उस प्यार की तलाश में ( incest ) compleet

Post Reply
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

Post by rajaarkey »


जा अदिति जिस तरह से तुमने हमारा दिल को दुखाया है उसी तरह तू भी कभी खुस नहीं रहेगी........तेरी ज़िंदगी मौत से बदतर बन जाएगी......यू समझ लेना कि आज के बाद तेरे मा बाप हमेशा के लिए मर चुके है........अब तेरा आज के बाद हम से कोई रिस्ता नहीं.........अब तुम दोनो अपनी ये मनहूस शकल कभी आज के बाद हमे मत दिखना.......चले जाओ हमारी नज़रो से दूर..........मर चुके हो तुम दोनो हमारे लिए......

कमरे में चारों तरफ खामोशी छाई रही......उधेर मम्मी बेसूध रोए जा रही थी तो इधेर मेरे आँखों से भी आँसू नहीं रुक रहे थे........आख़िर कार विशाल ने आगे बढ़कर मेरा हाथ थाम लिया और मुझे चलने को कहा........मेरे पास अब कोई लबज़ नहीं थे कि मैं मम्मी पापा से कुछ कह सकूँ......मैने फ़ौरन अपना कुछ समान रखा और साथ में वो डायरी भी रख ली.......कुछ देर बाद हम दोनो एक बॅग लेकर उस घर की चौखट हमेशा हमेशा लाघ कर उससे दूर निकल गये.........

हमारे बाहर आते ही पापा ने फ़ौरन मेन दरवाज़ा बंद कर दिया........मैं जानती थी कि जो हुआ वो अच्छा नहीं हुआ.......उस वक़्त मेरे दिल पर क्या बीत रही थी उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती थी......बस दिल कर रहा था कि जी भर कर आज रोऊँ.......मगर इसका ऐसा ही कुछ अंजाम तो होना ही था......थोड़ी देर बाद हम एक बस में बैठ कर दूसरे अंजान राहों पर हमेशा हमेशा के लिए निकल पड़े......हम दोनो ये भी नहीं जानते थे कि हमारी मंज़िल कहाँ है और हमें जाना कहाँ है.......मेरे आँखों से आँसू अभी भी नहीं थम रहे थे........

हम फिर दूसरे सहर में गये और एक किराए का मकान ले लिया....वहाँ हमने मकान मलिक को ये बताया कि हम पति पत्नी है...........सहर में आसानी से रूम मिल जाता है कपल को........एक छोटा सा कमरा था और उससे अटेच एक किचन था.........आज हमारी इस तपिश ने हमे कौन से मोड़ पर लाकर खड़ा किया था........विशाल अब तक खामोश था......मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा था.......मगर जीना तो पड़ता है चाहे जो हो .........

वक़्त गुज़रता गया और विशाल मेरे बारे में सोच सोच कर परेशान हो जाता..........मेरे अंदर भी परिवर्तन आ चुका था......उस दिन के बाद से मैं हँसना लगभग भूल चुकी थी......विशाल ने फिर मेरे सामने एक प्रपोज़ल रखा जिससे में कुछ बोल ना सकी.......

विशाल- अदिति.....कब तक यू ही खामोश रहोगी......हम दोनो जानते है कि हम भाई बेहन है.....मगर इस दुनिया वालों को नहीं पता की हमारा रिस्ता क्या है........मैं अब इस रिश्ते को नया नाम देना चाहता हूँ......मैं तुम्हें अपनी बीवी बनाना चाहता हूँ..........मैं तुम्हारे साथ शादी करना चाहता हूँ...........शादी करोगी अदिति क्या तुम मुझसे.......

मैं विशाल के चेहरे को बड़े गौर से देखने लगी......अजीब तो मुझे भी लग रहा था मगर मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं विशाल की बातों का क्या जवाब दूं......शायद विशाल ने मेरी इस खामोशी को हां समझ लिया था और उसने फिर वही पास के मंदिर में एक पुजारी से कहकर हमारी शादी के कुछ ज़रूरी समान इंतेज़ाम करवाने लगा..........मैं अंदर ही अंदर पूरी तरह से टूट चुकी थी.......और मैं नहीं चाहती थी कि अब विशाल को मुझसे किसी बात की तकलीफ़ हो.......

