मैं उन्हें भइया बोलती हूँ compleet

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jay
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Re: मैं उन्हें भइया बोलती हूँ

Post by jay »

मुझे उसकी बांहों में आकर बहुत अच्छा लगा। फिर उसने मेरे एक हाथ को अपने एक हाथ से पकड़ा और मेरे हाथ को अपने अंडरवीयर
पर रख कर लंड को मेरे हाथ से दबाने लगा।
मैं तो बेसुध सी हो गई थी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। फिर उसने अंडरवीयर को नीचे करके अपना लंड मेरे हाथ में थमा दिया और अपने हाथ से मेरे हाथ को पकड़ कर लंड को सहलाने लगा।
उसका गर्म लंड मेरे हाथ में आते ही मेरे अंदर एक झनझनाहट सी महसूस हुई और उसने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और उन्हें चूसने लगा। मेरी साँसें तेज हो गई और मैं पागल सी होने लगी। मैंने अब अपने आप को उसके हवाले कर दिया।
फिर उसने मुझसे कहा- रोमा, मैं तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहता हूँ।
तब मुझे होश आया और मैंने अपने आपको उसकी बांहों से किसी तरह छुड़ाया और उससे कहा- अभी आप जाइये, आपको मीटिंग के लिए देर हो रही है। देखो 4 बज गए हैं।
उसने फिर मुझसे पूछा- रोमा मेरे साथ सेक्स करोगी क्या?
तो मैंने मन में सोचा कि घर जाने से पहले एक बार और सेक्स कर लेती हूँ तो मैंने अपना सर हाँ में हिला दिया और रूम से बाहर आई। फिर जब मैं भाभी के रूम में गई तो उधर भैया भाभी की चुदाई का प्रोग्राम चल रहा था, भैया भाभी को चोद रहे थे।
भाभी ने मुझसे कहा- रोमा तुम मिनी को बाहर ले जाओ, हम अभी आते हैं।
मिनी भाभी की बेटी का नाम है मैंने अपनी पुरानी कहानी में बताया भी था शायद !
तो मैं मिनी को लेकर हॉल में आ गई और टीवी देखने लगी। कुछ ही देर में भैया-भाभी भी अपना चुदाई का प्रोग्राम ख़त्म करके हॉल में आ गये, फिर प्रदीप भी आया और उसने कहा- मैं मीटिंग के लिए जा रहा हूँ, आने में थोड़ी देर हो जायेगी।
उसने अपनी कार निकली और वो चला गया।
प्रदीप के जाने के बाद भैया ने मुझसे कहा- रोमा, तुम्हें प्रदीप को टाई देने में इतनी देर कैसे हो गई थी? क्या हुआ रूम में?
तो मैंने भैया से कहा- भैया, मुझे पता है कि आपने मुझे प्रदीप को टाई देने के लिए क्यूँ भेजा था, मैंने आपकी और प्रदीप की सारी बातें सुन ली थी कि आपने उसे क्या क्या कहा था।
तो भैया भाभी ने मुझसे पूछा- तो क्या हुआ रोमा, तुम आज यहीं रुक रही हो ना?
फिर तो मैंने हाँ कही और वो सारी बात बताई जो प्रदीप ने मेरे साथ रूम में की थी। फिर भैया भाभी को कहा- मैंने सोचा कि घर जाने से पहले प्रदीप के साथ एक बार सेक्स कर ही लेती हूँ क्यूँ कि उसने मुझे रूम में बहुत गर्म कर दिया था।
ऐसे ही बातों के बाद भैया मार्किट सब्जी लाने के लिए चले गये तो भाभी और मैं टीवी देखने लगी।
भैया मार्किट से सब्जी लाए तो भाभी और मैं रात के खाने कि तैयारी में लग गए।
रात के करीब 9 बजे प्रदीप आया, उसने मुझे देखा तो उसके चेहरे की खुशी साफ दिख रही थी।
भैया ने प्रदीप से कहा- जाओ प्रदीप, तुम जा कर फ्रेश हो आओ, खाना तैयार है ! खाने के बाद तुम बताना कि तुम्हारी मीटिंग कैसी रही। खाने के बाद भैया और प्रदीप फिर हॉल में चले गए और टीवी देखने लगे। इधर भाभी और मैं भी रूम में चले गये। रूम में जाकर भाभी ने मुझे एक नाइटी निकाल कर दी और कहा- लो रोमा, तुम इसे पहन लो !
