राबिया का बेहेनचोद भाई

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jay
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Post by jay »

राबिया का बेहेनचोद भाई--11

. रात काफ़ी हो चुकी थी....भाई बाइक पर बैठने से पहले अपने पैंट के उपर हाथ लगा....जैसे वो अपने लंड को पैंट में अड्जस्ट कर रहा हो....मैं गौर से देख रही थी....नज़रो से नज़रे मिली....हम दोनो हंस दिए....मैं दोनो पैर एक साइड में कर के बैठ गई...भाई बोला....कम से आज तो ठीक से...क्या मतलब....भाई हँसता हुआ बोला...अरी आज भर के लिए तू मेरी गर्लफ्रेंड है ना..... गंदे...च्चि...कहते हुए... मुस्कुराती हुई गाल गुलाबी करती...उसकी पीठ पर एक ज़ोर का मुक्का मारा... ज्यादा होशियारी मत दिखाओ... हाए !!! बैठ आन रबिया...प्लीज़ मज़ा आएगा....




मेरी छूट का पूरा फ़ायडा उठना चाहता था.....क्या मज़ा....बॅलेन्स अच्छा....चुप झूठे...जैसे मुझे पता नही....अम्मी को बैठा के मार्केट ले जाते थे तब......अरी यार तू कहा की बात कहा ले....तो और क्या....प्लीज़...अच्छा लगेगा... हाए !!! नही...शर्म आती है....अब इतनी रात में...कौन देखेगा... हाए !!! नही....आप बहुत बेशरम हो गये हो....क्या बेशर्मी की.....ओह हो जनाब को जैसे मालूम ही नही....पहले डिस्को...फिर डांस....अब ये....आगे पता नही क्या क्या... हाए !!! और कुछ नही....मैने मुस्कुराते हुए कहा....धीरे धीरे पता चल रहा है कितने शरीफ हो...कहते हुए दोनो पैर दोनो तरफ कर के बैठ गई....सड़के सुन-सन थी....भाई बाइक को तेज भागने लगा....झुकाई देते हुए मोड़ रहा था....लगा अब गिरी तब गिरी.... हाए !!! भाई धीरे....गिर जाउंगी....पकड़ लो ना....



हाए !!! क्या पकडूँ....उफफो.... मुझे....उफफो ओह...भाई आप सुनते क्यों नही....ठीक से बैठेगी तब ना....अब कैसे.....मेरा हाथ जो की कंधे पर था उसको अपनी कमर पर रखता बोला....थोड़ा आगे सरक कर बैठ....आगे सरक कमर को मजबूती से पकड़ लिया.... खुद भी यही चाह रही थी...फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था की....उसके मुँह से निकली थी ये बात.....अब भाई हल्का भी ब्रेक मारता तो....चूंची को उसकी पीठ से सटा देती....उसकी कमर को कस कर जकड़ लिया था....अपने हाथो को उसकी जीन्स की बेल्ट पर रखे थी.....जैसे ही ब्रेक मारता हाथ सरका कर नीचे कर देती....कभी जाँघो पर कभी जाँघो के बीच....हथियार के उपर....गरमा गरम लंड...अफ मज़ा आ गया..

सख़्त हो गये मेरे निपल....उसकी पीठ पर चुभ रहे होंगे.....तभी तो लंड खड़ा था.....पीठ पर चूंचीयों की रगड़ाई ने रानों के बीच हलचल मचा दी......चूत की सुरसुरी बर्दाश्त नही हो रही थी.....दिल बेकाबू हो रहा था.....तभी फिर ब्रेक लगाया....हाथ बेल्ट से सरका....लंड दबा दिया....जो होगा देखा जाएगा....खुल्लम खुल्ला....हथेली से जीन्स के उपर से लंड पकड़ लिया....जीन्स का मोटा कपड़ा उतना मज़ा नही दे रहा था मगर फिर भी.....बाइक की रफ़्तार कम होने पर भी....छोड़ा नही....चूंची रगर्ति....लंड पकडे बैठी रही....चूत की सनसनी बेकरारी बढ़ा रही थी...चूत पानी छोड़ रही थी.....पेशाब भी महसूस.....शायद ड्रिंक्स का असर था....




जैसे ही घर पहुचे....मैने दरवाजा खोला....भाग कर गुसलखाने में गई....भाई को लगा की मुझे जोरो की पेशाब लगी है मगर....इज़रबंद में गाँठ लगाया....और बाहर आ गई....ज़ोर से बोली....अफ ...अल्लाह...ये क्या कयामत....साँझ में नही आ रहा क्या करू....समीज़ पेट पर चढ़ा रखा था....हाथ इज़रबंद के पास....भाई अपनी शर्ट खोलता....मेरी आवाज़ सुन कर पलटा....क्या हुआ.....मैं मचलती हुई उसको देख बोली....उईईई....भाई जल्दी से कैची दो ना....अरे क्या हुआ....कैंची क्यों....उफ़ हो...कुछ भी कैंची या ब्लेड....भाई इधर उधर देखने लगा...क्या हुआ बता तो सही....
ब्लेड तो होगा नही....कैंची पता नही... हाए !!! जल्दी खोजो ना....पर हुआ क्या...उफ़ हो भाई देखते नही क्या.....समीज़ उपर उठाए नंगी पेट और सलवार के इज़ारबंद को दिखती बोली....ये हो गया....गाँठ लग गई....भाई हँसने लगा....तू भी कमाल है...गाँठ कैसे लगा लिया....अभी भी बच्ची है....हसो मत...बहुत ज़ोर की लगी है....अब कैंची तो पता नही कहा रखी होगी...चल देखने दे मुझे... हाए !!!...धत !...क्या देखोगे....उफ़ !!!....खोलने का इंतेज़ाम करो....पर पहले देखने तो दे...बिना देखे कैसे...कहता हुआ भाई मेरे पास आ गया....इज़ारबंद को हाथ लगा....खोलने की कोशिश करने लगा....मेरी नंगी पेट उसके हाथो को छू रही थी....उ...भाई जल्दी.....



एक तो ऐसे ही चूंची रगड़वा कर बेजार हुई बैठी थी....उपर से....उसका हाथ.....बदन में सनसनी दौड़ गई...पेट पर हाथ लगने से गुदगुदी भी हो रही थी...थोड़ा पेट अंदर खींचा....अर्रे क्या करती है....ठीक से खड़ी रह....पर तुम पेट....इज़ारबंद कैसे खोलू फिर....वैसे वो गाँठ कम मेरी पेट देखने में ज्यादा....मैने कहा उफ़ हो...भाई छोड़ो ऐसे तो मैने भी ट्राइ किया....खुल नही रहा....तोड़ दूँ...हा तोड़ दो....इज़ारबंद मोटे कपडे का बना होता है....टूटने वाला तो था नही....पर वो पूरी कोशिश कर रहा था....इस बहाने मेरी पेट और पेरू दोनो छुने और सहलाने का मौका जो उसे मिला था....तभी वो झट से घुटनो के बल ज़मीन पर खड़ा हो गया...

क्या कर रहे हो....तू देखती जा...कहते हू उसने मुँह लगा कर इज़ारबंद के गाँठ को अपनी दाँत से पकड़ खीचा....उफ़ !!!...उसकी जीभ एक दो बार मेरे पेट से तकर गई....शायद उसने ऐसा जान बूझ कर किया था....बदन सिहर उठा....दूर से कोई देखता तो यही समझता मेरी चूत में मुँह लगाए है....मैने भी जान-बूझ कर अपने कमर को थोड़ा आगे धकेल दिया....भाई इज़ारबंद को दांतो से पकड़ खीच रहा था...पर मुझे लगा जैसे उसकी ज़ुबान ने मेरी नेवल यानी की मरकज़ को छुउआ... हाए !!! अल्लाह उसने बड़ी चालाकी से मेरी मरकज़ में अपनी ज़ुबान डाल कर घुमा दी....मेरी नाभि को चाट लिया....सनसनी से मैने पेट सीखोरा....थोड़ा पीछे हटी.....तभी वो....झटके के साथ इज़ारबंद खोल अलग हुआ....मैं समीज़ पकडे खड़ी थी....उसने मौके का फायदा उठाया....

इज़ारबंद पूरा खोल हल्का सा झटका दे दिया....सलवार सरसरते नीचे उतार गई....गुठनों तक... हाए !!! अल्लाह....जब तक पकड़ पाती तब तक....छोटी सी चड्डी में कसी मेरी जवानी भाई के सामने....भाई भी कम हरामी तो था नही....जल्दी से मेरी सलवार उपर उठाने का बहाना कर सलवार उपर खींचते हुए अपना हाथ मेरी चूत से सटा दिया....मेरी सांस उपर की उपर रह गई....अफ रब्बा....कसम से...मज़ा आ गया इज़ारबंद खुलवाने का....पर मौके की नज़ाकत थी....शर्मा कर उछल पड़ी ....उफ़ !!!...भाईजान...गंदे... हाए !!! छोड़ो ....अरे मैने क्या किया...धत ! जाओ...कहते हुए जल्दी से उसके हाथ से सलवार छुड़ा एक हाथ से समीज़ पेट पर पकडे दूसरे हाथ से सलवार थामे गुसलखाने में घुस गई.....बुर से ऐसे लहरा कर मूत निकली की बस....छलछलाते हुए पेशाब की मोटी धार कमोड में गिरते अपनी लालमुनिया के दाने को मसलने लगी....




बाहर निकली तो भाई ड्रेस चेंज कर बैठा था....सोए नही....बस जा रहा हू....मज़ा आया ना आज....मैं थोड़ा शरमाती चेहरा लाल कर बोली....मैं नही जानती....अरे क्या मतलब...इतनी मेहनत से घुमाने ले गया...इतना पैसा खर्च हुआ....तो मैने कहा था क्या...सब अपने मज़े के लिए....बदमाश....ठीक है तूने नही कहा था....मगर फिर भी मज़ा तो आया होगा....मैं अब तक दीवान के पास आ चुकी थी....उसने मेरे हाथ को पकड़ लिया.....शरमाने का नाटक किया.. हाए !!! बोल ना...कैसा...कहते हुए मुझे अपने पास और खीचा....वो पैर लटका कर बैठा था....गुठना ठीक मेरी रानों के बीच....मैने भी हल्का सा दबा दिया....मज़ा आ रहा था....




गाल गुलाबी करते बोली...हा आया था मज़ा....भाई ने दोनो हाथ पकड़ लिया....और खींचा....रानों के बीच के घुटने को थोड़ा उपर उठा चूत से सताया.... हाए !!! तो क्या इनाम देगी....मैने मचलते हुए कहा...इनाम क्या देना....ये फ़र्ज़ है....बहन को घुमाने.....हाथ छोड़ो ना....सोने जाना है.....वो मुस्कुराता हुआ बोला पर....तू तो आज मेरी गर्लफ्रेंड है ना....हट...गंदे....अच्छा चल अपने भाई को कुछ तो दे... हाए !!! मैं क्या दूँ....हटो छोड़ो ....छोड़ दूँगा....पर थोड़ा सा....क्या थोड़ा सा....मैं ले लू...क्या लोगे....वो नही बताऊंगा ....तो मैं कैसे दूँ....

तेरा कुछ जाएगा नही....फिर भी कुछ तो....तू बस ऐसे ही खड़ी रह....मैं कहा भागी जा रही हू....हंदोनो एक दूसरे की आँखो में झाँक रहे थे....तभी उसने अपनी हथेली में मेरा सिर थाम लिया....क्या इरादा है....उसने थोड़ा सा मेरे सिर को झुकाया....उसके सिर के सामने मेरा सिर....मुझे हसी आ रही थी....तभी उसने अपने चेहरे को आगे बढ़ा मेरे होंठों को चूम लिया....छी...कहते हुए मैं इठला कर पीछे हटी....वो हँसने लगा....मैने उसकी सीने पर एक मुक्का मारा....गंदे....अपने होंठों को पोच्छने लगी....वो अभी भी हाथ पकडे था....एक और दे ना... हाए !!! छोड़ो ना....बेशरम....गंदे भाई....कहते हुए हाथ चुरा पीछे हटी....वो भी उठ कर मेरे पीछे दौरा....




मैं खिलखिलते हुए पूरे घर में इधर उधर भाग रही थी....बिना दुपट्टे की मेरी चूंचीया उछलती हुई....भाई मुझे पकड़ने की कोशिश कर रहा था...मैं बीच बीच रुक कर उसे अपनी जीभ निकाल दिखा देती....बड़ा मज़ा आ रहा था....भागते-भागते मैं दीवान के पीछे चली गई....वो सामने से आ गया....मैं कोने में फस गई....हँसते हुए मैने दोनो हाथ सामने ला अपने कोने में मुँह घुमा कर खड़ी हो गई......भाई पीछे से आ कर मेरी कमर पकड़ कर खड़ा हो गया.....उफ़ !!!....गरम खड़ा लंड पीछे से चूतड़ पर हल्के से सटा दिया... हाए !!! छोड़ो .... रबिया देख ना इधर.. हाए !!! नही भाईजान छोड़ो ...जाने दो....भाई ने कंधा पकड़ अपनी तरफ घुमा लिया....मैं चेहरा लाल कर नीचे गर्दन झुका लिया.....उसने मेरी ठुड्डी पकड़ उपर उठाई....मेरी आँखे गुलाबी हो चुकी थी.....मैने भाई को दोनो हाथो से धकेला....भाई थोड़ा पीछे हटा....


हाए !!! जाने दो.....भाई मुस्कुराने लगा....एक पल मुझे देखा फिर अपने गाल को मेरी तरफ बढ़ा.....एक बार बस....वो मुझे चूमने के लिए कह रहा था....मैं एक पल को उसको देखती रही फिर हल्के से मुकुराते हुए उसकी गाल को अपने रस भरे होंठों से छुआ और उसको धकेलते हुए कोने से भाग निकली.....वो फिर मेरे पीछे लपका.....ज़ुबान निकाल कर दिखा दिया....और अपने कमरे में घुस गई....भाई हँसता हुआ बाहर ही रुक गया.....बिस्तर पर लेट अपने धड़कते दिल को काबू में किया.....आज भाई ने काफ़ी दिलेरी दिखाई और मैने भी मुसस्सल उसका साथ दिया.....चूत गीली गई थी.....ऐसे ही शरमाते शरमाते एक दिन चुद भी जाउंगी....फिलहाल तो चूत के पिस्ते को मसल अपनी बेकरारी थोड़ा कम कर लू.....

