Chanchal choot चंचल चूत compleet

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Chanchal choot चंचल चूत compleet

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चंचल चूत पार्ट---1

लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर

हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा

मेरा नाम समीर राजा है और मैं एक मुस्लिम लड़का हूँ. मेरी उमर 26 साल की है. मैं एक मरवरी सेठ मोतीलाल के घर मे काम करता हूँ. वर्कर तो बॅस नाम का हूँ यह सेठ साहिब वाघहैरा मुझे अपने घर का ही एक आदमी जैसा समझते और ट्रीट करते हैं. मेरे पिताजी सेठ मोतीलाल के पिता सेठ धरम लाल जी के पास अकाउंटेंट थे. हम सेठ धरमलल जी के परिवार को और वो हमारे परिवार को बोहोत सालों से और बोहोत अछी तरह से जानते हैं. मेरी माताजी अपने भाई के पास दूसरे गाँव चली गई तो मैं सेठ मोतीलाल जी के घर मे ही रहने लगा.

सेठ धरमलाल की देहांत के बाद उनका बिज़्नेस उनके बेटे सेठ मोतीलाल ही संभालते हैं. मोतीलाल के कोई भाई या बहेन नही है. उनकी कपड़ों की बहुत बड़ी दुकान है होल्सेल और रीटेल की. और उनकी मार्केट मे बोहोत अछी रेप्युटेशन है. मोतीलाल सेठ को यह बिज़्नेस उनके पिताजी की तरफ से पूरी तरह से सेट किया हुआ मिल गया था ज़ियादा मेहनत करने की ज़रूरत नही पड़ी थी. मार्केट मे अछी साख है और आछे लोग माने जाते है.

सेठ साहेब बोहोत ही दौलतमंद आदमी हैं उनका का 2 बेडरूम, ड्रॉयिंग डाइनिंग रूम का एक फ्लॅट तो सिटी मे है जहा कभी वो खुद या कभी कोमल या चंचल सिटी को परचेसिंग के लिए या घूमने के लिए जाते है तो कभी वाहा रात को रुक जाते है नही तो वो फ्लॅट हमेशा बंद रहता है. वो फ्लॅट एक बोहोत ही अछी गार्डेड बिल्डिंग मे है तो सेक्यूरिटी का कोई प्राब्लम नही है.

जिस घर मे वो रहते हैं वोहघर भी बोहोत ही बड़ा है. फर्स्ट फ्लोर पे सेठ साहिब का डबल रूम का बेडरूम और चंचल का भी डबल रूम का बेडरूम कम स्टडी रूम है. दोनो मे अटॅच बाथरूम है और दोनो के बेडरूम्स के बहेर एक बोहोत ही बड़ा हॉल भी है जहा पे सोफा सेट पड़ा हुआ है. कभी कभी सेठ साहिब कोमल और चंचल वाघहैरा वही हॉल मे बैठ के टी या कॉफी पीते है या ऐसे ही बातें करते बैठ ते हैं.

इतने बड़े घर की सफाई के लिए 2 लड़कियों को अलग से रखा हुआ है जो सारा दिन घर की सफाई ही किया करती है. रसोई बनाने के लिए भी 2 लड़कियाँ है जो बोहोत अछा खाना बनाती है. सब के सब रात को अपने अपने घर चले जाते हैं और सुबह सवेरे से ही वो आ जाते हैं और अपने अपने काम मे लग जाते हैं.

काम करने वाली लड़कियो को छोड़ कर घर मे रेग्युलर बस हम 3 ही रहते हैं. मैं, मोतीलाल सेठ की बीवी कोमल और उनकी बेटी चंचल. मोतीलाल सेठ तो इतने बिज़ी रहते हैं के बॅस रात को ही थके मान्दे घर आते है और खाना खा के सो जाते हैं. हम लोग डिन्नर के बाद भी काफ़ी देर तक इधर उधर की बातें करते रहते है और फिर सब अपने अपने कमरो मे चले जाते हैं.