तो मैंने अपने कपड़े उतारे और वो नाइटी पहन ली। भाभी ने भी एक नाइटी पहन ली और हम फिर बाहर हॉल में ही आकर बैठ गए।
11 बज चुके थे, कुछ देर बाद अब प्रदीप से सब्र नहीं हो रहा था तो उसने भैया के कान में कुछ कहा तो भैया ने…
भाभी से कहा- चलो पलक, अब हमें सोना चाहिए !
तो वो दोनों वहाँ से अपने कमरे में चले गये। मुझे थोड़ा डर लग रहा था तो मैं भी उठ कर किचन में जाकर पानी पीने लगी।
तभी प्रदीप भी वहाँ आ गया और उसने मुझे पकड़ लिया और मेरी गर्दन पर चुम्बन करने लगा और कहने लगा- रोमा, अब तो तुम इस
नाइटी में पहले से भी ज्यादा सुन्दर लग रही हो।
तभी वहां भाभी आ गई तो उसने मुझे छोड़ दिया।
भाभी ने फ्रिज से पानी की बोतल निकाली और चली गई।
तो प्रदीप ने मुझे फिर से पकड़ लिया और कहने लगा- चलो ना रोमा, रूम में चलते हैं।
उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और रूम में लाकर मुझे बेड पर बैठा दिया, फिर उसने मेरे हाथों को अपने हाथों में लिया और उन्हें चूम लिया।
अब उसने मेरे हाथों को अपने कंधों पर रखा और मुझे मुझे अपनी तरफ खींच लिया तो मैं आसानी से उसके ऊपर जा गिरी।
प्रदीप ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रखा और उन्हें चूसने लगा। मेरी साँसें अब गर्म होने लगी थी और वो मेरे होंठों को चूसे जा रहा था। फिर उसने मेरे निचले होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच लिया और चूसने लगा, उसके हाथों की अंगुलियाँ मेरे बालों में उलझी हुई थी। उसने मेरी जीभ को अपने मुँह में लिया और बहुत ही सुन्दर ढंग से चूस रहा था।
उसके हाथ अब मेरी पीठ पर घूमते हुए कमर से होते हुए नीचे जाने लगे और फिर उसने अपने हाथ मेरी नाइटी के अंदर डाल दिए और नाइटी को उठाने लगे तो मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर नाइटी उतरने में उसकी मदद की।
उसने नाइटी उतर कर अलग कर दिया अब धीमे धीमे उसके हाथ मेरे वक्ष की गोलाइयों के नजदीक तक पहुँच गए, उसके हाथ मेरी ब्रा पर महसूस हो रहे थे। इस बीच हम दोनों ने एक दूसरे को चूमना जारी रखा उसकी हरकतें मुझे बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, अब मैंने भी अपने हाथ उसकी कमर पर रख कर उसकी टी-शर्ट ऊपर करके निकाल दी। इस बीच मुझे महसूस हुआ कि उसका लंड खड़ा हो गया है जो उसके लोअर को फाड़कर बाहर आने को तैयार था। मैं उसके सख्त हो चुके लंड को लोअर के ऊपर से ही रगड़ रही थी। फिर मैंने उसके लोअर को पूरा नीचे सरका दिया तो उसने भी उसे अपने पैरों से निकाल कर अलग कर दिया। अब मैं अंडरवीयर के ऊपर से ही प्रदीप के लंड को पकड़ कर सहलाने लगी और वो मेरे होंठों को चूमने लगा।
कुछ ही देर बाद उसने मुझे बेड पर से उठा कर नीचे बिठा दिया और मेरे सामने आकर अपनी अंडरवेअर को भी उतार कर फेंक दिया और अपने लण्ड को मेरे लबों पर टिका दिया। वो बहुत गर्म था, उसका यह सब करना मुझे और उत्तेजित कर रहा था।
उसने कहा- रोमा, चूसो इसे !
