सुष्मिता भाभी compleet

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jay
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सुष्मिता भाभी compleet

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सुष्मिता भाभी

दोस्तों पूरी कहानी लिखने से पहले मैं कुच्छ अपने बारे में आपको बता दूँ. मेरा नाम कमल है पर पूरा नाम मेरी टाइटल के साथ कमाल कांती है. मैं नेपाल सरकार में उँचे पोस्ट पर हूँ. मेरी पोस्टिंग नेपाल के सुंदर शहर पोखरा में है. मैं सरकारी काम से अक्सर काठमांडू जाता रहता हूँ. मेरे साथ मेरा परिवार भी है. मेरे परिवार में मेरी बीवी शालु और एक तीन साल की बच्ची है. मेरी उमर 35 साल की है जबकि मेरी बीवी शालु अभी 30 साल की है. मैं बहुत ही सेक्सी किस्म का व्यक्ति हूँ. मेरे खरे लंड की साइज़ लगभग 8" है और मैं किसी भी औरत को चुदाई में पस्त कर सकता हूँ. वैसे शादी से पहले और शादी से बाद मेरी जिंदगी में काई औरतें और काई लरकियाँ भी आई. इस मामले में मैं बहुत ही आज़ाद ख़यालात का हूँ. शादी सुदा होते हुए भी मुझे दूसरी औरतों या लरकियों में पूरी दिलचस्पी रहती है और उन्हें हम बिस्तर भी बनाने में मुझे कोई संकोच नहीं. मेरी बीवी शालु भी मेरी तरह बहुत सेक्सी है और प्रायः रोज ही वह मुझसे चुड़वाती है. मैं एक बार झरता हूँ तो उसकी तीन चार बार काम तृप्ति हो जाती है. स्त्री पुरुष संबंधों के मामले में शालु कुच्छ दकियानूषी ख़यालात की है जबकि मैं इस मामले में बहुत ही खुले दिमाग़ का हूँ. फिर भी हम पति पत्नी में बहुत कमाल है और जहाँ तक मैं समझता था; हम आपस में कुच्छ नहीं छिपाते. दोस्तों जब रिश्ते बहुत करीब के हों तो ऐसा विश्वास बन जाता है. पर जब मेरी पत्नी की ही ख़ास सहेली सुष्मिता भाभी मेरी जिंदगी में आई तो मेरे इस सोच को एक बरा झटका लगा. मेरी पत्नी की ख़ास सहेली यानी की सुष्मिता भाभी ने शालु की जिंदगी की कुच्छ ऐसी परतें खोली जिनसे मैं पूरा अंजान था और उसे सुन कर मैं दंग रह गया. मैं शालु को दकियानूषी ख़यालात का समझता था और यह भी मुग़ालता पाले हुवा था कि वह सिर्फ़ मेरे तक ही सीमित है. पर जब सुष्मिता ने अपनी सहेली की सेक्स लाइफ की परत दर परत खोली तो मैं मान गया की त्रिया चरित्रा को कोई नहीं समझ सकता. मुझे इस बात का बिल्कुल भी पचहतावा नहीं हुवा कि उसके गैर मर्दों से संबंध है क्योंकि मेरे गैर औरतों से रहे हैं और ऐसे नये संबंध बनाने की इच्च्छा भी रहती है, पर यह बात मुझे उसकी ही सहेली से पता चली. दोस्तों इस कहानी में पढ़िए की कैसे परत दर परत खुलती है.

हां तो दोस्तों हमारे परोस में ही एक नेपाली परिवार रहता था. विनय च्छेत्री, 40 साल का एक दुबला सा नेपाली और उसकी 36 साल की बीवी, शुषमिता. मुझे यहाँ आए हुए दो ही साल हुए पर विनय च्छेत्री यहीं का वासिन्दा है. उनके कोई औलाद नहीं पर मियाँ बीवी अपने आप में बहुत खुश हैं और दोनों ही बहुत मिलनसार हैं. विनय भी सरकारी नौकरी में है और महीने में 20 दिन तो वह काठमांडू में ही रहता है. हम जब उनके परोस में आए तो शालु का सुष्मिता से परिचय हुवा और सुष्मिता हमारी मुनिया से बहुत प्यार करने लग गयी जो उस समय साल भर की रही होगी. इसका शायद यही कारण हो की उसके कोई बच्चा नहीं था. धीरे धीरे शालु और सुष्मिता पक्की सहेलियाँ बन गयी. मैं उसे सुष्मिता भाभी कह के बुलाता था. वह अक्सर हमारे घर आती रहती थी और मैं उससे शालु की मौजूदगी में भी दो अर्थी मज़ाक कर लिया करता था. वह कभी बुरा नहीं मानी और हँसती रहती थी. सुष्मिता भाभी बिल्कुल गोरी चित्ती और भरे बदन की मस्त औरत थी. जैसे पाहारी जातियों में होता है एक दम गोल चेहरा, कद कुच्छ नाता, और जवान अंगों में पूरा उभार. मैं हमैइषा कल्पना किया करता था कि सुष्मिता भाभी को जम के चोदू और सुष्मिता मेरी भी मेरी बीवी जैसी दोस्त बन जाय और उन दोनों औरतों को एक साथ चोदू. . आख़िर मुझे मौका मिल ही गया. मेरे ऑफीस से खबर आई कि मुझे अगले ही दिन काठमांडू जाना है. मैं शाम को घर पाहूंचा. उस समय घर में सुष्मिता भाभी भी मौजूद थी. मैने उन दोनों के सामने ही यह बता दिया कि मुझे 3 - 4 दिनों के लिए काठमांडू जाना है और कल की नाइट बस से मैं काठमांडू जाउन्गा.

सुष्मिता भाभी थोरी देर में ही अपने घर चली गयी. आज की रात मैने शालु को जम के चोदा और उसने भी मस्त होके चुड़वाया, क्योंकि आने वाले तीन चार दिन हमें अलग रहना था.दूसरे दिन मैं ऑफीस से दोपहर में ही आगेया. घर पाहूंचने पर शालु बोली, तुम्हारे लिए एक बहुत ही बरी खुशख़बरी है बोलो क्या इनाम दोगे? अरे पहले यह तो बताओ कि वह खुशख़बरी क्या है? तो सुनो दिल थाम के. तुम्हारे साथ सुष्मिता भी काठमांडू जाना चाहती है. उसका हज़्बेंड वहाँ बीमार है और वह उसे देखने जाना चाहती है. और हां , तुम्हारे साथ ही वापस भी आएगी. मेरा मन तो बल्लियों उच्छलने लगा पर मैं अपनी खुशी को छिपाते हुए बोला, कि इसमें खुश खबरी वाली क्या बात है. हर रोज यहाँ से काई बसें काठमांडू जाती हैं और सब की सब फुल रहती है. लोग आते जाते रहते हैं. ठीक है तुम्हारी सहेली है और परोसी है तो उसे मैं वहाँ उसके हज़्बेंड के पास पाहूंचा दूँगा. तुम भी खुश, तुम्हारी सहेली भी खुश और उसका पति भी खुश जो वहाँ बैठा मुट्ठी मार रहा होगा. पर मुझे क्या मिलेगा. अब आके मुझे मत बोलना कि तुम्हें भी वहाँ जाके मूठ मारनी परी मैं तो बंदोबस्त करके तुम्हारे साथ भेज रही हूँ. शालु मुझ से सट्ती हुए हँसती हुई बोली. मेरा भी उसे कुच्छ करने का मूड हो ही रहा था कि दरवाजे की घंटी बाजी. शालु ने दरवाजा खोला तो सुष्मिता भाभी थी. वह अंदर आई और मुझे देख बोली, क्यों कहीं में ग़लत टाइम पर तो नहीं आ गयी.

हमारी बस रात के ठीक 9 बजे खुली. 11 बजने तक बस की सारी बत्तियाँ बुझा दी गयी और बस पहारी रास्ते पर हिचकोले खाती काठमांडू की तरफ बढ़ रही थी. सुष्मिता भाभी बिल्कुल मेरे बगल वाली सीट पर बैठी हुई थी. जब बस को झटका लगता तो हम दोनों के शरीर आपस में रगर खा जाते. इसका नतीज़ा यह हुवा की मैं उत्तेजना से भर गया और मेरा लंड पंत में एकदम खरा हो गया था. फिर सुष्मिता भाभी को नींद आने लगी और कुच्छ देर बाद उसका सर नींद में मेरे कंधे पे टिक गया. उसकी बरी बरी चूचियाँ मेरी कोहनी से टकरा रही थी. मैने भी कोहनी का दबाव उसकी चूचियों पर बढ़ाना शुरू कर दिया. लेकिन वह वैसे ही बिना हीले डुले सोई रही, इससे मेरी हिम्मत और बढ़ी. आख़िर वह मेरी बीवी की पक्की दोस्त थी. मैं घर में भी उसे कभी कभी साली साहिबा कह के छेड़ा करता था तो मैने उससे मज़ा लेने का सोच लिया. मैने अपने हाथ एक दूसरे से क्रॉस कर लिए और एक हाथ से उसके बूब को हल्के से पकर लिया. वह वैसे ही सोई रही. .. अब तो मेरी और हिम्मत बढ़ गयी और मैने उसकी चूची पर हाथ का दबाव बढ़ाना शुरू कर दिया और जब उसकी कोई हरकत नहीं देखी तो मैं उसकी चूची को दबाने लगा. बस में अंधेरा था और केवल बस के चलने की ही घर घर की आवाज़ आ रही थी. मेरा लंड पॅंट फार के बाहर आने के लिए मचल रहा था. बरी मुश्किल से उसे कस के दबा काबू में किए हुए था. सुष्मिता भाभी मेरे कंधे पर अपना सर रखे चुप चाप सोई हुई थी. मेरी हिम्मत बढ़ी और मैने हाथ उसकी ब्लाउस में सरका दिया और उसकी भारी चूची को कस के पकर लिया. फिर उसे जैसे ही कस के दबाया सुष्मिता बोल परी, "इतने ज़ोर से मत दबाइए बहुत दुख़्ता है". मैं तो यह सुनते ही खिल उठा और अपनी इस खुशी को अपने आप तक नहीं रख सका और मैने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए. उसने भी एक हाथ मेरी पॅंट पर मेरे लंड पर रख दिया और उसे पॅंट पर से हल्के हल्के दबाने लगी. मैने नीचे झुक के उसकी सारी थोरी उँची उठा ली और हाथ भीतर डाल दिया. मेरा हाथ बालों से टकराया और मैं झूम उठा की भाभी भी मज़ा लेने की तैयारी करके ही आई है. जैसे ही मैने चूत में अंगुल डालनी चाही उसने सारी पर से मेरे हाथ को रोक दिया और बोली, " ऐसे नही कोई देख लेगा". तब उसने सीट के नीचे रखी अपनी बॅग खोली और उसमें से एक चदडार निकाल ली और उसे लपेट के ओढ़ ली. मैने फिर उसकी चूची पर हाथ रख दिया और उसे ब्लाउस पर से दबाने लगा तो वह फिर बोली, "ब्लाउस का हुक खोल कर ठीक से मलो, ज़्यादा मज़ा आएगा." मैने उसकी ब्लाउस के हुक खोल दिए, अंदर ब्रा भी नहीं थी. चूची फुदक के बाहर आ गयी. इस बीच उसने वह चदडार मेरे उपर भी लपेट दी. अब हम दोनों एक चदडार में लिपटे हुए थे और भीतर हम क्या हरकत कर रहे हैं, बाहर से उसका कुच्छ भी पता नहीं चल रहा था. उसने मेरी पॅंट की चैन खोल दी और जांघीए को एक और कर के लंड को आज़ाद कर लिया. फिर वह जैसे बहुत नींद में हो और सोना चाहती हो वैसे कुच्छ अंदाज़ में पाँव सीट से बाहर कर सो गयी. लेकिन वह कुच्छ ऐसे अंदाज़ में सोई की उसे मेरे लंड को मुख में लेने में कोई कठिनाई नहीं हुई. जिसे वह अगले आधे घंटे तक चूस्ती रही जब तक की मैं उसके मुख में नहीं झारा. मेरे रस को वह पूरा का पूरा गटक गयी. फिर मैने भी उसकी चूत में अंगुल करके उसकी आग ठंडी की और हम दोनों चादर में लिपटे ही सो गये.

