बीबी की सहेली compleet

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rajaarkey
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बीबी की सहेली compleet

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बीबी की सहेली--1

मेरा नाम आशीष है. रहने वाला कानपुर से थोड़ा दूर एक गाओं से हूँ. दूसरे स्टोरी टेल्लर्स की तरहा मैं बहुत स्मार्ट या हॅंड सम बंदा नहीं हूँ. 30 साल का एक साधारण सा दुबला पतला आदमी हूँ. कद सिर्फ़ 5’5” और वजन सिर्फ़ 54 केजी!! कॉलेज मे दोस्त मुझे छड़ी या हवा या मच्छर पहलवान कहते थे. लेकिन इतना है कि 12थ के समय से ही यानी पिछले 15 साल से मेरा वजन 53 से 55 के बीच ही रहा.

पढ़ाई लिखाई मे ठीक ठाक रहा. शहर से दूर गाओं मे पला बढ़ा, धूप गर्मी बहुत बर्दास्त किया, खेतों मे भी काम किया, गाओं की पोल्यूशन फ्री वातावरण मे बड़ा हुआ, देसी साग सब्जी खाया तो सेहत अच्छी रही है और इनफॅक्ट अभी भी है. मैने देश के टॉप इंजिनियरिंग स्कूल से बी.टेक किया है और मैं अभी पुणे की एक कंपनी मे इंजिनियर के तौर पर काम करता हूँ. सॅलरी भी ठीक ठाक है.

शारीरिक रूप से उतना आकर्षक नहीं हूँ फिर भी इतना तो है कि शहर के दूसरे हेल्ती नौजवान लड़कों की तुलना मे मेरा फिज़िकल और मेंटल स्टॅमिना थोड़ा ज़्यादा ही है. तैराकी भी कर सकता हूँ, फुटबॉल का अच्छा खिलाड़ी रहा हू, लोंग डिस्टेन्स रन्नर भी रहा. ऑफीस जो 6थ फ्लोर मे है, उसके लिए कभी लिफ्ट नहीं यूज़ करता, सीढ़ियाँ दौड़ के चढ़ जाता हूँ.

मैं शादी शुदा हूँ. मेरा लंड कोई गधे या घोड़े की तरहा लंबा और मोटा नहीं है, सिर्फ़ 5.5” का ही होता है खड़ा होने पर!! लेकिन सिर्फ़ मेरी बीबी और वो औरतें और लड़कियाँ जानती हैं जो मेरे से चुद चुकी हैं कि मेरा सेक्स पवर अच्छा नहीं तो बुरा भी नहीं है. मैं शीघ्रपतन से कोसों दूर हूँ, हड़बड़ी मे भी चुदाई करूँ तो मेरा लंड महाराज 15 मिनट से पहले नहीं झड्ता, और आराम से चुदाई करूँ तो 30 मिनट से ज़्यादा खींच लेता हूँ, जब तक कि चुदने वाली ना बोले कि अब तो ख़तम करो. शायद ये भी गाओं की ताज़ी हवा का ही असर है. उपर से मैने पॉर्न मूवीस, इंटरनेट से ग्यान प्राप्त कर कलात्मक तरीके से चुदाई करता हूँ.

मैं अपनी बीबी डॉली के साथ पुणे सिटी के बाहर एक फ्लॅट मे रहता हूँ. उसके फाएेदे बहुत हैं, एक तो रेंट कम लगता है, दूसरा शोर शराबा कम और तीसरा प्राइवसी भी अच्छी मेनटेन होती है. हमारी शादी हुवे 4 साल हो गये और हमारी चुदाई लाइफ बहुत अच्छी चल रही है. हम दोनों शादी के 5-6 साल तक कोई बच्चा नहीं चाहते हैं, ताकि हम अपनी चुदाई लाइफ को ज़्यादा दिन तक़ एंजाय करें. और इसके लिए तमाम फंदे हम लगाते हैं .. जैसे कि सेफ पीरियड, झड़ने से पहले लंड चुनमुनियाँ से निकाल लेना और कॉंडम एट्सेटरा. लेकिन हम कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स से दूर भागते हैं, ज़्यादा यूज़ करने से उसके साइड एफेक्ट्स भी होते हैं.

इंजिनियरिंग के दिनों मेरा एक बॅचमेट था मनीष. एक बार लास्ट सम्मर वाकेशन मे उसके घर जो देल्ही मे है, 3 दिन के लिए गया था. वहीं मैने उसकी बहन डॉली को देखा. उसका परिवार काफ़ी अच्छा लगा, सभी डाउन-तो ऐर्थ नेचर वाले. डॉली उस समय 18 यियर्ज़ की थी और वो बी. एस सी. 1स्ट्रीट एअर मे थी. वो बहुत आकर्षक व्यक्तित्व की लगी, दिखने मे सुंदर, गोरी सी, स्लिम सी. रहन सहन एक दम सिंपल, पढ़ने लिखने मे ठीक ताक, सजने सँवरने का ज़्यादा शौक नहीं, सिंपल सी ड्रेस पहना करती थी. घर के काम मे अपनी माताजी की मदद करती थी. बोलचाल भी कंट्रोल्ड वे मे करती थी. उसकी मुस्कुराहट भी बहुत अच्छी लगती थी. वो मुझे मन ही मन भा गयी.

नेक्स्ट एअर हम लोग पास आउट हो गये. मेरा सेलेक्षन कॅंपस के थ्रू पुणे के कंपनी मे और मनीष का जॉब देल्ही मे ही लग गया. उस समय मैं 23 साल का था. उसे ईमेल / फोन पर बातें होती रही. जॉब के 3 साल बाद मेरे माता पिता मेरे लिए लड़की देखने लगे. मेरे दिमाग़ मे तब भी डॉली के ख्याल थे. डॉली तब ग्रेडियुयेशन कंप्लीट कर चुकी थी. मैने मनीष से बात किया, अपनी इच्छा बताई तो वो भी खुश हुआ. बाद मे हमारे पेरेंट्स ने बात की, डॉली से पूछा गया, पता चला वो भी मुझे पसंद करती थी और रिस्ता फिट हो गया. शादी के समय मैं 26 का और डॉली 22 यियर्ज़ की थी.

आज वो 26 की है, शादी के बाद डॉली और भी निखर गयी, जैसा कि हर लड़की निखर जाती है. उसने अपना वजन भी कंट्रोल कर रखा है, ग्रेवी, आयिल, फट कम खाते हैं हम.

डॉली भी चुदाई का आनंद जमके लेती है. हमारे जनरल रुटीन है सोने से पहले और सुबह उठकर एक एक ट्रिप चुदाई के मारते हैं. वीकेंड मे ये चुदाई एक दिन मे 4-5 बार तक़ हो जाती है. हम चुदाई कहीं भी करते हैं बेड रूम, हॉल मे, सोफे मे, बाल्कनी मे और बाथरूम मे भी. और हर पासिबल पोज़ मे. बोले तो हमारा चुदाई लाइफ बिंदास चल रहा है.

पिछले जन्वरी-2010 मे हमारे ही फ्लोर के फ्लॅट मे एक दंपति आए. 2 महीना होते होते उसके हज़्बेंड से जान पहचान हो गयी. हज़्बेंड का नाम ज़य है उमर करीब 36 साल है और वाइफ का नाम ललिता है करीब 34 साल की. दोनों की शादी 10 साल पहले हुई है, रहने वाले अल्लहाबाद के हैं. ज़य एक बॅंक मे मॅनेजर है और ललिता भाभी हाउस वाइफ. ज़य ऐसे तो दिखने मे हेल्ती लगता है, लेकिन थोड़ा तोंद बढ़ा हुआ सा है. शांतचित स्वाभाव का लगता है. भाभिजी भी गदराई हुई जिस्म की मल्लिका है. थोड़ा वजन चढ़ाई हुई है, लेकिन नैन नक्स सुंदर लगते हैं, रंग गोरा है और आकर्षक लगती है. हाइट करीब 5’3” होगा और वजन 65-67 क्ग आस पास होगा.

उनका किचन हमारे 3र्ड फ्लोर की सीढ़ी के सामने पड़ता है. सुबह को जब मैं 9 बजे ऑफीस जाता हूँ तो ललिता किचन मे रहती है, और शाम को जब मैं उच्छलते कूदते सीढ़ी चड़ता हूँ तो वो उस समय भी किचन मे रहती है. शुरू मे मैं उसमे कोई ध्यान देता नहीं था, लेकिन एक महीने होते होते मैने नोटीस किया कि वो मुझे देखके मुस्कुराती थी, शायद मेरे बच्चों जैसी हरकतों, सीधी को दौड़ते हुए चढ़ने के अंदाज़ पे हँसती थी.

धीरे धीरे जयजी के साथ हँसना बोलना शुरू हुआ. तब तक ललिता और डॉली की जान पहचान नहीं हुई थी. इसी बीच एक दिन सब्जी मार्केट मे वो दोनों भी मिल गये. तब मैने पहली बार ललिता से 2-4 बात की और डॉली और ललिता का भी इंट्रोडक्षन हुआ. मैने कहा, “भाभी कभी कभी हमारे यहाँ आ जाया कीजिए, भाई साहब भी नहीं रहते हैं दिन को और मैं भी नहीं रहता हूँ. डॉली तो दिन भर सीरियल्स देखते रहती है, उसी बहाने इसका भी टाइम पास हो जाएगा.” ललिता ने कहा, “ठीक है.”

उसके दूसरे दिन से ही वो हमारे यहाँ आने जाने लगी. धीरे धीरे डॉली और ललिता दोनों दोस्त बन गयी, उमर के गॅप के बावजूद. सब्जी मार्केट साथ साथ जाने लगी. पता नहीं क्यूँ मुझे अपने से बड़ी उमर की औरतें जवान लड़कियों से ज़्यादा आकर्षित करती हैं. फिर एक दिन मुझे ध्यान आया कि इतने दिन तक दोनों के यान्हा बच्चा नहीं है, कुच्छ तो गड़बड़ है. क्यूंकी शादी के बाद इंडियन लोग 4-5 साल से ज़्यादा फॅमिली प्लॅनिंग नहीं करते हैं. इसीलिए मैने डॉली से एक दिन बोला की ललिता को पुछे की ललिता और ज़य प्रेग्नेन्सी रोकने का कौन सा तरीका अपनाते हैं जो 10 साल तक बच्चा नहीं हुआ!! क्या ललिता बच्चा नहीं चाहती क्यूंकी वो 34 साल की हो चुकी थी.

डॉली ने एक दिन पूछा तो पहले तो ललिता टाल मटोल करती रही लेकिन बाद मे बताई की ज़य के वीर्य मे कुच्छ कमी है इसीलिए वो बच्चा बनाने के काबिल नहीं है. सेक्स लाइफ भी उनका अच्छा नहीं है. इसके लिए उन्होने ज़य के इलाज़ मे बहुत रुपया खर्च किया है, पर कोई फ़ायदा नहीं हुआ.

धीरे धीरे मैं ललिता से हल्की फुल्की मज़ाक करने लगा. मेरी बच्चों जैसी हरकतों पर वो खूब मुस्कुराती थी. शुबह शाम किचन मे दिखती है. मैने भी बाद मे उसकी मुस्कान का जवाब मुस्कुरकर देने लगा. फिर उसको चोद्ने की इच्छा भी मेरे दिमाग़ मे पनपने लगी. कभी कभी डॉली को चोदते समय ललिता का ख्याल करके चुदाई करने लगा. सोचता था ललिता भाभी की गोरी चिकनी मांसल जांघे हैं, फूली हुई चुनमुनियाँ है, और बड़े बड़े बूब्स!!

3-4 महीने तक सब कुच्छ ठीक ठाक चलता रहा. एक दिन डॉली और ललिता दोनों ने फिल्म देखने जाने की इच्छा जताई. तो मैने उसके नेक्स्ट सॅटर्डे 10 बजे को 2 बजे के शो के लिए 4 टिकेट लेकर आया. लेकिन 12 बजे ज़य के बॅंक से फोन आया कि कुच्छ अर्जेंट वर्क की वजह से उसको बॅंक जाना है. ज़य ने बोला, “यार आशीष आप लोग फिल्म देख आओ.” मैने पूछा भाभी जी जाएँगी या नहीं, तो उसने कहा कि ललिता को भी लेकर जाना. फिर वो ऑफीस चले गये और मैं, डॉली और ललिता के साथ मूवी देखने चला गया. डॉली और ललिता दोनों ने सारी पहन रखी थी मानो दोनों मे कॉंपिटेशन है कि कौन ज़्यादा सुंदर दिखती है. डॉली तो पिंक सारी मे सुंदर लग ही रही थी, पर ललिता भी प्रिंटेड सारी मे उससे कम सुंदर नहीं लग रही थी.

