मुंबई से भूसावल तक

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jay
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Re: मुंबई से भूसावल तक

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मुंबई से भूसावल तक--3

गतान्क से आगे.......
"ओओह मा, नही परेश चाचा यह तो बहुत मोटा है, कैसे जाएगा मेरे अंदर? मुझे
तो डर लग रहा है. जब आपने प्लॅटफॉर्म पे मुझे मसला तो मुझे नहीं पता था
कि बात यहाँ तक आएगी. नहीं नहीं चाचा आप वह अंदर डालने की बात मत करो,
बहुत दर्द होगा, यह इतना बड़ा मेरे अंदर कैसे जाएगा?" सुरभि को खड़ी करते
परेश ने उसकी चूत उंगलियो से फैलाते हुए झुकके चाटने लगा. इस नये प्यार
से सुरभि बहाल होते सिसकारिया भरते परेश का मुँह अप'नी चूत पे दबाने लगी.
परेश पूरी जीभ चूत मैं घुसाके चाटने लगा. सुरभि की चूत का पानी वह बड़े
टेस्ट से पी रहा था. सुरभि की चूत चाट्के उसे और गरम करते परेश बोला,

"अरे डरो नहीं, पह'ले दर्द होगा बाद मैं मस्ती से चुदवाना शुरू करेगी
समझी? मैने तेरी जैसी 3 लड़'कियो को चोदा है जो पह'ले ना-ना कर रही थी
लेकिन एक बार लंड चूत मैं लेने के बाद गान्ड उठा-उठाके चुदवाने लगी. रही
बात प्लॅटफॉर्म की तो सुरभि रान्ड तेरी मा तुझे ब्रा नहीं पहनती तो तेरे
स्तन उच्छल रहे थे, प्लॅटफॉर्म पे 3-4 मर्दों ने तुझे च्छुवा तो भी तू
कुच्छ नहीं बोली और इस टाइट सिल्क सलवार मैं तेरी गान्ड मटक रही थी इसलिए
मेरी नज़र तुझपे गयी, इसका मतलब तूने ही मुझे ललचाया ना? बोल सही है ना
मेरी रांड़?"

इस बार परेश ज़रा ज़ोर्से सुरभि के निपल मसलता है क्योंकि उसे मालूम है
की ट्रेन की आवाज़ मैं सुरभि की चीख कोई नहीं सुन सकता. सुरभि ज़ोर्से
चीखी लेकिन इतनी भी ज़ोर्से नहीं कि आवाज़ टाय्लेट के बाहर जाए. परेश
चाचा के हाथ अपने मम्मो पे दबाते वह बोली,

"आ उही मा छ्चोड़ दो. कितने ज़ोरो से दबा रहे हो? दर्द होता है ना चाचा.
आप ज़रूर झूट बोल रहे हैं कि आपने 3 लड़'कियो को चोदा है. मुझे नहीं
करवाना कुच्छ भी, देखो परेश चाचा मुझे छोडो मुझे जाने दो. " सुरभि के
मुँह से उसे जाने देने की बात सुनके परेश ज़रा गुस्से से उसका एक मम्मा
चूस्ते, दूसरा बेरहमी से मसल्ते चूत मैं उंगली डालते बोलता है,

"हां छोड़ दूँगा, पह'ले मस्ती तो करने दे. साली नाटक मत कर, इतना गरम
किया मुझे तो क्या अब मूठ मारु रान्ड? तेरी मा की चूत एक तो लंड गर्म
करती है और फिर नाटक करती है. साली तेरी मा भी हरामी है तभी तेरी जैसी
जवान बेटी को बिना ब्रा के भेजती है, वह भी क़िस्सी की रांड़ होगी, है
ना? देख सुरभि अब कुच्छ भी हो, तुझे बिना चोदे जाने तो नहीं दूँगा, चाहे
जो हो जाए. " सुरभि के स्तन और बेरहमी से मसल्ते परेश उसको घुमा के WC पे
कुतिया जैसे झुकाके लंड पिछे से उसकी चूत पे रखते रगड़ने लगता है. बेचारी
सुरभि रोने लगती है. परेश मे आए इस चेंज से डरके वह रोते-रोते कहती है,

"नाहहीी-2 ऐसा मत करो परेश आहह ओह्ह नही, प्ल्ज़्ज़ मत मारो और मेरी मा
को गाली मत दो. उसको क्या मालूम था कि आप मुझे मिलोगे और मेरे साथ ट्रेन
मैं ऐसा करोगे, आ छोड़ दो. " सुरभि यह बोलती तो है लेकिन जैसे ही परेश का
लंड उसे अपनी चूत पे महसूस होता है उसे बहुत अच्च्छा लगता है. उसकी चूत
मचलने लगती है और वह महसूस करती है की उसके निपल कड़क हो गये हैं.

परेश के बहशीपान को जगाने के लिए सुरभि की यह बात काफ़ी थी. उस'ने अप'ना
लंड खींच लिया और सुरभि की उभरी गान्ड पर तीन चार कस'के तमाचे लगाए और
बोला,

"मदरचोड़ सिर्फ़ परेश बोलती है रांड़? तेरी मा की चूत तुझे और तेरी मा को
और गालियाँ दूँगा, क्या उखाडेगी मेरी रंडी? बहन्चोद तेरी मा ने तुझे ढंग
के कपड़े पहनाए होते तो ना मेरी नज़र तुझपे पड़ती और ना मैं तुझे चोदने
यहाँ लाता, है ना? बोल है ना तेरी मा हरामी सुरभि?" परेश सुरभि की कमर
पकड़के लंड उसकी चूत पे रगड़ते ज़रा सा दबाता है. उस'के लंड का सूपड़ा अब
सुरभि की चूत को खोल चुका है. इससे सुरभि को दर्द होता है और वह तड़पति
है. उसकी सासे अटक जाती है. ज़िंदगी मैं पह'ली बार चूत मैं गरम लंड का
अहसास हो रहा था. दर्द से बचने के लिए वह परेश की कमर पकड़ते बोलती है,

"सॉरी चाचा, मुझसे ग़लती हुई, फिर कभी आप'को नाम से नहीं बूलौंगी. और
हां, मेरी मा हरामी है, वह जान बूझके मुझे ऐसे कपड़े पहनाती है जिससे
मर्दों की नज़र मुझपे पड़े और वह मुझे तंग करे. वह जलती है मेरे रूप से
इसलिए ऐसा करती है. अब प्लीज़ मुझे छोडो चाचा, मैं दर्द नहीं सह पाउन्गि.
आआह मुझे छोड़ दो अहह. " सुरभि के मुँह से उसकी मा की बेइज़्ज़ती सुनके
परेश को अच्च्छा लगता है. वह सुरभि की कमर और कस्के पकड़ते लंड और ज़रा
चूत पे दबा कर बोलता है,