भोर में चार बजे हमारी बस काठमांडू पहून्च गयी. मैने उससे पूचछा, "सुष्मिता भाभी किसी लॉड्ज मे चलते हैं, थोडा आराम करने के बाद अपने हज़्बेंड के पास चली जाना". वह मेरी बात कहते ही मान गयी. मैने एक अच्छे होटेल में डबल बेड कमरा लिया. कमरे में पाहूंचते ही वह बाथ रूम में भागी और जैसे ही दरवाजा बंद करने को हुई मैं भी दरवाजे पर पहून्च गया और उसके साथ साथ बाथ रूम में घुस गया. वह हार्बारा के बोली, " क्या है मुझे पेशाब करना है बाहर जाओ". "नही डार्लिंग तुम मुतो मैं तुम्हे मुतते हुए देखना चाहता हूँ". बस की रात भर की यात्रा से वह पूरी मुतासी थी और फ़ौरन अपनी सारी पेटिकोट सहित अपनी कमर तक उँची की और मेरी तरफ अपनी फूली गोरी गांद कर के बैठ गयी और बहुत ही तेज़ी के साथ स्रर्र्र्र्र्ररर स्रर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर करके मूतने लगी. मैं एक दम गरम हो उठा और जैसे ही हम दोनों कमरे में आए मैने उसकी सारी उतार दी, फिर ब्लाउस खोला और उसका पेटिकोट भी खोल दिया. ब्रा और पॅंटी तो उसने पहले से ही नहीं पहन रखी थी अओर मेरे सपनों की रानी सुष्मिता भाभी अब मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी. मैने जैसे ही उसकी चूची पकरी वह बोल परी, पहले अपना कपड़ा तो उतार दो" मैं भी फ़ौरन पूरा नंगा हो गया. मैने सुष्मिता भाभी को चित लेटा दिया और मैं उसके मुख के दोनों तरफ घुटने मोर बैठ उसकी चूत पर झुक गया. अब मेरा लंड उसके मुख के सामने था और मेरे चेहरे के ठीक सामने उसकी खुली चूत मुझे दावत दे रही थी. उसने मेरा लंड मुख में ले लिया और इधर मैं उसकी माल पुए सी चूत पूरी जीभ भीतर धुका चाटने लगा. हम दोनों ही काम वासना से पूरे व्याकुल थे. तभी वह बोली, पहले इसे भीतर डाल के मुझे चोदो. बस से ही तुमने मुझे पागल कर रखा है. मैं इतना सुनते ही उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसके चूत के गुलाबी छेद में अपना 8" का लंड एक ही झटके में पूरा पेल दिया. तभी वह बोली, "एक बैग इतने ज़ोर से पेलोगे तो मेरा चूत फॅट जाएगा, ज़रा प्यार से धीरे धीरे चोदो, मैं कोई भाग थोड़े ही रही हूँ". सुष्मिता भाभी मैं तुम्हे चोदने का सपना बहुत दीनो से देख रहा था लेकिन डरता था कि कहीं तुम नाराज़ ना हो जाओ. नहीं ऐसी बात नहीं है मैं तो खुद तुम से चोद्वाने को बहुत व्याकुल रहती हूँ. तुम्हारी बीवी ने बताया था कि तुम लगातार घंटो तक चूत मे लंड डाल कर हिलाते रहते हो. तुम्हारे एक बार झरने तक वो चार पाँच बार झार जाती है. मेरा पति तो चोदाइ के मामले मे बीमार है, चूत मे लॉडा डाला नहीं की झार गया. मैं तो तड़पति रह जाती हूँ. तुम्हारी बीवी बड़ी भाग्यशाली है के उसे तुम जैसा चोद्दकर पति मिला. आज मेरे चूत का प्यास पूरी तरह मिटा दो. घबराव नहीं आज तो मैं तुम्हारे चूत का वो हाल बनौँगा की तुम जिंदगी भर मुझे याद रखोगी. . है . बातें मत बनाओ. अब ज़रा ज़ोर ज़ोर से मेरे चूत को चोदो. है पेलो अपना लंड पूरे ज़ोर से. मैने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी. अब मेरा लंड एक पिस्टन की तरह उसकी चूत से अंदर बाहर हो रहा था. हां और ज़ोर्से. ऐसे ही धक्के मारो. मैं जा रहियीई हून्ण्ण्ण. है मेरे राजा आज मेरे चूत का गर्मी उतार दो. मैं बहुत दीनो से प्यासी हूँ. मैं जीतने ज़ोर से उसे चोद्ता वह उतनी ही तारप तारप के और माँग रही थी. हाँ और ज़ोर से चोदो. मेरा चूत फाड़ डालो. और चोदो, चोद्ते रहो, है ठेलो ना, और कस के पेलो अपना लंड, हाँ पूरा लंड डाल कर चोदो. है मैं गाईए. ओह ..... ओह.... और धीरे धीरे वह सुस्त पर गयी. पर मैं उसकी रस से भरी चूत में वैसे ही फ़च्छ फ़च्छ के लंड पेल रहा था. .. उसके रस से चूत बहुत चिकनी हो चुकी थी और मेरा लंड बार बार स्लिप हो रहा था. तब मैने अपना लंड उसकी गांद के छेद से टीका दिया. हाई गांद मे मत ठेलो. बहुत दुखेगा. है सुष्मिता भाभी प्लीज़ एक बार जी भर के अपनी गांद मार लेने दो. मैं ने बहुत कोसिस किया लेकिन मेरी बीवी मुझे अपनी गांद नहीं मारने देती. मुझे मालूम है. काया तुम लोग ऐसी बातें करती हो. हां हम लोग और भी बहुत कुच्छ करते है. अच्च्छा पहले गांद मारने दो फिर बातें करना. मेरा लंड और उसकी गांद दोनों चूत के रस से चिकनी थी और मुझे उसकी गांद में लंड पेलने में ज़्यादा परेशानी नहीं हुई. फिर जैसे मैने उसकी चूत मारी वैसे ही गांद भी मारी और लगभग 15 मिनिट बाद मैं उसकी गांद में झारा.

तुम को कैसे मालूम कि मैं अपने बीवी की गांद मारना चाहता हूँ और वो मुझे अपनी गांद नहीं मारने देती. एक दिन तुम कहीं बाहर गये थे, मेरा पति भी नहीं था. मुझे अकेले सोने मे डर लग रहा था इस लिए उस दिन मैं सोने के लिए तुम्हारे घर आगेई. रात मे शालु के हाथों का दबाव अपनी चूची पर पाकर मेरी नींद खुल गयी और बोली, अरे ये क्या कर रही हो? कुच्छ नहीं मैं सोच रही हूँ की मेरा पति तुम्हे चोदने का ख्वाब क्यों देखता है. जब भी वो मुझे चोद्ता है तो अक्सर तुम्हारी बातें करता रहता है. तो क्या देखा? अभी तो सिर्फ़ चूची च्छुवा है. अब तुम्हारा चूत देखूँगी. और उसने मेरा पेटिकोट खोलना शुरू कर दिया. सारी तो मैं पहले ही खोल कर सोई थी, और पॅंटी भी नहीं पहनी थी. फिर उसने मेरा ब्लाउस और ब्रा भी खोल दिया. अब शालु मेरी चूचियों को बारी बारी से चूसने और मसालने लगी. मेरा एक चूची उस के मुँह में था और एक चूची को अपने एक हाथ से मसलते जा रही थी. अब धीरे धीरे उसके हाथ मेरे पेट और पेरू के रास्ते से फिसलते हुवे मेरे चूत की तरफ बढ़ रहे थे. थोड़ी ही देर में उस का हाथ मेरे चूत को मसालने लगा. मेरी फुददी ज़ोर ज़ोर से खुजलाने लगा. मैं अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से उसके हाथों पर र्गादने लगी. मैं ने अपना एक हाथ उसके चूची पर रख कर उसके चूची को मसलना शुरू किया और दूसरे हाथ को पेटीकोत के अप्पर से ही उसके चूत पर रख कर दबाने लगी. उस ने कहा, "अरे कापरे के उपर से क्या मज़ा आएगा जालिम मसलना है तो कापरे खोल कर मसालो". और मैने जल्दी जल्दी उसका ब्लाउस, ब्रा और पेटीकोआट खोल डाला. अब हम दोनो बिल्कुल नंगे एक दूसरे की चूचियों और चूत से खेल रहे थे. वो अपनी उंगलियो से मेरी फुददी खोद रही थी और मैं अपनी उंगलियों से उसका चूत खोद रही थी. थोड़ी देर बाद वो मुझे चित सुलकर मेरे जाँघो के बीच बैठ गयी और झुक कर मेरे चूत को अपने जीभ से चाटने लगी. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. आज से पहले किसी ने मेरी फुददी नहीं चॅटा था. फिर उसने मुझे अपना चूत चाटने को कहा. मुझे अच्च्छा तो नहीं लगा लेकिन उसके जीभ ने मेरे चूत को जो आनंद दिया था उसके बदले मैं उसका चूत चाटने लगी. . दोनो काफ़ी देर तक 69 पोज़िशन मे एक दूसरे के चूत चाटते रहे. फिर उसने दो लंबे बैगान लाकर एक मेरे हाथ मे थमाती हुई एक बैगान को मेरे चूत मे पेलने लगी. बैगान इतना मोटा था की चूत मे उसके घुसने का कल्पना मैं नहीं कर सकती थी. लेकिन मेरी फुददी उसके जीभ के चाटने से इतना उत्तेजित हो गयी थी के बड़ी आसानी से वो मेरे चूत मे चला गया. अपने हाथ के बैगान को मैं उसके चूत मे घुसेड़ने लगी. फिर हम दोनो काफ़ी देर तक एक दूसरे के चूत को बैगान से चोद्ते रहे. करीब एक घंटा की चुदायी के बाद हम अलग हुए और एक दूसरे के नंगी बाँहो में समाकर सो गये. सोने से पहले उसने तुम्हारे लंड और चुदायी के तरीके बड़े चटकारे के साथ सुनाई थी. उसी दिन से मैं तुम से चोद्वाने के लिए पागल रहने लगी थी. वैसे तो उसने मौका निकालकर तुम से मेरी फुददी चुदवा देने का वादा किया था. लेकिन जब भी मैं कहती थी तो बात टाल जाती थी. आज जाकर तुमसे चोद्वाने का मौका मिला. कैसा लगा तो मेरा चुदायी. भाहूत अच्च्छा. क्या एक बार फिर चोदोगे. क्यों नहीं. ऐसा कह कर हम लोगों की चुदाई एक बार फिर शुरू हो गयी. काठमांडू पाहूंचते ही मैं सुष्मिता भाभी की चूत और गांद में दो बार पानी झार चुका था. हमें होटेल के कमरे में आए हुए एक घंटा से अधिक हो चुका था. इन दो चुदायी के बाद मुझे गहरी नींद आने लगी क्योंकि में रात भर बस में भी नहीं सोया था. एक बार मैं सोया तो 9 बजे तक सोता ही रहा. जब 9 बजे उठा तो देखा कि सुष्मिता भाभी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी मेक अप कर रही थी. उसने लाल रंग की बहुत ही आकर्षक सारी पहन रखी थी और उससे मॅचिंग हल्के लाल रंग का ब्लाउस जिससे उसकी ब्रा के पत्ते साफ दिख रहे थे.
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Re: सुष्मिता भाभी

Post by jay »

सुष्मिता भाभी पार्ट--2

गतान्क से आगे.................

