कमसिन कलियाँ compleet

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jay
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Re: कमसिन कलियाँ

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कमसिन कलियाँ--7

गतान्क से आगे..........

राजेश: बेटा अब दुबारा से शुरु करते है। लेकिन अबकी बार टाक्सिन भी बनाने होंगे।

टीना: (ठुनकते हुए) पापा, मेरे शरीर मे तो टाक्सिन बन रहे थे परन्तु आपने बीच में रोक दिया था।

राजेश: सारी बेटा…तुम मुझे बता देती तो मै थोड़ी देर के बाद रेस्ट के लिए कहता। (कुटिल मुस्कुराहट) कम से कम बना हुआ सारा टाक्सिन बाहर निकल जाता तो अच्छा रहता।

टीना: पापा, अबकी बार…

राजेश: पूरा रास्ता तय करके ही थमेंगें… चलो चले

(राजेश के खड़े होने से उसका शिश्न ने अपने कुकुरमुत्ते नुमा सिर को शार्ट्स की इलास्टिक में से बाहर निकल दिया। मासूम टीना की नजर उस पर नजर पड़ी तो हतप्रभ खड़ी देखती रह गयी। जानते हुए भी राजेश ने टीना की बाँह थामी ओर आईने की ओर बढ़ते हुए कमर में हाथ डाल अपने से सटा लिया। टीना शर्माती हुई नीचे नजरें किये आईने की ओर बढ़ गयी।)

राजेश: बेटा, अबकी बार तुम्हें समझाने की जरूरत तो नहीं है। हमें वही करना है जो कि हमने पहले किया है। अबकी बार तुम जितना झुक सको, खुद झुको।

टीना: (नजरें चुरा कर एक बार फिर से कुकुरमुत्ते की आकार को निहारते हुए) ठीक है… (इतना कह कर टीना खुद ही झुक गयी)…

(अब की बार राजेश अपने आगे खड़ी टीना की कमर मे एक हाथ डालते हुए सीधे योनिमुख पर अपनी हथेली जमा देता है। दूसरे हाथ से अपनी शार्टस को नीचे कर के जकड़े हुए लिंग को आजाद कर देता है। बहुत देर से बंधे हुए लिंगदेव टीना के गोल और सुडौल नितंबों को देख कर फनफना के अजगर कि तरह लहरा कर झटके खाते हुए अपनी फिर से कठोरता धारण कर लेते हैं। राजेश अपने तन्नाते हुए लिंग को मुठ्ठी मे ले कर दोनों नितंबों के बीचोंबीच बनी दरार में अटका कर धीरे से आगे की ओर धक्का देता है, टीना भी अपने पैरों पर जोर दे कर पीछे की ओर धक्का देती है। इस नग्न घर्षण से राजेश का शिश्न-कलश फूल कर और भी कुप्पा हो गया है। महीन और चिकनी स्पान्डेक्स पर रगड़ खाते हुए लिंगदेव दोनों पाटों के बीच जगह बनाते हुए नीचे सरक कर अपनी पूरी लंबाई के साथ अटक जाते है।)

टीना: (इस अप्रत्याशित वार से अचकचा कर) पापा… यह क्या हुआ।

राजेश: बेटा कुछ नहीं हुआ। बस मैने तुम्हें ठीक से पकड़ने के लिये जगह बनाई है…

(इतना कह कर राजेश अब नये जोश से आगे-पीछे हो कर लिंग को नितंबो के बीच फँसा कर घिसने में लग गया। आगे से राजेश की उंगलियों ने अपना काम आरंभ कर दिया और योनिमुख को छेड़ने में लग गयी। सारा वजन राजेश के हाथ पर डाल कर टीना भी वासना की आग में जलने लगी और हर झटके का जवाब अपने झटके से देने लगी। एक ओर अनछुए कमसिन नितंबों के घर्षण का एहसास और दूसरी ओर बार-बार नई-नवेली सीलबन्द योनिद्वार के साथ की गयी छेड़खानी, राजेश के इतनी देर से उफनते हुए लावा को बाहर निकलने के लिये मजबूर कर दिया, और झटके लेते हुए सारा लावा बाहर उगल दिया। ऐसा ही कुछ हाल टीना का भी हुआ। एक तरफ भीषण कठोरता धारण किये कुकुरमुत्ता सा सिर पीछे से योनिद्वार पर अपनी पूरी लंबाई का एहसास कराता हुआ टकराता और दूसरी ओर से उँगलियों की बार-बार छेड़खानी ने टीना के अन्दर भी हलचल मचा दी। अपने जनानंग मे उठता हुआ तूफान टीना को चरम सीमा के पार ले गया और झटके के साथ सारा उफनता हुआ लावा उबल कर बाहर बहने लगा। दोनों अपना सन्तुलन न रख पाते हुए कारपेट पर गिर पड़ते हैं। राजेश ने अपने नीचे टीना को दबा कर अपनी साँसों को सन्तुलित करने में लग गया। उफ़नती हुई भावनाओं के शान्त होते ही टीना ने महसूस किया की नितंबों के बीच फँसी चीज पिचकारी के समान धीरे-धीरे झटके लेते हुए कुछ तरल पदार्थ निकाल रही है और उसकी कठोरता भी कम होती हुई लगने लगी।)

टीना: (कुनमुनाते हुए) पापा… पापा…

राजेश: (झपट कर अपने लिंग को शार्टस के अन्दर डाल कर) हाँ…बोलो…

टीना: पापा, आप बहुत भारी हो, मुझसे साँस नहीं ली जा रही। आप हटो…

राजेश: (अपने आप को पेट के बल लेटी टीना पर से हटा) क्यों भई… (टीना के कान को चूमते हुए) इतनी देर से जब तुम्हारा वजन मै उठा रहा था तो कुछ नहीं, पर तुम जरा सी देर भी मेरा वजन नहीं उठा सकीं। कैसी पार्टनर हो तुम?

टीना: (धक्का दे कर उठने की कोशिश करते हुए) पापा…(कुछ न सूझा तो)…आप बड़े भी तो हो…पापा मेरा सारा टाक्सिन बाहर निकल गया…हटो न…

राजेश: (अपना हाथ नीचे फिराते हुए) हाँ, बेटा तुम ठीक कह रही हो। (राजेश पेट के बल लेटी टीना को उलट कर सीधा कर देता है) ऐसा लगता है कि किसी ने नल खोल दिया है। (सफ़ेद महीन स्पान्डेक्स गीला होने के कारण पारदर्शी हो गया था, जिसमें दो जुड़े हुए होंठ के बीचोंबीच पतली सी दरार साफ विदित हो रही है। राजेश अपनी उंगली दरार के उपर फिराता है।) पूरा गीला पड़ा हुआ है।

टीना: (चिहुँक कर) पापा… क्या कर रहे हो…(एक बार फिर उठने की कोशिश करती है, फिर से राजेश उसे उठने नहीं देता)…पापा

राजेश: (वैसी ही आवाज में) टीना…(गीली उँगली को अपने होंठों पर फिराता हुआ और टीना को दिखाते हुए जुबान के अग्र भाग से चाटता हुआ)…वाह क्या जायका है तुम्हारे टाक्सिन का…

टीना: (सब कुछ भूल कर अचरज भरी निगाहों से देखती हुई) यय्…क्स्… यह क्या किया आपने…बहुत गन्दे हो आप्…

राजेश: (मुस्कुराते हुए) न बेटा…ऐसा नहीं बोलते। यह तो हमारे-तुम्हारे प्यार की देन है। एलन अंकल ने मुझे इसके बारे मे बताया था। (एक बार फिर से उंगली को प्यार की झील में डुबो कर निकालता है और अपने मुख में रख कर चूसता है)…इसके बारे मैं पूरी जानकारी ले कर अगली एक्सरसाइज के टाइम पर बताऊँगा।

टीना: यय्…क्स्… बहुत गन्दे हो आप्…

राजेश: (टीना को सहारा दे कर उठाते हुए) बेटा तुम कपड़े बदल कर तैयार हो जाओ। तुम्हारी मम्मी के लौटने का समय हो गया है। इन कपड़ों को छुपा कर मुझे दे देना, इनहें मै बाहर धुलवा दूँगा। कल का तुम्हारा कास्ट्यूम अलग होगा, मै लौटते हुए लेता आउँगा।

(टीना खड़ी हो कर नीचे नजर डालती है। अपनी शार्टस की पारदर्शिता और अन्दर से झांकती हुई योनि को देख कर शर्मा जाती है। सफेदी लिए पानी सा द्र्व्य धीरे-धीरे शार्टस से रिसते हुए जाँघो के अन्दरूनी हिस्से पर से फिसलता हुआ नीचे की बढ़ता हुआ देख कर झट से अपने हाथ से पौंछती हुई बाथरूम की ओर भागती है।)

राजेश: टीना मै नीचे जा रहा हूँ। तुम जल्दी से आ जाओ।

(आज की कामयाबी पर राजेश मुस्कुराता हुआ टीना के कमरे बाहर निकल जाता है।)

टीना: (बाथरूम से चीखते हुए) अच्छा पापा।

(टीना अपनी चोली और शार्टस उतार कर आईने की ओर रुख करती है। सामने से अपने नग्न जिस्म को निहारती है। सीने की सुडौल गोलाईयाँ सारे गुरुत्वाकर्षण के नियमों को फेल करते हुए सिर उठाए उपर की दिशा में ताक रहें हैं और उनकी चोटी पर बैठे गुलाबी निप्पल तो फूल के खड़े हो गये है। गोरी कमर पर दो जगह टाइट कास्ट्यूम की लाल लकीरें बनी हुई है। टीना उन हिस्सों को रगड़ कर खून का बहाव ठीक करती है। गीले हुए योनिमुख पर उँगलियों को फेरती है और गीली उंगली को सूँघ कर और फिर चाट कर देखती है। कुछ न पता चलने से उत्सुकतावश एक बार फिर से अपनी दो उंगलियों में बचा-कुचा सफेद सा पनीला द्र्व्य इकट्ठा कर के उठा कर चाटती है। कुछ पता न चलने पर शावर के नीचे खड़े हो कर अपने अंग-अंग को धोती है, अपनी योनि के होंठों को हटा कर मुँह उठाती हुई कली को घिसती है और हैन्ड-शावर की धार से साफ करती है। सिर उठाते निप्पलों को रगड़-रगड़ कर बिठाने की नाकामयाब कोशिश करती है। थोड़ी देर पानी के सुख ले कर गाउन पहन कर बाथरूम से बाहर निकल आती है। सामने राजेश को बेड पर लेटा देख कर ठिठक जाती है।)

टीना: पापा आप्…गये नहीं…?

राजेश: बेटा एक जरूरी चीज रह गयी थी।

टीना: (थोड़ा चौंकते हुए)…क्या…

राजेश: मेरा चुम्मा, तुमने अपना दूसरा रुटीन पूरा कर लिया था।

टीना: (खिलखिलाती हुई) पापा…आप भी न्…वह तो मै बाद मे भी दे सकती थी।

राजेश: न बेटा, कल करे सो आज कर्…।

(टीना धम्म से बेड पर राजेश से लिपट कर उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लेती है। राजेश भी टीना को अपने आगोश में भर कर कोमल पंखुड़ियों से होंठों का लुत्फ लेता है। थोड़ी देर चूमने और चूसने का दौर चलता है।)

राजेश: तुम्हारी मम्मी आने वाली होंगी। मेरी बेटी मुझसे बहुत प्यार करती है। बेटा अब मै नीचे जाता हूँ।

(दोनों बिस्तर से उठते है। राजेश बाहर निकल जाता है। टीना कपड़े पहनने में लग जाती है। दरवाजे की घंटी बजती है। राजेश जाकर दरवाजा खोलता है। सामने मुमु और करीना खड़ी हुई है।)

(दरवाजे पर मुमु और करीना खड़ी हुई है। रात के आठ बज रहे है।)

राजेश: अ…रर…रे। मुमु, इतनी देर कैसे लग गयी। बहुत थकी हुई लग रही हो क्या बात है।

मुमु: (अन्दर आते हुए) भई ट्रेनिंग कर के आ रही हूँ, थकान तो होगी ही। (अपने बेडरूम की ओर रुख करती है।)

राजेश: और तुम करीना तुम, बहुत देर से आयी हो।

करीनाशर्माते हुए) अंकल, कोचिंग क्लास गयी थी। (हल्की सी नजर उठा कर) जरा टीना से जरूरी काम था। क्या टीना घर पर है?

राजेश: (मुस्कुराते हुए) हाँ, तुम तो टीना से मिलने ही आओगी…हम तो तुम्हारे दुश्मन जो हैं।

करीना: नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं। (नजरें झुकाए, पैरों से कारपेट को कुरेदते हुए) मै तो… आ…प से भी मिलने आई हूँ।

राजेश: (ठोड़ी को उठाते हुए) मै तो यहाँ हूँ। तुम नीचे देख कर किससे बात कर रही हो? (तपाक से करीना के होंठों पर अपने होंठों की मौहर लगा कर अलग खड़ा हो गया। करीना इस हरकत से डर के मारे सिहर उठी और जड़वत सी खड़ी रह गयी।) तुम्हें अपना कल किया वादा याद है न?

करीना: (झेंपती हुई) कौन सा?

राजेश: अच्छा जी, एक दिन मे यह हाल है तो जाने आगे क्या होगा। (दिखावटी गुस्से से) कोई बात नहीं, जब किया हुआ वादा याद आ जाए तो मुझसे बात करना। टीना उपर है…

(सामने से आती हुई मुमु को देख कर, करीना बिना कुछ बोलें तेजी से आगे बढ़ गयी और सीड़ीयों से टीना के कमरे की ओर रुख कर लिया)

मुमु: क्या आपके पास नींद की गोली है? थक गयी हूँ, सोना चाहती हूँ …

राजेश: अरे खाना तो खा लो, तुम एक्सरसाइज कर रही हो या डाईटिंग?

मुमु: एक्सरसाइज करने के बाद, मुझे इतनी तेज भूख लग रही थी कि मुझसे रुका नहीं गया। रास्ते में डोमिनोंस पड़ा, गाड़ी रोक कर तीन पिज्जा पैक करा लिये थे।

राजेश: क्यों भई, तुम एक्सरसाइज करो और फिर फास्ट फूड खाओ और खिलाओ।

मुमु: प्लीज, मै बहुत थक गयी हूँ और मुझे पता है कि आज मुझसे खाना नहीं बनेगा। मैनें तो कार ड्राईव करते अपने हिस्से का पिज्जा तो खा लिया। आप लोग आज पिज्जा से काम चला लो, कल तक मै कोई इस का हल निकाल लूँगी।

राजेश: नहीं तुम खाने की चिन्ता मत करो, नींद की गोली मेरे ब्रीफ़केस में से निकाल लो। मै और टीना आज पिज्जा से काम चला लेंगे।

मुमु: आप जा कर कार में से पिज्जा निकाल लाओ और ओवन मै रख दो ताकि गर्म रहे।

(इतना कह कर मुमु बेडरूम में चली गयी। राजेश कार की चाबी लेकर पिज्जा निकाल ने चला गया। पिज्जा ले कर लौटा तो देखा कि दोनों सहेलियाँ, टीना और करीना, बातें करती नीचे उतर कर बाहर जाने के लिये आ गयी है।)

राजेश: टीना… कहाँ चल दी तुम्हारी सवारी?