सुबह उठी....तभी अम्मी का फोन आ गया....नया फरमान....कोई रहमान साहिब थे....विलायत जा रहे थे तीन साल के लिए....अपना फ्लॅट हमारे हवाले करना चाहते थे....भाई फ्लॅट की चाभी ले उनको उन्ही की गाडी से एरपोर्ट छोड़ कर वापस आया....तका मंदा.....हमे शिफ्ट करना होगा....मुझे बड़ा गुस्सा आया...ये साली अम्मी कोई ना कोई बखेरा खड़ा करती रहती है.....रात में ही सारा सामान इकठ्ठा किया....फर्निचर तो मकान मलिक का था....अहले सुबह रहमान साहिब की गाडी में अपने कपडे लत्ते और आलतू फालतू सामान डाल उनके घर की ओर नीकल लिए....शहर से थोड़ा दूर था....मगर जब फ्लॅट पर पहुचि सारा गुस्सा निकल गया....अल्लाह...क्या खूबसूरत फ्लॅट था.....दो कमरे....एक ड्रॉयिंग रूम....शानदार फर्निचर....तभी वो किराए पर नही देना चाहता था....जल्दी से सामान जमाया.....ड्रॉयिंग रूम में खूबसूरत कालीन और सोफा....बड़ा सा LCD टीवी....मज़ा आ गया....अभी तक कुँवारा था ये रहमान साहिब पर....शौकीन था.....ज़रूर अम्मी का यार होगा.....कहती है अब्बा के दोस्त है....मगर साली ने अपने हुस्न का जादू चला कर पटा रखा होगा....तभी.....गाडी भी मिल गई....भाई तो बल्लियों उछल रहा था.....



शाम तक सब-कुछ सहेज लिया हमने....आराम भी कर लिया....फिर भाई तैयार होने लगा....मुझे देखते बोला....आज कार से चलते है....मैने हँसते हुए पुछा ...कहा...बस ऐसे चलते है ना....मैं भी तैयार हो गई....जीन्स और खूबसूरत सा टॉप.....भाई ने मुस्कुरा दिया....आज सही ड्रेस पहनी है डिस्को में जाने लायक....मैने भी शोख अदा से मुस्कुराते हुए कहा तो फिर चलो....भाई पास कमर में हाथ डाल अपनी तरफ खींचता बोला....अब श रम नही आ रही....नही...आपने बेशरम जो बना दिया.....फिर गर्लफ्रेंड बन ना पड़ेगा ....



एक बार तो बन चुकी हू....अब सौ बार बनउगी तब भी क्या फ़र्क पड़ेगा ... हाए !!!....क्या बात है कहते हुए भाई ने गाल चूम लिया...मैने उसको पीछे धकेला.....पर उसने हाथ नही छोड़ा...हम नीचे उतर कार में बैठ चल दिए....कोई पर्मनेंट गर्लफ्रेंड ढूंढ लो भाईजान....क्यों....रोज रोज बहन को गर्लफ्रेंड बना कर डिस्को ले जाओगे....ज़रूरत नही....ऐसा क्यों.....अब तू जो मिल गई है....वही तो कह रही हू कब तक बहन को गर्लफ्रेंड...तेरा कोई बाय्फ्रेंड है क्या....हट मैं ऐसे शोक नही पालती....तो बस हो गया ना....तू मेरी गर्लफ्रेंड....मैं तेरा बाय्फ्रेंड....धत ! कैसी बाते करते हो....बेहन-भाई कभी....

अपनी सहेली को भूल गई क्या.......वो तो कमिनी है.....अरे आजकल बहुत लोग ऐसे है....झूठे ....मैं तो किसी को नही.....तू नही जानती ना....मैं बता ता हू....मेरी क्लासमेट सुल्ताना....पहले मेरे साथ दोस्ती थी....बाद में मुझे कूड़े में डाल...अपने भाई के साथ.. हाए !!! नही… तुम बाते बना...अरे सच कह रहा हू...मेरा दोस्त उसके परोस में रहता है...उसको कैसे पता....उसका खुद अपनी बेहन के साथ...उसकी बेहन ने बताए....हटिए भी भाईजान...आप और आपके दोस्त सब एक जैसे....हम इसी तरह की बाते करते-करते डिस्को पहुच गये...डांस फ्लोर पर....फास्ट म्यूज़िक पर...

खूब मस्त हो कर डांस किया....फिर स्लो म्यूज़िक....इस बार भाई ने हल्की रोशनी का पूरा फायदा उठाया....कस लिया मुझे अपनी बाहों में....मैं बिना ना नुकुर....उसकी बाहों में अपनी कमर उसके कमर से सताए....भाई मेरी कमर को सहलाता हुआ.....मेरी चूतड़ों पर भी हाथ फेर रहा था....मैने उसके कंधे पर अपना सर रख दिया.....हम दोनो के दिल तेज़ी से धड़क रहे थे....मेरी चूचियाँ उसकी छाती से सती हुई.....चूचियों के निपल खड़े हो मेरी बेकरारी बढ़ा रहे थे.....आज मैं भी पूरा छूट देना चाहती थी....देखती हू भाई कहा तक आगे बढ़ता है.....रगड़ ले भाई....सीने को.....खेल ले मेरी चूतड़ों से....बहुत देर तक डांस करने के बाद....खाना खा कर वापस लौट रहे थे हम.....आपस में बाते करते हसी मज़ाक करते....मेरे हाथ में आइस-क्रीम थी....भाई कार चला रहा था....गियर बदलते समय एक दो बार मेरी जाँघो से उसका हाथ छू जाता....मैने कुछ नही बोला....गियर से हाथ सरका मेरी रानों पर रखा... हाए !!! आइस-क्रीम नही खिलाएगी....आप अपने लिए क्यों नही लेते....हमेशा मेरी आइस-क्रीम में से....भाई मुस्कुराता हुआ बोला....तेरी ज्यादा मीठी होती है...वो कैसे...अपने होंठों पर ज़ुबान फेरते कहा....तेरी मीठी ज़ुबान जो छू लेती है....धत !....लो....थोड़ा ...चाट....गाल लाल करते मुस्कुराते मैने कहा....भाई मेरी तरफ देखता बोला....ऐसे नही...फिर कैसे...तभी उसने ब्रेक लगा दिया.....



हम शहरी इलाक़े से दूर आ चुके थे....गाडी सरक किनारे साइड में लगा...मैने सवालीया निगाहों से देखा....उसने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ हाथ बाध्या...मैं चौकी...क्या....पर तब तक....भाई ने अपनी उंगली से मेरे होंठों के किनारे पर लगे आइस-क्रीम को पोच्च लिया....वापस अपने होंठों के पास ले जा ज़ुबान निकाल चाट लिया...मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराने लगा....मैं शर्म से लाल हो गई....उफ़ !!!....आप भी ना भाई...ये क्या हरकत है....बहुत मीठी थी शैतानी से मुस्कुराते बोला....धत !....कहते हुए मैं शरमाई....आई रबिया....

मेरी रानों पर हाथ रखता बोला....क्या...ज़रा पास आ...भाई थोड़ा आगे खिसका....मेरी आँखो में झकते सरगोशी करते बोला....मेरी गर्लफ्रेंड बनेगी.....मैं शरमाते हुए.....हल्की मुस्कुराहट के साथ उसकी आँखो में देखती बोली....वैसे कौन सी कसर बाकी है....सारे गर्लफ्रेंड वाले काम तो करवा लिया....बहन से गर्लफ्रेंड बना....अभी भी बहुत कुछ बाकी है... हाए !!! और क्या बाकी है अब....भाई ने मेरा हाथ पकड़ लिया....आइस-क्रीम खाना बाकी है....मैने बचा हुआ आइस-क्रीम उसकी ओर बाध्या....ऐसे नही....फिर कैसे....



वो अपने होंठों पर जीभ फेरने लगा... हाए !!! रब्बा क्या इरादा है....मेरे हाथो को पकड़ अपनी ओर खींच सटा लिया मुझे अपने आप से....छाती से मेरी चूंची ....चेहरा, चेहरे के सामने....गर्दन पीछे करते मैने कहा.... हाए !!! छोड़ो .....वो मेरी आँखो में झाँक रहा था....मैं उसकी आँखो में....हम दोनो के होंठ एकदम पास.....वो सरगोशी करते बोला....दे ना...बस एक....नही.. हाए !!! प्लीज़....मैने होंठों को गोल करके कहा.... नहीं छोड़ो .....हालांकि मेरे होंठ कह रहे थे....गोल कर दिया है दबोच लो.....और उसने दबोच लिया....उसके होंठ मजबूती से मेरे होंठों से चिपक गये....मैने हल्का सा धकेलने की कोशिश की....मेरे रसीले होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू कर दिया था उसने.....
पहला मौका था किसी लड़के ने मेरे होंठों को चूसा था....इतने वक़्त से सम्भहाल कर रखा था....अपने भाई को चूसा रही थी...मदहोश हो गई....मेरे झूठा नाटक ख़तम हो गया था....मेरे हाथ अपने आप भाई के सिर के पीछे चले गये....वो बेतहाशा मेरे होंठों को चुँलाते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसा रहा था....मैने भी अपने होंठ खोल उसकी ज़ुबान को रास्ता दे दिया....हमारे होंठ और ज़ुबान एक दूसरे से सरगोशी कर रहे थे....मेरा दिल की धरकन बढ़ चुकी थी.....पैर काप रहे थे....जाँघो को भीच रखा था....चूंची उसकी छाती से दबी मसली जा रही थी...

उफफफफ्फ़......रब्बा....तकरीबन दो-तीन मिनिट तक भाई मेरे होंठों को चूमता चूसता रहा....जब अलग हुआ....मैं ही करते....पीछे हट गई....अपने होंठों को हथेली से पोंछती ...थोड़ी नाराज़गी लिए भाई को देखा... हाए !!! बेशरम....कल रात भी....क्या कल रात....कल रात में भी आपने....चू...चूम लिया था....अच्छा नही लगा क्या... हाए !!!....धत !...मैं तुम्हारी बहन ....बहन भी और गर्लफ्रेंड भी....नही...क्यों अभी तो कह रही थी....मैने गर्लफ्रेंड बना लिया है....हा सही है...आपने तो मुझे वाक़ई गर्लफ्रेंड बना लिया है.....मज़ा आ गया आइस-क्रीम खा कर....ऐसी आइस-क्रीम मिले तो हर रोज....मैं हल्के से मुस्कुरा दी.....और उसको जीभ दिखा दिया....वो हँसने लगा....घर चलने का इरादा नही है क्या....एक बार और....बदतमीज़....बेगैरत... हाए !!!....कैसा भाई है...उफ़ !!!....बेहन को गर्लफ्रेंड बना....भाई ने गाडी स्टार्ट कर दी....रात काफ़ी हो चुकी थी....मज़ा तो आया था....मगर सोचा अब ज़्यादा लिफ्ट नही दूँगी....जिस दिन चूंची पर हाथ लगा देगा उसके अगले दिन....इसको चूत मिल जाएगी....ज़यादा इंतेज़ार नही करना पड़ा.....
अगले दिन डिस्को की जगह फिर से समंदर किनारे ले गया भाई.....एक दम नई जगह थी.....चारो तरफ पत्थर और चट्टाने.....जगह जगह लड़के लड़कियां बैठे थे.....चट्टानो की ओट ले कर.....शाम का अंधेरा हो चुका था....ज्यादा कुछ पता नही चल रहा था....हम भी एक जगह बैठ गये....मैं पोटाटो चिप्स खाते इधर उधर देख रही थी.....आज मैने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था.....भाई मुझे बैठा पानी लाने चला गया.....मैं खड़ी हो कर गौर से देखने लगी... हाए !!! रब्बा....ये क्या खुल्लम खुल्ला....मैं शर्म से लाल हो गई....लड़के लड़की आपस में एक-दूसरे की बाहों में लिपटे चिपटे .....एक दूसरे को चूम चाट रहे थे....

मैं तो सनसना गई....खुले आम दुपट्टे के नीचे हाथ छुपा कर लड़कियां अपनी चूंची दबवा रही थी.....लड़के अपनी गोद में रुमाल रख कर मूठ मरवा रहे थे....तभी भाई वापस लौटा....उसके एक हाथ में आइस-क्रीम और दूसरे में पानी की बॉटल थी....आइस-क्रीम मुझा थमा दिया...मैने धीरे से कहा... हाए !!! भाई चलो....क्यों क्या हुआ....चेहरे को शर्म की लाली से भरते हुए कहा....कैसी जगह है...नही बैठना यहा.....पर हुआ क्या...देखो खुले आम सब आपस में.. हाए !!! मुझे तो शर्म आ रही है......क्या देखु....दिख नही रहा...कैसे सब चूम....चा......उफफफ्फ़ देखो उधर...मैने एक तरफ इशारा करते हुए दिखया...एक लड़की आराम से अपनी समीज़ के अंदर हाथ घुस्वाए मसलवा रही थी... हाए !!!...भाई...कितने बेशरम है सब...


अब आए है तो थोड़ी बैठ ते है ना....प्लीज़.....क्या प्लीज़....और आप क्या देख रहे हो ऐसे आँखे फाड़ के.....मैने हल्का सा हँसते हुए कहा....एक लड़का एक लड़की की चूमि लेते उसकी चूंची पर हाथ फेर रहा था....शर्म नही आती... हाए !!! रब्बा कितनी गंदी जगह है....अच्छा..मत देख पर थोड़ी देर तो बैठ जा.....मेरे कंधे को पकड़ बैठने की कोशिश करता हँसते हुए बोला....मैं थोड़ा नाटक करने के बाद बैठ गई....भाई हंस रहा था...मैने उसके कंधे पर एक मुक्का मारा....हसो मत.....बहुत बेशरम हो गये हो आप.....और मुझे भी...मैने आइस-क्रीम खाना शुरू कर दिया.....एक पत्थर पर बैठी थी....भाई बार बार कनखियों से मेरी उभरी हुइ चूंचीयों को घूर रहा रहा था......तभी हवा का एक तेज झोका आया....पता नही कैसे मेरी स्कर्ट को उठा मेरी रानों को नंगा कर दिया...