तुम्हारी बीवी की चूत में उसका लंड बड़ी तेज़ी के साथ अंदर बाहर हो रहा था. अपनी चूत में पड़ते उसके हर धक्के के जवाब में शालु बड़ी तेज़ी से अपनी गांद उपर की तरफ उच्छाल देती. गांद उठा उठा कर वो बड़ी मस्ती में चुदवा रही थी. उसकी चूत में ताबाद तोड़ उसका लंड अंदर बाहर आ जा रहा था. तुम्हारी बीवी के मुँह से बड़ी अजीब किस्म की सिसकारियाँ निकल रही थी. अपनी चूत में उसके लंड से धक्के मरवती हुई उसने मुझे अपने उपर खींच लिया और मेरी एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी तथा अपना हाथ मेरी चूत पर रख कर अपने उंगलियों से मेरे चूत को खोदने लगी. ये सब देख कर मेरा यार और मस्ती में आ गया और तुम्हारी बीवी की चूत में और जल्दी जल्दी अपना लंड अंदर बाहर करने लगा. वो भी गांद उच्छाल उच्छाल कर चुड़वाती रही. काफ़ी देर के लगातार चुदाई के बाद उसका लंड तुम्हारी बीवी के चूत में ही अपना पानी छ्चोड़ने लगा. इस पे वह और ज़्यादा मस्त हो कर उस से और ज़ोर से चिपक गयी. अब उसकी चूत ने भी पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया. दोनो काफ़ी देर तक एक दूसरे से हानफते हुवे चिपके रहे फिर अलग हुवे. . अब तुम्हारी बीवी ने अपनी चूत के अगाल बगल और मेरे यार के लंड के अगाल बगल फैले चूत और लंड के मिश्रीत पानी को चाट कर साफ करने का हुक्म मुझे दिया. मैने इनकार किया तो फिर मेरे पति से सब कुच्छ बता देने की धमकी देने लगी. जिसके कारण पहले उसके चूत को फिर अपने यार के लंड को चाट चाट कर मैं साफ करने लगी. जब मैं अपने यार के लंड को चाट कर साफ कर रही थी तब शालु मेरी चूत को फैला कर मेरी चूत में अपनी जीभ डाल कर चाट रही थी. मेरी चूत में चलती हुई उसकी जीभ का असर मेरी चूत पर होने लगा. मेरी फुददी जो पहले से ही शालु के चुदाई को देख देख कर पागल हो चुकी थी अब और ताव में आगेई. उधर मेरे यार के लंड पर भी मेरे मुँह का असर होने लगा. उसका लंड फिर से खड़ा हो गया. उसने फिर एक बार मेरी चूत में अपना लंड डाल कर चोदना शुरू किया. शालु अब मेरी गांद सहला रही थी. उसने मेरी गांद में अपनी उंगली अंदर बाहर करना शुरू किया. .. ये देख कर मेरे यार के मन में ना जाने क्या आया की उसने मेरी चूत से अपना लंड निकाल कर मेरी गांद में पेल दिया. अब वो मेरी गांद मार रहा था और झुक कर शालु मेरी फुददी चाट रही थी और मेरा यार अपनी जीभ से तुम्हारी बीवी की चूत चाट रहा था. वो इतने ज़ोर से मेरी गांद में अपना लंड पेल रहा था की लगता था मेरी गांद फॅट जाएगी और मैं बेहोश हो जौंगी. मैं गिड गीदा कर उस से अपना लंड निकाल लेने को कहने लगी, जिस से उसे मुझ पर दया आ गयी और उसने अपना लंड मेरी गांद से खींच लिया. लेकिन उसका लंड अब भी पूरे ताव में था इस लिए उसने तुम्हारी बीवी को कस के पकड़ते हुए उसकी गांद में अपना लंड पेल दिया. और ज़ोर ज़ोर से तुम्हारी बीवी की गांद मारने लगा. शालु दर्द से चाटपाटती रही लेकिन बिना दया किए वो उसकी गांद चोद्ता रहा. अब उसका लंड तुम्हारी बीवी की गांद में सटा सॅट अंदर बाहर हो रहा था. शालु भी अब मस्ती में आ चुकी थी और अपना चुटटर हिला हिला कर अपनी गांद मरवा रही थी. करीब दस पंद्रह मिनिट तक लगातार तुम्हारी बीवी की गांद में धक्का मारते मारते उसने उसकी गांद में ही अपना पानी छ्चोड़ दिया.

फिर हम लोग अपना अपना कपड़े पहन कर बैठ गये और बातें करने लगे तभी मेरे पति आगाये. अरे भाभी ये सब बातें तो मुझे आज तक पता नहीं थी. हरंजड़ी मेरे सामने सती साबित्री बनी रहती है और अकेले में गैर मर्द से अपना चूत ही नहीं गांद भी चुड़वति है. हरंजड़ी की गांद में जब भी मैं अपना लंड पेलने का कोशिस करता हूँ तो गुस्से में पागल हो जाती है. सुष्मिता के मुँह से चुदाई और गांद मराई की कहानी सुन कर मेरा लंड फिर से तैयार हो चक्का था और मैं बोला, आओ एक बार अपनी गांद मार लेने दो. वह मेरे सामने घुटनों और कोहनी के बल झुक गांद हवा में उँची कर दी. मैं उसके पीछे गया और सुष्मितभाभी की मस्त फूली गांद फैला के उसके गांद के छेद पर लंड का सुपारा टीका दिया. और मैं उसकी मस्त गांद खूब मस्ती के साथ मारने लगा.

सुष्मितभाभी की दस मिनिट तक अच्छी तरह से गांद मारकर हम दोनों करवट के बल काठमांडू के होटेल के डबल बेड पर लेते हुए थे. बातों ही बातों में सुष्मिता एक और परत खोलने लगी, जैसा कि मैं तुम्हे पहले भी बता चुकी हूँ कि शालु मेरी बहुत अच्छी सहेली है. हम दोनो के बीच किसी तरह की सीक्रेसी नहीं है. हम अपनी अपनी चुदाई की कहानियाँ एक दूसरे से अक्सर बताते रहते हैं. एक दूसरे की कहानी सुनते सुनते कभी कभी हम उत्तेजित हो जाया करती हैं और एक दूसरे के बदन से चिपक कर एक दूसरे के गुप्तांगों को सहलाने, मसालने और चाटने लगते हैं. एक दिन ऐसे ही हम एक दूसरे के साथ मौज कर रहे थे. मैं काफ़ी देर से उस की चूत को अपनी जीभ से सहला और चाट रही थी. वो मेरे चूत में उंगलियाँ पेल रही थी. लेकिन हमारी उत्तेजना शांत होने के बजाय और बढ़ती जा रही थी. हमें किसी जवान मर्द के मोटे तगड़े लंड की जबरदस्त ज़रूरत महशुस होने लगी थी. उसने कोई तरकीब निकालने को कहा. थोड़ी देर के राय मशवरा के बाद हम फेवा ताल (ए टूरिसटिक प्लेस इन पोखरा) की तरफ निकल पड़े. शाम का वक़्त था. इस समय अक्सर मनचले छ्होकरे ताल पर घूमने आई लड़कियों और औरतों को घूरते और कभी कभी उन के साथ छेद्खानि करने का दुस्साहस करते पाए जाते थे. हम दोनो वहाँ जाने से पहले एक दूसरे को काफ़ी अच्छी तरह सज़ा सवार दी थी. हम दोनो सारी ब्लाउस में थे. हम ने बिना बाँह का लो-कट ब्लाउस पहन रखा था, जिस से हमारी पूरी पेट और कमर का हिस्सा नंगा तो था ही, लो कट ब्लाउस के बड़े गले से हमारी चूंचियों का काफ़ी हिस्सा नज़र आ रहा था. ब्लाउस के कापरे इतने महीन थे के उस में से हमारे ब्रा की सिलाई का एक एक धागा साफ साफ नज़र आ रहा था. सारी भी हम दोनो कमर के काफ़ी नीचे बाँध रखी थी, जिस से हमारी खूबसूरत पेरू और ढोंढी साफ साफ नज़र आ रहे थे. मैं पूरे यकीन से कह सकती हूँ के हमें इस पोज़ में देख कर किसी भी मर्द के लंड को हमें चोदने के लिए व्याकुल हो जाना तो साधारण बात थी, हम जैसी मनचली दूसरी लड़कियों का मन भी हमारी चूंचियों से खेलने और हमारे जवान अंगों से खेलने को हो सकता था. हम झील के किनारे इधर से उधर अपनी कमर को मतकाते हुवे किसी ऐसे मर्द की तलास में घूम रहे थे जो हमारे चूतो की गर्मी को अपने लंड से चोद चोद कर शांत कर सके. अभी तक हमें कोई ऐसा मर्द नहीं दिखलाई दे रहा था.

शाम होने को था. हम मायूश होने लगे थे कि आज कोई हमे चोद कर हमारी जवानी की आग को शांत करने वाला नहीं मिलने वाला है. हम झील के किनारे एक एकांत जगह पर एक दूसरे से सॅट कर बैठ गये और एक दूसरे की चूत को ठप थापा कर सांत्वना दे रहे थे. तभी एक हसीन जोड़ी उसी तरफ आते हुवे दिखाई दी. वो हम से कुच्छ ही दूरी पे आ कर बैठ गये. मर्द की उमर कोई 40-45 साल के आस पास होगी और उस के साथ आई लड़की की उमर 17-18 के करीब रहा होगा. देखने में वो दोनो बाप बेटी लग रहे थे. लड़की देखने में काफ़ी खूबसूरत थी. वो टाइट जीन्स में काफ़ी सेक्सी लग रही थी. मर्द साधारण ब्यक्तित्वा का था. हम ने उन के उपर कोई खाश ध्यान नहीं दिया. उन के हमारे करीब आ कर बैठ जाने से हमें कुच्छ अच्छा नहीं लग रहा था क्यों की अब हम एक दूसरे से ना तो खुल कर चुदाई की बातें ही कर सकते थे और ना ही एक दूसरे के बदन के साथ छेद्खानि कर के आनंद ही उठा सकते थे. इस लिए हम वहाँ से झील के दूसरे किनारे की तरफ जाने का सल्लाह मस्वीरा कर ही रहे थे कि लड़की के खिल खिला कर हँसने की आवाज़ से हम उन की तरफ आकर्षित हो गये. वो मर्द जो देखने में उस लड़की का बाप जैसा लग रहा था, वो हमारी उपस्थिति का ध्यान भी ना देते हुवे उस लड़की की चूचियों के साथ छेद्खानि कर रहा था. यह सीन देख कर मैने तुम्हारी बीवी की चूची पर अपनी केह्यूनी से धक्का मारते हुवे उधर देखने का इशारा किया. वो खुद भी पहले से ही उधर देख रही थी.

