Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Post Reply
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Post by jay »

ननद ने खेली होली--16

तब तक कोई और भौजाई, शलवार में हाथ डाल के...बिन्नो बडा छिपा के माल रखा है...अरे आज जरा होली के दिन तो अपनी बुल बुल को बाहर निकालो....और उस के बाद साडी साया...चोली ब्लाउज सब रंग से सराबोर और उस के बाद पकड पकड के रगडा रगडी...।

मेरी और लाली भौजी की भी होली की कुश्ती शुरु हुयी।

पहला राउंड उनके हाथ रहा, मेरी साडी उन्होने खींच के उतार ली और ये जो वो जा, देखते देखते सब ननदों में चिथडे चिथडॆ हो बट गयी।

लेकिन मैने हाथ उनके ब्लाउज पे मारा...और थोडी देर में वो टाप लेस थी। ब्लाउज में हाथ डाल के होली खेलते समय मैने उनके ब्रा के हुक पहले से ही खॊल दिये थे.बेचारी जब तक अपने जोबन छुपाती, साडी भी गई और दोनों हाथों में पक्के रंग लगा के मैने कस के उनकी चूंचीया मसली रगडी...जाके अपने भैया से रगड रगड के छुडवाना...कोइ भाभी बोलीं।

टाप लेस तो थोडी देर में मैं भी हो गई। फिर पहले तो खडे खडे,,,फिर पैर फंसा के उनहोने मुझे गिरा दिया और फिर ना सिर्फ रंग बल्की कीचड, सब कुछ....अपनी ३६ डी चूंचीयों से मेरी चूंचीयां रगडती....लेकिन जब वो मेरी चूंचीयों का मजा ले रही थी मैने हाथ जांघो मे बीच कर सीधे साये का नाडा खॊल दिया और जैसे ही वो उठी, पकड के खींच दियां और वो सिर्फ पैंटी में।

पहला राउंड एक दूसरे के सारे कपडॆ उतारने तक चलना था और पैंटी उतारना बहोत मुश्किल हो रहा था। जब हाथ थक गये तो मैने होंठों का सहारा लिया...पहले तो उसके उपर से जम के होंठ रगडे। मुझे मालूम था की उनके चूत पे होंठों का क्या असर होता है। ये सिक्रेट मुझे ननदोइ जी ने खुद बताया था। और साथ में दांत लगा के मैने पैंटी में थोडी चीर लगा दी पिर पहले तो दो उंगली डाल के , फिर हाथ से उसे तार तार कर दिया और दोनों हाथों मे लहरा के अपनी जीत का ऐलान कर दिया। यही नहीं, पीछे से उन्हे पकड के...उनकी टांगों के बीच अपनी टांगे डाल के अच्छी तरह फैला दिया। उनकी पैंटी के अंदर मैने जो लाल पीला बैंगनी रंग लगाया था वो सब का सब साफ साफ दिख रहा था...और मेरी उंगलियों ने उनकी बुर को फैला के सबको दर्शन करा दिये..।

अरे देखॊ देखॊ..ये वही चूत है जिसके लिये शहर के सारे लडके परेशान रहते थे...एक ने आ के देखते हुये कहा तो दूसरी बोली लेकिन लाली बिन्नो ने किसी का दिल नहीं दुखाया सबको खुश किया। और उसके बाद गुलाल, रंग सीधे बाल्टी...।

लेकिन लेज कुश्ती का अंत नहीं था अभी तो...फिर सेकेंड राउंड शुरु हुआ...और चारॊं ओर से ननदों भाभीयों का शोर...।

अरे चोद दे ननद साली को गली के गदहों कुत्तॊ से चुदवाती है आज पता चलेगा..।

अरे क्या बोलती हो भाभी....रोज तो हमारे भैया से चुदवाती हो। इस शहर का लंड इतना पसंद था तभी तो मां बाप ने भेजा यहां चुदवाने को...और तुम तो तुम तुम्हारी बहने भी अपने जीजा के लंड के लिये बेताब रहती हैं...ननदें क्यों चुप रहती। अरे इनकी बहने तो बहने....भाई भी साले गांडू हैं।

