अमेरिका रिटर्न बंदा compleet

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rajsharma
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अमेरिका रिटर्न बंदा compleet

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अमेरिका रिटर्न बंदा


आज पंकज अमेरिका से 4 साल बाद घर वापस आ रहा था. पंकज की बड़ी भाभी नीता और उस'की छोटी बहन प्रिया फूली नहीं समा रही थी. नीता और प्रिया दोनों एरपोर्ट उसे लाने गये थे. पंकज का भैया दूसरे शहर में एक प्राइवेट कंपनी. में ऊँचे पोस्ट पर काम कर'ता है और काम की व्यस्त'ता की वजह से वह अभी नहीं आ सका. पंकज की उम्र अभी 26 साल है. पिच्छ'ले 4 साल से वह अमेरिका में पढाइ भी कर रहा है और साथ में जॉब भी कर रहा है. मा बाप बच'पन में ही गुजर चुके थे. पर नीता भाभी ने कभी मा की कमी महसूस नहीं होने दी. पंकज और प्रिया दोनों भाई बहनों को उस'ने अप'ने बच्चों की तरह पाला था.

पंकज जब अमेरिका गया था तब वह भाभी की मा सी इज़्ज़त कर'ता था. पर पश्चिम के खुले और रंगीन माहॉल ने इन चार वर्षों में उसे पूरा लम्पट बना दिया था. अब उस'के लिए औरतों और लड'कियों का बदन सिर्फ़ चिप'काने के लिए और उस'से खिल'वाड कर'ने के लिए थे, चाहे वह बदन किसी का भी क्यों ना हो. अमेरिका के खुलेपन के कारण वह भी बहुत स्वच्च्छन्द हो गया था.

उस'की भाभी, हां उसका नाम नीता है. उसकी उमर 40 साल है और अच्छे ख़ासे भरे शरीर की मलिका है. 40 साल की भाभी का मांसल बदन पंकज को बहुत रास आया. पर नीता में जो ख़ास बात थी वह थी उस'के सुडोल और विशाल मटक'ते, थर'थराते नितंब. नीता की जगह उस'का नाम नितंबा-देवी ज़्यादा सटीक बैठ'ता.

घर पहून्च'ते ही नीता ने प्रिया को कहा के लगेज पंकज के कम'रे मैं पहूंचा दो तो प्रियाने कहा.

"भाभी आप ठहरिए मैं समान भैया के कम'रे मैं सेट करवा कर आती हूँ." ऑर नीता सिर हिला कर जाने लगी. इसी दोरान प्रिया आर'ती की थाली ले कर आ गयी ओर नीता ने आगे बढ़ कर उस'से थाली ली ऑर पंकज को खामोश नज़रों से बुलाया, उसकी आर'ती उतारने के लिए. पर पंकज भोंचक्का सा खड़ा रहा तो प्रिया जो उस'के साथ ही खडी थी, उसकी पसली में कूह'नी से टो'का दिया तो पंकज ने हड़बड़ाते हुए प्रिया को देखा ऑर आंखाईं उचकाई तो प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा,

आगे जाओ ओर आशीर्वाद लो भाभी से भैया. आर'ती उतारते हुए भी नीता के चह'रे ऑर आँखों में गुस्सा हावी था. आर'ती जैसे ही ख़तम हुई तो एक बार फिर प्रिया ने दूर से ही आँखो से इशारा किया के आशिरबाद लो भाभी का. तो वो नीचे झुक गया ऑर पाँव छूये.

एरपोर्ट पर जो घटा था. इतना पुराना नहीं हुवा था के नीता भूल जाती कि पंकज के हाथों ने उस'की गान्ड की दरार को छुआ था सो वो थोड़ा केर्फुल थी, अब की बार पर आशिर्बाद तो देना ही था सो उसके सिर पर हाथ रखा ओर कांधो से पकड़ कर उसे खड़ा किया. आख़िर मा समान भाभी थी सो प्यार तो आना ही था सो आगे बढ़ कर उस'के माथे पर चुम्मा देना चाहा, पर पंकज तो ऐसे मौके तलाश कर रहा था सो जैसे ही नीता आगे को हो कर उस'के माथे का चुम्मा लेने आगे बढि, पंकज ने अपनी दोनो हथेल'याँ एक बार फिर नीता की चौड़ी गान्ड के कोने पर रख दी. दिल तो पंकज का अपने हाथ नीता के गान्ड की दरार पर पूरी तरह से घुसाने का कर रहा था पर वो जानता था के यह चीज़ महसूस कर ली जाएगी ऑर वो भाभी और बहन को अलग अलग सिड्यूस करना चाहता था सो सिर्फ़ कर्व पर ही हाथ रखे.

पंकज के हाथ अपनी गान्ड पर महसूस करते ही उसे एक झटका सा लगा पर अब वो पीछे नहीं हट सकती थी. चूँके पंकज उस'से कद मे लंबा-था सो उसे थोड़ा उचकना पड़ा ऑर पंकज को थोड़ा झुकना पऱ. इस प्रोसेस मैं पंकज ज़्यादा देर तक अपने दिल पर काबू ना कर सका ऑर साइड से अपने हाथ फिस'लाते हुए नीता की गान्ड पर पूरी तरह रख दिए. यह महसूस करते ही के पंकज के हाथ अब ज़्यादा खतर'नाक होना शुरू हो गये हैं, नीता ने तेज़ी से उस'के माथे पर अपने होन्ठ रखे ऑर पीछे हटी. पर पंकज इसी चीज़ का तो इंत'ज़ार कर रहा था. उस'के माथे पर जैसे ही नीता के होन्ठ छूये वैसे ही पंकज ने अपनी फैली हुई हथैल'यों को कस लिया ओर एक टाइट स्क्वीज़ देनी चाही, नीता के गान्ड की दरार पर. पर एक तो नीता की सिल्क की साऱी दूसरा नीता के चुत्तडो का बहुत भारी होना; जिसकी वजह से वो एक ना'काम सी कोशिश कर के रह गया ऑर इसी दोरान नीता एक झटके से पीछे हट चुकी थी.

प्रिया जो कि हैरत के मारे मूँ'ह फाडे खडी यह सब देखती रह गयी थी. प्रिया उस वक़्त अपनी भाभी के बिल्कुल पीछे ही खडी थी. पंकज ने अपनी बहन को तब देखा जब झटके के साथ नीता चुम्मा ले कर पीछे हुई. नीता के हट'ते ही प्रिया का मूँ'ह फाडे चेह'रा साम'ने आ गया जो के हैरत से अपने भाई ओर अपनी भाभी को देखे जा रही थी. पंकज प्रिया का चेह'रा देख कर मुस्कुरा दिया ऑर शरा'रत से आँख मार दी. पंकज का ध्यान पीछे की तरफ देख कर नीता ने सक'पका कर रुख़ बदला ओर उस'का दिल धक से रह सा गया अपनी छोटि ननद को देख कर. एक दम ढेर सारी शरम जैसे उसे आ गयी यह सोच कर के सब कुच्छ प्रिया ने देख लिया है. उस'से अब दो कदम चल'ना भी मुश्'किल हो रहा था, प्रिया के साम'ने.