लगता नही के वो अपनी पत्नी कोमल के साथ कुछ करते होंगे कियॉंके उनकी हालत तो ऐसी होती है के बॅस डिन्नर किया, बेड पे लेटे और ग्ग्गहर्ररर ग्ग्गहर्ररर आवाज़ें निकालते हुए सो गये.

एक टाइम मैं किसी काम से रात के समय ऊपेर गया था तो देखा कोमल सेठ साहेब के नरम लंड का मसाज कर रही थी लैकिन लंड तो सेठ साहेब की तरह से सो रहा था. उन्हों सी-थ्रू नाइटी पहेन रखी थी उस नाइटी मे से उनका सेक्सी बदन सॉफ दिखाई दे रहा था. सेठ साहेब गहरी नींद सो रहे हैं और कोमल अपने पति को अजीब से नज़रों से देख रही है. और फिर उन्हों ने अपने टाँगें फैला के अपनी चूत का मसाज करना शुरू कर दिया पहले तो ऐसे ही हथेली से चूत को सहलाती रही फिर उंगली से चूत के दाने को रगदड़ने लगी उनकी उंगली तेज़ी से चल रही थी और फिर उन्हों ने उंगली अपनी चूत के अंदर डाल के अंदर बहेर करना शुरू कर्दिआ. उनकी टाँगें खुली हुई थी गंद उठा उठा के अपनी ही उंगली से अपनी चूत को चोद रही थी और फिर थोड़ी ही देर मे उनका बदन अकड़ने लगा और आआअहह ऊऊऊहह आाऐययईईईई की आवाज़ें निकाल ते निकाल ते उनका बदन शांत हो गया और वो सो गई.

मुझे शक होगया के कोमल का मूड कुछ और था लैकिन साहेब को नींद सता रही थी. थोड़ी देर के बाद उनके रूम की लाइट भी बुझ गई और मैं नीचे आ गया.

मैं अपने मा बाप का एक ही बेटा हूँ. अपनी फाइनान्षियल पोज़िशन की वजह से मैं रेग्युलर कॉलेज नही अटेंड कर सकता था तो मैं प्राइवेट ही एग्ज़ॅम दे दिया करता हू. मुझे बचपन से ही एक्सर्साइज़

का शौक है तो मेरी बॉडी एक दम से शेप मे है. ब्रॉड शोल्डर्स, मस्क्युलर बॉडी. मेरा रंग भी बोहोत सॉफ है. मेरे सारे बॉडी पे हल्के हल्के से बॉल हैं जो गोरे बदन पे आछे लगते हैं. इन शॉर्ट, मे भी ठीक ठाक और हॅंडसम हू.

मैं अपने बचपन से ही मोतीलाल सेठ के घर मे रहता हूँ.

वही काम करता हू, अपनी पढ़ाई करता हू और वही मेरा खाना पीना भी है. मेरे लिए एक अटॅच बाथरूम वाला एक बड़ा सा कमरा है जिसका एक डोर घर के अंदर खुलता है और दूसरा बहेर कॉंपाउंड मे. घर के अंदर खुलने वाला डोर घर के लोग मेरे रूम मे आने जाने के लिए यूज़ करते हैं और बहेर खुलने वाला डोर मैं बहेर जाने के लिए यूज़ करता हू जहा कार्स पार्क रहती हैं. सेठ साहिब के पास एक तो इंनोवा है एर कंडीशंड और दूसरी मारुति है. दोनो न्यू कार्स हैं. इंनोवा सेठ साहिब की वाइफ और उनकी बेटी शॉपिंग के लिए या घूमने के लिए जब सिटी को जाते हैं तब यूज़ करते हैं और मारुति वही आस पास के जनरल इस्तेमाल के लिए, उनकी बेटी के स्कूल आने जाने के लिए यूज़ करते है.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: Chanchal choot चंचल चूत

Post by rajsharma »

मैं पहले सेठ मोतीलाल के घर वालो का परिचय करा दू. उनके घर मैं बॅस तीन ही लोग हैं. सेठ मोतीलाल, उनकी पत्नी कोमल और उनकी नॉटी बेटी चंचल. उनका कोई रिश्तेदार यहा नही रहता. बॅस उनकी वाइफ के और उनकी बेटी के फ्रेंड्स हैं जिन के घर उन का आना जाना है.