मूवी हॉल मे मैं दोनों के बीच बैठ गया. ललिता भाभी की बगल वाली सीट खाली रह गयी क्यूंकी वो ज़य के लिए थी. मूवी शुरू हुई. लाइट्स ऑफ. थोड़ी देर हम ने मूवी का मज़ा लिया, मूवी मे कुच्छ डबल मीनिंग जोक भी थे. उन कॉमेडीस पर मैं तो ललिता का लिहाज कर थोड़ा कम हंस रहा था, लेकिन डॉली और ललिता दोनों तो पूरे मूड मे थी. दोनों खूब हंस रही थी, फिल्म के कॉमेडी सीन्स पर. मैने अंधेरे का फायेदा लेते हुए डॉली के जाँघ के उपर हाथ रखा फिर उसके नाभि को सहलाने लगा. उसको शायद मूवी ज़्यादा अच्छा लग रही थी, इसीलिए उसने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे जाँघ पर रख दिया. मैं समझ गया कि वो छेड़-छाड़ के मूड मे नहीं है. तो मैने आगे कुच्छ नहीं किया उसे. 10 मिनट तक मैं भी चुप-चाप मूवी देखता रहा. फिर अचानक जस्ट सामने वाली सीट पे देखा तो उसमे 1 लड़का और लड़की फिल्म के साथ एक दूसरे को सहलाकर भी मज़ा ले रहे हैं. इंटर्वल मे लाइट जली तो देखा वो दोनों कोई प्रेमी जोड़ा लग रहे थे.

इंटर्वल के बाद फिर अंधेरे का फ़ायदा उठा कर वो दोनों लड़का लड़की चालू हो गये. मैने ललिता भाभी की ओर देखा तो वो भी मूवी के बदले उनको देख रही है. मैने सोचा, चलो एक चान्स ले लेता हूँ. ललिता भाभी या तो लिफ्ट देगी या तो नहीं. मैने अपना एक हाथ ललिता की जाँघ पर रखा. 3-4 मिनट तक उसने कुछ हरकत नहीं की. मैने उसकी तरफ देखा तो उसने मेरी तरफ देख कर थोड़ा मुस्कुरा दिया. मैने उसकी जाँघ को थोड़ा दबाया, तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं समझ गया कि ये लिफ्ट दे देगी. मैने हाथ को थोड़ा उपर सरकार उसकी खुली नाभि पे हाथ फेरा. शायद उसको अच्छा लग रहा था. थोड़ी देर उसकी गहरी नाभि पे उंगली घुसा कर थोड़ा सहलाया, फिर मैने उसकी ओर देखा, वो भी मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा रही थी. फिर मैने सोचा कि यहाँ डॉली देख लेगी तो सारी शरारत निकल जाएगी मेरी, इसलिए मैने अपना हाथ हटा लिया. और मैं भी मूवी देखने लगा. बीच मे 1-2 बार हम दोनों एक दूसरे को देख के मुस्कुराए.

मूवी ख़तम हुई तो हम सब बाहर निकले. डॉली ने ललिता को पूछा कि मूवी कैसी लगी तो वो बोली बहुत अच्छी, कॉमेडी बहुत अच्छी है. उस दिन मुझे पता चल तो गया कि ललिता भाभी मुझे लिफ्ट दे सकती है. उसकी सेक्स की भूक ठीक से नहीं शांत किया जाता ये मुझे मालूम था. मैने इस बात का फ़ायदा उठाने के लिए सोच लिया कि जब भी मौका मिलेगा मैं भाभी को चोद दूँगा. वहाँ से आने के बाद मैने फ्रेश होकर डॉली को बेड मे पटककर जमकर चोदा, ललिता भाभी को याद करके.

उसके बाद हमारे बीच सब नॉर्मल रहा. इसी बीच पिछले सेप्टेमबेर को डॉली की माता जी की तबीयत ज़्यादा खराब हो गयी. खबर मिलते ही मैं और डॉली मुंबई से फ्लाइट पकड़कर देल्ही चले गये. देल्ही पहुँचा, सासू जी हॉस्पिटल मे थी. 2 दिन बाद उनको हॉस्पिटल से छुट्टी मिली. वो काफ़ी कमजोर हो गयी थी. उन्हें रेस्ट की सलाह दी गयी. उसके दूसरे दिन मैं डॉली को वहीं उसकी मा यानी मेरी सास के पास छोड़ दिया की 1 महीना जैसे वो उसकी मा के साथ रहे, उनकी मा को अच्छा लगेगा. डॉली पहले तो हिचकिचाई की मेरे खाने पीने का क्या होगा. मैने कहा की थोड़ा बहुत तो खाना बनाना आता है, खुद बना लूँगा. टाइम नहीं मिला तो कभी कभी ढाबा या होटेल मे खा लूँगा.

मैं वापस पुणे लौट गया. 3 दिन ताक़ सब ठीक ठाक चलता रहा. डेली 1-2 बार डॉली से फोन पे बात कर लेता. लेकिन 3 दिन बाद मेरी हालत खराब. रोज़ 2 चुदाई करने वाले को 3 दिन तक़ चुदाई ना मिले तो क्या होगा!! दिन तो किसी तरहा गुजर जाता, पर रात को नींद नहीं आती, डॉली की याद आने लगती. फिर मुझे मूठ मारना ही पड़ जाता.

5थ डे की शाम को मैं 04:30 बजे ही ऑफीस से लौटा. सीधी चढ़ते समय देखा, ललिता किचन मे थी. घर आकर मैने नहाया. नहाते समय ललिता भाभी को याद करके मूठ मारा. फ्रेश होकर मैने टी-शर्ट और बरमूडा पहन लिया कि अब कहीं नहीं जाना, मैं अकेला ही हूँ और टीवी देखने लगा. 05:30 बजे करीब डोर बेल बजी तो मैने दरवाजा खोला, आश्चर्या से मेरी आँखें खुली रह गयी, सामने ललिता भाभी थी. उसको मैने अंदर आने को कहा और सोफे पे बैठने को कहा. मैने कहा, “भाभी आप बैठो, मैं चाय बनाकर लता हूँ उसके बाद बात करते हैं.” मैं चाय बनाकर ले आया और पूछा “भाभी कैसे आना हुआ? डॉली तो नहीं है.” वो बोली, “हां, यही पूछने के लिए आई. कल भी मैने ट्राइ किया और आज भी पर घर पे कोई नहीं था यहाँ!! सब ठीक तो है!!” मैने उनको सारी बातें बताई और ये भी बताया कि डॉली तो 1-2 महीने के लिए अपनी मा यानी मेरी सास के पास रहेगी. उसने कहा, “ये आपने बहुत अच्छा किया. लेकिन खाने पीने का दिक्कत तो नहीं?” मैने कहा, “नहीं भाभी, थोड़ा बहुत बना लेता हूँ, अच्छा तो नहीं पर अपने लिए खाने लायक बन जाता है, उसी से काम चल रहा है.” उसने कहा, “चाय तो आपने बहुत अच्छा बनाया है.” मैने उसको पूछा कि ज़य कहाँ गये. उसने बताया, “उनका अभी फोन आया कि वो आज 9 बजे के बाद आएँगे.” मैने कहा, “आप ने अच्छा किया, मैं भी जब से अकेला हूँ, बोर हो रहा हूँ. डॉली होती तो उसके साथ वक़्त गुजर जाता है.” उसने घर देखा, घर थोड़ा गंदा दिख रहा था. चाय ख़तम होने के बाद मेरे मना करने के बावजूद, उसने झाड़ू उठाया और घर को सॉफ कर दिया.

क्रमशः…………………….

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Re: बीबी की सहेली

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BIBI KI SAHELI--1

Mera naam Ashish hai. Rahne wala Kanpur se thoda dur ek gaon se hun. Dusre story tellers ki tarha main bahut smart ya hand some banda nahin hun. 30 saal ka ek sadharan sa dubla patla aadmi hun. Kad sirf 5’5” aur wajan sirf 54 kg!! College me dost mujhe Chhadi ya Hawa ya Machchad pahalwan kahte the. Lekin itna hai ki 12th ke samay se hi yani pichle 15 saal se mera wajan 53 se 55 ke beech hi raha.

Padhai likhai me theek thak raha. Shahar se dur gaon me pala badha, dhoop garmi bahut bardast kiya, kheton me bhi kaam kiya, gaon ki pollution free watavaran me bada hua, desi saag sabji khaya to sehat achchi rahi hai aur infact abhi bhi hai. Maine desh ke top engineering school se B.Tech kiya hai aur main abhi Pune ki ek company me engineer ke taur par kaam karta hun. Salary bhi theek thak hai.

Sharirik roop se utna akarshak nahin hun phir bhi itna to hai ki shahar ke dusre healthy naujwan ladkon ki tulna me mera physical aur mental stamina thoda jyada hi hai. Tairaki bhi kar sakta hun, football ka achcha khiladi raha, long distance runner bhi raha. Office jo 6th floor me hai, uske liye kabhi lift nahin use karta, sidhiyan daud ke chad jata hun.
Main shadi shuda hun. Mera Lund koi gadhe ya ghode ki tarha lamba aur mota nahin hai, sirf 5.5” ka hi hota hai khada hone par!! Lekin sirf meri bibi aur wo auratein aur ladkiyan janti hain jo mere se chud chuki hain ki mera sex power achcha nahin to bura bhi nahin hai. Main sheeghrapatan se koson dur hun, hadbadi me bhi chudaai karun to mera lund maharaj 15 minat se pahle nahin jhaDtaa, aur aaram se chudaai karun to 30 minat se jyada khinch leta hun, jab tak ki chudane wali na bole ki ab to khatam karo. Shayad ye bhi gaon ki taazi hawa ka hi asar hai. Upar se maine porn movies, internet se gyaan prapt kar kalaatmak tarike se chudaai karta hun.

Main apni bibi Dolly ke saath Pune city ke bahar ek flat me rahta hun. Uske phayede bahut hain, ek to rent kam lagta hai, dusra shor sharaba kam aur teesra privacy bhi achchi maintain hoti hai. Humari shadi huwe 4 saal ho gaye aur humari chudaai life bahut achchi chal rahi hai. Humne donon shadi ke 5-6 saal tak koi bachcha nahin chahte hain, taki hum apni chudaai life ko jyada din taq enjoy karein. Aur iske liye tamam funde hum lagate hain .. jaise ki safe period, jhadne se pahle lund chunmuniyaan se nikal lena aur condom etc. Lekin hum contraceptive pills se door bhagte hain, jyada use karne se uske side effects bhi hote hain.

Engineering ke dinon mera ek batchmate tha Manish. Ek baar last summer vacation me uske ghar jo delhi me hai, 3 din ke liye gaya tha. Wahin maine uski bahan Dolly ko dekha. Uska parivar kaphi achcha laga, sabhi down-to earth nature wale. Dolly us samay 18 years ki thi aur wo B. Sc. 1st year me thi. Wo bahut akarshak vyaktitwa ki lagi, dikhni me sundar, gori si, slim si. Rahan sahan ek dum simple, padhne likhne me theek thak, sajne sanwarne ka jyada shauk nahin, simple si dress pahna karti thi. Ghar ke kaam me apni mataji ki madad karti thi. Bolchal bhi controlled way me karti thi. Uski muskurahat bhi bahut achchi lagti thi. Wo mujhe man hi man bha gayi.

Next year hum log pas out ho gaye. Mera selection campus ke through Pune ke company me aur Manish ka job Delhi me hi lag gaya. Us samay main 23 saal ka tha. Use emainl / phone par batein hoti rahi. Job ke 3 saal baad mere mata pita mere liye ladki dekhne lage. Mere dimaag me tab bhi Dolly ke khyal the. Dolly tab gradiuation complete kar chuki thi. Maine Manish se baat kiya, apni ichcha batayi to wo bhi khush hua. Bad me humare parents baat kiya, Dolly se puchaa gaya, pata chala wo bhi mujhe pasand karti thi aur rista fit ho gaya. Shadi ke samay main 26 ka aur Dolly 22 years ki thi.
Aaj wo 26 ki hai, shadi ke baad Dolly aur bhi nikar gayi, jaisa ki har ladki nikar jati hai. Usne apna wajan bhi control kar rakha hai, gravy, oil, fat kam khate hain hum.

