Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

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Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

होली पे चुदाई --1

हाई फ्रेंड्स मैं राज शर्मा आपको फिर से एक घरेलू कहानी सुनाने जा रहा

हूँ. यह मेरी फ्रेंड सुनीता की कहानी है. वह आपको बताने जा रही

है की कैसे उसने अपनी सहेली और उसके बड़े भाई के साथ चुदवाया.

इस होली पर मम्मी पापा बाहर जा रहे थे. रीलेशन मैं एक डेत हो

गयी थी. माँ ने पड़ोस की आंटी को मेरा ध्यान रखने को कह दिया

था. आंटी ने कहा था कि आप लोग जाइए सुनीता का हम लोग ध्यान

रखेंगे. माँ ने हमे समझाया और फिर चली गयी. पड़ोस की आंटी की

एक लड़की थी मीना जो मेरी उमर की ही थी. वह मेरी बहुत फास्ट फ्रेंड

थी. वह बोली कि जब तक तुम्हारे मम्मी पापा नही आते तुम खाना

हमारे घर ही खाना.

मैं खाना और समय वही बिताती पर रात मैं सोती मीना के साथ

अपने घर पर ही थी. दो दिन हो गये और होली आ गयी. सुबह होते ही

मीना ने अपने घर चलने को कहा तो मैं रंग से बचने की लिए बहाने

करने लगी. मीना बोली, "मैं जानती हूँ तुम रंग से बचना चाहती हो.

नही आई तो मैं खुद आ जाउन्गी." "कसम से आउन्गि."

मैं जान गयी कि वह रंग लगाए बगैर नही मानेगी. मैने सोचा की

घर पर ही रहूंगी जब आएगी तू चली जाउन्गि. होली के लिए पुराने

कपड़े निकाल लिए थे. पुराने कपड़े छ्होटे थे. स्कर्ट और शर्ट पहन

लिया. शर्ट छ्होटी थी इसलिए बहुत कसी थी जिससे दोनो चूचियों

मुश्किल से सम्हल रही थी. बाहर होली का शोरगुल मच रहा था.

चड्डी भी पुरानी थी और कसी थी. कसे कपड़े पहनने मैं जो मज़ा

आ रहा था वह कभी शलवार समीज़ मैं नही आया. चलने मैं कसे

कपड़े चूचियों और चूत से रगड़ कर मज़ा दे रहे थे इसलिए मैं

इधर उधर चल फिर रही थी.

मैं अभी मीना के घर जाने को सोच ही रही थी कि मीना दरवाज़े को

ज़ोर ज़ोर से खटखटाते हुवे चिल्लाई, "अरी सुनीता की बच्ची जल्दी से

दरवाज़ा खोल." मैने जल्दी से दरवाज़ा खोला तो मीना के पीछे ही

उसका बड़ा भाई रमेश भी अंदर घुस आया. उसकी हथेली मैं रंग

था. अंदर आते ही रमेश ने कहा, "आज होली है बचोगी नही,

लगाउन्गा ज़रूर."

मीना बचने के लिए मेरे पीछे आई और बोली, "देखो भैया यह

ठीक नही है." मेरी समझ मैं नही आया कि क्या करूँ. रमेश

मेरे आगे आया तो ऐसा लगा की मीना के बजाय मेरे ही ना लगा दे. मैं

डरी तो वह हथेली रगड़ता बोला, "बिना लगाए जाउन्गा नही

मीना." "हाए राम भैया तुमको लड़कियों से रंग खेलते शरम नही

आती." "होली है बुरा ना मानो. लड़कियों को लगाने मैं ही तो मज़ा

है. तुम हटो आगे से सुनीता नही तो तुमको भी लगा दूँगा." मैं डर

से किनारे थी. तभी रमेश ने मीना को बाँहों मैं भरा और हथेली

को उसके गाल पर लगा रंग लगाने लगा. मीना पूरी तरह रमेश की

पकड़ मैं थी. वह बोली, "हाए भैया अब छ्चोड़ो ना." "अभी कहाँ

मेरी जान अभी तो असली जगह लगाना बाकी ही है." और वह पीछे से

चिपक मीना की दोनो चूचियों को मसल उसकी गांद को अपने लंड पर

दबाने लगा.

