मर्दों की दुनिया compleet

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rajsharma
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Re: मर्दों की दुनिया

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मर्दों की दुनिया पार्ट--4



गतांक से आगे........................

"सुमित तुम्हे कहीं ग़लत फहमी हुई है, में सच कहती हूँ कि

शादी पर में कुँवारी थी, फिर चूत की झिल्ली की कोई अहमियत

थोड़े ही है, झिल्ली तो किसी भी वजह से फट सकती है." मेने कहा.

"हो सकता हो कि तुम सही कह रही हो... लेकिन चाहे जो हो जाए चूत

एक दम कसी हुई रहती है... तुम्हारी चूत जैसी ढीली ढाली नही

हो जाती." सुमित ने कहा.

"अमित में भी सच कह रही हूँ में भी कुँवारी थी शादी के

समय, याद है तुम्हे जब तुमने मेरी चूत मे पहली बार लंड

घूसाया था तो दर्द के मारे मे कितना चिल्लाई थी?" अनु भी अपने

बचाव मे बोली.

"हां मेरी जान वो बात में कैसे भूल सकता हूँ, में तो बस यही

कहना चाहूँगा कि तुम अदाकारा अच्छी हो पर इतनी बड़ी भी नही की

मुझे बेवकूफ़ बना सको." अमित ने उसकी ओर देखते हुए कहा.

मेने देखा कि घबराहट के मारे अनु के माथे पर पसीना आ रहा

था, में भगवान से प्रार्थना करने लगी कि कहीं अनु अपना संतुलन

ना खो बैठे जिस तरह उसने हमारी दीदी के सामने खो दिया था जब

दीदी ने इल्ज़ाम लगाया था हम पर की हमने जीजा लोगों से चुदवाया

है.

"सुमित प्लीज़ विश्वास करो में कुँवारी थी...." मेने फिर से अपनी

बात दोहराई.

"तुम दोनो हमारी बात ध्यान से सुनो... हम दोनो बेवकूफ़ नही है.."

सुमित ने कहा, शादी से पहले हमने कई लड़कियों को चोदा है और

उसमे से कई कुँवारी लड़कियाँ भी थी इसलिए हमे मालूम है कि

कुँवारी लड़की को चोदने मे कैसा महसूस होता है."

"हां कुँवारी लेकिन की चूत कफी कसी हुई होती है तुम्हारी चूत

जैसी ढीली नही. इसका मतलब है कि तुम दोनो ने शादी से पहले

काफ़ी चुदवाया है, सही कह रहा हूँ ना भाई." अमित ने कहा.

"हां तुम सही कह रहे हो." सुमित ने कहा, "इसलिए अच्छा होगा कि

तुम दोनो हमे सब कुछ सच सच बता दो."

अनु तो डर के मारे रोने लगी. मुझे लगा कि अनु कुछ कहने जा रही

है इसलिए मेने उसे रोकने की कोशिश की.."अनु प्लीज़ कुछ मत...."

लेकिन अनु ने मेरी बात सुनी नही.

"सूमी में आज के दिन से डर रही थी." आँसू तार तार उसकी आँखों

से बह रहे थे, "मुझे मालूम था कि एक दिन इन्हे पता चल जाएगा

कि हम दोनो कुँवारी नही है और शादी से पहले चुद चुकी है."

"अछी लड़की हो." कहकर अमित ने पानी जेब से उमाल निकाल कर अनु को

पकड़ा दिया, "अब हमे सॉफ सॉफ बताओ कि तुम्हारी कुँवारी चूत किसने

फाडी और तुमने शादी से पहले किस किससे चुदवाया था.'

अनु उन दोनो को सब कुछ बताने जा ही रही थी कि मेने उसे बीच मे

ही टोक दिया कि पता नही कि मौजदा हालात मे वो क्या क्या बक जाए.

"अनु मुझे बताने दो," कहकर में अमित और सुमित को सब कुछ बताने

लगी शुरू से, सिर्फ़ छुट्टियों में जो हमने दीदी के साथ किया था वो

नही बताया.

"अच्छा तो हमारे जीजा लोगो ने तुम्हारी चूत फाड़ने का मज़ा लिया

है" सुमित ने पूछा.

हम दोनो ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.

"उन्होने तुम्हारी गांद भी मारी होगी?" अमित ने पूछा.

हमने फिर हाँ मे गर्दन हिला दी.

"तुम दोनो ने उनका लॉडा भी चूसा होगा? अमित ने फिर पूछा.

हमने फिर हां कह दिया.

"अच्छा है कि तुम दोनो ने हमे सब कुछ सच सच बता दिया."

"जब हमने तुम्हे बता ही दिया है तो फिर इतना क्यों बात को बढ़ा

रहे हो? अनु ने पूछा. "हमने तो तुम दोनो से कुछ भी नही कहा कि

तुम दोनो ने शादी से पहले इतनी लड़कियों को चोदा है इस विषय

पर."

"मेर रानी... तुम ये भूल रही हो कि ये मर्दों की दुनिया है...."

अमित ने हंसते हुए कहा, "हां अगर तुम जानना चाहो तो हम तुम्हे

बता सकते है, लेकिन लिस्ट ज़रा लंबी है इसलिए टाइम लगेगा

बताने मे."

"नही रहने दो.. हमे कोई इंटेरेस्ट नही है." मेने कहा, "अब जब कि

तुम दोनो सच्चाई जान ही चुके हो तो तुम दोनो का क्या इरादा है?"

"हां हमे पहले ये बताओ क्या अब तुम दनो हमे तलाक़ देना चाहते हो?"

अनु थोड़ा नर्वस होते हुए बोली.

"अभी हम कुछ कह नही सकते, हम दोनो इस विषय पर बात करके तुम

दोनो को खाने पर जब हम घर आएँगे तब बता देंगे."

"सूमी मुझे माफ़ कर देना," अनु ज़ोर ज़ोर से रोते हुए बोली, "पता नही

मुझे क्या हो जाता है."

मेने उसे अपने गले से लगा लिया और उसे कुछ देर तक रोने दिया.

"अनु मेरी बेहन प्लीज़ रोयो मत ये तुम्हारी ग़लती नही थी," मेने

उसे सांत्वना देते हुए कहा, "अगर मेने धोके से उस दिन तुम्हारी

चूत नही फदवाई होती तो कम से कम आज तुम तो कुँवारी होती."

"ओह्ह्ह्ह सूमी," फिर हम दोनो एक दूसरे की बाहों मे कुछ देर तक रोते

रहे.

"ये हमारा समाज अच्छा नही है," अचानक अनु ने अपने आप को मुझसे

अलग करते हुए कहा, "एक मर्द शादी से पहले चाहे हज़ार लड़कियों

कोचोदे उन्हे कोई कुछ नही कहता, लेकिन अगर लड़की शादी से पहले

किसी से चुदवा ले तो उसका जीना हराम कर देते है."

"ये जिंदगी है अनु, "मेने उससे कहा, "जैसे अमित ने कहा कि ये

मर्दों की दुनिया है, यहाँ मर्द नियम बनाता है और औरतों को उन्हे

निभाना पड़ता है.

"सूमी अब हम क्या करेंगे?" अनु ने पूछा, "अगर हमारे मा पिता को

पता चल गया तो वो तो हमे जान से ही मार देंगे."

"चिंता मत करो जो होगा अच्छा ही होगा," मेने जवाब दिया, "पहले

हमे ये तो पता चले कि वो दोनो अब करना क्या चाहते है?"

"सूमी मुझे बहोत खुशी है कि तुम मेरे साथ हो? अनु मुझे गले

लगाते हुए बोली.

"सहेलियाँ होती ही इसलिए है?" मेने भी उसे गले लगा लिया.

दोपहर को खाने के वक़्त अमित और सुमित घर पर आए. बिना किसी से

कोई बात किए हम सभी ने साथ खाना खाया. खाना खाने के बाद अनु

अपने आप को रोक ना सकी, "तो क्या सोचा है तुम दोनो ने?" अनु ने अमित

से पूछा.

"यही की फिलहाल तो हम तुम दोनो को तलाक़ नही देंगे." अमित ने हंसते

हुए कहा.

"शुक्र है भगवान का." अनु एक गहरी साँस लेते हुए बोली.

"अभी हमारी बात ख़तम नही हुई है.' अमित ना कहा. "हम तलाक़

तभी नही देंगे जब तुम दोनो हमारी दो शर्तें पूरी कर दोगे?"

"कैसी शर्तें?" मेने पूछा.

"पहली शर्त तो ये है कि हम दोनो तुम दोनो की बहनो को चोदेन्गे."

अमित ना कहा.

"क्या कहा? आप हमारी बहनो को चोदना चाहते हो?" मेने चौंकते हुए

कहा.

"क्या हम ऐसा नही कर सकते? अरे जब तुम्हारे जीजा लोग हमारी

बीवियों को चोद सकते है तो क्या हम उनकी बीवियों को नही चोद

सकते?" अमित ने कहा.

"और दूसरी शर्त क्या है? मेने पूछा.

"दूसरी शर्त के बारे मे में तुम दोनो को समझाता हूँ," सुमित ने

कहा, "हमारे समाज में जब किसी लड़के की शादी होती है तो उसे

उमीद होती है कि सुहागरात की रात उसे कुँवारी चूत चढ़ने को

मिलेगी, लेकिन ऐसा हमारे साथ तो हुआ नही, हमने चूत चोदि लेकिन

चुदी चुदाई. तुम दोनो की चूत तो पहले ही हमारे आदरणिया जीजा

लोग फाड़ चुके थे, इसलिए हमारी दूसरी शर्त ये है उन्हे हम दोनो

के लिए किसी कुँवारी चूत का इंतेज़ाम करना होगा."

"अब ये तो कोई शर्त नही हुई," मेने जवाब दिया, "पहली बात तो वो

कुँवारी चूत का इंतज़ाम कहाँ से करेंगे, और अगर कोई लड़की उनकी

नज़र मे होगी भी तो वो उसे तय्यार कैसे करेंगे?"

"में तुम्हारी बात को समझता हूँ," सुमित ने कहा, "लेकिन ये उनकी

समस्या है, और इसका हल भी उन्हे ही ढूंदना पड़ेगा."

"अमित कुछ तो समझदारी की बात करो? जीजाजी तुम्हारी पसंद की

कुँवारी चूत कहाँ से ढूंढ़ेंगे? अनु ने कहा.

"हमारी कोई ख़ास पसंद नही है. वो कोई भी हो सकती है, कोई

रिश्तेदार, सहेली कोई भी, या फिर घर की कोई नौकरानी पर हां

उसकी चूत एक दम सील पॅक होनी चाहिए." अमित ने हंसते हुए कहा.

अमित का ये कहना था कि नौकरणीयाँ भी चलेंगी मेरे दीमाग मे

तुरंत एक ख़याल आया, "अगर में तुम दोनो के लिए कुँवारी चूत का

इंतेज़ाम कर दूँ तो? मेने पूछा.

"चाहे कोई भी इंतेज़ाम करे, हमे क्या फरक पड़ता है, बस हमारा तो

बदला पूरा होना चाहिए, हाथ के बदले हाथ आँख के बदले आँख और

चूत के बदले चूत " अमित ने कहा.

"अगर ऐसी बात है तो तुम दोनो मोना और रीमा को चोद दो, उनकी

चूत भी अभी तक कुँवारी है." मेने खुश होते हुए कहा.

हा! हा! हा! दोनो जोरों से हँसने लगे.

तुम ये कहना चाहती हो कि हम मोना और रीमा की चूत चोदे और तुम

ये समझती हो कि उनकी चूत कोरी है." अमित और सुमित दोनो हंसते

हुए बोले.

"हां में यही कहना चाहती हूँ, मुझे पक्का विश्वास है कि दोनो

की चूत एक दम कोरी है." अनु थोड़ा चिंतित स्वर मे बोली.

"मेरी जान तुमसे शादी होने के कई महीने पहले हम दोनो उनकी

कुँवारी चूत फाड़ चुके है." सुमित हंसते हुए बोला.

"हो नही सकता? में तुम्हारी बात पर विश्वास नही करती." मेने

कहा.

"अगर विश्वास ना हो तो तुम खुद उन्ही से पूछ लो? वो भी यही

कहेंगी." अमित अभी भी हंस रहा था.

"में अभी पूछती हूँ." मेने कहा.

"ठीक है देवियों तुम दोनो उनसे पूछते रहना और हम चले ऑफीस

हमे काम है." सुमित ने कहा, "हां एक और बात जब तक हमारी

शर्तें पूरी नही होती हम अलग अलग कमरे मे सोएंगे, तुम दोनो

मेरे कमरे मे सोवोगि, और में और

अमित उसके कमरे मे."

"तुम दोनो ऐसा नही कर सकते, अब ये तो ज़्यादती है." अनु लगभग

चिल्लाते हुए बोली.

"अगर तुम दोनो हमारे साथ नही सोवोगे तो फिर रात मे चोदोगे

किसे?" मेने पूछा.

"किसी कोक्या मोना और रीमा है ना चोदने के लिए." सुमित मुस्कुराते हुए

बोला.

"हमारी नौकरानियों को चोदोगे, क्या हमारी इज़्ज़त की कोई परवाह नही

है?" अनु ने शिकायत करते हुए कहा.

"अब क्या करें इन सबके ज़िम्मेदार तुम लोग हो?" कहकर वो दोनो ऑफीस

चले गये.

"हे भगवान वो दोनो हरामजादिया दीखने मे तो कितनी मासूम और

भोली लगती है." अनु ने गुस्से मे कहा, "मुझे तो विश्वास नही हो

रहा है कि हमारी पीठ पीछे वो दोनो हमारे पति से चुदवायेन्गी."

"अनु हमारे पतियों को दोष देने से पहले उन दोनो से पूछ तो लें?"

मैने अनु से कहा.

"सूमी मेरे मन मे एक बात आई है." अनु मेरे कान मे धीरे से

बोली, "अगर ये दोनो कुतिया हमारे पति को खुश कर सकती हैं तो

क्यों ना हम भी उनके साथ मज़ा करें?"

"तुम्हारा मतलब है कि उनसे अपनी चूत चूस्वएँ?" मेने पूछा.

"और क्या कर सकते है, जब तक हमारे पति देव की शर्तें पूरी नही

होती हमे तो बिना लंड के रहना पड़ेगा ना... तो क्यों ना उनकी जीब का

ही मज़ा उठाया जाए." अनु ने कहा.

"और अगर उन दोनो ने मना कर दिया तो? मेने कहा.

"एक तो वो मना करेंगी ही नही... और अगर किया तो हम उन्हे धमका

देंगे कि हम मम्मीजी से कह देंगे कि इन्होने हमारा हुकुम नही

माना."" अनु ने कहा.

"हां वो दोनो मम्मीजी से पहले से ही काफ़ी डरती हैं, और ये डर

उन्हे मजबूर करेगा वो सब करने के लिए जो हम कहेंगे." मेने

कहा.

"साथ ही हम अपने पुराने सपने को पूरा करेने की कोशिश करेंगे....

याद है शादी के पहले वो फूटबाल वाली बात." अनु ने ताली

बजाते हुए कहा.

"अनु तुम्हारा जवाब नही." मेने उसे गले लगाते हुए कहा.