Dolly bhi chudaai ka anand jamke leti hai. Humara general routine hai sone se pahle aur subah uthkar ek ek trip chudaai ke marte hain. Weekend me ye chudaai ek din me 4-5 baar taq ho jati hai. Hum chudaai kahin bhi karte hain bed room, hall me, sofe me, balcony me aur bathroom me bhi. Aur har possible pose me. Bole to humara chudaai life bindas chal raha hai.

Pichle January-2010 me humare hi floor ke flat me ek dampati aaye. 2 mahina hote hote uske husband se jaan pahchan ho gayi. Husband ka naam Jay hai umar kareeb 36 saal hai aur wife ka naam Lalita hai kareeb 34 saal ki. Donon kee shadi 10 saal pahle hui hai, rahne wale Allahabad ke hain. Jay ek bank me manager hai aur Lalita bhabhi house wife. Jay aise to dikhne me healthy lagta hai, lekin thoda thond badha hua sa hai. Shantchit swabhav ka lagta hai. Bhabhiji bhi gadrayi hui jism ki mallika hai. Thoda wajan chadhaai hui hai, lekin nain naks sundar lagte hain, rang gora hai aur akarshak lagti hai. Height kareeb 5’3” hoga aur wajan 65-67 kg aas pas hoga.

Unka kitchen hamare 3rd floor ki sidhi ke samne padta hai. Subah ko jab main 9 baje office jata hun to Lalita kitchen me rahti hai, aur sham ko jab main uchchalte kudte sidhi chadta hun to wo us samay bhi kitchen me rahti hai. Shuru me main usme koi dhyan deta nahin tha, lekin ek mahine hote hote maine notice kiya ki wo mujhe dekhke muskuraati thi, shayad mere bachchon jaisi harkaton, sidhi ko daudte hue chadne ke andaz pe hansti thi.

Dheere dhire Jayji ke sath hansna bolna shuru hua. Tab tak Lalita aur Dolly ki jaan pahchan nahin hui thi. Isi beech ek din sabji market me wo donon bhi mil gaye. Tab maine pahli baar Lalita se 2-4 bat kiya aur Dolly aur Lalita ka bhi introduction hua. Maine kaha, “Bhabhi kabhi kabhi humare yahan aa jaya kijiye, bhai saahab bhi nahin rahte hain din ko aur main bhi nahin rahta hun. Dolly to din bhar serials dekhte rahti hai, usi bahane iska bhi time paas ho jayega.” Lalita ne kaha, “theek hai.”
Uske dusre din se hi wo humare yahan aane jane lagi. Dhire dhire Dolly aur Lalita donon dost ban gayi, umar ke gap ke bavjood. Sabji market sath sath jane lagi. Pata nahin kyun mujhe apne se badi umar ki auratein jawan ladkiyon se jyada akarshit karti hain. Phir ek din mujhe dhyan aaya ki itne din taq donon ke yanan bachcha nahin hai, kuchh to gadbad hai. Kyunki shadi ke baad Indian log 4-5 saal se jyada family planning nahin karte hain. Isiliye Maine Dolly se ek din bola ki Lalita ko puchhe ki Lalita aur Jay pregnancy rokne ka kaun sa tarika apnate hain jo 10 saal tak bachcha nahin hua!! Kya Lalita bachcha nahin chahti kyunki wo 34 saal ki ho chuki thi.

Dolly ne ek din puchaa to pahle to Lalita taal matol karti rahi lekin baad me batayi ki Jay ke Virya me kuchh kami hai isiliye wo bachcha banane ke kabil nahin hai. Sex life bhi unka achcha nahin hai. Iske liye unhone Jay ke ilaz me bahut rupya kharch kiya hai, par koi faayada nahin hua.

Dheere dheere main Lalita se halki phulki mazak karne laga. Meri bachchon jaisi harkaton per wo khoob muskurati thi. Shubah sham kitchen me dikti hai. Maine bhi baad me uski muskan ka jawab muskurakar dene laga. Phir usko chodne ki ichcha bhi mere dimaag me panapne lagi. Kabhi kabhi Dolly ko chodate samay Lalita ka khyaal karke chudaai karne laga. Sochta tha Lalita bhabhi ki gori chikni mansal jaanghe hain, phuli hui chunmuniyaan hai, aur bade bade boobs!!

3-4 mahine tak sab kuchh theek thak chalta raha. Ek din Dolly aur Lalita donon ne film dekhne jane ki ichcha jatayi. To maine uske next Saturday 10 baje ko 2 baje ke show ke liye 4 ticket lekar aaya. Lekin 12 baje Jay ke bank se phone aaya ki kuchh urgent work ki wajah se usko bank jana hai. Jay ne bola, “Yaar Ashish aap log film dekh aao.” Maine puchaa Bhabhi ji jayengi yaa nahin, to usne kaha ki Lalita ko bhi lekar jana. Phir wo office chale gaye aur main, Dolly aur Lalita ke sath movie dekhne chala gaya. Dolly aur Lalita donon ne saree pahan rakhi thi mano donon me competition hai ki kaun jyada sundar dikhti hai. Dolly to Pink saree me sundar lag hi rahi thi, par Lalita bhi printed saree me usse kam Sundar nahin lag rahi thi.

Movie hall me main donon ke beech baith gaya. Lalita bhabhi ki bagal wali seat khali rah gayi kyunki wo Jay ke liye thi. Movie shuru hui. Lights off. Thodi der humne movie ka maza liya, movie me kuchh double meaning joke bhi the. Un comedies par main to Lalita ka lihaj kar thoda kam hans raha tha, lekin Dolly aur Lalita donon to pure mood me thin. Donon khoob hans rahi thi, film ke comedy scens par. Maine andhere ka phayeda lete hue Dolly ke jhang ke upar hath rakha phir uske nabhi ko sahlane laga. Usko shayad movie jyada achcha lag rahi thi, isiliye usne mera hath pakad kar mere jangh par rakh diya. Main samajh gaya ki wo ched-chad ke mood me nahin hai. To maine aage kuchh nahin kiya use. 10 minat tak main bhi chup-chap movie dekhta raha. Phir achanak just samne wali seat pe dekha to usme 1 ladka aur ladki film ke saath ek dusre ko sahlakar bhi maza le rahe hain. Interval me light jali to dekha wo donon koi premi joda lag rahe the.

Interval ke baad phir andhere ka faayada utha kar wo donon ladka ladki chalu ho gaye. Maine Lalita bhabhi ki or dekha to wo bhi movie ke badle unko dekh rahi hai. Maine socha, chalo ek chance le leta hun. Lalita bhabhi ya to lift degi ya to nahin. Maine apna ek hath Lalita ki jhang par rakha. 3-4 minat tak usne kuch harkat nahin ki. Maine uski taraf dekha to usne meri taraf dekh kar thoda muskura di. Maine uski jhangh ko thoda dabaya, to usne mera hath pakad liya. Main samajh gaya ki ye lift de degi. Maine hath ko thoda upar sarkar uski khuli nabhi pe hath phera. Shayad usko achcha lag raha tha. Thodi der uski gahri nabhi pe ungli gusakar thoda sahlaaya, phir maine uski or dekha, wo bhi meri taraf dekhkar muskura rahi thi. Phir maine socha ki yahan Dolly dekh legi to sari shararat nikal jayegi meri, isliye maine apna hath hata liya. Aur main bhi movie dekhne laga. Beech me 1-2 baar hum donon ek dusre ko dekh ke muskuraaye.

Movie khatam hui to hum sab bahar nikale. Dolly ne Lalita ko pucha ki movie kaisi lagi to wo boli bahut achchi, comedy bahut achchi hai. Us din Mujhe pata chal to gaya ki Lalita bhabhi mujhe lift de sakti hai. Uski sex ki bhook theek se nahin shant kiya jata ye mujhe maloom tha. Maine is baat ka faayada uthane ke liye soch liya ki jab bhi mauka milega main bhabhi ko chod dunga. Wahan se aane ke baad maine fresh hokar Dolly ko bed me patakkar jamkar choda, Lalita bhabhi ko yaad karke.
Uske baad humare bich sab normal raha. Isi beech pichle September ko Dolly ki maata ji ki tabiyat jyada kharab ho gayi. Khabar milte hi Main aur Dolly Mumbai se flight pakadkar Delhi chale gaye. Delhi pahuncha, saasu ji hospital me thi. 2 din baad unko hospital se chutti mili. Wo kaphi kamjor ho gayi thi. Unhen rest ki salah di gayi. Uske dusre din main Dolly ko wahin uski maa yani meri saas ke paas chod diya ki 1 mahina jaise wo uski maa ke sath rahe, unki maa ko achcha lagega. Dolly pahle to hichkichaayi ki mere khane pine ka kya hoga. Maine kaha ki thoda bahut to khana banana aata hai, khud bana lunga. Time nahin mila to kabhi kabhi dhaba ya hotel me kha lunga.

Main wapas Pune laut gaya. 3 din taq sab theek thak chalta raha. Daily 1-2 baar Dolly se phone pe baat kar leta. Lekin 3 din baad meri halat kharab. Roz 2 chudaai karne wale ko 3 din taq chudaai na mile to kya hoga!! Din to kisi tarha gujar jata, par raat ko neend nahin aati, Dolly ki yaad aane lagti. Phir mujhe moot marna hi pad jata.

5th day ki sham ko main 04:30 baje hi office se lautha. Sidhi chadte samay dekha, Lalita kitchen me thi. Ghar aakar maine nahaya. Nayate samay Lalita bhabhi ko yaad karke mooth mara. Fresh hokar maine T-shirt aur barmuda pahan liya ki ab kahin nahin jana, main akela hi hun aur TV dekhne laga. 05:30 baje kareeb door bell baji to maine darwaja khola, ashcharya se meri aankhen khuli raha gayi, samne Lalita bhabhi thi. Usko maine andar aane ko kaha aur sofe pe baithne ko kaha. Maine kaha, “Bhabhi aap baitho, main chaye banakar lata hun uske baad baat karte hain.” Main chaye banakar le aaya aur puchaa “Bhabhi kaise aana hua? Dolly to nahin hai.” Wo boli, “Haan, yahi puchne ke liye aayi. Kal bhi maine try kiya aur aaj bhi par ghar pe koi nahin tha yahan!! Sab theek to hai!!” Maine unko sari batein batayi aur ye bhi bataya ki Dolly to 1-2 mahine ke liye apni maa yani meri saas ke paas rahegi. Usne kaha, “Ye aapne bahut achcha kiya. Lekin khane pine ka dikhat to nahin?” Maine kaha, “nahin bhabhi, thoda bahut bana leta hun, achcha to nahin par apne liye khane layak ban jata hai, usi se kaam chal raha hai.” Usne kaha, “Chaye to aapne bahut achcha banaya hai.” Maine usko puchaa ki Jay kahan gaye. Usne bataya, “Unka abhi phone aaya ki wo aaj 9 baje ke baad aayenge.” Maine kaha, “Aap ne achcha kiya, main bhi jab se akela hun, bore ho raha hun. Dolly hoti to uske sath waqt gujar jata hai.” Usne ghar dekha, ghar thoda ganda dikh raha tha. Chaye khatam hone ke baad mere mana karne ke bavjud, Usne jhadu uthaya aur ghar ko saaf kar diya.
kramashah…………………….

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बीबी की सहेली--2

गतान्क से आगे……………………….