तो मैंने उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वो लंड को मेरे मुँह में ही आगे पीछे करने लगा मानो मुँह की ही चुदाई कर रहा हो।
कुछ देर बाद उसने मुझे वापस बेड पर बैठा दिया और अपने हाथों को मेरी पीठ पर लाकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। अब मेरे वक्ष की दोनों गोलाइयाँ उसके सामने बिल्कुल आजाद होकर झूलने लगी, वो मेरी चूचियाँ अपने हाथों में लेकर दबाने लगा। मेरे चेहरे पर बेचैनी थी। उसने मेरे एक निप्पल को अपनी अंगुलियों में लेकर मसला तो मेरे मुँह से एक आह्ह की आवाज निकली।
फिर उसने झुककर मेरे दूसरे निप्पल को अपने मुख में ले लिया और उसे अपनी जीभ से सहलाने लगा, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, में सिसकारियाँ लेने लगी।
अब प्रदीप ने अपना एक हाथ निप्पल पर से हटा कर पेरे पेट से सरकते हुए पेन्टी के ऊपर रख दिया और मेरी चूत को पेन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा।
कुछ ही देर बाद उसने अपना मुँह भी मेरे निप्पल पर से हटा कर मेरी चूत की तरफ आकर एक ही झटके में मेरी पेन्टी को मेरी जाँघों से सरका कर अलग फेंक दिया और अपने हाथ की अंगुली को मेरी चूत के अंदर डाल दिया और अंदर-बाहर करने लगा।
फिर मुझे बेड के किनारे लाकर खुद बेड के नीचे बैठ गया और अपना मुँह मेरी चूत पर रख कर जीभ से उसे चाटने लगा। मेरी बेसबरी अब बढ़ती जा रही थी तो मैंने उसके बालो को पकड़कर उसके सर को अपनी चूत पर दबाया। जैसे जैसे उसकी जीभ अपना काम कर रही थी, में और भी उत्तेजित होती जा रही थी, कुछ देर उसकी जीभ से मेरी चूत की चुदाई के बाद उसने मेरे दोनों पैरों को फैलाया, मेरी चूत उसके सामने थी तो उसने एक पल की भी देरी किये बिना अपने लंड को मेरी चूत पर रखा और उसके अंदर डालने लगा।
उसका लंड काफी मोटा था जो आसानी से अंदर नहीं जा रहा था और मुझे बहुत दर्द हो रहा था। तो उसने वहाँ मेज पर रखी बॉडी लोशन की बोतल से थोड़ी क्रीम अपने लंड और मेरी चूत पर लगाई, फिर लंड को मेरी चूत पर रख कर लंड को अंदर डालने की कोशिश की तो लंड थोडा सा अंदर चला गया और मेरी चीख निकल गई।
वो थोड़ा रुका और फिर एक और जोर का झटका मारा तो उसका पूरा लंड मेरी चूत में जा चुका था। मुझे बहुत दर्द हो रहा था और मैं दर्द के मारे तड़प रही थी। कुछ देर बाद जब मेरा दर्द कम हो गया तो प्रदीप ने लंड को आगे पीछे करना शुरु किया और मुझे चोदने लगा। फिर एक दूसरे को धक्के देने का सिलसिला चालू हो गया, हम दोनों की चोदन-गति बढ़ती जा रही थी, मेरे पैर हवा में खुले हुए थे जिससे प्रदीप को लंड चूत के अंदर तक डालने में आसानी हो रही थी।
अब उसका लंड तेजी से चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, एक जबर्दस्त घर्षण उसके लंड से मेरी चूत की दीवारों पर उत्पन्न हो रहा था। हम दोनों आनन्द की एक दूसरी दुनिया में तैर रहे थे। मेरी चूत से गर्म पानी निकलने लगा जो लुब्रीकेंट का काम कर रहा था।
हम दोनों अपनी चरम सीमा के नजदीक पहुँच रहे थे, इस चुदाई से फच्च फच्च की आवाज आने लगी थी, हमारे अंदर एक जबर्दस्त तूफान उबाल मार रहा था, हम दोनों के अंदर एक लावा भभक रहा था जो हमारी चुदाई के अन्तिम पलों में फ़ूट पड़ा, हम दोनों के शरीर शांत हो गए और थोड़ी देर तक एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे।
यह मस्ती का दौर रात में फिर दो बार और चला !