सेठ साहिब को तो बिज़्नेस से फ़ुर्सत ही नही मिलती. कभी कभी जब वो बिज़्नेस टूर पे जाते हैं तो वोही उनकी आउटिंग होती है. बोहुत बिज़ी रहते हैं. घर की रेस्पॉन्सिबिलिटी मुझे दे रखी है. मुझ पे इतना विस्वास करते हैं के कभी मुझ से पैसों का हिसाब किताब नही पूछते.

जब कभी कोमल या चंचल सिटी को शॉपिंग के लिए या आउटिंग के लिए जाते है तो मेरे साथ ही पॅसेंजर सीट पे बैठ ते है कभी पीछे मालिकों की तरह नही बैठ ते और रास्ता भर मुझ से इधर उधर की बातें करते रहते हैं हम लोग आपस मे मज़ाक भी कर लिया करते है जैसे मैं एक फॅमिली मेंबर हू. कभी कभी तो अपने घर की और खानदान की प्राइवेट बातें भी मेरे सामने ही किया करते हैं. और जब कोई चीज़ पर्चेस करते है तो मैं ही पैसे खरच किया करता हू. जब मेरे पास पैसे ख़तम हो जाते हैं तो और ले लेता हू. होटेल के बिल्स या फिर शॉपिंग किए हुए समान के बिल्स का पेमेंट सब मैं ही करता हू. कभी कभी सेठ साहिब मुझे अपने साथ देल्ही, बॉमबे या कॅल्कटा बिज़्नेस टूर पे भी ले जाते हैं तो मैं उनको कंपनी

दिया करता हू. कभी कभी तो वो अपने बेटी चंचल को ले जाते हैं उस टाइम पे मैं अकेला घर मे रहता हू कोमल के साथ.

मोतीलाल सेठ की बीवी बोहोत ही सुन्दर है. लग भग 30 – 32 साल की होगी. उनका नाम कोमल है और वो रियल मे कोमल हैं. बोहोट नाज़ुक, दुबली पतली बट हेल्ती, बोहोत गोरा मक्खन जैसा रंग. सिल्क जैसा चिकना बदन.लंबे लंबे काले घने बॉल जो खुले रहें तो उनके गंद तक आते हैं. गुलाबी गाल और बिना लिपस्टिक लगाए ही उनके होन्ट लाल रहते हैं. वो जब मुस्कुराती है तो उनके मोती जैसे दाँत डाइमंड की तरह चमकते दिखाई देते हैं.

उनका फिगर बोहोत वंडरफुल है. होगा यही कोई 38 – 26 – 36. वो मोस्ट्ली सारी ही पेहेन्ति है. कभी कभी सलवार सूट भी पहेन लिया करती हैं. सारी मे वो बोहोत खूबसूरत लगती हैं. सारी भी कभी इतनी नीचे बाँधती है के थोडा सा और नीचे हो जाए तो उनके झाँत के बॉल भी नज़र आ जाएँ ( अब यह तो पता नही के उनके झांट के बॉल है या वो शेव करती हैं).

ब्लाउस भी डीप कटिंग का पेहेन्ति हैं जिस्मै से उनके दूध की तरह सफेद चुचियाँ आधे से ज़ियादा ही नज़र आते हैं. एस्पेशली कभी जब वो कुछ उठाने के लिए नीचे झुकती हैं तो उनके रोज़ी निपल्स भी नज़र आ जाते हैं और मन करता है के बॅस हाथ अंदर डाल के उनकी मस्त चुचियाँ मसल डालु मगर क्या करू मजबूर हू.