"चलो पहले पता कर लेते हैं कि हमारे पति सच बोल रहे हैं कि

नही." अनु ने कहा.

"हां चलो हम उनसे हमारे कमरे मे ले जाकर पूछेंगे." मैने कहा.

"हां लेकिन पहले मुझे अपना नाइट गाउन पहन लेने दो जिससे अगर सब

कुछ हमारी सोच अनुसार हुआ तो मुझे चूत चोस्वाने मे आसानी होगी,"

अनु ने कहा, "में तो कहूँगी तुम भी कपड़े बदल लो."

"हां ये सही रहेगा," मेने भी खुश होते हुए कहा, "थोड़ी देर मे

मेरे कमरे मे मिलेंगे." कहकर में अपने कमरे की ओर बढ़ गयी

कपड़े बदलने के लिए.

"हां सूमी में आती हूँ.... लगता है हमे भी साथ साथ सोने की

आदत डालनी होगी," अनु ने कहा.

जब हम दोनो मेरे कमरे मे मिले तो मेने मोना और रीमा को अपने

कमरे मे बुलाया.

"हम दोनो तुम दोनो से कुछ पूछना चाहते हैं और हमे सच सच

जवाब चाहिए उसका." मेने कहा.

"दीदी हम वादा करते हैं कि सच सच जवाब देंगे." दोनो ने साथ

साथ कहा.

"क्या तुम दोनो कुँवारी हो? मेने पूछा.

थोड़ी देर तक दोनो हम दोनो के चेहरे की तरफ देखती रही फिर मोना

ने कहा, "नही दीदी हम कुँवारी नही हैं."

"तुम्हारी चूत किसने फाडी?" अनु ने पूछा.

"छोटे मालिकों ने" रीमा ने शरमाते हुए कहा.

"तुम्हारा मतलब है सुमित और अमित ने?" मेने पूछा.

दोनो ने अपनी गर्दन हां मे हिला दी.

"कब फाडी तुम दोनो की चूत" मेने अपनी जारी रखते हुए पूछा.

"आज से करीब आठ महीने पहले." मोना ने जवाब दिया.

"क्या उन दोनो ने तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती की थी," अनु ने पूछा.

"नही छोटे मालिक ने ऐसा कुछ नही किया था," रीमा ने तुरंत

कहा, "ये तो हमारी किस्मत थी कि बस हो गया."

"इसका क्या मतलब हुआ, हमे सब शुरू से बताओ की ये सब कैसे हुआ?"

मेने पूछा.

"दीदी बड़ी लंबी कहानी है." मोना ने कहा.

"कोई बात नही, बहोत समय है हमारे पास सब शुरू से बताओ?" अनु

ने कहा.

"दीदी शायद आपको मालूम होगा कि में और रीमा चचेरी बेहन है.

में रीमा से दो दिन बड़ी हूँ." मोना अपनी कहानी सुनाने

लगी, "हमारे विरोध करने के बावजूद हमारे पिताजी हमारे 18 वे

जनमदिन पर हमे बड़े मालिक के पास ले गये. उस दिन बड़े मालिक,

मालकिन, और चाचू कमरे मे मौजूद थे."

मेरे पिताजी भानु ने मालिक से कहा, "मालिक ये मेरी बेटी मोना है,

और ये दूसरी शामऊ की बेटी है."

"आज दोनो पूरे 18 की हो गयी हैं," शामऊ... रीमा की पिता ने कहा.

"मुबारक हो! बड़े मालिक ने कहा फिर चाचू की तरफ घूमते हुए

बोले, "चाचू हमारे मॅनेजर से कहो कि इन दोनो को कोई बढ़ियाँ सा

उपहार दे दें."

"नही मालिक," मेरे पिताजी ने कहा, "हम इन्हे कोई उपहार की लालच

मे यहाँ नही लाए है."

"फिर यहाँ क्यों आए हो? मालकिन ने कहा, "सीधे सीधे कहो और

हमारा समय मत बर्बाद करो?"

"जी मालकिन" शामऊ ने कहा, "ये हमारी हाथ जोड़ कर आपसे प्रार्थना

है की आप इन दोनो को अपनी सेवा मे ले लें."

मालिक हँसने लगे, "में मानता हूँ कि ये दोनो बहोत प्यारी हैं

लेकिन मेरे पास पहले से ही कई नौकरणीयाँ है मेरी देखभाल के

लिए."

"मालिक ये दोनो आपको बहोत सुख देंगी... .में सच कहता हूँ आज

तक किसी मर्द ने इन्हे छुआ तक नही है. इनकी मा मुझसे कहती है

कि इनका बदन इनके चेहरे से भी प्यारा है." मेरे पिताजी ने कहा.

"हां मालिक आप अपनी आँखों से देख ले," फिर शामऊ चाचा ने

हमारी ओर घूमते हुए कहा, "तुम दोनो अपने कपड़े उतार कर मालिक

को ज़रा अपना प्यारा बदन तो दीखाओ."

हम दोनो इस बात के लिए तय्यार नही थे, लेकिन बड़ों की आग्या तो

माननी ही थी इसलिए हम अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगे.

"नही नही कपड़े उतारने की ज़रूरत नही है," तभी मालिक ने

कहा, "शामऊ मुझे तुम्हारी बात पर विश्वास है."

"शक्रिया मालिक, जो आपने हमे सेवा का मौका दिया." मेरे पिताजी

मुस्कुराते हुए बोले.

"पर मेने ये नही कहा कि में इन्हे अपनी सेवा मे रख लूँगा."

मालिक ने कहा.

"प्लीज़ मालिक ना मत कहिएगा, हम बड़ी उमीद लेकर आपके पास आए

थे... अगर आप ना करेंगे तो हमारा दिल टूट जाएगा." कहकर

पिताजी और शामऊ चाचू दोनो मालिक के कदमों मे गिर पड़े.

"भानु और शामऊ मेरी बात ध्यान से सुनो... में पहले ही तुमसे कह

चुका हूँ...." मालिक कहने जा रहे थे लेकिन मालकिन ने उन्हे बीच

मे टोक दिया.

वो कहने लगी, "शमशेर इनका दिल मत तोडो और लड़कियो को अपनी सेवा

के मे रख लो. इनके शरीर से मज़ा लेने के बाद तुम दोनो को खेतों

मे काम करने के लिए भेज देना या फिर इन्हे किसी और के पास भेज

देना."

"हां ये ठीक रहेगा," मालिक ने कहा.

"हां मालिक ये दोनो आपकी जागीर है, जो आपका दिल करे इनके साथ

करें." पिताजी खुश होते हुए बोले, "आप इनके साथ मज़े करें, इन्हे

मारिए या इनकी चॅम्डी उधेड़ दें ये कुछ नही कहेंगी.. जो आपकी

मर्ज़ी हो सो करें."

"ठीक है, आज से ये दोनो लड़कियाँ मेरी सेवा मे रहेंगी." मालिक ने

कहा.

"शुक्रिया मालिक, बहोत बड़ा एहसान कर दिया अपने हम पर." शामऊ

चाचा मालिक के कदमो मे झुकते हुए बोले.

"क्या कहते हो चाचू" है ना दोनो बहोत प्यारी." मालिक ने हमारे

बदन को घूरते हुए कहा.

"तो भैया आपने क्या सोचा फिर इन दोनो के बारे मे?" चाचू ने बड़े

मालिक से पूछा.

"में भी वही सोच रहा हूँ." मालिक सोचने लगे, थोड़ी देर सोचने

के बाद बोले, "चाचू अगर आप इन्हे रखना चाहें तो रख सकते

हैं."

"भैया मेरे कहने का मतलब ये नही था." चाचू ने जवाब दिया.

"चाचू अगर मेरी याददाश्त सही है तो इन दोनो की मा की कुँवारी

चूत तुमने ही फाडी थी," मालिक अपनी आँखे मटकाते हुए बोले, "अब

तुम इन दोनो की भी कुँवारी चूत फाड़ दो फिर मा और बेटी दोनो को

साथ साथ चोदना बहोत मज़ा आएगा."

"हां आप सही कह रहे हैं लेकिन अब मेरी उमर नही रही कुँवारी

लड़कियों की चूत फाड़ने की, इनके लिए तो कोई जवान लड़के होने

चाहिए," चाचू ने कहा. "भैया ऐसा क्यों नही करते इन्हे अपने

दोनो जुड़वाँ बच्चो को दे दीजिए, अब वो बड़े हो गये हैं और उन्हे

भी पर्सनल नौकरानी चाहिए."

"सुझाव तो तुम्हारा बहोत अच्छा है, में भी यही सोच रहा था."

मालिक ने कहा, "मोना सुमित के पास जाएगी और रीमा अमित के पास.

शांति तुम आज से इन दोनो लड़कियों की ज़िम्मेदारी संभालॉगी जब तक

कि हमारे बच्चे वापस नही आ जाते. ध्यान रहे ये दोनो लड़कियाँ

कोई शैतानी ना करे? मालिक ने मालकिन से कहा.

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
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Re: मर्दों की दुनिया

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mardon ki duniya paart--4

"Sumit tumhe kahin galat fehmi hui hai, mein sach kehti hun ki

shaadi par mein kunwari thi, phir choot ki jhilli ki koi ahmiyat

thode hi hai, jhilli to kisi bhi wajah se fat sakti ha." meine kaha.

"Ho sakta ho ki tum sahi keh rahi ho... lekin chahe jo ho jaye choot

ek dam kasi hui rehti hai... tumhari choot jaise dheeli dhaali nahi

ho jaati." Sumit ne kaha.

"Amit mein bhi sach keh rahi hun mein bhi kunwari thi shaadi ke

samay, yaad hai tumhe jab tumne meri choot me pehli bar lund

ghoosaya tha to dard ke mare me kitna chillayi thi?" Anu bhi apne

bachav me holi.

"Haan meri jaab wo baat mein kaise bhool sakta hun, mein to bas yahi

kehna chahunga ki tum adakaara acchi ho par itni badi bhi nahi ki

mujhe bewkoof bana sako." Amit ne uski aur dekhte hue kaha.

Meine dekh ki ghabrahat ke mare Anu ke mathe par paseena aa raha

tha, mein bhagwan se prarthna karne lagi ki kahin Anu apna santulan

na kho baithe jis tarah usne hamari didi ke samne kho diya tha jab

didi ne iljaam lgaaya tha hum par ki humne jija logon se chudwaya

hai.

"Sumit please vishwaas karo mein kunwari thi...." meine phir se apni

baat dohrai.

"Tum dono hamari baat dhyaan se suno... hum dono bewkoof nahi hai.."

Sumit ne kaha, shaadi se pehle hamne kai ladkiyon ko choda hai aur

usme se kai kunwari ladkiyan bhi thi isliye hame maalum hai ki

kunwari ladki ko chodne me kaisa mehsus hota hai."

"Haan kunwari lakiyn ki choot kfi kasi hui hoti hai tumhari choot

jaise dheeli nahi. Iska matlab hai ki tum dono ne shaadi se pehle

kafi chudwaya hai, sahi keh raha hun na bhai." Amit ne kaha.

"Haan tum sahi keh rahe ho." Sumit ne kaha, "isliye accha hoga ki

tum dono hame sab kuch sach sach bata do."

Anu to dar ke mare rone lagi. Mujhe laga k Anu kuch kehne jaa rahi

hai isliye meine use rokne ki koshish ki.."Anu please kuch mat...."

lekin Anu ne meri baat suni nahi.

"Sumi mein aaj ke din se dar rahi thi." Aansu tar tar uski aankhon

se beh rahe the, "mujhe maalim tha ki ek din inhe pata chal jayega

ki hum dono kunwari nahi hai aur shaadi se pehle chudwa chuki hai."

"Achi ladki ho." kehkar Amit ne pani jeb se umaal nikal kar Anu ko

pakda dee, "ab hame saaf saaf batao ki tumhari kunwari choot kisne

phaadi aur tumne shaadi se pehle kis kisse chudwaya ha.'

Anu un dono ko sab kuch batane jaa hi rahi thi ki meine use eech me

hi tok diya ki pata nahi ki maujada halaat me wo kya kya bak jaye.

"Anu mujhe batane do," kehkar mein Amit aur Sumit ko sab kuch batane

lagi shuru se, sirf chuttiyon mein jo hamne didi ke sath kiya tha wo

nahi bataya.

"Accha to hamare jija logoon ne tumhari choot phaadne ka mazaa liya

hai" Sumit ne pucha.

Ham dono ne apni gardan haan me hila dee.

"Unhone tumhari gaand bhi mari hogi?" Amit ne pucha.

Humne phir haan me gardan hila dee.

"Tum dono ne unka lauda bhi choosa hoga? Amit ne phir pucha.

Hamne phir haan keh diya.

"Accha hai ki tum dono ne hame sab kuch sach sach bata diya."

"Jab hmne tumhe bata hi diya hai to phir itna kyon baat ko badha

rahe ho? Anu ne pucha. "Hamne to tum dono se kuch bhi nahi kaha ki

tum dono ne shaadi se pehle itni ladkiyon ko choda hai is vishay

par."

"Mer Raaani... tum ye bhool rahi hai ki ye MARDON KI DUNIYA HAI...."

Amit ne hanste hue kaha, "haan agar tum janna chaho to hum tumhe

bata sakte hai, lekin list jara lambi hai isliye time lagega ka

batane me."

"Nahi rehne do.. hame koi interest nahi hai." meine kaha, "ab jab ki

tum dono sachai jan hi chuke ho to tum dono ka kya irada hai?"

"Haan hame pehle ye batao kya ab tum dno hame talaq dena chahte ho?"

Anu thoda nervous hote hue boli.

"Abhi hum kuch keh nahi sakte, hum dono is vishay par baat karke tum

dono ko khane par jab hum ghar aayenge tab bata denge."

"Sumi mujhe maaf kar dena," Anu jor jor se rote hue boli, "pata nahi

mujhe kya ho jata hai."

Meine use apne gale se laga liya aur use kuch der tak rone diya.

"Anu meri behan please royo mat ye tumhari galti nahi thi," meine

use santwana dete hue kaha, "Agar meine dhoke se us din tumhari

choot nahi phadwayi hoti to kam se kam aaj tum to kunwari hoti."

"Ohhhh Sumi," phir hum dnono ek doosre ki bahon me kuch der tak rote

rahe.

"Ye hamara samajh accha nahi hai," achanak Anu ne apne aap ko mujhse

alag karte hue kaha, "ek mard shaadi se pehle chahe hazaar ladkiyon

kochode unhe koi kuch nahi kehta, lekin agar ladki shaadi se pehle

kisi se chudwa le to uska jina haram kar dete hai."

"Ye jindagi hai Anu, "meine usse kaha, "jaise Amit ne kaha ki ye

MARDON KI DUNIYA HAI, yahan mard niyam banata hai aur aurton ko unhe

nibhana padta hai.

"Sumi ab ham kya karenge?" Anu ne pucha, "agar hamare maa pita ko

pata chal gaya to wo to hame jaan se hi maar denge."

"Chinta mat karo jo hoga accha hi hoga," meine jawab diya, "phele

hame ye to pata chale ki wo dono ab karna kya chahte hai?"

