Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
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Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
दो गुझिया और ठंडाई यानी स्ट्रांग भांग की तीन बड़ी बड़ी गोलियां अंदर , और साथ में मस्तराम और ब्ल्यू फ़िल्म में , दस मिनट में ननद रानी की चुन्मुनिया में चींटे रहे होंगे , मैंने सोचा।
कुछ देर बात करके पडोसिनो को मैंने टरकाया। राजीव , मेरी जेठानी के साथ कुछ यहाँ होली मिलने जा रहे थे। उनके जाने के बाद मैंने दरवाजा बंद किया।
चमेली भाभी ऊपर चलने के लिए बेताब थीं लेकिन मैंने उन्हें रोका और बोली ,
" अरे , जरा ननद रानी पे भांग ठीक से चढ़ तो जाने दीजिये। "
हँसते हुए वो बोली," ठीक कह रही है , उस के बाद हम लोग चढ़ेंगे। "
दस क्या पंद्रह मिनट के बाद हम लोग धड़धड़ाते हुए ऊपर चढ़े और चमेली भाभी के हाथ में स्पेशल गुलाल की एक प्लेट थी ( अंदर गाढ़े रंग और ऊपर पतली परत गुलाल की )
मैंने धीरे से दरवाजा खोला।
मीता की हालत खराब थी।
हलकी गुलाबी आँखे बता रही थीं , भांग का असर पूरा चढ़ चूका है। उसकी आँखे टीवी पे चिपकी थीं , जहाँ एक लड़की पे दो दो चढ़े थे ,एक का मोटा लंड इंजन के पिस्टन की तरह चूत में आगे पीछे हो रहा था। और दूसरा सटासट , गांड मार रहा था।
मेरी ननद की काली छोटी सी स्कर्ट आलमोस्ट पूरा ऊपर तक उठी थी और उसकी उँगलियाँ जाँघों के बीच थी।
"घबड़ाइए मत ननद रानी आपको भी एक साथ दो दो मिलेंगे ऐसे ही मोटे लम्बे। "
मैंने चिढ़ाया , और मेरी आवाज सुन के वो झटके से खड़ी हो गयी।
चमेली भाभी ने गुलाल की प्लेट टेबल पे रखी और मेरी ननद के छोटे छोटे उभारों को ललचायी निगाह से देखते , उन्होंने छेड़ा ,
" क्यों ननद रानी , पहले डालोगी , की डलवाओगी। "
" अरे भाभी , ये छोटी है पहले इसका हक़ बनता है। " मैं मीता, अपनी किशोर ननद की ओर से बोली।
और हिम्मत कर के एक चुटकी गुलाल , उस ने उठाया , और चमेली भाभी के गालों पे लगा दिया।
जब उसने हाथ उठाये , तो साइड से टाइट टॉप से , उसके किशोर उरोजों का उभार और साफ झलक रहा था और जानमारू लग रहा था।
फिर थोडा गुलाल , उसने मेरे गालों पे भी मला।
उन किशोर गदोरियों के गाल पे स्पर्श से ही मेरा शरीर दहक उठा। मेरी निगाहें उसके उठते उभारों को सहला रही थी।
अब बारी , हम भाभियों की थी। मैंने चुटकी में गुलाल लिया और सीधे उसकी मांग में , फिर मीता के रसीले गालो पे , जिसपे , सारे शहर के छैले दीवाने थे , काटते बोली ,
" ननद रानी , सिंदूर दान तो हो गया। अब सुहाग रात भी हो जाय। "
लाज से उसके गालों पे कितने पलाश खिल उठे।
और उसके कुछ बोलने से पहले ही ढेर सारा गुलाल अपने हाथों में ले के मैंने उसके गुलाब से गाल पे , रगड़ने , मसलने लगी।
" अरे ननद रानी , जब छैलन से ई गाल मसलवइबू , रगड़वइबू , तब जवानी का मजा मिले असली। " चमेली भाभी ने छेड़ा।
वो बार बार अपने हाथों से मेरे हाथों को पकड़ने की कोशिश कर रही थी। पर हम दो थे और वो भी खाये।
चमेली भाभी ने उसके दोनों हाथ पकड़ के उसकी पीठ के पीछे , मोड़ दिये। अब उसकी दोनों कलाइयां , चमेली भाभी के कब्जे में थी।
मेरे पास खुला मौका था। उसके उड़ने के लिए बेताब कबूतरों को टॉप के ऊपर से सहलाते , हलके से छेड़ते , मैंने चिढ़ाया ,
" ननद रानी , कब तक इन्हे छिपा के रखोगी। " और आराम से टॉप के बटन खोल दिए।
वो कसमसाती रही , मचलती रही , लेकिन चमेली भाभी की सँड़सी ऐसी पकड़ से आज तक कोई ननद निकल पायी है क्या ,जो वही निकलती।
और अब मैंने फिर एक मुट्ठी गुलाल उठाया और मेरे हाथ सीधे मीता मेरी ननद के टॉप के अंदर थे। मैं पहले तो हलके हलके छू रही थी , सहला रही थी , फिर मैंने जोर से रुई के फाहो की तरह , बस आ रहे , उन मुलायम उरोजों को पकड़ के दबाना , मसलना शुरू कर दिया।