कभी तो लगता के वो मुझे दिखाने के लिए ही झुकती है. मैं ने उनकी आँखों मे प्यास देखी है कियॉंके मुझे पता है के सेठ साहेब को नोट्स गिनने से फ़ुर्सत ही नही मिलती और वो उनकी खूबसूरत जवानी की तरफ ध्यान नही देते हैं और वो अपने जज़्बात को दबा के सो जाती हैं. उनकी चाल बोहोत ही मस्तानी है और जब वो किसी भी वजह से या शरारत से मुस्कुराती हैं तो आचे अचों का लंड ऑटोमॅटिक खड़ा हो के उनके पुर बदन को प्रणाम करने लगता है.

उनकी एक ही बेटी है चंचल. वो सच मे बोहोत चंचल है. 13 साल की होगी लैकिन लगती 15 – 16 साल की है. 9थ पास कर के 10थ मई आई है अभी. जैसे किसी अल्लहड़ लड़की का होता है वैसा ही कसा हुआ बदन है. बोहोत क्यूट है. बोहुत मोटी भी नही बोहोत दुबली भी नही बॅस मीडियम बिल्ट है उसकी. रंग तो उसकी मा की तरह मक्खन जैसा है. काली बड़ी बड़ी हिरनी जैसी आँखें. काले बॉल जिनको वो पोनी टेल की तरह बाँधती है.

जब भागती है तो उसकी पोनी टेल सेक्सी स्टाइल मे हिलती है. उसके होन्ट लाल और रसीले जिनको चूसने के लिए मॅन तड़प जाए. घर की लाडली है. हमेशा ही शरारत के मूड मई रहती है. कुछ ना कुछ करती ही रहती है. इधर से उधर भागना कभी छुप जाना किसी भी कमरे से मुझे आवाज़ लगाना “ राजा इधर आऊ” और मेरे जाने जाने तक वो दूसरे कमरे मे चली जाती. बाद मे हस्ती हुई बहेर निकल आती.

घर मे यूष्यूयली शॉर्ट स्कर्ट और ब्लाउस जैसा टॉप पेहेन्ति. उसके चुचियाँ मीडियम साइज़ के मौसम्बी जितने होगे उसकी एज के हिसाब से कुछ बड़े ही हैं. अभी ब्रस्सिएर नही पेहेन्ति. भागती तो धीरे से ऊपेर नीचे होते उसके चुचियाँ डॅन्स करते मस्त लगते है.

बोहुत धमाल मचाती एस्पेशली जब उसकी फ्रेंड्स उस से मिलने घर आती तो धूम रहती. उसके फ्रेंड्स भी उसकी ही तरह से शरारती हैं. शाएद बचपन ऐसा है होता है. किसी चीज़ की फिकर नही. कोई प्राब्लम नही. खाना पीना, खेलना कूदना, मज़े करना और रात मे थक के सो जाना. बॅस यही है इनका काम.

चंचल मेथ मे थोड़ी सी वीक थी तो मैं उसे कभी कभी मथ्स समझा दिया करता हू. और थोड़ी बोहोत साइन्स मे भी उसकी हेल्प कर दिया करता हू.