मेरी गोरी चिकनी राणे शाम के हल्के अंधेरे में....देखा भाई मेरी तरफ देख रहा था.....मैने अपनी स्कर्ट ठीक करते हुए शरमाई......वो मुझे लगातार देख रहा था.....क्या है....भाई थोड़ा झेप गया....और सामने देखने लगा....लड़की अपने होंठों के बीच दबा...चिप्स खिला रही थी अपने यार को......भाई एक तक देख रहा था.....मैने सरगोशी करते हुए पूछा....आइस-क्रीम खानी है.....मुस्कुराते हुए देखने लगा...तू खिला दे....मैने हँसते हुए उसकी तरफ आइस-क्रीम बढ़ा दिया....ऐसे नही.....फिर कैसे.....सामने देख....मैं हँसने लगी...छी बेशरम...यही करने यहाँ लाए हो.....मैने उसकी बाँह पर चिकोटी कटी.... और आइस-क्रीम का एक बड़ा सा टुकड़ा काट अपने होंठों के बीच दबा लिया....और उसकी ओर देखने लगी.....भाई के लिए इशारा काफ़ी था...

आगे बढ़ मेरे होंठों से अपने होंठों को ज़ोर दिया उसने.....मेरे होंठों को अपने होंठों में दबोच लिया....मैं कसमसाई..उफ़ !!!....बेतहासा चूसने लगा....होंठ की बीच की आइस-क्रीम होंठों की गर्मी में कब की पिघल चुकी थी....अब तो बस हम दोनो के होंठों के बीच की गर्मी बची थी....उसके मुँह से लार निकल मेरे होंठों को गीला कर रही थी.....वो अपनी ज़ुबान मेरे मेरे होंठों के बीच गदर घुमा रहा था....तभी मुझे अहसास हुआ की मेरे सीने पर कुछ ......भाई का हाथ मेरे मम्मो के उपर था.....मेरे एक माममे को पकड़ सहला रहा था....वो अपने होंठों से मेरे होंठों को दबोचे मेरे सिर को एक हाथ से पकडे...दूसरे हाथ से मेरी चूंची को हल्के हल्के मसल रहा था हाथ फेर रहा था....पूरे सीने पर हाथ फिरआते....

दोनो चूंची को बड़ी बड़ी से हल्के हल्के दबा रहा था....मैं उसका हाथ हटाने की कोशिश कर रही थी....मगर मेरी कोशिश नकली थी....क्योंकि मैं हटाने की जगह उसके हाथो को अपनी चूंचीयों पर दबा रही थी.....मैं चाह रही थी की वो और ज़ोर से मसले.....मुझे जिंदगी में पहली बार अपनी गुन्दाज़ गोलाइयों को मसलवाने का मौका मिला था.....मज़ा आ रहा था...मुँह से गुगीयाने की आवाज़ निकल रही थी....पर ये मेरी सिसकारियाँ थी.....नीचे की सहेली गुदगुदी से भर चुकी थी....मैं भाई को मन ही मन गलियाँ दे रही थी.... हाए !!! मसल साले ...मसल ना भोसड़ी के....तेरी बहन की चूंची है....बहुत तड़पीं है...ये करारी चूंचीयाँ....ज़ोर से मसल डरता क्यों है.....कोई तेरे उपर ज़बरदस्ती का मुक़ादम नही करने जा रहा.....मगर साला गांडू .... डर डर के हल्के हल्के मसल.....जाँघो के बीच की सहेली को आग से भर .....मुझे छोड़ा तो मैं.. हाए !!! अल्लाह करती.....हाथो की कैंची बना अपने टॉप के उपर रख अपनी चूंचीयों को धक लिया...

ओह भाई....उसकी तरफ देखा....भाई मुस्कुरा रहा था...एक बेशर्म मुस्कुराहट उसके चेहरे पर खेल रही थी.... मेरा सीना धक-धक कर रहा था....मैने नज़रे झुका ली....भाई सरक कर मेरे पास आ गया...उसने फिर से मुझे बाहों में भर लिया....मैं निकालने की कोशिश की...उउउ...छोड़ो .... हाए !!! रबिया....अच्छा नही लगा....ओह भाई तुम बहुत गंदे हो....तुमने मेरे मम्म....छी...गंदे....बहन के साथ ऐसा करते....भाई मुस्कुराते हुए बोला.....गर्लफ्रेंड के साथ....मैं उसकी छाती पर मुक्का मारती बोली....हट बदमाश.....गर्लफ्रेंड-गर्लफ्रेंड बोल-बोल के सब कुछ कर लेना....सब कुछ करने देगी....वैसे सब-कुछ का मतलब जानती है....धत !....मैने शर्मा कर उसकी छाती में मुँह छुपा लिया.....भाई ने मुझे और ज़ोर से बाहों में कस लिया....हम कुछ पल तक वैसे ही बैठे रहे.....भाई मेरी बाहों को सहला रहा था....तभी बारिश की बूंदे गिरने लगी.....मैं धीरे से बोली....बारिश आएगी.....घर चले.....भाई ने मेरी आँखो में देखा....ठीक है चल....पर खाना....घर पर ही...

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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Post by jay »

राबिया का बेहेनचोद भाई--12

. जब तक हम निकलते तब तक बारिश की तेज बौचारों ने हमे पूरा भिगो दिया...किसी तरह कार में आकर बैठे और चल दिए.....बारिश ने मुझे और भाई दोनो को पूरी तरह भिगो दिया था....कपडे हमारे बदन से चिपक गये थे.....मेरा टॉप मेरे सीने से चिपक चूंचीयों को और ज़्यादा उभार रही थी.....भाई बार बार कनखियो से मेरी उभरी कबूतरियों को देख रहा था....मुझे से नज़र मिली तो मुस्कुरा दिया....मैं भी मुस्कुरा दी....धीरे हाथ आगे बढ़ा उसकी जाँघ पर चिकोटिकाट लिया....भाई चौंक गया....उ....क्या करती है....मैने ज़ुबान निकाल कर दिखा दी....भाई ने मुझे आँख मार दी.....मैने फिर से ज़ुबान दिखा कहा.....गंदे....भाई ने अपना एक हाथ मेरी रानों पर रख दिया....मैं कुछ नही बोली...


घर पहुँच मैं बेडरूम घुस गई....भाई अपने कमरे में चला गया....कुछ देर सोचने के बाद...कपड़ों में से खोज कर मैने एक सफेद फ्रॉक जिस पर सुर्ख लाल छापे वाले फ्लवर्स बने थे निकाला......अभी तक फटी नही थी.....नई जैसी लगती थी....जब तक 14-15 की थी तब तलक़ पहना....फिर टाइट हो गई...चूंची बहुत अच्छी उभर कर आती.....छोटी भी हो गई.....घुटनो के उपर तक आती.....थोड़ा सा इधर उधर होते...रान दिखने लगती...नींबू जब नारंगी बन गये तो अम्मी ने पहन ने से मना कर दिया....वैसे भी कुतिया को मेरी हर ख़ुशी से जलन होती थी.....बैग में छुपा कर यहाँ ले आई... आज इसका सही इस्तेमाल होने के आसार थे....फ्रॉक ले कर मैं बात रूम में घुस गई..... आज मैने उसके लंड में आग लगा देना चाहती थी.....अपनी जवानी दिखा...तरसाने में मज़ा आ रहा था...

मैने फ्रॉक पहन लिया....मर गई रब्बा....कितना टाइट है.....लगता है जैसे दम घूट जाएगा.....खैर किसी तरह से पहन लिया.... आईने में जब अपने आप को देखा .....तो... क्या जबरदस्त टाइट फिटिंग आई थी.....जवानी ऐसे छलक कर उभरी थी की.....चूंचीयाँ उभर कर सामने की तरफ अपनी चोंच निकाल..... जैसे किसी ने फ्रॉक के अंदर ज़बरदस्ती दो सेब ठूंस दिए हो....गीला बदन होने से फ्रॉक चिपक कर बदन के सारे उतार चढ़ाव बयान कर रही थी.....छोटे किस्मीस के आकर के निपल्स ऐक दम तन कर खड़े हो उभर आए थे.....कपड़ों के रगड़ का असर था......अंदर ब्रा नही पहना था....लाल छापे वाली चड्डी पहन ली...फ्रॉक कमर के पास चिपक गाँड को और उभार रही थी......जब बाहर निकली तो देखा भाई ड्रॉयिंग रूम में हाथ में कपडे लिए मेरे बाथरूम से निकालने का वेट कर रहा था...

मैं उसके सामने मटकती हुई गुज़री तो वो.....देखता ही रह गया.....गीले बॉल...गीला बदन....उसपर चिपकी हुई फ्रॉक......उसके घूरने के लिए बहुत मसाला था.....सबसे खास बात ये थी की.....गौर से देखे तो चूंचीयों के निपल आराम से दिखते.....इठलाते हुए उसके सामने से होकर बेडरूम में गई.....बालो को सूखा कर पोनीटेल बना लिया.....स्कूल की नादान कमसिन लौंडिया लग रही थी.....चड्डी की अनचुदी सहेली को दिलासा दिया की आज पक्का लंड ले लूँगी.....आज उसको तरसाना था....इतना तरसना था की खुद ही हाथ में लंड लेकर खड़ा हो जाए की.....अब रहा नही जा रहा.....उसका डर दूर करना था.....मैं उसके पास जा कर खड़ी हो गई.....भाई क्या बनाऊं....उसकी नज़र मेरे गीले फ्रॉक में कसे चूंचीयों पर अटक गई..... लाल छापे वाला फूल मेरी राईट चूंची को आधा ढके हुए था....और लेफ्ट चूंची लाल फूल से पूरी तरह से धक गई थी....राईट चूंची का निपल सफेद फ्रॉक से नज़र आ रहा था.....
चूंची घूरने में इतना मस्त था की मेरे सवाल से चौंक गया....आ हा...क्या बोला....क्या बनाऊं भाई.....ओह...मेरा हाथ अपने हाथ में ले मुस्कुराते हुए बोला....क्या बनाएगी....कुछ स्पेशल....जो तेरे दिल में आए और जो जल्दी बन जाए....बारिश नही होती तो बाहर ही खाते...चल मैं भी मदद करता.....अरे नही तुम रहने दो....बोल कर मैं किचन में चली गई....वो भी मेरे पीछे पीछे आ गया....मैं जानती थी चूंची देखने को मिल रही है.....अभी आस पास ही रहेगा.....लंड को ताव लगा रहा होगा.... मैने शोख अदा के साथ उसके हाथ पर धक्का दिया..... हाए !!! भाई जाओ ना....नहा लो....अभी दिल नही कर रहा.... साले के दिल में तो मेरी चूची ओर गाँड घुसी है.....ज़रा इसको अपनी गाँड दिखती हू....हाथ में पकड़ा चाकू गिरा दिया....फिर नीचे झुक....गाँड उचका...चाकू उठाया....


भाई थोड़ा पीछे खिसक गया.....मेरा तीर निशाने पर लगा था.....पीछे खिसक फ्रॉक में कसी मेरी गाँड देख लंड पर हाथ फेर रहा था....नीचे झुकने की वजह से मेरे मस्त रान उपर तक नुमाया हो गये....बस चड्डी नही दिखी.....मैने उसकी बेकरारी को और बढ़ने के लिए अपना हाथ पीछे ले जा कर....अदा के साथ हल्के से अपनी गाँड पर हाथ फेरा और .....सीधी खड़ी हो गई....कनखियों से देखा तो भाई अपना चेहरा लाल किए....मेरी गाँड को भूखी आँखो से देख रहा था....भोसड़ीवाला ज़रूर सोच रहा होगा काश गाँड पर हाथ फेरता.....मैं अचानक पीछे घूम बोली... हाए !!! भाई क्या है...जाओ ना....खाना थोड़ी देर में बन ....हा हा जाता हूँ....मैं तो ऐसे ही....ऐसे ही क्या भाई....तो मेरी बगल में आ कर खड़ा हो गया....और हल्के से मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....मैं एक हाथ से बर्तन पकडे दूसरे हाथ से कलछी चला रहा थी..

मैं कुछ नही बोली....वो हल्के हाथ से कमर सहलाने लगा.....मैं इतराती हुई उसका हाथ हटाती बोली....उउउ क्या है....खाना बनाने दो....कितनी गर्मी है....इसलिए तो बोल रही हू....जाओ नहा लो.... क्या मदद करनी है....कोई मदद नही करनी....जाओ....पर गया नही....उसने फिर मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....उईईइ....क्या है ठीक से खड़े नही रह सकते....ठीक से ही तो खड़ा हू....उः हू....गुदगुदी होती है.....छोड़ो ना....काम करने दो....मैने कहा पकड़ा है....मैं उसका हाथ कमर से झटकती बोली....ये क्या है....ओह ख्याल ही नही रहा....अरे वा....कमाल है....ख्याल ही नही रहा....उल्टी सीधी जगह घूमने जाओगे तो ऐसा ही होगा और ऐसी ही हरकते करोगे......भाई शर्मा कर हँसने लगा....बात बदलते बोला...कितनी गर्मी है....किचन में.....हा कमर में हाथ डाल... गर्मी भगा रहे थे....ओह....चल छोड़....वो बनियान पहने था....उसके सीने पर पानी की बूँद चमक रही थी....