"हाए भैया." चूचियों दबाने पर मीना बोली तो रमेश मेरी ओर

देख अपनी बहन की दोनो चूचियों को दबाता बोला, "बुरा ना मानो होली

है." मीना की मसली जा रही चूचियों को देख मैं अपने आप कसमसा

उठी. चूचियों को अपने भाई के हाथ मैं दे मीना की उछल कूद कम

हो गयी थी. रमेश उसकी दोनो चूचियों को कसकर दबाते हुवे उसकी

गांद को अपनी रानो पर उठता जा रहा था.

"हाए भैया फ्रॉक फट जाएगी." "फटत जाने दो. नयी ला दूँगा." और

अपनी बहन के दोनो अमरूद दबाने लगा. इस तरह की होली देख मुझे

अजीब लगा. मैं समझ गयी कि रमेश रंग लगाने के बहाने मीना की

चूचियों का मज़ा ले रहा है. "हाए अब छ्होरो ना." मीना ने मेरी ओर

देखते कहा तो मुझे मीना मैं एक बदलाव लगा. तभी रमेश उसकी गोल

गोल चूचियों को दबाते हुवे बोला. "हाए इस साल होली का मज़ा आ

रहा है. हाए मीना अब तो पूरा रंग लगाकर ही छोड़ूँगा." और पूरी

चूचियों को मुट्ठी मैं दबा बेताबी से दबाने लगा. मैने देखा की

रमेश का चेहरा लाल हो गया था. अब मीना विरोध नही कर रही थी

और वह मेरे सामने ही अपनी बहन को रंग लगाने के बहाने उसकी

चूचियाँ दबा रहा था. इस सीन को देख मेरे मन मैं अजीब सी

उलझन हुई. मेरी और मीना की चूचियों मैं थोड़ा सा फ़र्क था. मेरी

मीना से ज़रा छ्होटी थी. सहेली की दबाई जा रही चूचियों को देख

मेरी चूचियाँ भी गुदगुदाने लगी और लगा कि रमेश मेरी भी रंग

लगाने के बहाने दबाएगा. मीना को वह अपने बदन से कसकर चिपकाए

था. [/color]
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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"हाए छोड़ो भैया सहेली क्या सोचेगी." मीना चूचियों को फ्रॉक के

उपर से दब्वाती मेरी ओर देख बोली तो रमेश उसी तरह करते हुवे

मेरी ओर देखता बोला, "सहेली क्या कहेगी. उसके पास भी तो हैं.

कहेगी तो उसको भी रंग लगा दूँगा." मेरी हालत यह सब देख खराब

हो गयी थी. मैने सोचा की कही रमेश अपनी बहन को रंग लगाने के

बहाने यही चोदने ना लगे. समझ मैं नही आ रहा था कि क्या

करूँ. मुझे लगा कि वह अपनी बहन को चोदने को तैय्यार है. मीना

के हाव भाव और खामोश रहने से ऐसा लग रहा था कि उसे भी मज़ा

मिल रहा है. मैं जानती थी की चूचियाँ दबवाने और चूत चुदवाने

से लड़कियों को मज़ा आता है. मुझे दोनो भाई बहन का खेल देखने

मैं अच्छा लगा. मेरे अंदर भी वासना जागी.

तभी मीना ने नखरे दिखाते हुवे कहा, "हाए भैया फाड़ दोगे

क्या?" "क़ायदे से लगवाएगी तो नही फाड़ुँगा. मेरी जान बस एक बार

दिखा दो." और रमेश ने दोनो चूचियों को दबाते हुवे उसके चूतड़

को अपनी रान पर उभारा. "अच्छा बाबा ठीक है. छोड़ो,

लगवाउंगी." "इतना तडपा रही हो जैसे केवल मुझे ही आएगा होली का

मज़ा. आज तो बिना देखे नही रहूँगा चाहे तुम मेरी शिकायत कर दो."