आक्च्युयली यह सेठ लोग सिटी से ऑलमोस्ट 80 – 90 किलोमेटेर दूर आउट स्कर्ट्स मे रहते है. हो सकता है पहले किसी टाइम मे वो जगह कोई गाँव रहा होगा लैकिन अब तो सिटी इतना फैल गया के ऑलमोस्ट सिटी मे है. ळैकिन फिर भी बड़ी बड़ी दुकानो और शॉपिंग माल्स या किसी आछे रेस्टोरेंट मे खाना खाने के लिए सिटी को ही आना जाना होता रहता है.
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Re: Chanchal choot चंचल चूत

Post by rajsharma »

मैं कार चलाना भी जानता हू और सेठ साहिब की कार भी मैं ही ड्राइव करता हू. और फिर जब घर मे कोई काम नही होता तो उनकी दुकान के अकाउंट्स भी लिखता हू. सेठ साहेब को उतनी अछी इंग्लीश नही आती इसी लिए उनके बिज़्नेस के लेटर्स भी मैं ही लिखा करता हू. फाइनल अकाउंट्स प्रिपेर करने के लिए मैं ही उनके चीफ अकाउंटेंट की हेल्प भी किया करता हू. इन शॉर्ट मैं मुल्टीपरपाज काम करता हू मेरे लिए कोई काम स्पेसिफाइड नही है जैसे के जॅक ऑफ ऑल ट्रेड्स.

यह तो था सेठ मोतीलाल और उनके घर वालो का परिचय. अब मैं कुछ ऐसी घटनाएँ जो इस घर मे घटी हैं सुनाने जा रहा हू:

गर्मी के दिन थे, दोपहर का टाइम था मुझे बड़ी प्यास हो रही थी. एक फ्रिड्ज जो हॉल मे रहता था मैं उस फ्रिड्ज के पास जा रहा था मेरी नज़र करीब के रूम मे गई तो देखा के चंचल खड़ी है और अपने ब्लाउस टाइप के टॉप के अंदर हाथ डाल के अपने चुचिओ को अपने हाथो से दबा रही है उसके चेहरे पे मस्ती छाई हुई है. उसे पता नही था के मैं देख रहा हू. मैं थोड़ी देर चुप चाप खड़ा देखता रहा के और क्या करती है देखुगा पर उसने और कुछ नही किया बॅस चुचिओ को ही दबाने मे बिज़ी थी. पहले तो सोचा के डिस्टर्ब नही करूगा बट देन पता नही उसे कुछ शक्क हुआ या क्या उसने मेरी तरफ देखा. पहले तो घबरा गई पर तुरंत अपने कपड़े ऐसे झटकने लगी जैसे शर्ट मे कुछ लगा हो. मैं मुस्कुरा के वाहा से हट गया.

एक और टाइम ऐसा हुआ के लंच खा के कोमल अपने बेडरूम मे सोने चली गई और चंचल लंच के बाद कोई मॅगज़ीन लेके डाइनिंग टेबल पे ही बैठी पढ़ती रही वो सिंगल चेर वाले पोर्षन मे बैठी थी और उसके लेफ्ट और राइट के चेर जिनके बैठने का पोर्षन टेबल के अंदर था उन दोनो चेर्स पे एक एक टांग फैला के बैठी थी जिसका मुझे पता नही था.

मैं रूम मे आया तो वो बिल्कुल सामने बैठी थी और टेबल के नीचे कुछ मॅगज़ीन्स गिरे पड़े थे. मैं उन्है बहेर निकालने के लिए टेबल के नीचे चला गया तो देख के दंग रह गया के उसकी दोनो टाँगें दोनो चेर्स पे फैला के रखी है और उसका स्कर्ट उसके जाँघ तक उठा हुआ था किस्मेत से उसने पॅंटी भी नही पहनी थी. मुझे उसकी चूत नज़र आने लगी .. अफ क्या प्यारी चूत थी उसकी मैं तो देखता का देखता रह गया.