वे लोग हमारी तरफ बिल्कुल ध्यान दिए बिना अपने खेल में लगे रहे. अब वो मर्द उस लड़की को अपने गोद में खींच लिया था और उसके शर्ट के अंदर अपना हाथ डाल कर उस लड़की की चूचियों से खेल रहा था. वो लड़की उस की गोद में बड़े अजीब ढंग से मचल मचल कर उस से अपनी चूचियों को मसलवा रही थी. कुच्छ देर बाद वो लड़की उसके गोद से उतर कर उसके बगल में बैठ गयी और उस मर्द के पैंट का ज़िपर खोलने लगी. अब उस मर्द का लंड उस के पैंट के बाहर उस लड़की के हाथ में झूल रहा था. उस का लंड देख कर मेरा दम घुटने लगा था, उसके यार का साइज़ लगभग 10 इंच था. इसे देख कर शालु आह भरते हुए मेरे कानों के पास अपना मुँह लाकर बोली, " हाई सुष्मिता कितना लंबा और कैसा मोटा लंड है उसका, एक बार हमे मिलता तो मैं उस के लंड से अपना चूत साफ करवा लेती, वो लड़की तो बेहोश हो जाएगी जब वो अपना पूरा लंड उसके नन्ही सी चूत में डालेगा, इस के लंड से चूत साफ करवाने के बाद तो हम घोड़े से भी चुदवा सकती हैं, कोई उपाय सोचो इस के लंड से चुड़वाने का, ऐसा लंड मैने आज तक नहीं देखा है". मैं जैसा कह रही हूँ वैसा करते जा, वो खुद हमे चोदने को पागल हो जाएगा. और मैने तुम्हारी बीवी की सारी उलटा कर उसकी चूत पे अपना मुँह रख कर उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी. वो अपने हाथों से अपना चूत फैलाए हुवे थी. हमें इस पोज़ में देख कर वो मर्द उठ कर हमारी तरफ आने लगा और हमारे पास पहुँचते ही उस ने मेरी सारी को उलटा कर मेरी गांद में अपना उंगली घुसा दिया. वो लड़की तुम्हारी बीवी की चूची पकड़कर मसल्ने लगी. थोड़ी देर तक हम चारों ऐसे ही मस्ती लूटते रहे फिर उस मर्द ने कहा, "अगर तुम लोग पूरा मज़ा लेना चाहती हो तो हमारे साथ चलो". मैने कहा, "तुम्हारे साथ तो पहले से ही ये है, इसे चोदने के बाद क्या तुम हम दोनो की प्यास बुझा सकते हो". आजमा कर देखो एक बार मुझ से चुड़वाने के बाद किसी और के लंड से तुम्हारी प्यास नहीं बुझेगी. तुम दोनो के लिए मैं अकेला काफ़ी हूँ परंतु अगर तुम लोग संभाल सकी तो मैं तुम दोनो की प्यासी चूत के लिए दर्जनों लड़कों का लाइन लगवा दूँगा. हमारे ग्रूप में हर उमर के लड़के हैं जिन के पास हर साइज़ का लंड है. हमारे ग्रूप में 10 साल से लेकर 60 साल तक के चुड़क्कड़ मर्द हैं, उनके लंड का साइज़ 4 इंच से लेकर 12 इंच लंबा तक है. तुम जिस जिस को पसंद करोगी और जब तक चाहोगी वी तुम्हे चोद्ते रहेंगे. हमारे लड़के छ्होटी से छ्होटी लड़कियों की चूत से लेकर बूढ़ी औरतों के फैले हुए भोसड़ा तक को पूरी तरह संत्ुस्त करने का क्षमता रखतें हैं. अच्च्छा चलो एक बार आजमा कर देखते हैं कि तुम्हारे और तुम्हारे लड़कों के लंड में कितनी ताक़त है. और वो हमे एक सुनसान इलाक़े में एक सुनसान मकान के अंदर ले गया. वहाँ पहुँच कर उसने किसी को फोन करके बोला, "दो बड़ी जानदार भाभियाँ आई हुई हैं, ये काफ़ी प्यासी भी लगती हैं इन की चूत का प्यास बुझाने के लिए अपने ग्रूप के साथ आ जाओ" फोन करने के बाद वो हमें एक बेड रूम के अंदर ले गया.

बेड रूम में पहुँचते ही उस के साथ वाली लड़की मुझे अपनी बाँहों में भर कर मेरे चूचियों को मसालने लगी। जवाब में मैने भी उस की चुचियों को पकड़ कर ज़ोर से मसल दिया. उसने मेरे कपड़ो को खोलना शुरू किया. पहले उसने मेरा सारी, उसके बाद ब्लाउस तब ब्रा खोल कर मेरे बदन से अलग किया. मेरी नंगी चुचियों को बारी बारी से अपने मुँह में लाकर बच्चों के तरह चुस्ती हुई अपने हाथों में उन्हे लेकर मसालती हुई मेरे चूचियों का तरीफ्फ करने लगी. अब उसका हाथ मेरे पेटीकोट्त के जारबन को खींच रहा था. अगले ही पल मेरा पेटीकोट्त फिसलते हुवे मेरे जांघों से नीचे के तरफ सरक रहा था. अगले पल मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी. अब वो मुझे पलंग पर सुला कर मेरी चूत पर अपनी जीभ रगड़ने लगी थी. ॥ मैने उसे अपने कपड़ा भी उतार लेने को कहा तो उसने एक एक कर के अपनी पैंट, शर्ट, ब्रा और पॅंटी उतार डाला. उस की चूचियाँ बड़ा सॉलिड परंतु काफ़ी छ्होटी थी. उसने अपनी चूत पे उगे बालों को शायद आज ही साफ किया था, जिस से उस की छ्होटी और चुलबुली चूत काफ़ी खूबसूरत दिख रही थी. मुझे तो शालु के साथ अपना चूत चात्वाने और उस के चूत को चाटते हुवे उस में उंगली घुसेड़ने की आदत पॅड चुक्की थी. इस की छ्होटी सी साफ सुथरी चूत को देख कर मेरे मुँह में पानी भर आया. मैं उसे चिट लिटा कर उसके उपर इस तरह से चढ़ि कि मेरी चूत उस के मुँह के सामने आ गयी और मेरा मुँह उस की चूत के पास था. मैने उस की चूत को अपने उंगलियों से फैलाया और उस की चूत के पतले गुलाबी छेद में अपनी जीभ घुसेड कर चाटने लगी. वो भी अपने हाथों से मेरी फूली हुई चूत को ज़ोर से चिदोर कर मेरे चूत में अपनी जीभ गुसेड दी. मैं अपनी जीभ तेज़ी के साथ उसकी चूत में और वो अपनी जीभ जल्दी जल्दी मेरे चूत में चलाने लगी. वो नीचे से अपना चुटटर उठा उठा कर अपना चूत मेरे मुँह पर थेल रही थी. मैं उसकी चूत में जितना संभव था उतना अंदर तक अपनी जीभ थेल कर उस की चूत को ज़ोर ज़ोर से चाट ते हुए उसके मुँह पर अपना चूत ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी. वो मेरे चूत में और मैं उसकी चूत में अपनी जीभ घुसेड एक दूसरे की चूत चाटने में भिड़े हुवे थे. उधर उसी बड़े पलंग पर वो मर्द शालु को नंगा कर के, और खुद भी नंगा होकर शालु के साथ भिड़ा हुवा था. शालु उसके लंड को अपने हाथ में लेकर अपनी जीभ से उसे चाट रही थी और वो शालु के चूत में अपना उंगली डाल कर तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. शालु अपना चुटटर हिला हिला कर अपनी चूत में उसका उंगली डाळवाते हुवे उसके 10 इंच लंबे लॅंड को अपनी जीभ से चाट रही थी.वो कभी कभी उसके लंड के सुपरे को अपने मुँह में लाकर चूसने लगती थी तो कभी उस के लंड पर अपनी जीभ रगड़ र्गड़ के उसे चाटने लगती. उस की उंगली लगातार शालु के चूत में अंदर बाहर फिसल रही थी.

क्रमशः.....................................

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Re: सुष्मिता भाभी

Post by jay »

सुष्मिता भाभी पार्ट--3

गतान्क से आगे.................