"Sumi mujhe bahot khushi hai ki tum mere sath ho? Anu mujhe gale

lagate hue boli.

"Saheliyan hoti hi isliye hai?" meine bhi use gale laga liya.

Dopahar ko khane ke waqt Amit aur Sumit ghar par aaye. Bina kisi se

koi baat kiye hum sabhi ne sath sth khana khaya. Khaane ke bad Anu

apne aap ko rok na saki, "To kya soch hai tum dono ne?" Anu ne Amit

se pucha.

"Yahi ki filhal to hum tum dono ko talaq nahi denge." Amit ne hanste

hue kaha.

"Shukra hai bhagwaan ka." Anu ek gehri saans lete hue boli.

"Abhi hamari baat khatam nahi hui hai.' Amit na kaha. "Hum talaq

tabhi nahi denge jab tum dono hamare do shartein puri kar doge?"

"Kaisi shartein?" meine pucha.

"Pehli shart to ye hai ki hum dono tum dono ki behno ko chodenge."

Amit na kha.

"Kya kaha? aap hamari behno ko chodna chate ho?" meine chaunkte hue

kaha.

"Kya hum aisa nahi kar sakte? Are jab tumhare jija log hamari

biwiyon ko chod sakte hai to kya hum unki biwiyon ko nahi chod

sakte?" Amit ne kaha.

"Aur doosri shart kya hai? meine pucha.

"Doosri shart ke bare me mein tum dono ko samjhata hun," Sumit ne

kaha, "Hamare samaj mein jab kisi ladki ki shaadi hoti hai to use

umeed hoti hai ki suhagraat ki raat use kunwari choot chdne ko

milegi, lekin aisa hamare sath to hua nahi, hamne choot chodi lekin

chudi chudai. Tum dono ki choot to pehle hi hamare aadarniya jija

log phad chuke the, isliye hamari doosri shart ye hai unhe hum dono

ke liye kisi kunwari choot ka intezam karna hoga."

"Ab ye to koi shart nahi hui," meine jawab diya, "pehli baat to wo

kunwari choot ka intezaam kahan se karenge, aur agar koi ladki unki

nazar me hogi bhi to wo use tayyar kaise karenge?"

"Mein tumhari baat ko samajhta hun," Sumit ne kaha, "lekin ye unki

samasya hai, aur iska hal bhi unhe hi dhoondna padega."

"Amit kuch to samajhdari ki baat karo? Jijaaji tumhari pasand ki

kunwari choot kahan se dhundhenge? Anu ne kaha.

"Hamari koi khaas pasand nahi hai. Wo koi bhi ho sakti hai, koi

rishtedar, saheli koi bhi, ya phir ghar ki koi naukarani par haan

uski choot ek dam seal pack honi chahiye." Amit ne hanste hue kaha.

Amit ka ye kehna tha ki naukraniyan bhi chlaegi mere deemag me

turant ek khayal aaya, "Agar mein tum dono ke liye kunwari choot ka

intezam kar doon to? meine pucha.

"Chahe koi bhi intezam kare, hame kya farak padta hai, bas hamara to

badla pura hona chaiye, hath ke badle hath aankh ke badle aankh aur

choot ke badle chot " Amit ne kaha.

"Agar aisi baat hai to tum dono Mona aur Reema ko chod do, unki

choot bhi abhi tak kunwari hai." meine khush hote hue kaha.

HA! HA! HA! dono joron se hansne lage.

Tum ye kehna chahti ho ki hum Mona aur Reema ki choot choden aur tum

ye samajhti ho ki unki choot kori hai." Amit aur Sumit dono hanste

hue bole.

"Haan mein yahi kehna chahti hoon, mujhe pakka vishwas hai ki dono

ki choot ek dam kori hai." Anu thoda chintit swar me boli.

"Meri jaan tumse shaadi hone ke kai mahine pehle hum dno unki

kunwari choot phad chuke hai." Sumit hanste hue bola.

"Ho nahi sakta? mein tumhari baat par vishwas nahi karti." meine

kaha.

"Agar vishwaas na ho to tum khud unhi se pooch lo? wo bhi yahi

kahengi." Amit abhi bhi hans raha tha.

"Mein abhi puchtti hoon." meine kaha.

"Thik hai deviyon tum dono unse puchte rehna aur hum chale office

hame kaam hai." Sumit ne kaha, "haan ek aur baat jab tak hamari

shartein puri nahi hoti ham alag alag kamre me soyenge, tumd dono

mere kamre me sovogi, aur mein aur

Amit uske kamre me."

"Tum dono aisa nahi kar sakte, ab ye to jyaadti hai." Anu lagbhag

chillate hue boli.

"Agar tum dono hamare sath nahi sovoge to phir raat me chodoge

kisi?" meine pucha.

"Kisi kya Mona aur Reema hai na chodne ke liye." Sumit muskurate hue

bola.

"Hamari naukraniyon ko chodoge, kya hamari ijjat ki koi parvah nahi

hai?" Anu ne shikayat karte hue kaha.

"Ab kya karen in sabke jimmedar tum log ho?" kehkar wo dono office

chale gaye.

"Hey bhagwan wo dono haramzadiyan deekhen me to kitni maasoom aur

bholi lagti hai." Anu ne gusse me kaha, "mujhe to vishwas nahi ho

raha hai ki hamari peeth peeche wo dono hamare pati se chudwaingi."

"Anu hamare patiyon ko dosh dene se pehle un dono se puch to len?"

meien Anu se kaha.

"Sumi mere man me ek baat aayi hai." Anu mere kan me dheere se

boli, "agar ye dono kutiya hamare pati ko khush kar sakti hia to

kyon na hum bhi unke sath maza karen?"

"Tumhara matlab hai ki unse apni choot chooswayen?" meine pucha.

"Aur kya kar sakt hai, jab tak hamare pati dev ki shartein puri nahi

hoti hame to bina lund ke rehna padega na... to kyon na unki jeeb ka

hi mazaa uthaya jaye." Anu ne kaha.

"Aur agar un dono ne mana kar diya to? Meine kaha.

"Ek to wo mana karengi hi nahi... aur agar kiya to hum unhe dhamka

denge ki hum mummyji se keh denge ki inhone hamara hukum nahi

mana."" Anu ne kaha.

"Haan wo dono mummyji se pehle se hi kafi darti hain, aur ye dar

unhe majboor karega wo sab karne ke liye jo ham kahenge." Meine

kaha.

"Sath hi hum apne purane sapne ko pura karene ki koshish karenge....

yaad hai shaadi ke pehle wo footbaal eam wali baat." Anu ne tali

bajate hue kaha.

"Anu tumhara jawab nahi." meine use gale lagate hue kaha.

"Chalo pehle pata kar lete hain ki hamare pati sach bol rahe hain ki

nahi." Anu ne kaha.

"Haan chalo hum unse hamare kame me le jaakar puchenge." miene kaha.

"Haan lekin pehle mujhe apna night gown pehan lene do jisse agar sab

kuch hamari soch anusar hua to mujhe choot choswane me aasani hogi,"

Anu ne kaha, "mein to kahungi tum bhi kapde badal lo."

"Haan ye sahi rahega," meine bhi khush hote hue kaha, "thodi der me

mere kamre me milenge." kehkar mein apne kamre ki aur badh gayi

kapde badalne ke liye.

"Haan Sumi mein aati hun.... lagta hai hame bhi sath sath sone ki

aadat daalni hogi," Anu ne kaha.

Jab hum dono mere kamre me mile to meine Mona aur Reema ko apne

kamre me bulaya.

"Hum dono tum dono se kuch puchna chahte hain aur hame sach sach

jawab chahiye uska." meine kaha.

"Didi hum wada karte hain ki sach sach jawab denge." dono ne sat

sath kaha.

"Kya tum dono kunwari ho? meine pucha.

Thodi der tak dono hum dono ke chehre ki taraf dekhti rahi phir Mona

ne kaha, "Nahi didi hum kunwari nahi hain."

"Tumhari choot kisne phadi?" Anu ne pucha.

"Chote maalikon ne" Reema ne sharmate hue kaha.

"Tumhara matlab hai Sumit aur Amit ne?" meine pucha.

Dono ne apni gardan haan me hila di.

"Kab phadi tum dono ki choot" meine apni jaari rakhte hue pucha.

"Aaj se kareeb aath mahine pehle." Mona e jawab diya.

"Kya un dono ne tumhare sath jabardasti kee thi," Anu ne pucha.

"Nahi chote maalik ne aisa kuch nahi kiya tha," Reema ne turant

kaha, "ye to hamari kismat thi ki bas ho gaya."

"Iska kya matlab hua, hame sab shuru se batao ki ye sab kaise hua?"

meine pucha.

"Didi badi lambi kahani hai." Mona ne kaha.

"Koi baat nahi, bahot samay hai hamare paas sab shuru se batao?" Anu

ne kaha.

"Didi shayad aapko maalum hoga ki mein aur Reema chacheri behan hai.

Mein Reema se do din badi hun." Mona apni kahani sunane

lagi, "Hamare virodh karne ke bavjood hamare pitaji hamare 18 ve

janamdin par hame bade maalik ke paas le gaye. Us din bade maalik,

maalkin, aur chachu kamre me maujood the."

Mere pitaji Bhanu ne maalik se kaha, "maalik ye meri beti Mona hai,

aur ye doosri Shamu ki beti hai."

"Aaj dono pure 18 ki ho gayi hain," Shamu... Reema ki pita ne kaha.

"Mubarak ho! bade maalik ne kaha phir chachu ki taraf ghoomte hue

bole, "chachu hamare manager se kaho ki in dono ko koi badhiyan sa

uphaar de den."

"Nahi maalik," mere pitaji ne kaha, "ham inhe koi upahar ki laalach

me yahan nahi laaye hai."

"Phir yaahn kyon aaye ho? malkin ne kaha, "seedhe seedhe kaho aur

hamara samay mat barbad karo?"

"Jee malkin" Shamu ne kaha, "ye hamari haath jod kar aapse prarthna

hai ki aap in dono ko apni seva me le len."

Maalik hansne lage, "mein mana hun ki ye dono bahot pyaari hain

lekin mere pas pehle se hi kai naukraniyan hai meri dekhbhal ke

liye."

"Maalik ye dono aapko bahot uskh dengi... .mein sach kehta hun aaj

tak kisi mard ne inhe chua tak nahi hai. Inki maa mujhse kehti hai

ki inka badan inke chehre se bhi pyaara hai." mere pitaji ne kaha.

"Haan maalik aap apni aankhon se dekh le," phir Shamu chacha ne

hamari aur ghoomte hue kaha, "tum dono apne kapde uttar kar maalik

ko jara apna pyaara badan to deekhao."

Hum dono is baat ke liye tayyar nahi the, lekin badon ki agya to

manni hi thi isliye hum apne blouse ke button kholne lage.

"Nahi nahi kapde uttarne ki jaroorat nahi hai," tabhi maalik ne

kaha, "Shamu mujhe tumhari baat par vishwaas hai."

"Shikriya maalik, jo aapne hame seva ka mauka diya." mere pitaji

muskurate hue bole.

"Par meine ye nahi kaha ki mein inhe apni seva me rakh loonga."

maalik ne kaha.

"Please maalik naa mat kahiyega, hum badi umeed lekar apke paas aaye

the... agar aap naa karenge to hamara dil toot jayega." kehkar

pitaji aur Shamu chachu dono maalik ke kadmon me gir pade.

"Bhanu aur Shamu meri baat dhyaan se suno... mein phele hi tumse keh

chuka hun...." maalik kehne jaa rahe the lekin maalkin ne unhe beech

me tok diya.

Wo kehne lagi, "Shamsher inka dil mat todo aur lakdiyon ko apni sewa

ke iye rakh lo. Inke sharir se mazaa lene ke bad tum dono ko kheton

me kaam karne ke liye bhej dena ya phri inhe kisi aur ke paas bhej

dena."

"Haan ye thik rahega," maalik ne kaha.

"Haan maalik ye dono aapki jaagir hai, jo aapka dil kare inke sath

karen." pitaji khush hote hue bole, "aap inke sath maze karen, inhe

mariye ya inki chamdi udhed den ye kuch nahi kahengi.. jo aapki

marzi ho so karen."

"Thik hai, aaj se ye dono ladkiyan meri ewa me rahengi." maalik ne

kaha.

"Shukriya maalik, bahot bada ehsan kar diya apne hum par." Shamu

chacha maalik ke kadmo me jhukte hue bole.

"Kya kehte ho chachu" hai na dono bahot pyaari." Maalik ne hamare

badan ko ghoorte hue kaha.

"To bhaiya aapne kya socha phir in dono ke bare me?" Chchu ne bade

maalik se pucha.

"Mein bhi wahi soch raha hun." maalik sochne lage, thodi der sochne

ke bad bole, "chachu agar aap inhe rakhna chahen to rakh sakte

hain."

"Bhaiya mere kehne ka matlab ye nahi tha." chachu ne jawab diya.

"Chachu agar meri yaaddasht sahi hai to in dono ki maa ki kunwari

choot tumne hi phadi thi," maalik apni aankhe matkate hue bole, "ab

tum in dono ki bhi kunwari choot phad do phir maa aur beti dono ko

sath sath chodna bahot mazaa ayega."

"Haan aap sahi keh rahe hain lekin ab meri umar nahi rahi kunwari

ladkiyon ki choot phaadne ki, inke liye to koi jawan ladke hone

chahiye," chachu ne kaha. "bhaiya aisa kyon nahi karte inhe apne

dono judwan bacchon ko de dijiye, ab wo bade ho gaye hain aur unhe

bhi personal naukarani chahiye."

"Sujhav to tumhara bahot accha hai, mein bhi yahi soch raha tha."

maalik ne kaha, "Mona Sumit ke paas jayegi aur Reema Amit ke paas.

Shanti tum aaj se in dono ladkiyon ki jimmedari sambhalogi jab tak

ki hamare bacche wapas nahi aa jate. Dhyaan rahe ye dono ladkiyan

koi shaitani na kare? Maalik ne maalkin se kaha.

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: मर्दों की दुनिया

Post by rajsharma »

मर्दों की दुनिया पार्ट--5


गतांक से आगे........................

"आप एक दम बेफिक्र रहें, कोई मर्द इनके पास भी नही फटक
पाएगा," मालकिन ने कहा, "अब तुम दोनो जाकर मेरे कमरे मे मेरा
इंतेज़ार करो, तब तक में दोनो बच्चो को जाकर खुश खबरी
सुनाती हूँ."

"नही शांति उन्हे कुछ ना बताना वरना दोनो काम धंधा छोड़ कर
यहाँ भाग कर आ जाएँगे." मालिक ने हंसते हुए कहा.

करीब दो घंटे बाद मालिकिन हमारे पास आई.

"तो तुम दोनो मीना और उमा की बेटियाँ हो. बहुत सुंदर हो." मालिकिन
हमे घूरते हुए बोली.

मालिकिन के प्रभाव से हम इतना डरे हुए थे कि हम अपनी गर्दन भी
नही हिला पा रहे थे.

"अपने कपड़े उतारो? में भी देखूं की तुम दोनो ने कपड़े के नीचे
क्या छुपा रखा है? मालकिन ने कहा.