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Re: मैं उन्हें भइया बोलती हूँ

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उस चुदाई के बाद अगली सुबह प्रदीप ने ही अपनी कार मैं मुझे मेरे घर छोड़ा और जाते जाते उसने मुझे से मेरा मोबाइल नंबर लिया और वो चला गया। मैं भी घर आ गई।
उसके बाद प्रदीप अक्सर मुझे फ़ोन करने लगा और मैं घंटो घर में छुप कर उस से बातें करने लगी। कभी-कभी जब घर में कोई नहीं होता था तो मैं प्रदीप के साथ फ़ोन सेक्स भी किया करती थी। मुझे उससे बातें करना बहुत अच्छा लगता था। प्रदीप हमेशा मुझे कहता कि रोमा मुझे तुम से फिर से मिलना हैं, पर मैं हर बार उसे मिलने से मना कर देती थी।
एक दिन तो प्रदीप बहुत ज़िद करने लगा कि उसे मुझे से मिलना ही है। मैंने फिर उसे मना कि पर वो नहीं माना और कहने लगा कि कल वो आ रहा है और मैं उस से मिलूँ नहीं तो वो मेरे घर ही आ जाएगा।
मुझे उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा और मैंने कहा- हाँ मैं कल तुम से मिलूंगी।
पर मैंने उसे यह साफ-साफ कह दिया कि मैं तुमसे आखिरी बार मिल रही हूँ। इसके बाद मैं तुमसे नहीं मिलूँगी और तुम मुझे मिलने के लिए मजबूर नहीं करोगे।
प्रदीप ने कहा- ठीक है।
मैंने कहा- मुझे प्रोमिस करो।
प्रदीप ने मुझसे वादा किया और फिर हमने अगले दिन मिलने का समय तय किया। प्रदीप ने मुझे कहा कि वो कल शाम 4 बजे मेरे ही घर के पास मेरा इन्तजार करेगा।
मैंने कहा- ठीक है, कल मिलते हैं।
अगले दिन मैं तैयार हुई और घर में मम्मी को कहा- मम्मी आज मेरी एक फ्रेंड का बर्थ-डे है। मैं उसके बर्थ-डे पार्टी में जा रही हूँ। आने मैं थोड़ी देर हो जाएगी !
तो मम्मी ने मुझे परमीशन दे दी, मैं घर से निकल गई और प्रदीप को फ़ोन किया कि वो कहाँ है?
उसने कहा कि वो मेरे घर के राईट साइड में जो चौराहा है, वो वहीं खड़ा है। मैं जल्दी जल्दी वहाँ पहुँची। प्रदीप की कार चौराहे के थोड़े साइड में खड़ी थी और प्रदीप भी कार के बाहर मेरा इन्तजार करते हुए खड़ा था। मैं जाकर उससे मिली, फिर हमारी थोड़ी बात हुई।
उसके बाद प्रदीप ने कहा- चलो रोमा कार में बैठो, हम कहीं लॉन्ग ड्राइव पर चलते हैं।
मैं कार में बैठ गई। प्रदीप ने भी कार स्टार्ट की और वो कार चलाने लगा।
प्रदीप मुझ से रोमांटिक बातें किए जा रहा था। कुछ ही समय बाद हमारी कार सिटी के बाहर आ गई थी।
मैंने प्रदीप से कहा- प्लीज़ प्रदीप, बताओ तो कि हम कहाँ जा रहे हैं?
प्रदीप कहने लगा- रोमा हम वहीं जा रहे हैं जहाँ कोई आता-जाता नहीं।
अब हमारी कार क्योंकि सिटी से बाहर आ गई थी, इसलिए अब प्रदीप की मस्ती चालू हो गई थी। उसका एक हाथ कार के स्टेयरिंग से हट कर मेरे सीने के ऊपर आ गया और वो बूब्स को दबाने लगा।
मैंने उसके हाथ हटाया और कहा- प्लीज़, तुम कार ठीक से चलाओ।
पर प्रदीप नहीं मान रहा था। कभी वो बूब्स को दबाता तो कभी मेरी जींस के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाता।
मैं बार-बार उसका हाथ हटाते जा रही थी पर वो नहीं मान रहा था। उसने कार चलाते-चलाते ही अपनी पैन्ट की ज़िप खोली, और लंड को बाहर निकाल कर मेरा एक हाथ पकड़ कर मेरे हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया।
प्रदीप का लंड मेरे हाथ में आते ही मेरे अंदर भी कुछ गर्मी सी आ गई और मैं उसका लंड सहलाने लगी।
प्रदीप ने अब कार को हाइवे से उतार कर एक कच्चे रास्ते पर डाल दिया जो जंगल के अंदर जा रहा था।
मैंने प्रदीप से पूछा- ये तुम कार को कहाँ ले जा रहे हो?