शालु ने उसे अपनी चूत में लंड डाल कर चोदने को कहा. वो शालु को चित सुलाकर उसके जांघों के बीच बैठ गया. शालु ने अपनी जांघों को मोड़ कर फैलाते हुवे अपनी जांघों के बीच उसके लिए जगह बना लिया था. वो शालु के जांघों के बीच बैठ कर अपना सर उसके चूत पर झुकाते हुवे अपने दोनो हाथों से उस के चूत को चिदोर कर उस में अपनी जीभ रगड़ने लगा. वो शालु की चूत चाट रहा था और तुमाहरी बीवी अपना चुटटर उच्छाल उच्छाल कर उस से अपना चूत चाटवा रही थी. उत्तेजना के मारे शालु के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी थी. अब उस की उत्तेजना इतनी बढ़ गयी थी की वह चुटटर हवा में उठा कर लगातार अपना चूत उसके मुँह में ठेले जा रही थी. शालु उस से बोली, "अब बर्दस्त नहीं हो रहा है जीभ निकाल कर अब मेरे चूत में अपना लंड घुसेड कर चोद दो, फिर चाहो तो चोदने के बाद मेरी फुददी जी भर के चाट लेना". . अच्छा समबहालो अपना चूत अब मैं अपना फौलादी लंड तेरे चूत में डाल रहा हूँ. अपने हाथों से अपनी चूत को फैलाते हुवे शालु ने कहा, "डालो मेरे भोले राजा अपना फलादी लंड मेरे प्यासी चूत में". उसने अपने लंड का फूला हुवा बड़ा सा सुपारा शालु की फैली हुई चूत के मुँह पर रख कर एक करारा धक्का लगाया. उस के चूत पर उसने इतने ज़ोर का धक्का मारा था की एक ही धक्के में उसके मोटे लंड का आधा हिसा शालु के गरम चूत में घुस गया. उस के लंड का मोटाई इतना ज़्यादा था कि उत्तेजना के मारे लंड निगलने को व्याकुल तेरी बीवी के चूत में ज़ोर का जलन हुआ जिस से वो उई मा कहती हुई अपनी गांद ऐसे सिकोडी की उसका लंड उसके चूत के बाहर आ गया. अरे गांद क्यों सिकोडी अभी अभी तो बड़ा ऐंठ रही थी लंड डालवाने के लिए, अब क्या हुवा मेरी भाभी जान. कुच्छ नहीं धक्का इतने ज़ोर का था कि मेरी चूत बर्दस्त नहीं कर सकी, अब ज़रा प्यार से मेरे चूत में अपना लंड पेलो फिर हुमच हुमच के चोदना, कहती हुई उसने अपने हाथों से अपना चूत फैला कर फिर से उसका लंड अपनी चूत के मुँह पर रखती हुई अपना दाँत ज़ोर से भींच लिया. उसने फिर पहले से भी अधिक ज़ोर से अपना लंड उसके चूत में तेल दिया. इस बार भी उस के मुँह से चीख निकल पड़ी, पहले से भी अधिक, लगभग उसके लंड का दो तिहाई भाग उसके चूत में एक ही धक्के में समा चुक्का था, लेकिन इस बार उस ने अपनी गांद नहीं सिकोडी. उसने तुरंत अपना लंड थोड़ा सा बाहर खींच कर फिर पूरे ताक़त से एक और धक्का उस के चूत पर मार दिया, जिस से उसका लंबा और मोटा लंड पूरा उसके चूत के अंदर समा गया. उसका लंड शालु के चूत को कस के फिला दिया था. उस का लंड शालु के चूत में ऐसे फिट बैठा था की लगता है किसी लोहे के रोड को किसीने ज़ोर से पिलास से दबा रखा हो. उस के चूत में कहीं से थोड़ा सा भी गॅप नहीं दिख रहा था. थोड़ी देर तक उसने अपने लंड को यूँ ही उसके चूत में छ्चोड़ दिया, जिस पर वो बोल पड़ी, अरे मेरे पेलू राजा क्या ऐसे ही चूत में लंड डाले पड़े रहोगे या चुदाई भी करोगे. चलो अब धक्के मारना सुरो करो, मेरी चूत अब हर फौलादी धक्के के लिए तैयार है. उसने पहले धीरे धीरे शालु के चूत में धक्का मारना शुरू किया फिर धीरे धीरे उस के चूत में धक्कों का स्पीड बढ़ाने लगा. अब वो तेज़ी के साथ शालु के चूत में अपने लंड को पेल रहा था. शालु उसके हरेक धक्कों के जवाब में अपनी चुटटर उपर की तरफ इस तरह उच्छाल रही थी जैसे उसका 10 इंच लंबा लंड भी उसके चूत के लिए छ्होटा पड़ रहा हो और वो और ज़्यादा लंबा लंड अपनी चूत में डालवाने के लिए व्याकुल हो रही हो. उस के मुँह से भी बड़ा अजीब किस्म का आवाज़ निकल रहा था. . उस की चुदाई को देख देख कर मेरी चूत भी पानी छ्चोड़ने लगी थी. मेरी चूत में उस लड़की के घुसती निकलती जीभ अब कोई खाश मज़ा नहीं दे पा रही थी. मन कर रहा था कि मैं अब शालु के चूत से वो मोटा लंड खींच कर अपनी चूत में पेल्वा कर ज़ोर ज़ोर से धक्के मर्वाउ. मैं पलंग पर खिसकते हुवे शालु के पास चली गयी और उस के पेरू के रास्ते अपना एक हाथ उस के चूत तक ले गयी. उस का लंड जब शालु के चूत से थोडा बाहर आता तो मैं उसे अपने हाथों से सहला देती. कभी कभी उस के लंड के साथ ही मैं अपनी एक उंगली भी शालु के चूत में घुसेड देती. इस से शालु की उत्तेजना और बढ़ती गयी. वो बोलने लगी . हे जालिम तुम तो बड़े चडॅक्केड बन रहे थे, लेकिन तुम्हारा लंड तो मेरी चूत में ना जाने कहाँ खो गया है. मेरी चूत में तुम अपना पूरा लंड नहीं डाल रहे हो क्या. पूरा लंड मेरे चूत में पेल के मेरे चूत में जल्दी जल्दी धक्के मारो ताकि मेरी प्यासी चूत की चुदाई की प्यास बुझ जाए. हाय पेलो अपना लंबा मूसल जैसा लंड ओह .... ओह ... मेरी चूत में. ओह .... बहुत मज़ा आ रहा है. ओह ... वो अपनी पूरी ताक़त के साथ उसके चूत में धक्के मार रहा था लेकिन राजधानी एक्शप्रेस के पिस्टन से भी तेज़ी के साथ उसके चूत में घुसते निकलते उस के लंड का स्पीड भी शालु को कम लग रहा था. वो अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर और ज़ोर ज़ोर से जल्दी जल्दी अपनी चूत में उसके लंड से धक्के मरवा रही थी. साथ ही साथ वो चिल्लाती भी जा रही थी वो इसी तरह चिल्ला चिल्ला कर अपना चूत चुदवा रही थी. उस के चूत में राजधानी एक्सप्रेस के पिस्टन से भी तेज चाल में उस का मोटा लंड घुस निकल रहा था. जितनी तेज़ी से वो उस के चूत में अपना लंड पेलता उतनी ही तेज़ी में वो अपनी गांद उच्छाल उच्छाल कर अपनी चूत में उसका लंड पेल्वा रही थी. इसी तरह लगभग 40 मिनिट की जबरदस्त चुदाई के बाद वो शांत हुई. उस के शांत होते ही उस ने अपना लंड उस के चूत से बाहर खींचा. चूत से बाहर लंड निकलते ही उसकी चूत पक से आवाज़ कर के सिकुड गयी. उस के चूत से खींचने के बाद वो अपना लंड शालु के मुँह के पास लेजकर उसके मुँह में थेल दिया वो उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. करीब 4-5 मिनिट की चाटाई के बाद उसका लंड शालु के मुँह में ही झरने लगा. फ़च फ़च करके उसके लंड से निकलता हुवा उसका वीर्या शालु के मुँह में उसकी जीभ पर गिरने लगा. तुम्हारी बीवी अपना मुँह खोल कर अपनी जीभ बाहर निकाल रखी थी. उसने अपने लंड को निचोड़ निचोड़ कर अपने लंड से निकलने वाले वीर्या का एक एक कतरा उसके मुँह में गिरा दिया. बाप रे बाप उसके लंड से वीर्या भी कितना निकला था. जैसा तगड़ा उसका लंड था उतना ही ज़्यादा उसने वीर्या भी ऊडेला था. कोई 50-60 म्ल रहा होगा उसका वीर्या जो उस के मुँह से फिसलकर उस के होंठों और गाल्लों पे भी फैल गया था. वो अपनी जीभ निकाल कर उस के वीर्या को चाटने लगी. वीर्या का जो हिस्सा उसके जीभ की पंहुच से बाहर था उसे वो अपनी उंगलियों से अपने मुँह में थेल कर चाट गयी. उसके बाद उसके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. अब वो काफ़ी सन्तुस्त दिख रही थी, लेकिन उसकी शानदार चुदाई को देख कर मेरी चूत का हालत काफ़ी खराब हो गया था.

अब मैं शालु के मुँह के पास अपनी जीभ लेजकर शालु के गाल्लों को चाटने लगी. अब तक उस का लंड शालु के मुँह में ही था जिसे वो उस के मुँह से निकाल कर मेरे मुँह में थेल दिया. अब मैं उसके लंड को चूसने लगी. धीरे धीरे उसका लंड फिर से तन्तनाने लगा. अब मैं उस के लंड को अधिक से अधिक अपने मुँह में लेकर चूसने लगी. शालु अपनी टाँगों को फिलाकर चित लेटी हुई हमारा खेल देख रही थी. उस के चूत के अगाल बगल उसके चूत से निकला पानी और उस में मिला हुवा उस के लंड का पानी फैला हुवा था. वो लड़की शालु के चूत के उपर अपनी जीभ रख कर उसके चूत पे फैले चूत और लंड के मिश्रित पानी को चाटने लगी. वो उसके चूत के अंदर अपनी जीभ डाल डाल कर चूत के भीतर फैले पानी को चाट ती रही. मैं उसके लंड को तब तक चुस्ती रही जब तक वो फिर से फौलाद की तरह खड़ा ना हो गया. अब उसका लंड फिर से ताव में आकर फुफ्कारने लगा था. वो मेरे मुँह में ही धक्के मारने लगा. मेरी चूत तो पहले से ही शालु के चूत की चुदाई देख देख कर चुद्वाने को उत्तावली थी ही, उपर से उसके लंड की चाटाई और उसके द्वारा अपने मुँह में पड़ते लंड के दहक्के का असर मुझे सीधे अपनी चूत पे पड़ते दिखा. मैने उस से अपनी चूत में लंड डाल कर चोदने को कहा. कब तक मुँह में ही लंड पेलते रहोगे, मेरी चूत जल रही है इसे अपने लंड से चोद कर इस का आग शांत करो, प्लीज़. . मेरे आग्रह को मानते हुवे उसने मुझे घुटने के बल झुकने को कहा. मैं अपने घुटने पे झुक गयी. वो मेरे पिछे आकर खड़ा हो गया और अपना लंड मेरी गांद पर रगड़ने लगा. मेरी गांद पर अपना लंड रगड़ते रगड़ते उसने अपना लंड पिच्चे से ही मेरी चूत पे टीका कर मेरी चूत में थेल दिया. .. मैने अपना चूत फैला लिया. थोड़े प्रायाश के बाद ही उसके लंड का सुपारा मेरे चूत के फांकों को चीरता हुवा मेरे चूत में घुस गया. उसने मेरे चूत में अपने लंड को ठीक से सेट करने के बाद मेरी कमर को अपने हाथों से पकड़ कर चूत में अपना लंड पूरी ताक़त के साथ थेल दिया. उसका मोटा लंड एक ही धके में आधा से ज़्यादा मेरे चूत में घुस गया. चूत में उसके लंड के घुसने से थोडा दर्द तो हुवा लेकिन अपनी चूत में उसके लंड के घुसने से जो मज़ा मुझे आया उसकी खातिर अपने होंठों को चबाकर मैं सारा दर्द पी गयी. उसने धीरे से अपने लंड को थोड़ा बाहर कर के दाना दान तेज़ी के साथ 3-4 धक्का मेरे छूट में जड़ दिया, जिस से उसका पूरा लॉरा मेरे चूत में चला गया. अब वो ताबाद तोड़ मेरे चूत में दहक्के मारने लगा. जब वो ज़ोर से अपने मोटे लंड को मेरे चूत में थेल्ता तो लगता था कि उसका सुपारा मेरी बछेदनि के मुँह पर घुस्सा मार रहा हो. उस के मोटे लंड के घुसने से मेरी चूत पूरी तरह फैल गयी थी. उस का लंड मेरे चूत दाने को रगड़ता हुवा मेरे चूत में अंदर बाहर हो रहा था. मैं अपनी कमर को आगे पिछे हिला हिला कर उसे चोदने में सहयोग कर रही थी. उस का लंड बड़ा तेज गति से मेरे चूत में अंदर बाहर होने लगा था. अब मैं भी शालु की तरह ही उत्तेजना के मारे चिल्ला चिल्ला कर उस के लंड से अपना चूत चुदवा रही थी. वो दाना दान मेरी फुददी चोदे जा रहा था. मैं कमर हिला हिला कर उस से चुड़वाए जा रही थी. लगभग 15-20 मिनिट तक मेरी चूत को चोदने के बाद उसने अपना लंड चूत से खींच कर एका एक मेरी गांद में पेल दिया. अरे बाप रे बाप निकालो अपना लंड मेरी गांद से तुम्हारे इतने मोटे लंड से मेरी गांद फॅट जाएगी. फटी मेरी गांद . है . निकालो अपना लंड. लेकिन उसे मेरे चिल्लाने का परवाह कहाँ थी. उसने ताबार टॉर मेरी गांद में 4-5 धक्का लगाकर अपना पूरा लंड मेरी गांद में ठूंस दिया. दर्द के मारे मेरी गांद की हालत पस्त हो चुकी थी. लेकिन वो मान ने वाला कहाँ था. वह मेरे दर्द और मेरी गांद की हालत की परवाह किए बिना लगातार अपने लंड को गांद में पेलता गया. अब मेरी गांद का दर्द धीरे धीरे कम होने लगा था और मेरी गांद में घुसता निकलता उसका लंड धीरे धीरे मज़ा देने लगा था. वो गांद में लंड को पेलने का गति तेज करने लगा. अब उसका लंड गांद में सटा सॅट अंदर बाहर होने लगा था. जब उसका लंड गांद में घुसता तो मेरी चूत भी फैल जाती और उसके लंड के गांद से बाहर निकलते ही मेरी चूत भी सिकुड जाती थी. मुझे अब अपनी गांद में उसका लंड पेल्वाने में बहुत मज़ा आ रहा था. मैं वैसे पहले भी कई बार अपनी गांद मरवा चुकी थी लेकिन गांद मरवाने में मुझे आज तक ऐसा मज़ा नहीं आया था. गांद मरवाने में आज मुझे जो आनंद मिल रहा था उसे मैं सबदों में बयान नहीं कर सकती.