हम दोनो तो बुत बने खड़े रहे लेकिन जानते थे कि मालकिन का हुकुम
ना मानने पर सज़ा भी तगड़ी मिलती है इसलिए हम जल्दी जल्दी अपने
कपड़े उतार कर नंगी हो गयी.

"अति सुंदर, तुम्हारी चुचियाँ तो बड़ी प्यारी है," मालकिन हमारी
चुचियों को मसल कर और निपल को भींचते हुए बोली, "और कसी
कसी भी है बहोत अच्छा"

हम दोनो शर्मा गयी लेकिन चुप चाप खड़ी रहीं.

"तुम्हारी झाँते क्या हुई? वो हमारी सफ़ा चट चूत पर उंगली गढ़ाते
हुए बोली.

हम दोनो कुछ नही बोली.

"जवाब दो में इंतेज़ार कर रही हूँ तुम्हारे इंतेज़ार का." वो
मुस्कुराते हुए बोली.

"वो क्या है मालकिन आज सुबह हमारी मा ने इन्हे सॉफ कर दिया." रीमा
ने जवाब दिया.

"तुम्हारी मा काफ़ी समझदार है. उन्हे पता है कि मर्द को कैसे
रिझाया जाता है" मालकिन ने कहा, "हमेशा ऐसे ही अपनी चूत को
सफ़ा चट रखना ... समझी."

"जी मालकिन" हमने जवाब दिया.

"तुम्हे किसी ने आज तक चोदा तो नही है ना? मालकिन ने हमारी चूत
मे उंगली घूसाते हुए कहा.

"नही मालकिन हमारी चूत बिल्कुल कोरी है." हम दोनो ने जवाब दिया.

"बहुत अच्छी बात है" कहकर वो घूम कर हमारे पीछे आ गयी
और हमारे चूतड़ को हाथ मे पकड़ कर बोली, "तुम दोनो की गंद भी
काफ़ी भारी और गोल गोल है, मेरे लड़कों को बहोत पसंद आएगी."

फिर अचानक हमारी चूत की पंखुड़ी को अपनी उंगली और अंगूठे से
भेंचती हुई बोली, "तुम्हे मालूम है मेरे बेटे तुम्हारे साथ क्या
करेंगे?

"दीदी मैं बीच मे एक बात बताना चाहती हू कि जिस तरह उन्होने
हमारी चूत को छुआ था और कोई दिन होता तो शायद हमारी चूत
गीली हो गयी होती लेकिन उनके डर की वजह से हमारी चूत तो एक दम
सुखी ही रही." रीमा मोना के बात के बीच मे बोली.

"आछा हुआ तुमने खुद बता दिया वरना में तुम्हे पूछने ही वाली थी,
फिर क्या हुआ." मेने कहा.

"हमे पता था कि उनके बेटे हमारी चूत के साथ क्या करेंगे लेकिन
डर की वजह से हम कुछ कह नही पाए."

"वो तुम्हारी चूत फाड़ेंगे और फिर चोदेन्गे. हो सकता है वो
तुम्हारी गंद भी मारेंगे." मालकिन हंसते हुए बोली.

"वो हमारी चूत फाड़ेंगे और हमे चोदेन्गे ये तो हम जानते थे
लेकिन गंद मारने की बात से हम डर गये थे. " मोना ने कहा.

"इसमे डरने वाली कोई बात नही है," शायद उन्होने हमारे दिल की
बात पढ़ ली थी. "शुरू मे तो दर्द होता ही है चूत हो या गांद
हाँ बाद मे बहोत मज़ा आता है, तुम दोनो को भी मज़ा आएगा."

"हां मालकिन" हमने धीरे से कहा.

"दोनो मेरी बात ध्यान से सुनो... जितनी मर्ज़ो उतना छुड़वाना, बहोत
मज़े लेना लेकिन एक बात का ध्यान रहे अगर तुम मे से कोई गर्भवती
हो गयी तो मुझसे बुरा कोई नही होगा." मालकिन ने कहा.

"हमारी समझ मे नही आया कि हम क्या कहें? "मालकिन अगर वो हमे
चोदेन्गे तो बच्चा तो होगा ही." रीमा ने मासूमियत से कहा.

"ज़रूरी नही है." मालकिन ने कहा, "ये मर्दों की दुनिया है, मर्द
को सिर्फ़ अपनी खुशी और मज़े से मतलब है, उसे अंजाम से कोई मतलब
नही, अगर औरत चाहे तो हर अंजाम से बच सकती है."

"हमारी समझ मे नही आ रहा था हम कैसे इस अंजाम से बच सकते
है कैसे हम..... " तभी मालकिन बीच मे बोल पड़ी.

"ये लो." फिर उन्हने हमारे हाथ मे गोलियों की दो शीशी पकड़ा
दी, "ये गोलिया लेबल पर लीखे अनुसार बराबर लेती रहना तो गर्भ
नही ठहरेगा, अगर तुम गर्भवती हो गयी तो में समझ जाउन्गि की
तुम दोनो ने मेरा कहना नही माना फिर क्या सज़ा मिलेगी ये तुम अच्छी
तरह से जानती हो?

हम उनके गुस्से और उनकी सज़ा को भी जानते थे इसलिए उनसे वादा किया
कि हम पूरा ख़याल रखेंगे फिर उन्होने ने हमारी मा को बुला भेजा.

जब हमारी मा आ गयी तो उन्होने उनसे कहा, "मीना और उमा आज से
मोना और रीमा हमारी सेवा मे हैं ये लोग सुबह 6.00 बजे काम पर
आएँगी और शाम को 6.00 बजे तक रहेंगी. तुम दोनो की ज़िम्मेदारी
है कि इन्हे टाइम पर यहाँ छोड़ कर जाओ और तीमने पर यहाँ से ले
जाओ. घर के पहुँचने के बाद ये दोनो तुम्हारी नज़रों से ओझल नही
होनी चाहिए, और रात मे तुम इनके साथ सोवॉगी... समझी तुम?"

"जी मालकिन" हमारी मम्मी ने कहा.

करीब डेढ़ महीने के बाद दोनो छोटे मालिक घर आए. रात के
खाने के बाद मालिकिन हमे उनके कमरे मे ले गयी. दोनो मालिक खाली
पयज़ामा पहने हुए थे और सोने की तय्यारी कर रहे थे.

"बच्चो देखो तुम्हारे पिताजी ने तुम दोनो के लिए उपहार भेजा
है, सुमित आज से मोना तुम्हारी पर्सनल नौकरानी होगी और रीमा
अमित की." उन्होने कहा फिर हमसे बोली, "आज ये तुम्हारे मालिक है,
देखना इन्हे कोई शिकायत का मौका नही देना और जो ये कहे वैसे ही
करना."

"जी मालिकिन" हम दोनो ने धीरे से कहा.

"अगर इनका इनाम चाहिए तो देखना कि इन्हे कोई शिक्यायत ना हो?
मालकिन ने आख मारते हुए कहा.

हमे पता था कि आज हमारी चुदाई होने वाली है. इस ख़याल से ही
हमारी चूत गीली हो गयी थी और शरीर मे एक मीठी सी लहर दौड़
रही थी.

"दोनो ने हमे उपर से नीचे तक घूरा फिर बोल पड़े, "मम्मी आप
चिंता मत करें" अमित मुस्कुराते हुए बोला, "हम इनका पूरा ख़याल
रखेंगे और इस जनम मे तो क्या ये अगले जनम मे भी हमारा हुकुम
मानेंगी..क्या कहते हो भैया?"

"हान मम्मी, ये वादा है हमारा आपसे." सुमित ने मुस्कराते हुए
कहा.

"गुड नाइट और नही की पूरी रात जागते रहो, थोड़ा सोने की भी
कोशिश करना." ये कहकर मालिकिन वहाँ से चली गयी.

अगले दस मिनिट तक दोनो भाई सिर्फ़ हमे निहारते रहे, "ओह अमित ये
दोनो कितनी प्यारी है." सुमित सर ने कहा.

'हां प्यारी तो हैं" अमित सर ने कहा, "लेकिन पहले ये तो देख लें
कि सारी के पीछे क्या छुपा है? लड़कियों अपने कपड़े उतारो."

हमे पता था कि हमने क्या छुपा रखा है और हमने कपड़े उतार
दिए. हम दोनो खुश थे कि उन दो बुद्धों की जगह हम दो नौजवानो
के साथ थे.

"अमित देखो तो कितनी तय्यारी के साथ आई हैं दोनो, इन्होने तो अपनी
झाँते भी सॉफ कर रखी है,सीमित सर ने कहा, "लगता है कि इनके
साथ काफ़ी मज़ा आएगा."

"हां वो तो है, लेकिन इन्हे भी देख लेना चाहिए कि हम इनका ख़याल
किस चीज़ से रखेंगे." अमित ने हंसते हुए कहा.

फिर दोनो मालिक ने अपने पयज़ामा नीचे खिसका दिए और अपने खड़े
लंड को बाहर निकाल लिया. हमने पहले कई बार लड़कों को नंगा देखा
था, लेकिन किसी मर्द का लंड पहली बार देख रहे थे. इतने बड़ा और
मोटा लंड देख कर में सोचने लगी कि ये मेरी इतनी छोटी सी चूत
मे घुसेगा कैसे.

"आओ मोना यहाँ मेरे पास आओ." सुमित सर ने कहा और अपनी बाँहे मेरी
कमर मे डाल मुझे अपने पास खींच लिया और मेरी चुचियों को
मसल्ते हुए मुझे बिस्तर पर ले गये.

जब हम चारों पलंग पर थे तब सुमित सर ने कहा, "अमित मुझे तो
मोना ज़्यादा कसी हुई लगती है."

"ये तो देखना अभी बाकी है, सुमित क्यों ना हम साथ साथ इन दोनो की
चूत का उधघाटन करें" अमित सर ने कहा.

"हां ये ठीक रहेगा, तीन की गिनती पर किला फ़तेह होना चाहिए."
सुमित सर ने कहा.

हमारी समझ मे नही आ रहा था कि वो क्या कह रहे है लेकिन थोड़ी
ही देर मे हम समझ गये.

"एक" सुमित सर ने कहा और वो दोनो हमारे उपर आ गये.

"दो" अमित सर ने कहा और दोनो हमारी टाँगों को फैला अपने लंड
हमारी चूत के द्वार पर रख दिए.

"अमित क्या तुम तय्यार हो? तीन" सुमित सर ने कहा और दोनो ने ज़ोर का
धक्का मार अपने लंड को हमारी चूत मे घुसा दिया. हम दोनो तो दर्द
के मारे जोरों से चिल्ला पड़ी और उनका लंड हमारी झिल्ली को फाड़ता
हुआ चूत के गहराई तक घुस गया.

जब वो हमे एक बार चोद चुके तो अमित सर ने कहा, "सुमित मुझे तो
लगता है कि रीमा की चूत ज़्यादा कसी हुई है."

"वो अभी पता कर लेते है," कहकर सुमित सर ने हमे जगह बदली
करने को कहा, उस रात दोनो ने ने हमे चार बार चोदा और आखरी मे
हमारी गंद भी मार दी.

"क्या तुम दोनो को चुदवाने मे मज़ा आया?" अनु ने मोना से पूछा.

"ओह्ह्ह दीदी बता नही सकती, बहोत मज़ा आया ऐसा लगा कि हम जन्नत
के सैर कर रहे है. हम तो और चुदना चाहते थे लेकिन चोथी
चुदाई के बाद दोनो मालिक थक कर सो गये." रीमा ने कहा.

"तुम दोनो मे से उन्हे किस की चूत ज़्यादा कसी हुई लगी? मैने उत्सुकता
वश पूछा.

"हमे नही पता क्यों कि दोनो कुछ बोले ही नही इस विषय पर," रीमा
ने कहा, "मुझे तो लगता है कि बस वो हम दोनो को चोदना चाहते थे
इसलिए ऐसा कहा था."

"हां मुझे भी ऐसा ही लगता है." मेने हंसते हुए कहा,"फिर उसके
आगे क्या हुआ?

"सुबह दोनो ने हमे एक एक बार और चोदा."

"हमे कुछ ज़रूरी काम है इसलिए हम बाहर जा रहे है और खाने
के वक़्त लौटेंगे लेकिन तुम दोनो यहीं हमारे कमरे मे रहना." अमित
सर ने कहा और वो बाहर जाने के लिए तय्यार होने लगे.

"पर छोटे मालिक हम दोनो को नहाना भी है और नये कपड़े भी पहनने
है." रीमा ने कहा.

"जहाँ तक नहाने का सवाल है, तुम दोनो हमारे बाथरूम मे नहा
सकते हो और कपड़ों की तुम्हे कोई ज़रूरत नही है, इसलिए जैसे हो
वैसे ही रहना हमारे आने तक." सुमित सर हंसते हुए बोले.

उनके जाने के बात हमने कमरे की सफ़ाई की और हमारे खून से भरी
चादर को पलंग पर से बदल दिया. फिर नहाने के बाद उनके आने
तक हम टी.वी देखते रहे."

"ये हुई ना बात." अमित सर ने कमरे मे आते हुए कहा.

"क्या तुम दोनो को भूक लगी है?" सुमित सर ने पूछा.

"हमने अपनी गर्दन हां मे हिला दी, हमने सुबह से एक कप चाइ और दो
बिस्कट के अलावा कुछ नही खाया था."

"हमने खाने के लिए कह दिया, महाराज आधे घंटे मे खाना दे
जाएगा.," सुमित सर ने कहा, "लेकिन तब तक हम तुम दोनो कुछ देंगे
जिससे तुम्हे भूक ना लगे, क्यों भाई सही बोल रहा हूँ ना."

"अब तुम दोनो नीचे घुटनो के बल बैठ जाओ, वहाँ नही यहाँ हमारी
टांगो के बीच." अमित सर ने कहा, और दोनो पलंग पर बैठ गये
और अपनी टाँगे फैला दी. जब हम उनकी टॅंगो के बीच नीचे घुटनो
के बल बैठ गये तो उन्होने अपने लंड अपनी पॅंट से बाहर निकाल लिए.

"अब हमारे लंड को अपने मुँह लेकर चूसो," अमित सर ने कहा.

हम दोनो उनके लंड को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगे, और उन्होने
अपना पानी हमारे मुँह मे छोड़ दिया, "इसे थूकना नही बल्कि पी जाओ."
सुमित सर ने कहा और हम उनकी अग्या मानते हुए उनके लंड का पानी पी
गये.

पूरे एक साप्ताह तक उन दोनो ने हमे अपने कमरे मे ही रखा, एक
साप्ताह तक हमने कपड़े नही पहने और नंगी ही रही उनके साथ. जब
भी जैसे भी दोनो का मन करता वो हमे चोद्ते. हमे कोई चीज़ की
ज़रूरत होती तो हमे कमरे मे ही मिल जाती. वो तो बड़े मालिक ने एक
दिन उन्हे डांटा तब वो सहर वापस चले गये.

"ये हमारे कहानी है." मोना ने कहा.

"क्या ये दोनो अब भी तुम दोनो को चोद्ते है?" अनु ने पूछा.

"जिस दिन से दोनो मालिक की आप दोनो से सगाई हुई उस दिन से आज तक
उन्होने हमे छुआ भी नही है." रीमा ने कहा.