टीना: (पिज्जा के पैकिट देख कर खुशी से उछलते हुए) ग्रेट्…आज किस खुशी मे पिज्जा पार्टी दी जा रही है?

राजेश: तुम्हारी कामयाबी पर। करीना, आज तुम भी हमारी पिज्जा पार्टी को जौइन करो।

करीना: (हिचकिचाते हुए) नहीं अंकल, बहुत देर हो जाएगी। घर पर मम्मी फिकर करेंगी।

टीना: नहीं यार, मैं आंटी को फोन कर देती हूँ। तू हमारे साथ पार्टी एन्जोय कर।

(टीना फोन उठा कर करीना की मम्मी से बात करती है)

टीना: आंटी ने हाँ कर दी है। अब और तेरी न नुकर नहीं चलेगी। खाने के बाद हम तुझे घर छोड़ देंगे।

करीना: (राजेश की ओर देखते हुए) अंकल आप को नाहक ही परेशानी होगी।

राजेश: (मुँह बनाते हुए) अगर मुझे परेशानी होगी तो तुम्हें टीना घर छोड़ देगी। क्यों टीना?

टीना: हाँ, मै छोड़ दूँगीं। चलो अब झटपट पिज्जा गर्म करने के लिए रख देते है, बहुत भूख लग रही है।

(टीना की बेसब्री को देख कर सब खिलखिला के हँस पड़ते है। राजेश पिज्जा ओवन मे रखने चला जाता है। जब तक पिज्जा गर्म होता है, राजेश फोन पर कहीं बात करता है। टीना और करीना डाईनिंग टेबल पर सामान सजाती है। कुछ देर के बाद राजेश गर्म-गर्म पिज्जा टेबल पर लगा देता है। टीना बिना रुके करीना से बातें करती जाती है और राजेश चुपचाप पिज्जा खाता है। करीना भी बीच-बीच में जवाब देती है। पिज्जा खाने के बाद, टीना और करीना ड्राइंगरूम में आ कर सोफे पर जम जाती है। राजेश भी टेबल साफ कर के दूसरे सोफे पर आ कर बैठ जाता है।)

राजेश: टीना, पेट भरा कि नहीं। तुम्हारे लिए कुछ और बना दूँ।

टीना: मेरा तो पेट फट जाएगा। करीना ने तो सिर्फ दो स्लाइस ही लिये। बाकी सारा तो मैनें खाया है। शायद यह भूकी रह गयी।

राजेश: क्यों करीना क्या अच्छा नहीं लगा। घर जा कर मम्मी से खाना माँगा तो हमारी बड़ी बदनामी होगी कि हमने उनकी बिटिया को भर-पेट खाना नहीं खिलाया।

करीना: नहीं अंकल, ऐसी बात नहीं है। टीना झूठ बोल रही है मैनें तो बहुत खा लिया है अब हिलने की भी हिम्मत नहीं हो रही।

टीना: चल झूठी…

राजेश: बहुत रात हो गयी है। चलो तुम्हें घर छोड़ देता हूँ।

करीना: आप नाहक ही परेशान होगें, मै टीना के साथ चली जाउँगी।

राजेश: टीना, बेचारी करीना मेरे बारे मे कितना सोचती है। जाओ तुम इसको घर छोड़ आओ।

टीना: पापा, प्लीज आप छोड़ आइये। मैनें बहुत खा लिया है, जरा भी चलने की हिम्मत नहीं है।

राजेश: पर तुम्हारी सहेली तो मेरी परेशानी कि वजह से मेरे साथ जाने से मना कर रही है। मै कैसे छोड़ दूँ।

करीना: (झिझकते हुए) मैं अपने आप चली जाउँगी।

राजेश: (गुस्से से) ठीक है, तुम अकेली चली जाओ। (इतना कह कर दरवाजे की ओर बढ़ जाता है। टीना और करीना भौंचक्की सी देखती रह जाती है)

करीना: (डरते हुए) न्…न्हीं अंकल। मेरा यह मतलब नहीं था… प्लीज सौरी अंकल।

राजेश: (हँसता हुआ दरवाजा खोलता है) क्या तुम्हें लगता है कि मै तुम्हें इस रात में अकेले जाने दूँगा।

टीना: पापा, आप भी न्…हमें डरा दिया…

राजेश: जिनसे प्यार करते हो, क्या उस पर कोई गुस्सा कर सकता है। मै तो मजाक कर रहा था। बार-बार करीना कह रही थी कि वह चली जाएगी तो मैने सोचा कि इसे एक सबक दे दूँ। बस इस लिए…

टीना: मेरे अच्छे पापा…

राजेश: टीना, तुम सोने जाओ। मै करीना को घर छोड़ कर आता हूँ। आओ चले करीना…

(इतना कह कर राजेश दरवाजे के बाहर जाता है। टीना अपने कमरे की ओर रुख करती है। सिर झुकाए करीना बाहर आकर दरवाजे को बन्द कर के राजेश से कुछ दूरी बना कर पीछे-पीछे चल देती है। काफी रात हो गयी है, घुप अंधेरा है, कुछ दूरी पर बने हुए घरों की रौशनी छ्न कर बाहर थोड़ा सा उजाला कर रही है। दोनों आगे-पीछे चुपचाप बढ़ते चले जाते है। दोनों विचारमग्न है कि कौन चुप्पी तोड़ता है।)

राजेश: करीना…तुम मेरे साथ नहीं चलना चाहती तो मेरे आगे-आगे चलो…(रुक जाता है)

करीना: आप ही नाराज हो कर आगे-आगे चल रहे है। (दोनों अब साथ-साथ चलने लगते है)

राजेश: (करीना की कमर में हाथ डाल कर नजदीक खींचते हुए) तुम ही आज दूर भाग रही हो।

करीना: (सट के चलती हुई) नहीं तो…

राजेश: छोड़ो सारे गिला-शिकवे (कमर पर से हाथ सरका कर सीने की ओर बड़ाते हुए) अपना कल का वादा याद आया कि नहीं? (बायें स्तन को अपनी हथेली से ढकते हुए)…क्या ब्रा नहीं पहनी आज्…

करीना: (शर्म से दोहरी होते हुए दूर हटने का प्रयास करती है पर राजेश उठे हुए निप्पल को अपनी दो उँगलियॉ के बीच मे लेकर मसल देता है) उई…ई…ई म्…माँ

राजेश: (फिर प्यार से निप्पल को पकड़ कर धीरे-धीरे सहलाता फिर तरेड़ता, और कभी हथेली मे पुरा स्तन को ले कर दबा देता) क्या हुआ…तुम्हें अच्छा नही लगा क्या?…कुछ याद आया?

करीना: (शर्माते हुए) हूँ…

राजेश: तो क्या विचार, सामने वही पगडंडी आ रही है।

करीना: (चुपचाप चलती हुई) हूँ…

(पगडंडी के आते ही राजेश आस-पास देख कर करीना का हाथ पकड़ कर नीचे की ओर उतर जाता है। दोनों के दिल जोरों से धड़क रहे हैं। करीना कल रात की घटना को सोचकर रोमांचित हो रही है और साथ ही डर भी रही है। इधर राजेश झुरमुटों के पीछे पहुँच कर अपनी लुगीं को खोल कर जमीन पर बिछा कर उस पर लेट जाता है और अपने उपर करीना को खींच लेता है। अनायस आँखें मिलते ही, करीना झेंप कर नजरें झुका देती है।)

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

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कमसिन कलियाँ--8

गतान्क से आगे..........

राजेश: (दोनों हाथों मे करीना का चेहरा ले कर) शर्माओं नहीं। आज मेरी बहुत सालों की तमन्ना पूरी होने जा रही है। कई बार जब तुम हमारे घर आती थीं तो मैं छिप कर तुम्हारी सुन्दरता को निहारता था। बेध्यानी में तुम्हारे अंग-अंग से इश्क करने लगा हूँ (कहते हुए होंठों पर उंगली फिराता है) तुम्हारे कोमल पंखुड़ियों से होंठों की गुलाबीपन को अपने होंठों से सोख लूँगा, (पल्कोँ को चूमते हुए) हिरनी सी चंचल आँखों से आँख मिलाता हूँ तो झील की गहराई में डूब जाता हूँ…

करीना: (हिचकिचाते हुए) अंकल, जो भी कल हुआ और आज हो रहा है, यह ठीक नहीं हो रहा है…

राजेश: क्यों…(करीना की पीठ पर प्यार से हाथ फिराते हुए) सच बताओ, आज सारे दिन में कल रात के हमारे एकाकार के बारे कुछ भी नहीं सोचा? मुझसे झूठ मत बोलना…आज इसीलिए तुम ने नीचे कुछ नहीं पहना। है न?

करीना: (राजेश के सीने पर सिर रख कर) हूँ…(सिर हिला कर हामी भरी)… अंकल, आज सारा दिन कल रात की बात को सोचते हुए निकला है। मुझे बहुत डर लग रहा है कि किसी को पता चल गया तो क्या होगा।

राजेश: अरे पगली, मेरी नन्हीं गुड़िया। मैं आज पुरे दिन तुम्हारे अंग-अंग के बारे मे सोच-सोच कर रोमांचित होता रहा (कुर्ते के उपर से ही एक स्तन को मुहँ मे भर कर और फूले हुए निप्पल को होंठों मे लेकर कुछ देर चूस कर)… तुम आज नाहक ही परेशान हुई। (राजेश हाथ फिराते हुए पीठ पर कुर्ते के हुकों को एक-एक कर के खोलते हुए)…तुम्हें पता है कि मै तुम्हें टीना जितना ही प्यार करता हूँ।

करीना: (सिसकारी भर कर) अंकल नहीं करो न्…

राजेश: (गिड़गिड़ाते हुए) मान जाओ न्…क्या कल तुम्हें कोई परेशानी हुई थी। आज मेरे प्यार करने से तुम्हे असीम सुख मिलेगा और हमारा प्यार और भी प्रगाड़ हो जाएगा।

करीना: अंकल, मैं आपसे सब से ज्यादा प्यार करती हूँ। पर डर लगता है कि …

राजेश: आज तुम्हारे जीवन की वह रात है कि इन पलों को तुम सारे जीवन अपने दिल में सँजोए रखोगी… मेरी बात मान जाओ (करीना को अपने आगोश में लेकर कभी कान पर चूमता, तो कभी होंठ पर, कभी निशाने पर स्तन होते और कभी खड़े हुए दो निप्पल्स होते)…

करीना: अं…कल न…हीं करो… न्… (बार-बार के राजेश के वारों से करीना के जिस्म के भीतर हलचल बढ़ा दी थी)

(दोनों जिस्म कामोत्तेजना के ज्वर से जल रहे है।)

राजेश: तुम्हें इस एक आँख वाले अजगर (मुठ्ठी में लिए तन्नाये हुए लिंगदेव को दिखाते हुए) का स्वाद लेना है और फिर तुम्हारे इस (योनिच्छेद को उंगलियों छेड़ते हुए) मुख को इस को पूरा निगलना है।

करीना: (अपने हाथ मे लिंगदेव को पकड़ कर बड़े अचरज से) अंकल यह तो बहुत बड़ा और मोटा है, यह कैसे मै निगल पाउँगी?

राजेश: बेटा, तुम अपने इस मुख की प्रतिभा से अनजान हो। यही क्यों, बल्कि तुम्हारे पास दो और मुख है जो इस को निगलने में पूरी तरह सक्षम हैं। (धीरे से कुकुरमुत्ते सा सिर उघाड़ते हुए लिंग की इशारा करते हुए) खैर अब इसको निगलने के लिए तैयार हो जाओ?

करीना: क्या यह ऐसे ही रहेगा… (अपनी मुठ्ठी में लेकर जैसे दिखाया था वैसे फ़ोरस्किन को उतारते हुए) अरे यह खाल तो अपने आप नीचे सरक जाती है…

राजेश: बेटा यह ऐसे ही सिर उठाये खड़ा रहेगा जब तक कि इसके अन्दर का लावा उफ़न के बाहर नहीं आ जाता। आज मुझे तुम्हारें (एक बार फिर योनिच्छेद को उंगलियों छेड़ते हुए) इस मुख का इस्तेमाल करना है। तो आओ, आज इस सुहानी रात में तुम्हारी निखरते हुए यौवन के मुख पर अपनी मौहर लगा दूँ।

(करीना को नीचे लिटा कर बालोंरहित कटिप्रदेश और योनिमुख को अपनी उंगलियों से टटोलने में लग जाता है। राजेश की उँगलियों सरका कर जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को अलग करती है। राजेश की उंगली योनिच्छेद में जगह बनाती अकड़ी हुई घुन्डी पर जा टिकती है। करीना की योनि तो आग से पिघल कर बह रही है।)

करीना: .उई...माँ….अँ.क.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगली से घुन्डी का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों की गिरफ्त में करीना के होंठों को ले लेता है। एक हाथ से कभी उन्नत उरोजों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे निपल को फँसा कर तरेड़ता, कभी एक कलश को अपनी हथेली मे छुपा लेता और कभी दूसरी को जोर से मसक देता। करीना भी असीम आनंद में लिप्त होती जा रही हैं।)

राजेश: (करीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) करीना…करीना…

(राजेश करीने के नग्न जिस्म को अपने शरीर से ढक देता है। राजेश अपने तन्नायें हुए लिंग मुठ्ठी में लेकर योनिमुख पर टिका देता है। जलती हुई सलाख एहसास होते ही करीना के मुख से एक सिसकारी निकल जाती है। राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर घुन्डी को दबाते हुए सरकते हुए योनिच्छेद के मुख पर लगा कर ठेलता है। संकरी और गीली जगह होने की वजह से फुला हुआ कुकुरमुत्तेनुमा सिर फिसल कर जगह बनाते हुए अन्दर घुस जाता है।)

करीना: …उ.उई.माँ..अँ.उ… उक.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(राजेश अपनी जुबान से करीना के होंठों को खोल कर उसके गले की गहराई नापने लगता है। लिंगदेव अपना सिर अटकाए शान्ति से इन्तजार करते है कि योनिच्छेद इस नये प्राणी की आदि हो जाए। धीरे-धीरे आगे पीछे होते हुए सिर का घिसाव अन्दर तक करीना को विचलित कर देता है। बेबस करीना इस नये वार से हतप्रभ है। इधर योनिच्छेद मे फँसे हुए लिंगदेव अपने सिर की जगह बन जाने के बाद और अन्दर जाने मे प्रयासरत हो जाते है। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती करीना के होंठों को राजेश अपने होंठों से सीलबंद कर देता है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लिंग प्रेम रस से सरोबर हो कर सारे संकरेपन को खोलता हुआ और करीना के कौमर्य को भंग करता हुआ जड़ तक जा कर फँस जाता है। करीना की आँखें खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी।)

करीना: उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररउक.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह.

राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) शश…शशश्…करीना…करी…ना

करीना: अंक…ल निका…उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररगय…यईई…निक्…उफ..लि…ए…आह..ह..ह.

राजेश: शश…श…बस अब सारा कष्ट खत्म, बस आगे आनंद ही आनंद…।

(करीना की योनि ने भी राजेश के लिंग को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ रखा है। योनि की गहराई नापने की कोशिश मे करीना की योनि में कैद लिंगदेव भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह निचुड़ा हुआ पा रहे है। क्षण भर रुक कर, राजेश ने करीना के नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है। एक तरफ लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर करीना की सुरंग को खोल हुआ आगे बड़ता है और फिर वापिस आते हुआ कुकुरमुत्ते समान सिर छिली हुई जगह पर रगड़ मारते हुए बाहर की ओर आता। लिंगदेव गरदन तक बाहर आते ही एक बार फिर से अन्दर का रास्ता तय करने लग जाते है। करीना की योनि भी अब इस प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गयी थी।)

राजेश: (गति कम करते हुए) करीना अब दर्द तो नहीं हो रहा है…

करीना: हाँ …बहुत दर्द हो रहा है…

राजेश: (रोक कर)… ठीक है मै फिर निकाल देता हूँ… (और अपने को पीछे खींचता है)

करीना: (अपनी टाँगे राजेश की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेटते हुए) …न…हीं, अभी नही…

राजेश: अगर मजा आ रहा है तो …

करीना: अंकल प्लीज्…

(राजेश भी एक शातिर खिलाड़ी है। उसे यकीन है कि एक बार तेरह वर्षीय करीना को कामसुख से परिचय हो गया तो वह हमेशा के लिए उसकी बन कर रहेगी। थोड़ी देर की रेलमपेल के बाद राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया और धीरे-धीरे वह अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था। ज्वालामुखी फटने से पहले एक जबरदस्त आखिरी वार ने उसके लिंग को कमसिन योनि की गहराईयों मे उतर कर गरदन तक जा कर अन्दर धँस गया। इस वार को करीना बरदाश्त नहीं कर पायी और मीठी सी पीड़ा और रगड़ की जलन आग मे घी का काम करते हुए धनुषाकार बनाती हुई झरझरा कर बहने लगी। उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगे और एकाएक राजेश के लिंग को गरदन से जकड़ कर योनिच्छेद ने झट्के लेते हुए दुहना शुरु कर दिया। इसका एहसास होते ही सारे बाँध तोड़ते हुए लिंगदेव ने भी बिना रुके लावा उगलना शुरु कर दिया। करीना की योनि को प्रेमरस लबालब भरने के बाद भी राजेश अपने लिंग को फँसाये रखा और नई-नवेली संकरी योनि का लुत्फ लेता रहा। खुले आसमान के नीचे झुरमुटों के बीचोंबीच एक तेरह वर्षीय हसीना के साथ कामक्रीड़ा का एहसास एक स्वपनिल परिकल्पना मात्र लग रहा था।

राजेश: करीना, हमें घर से निकले हुए तीन घंटे हो गये है। रात का एक बज गया है। जल्दी से कपड़े पहन लेते है और फिर सोचते है कि अब क्या करना चाहिये?

(राजेश अपना कुर्ता और लुगीं पहनता है। करीना अपना कुर्ता तो पहन लेती है परन्तु सलवार पहनने में तकलीफ़ होती है। राजेश उसकी परेशानी को समझते हुए, सलवार पहनने में मदद करता है। करीना एक कदम बढ़ाती है तो उसके मुख से एक सिसकारी निकल जाती है।)

राजेश: करीना…क्या चलने में तकलीफ हो रही है?

करीना: (रुआँसी आवाज में) अंकल, हर कदम पर एक टीस उठती है…मुझसे चला नहीं जाएगा।

राजेश: मेरी प्यारी गुड़िया को मैं गोद मे लेकर छोड़ कर आऊँगा। पर अगर किसी ने देख लिया तो क्या कहूँगा… ऐसा करते है कि वापिस मेरे घर पर चलते है। सब सो रहें होगें, तुम्हारे लिए मै गेस्ट रूम खोल दूँगा तुम वहाँ सो जाना। कल सुबह तक तुम्हें आराम हो जाएगा फिर दफ्तर जाते हुए मै तुम्हें कार से घर छोड़ दूँगा।

करीना: (हिचकिचाते हुए) पर घर पर मम्मी से क्या कहूँगी…टीना से क्या कहूँगी?

राजेश: (मुस्कुराते हुए) तुम उसकी चिन्ता छोड़ दो। खाना खाने के बाद जब मै रसोई में सामान समेटने गया था तो मैनें तुम्हारी मम्मी से फोन पर कह दिया था कि देर होने पर रात को करीना हमारे घर पर रुक जाएगी और सुबह घर छोड़ देंगे…इसलिए आज रात को तुम्हारा कोई घर पर इन्तजार नहीं करेगा।

करीना: (गुस्से से राजेश के सीने पर मुक्के मारते हुए) अंकल्…आप बड़े वो हो…इसका मतलब है कि आप पहले से जानते थे कि…(शर्माती हुई)…जाईए मै आपसे कुट्टी…

राजेश: (हँसते हुए) मेरी गुड़िया…नाराज हो गयी…(इतना कह कर करीना को अपने सीने से लगा लिया और होंठ चूम लिये)… तुम कभी मेरे से नाराज न होना नहीं तो मै मर जाउँगा…

करीना: (झट से राजेश के होंठों पर उँगली रखती है)…अंकल कभी भी ऐसी बात मत कहना। मै आपसे अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करती हूँ।

(राजेश इस अदा से भावुक हो कर करीना को गोदी में उठा कर अपने घर का रुख करता है। दोनों नये युगल जोड़े की तरह फुसफुसाते हुए राजेश के घर पर पहुँचते है। दरवाजे को बिना आहट के खोल कर घर में प्रवेश करते है। राजेश एक बार फिर से गोदी में उठाए करीना को गेस्ट रूम के बेड पर ला कर बिठा देता है।)

राजेश: बेटा, तुम आराम करो मै तुम्हारे लिये हल्दी वाला दूध गर्म करके ले आता हूँ।

करीना: नहीं अंकल रहने दिजीये, आप नाहक ही परेशान हो रहे है…

(राजेश अनसुना कर के रसोई में जा कर दूध को गर्म करता है और उसमे हल्दी मिला कर करीना के पास वापिस आ जाता है। करीना बिना कुछ बोले दुध पी लेती है और बड़ी प्यार भरी नजरों से राजेश को निहारती है।)

राजेश: (करीना के निकट आ कर प्यार से सिर पर हाथ फिराते हुए) करीना तुम अगर कुर्ता और सलवार उतार कर टीना का नाइट गाउन पहन लो तो आराम से सो सकोगी। मै अभी ले कर आता हूँ…(कह कर जाता है और उलटे पाँव प्रेस किया गाउन लेकर आता है)

राजेश: जो प्यार और मोहब्बत मुझे तुमसे मिला है उसके बदले मे जो भी मै कर रहा हूँ वह कुछ भी नहीं है…चलो कपड़े उतार कर गाउन पहन लो।

राजेश: मुझ से कैसी शर्म, मैनें तो तुम्हारा अंग-अंग देख रखा है। ऐसी कौन सी तुम्हारी चीज है जिसको मैनें देखा और छुआ नहीं है…

करीना: वह सब आपने तारों की छाँव में देखा था, यहाँ पर लाइट में मुझे शर्म आती है… कमरे का दरवाजा भी खुला है…

(जल्दी से जा कर दरवाजे की चिटखनी लगाता है और वापिस आकर करीना को अपनी बाँहों मे लेकर खड़ा करता है। फिर धीरे से उसका कुर्ता उतारता है। पुष्ट उरोजों को हाथ में लेकर सहलाता है, और खड़े हुए निप्पल को अपनी उंगलियों में फँसा कर तरेड़ता है। फिर कुछ सोच कर करीना को गाउन पहना देता है। इस बीच करीना अपनी सलवार को उतार देती है और बेड की ओर जाती है। राजेश की निगाह करीना के चेहरे पर पीड़ा की लकीरों पर पड़ती है। देख कर राजेश भावुक हो उठता है। एक बार फिर से गोदी में उठा कर बेड पर लिटा देता है। बालरहित कटिप्रदेश पर नजर पड़ते ही राजेश हतप्रभ रह जाता है। करीना का योनिमुख डबलरोटी की तरह सूज कर फूल गयी है। दोनों का मिक्ष्रित प्रेमरस योनिच्छेद पर सूख कर जम चुका है और थोड़ा जो बाहर रिस कर आया, वह दोनों जांघों पर धारी बनाता हुआ सूख चुका है। राजेश बाथरूम से गुनगुने पानी का एक मग ले कर आता है और साफ रुमाल को भिगो कर हल्के हाथ से योनिच्छेद और उसके आसपास की सिकाई करता है। थोड़ी देर सिकाई करने के बाद जांघों तक पौंछ कर साफ करता है। पूरे समय करीना सिर्फ टुकुर-टुकुर सारे कार्यकलाप को ताकती है पर कुछ नही बोलती।)

राजेश: अब तुम सो जाओ… (और बाहर जाने लगता है)

करीना: (राजेश का हाथ थाम कर)…अंकल थैकस…क्या थोड़ी देर मेरे पास लेट जाँएंगे तो मुझे जल्दी नींद आ जाएगी…

राजेश: क्यों नहीं… (कह कर करीना के पास लेट जाता है। करीना भी राजेश के सीने में मुँह से छिपा कर लिपट जाती है। राजेश धीरे से करीना के बालों में उँगलियों को फिराता है और प्यार पीठ को सहलाता है। करीना को बाँहो मे लिए, थकान से चूर राजेश की भी आँख लग जाती है…)

(सुबह छ: बजे राजेश कि घड़ी का अलार्म बजता है, राजेश गेस्ट रुम से बाहर आ कर सोफे पर सो जाता है। कुछ देर के बाद राजेश ड्राइंगरूम में दफ्तर जाने के लिए तैयार हो कर गेस्ट रूम की ओर रुख करता है। बेड पर अर्धनग्न हालत मे करीना गहरी नींद में सो रही है। करवटें बदलने से नाईट गाउन सिमट कर पेट पर इकठ्ठा हो गया है। उपर का हुक खुलने से एक स्तन बाहर झांक रहा है और करीना का जननांग लाली लिए रात की कहानी बयान कर रहा है। राजेश कुछ देर करीना की कमसिन जवानी को निहारता है फिर झुक कर तपाक से एक बोसा योनि पर जड़ देता है। करीना कसमसाती हुई नींद में करवट बदल कर सीधी लेट जाती है।)

राजेश: करीना…करीना…उठो दस बज गये हैं…

करीना: (आँखे झपकाती हुई बैठते हुए)…हुँ…अंकल्…

राजेश: बेटा मुझे दफ़्तर जाना है। अगर अभी और सोना चाहती हो तो सो जाओ बाद में तैयार हो कर अपने घर चले जाना…

करीना: (बाँहे बढ़ा कर राजेश के गले में डालते हुए)…आई लव यू…

राजेश: (करीना के होंठों पर अपने होंठों की मौहर लगा कर)… बेटा…आई लव यू टू… अब कैसा हाल है…

करीना: अंकल सारा बदन टूट रहा है…एक बार मुझे कस कर रात की तरह बाहों में लेकर भींच दें तो शायद मेरी पीड़ा कम हो जाएगी…

राजेश: (झुक कर करीना को उठाता है और अपने आगोश में लेकर कस कर जकड़ लेता कि हड्डियों के चटकने की आवाज सुनाई देती है) अब बताओ नीचे का क्या हाल है…

करीना: (शर्मा कर आँखे झुका लेती है)…ठीक है…

राजेश: एक बार चल कर देख लो…

(करीना बेड से उतर कर बाथरूम में जाती है और कुछ देर बाद मुँह-हाथ धो कर अपने सलवार कुर्ते मे बाहर आती है। राजेश उसके चेहरे पर एक नई नवेली दुलहन की सुहाग रात के बाद की आभा देख कर खुशी से फूला नहीं समाता है।)

करीना: अंकल…क्या देख रहे हैं।

राजेश: काश्…मुझे तुम… कुछ नहीं। चलें…

करीना: हाँ चलिए… (कह कर बाहर की ओर दोनों रुख करते हैं।

(राजेश और करीना कार में बैठ कर सड़क पर आ जाते है और करीना के घर की ओर मुड़ जाते है।)

करीना: अंकल क्या अभी तक आंटी या टीना में से कोई भी नहीं जागा, कोई दिखाई नहीं दिया…

राजेश: हाँ, अभी तक सब सो रहे है…करीना एक बात कहूँ तो मानोगी…

करीना: हाँ, क्यों नहीं मानूँगी…कल के बाद मैं आपकी हर बात मानूँगी कह कर तो देखिये।

राजेश: मै चाहता हूँ कि जब हम अकेले हों तो तुम मुझे अंकल न कह कर प्रिय या डार्लिंग कहा करो।

करीना: अच्छा प्रिय…लेकिन फिर आप भी मुझे प्रियतमा या डार्लिंग कहेंगें (दोनों खिलखिला कर हँस पड़ते है)…प्रामिस

राजेश: गाड प्रामिस्…अच्छा अब कब मिलोगी? मेरे ख्याल से तुम्हें दो दिन का आराम कर लेना चाहिए क्योंकि डार्लिंग तुम्हारे को सामने पा कर मै अपने आप को रोक नहीं सकूँगा…

करीना: डार्लिंग (गालों पर चुम्मा जड़ते हुए) आपको मेरा कितना ख्याल है। मुझे आपकी याद आयेगी तो इन दो दिन हम फोन पर तो बात कर सकते है न्…

(बातें करते हुए राजेश ने करीना के घर के सामने कार रोक कर और करीना को उतार कर अपने दफ़्तर की ओर बढ़ गया। कल की हसीन रात की कल्पना करते हुए और कमसिन करीना के बारे मे सोच-सोच कर मुस्कुराते हुए राजेश ने अपना रास्ता तय किया। द्फ़्तर पहुँच कर अपने काम मे लग गया।)

सीन-16

(शाम हो रही है। राजेश की कार आ कर रुकती है। मुमु हाथ मे एक बैग लिये बाहर खड़ी हुई है।)

राजेश: बाहर कैसे खड़ी हो, कहीं बाहर जा रही हो?