फिर मीना मेरी ओर देख बोली, "दरवाज़ा बंद कर दो सुनीता मानेगा नही."

मीना की आवाज़ भारी हो रही थी. चेहरा भी तमतमा रहा था. रमेश

ने देखने की बात कर मेरे बदन मैं सनसनी दौड़ा दी थी. मेरी

चूत भी चुनचुनाने लगी थी. तभी रमेश उसकी चूचियों को

सहलाकर बोला, "बंद कर दो आज अपनी सहेली के साथ मेरी होली मन

जाने दो." रमेश की बात ने मेरे बदन के रोए गंगना दिए. मैने

धीरे से दरवाज़ा बंद कर दिया. जैसे ही दरवाज़ा बंद किया, रमेश

उसको छोड़ आँगन मे चला गया. उसके जाते ही अपनी सिकुड़ी हुई

फ्रॉक ठीक करती मीना मेरे पास आ बोली, "सुनीता किसी से बताना

नही. भैया मानेगे नही. देखा मेरी चूचियों को कैसे ज़ोर ज़ोर से

दबा रहे थे." उसका बदन गरम था. मैं गुदगुदाते मंन से

बोली, "हाए मीना तू चुदवायेगि क्या?" मीना मेरी चूचियों को दबाती

मेरे बदन मैं करेंट दौड़ा बोली, "बिना चोदे मानेगा नही. कहना

नही किसी से." "पर वह तो तुम्हारा बड़ा भाई है.?" "तो क्या हुवा. हम

दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं." "ठीक है नही

कहूँगी." "हाए सुनीता तुम कितनी अच्छी सहेली हो." और मीना मेरी दोनो

चूचियों को छ्चोड़ मुस्कराती हुई अंगड़ाई लेने लगी.

हर साँस के साथ मेरी चूचियों और चूत का वोल्टेज इनक्रीस हो

रहा था. रमेश अभी तक आँगन मैं ही था. मीना की दबाई गयी

चूचियाँ मेरी चूचियों से ज़्यादा तेज़ी से हाँफ रही थी. उसकी

फ्रॉक बहुत टाइट थी इसलिए दोनो निपल उभरे थे. अब मेरी कसी

चड्डी और मज़ा दे रही थी. मैं होली की इस रंगीन बहार के बारे

मैं सोच ही रही थी कि मीना मुस्करती हुई बोली, "सुनीता तुम्हारी

वजह से आज हमको बहुत मज़ा आएगा." "बुला लो ना अपने भैया

को." "पेशाब करने गया होगा. देखा था मेरी चूचियों को मीस्थे ही

भैया का फंफना गया था. हाए भैया का बहुत तगड़ा है. पूरे 8

इंच लंबा लंड है भैया का." मस्ती से भरी मीना ने हाथ से अपने

भाई के लंड का साइज़ बनाया तू मुझे और भी मज़ा आया. अब खुला था

की सहेली अपने भाई से चुदवाने को बेचैन है.

"हाए मीना मुझे तो नाम से डर लगता है. कैसे चोद्ते हैं." अब

मेरे बदन मैं भी चीटियाँ चल रही थी. "बड़ा मज़ा आता है.

डरने की कोई बात नही फिर अब तो हम लोग जवान हो गये हैं. तू कहे

तो भैया से तेरे लिए बात करूँ. मौका अच्छा है. घर खाली ही

है. तुम्हारे घर मैं ही भैया से मज़ा लिया जाएगा. जानती है लड़को

से ज़्यादा मज़ा लड़कियों को आता है. हाए मैं तो डब्वाते ही मस्त हो

गयी थी." मीना ऐसी बाते करने मैं ज़रा भी नही शर्मा रही थी.