"फिर तो इतने महीने से बिना चुदे तुम दोनो की चूत बहोत खुज़ला
रही होगी.... और तुम्हारी चुदाई की इच्छा भी बहोत हो रही होगी."
मैने कहा.

"हां हो तो रही है.." मोना ने कहा.

"और किस किस ने तुम दोनो को चोदा है?" अनु ने पूछा.

"दोनो छोटे मालिक के अलावा हमे किसी ने छुआ तक नही है, और ये
सच है." मोना ने कहा.

"हमे तुम दोनो की बातों पर विश्वास है, अगर वो तुम दोनो को फिर
से चोदना चाहे तो तुम दोनो क्या करोगी?" मेने पूछा.

"जब तक आप हुकुम नही देंगी हम उनसे नही चुदवायेन्गी." रीमा ने
कहा.

"तुम ये कहना चाहती हो की तीन महीने से तुम दोनो ने चुदवाया नही
है फिर भी तुम उन्हे चोदने से मना कर दोगि.... बिना चुदे तुम
रहती कैसे हो? अनु ने पूछा.

"ज़रूर ये एक दूसरे की चूत चूस्ति होंगी और चूत मे उंगल करती
होंगी." मेने कहा.

"दीदी आप भी ना कुछ भी कहती है, हमने आज तक अपनी जिंदगी मे
किसी की चूत नही चूसी." मोना ने कहा.

"फिर तो लगता है कि तुम दोनो को चूत चूसना सीखना ही पड़ेगा."
अनु हंसते हुए बोली.

"क्या हमारी चूत चूसोगी?" मेने पूछा. में सोच रही थी कि
पता नही ये दोनो क्या कहेंगी. लेकिन उनका जवाब सुनकर में चौंक
भी पड़ी और खुस भी हो गयी.

"दीदी अगर आप आग्या देंगी तो क्यों नही चूसेंगे." रीमा ने कहा.

"हां हम अग्या दे रहे हैं." अनु खुशी से उछलती हुई बोली. फिर
वो पलंग पर लेट गयी और अपनी नाइटी उठाते हुए बोली, रीमा तुम
मेरी चूत चूसो."

"मोना तुम मेरी चूत चूसो" मेने अपनी चूत को खोलेते हुए कहा.
दोनो अपने घुटनो पर हो गयी और हमारी चूत पर जीभ फिराने लगी.

"नही ऐसे मज़ा नही आ रहा, तुम दोनो एक काम करो यहाँ पलंग
पर आ जाओ और हमारी टाँगो के बीच अछी तरह बैठ कर चूसो."
मेने दोनो को समझाते हुए कहा.

सही मे मोना की जीभ कमाल दिखा रही थी. वैसे तो वो पहली बार
किसी की चूत चूस रही थी लेकिन एक लड़की होने के नाते शायद उसे
पता था कि चूत के किस हिस्से पर चूसाई करनी चाहिए. मेरी
उत्तेजना सातवे आसमान पर थी.

अगले कई घंटों तक वो हमारी चूत चूसति रही और इस दौरान में
कितनी बार झड़ी मुझे भी याद नही. में थक चुकी थी और सोना
चाहती थी.

"बस मोना में थक गयी और थोड़ी देर सोना चाहती हूँ." मैने
कहा. "तुम भी थक गयी होगी जाओ जाकर आराम करो."

"नही रीमा तुम नही, बस थोड़ी ही देर की बात है....मेरा छूटने
वाला है...... ओह चोदो मुझे अपनी जीभ से ओह हाआँ और अंदर तक
घुसा डोओओ ओःःः में गयी...." अनु सिसकते हुए रीमा से अपनी चूत
चूस्वा रही थी.

उसके बाद रात को मोना मुझे उठा रही थी.

"दीदी उठिए छोटे मालिक को खाना चाहिए." मोना ने कहा.

"खाना ... क्या टाइम हुआ है?" मेने आँखे मलते हुए पूछा.

"नौ से उपर हो गये है," मोना ने जवाब दिया.

"तुम्हारे मालिक कब आए?" मेने पूछा.

"हर रोज़ की तरह शाम 7.00 बजे." मोना ने जवाब दिया.

"फिर तुमने हमे उठाया क्यों नही?"

"हम तो उठना चाहते थे लेकिन मालिक ने मना कर दिया कि सोने दें
आप दोनो को." रीमा ने कहा. मेने देख कि रीमा अनु को उठाने की
कोशिश कर रही थी.

"क्या तुमने उन्हे बताया कि हम दोनो सो रहे है?" मेने कहा.

"नही हमने नही बताया..." मोना ने कहा.

"ठीक है तुम जाकर टेबल पर खाना लगाओ, हम हाथ मुँह धो कर
आते है." मैने दोनो से कहा.

थोड़ी देर बाद में और अनु नाइटी पहने खाने के टेबल पर
पहुँचे. मेने देखा की दोनो भाई कपड़े बदल कर अपने नाइट सूयीट
मे थे. शायद उन्हे नौकारैनियों को चोदने के जल्दी थी... मैने
सोचा.

दोपहर के खाने की तरह इस बार भी कोई कुछ नही बोला. खाने के
बाद में बोली, "आप दोनो कमरे मे आइए मुझे कुछ बात करनी है."

जब हम कमरे मे पहुँच गये तो अमित ने कहा, "अब बात करने को
रखा ही क्या है?"

"क्या तुम्हारा इरादा पक्का है कि तुम दोनो हमारे साथ सोना नही
चाहते?" मेने पूछा शायद उनका इरादा बदल गया हो.

"हां मेरी जान हमारा इरादा पक्का है और इसे बदला नही जा
सकता." सुमित ने कहा.

"मतलब तुम हमारी प्यारी और कम्सीन चूत छोड़ कर नौकरानियों की
चूत चोदना पसंद करोगे? अनु ने रोते हुए पूछा.

"मेरी जान उनकी चूत तुम्हारी चूत की तरह ही प्यारी और कम्सीन
है.... ठहरो में तुम दोनो को दिखाता हूँ," कहकर अमित खड़ा हुआ
और नौकरानियों को आवाज़ दी.

जब वो दोनो कमरे मे आ गयी..तो उसने कहा, "तुम्हारी मालकिन तुम्हारी
चूत देखना चाहती है... अपने कपड़े उतारो और इन्हे दीखाओ."
अमित ने उन्हे हुकुम दिया.

लेकिन दोनो नौकरानिया वहीं खड़ी रही बुत बनी हुई.

"तुम दोनो ने सुना नही, मेने क्या कहा? अमित गुस्से मे बोला, "अपने
कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ?

मोना और रीमा नज़रें झुकाई वैसे ही खड़ी रही लेकिन दोनो ने अपने
कपड़े नही उतारे.

"क्या इन दोनो ने तुम दोनो से कुछ कहा है? अमित हमारी तरफ इशारा
करते हुए गुस्से मे बोला.

"नही मालिक इन्होने कुछ नही कहा," मोना ने जवाब दिया, "ये हमारा
फ़ैसला है की हम कपड़े नही उतारेंगे."

"मुझे विश्वास नही हो रहा कि तुम दोनो हमारा हुकुम मानने से
इनकार सकती हो," अमित गुस्से मे अपना हाथ उठाते हुए बोला.

"अमित कोई फ़ायदा नही है, ये हमारा कहा नही मानेंगी, इन्हे अपने
बदन का डर समाया हुआ है." सुमित ने कहा.

"तुम्हारा कहने का क्या मतलब है? अमित ने कहा.

"इन्हे जाने दो में फिर बताता हूँ." सुमित ने जवाब दिया.

'फट्ट्टो यहाँ से और अपनी शकल मत दिखाना....." अमित
चिल्लाते हुए बोला. मोना और रीमा चुपचाप वहाँ से चली गयी.

"अमित मेने तुम्हे पहले नही बताया क्यों की ज़रूरी नही समझता
था लेकिन हमारे यहाँ आने से पहले मेने मम्मी को इनसे बात करते
सुन लिया था. " सुमित ने कहा.

"क्या कहते थे सुना था तुमने?" अमित ने पूछा.

"मम्मी ने कहा था कि तुम्हारी मालकिन का हुकुम सर्वोत्तम है, उनकी
मर्ज़ी के खिलाफ कुछ नही करना और अगर मुझे पता चल गया तो
में अपने हाथों से तुम दोनो की चमड़ी खुरछ खुरछ कर बदन से
अलग कर दूँगी ये याद रखना." सुमित ने बताया.

"ओह तो ये कारण है इनका हमारा हुकुम ना मानने का? अब हम क्या
करें," अमित ने कहा, फिर बोला, "क्यो ना हम इन्हे ज़बरदस्ती चोद
दें. इससे इन्हे सज़ा भी नही मिलेगी और हमारा मकसद भी हल
जाएगा."

"तुम पागल तो नही हो गये हो? अगर मम्मी को पता चल गया तो वो इस
उम्र में भी हमारा लंड काट कर हमारे हाथ मे दे देंगी." सुमित
ने कहा, "भाई में तो नही कर सकता, अगर तुममे हिम्मत है तो कर
लो में तुम्हे रोकुंगा नही."

"तुम सही कह रहे हो सुमित. फिर तुम ही बताओ हम क्या करें?" अमित
ने कहा.

"करने को तो बहोत कुछ कर सकते है," सुमित ने कहा, "अच्छा
देवियों तुम दोनो कहो क्या कहना चाहती हो?

"हम दोनो चाहती हैं कि पहले की ही तरह तुम दोनो हमारे साथ सोवो
और हम वादा करते है कि तुम दोनो की दोनो शर्तें हम पूरा
करेंगे." मेने कहा.

"वही वादा जो एक लड़की शादी के वक़्त अपने पति से करती है." अमित
ने कहा.

"अमित वो शादी से पहले की बात है." सुमित ने कहा.

"हां लेकिन इन्हे हमे बेवकूफ़ बनाने की क्या ज़रूरत थी कि ये दोनो
कुँवारी है.' अमित थोड़ा खीजते हुए बोला.

"अमित ये दोनो और क्या करती? क्या पेपर में इश्तहार देती कि इनकी
चूत फॅट गयी है और ये कुँवारी नही है," सुमित ना कहा, "अमित
ठंडे दीमाग से सोचो अगर तुम इनकी जगह पर होते तो क्या ऐसा नही
करते, भाई में तो ऐसा ही करता... इनके पास और कोई उपाय भी तो
नही था."

"में तुम दोनो को ज़ुबान देती हू," मेने फिर से कहा, "तुम्हारी
दोनो शर्तें पूरी होगी."

"सुमित एक बार फिर से सोच लो इनपर भरोसा करना चाहिए कि नही."
अमित ने कहा.

"अमित मे भी तुमसे कह रहा हूँ कि मेरा विश्वास करो.. ये दोनो अछी
लड़कियाँ है.. और जिंदगी मे एक ग़लती तो हर इंसान से होती है."
सुमित ने समझाते हुए कहा.

"ठीक है में तुम पर चोद्ता हूँ कि इनके साथ क्या करना चाहिए."
अमित ने कहा.

सुमित थोड़ी देर सोचता रहा फिर बोला, "हम तुम दोनो की बात मान
सकते है लेकिन एक ही शर्त पर."

"फिर से शर्त......." हम दोनो चौंक पड़े.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
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Re: मर्दों की दुनिया

Post by rajsharma »


mardon ki duniya paart--5

"Aap ek dam befikra rahen, koi mard inke paas bhi nahi fatak
payega," maalkin ne kaha, "ab tum dono jaakar mere kamre me mera
intezaar karo, tab tak mein dono bacchon ko jaakar khush khabri
sunati hoon."

"Nahi Shanti unhe kuch na batana warna dono kaam dhanda chod kar
yahan bhaag kar aa jayenge." Maalik ne hanste hue kaha.

Kareeb do ghante baad maalikin hamare paas aayi.

"To tum dono Mina aur Uma ki betiyan ho. Bahot sunder ho." maalikin
hame ghoorte hue boli.

Maalikin ke prabhav se hum itna dare hue the ki hum apni gardan bhi
nahi hila paa rahe the.

"Apne kapde uttaro? Mein bhi dekhun ki tum dono ne kapde ke neeche
kya chupa rakha hai? Maalkin ne kaha.

Hum dono to but bane khade rahe lekin jaante the ki malkin ka hukum
na manne par saza bhi tagdi milti hai islilye humne jaldi jaldi apne
kapde uttar kar nangi ho gayi.

"Ati sunder, tumhari chuchiyan to badi pyaari hai," malkin hamari
chuchiyon ko masal kar aur nipple ko bheenchte hue boli, "aur kasi
kasi bhi hai bahot accha"

Hum dono sharma gayi lekin chup chap khadi rahin.

"Tumhari jhaante kya hui? wo hamari safa chat chot par ungli gadate
hue boli.

Hum dono kuch nahi boli.

"Jawab do mein intezar kar rahi hun tumhare intezar ka." wo
muskurate hue boli.

"Wo kya hai malkin aaj subah hamari maa ne inhe saaf kar dee." Reema
ne jawab diya.

"Tumhari maa kafi samajhdar hai. Unhe pata hai ki mard ko kaise
rijhaya jaata hai" malkin ne kaha, "hamesha aise hi apni choot ko
safa chat rakhna ... samjhi."

"Ji malkin" humne jawab diya.

"Tumhe kisi ne aaj tak choda to nahi hai na? Malkin ne hamari choot
me ungli ghoosate hue kaha.

"Nahi malkin hamari choot bilkul kori hai." hum dono ne jawab diya.

"Bahot acchi baat hai" kehkar wo ghoom kar hamare peeche aa gayi
aur hamare chootad ko haht me pakad kar boli, "tum dono ki gand bhi
kafi bhari aur gol gol hai, mere ladkon ko bahot pasand aayegi."

Phir achanak hamari choot ki pankhudi ko apni ungli aur anguthe se
bhenchti hui boli, "tumhe malum hai mere bete tuhare sath kya
karenge?

"Didi mein beech me ek baat batana chahti hon ki jis tarah unhone
hamari choot ko chua tha aur koi din hota to shayad hamari choot
geeli ho gayi hoti lekin unke dar ki wajah se hamari choot to ek dam
sukhi hi rahi." Reema Mona ke baat ke beech me boli.

"Aacha hua tumne khud bata diya warna mein tumhe puchne hi wali thi,
phir kya hua." meine kaha.

"Hame pata tha ki unke bete hamari choot ke sath kya karenge lekin
dar ki wajah se hum kuch keh nahi paye."

"Wo tumhari choot phadenge aur phir chodenge. Ho sakta hai wo
tumhari gand bhi mareein." Malkin hanste hue boli.

"Wo hamari choot phadenge aur hame chodenge ye to hum jaante the
lekin gand marne ki baat se hum dar gaye the. " Mona ne kaha.

"Isme darne wali koi baat nahi hai," shayad unhone hamare dil ki
baat padh lee thi. "shuru me to dard hota hi hai choot ho ya gaand
haan baad me bahot mazaa ata hai, tum dono ko bhi mazaa ayega."

"Haan malkin" humne dheere se kaha.

"Dono meri baat dhyaan se suno... jitni marzo utna chudwana, bahot
maze lena lekin ek baat ka dhyaan rahe agar tum me se koi garbhvati
ho gayi to mujhse bura koi nahi hoga." Maalkin ne kaha.