मक्खन जैसी चिकनी चूत जिसपे अभी सही तरीके से झाँत भी आने नही शुरू हुए थे बॅस जैसे रुआ हो भूरे (लाइट ब्राउन) रंग का. चूत के लिप्स हल्के से एक दूसरे से अलग और बीच मे उसके चूत का दाना ( क्लाइटॉरिस ) अफ मॅन करा के बॅस उसकी चूत को किस कर लू और मूह मे ले के चूसू. मैं थोड़ी देर तक टेबल के नीचे ही रहा और ऐसे पोज़ करने लगा जैसे मॅगज़ीन कलेक्ट कर रहा हू. यह कहानी थे ग्रेट वॉरईयर की लिखी हुई है. वो तो मॅगज़ीन मे डूबी हुई थी उसे क्या पता के मैं उसकी चूत के दर्शन कर रहा हू और इतनी प्यारी चूत को निहार रहा हू. मैं थोड़ा सा और उसके करीब गया तो उसकी वर्जिन चूत की स्मेल बोहोत अछी लगी. चूत के थोड़ा और करीब

आके मैं ने उसकी चूत को सूँगा आअहह मस्त सुगंध थी उसकी कुँवारी चूत की के क्या बताउ.

चूत की सुगंध ले के मैं बहेर निकल आया. बहेर तो निकल आया पर अपने लौदे को संभालना मुश्किल हो रहा था. बोहुत ज़ोर से अकड़ गया था और पॅंट के अंदर बड़ी मुश्किल से समा रहा था. मैं तुरंत अपने रूम मे आया और अपने बेचैन लंड को पंत मे से निकाल के मास्टरबेट किया. उसकी क्रीम निकालने के बाद थोड़ा शांत हुआ तब बहेर आया. मेरा सारा बदन काम वासना की आग मे जल रहा था. फिर ख़याल आया के चंचल अभी बहुत छोटी है और यह अछी बात नही है तो अपने आप को कंट्रोल कर लिया….
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Re: Chanchal choot चंचल चूत

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यह घटना उस टाइम की है जब मैं ब.कॉम के फर्स्ट एअर को क्लियर कर के सेकेंड एअर मे आया था. गर्मी बोहोत पड़ रही थी. चंचल की मा कोमल अपने किसी फरन्ड के पास मिलने गई हुई थी. घर का काम काज करने वेल लड़कियाँ अपने अपने काम मे लगी हुई थी.

जैसा के पहले बता चुक्का हू के घर बोहोत ही बड़ा है और उसके अंदर कमरे भी बोहोत हैं. थोड़े से ही कमरे इस्तेमाल मे आते है बाकी के कमरे किसी भी गेस्ट वाघहैरा के लिए रेडी रहते हैं. किसी कमरे को स्टोर बनाया हुआ है. किसी को किसी की खबर नही होती के कौन कहा है और किस कमरे मे जा रहा है या कमरे के अंदर क्या कर रहा है या कमरे के अंदर क्या हो रहा है..

मैं बहेर से घर के अंदर आया और अपने कमरे मे जाने ही वाला था के मुझे फर्स्ट फ्लोर से ऐसी आवाज़ आई जैसे कोई बोहोत पेन से कराह रहा हो. आअहह ऊऊऊफफफफफफफफफ्फ़ ईईईहह जैसी आवाज़ें आ रही थी. मैं दबे पाँव ऊपेर जाने लगा. अभी थोड़ी सी ही सीढ़ियाँ ऊपेर चढ़ा था के मुझे फर्स्ट फ्लोर के हॉल मे जो डिज़ाइन्स बने हुए है खूबसूरती के लिए जहाँ हवा के लिए गॅप्स बने हुए हैं उस मे से दिखाई दिया के चंचल सोफे के एड्ज पे बैठी है, उसकी टाँगें फैली हुई हैं, आस यूषुयल छोटा सा स्कर्ट पहने हुए है, और अपनी चूत का मसाज कर रही है..

काम करने वाली लड़कियाँ नीचे ही अपने अपने काम मे बिज़ी थी और ऊपेर चंचल अकेली थी. उसकी आँखें मस्ती मे बंद थी और अपनी उंगली को ज़ोर ज़ोर से चला रही थी लगता था के उसका मसाज फाइनल स्टेज मे है. वो अपने चूतड़ उछाल उछाल के मज़े ले रही थी. मुझे इतना क्लियर नही दिख रहा था के उसने

अपनी चूत के सुराख मे उंगली डाली हुई है या ऐसे ही अपनी चूत के दाने (क्लाइटॉरिस ) का मसाज कर रही है.