मैने अपना हाथ से उसकी छाती को टच करते हुए कहा.......देखो कितना पसीना आ रहा है....जाओ ना नहा लो.....अरे ये तो पानी है....पसीना तो तुझे आ रहा....देख....उसने मेरे गर्दन पर आए पसीने को दिखाया....पसीना मेरे गर्दन से लुढ़क कर मेरी झीनी फ्रॉक के अंदर घुसता जा रहा था.....बिना ब्रा की फ्रॉक.......मेरी चूंची की गोलाइयों और गुलाबी निपल्स को पुरकशिश तरीके से नुमाया कर रही थी....मेरे निपल खड़े हो कर फ्रॉक को नोकदार बना रहे थे.....भाई मेरे इतने पास खड़ा था की लग रहा था अब अपनी छाती मेरे सीने से सटा देगा....होंठों पर शरारती मुस्कान ला कहा.....आपके बदन से पसीने की बदबू आ रही है....भाई झेप गया.....हट... कहा बू आ रही है.....आ रही है...सूंघ कर देखो....भाई ने अपनी कांख पास नाक ला कर सूँघा....उतनी तो नही आ रही......मुझे लग रहा है तेरे बदन से बू आ रही....हट बेशरम...

मैं हल्के से कलछी से मरते हुए कहा......मुझ से बू नही आती....आप अम्मी की दांत खाते थे....अच्छा देख मैं सूंघ कर बताता हू....कहते हुए वो मेरे गर्दन के पास आ कर सूंघने लगे.....मैने भी अपना हाथ उठा दिया....लो सूँघो....मेरी कांख पानी से पहले से ही गीली थी...वो मेरी पानी से भीगी कांख से नाक सटा ....गहरी साँस अंदर लेते हुए खूब ज़ोर से सूंघ....वा....क्या बात है रबिया तेरे बदन से तो खुश बु.....इतर लगाया होगा .....मैं क्यों कर पर्फ्यूम लगाने लगी....तो क्या तेरा बदन ऐसे ही खुशबुदार है.....मैं शोक अदा होंठ बिचकाती बोली....और क्या....भाई हँसते हुए बोला.....एक दफ़ा और सूँघू तेरा महकता बदन.....मैने कलछी से उसको मारा...हट....बेशरम ....वो हँसने लगा.....पर एक बात बोलू....क्या....होत गुलाबी कर मुस्कुराते हुए कहा....एक दम गुड़िया लग रही है....धत !....परी लग रही है..

समंदर के किनारे घूमने के बाद से उसकी हिम्मत बहुत बढ़ गई थी....क्या भाई आप.....अर्रे नही सच कह रहा हू......स्कूल जब जाती थी....वैसी बच्ची दिख रही है इस फ्रॉक में.....बस एक फ़र्क आ गया है....मेरी चूंचीयों को घूरते बोला.....क्या फ़र्क भाई....चूंची उभार मैने पुछा ....रहने दे...बताओ ना भाई....क्या मैं पहले जैसी नही.....अर्रे नही नही....तू तो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गई....तो फिर क्या फ़र्क़....भाई मेरी कान के पास मुँह ला कर सरगोशी करते बोला.....बस तेरा सीने कुछ बड़ा....धत !...कहते हुए मैने उसको धकेला....गंदे...बेशरम ..आप कल रात से....कुच्छा ज्यादा ही....बहक गये है....भाई हँसने लगा.....सच रबिया तू इतनी खूबसूरत है....मैने शरमाने का नाटक किया....जाइए भाई आप भी ना ....

गाल गुलाबी करते होंठों पर मुस्कान लाते मैने कहा.....भाई ने मुझे शरमाते देखा तो उसकी हिम्मत बढ़ी....धीरे से आगे बढ़....मेरे गालो को चूम लिया...उईईइ...अम्मी.....मैं थोड़ा पीछे हटी.....भाई घुसताख़ी से मुस्कुराता रहा.......मैने मुँह फुलाते हुए कहा.....आप बहुत बेशरम हो गये है....जाइए मैं बात नही करती....फिर अपने गालो को पोच्छने का नाटक किया....भाई थोड़ा सरक फिर से मेरी कमर में हाथ डाल....ओह हो...मेरी गुड़िया रानी नाराज़ हो गई....कहते मेरी कमर को हल्के से दबाया... हाए !!!...समंदर किनारे भियाप ने मेरा सी...ना.....भाई कान के पास होंठ को ला सरगोशी करते बोला....अच्छा नही लगा क्या.... गर्दन नीचे कर हल्के से मुस्कुरा दिया....सरगोशी करते बोली....पर मैं आपकी बहन .....फिर भी अच्छा नही लगा क्या.....बता ना....कहते हुए उसने मेरी कमर को दबाया...

मैने एक पल उसको देखा फिर गर्दन नीचे झुका लिया.....भाई कुछ लम्हे तक वैसे ही मेरी कमर सहलाता रहा फिर बोला .....चेंज कर लेता हू......फिर रुक गया और बोला.....एक बात बोलू....अब क्या है....कान के पास मूह ला कर बोला....एक किस दे ना.....मैं झूठा गुस्सा दिखाते हुए उसको कलछी से फिर मारा....भागते हो.....बेशरम.....भाई हँसने लगा...मैं भी उसके साथ हँसने लगी और उसको धकेलने लगी....वो हँसते हुए किचन से निकल....जल्दी से गुसलखाने में घुस गया......मेरे ताजे उतरे गये पैंटी और ब्रा उसका इंतेज़ार कर रहे थे.....मैने भी मटन पकने के लिए छोड़ दिया....और ड्रॉयिंग रूम में आ कर टीवी खोल....बाथरूम के पास चली गई....दरार पर आँख लगाया तो देखा वो तो इतनी देर में पूरा नंगा हो.....नीचे बैठा मेरी ब्रा को अपनी आँखो पर लपेटे हुए....मेरी पैंटी को चूस रहा था.....दूसरे हाथ से अपने लंड को सहला रहा था...

उफफफ्फ़ .....किसी गदहे के लंड की तरह दिख रहा था.....मैने पहले कभी गदहे का लंड नही देख था....मगर हर कहानी में पढ़ती थी की उसका लंड सबसे बड़ा होता है.....इंटरनेट पर सर्च किया तो पता चला.....मेरी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था.....धीरे से फ्रॉक को उठा....पैंटी की साइड से उंगली अपनी चूत से सता...अपनी कुस्स के पीसते को मसलना शुरू कर दिया....दाँत पीसते अपने अनार दाने को मसलते....चूत के होंठों को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी.....दिल कर रहा था काश भाई मेरी पैंटी की जगह.....मेरे पीसते को अपने दांतो से पीस कर चबा कर खाता.....अपने गदहे जैसे लंड की मूठ मारते हुए भाई किसी गदहे की तरह से रएंक रहा था....लंड मसलते हुए वो बहुत जोश में आ चुका था.....और अपने हाथो को तेज़ी से चला रहा था......
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Post by jay »


तभी ना जाने उसे क्या सूझा पैंटी को मुँह से हटा नीचे ले गया....अपने डंडे की तरह खड़े लंड पर लपेट दिया....फिर ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा.....इतनी देर तक भाई के साथ खेलने के वजह से....बहुत ज़यादा जोश में आ चुकी थी.....तभी उसने दो-तीन ज़ोर के झटके लगाए....और रेंकता हुआ बोला....ऑश रबिया....तेरी चूत ... हाए !!!...मेरी गुलबदन....तेरी चूत ....में....उफफफफफ्फ़....ले अपने भाई का... लंड ... के साथ मेरी पैंटी पर ही अपना सफेद पानी छोड़ दिया.....भाई मेरी नाम की मूठ लगा कर पानी छोड़ रहा था....ये सब देख मैने भी अपनी टीट को कस कर दबाया....और जाँघो को भीचते हुए झड़ने लगी.....मेरे पैर कापने लगे....वहा पर खड़ा रहना मेरे लिए मुस्किल था....चुप-चाप जल्दी से...किचन में जा....गॅस बंद कर दीवान पर औंधी लेट गई.....अपनी बहकति सांसो को काबू में करने के लिए तकिये में अपना सिर छुपा लिया.....भाई शायद अब नहाने लगा था....थोड़ी देर बाद वो बाहर निकला....

मैं वैसे ही दीवान पर औंधे मुँह लेटी रही....मेरे पास आ हल्के से आवाज़ देता हुआ बोला....रबिया क्या हुआ....ऐसे क्यों लेटी है...कुछ नही भाई कहती हुई मैं उठ गई....खाना निकालु....हा निकाल...उसने शॉर्ट्स आंड टी - शर्ट पहन रखी थी.....मुझसे आँख नही मिला रहा था.....शायद मेरे नाम की मूठ मारने की जुर्म का एहसास उसे ऐसा नही करने दे रही थी....पर मैं जानती थी थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगा....अभी तुरंत झड़ कर आया था....इसलिए लंड ताव में नही था....सेक्स का जुनून थोड़ी देर के लिए उतार गया था....तो मैं छोटी बहन नज़र आ रही थी....जिसके बारे में सोचना गुनाह था....फिर से जब लंड खड़ा होगा तो....नाम ले कर मूठ लगाएगा......और फ्रॉक के अंदर झाँक कर पैंटी देखने की कोशिश करेगा....

हुआ भी वही.....खाना खाने के बाद गाँड मटकाती मैं इधर उधर घूमती रही....भाई कभी मुझे देखता कभी टीवी फिर मैं सोफे पर बैठ टीवी देखने लगी.....भाई सोफे से पीठ टीका...नीचे कालीन पर बैठा था......उपर बैठो ना....नही ऐसे ही ठीक है....और पैर पसार कर बैठ गया.... फ्रॉक मेरे घुटनो के उपर तक ही था....मेरी रान आधी से ज़्यादा नंगी...मैने हल्के से अपनी टाँगो को चौड़ा किया.....कनखियों से देख तो भाई नीचे बैठा मेरी टाँगो को देख रहा था....धीरे से खिसक कर पास आया....और हल्के से अपना हाथ मेरे पंजे पर रख दिया....धिरे धिरे दबाने लगा.....उः उउउ....क्या कर रहे हो भाई....मैं धीरे से बोली...... थक गई होगी.....तेरे पैर दबा देता हू... हाए !!!....नही छोड़ो ....पर भाई ने मेरी पिंदलियों को पकड़ हल्का हल्का दबाना शुरू कर दिया...

अच्छा लग रहा था.... हाए !!! भाई क्या आप भी....आओ उपर बैठो ना.....अच्छा नही लग रहा.....लग रहा है....पर.....पर क्या...कहते हुए मेरी पिंडली को दबाते घुटने तक पहुच गया......मेरी रानों को देखते....फिर नीचे की तरफ बढ़ने लगा.....शबनम सही कह रही थी....लड़के गुदाज़ रानों के दीवाने होते है.....मैने रानों के बीच का गॅप बढ़ा दिया.....छोटी सी फ्रॉक....थोड़ा और उपर चढ़ गई....गोरी गुन्दाज़ जांघें थोड़ी और नंगी हो गई.....भाई ने नज़र उठा मेरी तरफ देखा....मैं टीवी पर नज़र गड़ाए रही.....उसने मेरी दोनो रानों के बीच हल्का सा झाँका......फिर अपने दोनो हाथो में पैर के पंजे को उठा....धीरे धीरे मसलते हुए दबाने लगा...पैर की नाज़ुक उंगलियों को एक एक कर चटखते हुए धीरे धीरे मेरे पैर के पंजे को मसल रहा था.....साथ-साथ मेरी टाँगो के दरम्यान बने गॅप से अपने मतलब की चीज़ देखने की कोशिश कर रहा था...

पंजे को दबाते हुए मेरी टाँगो के बीच के गॅप को भी बढ़ने की कोशिश कर रहा था....उसको शायद मेरी चड्डी अभी नज़र नही आ रही होगी.....पूरे पंजे और तलवे की मालिश कर रहा था....फिर उसने मेरे बाएँ पंजे को अपनी गोद में रख लिया और दांयें पैर के पंजे को दबाने और सहलाने लगा.....उसकी गोद में रखा पंजा उसकी जाँघो पर था...उसकी शॉर्ट्स उसकी रानों के बीच उभरी हुई है.....मेरे खच्चर भाई का गधो वाला लंड खड़ा हो चुका था....दिल मेी आया की अपने पंजो को आगे बढ़ा उस पर रख दूँ.....पैर के पंजो को हल्के हल्के उसकी जाँघो पर घुमाते हुए उस तरफ बढ़ा रही थी......बदन सिहरन से भर उठा.....रानों को भीच..... अंगड़ाई ले कर.....अपने पैरों को थोड़ा सा हिलाया की लंड पर पंजा रख दूँ.....भाई को लगा मैं सोना चाहती हू....नींद आ रही है....नही भाई.....

वो पंजे को मसलते हुए बोला.....ये ग्रीन वाली नाइल पोलिश अच्छी नही लगती... हाए !!! यही फैशन है आजकल....मुझे तो अच्छी लगती है.....मुझे वो गुलाबी चमकीली नाइल पोलिश जो तू लगती है ना...अच्छी लगती है... हाए !!! वो क्यों भाई....तेरे पैर इतने गुलाबी है ना......धत !.....सच तेरे गोरे गुलाबी पैरों पर.....आप भी ना भाई....इतने गौर से अपनी बहन को मत देखा करो.....क्यों ना देखु अपनी प्यारी गुड़िया रानी को....कोई गुनाह थोरे ही कर रहा हू....फिर अब तो मेरी गुड़िया मेरी गर्लफ्रेंड भी है.....मैने मुस्कुराते हुए भाई को प्यार से सिर पर मारा....धत ! भाई...आप लगता है सच में गर्लफ्रेंड बना कर मनोगे.....अच्छा ठीक है कल लगा लूँगी....नही रुक....क्या हुआ....रुक मैं आता हू....कहता हुआ उठ गया और मेरे कमरे में घुस गया....बाहर निकला तो उसके हाथ में मेरी गुलाबी नाइल पोलिश की बॉटल थी...