"Hamari samajh me nahi aaya ki hum kya kahen? "Maalkin agar wo hame
chodenge to baccha to hoga hi." Reema ne maasumiyat se kaha.

"Jaroori nahi hai." maalkin ne kaha, "ye MARDON KI DUNIYA HAI, mard
ko sirf apni khushi aur maze se matlab hai, use anjaam se ko matlab
nahi, agar aurat chahe to har anjaam se bach sakti hai."

"Hamari samajh me nahi aa raha hi hum kaise is anjaam se bach sakte
hai kaise hum..... " tabhi malkin beech me bol padi.

"Ye lo." phir unhne hamare hath me goliyon ki do sheeshi pakda
di, "ye goliya label par leekhe anusar barabar leti rahna to garbh
nahi thehrega, agar tum garbhvati ho gayi to mein samajh jaungi ki
tum ddono ne mera kehna ahi mana phir kya saza milegi ye tum acchi
tarah se jaanti ho?

Hum unke gusse aur unki saza ko bhi jaante the isliye unse vada kiya
ki hum pura khayal rakhenge phir unhone ne hamari maa ko bula bheja.

Jab hamari maa aa gayi to unhone unse kaha, "Meena aur Uma aaj se
Mona aur Reema hamari sewa me hain Ye log subah 6.00 baje kaam par
aayenggi aur shaam ko 6.00 baje tak rahengi. Tum dono ki jimmedari
hai ki inhe time par yahan chod kar jao aur timne par yahan se le
jao. Ghar ke pahunchne ke baad ye dono tumhari nazron se ojhal nahi
honi chahiye, aur raat me tum inke sath sovogi... samjhi tum?"

"Jee malkin" hamari mummy ne kaha.

Kareeb dedh mahine ke baad dono chote maalik ghar aaye. Raat ke
khane ke baad maalikin hame unke kamre me le gayi. Dono maalik khali
payjama phene hue the aur sone ki tayyari kar rahe the.

"Bacchon dekho tumhare pitaji ne tum dnono ke liye upahaar bheja
hai, Sumit aaj se Mona tumhari personal naukarani hogi aur Reema
Amit ki." unhone kaha phir hamse boli, "aaj ye tumhare maalik hai,
dekhna inhe koi shikayat ka mauka nahi dena aur jo ye kahe waise hi
karna."

"Jee maalikin" hum dono ne dheere se kaha.

"Agar inka inaam chahiye to dekhna ki inhe koi shikyayat na ho?
Malkin ne aakh marte hue kaha.

Hame pata tha ki aaj hamari chudai hone wali hai. Is khayal se hi
hamari choot geeli ho gayi thi aur sharir me ek meethi si lehar daud
rahi thi.

"Dono ne hame upar se neeche tak ghoora phir bol pade, "mummy aap
chinta mat karen" Amit muskurate hue bola, "hum inka pura khayal
rakhenge aur is janam me to kya ye agle janam me bhi humara hukum
manengi..kya kehte ho bhaiya?"

"Haan mummy, ye vada hai hamara aapse." Sumit sir ne muskrate hue
kaha.

"Good night aur nahi ki puri raat jaagte raho, thoda sone ki bhi
koshish karna." ye kehkar maalikin wahan se chali gayi.

Agle dus minute tak dono bhai sirf hame niharte rahe, "OH AMIT YE
DONI KITNI PYAARI HAI." Sumit sir ne kaha.

'Haan pyaari to hain" Amit sir ne kaha, "lekin pehle ye to dekh len
ki saree ke peeche kya chupa hai? ladkiyon apne kapde uttaro."

Hame pata tha ki hamne kya chupa rakha hai aur hamne kapde uttar
diye. Hum dono khush the ki un do buddhon ki jagah hum do naujawano
ke sath the.

"Amit dekho to kitni tayyari ke sath aai hain dono, inhone to apni
jhaante bhi saaf kar rakhi hai,Simit sir ne kaha, "lagta hai ki inke
sath kafi mazaa aayega."

"Haan wo to hai, lekin inhe bhi dekh lena chahiye ki hum inka khayal
kis cheez se rakhenge." Amit ne hanste hue kaha.

Phir dono maalik ne apne payjama neeche khiske diye aur apne khade
lund ko bahar nikal liya. Hamne phele kai bar ladkon ko nanga dekha
tha, lekin kisi mard ka lund pehli baar dekh rahe the. Itne bada aur
mota lund dekh kar mein sochne lagi ki ye meri itni choti si choot
me ghusega kais.

"Aao Mona yahan mere paas aao." Sumit sir ne kaha aur api bahe meri
kamar me dal mujhe apne pas kheench liya aur meri chuchiyon ko
masalte hue mujhe bistar par le gaye.

Jab hum charon palang par the tab Sumit sir ne kaha, "Amit mujhe to
Mona jyada kasi hui lagti hai."

"Ye to dekhna abhi baaki hai, Sumit kyon na hum sath sath in dono ki
choot ka udhaghatan karen" Amit sir ne kaha.

"Haan ye thik rahega, teen ki ganti par kila fateh hona chahiye."
Sumit sir ne kaha.

Hamari samajh me nahi aa raha tha ki wo kya keh rahe hai lekin thodi
hi der me hum samajh gaye.

"Ek" Sumit sir ne kaha aur wo dono hamare upar aa gaye.

"Do" Amit sir ne kaha aur dono hamari tangon ko faila apne lund
hamari choot ke dwar par rakh diye.

"Amit kya tum tayyar ho? Teen" Sumit sir ne kaha aur dono ne jor ka
dhakka mar apne lund ko hamari choot me ghusa diya. Hum dono to dard
ke mare joron se chilla padi aur unka lund hamari jhilli ko phadta
hua choot ke gehrai tak ghus gaya.

Jab wo hame ek bar chod chuke to Amit sir ne kaha, "Sumit mujhe to
lagta hai ki Reema ki choot jyada kasi hui hai."

"Wo abhi pata kar lete hai," kehkar Sumit sir ne hame jagah badli
karne ko kaha, us raat dono ne ne hame chaar bar choda aur aakhri me
hamari gand bhi mar di.

"Kya tum dono ko chudwane me maza aaya?" Anu ne Mona se pucha.

"Ohhh didi bata nahi sakti, bahot mazaa aya aisa laga ki hum jannat
ke sair kar rahe hai. Hum to aur chudwana chahte the lekin chothi
chudai ke baad dono maalik thak kar so gaye." Reema ne kaha.

"Tum dono me se unhe kis ki choot jyada kasi hui lagi? meien utsukta
vash pucha.

"Hame nahi pata kyon ki dono kuch bole hi nahi is vishay par," Reema
ne kaha, "mujhe to lagta hai ki bas wo hum dono ko chodna chahte the
isliye aisa kaha tha."

"Haan mujhe bhi aisa hi lagta hai." meine hanste hue kaha,"phir uske
aage kya hua?

"Subah dono ne hame ek ek bar aur choda."

"Hame kuch jaruri kaam hai isliye hum bahar jaa rahe hai aur khane
ke waqt lautenge lekin tum dono yahin hamare kamre me rehna." Amit
sir ne kaha aur wo bahar jane ke liye tayyar hone lage.

"Par chote maalik hum dono ko nahana bhi hai aur nai kapde bhi pahne
hai." Reema ne kaha.

"Jahan tak nahane ka sawal hai, tum dono hamare bathroom me baha
sakte ho aur kapdon ki tumhe koi jaroorat nahi hai, isliye jaise ho
waise hi rehna hamare aane tak." Sumit sir hanste hue bole.

Unke jaane ke bat humne kamre ki sfai ki aur haamre khoon se bhari
chaadar ko palang par se badal diya. Phir nahane ke baad unke aane
tak hum T.V dekhte rahe."

"Ye hui na baat." Amit sir ne kamre me aate hue kaha.

"Kya tum dono ko bhook lagi hai?" Sumit sir ne pucha.

"Hamne pni gardan haan me hila di, hamne subah se ek cup chai aur do
biscuit ke alawa kuch nahi khaya tha."

"Hamne khane ke liye keh diya, maharaj aadhe ghante me khana de
jayega.," Sumit sir ne kaha, "lekin tab tak hum tm dono kuch denge
jisse tumhe bhook na lage, kyon bhai sahi bol raha hun na."

"Ab tum dono neeche ghutno ke bal baith jao, wahan nahi yahan hamri
tango ke beeech." Amit sir ne kaha, aur dono palang par baith gaye
aur apni tange faila di. Jab hum unki tango ke beech neeche ghutno
ke bal baith gaye to unhone apne lund apni pant se bahar nikal liye.

"Ab hamare lund ko apne munh lekar chooso," Amit sir ne kaha.

Hum dono unke lund ko apne munh me lekar choosne lage, aur unhon
apan pani hamare munh me chod diya, "ise thukna nahi balki pee jao."
Sumit sir ne kaha aur hum unki agya mante hue unke lund ka pani pee
gaye.

Pure ek saptah tak un dono ne hame apne kamre me hi rahkha, Ek
saptah tak hamne kapde nahi pehne aur nangi hi rahi unke sath. Jab
bhi jaise bhi dono ka man karta wo hame chodte. Hame koi cheez ki
jaroorat hoti to hame kamre me hi mil jaati. Wo to bade maalik ne ek
din unhe daanta tab wo sehar waapas chale gaye.

"Ye hamare kahani hai." Mona ne kaha.

"Kya ye dono ab bhi tum dono ko chodte hai?" Anu ne pucha.

"Jis dins se dono maalik ki aap dono se sagai hui us din se aaj tak
unhone hame chua bhi nahi hai." Reema ne kaha.

"Phir to itne mahine se bina chude tum dono ki choot bahot khujla
rahi hogi.... aur tumhari chudai ki iccha bhi bahot ho rahi hogi."
Miene kaha.

"Haan ho to rahi hai.." Mona ne kaha.

"Aur kis kis ne tum dono ko choda hai?" Anu ne pucha.

"Dono chote maalik ke alawa hame kisi ne chua tak nahi hai, aur ye
sach hai." Mona ne kaha.

"Hame tum dono ki baaton par vishwaas hai, agar wo tum dono ko fir
se chodna chahe to tum dono kya karogi?" meine pucha.

"Jab tak aap hukum nahi dengi ham unse nahi chudwaingi." Reema ne
kaha.

"Tum ye kehna chahti ho ki teen mahine se tum dono ne chudwaya nahi
hai phir bhi tum unhe chodne se mana kar dogi.... bina chudwaye tum
rehti kaise ho? Anu ne pucha.

"Jaroor ye ek doosre ki choot choosti hongi aur choot me ungal kart
hongi." meine kaha.

"Didi aap bhi na kuch bhi kehti hai, hamne aaj tak apni jindagi me
kisi ki choot nahi choosi." Mona ne kaha.

"Phir to lagta hai ki tum dono ko choot choosna sikhana hi padega."
Anu hanste hue boli.

"Kya hamari choot choosogi?" meine pucha. Mein soch rahi thi ki
pata nahi ye dono kya kahengi. Lekin unka jawab sunkar mein chaunk
bhi padi aur khus bhi ho gayi.

"Didi agar aap aagya dengi to kyon nahi choosenge." Reema ne kaha.

"Haan hum agya de rahe hain." Anu khushi se uchalti hui boli. Phir
wo palang par let gayi aur apni nightee uthate hue boli, Reema tum
meri choot chooso."

"Mona tum meri choot chooso" meine apni choot ko kholete hue kaha.
Dono apne ghutno par ho gayi aur hamari choot par jeeb firane lagi.

"Nahi aise mazaa nahi aa raha, tum dono ek kaam karo yahan palang
par aa jao aur hamari tango ke beech achi tarah baith kar chooso."
meine dono ko smjhate hue kaha.

Sahi me Mona ki jeeb kamal dikha rahi thi. Waise to wo pehli bar
kisi ki choot choos rahi thi lekin ek ladki hone ke naate shayad use
pata tha ki choot ke kis hisse par choosai karni chahiye. Meri
uttejna satwe aasman par thi.

Agle kai ghanton tak wo hamari choot chosti rahi aur is dauran mein
kitni bar jhadi mujhe bhi yaad nahi. Mein thak cuki thi aur sona
chahti thi.

"Bas Mona mein thak gayi aur thodi der sona chahti hun." meiene
kaha. "tum bhi thak gayi hogi jao jaakar araam karo."

"Nahi Reema tum nahi, bas thodi hi der ki baat hai....MERA CHOOTNE
WALA HAI...... OH CHODO MUJHE APNI JEEB SE OHHHH HAAAN AUR ANDAR TAK
GHUSA DOOOO OHHH MEIN GAYI...." Anu sisakte hue Reema se apni choot
chooswa rahi thi.

Uske baad raat ko Mona mujhe utha rahi thi.

"Didi uthiye chote maalik ko khana chahiye." Mona ne kaha.

"Khana ... kya time hua hai?" meine aankhe malte hue pucha.

"Nau se upar ho gaye hai," Mona ne jawab diya.

"Tumhare maalik kab aaye?" meine pucha.

"Har roz ki tarah shaam 7.00 baje." Mona ne jawab diya.

"Phir tumne hame uthaya kyon nahi?"

"Hum to uthana chahte the lekin maalik ne maan kar diya ki sone den
aap dono ko." Reema ne kaha. Meine dekh ki Reema Anu ko uthane ki
koshish kar rahi thi.

"Kya tumne unhe bataya ki hum dono so rahe hai?" meine kaha.

"Nahi humne nahi bataya..." Mona ne kaha.

"Thik hai tum jaakar table par khana lagao, hum hath munh dho kar
aate hai." meien dono se kaha.

Thodi der baad mein aur Anu nightee pehne khane ke table par
pahunche. Meine dekha ki dono bhai kapde badal kar apne night suite
me the. shayad unhe naukarainiyon ko chodne ke jaldi thi... meien
socha.

Dopahar ke khane ki tarah is bar bhi koi kuch nahi bola. Khane ke
baad mein boli, "aap dono kamre me aaiye mujhe kuch baat karni hai."

Jab hum kamre me pahunch gaye to Amit ne kaha, "Ab baat karne ko
rakha hi kya hai?"

"Kya tumhara iraada pakka hai ki tum dono hamare sath sona nahi
chahte?" Meine pucha shayad unka iraada badal gaya ho.

"Haan meri jaan hamara iraada pakka hai aur ise badla nahi jaa
sakta." Sumit ne kaha.

"Matlab tum hamari pyari aur kamseen choot chod kar naukaraniyon ki
choot chodna pasand karoge? Anu ne rote hue pucha.

"Meri jaan unki choot tumhari choot ki tarah hi pyaari aur kamseen
hai.... thehro mein tum dono ko deekhata hun," kehkar Amit khada hua
aur naukraniyon ko awaaz dee.

Jab wo dono kamre me aa gayi..to usne kaha, "Tumhari maalkin tumhari
choot dekhna chahti hai... apne kapde uttaro aur inhe deekhao."
Amit ne unhe hukum diya.

Lekin dono naukraniyan wahin khadi rahi but bani hui.

"Tum dono ne suna nahi, meine kya kaha? Amit gusse me bola, "apne
kapde uttar kar nangi ho jao?