ये राउंड बहोत मुश्किल हो रहा था...मैं उन्हे नीचे नहीं ला पा रही थी। लेकिन तभी मुझे गुद गुदी की याद आई...और थोडी देर में मैं उपर थी...दोनों टागों के बीच मेरी चूत उनके चूत पे घिस्सा मार रही थी। फिर दो उंगलियों के बीच दबा के कस के मैने पिंच किया...उनकी क्लिट...और दांतों से उनके निपल कच कचा के काट लिये....इस तिहरे हमले से १० मिनट में उन्होने चें बोल दिया.फिर तो वो हल्ला बोला भाभीयों ने ननदों पे ...कोइ नहीं बचा।

और मैं भी अपनी ननद कॊ क्यों छॊडती.पिछली बार तो मैं घर पे भूल गई थी पर आज मेरी असिस्टेंट अल्पी पहले से तैयार थी...१० इंच का स्ट्रैप आन डिल्डॊ...और फिर तो लाली ननद की वो घचाघच चुदाई मैने की की वो अपनी स्कूल में चुदाई भी भूल गई।

क्यों ननद रानी याद है ना हारने वाली को सारे मुहल्ले के मर्दों से चुदवाना पडेगा...जोर से मैने पूछा।

हां...सारी भाभीयां एक साथ बोलीं..।

और उसमें मेरे सैंयां भी आते हैं...हल्के से मैने कान में कहा।

अब हार गयी हूं तो और कस के धक्का नीचे से लगाती बोलीं तो शर्त तो माननी पडेगी।

और फिर तो उंगली, फिस्टिंग...कया नहीं हो रहा था...और दूबे भाभी के यहां हुआ वो तो बस ट्रेलर था...मैने भी लाली ननद के बाद अपनी कमसिन ननदों को नहीं छोडा..सब कुछ किया करवाया। इसके बाद तो मर्दों से चुदवाना उनके लिये बच्चों का खेल होगा।

और अगले दिन होली के दिन....जब होली के पहले ...ये मस्ती थी...मुहल्ले भर के भाभियों ने तो इनको पकडा ही अल्पी की सहेलियों ने भी....और फिर मुह्ल्ले के लडके भी आ गये और सारे देवरों ने कुछ भी नहीं छोडा....दिन भर चली होली। कीचड पेंट वार्निश और कोई लडका नहीं होगा जिसके पैंट में मैने हाथ न डाला हो या गांड में उंगली ना की हो...और लडकों ने सबने मेरे जोबन का रस लूटा...और ननदों कॊ भी...यहां तक की बशे में चूर इन्हे इनकी भाभीयां पकड लाई और मैने और दूबे भाभी ने लाली को पकड के झुका रखा था...और पीछे से अल्पी ने पकड के अपने जीजा का लंड सीधे उनकी बहन की बुर में...।

शाम को कम्मो का भी नम्बर लग गया। हम लोग उसके यहां गये...अल्पी नहीं थीं। उसकी मम्मी बोली की अपने सहेलियों के यहां गई और सब के यहां हो के तुम लोगों के यहां पहूंचेगी ३-४ घंटे बाद। कम्मॊ जिद करने लगी की मैं जीजा की साथ जाउंगी। मैं बोल के ले आई और फिर घर पहुंच के..।

मैने अपनी चूंची उस कमसिन के मुंह में डाल दी थी और टांग उठा के ...होली के नशे में हम तीनों थे। थोडा चीखी चिल्लाई पर...पहली बार में तो आधा लेकिन अगली बार में पूरा घोंट लिया।

अगले दिन जैसा तय था गुड्डी को ले के हम वापस आ गये।

उस के साथ क्या हुआ ये कहानी फिर कभी....।

लेकिन जैसी होली हम सब की हुई इस २१ की वैसी होली आप सब की हो ....सारे जीजा, देवर और नन्दोइयों की और

सारी सालियों सलहजों भाभीयों की।

समाप्त

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Post by jay »

next stori sasural ki pahli holi
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Post by jay »

ससुराल की पहली होली-1

"ओह भाभी प्लीज,…"

" क्या कह रही है तू ,…स्क्विज ,…ओ के " और ये कह के मैंने उसके टॉप फाड़ते किशोर उभारो को और जोर से दबा दिया। उसके खड़े निपल्स को भी मैंने पुल करना शुरू कर दिया।