"बहन्चोद तुझे छोड़ दूँगा तो यह खड़ा लंड क्या तेरी मा की गान्ड मैं डालु
छिनाल? मुझे पता है तेरे जैसी कमसिन रंडी की मा बड़ी छिनाल है. साली नाटक
किया तो यहीं मार डालूँगा तुझे. मदरचोड़ चल टांगे खोल तेरी, मेरे लंड को
तेरी चूत फाड़नी है रखैल. क्या मस्त माल है तू छिनाल, चल खोल पैर तेरे. "
परेश की गालियाँ और धमकी सुनके सुरभि डर के अपने पैर खोलती है. परेश की
मार और गालियो से उसे बड़ा डर और दर्द होता है और वह इस बात से ज़रा
ज़्यादा तड़पति है. अब वह डर से अपने पैर खोलती है. सुरभि को कस्के
पकड़के परेश एक धक्का देता है और लंड की टोपी अंदर घुसती है. जैसे ही लंड
का बड़ा सूपड़ा सुरभि की कमसिन चूत मैं घुसता है वह दर्द से चिल्ला उठती
है,

"ऊऊही मा ओह्ह मर गययी, नही चाचा नीककाल्लो लुंदड़ मुउझे दर्द हो रहा
हाई. " सुरभि के दर्द की परवाह किए बिना परेश अब सुरभि के मुँह पे एक हाथ
और कमर मैं दूसरा डालके उसे कस्के पकड़ते ज़ोर्से लंड चूत मे घुसता है.
लंड सुरभि की चूत को बेरहमी से फाड़के अंदर घुसता है. सुरभि दर्द से बहाल
होके चिल्लाना चाहती है पर परेश उसका मुँह और कस्के पकड़ते बोलता है,

"आ तेरी मा की चूत क्या टाइट चुउत्त हाई तेरी रांद्ड़. तेरी मा की चूत आज
सही मैं मस्त लड़'की मिली है इस को, बहन्चोद तेरी मा को भी चोदना चाहिए
जिसने ऐसी गरम बेटी पैदा की, ले छिनाल अब तुझे देख कैसे मेरी रांड़ बनाता
हूँ. " परेश को अपने लंड पे सुरभि का गरम खून महसूस होता है. इससे वह अब
और बेरहमी से सुरभि को चोदने लगता है.

वह बेचारी लड़'की इस हल्लबबी लंड के घुसने से बहाल होके रोने लगती है.
उसे ऐसा लगता है उसकी चूत को परेश चाचा ने फाड़ दिया है. वह चिल्लाके
अपना दर्द निकालना चाहती है पर परेश उसे वह रिहायत भी नहीं देता. 15-20
बार लंड चूत मैं घुसाके निकालने के बाद जब परेश सुरभि के मुँह पे रखा हाथ
ज़रा हल्का करता है तो सुरभि की सिसकारियो भरी आवाज़ उसे सुनाई देने लगी.
सुरभि बेचारी रोते बोल रही थी,

"आआह श्ह.. ऊहह, आ उही मा मार्र गआययी उउफ्फ नही उहह, उम्म परेश चाहचहा आ
मेरी चूत को मत फाडो आहह निकालो ना अप'ना लंड. आ मैं मार जाउन्गि अहह उही
मा आरी यह तो बहुत मोटा है उही मा मुझसे नहीं होगा आह. " परेश को सुरभि
की इन बातों पे बिल्कुल भी तरस नहीं आता. उसका मोटा लंड क़िस्सी तीर की
तरह अंदर घुसते सुरभि की चूत को चीरते चोद रहा था. सुरभि के मुँह पे रखा
हाथ हटा के, सुरभि के स्तन मसल्ते परेश सुरभि को चोद रहा था. सुरभि एक
बेबस कुतिया जैसे कमोड का सहारा ले झुका के अपनी चूत पह'ली बार मरवा रही
थी. बड़ी बेदर्दी से स्तन मसल्ते सुरभि की चूत चोद्ते परेश बोला,

"नहीं मरने दूँगा तुझे रंडी, अब तो और चुदवाना है तुझे छिनाल, बहन्चोद
क्या गरम चूत है तू. साली प्लॅटफॉर्म पे भी नाना के साम'ने मस्ती कर रही
थी और फिर मूत'ने लगी थी तो तुम्हारी चूत दिखी. यह ले और ले और ले
मदरचोड़, चूत फटने दे तेरी, तेरे जैसी लड़'की हमसे चूत फटवाने के लिए ही
पैदा होती है. सब ठीक होगा, अभी देख 5 मिनिट मैं दर्द ख़तम होगा और तू
खुद चुदवाने लगेगी समझी? साली तेरी मा को भी चोदुन्गा, वह भी मस्त माल है
ना?" सुरभि की चूत ज़रा गीली होने से अब परेश का लंड ज़रा आसानी से उसकी
चूत मैं घुस रहा था. परेश के मुँह से अपनी मा के लिए दी गयी गंदी गालियो
से भी उसे शरम आ रही थी. अपनी चूत फटने के दर्द से सुरभि सिसकते बोली,

"आ उही मा चाचा उम्म उम्म छोडो ना उही मा बहुत दर्द हो रहा है. आह सच मैं
फॅट जाएगी उम्म आ. चाचा बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज़ जाने दो मुझे. "
सुरभि की रिक्वेस्ट को अनसुना करके परेश बेरहमी से उसके स्तन दबाते चूत
मारने लगता है. सुरभि भी ज़रा पैर रिलॅक्स करती है और अब परेश का लंड
सुरभि की गीली चूत मैं आराम से चुदाई करने लगता है.
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: मुंबई से भूसावल तक

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सुरभि की चूत इतनी
गीली हो गयी थी कि परेश की चुदाई से फ़चा फॅक की आवाज़ आ रही थी. अब
दोनों हाथो से सुरभि को कस्के पकड़ते परेश लंबे धक्के देते बोला,

"देख साली चिल्ला रही थी पर चूत गीली हुई ना? कैसे मस्ती से अब लंड ले
रही है तेरी चूत, बोल रांड़ है ना तू मेरी, बोल मदरचोड़ जल्दी बोल नहीं
तो अब गान्ड मारूँगा तेरी, तेरी मा की चूत मस्त माल है तू. और फैला अपने
पैर सुरभि और देख तुझे जन्नत दिखाता हूँ. " सुरभि को अब मज़ा आ रहा था और
वह भी गान्ड हिलाने लगती है. इतने मोटे लंड से मज़ा तो आ रहा था पर दर्द
भी हो रहा था जिस'से सिसकिया भरते वह बोली,

"आआह्होह्ह उही प्ल्ज़्ज़ धीरी करो ना परेश चाचा. अभी भी दर्द हो रहा है
लंड घुसने से. मुझपे रहम खाओ और धीरे-धीरे चोदो मुझे परेश."