फिर मैने पूछा, “आप भी आज कल अकेली रहती हैं दिन भर, डॉली भी नहीं है, बोर नहीं हो जाती हैं?” उसने तुरंत उत्तर दिया, “बोर तो बहुत हो जाती हूँ, सीरियल भी कितना देखूँगी, सेकेंड हाफ मे तो सोते रहती हूँ, अभी अभी सो कर उठी हूँ. इसीलिए तो आई हूँ यहाँ, कि कुच्छ पता तो चले कि डॉली कहाँ चली गयी.” फिर मैने पूछा, “भाभी, उस दिन मूवी आपको कैसी लगी?” वो बोली, बहुत अच्छा. मैने कहा, “लेकिन भाभी आप तो फिल्म कम और सामने की सीट पर बैठे लड़का-लड़की को ज़्यादा देख रही थीं!!” वो मुस्कुरा दी. वो उस समय ग्रीन कलर की सारी पहन रखी थी जो उस पर बहुत अच्छा लग रहा था. मैने कहा, “भाभी आज कल तो सिनिमा हॉल्स मे ऐसी सीन्स कामन हो गये हैं. आपको क्या लगता है, ये प्रेमी जोड़ा पिक्चर देखने आते हैं? नहीं भाभी, वो तो पिक्चर बनाने आते हैं, देखना तो एक बहाना है.” वो बोली, “हां ये तो है, पर तुम्हारे जयजी तो मेरे साथ पिक्चर जाते ही नहीं!!” मैने कहा, “भाभी, ऐसा नहीं है, उनको टाइम नहीं मिलता होगा, उनका जॉब ही ऐसा है. हम लोग भी तो साल मे 5-6 बार ही जाते हैं. वैसे आप लोग कितनी बार जाते हैं?” उसने कहा, “शादी हुए 10 साल हो गये, अभी तक सिर्फ़ 2 बार गये हैं हम. बच्चे भी नहीं हैं, और मैं बोर होते रहती हूँ.” मैने मज़ाक किया, “बच्चे होते नहीं हैं भाभी, बनाए जाते हैं. और बच्चा बनाने के लिए मेहनत करना पड़ता है, इसके लिए आपको जयजी के साथ पिक्चर देखने की ज़रूरत नहीं, पिक्चर बनाने की ज़रूरत है.” ये सुनकर वो थोड़ी मायूस हो गयी. ये देखकर मैने कहा, “छोड़िए भाभी, इन सब चीज़ों का टेन्षन मत लीजिए, जो भगवान ने दिया उसका आनंद लीजिए. जयजी आपको हर सुख देते हैं, क्या कमी है आपके पास!! अच्छा ख़ासा रहन सहन है.” उसने कहा, “आशिषजी, ये सब ही सब कुच्छ नहीं होता है.”

फिर मैने बोला, “भाभी, उस दिन पिक्चर हॉल मे मैं थोड़ा बहक गया था, माफ़ कर दीजिए.” उसने कहा, “नहीं आशीष, मैं भी तो बहक गयी थी, वैसे बाद मे मैने सोचा तो मुझे अच्छा ही लगा. होता है, अभी आप जवान हो ना. दो खूबसूरत महिलाएँ अगल बगल हों, तो वैसा हो जाना स्वाभाविक है. वैसे आपने कुच्छ किया भी तो नहीं, देवर भाभी मे उतना तो चलना ही चाहिए.” मैने कहा, “वो तो है भाभी, लेकिन आप भी शादी शुदा हैं और मैं भी. एक लिमिट तो रहना ही चाहिए. 5 दिन हो गये, मुझे डॉली की याद बहुत आती है.” वो बोली, “हां, आप उनके बगैर रह नहीं पाते होंगे, रात कैसे काटते होंगे!!” मैने कहा, “भाभी आप भी तो जवान हैं, आप खुद को बूढ़ी ना समझिए, आप बहुत खूबसूरत हैं, अच्छी लगती हैं आप मुझे, आपकी मुस्कुराहट बहुत अच्छी है, मैं चाहता हूँ आप ऐसे ही मुस्कुराती रहें.”

उसके बाद हम दोनों थोड़ी देर चुपचाप रहे. फिर भाभी बोली, “आशीष, मैं मोटी हो गयी हूँ, कहाँ से खूबसूरत लगूंगी!!” मैने कहा, “तो क्या हुआ, आप फिर भी बहुत सुंदर दिखती हैं, आपको देखकर कोई लड़का या मर्द आपको प्यार करना चाहेगा.” वो बोली, “लेकिन आप तो नहीं प्यार करोगे.!!” मैं बोला, “यदि शादी शुदा ना होता तो आप को ज़रूर प्यार करता, लाइन मारता. आप मोटी नहीं, हेल्ती हैं.” उसने कहा, “बहुत डरते हो आप!! डरपोक मर्द हो!!” मैं बोला, “भाभी आप मेरे अंदर के शैतान को मत जगइए, वरना गड़बड़ हो जाएगा.”

वो चुपचाप रही. मैने सोचा, “यार आशीष, क्या सोचते हो? सामने से भाभी चॅलेंज कर रही है, आक्सेप्ट करो!” फिर मैने उसकी ठोडी पकड़कर उपर उठाया और उसकी आँखों मे देखने लगा. सचमुच वो गजब की सुंदर लग रही थी. इधर उनको छूते ही मेरे पॅंट के अंदर का शैतान जागने लगा. उसकी आँखों मे प्यार और सेक्स की भूक नज़र आने लगी. और मेरे बदन मे भी सिहरन दौड़ने लगी. हालाँकि डॉली के साथ हज़ारों बार सेक्स कर चुका हूँ पिच्छले 4 साल मे, ऐसा सिहरन सिर्फ़ शुरुआती दिनों मे होता था.

मैने हिम्मत करके अपने होंठ को उसके होंठ पर रख कर एक हल्का सा चुंबन दिया. उसने आँखें बंद कर ली. लेकिन वो भी शायद डर रही थी, उसने कहा, “आशीष ये ग़लत हो रहा है.” मैने उसको छोड़ दिया और कहा, “भाभी, आप ही तो कह रही थीं, कि मैं डरपोक हूँ, और जब अब मैं हिम्मत कर रहा हू तो आप डर रही है!!” वो चुप रही. उसकी आवाज़ से मैं समझ गया कि वो खुद को मेरे हवाले भी करना चाहती है और डर भी रही है. मैने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “भाभी यदि जो मेरी हालत है वही आपकी भी है तो हो जाने दीजिए, मैं भी जानता हूँ ये ग़लत है, पर पिछले 5 दिन से डॉली के बगैर हूँ तो मेरी इच्छा बहक चुकी है. आप चाहें तो घर जा सकती हैं.” और मैने उसका हाथ छोड़ दिया. वो कुच्छ सोचती रही. शायद किसी कसम्कस मे थी. मैने ठोडी को उपर उठाकर उसके होंठ को फिर से किस किया, उसने आँख बंद कर लिया. फिर मैने उसके माथे को चूमा. उसने भी मेरा दूसरा हाथ पकड़ लिया. इसी तरहा मैने उसके चेहरे को 2-3 मिनट हौले किस किया. समझ गया कि ललिता समर्पण कर चुकी है.

मैने पूछा, “भाभी, बेड रूम चलें क्या?” उसने कोई जवाब नहीं दिया. तो मैने उसका हाथ पकड़कर उठाया और उसकी कमर मे हाथ डालकर उसको अपने बेड रूम मे ले आया और उसको मैने बेड पे बैठाया और उसकी बगल मे बैठ कर उसकी होंठ पे अपना होंठ रख दिया. इस बार उसने भी जवाब दिया, एक हल्का किस के साथ. फिर मैने उसको धीरे से बेड पर लिटाया. फिर उसके माथे को किस किया, फिर आँखों को, कान को, उसके झुमके को, उसके गालों को फिर वापस होंठों को किस किया. मैने कहा, “आप बहुत खूबसूरत लग रहीं हैं इस सारी में.” वो आँखें बंद की हुई थी. फिर मैं उसके बालों को सहलाने लगा. उसको शायद बहुत अच्छा लग रहा था. उसके चेहरे और होंठों को किस करता रहा 5-6 मिनट तक़. फिर एक हाथ से उसके आँचल को उसकी छाती से हटा दिया तो उसकी मॅचिंग कलर की ग्रीन ब्लौज के अंदर उसके हेल्ती उभार देखकर मेरी आँखें फटी रह गयी. उसके बूब्स गोल और सुडौल लग रहे थे. उमर 34 है लेकिन कोई बच्चा नहीं है, शायद इसीलिए बदन पे कसाव अभी भी है. मैने ब्लौज के बटन खोल कर उसके ब्लौज को हटाया और फिर उसकी सफेद ब्रा भी हटा दिया. और धीरे धीरे उसके उभारों से खेलने लगा, संहलाने लगा. उसकी चूचियों को बीच बीच मे किस करने लगा. निपल्स को चूसने लगा. धीरे धीरे मैं नीचे आया, उसकी नाभि को छूने लगा, सहलाने लगा. उसकी नाभि के चारों ओर जीव को हल्का हल्का फिराया तो वो सी-सी-सी की आवाज़ करने लगी.

फिर उसको पलट दिया और पेट के बल लिटा दिया और मैं उसके पीठ को सहलाने लगा. पीठ के हर हिस्से को चूमने लगा. पीठ के चारों ओर जीव फिराया. उसकी कांख को भी चूमा. वो निढाल होते जा रही थी. फिर वही हुआ जो मैं चाहता था, वो उठकर बैठ गयी और बाहें फैलाकर मुझे अपने आगोश मे आने का इशारा किया. मैं उसके पास जाकर बैठ गया. उसने भी मेरे चेहरे को अपने पास खींच कर मेरे लिप्स मे एक हल्का सा किस किया, फिर उसने भी मेरे चेहरे पे हल्के किस बरसाने लगी. उसका ये मूव मुझे बहुत अच्छा लगा. उसने फिर मेरा टी-शर्ट भी उतार दिया और फिर मुझे बेड पे लिटा कर वही करने लगी जो मैने उसके किया था. मेरे पूरे शरीर को सहलाने लगी, चूमने लगी. शरीर के हर हिस्से पे जीव चलाने लगी. मेरे बदन पे सनसनी सी दौड़ रही थी. सचमुच, दूसरों की बीबी का प्यार बहुत अच्छा लगता है.

फिर मैने उसको बेड मे वापस लिटा दिया. और पैरों के पास आकर उसके पैरों को चूमा और एक हाथ से उसकी सारी को ऊपर को ओर सरकते हुए किस करता गया. जब सारी जांघों तक उठी तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. शायद वासना और शर्म था उसका. मैं वहीं रुका. उसकी जांघों को देखा, एकदम चिकनी, गोरी और मांसल जंघें किसी कमजोर मर्द के लंड से तो रस टपक जाता. मैने उसकी जांघों को सहलाया और जीव से हौले हौले गुदगुदी किया.

इसी बीच उसके हाथ हरकत मे आए और उसने मेरे बरमूडा को नीचे खिसका कर हटा दिया. तब तक वो सारी मे ही थी. मैने उठकर उसको अपने बाहों मे भर लिया और दोनों के होंठ फिर सिल गये. एक हाथ से उसके सिर को पकड़ कर रखा, उसके लिप्स को किस करता रहा और दूसरे हाथ से मैने उसके सारी का आँचल खींच कर सारी खोल दिया फिर मैने उसके पेटिकोट का नारा भी खोलकर नीचे गिरा दिया. उसने हल्की डिज़ाइन की पैंटी पहन रखी थी. फिर मैने उसके गोलाकार चूतड़ को हौले हौले सहलाने लगा. उसको अपने शरीर से चिप्टा के रखा रहा. उसकी गांद सहलाते सहलाते मैने उसकी पैंटी भी नीचे खिसका दी. मैने देखा कि उसकी चड्डी गीली हो चुकी थी. इसी बीच उसने भी मेरी नकल करते हुए मेरा चड्डी नीचे खिसका दिया और मेरा 5.5” लंबा लंड तन्कर उसकी चुनमुनियाँ को सलाम करने लगा. इसके पहले कि मैं कुच्छ सोचता उसने मेरा लंड पकड़ लिया. ऊफ्फ, दूसरे की बीबी के हाथ से अपना लंड पकड़वाना कितना अच्छा लगा ये मैं बयान नहीं कर सकता. मैने ललिता से पूछा, “भाभी, ऐसे मत नापीए साइज़ ज़्यादा बड़ा नहीं है.” उसने हंसकर कहा, “मेरे लिए ये साइज़ काफ़ी है, ठीक है.”