प्रदीप ने कहा- तुम चुपचाप बैठी रहो। हाइवे पर कार खड़ी करना ठीक नहीं होता। इसलिए हम कच्चे रास्ते से जंगल के अंदर जा रहे हैं। मैंने यह जगह देखी हुई है, बहुत अच्छी जगह है, यहाँ कोई आता-जाता नहीं है। यहाँ जंगल के अंदर ही एक छोटा सा झरना है। यह बहुत सुन्दर जगह है। तुम्हें पसंद आएगी।
मैं चुपचाप बैठी प्रदीप के लंड को सहला रही थी।
जंगल के अंदर कुछ दूर जाकर प्रदीप ने एक जगह कार को खड़ी किया और मुझे कहा- उतरो मैं तुम्हें ये जगह दिखाता हूँ।
मैं कार से उतरी तो देखा कि वहाँ पर एक छोटा सा झरना था। झरने से पानी नीचे गिर रहा था। नजारा बहुत सुन्दर लग रहा था। हमें वहाँ पहुँचने में लगभग आधा घंटा लगा था। उस टाइम 4:30 हो गए थे।
प्रदीप ने कहा- देखा रोमा, मैंने कहा था न, यह जगह बहुत सुन्दर है।
मैं उस झरने को देख रही थी कि तभी प्रदीप मेरे पास आया और मुझे अपनी बाँहों में ले लिया। मैंने भी उसे अपनी बाँहों में ले लिया।
वो मेरी गर्दन को चूमने लगा। फ़िर उसने मुझे कार से टिका कर मेरी गर्दन को पकड़ कर अपने होंठों को मेरी होंठों पर रख कर उन्हें चूमने लगा। मैं भी उसका साथ दे रही थी।
अब उसके हाथ गर्दन से खिसक कर नीचे आने लगे थे। उसने अपने दोनों हाथों को मेरी कमर तक ले आया और मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल कर टी-शर्ट को ऊपर उठाने लगा।
उसने टी-शर्ट को मेरे बूब्स तक उठाया और बूब्स को दबाने लगा और साथ ही लगातार वो मेरे होंठो को भी चूमते जा रहा था।
कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे को इसी तरह चूमते रहे। उसके बाद प्रदीप ने मेरी टी-शर्ट और ब्रा दोनों उतार दी और कार का पिछला गेट खोल कर मुझे उसने कार की पिछली सीट पर लिटा दिया।
उसने अपनी शर्ट उतार दी फिर वो मेरे ऊपर आ गया। मेरे एक बूब्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे को एक हाथ से दबाने लगा।
मेरे मुँह से अब कामुक आवाजें निकलने लगीं मैं जोर-जोर से ‘आह हह आआ अह ह’ करने लगी।
उसने मेरे दोनों मम्मों को अपने हाथों में पकड़ लिए और उन्हें दबाने लगा।
उसने मुझसे पूछा- कैसा लग रहा है तुम्हें रोमा?