"आरामसे मारो? क्यों तुझे चोद्ता हूँ तो तेरी मा की गान्ड मैं दर्द होता
है क्या छिनाल? मज़ा आ रहा है ना अब तुझे? साली मुझे फिर नाम से पुकरती
है रांड़? दुबारा मुझे नाम से पुकारा तो गान्ड मारूगा तेरी. हरामी, मैं
तेरे बाप की उमर का हूँ, ज़रा इज़्ज़त से नाम ले मेरा. क्या तेरी मा ने
तुझे इतना भी नहीं सिखाया रंडी? अच्च्छा लग रहा है ना मेरा हल्लब्बी लंड
चूत मैं? सुरभि मदरचोड़ अब तुझे मेरी रांड़ बनाके रखूँगा. " सुरभि के
निपल्स खींचते परेश ट्रेन के स्पीड मैं उसकी चूत चोद रहा था. इस दर्द और
गालियो से सुरभि बहाल हो रही थी पर उसे अब ऐसा लग रहा था जैसे की उसकी
चूत मैं लाखो चितिया हलचल मचा रही थी. सुरभि भी मस्ती मैं आके अपनी गान्ड
आगे पिछे करके चूत मरवा रही थी पर दर्द ख़तम नहीं हुआ था. वह बेशरम होके
अपने बाप की उमर के आदमी से चुदवा रही थी. वह अब दर्द और मज़े के अंदाज़
से बोली,

"आ हा मैं तुम्हारी रान्ड हुई परेश चाचा, प्लीज़ मुझे माफ़ करो, मैं अब
आप'को कभी नाम से नहीं पुकारूँगी. उम्म चोदो मुझे पर ज़रा आराम से, अभी
दर्द हो रहा है परेश आहह धीरे करो ना अंदर उही मा. " एक हाथ से सुरभि के
स्तन मसल्ते दूसरे हाथ से सुरभि की नंगी गान्ड पे थप्पड़ मारते परेश
बोला,

"अब आई ना लाइन पे रानी? साली फिर कभी नाम से पुकारा तो तेरे यह निपल चबा
डालूँगा. अरे मेरी प्यारी जान, यह दर्द अभी ख़तम होगा समझी, अभी अच्च्छा
लगेगा तुझे और तू खुद ज़ोर्से चोदने बोलेगी मुझे. मेरी जान अब ज़रा ठीक
से बता तू मेरी कौन है?" चुदाई का स्पीड अब और तेज़ करते परेश बेरेहमी से
सुरभि की चूत चोद रहा था. सुरभि परेश के इस तेज़ धक्को से उचकति है और
उसकी चीख निकलती है क्योकि परेश चाचा का मोटा और लंबा लंड अब उसकी बच्चे
दानी से टकराता है बार-बार. आँखे बंद करते वह परेश के हाथ अपने मम्मो पे
दबाते बोलती है,

"आह उही मा अच्च्छा चाचा मैं आपकी रंडी हूँ, आपकी कमसिन रंडी सुरभि हूँ
मैं, आहह और चोद चाचा, अब मज़ा आ रहा है. पूरा लंड डालो मेरी चूत मैं और
जैसा चाहे वैसा चोदो मुझे. " इतना कहते सुरभि अपनी छूट और रिलॅक्स करती
है और अब परेश का लुन्ड और ज़ोर्से उसे चोदने लगता है. सुरभि के मस्त
स्तन बेरहमी से मसल्ते, धक्के पे धक्का देके परेश उसको चोद रहा है. सुरभि
के मुँह से और ज़ोर्से चोदने की बात सुनके वह खुश होके बोलता है,

"हां मेरी जान, मेरे लॉड की रानी, तुझे खूब मस्ती से चोदुन्गा. तेरी जैसी
कमसिन लड़'की को मस्ती देना मुझे अच्छि तरह आता है. वैसे साली तेरी मा
कैसी है? तेरे जैसी मस्त चूत को चोदने के बाद अब उसे चोदने का दिल है
जिसने इतनी गरम चूत पैदा की. क्या तेरी मा भी तेरे जैसी सेक्सी माल है
क्या सुरभि रांड़?" सुरभि को अब परेश दुनिया का सबसे अच्च्छा इंसान लग
रहा था. उस'के दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया था. अब उसके दिल-ओ-दिमाग़
मैं सिर्फ़ लंड और चूत ही था. अब परेश की चुदाई से उसकी चूत से आवाज़
निकाल रही थी. सुरभि को परेश का गर्म लॉडा अंदर बाहर होने से अब बहुत
अच्च्छा लग रहा था. बेशरम होके वह बोली,
क्रमशः...........
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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Mumbai se Bhusaaval Tak--3

gataank se aage.......
"OOh maa, nahii Paresh Chacha yah to bahut mota hai, kaise jayega mere
andar? Mujhe to Dar lag raha hai. Jab aapne platform pe mujhe masla to
mujhe naheen pata tha ki baat yahan tak aayegi. naheen naheen Chacha
aap wah andar Daalne ki baat mat karo, bahut dard hoga, yah itna bada
mere andar kaise jayega?" Surbhi ko khadi karte Paresh ne uski choot
ungliyo se failate huye jhukke chaaTne laga. Is naye pyar se Surbhi
behaal hote siskariya bharte Paresh ka munh ap'nee choot pe dabane
lagi. Paresh poori jeebh choot main ghusake chaaTne laga. Surbhi ki
choot ka paanee wah bade taste se pi raha tha. Surbhi ki choot chaaTke
use aur garam karte Paresh bola,

"are Daro naheen, pah'le dard hoga baad main masti se chudwana shuru
karegi samjhi? Maine teri jaisee 3 laR'kiyo ko choda hai jo pah'le
na-na kar rahi thi lekin ek baar lunD choot main lene ke baad gaanD
uThaa-uThaake chudwane lagi. Rahi baat platform ki to Surbhi raanD
teri maa tujhe bra naheen pahanati to tere stan uchhal rahe the,
platform pe 3-4 mardon ne tujhe chhuwa to bhi tu kuchh naheen boli aur
is tight silk salwar main teri gaanD matak rahi thi isliye meri nazar
tujhpe gayee, iska matlab tune hi mujhe lalchaya na? Bol sahi hai na
meri raand?"