" नहीं भाभी , छोड़िये न ," बड़ी शोख अदा और नाज से छुड़ाने की कोशिश करते उस किशोरी ने कहा।
और मैंने दूसरे जोबन को भी दबाना शुरू कर दिया और उसे चिढ़ाते हुए छेड़ने लगी ,

" अरी , अभी तो ऊपर से दबा रही हूँ। कल होली के दिन तो खोल के रगुंगी , रगड़ूंगी , मसलूँगी और अगर तुम्हारा मन करे न तो तुम्हारे उसे ' दिन में भैया और रात में सैयां ' वाले भाई से भी दबवा , मसलवा दूंगी। "

लाज से उसके गाल टेसू हो गए।



और जैसे ही मैंने उसे छोड़ा , एक पड़ोसन चालु हो गयीं ,
" अरे ननद रानी ये जवानी के हॉर्न , दबाने के लिए ही तो हैं। "

ये होली के पहले कि शाम थी , और हम लोग अपनी ननद मीता को छेड़ रहे थे।


वह ग्यारहवें में पढ़ती थी और उम्र का अंदाजा आप लगा लें। खूब लम्बी , सुरु के पेड़ कि तरह छरहरी , उभरते हुए टेनिस के गेंद कि साइज के उभार , और मचलते , छलकते , बलखाते नितम्ब , चोटियां लम्बी सीधे नितम्ब के दरारों तक पहुंचती … खूब गोरी , दूध में दो चार बूँद गुलाबी रंग के डाल दें बस वैसा रंग , भरे हुए गाल ,…

लेकिन शर्मीली कुछ ज्यादा ही थी।

ननद भाभियो में जो गालियां चलती हैं , बस वो चिढ जाती थी यहाँ तक की जीजा साली के खुले मजाक में भी। पिछली होली में उसके जीजा ने रंग लगाने के बहाने जब उसके जीजा ने फ्राक के अंदर हाथ दाल के उसके बड़े टिकोरे ऐसे जोबन दबा दिए , तो वो एकदम उछल गयी।


लेकिन मैंने तय कर लिया था की इस होली में इसकी सारी लाज शरम उतार के उसे होली का असली मजा दिलवाउंगी। आखिर एकलौती भाभी हूँ उसकी।

शादी के बाद ये मेरी दूसरी होली थी लेकिन ससुराल में पहली।

पिछली होली तो मेरे मायके में हुयी जब ये आये थे और क्या नहीं हुआ था वहाँ। रंग के साथ मेरी बहन रीमा को 'इन्होने ' अपनी मोटी पिचकारी का स्वाद भी चखाया। और सिर्फ रीमा ही नहीं , उसकी सहेलियों को भी। कोई नहीं बचीं। यहाँ तक की मेरी भाभी भी , अपनी सलहज को तो उन्होंने आगे और पीछे दोनों ओर का मजा दिया। और भाभी ने भी उनकी जबरदस्त रगड़ाई की थी।

लेकिन ये होली पूरी तरह मेरी होनी थी ससुराल में देवर ननदों के साथ रंग खेलने की , मजे लेने की।


और ननद के नाम पे यही मीता थी , इनकी ममेरी बहन , लेकिन सगी से भी ज्यादा नजदीक।


और देवर के नाम पे मीता का एक भाई रवी।

मेरी जिठानी , नीरा मुझसे दो चार साल ही बड़ी थी और हर मजाक में मेरा हाथ बटाती। और इस बार होली में साथ देने के लिए उनके गाँव की जो बनारस में ही था , वहाँ से उनकी भाभी भी आयी थी , चमेली भाभी। बिना गाली वाले मजाक के तो वो बोल नहीं सकती। कसी हुयी देह , खूब भरी भरे नितम्ब और गद्दर जोबन। ।और जब गारी गातीं तो किसी की भी पैंट , शलवार उतार देतीं।

जैसे मीता , मेरी नन्द शर्मीली थी वैसे ही मेरा देवर रवी। हम लोग तो कहते भी थे "

"तेरा पैंट खोल के चेक करना पड़ेगा देवर है कि ननद। … "

खूब गोरा , एकदम नमकीन और बात बात पे शर्माता , मीता से दो साल बड़ा था , उन्नीस का ,अभी बी एस सी में था।