मुमु: तुम ने आज देर कर दी। मै आज लेट हो जाउँगी।

राजेश: क्यों…

मुमु: मेरी आज डौली से फोन पर बात हुई थी और उसने बताया कि एलन ने मेरा ट्रेनिंग का प्रोग्राम इस तरह बनाया है कि पहले हफ्ते रोज, दूसरे हफ़्ते चार बार, और तीसरे हफ्ते से तीन बार। चौथे हफ्ते रिव्यु करने के बाद बताएगा कि फिर रेग्यूलर कितने दिन मुझे जाना होगा।

राजेश: तो तुम ने फोन कर दिया होता तो मै जल्दी आ जाता…

मुमु: किया था पर तुम मीटिंग मे थे तो मैने द्रिष्टि को बता दिया था कि मीटिंग के बाद मुझसे तुम बात कर कर लेना, उसने बताया नहीं क्या…

राजेश: हाँ कुछ कहा तो था पर उसकी बात मेरे दिमाग से उतर गयी…अब क्या करोगी…

मुमु: मैं जा रही हूँ…

राजेश: अभी साढ़े-पाँच बजे है। देखो सँभल कर जाना।

(मुमु अनसुना किए कार ले कर चली जाती है। राजेश दरवाजे पर खड़ी टीना की ओर बढ़ता है………।)

टीना: पापा, क्या आज की कास्ट्यूम ले कर आयें?

राजेश: (अपनी जुबान होंठों पर फेरता हुआ) इस तरह से काम नहीं चलेगा, मुझे मेरा टैक्स चाहिए। पर कोई बात नहीं मै एक साथ ले लूँगा। मै दोनों का कास्ट्यूम ले कर आया हूँ।

टीना: (खुशी मे उछ्ल कर राजेश से लिपट जाती है) थैंक यू पापा।

राजेश: तुम जल्दी से चेंज कर लो, मै भी चेंज कर लेता हूँ।

(दोनों अपने-अपने कमरे मे जातें है। थोड़ी देर बाद टीना कास्ट्यूम पहन कर नीचे उतर के आती है और राजेश के बेडरूम की ओर बढ़ती है।)

टीना: पापा…पापा… (धीरे से दरवाजे को ढकेल कर अन्दर आते हुए)…मेरे ख्याल से यह कैसा कास्ट्युम है…

(सामने राजेश उपर से नग्न और सफेद रंग की बड़ी महीन स्पान्डेक्स की वी-शेप का स्पेशल टाइप का कच्छा पहने हुए जिसमे से उसका लिंग सिर उठा कर एक पाइप कि भाँति बाहर की ओर निकला हुआ है। आठ इंच लम्बे और तीन इंच मोटे पाइप पर बड़ी महीन स्पान्डेक्स कि परत जो कि एक कान्ड्म पहने लिंग के भाँति दिख रहा है। यह सब देख कर टीना असमंजस में एक चादर ओढ़े अवाक् खड़ी रह जाती है। लेकिन राजेश को दिखाने के लिए गुस्से से अपनी ओढ़ी हुई चादर को हटा देती है। तंग लो-कट सफ़ेद ब्रा जो बामुश्किल स्तनों को ढक पाती हुई, कमर से कुल्हों तक नग्न और फिर निचले अंग से चिपटा हुआ सफ़ेद वी-शेप की पैन्टी, बहुत महीन सफ़ेद रंग की नाईलोन की बिकिनी पहने खड़ी देख कर राजेश का मुख खुला ही रह जाता है।)

राजेश: (बात को संभालते हुए) क्या खराबी है इस कास्ट्यूम मे…

टीना: पापा…पापा…क्या यह मै पहन कर आपके साथ एक्सरसाइज करूगीं…?

राजेश: क्यों नहीं कर सकती…मै भी तो इतने अजीब से कास्ट्यूम में तुम्हारे साथ एक्सरसाइज करूँगा…

टीना: (झेंपती हुई) आप भी न्…

राजेश: (बात बदलते हुए) बेटा…मेरे पास आओ और मेरा टैक्स दे दो…फिर हम आगे की बात करेंगे।

(टीना शर्माते हुए राजेश के नजदीक आती है। राजेश प्यार से टीना को अपनी ओर खींच कर आगोश में ले लेता है। बेचारी टीना हवा में झूल जाती है। टीना के काँपते हुए अधरों को अपने होंठों की गिरफ्त में लेकर अपना टैक्स वसूलता है। कभी कोमल होठों को चूमता है और कभी उनकी लाली को सोखने की कोशिश करता है। कभी अपनी छाती को टीना की छातीयों पर रगड़ता है और कभी अपने उठे हुए हथियार को टीना की झूलती हुई टांगों के बीच मे फँसा कर आगे पीछे होता है। बार बार अर्धनग्न सुडौल स्तनों पर रगड़न और नीचे महीन पर्दे से ढकी अनछुई योनि पर कठोर हथियार का घिसाव माहौल को उत्तेजक बना देता है। राजेश की गहरी साँसे और टीना की सिसकारियाँ वातारण को और भी कामुक बना देती है। अपने आप को संभालते हुए राजेश धीरे से टीना को अपने से अलग करता है और जमीन पर खड़ा कर देता है।)

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--9

गतान्क से आगे..........

राजेश: टीना…कल हमने तुम्हारे हाथों (सहला कर दिखाते हुए) पिंडुली की (सहला कर दिखाते हुए) कमर की (सहला कर दिखाते हुए) और जांघों की (थोड़ी ज्यादा देर तक सहला कर दिखाते हुए) एक्सरसाईज की थी। आज तुम्हारे इन सारे अंगो को रेस्ट देना होगा इसलिए आज का सारा रूटीन सिर्फ टाक्सिन बनाने और निकालने के लिए है। इसी वजह से आज का कास्ट्यूम स्पेशल है।

टीना: (थोड़ा हिचकिचाते हुए) पापा…क्या हम कल वाला रूटीन दुबारा नहीं कर सकते…

राजेश: नहीं बेटा, ऐसा करने से तुम्हारे शरीर की माँस-पेशियाँ किसी एथलीट की तरह बन जाएगी। सारे शरीर का कोमलपन खत्म हो जाएगा और उसमें कड़कपन आ जाएगा। तुम्हें याद होगा कि कल मैनें तुम्हारे द्वारा निकाला हुआ टाक्सिन को पीने की कोशिश की थी। याद है न्…

टीना: हाँ, पर आपने ऐसा क्यों किया, आपने ही तो कहा था कि यह शरीर के अन्दर का जहर है…

राजेश: हाँ, शरीर का जहर उत्तेजना से उतपन्न केमिकल के साथ रिएक्ट हो कर टाक्सिन बनता है। यही टाक्सिन नर और मादा का स्वरूप में एक दूसरे के पूरक बनते हैं। जो तुम टाक्सिन बना सकती हो वह मै नहीं बना सकता। इसी तरह मेरे द्वारा बनाया केमिकल तुम्हारे लिये अम्रित का काम करता है क्योंकि वह तुम्हारा शरीर कभी भी नहीं बना सकता।

टीना: (हैरानी से) तो अगर मै आपका वाला केमिकल नहीं लेती तो इससे मुझे क्या नुकसान होगा…

राजेश: …इस को न लेने से तुम्हारे शरीर के अन्दर बहुत सारे विटामिन और मिनरल की कमी रह जाएगी। इसकी कमी से जल्दी बाल सफेद हो जाँएंगे, चेहरे पर झुर्रियॉ आ जाँएंगी…

टीना: मैं नहीं कर सकूँगी पापा…मुझे बहुत गन्दा लगता है, छि:…

राजेश: बेटा, पहली बार सब को ऐसा ही लगता है…तुम्हारी मम्मी को भी लगा था…परन्तु बाद मे सबको आदत पड़ जाती है…एलन की एक्सरसाईज की विशेषता है कि एक्सरसाईज के दौरान इस के सेवन की आदत पड़ जाए… क्या ख्याल है… एक्सरसाईज शुरु की जाए…

टीना: (हिचकते हुए) मेरे को यह सब ठीक नहीं लग रहा… (झिझकते हुए) मै आपकी बेटी हूँ और …(पिछले दो-तीन दिनों के घटनाक्रम ने टीना के दिमाग में हलचल मचा दी है। जब भी राजेश के उभरे हुए अंग पर नजर पड़ती तो उसके शरीर में अजीब सी सिहरन दौड़ जाती और कटिप्रदेश में मीठी सी तड़प महसूस करने लगी थी। छूने मात्र की कल्पना से कई बार योनि में से कुछ पिघल कर निकल पड़ता और अगर किसी कारणवश नहीं निकलता तो सारे जिस्म में बैचेनी बड़ जाती…ऐसी पेशोपश में नादान टीना कुछ समझ नही पा रही है पर दिल को यह सब करना अच्छा लग रहा है परन्तु दिमाग इन सब को गलत मानता है।) … पापा, ऐसा करना अनुचित है

राजेश: बेटा…हम एक्सरसाईज कर रहे है…तुम्हारे दिमाग में ऐसी-कैसी उचित और अनुचित बातें आती है…इन सब रूटीन को अपनी एक्सरसाईज का हिस्सा मान कर करो…आओ चलें…क्योंकि अगर हम ने कल का रूटीन करना है तो आज का पार्ट पूरा करना पड़ेगा…(इतना कह कर राजेश टीना को पकड़ कर बेड की ओर ले कर जाता है)… बेटा, तुम मेरे किंग साइज बेड पर सीधी लेट जाओ…

टीना: (असमंजस में चलती हुई) पापा…हम एक्सरसाईज कर रहें है, न्…(और जा कर लेट जाती है)

(राजेश के लिंगदेव का तो अपना दिमाग काम कर कर रहा है। छोटी सी बिकनी में अर्धनग्न टीना सामने बेड पर छत पर लगे हुए फुल साइज मिरर में देख कर शर्माती है और पलक बन्द कर के निश्च्ल पड़ जाती है। इधर राजेश बेड पर टीना के दोनों पाँवों को अलग कर बीच में घुटनों के बल आ कर बैठ जाता है।)

राजेश: टीना…टीना…अपनी आँखें खोलो और उपर आईने में देखो…याद रखना जो भी मैं करता हूँ.…वह सब तुम्हें मेरे साथ करना पड़ेगा…(टीना आँखे खोल कर देखती है…)

राजेश सब से पहले टीना के पाँव पर ध्यान केन्द्रित करता है। केले के समान चिकनी टाँगे अपने हाथ से पकड़ कर उठाता है और बायें पाँव की पिंडुली को चूमता है और धीरे से अपने होंठ खोल कर चूसना और चूमना आरंभ करता है। थोड़ी देर बाद यही क्रिया दायें पाँव के साथ दोहराता है।)

टीना:…पापा…मुझे गुदगुदी होती है…

राजेश: बेटा, इस के करने से तुम्हारे शरीर के इस भाग के अन्दर जमा हुए टाक्सिन उपर की ओर उठेंगें…

(फिर योजनाबद्ध तरीके से टीना के नितंबों को अपने हाथों मे लेकर उसकी जांघों पर निशाना साधता है। अपनी जुबान से जांघों के अन्दरूनी हिस्सों पर अपने होंठों की मौहर लगाता है। अब तक टीना के कमसिन शरीर में एक जानी पहचानी उथल-पुथल आरंभ हो चुकी है। धीमी आग में सारा शरीर तपने लगता है और अनजानी बढ़ती हुई तड़प से टीना बिस्तर पर करवटें लेने में लग जाती है।)

टीना: उ.उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.

राजेश: (रुक कर) बेटा…अब मैं उपर से नीचे की आउँगा…(कह कर टीना को अपने शरीर से ढक देता है)

(राजेश अपने को एड्जस्ट करता हुआ टीना के उपर लेट जाता है। टीना के माथे को चूमता हुआ पलकों से होता हुआ होठों पर आ कर रुकता है। टीना के होंठों को अपने होंठों मे ले कर चूमने और चूसने का सिलसिला जारी रखता है। टीना भी अब पूरी निपुणता से राजेश का साथ देती है। टीना की जुबान अपने होठों मे दबा कर चूसता है और कभी अपनी जुबान टीना के होंठों के हवाले कर देता है। काफी देर टीना के गुलाबी होंठों को लाल करने के बाद, राजेश का ध्यान गरदन और कन्धों पर केन्द्रित हो जाता है। अब लगातार टार्गेट बदलने से राजेश के सीने ने टीना के उन्नत स्तनों को बड़ी बेरहमी से पीसना आरंभ दिया है। सब उचित-अनुचित भूल कर, टीना के अन्दर की धीमी जलती हुई आग अब भड़कने लगी है।)

टीना: प्पा.उई...पअआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…आह..ह..ह.

राजेश: बेटा…टाक्सिन बनने लगा है क्या…?

टीना: आह..ह..ह.हाँ…पा…पप्पा…

(नीचे की ओर खिसकता हुआ राजेश का ध्यान अब पूरी तरह अब टीना की अर्धनग्न उन्नत और सुडौल स्तनों पर आ टिकता है। तेज चलती हुई साँसें फूले हुए स्तनों में अजीब सी कँपन ला रहे है। क्षण भर रुक कर, एक बाज की तरह ब्रा समेत बायें स्तन को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लेता है और सोखना शुरु कर देता है। मुख से निकलती हुई लार महीन नाईलोन की ब्रा को पारदर्शी बना देती है। कभी नग्न हिस्से को निशाना बनाता है और कभी ढके हुए हिस्से को पूरा निगलने की कोशिश करता है। पारदर्शी ब्रा में से झाँकते हुए फुले हुए बायें ऊर्ध्व निप्पल को पहले अपनी जुबान के अग्र भाग से कुछ देर तक छेड़ता है और फिर धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है।)

टीना: प्पा.उई...पअआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…आह..ह..ह. (होश मे आते हुए) पा…उई…पा, यह हम एक्सरसाईज कर रहें है क्या…।

राजेश: (भावविभोर हो कर)…हूँ…हाँ, बेटा… टाक्सिन बनने लगा है क्या?