Is baar Paresh zara zorse Surbhi ke nipple pista hai kyonki use malum
hai ki train ki aawaaz main Surbhi ki cheekh koi naheen sun sakta.
Surbhi zorse cheekhi lekin itni bhi zorse naheen ki aawaaz toilet ke
baahar jaaye. Paresh Chacha ke haath apne mammo pe dabate wah boli,

"Ahh uhee maa chhoR do. Kitne zoro se daba rahe ho? dard hota hai na
chacha. aap jarur jhooT bol rahe hain ki aapne 3 laR'kiyo ko choda
hai. Mujhe naheen karwana kuchh bhi, dekho Paresh Chacha mujhe chhoDo
mujhe jaane do. " Surbhi ke munh se use jaane dene ki baat sunke
Paresh zara gusse se uska ek mamma chooste, dusra berahmi se masalte
choot main ungli Daalte bolta hai,

"Haan chhoR dunga, pah'le masti to karne de. saalee naaTak mat kar,
itna garam kiya mujhe to kya ab mooTh maaru raanD? Teri maa ki choot
ek to lunD garm karti hai aur phir naaTak karti hai. Saali teri maa
bhi harami hai tjo teri jaisee jawan beTee ko bina bra ke bhejti hai,
wah bhi kissi ki raand hogi, hai na? Dekh Surbhi ab kuchh bhi ho,
tujhe bina chode jaane to naheen dunga, chaahe jo ho jaaye. " Surbhi
ke stan aur berahmi se masalte Paresh usko ghuma ke WC pe kuttiya
jaise jhukake lunD pichhe se uski choot pe rakhte ragadne lagta hai.
Bechari Surbhi rone lagti hai. Paresh main aaye is change se darke wah
rote-rote kahti hai,

"Nahhii-2 aisa mat karo Paresh ahh ohh nahii, plzz mat maaro aur meri
maa ko gali mat do. usako kya malum tha ki aap mujhe miloge aur mere
saath train main aisa karoge, ahh chhoR do. " Surbhi yah bolti to hai
lekin jaise hi Paresh ka lunD use apni choot pe mahasoos hota hai use
bahut achchha lagta hai. usaki choot machalne lagti hai aur wah mehsus
karti hai ki uske nipple kadak ho gaye hain.

Paresh ke bahashipan ko jagaane ke liye Surbhi kee yah baat kaafee
thee. Us'ne ap'na lunD kheench liya aur Surbhi kee ubharee gaanD par
teen chaar kas'ke tamaache lagaaye aur bola,

"Maderchod sirf Paresh bolti hai raand? Teri maa ki choot tujhe aur
teri maa ko aur gaaliyaan dunga, kya ukhadegi meri randi? bahanchod
teri maa ne tujhe dhang ke kapde pahanaye hote to na meri nazar tujhpe
padti aur na main tujhe chodne yahan lata, hai na? Bol hai na teri maa
harami Surbhi?" Paresh Surbhi ki kamar pakadke lunD uski choot pe
ragadte zara sa dabata hai. us'ke lunD ka supada ab Surbhi ki choot ko
khol chuka hai. Isse Surbhi ko dard hota hai aur wah tadapti hai.
usaki saase aTak jaatee hai. zindagi main pah'lee baar choot main
garam lunD ka ahsaas ho raha tha. dard se bachne ke liye wah Paresh ki
kamar pakadte bolti hai,

"Sorry Chacha, mujhse galati hui, phir kabhi aap'ko naam se naheen
bulaungi. Aur haan, meri maa harami hai, wah jaan bujhke mujhe aise
kapde pahanati hai jisse mardon ki nazar mujhpe pade aur wah mujhe
tang kare. wah jalti hai mere roop se isliye aisa karti hai. Ab please
mujhe chhoDo Chacha, main dard naheen sah paaungi. AAh mujhe chhoR do
ahh. " Surbhi ke munh se uski maa ki beizzati sunke Paresh ko achchha
lagta hai. wah Surbhi ki kamar aur kaske pakadte lunD aur zara choot
pe dabake bolta hai,

"bahanchod tujhe chhoR dunga to yah khada lunD kya teri maa ki gaanD
main Daalu chhinaal? Mujhe pata hai tere jaisee kamsin randi ki maa
badi chhinaal hai. saalee naaTak kiya to yaheen maar Daalunga tujhe.
Maderchod chal Taange khol teri, mere lunD ko teri choot phaaRni hai
rakhail. Kya mast maal hai tu chhinaal, chal khol pair tere. " Paresh
ki gaaliyaan aur dhamki sunke Surbhi Dar ke apne pair kholti hai.
Paresh ki maar aur gaaliyo se use bada Dar aur dard hota hai aur wah
is baat se zara jyada tadapti hai. Ab wah Dar se apne pair kholti hai.
Surbhi ko kaske pakadke Paresh ek dhakka deta hai aur lunD ki topi
andar ghusti hai. Jaise hi lunD ka bada supada Surbhi ki kamsin choot
main ghusta hai wah dard se chilla uThti hai,

"UUhee maa ohh marr gayyee, nahii Chaachaa niikkaallo lundd muujhe
dard ho rahaa haii. " Surbhi ke dard ki parwah kiye bina Paresh ab
Surbhi ke munh pe ek haath aur kamar main dusra Daalke use kaske
pakadte zorse lunD choot main ghusata hai. lunD Surbhi ki choot ko
berahmi se phaaRke andar ghusta hai. Surbhi dard se behaal hoke
chillana chahati hai par Paresh uska munh aur kaske pakadte bolta hai,

"aah terii maa kii chhuutt kyaa tiight chuutt haii teerrii raandd.
Teri maa ki choot aaj sahi main mast laR'ki mili hai is ko, bahanchod
teri maa ko bhi chodna chaahiye jisne aisee garam beTee paida ki, le
chhinaal ab tujhe dekh kaise meri raand banata hoon. " Paresh ko apne
lunD pe Surbhi ka garam khoon mehsoos hota hai. Isse wah ab aur
berahmi se Surbhi ko chodne lagta hai.

wah bechari laR'ki is hallabbee lunD ke ghusne se behaal hoke rone
lagti hai. Use aisa lagta hai uski choot ko Paresh Chacha ne phaaR
diya hai. wah chillake apna dard nikaalna chahati hai par Paresh use
wah rihayat bhi naheen deta. 15-20 baar lunD choot main ghusake
nikalne ke baad jab Paresh Surbhi ke munh pe rakha haath zara halka
karta hai to Surbhi ki siskariyo bhari aawaaz use sunai dene lagi.
Surbhi bechari rote bol rahi thi,

"AAh shh.. oohh, ahh uhee maa maarr gaayyee uuff nahii uhh, umm Paresh
Chahcha aah meri choot ko mat phaaRo ahh nikaalo naa ap'na lunD. Ahh
main mar jaungee ahh uhee maa aaree yah to bahut mota hai uhee maa
mujhse naheen hoga aah. " Paresh ko Surbhi ki in baaton pe bilkul bhi
taras naheen aata. usaka mota lunD kissi teer ki tarah ander ghuste
Surbhi ki choot ko cheerte chod raha tha. Surbhi ke munh pe rakha
haath hatake, Surbhi ke stan masalte Paresh Surbhi ko chod raha tha.
Surbhi ek bebas kuttiya jaise commode ka sahara le jhukke apni choot
pah'lee baar marwa rahi thi. Badi bedardi se stan masalte Surbhi ki
choot chodte Paresh bola,