" क्या मस्त जोबन आये हैं ननद रानी तेरे , जिन छैलों को मिलेगा , रगड़ मसल के मस्त हो जायेंगे " मैंने उसे छेड़ा।
चमेली भाभी क्यों पीछे रहतीं। ऐसे नयी बछेड़ी की दोनों कलाइयां पकड़ने के लिए उनका एक हाथ बहुत था। और अब उनका दूसरा हाथ खाली हो गया। पीछे से मीता के टॉप के अंदर हाथ ड़ाल के उसकी टीन ब्रा के हुक उन्होंने खोल दिए।
बस फड़फाते हुए कबूतर कैद से बाहर हो गए और मुझे और मौका मिल गया। अब मैं खुल के अपनी ननद के दनो जोबन मसल , रगड़ रही थी।
वो सिसक रही थी , मचल रही थी।
तब तक चमेली भाभी ने ढेर सारा गुलाल लेके टॉप को अच्छी तरह खोल के ऊपर से डाल दिया।
मेरे तो मजे हो गए।
गुलाल की नयी सप्लाई के साथ , मेरे हाथ दूने तेजी से मेरी ननद मीता के उभारों को रगड़ने मसलने लगे। गोरे , दूधिया कबूतरों के पंख , लाल , गुलाबी , हरे हो गए। और तभी मैंने जोर से उसके निपल रगड़े और चिढ़ाया ,
" अरे ननद रानी , अब जरा खुल के हार्न बजवाना शुरू करो। कब तक बिचारे छैलों को ललचाती रहोगी , अरे ये तो हैं ही दबवाने , मसलवाने , रगड़वाने के लिए। "
मैंने जोर से निपल पिंच किया तो सिसकियों के साथ चीख भी निकल गयी और वो बोली ,
" भाभी , प्लीज। "
गोल गोल निपल को रोल करती मैं बोली
" अरे मेरी प्यारी ननदिया , तेरे भैया तो इससे दूने जोर से मसलते हैं , ऐसे " फिर जैसे चक्की चले मेरी दोनों हथेलियां , उसके जोबन को मसल रगड़ रही थीं बिना रुके फूल स्पीड से।
" उयीईईईईईई ओह्ह्ह , आह्ह्ह , ओह्ह्ह , नहींईईईईईई भाभी। " मस्ती से उसकी हालत खराब हो रही थी।
" अरे अभी तो ये मेरे हाथ हैं , ही एक दिन तेरे दिन में भैया , रात में सैयां से मसलवाऊंगी तेरे जोबन , तब असली मजा आएगा। " मैंने छेड़ा।
उधर चमेली भाभी ने पीछे से मीता का स्कर्ट उठा दिया था और उसके छोटे छोटे चूतड़ पे गुलाल मसल रही थीं। लगे हाथ चमेली भाभी की एक उंगली पिछवाड़े से पैंटी के अंदर घुस गयी और उन्होंने छेड़ा ,
" अरे नन्द रानी , जब ये मस्त चूतड़ मटका के चलती होगी तो छैलों की तो जान ही निकल जाती होगी।
इस दुहरे हमले से बिचारी की हालत खराब हो गयी।
और मैंने मीता की उठती चूंचियों को और जोर से से दबाना शुरू किया , और वो चिंचियाने लगी ,
" भाभी , छोडो न लगता है। "
जवाब में मैंने निपल की घुन्डियाँ और जोर से दबोचीं। मस्ती और दर्द दोनों से वो जोर से सिसकी और बोली ,
" भाभी , प्लीज छोडो न "
" क्या छोडूं , मेरी बांकी हिरनिया , एक बार अपने मुंह से दे बोल दे छोड़ दूंगी , जानु। " मैंने प्यार से उसे उभार दबाते हुए कहा।
छाती , सीना , ब्रेस्ट , जोबन वो सब बोल चुकी लेकिन जब तक उसने चूंची नहीं कहा , मैं उसके प्यारे प्यारे तने खड़े , निपल पिंच करती रही।
लेकिन चमेली भाभी इतनी आसानी से थोड़ी छोड़ने वाली थीं।
उन्होंने जोर से उसके चूतड़ दबोचते कहा ,
" जोर से बोल न मैंने नहीं सूना "
और खूब जोर जोर से मीता से हम दोनों ने चूंची बुलवाया।
और फिर इन गदराई टीन बूब्स का मजा , चमेली भाभी ने भी लेना शुरू कर दिया लेकिन अपनी स्टाइल से।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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ससुराल की पहली होली-7
उन्होंने उसका टॉप पीछे से उठाया और मैंने आगे से , चमेली भाभी ने मीता की टीनेजर ब्रा निकाल कर, पलंग पे फ़ेंक दी। और टॉप उठा था ही , बस पीछे से मर्द की तरह जोर जोर से उसकी अब खुली हुयी चूंची दबा रही थीं।
मीता की पैंटी भी उन्होंने खींच के उतार दी थी और उसे भी ब्रा के पास , पलंग पे फ़ेंक दी थी।
मैंने भी एक नया मोर्चा खोल दिया था। नीचे की ओर।
मेरी हथेली अब दोनों जांघो के बीच थी और थोड़ी ही देर में सीधे उसकी गुलाबी परी पर।
बोर्डिंग से लेकर यूनिवर्सिटी तक लड़कियां मेरी उँगलियों की कायल थी , तो बिचारी ये कच्ची कली,…