उपफ मैंने अपने बारे में तो बताया नहीं।

जब मेरी शादी हुयी थी आज से डेढ़ दो साल पहले तो मैं रवी की उम्र कि थी , उन्नीस लगा ही था।

मैं छरहरी तो हूँ लेकिन दुबली पतली न हूँ न रही हूँ खास तौर पे खास जगहो पे।
मैं नवी दसवी में थी तभी , जब मेरे सहेलियों के टिकोरे थे मेरे उभार पूरे स्कूल में ,…

गोरी , भरे भरे गाल , रूप ऐसा जो दर्पण में ना समाये और जोबन ऐसा जो चोली में न समाये

और पतली कमर पे ३५ साइज के हिप्स भी खूब भरे भरे लगते ,

और राजीव तो मेरे उभारो के दीवाने , सबके सामने भी हिप्स पिंच कर लेते

" थोड़ी सी पेट पूजा कहीं भी कभी भी " वाले ख्याल के थे वो , और मैं कौन होती उनको मना करने वाली।

२० दिन के हनीमून में उन्होंने पूरी सेंचुरी लगायी थी , मुख मिलन छोड़ के , और उनका ये जोश अभी भी जारी थी।


उपफ मैं भी न बजाय कहानी सुनाने के अपनी ही ले बैठी। चलिए तो तो अब ससुराल में अपनी पहली होली कि बात आगे बढ़ाती हूँ।

जैसा मैं बता रही थी होली के पहले वाले शाम की बात ,

मेरी ननद मीता आयी थी और थोड़ी देर बाद रवी भी आ गया मेरा छोटा देवर।

मैं , मेरी जेठानी नीरा भाभी , और उनकी भाभी , चमेली भाभी गुझिया बना रहे थे।

रवी , एकदम चिकना , नमकीन , मुस्करा के मैंने अपनी जेठानी से कहा ,
" दीदी , कच्ची कली "
" कच्ची कली या कच्ची कला " अपनी हंसी रोकते हुए वो बोलीं।

लेकिन चमेली भाभी को तो रोकना मुश्किल था , वो बोलीं ,
" अरे ई गाँव में होते न तो रोज सुबह शाम कबहुँ गन्ने के खेत में कबहुँ अरहर के खेत में , लौंडेबाज , निहुरा के इसकी गांड बिना मारे छोड़ते नहीं। "

होली का असर तो मुझ पे भी था मैं बोली ,

' अरे भाभी , गाँव शहर में कौन फरक , कल होली में तो ई पकड़ में आएगा न बस सारी कसर पूरी कर देंगे। मार लेंगे इसकी हम तीनो मिल के। "
" एकदम कल इसकी गांड बचनी नहीं चाहिए " चमेली भाभी बोली और अबकी खुल के मेरी जेठानी ने भी उनका साथ दिया।

रवि , मेरे देवर की किस्मत वो हम लोगो की ओर आ गया और मुझसे पूछ बैठा ,

" भाभी कल होली के लिए कितना रंग लाऊं "
और चमेली भाभी ने छूटते ही जवाब दिया ,

" आधा किलो तो तुम्हारी बहन मीता के भोंसड़े में चला जाएगा और उतना ही तुम्हारी गांड में "

शर्मा के बिचारा गुलाबी हो गया।

दूसरा हमला मैंने किया , इक वेसिलीन कि बड़ी सी शीशी उसे पकड़ाई और समझाया ,

" देवर जी ये अपनी बहन को दे दीजियेगा , बोलियेगा ठीक से अंदर तक लगा लेगी और बाकी आप लगा लेना , पिछवाड़े। फिर डलवाने में दर्द कल होली में थोडा कम होगा "

बिचारे रवी ने थोड़ी हिम्मत की और जवाब देने की कोशिश की

" भाभी डालूंगा तो मैं , डलवाने का काम तो आप लोगों का है "

और अबकी जवाब मेरी जेठानी ने दिया ,
" लाला , वो तो कल ही पता चलेगा , कौन डलवाता है और कौन डालता है। "

मैंने उसके गोरे चिकने गालों पे जोर से चिकोटी काटी और बोली ,
" देवर जी , कल सुबह ठीक आठ बजे , अगर तुम चाहते हो मेरे इन सलोने चिकने गालों पे सबसे पहले तुम्हारा हाथ पड़े "