उसे लिपट कर मैं उसकी शरीर की गर्मी महसूस करता रहा थोड़ी देर. मैने घड़ी ओर देखा, 7:00 बज रहे थे. यानी पहले किस से अब तक 20 मिनट बीत चुके थे. बेड रूम के ट्यूबलाइज्ट की रोस्नी मे मैने उसके शरीर को ध्यान से देखा तो थोड़ी देर देखता ही रहा गया. गोरी और थोड़ी हेल्ती महिलाएँ नंगी कितनी अच्छी लगती है ये तब पता चला. उसका शरीर ट्यूबलाइज्ट की रोस्नी मे चमक रहा था. मैने उसको बेड पे पेट के बल लिटाया और उसके गांद को सहलाने लगा, उसके चूतड़ को चूमने लगा, उसकी पीठ को सहलाया. डॉली के ड्रेसिंग टेबल से मालिश तेल निकाल कर ललिता की चूतड़ और पीठ पे लगाकर उसको मालिश किया 10 मिनट जैसा.

फिर मैने उसको पलट दिया और माथे को किस किया .. फिर पहले की तरहा धीरे धीरे नीचे सरकाता गया .. फोर्हेड, आइज़, नोस, चीक्स, लिप्स, तोड़ी, नेक, बूब्स, स्टमक, नेवेल को हल्के हल्के किस करता हुआ आया. फिर मैं नीचे पैरों के पास पहुँचा. हाथों से उसके जांघों को सहलाने लगा. और उसके टोस, लेग्स नीस, थाइस को चूमता हुआ नाभि तक आया. उसकी जांघे एकदम चिकनी थी. मैने उसके चुनमुनियाँ को देखा हल्के हल्के बाल थे, शायद कभी कभी ट्रिम करती है. फिर मैने उसके चेहरे को देखा, उसने आँखें बंद की हुई थी. शायद उसे बहुत अच्छा लग रहा था. मैने उसके टाँगों को फैला और घुटनों पर मोड़ दिया ताकि वो एकदम आराम से रहे. मैं उसके जाँघो के बीच बैठा और फिर उसकी नाभि को किस करने लगा. फिर धीरे धीरे नीचे आया और उसकी चुनमुनियाँ के पंखुड़ियों पर एक हल्का सा चुंबन दिया. ललिता सीत्कार कर उठी. वो बोली, “आशीष.., ये आपने क्या किया, सिरसिरी सी लग गयी. ज़य तो कभी ऐसा नहीं करते. वो तो सीधा मेरे उपर चढ़ जाते हैं और 3-4 मिनट मे ख़तम हो जाते हैं और आप तो पिच्छले 30-35 मिनट से प्यार कर रहे हैं.” मैने कहा , “भाभी आप यहाँ ध्यान दो, उन बातों पे नहीं. सबका अपना अपना स्टाइल होता है, जयजी का अपना अंदाज़ होगा.” फिर मैने उसकी गीली हो चुकी चुनमुनियाँ को किस करके उसके चारों ओर जीभ फिराने लगा, वो कसमसाने लगी, उसने मेरा सिर पकड़ लिया. मैने उसकी चुनमुनियाँ के बीचो बीच जीभ भिड़ा दिया और उसकी चुनमुनियाँ को चाटने लगा. मैने डॉली की चुनमुनियाँ भी कई बार चाती है, लेकिन आज ललिता के चुनमुनियाँ का स्वाद थोड़ा अलग लग रहा था, और ना जाने क्यूँ और अच्छा लग रहा था. मैने उकी चुनमुनियाँ को 12-15 मिनट तक चटा. चाटते समय ऐसा लगा कि उसकी चुनमुनियाँ का रस ख़तम ही नहीं हो रहा था. चुनमुनियाँ से रस झरने की तरहा रिस रहा था. और मैं उस रस को चूस्ता रहा चाटता रहा. मेरी नाक भी चुनमुनियाँ रस से गीली हो चुकी थी.

मैं चाहता था कि ललिता भी मेरे लंड को चूसे, लेकिन डर रहा था कि वो कहीं नापसन्द तो नही करेगी, उसको लंड का गंध अच्छा लगेगा कि नहीं. मैने उसको पूछा, “ललिता भाभी, आपका पीरियड रेग्युलर रहता है, लास्ट कब ख़तम हुआ?” उसने कहा, “मेरा पीरियड रेग्युलर रहता है, 1-3 दिन आगे पीछे होता है, 28-31 दिन का साइकल चलता है और लास्ट मेरा 20 दिन पहले ख़तम हुआ है.” “तब तो भाभी ठीक है, प्रेग्नेंट होने का चान्स थोड़ा कम है.” मैने कहा.

मैं उसके जाँघो के बीच बैठकर उसकी पूरी तरहा गीली हो चुकी चुनमुनियाँ पे लंड भिड़ा दिया. मैं धक्का मारने ही वाला था की उसने मुझे रोका और कहा, “रूको आशीष, आप ज़रा नीचे लेटो मैं थोड़ा आपके शरीर से खेलती हूँ.” फिर उसने मुझे लिटा दिया और उसने मुझे किस करना शुरू किया, माथा, नाक, कान, होंठ छाती और फिर पैरों से उपर उठते हुए मेरी जांघों को किस किया उसने और फिर उसने मेरा लंड पकड़कर उसको सहलाया, सूपदे को उपर नीचे किया, अंडों से खेलने लगी. फिर उसने लंड के सूपदे को नीचे तक़ किस कर थोड़ा सूँघा और फिर उसने लंड को मुँह मे ले लिया. मैं उसकी लंड चुसाई का आनंद लेने लगा. मैने कहा, “भाभी, आप धीरे चूसो, नहीं तो लंड का रस आपके मुँह मे ही निकल जाएगा.” वो मुझे 5-6 मिनट तक चूस कर सुख देती रही. ये उन मर्दों को ही पता है जिसने अपना लंड किसी लड़की या औरत से चुस्वाया है की लंड चुसवाना लंड को चुनमुनियाँ मे डालने के मज़े से ज़्यादा मज़ा देता है. इसी बीच मैने उसकी चुनमुनियाँ को सहलाते रहा और उंगली से उसकी चुनमुनियाँ को चोदा. वो बहुत गीली लग रही थी. मैने फिर अपना सिर उसकी जांघों के नीचे ले जाकर उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटने लगा. वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसका चुनमुनियाँ चाट रहा था.

तभी मुझे अपना लंड थोड़ा गरम गरम लगा. मैने ललिता को रुकने का इशारा किया और बाथरूम जाकर पेसाब करके आया और लंड को साबुन से धोके लाया.

मैने घड़ी देखी 7:30 हो चुके थे. मैं और देर करना नहीं चाहता था. फोरप्ले, चूसा चूसी बहुत हो गया था. मैने ललिता को बेड पे दुबारा लिटाया और उसकी चुनमुनियाँ को फिर से चाटना शुरू किया जिससे उसकी चुनमुनियाँ फिर से गीली हो गयी थी. मैने अब अपना लंड उसकी चुनमुनियाँ से लगाया तो उसने मेरा लंड को पकड़कर चुनमुनियाँ के दरवाजे पर लगाया और मेरे चूतड़ को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया और मेरा लंड उसके चुनमुनियाँ के अंदर चला गया. मैं धीर धीरे उसको चोद्ने लगा. कोई जल्दबाज़ी नहीं, पूरी कंट्रोल के साथ चोद्ता रहा. इसी तरहा 15 मिनट जैसा चोद्ता रहा. फिर उसकी चुनमुनियाँ मे लंड डालकर उसके उपर ही लेट गया, 2 मिनट जैसा आराम किया और फिर मैने 8-10 धक्के मारे हौले हौले. उसके चुनमुनियाँ को मैने छुकर देखा .. बहुत गीली लग रही थी. इतनी गीली की लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था. चुनमुनियाँ जब इस तरहा गीली होती है तो लंड आराम से आता जाता है तो कंट्रोल बहुत देर तक़ होता है, और चुदाई का आनंद भी ज़्यादा आता है. उसको मैने फिर से चूमा, उसकी चुचियों को हौले हौले सहलाया. फिर मैने लंड चुनमुनियाँ मे डाले ही उसको मेरे उपर ले लिया और मेरा लंड कीली बन कर उसकी चुनमुनियाँ के अंदर जड़ तक समा गया. वो बोली, “आशिषजी, आपका लंड तो बहुत अंदर चला गया, पेट मे टच हो रहा लगता है.” मैने कहा, “भाभी, आप देखते जाओ मज़े लेते जाओ. दर्द हो तो बताईएएगा.” वो बोली, “फिलहाल आप लगे रहिए, ऐसा मज़ा तो आज तक ज़य जी ने भी नहीं दिया मुझे. हल्का दर्द तो होता है इस तरहा पर इस दर्द मे भी बहुत मज़ा है. आप चोदते रहिए.” मैं उसको नीचे से ठप-ठप चोद्ने लगा, कमरे मे चुदाइ की आवाज़ गूंजने लगी. उसको इसी अवस्था मे 4-5 मिनट चोदा.

क्रमशः…………………….

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Re: बीबी की सहेली

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BIBI KI SAHELI--2

gataank se aage……………………….
Phir maine puchaa, “Aap bhi aaj kal akeli rahti hain din bhar, Dolly bhi nahin hai, bor nahin ho jati hain?” Usne turant uttar diya, “Bore to bahut ho jati hun, serial bhi kitna dekhungi, second half me to sote rahti hun, abhi abhi so kar uthi hun. Isiliye to aayi hun yahan, ki kuchh pata to chale ki Dolly kahan chali gayi.” Phir maine puchaa, “Bhabhi, us din movie aapko kaisi lagi?” Wo boli, bahut achcha. Maine kaha, “Lekin bhabhi aap to film kam aur samne ki seat par baithe ladka-ladki ko jyada dekh rahi thin!!” Wo muskura di. Wo us samay green colour ki saree pahan rakhi jo us par bahut achcha lag raha tha. Maine kaha, “Bhabhi aaj kal to cinema halls me aisi seens common ho gaye hain. Aapko kya lagta hai, ye premi joda picture dekhne aate hain? Nahin bhabhi, wo to picture banane aate hain, dekhna to ek bahana hai.” Wo boli, “Haan ye to hai, par tumhare Jayji to mere sath picture jate hi nahin!!” maine kaha, “Bhabhi, aisa nahin hai, unko time nahin milta hoga, unka job hi aisa hai. Hum log bhi to saal me 5-6 baar hi jate hain. Waise aap log kitni baar jate hain?” Usne kaha, “Shadi hue 10 saal ho gaye, abhi tak sirf 2 baar gaye hain hum. Bachche bhi nahin hain, aur main bore hote rahti hun.” Maine mazak kiya, “Bachche hote nahin hain bhabhi, banaye jate hain. Aur bachcha banane ke liye mehnat karna padta hai, iske liye aapko Jayji ke saath picture dekhne ki jarurat nahin, picture banane ki jarurat hai.” Ye sunkar wo thodi mayus ho gayi. Ye dekhkar maine kaha, “Chodiye bhabhi, in sab cheejon ka tension mat lijiye, jo bhagwan ne diya uska anand lijiye. Jayji aapko har sukh dete hain, kya kami hai aapke paas!! Achcha khasa rahan sahan hai.” Usne kaha, “Ashishji, ye sab hi sab kuchh nahin hota hai.”

Phir maine bola, “Bhabhi, us din picture hall me main thoda bahak gaya tha, maaf kar dijiye.” Usne kaha, “nahin Ashish, main bhi to bahak gayi thi, waise baad maine socha to mujhe achcha hi laga. Hota hai, abhi aap jawan ho na. Do khoobsurat mahilayen agal bagal hon, to waisa ho jana swabhavik hai. Waise aapne kuchh kiya bhi to nahin, dewar bhabhi me utna to chalna hi chahiye.” Maine kaha, “Wo to hai bhabhi, lekin aap bhi shadi shuda hain aur main bhi. Ek limit to rahna hi chahiye. 5 din ho gaye, mujhe Dolly ki yaad bahut aati hai.” Wo boli, “Haan, aap unke bagair rah nahin patein honge, Raat kaise katte hone!!” Maine kaha, “Bhabhi aap bhi to jawan hain, aap kud ko budhi na samjhiye, aap bahut khoobsurat hain, achchi lagti hain aap mujhe, aapki muskurahat bahut achchi hai, main chahta hun aap aise hi muskurati rahen.”