मैंने अपनी आँखें मूँद कर धीरे से कहा- अच्छा लग रहा है, प्रदीप और जोर-जोर से चूसो इन्हें।
वो फिर मेरे उरोजों को चूसने लगा और मैं लगातार उस से बोले जा रही थी, “और जोर-जोर से चूसो, प्रदीप बहुत मजा आ रहा है।”
मेरे ऊपर एक नशा सा छा रहा था और मैंने प्रदीप को अपने दोनों हाथों से जकड लिया। अब प्रदीप ने अपने आप को मेरी बाँहों से छुड़ाया और मेरी जींस के बटन खोल कर मेरी जींस को उतारने लगा।
उसने मेरी जींस को पूरी उतार कर आगे की सीट पर रख दी और कहा- रोमा तुम तो आज इस पैन्टी में बहुत सेक्सी लग रही हो।
मैंने उस दिन काले रंग की पारदर्शी पैन्टी पहनी थी। उसने अपना हाथ मेरी चूत पर रखा और उसे पैन्टी के ऊपर से ही सहलाने लगा।
उसने मेरी जाँघ के पास से पैन्टी को खींच कर अलग किया, जिससे मेरी चूत उसे दिखने लगी।
प्रदीप ने कहा- रोमा तुम्हारे ये चूत के बाल भी बहुत सेक्सी लग रहे हैं।
उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत के अंदर डाल दी तो मेरे मुँह से एक सीत्कार ‘अह्ह ह्ह्ह’ निकली फिर उसने अपना मुँह मेरी चूत के ऊपर रखा और चूत को चूसने लगा।
मैंने उत्तेजना के मारे उसके सर के बाल पकड़ लिए, उसके सर को अपनी दोनों जाँघों के बीच चूत पर दबाने लगी और जोर-जोर से सिसकारियाँ लेने लगी।
प्रदीप अपनी जुबान को मेरी चूत के छेद में डालने लगा और मेरी चूत से खेलने लगा।
मैं बहुत उत्तेजक हो गई थी और प्रदीप को कह रही थी, “प्रदीप चूसो मेरी चूत को, खा जाओ उसे।”
प्रदीप अब और जोर-जोर से मेरी चूत को चूसने लगा और मैं भी उसके सर को चूत पर दबाने लगी कुछ देर कि चूत चुसाई के बाद प्रदीप कार के बाहर निकला और अपनी पैन्ट और अंडरवेयर उतार कर कार की आगे की सीट पर रख दिए।
प्रदीप ने मुझे भी खींच कर कार के बाहर किया और कार से एक कुशन को निकल कर कार का गेट लगा दिया और खुद कार के गेट से चिपक कर खड़ा हो गया।


उसने मुझे वो कुशन दिया और कहा- लो इसे अपने घुटनों के नीचे रख कर नीचे बैठ कर मेरा लंड चूसो।
मैंने वैसा ही किया। मैंने कुशन को नीचे रख कर और उस पर अपने घुटने टेक कर खड़ी हुई और प्रदीप के लण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगी। प्रदीप ने अपना एक हाथ मेरे सर में बालों के अंदर किया और मेरे सर को पीछे से आगे धकेल कर अपने लंड को मेरे मुँह में डाल दिया।
अब मैं उसके लंड को चूसने लगी और प्रदीप झटके मारने लगा। जैसे वो मेरे मुँह की ही चुदाई कर रहा हो।
10 मिनट तक प्रदीप यूँ ही मेरे मुँह की चुदाई करता रहा और मैं भी बड़े मजे से उसका लंड चूसती रही।
फिर प्रदीप ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और कार के बोनट पर बैठा दिया और फिर से मेरी जाँघ के पास से पैन्टी को खींच कर अलग किया और चूत को चूसने लगा।
फिर उसने अचानक अपने मुँह को मेरी चूत पर से हटाया और मेरी चूत के ऊपर अपना लंड रख कर लंड से चूत को सहलाने लगा और मेरी पैन्टी को चूत पर से खींच कर और साइड में कर दिया।
मैंने उसे कहा- पैन्टी उतार दो, फिर अच्छे से कर सकोगे तुम।
तो उस ने मना कर दिया और कहा- नहीं मुझे ऐसे में ही मजा आ रहा है।
प्रदीप बस अपने लंड से मेरी चूत को सहला रहा था। वो चूत में लंड नहीं डाल रहा था। वो मुझे तड़पा रहा था।
मुझे कार का बोनट गर्म लगने लगने लगा तो मैंने प्रदीप से कहा- प्रदीप मुझे बोनट गर्म लग रहा है। चलो कार के अंदर ही चलते हैं।
तो उसने कहा- ठीक है।
और उसने मुझे फिर से अपनी गोद में उठा कर मुझे कार कि पिछली सीट पर लिटा दिया और वो भी कार के अंदर आ गया।
मेरा एक पैर सीट के नीचे था और दूसरे पैर को प्रदीप ने उठा कर अपने कन्धे के ऊपर रख लिया।
प्रदीप ने भी अपने एक पैर सीट के नीचे रखा और पैर को घुटने के पास ले मोड़ लिया। फिर प्रदीप ने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपने लंड को मेरी चूत पर टिकाया और लंड को जोर से चूत के अंदर धकेला, जिससे मेरे मुँह से के चीख निकली और प्रदीप का आधा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया। प्रदीप ने मेरे स्तनों को पकड़ लिया और उन्हें दबाने लगा।
मेरे मुँह से सिस्कारियाँ निकलने लगी- आआह ऊऊह ह्ह्ह आ आआ आआह !