" एकदम भाभी बल्कि उसके पहले ही आपका देवर हाजिर हो जाएगा। "

वो गया और हम देर तक खिलखिलाती रहीं।

राजीव ,"मेरे वो "रात को सोने जल्दी चले गए।

होली के पहले की रात , बहुत काम था।

गुझिया , समोसे , दहीबड़े ( ये कहने की बात नहीं की आधे से ज्यादा भांग से लैस थे ) और ज्यादातर खाना भी। अगला दिन तो होली के हुडदंग में ही निकलना था।

नीरा भाभी , मेरी जिठानी और चमेली भाभी ने कड़ाही की कालिख अपने दोनों हाथों में पोत ली , अच्छी तरह रगड़ के और दबे पाँव राजीव के कमरे में गयी. वो अंटागफिल गहरी नींद में सो रहे थे ।

आराम से उनकी दोनों भाभियों ने उनके गाल पे कड़ाही की कालिख अच्छी तरह रगड़ी। नीरा भाभी ने फिर अपने माथे से अपनी बड़ी सी लाल बिंदी निकाली और राजीव के माथे पे लगा दी। वो चुटकी भर सिंदूर भी लायी थीं और उससे उन्होंने अपने देवर की मांग भी अच्छी तरह भर दी। चमेली भाभी तो उनसे भी दो हाथ आगे थीं , उन्होंने राजीव का शार्ट थोडा सरकाया और उनके उस थोड़े सोये थोड़े जागे कामदेव के तीर पे , रंग पोत दिया। मैं पीछे खड़ी मुस्करा रही थी।


और जब वो दोनों बाहर गयीं तो मेरा मौका था।

पहले तो मैंने अपने कपडे उतारे।

राजीव ने तो सिर्फ शार्ट पहन रखा था। मैंने उसे भी सरका के अलग कर दिया। और अब मेरे। रसीले होंठ सीधे उनके लिंग पे थे। थोड़े ही देर चूसने के बाद लिंग एकदम तन्ना गया। मेरी जुबान उनके कड़े चर्मदंड पे फिसल रही थी. कितना कड़ा था।

मेरे रसीले गुलाबी होंठ उनके खूब बड़े पहाड़ी आलू ऐसे मोटे कड़े सुपाड़े को चाट रहे थे , चूम रहे थे चूस रहे थे। बीच बीच में मेरी जीभ की नोक उनके सुपाड़े के पी होल के छेद में सुरसुरी कर देती थी। अब वो पूरी तरह जग गए थे।

मैंने उन्हें जबरदस्त आँख मारी और मेरा एक हाथ अब मेरे पति के बॉल्स को मादक ढंग से सहला रहा था दबा रहा था। यही नहीं , मेरी तर्जनी का नेल पालिश लगा लम्बा नाख़ून , बॉल्स से उनके पिछवाड़े के छेद तक स्क्रैच कर रहा था। और जब मैंने नाख़ून राजीव के पिछवाड़े के छेद पे लगाया , तो बस उनकी हालत खराब हो गयी।

वो मचल रहे थे , उछल रहे थे अपने हिप्स जोर जोर से पटक रहे थे। और हिप्स उठा उठा के अपना बित्ते भर लम्बा , मोटा मूसल , मेरे संकरे गले में ठूंस रहे थे।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Post by jay »

मेरी भी हालत खराब थी। पूरा लंड हलक तक मेरे अंदर था। मेरे गाल फूले हुए थे ,आँखे बाहर निकल रही थीं। लेकिन मैं रुकी नहीं और पूरे जोर के साथ चूसती रही , चाटती रही. उनका लिंग फड़क रहा था और जब मैंने अपने जुबान पे प्री कम की कुछ बूंदो का स्वाद महसूस किया तभी मैं रुकी।

मैंने धीमे धीमे उनका लिंग बाहर निकाला , आलमोस्ट सुपाड़े तक , लेकिन सुपाड़ा अभी भी मेरे मुंह के अंदर था।

कुछ देर रुक के मैंने उसे फिर चुभलाना चूसना शुरू कर दिया।

और अबकी मेरी शरारती उंगलियां और नटखट हो गयीं। कभी वो राजीव के बॉल्स को सहलाती , कभी हलके से तो कभी जोर दबा देतीं और फिर वो पिछवाड़े के छेद पे पहुँच। उंगली का टिप हलके हलके गोल गोल चक्कर कट रहा था कभी गुदा द्वार को दबा रहा था , नाख़ून से स्क्रैच कर रहा था।