हिए क्या....अभी क्यों ले आए....अभी इतनी रात में कौन लगाएगा.....वो तब तक नीचे बैठ गया.....तू बस आराम से बैठ....ओह नही...भाई प्लीज़....नही तुम मत....वो पंजे को पकड़ प्यार से सहलाता बोला....लगाने दे ना....देख ना मैं बहुत अच्छे से....पर ग्रीन वाली को पहले हटाना पड़ेगा ना....इसी के उपर लगा देता हू....मुझे देखना है....बस.....प्लीज़.....कहते हुए उसने मेरे दोनो पंजो को उठा अपनी गोद में रख लिया.... हाए !!!....ठीक अपनी शॉर्ट्स के तंबू पर.....मेरा पंजे के नीचे भाई का फरफ़रता लंड....उ....एक पंजे को अपने हाथ में ले लिया....बारे प्यार से ....बाएँ पैर की उंगलियों को रंगने लगा.... हाए !!! कितने नाज़ुक पैर है तेरे.....देख कैसा खूबसूरत लग रहा है.....गुलाबी रंग.....कितना मुफ़ीद लग.... हाए !!! आप भी ना भाई....ठीक है लगाओ......कहते हुए मैने हल्के से अपने दाहिने पंजे को हिलाया......भाई का लंड मज़े का खड़ा हो चुका था.....कपडे के उपर से उसकी गर्मी का अहसास मेरे पंजो पर हो रहा था......मैं देखना चाहती थी भाई क्या करता है.....मैने हल्के से पंजा घुमा कर उसकी रान पर रख दिया.....भाई थोड़ा और खिसक गया.....अरे ठीक से बैठ ना...

ज़्यादा पैर इधर उधर मत कर....कहते हुए मेरे पंजे को उठा फिर से अपने लंड पर रख दिया.....उसका लंड पूरा खड़ा हो मेरे पंजो पर ठोकर मार रहा था.....मैने हल्का सा पंजा दबाया....उ...मज़ा आ गया.....भले ही कपड़ों के उपर से मगर.....लंड की गर्मी और सख्ती का अहसास हो गया.... हाए !!! कितना गर्म लग रहा था....मैने पंजे को लंड पर रख हल्का सा दबाया.....लंड सीधा खड़ा था.....ठीक से दब नही पाया.....भाई ने मेरी तरफ देखा....मैं TV देखने का नाटक करती रही.....उसने हल्के से मेरे पंजे को उठाया....फिर वापस रख दिया.....शायद उसने अपने खड़े लंड को शॉर्ट्स में अड्जस्ट किया था.....अब मेरा पंजा उसके पूरे लंड की लंबाई पर पड़ा हुआ था.... हाए !!! मेरे पंजे से थोड़ा ज़्यादा लंबा लग रहा था......शर्म लिहाज छोड़ पंजे को हल्के हल्के पूरे लंड की लंबाई पर फिरते हुए सहलाने लगी....बीच बीच में दबा देती....थोड़ी देर बाद भाई ने पैर बदल दिया...

वो बीच बीच में मेरे पैरो की खूबसूरती की बारे में बोलता भी जाता.....दोनो पैरों पर नाइल पोलिश लगाने के बाद बोला....देख कितना हसीन लग रहा है.....अभी भी मेरे पंजे उसकी गोद में थे.....मैं मुस्कुराते हुए देखने लगी... हाए !!! आख़िर आपने अपने दिल की कर ली....अब छोड़िए ....सूखने दीजिए....अरी अभी सुख जाएगा....मेरे दोनो पंजो को अपने दोनो हाथो में उठा....पैर की उंगलियों पर फूक मारने लगा.....मेरे पैर उपर उठ जाने के वजह से फ्रॉक उपर सरक गई......मेरी रानें सोफे से उठ गई....मेरी पूरी नंगी रानें मेरी चड्डी तक आराम से दिख रही थी....वो फूक मारते हुए देख रहा था.....मैने कहा ही छोड़ो ना भाई...ऐसे सुख जाएगी.....कहते हुए अपनी फ्रॉक से रानों को ढकने का नाटक किया.....हम दोनो की नज़र आपस में मिली.....वो मुस्कुरा दिया.....और मेरे पैर को अपने गोद में वापस रख दिया .....मैने पैर हटाने की कोशिश की.....पर भाई ने वापस खींच कर रख लिया गोद में.....पैर तो छोड़ो ....रहने दे ना....इतने खूबसूरत नाज़ुक पैर कालीन पर रखने लायक नही..

मैने गाल गुलाबी करते हुए कहा....ऐसे फिल्मी डाइलॉग अपनी बीबी को सुना ना.....पता नही बीबी के पैर इतने खूबसूरत हो या ना.....खूब पता है भाईजान.....आजकल के लड़के बीबी के तलवे चाटते है निकाह के बाद....चाहे बीबी कैसी भी हो... कहते हुए मैने अपने पंजे से उसके पेट के निचले हिस्से को हल्का सा दबाया.....भाई मेरा एक पंजा सहला रहा था....उसने उसको उठा सहलाता थोड़ा उपर उठा अपने सिर को नीचे झुका...चूम लिया... हाए !!! क्या कर रहे हो....वो हँसते हुए बोला....तलवे चाटने की प्रॅक्टीस कर रहा हू.....धत !....छोड़ो .....ये क्या....अफ भाई.....मेरे पंजो पर अपनी उंगली चला गुदगुदी करने लगा....मैं हस्ती हुई बोली.. हाए !!! बेशरम....उफ़ !!!....भाई छोड़ो .....अपनी बीबी के चाटना.....मेरी छोड़ो .....मैने पैर झटकते हुए छुड़ाने की कोशिश की...उफ़फ्फ़....कितने नाज़ुक....क्मसिन....पैर है तेरे....सच दिल कर रहा है चाट का खा जाऊं ....कहते हुए पैर की उंगलियों पर चूम्मिया लेने लगा..

ही गंदे....उफ़ !!!....बहाया....बेहन के पैर....उफ़ !!!....भाई छोड़ो ....शर्म करो....मैं तुम्हारी बीबी नही बहन .....पर भाई ने मेरे पैर के अंगूठे को अपने होंठों के बीच दबा लिया.....मैं पैर झटक रही थी....दूसरे पैर का पंजा जो अभी भी उसकी गोद में था उस पर ज़ोर देकर अपने पैर को खीचने का नाटक कर रही थी.....पंजो से लंड को मसलते....मैं सोफे से खिसक चुकी थी.....बस मेरी चूत और थोड़ी सी....सोफे से टिकी थी....उफ़फ्फ़....भाई ने अंगूठे को मुँह में ले लिया.....चूस रहा था जैसे....लॉलिपोप चूस रहा है.... हाए !!! उफफफ्फ़....भाई प्लीज़....आप....सही में बहुत....आप धीरे धीरे आगे बढ़ते जा....उफ़फ्फ़....सारे गंदे काम....उफ़ !!!...होंठ...मम्मे सब....भाई अब अपनी जीभ निकाल धीरे धीरे मेरे पैर को चाटने लगा.... अफ भाई छोड़ दो.....मेरा एक पैर हवा में था....एक पैर उसकी गोद में.....फ्रॉक तो कब की सिमट कर पूरी रान नंगा कर चुकी थी....छोटी सी छापे वाली पैंटी में कसी मेरी जवानी उसके सामने थी.....पर भाई मेरे तलवे चाट रहा था...

उसने अभी इस तरफ गौर नही किया था.....भोसड़ी का तलवे चाटता रहेगा क्या....फिर बोली.... हाए !!!....भाई देखो फ्रॉक ठीक कर लेने दो....प्लीज़.....नज़र उठा कर देखा.....देखता रह गया....छोटी सी पैंटी में कसी मेरी जवानी.....मैने रान और फैला दिया......उफ़ !!!... हाए !!! भाई मैं नंगी हो गई...फ्रॉक तो ठीक.....रान चौड़ी कर चड्डी में कसी चूत दिखाती बोली......भाई सिसक उठा.....गोरी रान....फूली बुर.. ...मेरी जवानी उसको दीवाना कर गई.....बोला अफ कितनी हसीन है तू.... कहते हुए मेरी पिंदलियों को चूमा...अफ भाई....मैने जल्दी से फ्रॉक को नीचे करने का नाटक किया और सोफे से उतर.....कालीन पर दोनो पैरो मोड़ फ्रॉक को पैरो के नीचे दबा.....अपने आप को पूरा धक बैठ गई.....भाई हँसने लगा...मैं भी हंस रही थी.... गाल चूम बोला.....अल्लाह कसम रबिया....सच में तू खोए की बनी है.....धत !...बदमाश आप...


ही सच में धत !...बदमाश आप.. हाए !!! सच में तू दूध मलाई की बनी है.....खोए की गुड़िया .....क्यों छुपा रही है.....इतनी मेहनत से गुलाबी नाइल पोलिश लगाया है.... हाए !!! नही तुम बारे बदमाश हो.... हाए !!! छी....गंदे....पूरी नंगी हो गई थी मैं... हाए !!! कहा नंगी हुई थी... हाए !!! फ्रॉक उपर.....बस खाली फ्रॉक ही तो......कहते हुए मेरी कमर को दोनो हाथो से पकड़ लिया....हम दोनो कालीन पर बैठे थे......और बोला....भाई के सामने ही तो हुई.... हाए !!! धत ! बेहन क्या ऐसा करती है.... हाए !!! क्या ......भईओ को फ्रॉक उठा कर दिखा.....भाई मेरी तरफ झुकता हुआ कान के पास मुँह ला बोला.....सुल्ताना तो अपने भाई को दिखाती थी.....हट....बेशरम....पता नही कहा से सुल्ताना का किस्सा ले आए.....मैने पीछे धकेला....भाई फिर आगे सरक मेरी कमर में हाथ डाल बोला.....


तेरी सहेली फ़रज़ाना...मुझे तो लगता है वो ज़रूर दिखाती होगी......भाई के सीने पर मुक्का मार पीछे धकेलती बोली....गंदे...बकवास ना करो मेरी सहेलियाँ बहुत अच्छी है...अच्छा तभी भाई के साथ डिस्को घूम रही थी....कमर में हाथ डलवाए.....धत !..तो क्या हुआ हम भी तो गये थे.....फ़रज़ाना के नाम का फायदा उठा ले गये थे आप.....भाई थोड़ा आगे खिसक कमर को और ज़ोर से पकड़ बोला....तो कोई गुनाह तो किया नही.......मुँह बिचकाती मैं बोली....गुनाह एक दो किए हो तो बताऊँ ....मेरा सीना...दबा....छी मुझे तो बोलने में भी शरम आअती है.....उफ़फ्फ़.....आप बहुत बहक गये हो भाई.....और ये बार बार उसका नाम ले कर आगे बढ़ने की कोशिश ना करो.....अम्मी से बोलना पड़ेगा .....ये बीच में अम्मी कहा से आ गई....बोलना तो पड़ेगा ही तुम बहुत....अरी यार मैं तुम्हे अपना दोस्त समझ के कुछ बोलता हू....हा यही गंदी-गंदी बाते.....

अरे यार ये तो मामूली बाते है जो सभी जवान लड़का लड़की आपस में करते है.....अच्छा मामूली बाते है....अम्मी से पुच्हूँगी....भाई चुप रहा....मैं फिर हस्ती हुई बोली.....अम्मी से बोलूँगी की भाईजान का निकाह करवा दो......निकाह हो जाएगा फिर अपनी बीबी की...छू....चुम्मिया लेना....और सीना दबा.....ना......कहते हुए मैने फिर से उसकी छाती पर एक मुक्का मारा.....भाई इस पर हँसने लगा फिर चुप हो गया और मेरे से सट मेरी कमर को पकडे हुए मेरी गर्दन को हल्के से किस कर लिया....उउउ...क्या करते हो......भाई धीरे से बोला......मेरा निकाह हो या ना हो......मेरे से पहले तेरा ज़रूर हो जाएगा... हाए !!! धत !....और क्या अम्मी तो तेरे लिए लड़का ढूँढ रही है.....फिर तेरा मियाँ चुम्मियाँ.... हाए !!! धत !....मार दूँगी.....भाई सरकता हुआ मुझ से चिपकता जा रहा था.....


ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझे अपनी और खीच भी रहा था....उसके घुटने मेरी चूतड़ों से सट रहे थे....मैं अपने चेहरे को भाई की तरफ घूमते बोली....अम्मी से बोल दूँगी पहले भाई के लिए लड़की ढूँढ ले.....भाई ज़्यादा बेकरार है....अपनी बीबी के तलवे चा..टने कू....फिलहाल तो अपने खोए वाले तलवे चाटने दे.....कहते हुए भाई ने फिर से अपनी तरफ खींचा.....मैं भी खीचती चली गई....पर बोली हाए !!! छोड़ो ....मेरे चूत और उसकी जाँघो पर आ चुके थे....बीबी आ जाएगी तो करना.....सारे गंदे काम....भाई मासूम सा चेहरा बनाते मेरी कमर को सहलाते बोला....गंदे काम वो क्या.....हम दोनो के चेहरे एकदम पास पास थे....मैं उसकी जाँघ पर बैठी बोली.....ज्यादा बनो मत...मुझे सब पता है.... हाए !!! क्या पता है.....वही जो तुम हरकते करते हो.. हाए !!! क्या हरकत करता हू.....मेरा सी...ना दबा.....मैं थोड़ा झेपने का नाटक करती बोली.....



अच्छा नही लगा क्या.....धत !....बेशरम....बहन के साथ ऐसा करते है.... हाए !!! पर तू तो मेरी गर्लफ्रेंड......बाते ना बनाओ....वो मैं खाली डिस्को जाने के लिए.....देखा नही समंदर किनारे.....वो सब बाय्फ्रेंड-गर्लफ्रेंड थे.....तू भी तो मेरी गर्लफ्रेंड है....छी वो सब बेशरम है.....निकाह के पहले ये सब गुनाह.....भाई मुझे बातो में बहलाता हुआ गोद में कसता जा रहा था....अपनी जाँघो से खींच मुझे अपनी गोद में सरकता जा रहा था.....मैं अंजान बनी अपनी रौ में बोलती जा रही थी.....ये सब काम लोग बिबीयों के साथ....भाई ने बात पकड़ ली....बड़ी समझदार हो गई है....तभी अम्मी को तेरे निकाह की जल्दी है....धत !.....भाई ने थोड़ा और खींचा.....मैं अब उसकी गोद में आ चुकी थी....मैं थोड़ा मचली पर उसने कमर पकड़ कर दबा दिया.....और पुछा .....वैसे तेरी सहेली जिसके निकाह में हम गये थे.....हा शबनम.....उस से बात नही होती.....



