता है।)

क्रमशः

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