"naheen marne dunga tujhe randi, ab to aur chudwana hai tujhe
chhinaal, bahanchod kya garam choot hai tu. Saali platform pe bhi
naana ke saam'ne masti kar rahi thi aur phir moot'ne lagee thee to
tumhaaree choot dikhi. yah le aur le aur le maderchod, choot phatne de
teri, tere jaisee laR'ki hamse choot phatwane ke liye hi paida hoti
hai. Sab Theek hoga, abhi dekh 5 minit main dard khatam hoga aur tu
khud chudwane lagegi samjhi? Saali teri maa ko bhi chodunga, wah bhi
mast maal hai na?" Surbhi ki choot zara gilee hone se ab Paresh ka
lunD zara aasaani se uski choot main ghus raha tha. Paresh ke munh se
apni maa ke liye di gayee gandi gaaliyo se bhi use sharam aa rahi thi.
Apni choot phatne ke dard se Surbhi sisakte boli,

"aah uhee maa Chacha umm umm chhoDo naa uhee maa bahut dard ho raha
hai. aah sach main phat jayegee umm ahh. Chacha bahut dard ho raha
hai, please jaane do mujhe. " Surbhi ki request ko unsuna karke Paresh
berahmi se uske stan dabate choot maarne lagta hai. Surbhi bhi zara
pair relax karti hai aur ab Paresh ka lunD Surbhi ki gilee choot main
aaraam se chudai karne lagta hai. Surbhi ki choot itni gilee ho gayee
thi ki Paresh ki chudai se facha fach ki aawaaz aa rahi thi. Ab donon
haatho se Surbhi ko kaske pakadte Paresh lambe dhakke dete bola,

"Dekh saalee chilla rahi thi par choot gilee hui na? Kaise masti se ab
lunD le rahi hai teri choot, bol raand hai na tu meri, bol maderchod
jaldi bol naheen to ab gaanD maarunga teri, teri maa ki choot mast
maal hai tu. Aur faila apne pair Surbhi aur dekh tujhe jannat dikhata
hoon. " Surbhi ko ab maza aa raha tha aur wah bhi gaanD hilane lagti
hai. Itne mote lunD se maza to aa raha tha par dard bhi ho raha tha
jis'se siskiya bharte wah boli,

"AAhhohh uhee plzz dhiree karo naa Paresh Chacha. Abhi bhi dard ho
raha hai lunD ghusne se. Mujhpe raham khao aur dhire-dhire chodo mujhe
Paresh."

"aaraamse maaru? Kyon tujhe chodta hoon to teri maa ki gaanD main dard
hota hai kya chhinaal? Maza aa raha hai na ab tujhe? Saali mujhe phir
naam se pukarti hai raand? Dubara mujhe naam se pukara to gaanD
maaruga teri. Harami, main tere baap ki umar ka hoon, zara izzat se
naam le mera. Kya teri maa ne tujhe itna bhi naheen sikhaya randi?
achchha lag raha hai na mera hallabbee lunD choot main? Surbhi
maderchod ab tujhe meri raand banake rakhunga. " Surbhi ke nipples
kheenchte Paresh train ke speed main uski choot chod raha tha. Is dard
aur gaaliyo se Surbhi behaal ho rahi thi par use ab aisa lag raha tha
jaise ki uski choot main lakho chitiya halchal macha rahi thi. Surbhi
bhi masti main aake apni gaanD aage pichhe karke choot marwa rahi thi
par dard khatam naheen hua tha. wah besharam hoke apne baap ki umar ke
aadmi se chudwa rahi thi. wah ab dard aur maze ke andaz se boli,

"Ahh haa main tumhaari raanD hui Paresh Chacha, please mujhe maaf
karo, main ab aap'ko kabhi naam se naheen pukarungi. Umm chodo mujhe
par zara aaraam se, abhi dard ho raha hai Paresh ahh dhire karo naa
ander uhee maa. " Ek haath se Surbhi ke stan masalte dusre haath se
Surbhi ki nangi gaanD pe thappad maarte Paresh bola,

"Ab aayee na line pe rani? Saali phir kabhi naam se pukara to tere yah
nipple chaba Daalunga. are meri pyari jaan, yah dard abhi khatam hoga
samjhi, abhi achchha lagega tujhe aur tu khud zorse chodne bolegi
mujhe. Meri jaan ab zara Theek se bata tu meri kaun hai?" Chudai ka
speed ab aur tez karte Paresh berehmi se Surbhi ki choot chod raha
tha. Surbhi Paresh ke is tez dhakko se uchakti hai aur uski cheekh
nikalti hai kyoki Paresh Chacha ka mota aur lamba lunD ab uski bachche
dani se takrata hai baar-baar. Aankhe band karte wah Paresh ke haath
apne mammo pe dabate bolti hai,

"aah uhee maa achchha Chacha main aapki randi hoon, aapki kamsin randi
Surbhi hoon main, ahh aur chod Chacha, ab maza aa raha hai. Poora lunD
Daalo meri choot main aur jaisa chaahe waisa chodo mujhe. " Itna kahte
Surbhi apni choot aur relax karti hai aur ab Paresh ka lunD aur zorse
use chodne lagta hai. Surbhi ke mast stan berahmi se masalte, dhakke
pe dhakka deke Paresh usko chod raha hai. Surbhi ke munh se aur zorse
chodne ki baat sunke wah khush hoke bolta hai,

"Haan meri jaan, mere laude ki rani, tujhe khoob masti se chodunga.
Teri jaisee kamsin laR'ki ko masti dena mujhe achchhi tarah aata hai.
Waise saalee teri maa kaisee hai? Tere jaisee mast choot ko chodne ke
baad ab use chodne ka dil hai jisne itni garam choot paida ki. Kya
teri maa bhi tere jaisee sexy maal hai kya Surbhi raand?" Surbhi ko ab
Paresh duniya ka sabse achchha insaan lag raha tha. us'ke dimaag ne
kaam karna band kar diya tha. Ab uske dil-o-dimag main sirf lunD aur
choot hi tha. Ab Paresh ki chudai se uski choot se aawaaz nikal rahi
thi. Surbhi ko Paresh ka garm lauda ander baher hone se ab bahut
achchha lag raha tha. Besharam hoke wah boli,
kramashah...........
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: मुंबई से भूसावल तक

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मुंबई से भूसावल तक--4

गतान्क से आगे.......
"आ उम्म आ उम्म ओह्ह चाचा उम्म, मेरी मा मेरी जैसी सुन्दर है चाचा, तुम
उसको भी चोद लेना उम्म आहह. वह बड़ी सेक्सी है और मुझे अच्च्छा लगेगा अगर
आपने उसे चोदा तो. अफ चाचा चोद्ते रहो मुझे, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है. "
अब दोनों रिलॅक्स होके चुदाई का मज़ा ले रहे थे. सुरभि को अपनी पह'ली
चुदाई का सही मज़ा दे रहा था परेश और उसे खुशी थी कि इस कमसिन अनचुदी चूत
को उसने खोला था. बराबर धक्के मारते वह बोला,