कुछ देर बाद मैं एक शादी की लाल जोड़ा पहन कर मंदिर में गयी और वहाँ हम ने शादी कर ली........मेरे दिल में उस वक़्त कैसी फीलिंग हो रही थी ये मैं ही जानती थी.......कहाँ हम भाई बेहन और अब पति पत्नी......मुझे तो एक पल ऐसा लगा कि कहीं जाकर मैं डूब मरूं.......मगर इन हालातों में मैं विशाल का दामन नहीं छोड़ना चाहती थी...........
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

Post by rajaarkey »


शाम हुई और शाम से रात हुई......विशाल ने हमारी सुहाग रात की पूरी तैयारी कर रखी थी.......मैं बस उसकी खुशी के लिए चुप चाप उसका साथ दे रही थी.......रात के करीब 8 बजे विशाल मेरे कमरे में आया.....पूरा कमरा फूलों से सज़ा हुआ था.......मेरा दिल फिर से ज़ोरों से धड़क रहा था.....विशाल मेरे करीब आया तो उसके हाथ में खाना था.....

विशाल- खाना खा लो अदिति.......तुम्हें भूक लगी होगी.........

मैं विशाल के चेहरे की तरफ बड़े ग्वार से देखने लगी......मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था कि मैं विशाल से कैसे बर्ताव करूँ........

मैं चुप चाप खामोश रही तो विशाल ने अपनी बात आगे कही- मैं जानता हूँ अदिति की तुम मम्मी पापा की बातों को लेकर दुखी हो.......हां ग़लती हम से हुई है और्र मुझ पूरा यकीन है कि देर सबेर उनका गुस्सा हमारे प्रति कम हो जाएगा......सब ठीक हो जाएगा एक दिन अदिति.......

अदिति- कुछ ठीक नहीं होगा विशाल.......इस वक़्त मुझे तुम्हारे प्यार की ज़रूरत है...मुझे तुम्हारे सहारे की ज़रूरत है......मैं फिर विशाल के सीने से लिपटती चली गयी......आज भी मेरी आँखों में आँसू आ गये थे.......

विशाल- मैं तुम्हें वो प्यार दूँगा अदिति.....इतना प्यार कि आज के बाद तुम सब कुछ बीती बातों को भूल जाओगी........

मैं फिर इतने दिनों बाद आज पहली बार मुस्कुराइ थी.....मैं फिर विशाल से दूर हुई तो मुझे सवाल भरी नज़रो से देखने लगा.......

विशाल- अब कहाँ जा रही हो अदिति......

अदिति- आज हमारी सुहाग रात है ना विशाल......कुछ तैयारी करनी है मुझे.........और आज मैं तुम्हें कुछ नायाब तोहफा देना चाहती हूँ.......विशाल मेरे चेहरे को बड़े गौर से देखने लगा......उसे मेरी बातें ज़्यादा समझ में नहीं आई थी.......फिर मैं फ़ौरन बाथरूम में चली गयी.........मैं अच्छे से जानती थी कि आज मुझे विशाल को क्या देना है........अब तक विशाल मेरे जिस्म को कितने बार भोग चुका था मगर आज मैं उसे वो सुख देना चाहती थी जिसको मैं ख़ास तौर पर उसके लिए अब तक बचा कर रखी थी........वो तोहफा उसे जल्द पता चलने वाला था........

अब वो समय आ चुका था देखना ये था कि आने वाले वक़्त में ज़िंदगी हमे कौन से मोड़ पर ले जाती है.

मैं बाथरूम में गयी और जाकर नहाने लगी........मैने अपनी चूत के बाल अच्छे से सॉफ किए.......फिर मैं शादी का वही लाल जोड़ा पहन कर बाहर आई.......अभी भी मेरे जिस्म से सोप और शॅमपू की भीनी भीनी खुसबू आ रही थी.......मैं फिर जाकर अपने कमरे में विशाल के लिए सजने सँवरने लगी........माथे पर उसकी रंग की मॅचिंग बिंदिया और जो कुछ था मेरे पास ज्वेल्लेरी वो सब मैने अपने जिस्म पर लगा लिए.........