और कुछ ही देर में मेरी हथेलियों ने मसल मसल कर , रगड़ रगड़ कर उसकी बुलबुल को पागल बना दिया।
और जब उँगलियों की हरकत चालु हुयी , बहुत कसी थी कुँवारी कली लेकिन मेरी अनुभवी उंगली, …तर्जनी की टिप्स घुस ही गयी और जैसे ही वो गोल गोल घूमने लगी , थोड़ी देर में रस मलायी का रस निकलने लगा और वो बिचारी बोली ," भाभी , निकाल लो न। प्लीज , निकाल लो ना "
बस यही तो मैं चाहती थी। फिर मैंने वही बात पूछी ,
" अरे कहाँ से निकाल लूँ ननद रानी "
थोड़ी देर तक तो वो ना नुकुर करती रही लेकिन जब अंगूठे ने क्लिट को रगड़ना शुरू किया तो वो चिं बोल गयी।
पहले तो वो योनि , फिर वैजायना ,
लेकिन जब तक उसने चूत नहीं बोला। मैंने ऊँगली बाहर नहीं की , वो भी पांच बार जोर जोर से।
उसके बाद तो एक बार धड़क खुल गयी तो गांड , लंड , चुदाई सब उससे बुलवाया ही और कसम भी खिलायी की अब आगे से हम सब के साथ इसी तरह बोलेगी।
लेकिन ये सिर्फ शुरुआत थी , उसकी रगड़ाई की।
चमेली भाभी ने ऊपर का मोर्चा सम्हाला और मैंने नीचे का।
क्या गौने की रात दुल्हन की रगड़ाई होती होगी , जैसे उसकी हुयी। चमेली भाभी , कभी उसके निपल खींचती , कभी फ्लिक करतीं , कभी दो उँगलियों में ले के रोल करतीं तो कभी. पिंच करती।
जितने खेली खायी औरतों ने न लिए होंगे वो चमेली भाभी ने उस नयी बछेड़ी को दिए और साथ में मैं नीचे।
अब मेरी तर्जनी का एक पोर अच्छी तरह उसकी रामपियारी में घुस चूका था। बस। मैं जोर जोर से गोल घुमाती , कभी उंगली मोड़ के उसके नकल ( kncukle ) से चूत की अंदुरनी दीवाल रगड़ती और साथ में अंगूठा , क्लिट को सहला , दबा रहा था।
वो बार बार झड़ने के कगार पे पहुंचती , और हम रुक जाते और थोड़ी देर में फिर , चमेली भाभी ने उससे सब कुछ कबूलवा लिया की उसकी चूत को लंड चाहिए , वो बहुत चुदवासी है , छिनार है।
वो कुछ भी बोलने के लिए तैयार थी , बस हम उसे झाड़ दें।
तब तक नीचे घर में कुछ आवाजाही सुनायी दी। मुझे लगा की मेरी जेठानी और ' ये ' लौट आये हैं
फिर मुझे याद आया की मैं एक चीज तो भूल गई गयी , वो कुल्हड़ , 'स्पेशल डिश ' जो मैंने ननद जी के लिए बनायी थी। मैंने चमेली भाभी को इशारा किया और अब नीचे का मोर्चा ही उनके हवाले था।
मैं वो कुल्हड़ निकाल के ले आयी ( जी हाँ , वही , जिसमें मैंने उनकी रात में दो बार गाढ़ी मलायी इकट्ठी की थी ).
उधर चमेली भाभी को भी लग गया था की राजीव लौट आये हैं और उन्होने चूत मंथन की रफ्तार बढ़ा दी।
" मीता देख , तेरे लिए स्पेशल , रबड़ी गुलाब जामुन मैंने रखा है , मुंह खोल "
मैंने ननद से बोला।
और कुल्हड़ में 'उनके रस ' में ड़ूबे , दो गुलाब जामुन में से एक उसके मुंह में , और उसने गड़प कर लिया।
तब सीढ़ियों पे पैरों की आवाज सुनायी पड़ी और मैंने कुल्हड़ उसे पकड़ा दिया , और बोला बड़ी स्पेशल रबड़ी है एक बूँद भी बचनी नहीं चाहिए।
जी भाभी वो बोली
और फिर बस एक नदीदी की तरह उसने पहले तो गुलाब जामुन और फिर कुल्हड़ उठा के सीधे होंठो से लगा लिया और सब गड़प। फिर जीभ कुल्हड़ में डालके बचा खुचा वो चाट गयी।
मैं चमेली भाभी के साथ अपनी कुँवारी ननद की चूत सेवा में लगी थी , चमेली भाभी की मोटी ऊँगली तूफान मेल की तरह मीता की चूत में अंदर बाहर हो रही थी और मैं साथ में क्लिट को जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया।
मीता बहुत जोर से झड़ने लगी। वो तेजी से सिसक रही थी , चूतड़ आगे पीछे कर रही थी , चूंचिया उसकी पत्थर हो रही थीं और निपल कांच के कंचे की तरह गोल और कड़क।
तभी दरवाजे पे खट खट हुयी और इनकी आवाज सुनायी पड़ी।
लेकिन चमेली भाभी की ननद की बिल में ऊँगली तेजी से आती जाती रही , औ फिर से मेरी छोटी ननद झड़ने लगी।
उसकी चूत एकदम रस से गीली हो गयी थी , चमक रही थी।