उसके मुँह से चुदाई की बात सुन मेरी चूत दुप्दुपने लगी. मेरा मंन

भी मीना के साथ उसके भाई से मज़ा लेने को करने लगा. मीना की बात

सही थी कि घर खाली है किसी को पता नही चलेगा. मैं मीना को

दिल की बात बताने मैं शर्मा रही थी. तभी मीना ने अपनी दोनो

चूचियों को अपने हाथ से दबाते हुवे कहा, "अपने हाथ से दबाने

मैं ज़रा भी मज़ा नही आता. तुम दबाओ तो देखें."
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मैने फ़ौरन उसकी दोनो चूचियों को फ्रॉक के ऊपर से पकड़ कर

दबाया तो मुझे बहुत मज़ा आया पर सहेली बुरा सा मुँह बनाती

बोली, "छोड़ो सुनीता मज़ा लड़के से दबवाने मैं ही आता है. तुमने

डबवाया है किसी से?" "नही मीना." मैं उसकी चूचियों को छ्चोड़ बोली

तो मीना मेरे गाल मसल बोली, "तो आज मेरे साथ मेरे भैया से मज़ा

लेकर देख ना. मेरी उमर की ही हो. तुम्हारी भी चुदवाने लायक होगी.

हाए सुनीता तुम्हारी तो खूब गोरी गोरी मक्खन सी होगी. मेरी तो

सावली है." मीना की इस बात से पूरे बदन मैं करेंट दौड़ा. मीना

ने मेरे दिल की बात कही थी. मैं मीना से हर तरह से खूबसूरत

थी. वह साधारण सी थी पर मैं गोरी और खूबसूरत.

मैने सोचा

जब रमेश अपनी इस बहन को चोदने को तैय्यार है तो मेरी जैसी

गदराई कुँवारी खूबसूरत लौंडिया को तो वह बहुत प्यार से चोदेगा.

"हाए मीना मुझे डर लग रहा है." "पगली मौका अच्छा हैं मेरा

भैया एक नंबर का लौंडियबाज़ है. भैया के साथ हम लोगो को

खूब मज़ा आएगा. भैया का लंड खूब तगड़ा है और सबसे बड़ी बात

यह है कि आराम से तुम्हारे घर मैं मज़ा लेंगे." मीना की बात सुन

फुदक्ति चूत को चिकनी रानो के बीच दबा रज़ामंद हुई तो मीना

मेरी एक चूची पकड़ दबाती बोली, "पहले तो हमको ही चोदेगा. कहो

तो तुमको भी…." मैं शरमाती सी होली की मस्ती मैं राज़ी हुई तो वह

बाहर रमेश के पास गयी. कुच्छ देर बाद वह रमेश के साथ वापस

आई तो उसका भाई रमेश मेरे उठानो को देखता अपनी छ्होटी बहन मीना

की बगल मैं हाथ डाल उसकी चूचियों को मीस्था बोला, "ठीक है

मीना हम तुम्हारी सहेली को भी मज़ा देंगे पर इसकी चूचियाँ तो अभी

छ्होटी लग रही हैं."

"कभी दबवाती नही है ना भैया इसीलिए." मीना प्यार से अपने भाई

से चूचियों को मीसवाते बोली. "ठीक है हम सुनीता को भी खुश कर

देंगे पर पहले तुम प्यार से मेरे साथ होली मनाओ. अब ज़रा दिखाओ

तो." रमेश मस्ती के मीना की चूत पर आगे से हाथ लगा मस्त नज़रो

से मेरी ओर देखते बोला तो मैने कुंवारेपन की गर्मी से बैचैन हो

मीना को कहते सुना, "यार कितनी बार देखोगे. जैसी सबकी होती है

वैसे मेरी है. अब सहेली राज़ी है तो आराम से खेलो होली."