करीब एक घंटे बाद मैं पूरी तैयार होकर बाहर आई और चुप चाप सुहाग सेज पर जाकर बैठ गयी और विशाल के आने का इंतेज़ार करने लगी........पता नही क्यों आज मेरा दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.......आज मेरी खुबुसरती में और भी इज़ाफ़ा हो गया था.......वजह थी मेरी माँग में विशाल के नाम का सिंदूर था........

थोड़े देर बाद विशाल घर आया .......उसके हाथ में कुछ खाने पीने का समान था.......उसके चेहरे पर खुशी सॉफ झलक रही थी जो मेरे दिल को पल पल सुकून पहुँचा रही थी.....विशाल मेरे करीब आकर मेरे बाजू में आकर बैठ गया......इस वक़्त मैं घूँघट में थी........उसने मेरा घूँघट धीरे से हटाया और मेरे चेहरे की तरफ बड़े गौर से देखने लगा.......उसकी नज़रें एक पल के लिए भी मेरे चेहरे से नहीं हट रही थी.........

और ऐसा होता भी क्यों ना......मैं आज पूरी क़यामत लग रही थी.......विशाल के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी........उसने मेरे होंटो पर अपने होंठ रख दिए.......मैने भी एक पल के देर किए बिना उसके होंटो को धीरे धीरे अपने मूह में लेकर चूसने लगी......मैं अब बहुत गरम हो चुकी थी.......मेरी चूत से पानी लगातार बहता जा रहा था........

विशाल- क्या बात है अदिति.......इससे पहले मैने तुम्हारा ये रूप कभी नहीं देखा.......सच कहूँ तो तुम आज बिल्कुल परी सी लग रही हो.........तुम बहुत खूबसूरत हो अदिति.......काश तुम मेरी बेहन ना होती तो मुझे इस बात का कभी पछतावा नहीं होता.......
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

Post by rajaarkey »


मैने फ़ौरन विशाल के लबों पर अपने हाथ रख दिए- जो बीत गया उसे भूल जाओ विशाल......अब बातें भी करोगे या कुछ आगे भी करोगे........

विशाल- क्या करूँ अदिति.......तुम ही बताओ मुझे.......

अदिति- सब जानते हो फिर भी अंजान बने रहते हो.......वही जो मेरी इतने दिनों से अब तक करते आए हो.......मेरी चुदाई......विशाल आज मुझे इतना रगडो की मेरे अंदर कि ये तपीश हमेशा हमेशा के लिए शांत हो जाए........मुझे प्यार करो विशाल.......इतना कहकर मैं विशाल के सीने से लग गयी.......फिर विशाल मेरी साड़ी को धीरे धीरे उतारने लगा.........

विशाल- वैसे अदिति एक बात पूच्छू.......आज हमारी सुहागरात है तो तुम मुझे ऐसा कौन सा तोहफा देना चाहती हो.......

मैं विशाल के चेहरे की तरफ बड़े गौर से देखने लगी.......मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं विशाल से ये बात कैसे कहूँ......फिर मैने विशाल का एक हाथ धीरे से पकड़ा और उसे सरकाते हुए अपनी साड़ी के अंदर ले गयी......मेरी चूत की तरफ .......और फिर कुछ देर बाद जब मैं विशाल के हाथ को अपनी गान्ड के छेद पर रखा तब वो मुझे सवाल भरी नज़रो से देखने लगा........

अदिति- यहाँ ........मैं तुम्हें आज इसका सुख देना चाहती हूँ.......

विशाल जब मेरा इशारा समझ गया तो उसका चेहरे खुशी से खिल उठा.......

विसल- तुम नहीं जानती अदिति कि ये अरमान ना जाने कब से मेरे दिल में था कि मैं अपना लंड तुम्हारी गान्ड में डालूं.......मगर डरता था कि तुम कहीं नाराज़ हो जाओगी......या तुम्हें बुरा लगेगा........मगर मैं आज बता नहीं सकता कि मैं आज कितना खुस हूँ.....देखो मेरा लंड ये सोचकर अभी से खड़ा हो गया.......

बस थोड़ी तकलीफ़ होगी तुम्हें........मेरे लिए तुम इतना बर्दास्त कर लेना......फिर वहाँ भी ऐसे ही तुम्हें मज़ा मिलेगा जैसे चूत में मिलता है........