मैं दरवाजा खोलने गयी और मीता को इशारा किया , ब्रा पैंटी फिर से पहनने का समय तो था नहीं , बस उसने झट से अपनी टॉप और स्कर्ट नीचे कर ली।
,
अंदर घुसते ही उनकी नजर मीता पे पड़ी , बल्कि सच कहूं तो बिना ब्रा के टॉप फाड़ती , मीता की गुदाज गोलाइयों पे जो साफ साफ दिख रही थीं। यहाँ तक की कबूतर की चोंचे भी साफ नजर आ रही थी।
और हम सब ने उनकी निगाह पकड़ ली और मुस्कराने लगे।
बात बदलने के लिए उन्होंने चमेली भाभी की ओर देखा।
उनकी तर्जनी चमक रही थी और उसमें कुछ गाढ़े शीरे जैसा लगा था। वो चमेली भाभी से बोलेजाती ,
" क्यों कुछ खाया पिया जा रहा था क्या "
" हाँ देवर जी जबरदस्त रसमलाई , अब आप लेट हो गए तो चलिए चासनी चाट लीजिये "
और पिछले १० मिनट से मीता की चूत में आती जाती , उसकी रस से गीली अँगुली , उन्होंने राजीव के मुंह में डाल दी और राजीव नदीदों की तरह उसे जोर जोर से चूसने , चाटने लगे।
उन्होंने उसका टॉप पीछे से उठाया और मैंने आगे से , चमेली भाभी ने मीता की टीनेजर ब्रा निकाल कर, पलंग पे फ़ेंक दी। और टॉप उठा था ही , बस पीछे से मर्द की तरह जोर जोर से उसकी अब खुली हुयी चूंची दबा रही थीं।
मीता की पैंटी भी उन्होंने खींच के उतार दी थी और उसे भी ब्रा के पास , पलंग पे फ़ेंक दी थी।
मैंने भी एक नया मोर्चा खोल दिया था। नीचे की ओर।
मेरी हथेली अब दोनों जांघो के बीच थी और थोड़ी ही देर में सीधे उसकी गुलाबी परी पर।
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और कुछ ही देर में मेरी हथेलियों ने मसल मसल कर , रगड़ रगड़ कर उसकी बुलबुल को पागल बना दिया।
और जब उँगलियों की हरकत चालु हुयी , बहुत कसी थी कुँवारी कली लेकिन मेरी अनुभवी उंगली, …तर्जनी की टिप्स घुस ही गयी और जैसे ही वो गोल गोल घूमने लगी , थोड़ी देर में रस मलायी का रस निकलने लगा और वो बिचारी बोली ," भाभी , निकाल लो न। प्लीज , निकाल लो ना "
बस यही तो मैं चाहती थी। फिर मैंने वही बात पूछी ,
" अरे कहाँ से निकाल लूँ ननद रानी "
थोड़ी देर तक तो वो ना नुकुर करती रही लेकिन जब अंगूठे ने क्लिट को रगड़ना शुरू किया तो वो चिं बोल गयी।
पहले तो वो योनि , फिर वैजायना ,
लेकिन जब तक उसने चूत नहीं बोला। मैंने ऊँगली बाहर नहीं की , वो भी पांच बार जोर जोर से।
उसके बाद तो एक बार धड़क खुल गयी तो गांड , लंड , चुदाई सब उससे बुलवाया ही और कसम भी खिलायी की अब आगे से हम सब के साथ इसी तरह बोलेगी।
लेकिन ये सिर्फ शुरुआत थी , उसकी रगड़ाई की।
चमेली भाभी ने ऊपर का मोर्चा सम्हाला और मैंने नीचे का।
क्या गौने की रात दुल्हन की रगड़ाई होती होगी , जैसे उसकी हुयी। चमेली भाभी , कभी उसके निपल खींचती , कभी फ्लिक करतीं , कभी दो उँगलियों में ले के रोल करतीं तो कभी. पिंच करती।
जितने खेली खायी औरतों ने न लिए होंगे वो चमेली भाभी ने उस नयी बछेड़ी को दिए और साथ में मैं नीचे।
अब मेरी तर्जनी का एक पोर अच्छी तरह उसकी रामपियारी में घुस चूका था। बस। मैं जोर जोर से गोल घुमाती , कभी उंगली मोड़ के उसके नकल ( kncukle ) से चूत की अंदुरनी दीवाल रगड़ती और साथ में अंगूठा , क्लिट को सहला , दबा रहा था।
वो बार बार झड़ने के कगार पे पहुंचती , और हम रुक जाते और थोड़ी देर में फिर , चमेली भाभी ने उससे सब कुछ कबूलवा लिया की उसकी चूत को लंड चाहिए , वो बहुत चुदवासी है , छिनार है।
वो कुछ भी बोलने के लिए तैयार थी , बस हम उसे झाड़ दें।
तब तक नीचे घर में कुछ आवाजाही सुनायी दी। मुझे लगा की मेरी जेठानी और ' ये ' लौट आये हैं
फिर मुझे याद आया की मैं एक चीज तो भूल गई गयी , वो कुल्हड़ , 'स्पेशल डिश ' जो मैंने ननद जी के लिए बनायी थी। मैंने चमेली भाभी को इशारा किया और अब नीचे का मोर्चा ही उनके हवाले था।
मैं वो कुल्हड़ निकाल के ले आयी ( जी हाँ , वही , जिसमें मैंने उनकी रात में दो बार गाढ़ी मलायी इकट्ठी की थी ).