(बायाँ स्तन छोड़ कर अपना ध्यान दायें स्तन पर केन्द्रित करता है। फिर वही चूमने और चूसने के कार्यक्रम को दायें स्तन के साथ दोहराता है। टीना हर्षोन्मत्त हो कर सिर पटकती है। राजेश का मुख सुडौल स्तनों को पूरी तरह से अपने कब्जे मे ले कर सोखने में लग जाता है। कभी-कभी अपनी जुबान से फुले हुए ऊर्ध्व निप्पलों से छेड़खानी करता है और कभी धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है। टीना का शरीर अब उसके काबू मे न रह कर किसी गहरे उन्माद में तड़पता है। इसी उन्माद में टीना को एहसास होता है कि उसका योनिमुख अपने आप खुल-बन्द होने लगी है और उस मे से कुछ पिघलता हुआ लगातार बाहर की ओर बहने लगा है। राजेश का भी हाल टीना से भिन्न नहीं है। उसके लिंगदेव ने भी टीना की कमसिन जवानी की सुगन्ध लेकर लगातार अपने मुख से लार टपकाना आरंभ कर दिया है।)

टीन: उ.उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.

राजेश: आह..ह..ह.हाँ

(अपने उन्माद को काबू में कर के राजेश एक बार फिर नीचे की ओर बढ़ता है। पेट और कमर को लाल करके पैन्टी पर आकर रुकता है। अपने दोनों हाथों से टीना के नितंबों को थाम कर उपर की ओर उठाता है और अपने होंठों को नाईलोन की महीन पैन्टी से ढकी योनिमुख के होंठों पर लगा देता है। इस अप्रत्याशित वार से टीना कसमसा कर खड़े होने की कोशिश करती है परन्तु हिलने की वजह से थोड़ा सा योनिमुख खुल जाता है और तपाक से राजेश की जुबान अपना रास्ता ढूँढते हुए सीधा वार एंठीं हुई घुन्डी पर कर देती है। इस वार से तिलमिला कर टीना की योनि झरझरा कर बहने लगती है। राजेश की जुबान भी चटखारे ले कर महीन नाईलोन से छ्नते हुए अम्रित को पीने में लग जाती है। टीना के योनिच्छेद पर मुख लगा कर राजेश सारा अम्रित सोखने मे लग जाता है। कुछ क्षणों में एक बार फिर से लगातार झटके ले कर टीना की योनि में सैलाब आ जाता है जिसको राजेश फिर से चटखारे ले कर पी जाता है। इस बार टीना बिना कुछ बोले निढाल सी पड़ जाती है। उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगते है और फिर अंधेरा छा जाता है। राजेश भी थकान से निढाल हो कर टीना की योनि पर मुख रख कर पसर जाता है। दोनों अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में लाने की कोशिश करते है। थोड़े समय के बाद राजेश उठ बैठता है।)

राजेश: टीना…बेटा…टीना…

टीना: (अपनी साँसों को काबू मे लाती हुई) …हूँ …हाँ

राजेश: हमारा आधा रूटीन पूरा हो गया…आज तुमने बहुत सारा टाक्सिन निकाला है…देखो (पारदर्शी गीली पैन्टी के बीचोंबीच झाकँती हुई दरार पर उंगलियों को फिराता है। निढाल पड़ी टीना बिना हिले-डुले अबकी बार इस हरकत पर चिह्नकती नहीं बल्कि आँखें चार होते मुस्कुरा भर देती है।)

राजेश: कैसा लग रहा है…।

टीना: बहुत हल्का महसूस कर रहीं हूँ…पापा मेरे सारे कपड़े आपने गीले कर दिये…

राजेश: सारी बेटा, तुम इतनी सुन्दर हो की मेरे मुँह से लार निकलना बन्द ही नहीं हो रही थी…जैसे ही मैं (टीना के स्तन पर हाथ फिराते हुए और उँगलियों मे निप्पल को पकड़ कर तरेड़ते हुए) इन के पास पहुँचा तो मेरा बाँध टूट गया और मेरे मुख में सैलाब उमड़ पड़ा।

टीना: क्या अब मुझे भी यही सब करना है…

राजेश: हाँ, अगर तुम नहीं चाहती तो मत करो…लेकिन मैने तो तुम्हारे द्वारा बनाए सारे विटामिन सोख लिए परन्तु तुमको इस एक्सरसाईज से फायदा लेना है…तुम इसका पूरा फायदा नहीं उठा पाओगी…

टीना: पापा…मुझे अजीब सा लग रहा है… मैं कपड़े बदल कर आती हूँ…तब मै आपका वाला रूटीन करने की कोशिश करूँगी…

राजेश: बेटा, आज के रूटीन का तो सिर्फ एक ही सेट है फिर बदल कर कौन से कपड़े पहनोगी? इन्हें पहने रहो…अभी कुछ देर मे अपने-आप सूख जाएँगे…वरना तुम अपनी कोई पुरानी काटन की ब्रा और पैन्टी पहन लो क्योकिं तुम्हारा कास्ट्यूम छोटा और टाईट है…

टीना: मुझे गीलापन सता रहा है…मै अपने पुराने कपड़ों में से काटन की ब्रा और पैन्टी निकाल कर ले आती हूँ…

(इतना कह कर उठ कर अपने कमरे की ओर जाती है…)

(टीना अपने पुराने कपड़ों को खंगाल कर पुरानी काटन की ब्रा और पैन्टी निकालती है…बाथरूम में जाकर बदलती है। बहुत तंग होने के कारण ब्रा के हुक दोनों स्तनों को कस कर भींचने के बाद भी नहीं लग पाते। जैसे-तैसे बेचारी साँस रोक कर बड़ी मुश्किल से हुक को लगा कर पैन्टी पहनने की कोशिश करने के लिए झुकती है तो ब्रा का एक हुक खिंच कर टूट जाता है और पैन्टी को उपर खींचती है तो साइड की सिलाई उधड़ जाती है। नीचे से राजेश की आवाज सुनाई देती है)

टीना: पापा, अभी आई… (इतना कह कर नीचे की ओर भागती है)

राजेश: बेटा जल्दी से आओ क्योंकि थोड़ी देर में मम्मी के आने का टाइम हो जाएगा…हमें यह रूटीन आज ही पूरा करना है…क्योकिं कल फिर मसल की एक्सरसाइज करनी होगी…।

(राजेश पूरी तरह नग्न सिर्फ एक वी-शेप ब्रीफ में बेड पर सीधा लेटा हुआ है। उसका जननांग महीन से नाईलान के कपड़े को कान्डम की तरह ओड़ कर किसी अजगर की भाँति हवा में लहराते हुए झटके खा रहा है। टीना झिझकती हुई बेड के पास आती है।)

राजेश: बेटा, इस रूटीन में सिर्फ तुम्हे अपने मुख का इस्तेमाल करना है। तुम्हें याद है न कि मैने शुरु कहाँ से किया था…

टीना: (मुस्कुरा कर) हूँ…पापा आपके पाँव पर तो बाल हैं…सब मुँह मे आएँगे…

राजेश: (हँस कर) ठीक है…तो वहीं से शुरु करो जहाँ पर तुम्हें बाल नहीं दिख रहे…मेरे होंठों पर तो बाल नहीं है…वहीं से शुरु करो…

टीना: हाँ (मन ही मन सोचती है कि इसी बहाने उस फनफनाते हुए अजगर से तो दूर होगी)… यही ठीक जगह है

(टीना साईड से राजेश के मुख की ओर बढ़ती है। झुक कर राजेश के होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त मे ले लेती है। टीना अपनी जुबान से राजेश के होंठों को नापने में लग जाती है और उधर राजेश भी उसके होंठों को चूस कर गुलाबी से लाल कर देता है। दोनों कि जुबान भी द्वंद्वयुद्ध में लग जाती है। कभी टीना राजेश के गले की गहराई नापती है और कभी राजेश टीना के गले की गहराई नापता है। दोनों उत्तेजना मे हाँफते हुए एक दूसरे से अलग होते है।)

राजेश: बेटा, यहाँ पर बड़ी देर से काम कर रही हो… अब आगे…

टीना: पापा, बाकी सब जगह तो आपके बाल आड़े आ रहे है…

राजेश: न बेटा, तुम भूल रही हो…मेरा एक अंग तुम्हें बुला रहा है…(आँखों से अपने हथियार की ओर इशारा कर के बताते हुए) …

टीना: नौटी पापा…मैं नहीं कर पाउंगी…बहुत बड़ा और मोटा है…।

राजेश: बेटा प्लीज्…ऐसा न कहो…आज सुबह से मै इसी……मेरा यह मतलब है कि मै सुबह से आज के रूटीन के बारे मे सोच रहा था कि तुम्हारे सारे टाक्सिन को मै कैसे पी पाउंगा पर तुम्हारी आँखों में मेरे लिए असीम प्यार को देख कर मै अपने आप को चाह कर भी रोक नहीं सका।

टीना: (इतना सुन कर) ठीक है पापा…आप बताते जाइए…मैं वैसा ही करती जाऊँगी।

राजेश: सबसे पहले तो मेरी दोनों टांगों के बीच में घुटनों के बल बैठ जाओ। फिर अपने होंठ खोल कर आईसक्रीम की तरह जुबान से इसके सिर को चाटो और मुँह को खोल कर सोखना शुरु कर दो…

(टीना शर्माते हुए दोनों पाँवों के बीच में जाकर बैठ जाती है। जैसे झुक कर लिंगदेव के नजदीक पहुँचती है, लिंगदेव एक झटका ले कर टीना के होंठों पर वार कर देते हैं। बेचारी नादान टीना इस अप्रत्याशित वार से डर कर पीछे होती है तो उसकी पैन्टी की सिलाई और उधड़ जाती है।)

राजेश: क्या हुआ…

टीना: यह मारता है…

राजेश: कौन मारता है…

टीना: (शर्माते हुए इशारा करते हुए) यह्…

राजेश: यह कौन?

टीना: (ठुनकते हुए) पापा…आप बहुत नौटी हो…

राजेश: बेटा, यह तुम्हें बहुत प्यार करता है, यह अपना प्यार दिखा रहा था।

टीना: अच्छा जी…(प्यार से हिलते हुए लिंगदेव को हल्की सी चपत लगाती है)…पापा यह बहुत हिल रहा है…

राजेश: ठीक है, बेटा इसकी गरदन से पकड़ कर इसके सिर को अपने मुख में लेकर आइसक्रीम की तरह सोखना शुरु करो…।

(टीना तन्नायें हुए लिंगदेव को अपने हाथों मे थाम कर पुचकारती है और फिर अपने होंठों को थोड़ा सा खोल कर सिर को मुख में ले कर चूसने का प्रयत्न करती है। नरम हाथ का स्पर्श पा कर लिंगदेव एक बार अपनी सारी उर्जा टीना के हाथों पर तब्दील कर देते है। टीना झीने से कपडे में से भी गर्मी महसूस करती है)

करीना: पापा…यह तो बहुत तप रहा है…आह.....

राजेश: वेरी गुड…बेटा अपना मुँह खोलो इसके सिर को पूरा मुख में भर कर सोखो…जिससे यह ठंडा हो जाए…

(टीना अपना पूरा मुख खोल कर लहराते हुए अजगर का सिर को अन्दर लेकर चूसना आरंभ करती है। राजेश भी नीचे से अपने नितंबों को उठा कर लिंगदेव को अन्दर ढकेलने की कोशिश करता हुआ टीना के मुख को सीलबन्द कर दिया।)

टीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.…आह....(मुख से लिंगदेव को बाहर निकालने की कोशिश करती है)….

(साँस घुटती हुई लगी तो टीना को साँस लेने के लिए मुख पूरा खोलना पड़ गया, राजेश ने वक्त की नजाकत को समझते हुए थोड़ा और अन्दर सरका दिया। राजेश थोड़ा अपने को उपर खिसका कर लिंग का दबाव बढ़ा कर और अन्दर खिसका देता है। कुछ मिनट यह मुख के अन्दर-बाहर का दौर चलता रहा और लगातार लिंग के सिर पर टीना के होंठों के घर्षण से झट्के के साथ उबलता हुआ लावा टीना के मुख मे महीन कपड़े से छ्न कर बेरोकटोक बहने लगा। इस अचानक सैलाब से घबरा कर बेचारी टीना ने अपने आप को पीछे किया तो दूसरा और आखिरी हुक ने भी जवाब दे दिया। ब्रा के नीचे गिरने से उन्नत स्तन अवतरित हो गये। राजेश ने उठ कर टीना के सिर पर दबाव दे कर लिंगदेव को उसके मुँख से बाहर नहीं निकलने दिया जब तक कि वह सारा लावा गटक नही गयी। तूफान आ कर थम गया। दोनों अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसो को काबू करने मे लगे थे। राजेश ने आगे बढ़ कर टीना को अपने आगोश में ले कर बेड पर लेट गया और नग्न स्तनों के साथ खेलने लगा)

राजेश: टीना…टीना…

टीना: (रुआँसी आवाज में) पापा…मेरा दम ही निकल गया। मुझसे साँस लेने में तकलीफ हो रही थी कि आपने इसे मेरे मुँह में पूरा धँसा दिया…मेरी तो जान ही निकल गयी…

राजेश: (धीरे से एक स्तन को दबाते हुए) टीना…यह पहली बार बहुत जरूरी होता है। मुझे एलन अंकल ने कहा था कि एक बार इसका टेस्ट कराना जरूरी होता है… इसी लिए मुझे ऐसा करना पड़ा… कैसा लगा?

करीना: (शर्माती हुई) हुं…ठीक है

राजेश: अच्छा अब पूरा रूटीन हो गया है (अचानक टीना को एहसास होता है कि उसका सीना नग्न है और राजेश की हथेली ने एक स्तन को ढक रखा है और उसकी उंगलियों के बीच में गुलाबी निप्पल मुँह उठाए खड़ा हुआ है)

टीना:…पापा…यह क्या…(झेंप कर अपने हाथों से ढकने की कोशिश करते हुए)…

राजेश: कुछ नहीं बेटा…इनकी मालिश कर रहा हूँ जिससे यह हमेशा सुडौल और उन्नत रहे…क्या तुम्हारा रूटीन एक बार फिर कर लें…अभी तो बहुत टाइम है…

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--10

गतान्क से आगे..........