मैं विशाल के लबों को धीरे से चूम ली- तुम्हारे खातिर मुझे सब मंज़ूर है विशाल.......मैं तुम्हारी हूँ तुम्हारा जैसा जी में आए वैसा करो......मैं उफ्फ तक नहीं करूँगी.......

विशाल फिर अपने दोनो हाथों से मेरे सीने पर ले गया और फिर से मेरी दोनो निपल्स को अपनी उंगलिओ के बीच फँसाकर उन्हें ज़ोरों से मसल्ने लगा.......आज वो बहुत ज़्यादा बेचैन दिखाई दे रहा था.........उसने फ़ौरन मेरी साड़ी अलग की और अब मैं पेटिकोट और ब्लाउस में उसके सामने थी.........धीरे धीरे उसने मेरी ब्लाउस भी उतार दी और और पेटिकोट भी........एक बार फिर से मैं ब्रा और पैंटी में विशाल के सामने थी........

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

Post by rajaarkey »

विशाल को ज़रा भी सब्र नहीं हुआ और उसने मेरी ब्रा और पैंटी दोनो एक ही झटने में मेरे बदन से अलग कर दी....अब मैं पूरी नंगी हालत में उसके सामने बैठी थी.........विशाल फिर अपने कपड़े भी उतारने लगा और कुछ देर बाद उसका फनफनाता हुआ लंड मेरी आँखों के सामने झूलने लगा.........मैं फिर आगे बढ़कर विशाल के लंड को अपने मूह में लेकर उसे धीरे धीरे चूसने लगी.
विशाल की सिसकारी अब बढ़ती जा रही थी वो मज़े से अपनी आँखें बंद किए बिस्तेर पर लेटा हुआ था........मैं भी विशाल के लंड से पूरा पानी निकालना चाहती थी........धीरे धीरे मेरे चूसने की रफ़्तार बढ़ती गयी और वही विशाल की हालत खराब होने लगी.......उसके दोनो हाथ इस वक़्त मेरे सिर पर थे....एक हाथ से वो मेरे बालों से खेल रहा था वही दूसरे हाथ से वो मेरे सिर को धीरे धीरे अपने लंड पर दबाव भी डाल रहा था.......आख़िरकार विशाल का सब्र पूरी तरह से टूट गया और वो वही ज़ोरों से चीखते हुए अपना कम मेरे मूह में उतारने लगा......

मैं भी उसका कम अपने गले के नीचे धीरे धीरे उतारने लगी......कुछ देर बाद विशाल वही हाम्फते हुए बिस्तेर पर बिल्कुल ढीला पड़ गया........मैं फिर उसके लबों को धीरे धीरे चूसने लगी.......फिर उसने मुझे बिस्तेर पर सुलाया और मेरे होंटो को फिर से चूसने लगा........विशाल अब धीरे धीरे नीचे की तरफ अपना जीभ फेरने लगा.......मेरी बूब्स से होते हुए मेरी चूत तक......उसकी इस हरकत पर मैं एक बार फिर से उछल सी पड़ी थी..........

जैसे ही उसने अपने होंटो से मेरी चूत को छुआ ना चाहते हुए भी मैं ज़ोरों से सिसक पड़ी.......विशाल कुछ देर तक मेरी चूत का रस ऐसे ही पीता रहा फिर वो अपनी जीभ धीरे से सरकाते हुए मेरी गान्ड की तरफ ले जाने लगा......मेरी लज़्जत से आँखें बार बार बंद हो रही थी........विशाल मेरी गान्ड के दोनो फांकों को अलग करके अपनी जीभ से मेरी गान्ड को धीरे धीरे चाटने लगा......

मेरा इस वक़्त मज़े से बुरा हाल था........ऐसा लग रहा था कि मैं अभी झड जाउन्गि......कुछ देर तक विशाल अपनी जीभ ऐसे ही फेरता रहा फिर उसने धीरे से एक उंगली मेरी गान्ड के छेद पर रख दी और अपनी उंगली को मेरी गान्ड की छेद पर दबाव डालने लगा.....पहले तो मुझे बहुत ज़ोरों से दर्द हुआ मैं ना चाहते हुए भी ज़ोरों से सिसक पड़ी........मगर विशाल अपनी उंगलियों को अभी भी मेरी गान्ड के अंदर पुश कर रहा था........