होती है....अभी बाहर गई थी... हाए !!! कहा हनिमून पर......मैं शरमाती गाल लाल करती धीरे से बोली....हा.....अरे वा तब तो उसने अपने मियाँ के साथ खूब मौज.....धत !....आप भी ना भाई.....वापस आ गई.....नही फोन पर बात हुई थी... हाए !!! क्या क्या बताया उसने.....गोद में दबोचते, कमर के हाथ को राईट चूची के नीचे लगा सहलाता पुछा .....धत !....प्लीज़ बता ना.....सीधा अपने खड़े लंड पर बिठा लिया था साले ने.....मुझे बातो में उलझा......पेट पर हाथ फेरते हुए....चूची को नीचे से सहलाते...गर्दन पर अपनी गर्म गर्म साँसे फांकें रहा था.....धत !... हाए !!! बता ना.....
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Post by jay »

राबिया का बेहेनचोद भाई--13

. हाए !!! क्या बताऊँ .... हाए !!! कैसे अपने ख़ालजाद भाई के साथ मौज मस्ती कर रही......धत !.....वो अब उसका शौहर है.....ठीक है वही सही....ज़रा मुझे भी.....मैं शोख अदा के साथ गोद में मचलती बोली....धत ! बदमाश.....कुछ नही बताया.....कुछ ना कुछ तो बताया होगा.....तभी तू शर्मा रही....उफफो.....भाई क्या है...साची एकदम बेशरम हो गये हो.....निकाह के बाद वो कुछ भी करे हमे क्या.....हा वो तो है.....खूब तलवे चटवा रही होगी......धत !... हाए !!! सीने भी दबा रहा होगा खूब.......इसस्सस्स बेशरम.....खूब चुम्मिया लेता होगा....दिन-रात...उफफो भाई आप बहुत बेशरम हो....मैं मछली....भाई गाँड में लंड चुभाता ठंडी साँस लेता बोला... हाए !!! क्या मज़े कर रही होगी......निकाह के बाद सभी करते है......तेरा भी निकाह हो....फिर तू भी....धत !...कहते मैने उसकी जाँघ पर मुक्का मारा.....भाई की गोद में बैठे मैं टीवी देख रही थी.....भाई कान में सरोगीशयन करते गरम बाते करता जा रहा था.....चूत सनसनने लगी थी.....निपल खड़े हो चुके थे.....भाई पेट को सहलाता...बहाने से चूची छू रहा था.....दूसरा हाथ मेरी रान पर फिरा रहा था.....मैं अंजान बनी नखड़ा करते हुए मज़ा लूट रही थी......
तभी भड़ाक भड़ाक की आवाज़े आनी शुरू हो गई....जैसे ज़ोर ज़ोर से कोई दरवाजा पीट रहा हो.....शोर-शराबे की भी आवाज़े आने लगी....मैं जल्दी से उठ कर खड़ी हो गई....मेरा कलेजा दहल उठा.... ये क्या भाई जल्दी से उठा....मैं देखता हू कहता बाहर की तरफ गया.....मैं भी उसके पीछे गई.....हमारे वाले फ्लोर पर चार फ्लॅट थे....सब अपने-अपने फ्लॅट से दरवाजा खोल बाहर निकले थे....दो पोलीस वाले भी खड़े थे.....मैने थोड़ा सा झाँक कर देखा......पता नही क्या चक्कर था....चारो फ्लॅट के दरवाजे खुले थे लोग बाहर खड़े थे.....पोलीस वाले हमारे बगल वाले फ्लॅट के दरवाजे को ज़ोर ज़ोर से पीट रहे थे......


दरवाजा खुला तो एक पोलीस वाला अंदर घुस गया......दूसरा पोलीस वाला बाहर ही खड़ा रहा रहा.....तभी उसकी नज़र दरवाजे से झँकते मेरे चेहरे पर पड़ी .....कुछ लम्हो तक वो मुझे देखता रहा....तभी बगल वाले फ्लॅट से दो लड़के और एक लड़की को बाहर निकालते हुए पोलिसवला आया......वो लड़कों और लड़की दोनो को भद्दी भद्दी गलियाँ दे रहा था......भाई को शायद पता था की मैं दरवाजे से झाँक रही हू इसलिए उसने पीछे मु ड़ कर.....जल्दी से दरवाजे को खींच दिया.....मैं दरवाजे से सट कर खड़ी हो गई.....बाहर की बाते सुन ने लगी.....तभी एक करकड़ार आवाज़ आई.....हरामखोरों.....शकल से शरीफ खानदान के लगते हो.....और घस्ती लाते हो.....जवानी की गर्मी चढ़ि है......रात भर हवालात में सड़ाउंगा तो.....लड़कों की आवज़ आई जो गिड़गिड़ाते हुए छोड़ देने के लिए कह रहे थे.....पोलीस वाले उनको और ज़यादा गालियाँ दे रहे थे.... तभी दूसरे पोलिसेवाले की आवाज़ आई.....जनाब ये बहुत हरामी छ्होकरे है....दोनो एक साथ लड़की पर चढ़े थे.....

रब्बा दो दो लड़के एक लड़की पर मैं सिहर उठी.....तभी पोलीस वाला बोला......सालो की गाँड में मिर्च लगा कर रात भर इनकी दुकान को बाजाऊँगा तो.....फिर आवाज़ आई......हा भाई तू कौन है.....वो जो लड़की तेरे फ्लॅट में है वो कौन थी......लगता था पोलीस वाला मेरे भाई से पूछ ताछ करने लगा था.....भाई की आवाज़ आई वो बताने लगा कौन है.....मगर पोलीस वाला सवाल पर सवाल दागे जा रहा था......तभी बगल की फ्लॅट में रहने वाले ज़फ़र साहिब जो अपने फ्लॅट से निकल कर खड़े थे बोले......कमाल करते है मियाँ......एक शरीफ लड़के से इस तरह सवाल जवाब करते है क्या......बेचारा सब कुछ तो बता रहा है आपको......मैं जनता हू इनको....अपनी बेहन के साथ रह कर यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करते है बच्चे......इनके वालीदईन को भी जानता हू....पर आप तो मासूम के पीछे पर गये है......पोलीस वाले के आवाज़ आई.....अच्छा तो वो लड़की जो अंदर से झाँक रही थी इसकी बेहन थी......और क्या मियाँ.....मैं कहे देता हू बात उपर तक जाएगी.... हाए !!! रब्बा मैं शर्म से सिहर गई....कमीना पोलीस वाला मुझे घस्ती समझ रहा था......हरमज़ड़े की बेटी रंडी होगी.....कुत्ता सला....घर में बेहन बेटियां नही हरामी की.....सब को एक नज़र से देखता है......तभी ज़फ़र साहिब की आवाज़ आई.....ऐसे शरीफों को तंग करना छोड़ दे.....बेटे तू अंदर जा.....भाई चुप चाप अंदर आ गया.....मुझे दरवाजे के पास खड़ा देख बोला....क्या सुन रही है जा....बहुत रात हो चुकी है....सोने जा.....और दरवाजा बंद कर.....खुद वहा पर खड़ा हो गया.....मेरा मूड ख़राब हो चुका था.....बात आगे बढ़ते बढ़ते रह गई थी.....अपने कमरे में घुस कर सोने चली गई.....


सुबह उठ कर हम दोनो जल्दी जल्दी तैयार होकर यूनिवर्सिटी चले गये.....कॉलेज में ही फोन आया की शबनम वापस आ चुकी है.....शाम में उसने दोनो भाई-बेहन को खाने पर बुलाया था....कॉलेज से ही हम सीधा शबनम के घर चले गये.....वो बहुत खुश हुई....उसका शौहर भी उसके साथ था.....चाई पीने के बाद वो बोली चल कमरे में चलते है.....वही बात करेंगे.....भाई और खालिद को ड्रॉयिंग रूम में छोड़ कर हम कमरे में आ गये.....मैं भी बहुत बेसब्र थी उसकी हनिमून की कहानियाँ सुन ने को.....अंदर घुसते ही उसको बाहों में भर लिया....वो मुस्कुरा उठी....उईईई....क्या करती है.... हाए !!! जानी....बड़ी गदरा गई हो.....कहते हुए मैने उसकी चूतड़ पर एक चिकोटी काट ली.....उ....कमिनी तू कभी नही बदलेगी....कहते हुए वो बेड पर बैठ गई....मैं भी उसकी बगल में बैठ गई.....कुछ यहाँ वहा की बाते होती रही.....

फिर वो धीरे धीरे खुद ही खुलने लगी.....मुझे मौका मिल गया.....हनिमून की मजेदार रातो की कहानियों को सुन ने को मैं वैसे भी बेताब थी.....फिर उसने सारी बाते बताई....सुन-सुन कर ही मेरी चूत पानी छोड़ने लगी.....बदन अंगड़ाई लेने लगा.....दिल कर रहा था बाहर जा कर.....किसी का भी ले लू.....मैं बोली... हाए !!! साली तूने तो अपनी कहानी सुना सुना कर आग लगा दिया.....अब मेरा क्या होगा....कैसे रातें कटेगी.....कमिनी तुझे बता कर मैं खुद गरम हो गई हू....मेरा क्या होगा.... हाए !!! तेरी गर्मी को ठंडा करने के लिए तो खालिद भाई है ना.....अर्रे यहाँ कहा मौका मिलता है.....नौ बजे तो वो वापस अपने घर चले जाएँगे....एक ही शहर में मायका और ससुराल होने का ये बहुत बड़ा नुकसान है....जानती है जब तक नही लो तब तक तो ठीक है.....मगर एक बार किसी का ले लो ना तब तो....एक बार भी अगर ना मिले ना....तो नींद नही आती....मैं हैरान होती हुई बोली....चल झूठी....ऐसा होता है क्या....तू नही जानती.....इसकी लत लग जाती है....


अब देख ना वहा हनिमून पर दिन रात मिला कर कम से कम चार बार चुदती थी.....और छेड़ छाड़ तो दिन भर चलती रहती थी.....इनका तो ये हाल था की हाथ लगते ही....अपना खड़ा हथियार पकड़ा देते थे.... हाए !!! रब्बा....बहुत मौज किया....वहा कही घूमने फिरने नही गये क्या तुम दोनो.....घूमने फिरने.....इनका घूमना फिरना सब उसी होटेल के कमरे के अंदर ही था.....बाथरूम तक में पीछा नही छोड़ते थे.... हाए !!! गुसलखाने में भी.....हा रे मेरा तो गुसल करना भी हराम कर दिया था.....आँखे फाड़ कर घुस जाते थे.....और वो सब भी दिखाने को बोलते थे.... हाए !!! उफफफफफ्फ़..... बड़े रंगीले लगते है....मुझे भी नही पता था....मैं तो सोचती थी सीधे साधे है....मगर इतने बदमाश होंगे.... हाए !!! बदमाशी दिखाई तभी तो तुझे मज़ा आया.....कहते हुए मैने एक हाथ आगे बढ़ा उसकी चूंची दबा दी.....उ क्या करती है....

ही ऐसे क्यों उछलती है....अब तो आदत पर गई होगी....मसलवा कर.....चुप साली....पक्की रंडी निकलेगी तू....फिर इसी तरह की बाते होती रही.....आपस में थोड़ी बहुत छेड़ छाड़ होती रही....रात के नौ बजे हमने खाना खाया और वापिस लौट गये.....

घर पहुच कर मैं ड्रेस चेंज करने के लिए अपने बेडरूम में चली गई.....चूत में बहुत खुजली हो रही थी......दिल कर रहा था की.....जाकर भाई को बाहों में भर लू और बोलू... हाए !!! भाई साली रंडी शबनम ने अपनी चुदाई के किससे सुना कर बहुत गरम कर दिया है......वो हरामजादी जब अपने खलजाद भाई का लंड अपनी चूत में पेल्वा रही है और किसी को कोई ऐतराज़ नही.....फिर तुम क्यों पीछे हट रहे हो.....लूट लो ना मेरी जवानी को.....अब कितना खोल के दिखाऊं.....आ जाओ चूत खोल के बैठी हू.....ये सब सोचते सोचते मैं खुद ही शर्मा गई....शायद ऐसे तो मैं कभी भी भाई को नही बोल पाउंगी.....शर्मो हया की दीवार.....वो भी अपने सगे भाई के साथ.....समाज ने इतनी मजबूत बनाई हुई है....की कोई चाहे भी तो नही तोड़ पाएगा......हा लड़के थोड़े बेशर्म होते है....वो चाहे तो तोड़ सकते है....और अगर कल रात वो बात नही होती तो शायद भाई तोड़ देता मगर.......मेरी ही किस्मत फूटी है.....खैर मैं सोचने लगी क्या पहनु......फिर मैने ब्लॅक कलर का मिनी स्कर्ट और वाइट कलर वाली गोल गले का टी - शर्ट पहन लिया.....मिनी स्कर्ट के अंदर से रान दिखाने का प्लान था अगर भाई नीचे कालीन पर बैठेगा तो.......बाकी का काम तो उसी ने करना था......

भाई भी चेंज करके आ गया.....आज उसने पाजामा पहन रखा था....पतला सा सफेद कपड़ों का.....और शायद अंडरवेर भी नही था.....तभी कुछ हिलता सा नज़र आ रहा था.....खैर वो तो गोद में बैठने के बाद ही पता चलेगा.....वैसे भाई क्या सोच रहा था.....फिर से गोद में खींचेगा क्या मुझे.....भाई मेरी बगल में बैठ गया....क्या देख रही है....कुछ नही लो तुम देखो....भाई ने चॅनेल बदल कर....गाना लगा दिए....हम वही देखने लगे....फिर मैने पुछा .....कल क्या हुआ उसके बाद.....कब....मैं तो सोने चली गई....फिर क्या हुआ....वो दोनो लड़के जैल चले गये क्या......भाई हँसने लगा.....अरे कुछ नही हुआ.....ज़फ़र साहिब भी थोड़ी देर बाद अपने घर के अंदर चले गई....मैं फिर भी सुनता रहा.....वो दोनो पोलीस वालो ने उन लड़कों से 10,000 रुपये ऐंठ लिए......वो जो घस्ती थी....