उधर चमेली भाभी को भी लग गया था की राजीव लौट आये हैं और उन्होने चूत मंथन की रफ्तार बढ़ा दी।
" मीता देख , तेरे लिए स्पेशल , रबड़ी गुलाब जामुन मैंने रखा है , मुंह खोल "
मैंने ननद से बोला।
और कुल्हड़ में 'उनके रस ' में ड़ूबे , दो गुलाब जामुन में से एक उसके मुंह में , और उसने गड़प कर लिया।
तब सीढ़ियों पे पैरों की आवाज सुनायी पड़ी और मैंने कुल्हड़ उसे पकड़ा दिया , और बोला बड़ी स्पेशल रबड़ी है एक बूँद भी बचनी नहीं चाहिए।
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और फिर बस एक नदीदी की तरह उसने पहले तो गुलाब जामुन और फिर कुल्हड़ उठा के सीधे होंठो से लगा लिया और सब गड़प। फिर जीभ कुल्हड़ में डालके बचा खुचा वो चाट गयी।
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तभी दरवाजे पे खट खट हुयी और इनकी आवाज सुनायी पड़ी।
लेकिन चमेली भाभी की ननद की बिल में ऊँगली तेजी से आती जाती रही , औ फिर से मेरी छोटी ननद झड़ने लगी।
उसकी चूत एकदम रस से गीली हो गयी थी , चमक रही थी।
मैं दरवाजा खोलने गयी और मीता को इशारा किया , ब्रा पैंटी फिर से पहनने का समय तो था नहीं , बस उसने झट से अपनी टॉप और स्कर्ट नीचे कर ली।
,
अंदर घुसते ही उनकी नजर मीता पे पड़ी , बल्कि सच कहूं तो बिना ब्रा के टॉप फाड़ती , मीता की गुदाज गोलाइयों पे जो साफ साफ दिख रही थीं। यहाँ तक की कबूतर की चोंचे भी साफ नजर आ रही थी।
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शर्म से मीता के गाल दहक उठे। उसे तो मालुम ही था की वो ऊँगली अभी क्या कर रही थी और उस में क्या लगा है।
उंगली निकाल के चमेली भाभी ने पुछा ,
" क्यों देवर जी मीठ था न "
"एकदम भौजी , " अपने होंठो पे लगी 'चासनी ' का रस चाटते वो बोले।
" अउर चाहिए तो सीधे , रस मलायी से ही ले लो " ये बोलते हुए चमेली भाभी ने मीता की स्कर्ट दोनों हाथों से उठा दी।
अबकी मेरी ननद मीता के दोनों हाथ मैंने पीछे से पकड़ रखे थे। पैटी तो हमारे बेड पे पड़ी थी।
होली की शाम उनको 'रस मलायी ' के दरशन हो गए , चिकनी , रस से लिपटी , गुलाबी।
और तभी उनकी निगाह खाली कुल्हड़ पे पड़ी और वो समझ गए , और खिसिया के वो चमेली भाभी के पीछे पड़े।
" हम तो आपकी रस माधुरी का रस लेंगे " वो बोले।
इधर मीता ने हाथ छुड़ा कर कहा , भाभी मैं नीचे चलती हूँ।
जब तक मैं रोकूँ रोकूँ , वो हिरनी दरवाजे के पार।
और मैं उसके पीछे , सीढ़ियों पे भागती ,
कमरे में से इनकी आवाज सुनायी पड़ी ,
" भौजी , लगता है दुपहरिया को मन नहीं भरा "
" एकदम नहीं एक बार में मन भर जाय तो भौजी कौन ," चमेली भाभी कौन थी अपने देवर से।
और फिर मेरे कमरे के दरवाजे बंद होने की आवाज।
मैं मुस्करायी , इसका मतलब देवर भाभी की होली शुरू।
मैं पीछे रह गयी थी और मीता आखिरी सीढ़ी पे , लेकिन तभी मैं मुस्करायी , वो आलमोस्ट कैच हो गयी। मेरा कजिन संजय वहीँ खड़ा था।
मेरे मन में फिर 'कुल्हड़ ' वाली बात आयी और मैं मुस्कराये बिना नहीं रह सकी। ये ट्रिक मेरे मायके में गांव् की एक भाभी ने बतायी थी ,
" लाली , होली के दिन कौनो कुँवारी के लंड की मलायी खिलाय दो तो शर्तिया , तीन दिन के अंदर उसका भरतपुर लूट जायेगा। और उसके बाद ओकरे चूत में अस चींटी काटी , की दिन रात चुदवासी रही उ , नंबरी छिनार बन जाई। और जेकर मलायी खायी ओसे तो शर्तिया चुदवाई "
"भाभी , ओहमे हमार कौन फायदा होई " मुस्कराकर मैंने भौजी से पुछा था।
" अरे कुवांरी चूत को मजा देवाय से बड़ा पुण्य का काम कौन है , और जो पुण्य का काम करिहे तो तो फायदा होगा ही। " वो बोलीं।
एक बात तय थी कि मेरी ननद और मेरे उनका तो फायदा होना तय था.