प्रदीप ने बचा हुआ अपना आधा लंड भी एक और झटके में चूत के अंदर डाल दिया।
मैंने कहा- कमीने थोड़ा धीरे कर, मुझे दर्द हो रहा है।
प्रदीप ने कहा- साली, थोड़ा दर्द हो होगा ही न। अभी कुछ देर में तू खुद ही कहेगी, जोर-जोर से करो।
तो मैंने कहा- कमीने जब मैं जोर से करने का बोलूँ तो जोर से भी कर लेना, पर अभी तो थोड़ा धीरे कर !
तब प्रदीप ने कहा- साली बहुत कमीनी है तू, चल अब तू भी अपनी गांड उछाल कर मेरा साथ दे।
प्रदीप जोर-जोर से मुझे चोदने लगा और मैंने भी अपनी कमर उछाल-उछाल कर उसका साथ देने लगी। अब मुझे चुदने में मजा आने लगा था, मैं उसे कहने लगी- और जोर-जोर से चोदो प्रदीप !
प्रदीप तो उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और कहने लगा- ले साली ले ! और ले, आज तुझे खूब चोदूँगा।
लगभग दस मिनट तक प्रदीप मुझे यूँ ही धकाधक चोदता रहा, फिर वो कहने लगा- रोमा, मेरा निकलने वाला है।
तो मैंने कहा- तुम चूत के अंदर नहीं छोड़ देना !
उसने अपना लंड जल्दी से चूत से निकाला और अपना सारा वीर्य मेरी चूत के ऊपर छोड़ दिया, जिससे कि मेरी चूत और पैन्टी गन्दी हो गई थी।
उसके वीर्य की कुछ बूँदें मेरे स्तनों तक भी आईं। अब तक प्रदीप में जो जोश भरा था वो थोड़ा कम हो गया, ढीला हो कर मेरे ऊपर ही लेट गया, मेरे होंठो को चूमने लगा।
कुछ देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद प्रदीप मुझ पर से हटा तो मैंने उसे कहा- देखो तुमने यह क्या किया, मुझे पूरा गन्दा कर दिया और खुद भी हो गए ! अब इसे कौन साफ करेगा?
प्रदीप ने कहा- तुम चिन्ता मत करो, मैं ये सब साफ कर दूँगा। देखो इस झरने का पानी अपने किस काम आएगा?
उसने मुझे कार से बाहर निकाल कर अपनी गोद में उठाया। फिर झरने के पास लेकर गया झरने से जो पानी बह रहा था, वो सिर्फ पैरों के टखने तक ही था।
प्रदीप ने मुझे ले जाकर एक चौड़े पत्थर के ऊपर लिटा दिया और पहले मेरी पैन्टी को उतार कर उसे धोने लगा फिर पैन्टी को अलग एक पत्थर पर रख दिया और अपने हाथों से पानी ले कर मेरी चूत के ऊपर जो उसका वीर्य था, उसे साफ करने लगा। उसने मेरा सारा बदन पानी से गीला कर दिया था।
मैंने उससे कहा- तुम भी तो अपने आप को साफ कर लो।
‘तुम साफ कर दो रोमा ! मैंने तुम्हें साफ किया है, तुम मुझे साफ कर दो।”
मैंने कहा- ठीक है, अब तुम यहाँ लेट जाओ।
उसके पत्थर पर लेटने के बाद मैंने भी उसका सारा बदन साफ किया।
मैंने कहा- प्रदीप मुझे ठण्ड लग रही है और देखो, अँधेरा भी हो रहा है। अब हमें यहाँ से चलना चाहिए।
तब वो कहने लगा तुम्हारी ठण्ड को मैं अभी दूर कर दूँगा। मेरा हाथ पकड़ कर उसने खींचा और अपने ऊपर मुझे लिटा लिया और मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया- इससे तुम्हारी ठण्ड दूर हो जाएगी।
कुछ देर मैं और प्रदीप वहाँ ऐसे ही लेटे रहे।
प्रदीप ने कहा- रोमा तुम मेरा थोड़ा सा लंड चूसो, इससे तुम्हारी ठण्ड और दूर हो जाएगी।
मैंने प्रदीप की छाती को चूमते हुए नीचे उसके लंड के पास आई, प्रदीप का लंड छोटा था, वो खड़ा नहीं था। मैंने उसके लंड को अपने हाथ में लिया और अपने मुँह में लेने लगी तो उस का लंड अब खड़ा होने लगा। मैं लंड को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।
प्रदीप के लंड को एक मिनट भी नहीं लगा और उसका लंड एकदम खड़ा हो गया। मैं जोर-जोर से उसका लंड चूसने लगी, मुझे काफी मजा आने लगा लंड चूसने में।
5 मिनट लंड चुसवाने के बाद प्रदीप ने कहा- रोमा, मैं तुम्हें एक बार और चोदना चाहता हूँ। पता नहीं तुम फिर कब मिलोगी?