उसके चाटने से मेरी गान्ड का छेद काफ़ी गीला हो चुका था......इस वाज से विशाल की उंगली सरकते हुए आसानी से अंदर चली गयी........अब विशाल की एक उंगली मेरी गान्ड में थी और वो उसे धीरे धीरे मेरी गान्ड में अंदर बाहर कर रहा था........थोड़े दर्द के बाद मुझे भी अब मज़ा आने लगा......मैं भी अपनी एक उंगली अपनी चूत पर ले गयी और उसे हौले हौले सहलाने लगी........

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

Post by rajaarkey »


तभी विशाल ने फ़ौरन अपनी वही उंगली मेरी गान्ड से बाहर निकली और इस बार अपनी दो उंगली एक साथ मेरी गान्ड में धीरे धीरे पुश करने लगा......एक बार फिर से दर्द की तेज़ लहर मेरे जिस्म में दौड़ गयी........उधेर विशाल अपने हाथों से बार बार मेरी निपल्स को भी मसल रहा था.......और इधेर दोनो उंगलियों को तेज़ी से मेरी गान्ड के अंदर पेलते जा रहा था........

कुछ दर्द के बाद उसकी अब दोनो उंगलियाँ मेरी गान्ड की गहराई में पूरी उतर चुकी थी........मुझे मीठा मीठा सा दर्द हो रहा था.......मगर दिल में बार बार यही डर लग रहा था कि जब विशाल का लंड मेरे उस छोटे से छेद में जाएगा तो मेरा क्या हाल होगा......मगर अब मुझे विशाल का लंड अपनी गान्ड में लेना था तो बस लेना था........चाहे जो हो.......

कुछ देर बाद विशाल मुझसे दूर हुआ और सामने रखी एक तेल की शीशी अपने हाथ में लेकर मेरे सामने आकर बैठ गया........अब तक विशाल का लंड फिर से पूरे उफान पर था.........वो शीशी में रखी तेल धीरे धीरे अपने लंड पर गिराने लगा और कुछ ही पलों में उसका लंड तेल से पूरी तरह भीग गया......फिर उसने मुझे घोड़ी पोज़िशन में आने को कहा........

मैं जैसे ही उस पोज़िशन में आई मेरे गान्ड की सोराख विशाल के सामने पूरा खुल गया.......गुलाबी छेद और उपर से विशाल के थूक के पानी से मेरी गान्ड चमक रही थी.......विशाल फिर कुछ तेल अपने हाथों में लेकर मेरी गान्ड के छेद पर उसे अच्छे से गिराने लगा.....कभी कभी तो वो अपनी एक उंगली पूरी तेल में डाल कर मेरी गान्ड के छेद के अंदर डाल देता जिसे में ज़ोरों से उछल पड़ती........

करीब 10 मिनट तक मेरी गान्ड से खेलने के बाद विशाल मेरे उपर आया.......अब मेरी गान्ड काफ़ी लूज हो गयी थी.......और साथ में काफ़ी चिकनी भी........जैसे ही उसने अपना लंड मेरे उस छोटे से सूराख पर रखा मेरी तो मानो डर से हालत खराब होने लगी........उस वक़्त मेरा दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.....मैं उस होने वेल दर्द का सामना करने को अब तैयार थी........

विशाल फिर अपने लंड पर धीरे धीरे दबाव डालने लगा......इस वक़्त उसके दोनो हाथ मेरी चुचियो पर थे........वो मेरी निपल्स को हौले हौले मसल रहा था वही दूसरी तरफ अपना लंड मेरी गान्ड के अंदर उतारता जा रहा था......जैसे ही उसका लंड का सुपाडा मेरी गान्ड के अंदर गया मेरी तो चीख निकल पड़ी........

अदिति-आआआआआआआ.................हह...........ईईईईईईईईईईईईईई............म्म्म्म.मम.उूुुुुउउ..एम्म्म..नमम्ममम.....यययययययययययी
विशाल बाहर निकालो इसे मैं मर जाऊंगी......मुझे बर्दास्त नही हो रहा प्लीज़.......मेरी पूरी तरह फुर्र जाएगी.......प्प....ल्ल्ल्ल......ईयीई....एयेए...सस्स...ए.ए.ए.ए.....
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
Post Reply