"हाए मीना क्या मस्त चूचियाँ हैं तुम्हारी. ऐसी चूची पा जाए तो

बस दिन भर दबाते रहे." और कसकर अपनी बहन की चूचियों को

दबाने लगा. मीना और उसके भाई की इन हरकतों से मेरे बहके मंन पर

अजीब सा असर हो रहा था. अब तो मंन कर रहा था कि रमेश से कहें

आओ मेरी भी दबाओ. मेरी मीना से ज़्यादा मज़ा देंगी इतना ताव कुंवारे

बदन मैं आज से पहले कभी नही आया था. चूत फ़न फ़ना कर

चड्डी मैं उभर आई थी. जैसे जैसे वह मीना की

जवानियों को सहलाता जा रहा था वैसे वैसे मेरी तड़प बढ़ती जा

रही थी. दोस्तो आगे की कहानी अगले पार्ट मे आपका दोस्त राज शर्मा

क्रमशः........

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होली पे चुदाई --2

गतान्क से आगे..........

"ऊहह भैया अब आराम से करो ना. सहेली तैयार है. मनाओ हम्दोनो से

होली. अब जल्दी नही रमेश भैया. सहेली ने दरवाज़ा बंद कर दिया

है. जितना चोद सको चोदो." मीना मस्त निगाहो से अपनी दबाई जा रही

चूचियों को देखती सीना उभारती बोली तो रमेश ने उसको चूमते हुवे

कहा, "तुम्हारी सहेली ने कभी नही दबवाया है?" "नही भैया."

"पहले बताया होता तो इसकी भी तुम्हारी तरह दबा दबाकर मज़ा देकर

बड़ा कर देते. लड़कियों की यही उमर होती है मज़ा लेने की. एक बार

चुद जाए तो बार बार इसको खोलकर कहतीं हैं फिर चोदो मेरे राजा."

रमेश मीना की चूत को कपड़े के ऊपर से टटोलता बोला. "ठीक है

भैया मैं तो चुदववँगी ही पर साथ ही इस बेचारी को भी आज

ही…" "ठीक है पहले तुमको फिर इसको. अपने लंड मैं इतनी ताक़त है

की तुम्हारे जैसी 4 को चोद्कर खुश कर दूँ. पर यह तो शर्मा रही

है. मीना अपनी सहेली को समझाओ कि अगर मज़ा लेना है तो तुम्हारे

साथ आए. एक साथ दो मैं हमको भी ज़्यादा मज़ा आएगा और तुम लोगो

को भी."

"ठीक है भैया आज मेरे साथ सुनीता को भी. अगर इसे मज़ा आया तो

फिर बुलाएगी. आजकल इसका घर खाली है." "तो फिर आज पूरी नंगी

होकर मज़ा लो. कसम मीना जितना मज़ा हमसे पओगि किसी और से नही

मिलेगा." "ओ भैया मुझे क्या बता रहे हो मैं तो जानती हूँ. राजा

कितनी बार तो तुम चोद चुके हो अपनी इस बहन को. पर भैया आजकल

घर मैं मेहमान आने की वजह से जगह नही. वो तो भला हो मेरी

प्यारी सहेली का जिसकी वजह से तुम आज अपनी बहन के साथ ही उसकी

कुँवारी सहेली की भी चोद सकोगे." भैया इस बेचारी को भी…" "कह

तो दिया. पर इसे समझा दो कि शरमाये नही. एक साथ नंगी होकर आओ

तो तुम दोनो को एक साथ मज़ा दे. दो एक सहेलियों को और बुला लो तो

चारो को चोद्कर मस्त ना कर दूँ तो मेरा नाम रमेश नही." सहेली

के भाई की बात से मेरा पारा चढ़ता जा रहा था.

"ओह्ह मीना तुम कपड़े उतारो देर मत करो. तुम्हारी सहेली शर्मा रही

है तो इसे कहो की कमरे से बाहर चली जाए तो तुमसे होली का मज़ा

लूँ." इतना कह रमेश ने मीना की चूचियों से हाथ हटा अपनी पॅंट

उतारनी शुरू की तो मैने सनसनाकर मीना की ओर देखा तो वह मेरे

पास आ बोली, "इतना शर्मा क्यों रही हो? बड़ा मज़ा आएगा आओ मेरे

साथ."