Uske baad hum donon thodi der chupchap rahe. Phir bhabhi boli, “Ashish, main moti ho gayi hun, kahan se khoobsurat lagungi!!” Maine kaha, “To kya hua, aap phir bhi bahut sundar dikhti hain, aapko dekhkar koi ladka ya mard aapko pyar karna chahega.” Wo boli, “Lekin aap to nahin pyar karoge.!!” Main bola, “Yadi shadi shuda na hota to aap ko jaroor pyar karta, line marta. Aap moti nahin, healthy hain.” Usne kaha, “bahut darte ho aap!! Darpok mard ho!!” Main bola, “Bhabhi aap mere andar ke shaitan ko mat jagaiye, warna gadbad ho jayega.”

Wo chupchap rahi. Maine socha, “Yaar Ashish, kya sochte ho? Saamne se bhabhi challenge kar rahi hai, accept karo!” Phir maine uski tudi pakadkar upar uthaya aur uski aankhon me dekhne laga. Sachmuch wo gajab ki sundar lag rahi thi. Idhar unko chute hi mere pant ke andar ka shaitan jagne laga. Uski ankhon me pyar aur sex ki bhook nazar aane lagi. Aur mere badan me bhi sihran daudne lagi. Halanki Dolly ke sath hazaron baar sex kar chuka hun pichhle 4 saal me, aisa sihran sirf shuruaati dinon me hota tha.

Maine himmat karke apne honth ko uske honth par rakh kar ek halka sa chumban diya. Usne ankhen band kar li. Lekin wo bhi shayad darr rahi thi, usne kaha, “Ashish ye galat ho raha hai.” Maine usko chod diya aur kaha, “Bhabhi, aap hi to kah rahi thin, ki main darpok hun, aur jab ab main himmat kar raha hu to aap darr rahi hai!!” Wo chup rahi. Uski awaz se main samajh gaya ki wo khud ko mere hawale bhi karna chahti hai aur darr bhi rahi hai. Maine uska hath pakad kar kaha, “Bhabhi yadi jo meri halat hai wahi aapki bhi hai to ho jane dijiye, main bhi janta hun ye galat hai, par pichle 5 din se Dolly ke bagair hun to meri ichcha bahak chuki hai. Aap chahen to ghar ja sakti hain.” Aur maine uska hath chod diya. Wo kuchh sochti rahi. Shayad kisi kasamkas me thi. Maine tuddi ko upar uthakar uske honth ko phir se kiss kiya, usne aankh band kar liya. Phir maine uske mathe ko chuma. Usne bhi mera dusra hath pakad liya. Isi tarha maine uske chere ko 2-3 minat haule kiss kiya. Samajh gaya ki Lalita samarpan kar chuki hai.

Maine puchaa, “Bhabhi, bed room chalein kya?” Usne koi jawab nahin diya. To maine uska hath pakadkar uthaya aur uski kamar me hath dalkar usko apne bed room me le aaya aur usko maine bed pe baithaya aur uski bagal me baith kar uski honth pe apna honth rakh diya. Is baar usne bhi jawab diya, ek halka kiss ke sath. Phir maine usko dhire se bed par litaya. Phir uske mathe ko kiss kiya, phir aankhon ko, kaan ko, uske jhumke ko, uske gaalon ko phir wapas honthon ko kiss kiya. Maine kaha, “Aap bahut khoobsurat lag rahin hain is saree men.” Wo ankhen band ki hui thi. Phir main uske balon ko sahlane laga. Usko shayad bahut achcha lag raha tha. Uske chehre aur honthon ko kiss karta raha 5-6 minat taq. Phir ek hath se uske anchal ko uski chati se hata diya to uski matching colour ki green blouj ke andar uske healthy ubhar dekhkar meri ankhen fati raha gayi. Uske boobs gol aur sudoul lag rahe the. Umar 34 hai lekin koi bachcha nahin hai, shayad isiliye badan pe kasav abhi bhi hai. Maine blouj ke batan khol kar uske blauj ko hataya aur phir uski safed bra bhi hata diya. Aur dhire dhire uske Ubharon se khelne laga, samhlane laga. Uski choochiyon ko beech beech me kiss karne laga. Nipples ko chusne laga. Dheere dheere main niche aaya, uski nabhi ko chune laga, sahlane laga. Uski nabhi ke charon or jeev ko halka halka phiraya to wo si-si-si ki awaz karne lagi.

Phir usko palat diya aur pet ke bal lita diya aur main uske peet ko sahlane laga. Peet ke har hisse ko chune laga. Peet ke charon or jeev phiraya. Uski kankh ko bhi chuma. Wo nidhal hote jari thi. Phir wahi hua jo main chahta tha, wo uthkar baith gayi aur bahen failakar mujhe apne agosh me aane ka ishara kiya. Main uske paas jakar baith gaya. Usne bhi mere chehre ko apne paas khinch kar mere lips me ek halka sa kiss kiya, phir usne bhi mere chehre pe halke kiss barsane lagi. Uska ye move mujhe bahut achcha laga. Usne phir mera T-Shirt bhi utar diya aur phir mujhe bed pe lita kar wahi karne lagi jo maine uske kiya tha. Mere pure sharer ko sahlane lagi, chamne lagi. Shareer ke har hisse pe jeev chalane lagi. Mere badan pe sansani si daud rahi thi. Sachmuch, dusron ki bibi ka pyar bahut achcha lagta hai.

Phir maine usko bed me wapas lita diya. Aur pairon ke paas aakar uske pairon ko chuma aur ek hath se uski saree kar ki or sarkate hue kiss karta gaya. Jab saree janghon tak uthi to usne mera hath pakad liya. Shayad Vasna aur Sharm tha uska. Main wahin ruka. Uski janghon ko dekha, ekdum chikni, gori aur mansal janghen kisi kamjor mard ke lund se to ras tapak jata. Maine uski janghon ko sahlaya aur jeev se haule haule gudgudi kiya.
Isi bich uske hath harkat me aaye aur usne mere barmuda ko niche kiskakar hata diya. Tab tak wo saree me hi thi. Maine uthkar usko apne bahon me bhar liya aur donon ke honth phir sil gaye. Ek hath se uske sir ko pakad kar rakha, uske lips ko kiss karta raha aur dusre hath se maine uske saree ka aanchal khinch kar saree khol diya phir maine uske petticoat ka nara bhi kholkar niche gira diya. Usne halki design ki panty pahan rakhi thi. Phir maine uske Golakar chutad ko haule haule sahlane laga. Usko apne sharer se chipta ke rakha raha. Uski gaand sahlate sahlate maine uski panty bhi niche kiska di. Maine dekha ki uski chaddi gili ho chuki thi. Isi beech usne bhi meri nakal karte hue mera chaddi niche kiska diya aur mera 5.5” lamba lund tankar uske chunmuniyaan ko salam karne laga. Iske pahle ki main kuchh sochta usne mera lund pakad liya. Uff, dusre ki bibi ke hath se apna lund pakadwana kitna achcha laga ye main bayan nahin kar sakta. Maine Lalita se pucha, “Bhabhi, aisa mat naphiye size jyada bada nahin hai.” Usne hanskar kaha, “Mere liye ye size kaphi hai, theek hai.”

Use lipat kar main uski sharer ki garmi mahsus karta raha thodi der. Maine ghadi or dekha, 7:00 baj rahe the. Yani pahle kiss se ab tak 20 minat beet chuke the. Bed room ke tubelight ki rosni me maine uske sharer ko dhyan se dekha to thodi der dekhta hi raha gaya. Gori aur thodi healthy mahilayen nangi kitni achchi lagti hai ye tab pata chala. Uska shareer tubelight ki rosni me chamak raha tha. Maine usko bed pe pet ke bal litaya aur uske gaand ko sahlane laga, uske chuttad ko chamne laga, uski peet ko shalaya. Dolly ke dressing table se maalish tel nikal kar Lalita ki chuttad aur Peet pe lagakar usko malish kiya 10 minat jaisa.

Phir maine usko palat diya aur mathe ko kiss kiya .. phir pahle ki tarha dhire dhire niche sarkta gaya .. forehead, eyes, nose, cheeks, lips, tuddi, neck, boobs, stomach, navel ko halke halke kiss karta hua aaya. Phir main niche pairon ke paas pahuncha. Hathon se uske janghon ko sahlane laga. Aur uske toes, legs knees, thighs ko chumta hua nabhi tak aaya. Uski jhanghen ekdum chikni thi. Maine uske chunmuniyaan ko dekha halke halke baal the, shayad kabhi kabhi trim karti hai. Phir maine uske chehre ko dekha, usne ankhen band ki hui thi. Shayad use bahut achcha lag raha tha. Maine uske tangon ko phaila aur ghutnon par mod diya taki wo ekdum aram se rahe. Main uske jhangon ke beech baitha aur phir uski nabhi ko kiss karne laga. Phir dhire dhire niche aaya aur uski chunmuniyaan ke pankhudiyon par ek halka sa chumban diya. Lalita seetkar kar uthi. Wo boli, “Ashish.., ye aapne kya kiya, Sirsiri si lag gayi. Jay to kabhi aisa nahin karte. Wo to seedha mere upar chad jate hain aur 3-4 minat me khatam ho jate hain aur aap to pichhle 30-35 minat se pyar kar rahe hain.” Maine kaha , “Bhabhi aap yahan dhyan do, un baton pe nahin. Sabka apna apna style hota hai, Jayji ka apna andaz hoga.” Phir maine uski gili ho chuki chunmuniyaan ko kiss karke uske charon or jeebh phirane laga, wo kasmasane lagi, usne mera sir pakad liya. Maine uski chunmuniyaan ke beecho beech jeebh bhida diya aur uski chunmuniyaan ko chatne laga. Maine Dolly ki chunmuniyaan bhi kai baar chati hai, lekin aaj Lalita ke chunmuniyaan ka swad thoda alag lag raha tha, aur na jane kyun aur achcha lag raha tha. Maine uki chunmuniyaan ko 12-15 minat tak chata. Chatte samay aisa laga ki uske chunmuniyaan ka ras khatam hi nahin ho raha tha. Chunmuniyaan se ras jharne ki tarha ris raha tha. Aur main us ras ko choosta raha chatta raha. Meri naak bhi chunmuniyaan ras se gili ho chuki thi.

Main chahta tha ki Lalita bhi mere lund ko chuse, lekin darr raha tha ki wo kahin napasnd to nahi karegi, usko lund ka gand achcha lagega ki nahin. Maine usko pucha, “Lalita bhabhi, aapka period regular rahta hai, last kab khatam hua?” usne kaha, “Mera period regular rahta hai, 1-3 din aage piche hota hai, 28-31 din ka cycle chalta hai aur last mera 20 din pahle khatam hua hai.” “Tab to bhabhi theek hai, pregnant hone ka chance thoda kam hai.” Maine kaha.

Main uske jangon ke beech baithkar uski puri tarha gili ho chuki chunmuniyaan pe Lund bidha diya. Main dhakka marne hi wala tha ki usne mujhe roka aur kaha, “Ruko Ashish, aap zara niche leto main thoda aapke shareer se khelti hun.” Phir usne mujhe litha diya aur usne mujhe kiss karna shuru kiya, matha, nak, kan, honth chati aur phir pairon se upar uthte hue mere janghon ko kiss kiya usne aur phir usne mera lund pakadkar usko sahlaya, supade ko upar niche kiya, andon se khelne lagi. Phir usne lund ke supade ko niche taq kiska kar thoda sungha aur phir usne lund ko munh me le li. Main uski lund chusayi ka anand lene laga. Maine kaha, “Bhabhi, aap dhire chuso, nahin to lund ka ras aapke munh me hi nikal jayega.” Wo mujhe 5-6 minat tak chusu sukh deti rahi. Ye un mardon ko hi pata hai jisne apna lund kisi ladki ya aurat se chuswaya hai ki Lund chuswana lund ko chunmuniyaan me dalne ke maze se jyada maza deta hai. Isi beech maine uski chunmuniyaan ko sahlate raha aur ungli se uski chunmuniyaan ko choda. Wo bahut gili lag rahi thi. Maine phir apna sir uski janghon ke niche le jakar uski chunmuniyaan ko phir se chatne laga. Wo mera lund chus rahi thi aur main uska chunmuniyaan chat raha tha.