"चलो यार! कितनी ऑर रस्मै निभाई जाएँगी. यहाँ के लोग तो ताज़ा माल हैं पर यह अमेरिका रिटर्न बंदा काफ़ी थक चुका है भाई" उकता'हट का प्रदर्शन करते हुए पंकज ने कहा पर उसकी नज़रे अपनी मस्त भाभी की चौड़ी गान्ड पर ही टिकी हुई थी ऑर वो एक बार फिर इस नरम जगह पर हाथ सॉफ करना चाहता था.

"चलो भाई चलो, हां हम लोग भी थक चुके हैं" प्रिया नीचे नज़रे किए नीता के चलने का इंत'ज़ार कर रही थी. लेकिन यहाँ तो नीता से कदम ही नहीं उठाये जा रहे थे शरम के मारे. पर जब प्रिया को वहीं खड़े पाया तो नीता ने खुद ही हिम्मत कर के आगे कदम बढ़ाए ओर तेज तेज क़दमों के साथ आगे बढ़ गयी ओर तेज़ी से अपने बेडरूम का डोर ओपन कर के अंदर दाखिल हो गयी.

एरपोर्ट के हाद'से ने उसे एक दम बोखला दिया था ओर अब वो सिर थामे सोचे जा रही थी कि एर पोर्ट से अब तक क्या हुवा, ओर पंकज के हाथों का वो लॅम'हा याद कर के उसे गुस्सा भी आए जा रहा था ओर शरम भी, "वो कैसे यह सब उस'के साथ कर सकता है. उस'ने मा जैसी भाभी की गान्ड मैं पूरा हाथ चढ़ा दिया ओर वो भी बिल्कुल प्रिया के साम'ने ही, " नीता जैसे अपने आप से बरबराते हुए सवाल कर रही थी. सोचों का रेला उसके दिमाग़ मैं आए जा रहा था ओर वो सोच सोच कर परेशान हो रही थी कि उस'से कहाँ ग़लती हुई, क्या पंकज को बाहर भेजना उसकी ग़लती थी. लेकिन अपनी ग़लती के अहसास से ज़्यादा उसे यह चीज़ फिकर मैं डाले जा रही थी कि अब पंकज को नियंत्रण कैसे किया जाए ऑर उसे इन सब चीज़ों से बाज़ कैसे रखा जाए.

यह फ़ैसला कर के वो थोड़ी बहुत आश्वस्त तो हो गयी थी. पर एक डर सा यह लगा था के तुरंत परिवर्तन तो वो फिर भी नहीं ला सकैगि. इस बीच पंकज को कैसे फेस किया जाए, "वो तो लिहाज़ भी नहीं करता, वो मंज़र याद कर के ही नीता का चेह'रा शरम ऑर गुस्से से लाल हो गया. जब पंकज के हाथ उसके चुतडो पर मचल रहे थे. इन्ही ख़यालात मैं मगन नीता नींद की वादियों मैं खो गयी. कुच्छ दिन यूँही गुजर गये. नीता के साथ कोई और ख़ास बात नहीं हुई. पर यह सोच के वह ज़रूर दुखी थी कि अब पह'ले वाला पंकज नहीं रहा. उसे बड़े छोटे का लिहाज ज़रा भी नहीं था.

फिर एक दिन भाभी कहीं काम से गयी हुई थी. घर में प्रिया अकेली थी. वहीं पंकज भी था. पंकज की हवस भरी निगाहे प्रिया की मस्त जवानी का जाय'का ले रही थी. पंकज जब अमेरिका गया था तब प्रिया केवल 14 साल की थी. छ्होटे छोटे नींबू उभर रहे थे. पर इन 4 चार सालों में प्रिया 18 साल की मस्त लौंडिया हो चुकी थी जो पंकज की नज़र में केवल चोद'ने लायक थी. अब वह कॉलेज में 1स्ट्रीट एअर में पढ़ रही थी. पंकज की नज़रों की गुस्ताखियों को महसूस कर के प्रिया कुच्छ बोखला सी गयी ऑर वहाँ से भाग जाने के चक्कर मे थी. जिसे पंकज भी महसूस कर चुका था पर इतनी आसानी से वो यह मौका गँवा देने के लिए तैयार नहीं था.

"आई प्रिया तुम तो इन चार साल में पूरी जवान हो गई हो. " कहते हुए पंकज प्रिया के क़रीब आगेया ऑर जवाब मे प्रिया सिर्फ़ मूँ'ह चला कर रह गयी. उस'से कुच्छ कहा ही नहीं गया ओर जब पंकज को अपनी तरफ आते देखा तो बोख'लाते हुए बेतुके अंदाज़ मे कह दिया के,

भाई! चलें अब कुच्छ पढाइ सढाइ भी करें, यह कह कर मूडी ही थी कि पंकज ने उस'से से ज़्यादा तेज़ी दिखाई.

"अरे ठहरो प्रिया." प्रिया यूँही अपनी पीठ किए साँस रोके खडी थी कि किसी तरह यह घड़ी टल जाए ओर भाभी जल्द घर वापस आजाए लेकिन ऐसा कुच्छ भी ना हुवा , पंकज की कामुक नज़रे अप'नी बहन के टाइट पॅंट मे से उभरे हुए उन गोल गोल चुतडो पर केंद्रित थी और वो धीरे धीरे कदम उठाता हुवा प्रिया की तरफ बढ्ने लगा. बिल्कुल पास पहून्च कर अब वो ऊपर से नीचे तक बहन की मस्त जवानी का जायेज़ा लेने लगा ऑर जब नज़रे एक बार फिर गान्ड पर पहून्ची तो वहीं ठहर गयी. प्रिया अपनी आँखे किसी कबूतरी की तरह बंद की हुई थी. पंकज ने अपने बे-क़ाबू हाथ बढाये ओर उस'के बाएँ नितंब पर रख कर खुद प्रिया के कंधे से कंधा मिला कर खड़ा हो गया. प्रिया ने पंकज का हाथ जैसे ही अपनी गान्ड पर महसूस किया तो बिदक कर आँखे खोल दी ओर कुच्छ कहना चाहा पर पंकज ने यहाँ भी पहल की.

"अरे प्यारी बहाना इतना घब'रा क्यों रही हो!! हां?" यह कहते हुए पंकज ने हल'के से नितंब को दबाया ओर प्रिया कसमसाई सी बोल पऱी.

"भैया!! क्क्किया कर रहे हैं आप यह, आप ने एर पोर्ट पर भी कुच्छ इसी तरह. . , " इस'से आगे प्रिया से कुच्छ कहा ना गया हया के मारे.

"क्या किया था भाई मैने ऐसा , हां?" यह कहते हुए पंकज ने अपने हाथों का दबाव कुच्छ ओर बढ़ाया जैसे कि डॉक्टर लोग ब्लड प्रेशर लेते समय पंप कर'ते हैं.

"पल्लज़्ज़, भैया यह मत करो. मैं आप'की छोटी बहन हूँ." अपने एक हाथ से पंकज के हाथ को धकैलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली. अब वो रुआंसी सी होने लगी थी.

"ओके. ओके, छोड़ देता हूँ पर पहले यह बताओ के मस्त बहन का कोई बॉय फ्रेंड भी है या नहीं" अपना हाथ उसके कूल्हो से उठाते हुए कहा. पर अब स्थिति कुच्छ इस तरह रुख़ ली के प्रिया को धकैल कर उसे दीवार से टेक दिया ओर अपनी एक उंगली उसकी झाँक'ती हुई नाभी मे डाल कर होले होले घुमाने लगा. कूल्हों से हाथ हटाने के बाद प्रिया को कुच्छ सकून सा हुवा था पर अब नाभी मे पंकज की उंगली उस'के अंदर एक नयी सन'सनाहट पैदा कर रही थी.