"तेरी मा तेरे जैसी सुंदर है तो उसे ज़रूर चोदुन्गा, मुझे तो नयी-नयी चूत
चोदने का बड़ा शौक है. तेरी मा को तेरे जैसे चोद्के खूब मस्ती दूँगा मैं.
मज़ा आ रहा है ना छिनाल? देख लिया ना तूने मेरा लंड चूत मैं? क्यों घबरा
रही थी छिनाल? चल मस्ती से चुद'वा रंडी. " सुरभि नीचे हाथ डालके अपनी चूत
मैं घुसते निकालते परेश का लंड महसूस करते बोलती है,

"आहह अफ चाचा, मज़ा आ रहा है आप'के मोटे लंड से. बहुत दर्द दिया पह'ले पर
अब उसे ज़्यादा मज़ा दे रहा है आपका लंड. चाचा आप मेरी मा को घर मैं आके
चोद लेना, वह दिन भर घर मैं रहती है. जैसा आपने मुझे पटाया वैसे ही मा को
पटाओ. उम्म ओह्ह चाचा और चोदो मुझे मेरी चूत को ज़ोर्से चोद्ते रहो. "
सुरभि बेचारी को पता भी नहीं था कि वह इस मर्द को उसकी मा को चोदने बुला
रही थी मतलब क्या कर रही थी. इस कच्ची उमर मैं अच्छे बुरे का ख़याल भी
नहीं था उसे. उसको यह भी पता नहीं था कि कोई भी शादी शुदा औरत क़िस्सी
गैर मर्द के साथ चुदति नहीं. परेश सुरभि की इस मासूमियत को समझ गया और इस
बात पे खुश होते उसकी पीठ चूमते बोला,

"तू मेरी सबसे अच्छि रांड़ है, साली मदरचोड़ तू तेरी मा को मुझसे चुदवाने
तैयार हुई. सुरभि तेरे जैसी रांड़ हो तो मज़ा आएगा. मैं ज़रूर तेरी मा को
चोदुन्गा तेरे घर आके मेरी छिनाल. तू जो इतना मस्त है तो तेरी मा भी मस्त
होगी. मुझे पता है इतने मोटे लंड से पह'ली चुदाई करते वक़्त दर्द होता है
पर जान अब तो तुझे भी मज़ा आ रहा है ना? चूत मैं लंड लेने के बाद अच्च्छा
लग रहा है ना? सुरभि अब झड़ने के बाद तेरी गान्ड मारूँगा छिनाल. तुझे
मेरी ख़ास्स रंडी बनाउन्गा, तुझे बहुत पैसे दूँगा और तेरे जिस्म से खूब
खेलूँगा. " परेश सुरभि के स्तन बेरहमी से नोचते, निपल खींचते चोद रहा था.
वह सुरभि को जितना ज़्यादा दर्द दे रहा था उतनी ही सुरभि ज़्यादा गर्म
होके सिसकारिया भरते चुदवा रही थी. सुरभि आहे भरते दिल खोलके चुड़वाते
बोली,

"परेश चाचा उम्म बहुत अच्च्छा लग रहा है. मेरी मा को भी ज़रूर चोदना आप.
उस'के लिए मैं खुद आपको मेरे घर ले चलूंगी. उम्म बहुत अच्च्छा लग रहा है
और चोदो मुझे उम्म. चाचा मुझे लगता है कुच्छ निकलने वाला है मेरी चूत से.
लगता है मैं फिर मूतनेवाली हूँ चाचा. " परेश समझा कि सुरभि अब झऱ्ने वाली
है.

वह सुरभि को कस्के पकड़ कर और ज़ोर्से उसे चोदने लगा. अब सुरभि की गीली
चूत की चुदाई से फकच्छ-फकच्छ की आवाज़ आ रही थी. सुरभि बड़ी ज़ोर्से आहे
और सिसकारिया भर रही थी. परेश भी उसका जिस्म नोचते, मसल्ते चोद रहा था.
वह भी अब झरनेवाला था. सुरभि की चूत फुल गयी थी उसकी हालत परेश के मोटे
लंड ने बहुत खराब कर दी थी. पर इतना होने के बाद भी सुरभि जी भरके चुद'वा
रही थी. जब सुरभि की चूत ने पानी छोड़ तो वह सिहर गयी और अपना जिस्म
जकड़ते बोली,

"आहह चाचा देखो मेरा मूत निकला. मुझे अजीब लग रहा है चाचा. मुझे कस्के
पाकड़ो चाचा, बड़ा अच्च्छा लग रहा है, उम्म आहह चाचा. " जैसे सुरभि की
चूत ने पानी छोड़ा परेश भी सुरभि की चूत मैं आख़िरी धक्को की बरसात करते
बोला,

"मेरी रंडी जान, तूने अभी पेशाब नहीं किया, अब तेरी चूत ने पह'ली चुदाई
का पानी छोड़ा है. तुझे चोद्के मेरा लॉडा भी झऱ्ने वाला है. मदरचोड़
रंडी, तेरी चूत की पह'ली चुदाई का पानी तेरी चूत मैं ही डालूँगा आह यह ले
छीन्नाल, मादीर्रकचोड़ड़ काँमस्सिईन्न रांन्दड़ ले मीर्रा पान्नी. "
सुरभि की कमसिन चूत मैं परेश का लंड आँखरी बार टाइट होके जैसे झऱ्ने लगता
है, परेश सुरभि को कस्के पकड़के स्तन दबाता है. लंड के धक्के चूत मैं
देके वह अपना पानी सुरभि की चूत मैं डालते बोलता है,

"आ ले मीरीई चुट्त मेरी काँमस्सिईन रांन्दड़. मज़्ज़ा आया साल्लीी तुझे
चोद्के सुरभि. ले मेरे लॉड का पानी ले तेरी चूत मैं. " परेश के लंड का
गरम पानी का अहसास सुरभि को अपनी चूत मैं होता है और वह अपने दोनों हाथ
पिछे करके परेश को अपने बदन से और सटाती है. झऱ्ने के बाद थोड़ा समय
दोनों वैसे ही खड़े रहते है. सुरभि का जिस्म प्यार से मसल्ते परेश अपना
लंड सुरभि की चूत से बाहर निकालता है. उस'के लंड पे सुरभि की कमसिन चूत
के पानी के साथ ज़रा सा खून भी लगा है.

जब दोनों की साँसे नॉर्मल होती है, परेश ने सुरभि की चड्डी से पह'ले
प्यार से सुरभि की चूत सॉफ करके फिर अपना लंड सॉफ किया. चड्डी साइड मैं
रख कर वह फिर कमोड पे बैठ्के नंगी सुरभि को अपने गोद मैं बैठाता है.
सुरभि अब शर्मा रही थी. हवस की प्यास बुझने के बाद उसे अब इस अंजान मर्द
के साम'ने नंगी रहने में कैसा तो लग रहा था. उस'ने नीचे पड़ी कमीज़ उठाके
अपने सीने पे रखी. परेश उसकी बात समझा और प्यार से सुरभि को चूमते बोला,

"बोल सुरभि, अच्च्छा लगा ना मुझसे चुदवा के और मेरी रंडी बनके तुझे
छिनाल? बोल मेरी रांड़ बनके कैसा लग रहा है?" और ज़्यादा शरमाते सुरभि
बोली,

"ऊऊम्म चाचा बहुत अच्च्छा लग रहा है इतना मज़ा कभी नहीं मिला. " सुरभि की
बात सुनके परेश उसे बाँहों मैं भरके प्यार से 1-2 बार चुमके ज़रा आराम
करने लगता है.