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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: सुष्मिता भाभी

Post by jay »

शालु खिसकते हुवे मेरे नीचे आ गयी और मेरी गांद में पड़ते लंड के हर धक्के के असर से हिलती हुई मेरी चूचियों को अपने मुँह में लेकर चुभलाने लगी जिस से मेरा आनंद और भी बढ़ गया. वो लड़की अब भी शालु के चूत को चाते जा रही थी और शालु अपना पेरू सटका सटका कर उस से अपनी चूत चटवाए जा रही थी. शालु मेरी एक चूची को मुँह में लेकर चूस्ते हुवे मेरी दूसरी चूची की घुंडी को अपने उंगलियों में लेकर मसालते जा रही थी. इस तरह तुमहरी बीवी से अपना चूची चुस्वाते और मसलवाते हुवे उस का लंड अपनी गांद में पेल्वाने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरा मन कर रहा था कि गांद में घुसते लंड की तरह ही एक और मोटा सा लंड कोई नीचे से मेरे चूत में पेल देता. मैं अपना हाथ नीचे लेजा कर अपनी चूत को मलने लगी थी. वो लड़की शायद मेरे मन की बात ताड़ गयी थी. वो उठकर वहीं पड़े टेबल के ड्रॉयर से दो मोटे नकली लंड निकाल लाई. एक लंड करीब 12 इंच लंबा था और दूसरे का साइज़ 14 इंच के आस पास था. छ्होटा वाला लंड शालु ने ले लिया और उसे मेरे चूत में पेलने लगी. दो तीन धक्कों में ही उसने पूरा लंड मेरी चूत में थेल दिया. अब एक तगड़ा लंड मेरी गांद में अंदर बाहर हो रहा था और उस से भी बड़ा एक लंड मेरे चूत में अंदर बाहर हो रहा था. मैने शालु से वो छ्होटा वाला लंड निकाल कर बड़ा लंड मेरी चूत में पेलने को कहा. उसने तुरंत मेरे चूत में ठुसे लंड को निकाल कर उस लड़की को थमाते हुए उसके हाथ से लंबा वाला लंड लेकर मेरे चूत में थेल दिया. वो लड़की मेरे चूत से निकाल कर दिए लंड को शालु के चूत में पेलने लगी. . अब मेरे चूत में 14 इंच लंबा और गांद में 10 इंच लंबा लंड सटा सॅट अंदर बाहर होने लगे थे. मैं तो अपने दोनो च्छेदों में घुसते निकलते लंडों के मज़े को पाकर स्वर्ग का सफ़र करने लगी थी. यूँ ही तेरी बीवी मेरे चूत में और वो जालिम मर्द मेरी गांद में अपना लंड पेलते रहे. मैं गांद हिला हिला कर अपनी गांद और चूत में एक साथ लंड पेल्वाति रही.

उधर वो लड़की शालु के छूट में 12 इंच लंबा आर्टिफिशियल लंड पेलकर हिलाते जा रही थी. मैं चरम बिंदु के करीब पहुँच चुकी थी की तभी उस ने अपने लंड का पानी मेरी गांद में उडेल दिया. मेरी चूत भी ठीक उसी वक़्त अपना पानी छ्चोड़ने लगी. वो अपना लंड कच कचाकर मेरी गांद में और शालु आर्टिफिशियल लंड को मेरे चूत में ठेले हुवे थी. मैने अपना चूत और गांद दोनो बड़ी ज़ोर से सिकोडे हुवे अपने दोनो च्छेदों में एक एक लंड को संभाली हुई थी. हमारा पहले राउंड की चुदाई ख़तम होते ही बाहर से दरवाजा नॉक हुवा. उस लड़की ने कौन है पुछ्ते हुवे दरवाजा खोल दिया. रूम में एक साथ 10 लड़के प्रविस्ट हुवे. हमें पहले से ही नंगा देख कर वी जल्दी जल्दी अपने कापरे खोलने लगे और कुच्छ ही देर में वी सब भी नंगे हो गये. उन में से हर एक का लंड ताना हुवा था. उन में से किसी का भी लंड 10 इंच से कम का नहीं था. वो दो ग्रूप में बाँट कर हम दोनो की तरफ बढ़ने लगे. मेरे पास आकर एक ने मेरी एक चूची को तथा दूसरे ने मेरी दूसरी चूची को अपने हाथों में ले लिया और मसलने लगे. एक ने मेरी चूत में तथा एक ने मेरी गांद में उंगली पेल डी और अंदर बाहर करने लगे, पाँचवे लड़के ने अपना लंड मेरे मुँह में पेल दिया जिसे मैने चूसना शुरू कर दिया. ठीक इसी तरह शालु के गांद तथा चूत में दो लड़के अपनी उंगली पेलने लगे तथा दो लड़के उसकी एक एक चूची अपने मुँह में लेकर चुभलाने लगे और पाँचवे ने अपना लंड उसके मुँह पे सटा दिया जिसे वो चूसने लगी थी. शालु उन दोनो लड़कों का लंड अपने दोनो हाथों में लेकर सहला रही थी जो उसकी चूचियों को चूस रहे थे. मेरे और शालु के गांद और चूत में जो लड़के अपनी उंगलियाँ अंदर बाहर पेल रहे थे उनका लंड हमारे कमर के पास हिचकोले मार रहे थे. हम दोनो के साथ एक बार में पाँच पाँच लड़के भिड़े हुवे थे. वो पहले वाला मर्द जो अभी कुच्छ ही देर पहले तेरी बीवी को और फिर मुझे चोद चुक्का था वो अब उस लड़की को अपनी गोद में लेकर सोफे पे बैठा हमारा खेल देखता हुवा उसकी छ्होटी छ्होटी चूचियों से खेल रहा था.

वो लड़की उसकी गोड में बैठी अपनी चुटटर उस के लंड पे रगड़ रही थी. उस का लंड उसके चुटटर को स्प्रिंग की तारह उपर उठा रहा था. दस पंद्रह मिनिट तक हमारे साथ ऐसे ही खेलते खेलते वी लड़के काफ़ी गरम हो गये, हम दोनो का बदन तो पहले से ही गरम था ही उपर से दस दस लड़कों के तनतनाए हुवे लंड देख कर और अपने बदन पे उनके द्वारा की गयी च्छेदखानी के कारण हमारी चूतो में खुजली होने लगी थी. उन में से मेरी चूंचियों से खेलते लड़कों में से एक ने नीचे चित लेटते हुवे मुझे अपने उपर खींच लिया और अपना लंड मेरे चूत पे रखते हुवे मुझे उपर से धक्का मारने को बोला. जब मैं उपर से धक्का मारी तो उसने नीचे से अपना चुटटर उच्छल कर अपना पूरा लंड मेरे चूत में पेल दिया. मेरी दूसरी चूची से खेलता लड़का मेरे पिछे आकर मेरी गांद में अपना लंड पेल दिया. मेरी गांद में उंगली करते लड़के ने अपना लंड मेरे मुँह में रख दिया जिसे मैं चाटने लगी. बाकी दोनो लड़कों का लंड मैं अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी. उसी तरह एक लड़के के उपर चढ़ कर शालु ने उसका लंड अपनी चूत में ले लिया और ठीक मेरी ही तरह एक लड़के ने अपना लंड उस की गांद में और दूसरे ने अपना लंड उस के मुँह में पेल दिया था. वो भी एक एक लड़के का लंड अपने हाथों में लेकर सहला रही थी. हम दोनो के चूत, गांद और मुँह में एक एक लंड एक साथ अंदर बाहर हो रहे थे और हम अपने हाथों में एक एक लंड पकड़े कभी उन्हें सहलाने लगती थी तो कभी सिर्फ़ ज़ोर से पकड़ कर अपनी चूत गांद और मुँह में लंड पेल्वाने का मज़ा लेने लगती थी. हमारे चूत और गांद में उनके लंडो के धक्के का स्पीड हर पल बढ़ता ही जा रहा था. चूत और गांद में जिस रफ़्तार से लंड घुस और निकल रहे थे उस से भी तेज गति से हमारे मुँह में लंड का धक्का पड़ रहा था. आनंद के मारे हम पागल हुवे जा रही थी. .. ऐसी जानदार चुदाई का खेल हम दोनो में से किसी ने भी आज से पहले नहीं खेला था. दस पंडरह मिनिट की शानदार चुदाई के बाद उन लड़कों ने अपना पोज़िशन चेंज किया. मेरी गांद में जो अब तक अपना लंड पेल रहा था वो अब अपना लंड मेरे मुँह में पेलने लगा. जिन दो लड़कों का लंड मैं अपने हाथों से सहला रही थी उन में से एक ने अपना लंड मेरी चूत में और दूसरे ने अपना लंड मेरी गांद में पेल, धक्का मारने लगा. शालु की चूत चोद्ते लड़के ने अपना लंड अब उस के मुँह में पेल दिया और जिन दो लड़कों का लंड वो हाथों से सहला रही थी उन में से एक ने अपना लंड उसकी चूत में और दूसरे ने अपना मोटा लंड उसकी गांद में पेल कर घचा घच चोदना शुरू कर दिया था. हमारे गिड गिदने से वो लड़के तो मान गये लेकिन हमें वान्हा लाने वाले मर्द ने कहा, अरे भाभियों आज मेरी वजह से तुम लोगों को इतने शानदार चुदाई का मौका मिला और तुम्हारी घंटों की जानदार चुदाई देख देख कर मेरा लंड तुम्हारे चूत और गांद के लिए पागल हो रहा है, कम से कम एक एक बार अपना चूत और गांद का रास्पान तो करा दो इसे. उसके आग्रह और उसके लपलपते लंड पे हमें तरस आ गया और फिर पहले शालु ने और उस के बाद मैने उसके लंड को एक एक बार अपनी चूत और गांद का रास्पान करा दिया. हमारे चूत और गांद से उनका वीर्या टपक टपक कर बाहर चू रहा था. हमारे बदन पे भी हर जगह उन का वीर्या लगा हुवा होने के कारण हमारा पूरा बदन चिप चिपा हो गया था. हमें लाने वाले मर्द ने हमे एक दूसरे के चूत और गांद से टपकते वीर्या को चाटने का और एक दूसरे के बदन पे लगे वीर्या को चाट चाट कर साफ करने का निर्देश दिया. हमने वैसा ही किया, फिर हम ने उस के बाथ रूम में जाकर पेशाब किया और नहाने लगे. हमारी चूत और गांद उन में पड़े उनके घंटों के धक्के के कारण दोनो फूल कर लाल लाल हो गयी थी. उसी तरह हमारी चूचियाँ भी सूज गयी तीन और वी भी लाल लाल हो गयी थी. . हमारे बदन के बिभिन्न हिस्सों पे भी उनके नाख़ून और दाँत के निसान दिख रहे थे जो चोद्ते वक़्त उन्होनें अपने नाखूनों तथा दाँतों से काट काट कर बना दिए थे. नहाने के बाद हमने अपने कापरे पहने, मॅक-अप ठीक किया और लड़खड़ते कदमों से अपना होंठ चबाकर चूत और गांद में उठते दर्द को पीते हुवे अपने घर की तरफ वापिस आ गये. हमने वहाँ से चलते वक़्त फिर से वहाँ आने का वादा किया था लेकिन वहाँ जाने के नाम से ही हमारी चूत और गांद दुखने लगती थी. इस लिए आज तक हम ने फिर कभी उन से संपर्क नहीं किया.

क्रमशः.................
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Re: सुष्मिता भाभी

Post by jay »

सुष्मिता भाभी पार्ट--4

गतान्क से आगे..............