"नही. भैया, " बिखरती साँसों के साथ कहा.

"अरे!! तुम्हारा अभी तक कोई बॉय फ्रेंड ही नहीं है. यहाँ के लोग कैसे हैं यार, तुम बहन हो उसके बावजूद तुम्हारी जवानी देख कर लंड तन गया है, देखो यह" कहते हुए पंकज ने प्रिया का हाथ जाबर'दस्ती अपने लंड पर रख दिया.

"प्ल्ज़ भाई, मुझे जाने दीजिए, यह. . यह सब सही नहीं हो रहा. " उखरती सांसो के साथ प्रिया मून'मुनाई ओर अपना हाथ लंड से हटाने की कोशिश की पर पंकज ने हाथ हटाने नहीं दिया ओर मज़बूती से गिरफ़्त किए रहा.

"कभी किसी ने तुम्हारे इन सुलगते होन्टो का जाम पिया है प्रिया?" जो हाथ नाभी मे घूम रहा था वो अब वहाँ से होन्टो पर पहून्च गया ओर अंगूठा और एक अंगुल से निचले होन्ठ को होले से मसला.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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Re: अमेरिका रिटर्न बंदा

Post by rajsharma »

"भैया. प्लज़्ज़्ज़, क्या कर रहे हैं आप. कैसी बातें कर रहे हैं, अब छोड़िए प्ल्ज़.बहुत हो गया. कहीं भाभी आ गई तो मेरे लिए बहुत मुश्किल हो जाएगी. प्ल्ज़ भाई, अब छोड़ो ये सब कर'ना." रुआंसी होते हुए प्रिया ने कहा.

"पहले उस बात का जवाब दो मेरी जानेमन फिर जाने दूँगा." होन्टो से हाथ हटा कर वो हाथ बाएँ कंधे पर रखा ओर आहिस्ता से टी-शर्ट को नीचे खींच कर बाएँ कंधे को नंगा कर दिया.

"कोन्सि बात." कहते हुए अपनी टी-शर्ट को फिर अपनी जगह लाने की कोशिश की पर यह कोशिश महँगी पड़ गयी के पंकज ने फिर टी-शर्ट को ज़ोर से खींचा. जवाब मे जिस'से सफेद रंग की ब्रा का कप एक पल के लिए झलका ओर गायब हो गया.

"वाह यार प्रिया क्या चीज़ छुपा रखी है, तुम ने भाभी मा से एक चीज़ ज़बरदस्त ली है. तुम्हे पता है वह क्या है? भाभी के ये मम्मे, एक उंगली उसके उभारों पर रख कर पिंच करते हुए कहा, इस दोरान वो अपना हाथ प्रिया के हाथ से उठ चुका था जिस'से प्रिया ने उसका लंड थाम रखा था ऑर प्रिया अंजाने में अब भी उसे थामे खड़ी थी और हल्की हल्की स्क्वीज़ दे रही थी. . "पर तुम्हारी गान्ड भाभी की तरह फूली फूली नहीं है. ज़बरदस्त है तुम्हारी भी पर भाभी की तो क्या बात है. जब साली मट'का के चल'ती है तो जी कर'ता है की. . " अब गुस्से के बजाए प्रिया को शरम सी आगयी. उसे कहीं ना कहीं से यह सब अच्च्छा भी लग रहा था पर वो समझ नहीं पा रही थी. उन भाव'नाओं को, "भैया, प्लज़्ज़्ज़्ज़, अब कुच्छ ज़्यादा ही होने लगा है यह. आप जाने दें अब मुझे, शरमाते हुए प्रिया ने बे-इख्तियार अपना सिर पंकज के सीने मे छुपा लिया. उसका हाथ अभी तक उस'के लौडे पर था ओर बेखायाली मे हाथ की गिरफ़्त लंड पर सख़्त हो चुकी थी. " बात का जवाब दो ओर फिर चली जाओ , " कहते हुए पंकज ने प्रिया के दूसरे कंधे को भी नंगा कर दिया, "कोन्सि बात" शरमाते हुए प्रिया ने सिर उठा कर पंकज को देखा, "वही के कभी इन सुलगते होन्टो का रस किसी ने पिया है? अब अपने दोनो हाथ प्रिया की गान्ड पर रख दिए. एक हाथ से उभरे हुए चूतड़ को दबाने की कोशिश की ओर दूसरे हाथ को दरार मे फिराने लगा, ओर इस अचानक हुए हम'ले पर प्रिया को झूर'झुरी सी आगयी. "न्‍न्न्नाहिी, " तेज होती सांसो के साथ शरमाते हुए कहा, "ओर कभी किसी के लौडे को पक'डा है जैसे कि मेरा थामा हुवा है, " शरारत से पंकज ने कहा, ओर जैसे ही प्रिया को होश आगया ओर झटके से हाथ हट दिया. अब उस'से नज़रे नहीं मिलाई जा रही थी, "भाई अब मैं जाऊं, आप की बात का जवाब दे दिया. " प्रिया ने नर्वस होते हुए कहा. "एक शर्त पर, " "क्या?"

"चूँके अभी तक तुम्हारे होन्टो को किसी ने चूसा नहीं है, ओर मैं वो पहला शख्स हूँ जिस'ने एरपोर्ट पर इनका थोड़ा सा सीप लिया है ओर अब तुम्हारे इस बेसबरे भाई से रहा नहीं जाता, सो इन मद भरे जामों का रस पिलाओ ओर चली जाओ, " "जी. कैसी बात कर रहे हैं भैया. कभी बहन के होन्टो पर भी चूम'ता है कोई, " बोख'लाते हुए प्रिया ने कहा, "क्यों, किस ने कहा है के सिर्फ़ गाल पर चुम्मा लिया जा सकता है, खैर चुम्मा दो अपने इन होन्टो का अन्यथा इसी तरह तुम्हे अपने हाथों मे लिए खड़ा रहूँगा, ओर इस दोरान समझ सकती हो के कुच्छ भी कर सकता हूँ, " शरारत से कहते हुए एक टाइट स्क्वीज़ दी प्रिया की गान्ड पर, "उउउहह. हल्की सी सिसकारी निकल गयी प्रिया के होन्टो से, प्ल्ज़्ज़, भाई अब जाने दें, " "पहले चुम्मा" अब की बार जो हाथ दरार मे घुसा हुवा था वो नीचे से काफ़ी अंदर गया ओर लग'भाग चूत को रगड़ता हुवा वापिस दरार मे घुसा दिया,

क्रमशः…………………………….