अब मीना की बात से इनकार करना मेरे बस मैं नही था. चूत चड्डी

मैं गीली हो गयी थी. चूचियों के निपल मीना के निपल की तरह

खड़े हो गये थे. रमेश ने जिस तरह से मुझे बाहर जाने को कहा

था उससे मैं घबरा गयी थी. तभी मीना मेरा हाथ पकड़ मुझे

रमेश के पास ले जाकर बोली, "मैं बिस्तर लगाती हूँ भैया जब तक

तुम सुनीता को अपना दिखा दो."

मैं सहेली के भाई के पास आ शरमाने लगी. तभी रमेश बेताबी के

साथ अपनी पॅंट उतार खड़े लाल रंग के लंबे लंड को सामने कर मेरे

गाल पर हाथ लगा मुझे जन्नत का मज़ा देता बोला, "देखो कितना मस्त

लंड है. इसी लंड से अपनी बहन को चोद्ता हूँ. तुम्हारी चूत इससे

चुदवाकर मस्त हो जाएगी." मैं पहली बार इतनी पास से किसी मस्ताये

खड़े लंड को देख रही थी. नंगे लंड को देखने के साथ मुझे अपने

आप अजीब सी मस्ती का अनुभव हुवा. उसका लंड एकदम खड़ा था. मीना ने

जैसा बताया था, उसके भाई का वैसा ही था. लंबा मोटा और गोरा.

पहली बार जवान फँफनाए लंड को देख रही थी. रमेश पॅंट

खिसका प्यार से लंड दिखा रहा था. मीना चुदवाने के लिए नीचे

ज़मीन पर बिस्तर लगा रही थी. गुलाबी रंग के सूपदे वाले गोरे लंड

को करीब से देख मेरी कुँवारी चूत मैं चुदासी का कीड़ा बिलबिलाने

लगा और शर्ट मे दोनो अनार ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगे.
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लंड को मेरे सामने नंगा कर रमेश ने फ़ौरन शर्ट के उपर से दोनो

चूचियों को पकड़कर मसला. मसलवाकर मैं मज़े से भर गयी. सच

बड़ा ही मज़ा था. चूचियों को उसके हाथ मैं दे मैने उसकी ओर

देखा तो रमेश सीतकारी ले बोला, "बड़ा मज़ा आएगा. जवान हो गयी हो.

मीना के साथ आज इस पिचकारी से रंग खेलो. अगर मज़ा ना आता तो

मेरी बहन इतना बेचैन क्यों होती चुदवाने के लिए." एक हाथ को

लपलपते नंगे लंड पर लगा दूसरे हाथ की चूची को कसकर दबाते

कहा तो मैं होली की रंगिनी मैं डूबने की उतावली हो फिर उसके लंड को

देखने लगी. उसके नंगे लंड को देखते हुवे चूचियाँ दबवाने मैं

ग़ज़ब का मज़ा आ रहा था. चूचियाँ टटोलवाने मैं चड्डी के अंदर

गदराई चूत के मुँह मे अपने आप फैलाव हो रहा था. पहले केवल सुना

था पर करवाने मैं तो बड़ा मज़ा था.

तभी चूची को और ज़ोर ज़ोर से दबा हाथ के लंड को उभारते

बोला, "ऐसा जल्दी पाओगि नही. देखना आज तुम्हारी सहेली मीना को कैसे

चोद्ता हूँ. कभी मज़ा नही लिया तुमने इसीलिए शर्मा रही हो. तुमको

भी बड़ा मज़ा आएगा हमसे चुदवाने मे." रमेश चूची पर हाथ

लगाते अपने मस्त लंड को दिखाता जो होली की बहार की बाते कर रहा

था उससे हमें ग़ज़ब का मज़ा मिल रहा था. मस्ती के साथ अपने आप

शरम ख़तम हो रही थी. अब इनकार करना मेरे बस मैं नही था. अब

खुद शर्ट के बटन खोल दोनो गदराई चूचियों को उसके हाथ मैं

दे देने को बेचैन थी. बड़ा मज़ा आ रहा था. मेरी नज़रे हिनहिनाते

लंड पर जमी थी.