Tabhi mujhe apna lund thoda garam garam laga. Maine Lalita ko rukne ka ishara kiya aur bathroom jakar pesaab karke aaya aur lund ko sabun se dhoke laya.
Maine ghadi dekhi 7:30 ho chuke the. Main aur der karna nahin chahta tha. Foreplay, chusa chusi bahut ho gaya tha. Maine Lalita ko bed pe dubara litaya aur uske chunmuniyaan ko phir se chatna shuru kiya jisse uski chunmuniyaan phir se gili ho gayi thi. Maine ab apna lund uski chunmuniyaan se lagaya to usne mera lund ko pakadkar chunmuniyaan ke darwaje par lagaya aur mere chuttad ko pakad kar apni or khinch liya aur mera lund uske chunmuniyaan ke andar chala gaya. Main dheer dheere usko chodne laga. Koi jaldbazi nahin, poori control ke saath chodta raha. Isi tarha 15 minat jaisa chodta raha. Phir uske chunmuniyaan me lund dalkar uske upar hi let gaya, 2 minat jaisa araam kiya aur phir maine 8-10 dhakke mare haule haule. Uske chunmuniyaan ko maine chhukar dekha .. bahut gili lag rahi thi. Itni gili ki lund aaram se andar bahar ho raha tha. Chunmuniyaan jab is tarha gili hoti hai to lund aaram se ata jata hai to control baut der taq hota hai, aur chudaai ka anand bhi jyada aata hai. Usko maine phir se chuma, uski chuchiyon ko haule haule sahlaya. Phir maine lund chunmuniyaan me dale hi usko mere upar le liya aur mera lund keeli banker uske chunmuniyaan ke andar jad tak sama gaya. Wo boli, “Ashishji, aapka lund to bahut andar chala gaya, Pet me touch ho raha lagta hai.” Maine kaha, “Bhabhi, aap dekhte jao maje lete jao. Dard ho to bataiyega.” Wo boli, “Philhal aap lage rahiye, aisa maza to aaj tak Jay ji ne bhi nahin diya mujhe. Halka dard to hota hai is tarha par is dard me bhi bahut maza hai. Aap chodate rahiye.” Main usko niche se thap-thap chodne laga, kamre me chudaai ki awaj gunjne lagi. Usko isi awastha me 4-5 minat choda.
kramashah…………………….

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Re: बीबी की सहेली

Post by rajaarkey »

बीबी की सहेली--3

गतान्क से आगे……………………….

फिर उसकी चुनमुनियाँ मे लंड डालकर थोड़ी देरी साँस ली और उसको गोदी मे लेकर मैं पद्म-आसन मे बैठ गया. और वो मेरे लंड के उपर, लंड उसकी चुनमुनियाँ के अंदर, उसकी टाँगें मेरी पीठ की तरफ कर ली. इस तरहा हम दोनों के चेहरे आमने सामने थे. मैं उसकी तुलना मे पतला हूँ, फिर भी उसका वजन ज़्यादा नहीं लग रहा था. मैं उसकी चुचियों से खेलने लगा, होंठ का चुंबन लेता रहा. फिर उसकी कमर को पकड़ कर उसको लंड के उपर नीचे करने लगा. थोडी थकावट लगी तो 1-2 मिनट फिर से साँस लिया. फिर मैने उसकी बाहों को मेरे गले मे लिपटाया और उसके चुनमुनियाँ मे लंड डाले ही उठ खड़ा हुआ. और उसको खड़े खड़े चोद्ने लगा. उसकी चुनमुनियाँ इतनी गीली हो चुकी थी कि स्टॅंडिंग पोज़िशन मे मे लंड आराम से चुनमुनियाँ के अंदर जा रहा था. फिर मैने घड़ी की ओर देखा 7:50 हो रहे थे.

मैने उसको ले जाकर सामने के टेबल पर बैठा दिया, और उसकी चुनमुनियाँ को फिर चाटना शुरू किया. इतनी देर की चुदाई के बाद उसकी चुनमुनियाँ के चारों ओर बहुत सारा रस और सफेद लिक्विड इकठ्ठा हो गया था .. उसको मैने चाट चाट कर सॉफ कर दिया लेकिन उसकी चुनमुनियाँ से रस निकलना बंद नहीं हुआ. डॉली की चुनमुनियाँ भी मैने बहुत बार चाटा है, लेकिन आज ललिता के चुनमुनियाँ का स्वाद अलग सा लग रहा था. फिर मैने बिना देरी किए अपने लंड को उसकी चुनमुनियाँ मे पेल दिया और ढपाधप उसको चोद्ने लगा. टेबल की हाइट मेरी कमर की हाइट का था इसलिए वो पोज़िशन मेरे लिए बहुत कॉनवीनेंट लगती है. डॉली को भी मैं वही टेबल पर पर बैठके कई बार चोदा था. मैं उसको 8-10 मिनट तक जोरों से तेज़ी से चोद्ता रहा. वो सिसकारियाँ लेती रही, “आशीष आपने मुझे आज सेक्स क्या होता है ये बता दिया. आप सचमुच दिखने मे बच्चे लगते हो पर सेक्स के मामले मे आपको मानना पड़ेगा. डॉली बहुत किस्मेत वाली है. धन के साथ तन का भी सुख सभी महिलाओं को नहीं मिलता.” मैने कहा, “भाभी, चुदाई सिर्फ़ मर्द के लिए नहीं होती, ये बात मैं समझता हूँ. मैं तो यही सोचता हूँ कि चुदाई का आनंद लेना है तो चुदाई का आनंद चुदने वाली को देना भी चाहिए.” इसी बीच मुझे लगा कि उसकी चुनमुनियाँ से गरम लिक्विड निकल रहा है और वो थोड़ी ढीली पड़ गयी है, उसने आँखें बंद कर ली और दाँत दबा दिए. मैं समझ गया कि ये उसका ऑर्गॅज़म है. तब उसको मैं ज़ोर ज़ोर से चोद्ने लगा. मैं भी बहुत थक गया था. ढपाधप ढपाधप 4-5 मिनट ज़ोर के झटके ज़ोर से लगाने के बाद मैं भी छूटने को होने लगा तो मैने भाभी से पूछा, “भाभी मेरा निकलने वाला है … अंदर चोदु या लंड निकाल लूँ?” उसने मुझे बाहों मे ज़ोर से झाकड़ लिया, और बोली, “अंदर ही छोड़ दीजिए .. कुच्छ नहीं होगा.” और मैं उसकी चुनमुनियाँ के अंदर ही लंड को अंदर तक पूरा पेल कर झाड़ गया. उसी दशा मे हम दोनों थोड़ी देर चिपके रहे. दोनों की लंबी लंबी सांस चलने लगी. 2-3 मिनट बाद हम दोनों अलग हुए, उसको मैने होंठ मे हल्का सा चुंबन दिया और जवाब मे उसने भी मुझे एक चुंबन दिया. मैने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए दिखाया, “भाभी ये देखिए लंड के उपर सफेद सफेद कुच्छ लगा हुआ है.” वो हंस पड़ी. उसने घड़ी देखा तो बोली, “अरे, बहुत देर हो गयी, इतना मज़ा आया कि पता ही नहीं चला कि 8:20 बज गये हैं. आप ने मुझे सन्तुस्त कर दिया.” मैने भी कहा, “भाभी आपने भी आज डॉली की कमी पूरी कर दी. मैने नहीं सोचा था कि आप के साथ कभी ऐसी चुदाई कर पाउन्गा.”

उसको मैने एक टवल दिया. वो टवल लप्पेट कर बाथरूम मे गयी और नाहकार बाहर निकली. जब वो बाथरूम से टवल लप्पेट कर बाहर निकली तो मन किया कि उसको फिर से चोद दूं, लेकिन ज़य के घर आने से पहले उसको घर जाना भी तो था. मैं भी अपना लंड पोंछकर, एक बार पेसाब किया और हाथ मुँह धोया. अच्छा हुआ जो मैं नहाने के टाइम मूठ मार लिया था, वरना इतनी लंबी कामलीला नहीं कर पाता. 10-15 मिनट मे ही झाड़ जाता.

उसने अपनी पैंटी पहनी, मैं उसके पास गया और उसको मैने ब्रा पहनाई, उसके हुक लगाए. उसने फिर ब्लौज पहना, पेटिकोट पहना और सारी पहन ली. उसके चेहरे मे संतूस्ती के भाव झलक रहे थे. और होंठ पे मुस्कान थी. मैं भी अपने कपड़े पहन लिया. उसने कहा, “आशीष, मैं अब जाती हूँ, यहाँ डॉली के बारे पूछने आई थी लेकिन कुच्छ और वो गया. लेकिन जो भी हुआ अच्छा हुआ.” मैने कहा, “भाभी, डॉली तो एक महीने बाद आएगी. तब तक हो सके तो आप ही डॉली बन कर उसकी कमी पूरा करने की कृपा कीजिएगा.” वो बोली, “ठीक है, लेकिन जयजी से बचकर करेंगे. उसको मैं बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन क्या करूँ, मैं भी औरत हूँ.” मैने भी कहा, “मैं भी डॉली को बहुत प्यार करता हूँ, लेकिन मैं चुदाई किए बगैर नहीं रह सकता.”

उसके बाद हमारे होंठ कुच्छ सेकेंड्स के लिए फिर से जुड़ गये. और वो दरवाजा खोलकर चली गयी.

मैं किचन मे गया, खाना पकाया. खाने के बाद थोड़ी देर टीवी देखा और 10:30 बेड रूम मे आ गया. इतने मे डॉली का फोन आया. हमने बहुत देर बातें की. वो भी अकेले कमरे मे लेटी हुई थी. उधर उसकी माता जी, भैया-भाभी सभी अपने अपने कमरे मे सो गये थे. पता चला वो वहाँ देल्ही मे बिना चुदाई के तड़प रही है. मैने बोला, “जल्दी आ जाओ, डॉल्ल, तुम्हारे बिना टाइम नहीं गुज़रता यहाँ. लंड महाराज का हाल बुरा है बेचारा.” वो बोली, “आपने ही तो यहाँ रहने को कहा था!! अब सुलगते रहिए. वैसे मेरी चुनमुनियाँ देवी भी आपके लंड को अंदर लेने के तरसती है.” मैने कहा, “बिना चुदाई के रहा नहीं जाता, 1 महीना तक सहना पड़ेगा.” डॉली ने मज़ाक मे बोला, “ऐसा है तो अगल बगल वाली से काम चलाते रहिए.” मैं थोड़ा चौंका, “अगल बगल कहाँ, अरे मुझसे कौन चुद्वायेगि तुम्हारे सिवा? मैं ठहरा हुआ पहलवान!!” वो बोली, “ये तो मुझे ही मालूम है मेरे हवाई पहलवान कि आप चुदाई मे जबरदस्त हो. अगल बगल बोले तो ललिता भाभी.” मैं फिर चौंका, “अरे, वो!! ना बाबा ना, ग़लती से मैं उसके नीचे आ गया तो मैं पापड बन जाउन्गा. उसके लिए जयजी ही ठीक हैं. और, फिर इधर उधर मुँह मार भी लिया तो तुम मुझे छोड़ के चली जाओगी, तो मैं तो आजीवन बिना चुदाई के रह जाउन्गि.” वो बोली, “अरे बाबा, नहीं छोड़ूँगी, आपको छोड़कर कहाँ जाउन्गि. आइ लव यू आशीष!! आप कुच्छ भी कीजिए, आप मेरे ही रहेंगे.” मैं बोला, “ठीक है, तुम आ जाओ, इंतेज़ार कर रहा हूँ. अभी भी तुम्हारी याद मे लंड खड़ा है, बस तुम्हारी रसीली चुनमुनियाँ ही नहीं है.” वो बोली, “एक बात बताऊ, ललिता भाभी की चुदाई ठीक से नहीं होती है, आप चाहो तो उसे ट्राइ कीजिए, शायद सफल हो जाएँगे!!” मैं बोला, “ठीक है, तुम कहती हो ट्राइ कर लेता हूँ!! लेकिन अभी तुम सो जाओ. ठीक है?” उसने कहा, “ठीक है बाबा, कुच्छ नही बोलूँगी. अपना ध्यान रखिए, ठीक से खाइएगा. गुड नाइट.” और हमने एक दूसरे को मोबाइल के माध्यम से चुंबन दिया और सो गये. उसको क्या मालूम कि मैं ललिता भाभी को चोद चुका था. उसके बाद मैने सोचा कि ललिता को फिर चोदुन्गा और बाद मे डॉली को शामिल करूँगा. यही सोचते सोचते नींद आ गयी. कभी दोनों को साथ चोद पाया तो बताउन्गा.