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Re: अमेरिका रिटर्न बंदा

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AMERICA RETURN BANDA--1

Aaj Pankaj Amerika se 4 saal baad ghar waapas aa raha tha. Pankaj kee badee bhaabhee Nita aur us'kee chhoTee bahan Priya phoolee naheen sama rahee thee. Nita aur Priya donon airport use laane gaye the. Pankaj ka bhaiya doosre shahar men ek private co. men oonche post par kaam kar'ta hai aur kaam kee vyast'ta kee vajah se vah abhee naheen aa saka. Pankaj kee umra abhee 26 saal hai. Pichh'le 4 saal se wah America men paDhaai bhee kar raha hai aur saath men job bhee kar raha hai. maa baap bach'pan men hee gujar chuke the. Par Nita bhaabhee ne kabhee maa kee kamee mahasoos naheen hone dee. Pankaj aur Priya donon bhai bahanon ko us'ne ap'ne bachchon kee tarah paala tha.
Pankaj jab America gaya tha tab wah bhaabhee kee maa see ijjat kar'ta tha. Par pashchim ke khule aur rangeen maahol ne in chaar varshon men use poora lampaT bana diya tha. Ab us'ke liye auraton aur laR'kiyon ka badan sirf chip'kaane ke liye aur us'se khil'vaaR kar'ne ke liye the, chaahe wah badan kisee ka bhee kyon na ho. America ke khulepan ke kaaran vah bhee bahut swachchhand ho gaya tha.
us'kee bhaabhee, haan uska nam Nita hai. uski umar 40 saal hai aur achchhe khaase bhare shareer kee malika hai. 40 saal kee bhaabhee ka maansal badan Pankaj ko bahut raas aaya. Par Nita men jo khaas baat thee vah thee us'ke suDol aur vishaal maTak'te, thar'tharaate nitamb. Nita kee jagah us'ka naam Nitamba-Devi jyaada saTeek baiTh'ta.
Ghar pahoonch'te hee Nita ne Priya ko kaha ke luggage Pankaj ke kam're main pahooncha do to Priyaane kaha.
"bhaabhee aap Thahariye main samaan Bhaiya ke kam're main set karwa kar aati hoon." or Nita sir hila kar jaane lagi. isi doraan Priya aar'tee ki thaalee le kar aa gayee or Nita ne aage baDh kar us'se thaalee li or Pankaj ko khamosh nazron se bulaaya, uski aar'tee utaarne ke liye. Par Pankaj bhonchakka sa khaRa raha to Priya jo us'ke saath hi khaRee thee, uski pasli men kuh'nee se Toh'ka diya to Pankaj ne hadbadaate huye Priya ko dekha or aankhain uchkayee to Priya ne muskuraate huye kaha,
aage jao or aashirwad lo bhaabhee se bhaiya. aar'tee utaarte huye bhi Nita ke cheh're or aankhon men gussa haawee tha. aar'tee jaise hi khatam huyee to ek baar phir Priya ne door se hi aankho se ishara kiya ke aashirbad lo bhaabhee ka. to woh neeche jhuk gaya or paanv chhooye.

airport par jo ghata tha. itna purana naheen huwa tha ke Nita bhool jaatee ki Pankaj ke haathon ne us'kee gaanD ki daraar ko chhuwa tha so woh thoRa careful thee, ab ki baar par aashirbaad to dena hi tha so uske sir par haath rakha or kaandho se pakaR kar use khaRa kiya. aakhir maa samaan bhaabhee thee so pyaar to aana hi tha so aage baDh kar us'ke maathe par chumma dena chaaha, par Pankaj to aise mauke talash kar raha tha so jaise hi Nita aage ko ho kar us'ke maathe ka chumma lene aage baDhi, Pankaj ne apni dono hathel'yaan ek baar phir Nita ki chhoRee gaanD ke kone par rakh dee. dil to Pankaj ka apne haath Nita ke gaanD kee daraar par poori tarah se ghusaane ka kar raha tha par woh janta tha ke yah cheez mahsoos kar li jaayegi or woh bhaabhee aur bahan ko alag alag seduce karna chaahta tha so sirf curve par hi haath rakhe.
Pankaj ke haath apni gaanD par mahsoos karte hi use ek jhatka sa laga par ab woh peechhe naheen haT sakti thee. choonke Pankaj us'se kad main lamba-tha so use thoRa uchakna paRa or Pankaj ko thoRa jhukna paRa. is process main Pankaj jyaada der tak apne dil par kaaboo na kar saka or side se apne haath phis'laate huye Nita ki gaanD par poori tarah rakh diye. yah mahsoos karte hi ke Pankaj ke haath ab jyaada khatar'naak hona shuru ho gaye hain, Nita ne tezi se us'ke maathe par apne honTh rakhe or peechhe hati. par Pankaj isi cheez ka to int'zaar kar raha tha. us'ke maathe par jaise hi Nita ke honTh chhooye waise hi Pankaj ne apnee phailee huyee hathail'yon ko kas liya or ek tight squeez deni chaahi, Nita ke gaanD kee daraar par. par ek to Nita ki silk kee saaRee doosra Nita ke chuttaRon ka bahut bhaaree hona; jiski wajah se woh ek naa'kaam si koshish kar ke rah gaya or isi doraan Nita ek jhatke se peechhe haT chuki thee.
Priya jo ke hairat ke maare mun'h phaaRe khaRi yah sab dekhti rah gayee thee. Priya us waqt apni bhaabhee ke bilkul peechhe hi khaRi thee. Pankaj ne apni bahan ko tab dekha jab jhatke ke saath Nita chumma le kar peechhe huyee. Nita ke haT'te hi Priya ka mun'h phaaRe cheh'ra saam'ne aa gaya jo ke hairat se apne bhai or apni bhaabhee ko dekhe ja rahi thee. Pankaj Priya ka cheh'ra dekh kar muskura diya or shara'rat se aankh maar di. Pankaj ka dhyaan peechhe ki taraf dekh kar Nita ne sak'paka kar rukh phaira or us'ka dil dhuk se rah sa gaya apni chhoTi nanad ko dekh kar. ek dum dhairon sharam jaise use aa gayee yah soch kar ke sab kuchh Priya ne dekh liya hai. us'se ab do kadam chal'na bhi mush'kil ho raha tha, Priya ke saam'ne.
"chalo yaar! kitni or rasmain nibhayee jaayengi. Yahaan ke log to taaza maal hain par yah America return banda kaafi thak chuka hai bhai" ukta'hat ka pradarshan karte huye Pankaj ne kaha par uski nazrain apni mast bhaabhee ki chhoRee gaanD par hi Tiki huyee thee or woh ek baar phir is naram jagah par haath saaf karna chaahta tha.