उसकी उंगली फुल स्पीड से चल रही थी और सडन्ली उसके मूह से आअगघह उूुउऊहह आआआआअहह की आवाज़ें निकली और वो शांत हो गई. थोड़ी देर तक उसकी आँखें बंद ही रही और वो गहरी गेँरी साँसे लेने लगी और फिर सोफे पे ऐसे पड़ी रही जैसे बदन मे जान ही नही हो.

मेरा लौदा फिर से अकड़ गया अब तो मन कर रहा था के तुरंत ऊपेर जाउ और उसकी चूत मे अपना लौदा घुसेड के उसकी ब्रांड न्यू चूत को चोद चोद के फाड़ डालूं. मैं ने फिर से अपने आप को कंट्रोल किया और नीचे आ गया. इस टाइम चंचल को पता नही चला के मैं ने उसको देख लिया है. सारा दिन मुझे चंचल कुछ अलग अलग सी लगी. कुछ नया था उसके चेहरे पे मुझे समझ नही आ रहा था के क्या नया है लैकिन कुछ है ज़रूर.

उसी दिन शाम को जब मैं कोमल को लेने के लिए उसके फ्रेंड के घर जाने वाला था तो चंचल ने कहा के वो भी आएगी. मैं ने कहा चलो. फिर हम दोनो मारुति मे बैठ के चंचल की मम्मी को लेने चले गये.

वापस आने के टाइम पे रास्ते मे चंचल ने कहा के वो भी कार चलाना सीखना चाहती है. मैं ने तो कुछ नही कहा पर कोमल बोली के चल अभी तू बोहोत छोटी है जब थोड़ी और बड़ी हो जाएगी तो सीख लेना. बॅस मना क्या करना था के चंचल की चंचलता मचल गई और उसने ज़िद करनी शुरू कर्दिआ के वो तो सीखेगी.

घर पोहोच्ते ही उसने अपने डॅडी को फोन किया और कहा के वो कार चलाना सीखाना चाहती है. फिर दोनो मे क्या बातें हुई मुझे नही पता और फिर चंचल ने तुरंत फोन मेरे हाथ मे थमा दिया. सेठ साहिब कह रहे थे के अरे राजा !!! चंचल को फिलहाल थोड़ा सा स्टियरिंग संभालना ही सीखा दो बाद मे ड्राइव करना सीख लेगी. सेठ साहेब ने खुद ही सुझाओ दिया के शाम को टाउन से बहेर निकल जाओ वाहा ट्रॅफिक नही होती खुली स्ट्रेट सड़क है और बड़ी बड़ी खुली जगह भी है वही सीखा देना. यह कहानी थे ग्रेट वॉरईयर की लिखी हुई है. मैं ने कहा ठीक है सेठ साहेब आप कहते है तो आज ही ले जाता हू. वो बोले के हा ठीक है अभी शाम बाकी है एक आध घंटा घुमा के ले आओ. मैं ने कहा ठीक है और फिर चंचल से कहा के चाइ पी के चलते है. वो रसोई मे गई और लड़की को चाइ निकालने का कह के आ गई. थोड़ी देर मे चाइ टेबल पे लग

चुकी थी.
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Re: Chanchal choot चंचल चूत

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कोमल भी फ्रेश हो के आ गई थी मैं भी अपने रूम मे जा के फ्रेश हो गया और टेबल पा आ गया. सब ने चाइ पी साथ मे फिर मैं ने कोमल से कहा के सेठ साहेब ने कहा है के चंचल को स्टियरिंग संभालना ही सिखा दू पहले. कोमल ने मुस्कुराते हुए कहा ठीक है जाओ मैं क्या कह सकती हू यह है ना अपने पापा की लाडली मना लिया होगा अपने पापा को.