मेरी निगाह मेरी ननद मीता और कजिन संजय पे पड़ी दोनों में छेड़छाड़ शुरू हो गयी थी।
संजय मीता से दो -तीन साल बड़ा होगा। और मेरी शादी के बाद से ही दोनों को में खूब जम क छनती थी।
मेरी शादी में मेरी बहनो ने मीता को सारी गालियां , संजय के साथ ( हमरे खेत में सरसों फुलाये , मीता साल्ली संजय से चुदवाये , हमरे भैया से चुदवाये ), लगा के दी और शादी के बाद मीता ने खुद जब वो चौथी में आया तो उसे सूद ब्याज के साथ गालियां सुना के सारी कसर पूरी की।
मीता उसे हमेशा साले कह के बुलाती थी , ( आखिर वो था भी तो उस के भाई का साला) और वो भी बजाय बुरा मानने के साथ उसी टोन में उसे जवाब देता था।
संजय को देख के मीता रुक गयी और बोली ,
" क्यों साल्ले , मन नहीं माना , आ गए अपनी बहन से होली खेलने। "
" एकदम होली में मन कैसे मानता , लेकिन बहन नहीं बहन की ननद से होली खेलने " वो उसके ब्रा विहीन टॉप से झांकते बूब्स को घूरते , छेड़ कर बोला।
" अच्छा , बड़ी हिम्मत हो गयी है साल्ले की। पहले पकड़ो , फिर आगे देखा जाएगा " और ये कह के मीता भाग खड़ी हुयी , हिरणी की तरह।
आगे आगे वो , पीछे पीछे संजय।
बिना ब्रा के उसके उरोज कसे टॉप में लसर पसर कर रहे थे।
मैं देख रही थी दोनो का खेल।
दौड़ने में मीता भी बहुत तेज थी , लेकिन संजय भी कम नहीं था।
घर के कोने में बने एक बाथ रूम में मीता घुस गयी और अंदर से दरवाजा बंद करने की कोशिश में लगी थी की संजय भी अंदर घुस गया और दरवाजा उसने बंद कर लिया।
पीछे पीछे मैं, एक छोटा सा छेद था उससे अंदर का हालचाल देख रही थी , साथ में चौकीदारी भी कर रही थी , की कहीं कोई आ ना जाये , और मेरी ननद की मेरी मेरी भाई के साथ चल रही होली में बाधा न पड़े।
और उन दोनों कि होली शुरू हो गयी थी।
मीता खिलखला रही थी , चिढ़ा रही थी और संजय मेरा भाई उस के टॉप में हाथ डाल के उस के किशोर उभारों में पेंट लगा रहा था ,
" हे जा के अपनी बहन के सीने पे रंग लगा , साल्ले , उन का मुझ से बड़ा है " वो बोल रही थी।
" मुझे तो तेरा ही पसंद है , एक बार दिखा न " वो बोला और जब तक वो कुछ टोकती , उस ने टॉप भी उठा दिया।
( ब्रा , पैंटी तो हम पहले ही उतार चुके थे )
और मेरी ननद के छोटे छोटे गदराते , जोबन सामने थे। और जब तक वो रोकती , निपल संजय के मुंह में।
संजय का रंग लगा हाथ अब स्कर्ट के अंदर उसकी चिड़िया को रंग रहा था।
तब तक कुछ खड़बड़ हुयी और मैंने आँख हटा लिया।
और बाथरूम के सामने जा के खड़ी होगयी।
कोई आ रहा था लेकिन मुझे देख के वापस चला गया। .
मैंने फिर छेद पे आँख लगा लिया।
मीता नखड़े दिखा रही थी , बार बार न न कर रही थी।
और संजय का औजार , पैंट से बाहर निकला हुआ था। मस्त मोटा , एकदम तना।
और उसने वही किया जो मेरे भाई को मेरे ननद के साथ करना चाहिए , जबरदस्ती।
थोड़ी देर तक तो उसने मीता के गुलाब के पंखुड़ी की तरह होंठों पे अपना सुपाड़ा रगड़ा , और फिर एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और दुसरे हाथ से जोर से मीता के गोरे भरे भरे गाल दबाये , और चिड़िया की तरह मीता ने होंठ खोल दिए , और सटाक से सुपाड़ा अंदर।
थोड़ी ही देर में नखड़ा भूल के मजे से वो मेरे भाई के लंड को चूम चाट रही थी , जोर जोर से चूस रही थी।
और मेरे भाई ने भी उसका सर पकड़ के जोर जोर से उसका मुंह चोदना शुरू कर दिया।
" तेरे भाई , को भी साल्ला न बनाया तो कहना " मुंह चोदते हुए सन्जय बोला
" कैसे ," मीता से नहीं रहा गया , और पल भर के लिए लंड मुंह से बाहर निकाल के उसने पुछा।
" अरे जानु , उस साल्ले की बहन को हचक के चोदुंगा तो वो साल्ला, मेरा साल्ला होगा कि नहीं। "
मीता खिलखिला उठी जैसे चांदी की हजार घंटियाँ बज उठी हों और हंस के बोली " बना देना न " और फिर दुबारा लंड चूसने लगी।
जिस तरह संजय उसके मुंह में धक्के मार रहा था , लग रहा था बस अब वो झड़ने वाला है। और वही हुआ।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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ससुराल की पहली होली-8
मीता ने लाख सर पटका , लेकिन मेरा भाई उसके मुंह में ही झड़ा , झड़ता रहा और जब निकाला , तो सुपाड़े में लगी मलायी , उसके गालों और चूंचियों पे पोत दी।
"अब हुयी असली होली ननंद रानी की " मैंने सोचा।
वीर्य का एक बड़ा सा थक्का उसके होंठो पे था। शीशे में उसने देखा तो जीभ निकाल के उसे भी चाट लिया।
मुझे लगा कि अब घुसने का समय हो गया है , और मैंने दरवाजा खटखटाटाया.