"chalo bhayee chalo, haan ham log bhee thak chuke hain" Priya neeche nazrain kiye Nita ke chalne ka int'zaar kar rahi thee. lekin yahaan to Nita se kadam hi naheen uThaye ja rahe the sharam ke maare. par jab Priya ko waheen khaRe paya to Nita ne khud hi himmat kar ke aage kadam baDhaye or taiz taiz qadmon ke saath aage baDh gayee or tezee se apne bedroom ka door open kar ke andar daakhil ho gayee.
Airport ke haad'se ne use ek dum bokhla diya tha or ab woh sir thaame soche ja rahi thee ki air port se ab tak kya huwa, or Pankaj ke haathon ka woh lam'ha yaad kar ke use gussa bhi aaye ja raha tha or sharam bhi, "woh kaise yah sab us'ke saath kar sakta hai. us'ne maa jaisee bhaabhee ki gaanD main poora haath chaDha diya or woh bhi bilkul Priya ke saam'ne hi, " Nita jaise apne aap se barbaraate huye sawaal kar rahi thee. sochon ka rela uske dimaag main aaye ja raha tha or woh soch soch kar pareshan ho rahi thee ki us'se kahaan galti huyee, kya Pankaj ko baahar bhaijna uski galti thee. lekin apni galti ke ahsaas se jyaada use yah cheez fikar main Daale ja rahi thee ki ab Pankaj ko niyantraN kaise kiya jaaye or use in sab cheezon se baaz kaise rakha jaaye.
yah faisla kar ke woh thoRi bahut aashwast to ho gayee thee. par ek Dar sa yah laga tha ke turant parivartan to woh phir bhi naheen la sakaigi. is beech Pankaj ko kaise face kiya jaaye, "woh to lihaz bhi naheen karta, woh manzar yaad kar ke hi Nita ka cheh'ra sharam or gusse se laal ho gaya. jab Pankaj ke haath uske chutaaRon par machal rahe the. inhee khayalaat main magan Nita neend ki waadiyon main kho gayee. Kuchh din yoonhee gujar gaye. Nita ke saath koi aur khaas baat naheen huee. Par yah soch ke wah jaroor dukhee thee ki ab pah'le waala Pankaj naheen raha. Use baRe chhoTe ka lihaaj jara bhee naheen tha.
Phir ek din bhaabhee kaheen kaam se gayee hui thee. Ghar men Priya akelee thee. Waheen Pankaj bhee tha. Pankaj ki hawas bhari nigahain Priya kee mast jawani ka jaay'ka le rahee thee. Pankaj jab America gaya tha tab Priya keval 14 saal kee thee. ChhoTe chhoTe nimboo ubhar rahe the. Par in 4 chaar saalon men Priya 18 saal kee mast launDiya ho chukee thee jo Pankaj kee nazar men keval chod'ne laayak thee. Ab wah college men 1st year men paDh rahee thee. Pankaj ki nazron ki gustakhiyon ko mahsoos kar ke Priya kuchh bokhla si gayee or wahaan se bhaag jaane ke chakkar main thee. jise Pankaj bhi mahsoos kar chuka tha par itni aasani se woh yah mauka ganva dene ke liye taiyaar naheen tha.
"Ai Priya tum to in chaar saal men pooree javaan ho gai ho. " kahte huye Pankaj Priya ke qareeb aagaya or jawab main Priya sirf mun'h chala kar rah gayee. us'se kuchh kaha hi naheen gaya or jab Pankaj ko apni taraf aate dekha to bokh'laate huye betuke andaz main kah diya ke,
bhai! chalen ab kuchh paDhaai saDhaai bhee karen, yah kah kar mudi hi thee ki Pankaj ne us'se se jyaada tezee dikhayee.

"Are thahro Priya." Priya yoonhi apni peeth kiye saans roke khaRi thee ki kisi tarah yah ghaRee Tal jaaye or bhaabhee jald ghar waapas aajaaye lekin aisa kuchh bhi na huwa , Pankaj ki kaamuk nazrain ap'nee bahan ke tight pant main se ubhre huye un gol gol chuttaRon par kendrit thee aur woh dheere dheere kadam uThaata huwa Priya ki taraf baDhne laga. bilkul paas pahoonch kar ab woh oopar se neeche tak bahan kee mast jawaanee ka jaayeza lene laga or jab nazrain ek baar phir gaanD par pahoonchee to waheen thahar gayee. Priya apni aankhain kisi kabootaree ki tarah bund ki huyee thee. Pankaj ne apne be-qaaboo haath baDhaaye or us'ke baayen nitamb par rakh kar khud Priya ke kandhe se kandha mila kar khaRa ho gaya. Priya ne Pankaj ka haath jaise hi apni gaanD par mahsoos kiya to bidak kar aankhain khol dee or kuchh kahna chaaha par Pankaj ne yahaan bhi pahal kee.
"Are pyaaree bahana itna ghab'ra kyon rahi ho!! haan?" yah kahte huye Pankaj ne hal'ke se nitamb ko dabaaya or Priya kasmasayee si bol paRee.
"bhaiya!! kkkiaa kar rahe hain aap yeh, aap ne air port par bhee kuchh isee tarah. . , " is'se aage Priya se kuchh kaha na gaya haya ke maare.
"kya kiya tha bhai maine aisa , haan?" yah kahte huye Pankaj ne apne haathon ka dabaav kuchh or baDhaaya jaise kee doctor log blood pressure lete samay pump kar'te hain.
"pllzz, bhaiya yah mat karainnnnn. Main aap'kee chhoTee bahan hoon." apne ek haath se Pankaj ke haath ko dhakailne ki nakaam koshish karte huye bolee. ab woh ruaansee si hone lagi thee.
"ok. ok, chhoR deta hoon par pahle yah batao ke mast bahan ka koi boy friend bhi hai ya naheen" apna haath uske koolhoon se uThaate huye kaha. par ab sthiti kuchh is tarah rukh li ke Priya ko dhakail kar use deewaar se Tek diya or apni ek ungli uski jhaank'tee hui naabhee main Daal kar hole hole ghumaane laga. koolhon se haath hataane ke baad Priya ko kuchh sakoon sa huwa tha par ab naabhee main Pankaj ki ungli us'ke andar ek nayee san'sanahat paida kar rahi thee.
"nahiii. bhaiya, " bikharti saanson ke saath kaha.
"are!! tumhara abhi tak koi boy friend hi naheen hai. yahaan ke log kaise hain yaar, tum bahan ho uske bawajood tumhari jawani dekh kar lunD tun gaya hai, dekho yah" kahte huye Pankaj ne Priya ka haath jabar'dastee apne lunD par rakh diya.
"plz bhai, mujhe jaane dijiye, yah. . yah sab sahi naheen ho raha. " ukharti sansoon ke saath Priya mun'munayee or apna haath lunD se haTaane ki koshish ki par Pankaj ne haath haTaane naheen diya or mazbooti se girft kiye raha.
"kabhi kisi ne tumhare in sulagte honTon ka jaam piya hai Priya?" jo haath naabhee main ghoom raha tha woh ab wahaan se honTon par pahoonch gaya or angooTha aur ek angul se nichle honTh ko hole se masala.
"bhaiyaa. plzzz, kya kar rahe hain aap. kaisi baaten kar rahain hain, ab chhoRiye plz.bahut ho gaya. kaheen bhaabhee aagai to mere liye bahut mushkil ho jaayegi. plz bhai, ab chhoRo ye sab kar'na." ruaansee hote huye Priya ne kaha.
"pahle us baat ka jawab do meree jaaneman phir jaane doonga." honTon se haath haTa kar woh haath baayen kandhe par rakha or aahista se t-shirt ko neeche kheench kar baayen kandhe ko nunga kar diya.