शाम का समय था, मौसम थोड़ा सा अछा हो गया था. दोपेहेर जितनी गर्मी नही थी और हल्की हल्की सी ठंडी हवा भी चल रही थी. मैं बॉक्सर्स शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहेन के आया चंचल एज यूषुयल अपने मस्ताने ड्रेस मे थी वोही छोटा सा स्कर्ट और ब्लाउस टाइप का टॉप.

मैं और चंचल दोनो कार मे थे और कार को टाउन से बहेर निकल के एक गाओं को जाने वाली छोटी रोड पे टर्न कर लिया जहा कोई कार या ट्रक नही चलते थे. सुनसान सी सड़क थी. वाहा से हार्ड्ली को कार गुज़र जाती. अपने टाउन से जब लग भग 4 - 5 किलोमेटेर बहेर निकल गये तो मैं ने चंचल से कहा के मेरे नज़दीक आ जाओ और ट्राइ करो. वो मेरे पास खिसक के आ गई. मारुति मे बकेट टाइप सीट्स होने की वजह से उसे क्रॉस हो के बैठना पड़ रहा था तो मैं ने कार के बूट मे से एक कुशन निकाल लिया जिसको दोनो सीट्स के बीच मे रख के बैठने की जगह बना ली.

अब चंचल मेरे बोहोत करीब बैठी थी और मैं भी और थोड़ा सा कार के डोर की तरफ खिसक गया ता क उसको अछी ग्रिप मिल जाए. पर उसके लिए फिर भी मुश्किल हो रही थी तो उसने कहा के राजा मुझे अपने गोदी मे बिठा लो ना. इस तरह से मैं स्ट्रेट बैठ सकुगी और रोड भी क्लियर नज़र आएगी. मैं उसके प्रपोज़ल को सुन के दंग रह गया और कुछ नही बोला तो शाएद उसने समझा के मैं उसकी बात से सहमत हू तो वो अपनी एक टांग मेरे ऊपेर से डाल के दूसरी तरफ कर के मेरी गोदी मे बैठ गई. उसके बैठ ते ही मेरे बदन मे जैसे करेंट लगा और करेंट डाइरेक्ट लंड मे घुसा और लंड मे हल चल शुरूहो गई.

कार बोहोत धीमी गति से चल रही थी. चंचल को भी अछी पोज़िशन मिल गई थी और वो मेरी गोदी मे ईज़ी बैठी थी.

वो तो ईज़ी बैठी थी पर मेरे लंड का बुरा हाल था. मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स के अंदर अकड़ गया था; पता नही चंचल को महसूस हो रहा था या उसका ध्यान रोड और स्टियरिंग पे था. मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी. दिल चाह रहा था के कार रोक के चंचल को बॅक सीट पे लिटा के को खूब चोदु चोद्ते चोद्ते उसकी छोटी सी चूत को फाड़ डालु.

मेरे हाथ उसके हाथ के ऊपेर थे और उसके चुचिओ को भी थोड़ा थोड़ा टच कर रहे थे. मैं कभी कभी अपने हाथ स्टियरिंग से हटा लेता ता के वो खुद भी कंट्रोल कर सके. ऐसे समय मे मैं अपने हाथ उसके थाइस पे रख लेता था. अफ क्या बताऊं कितने चिकने मक्खन जैसे थाइस है उसके. यह कहानी थे ग्रेट वॉरईयर की लिखी हुई है. आज पहली बार उसके थाइस को हाथ लगाने का मौका मिला था और हाथ लगते ही मेरे लंड का तो बुरा हाल हो गया. शॉर्ट्स के अंदर मचलने लगा और लंड का सूपड़ा शॉर्ट्स के सामने से बहेर निकल पड़ा और नेकेड सूपड़ा भी उसकी चूत के करीब ही थाइस के पोर्षन मे टच करने लगा.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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