संजय , चुपके से निकल गया।
लेकिन मैंने मीता को पकड़ लिया और टॉप के ऊपर से उसके मम्मो को दबाती बोली , " क्या खाया पिया जा रहा था "
उसका चेहरा १००० वाट के बल्ब की तरह चमक उठा , वो जोर से मुस्करायी और मुझे सीधे मुंह खोल के दिखा दिया।
उसकी जीभ पे अभी भी मेरे भाई की गाढ़ी थक्केदार मलायी थी।
और मुझे दिखा के वो नदीदी उसे भी गटक गयी।
मैंने उससे पुछा , क्यों स्वाद कैसा था , मेरी ननद रानी।
हम दोनों एक दूसरे के कंधे पे सहेलियों की तरह जा रहे थे की मीता ने मुझे चिढ़ाते बोला ,
" बहुत स्वादिष्ट , भाभी , एकदम यम्मी। आपको खाना है बुलाऊँ साल्ले को ,अभी गया नहीं होगा। "
मैं कौन पीछे रहने वाली थी , मैंने भी छेड़ा " अच्छा पहले ये बोल , किसका ज्यादा स्वादिष्ट था , मेरे भैया का या तेरे भैया का। "
" मतलब " वो ठिठक के रुक गयी।
" अरे अब तो तूने स्वाद ले ही लिया , तो , ,…वो कुल्हड़ में जो रबड़ी थी गुलाब जामुन के साथ , वो तेरे भैया की ,… "
मेरे बात पूरा करने के पहले ही वो बात समझ कर बड़ी जोर से चीखी " भाभी :" और मुझे मारने दौड़ी।
मैं आगे आगे भागी , आखिर उसी कि तो भाभी थी, दौड़ने में तेज।
लेकिन कुछी देर में पकड़ी गयी , …मै नहीं वो मेरी ननद। मीता।
कालोनी की भाभियाँ आयी थी और सब एक से एक हुड़दंगी।
मीता उधर से निकली मेरा पीछा करती और धर ली गयी।
यही तो मैं चाहती थी , उसे देख के मैं आँखों ही आँखों में उसे चिढ़ा रही थी।
सारी भाभियाँ एक से एक खेली खायी , कन्या खोर , और मीता के देख के उन की आँखों में एक आदमखोर भूख चमक उठी।
मीता उधर से निकली मेरा पीछा करती और धर ली गयी।
यही तो मैं चाहती थी , उसे देख के मैं आँखों ही आँखों में उसे चिढ़ा रही थी।
सारी भाभियाँ एक से एक खेली खायी , कन्या खोर , और मीता के देख के उन की आँखों में एक आदमखोर भूख चमक उठी।
एक ने मीता का हाथ पकड़ के रोक लिया और बोली , "
ननद रानी , अरे सुबह की होली तो तुम अपने भाइयों , और यारों से खेल रही थी , कम से कम शाम की होली तो भाभियो के साथ खेल लो। "
बिचारी मीता।
खूब खुल के होली के मस्त गाने हो रहे थे , और ये हुआ की अगले गाने में मीता नाचेगी. मीश्राईन भाभी ने ढोलक सम्हाली और` बाकी ने गाना शुरू किया। मैंने भी मजीरे से ताल देने शुरू की , आखिर मेरी ननद जो नाच रही थी ,
जैसे ही उसने एक दो ठुमके लगाए होंगे , किसी ने कमेंट मारा ,
" अरे कोठे पे बैठा दो तो इतना मस्त मुजरा करेगी ,… "
" अरे जरा ये जोबन तो उचका ,… " ये नीरा भाभी और की आवाज थी मेरी जेठानी। वो और चमेली भाभी भी अब आ गयी थीं।
गाना शुरू हुआ ,
" अरे नकबेसर कागा ले भागा , मोरा सैयां अभागा न जागा।
अरे उड़ उड़ कागा मोरे होंठवा पे बैठा , उड़ उड़ कागा मोरे होंठवा पे बैठा
होंठवा के सब रस ले भागा , अरे मोरा सैयां अभागा न जागा। "
इत्ती मस्त एक्टिंग मीता ने लुटने की कि , की मजा आ गया।
अगली लाइन गाने की मैंने शुरू की ,और डांस में साथ देने मेरे मोहल्ले के रिश्ते से , देवरानी रूपा उठी शादी पिछले साल ही हुयी थी।
अरे नकबेसर कागा ले भागा , मोरा सैयां अभागा न जागा।
अरे उड़ उड़ कागा मोरे चोलिया पे बैठा , उड़ उड़ कागा मोरे चोलिया पे बैठा
जुबना के सब रस ले भागा , अरे मोरा सैयां अभागा न जागा।
और डांस के दौरान , उसने मीता को पकड़ लिया , पीछे से और बाकायदा , जोबन मर्दन कर के जोबन लुटने का हाल बताया
बिचारी मीता लाख कोशिश करती रही लेकिन रूपा ने सबके सामने न सिर्फ टॉप के ऊपर से बल्कि अंदर भी खूब चूंचियां रगड़ी और बोला ,
" अरे ननद रानी तेरे भैया तो दिन रात हमारा जोबन लूटते हैं , आज हमारा दिन है ननदों का जोबन लूटने का।