ट्रेन अपनी रफ़्तार से चल रही थी. रात का वक़्त था, इसलिए बुगी मैं सब
शांत था. सब पॅसेंजर्स जहाँ थे और जिस हाल मैं थे या तो सो रहे थे या
सोने की कोशिश कर रहे थे. ट्रेन की इस रफ़्तार मैं बुगी के टाय्लेट मैं
एक हवस का तूफान आके गया इसका क़िस्सी को पता भी नहीं था. ज़िंदगी मैं
पह'ली बार अपनी चूत मैं लंड लेके सुरभि ने अपना कुवरापान समाप्त किया था.
लेट्रीन के फ्लोर पे वह अपने नंगे जिस्म पे सिर्फ़ कमीज़ ऊढाके परेश की
जाँघ पे सिर रखके लेटी थी. चुदाई के बाद की थकान अब ज़रा कम हुई थी.

परेश हल्के-हल्के सुरभि की पीठ सह'लाके उस'से बातें करने लगा. सुरभि की
नंगी पीठ को परेश का नंगा लंड महसूस होता है. पह'ली चुदाई के बाद सुरभि
भी फ्री हुई थी, उसे अब शरम नहीं महसूस हो रही थी. वह भी परेश से सॅट'के
बैठ्के उसकी नंगी टाँगें सह'लाने लगी. परेश सुरभि को कस्के अपने बदन से
सट उसके स्तन हौले-हौले मसल्ने लगता है. काली झांतों से भरी सुरभि की चूत
सह'लाके दूसरे हाथ से उसके स्तन मसल्ते परेश बोला,

"यह बता बेटी तुझे चुदाई का मज़ा आया. " सुरभि आधी टर्न होते परेश के
सीने पे सिर रखते बोली,

"हां चाचा, बहुत मज़ा आया आपके साथ. इतना मज़ा कभी नहीं मिला था मुझे. "
सुरभि के निपल्स हल्के से मसल्ते परेश बोला,

"सुरभि तेरे घर मैं कौन है और?"

"मैं, डॅडी और मम्मी है घर मे. मैं अकेली औलाद हूँ और कोई नहीं है चाचा. "

"बेटी तेरे मा बाप क्या करते हैं?"

"डॅडी सॉफ्टवेर इंजिनियर है और मम्मी हाउसवाइफ है, घर मैं ही रहती है.
डॅडी को टूर पे जाना पड़ता है महीने मैं 8-10 दिन, इसलिए मम्मी कोई जॉब
नहीं करती. "
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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Re: मुंबई से भूसावल तक

Post by jay »

"ओह अच्च्छा, सुरभि, अभी जब तुझे चोद रहा था तब तू बोली की तेरी मा को भी
चोदू, क्या सच्च मैं तू चाहती है कि मैं तेरी मा को चोदू?तू यह भी बोली
की तेरी मा मस्त सेक्सी औरत है, सुरभि मुझे तेरी मा जैसी औरतो को चोदने
मैं बड़ा मज़ा आता है. वह एक्सपीरियेन्स्ड औरत है इसलिए और ही मस्ती से
चुड़वति होगी. " सुरभि अब शर्मा गयी. चुदाई के जोश मे वह कुच्छ भी बोली
होगी पर अब वह चुप थी. परेश ने 2-3 बार उसके जिस्म को मसल्ते यह बात पुछि
तो वह बोली,

"चाचा वह मैं गर्मी मे कुच्छ भी बोल गयी पर मेरा वैसा कुच्छ मतलब नहीं
था. अब वह अगर आपसे मिलके कुच्छ करना चाहे तो मैं कुच्छ बोल नहीं सकती.
यह बात सच्च है कि वह अच्छि दिखती है और हमेशा अच्छे कपड़े पहनती है पर
वह यह सब करेगी यह मुझे नहीं पता. " परेश सोचने लगा कि अगर वह सुरभि की
मा को चोदना चाहता है तो सुरभि को ही पटाना पड़ेगा. सुरभि को इतना गर्म
करना होगा कि वह उसे पूरी मदद करे अपनी मा को परेश के नीचे सुलाने में.
परेश ने नंगी सुरभि को अपनी जाँघ पे बैठाते अपना लंड उसके हाथ मे देते
कहा,

"सुरभि बेटी अब यह जो मेरा लंड तू सह'ला रही है वैसे लंड के लिए कोई भी
औरत अपनी टाँग फैलाती है. तेरी यह अच्छि किस्मत है कि तेरी पह'ली चुदाई
ऐसे तगड़े लॉड से हुई. मुझे यकीन है कि भले तेरी मा तेरे बाप से आज तक
चुदी है लेकिन मेरा यह लॉडा देखके उसका मन ज़रूर होगा मेरे लंड से
चुद'वाने में. बेटी, क्या तू नहीं चाहती कि जिस लॉड ने तुझे इतना मज़ा
दिया वह तेरी मा चूसे और उसे अपनी चूत में ले?क्या तू नहीं चाहती कि मैं
इस लंड से तेरी मा को भी चोद्के उसे भी खूब मस्ती दूँ?क्या तुझे नहीं
लगता कि मेरा लंड देखके तेरी मा की चूत भी गीली नहीं होगी. क्या तू नहीं
चाहती कि तेरी मस्त मा को नंगी करके, उसके जिस्म से खेलते, उसके स्तन
मसल्ते, चूमते और चूस्के मैं तेरी मा से मेरा लंड चूस्वाके पह'ले उसकी
चूत और फिर गान्ड मारु?" इस बात का सुरभि के कमसिन दिल पे बहुत असर हुआ.
वह सोचने लगी की इस लंड से अगर उसकी मा चुद'वाने लगी तो उसे कितना मज़ा
मिलेगा.