भाई थोड़ा सर्माता हुआ बोला....वो भी उन पोलीस वालों से मिली हुई थी.....उसका काम ही यही है.....लड़कों को फसा कर.....फिर पोलीस वालो को चुपके से खबर कर देती.....बेचारे लड़के ......मैं मुँह बिचकाती बोली....बारे आए बेचारे लड़के .....लड़कों की तरफ़दारी तो ना ही करो....खुद ही फसने गये.....इतना ही शौक है तो....शादी कर ले......घस्तियों के साथ....बोलते बोलते मैं रुक गई.....भाई मुझे एक तक देखे जा रहा था....मैं शर्मा गई....भाई भी हँसने लगा....अरे मजबूरियाँ होती है.....फिर बेचारो का दिल कर गया.....जवान लड़के है.....मैने भाई को धक्का दिया....हा हा तुम तो ऐसा बोलॉगे ही.....कहते हुए मैं मुस्कुरई.....तो और क्या बोलू....अब उन बेचारो की कोई गर्लफ्रेंड नही होगी.....जिसके साथ कुछ .....तो बना ले ना गर्लफ्रेंड किस ने रोका है....फिर करे जो मर्ज़ी आए......भाई मेरी तरफ देखते हुए शरारत भरी मुस्कुराहट के साथ बोला.....मैं तो इतने दिनों से कोशिश कर रहा हू मगर.....क्या कोशिश कर रहे हो.....मैने आँखे नाचते पुछा ....

भाई ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोला....गर्लफ्रेंड बनाने और उसके के साथ कुछ करने का.....पर मुश्किल ये है की....गर्लफ्रेंड तो बन ने को तैयार है....मगर कुछ करने नही देती.....कहते हुए मेरे हथेली को हल्के से दबाया.....झटके से मैने अपने हाथ को खींचा और उसकी छाती पर मुक्का मारती बोली.....सब समझती हू मैं..... कहते हुए भाई की एक उंगली पकड़ उमेंठटी हुई बोली....ज़्यादा बकवास ना करो.....आजकल तुम भी उन्ही लड़कों के जैसे हो गये हो.....भाई को दर्द भी हो रहा था और वो मुस्कुरा भी रहा था...अरे छोड़ ना....दर्द कर रहा है.....नही छोडूंगी....बहुत बदमाश हो गये हो......मैने ऐसा क्या किया.....किया नही तो करोगे ज़रूर.....उंगली छोड़ते मैने कहा....भाई हँसने लगा....मैं क्यों इन चक्करो में पड़ने लगा.....कहते हुए उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया.....मैने कमर से हाथ हटते हुए कहा.....बेशरम.....जब देखो तो तब....बेहन को गर्लफ्रेंड बोलने में शर्म नही आती....भाई ने फिर से हाथ बढ़ा कमर पकड़ ने की कोशिश की.....

मैने कमर तक पहुचने से पहले ही हाथ को झटक दिया.....और अपनी ज़ुबान निकाल कर उसको चिढ़ा या......भाई ने लपक कर अपने चेहरे को ऐसे आगे बढ़ाया जैसे वो मेरी ज़ुबान को अपने दांतो से पकड़ लेगा.....उईईइ अम्मी.....कहती हुई....मैं डरने का नाटक करती पीछे हो गई....भाई हँसने लगा.....थोड़ा मुस्कुराते थोड़ा शरमाते, रुआंसी शकल बना.....आगे बढ़ कर भाई के सीने पर एक मुक्का मारा.....बदमाश....बहाया...भाई ने मेरी कलाई पकड़ ली और अपनी तरफ खींच लिया.....मैने कलाई छुड़ाने की कोशिश की मगर.....उसने मुझे और ज़्यादा अपनी तरफ खींच लिया.....हम दोनो के चेहरे एक दूसरे के आमने सामने थे.....उसकी आँखे मेरी आँखो में झाँक रही थी.....उसकी गर्म सांसो का अहसास अपने चेहरे पर महसूस हो रहा था.....मैने अपनी नज़रे झुका ली....


हाए !!! छोड़ो .....उसने नही छोड़ा....दिल तेज़ी से धरकने लगा....गाल गुलाबी हो गये.....धीमी आवाज़ में बोली.... हाए !!! कलाई दुख रही है.....छोड़ो ना.....कलाई पकड़ कर खींचने की वजह से मैं इस वक़्त घुटनों के बल सोफे पर खड़ी थी.....बदन का पूरा भर भाई के उपर था.....तभी उसने कलाई को छोड़ लपक कर मेरी कमर को पकड़ लिया... हाए !!! ये क्या....छोड़ो ......पर मेरी कमर पर उसने अपनी बाहों को और कस दिया......मैं भाई का हाथ पकड़ छुड़ाने की कोशिश करती बोली.... हाए !!! छोड़ो ना....इसी वजह से कहती हू.....आप भी उन लड़कों के जैसे ही.....भाई गर्दन उठा कर मुझे देख रहा था.....मैं उसके उपर झुकी हुई थी....मेरा पेट उसके चेहरे के सामने.....तभी भाई ने अपने चेहरे को आगे बढ़ा.....मेरे पेट से सटा ....जब तक मैं कुछ समझती....रगड़ दिया.....गुदगुदी के मारे मुझे हसी आ गई.....मैं मचली.....पर उसने छोड़ा नही और अपने चेहरे को रगड़ता रहा मेरी पेट पर......हँसते हँसते मेरा बदन ढीला पर गया.....
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: राबिया का बेहेनचोद भाई

Post by jay »


भाई ने भी हाथो की पकड़ ढीली कर दी.....मैं फिसलती चली गई....पलट कर सोफे पर बैठने ही वाली थी की....उसने कमर से पकड़ .....अपनी गोद में कस लिया......मैं स्कर्ट को ठीक करते....रानों को धकते हुए बोली....गंदे.....छोड़ो .....भाई ने हल्के हाथो से मेरी कमर को पकड़ लिया.....और गर्दन को हल्के से चूम लिया.....मैं सिहर उठी....सरगोशी करता कान में बोला....बैठ ना.....कल की हमारी बाते अधूरी रह गई थी.....कौन सी बात....छोड़ो ना.....वही तेरी सहेली वाली बात.....गोद में बैठते ही अहसास हो गया की भाई अपना हथियार खड़ा कर चुका है.....गाँड को अड्जस्ट करती.....मचलती हुई....गोद से उठने का नाटक करती....ताज्जुब करते बोली....सहेली वाली बात....वो क्या थी....ठीक से बैठने दो नाआअ......ठीक से तो बैठी है.....नही सोफे पर बैठने दो.....क्यों मेरी गोद में कोई काँटे लगे है.... हाए !!! मैं नही जानती....छोड़ो मुझे अच्छा नही लग रहा....

प्यार नही करती मुझे....धत !...ये क्या बात हुई.....प्यार करने से गोद में बैठने का क्या तालूक़......गोद में बैठने से प्यार बढ़ता है.....हट बेशरम....बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे.....नीचे उतरो.... हाए !!! बैठ ना ऐसे ही......अच्छा लग रहा है.....धत ! नही...मुझे टीवी देखने दो......मैं कहा मना कर रहा हू....देख ना टीवी....इतने प्यार से पहली बार तो गोद में बैठी है... हाए !!! धत !...मेरी उमर कोई गोद में बैठने की है......क्यों.....मैं कोई बच्ची हू.....हा बच्ची तो नही है... मज़े की जवान हो गई है.....गोद मैं मचलती इठलाती हैरान होते बोली... हाए !!! रब्बा...कितने बेशरम हो भाई....कोई अपनी बेहन के बारे में ऐसे बोलता है....अफ बेशरम....भाई हँसने लगा और गर्दन आगे बढ़ा मेरी गाल चूमते बोला.... हाए !!! इतनी तवज्जो तो रखनी पड़ती है......धत ! बेशरम....बेहन की जवानी पर नज़र....मचलती हुई बोली.....



तेरी जवानी के हिसाब से ही तो लड़का ढूँढना होगा.... हाए !!! धत !....भाई कितने बेशरम हो गये हो आप....क्यों शादी नही करनी तुझे क्या.....क्या मतलब.....मतलब अपनी इतनी खूबसूरत....पुरकशिश जवानी से लबरेज प्यारी बेहन के लिए उसी के हिसाब से लड़का ढूँढना होगा ना.... हाए !!! रब्बा बेशरम.....कैसे बोल रहे है आप भाई....कोई अपनी बेहन के बारे में ऐसे.....कमर पर अपने हाथो को कसता....गर्म साँसे फेकता.... धीरे से बोला.....क्यों बेहन खूबसूरत हो तो बोलने में क्या हर्ज़ है....हा हा आपके लिए तो कुछ भी करने में हर्ज़ नही....भाई हँसने लगा....मैने ऐसा क्या किया.....तू तो खा-म-खा मेरे से नाराज़ हो रही है.....हसो मत....एकदम बहाया हो गये हो आप....अच्छा चल मैं कुछ नही बोलता....कहता हुआ भाई चुप हो गया और टीवी देखने लगा....



हाथ से अभी भी पेट को धीरे धीरे से सहला रहा था....उसके खड़े लंड का अहसास मुझे अब पूरी तरह से हो रहा था.....लंड की गर्मी का अहसास कल से ज़्यादा महसूस हो रहा था.....शायद पाजामे के पतले कपडे की वजह से.....गरम लंड के उपर गाँड रखे मैं अंदर-अंदर सिहर रही थी....चूत अभी से पनियाने लगी थी.....भाई हल्के हल्के पेट सहलाते हुए.....बहाने से चूची के नीचे हाथ ले जाता....वो हल्के हल्के चूची छुने की कोशिश भी कर रहा था.....नीचे से चूचियों को हल्के हल्के छूते...गर्दन पर गर्म साँसे फेंकता....सरगोशी किया.... हाए !!! निकाह के बाद....तेरी सहेली....मैं गर्दन घुमा चौंकती हुई बोली...हा क्या हुआ मेरी सहेली को.....भाई मुस्कुराता हुआ पेट को सहलाता बोला.....बहुत गदरा गई है.....लगता है हनिमून.....मैने आगे कुछ बोलने नही दिया और मुँह पर हाथ रख नाटक करती बोली..... हाए !!! रब्बा.....भाईईईईईईई.....सच में आप बहुत बेशरम हो गये हो......छी !!!.....यही करने गये थे आप.....उसके यहाँ.....

उफ़फ्फ़ ... ......नही आप बहुत गंदे हो....छोड़ो मुझे......कहते हुए मैं उठने लगी.....बैठ ना मैं कुछ कर रहा हू.....आप गंदी बाते....इसमे गंदी बात क्या है....तेरी सहेली का निकाह हुआ....आज निकाह के बाद पहली बार देखा तो.....जो लगा सो बोल दिया......छी बेशरम यही ख्याल है आपके......अब इसमे बेशर्मी वाली क्या बात हुई.....लड़कियां तो निकाह के बाद थोड़ी अलग सी दिखने लगती.....मुझे भी यही लगा.....आपको तो कुछ भी ग़लत नही लगता....मैने मुँह बिचकाते हुए कहा.....ठीक है मैं जो भी कहता हू सब ग़लत है....और तू जो कहती है सब सही...है ना.....मैं खुश होती हुई बोली....और क्या....अब जा कर आपने माकूल बात की है....भाई मुस्कुराता हुआ पेट पर हाथ कसता बोला.....शुक्रिया आपका मोहतार्मा....मैं और इतराती हुई बोली.....अब छोड़ो नीचे बैठने दो.....कहती हुई मैं उसका हाथ हटा कालीन पर बैठ गई.....भाई भी नीचे उतार कालीन पर बैठ गया.....



तुम क्यों नीचे आ गये......मेरे बगल में बैठ कंधे पर हाथ डाल कर मुस्कुराता हुआ बोला.....बेहन से दूर नही रह सकता.....मेरी प्यारी खोए की गुड़िया नीचे बैठी है और मैं उपर सोफे पर......हट बदमाश....ज़रूर आपके मन में कोई शैतानी भरा ख्याल होगा......कुछ नही बस एक बात पूछ नी थी......क्या....तू फ़रज़ाना के घर जाती थी.....हा......कभी कुछ ऐसा लगा जैसे दोनो भाई-बेहन आपस में..... हाए !!! चुप्प करो.....आप भी ना जाने क्या क्या....पर वो डिस्को जाती है भाई के साथ.....कमर में हाथ डलवाए....तुझे हैरानी नही हुई... हाए !!! छोड़ो ना उसकी बात.....बस पूछ रहा था....मुझे तो बहुत हैरानी हुई थी....हा और उसी का फ़ायदा उठा कर आप मुझे डिस्को.....मैं सब समझती हू आपके दिल में क्या है..... हाए !!! मेरे दिल क्या....मैं तो सीधा-साधा.....अच्छा सब पता है जनाब कितने सीधे साधे है... हाए !!! तू ग़लत....ग़लत क्या...मैं अपनी रौ में बोलती चली गई....ऐसे ही फ़रज़ाना के बारे में पूछ पूछ कर उगलवा लोगे की वो अपने भाई के साथ....क्या करती है.....