राजीव उचक रहे थे , चूतड़ उठा रहे थे , लेकिन अब बिना रुके मैं जोर जोर से लंड चूस रही थी। मेरी जीभ लंड को नीचे से चाट रही थी , सहला रही थी। दोनों होंठ चर्मदण्ड से रगड़ रहे थे और गाल वैक्यूम क्लीनर से भी तेज चूस रहे थे। राजीव झड़ने के कगार पे थे।

लेकिन अबकी मैं नहीं रुकी और चूसने, की रफ्तार बढ़ा दी और साथ ही मेरी उंगली का जो टिप उनके पिछवाड़े , दबा रहा था , सहला रहा था , मैंने पूरे जोर के साथ टिप अंदर घुसा दी।

जिस तेजी से उन्होंने झड़ना शुरू किया मैं बता नहीं सकती। लेकिन मैं पिछवाड़े घुसी ऊँगली के टिप को गोल गोल घुमाती रही। हमेशा , मैं उनकी गाढ़ी थक्केदार मलायी घोंट लेती थी , लेकिन इस बार मैंने उनके लिंग कि सारी मलायी एक कुल्हड़ में गिरा दी। लेकिन मैं इतने पे ही नहीं रुकी। मैंने लंड के बेस को फिर से दबाया , बॉल्स को भींचा , और एक बार फिर लंड से गाढ़ी मलायी की पिचकारी फूट पड़ी। वो निकलता ही रहा , निकलता ही रहा और पूरा बड़ा सा कुल्हड़ भर गया।

और अब जब मैं उनके पास गयी उन्होंने मुझे कस के अपने चौड़े सीने पे भींच लिया।

उनकी प्यार भरी उंगलियां मेरी पान सी चिकनी पीठ सहला रही थीं।

और कुछ ही देर में उनके भूखे नदीदे होंठो ने मेरे मस्ती से पागल कड़े निपल्स को गपुच कर लिया और जोर जोर से चूसने लगे। उनके होंठो का दबाव मैं अपने उभारों पे महसूस कर रही थी , और दांतों की चुभन भी। उनके दांतो के निशान के हार मेरे निपल्स के चारों ओर पड गए।



और साथ ही उनकी जीभ , कभी मेरे कड़े तने निपल्स को सहलाती , लिक करती नीचे से ऊपर तक। जोबन का रस लेना किसी को सीखना हो तो राजीव से सीखे। मस्ती से मेरी आँखे मुंदी पड रही थीं।

मेरे हाथ अब राजीव के हिप्स को सहलाने लगे , दबोचने लगे। और मेरी प्रेम गली अब उनके कामदण्ड को दबा रही थी।

थोड़ी देर में उनका लिंग फिर तन्ना के उठ खड़ा हुआ।


अब राजीव से भी नहीं रहा गया और उन्होें मेरी गोरी गुलाबी केले के तने ऐसी चिकनी जांघो को पूरी तरह फैला दिया और वो मेरे ऊपर आ गए। चौदहवीं के चाँद की चांदनी पूरे कमरे में बिखरी पड़ रही थी। बाहर से फाग और कबीर गाने की आवाजें आ रही थी

अरे नकबेसर कागा लै भागा मोरा सैयां अभागा ना जागा।

लेकिन मेरा सैयां जग गया था , और उसका काम दंड भी। उ


न्होंने अपने खूब तन्नाये , बौराये लिंग को मेरे क्लिट पे रगड़ना शुरू कर दिया और उनका एक हाथ अब निपल्स को कभी फ्लिक करता तो कभी पुल करता। एक हाथ निपल्स और जोबन पे और दूसरा मेरे क्लिट पे , मैं पागल हो रही थी चूतड़ पटक रही थी। लेकिन वो तो यही चाहते थे।



थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे दोनों निचले होंठो को फैला के अपना सुपाड़ा , उसमे सेट कर दिया और साथ में दो उँगलियों से क्लिट को रोटेट करने लगे।