इसी तरहा से 2 साप्ताह और गुजर गये. डॉली की अनुपस्थिति मे मैं किसी तरहा वक़्त गुज़ारता रहा. सुबह उठ के नाश्ता बनाना, फिर नहाते समय एक बार मूठ मार लेना, फिर नाश्ता करके ऑफीस जाना. और शाम को ऑफीस से आकर फिर से नहाना और नहाते समय मूठ मारना. खाना पकाना और खाकर टीवी देखना और फिर सोने से पहले डॉली से फोन पे बात करना और मूठ मार कर सो जाना. यही रुटीन बन गया था मेरा. लेकिन अब मूठ मारते समय मेरे ख्यालों मे डॉली नहीं, बल्कि ललिता भाभी होती थी. उसके साथ किए गये चुदाई की सीन्स मेरे सामने मूवी बनकर घूमते और मूठ मार कर लंड को शांत करने की कोशिश करता. लेकिन जो मज़ा औरत के साथ चुदाई करने मे होता है वो मूठ मारने मे कभी नहीं हो सकता है

. मूठ मारकर सिर्फ़ झाड़ा जा सकता है, लेकिन असली चुदाई मे झड़ना तो अल्टिमेट सिचुयेशन है, झड़ने से पहले जो आक्टिविटी होती है, किस्सिंग, सहलाना, चाटना, चुसवाना इत्यादि वो तन-मन को सन्तुस्त कर देते हैं, रिलॅक्स कर देते हैं.

सीढ़ियाँ उतरते चढ़ते ललिता भाभी यदि दिखती तो अब सिर्फ़ एक दूसरे को देखकर मुस्कुराना भर नहीं होता, अब हम मुस्कुराने के साथ आँख भी मारने लगे. मैं कभी ज़य के घर नहीं जाता था, अब भी नहीं जाता क्यूंकी वैसा करने से रिस्क फॅक्टर ज़्यादा होता. ज़य कब जाता है, कब घर पे रहता है एग्ज़ॅक्ट्ली पता ही नहीं होता मुझे. इसीलिए मैं एक्सपेक्ट करता कि ललिता ही सही टाइम देख कर चुदने के लिए आए, और मुझे यकीन भी था कि वो मौका देखकर ज़रूर आएगी.

ललिता के साथ की पहली चुदाई के बाद के तीसरी सॅटर्डे को मैं घर पे ही था. अगले साप्ताह तो डॉली वापस आने वाली थी. उस दिन क्यूंकी ऑफीस नहीं जाना था, सो मैं थोड़ा लेट ही उठा, करीब 9 बजे. उठा तो लंड महाराज खड़ा मिला, और मैं बेड मे ही मूठ मारने लगा. क्या हालत हो गयी थी मेरी! डॉली होती तो दिन की सुरुआत चुदाई से करता था, अब मूठ मारकर शुरू करना पड़ रहा था!! सुबह क्यूंकी बॉडी पूरी रिलॅक्स हो जाती है, इसीलये मूठ मारने की क्रिया भी बहुत देरी तक़ हो जाती है. थोड़ी देर अपने गरम और कड़क लंड को सहलाता रहा. डॉली के ड्रेसिंग टेबल से उसका खुसबूदार हेर आयिल निकाला और लंड मे लगाकर मूठ मारा 15 मिनट और. झड़ने के बाद मैं थोड़ी देर बेड पे ही लेटा रहा और फिर उठकर ब्रश किया. फिर रोटी बनाया और दूध के साथ खाया. फिर बर्तन धोया.

घर की एक साफ्ताह से सफाई नहीं किया था, गंदा लग रहा था. मैने झाड़ू उठाया और पूरे घर को सॉफ किया. पोंचा भी मारा. अपना घर है, और अपना घर सॉफ करने से अच्छा ही लगता है. वैसे बचपन से अपने काम खुद ही करता आया हूँ तो झाड़ू मारने मे भी कोई हिचक नहीं हुई. क्यूंकी मैं अकेला था, इसलिए चड्डी के उपर सिर्फ़ टवल लपेटा हुआ था और उपर गांजी पहिना हुआ था.

11 बजे करीब मैं नहाने के लिए तैयार हुआ. मैं बाथरूम के अंदर जाने वाला ही था कि डोर बेल बजी. मैने जल्दी से टी-शर्ट पहना और दरवाजे की तरफ लपका, कि इस समय कौन टपक गया, कौरीएर एट्सेटरा तो नहीं है. मैने दरवाजा खोला तो ललिता भाभी थी और मुस्कुरा रही थी. मैने कहा, “अरे, भाभी आप?” वो बोली, “हां, लेकिन क्या मैं नहीं आ सकती हूँ!!” मैने उनको अंदर आने को कहा और बैठने का इशारा किया, “भाभी, आप बैठो यहाँ, मैं कपड़े चेंज कर आता हूँ.” और मैं बेड रूम मे जाकर लोंग निकार पहनकर आया. उनको मैने टीवी का रिमोट थमाया और किचन की ओर लपका. लेकिन उसने मुझे रोका, “रहने दो आशीष, आज मैं ही चाय बनाती हूँ.” और वो भी मेरे पिछे ही किचन मे आई, उसने चाय बनाया और हम दोनों मिलकर चाय पीने लगे.

मैने पूछा, “भाभी, आज कैसे आना हुआ, ज़य जी की भी तो छुट्टी रहती है सॅटार्डे को, वो कहाँ गये? उनको भी साथ ले आते!!” वो बोली, “वो आज भी ऑफीस गये हैं, उनका आज भी कोई अर्जेंट काम आ गया था, बोलके गये कि शाम 4-5 बजे तक़ लौटेंगे.” मैं समझ गया कि मौका देखके भाभी चुदने के लिए आई है. मैने कहा, “क्या कीजिएगा, जॉब के सामने तो हम लोग मज़बूर रहते हैं, ड्यूटी तो ड्यूटी होता है. मैं भी तो कभी कभी लेट आता हूँ. कभी कभी मैं भी छुट्टी के दिन ऑफीस जाता हूँ.” मैने इधर उधर की बातें की. उसके घर के बारे पूछा. ये भी पता चला कि जयजी और ललिता का लव मॅरेज था. दोनों अल्लहाबाद मे एक ही कॉलेज मे पढ़ते थे. वहीं उनकी मुलाकात हुई और समय गुज़रते साथ उनमे प्यार हो गया. पोस्ट ग्रॅजुयेशन के बाद ज़य जी का जॉब लग गया. उसके 1 साल बाद दोनों की शादी हो गयी, तब ललिता का भी ग्रॅजुयेशन हो गया था. लेकिन शादी से पहले उन्होने कभी चुदाई नहीं किया था. ज़य और ललिता दोनों के परिवार कन्सर्वेटिव थे, शायद इसलिए उन्होने अपने प्यार को शादी से पहले पवित्र ही रखा.

ललिता भाभी ने आज साधारण सारी ही पहनी हुई थी, जो अक्सर वो घर मे पहनती थी, लेकिन वो उसमे भी अच्छि ही लग रही थी. औरत यदि सुंदर वो तो हर ड्रेस मे आकर्षक लगती है. वैसे औरत को देखते समय उसकी बुराइयाँ देखें तो कोई भी सुंदर नहीं लगेगी. ललिता को भी मैं यदि सोचता कि वो थोड़ी हेवी है तो मैं उसे काफ़ी चोद नहीं पाता. मैं औरत की शारीरिक सुंदरता को उतना इंपॉर्टेन्स नहीं देता, वो तो सिर्फ़ इनिशियल आकर्षण के लिए होता है, बल्कि ज़्यादा इंपॉर्टेंट होता है वो औरत कैसे चुदाई मे देती है, किस अंदाज़ मे चुदति है. मैं भी तो आवरेज आदमी हूँ, साधारण सा दिखता हूँ. मैने उनसे कहा, “आप 34 साल की हैं पर आप अपनी उमर से ज़्यादा जवान लगती हैं. आप कोई-सा भी ड्रेस पहनिए, आप बहुत अच्छि लगती हैं. आज भी आप गजब ढा रहीं हैं.” औरतों को अपनी सुंदरता की तारीफ बहुत अच्छी लगती है, ये मुझे भी मालूम है. वो बोली, “गजब तो आपने ढाया है, मुझ पर. उस दिन जो आपने मुझे प्यार किया, उसके बाद तो मैं आपकी कायल हो गयी हूँ.” मैने कहा, “रहने दीजिए भाभी, उसमे मुझे भी तो मज़ा आया. लेकिन भाभी, आपने भी मुझपे गहरा असर डाल दिया है.” ऐसे ही बातों बातों मे 30-35 मिनट गुजर गये.

अचानक मुझे ध्यान आया कि मुझे तो नहाना बाकी है. मैने कहा, “भाभी, आप बैठिए, मैं नहा के आता हूँ. मैं नहाने ही जाने वाला था कि आप आ गयी.” वो बोली, “आशीष, मैं यहाँ क्या करूँगी!!” मैने तुरंत मज़ाक किया, “एक काम कर सकती हैं, आप भी मेरे साथ नहा लीजिए!” वो बोली, “मैं तो नहा के आई हूँ.” मैं बोला, “तो क्या हुआ, मेरे साथ फिर से नहा लीजिए या तो मुझे ही नहला दीजिए!!” वो बोली, “ठीक है, लेकिन कोई बदमाशी नहीं कीजिएगा.” मैं सिर्फ़ मुस्कुराया, कुच्छ नहीं कहा और उठकर मैं बाथरूम मे घुस गया. मैने दरवाजा बंद नहीं किया. मुझे यकीन था कि ललिता भाभी चुदने के लिए ही आई है. वो ज़रूर बाथरूम मे आएगी. इसी बीच मैने कॅल्क्युलेशन लगाया, कि पिछली चुदाई के टाइम उसके लास्ट पीरियड से 20 दिन हुए थे, उसके बाद अब 16 दिन हो गये, इसका मतलब अब उसका पीरियड ख़तम हो चुका है, 3-4 दिन तो हो गया होगा.

मैं बाल्टी मे पानी भर लिया. टी-शर्ट और गांजी खोल दिया और सिर्फ़ चड्डी मे रह गया. कुच्छ कपड़े धोए. तभी दरवाजा खुला. भाभी अंदर आ गयी और कहा, “लाइए मैं आपको नहला ही देती हूँ.” मैं चुपचाप बैठा रहा. उसने मग उठाया और मेरे बदन पे पानी डालने लगी. उसने साबुन पकड़ा और मेरे बदन पे साबुन मलने लगी. अब तो मेरे लंड को खड़ा होना ही था. चड्डी के अंदर ही उठने लगा. ललिता ने देख लिए, “उसने चड्डी के उपर से ही उसको सहलाया और बोली, “ये क्यूँ उठ रहा है, लाइए इसको फ्री कर देती हूँ.” और उसने मेरा चड्डी नीचे खिसका कर खोल दी.

लेकिन मैं तो लंबा खेल खेलना चाहता था. तब तक भाभी सारी मे ही थी. मैने कहा, “भाभी ये तो ना-इंसाफी है, आपने मुझे नंगा कर दिया और आप फुल सारी मे! आप भी दोबारा नहा लीजिए.” वो बोली, “मेरे कपड़े गीली हो जाएँगे.” मैने कहा, “चिंता ना करो भाभी, डॉली की सारी पहन लीजिएगा.”

इतना कहकर मैने उसको अपनी ओर खींच लिया और अपने नंगे बदन से चिपका लिया. और मैने उसकी माथे पे एक हल्का किस किया, और पहले की तरहा हौले हौले उसकी आँखों को, गालों को, कानों को, झुमके को, गर्दन को किस किया. फिर मैने उसके लिप्स से अपने लिप्स मिलाए, और एक लंबा किस किया उसको. मुझे मालूम है कि औरतों को सलीके से किया गया किस ज़्यादा उतेज़ित करता है. उसपर टूट पड़ने से उसका समर्पण ठीक नहीं रहता. औरत यदि पूरे समर्पण के साथ चुदाई करे तो सेक्स का मज़ा ही धरती का स्वर्ग बन जाता है.

क्रमशः…………………….

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`·.¸.·´ -- Raj sharma
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