तभी मीना ज़मीन पर बिस्तर लगा पास आई और रमेश के लंड को हाथ

मैं पकड़ मेरी मसली जा रही चूचियों को देखती बोली, "भैया

हमसे छ्होटी हैं ना?" "हां मीना पर चुडवाएगी तो तुम्हारी तरह

इसको भी प्यार से दूँगा पर अभी तो तुम्हारी सहेली शर्मा रही है.

तुम तो जानती हो कि शरमाने वाली को मज़ा नही आता." और रमेश ने

मेरी चूचियों को मसलना बंद कर मीना की चूचियों को पकड़ा.

हाथ हट ते ही मज़ा किरकिरा हुवा. मीना अपने भाई के लंड को प्यार से

पकड़े थी. मैं बेताबी के साथ बोली, "हाए कहाँ शर्मा रही हूँ."

"नही शरमाएगी भैया इसको भी चोद्कर मज़ा देना." मीना ने कहा तो

रमेश बोला, "चोदने को हम तुम दोनो को तैय्यार हैं. घर खाली है

जब कहोगी यहाँ आकर चोद देंगे पर आज तुम दोनो को आपस मैं मज़ा

लेना भी सिखाएँगे." और एक हाथ मेरी चूची पर लगा दूसरे हाथ

से मीना की चूची को पकड़ लंड को मीना के हाथ मे दे एक साथ

हम दोनो की दबाने लगा. मेरा खोया मज़ा चूचियों पर हाथ आते ही

वापस मिल गया. तभी मीना उसके खड़े लंड पर हाथ फेर हमको

दिखाती बोली, "शरमाओ नही सुनीता मैं तो आज भैया से खूब

चुदवाउन्गि." अगर तुम शरमाओगी तो तुम्हे मज़ा नही मिलेगा

"नही शर्माउन्गि." "तो लो पाकड़ो भैया का और मज़ा लो." और मीना अपने

भाई के लंड को मेरे हाथ मैं पकड़ा खुद बगल हटकर दबवाने लगी.

रमेश के लंड को हाथ मैं लिया तो बदन का रोम रोम खड़ा हो

गया. सचमुच लंड पकड़ने मैं ग़ज़ब का मज़ा था. तभी रमेश

बोला, "हाए मीना बड़ा मज़ा आ रहा है तुम्हारी सहेली के

साथ." "हां भैया नया माल है ना." "कहो तो इसका एक पानी निकाल

दे." और मीना की चूचियों को छ्चोड़कर एक साथ मेरी दोनो चूचियाँ

दबाता लंड को मेरे हाथ मे कड़ा कर खड़ा हुवा.

तभी मीना मुझसे बोली, "सुनीता रानी इसका पानी निकाल दो तब चुदवाने

मैं मज़ा आएगा. अब हमलोग रमेश भैया की जवानी चूस्कर रहेंगे.

हाए तुम्हारे अनार मीस्थे भैया मस्त हो गये हैं." रमेश आँखे

बंदकर तमतमाए चेहरे के साथ मेरी चूचियों को शर्ट के ऊपर

से इतनी ज़ोर ज़ोर से मीस रहा था कि जैसे शर्ट फाड़ देगा. मेरी चूत

सनसना रही थी और लंड पकड़कर मीसवाने मैं ग़ज़ब का मज़ा मिल

रहा था. अब तो मीना से पहले उसकी पिचकारी से रंग खेलने का मंन

कर रहा था. रमेश ने लंड मेरी चड्डी से चिपका दिया था.
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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