"konsi baat." kahte huye apni t-shirt ko phir apni jagah laane ki koshish ki par yah koshish mahangi par gayee ke Pankaj ne phir t-shirt ko jor se kheencha. jawab main jis'se saphed rang ki bra ka cup ek pal ke liye jhalka or gaayab ho gaya.
"Wa yaar Priya kya cheej chhupa rakhee hai, tum ne bhaabhee ma se ek cheez zabardast li hai. Tumhe pata hai wak kya hai? bhaabhee ke ye mumme, ek ungli uske ubhaaron par rakh kar pinch karte huye kaha, is doraan woh apna haath Priya ke haath se uTha chuka tha jis'se Priya ne uska lunD thaam rakha tha or Priya anjaane men ab bhi use thame khaRi thee aur halki halki squeeze de rahi thee. . "par tumhari gaanD bhaabhee ki tarah phoolee phoolee naheen hai. zabardast hai tumhari bhi par bhaabhee ki to kya baat hai. Jab saalee maT'ka ke chal'tee hai to jee kar'ta hai ki. . " Ab gusse ke bajaaye Priya ko sharam si aagayee. use kaheen na kaheen se yah sab achchha bhi lag raha tha par woh samajh naheen pa rahi thee. un bhaav'naaon ko, "bhaiya, plzzzz, ab kuchh jyaada hee hone laga hai yah. aap jaane den ab mujhe, sharmaate huye Priya ne be-ikhtiyaar apna sir Pankaj ke seene main chhupa liya. uska haath abhi tak us'ke lauRe par tha or bekhayaali main haath ki giraft lunD par sakht ho chuki thee. " baat ka jawab do or phir chali jao , " kahte huye Pankaj ne Priya ke doosre kandhe ko bhi nanga kar diya, "konsi baat" sharmaate huye Priya ne sir uTha kar Pankaj ko dekha, "wahee ke kabhi in sulagte honTon ka ras kisi ne piya hai? ab apne dono haath Priya ki gaanD par rakh diye. ek haath se ubhre huye chuttaRon ko dabaane ki koshish ki or doosre haath ko daraar main phiraane laga, or is achaanak huye ham'le par Priya ko jhur'jhuree si aagayee. "nnnnahii, " taiz hoti saansoon ke saath sharmaate huye kaha, "or kabhi kisi ke lauRe ko pak'Ra hai jaise ki mera thaama huwa hai, " shararat se Pankaj ne kaha, or jaise hee Priya ko hosh aagaya or jhatke se haath haTa diya. ab us'se nazrain naheen milayee ja rahi thee, "bhai ab main jaoon, aap ki baat ka jawab de diya. " Priya ne nervous hote huye kaha. "ek shart par, " "kya?"
"choonke abhi tak tumhare honTon ko kisi ne choosa naheen hai, or main woh pahla shakhs hoon jis'ne airport par inka thoRa sa sip liya hai or ab tumhare is besabre bhai se raha naheen jaata, so in mad bhare jaamon ka ras pilao or chali jao, " "jeee. kaisi baat kar rahe hain bhaiya. kabhi bahan ke honTon par bhi choom'ta hai koi, " bokh'laate huye Priya ne kaha, "kyon, kis ne kaha hai ke sirf gaal par chumma liya ja sakta hai, khair chumma do apne in honTon ka anyatha isi tarah tumhe apne haathon main liye khaRa rahoonga, or is doraan samajh sakti ho ke kuchh bhi kar sakta hoon, " shararat se kahte huye ek tight squeez di Priya ki gaanD par, "uuuhhhh. halki si siskari nikal gayee Priya ke honTon se, plzz, bhai ab jaane den, " "pahle chumma" ab ki baar jo haath daraar main ghusa huwa tha woh neeche se kaafee andar gaya or lag'bhag choot ko ragadta huwa wapis daraar main ghusa diya,

kramashah…………………………….
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: अमेरिका रिटर्न बंदा

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अमेरिका रिटर्न बंदा--2

गतान्क से आगे…………………………..

"उहह, प्पल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लज़्ज़्ज़. भाई" "चुम्मा लिए बगैर तो नहीं जाने दूँगा" कहते हुए पंकज झुका ओर उसके होन्टो को चूम लिया. "बोलो! दे रही हो चुम्मा, या यूँ ही हाथ फेरता रहूं अपनी सेक्सी बहन के बदन पर, " "आप ने ले तो लिया" प्रिया की निगाहे झुकी जा रही थी. एरपोर्ट का चुम्मा तो भाई के प्यार जताने का तरीका था लेकिन यह चुम्मा उसकी ज़िंद'जी का पहला चुम्मा था ओर वो उसकी सर'सराहट को महसूस कर रही थी. वो ना चाहते हुए भी इसे एंजाय कर रही थी. . "यह भी कोई चुम्मा था. चुम्मा तो वो होगा जो तुम खुद अपनी मर्ज़ी से दोगि ओर मैं जब तक जाम खाली ना कर दूं इन लबों को छोड़ने वाला तो नहीं" शरारत से कहते हुए दूसरा हाथ भी दरार से उठ कर चुतडो पर रखा ओर दोनो हाथों से टाइट स्क्वीज़ दी. प्रिया ने निकलती सिसकारी को होन्ठ दबा-कर रोका ओर कुच्छ कहने की कोशिश की लेकिन पंकज ने फिर बाधा दी. "प्यारी बहना! दे दो वरना यूँही हाथ फेरता रहूँगा ओर जहाँ दिल चाहा चुम्मा भी करूँगा, " यह कहते हुए एक कातिलाना मुस्कुराहट पंकज के चह'रे पर सज गयी थी और एक हाथ चुतड से हटा कर साम'ने की तरफ लाया ओर सीधा आगे से दोनो टाँगों के बीच मे पहूंचा दिया. अपनी चूत को बचाने के लिए प्रिया कुच्छ भी ना कर पाई सिवाए आउच कहने के. प्रिया ने पीछे हट'ना चाहा पर पीछे दीवार ही थी. जाती कहाँ सो कस मसा कर रह गयी. उसे इस खैल मैं अब मज़ा आने लगा था लेकिन साथ साथ डर भी लग रहा था के कोई आना निकले यहाँ. "ठीककक है. सिर्फ़ एक, " होल से शरमाते हुए कहा, "गुड. यह हुई ना बात!!" कहते हुए पंकज ने अपने दोनो हाथों के प्याले मे प्रिया का चेह'रा थाम लिया ओर उसके होन्टो पर झुक गया. पंकज अप'नी बहन के मस्ताने होन्ठो को ना जाने कित'नी देर चूस'ता रहा. प्रिया ने भी आँखें बंद कर ली थी. फिर अचानक प्रिया हड'बड़ा के पंकज से हटी और भाग कर अप'ने कम'रे में चली गई. इस घट'ना के बाद प्रिया पंकज के साम'ने अकेली पड़'ने से कत'राने लगी.