मैं एक लग्षुरी नाइट कोच से सुष्मिता के साथ काठमांडू से लौट रहा था.होटेल से निकलने के पहले सुष्मिता ने नहा कर काफ़ी आकरसाक मेकप किया था. उस ने गुलाबी रंग की सिल्क सारी और उस से मिलते रंग की ब्लाउस पहन रखा था. ब्लाउस का गला आगे और पिछे दोनो तरफ से काफ़ी बड़ा था जिस से उस के पीठ का अधिकांस हिस्सा खुला हुवा था. ब्लाउस के आगे के लो कट यू-शेप के गले से उस की चूचियों का कुच्छ हिस्सा झलक रहा था. ब्लाउस के अंदर पहने उसके ब्रा का पूरा नकसा ब्लाउस के उपर से साफ दिख रहा था. टाइट ब्लाउस में कसे होने के कारण उस की चूचियों के बीच एक लाइन बन गयी थी. सारी और ब्लाउस में कसमसाती उस की चूंचिया काफ़ी सुडौल और आकरसाक लग रही थी. उन्हें देख कर किसी भी मर्द का मन उन्हें कपड़ो के बाहर देखने को तडपे बिना नहीं रह सकता. गले में उसने सोने का चैन और चैन में एक आकरसाक लॉकेट पहन रखा था जो उस की चूचियों के उपर लटक रहा था. कानों में सुंदर सोने की बलियाँ और नाक में सोने का नथ उस की सुंदरता को और बढ़ा रहे थे. उसने अपनी दोनो बाँहों में सारी से मॅच करते रंग की सुंदर चूड़ीयाँ पहन रखी थी. उस की दोनो हथेली आकरसाक डिज़ाइन में लगी मेहंदी से सजी हुवी थी और उस के हाथों और पाँवों के नाखूनों पर गुलाबी नाइल पोलिश लगी हुवी थी. उस ने अपने पाओं में घुंघरू दार चाँदी की पायल पहन रखी थी. इस तरह चलते वक्त उस की पायल के घुंघरुओं से छम छम का मधुर संगीत बज उठता था और जब कभी वो अपने हाथों को हिलाती थी तो उस की बाँहों की चूड़ीयाँ खनक कर वातावरण को मधुर तरंगों से भर देती थी.उसने मेक-अप भी काफ़ी आकरसाक ढंग से किया था. उस के गोरे गाल महँगा क्रीम लगा होने से और सुंदर लग रहे थे तो वहीं होंठों पे लगा लिपस्टिक उस के होंठों की सुंदरता को और बढ़ा रहा था. .. उस के माथे पे लगी बिंदी और माँग में सजी सिंदूर उस के रूप को ऐसे चमका रहे थे जिसे देखने के बाद उसके सुंदर मुखड़े को छुने और चूमने को कोई भी व्याकुल हो जाए. जब वो अपनी बलखाती चाल के साथ टॅक्सी से उतर कर अपनी कमर मतकती बस में सवार हुई तो लोग उसे देखते रह गये. मुझे पूरी उम्मीद है कि आसपास के सभी मर्द उसे छुने और कम से कम एक बार उसे चोदने की लालसा ज़रूर किए होंगे. आस पास की औरतों और लड़कियों को उस के हुस्न से ज़रूर जलन हुई होगी.

लेकिन इन बातों से बेख़बर वो अपनी कमर मतकती हुई बलखाती चल से चलती हुई बस में सॉवॅर हो कर अपनी सीट पे बैठ गयी और उस के पिछे पिछे चलते हुवे मैं भी उस के बगल वाली सीट पे बैठ गया. बस के अंदर भी हमारी सीट के आस पास बैठे लोग एक दूसरे की नज़र बचा कर अपनी आँखों से उस की सुंदरता के जाम को पी रहे थे. हमारी सीट से आगे के रो में बैठे लोग बार बार पिछे मूड कर उसे देख लेते थे, मानो ऐसा करने से उन की आँखों और दिलों को ठंढक पहुँच रही हो. हमारी रो में ऑपोसिट साइड की सीट पे दो सुंदर लड़कियाँ बैठी हुई थी और वो भी कभी कभी मूड कर सुष्मिता और मेरी तरफ देख लेती थी. बस अपने निर्धारित समय से रात के 9 बजे चल पड़ी. बस चलने के बाद करीब एक घंटे तक बस के अंदर की लाइट जलती रही और इस बीच लोग बार बार उस की सुंदरता को अपनी आँखों से पीते रहे. करीब दस बजे कंडक्टर ने बस की सारी बत्तियाँ बुझा दी जिस से बस के अंदर अंधेरा च्छा गया. अंधेरे में कुच्छ देर तक लोगों की बात चीत के आवाज़ आती रही और करीब 10 बजते बजते बस के अंदर बिल्कुल खामोसी च्छा गयी. . मैं इसी मौके के इंतजार में था. मैने सुष्मिता को अपने पास खींच लिया और खुद भी थोडा खिसक कर उस से सॅट गया. मैने अपने दाहिने हाथ में उसका बायां हाथ ले लिया और उसके हाथ को अपने हाथों से सहलाने लगा. मेरे अंदर इस से सनसनी बढ़ती जा रही थी. मैने उसे अपनी गोद में खींच कर उसके मुखड़े पे एक चुंबन जड़ दिया. अब मैने अपने दाए हाथ को उस के कंधे पे रख कर उस के कंधे और नंगे पीठ को सहलाने लगा. थोड़ी देर में मेरा हाथ फिसलता हुवा उस की दाहिने चूची पे पहुँच गया और मैं उसे ब्लाउस के उपर से ही सहलाने लगा. चूची को सहलाते सहलाते कभी कभी मैं उसे जोस से दबा देता था. अब मेरा लंड पॅंट के अंदर पूरी तरह खड़ा हो कर तेज़ी से फुदकने लगा था. मैने उसके बाएँ हाथ को अपने बाएँ हाथ से पकड़ कर अपने लंड पे खींच लाया. वो अपने हाथ से पॅंट के उपर से ही मेरे लंड को दबाने लगी. मैं अपने बँये हाथ को उस की जांघों पे रख कर उन्हे सहलाने लगा. मेरा दाहिना हाथ लगातार उस की चूंचियों पे फिसल रहा था. मैं सुष्मिता की चूचियों और जांघों को सहला रहा था और वो मेरे लंड को अपने हाथों से मसल रही थी. रात अब काफ़ी बीत चक्का था और मार्च का महीना होने के कारण अब हल्का ठंड महसूस हो रहा था जिस का फ़ायडा उठाते हुवे बॅग से हमने एक चदडार निकाल कर उसे अपने जिस्मों पर डाल लिया. हमारे जिस्म अब चदडार से पूरी तरह धक गये थे. जिस्म पे चदडार डालने के पिच्चे ठंड तो सिर्फ़ एक बहाना था क्योंकि इतना ज़्यादा ठंड भी नहीं पड़ रहा था की बिना चदडार के काम ना चल सके. हमने तो चदडार का इस्तेमाल सिर्फ़ खुल कर एक दूसरे के बदन का लुत्फ़ उठाने के लिए किया था.

चदडार डालने के बाद मैने सुष्मितकी सारी और पेटिकोट को उसके कमर तक उठा दिया और उसके ब्लाउस के हुक और ब्रा के हुक को खोल कर उस की चूचियों को इन के बंधन से मुक्त कर दिया. अब मैं अपने एक हाथ से उसकी नंगी चूचियों को मसालते हुवे दूसरे हाथ से उस की नंगी जांघों और चूत को सहला रहा था. सुष्मिता ने मेरे पॅंट का ज़िपर खोल कर मेरे खड़े लंड को बाहर निकाल लिया था और वो उसे अपने हाथों में लेकर बड़े प्यार से सहला रही थी. मैं उस की चूचियों को मसालते मसालते कभी कभी उस की चूचियों की घुंडी को ज़ोर से दबा देता. वो मेरे लंड को तेज़ी के साथ सहलाने लगी थी. मेरे कड़े लंड से थोडा थोड़ा पानी (प्र-कम) निकालने लगा था जो लंड पे चिकनाई का काम कर रहा था. अब उसके हाथ मेरे पूरे लंड पे तेज़ी के साथ चल रहे थे. वो मेरे लंड पर सुपरे से लेकर जड़ तक और कभी कभी मेरे अंडकोस तक अपने हाथ को घुमाने लगी थी. उत्तेजना हर पल बढ़ती जा रही थी और हम अब तेज़ी से एक दूसरे के बदन को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगे थे. मैने उसकी जांघों को थोडा फैला कर, अपना हाथ उसकी चूत पे रख कर, उस की चूत की फांको को अपनी उंगली से फाइयला कर, उस की चूत की दरार में अपने हाथ की बिचली उंगली घुसा डी. मेरी उंगली उस की चूत के अंदर के दाने को टिक टिक कर के सहला रही थी. अब उत्तेजना के मारे वो अपना कमर हिलाने लगी थी. उस की चूत के दाने को काफ़ी देर तक सहलाने के बाद मैं अपनी उंगली चूत के छेद पे रख कर अंदर की तरफ ठेलने लगा. मेरी उंगली बड़ी आसानी से उसकी चूत में समा गयी क्यों की काफ़ी लंबे समय से सहलाए और मसले जाने के कारण उस की चूत पानी छ्चोड़ने लगी थी. मैं उस की चिकनी चूत में गाचा गछ उंगली पेले जा रहा था. मेरी उंगली तेज़ी से उस की चूत में अंदर बाहर होने लगी थी. उस ने अपने होंठो को ज़ोर से दबा रखा था. शायद वो अपने मुँह से निकल पड़ने को व्याकुल सेक्सी उत्तेजक सिसकियों को रोकने के लिए ऐसा किया थी.

अपनी चूत में घुसते निकलते उंगली की तेज गति के साथ ले मिलकर वो अपना कमर हिलाए जा रही थी. वो मेरे लंड को भी ज़ोर ज़ोर से मसालने लगी थी. हम दोनो स्वर्ग का आनंद उठा रहे थे. सुष्मिता ने एका एक मेरे लंड को कस के पकड़ कर अपनी जाँघो की तरफ खींचना शुरू किया. मैने अपना दाहिना पैर सीट के उपर किया और थोड़ा तिरच्छा होकर अपनी कमर को उस की नंगी जाँघो से सटा दिया. अब मेरा लंड उस के जांघों से टकरा रहा था. उस ने भी अपने दाहिने पैर को सीट पे मोड़ कर रख लिया और मेरे ऑपोसिट डाइरेक्षन में झुकते हुवे अपने चुटटर को मेरे लॅंड पे सटा दिया. अब मेरा लंड उस के चुटटर के बीच के दरार पर बस की रफ़्तार के साथ ही हिचकोले खा रहा था. मैं अपनी कमर को हिलाते हुवे उस के चुट्त्रों के बीच के दरार में अपने लंड का धक्का लगाने लगा. मेरा लंड उस के चुटटरों के बीच आगे पिछे घूमते हुवे पूरी मस्ती में उसकी गांद के बीच सफ़र कर रहा था. सफ़र में कभी मेरा लंड उस के गांद के छेद से टकरा जाता तो कभी उस की चूत तक पहुँच जाता. वह अपने चूतदों को थोड़ा और तिरच्छा करते हुवे थोडा और झुक गयी. मैने भी अब अपने चुटटर को थोडा और तिरच्छा कर लिया जिस से मेरा लंड अब उसके फुददी के छेद से सॅट गया.