Mona aur Reema nazrein jhukai waise hi khadi rahi lekin dono ne apne
kapde nahi uttare.

"Kya in dono ne tum dono se kuch kaha hai? Amit hamari taraf ishaara
karte hue gusse me bola.

"Nahi maalik inhone kuch nahi kaha," Mona ne jawab diya, "Ye hamara
faisla hai ki hum kapde nahi uttarenge."

"Mujhe vishwaas nahi ho raha ki tum dono hamara hukum manne se
inkaar sakti ho," Amit gusse me apna hath uthate hue bola.

"Amit koi fiada nahi hai, ye hamara kaha nahi manengi, inhe apne
badan ka dar samaya hua hai." Sumit ne kaha.

"Tumhara kehne ka kya matlab hai? Amit ne kaha.

"Inhe jaane do mein phir batata hun." Sumit ne jawab diya.

'FUTTTTTTO HAHAN SE AUR APNI SHAKAL MAT DEEEKHANA....." Amit
chillate hue bola. Mona aur Reema chupchaap wahan se chali gayi.

"Amit meine tumhe pehle nahi bataya kyon ki jaroori nahi samjhata
tha lekin hamare yahan aane se pehle meine mummy ko inse baat karte
sun liya tha. " Sumit ne kaha.

"Kya kehte the suna tha tumne?" Amit ne pucha.

"Mummy ne kaha tha ki tumhari maalkin ka hukum sarvottam hai, unki
marzi ke khilla kuch nahi karna aur agar mujhe pata chal gaya to
mein apne hathon se tum dono ki chamdee khurach khurach kar badan se
alag kar doongi ye yaad rakhna." Sumit ne bataya.

"Oh to ye karan hai inka hamara hukum na manne ka? Ab hum kya
karen," Amit ne kaha, phir bola, "kyn na hum inhe jabardasti chod
den. Isse inhe saza bhi nahi milegi aur hamara maksad bhi hal
jayega."

"Tum pagal to nahi ho gaye ho? Agar mummy ko pata chal gaya to wo is
umra mein bhi hamara lund kaat kar hamare hath me de dengi." Sumit
ne kaha, "Bhai mein to nahi kar sakta, agar tumme himmat hai to kar
lo mein tumhe rokunga nahi."

"Tum sahi keh rahe ho Sumit. Phir tum hi batao hum kya karen?" Amit
ne kaha.

"Karne ko to bahot kuch kar sakte hai," Sumit ne kaha, "Accha
deviyon tum dono kaho kya kehna chahti ho?

"Hum dono chahti hain ki pehle ki hi tarah tum dono hamare sath sovo
aur hum vada karte hai ki tum dono ki dono shartein hum pura
karenge." meine kaha.

"Wahi vada jo ek ladki shaadi ke waqt apne pati se karti hai." Amit
ne kaha.

"Amit wo shaadi se pehle ki baat hai." Sumit ne kaha.

"Haan lekin inhe hame bewkoof banane ki kya jaroorat thi ki ye dono
kunwari hai.' Amit thoda kheejte hue bola.

"Amit ye dono aur kya karti? kya paper mein ishtahar deti ki inki
choot phat gayi hai aur ye kunwari nahi hai," Sumit na kaha, "Amit
thande deemag se socho agar tum inki jagah par hote to kya aisa nahi
karte, bhai mein to aisa hi karta... inke paas aur koi upay bhi to
nahi tha."

"Mein tum dono ko juban deti huan," meine phir se kaha, "tumhari
dono shartein puri hogi."

"Sumit ek bar phir se soch lo inpar bharosa karna chahiye ki nahi."
Amit ne kaha.

"Amit me bhi tumse keh raha hun ki mra vishwaas karo.. ye dono achi
ladkiyan hai.. aur jindagi me ek galti to har insaan se hoti hai."
Sumit ne samjhate hue kaha.

"Thik hai mein tum par chodta hun ki inke sath kya karna chahiye."
Amit ne kaha.

Sumit thodi der sochta raha phir bola, "hum tum dono ki baat man
sakte hai lekin ek hi shart par."

"Phir se shart......." hum dono chaunk pade.

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
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Re: मर्दों की दुनिया

Post by rajsharma »

मर्दों की दुनिया पार्ट--6

"सुमित ये अब कौन सी नई शर्त रखना चाहते हो?" मेने खीजते हुए

पूछा.

"हमारी शर्त सिर्फ़ इतनी सी है कि जिस तरह जीजू और जीजाजी ने तुम

दोनो को चोदा है, वैसे ही में और सुमित भी तुम दोनो को चोदना

चाहेंगे." अमित ने मुस्कुराते हुए कहा.

मेने पहले अमित की ओर देखा वो मंद मंद मुस्कुरा रहा था, फिर

मेने अनु की ओर देखा की शायद वो कुछ कहना चाहती हो लेकिन उसके

चेहरे से तो ऐसा लग रहा था जैसे की उसे मन माँगी मुराद मिल गयी

हो, फिर में कौन होती थी मना करने वाली, "ठीक है मुझे मंजूर

है," ये तो कभी ना कभी होना ही था, मेने सोचते हुए कहा.

"ओह्ह्ह अनु, में हमेशा सोचा करता था कि क्या में अपने दोनो हाथो

से भी तुम्हारी ये बड़ी बड़ी चुचियों को पकड़ पाउन्गा कि नही,"

सुमित ये कहते हुए अनु की ओर बढ़ा, "आज में ज़रूर पकड़ कर

देखना चाहूँगा."

"मेने कब मना किया है, पहले कहते तो पहले पकड़ा देती..." कहकर

अनु ने अपनी नाइटी उतार दी, और सुमित उसकी चुचियों को हाथो मे

पकड़ मसल्ने लगा.

"ओह्ह सुमित ज़रा " अनु सिसक पड़ी.

सुमित ने अपना पयज़ामा उतार दिया और अनु को बिस्तर पर धकेलते हुए

बोला, "ओह्ह क्या मस्त चुचियाँ है... चलो चुदाई करते है.'

"हां सुमित में भी कब से तरस रही थी आज के दिन के लिए," अनु

ने कहा.

अमित चुप चाप बैठा उन दोनो को देख रहा था, में इनसे पीछे

नही रहना चाहती थी.

"अमित मेरी चुचियाँ अनु जितनी बड़ी और भारी नही है, लेकिन फिर

भी अच्छी है तुम्हे मज़ा आएगा.' मेने अपनी नाइटी उतार उसकी ओर

बढ़ते हुए कहा.

"हां सूमी में भी तुम्हारी इन चुचियों से खेलना चाहता था," अमित

ने अपना पयज़ामा उतारते हुए कहा. उसका लंड पूरी तरह तन कर खड़ा

था.

उस रात अमित ने मुझे कई बार चोदा और सोने से पहले तो उसने मेरी

गंद भी मारी.

हमेशा की तरह मोना सुबह की चाइ लेकर कमरे मे आई तो हम

चारों को एक साथ बिस्तर मे देख जोरों से हँसने लगी और ज़ोर से

चिल्लाई, "रीमा चाइ यहीं ले आओ ये चारों यहीं इस कमरे मे है."

रीमा चाइ की ट्रे लिए कमरे मे आई और हमे देख झेंप गयी. वो

दोनो चाइ की ट्रे रख कर जाने लगी, "तुम दोनो कहाँ जा रही हो?"

मेने पूछा.

दोनो रुक कर मेरी तरफ देखने लगी, "कल रात तुम्हारे छोटे मालिक

ने कहा था कि तुम दोनो की चूत बहोत प्यारी है, हम देखना चाहते

है तुम्हारी प्यारी चूत को, अपने कपड़े उतारो?" मेने कहा.

दोनो चुप चाप खड़ी रही, उनकी समझ मे नही आ रहा था कि क्या

करें.

"तुम दोनो ने सुना नही दीदी क्या कह रही है, चलो कपड़े उतार कर

नंगी हो जाओ." अनु ने कहा.

जब दोनो कपड़े उतार कर नंगी हो गयी तो मेने अनु से कहा, "अनु

क्या ख़याल है अगर हमारी चूत को सुबह का नाश्ता मिल जाए?"

"हां सूमी मज़ा आ जाएगा," कहकर वो बिस्तर पर अपनी टाँगे फैलाते

हुए लेट गयी.

"चलो लड़कियों शुरू हो जाओ.... आज से पहले तुम दोनो ने मलाई से

भरी चूत नही चूसी होगी," मैने अपनी टाँगे फैला चूत को

खोलते हुए कहा.

"मोना आज तुम मेरी चूत चूसो," अनु अपनी चूत की ओर इशारा करते

हुए बोली.

किसी अग्यकारी बच्चो की तरह दोनो हमारी टांगो के बीच आ गयी

और अपने चूतड़ हवा मे उठाते हुए हमारी चूत चूसने लगी.

"ओह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है...." सिसकते हुए मेने अपने बगल

में देखा कि अमित और सुमित आँख फाडे मोना और रीमा को हम दोनो

को चूत चूस्ते हुए देख रहे थे.

"तुम दोनो कल रात मोना और रीमा की चूत चोदना चाहते थे ना तो

इससे बेहतर मौका कहाँ मिलेगा. क्यों ना तुम दोनो अपने लंड को पीछे

से इनकी चूत मे डाल दो? मेने कहा.

"हां अभी लो," खुशी से उछलते हुए दोनो मोना और रीमा की पीछे

आ गये. सुमित ने नीचे से रीमा की चुचियों को पकड़ा और एक ही

धक्के मे अपना लंड उसकी चूत मे पेल दिया. अमित भी पीछे नही

रहा और उसने अपना लंड मोना की चूत मे डाल उसे चोदने लगा.

अमित और सुमित इस तरह रीमा और मोना की चूत मारने लगे जैसे कि

उन्हे फिर कभी उनकी चूत मारने का मौका ही नही मिलेगा.

"ऑश..आआहह" जैसे ही सुमित का लंड रीमा की चूत मे घूसा वो

सिसक पड़ी," ऑश कितना अक्चा लग रहा है"

"तो लड़कियों मज़ा आ रहा है ना?" अनु ने पूछा.

"हां दीदी बहुत मज़ा आ रहा है.... बहुत दीनो के बाद लंड मिला

है ना.......ओह्ह्ह हेयेयन" दोनो सिसकते हुए बोली.

दस मिनिट के बाद हम चारों झाड़ गये. मोना और रीमा ने अपनी

जगह बदल ली, और फिर से चुदाई करने लगी.

"अमित क्या कहते हो फिर से तीन तक गिनती हो जाय?" सुमित ने कहा.

"हां भाई क्यों नही.... ये लो एक.. दो.... तीन."अमित ने गिनती शुरू

की और तीन की गीनती पर दोनो लड़कियाँ चिल्ला उठी.

"अरे क्या हुआ? क्या ये दोनो तुम्हे तकलीफ़ दे रहे है,?" मेने मोना के

बालो मे हाथ फिराते हुए पूछा.

"नही दीदी, सुमित सर ने अपना लंड मेरी गंद मे घुसेड दिया था..."

मोना ने बताया.

"अमित सर भी मेरी गंद मार रहे है," रीमा ने भी कहा.

"लॉडा गंद मे अंदर बाहर होता है तो बहोत अच्छा लगता है हैं

ना?" अनु ने हंसते हुए कहा.

दोनो ने अपनी गर्दन हिलाते हुए हम दोनो की चूत चूसने लगी.

जब हम चारों एक बार फिर झाड़ गये तो अमित ने कहा, "भाई में तो

थक गया हूँ, क्यों ना कुछ चाइ नाश्ता हो जाए"

मोना और रीमा किचन मे जाकर चाइ और नाश्ता ले आए.

"चलो एक बार और हो जाए," अनु ने कहा, "लेकिन इस बार में रीमा की

चूत चूसोंगी और सूमी मोना की......."

"सॉरी देवियों, आभी नही, अभी हमारी एक ज़रूरी मीटिंग है 10.00

बजे," सुमित अनु की चुचियों को मसल्ते हुए बोला, "रात को फिर

यहीं से शुरुआत करेंगे."

"कोई बात नही चलो साथ मे सब स्नान करते है." अनु ने कहा.

लेकिन हमारे कमरे का शवर इतना बड़ा नही था कि हम छः जने

साथ मे नहा सकते इसलिए दो टीम बनी, सुमित में और मोना एक टीम

मे और अमित अनु और रीमा दूसरी टीम मे.

जब हम तीनो साथ साथ नहा चुके तो मोना बोली, "सर में आपका

लंड चूस्ति हूँ, कितने दिन हो गये लंड चूसे हुए?"

"शौक से मेरी जान," कहकर सुमित ने अपना लंड मोना के मुँह मे दे

दिया.

मोना को तो जैसे मन की मुराद मिल गयी वो जोरों से सुमित के लंड को

अपने मुँह मे ले चूसने लगी.

"ओह्ह्ह हा चूसो और ज़ोर से चूसो," सुमित बड़बड़ाने लगा,

फिर मेरे हाथों को उसकी चूत पर रखते हुए बोला, "इसकी चूत मे

उंगल करो."

मेने अपनी उंगली मोना की चूत मे डाल उसे चोदने लगी तभी सुमित ने

अपनी दो उंगली मेरी गंद मे डाल दी.

'ओह्ह्ह सुमित अयाया हाआँ और अंदर तक डाल दो ओह्ह.' मे भी

सिसक पड़ी.

* * * * * * * * * * * *

उसी दिन सुबह 11.00 बजे के करीब मेने अपनी बेहन सीमा को फोन

किया. थोड़ी देर हाल चाल पूछने के बाद मेने कहा, " दीदी, क्या

माला दीदी आपके साथ है?"

"नही बोलो क्या बात है?" सीमा दीदी ने कहा.

"हमे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी है, क्या आप उन्हे बुला सकती

है... में बाद मे फोन करूँगी." मेने कहा.

"हां मे बुला सकती हूँ, लेकिन बात क्या है वो तो बताओ? सीमा दीदी

ज़ोर देते हुए बोली.

"नही, जब आप दोनो साथ मे होंगी तभी बताउन्गि." मेने कहा.

सीमा दीदी ने काफ़ी ज़िद की लेकिन में भी अपनी बात पर आडी रही,

आख़िर उन्होने कहा, "ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी. एक घंटे के बाद

फोन करना तब तक में उसे बुला कर रखती हूँ."

एक घंटे के बाद मेने फोन लगाया, "माला दीदी है," मेने पूछा.

"हां सूमी में माला ही बोल रही हूँ," माला दीदी ने जवाब दिया, "अब

जल्दी से बताओ क्या बात हैहम काफ़ी परेशान है."

"ख़ास बात ये है कि अमित और सुमित हम दोनो को तलाक़ देना चाहते

है." मैने कहा.

"क्या कहा....." दोनो चिल्ला उठी... "पर क्यों?

"उन्हे पता चल गया कि शादी के वक़्त हम दोनो कुँवारी नही थी."

मेने कहा.

"पर शादी के एक महीने बाद क्यों? माला दीदी ने पूछा, उन्हे अब भी

विश्वास नही हो रहा था.

"जैसा हमने बताया था तुम दोनो को सब बातों से इनकार कर देना

चाहिए था." सीमा दीदी ने माला दीदी से फोन लेकर कहा.