गाना आगे बढ़ा और नीरा भाभी ने गाना शुरू किया
अरे नकबेसर कागा ले भागा , मोरा सैयां अभागा न जागा।
अरे उड़ उड़ कागा मोरे साया पे बैठा , उड़ उड़ कागा मोरे साया पे बैठा
बुरिया के सब रस ले भागा , अरे मोरा सैयां अभागा न जागा।
अरे बुरिया के सब रस ले भागा , अरे मोरा सैयां अभागा न जागा।
और इस बार तो अति हो गयी। रूपा अभी भी डांस में साथ दे रही थी और जैसे ही नीरा भाभी ने बोला बुरिया के सब रस ले भागा , अरे मोरा सैयां अभागा न जागा। उसने मीता का स्कर्ट उठा दिया और पीछे से चमेली भाभी ने उसका साथ दिया।
सब लोगो ने दरसन कर लिया।
और उसके साथ ही रुपा ने मीता की चूत पे वो घिस्से लगाये ,
गनीमत थी की तब तक ये आगये , और सब लोग हट गए।
कालोनी की औरते अपने घर निकल गयीं। चमेली भाभी भी रूपा के साथ चली गयी।
नीरा भाभी , मेरी जेठानी और ये मीता को छोड़ने उसके घर गए और अब मैं अकेली बची।
जाने से पहले मैंने मीता को अंकवार में भरा और जोर से भींचते हुए बुलाया
" हे कल जरूर आना , और शाम को नहीं दिन में ही "
जितना जोर से मैं अपनी बड़ी बड़ी चूंचियो से उसके जोबन रगड़ रही थी , उअतने ही जोर से वो भी जवाब दे रही थी।
" एकदम भाभी , पक्का आउंगी " वो बोली और तीनो चले गए।
मीता ने लाख सर पटका , लेकिन मेरा भाई उसके मुंह में ही झड़ा , झड़ता रहा और जब निकाला , तो सुपाड़े में लगी मलायी , उसके गालों और चूंचियों पे पोत दी।
"अब हुयी असली होली ननंद रानी की " मैंने सोचा।
वीर्य का एक बड़ा सा थक्का उसके होंठो पे था। शीशे में उसने देखा तो जीभ निकाल के उसे भी चाट लिया।
मुझे लगा कि अब घुसने का समय हो गया है , और मैंने दरवाजा खटखटाटाया.
संजय , चुपके से निकल गया।
लेकिन मैंने मीता को पकड़ लिया और टॉप के ऊपर से उसके मम्मो को दबाती बोली , " क्या खाया पिया जा रहा था "
उसका चेहरा १००० वाट के बल्ब की तरह चमक उठा , वो जोर से मुस्करायी और मुझे सीधे मुंह खोल के दिखा दिया।
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और मुझे दिखा के वो नदीदी उसे भी गटक गयी।
मैंने उससे पुछा , क्यों स्वाद कैसा था , मेरी ननद रानी।
हम दोनों एक दूसरे के कंधे पे सहेलियों की तरह जा रहे थे की मीता ने मुझे चिढ़ाते बोला ,
" बहुत स्वादिष्ट , भाभी , एकदम यम्मी। आपको खाना है बुलाऊँ साल्ले को ,अभी गया नहीं होगा। "
मैं कौन पीछे रहने वाली थी , मैंने भी छेड़ा " अच्छा पहले ये बोल , किसका ज्यादा स्वादिष्ट था , मेरे भैया का या तेरे भैया का। "
" मतलब " वो ठिठक के रुक गयी।
" अरे अब तो तूने स्वाद ले ही लिया , तो , ,…वो कुल्हड़ में जो रबड़ी थी गुलाब जामुन के साथ , वो तेरे भैया की ,… "
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मैं आगे आगे भागी , आखिर उसी कि तो भाभी थी, दौड़ने में तेज।
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कालोनी की भाभियाँ आयी थी और सब एक से एक हुड़दंगी।
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यही तो मैं चाहती थी , उसे देख के मैं आँखों ही आँखों में उसे चिढ़ा रही थी।
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यही तो मैं चाहती थी , उसे देख के मैं आँखों ही आँखों में उसे चिढ़ा रही थी।
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" अरे नकबेसर कागा ले भागा , मोरा सैयां अभागा न जागा।
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लला ! फिर खेलन आइयो होरी
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)