कुच्छ दिन फिर यूँही बीत गये. पर प्रिया के साथ जो भी पंकज ने किया था उस'से उस'की हिम्मत और बढ़ गयी. एक दिन पंकज जैसे ही अपने बेडरूम का दरवाज़ा खोल कर अंदर घुसा नीता को अंदर ही पा कर अपनी आँखे गोल गोल घुमाने लगा. नीता बेड पर झुकी झुकी पंकज के सूट केस को खाली कर रही थी. उसे यह अहसास ही ना हो सका के उसका अमेरिका में बिग'ड़ा हुवा देवर अंदर आन पहूंचा है. पंकज कुच्छ देर खड़ा खड़ा अप'नी मस्त भाभी की सुडोल गान्ड का नयन सुख लेता रहा. फिर वा अपने कदम भाभी की ओर बढ़ाने लगा. बाज़ाहिर तो नीता सूट केस से कप'ड़े निकालने मे ही मगन थी लेकिन उसका ज़हन पंकज मे ही खोया हुवा था और होन्टो पर हल्की सी मुस्कुराहट जमी हुई थी. चुतडो ओर चूचियों पर पंकज के हाथ की शैतानियत उसके दिल को गुद गुदाये दे रही थी ओर इसी दोरान पंकज उसके पीछे आ खड़ा हुवा ओर उसे पता ही ना चला के कब पंकज कम'रे मे अंदर आया ओर कब उसके पीछे आकर खड़ा हो गया. झुकने की वजह से नीता की गान्ड कुच्छ आगे को बाहर निकल आई थी और यह देख कर पंकज के हाथ बे-क़ाबू से हो गये ओर सीधे हाथ से फूले हुए चुतडो पर एक धप सी रसीद कर दी ओर नीता सहमी हुई आवाज़ के साथ उच्छल सी पड़ी. और हड'बड़ा कर जैसे ही पलटी पंकज को अपने साम'ने पा कर उसके हाथों के तोते उड़ गये. आख़िर हिम्मत बटोर के उस'ने कहा,"यहाँ क्यों आए हो, बाहर जाओ. अभी मैं काम कर रही हूँ. " "नोप!!! मैं नहीं जाऊँगा, यहीं बैठा हूँ आप अपनी सफाई जारी रखिए" शरारत से पंकज ने कहा ओर नीता की साइड से निकल कर वहीं बिस्तर पर सीधा लेट गया ऑर शरा'रत से नीता को देखते हुए सीटी बजाने लगा. अचानक पंकज एक दम से उठा ओर लपक कर दरवाज़ा बंद कर दिया. "यह क्या बद-तमीज़ी है ओर अभी तुम ने यह पीछे से क्या किया था" झूट मूट का गुस्सा दिखाते हुए नीता ने कहा, "बद-तमीज़ी?, बद-तमीज़ी कहाँ थी. मेरी मस्तानी भाभी, मैने तो प्यार किया था. " पंकज ने दाँत निकाले ओर कदम नीता की तरफ बढान शुरू कर दिए, "देखो!!! बद-तमीज़ी की नहीं हो रही है, हां, शराफ़त से यहाँ बगल में बैठ जाओ मैं तुम्हारे सूट केस से कपड़े निकाल कर हॅंगर मे सेट कर देती हूँ." बोखलाते हुए नीता ने पीछे खिसकना शुरू किया. "ओके, ओके, बैठ जाता हूँ भाई साइड पे. डर क्यों रही हैं. " यह कहते हुए पंकज सूट केस के बरा बर मे ही बैठ गया.

"थोड़ा उधर हो कर बैठो या वहाँ चेर पर जा कर बैठो, " मून-मूनाते हुए नीता ने कहा. "अब हर बात नहीं मानूँगा भाभी वैसे भी आप ने कुच्छ दिखाने का कहा था अपनी. " अपनी आँखे नीता की चूत की तरफ फोकस करते हुए कहा, हाय रे मैने ककब कहा बेशरम, मारूंगी एक हाथ" नीता एक दम बोखला सी गयी."बेशरम थोड़ी सी भी लज्जा नहीं आती इस तरह से बात करते हुए" गुस्सा दिखाते हुए वो एक बार फिर सूट केस पर झुक गयी ओर पंकज उसे सिर से पैर तक खा जाने वाली निगाहों से घूर्ने लगा ओर इन निगाहो की तपिश नीता अपने पूरे जिश्म पर महसूस कर रही थी और बोख'लाहट मे जो कपड़े निकाल चुकी थी; उन्हे फिर सूट केस मे ठूँसने लगी ओर जब अहसास हुवा तो झुँ'झला सी गयी. "क्या है पंकज, काम क्यों नहीं करने दे रहे" गुस्सा दिखाते हुए नीता ने सीधे हो कर कहा, "कुच्छ दिखा दें. चला जाऊँगा, " यह कहते हुए पंकज ने जीभ निकाल दी. "बेशरम, ठहरो तुम एक मिनिट, अभी बताती हूँ तुम्हें" यह कहते हुए नीता उसे झूट मूट मारने के लिए झुकी ओर पंकज जैसे इसी मोक़े की तलाश मे था. एक झटका ही देना था ओर नीता चारों खाने उसकी छाती पर चित थी. पंकज का एक हाथ फॉरन नीता के चुतडो पर गया ओर दूसरा हाथ ब्लाउस के खुल्ले हिस्से पर, "ककक्किया कर रहे हो, छोड़ो, लोफेर कहीं के. " एक दम से कस'मसाते हुए नीता ने बा-मुश्किल कहा, ओर पंकज की गिरफ़्त से आज़ाद होने के लिए मचलने लगी. किसी चिकनी मछलि की तरह. भाभी को हाथों से निकलते देख कर पंकज ने बाँहों मे लिए लिए ही एक करवट ली ओर अब नीता पंकज के नीचे आचुकी थी और कस'मसाहट मे उस'में पहले जैसी ज़िद-ओ-जहद बाकी ना रही. "कुच्छ नहीं करूँगा मेरी गरमा गरम भाभी, सिर्फ़ प्यार करूँगा ओर आपकी यह रसीली सी चूत देखूँगा. " साऱी के ऊपर से ही चूत को अपने लौडे से रगर्ते हुए कहा. लौडे की चुभन नीता ने भी फॉरन महसूस कर ली ओर उस पर पंकज की सॉफ इशारा कर'ती बाते, जिस'से नीता एक दम लाल सी हो गयी. हट जाओ हां देवर जी, अब चीखूँगी ना तो देवर जी इतने जूते पड़ेंगे ना , सारी चू. . . " ओर एक दम से अपनी जीभ दाँतों तले दाब ली, पंकज भी समझ चुका था के यह 'चू' सिर्फ़ चू नहीं था बलके चूत की तरफ इशारा किया जा रहा था. "चीखैंगी तो आप बिल्कुल भाभी, अमेरिका मे काफ़ी लौन्डियो की ली है ओर जिसे भी चोदा वो चीखती ज़रूर थी. , " यह कह'ते ही पंकज झुका ओर नीता के दहक'ते लबों पर अपने होन्ठ रख दिए ओर मज़ा ही आगया, सीधे दोनो हाथ अपनी भाभी के जोबन पर थे ओर होन्ठ अपनी प्यास बुझा रहे थे. नीता के अंदर एक तूफान सा बरपा हो रहा था. पंकज के हाथ ओर होन्ठ दोनो अपना कमाल दिखा रहे थे. "वंडरफुल!! आह भाभी क्या रसीले होन्ठ हैं आप के. दिल चाहता है यह जम पीता ही रहूं" एक हाथ से उनकी चूची को दबाते हुए कहा. "जी तो दिखाएँ अब अपनी प्यारी प्यारी चूत." गालों को चूमते हुए पंकज ने कहा. "बेशरम ना हो तो." शरम से लाल होते हुए नीता सिर्फ़ यही कह पाई. "मैं कल ही तुम्हारे भैया से कककहती हूँ के तुम्हारे लिए कोई लड़की देखे, बब्बेशरररम. आहह, " मम्मो पर पंकज के हाथों का दबाव कुच्छ ज़्यादा बढ़ गया तो सिसकारियों को नीता रोक ना पाई.
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
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Re: अमेरिका रिटर्न बंदा

Post by rajsharma »

"हुह!!, आप होती तो शादी का फॉरन हां कर देता, हां अलबत्ता आप की कोई बहन हो आप जैसी तो मोस्ट वेलकम" कहते हुए अपना एक हाथ चूची से हटा कर नॅफ की तरफ ले गया, अंघूठे को नाभी मे घुसा कर दबाते हुए थोड़ा नीचे की तरफ खींचा तो नीता के होन्ठ ओ शेप मे खुल से गये जिसे पंकज देख कर मुस्कुरा दिया. हाथ की हरकत को जारी रखते हुए कुच्छ और नीचे ले गया. साऱी 2 इंच नाभी के नीचे थी और उसकी यह सेट्टिंग मुनासिब नहीं लग रही थी. एक उंगली साऱी ओर पेटिकोट दोनो के कोनों मे घुसा कर हाथ के सफ़र को फिर जारी रखा ओर नाभी से नीचे की तरफ साऱी को खींचा .