"हमने सब वैसे ही किया था लेकिन फिर भी उन्हे पता चल गया."

मेने कहा.

तभी अनु मुझसे फोन माँगने लगी,, लेकिन में जानती थी कि वो क्या

कहेगी इसलिए मेने उसे फोन नही दिया.

"सवाल ही नही उठता कि उन्हे पता चल जाए, ज़रूर तुम दोनो ने

कबूल कर लिया होगा." सीमा दीदी ने कहा

"क्या तुम दोनो ने कबूल किया?" माला दीदी ने पूछा.

इसके पहले कि में कोई जवाब देती अनु ने मेरे हाथों से फोन छीन

लिया और ज़ोर से चिल्लाते हुए बोली, "हां दीदी मेने सब बता दिया...

मेरा दिमाग़ खराब हो गया था ...." और वो रोने लगी.

"अनु प्लीज़ मत रोव.... इसमे तुम्हारी क्या ग़लती थी.." मेने उसे चुप

करने की कोशिश की.

"अनुराधा अब रोना बंद करो..." माला दीदी ने कहा, "ये कोई रोने का

समय नही है... जो होना था सो हो गया.." माला दीदी ने कहा.

"हां माला सही कह रही है.." सीमा दीदी ने कहा, "अब तो हमे ये

सोचना है कि इस समस्या का हल कैसे निकाला जाए."

"तलाक़ की करवाही वो दोनो कब शुरू करना चाहते है? माला दीदी ने

पूछा.

"दीदी में कुछ और भी कहना चाहती हूँ आप दोनो से?" मेने थोड़ा

डरते हुए कहा.

"सूमी ये पहेलियाँ मत बुझाओ." माला दीदी थोड़ा झल्लाते हुए

बोली, "जो कुछ कहना है साथ मे कहो ये टुकड़ों मे बाँट कर मत

कहो?"

"उन्होने दो शर्तें रखी है, " मेने कहा, "अगर ये दोनो शर्तें

पूरी हो गयी तो वो हमे तलाक़ नही देंगे."

"ठीक है, और वो शर्तें क्या है? माला दीदी ने शांत रहते हुए

पूछा.

"पहली शर्त तो ये है को वो दोनो आप दोनो को चोदना चाहते है,"

मुझे तो लगा था कि मेरी ये बात सुनकर वो चिल्ला पड़ेंगी लेकिन

ऐसा कुछ नही हुआ और दीदी ने पूछा, "और दूसरी शर्त क्या है?

"वो चाहते है कि जीजू और जीजाजी उनके लिए दो कुँवारी चूत का

इंतेज़ाम करें हमारी चूत के बदले मे जो इनका हक़ था लेकिन उन्होने

ले ली," मेने हिक्किचाते हुए कहा.

थोड़ी देर दूसरे तरफ फोन पर शांति रही.

"पहली शर्त मे तो कोई परेशानी नही है हां लेकिन दूसरी मे

थोड़ी तकलीफ़ हो सकती है." सीमा दीदी ने कहा.

"थोड़ी तकलीफ़ हो सकती है लेकिन नामुमकिन नही है." माला दीदी ने

बीच मे बोली.

"हाई दीदी क्या आप उन दोनो से चुद-वाउन्गि?" अनु लगभग चौंकते हुए

बोली.

"भाई, इसमे बुराई भी क्या है? क़ायदे से जब हमारे पति उनकी बीवियों

को चोद सकते है तो वो उनकी बीवियों को क्यों नही चोद सकते? सीमा

दीदी ने कहा.

"दीदी पता है जब हमने उनकी बात का विरोध किया था तो उन्होने भी

हमे यही कहा था." अनु ने कहा.

"समाझधार बच्चे है." माला दीदी हंस दी.

"अब तुम दोनो चुप रहो," सीमा दीदी ने कहा, "मेरे पास एक उपाय है,

उन्हे कुँवारी चूत चोदने के लिए चाहिए ना. तो ठीक है तुम दोनो

उनसे अपनी नौकरानियों मोना और रीमा को चुदवा दो."

"हमने भी यही सोचा था और जब हमने उनसे ये बात कही तो वो

हमारे मुँह पर हँसने लगे." मेने कहा, वो तो उन दोनो की कुँवारी

चूत कई महीने पहले ही चोद चुके है, अब तो और कोई रास्ता ही

निकालना पड़ेगा."

"अभी तो हमारी समझ मे कुछ भी नही आ रहा और हमारा दिमाग़

भी काम नही कर रहा," सीमा दीदी ने कहा, "लेकिन तुम दोनो हिम्मत

मत हारना हम दोनो कुछ ना कुछ करेंगे उनकी दूसरी शर्त पूरी करने

के लिए."

"तुम दोनो घबराना मत, पहले हमे अजय और विजय से बात कर लेने

दो," माला दीदी ने कहा, "हो सकता है कुछ समय लग जाए शायद

महीना भर भी पर हम हल निकाल कर रहेंगे इसलिए परेशान मत

होना."

"थॅंक यू दीदी," मैने कहा, "मुझे पता था कि आप हमारी मदद

ज़रूर करेंगी." कह कर मेने फोन रख दिया.

"ओह्ह्ह सूमी में बहोत खुश हूँ कि हमारी बहने हमारा साथ दे रही

है." अनु मुझसे गले लगाते हुए बोली.

हर रोज़ की तरह शाम को सात बजे अमित और सुमित ऑफीस से घर

आए. चाइ पीते हुए मेने उन्हे अपनी बहनो से हुई बात के बारे मे

बताया."

"हम जानते हैं कि दूसरी शर्त पूरा करना इतना आसान नही है,"

अमित ने कहा, "अगर उन्हे समय चाहये तो ले सकती है लेकिन एक हद

तक."

थोड़ी देर बाद हम खाने के लिए तय्यार थे, "मोना टेबल पर चार

लोगों का खाना लगा दो." मेने मोना को आवाज़ देते हुए कहा.

"हां दीदी" उसने जवाब दिया.

"चार लोगों का खाना समझ ने नही आया?" सुमित ने पूछा.

"क्यों क्या हुआ," मेने कहा, "अगर वो दोनो हमारे साथ बिस्तर मे सो

सकती है, हमारे पति से चुदवा सकती हैं तो क्या साथ बैठ कर

खाना नही खा सकती."

"तुम सही कहती हो, मेने माफी माँगता हूँ." सुमित ने कहा.

"दीदी खाना लग गया है," थोड़ी देर बाद मोना की आवाज़ आई.

"तुम दोनो आगे चलो हम थोड़ी देर मे आते हैं." मेने अमित और

सुमित से कहा.

करीब डूस मिनिट के बाद हम दोनो पूरी तरह नंगी उनके सामने खाने

के टेबल पर थे.

"वुव क्या बात है?" अमित और सुमित दोनो साथ साथ कह उठे.

"अनु तुम यहाँ मेरे पास बैठो." सुमित ने अपनी पास की कुर्सी की

इसरा करते हुए अनु से कहा, जहाँ मे रोज़ बैठा करती थी.

थोड़ी देर मे मोना और रीमा भी बिल्कुल नंगी खाना लेकर आ गयी.

"ओह्ह आज तो लगता है कि ये सब हम पर मेहरबान है," अमित ने मोना

को अपनी और खींचते हुए कहा.

"अमित लगता है कि हमे भी इनके जैसे हो जाना चाहिए." सुमित ने

खड़े हो अपने कपड़े उतारते हुए कहा. थोड़ी देर मे दोनो हमारी तरह

पूरी तरह नंगे हो गये.

"अब हुई मर्दों वाली बात," कहकर मेने अमित का खड़ा लंड अपने हाथ

मे पकड़ लिया.

"इससे अच्छा खाना हमने पहले कभी नही खाया," अमित ने कहा, "अब

खाने के बाद की हमारी मिठाई कहाँ है?'

"मिठाई मे तुम हमारी चूत चूस सकते हो" अनु ने हंसते हुए

कहा. "तुम्हारे सामने चार चार फ्लेवर की चूत है, उनमे से तुम

कोई भी फ्लेवर पसंद कर सकते हो.

"वो तो हम बाद मे भी खा सकते है, फिलहाल मीठे मे क्या है?"

सुमित ने पूछा.

मोना और रीमा उठी और किचन से दो कटोरे लेकर लौटी, "अभी के

लिए खीर है" मेने कहा.

"वाउ खीर तो मुझे बहो पसंद है." सुमित ने खुश होते हुए कहा.

"सर मेने उसी तरह बनाई है जैसे कि आपको पसंद है." मोना ने

कहा.

"बहुत अच्छा." सुमित ने कहा.

"भाई क्यों इन लड़कियों को भी आज खीर एक शाही अंदाज़ मे खिला दी

जाए." अमित ने अपनी कुर्सी पीछे करते हुए कहा.

"हां ये ठीक रहेगा," कहकर सुमित ने भी अपनी कुर्सी पीछे कर

दी, "अनु और मोना तुम दोनो मेरी टाँगो के बीच घुटनो के बल बैठ

जाओ और सूमी और रीमा तुम दोनो अमित की टाँगों के बीच."

फिर वो अपने लंड को खीर के कटोरे मे डुबोते और हमे चूसने के

लिए दे देते. हम चारों खीर मे डूबे उनके लड को चूसने लगे.

थोड़ी देर बाद उनके लंड ने पानी छोड़ दिया जिसे हम चारों पी गये.

"अब हमारी बारी है खीर खाने की" अमित ने खीर के कटोरे उठाते

हुए कहा, "लेकिन हम बेडरूम मे खाएँगे."

जब हम सब बेडरूम मे आ गये तो अमित ने मुझे और मोना को बिस्तर

पर लेटने को कहा, जब में और मोना लेट गये तो बिस्तर की दूसरे

कौने पर अनु और रीमा भी लेट गयी.

फिर अमित और सुमित ने ठंडी खीर की एक चमच भर हम सभी की

चूत के अंदर डाल अपनी जीब निकाल उसे चाटने लगे.

"ओह अनु ठंडी खीर का स्पर्श और उपर से इनकी जीएब, ऑश

कितना अक्चा लग रहा है...." में उन्माद मे सिसक पड़ी.

कमरे मे हम चारों की सिसकियाँ गूँज रही थी.

"ऑश अमित अब नही सहा जाता अपना मुँह हटा लो नही तो इस खीर के

साथ मे कुछ और भी मिला दूँगी," मेने सिसकते हुए कहा.

"मना किसने किया है, मिला दो अछा है एक नई खीर खाने को मिल

जाएगी," कहकर अमित और जोरों से मेरी चूत चूसने लगा.

कटोरे मे खीर ख़तम होने तक हम चारों की चूत कई बार पानी

छोड़ चुकी थी.

"अब हम क्या करें?" सुमित ने अपने होठों को सॉफ करते हुए पूछा.

"वही जो सुबह कर रहे थे," अनु ने कहा, "लेकिन इस बार हमारी बारी

बीच मे होने की."

क्या रात गुज़री हम लोगों की. शायद इस कदर हमने कभी चुदाई नही

की थी. पहले तो में और अनु, मोना और रीमा की चूत चूस्ते रहे

और दोनो अमित और सुमित हमारी गंद और चूत पीछे से मारते रहे.

फिर पार्ट्नर बदल बदल सारी रात यही चलता रहा.

में और अनु काफ़ी खुश थे. सब कुछ पहले की जैसे ही हो रहा था.

हमारे. कहीं कोई गड़बड़ नही थी. जब हमारे पति ऑफीस चले जाते

तो दिन मोना और रीमा थी हमारे साथ और रात मे हमारे पति हमारी

जमकर चुदाई करते.

हमारी हर रात हर दिन पहले से आक्ची गुज़रती. हम कई आसन से

चुदाई करते. यहाँ तक अमित और सुमित खाम्सुत्र की कीताब भी ले

आए थे जिन्हे देख कर हम सभी आसनो का प्रयोग करते. हमारी

चुदाई मे मोना और रीमा भी शर्ीएक रहती थी.

एक दिन खाना खाने के बाद हम सोने की तय्यरी कर रहे थे तो अमित

ने पूछा, "क्या तुम दोनो मे से किसी ने कभी दो लंड से एक साथ

चुडवाया है?"

"कई बार लिया है," अनु हंसते हुए बोली.

"तो तुम्हे मज़ा आता है?" सुमित मुस्कुराते हुए बोला.

"हां मुझे तो बहोत अक्चा लगता है, जब एक लंड मेरी चूत मे

घुसा हुआ होता है और दूसरे लंड को जब में चूस रही होती हूँ."

अनु ने जवाब दिया.

"अनु डार्लिंग, अमित का कहने का मतलब कुछ और है," सुमित ने

कहा, "इसका मतलब है कि एक लंड चूत मे और एक लंड गंद मे कभी

साथ मे लिया है?"

"तुम्हारा मतलब है दोनो साथ मे वो कैसे हो सकता है?" अनु ने

पूछा.

"हां मेरी जान आज में एक कहानी पढ़ रहा था, जिसमे एक लड़की दो

मर्दों से साथ साथ चुदवाति है और तीनो को बहोत मज़ा आता है."

अमित ने हंसते हुए कहा.

"क्या ऐसा हो सकता है?" मेने पूछा.

"कहानी के हिसाब से हो सकता है, हमने भी फेले कभी ऐसा किया

नही है पर हां करना ज़रूर चाहेंगे," सुमित ने कहा, "अनु क्या

तुम भी इसका मज़ा लेना चाहोगी?"

"एक मिनिट मुझे सोचने दो," अनु ने कहा, फिर मोना रीमा और मेरी

तरफ देख बोली, "में तो सबसे छोटी हूँ तो क्यँ ना किसी बड़े से

शुरआत की जाए और वो मुझे बताए कि दो लंड से चुदवाने मे कैसा

लगता है."

"हम तो तय्यार है," मोना और रीमा साथ साथ बोली.

"सूमी तुम तीनो मे से तुम्हे चूना जाता है." सुमित ने हंसते हुए

कहा.

"अनु तू सही मे छिनाल है, लेकिन चिंता मत कर अगर एक दिन मेने

भी तुझे नही फँसाया तो कहना," मेने कहा, "ठीक है अब बोला तुम

दोनो मुझसे क्या चाहते हो?

"तुम बताओ किसका लंड कहाँ लेना चाहोगी?" सुमित ने पूछा.

"मुझे कोई फरक नही पड़ता जिसका लंड चाहे जहाँ घुसे," मेने

जवाब दिया. "तुम कहो?"

"में इसकी गंद मारूँगा," अमित ने कहा.

"ठीक है," सुमित बिस्तर पर लेटते हुए बोला. फिर उसने मुझे मेरी

टाँगो को उसके बगल मे रख कर उपर आने को कहा. में उसके कहे

अनुसार उसपर लेट गयी, मेरी गंद हवा मे उठ गयी थी.

फिर सुमित ने अपने लंड को नीचे से मेरी चूत पर लगाया और अमित

ने पीछे से अपने लंड को मेरी गंद के छेद पर रख दिया. अब दोनो

अपने लंड को अंदर घुसने लगे.

"आराम से अमित दर्द हो रहा है," मेने कहा.

क्रमशः...............

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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