(टीना तो पहले से ही आग में जल रही थी। जब से उसने गर्म राड थामी थी, उसके उदर मे हलचल मची हुई थी और नीचे धीमी सी आग जल उठी थी। नग्न स्तनों के मर्दन की वजह से पूरे शरीर में अनजानी सी अकड़न होने लगी थी। राजेश की बात सुन कर सारे शरीर में एक बिजली सी कौंध जाती है। परन्तु…)

टीना: पर पापा…मेरा कास्ट्यूम्…

राजेश: मुख में कपड़े के रोएं जुबान से चिपक जाते है… आज मेरे लिए…उसको रहने दो…

टीना: पर हमारा रूटीन्…एक्सरसाईज में तो ऐसा नहीं है…

राजेश: क्या मेरा बेटा मेरे लिए एक बार बिना एक्ससाइज के अलावा भी मेरे कहने से कुछ और कर सकता है…

टीना: पापा…(राजेश की याचक नजरें देख कर)…चलिए ठीक है…

राजेश: थैंक यू…मुझे पता था कि मेरी बेटी मुझसे बहुत प्यार करती है और वह मेरा दिल रखने के लिए कभी भी मना नहीं करेगी।

(एक बार फिर टीना सीधी हो कर बेड पर लेट जाती है। नग्न पुष्ट सीना और उन पर फुले हुए ऊर्ध्व गुलाबी निप्पल और नीचे एक छोटी सी काटन पैन्टी जो कि एक साईड से पूरी तरह उधड़ गयी है। कमसिन यौवन को अपने बेड पर हिलोरें मारते द्र्श्य को देख राजेश का मन एक बार फिर से मचल उठा।)

राजेश: बेटा उपर लगे आईने में जरा अपने को देखो और खुद की सुन्दरता पर गर्व करो कि तुम्हारा गोरा बदन कैसे साँचे में ढला हुआ है। जो इसको देखे मर मिटे…

(एक बार फिर से राजेश अपने जिस्म से टीना को ढक देता है। इस बार वह जल्दी में है और सीधा टीना के होठों को अपने होंठों मे ले कर चूमने और चूसने लगता है। टीना भी अब पूरी निपुण हो कर राजेश का साथ देती है। टीना की जुबान अपने होठों मे दबा कर चूसता है और कभी अपनी जुबान टीना के होंठों के हवाले कर देता है। काफी देर टीना के गुलाबी होंठों को लाल करने के बाद, राजेश का ध्यान सीधा नग्न सीने पर केन्द्रित हो जाता है। टीना के उन्नत स्तनों को अपने हाथों में भरकर बड़े प्यार से दबाने का क्रम शुरु करता है। टीना के अन्दर की धीमी सुलगती हुई वासना की आग अब भड़कने लगी है।)

टीना: प्पा.उई...पअआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…आह..ह..ह.

(तेज चलती हुई साँसें फूले हुए स्तनों में अजीब सी कँपन ला रहे है और लगातार मर्दन से लाल हो गये है। क्षण भर रुक कर, एक बाज की दायें स्तन को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लेता है और सोखना शुरु कर देता है। मुख से निकलती हुई लार पुरे पुष्ट स्तन को नहला देती है। कभी नग्न निप्पल को निशाना बनाता है और कभी पूरे स्तन को निगलने की कोशिश करता है। कभी लम्बवत्त निप्पल को अपनी जुबान के अग्र भाग से छेड़ता है और कभी धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है।)

टीना: (भावविभोर हो कर) प्पा.उई...प लीज…काटिएआ.उ…उ.उफ.उ.उ...न्हई…दर्द्…हो…ओ…ता है…

राजेश: …हूँ…हाँ, बेटा…टाक्सिन बनने लगा है क्या?

(दायाँ स्तन छोड़ कर अपना ध्यान बायें स्तन पर केन्द्रित करता है। फिर वही चूमने और चूसने के कार्यक्रम को बायें स्तन के साथ दोहराता है। टीना हर्षोन्मत्त हो कर सिर पटकती है। अबकी बार नग्न होने के कारण टीना के सीने का पोर-पोर अतिसंवेदनशील हो गया है। राजेश का मुख सुडौल स्तनों को पूरी तरह से अपने कब्जे मे ले कर सोखने में लग जाता है। कभी-कभी अपनी जुबान से फुले हुए निप्पलों से छेड़खानी करता है और कभी धीरे से दांतों में ले कर चबा देता है। टीना का शरीर अब उसके काबू मे न रह कर किसी गहरे उन्माद में तड़पता है और उसका योनिमुख भी फिर से एक बार हरकत मे आ कर अपने आप खुल-बन्द होने लगा है। पिघलता हुआ लावा बाहर की ओर बह कर काटन पैन्टी को गीला कर रहा है। राजेश के तनतनाते हुए हथियार ने भी अपने मुख से लार टपकाना आरंभ कर दिया है।)

टीन: उ.उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.

राजेश: आह..ह..ह.हाँ

(अपने उन्माद को काबू में कर के राजेश एक बार फिर नीचे की ओर बढ़ कर गीले पैन्टी के हिस्से को मुख मे थाम कर सोखना आरंभ करता है। अपने एक हाथ से टीना की उधड़ी हुई पैन्टी के हिस्से में फँसाता है और उपर की ओर उठाता है जिस की वजह से सारी सिलाई खुदब्खुद खुलती चली जाती है। अति उल्लासित अवस्था में टीना को इसका पता ही नहीं चल पाता है वह सिर्फ बेड पर तड़पती हुई सिर पटक रही है। राजेश धीरे से पैन्टी के उपर वाले सिरे को एक तरफ उठा कर अपने होंठ नग्न योनिमुख के होंठों पर लगा देता है। अपनी उंगलियों से थोड़ा सा योनिमुख को खोलता है और अपनी जुबान से एंठीं हुई घुन्डी को सहलाता है। इस अप्रत्याशित वार से तिलमिला कर एंठीं हुई घुन्डी रक्तिम लालिमा लिए सिर उठा कर खड़ी हो जाती है। कभी अपनी उंगलियों से योनिच्छेद को छेड़ता और कभी जुबान के अग्र भाग से एंठीं हुई घुन्डी को सहला कर ठोकर मारता है। इस दो तरफा वार को ज्यादा टीना बर्दाश्त नहीं कर पायी और उसकी आँखों के सामने तारे नाँचने लगते है। एक झटका ले कर उसकी योनि झरझरा कर बहने लगी। राजेश की जुबान भी चटखारे ले कर अम्रित को पीने में लग जाती है।)

टीना: (जैसे नशे में हो).उई...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह..ह..ह.

(टीना के योनिच्छेद पर मुख लगा कर राजेश सारा अम्रित सोखने मे लग जाता है। अपनी जुबान के अग्र भाग को कड़ा कर के अन्दर डालने की कोशिश करता है। कुछ क्षणों में एक बार फिर से लगातार झटके ले कर टीना की योनि में सैलाब आ जाता है जिसको राजेश फिर से चटखारे ले कर पी जाता है। दोनों थकान से निढाल हो कर बेड पर पड़ जाते हैं और अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में लाने की कोशिश करते है। थोड़े समय के बाद राजेश उठ बैठता है।)

राजेश: (टीना के साथ सट कर लेटते हुए) टीना…बेटा…टीना…

टीना: (अपनी साँसों को काबू मे लाती हुई)…हूँ …हाँ

राजेश: आज की एक्सरसाइज कैसी रही…

टीना: (थकी हुई आवाज में) …हाँ…पापा मुझे लग रहा है कि मैं उड़ रही हूँ… (अपने हाथ को नीचे ले जाती है फिर रोंएँदार कटिप्रदेश की नग्नअवस्था का एहसास होता है)…पापा…(चीखते हुए उठ बैठती है और ढकने का प्रयत्न करती है)

राजेश: (भोली सूरत बना कर)…क्या हुआ…अच्छा यह्…देखते ही मै समझ गया था कि मेरी बेटी ने मेरा मन पढ़ लिया था और अपनी पैन्टी को साइड से उधेड़ लिया था जिससे मुझे कोई तकलीफ न हो। बेटा थैंक्स्…।

टीना: (झिझक कर)…नहीं मैनें ऐसा…

राजेश: (नग्न योनिमुख की दरार में से झाँकती हुई रक्तिम घुन्डी को अपनी उँगलियों से सहलाते हुए) अच्छा कुछ न कहो…आज मेरी बेटी ने मेरी बात रख कर दिखा दिया कि वह मुझसे कितना प्यार करती है…

टीना: (एक सिसकारी ले कर)…पापा आप तो बड़े वो हो…

राजेश: (रक्तिम घुन्डी को उंगलियों से छेड़ते हुए) मुझे सच बताना तुम्हें पहला दौर अच्छा लगा या दूसरा दौर्…।

टीना: (हल्की सी दबी आवाज में) दूसरा दौर्…

राजेश: मै जानता हूँ…(इतना कह कर टीना को अपने आगोश में भर लेता है)…कपड़ों के बिना एक्सरसाइज करने से ज्यादा टाक्सिन बनता है, आज यह बात भी भलि-भाँति हम दोनों ने सीख ली…है न्…

टीना: (झिझकते हुए) हाँ पापा…

राजेश: (बहुत दुखी मन से)…पर बेटा तुम्हारा तो रूटीन हो गया परन्तु मै तो ऐसे ही रह गया…अब तो नहीं कर सकते हैं क्योंकि तुम्हारी मम्मी के आने का समय हो गया है।

टीना: हाँ पापा…(चिड़ाते हुए)…पर क्या हुआ…आज जहाँ पर छोड़ा है कल वहीं से शुरु करेंगे…मै जाऊँ…

राजेश: हाँ बेटा…परन्तु जाने से पहले मुझे तुम्हें जी भर कर देखने दो…

(टीना बेड पर खड़ी होती है। राजेश एक बार प्यार भरी नजरों से टीना के नग्न जिस्म के एक-एक अंग को निहारता है। फिर फटी हुई पैन्टी को नीचे खींच कर अलग कर लेता है। धीरे से टीना की योनि को चूमता है और दरार पर अपनी जुबान फेरता है। टीना को अपनी गोद मे खींचकर उसके होंठों को चूमता है और फिर नग्न स्तनों को अपने मुख मे ले कर सोखता है।)

टीना: (चंचलता से) क्या बात है पापा…मन नहीं भरा…मम्मी आने वाली है…(तभी दरवाजे की घंटी बजती है। दोनों सहम कर इधर-उधर देखते है। राजेश जल्दी से अपना कास्ट्यूम उतारने की कोशिश करता है लेकिन अकड़े हुए लिंगदेव उसकी कोशिश को नाकाम कर देते है। घबराहट में बिना सोचे समझे अपना हाथ अन्दर डाल कर गुस्से से फनफनाते हुए लिंगदेव को बाहर निकालता है। उपर की खाल पीछे खिंचने से फूला हुआ लाल रंग का कुकुरमुत्ते नुमा सिर आसमान की ओर निशाना लगाता हुआ सामने आ जाता है। राजेश बेध्यानी में उसे गरदन से मुठ्ठी में पकड़ कर एक दो करारे झटके देता हुआ अपनी लुगीं को ढूँढता है। अचानक राजेश की नजर जड़वत खड़ी टीना पर पड़ती है जो भौचक्की सी लाल टोपी वाले को घूर रही है।)

राजेश: (अपनी मुठ्ठी में लिंगदेव को पकड़े हुए) टीना…टीना…बेटा जल्दी से अपने कमरे मे जा कर कपड़े पहन लो…मै दरवाजा खोलता हूँ…कहाँ खो गयी हो…बेटा यह (अपने लिंग को हिलाते हुए) तुम्हारा खिलौना है बाद में देख लेना…अभी जाओ…

(एक बार फिर से घंटी बजती है। टीना जैसे नींद से जागती है और तुरन्त अपने कमरे की ओर भागती है। राजेश को सामने मेज पर तह की हुई लुंगी दिखती है जिसे जल्दी से लपेट कर बाहर दरवाजे की ओर भागता है। और दरवाजा खोलता है……)

सीन-18

(राजेश दरवाजा खोलता है तो सामने थकी हुई मुमु को खड़ी पाता है। मुमु के हालत देख कर राजेश उसे अन्दर आने के लिए जगह देता है। मुमु सीधे जा कर धम्म से सोफे पर जा कर पसर जाती है।)

राजेश: बहुत थकी हुई लग रही हो?

मुमु: हाँ, लेकिन बहुत मजा आ रहा है…तुम लोग क्या कर रहे थे…बहुत देर लगा दी दरवाजा खोलने में…

राजेश: टीना कुछ देर पहले उपर अपने कमरे में फ्रेश होने चली गयी थी और मै नहाने के लिये बाथरूम में जा रहा था तभी तुम्हारी घंटी बजी। बस कपड़े रख कर आ रहा था कि तुमने दूसरी बार घंटी बजा दी…

मुमु: मै बहुत थक गयी हूँ…खाने का क्या करें…आज बाहर से मंगा लेते है।

राजेश: भई, ऐसा कब तक चलेगा…

मुमु: प्लीज्…कुछ दिन बरदाश्त कर लो…

राजेश: ठीक है…मैं पंचगुनी रेस्टोरेन्ट को फोन पर आर्डर दे देता हूँ, पन्द्र्ह मिनट में डिलीवरी की गारंटी है। तुम हाथ मुँह धो कर रेडी हो जाओ…

(इतना कह कर फोन करने अपने कमरे में चला जाता है। मुमु सोफे पर सिर टिका कर आँखे मुंदे पड़ी रहती है। थोड़ी देर बाद दरवाजे की घंटी बजती है तब मुमु की नींद टूटती है। मुमु जा कर दरवाजे को खोल कर पैक्ड खाने की डिलीवरी लेती है। डाईनिंग टेबल पर खाना सजाती है।)

मुमु: टीना…टीना…खाना लग गया है। (कह कर बाथरूम की ओर रुख करती है)

(थोड़ी देर के बाद, सब डाइनिंग टेबल पर इकट्ठे हो कर खाना खाते हैं। खाना खाने के बाद टीना अपने कमरे में चली जाती है और राजेश और मुमु अपने कमरे में सोने चले जाते है।)

मुमु: मुझे आज नींद की गोली दे दो क्योंकि मै बहुत थक गयी हूँ…

राजेश: मुमु, तुम अब बहुत ज्यादा इन गोलियों पर डिपेन्ड करने लगी हो…यह अच्छी बात नहीं है।

मुमु: डौली बता रही थी कि कुछ दिनों में मुझे इस वर्कआउट की आदत हो जाएगी तब मुझे इन गोलियों की जरूरत नहीं पड़ेगी।

राजेश: ठीक है…दराज में से ले लो…मैं टीना के पास जाता हूँ। आज डाइनिंग टेबल पर बहुत चुप थी, तुमने भी तो उससे कोई बात नहीं की…लगता है वह नाराज है।