मैंने प्रदीप को पत्थर पर से उठने को कहा और खुद उस पत्थर पर लेट गई और प्रदीप से कहा- लो आज जो करना है, कर लो।
तो उसने थोड़ी सी भी देर ना करते हुए मेरे दोनों पैरों को उठा कर अपने दोनों कन्धों पर रख लिए और अपने लंड को चूत के ऊपर रख कर एक जोर का झटका मारा जिससे उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर चला गया।
मैं एक बार फिर जोर से चिल्लाई- कमीने, थोड़ा धीरे डाल !
पर वो अब मेरी नहीं सुन रहा था, वो मुझे चोदने में लगा हुआ था, जोर-जोर से लंड मेरी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था।
मैं ‘आआह ऊउह आअह’ करते हुए सिसकारियाँ लेने लगी।
मैं बहुत गर्म हो गई थी, जिससे मेरा निकलने वाला था।
मैंने बताया कि मेरा निकलने वाला है, तो उसने अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया और अपना मुँह मेरी चूत पर लगा दिया, ‘आह आअह उह’ करते हुए मैं झड़ गई।
प्रदीप मेरा वो सारा पानी पीने लगा। उसने चाट-चाट कर मेरी चूत को साफ किया और फिर उसने मेरे पैरों को फैला कर अपना लंड मेरी चूत रख कर उसे अंदर डाला और फिर से मेरी चुदाई करने लगा।
मैं फिर से गर्म हो गई, वो मुझे ऐसे ही चोदता रहा। कुछ देर बाद हम दोनों एक साथ झड़े और प्रदीप ने मुझे फिर से अपनी बाँहो में भर लिया और मुझे चूमने लगा।
हम दोनों उठे और हमने झरने में नहाया। वहाँ से जब जाने लगे तो मैंने पत्थर पर से अपनी पैन्टी उठाई।
वो अभी गीली थी, तब मैंने प्रदीप से कहा- देखो, ये तुमने क्या किया था। मेरी पैन्टी गीली हो चुकी है। अब मैं क्या पहनूँगी?
प्रदीप हँस कर बोला- मुझे पता था ऐसा कुछ होगा इसलिए मैंने इसका इंतजाम पहले से ही कर रखा था। जब मैं आ रहा था, तब ही मैंने मार्किट से तुम्हारे लिए एक ब्रा और पैन्टी खरीदी थी, चलो, कार में रखी है। मैं ही तुम्हें आज अपने हाथ से वो ब्रा और पैन्टी पहना देता हूँ।
हम कार के पास आए तो प्रदीप ने कार से वो ब्रा पैन्टी निकाली और मुझे पहनाई। फिर मैंने अपने कपड़े पहने और प्रदीप ने भी अपने कपड़े पहने और हम वहाँ से निकल पड़े।
प्रदीप और मैंने सिटी के बाहर ही एक ढाबे में खाना खाया। फिर प्रदीप ने मुझे घर छोड़ दिया और वो चला गया।
तो यह थी दोस्तो, मेरी आज की कहानी उस कार में और जंगल के बीच झरने के पास मुझे चुदने में अपना ही एक अलग मजा आया। उम्मीद करती हूँ, आप सभी को मेरी कहानी पसंद आई होगी। आपको यह कहानी कैसी लगी, आप मुझे बताइयेगा जरूर !

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