वैसे उसे यह सोचके शर्म भी आ रही थी कि परेश चाचा उसकी मा के बारे मैं
इतना गंदा ओपन्ली उसे बोल रहे थे. लेकिन पह'ली बार लंड लेने के बाद सुरभि
अच्छे-बुरे के बारे मैं सोचना जैसे भूल गयी थी. अभी भी चाचा का लंड
सह'लाते सह'लाते उसकी चूत गर्म होने लगी. परेश सुरभि के मन मैं चल रही
खलबली को समझा और उसे और बेकरार करने के लिए अब उसकी चूत और मम्मो से
मस्ती करने लगा. धीरे-धीरे सुरभि का जिस्म फिर गर्म होने लगा. वह परेश के
लंड को सह'लाते बोली,

"चाचा मुझे कुच्छ समझ मैं नहीं आता कि क्या करू. मैं तो अब चाहती हूँ कि
आप मा के साथ यह सब करो पर डरती हूँ की कहीं मा ने बखेरा खड़ा कर दिया या
कोई गड़बड़ होगी तो क्या होगा. मैं तो चाहती हूँ कि आपने जो कहा वह आप
करो मा के साथ पर मैं इसमे आपकी क्या मदद करू?" बात बनती देख परेश सुरभि
के निपल्स चूस्ते बोला,

"तुझे मेरी मदद कैसे करनी है वह मैं बताउन्गा तुझे रानी, तू यह बता तेरी
मा का हर्दिन मूड कैसा होता है. "

"जब डॅडी टूर पे जाते हैं तो मा गुम्सूम रहती है और जब डॅडी आ जाते हैं
तो बड़ी खुश होती है. वह वैसे तो सुबह जल्दी उठ जाती है लेकिन डॅडी के
टूर से आने के बाद के 2-3 दिन आराम से उठ'ती है. "

"ओह मतलब, तेरा बाप टूर से आने के बाद 2-3 रात तेरी मा को खूब चोद्ता
होगा. इस बात से यह तो समझा कि तेरी मा अभी भी चुदवाती है तेरे बाप से.
यह बता सुरभि बेटी, तेरा बाप अब कहाँ है? घर पे है या टूर पे गया है?"

"चाचा डॅडी तो 3 दिन पह'ले टूर पे गये हैं, अगर वह होते तो मुझे लेने
आनेवाले थे पर उनको जाना पड़ा इसलिए मैं अकेली आ रही थी. डॅडी अब 4 दिन
के बाद आएँगे. " इस बात पे खुश होते परेश ने जी भरके सुरभि के स्तन
मसल्ते एक निपल चूस्ते कहा,

"वाह यह तो बहुत अच्छि बात है. बेटी अब तू कल घर जाएगी तो तेरी मा से
मेरी बहुत तारीफ कर, मेरी एक'दम अच्छि इमेज बना उनके साम'ने. मा को यह भी
कह'ना कि तेरे पिछे कुच्छ आवारा लड़'के पड़ गये थे और परेश चाचा ने ही
तुझे उन आवारा लड़'कों से बचाया था. मैं कल शाम को तेरे घर आउन्गा, तू
तेरी मा को बोल की तूने मुझे चाय पे बुलाया है. हम दोनों को एक दूसरे से
मिलाने के बाद तू कोई बहाना करके घर से निकल जाना तो फिर मैं तेरी मा को
पटाउंगा. तू साम'ने रहेगी तो तेरी मा को पटा नहीं सकूँगा. तू जब जाएगी तो
1-2 घंटे वापस मत आना जिससे उसे मैं आराम से पटा सकु. इतनी मदद को करेगी
ना मेरी बेटी? बेटी तू इतनी मदद तो करेगी ना तेरे परेश चाचा की जिससे वह
तेरी मा को भी इस लॉड से चोद सके?" सुरभि अब फिर गर्म हो रही थी. परेश ने
फिर से इस कमसिन लड़'की को बहकाया था. वह परेश को चूमते हुए बोली,

"हां चाचा मैं ज़रूर आपकी मदद करूँगी. मैं भी अब चाहती हूँ कि आप मा को
इस लंड से वैसे ही मज़ा दो जो आपने मुझे दिया है. आपने जैसा बोला मैं
वैसा करके आप'को पूरी मदद दूँगी जिससे आप मा को पटा सके. " सुरभि की
रज़ामंदी से खुश होके परेश ने सुरभि को उठाके कमोड पे बैठाया. फिर उसकी
टांगे खोलके उस'की नंगी चूत सह'लाते 2-3 बार चूमा. फिर उंगलियो से सुरभि
की चूत खोलके परेश ने उसकी चूत चाट्के जीभ उसकी चूत मैं डाल दी. सुरभि की
ज़िंदगी मैं पह'ली बार कोई उसकी चूत चाट रहा था. सुरभि ने परेश का सिर
पकड़के कहा,
"चाचा यह क्या कर रहे हैं आप? मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी चाटने से. "
चूत मैं जीभ घुसाके अच्छे से उसे चाट्के परेश बोला,

"बेटी तूने मेरा लंड चूसा था, अब मैं तेरी यह चूत चाटूंगा. तेरी इस कमसिन
चूत को मैं जीभ से चोद्के तेरा पानी पीना चाहता हूँ मेरी बेटी. " सुरभि
की कमर को पकड़के अपने मुँह पे दबाते परेश चूत चाटने लगा. सुरभि ने भी
उसका सिर अपनी चुतपे दबाते, उसके बालो में हाथ घुमाना शुरू किया. वह
सिसकारिया भरते अपनी छूट चाट्वाने लगी. वह एक हाथ से अपने स्तन मसल रही
थी और दूसरे हाथ से परेश का सिर चूत पे दबा रही थी. परेश आज ही उसे चुदाई
मैं माहिर बना देना चाहता था. 10-15 मिनिट चूत चाटने के बाद जब सुरभि
झऱ्ने लगी तो उसने परेश का सिर अपनी टाँगो मैं दबाते अपने स्तन मसल्ते
पानी छोड़ा. इस कमसिन चूत का पानी परेश बड़ी खुशी-खुशी चाटने लगा. पूरा
पानी चाटने के बाद भी वह सुरभि की चूत चाट ही रहा था. फिर परेश ने सुरभि
को नीचे सुलाके एक बार उसकी चूत को फिर चोदा. पह'ली बार सुरभि कुतिया
बनके चुदी थी और दूसरी बात एक औरत बनके.

पूरी रात भर परेश ने सुरभि को सोने नहीं दिया. सुरभि के जिस्म से खेलते
अपना लंड उस'से सहल'वाके और चूस्वाके वह सुरभि का मज़ा ले रहा था. सुरभि
भी बेशरम होके परेश की हर बात मान रही थी. सुबह तक परेश ने 3 बार सुरभि
को चोदा. जब स्टेशन आने का समय हुआ तो परेश सुरभि को कपड़े पहननेको बोला.
टाय्लेट की ज़मीन पे पड़ी सलवार कमीज़ की हालत तो एक'दम खराब हो गई थी.
यह देखके सुरभि ने सूटकेस से दूसरी सलवार कमीज़ निकालके पहनी और अपना
हुलिया ठीक किया. जैसे स्टेशन आया परेश ने टाय्लेट का डोर खोला और जल्दी
से सुरभि को लेके ट्रेन से उतर गया. कल के प्रोग्राम की अच्छी तरह से
सेटिंग करने के बाद, सुरभि से उसके घर का अड्रेस लेके परेश ने उसे एक
रिक्कशे मैं बैठाया और खुद अपने रास्ते निकल गया. परेश ने सुरभि की मा को
कैसे चोदा ये कहानी फिर कभी आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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