मुमु: प्लीज्…तुम उसको कुछ दिन सँभाल लो…अरररे…मैं तो बिलकुल भूल गयी…आज उसके स्कूल से फोन आया था कि कल सुबह उसको स्कूल जाना है क्योंकि कल बोर्ड की परीक्षा के फार्म भरे जाएँगे।

राजेश: तुम अब बता रही हो…

मुमु: आज कल हम मिल कहाँ रहे है…प्लीज क्या तुम कल उसको सुबह स्कूल छोड़ दोगे क्योंकि स्कूल बस नहीं चलेगी।

राजेश: ठीक है, तुम थक गयी हो सो जाओ…मै टीना के पास जा रहा हूँ। देखूँ कि कहीं सो तो नहीं गयी। (कह कर कमरे से बाहर आ जाता है और किसी से फोन पर बात करने के लिए नम्बर मिलाता है।)

राजेश: हैलो…हाँ डार्लिंग मैं बोल रहा हूँ…कैसी हो…कुछ दर्द कम हुआ…(उधर से करीना की आवाज आती है)

करीना: अंकल्…सौरी…मेरे प्रीतम…अब ठीक है…दर्द तो नहीं है…

राजेश: तो फिर कुछ देर के लिए चाँदनी रात में मुहब्बत का इजहार करने के लिए आ जाओ…

करीना: नहीं, अभी तो सब जाग रहें है…और मुझको कल स्कूल जाना है फार्म भरने के लिए…क्या टीना को नहीं बताया…उसको भी तो जाना है…

राजेश: हाँ उसको भी जाना है…पर तुम्हें मेरी याद नहीं आ रही है। मै ही पागल हूँ जो तुम्हारी याद में तड़प रहा हूँ…

करीना: नहीं…यह बात नहीं है, आप नहीं जानते कि जब से आँख खुली है तब से सिर्फ कल रात की बात सोच-सोच कर पागल हुई जा रही हूँ…मगर्…क्या करूँ…

राजेश: तुम फिकर न करो…तुम जल्दी से ठीक हो जाओ फिर तो तुम्हें मै रात भर सोने नहीं दूँगा…एक किस तो फोन पर दे दो फिर मै आराम से सो जाउँगा…

करीना: प्रिय्…मम्मी बुला रहीं है (किस की आवाज आती है और फोन कट जाता है)

(राजेश मुस्कुराते हुए सीड़ीयाँ चड़ता हुआ टीना के कमरे के पास पहुँच कर रुक जाता है। धीरे से दरवाजा खोलता है तो बेड खाली पड़ा है। इधर-उधर देखता है तो उसे टीना कहीं नहीं दिखाई देती है। बाथरूम के दरवाजे से कान लगा कर सुनता है तो टीना के नहाने की आवाज आ रही है। आश्वस्त हो कर राजेश बेड पर लेट जाता है और टीना का इन्तजार करता है। नहाती हुई टीना के जिस्म के बारे मे सोच कर उसका लिंग एक बार फिर से सिर उठाने लगता है। थोड़ी देर के बाद सिर्फ टावल लपेटे टीना बाहर आती है। सामने आँखे मूंदे राजेश को बेड पर लेटे देख कर चौंक जाती है।)

टीना: पापा…आप यहाँ…(शरारती स्वर में)…क्या नींद नहीं आ रही…

राजेश: (आँखें मलता हुआ)…हाँ नींद में तुम्हारे ही सपने देख रहा था…बेटा…कल तुम्हें स्कूल जाना पड़ेगा…अभी तुम्हारी मम्मी ने बताया कि तुम्हारे स्कूल से फोन आया था…

टीना: (बेड के नजदीक आ कर गुस्से में) क्यों अभी तो हमारी छुट्टियाँ चल रही हैं, यह स्कूल वाले पागल हो गये है…

(राजेश प्यार से टीना को अपनी ओर खींचता है और पास में बिठाता है। टीना की नग्न पीठ पर पानी की बूँदें धीरे से रिस रही है। राजेश प्यार से पीठ पर हाथ से बूँदें हटाता हुआ…)

राजेश: बेटा ऐसे नहीं बोलते…कल तुम्हारी बोर्ड की परीक्षा का फार्म भरा जाएगा…इस लिए तुम्हें स्कूल बुलाया है (कहते हुए कमर में हाथ डाल कर अपने उपर खींच लेता है। टीना अपने को छुड़ाने का प्रयास करती है लेकिन राजेश उसे अपने आगोश में भर कर अपने साथ लिटा लेता है। टीना के शरीर से उठती हुई भीनी-भीनी साबुन की सुगन्ध बेडरूम का समा और भी मादक बना देती है।)

टीना: पापा…छोड़िए न्… (अपने को छुड़ाने का प्रयास करती हुई)…मुझे चेंज करना है…

(राजेश टीना को पकड़ कर करवट लेता है और टीना को अपने नीचे ले आता है। इसी खींचतान में टीना का टावल खुल जाता है। टीना को छोड़ कर राजेश उसके नग्न जिस्म को एक बार फिर से निगाहों से पीने की कोशिश करता है।)

टीना:…उफ…पापा आपने मुझे एक बार फिर से…(कहते हुए झेंप गयी और अपने हाथों से नीचे की ओर कर के ढकने का प्रयत्न किया)

राजेश: ऐसी तो कोई नयी चीज नहीं है जो मैनें नहीं देखी है। बचपन में तुम्हें बहुत नहलाया है। अभी कुछ देर पहले ही मैने तुम्हें इसी अवस्था मे देखा है…फिर क्यों छुपाने की कोशिश कर रही हो…

टीना: अब मैं बड़ी हो गयी हूँ…

राजेश: हाँ यह तो सही बात है…बचपन में तुम्हारा सीना सपाट था पर आज यह (एक स्तन को सहलाते हुए और फिर उसके गुलाबी निप्पल को तरेड़ते हुए) सुडौल और उन्नत हो कर मुझे चिड़ा रहे है। यह कमर (हाथ फिराते हुए नितंबों तक ले जाते हुए) पहले सीधी थी पर अब कितना सुन्दर कुल्हे पर कटाव बन रहा है।

टीना: पापा…

राजेश: क्यों क्या हुआ…चेहरा तो वही है पर पंखुड़ियों से गुलाबी होंठ (झुक कर टीना के होंठों पर अपने होंठों की मौहर लगाता है) की लालिमा और भी निखर गयी है। और (पेट से योनि तक अपनी उंगली से रेखांकित करते हुए) सबसे ज्यादा बदलाव इधर हुआ है।

टीना: (शर्माते हुए पाँव सिकोड़ती हुई) पापा…क्या बदलाव आया है…

राजेश: (टीना के पाँव खोलते हुए और योनिमुख पर उँगलियॉ फिराते हुए) पहले यह ज्वालामुखी सुप्त अवस्था में था पर अब लावा उगलने की क्षमता रखता है…

टीना: न न…करिए…(एक बार फिर से पाँव सिकोड़ती है और फिर से राजेश अपने पाँव से टीना के पाँव खोलता है)…पापा…मुझे चुभ रहा है…

राजेश: क्या चुभ रहा है…

टीना: (ठुनकती हुई) आप भी न…इसे पीछे करिए…

राजेश: बेटा, प्लीज इसको तुम अपने हाथों से पीछे कर दो…(राजेश का एक हाथ उन्नत उभारों के मर्दन में लगा हुआ था और दूसरा हाथ योनि में छुपे सीप के मोती को छेड़ने मे लीन है)… तुम्हें तो पता है कि मेरे दोनों हाथ काम पर लगे हुए है।

(गुस्से से भन्नायें लिंगदेव बार-बार नग्न योनिच्छेद पर ठोकर मार रहे है। टीना कसमसाती हुई अपना सीधा हाथ दोनों शरीरों के बीच में डालती हुई लिंगदेव को अपनी उँगलियों में थामने की कोशिश करती है। इस बीच टीना के तपते होंठों को अपनें होंठों की गिरफ्त में लेकर राजेश उनका सारा रस सोखने में लग जाता है। झटके खाते हुए लिंगदेव की गरदन जैसे ही टीना की उँगलियों में आती है लिंगदेव और भी तन्ना कर रौद्र रूप धारण कर लेते है। टीना को लगता है कि उसने एक जिवित परन्तु तपती हुई लोहे की सलाख अपने हाथ में पकड़ ली है। उधर राजेश कभी पंखुड़ियों से होंठों को चूमता है कभी टीना के कान के नीचे गरदन पर अपने होंठों से वार करता है। टीना भी एक नये उन्माद में बहकती जा रही है। एक तरफ तो राजेश की लगातार उसके अंगों के साथ छेड़खानी और दूसरी ओर उसके हाथ में बैचेन जिवित तपती हुई सलाख।)

क्रमशः

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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--11

गतान्क से आगे..........

टीना: ...पअ.उ…पा.…ल…उफ.उ.उ.आह..ह..ह.

राजेश: बेटा यह नया खिलौना कैसा लगा…

टीना:पअ.पा.बह…त…उफ.उ.उ.ल..गर्म…हो रहा है…आह..ह.

राजेश: (अपने को टीना से अलग करते हुए) बेटा एक काम कल पर टाल दिया था…उसे अभी पूरा कर लेते है…

(टीना की मदहोशी टूटती है तो नजर अपने हाथ पर जाती है तो एक आठ-नौ इंच लंबा और तीन इंच का घेराव लिए, उपर की खाल पीछे खिंचने से फूला हुआ लाल रंग का कुकुरमुत्तेनुमा सिर और उसकी आँख के उपर बैठी हुई ओस की बूँद दिखाई देती है। अवाक् हो कर टीना इस रहस्मयी हथियार को अपनी उँगलियों में थाम कर गौर से देखती रह जाती।)

राजेश: टीना क्या यही बदमाश तुम्हें परेशान कर रहा था…

टीना: (बिना गरदन छोड़े)…हूँ…

राजेश: बेटा इसकी सिर पर लगी हुई आँख पर जो मोती पड़ा है…उसे अपनी जुबान से साफ कर दो…यह पहला मोती प्योर प्रोटीन का खजाना होता है…

टीना: (झिझकती है)…न…(लिंगदेव की गरदन छोड़ने लगती है परन्तु राजेश अपने हाथ को टीना के हाथ पर रख कर कस कर अपना लिंग थाम लेता है)

राजेश: बेटा…प्लीज तुमने वादा करा था…

(टीना झुकती हुई अपनी जुबान को लिंगदेव के सिर पर फिरा कर ओस की बूँद को साफ़ कर देती है)

टीना: बस्…अब हो गया…

राजेश: बेटा…तुम्हें अपनी सेहत का ख्याल हो न हो, पर मुझे तो तुम्हारे द्वारा निकाला गया टाक्सिन पीना है…(कहते हुए अपना कुर्ता और लुंगी उतार फेंकता है। दोनों के नग्न जिस्म आमने-सामने है। टीना शर्मा कर नजरें चुराती हुई राजेश के बालिष्ठ शरीर को निहारती है।)

टीना: पापा…यह आप क्या कर रहे…

(राजेश घूम कर अपनी पोजीशन बदल कर टीना के पाँवों की ओर कर लेता है। अपने घुटनों को खोल कर बीच में से टीना के पाँव खींचकर उसकी योनि को अपने मुख के सामने ले आता है।)

राजेश: बेटा इस क्रिया को 69 पोजीशन कहते है… (और कहते हुए अपने जिस्म से टीना का बदन ढक देता है। पहले जुड़ी हुई संतरे की फाँकों चूमता हुआ अपनी गर्म साँसो का वार करता है और फिर उन फाँकों को प्यार से खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपनी जुबान टिका देता है।)

टीना: .उई...माँ….पा.प.…पा…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(राजेश अपनी जुबान से घुन्डी के उपर घिसाव आरंभ करता है। बेबस हुई टीना इस वार से हतप्रभ रह जाती है। राजेश अपने होठों से टीना की योनि को अपने कब्जे में ले कर बार-बार अपनी जुबान को कड़ा करके योनिच्छेद के अन्दर डालने का प्रयास करता है। उधर उत्तेजना में तड़पती टीना के चेहरे और होंठों पर तन्नाये हुए लिंगदेव भँवरें की भाँति बार-बार चोट मारते है।)

टीना: उ.उई...प.पअ…पा.…उफ.उ.उ.ल..न्हई…आह.....

(राजेश की जुबान योनि की गहराई और लम्बाई नापने की कोशिश मे वार पर वार कर रही थी और टीना के हाथ में कैद लिंगदेव ने भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह उघाड़ दिया है। क्षण भर रुक कर, दो तरफा वार शुरु करता है। एक तरफ जुबान का वार योनिच्छेद पर, दूसरी ओर लिंगदेव का फूला हुआ नंगा सिर टीना के होंठों को खोलने पर आमादा हो रहा है। ऐसे दो तरफा वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पायी और असीम आनंद में झटके खाते हुए अपने होंठ खोल दिये। राजेश तो बस इसी क्षण की आस में बैठा था, जैसे ही होंठों के बीच थोड़ी सी जगह बनी हल्का सा जोर लगाते हुए लिंगदेव के सिर से टीना के मुख को सीलबन्द कर दिया। राजेश की जु्बान ने तो अकड़ी हुई घुन्डी को ठोकर मार-मार कर लाल कर दिया था। दूसरी ओर अपनी उँगली को योनि के मुहाने में फँसा कर अन्दर टटोलना आरंभ कर दिया। इस वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पायी और एक बड़ा झटका खा कर बाँध तोड़ कर झरझराती हुई बह निकली।

करीना: .गग…गगगू...म…गूग.गअँ.न्ई…आह.....