उस की जांघों को अपने हाथ से पकड़ कर मैने अपना लंड उस की चूत में ठेलने की कोशीष की लेकिन अंदर जाने के बजाय मेरा लंड फिसल कर उस की चूत पे आगे बढ़ गया. मैं आंगल बदल बदल कर उस की चूत में अपना लंड घुसाने की कोशीष करता रहा और आख़िर मुझे कामयाबी मिल ही गयी. मेरा लंड उस की चूत के अंदर समा गया. अब मैं उस की चूत में अपना कमर हिलाते हुवे लंड को धकेलने लगा. मेरा लंड उसकी चूत में अंदर बाहर होने लगा. लेकिन प्रायापत स्थान के अभाव में धक्के लगाते वक्त बार बार मेरा लंड उस की चूत के बाहर आ जाता था. लंड के चूत से बाहर निकलते ही वो अपने हाथ से पकड़ कर मेरे लंड को अपनी चूत में घुसा लेती थी और मैं फिर से धक्के लगा कर उस की चूत को चोदने लगता था. उस की चूत को इस तरह चलती बस में चोदने में मुझे बड़ा अनोखा मज़ा मिल रहा था. ऐसा मज़ा उसे या किसी और को चोदने में मुझे कभी नहीं मिला था. वो भी पूरी मस्ती में अपना चूत चुड़वाए जा रही थी. उस की चूत को चोद्ते हुवे एका एक मेरे मन में सरारत सूझी. मैने सोचा की चूत से बार बार लंड बाहर निकल जा रहा है. उस की चूत के बनिस्पात गांद का आंगल लंड पेलने के लिए ज़्यादा सूबिधा जनक है, इस लिए क्यों ना गांद में ही लंड घुसा कर गांद मारने की कोसिस की जाए. ये सोच कर मैं एक दम रोमांचित हो गया और अपने हाथ से लंड पकड़ कर मैने उसे सुष्मिता के गांद पर टीका कर एक ज़ोर दार धक्का लगा दिया. मेरे लंड का सुपारा सुष्मिता के गांद में फँस गया. मैने तुरंत बिना समय गँवाए दो तीन धक्के उस के गांद में जड़ दिए. मेरा समुचा लंड उस की गांद में समा गया. जैसा मैने सोचा था वैसे ही चूत की बनिस्पात गांद में लंड पेलने में ज़्यादा आसानी हो रही थी. लेकिन इस का उल्टा असर सुष्मिता पे पड़ा. .अचानक गांद में लंड के घुसने से वो एकाएक चीख पड़ी. उस की चीख से हमारे ऑपोसिट रो में बैठी लड़की की आँख खुल गयी और हमे इस पोज़ में देख कर उस की आँखें हैरत से फटी रह गयी. लेकिन मैं इतना ज़्यादा उत्तेजित हो चुक्का था की उस के देखने का परवाह किए बगैर मैं दनादन सुष्मिता के गांद में अपना लंड पेलता रहा. सुष्मिता के गांद में घुसता निकलता लंड तो वो नहीं देख सकती थी क्यों कि हमारा जिस्म चदडार से ढाका हुवा था लेकिन हमारे हिलते चूतदों की गति से वो समझ चुकी थी की चलती बस में हम चुदाई में भिड़े हुवे हैं. उस के लगातार हमारे तरफ देखते रहने से हम और अधिक उत्तेजित हो गये और मैं तेज़ी से सुष्मिता के गांद में अपना लंड आगे पिछे ठेलने लगा. मुझ से भी ज़्यादा सुष्मिता उत्तेजित हो चुकी थी और वो काफ़ी बोल्ड भी हो गयी. उस ने धीरे से चदडार हमारे बदन से सरका दी. अब वो लड़की और हैरत से हमारी तरफ देखने लगी थी. .. सुष्मिता के ब्लाउस और ब्रा खुले हुवे थे और उसकी सारी कमर तक उठी हुवी थी जिस से उसकी नंगी गोरी और सुडौल चिकनी जंघें बस के भीतर की हल्के लाइट में चमक रही थी. मैं उस लड़की के आँखों के सामने सुष्मिता के गांद में सटा सॅट अपना लंड पेले जा रहा था. गांद मराने में सुष्मिता भी अपनी कमर हिला हिला कर मेरी मदद कर रही थी. और हमारे चुदाई का खेल वो लड़की आँखें फारे देख रही थी. करीब पंडरह मिनिट के धक्कों के बाद मैं सुष्मिता के गांद में ही झार गया. फिर हम सीधे होकर बैठ गये.

अभी भी हम में से किसी ने अपना कपड़ा दुरुस्त नहीं किया था. अभी तक शायद वह लड़की सुष्मिता की चूत या मेरा लंड नहीं देखा पायी थी. ठीक उसी समय आगे से कोई गाड़ी आई जिस के हेडलाइट में हमारा नंगा जिस्म, मेरा लंड और सुष्मिता की चूत और चूची चमक पड़ी. मेरा लंड और सुष्मिता की चूत और चूची को देख कर पता नहीं उस लड़की पे क्या असर पड़ा लेकिन मेरे मन में उसे चोदने की इच्छा जाग उठी. मैं इसी ख्याल में सुष्मिता के होंठों को उस लड़की के सामने चूमते हुवे उस की चूचियों को ज़ोर ज़ोर से मसालने लगा. साथ ही मैने अपने एक हाथ की उग्लियों से सुष्मिता की चूत फैला कर उस में उंगली घुसेड दी. सुष्मिता मेरे मुरझाए लंड को अपने हाथों में लेकर उस के सामने ऐसे हिलाने लगी मानो वो उस लड़की को चुद्वाने का निमंत्रण दे रही हो. ऐसा करते वक्त सुष्मिता ने उस लड़की की तरफ देखते हुवे आँख मार दी. इस पे वो लड़की अपना आँख बंद कर के अपना मुँह दूसरी तरफ फेर ली. लेकिन हम देख सकते थे कि उस की साँसें बड़ी तेज़ी से चल रही थी. कुच्छ देर तक ऐसे ही हम दोनों चलती बस में नंगा बैठे रहे फिर हमने अपना काप्रा ठीक कर लिया. इस घटना के करीब एक घंटा बाद बस एक सुनसान जगह पे लोगों के पेशाब करने के लिए रुकी.मैं बस से उतार कर पेशाब करने चला गया. मेरे बाद सुष्मिता भी उतर कर एक तरफ चल पड़ी. उसके बाद वो लड़की भी उसी तरफ चल पड़ी जिधर सुष्मिता गयी थी. मैं उन्हें ही देख रहा था. पेशाब कर के आते वक्त वी दोनो आपस में कुच्छ बातें कर रही थी. बस चलने के बाद मैने धीरे से सुष्मिता से पुचछा की तुम्हारी क्या बातें हुई. उसने बाद में बताने को कह के बात ताल दी.

घर पहुँच कर उस ने कहा कि वो लड़की बंद कमरे में हमारी चुदाई का खेल अपनी आँखों से देखना चाहती है. उसने इसके लिए अपना टेलिफोन नंबर भी दिया है. मैने अपनी पिच्छले कहानी में बस में सुष्मिता को चोद्ते वक्त हमें देखने वाली जिस लड़की की बात की थी आज मैं उसकी चुदाई की कहानी यहाँ लिख रहा हूँ. उम्मीद है आप को ये कहानी पहले की कहानियों की तरह ही पसंद आएगी. अब मैं आप को ज़्यादा इंतेजर नहीं कराना चाहता अब कहानी पढ़ने के लिए मेरे पुरुष मित्रा अपने पॅंट से अपना अपना लंड निकाल कर अपने हाथों में ले लें और मेरी महिला मित्रा अपनी चूचियों और चूतो को उघेद कर अपने हाथों को उन पर जमा लें. आगे क्या करना है आप खुद समझ गये होंगे. हमारे सफ़र वाले दिन के बाद के नेक्स्ट सॅटर्डे को करीब 12 बजे दिन में बस वाली लड़की के द्वारा दिए गये नंबर पे सुष्मिता ने उसे फोन किया. उस से संपर्क हो जाने के बाद सुष्मिता ने उसे हमारे यहाँ आने का निमंत्रण दिया, जिसे उस ने स्वीकार करते हुवे हमारा अड्रेस पुचछा. सुष्मिता ने हमारे घर के पास के एक पार्क में मिल कर उसे साथ लाने की बात बताकर संपर्क बिच्छेद कर दिया. अब हम उस लड़की के बारे में बातें करते हुवे पार्क की तरफ चल पड़े. रास्ते में सुष्मिता ने बताया की बस से उतरकर पेशाब करने जाते समय उस लड़की ने उसे गाली बकते हुवे कहा था, " तुम्हे और तुम्हारे सौंदर्या को देख कर तुम मुझे कितनी अच्छी लगी थी लेकिन तुम तो बिल्कुल रंडी ही निकली, कैसे हिम्मत के साथ तुमने बस में चूड़ा लिया, मेरे जागने का भी तुम्हें कोई ख्याल नहीं हुवा, मुझे तो तुम्हारे रंडी होने का पूरा यकीन तब हुवा जब तूने चुड़वाने के बाद मेरे सामने अपनी चूचियों को और अपनी चूत को पसार कर दिखा दिया. ऐसे बस में चुड़वाने में वो भी मेरे सामने तुम्हे शरम भी नहीं आई. क्या घर में भी तुम दूसरों के सामने ऐसे ही चुदवा कर दिखाती हो ?" . ऐसा मौका आज तक तो नहीं आया लेकिन अगर तुम देखना चाहो तो मैं तुम्हे अपनी चुदाई का खेल दिखा सकती हूँ. देखना हो तो बोलो ऐसा मौका बार बार नहीं मिलता. मुझे चुड़वाते देख कर तुम्हारी भी चूत मस्त हो जाएगी. ठीक है लेकिन ये होगा कैसे, मेरी तो चूत अभी से ही चुलबुला रही है. चिंता मत करो तुम अपना फोन नंबर देदो मैं तुम से संपर्क कर लूँगी. और उसने अपना फोन नंबर दे दिया था. यही बातें करते हम पार्क में पहुँच गये. करीब आधे घंटे के बाद वो दूर से ही आती हुवी दिख गयी. हम उस की तरफ गये. पास आते ही सुष्मिता उस से हाथ मिलाई और हम सब साथ साथ अपने घर के तरफ चल पड़े. घर पहुँच कर सुष्मिता उसे सीधे अपने बेडरूम में ले गयी और घर का दरवाजा अंदर से बंद कर दी. तुम्हारा नाम क्या है और तुम क्या करती हो - सुष्मिता ने पुचछा. मेरा नाम पिंकी है और मैं 12थ क्लास में पढ़ रही हूँ. तुम्हारे साथ जो बैठी थी वो कौन थी. वो मेरी भाभी थी. क्या हमारे उस दिन के खेल के बारे में तुमने उसे बता दिया है. हन, वो बोल रही थी कि मैने उसे क्यों नहीं जगाया वो भी देखना चाहती है उसे भी ये सब देखने का मौका नहीं मिला है. ठीक है आज तुम ठीक से देख लो फिर किसी दिन उसे भी लेते आना हम उसे भी दिखा देंगे. उस के बाद सुष्मिता मेरे पास खिसक आई. मैने सुष्मिता को सोफे पे खींच लिया और उसकी सारी के पल्लू को उस की छाती से हटा कर उसकी चूचियों को ब्लाउस के उपर से ही मसालने लगा. सुष्मिता मेरे कप्रदो को हल्का करने में जुट गयी. कुच्छ देर बाद मैं बिल्कुल नंगा पड़ा था. मेरा अर्ध उत्तेजित लंड जो मेरी जाँघो के बीच लटक रहा था, उसी पे पिंकी की आँख टिकी हुवी थी. सुष्मिता को नंगा किए बगैर ही मैं उसकी चूचियों को अब भी मसालते जा रहा था. सुष्मिता मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर उसे दिखती हुई सहला रही थी. लंड अब धीरे धीरे तन कर खड़ा होने लगा था. सुष्मिता ने मेरे लंड पे अपना मुँह रख कर अपने होठों से उसे चूमने लगी. वो अपनी जीभ निकाल कर मेरे लंड पर रगड़ने लगी. कभी कभी वो मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती थी. अब मेरा लंड पूरे फुलाव में आ गया था.

क्रमशः........................

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