आपको हैरानी हुई थी मगर मुझे नही हुई.....क्योंकि मैं जानती थी....की की...मैने बात को बीच में ही छोड़ दिया.....भाई को ऐसा लगा जैसे मैने अंजाने में फ़रज़ाना का राज उगल दिया....मगर मैने तो जानभूझ कर ये तीर चलाया था.....भाई अब पीछे पर गया.... हाए !!! क्या जानती थी.... हाए !!! बता ना... हाए !!! धत !...गंदे....उफफफ्फ़.... हाए !!! प्लीज़ रबिया बता ना.... हाए !!! नही आप मुझे बहका कर.....जाने क्या क्या बुलवा लेते हो.....मैने कहा बहकाया....तू तो खुद ही... हाए !!! बता ना तुझे मेरी कसम....हट गंदे...बात-बात पर.....कसम ना दिया करो.....क्या करू तू तो बताती ही नही.... हाए !!! बता ना प्लीज़....नही मुझे शरम आती है.... हाए !!! रबिया तू भी ना बहुत नखड़ा करती है....बता ना प्लीज़... हाए !!! ठीक है....आप किसी को बताओगे तो नही....मैं भला किसी को क्यों बताऊंगा ....ये हमारे भाई-बेहन के आपस की बात है.....बता ना क्या जानती थी.....वो...वो.. हाए !!! कैसे बोलू....वो अपने भाई से.....भाईजान के साथ....उफ़फ्फ़....भाई ने बात को पूरा किया....मज़े करती है....हा...वही....

मुझे तो पहले से ही शक़ था....वो अपने भाई के साथ फंसी हुई है....तू ही मेरी बात नही मानती थी.... हाए !!! तूने कुछ देखा था.....ज्यादा तो नही....वो जब कॉलेज जाने के लिए एक दिन सुबह सुबह उसके घर गई तो... हाए !!!....तो....हा क्या देखा....मैं अपना चेहरा अपने हाथो से धकते हुए बोली....उसका भाई उसको अपनी बाहों में भर कर....धत !.... हाए !!!....भाई खुश होता बाहों में कसता खींचता एक झटके से अपनी गोद में ले.....लंड को गाँड में चिपकता बोला....बाहों में भर प्यार कर रहा था... हाए !!!....धत !....वही.....भाई ने मेरे गाल पर कस कर चुम्मि काटी.....उसका रास्ता खुल गया था.... फ़रज़ाना की मिसाल दे कर वो अपना काम निकालने की कोशिश करेगा.....बाहों में कसता.....पेट पर उपर की तरफ हाथ लगा....चूची के नीचे सहलाता बोला..... हाए !!! तेरी तो सारी सहेलियाँ मज़े कर रही है.... हाए !!! धत !....और क्या....एक अपने भाई के साथ....एक अपने खलजाद भाई के साथ.... हाए !!! धत ! ऐसे ना बोलो....वो अब उसके शौहर है....जो भी है....बहुत मज़े कर रही है.....तेरी सहेलियाँ.....
ही धत !....भाई आप भी ना....छोड़ो ना गंदी बातो को....फिर वही....इसमे गंदा क्या है.....कल को तेरा भी निकाह होगा....तब भी बोलेगी गंदी बात... हाए !!! पर वो तो निकाह के बाद......लोग तो बिना निकाह के भी....पर भाई बहन थोड़ी ऐसी बाते करते....अभी अभी तो तूने ही बताया की कैसे.....फ़रज़ाना अपने भाई के साथ मज़े कर रही है.....फिर हम डिस्को जा सकते है....घूम फिर सकते है....फिर आपस में इल्म बाटने में क्या हर्ज़ है..... हाए !!! मैं इसी वजह से आपको कुछ नही बताती.....फिर ये इल्म बाटना हुआ....और क्या कल को हम दोनो का निकाह होगा....जो मुझे पता है वो मैं तुझे बताऊंगा .....फिर तू भी....हट बेशरम.....कमर को ज़ोर से भींच गोद में दबोचा.....मैं थोड़ा इठलाई मचली....वो फिर धीरे से बोला.....शबनम मज़े कर रही होगी .....है ना....धत !....उफ़फ्फ़.....भाई.....क्यों शबनम का दबा रहा होगा ना उसका शौहर.... हाए !!!...मैं शरमाई.....खूब दबवा रही होगी है....
हाए !!! भाई...मत बोलो.....दिल तो तेरा भी करता होगा.....मार दूँगी.....मार लेना....पर बता ना दबवा रही होगी ना....धत !... हाए !!! खूब मसलवा रही होगी.....मैने धीरे से कहा....मैं नही जानती....अच्छा एक बात बता तेरा सहेली फ़रज़ाना.....हा उसका क्या....वो दब्वाती होगी ना... हाए !!! छी गंदे मुझे नही बात करनी आपसे.....छोड़ो मुझे.... हाए !!! मेरी गुड़िया रानी के नखड़े हज़ार...वैसे भी तूने अभी बोला की तुझे सब पता है.....बीबी के साथ क्या क्या......मैं हँसने लगी और हँसते हुए पीछे मुड़ भाई के गालो चपत लगती बोली....गंदे....चालाक....खाली बहाने से फसाते रहते हो.... हाए !!! मैने कब फसाया.....ओह हो....बहका कर डिस्को ले गये...समंदर किनारे ले गये....ये तो ना होगा की कभी मैथ्स की किताब ले कर पुछा हो....हा रबिया बता क्या प्राब्लम है....मियाँ-बीबी के बीच क्या होता है....इसकी बाते करनी है... हाए !!! तुझे मज़ा नही आया क्या.....धत !.. हाए !!! रबिया तुझे कसम है....बता ना मज़ा आया था... हाए !!! कसम ना दो.....नही दूँगा पर बता.....मैने गर्दन नीचे कर लिया बदन को ढीला छोड़....अपनी पीठ भाई की छाती से टीका ....सर्माती हुई धीरे से बोली... हाए !!! हा.

भाई जैसे खुशी से उछल पड़ा....कमर को दोनो हाथ से पकड़ और कस कर गोद में दबोचा....नीचे का खड़ा लंड गाँड की दरार से होता हुआ आगे को निकाल चूत के निचले हिस्से को चूमने लगा....मैं मचली... हाए !!! भाई... हाए !!! छोड़ो कालीन पर बैठने दो ना.... हाए !!! बैठ ना.....मेरी गोद चुभती है क्या.....सोचा ज़यादा ही नखड़ा कर लिया....बात आगे बढ़ानी चाहिए....हौसला दूँगी तभी तो डालेगा......गाँड को लंड पर दबाते..... उसकी जाँघ पर चिकोटी काट बोली.....हा चुभ रहा है.....भाई एक हाथ मेरी रान सहलाता बोला... हाए !!! क्या चुभ रहा है.....धत !....मैं नही जानती....भाई मेरे कंधे पर अपनी गर्दन रखता गाल से गाल सटा ता बोला.... हाए !!! जानती तो सब है मेरी गुड़िया रानी......बस ज़रा शरमाती है... हाए !!! बता ना क्या चुभ रहा है.....उफ़ !!!....भाई....धत ! छोड़ो ......नीचे बैठने दो.. हाए !!! बता ना....तू तो खा-मा-खा शर्मा रही है.... हाए !!! धत ! नीचे बैठने दो.....वहा तेरी सहेलियाँ उठा-उठा कर दिखा रही है.....कहते मेरी जाँघ को सहलाया......



गोद में बैठे मचलने के कारण मेरी छोटी सी स्कर्ट वैसे ही उपर आ चुकी थी.....आधी से ज़यादा रान नंगी थी.....भाई ने जब अपनी हथेली को आगे सरकया तो....स्कर्ट सरक कर और उपर आ गई....रान नंगी हो गई....मैने स्कर्ट को नीचे की तरफ खीचने का नाटक किया.....रहने दे ना... हाए !!! छी मैं नंगी....नंगी कहा....खाली स्कर्ट थोड़ा सा उपर.....फिर अभी सोफे पर बैठ के दिखाया तो था तूने.....कल भी तो दिखाया था.....हट बदमाश मैने नही दिखाया था......अपने आप उपर चला गया था....आपके तलवे चाटने के चक..कर में.....जो भी हो दिखाया तो था.... कहता हाथ को थोड़ा और उपर सरका.....मेरी पूरी रान को नंगा कर दिया... हाए !!! उफ़फ्फ़....भाई.....पर वो मेरी गोरी चिकनी जाँघो को सहलाता बोला.... हाए !!! कितनी कसी हुई गदराई रान है.....कसम से.....और दूसरे हाथ को भी दूसरी रान पर रख....फ्रॉक को धीरे से उपर सरकाया....दोनो रान एकसाथ नंगी हो गई....स्कर्ट सिमट कर रानों के बीच आ गई....पैंटी ढाकी हुई थी... हाए !!! भाई उफफफफ्फ़.....छी....कहते हुए मैने जल्दी से स्कर्ट को खीच रानों को ढाका और बोली.... हाए !!! उफ़फ्फ़....भाई इसलिए मैं आपको नही बता रही थी....स्कर्ट तो मैने खींच लिया था....



पर भाई का हाथ अभी भी मेरी रानों पर स्कर्ट के नीचे घुसा शरारत कर रहा था....मेरी चिकनी रानों को सहलाता भाई मुझे बातो में उलझाता बोला... हाए !!! क्या नही बता रही थी....वही फ़रज़ाना के बारे में.....अपनी सहेलियों से सीख.....अगर मैं जिद् ना करता तो तू डिस्को भी नही जाती.....भाई समझाते हुए बोला.....पर भाई मैं आपकी बेहन.....फिर वही बेहन-भाई.....मेरी बात को काट ते हुए बोला.....तू नही जानती सब अपने घरो में....घर की बात घर के अंदर....किसी को पता नही चलता... हाए !!! नही.....अच्छा बता फ़रज़ाना करवाती होगी ना अपने भाई से.....रान सहलाते भाई बोला.....मैं शरमाती गाल लाल करती बोली.. हाए !!! हा....और भी कई लड़कियां होगी ऐसी....होगी की नही.... हाए !!! हा होगी....तब फिर....मौका मिला है तो......वहा अपने शहर में तो अम्मी का कड़ा पहरा.....पर...यहाँ आज़ादी.....तेरा भी दिल करता होगा.....धीरे से बोली...क्या....कभी-कभी मज़ा लूटने का.....भाई कान से मुँह सटा बोला....करता होगा ना.....धत ! ही....तू शरमाती है....बता ना करता है की नही...

हाए !!! हा करता है....मैं अदा के साथ पीछे पलट भाई की छाती में मुँह छीपाती बोली.....भाई बाहों में कसता....अपनी छाती से चिपकता बोला.....इसलिए तो मैं तुझे घुमाने ले जाता हू.....अपनी गुड़िया के सारे सौख पूरा करना मेरा फ़र्ज़ है.....फिर तेरा निकाह हो जाएगा तो.... हाए !!! नही करना मुझे निकाह....मैं सर्माने का नाटक करती धीरे से बोली....भाई हँसता हुआ बोला....दिल तो मेरा भी करता है की अपनी इस खूबसूरत गुड़िया को कही ना जाने दूँ.....पर अम्मी-अब्बा... हाए !!! नही जाना मुझे अम्मी के पास.....मुझे अपने पास रख लो.....भाई खुश हो बाहों में कसता.....मेरे माथे को चूमता बोला....मेरी प्यारी तुझे तो मैं अपने पास.... हाए !!! कितनी खूबसूरत है....मेरी गुड़िया .....मेरा चेहरा ठुड्डी पकड़ उपर उठा कर देखता बोला.... हाए !!!.... करते छाती से अलग हो टीवी की तरफ घूम कर बैठ अपने चेहरे को हथेली से धक लिया.....बस यही कमी है तेरे में शरमाती बहुत है.....इतना शरमाईएएगी तो.....कहते हुए मेरी रानों को सहलाया और हाथ को और उपर ले गया रानों के ज़ोर के पास....



जहा से पैंटी का किनारा शुरू होता था......मैं तो चाह रही थी की हाथ को और अंदर घुसा मेरी चूत को सहलाए....चूत में उंगली डाल धीरे-धीरे कुरेदे....अपने हाथ से चूत सहला सहला कर मैं तंग आ चुकी थी....भाई मेरी दोनो चिकनी जाँघो पर....मैं सिसक उठी.....रानों पर फिसलती भाई की हथेली ने बदन की सनसनी को बढ़ा दिया....मैं नाटक करती बोली... हाए !!! भाई हाथ हटाओ....भाई मेरी मांसल जाँघो का मज़ा लेता बोला... हाए !!! रबिया कितनी चिकनी रान है.....एक दम मखन के जैसी... हाए !!! धत ! बेशरम.....सच रबिया मेरा दिल तो इस पर चुम्मिया काटने को कर रहा है.... हाए !!! इसस्स्सस्स....भाई आप....छोड़ो .....कहा पकड़ा है... हाए !!! कितनी खूबसूरत रान है तेरी....अफ आप मानोगे नही..... हाए !!! बेशरम....बेहन की रान.....पर हाथ लगते शरम नही आती.....मैं गर्लफ्रेंड सोच के हाथ लगा रहा हू..... हाए !!! धत !....भाई ने रानों के ज़ोर को सहलाया.....मैं सिसकी... हाए !!!.....मेरी पैंटी के किनारे पर हाथ फेरता बोला.....तू सरमाती बहुत है.....मैं कुछ नही बोली.....टीवी की तरफ देखती रही.....



ऐसे शरमाएगी तो कैसे चलेगा....रान की ज़ोर से हथेली आगे बढ़ा पैंटी पर रखा....मैं सिसकी.... हाए !!! भाई....अपने भाईजान से क्या शरमाना.....हाथ आगे ला चूत के उपर रखा....मैं मचली.....भाई धीरे धीरे कान में बोलता रहा....ऐसे शरमाएगी तो तेरे शौक कैसे पूरे होंगे....हू बता... मैं चुप थी टीवी पर नज़र गड़ाए....भाई ने अपनी हथेली अब चूत के उपर रख दी....मेरी गरम चूत की तपिश उसको मिल रही थी.....बातो में बहलाता अपना मतलब निकाल रहा था....अपने सारे शौक पूरे कर ले.....जहा घूमने जाना हो.....जो पहन ना हो मुझे बता मैं पूरा करुणगा.....समझी मेरे गाल को चूमा..... हाए !!! भाई.....17 की हो गई है ना तू.....हा भाई.....यही तो उमर होती है....खेलने खाने के.....है ना.....जी भाईजान.....पूरी चूत पर अपनी हथेली चिपका एक बार सहलाया.....मैं सनसना गई.....चूत के होंठ गीले हो गये... हाए !!! भाई....इसके बाद तेरा निकाह हो जाएगा.....

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