(साँस घुटती हुई लगी तो टीना ने पूरा मुख खोल दिया, राजेश ने वक्त की नजाकत को समझते हुए थोड़ा और अन्दर सरका दिया। बेबस टीना पुरी ताकत से राजेश को उपर से हटाने की कोशिश करती, पर राजेश अपने लिंग पर दबाव बढ़ा कर उसे और अन्दर खिसका देता। कुछ मिनट यह मुख के अन्दर-बाहर का दौर चलता रहा और लगातार लिंग के नंगे सिर पर टीना के होंठों के घर्षण से झट्के के साथ उबलता हुआ लावा टीना के गले मे बेरोकटोक बहने लगा। साँस लेने के लिए टीना जल्दी से सारा गटक गयी परन्तु राजेश ने तो नल ही खोल दिया था। टीना तो एक बार पहले भी भुगत चुकी थी इस लिए जल्दी से सारा गटकने में लग गयी। तूफान आ कर थम गया। दो नग्न जिस्म लता कि भाँति एक दूसरे के साथ लिपट कर अपनी-अपनी तेज चलती हुई साँसो को काबू करने मे लग गये। कुछ देर बाद्…)

राजेश: बेटा…थैक्स्…तुमने अपना वादा पूरा किया…

टीना: (राजेश के सीने से लिपट कर)…हूँ…यह बहुत ही…(सिकुड़ते हुए लिंगदेव को सहलाते हुए)…नौटी है।

राजेश: (टीना के सीने के उभारों को सहलाते हुए) बेटा…तुम्हें प्यार की भाषा भी सिखानी पड़ेगी क्योंकि कब तक तुम…इसे, उसको, आदि बोलोगी…

टीना: (शर्माते हुए)…पापा…इसको क्या कहते है…

राजेश: बेटा, कल ट्रेनिंग के दौरान बताऊँगा…अब सो जाओ क्योंकि कल सुबह तुम्हें स्कूल जाना है…

टीना: हाँ…पापा…क्या आप मेरे साथ यहीं पर सोओगे…

राजेश: (एक बार फिर से टीना को कस के बाँहों मे भर कर) हाँ बेटा…कल सुबह तुम्हें जल्दी उठाना है, इस लिए मै यहीं पर सो जाता हूँ…(टीना के होंठों के साथ एक बार फिर से खिलवाड़ करने के बाद)…स्वीट ड्रीम्स…

(राजेश अपने होंठों के बीच एक निप्पल को दबा कर और टीना अपनी मुठ्ठी में लिंगदेव को जकड़ कर एक दुसरे के साथ लिपट कर सो जाते है।)

सीन-19

(सुबह के पाँच बज रहे है। आसमान सूर्य की लालिमा में नहा रहा है। राजेश के मोबाइल का अलार्म बजने से राजेश की नींद टूटती है। नग्न अवस्था में टीना पीठ करके सो रही है और राजेश का एक हाथ टीना के स्तन पर और दूसरा हाथ टीना के सिर के नीचे, एक पाँव टीना के कुल्हे पर और ठीक दो नितंबों के जोड़ के बीचोंबीच फँसे हुए सुबह के प्रेशर में तन्नायें हुए लिंगदेव ने राजेश के लिए बड़ी अजीब स्थिति पैदा कर दी थी। रात की कहानी राजेश की आँखों के सामने एक हसीन ख्वाब की तरह दोहरा गयी। अलार्म की आवाज ने टीना को भी जगा दिया, बिना कुछ बोले अपनी माँसल जाघों के बीच में फँसी हिलकोरे लेती हुई जिवित चीज को हाथ से महसूस करती है।)

राजेश: बेटा…सुबह हो गयी…उठ जाओ…

टीना: (कुनमुनाती हुई) अभी नहीं…(अपनी योनि के सामने निकले हुए अंग को मुठ्ठी में जकड़ कर)……

राजेश: बेटा…आह्…(हाथ में लिए हुए स्तन को जोरों से दबाते हुए धीरे से आगे की ओर धक्का देते हुए)…टीना बेटा स्कूल जाना है…(एक बार फिर से धक्का देता हुआ टीना की मुठ्ठी को अपने हाथ से साधते हुए)…

टीना:…आह्…पापा…

राजेश: (लघुशंका के लिए दबाव बढ़ता हुआ)…बेटा…अभी इस नालायक को जाने दो…प्लीज…

टीना: (करवट ले कर राजेश की ओर मुख करके) क्या हुआ पापा…

राजेश: (जल्दी से उठते हुए) अगर अभी नहीं तो फिर कभी नहीं…

(भाग कर टीना के बाथरूम में जाता है और टीना अंगड़ाई ले कर सामने लगे आईने में अपने नग्न जिस्म को निहारती है। रात की बात को याद कर शर्म से मुख पर लाली बिखर जाती है। थोड़ी देर में राजेश मुँह धो कर बाथरूम से बाहर निकलता है। जमीन पर पड़ी लुंगी को उठा कर अपने इर्द-गिर्द लपेटता है और टीना की ओर बड़ता है।)

राजेश: बेटा…तुम तैयार हो जाओ…मै नीचे जा कर नाश्ता बनाता हूँ क्योंकि तुम्हारी मम्मी अभी सो रही होगी…(कहते हुए टीना के होंठों को चूम कर कमरे के बाहर चले जाता है। टीना बाथरूम की ओर बड़ जाती है।)

(सुबह के आठ बज रहे हैं। राजेश नहा कर तैयार हो गया है और रसोई में नाश्ता बनाने में लीन है। टीना भी अपनी स्कूल की यूनीफार्म में तैयार हो कर नीचे आ कर राजेश का हाथ बटाती है। एक बार राजेश टीना पर नजर डालता है तो उसके अल्हड़ कमसिन बदन को स्कूल युनीफार्म मे देखता रह जाता है। सफेद रंग के टाप मे टीना के उभार बाहर आने के लिए मचलते हुए दिखते है। घुटने से उपर तक की नीली स्कर्ट केले सी चिकनी टाँगों का प्रदर्शन कर रही है। दोनों सारा सामान उठा कर डाईनिंग टेबल पर सजा देते हैं और साथ बैठ कर नाश्ता करते है। बीच-बीच में राजेश और टीना एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते है)

राजेश: आज यूनीफार्म तुम बहुत सुन्दर दिख रही हो…कल रात…

टीना: पापा…आज कैसी एक्सरसाईज होगी…

राजेश: आज तुम्हारी छुपी हुई माँसपेशियों की एक्सरसाइज करेंगें…बेटा जल्दी से अपना नाश्ता खत्म करो तुम्हें देर हो रही है…

टीना: पापा…मेरा नाश्ता तो खत्म हो गया…अब कुछ भी नहीं खा सकूँगी…(कहते हुए टेबल से उठ जाती है)

राजेश: ठीक है…सब कुछ ऐसे ही रहने दो…तुम्हारी मम्मी अपने आप साफ कर लेगीं…(कहते हुए वह भी टेबल से उठ खड़ा होता है) जाओ अपना बस्ता उठा कर ले आओ…

(टीना भाग कर अपना बस्ता उठा कर ले आती है और बाहर दरवाजे की ओर जाने लगती है)

राजेश: बेटा…तुम्हारा बिल्…आखिर तुमने नाश्ता किया है…

टीना: (मुस्कुराती हुई राजेश की ओर बढ़ती है) कैश या काईन्ड्…

(राजेश कुछ जवाब न देते हुए टीना का चेहरा अपने हाथों में थाम कर उसके होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त मे ले लेता है। कभी निचले होंठ को चूसता है और कभी अपनी लपलपाती जिबहा को कँपकँपाते हुए लबों पर फिराता है। राजेश के हाथ भी अपने काम में लग जाते है। कभी तो टीना के उन्नत सीने के साथ खिलवाड़ करते है और कभी पीछे नितंबों की मालिश करते है। टीना भी उतने ही उत्साह के साथ पलट कर राजेश का साथ देती हुई लिपट जाती और अपने निचले हिस्से से राजेश के उठते हुए हथियार से रगड़ती और पीसने की कोशिश करती है। राजेश पीछे से नितंबों को दबाते हुए टीना की स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल कर अपनी दो उंगलियों को टीना की पैन्टी मे फँसा कर पैन्टी को नीचे पिंडुलियों तक घसीट देता है।)

टीना: आ…ई पा…पा यह…क्या किया…अब देर नहीं हो रही है…

राजेश: बेटा… (नीचे जमीन पर पड़ी हुई पैन्टी को अपनी जेब में रखते हुए)…तुम्हारे स्कूल का रास्ता कार से लगभग तीस मिनट में पूरा होगा…तब तक्… अब चलेँ क्या… (दरवाजे की ओर बड़ जाता है।)

(कार की आगे की सीट पर टीना और राजेश बैठे हुए है। टीना की स्कर्ट जाँघों तक खिंचीं हुई और राजेश का एक हाथ स्टीयरिंग पर और दूसरा हाथ टीना की योनिच्छेद के साथ छेड़खानी में लगा हुआ है।)

टीना: (छिपे हुए मोती के ऊपर लगातार घर्षण से) .उई... माँ…. पा.प.… पा… उफ.उ.उ.ल .. न्हई… आह.....(झरझरा कर बहने लगी)

राजेश: बेटा…तभी मैने तुम्हारी स्कर्ट को समेट कर अलग कर दी थी कि कोई दाग न लग जाए (योनिमुख पर उँगली फिराते हुए)…तुम अपने हाथ से इस नालायक की भी मालिश कर दो… (टीना अपने हाथ से पैन्ट की जिप खोल कर राजेश के हथियार को बाहर निकालती है। अपनी उँगलियों में थाम कर धीरे से कुकुरमुत्तेनुमा सिर का अनावरण करती है।)

टीना: यह इतना बड़ा कैसे हो जाता है…जब सुबह बाथरूम में गये थे तो बहुत विकराल रूप धारण किये हुए था परन्तु जब बाहर आये थे तो यह सिकुड़ कर छोटा हो गया था…अब फिर से देखो…कैसे तन्नायें हुए है…

राजेश: बेटा, अगर मेरा टाक्सिन निकल गया तो सारा मेरी पैन्ट पर गिरेगा और दाग लग जाएगा…फिर मै दफ्तर कैसे जाउँगा…बेटा तुम अगर मेरी मदद करो तो…

टीना: बताइए …

राजेश: अगर तुम झुक कर अपने मुख से इसको ढक दो तो जैसे ही टाक्सिन निकलेगें तो तुम्हारे मुख में गिरेगें जिसे तुम गटक जाना इस से मेरे कपड़े खराब नहीं होंगें… प्लीज्…यह एक्सरसाईज तो नहीं है परन्तु इस तरअह तुम अपने पापा की मदद कर सकोगी…

टीना: पापा…आप हमेशा मुझको…ठीक है…

(टीना झुक कर लिंगदेव का सिर अपने मुख में ले लेती है और अपनी जुबान से लिंगदेव को सहलाती है। राजेश धीरे से टीना के सिर को पकड़ कर उपर और फिर नीचे का मोशन सिखाता है। टीना इशारा समझ कर धीरे धीरे वही मोशन को दोहराती है। राजेश बामुश्किल अपने को काबू में रख कर कार ड्राइव करता है। लगातार टीना के गुलाबी होंठों और जुबान के घर्षण से राजेश के अन्दर का ज्वालामुखी अपना उग्र रूप धारण कर लेता है।)

राजेश: मर गये… टीना जल्दी से उठो…

टीना: (हड़बड़ाते हुए उठती हुई) क्या हुआ…पापा…

राजेश: सामने देखो…तुम्हारी सहेली ने हमारी कार पहचान ली है…हाथ के इशारे से रुकने के लिए कह रही है…

टीना: करीना…यहाँ पर कैसे…गाड़ी मत रोकना पापा…

राजेश: न बेटा…(कहते हुए करीना के करीब ला कर गाड़ी रोक दी और पीछे का दरवाजा खोल कर अन्दर आने के लिए आमंत्रित किया) …यहाँ कैसे खड़ी हो बेटा…

करीना: हाय अंकल, हाय टीना…थैंक गाड्…आप मिल गये…वर्ना आज बड़ी परेशानी हो जाती…मेरी कार खराब हो गयी और भैया मेकेनिक को लेने गये हुए हैं…

टीना: (कुछ चिड़ते हुए) यार इस खटारा कार को अपने पापा से कह कर बदल दे…

करीना: यार मेरे भैया तो कई बार कह चुके हैं, पर पापा है कि मानते नहीं। सरकारी कार को यूज करने से मना करते हैं…पर यह बता तू नीचे हो कर क्या सो रही थी… मुझे तो सिर्फ अंकल ही दिखे…

टीना: (झेंपते हुए) नहीं यार…मेरे बालों का बैन्ड नीचे गिर गया था वही उठा रही थी। अच्छा अब स्कूल आ गया है…जल्दी से सामान समेट ले…

करीना: हाँ यार्…

(राजेश स्कूल के गेट पर कार रोकता है। दोनों लड़कियाँ अपना-अपना बस्ता उठाए कार से नीचे उतरती हैं। टीना सीधी गेट की तरफ जाती है…राजेश की तरफ करीना आती है)

करीना: थैंक्स…(फुसफुसा कर)…डार्लिंग…

राजेश: (झेंपते हुए)…मेन्शन नाट्…प्रिय्… जरा टीना को रोको और मेरे पास भेजना…पैसे लेना तो भूल गयी…

(करीना भाग कर टीना को रोकती है और राजेश की ओर इशारा कर के उसे वापिस भेजती है। टीना दौड़ कर राजेश के पास आती है।)

राजेश: बेटा तुम पैसे लेना भूल गयीं थी…(हाथ में एक सौ रुपये का नोट थमाते हुए)…एक और जरूरी बात है…अपना हाथ खिड़की के अन्दर डालो…(टीना अपना हाथ बड़ाती है तो राजेश उसके हाथ में सुबह वाली पैन्टी रख देता है…अगर बिना इसको पहने चली जाती तो जो कार की सीट पर फैला हुआ है वही तुम्हारी क्लास की सीट पर फैल जाता।

टीना: पापा, करीना कह रही थी कि आपकी जिप खुली हुई है...

(राजेश हड़बड़ा कर पैन्ट की जिप की ओर देखता है तो झेंप जाता है क्योंकि जिप के मुहाने से लाल टोपी धरे लिंगदेव मुँह निकाले बाहर की हवा खा रहे हैं। टीना यह द्र्श्य देख कर खिलखिला कर हँस पड़ती है। राजेश जल्दी से जिप लगाता है।)

राजेश: बेटा…करीना ने सिर्फ खुली हुई जिप नहीं देखी परन्तु इसको भी देख लिया है…

टीना: तो…

राजेश: वह तुमसे बहुत सारे सवाल करेगी…क्या जवाब दोगी…।

टीना: हम तो सिर्फ लंच टाइम पर ही मिलेंगे…पर अब मुझे भी चिन्ता हो रही है कि वह मुझ पर शक करेगी…।

राजेश: टीना तुम चिन्ता मत करो…बस कहना कि तुमने कुछ भी नहीं देखा…

टीना: ठीक है…पर पापा मै घर कैसे जाऊँगी…आज स्कूल बस भी नहीं चलेगी।

राजेश: जैसे ही तुम्हारा फार्म का काम खत्म हो जाए, तुम मुझे फोन कर देना तो मै तुम्हें घर छोड़ दूँगा।

टीना: हाँ यह ठीक रहेगा…(अपने स्कूल के गेट की तरफ बड़ जाती है)…

(राजेश कार स्टार्ट करता है और अपने आफिस की दिशा में निकल जाता है। स्कूल में…टीना और करीना लंच टाइम में साथ-साथ बैठी हुई हैं।)

क्रमशः

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