"ओह ओह, ककक्किया , क्या करर्र रहे हो यह, हटो. " हाथ हटाने की कोशिश की लेकिन जिस क़दर साऱी खीच सकती थी, वो खिच चुकी थी और इस क़दर खिच चुकी थी कि पंकज अगर अंघूठे के सहारे साऱी को थोड़ा ऊपर उठाता तो चूत बिल्कुल नीचे ही होती.

पंकज जवाब मे नीता के होन्टो पर फिर झुक गया ओर एक भरपूर चूम्मा लिया. साथ ही अपने हाथ की हरकत को जारी रखते हुए एक अंगूठा तो साऱी मे घुसाए रखा ओर हाथ को बलिश्त नापने के अंदाज़ मे शेप दी. चूके साऱी इस क़दर नीचे थी तो वो बलिश्त कुच्छ इस तरह आई के पूरी चूत को ओक्कुपी कर लिया. नीता हाथ को हटाने की नाकाम कोशिश कर रही थी; चुम्मे के दोरान भी लेकिन हाथ की शैतानियत जारी थी.

अब पंकज सिर उठा कर नीता के पूरे बदन को भूकि निगाहों से देखने लगा. जब के नीता अपनी साँसों को काबू करने के साथ साथ पंकज को हटाने की कोशिश भी करने लगी.

"सस्शह, कुच्छ नहीं सुनूँगा, चूत देखे बगैर नहीं जाऊँगा प्यारी सेक्सी भाभी जान" ओर अपने हाथ को जो बलिश्त नापने के अंदाज़ मे चूत पर फैला हुवा था वो हाथ एक दम मुट्ठी की शकल मे बना ओर इतनी टाइट स्क्वीज़ दी के नीता खुद पर काबू ना रख सकी ओर दोनों हाथों से पंकज के कंधे को भींच लिया.

"ओह्ह्ह्ह, औचह." हाथ कुच्छ इस स्थिति मे था के चार उंगलियाँ चूत को नीचे से ऊपर की तरफ भींचने की कोशिश कर रही थी जब के अंगूठा जो के साऱी मे अडसा हुवा था वो ऐंगल दे कर कुच्छ इस तरह शेप मे आया के अंगूठा जहाँ फँसा हुवा था वहाँ से साऱी कुच्छ ऊपर को उठ गयी. अंदर का नज़ारा कर के ही पंकज मस्त हो गया ओर पंकज ने झुक कर अपने होन्ठ मम्मो पर रखने चाहे. तभी पंकज की गिरफ़्त कुच्छ हल्की पड़ी ओर नीता ने पंकज को ऊपर से धकैला ओर जैसे ही उठ कर भागने की कोशिश की पंकज ने जल्दी से नीता का एक हाथ पकड़ कर एक लहर सी जो उसे दी तो घूमती हुई वो अपने ही ज़ोर मे आकर पंकज की गोद मे धम से गिरी. "औकचह!!आह मार डाला.

"क्या छीना झपटी लगाई हुई है भाभी. कहा ना चूत देखे बगैर तो बिल्कुल भी नहीं जाने दूँगा" शरारत भरे अंदाज़ मे पंकज ने कहा. नीता के सीने से साऱी हट चुकी थी; घूमने के दोरान ओर पंकज का एक हाथ नीता के बाएँ मम्मे पर था जब के दूसरा हाथ से उस'ने फिर साऱी को नीचे सरकाने की कोशिश की थी. लेकिन बैठे होने की वजह से अब वो पहले जितनी नीचे ना जा सकी. यह महसूस कर के पंकज ने नीता की नाभी मे अपना अंगूठा ओर एक उंगली डाल दी ओर उसे मुख्तलिफ तरीक़ों से मसल रहा था. कभी नाभी के दोनो कॉर्नर्स अंगूठा ओर उंगली रख कर इस तरह मसल'ता के गहरी नाभी बंद सी हो जाती ओर कभी अपनी उंगली डाल कर ड्रोलिंग सी कर देता.

"छोड़ो" अपने नाज़ुक हाथों से पंकज के हाथों की शैतानियाँ रोकने की कोशिश करते हुए नीता मून'मुनाई. "चूत" पंकज चूची से हाथ हट कर साऱी के ऊपर से ही चूत पर रखते हुए कहा ओर होले होले सहलाने लगा. "बिल्कुल नहीं" नीता ने शरम से लाल होते हुए कहा ओर पंकज के हाथों को हटाने की नाकाम कोशिश जारी रखी. "ह्म तो भाभी आप को भी मज़ा आरहा है इस छेड़'खानी मे हां, वरना अब तक तो अपनी रसीली चूत दिखा कर जान छुड़ा चुकी होतीं" गालों को चूमते हुए पंकज ने शरारत से कहा.

"बद-तमीज़!!, " नीता बुरी तरह से शर्मा गयी. "बेशरम! तुम्हारे भाई को पता चला ना के तुम मेरे साथ क्या क्या कर रहे हो ओर क्या माँग रहे हो तो इतनी मार लगाएँगे के सारी मस्तियाँ अंदर रह जाएँगी, "एक भरपूर कोशिश कर के नीता उठ्ने मे कामयाब हुई थी कि पंकज ने फिर गोद मे गिरा लिया. "अरे, भाई को क्या प्राब्लम होगी भाभी, जो चीज़ वो देख चुके है मैं भी तो वही देखने को कह रहा हूँ" यह कहते हुए पंकज ने अपनी गिरफ़्त कुच्छ हल्की छोड़ी ओर नीता मोक़ा गनीमत जानते हुए फॉरन उठि. लेकिन पंकज ने गिरफ़्त हल्की की ही इसी लिए थी कि वो उसे सिड्यूस करना चाह रहा था. जैसे ही वो उठि पंकज भी उठ खड़ा हुवा ओर लपक कर नीचे झुकते हुए नीता को अपनी बाँहों मे उठा लिया. चूके साऱी पहले ही अपनी जगह से हट कर नीचे आन पाहूंची थी सो नाभी पंकज के होन्टो के बिल्कुल साम'ने ही अपने जोबन पर थी. पंकज अपने सुलगते होन्ठ अपनी भाभी की नॅफ पर होले से अभी रख ही पाया था के नीता को जैसे एक करेंट सा लगा ओर अजीब अंदाज़ मे निकलने की कोशिश की जिस'से स्थिति कुच्छ इस तरह बनी की नीता का पेट तो होन्टो से हट गया लेकिन नितंब पीछे को हो कर पंकज के हाथों को मज़ा देने लगे. पंकज नीता को ऐसे ही उठाए हुए घूम कर बेड पर खड़ा कर दिया ओर खुद नीचे ही खड़ा रहा. एक हाथ नीता की कमर के बॅक पर दूसरा चुतडो पर रखते हुए. जब के नीता उसे सिर से थामे उसे दूर करने की कोशिश कर रही थी. वो समझ चुकी थी कि पंकज उसकी नाभी को चूम'ना चाहता है ओर नीता अच्छी तरह जानती थी कि यह उसकी काफ़ी सेनसटिव जगह है. वो अपने जज़्बात पर नियंत्रण नहीं कर पाएगी. लेकिन पंकज एक मूँ'ह ज़ोर तूफान था. आख़िर उस'ने अपने होन्ठ नीता की नॅफ पर रख दिए.

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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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