मैं बावरी हो गयी , नीचे से चूतड़ उठा उठा के कोशिश करने लगी कि वो लंड अंदर पेल दें। लेकिन वो मुझे तड़पा रहे थे , आखिर हार के मैं बोल ही पड़ी

" चोद दो मेरी चूत , डाल दो अपना मोटा लंड मेरे राजा , पेलो न प्लीज , चोदो न ,"

और राजीव यही तो सुनना चाह रहे थे। और अब पागलों की तरह उन्होंने मेरी चुदाई शुरू कर दी। एक झटके में ही बित्ते भर का लंड मेरी कसी चूत के अंदर था। जैसे कोई धुनिया रुई धुनें बस उसी तरह , और मैं भी चूतड़ उठा उठा के जवाब दे रही थी।

लेकिन राजीव का मन इतनी आसानी से भरने वाला कहाँ था। थोड़ी देर में उन्होंने मुझे कुतिया बना दिया , उनका फेवरिट आसन , और अब तो धक्को की ताकत और बढ़ गयी। उनके बॉल्स सीधे मेरे चूतड़ो से टकराते। और साथ में ही उनके हाथ पूरी ताकत से मेरे बूब्स निचोड़ रहे थे।

कुछ देर में फिर उन्होंने पोज बदला और अब हम आमने सामने थे। चुदाई की रफ्तार थोड़ी मन्द पड़ गयी , लेकिन वो बिना रुके चोदते रहे।

मैं थक कर चूर हो गयी , पसीने से नहा गयी लेकिन राजीव का लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर होता रहा। और फिर वो झड़े तो , झड़ते ही रहे , झड़ते ही रहे। साथ मैं मैं भी।

मैंने अपनी टांग उनके ऊपर कर ली। उनका लिंग मेरे अंदर ही था। और हम दोनों कब सो गए पता नहीं चला।
सोते समय उनके दोनों हाथ मेरे उभार पे थे , मेरी टांग उनके ऊपर और लिंग मेरी बुर में।

भोर के पहले पता नहीं कब हम दोनों की नींद खुली और कब चुदाई फिर से चालु हो गयी पता नहीं।

मैंने हलके हलके पहले कमर हिलायी , फिर चूत में उनके लंड को निचोड़ना शुरू कर दिया। उन्होंने धक्को कि रफ्तार बढ़ायी , और अबकी जबी वो झड़ने वाले थे तो मैंने उनका लंड निकाल के सीधे कुल्हड़ के ऊपर किया और सारी मलायी कुल्हड़ में।

" ये क्या कर रही हो " मुस्करा के उन्होंने पुछा।

" एक स्पेशल रेसिपी के लिए " मैं भी मुस्करा के बोली।

सोने के पहले मैंने उन्हें एक ग्लास दूध दिया , रोज की तरह। लेकिन एक फर्क ये था की आज उसमें एक सिडेटिव था। और कुछ ही देर में उनकी अाँख लग गयी। तीन बार झड़ने के बाद वो थोड़े थक भी गए थे।

और जब मैं श्योर हो गयी की वो गाढ़े नींद में सो गए हैं , तो मैं हलके से उठी और बेड शीट को भी सरका दिया। और उनके कपड़ो के साथ ही उसे भी हटा दिया। अब वहाँ कुछ भी नहीं था जिससे अपने को वो ढक सकते। मैंने अपनी ब्रा और पैंटी उनके पास रख दी और साथ में मेरी लिपस्टिक से लिखा एक नोट भी रख दिया ,

" होली के लिए आपकी ख़ास ड्रेस "

दरवाजा मैंने बाहर से बंद कर दिया। .
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: Holi sexi stories-होली की सेक्सी कहानियाँ

Post by jay »

ससुराल की पहली होली-2

जब मैं बाहर निकली तो मेरे पड़ोस के मकान के एक कमरे की लाइट जल रही थी। राजन का कमरा था वो। पडोसी और इनसे उम्र में कम होने से मेरा देवर तो लगता ही था , वो था भी बड़ा रसिया। और देह भी खूब गठी , कसरती , मस्क्युलर।

मैं उसे जॉन कहती थी। उसकी बाड़ी एकदम जान अब्राहम से मिलती थी , मैनली मस्क्युलर।


जब भी वो बालकनी से मुझे अकेले खुल के रसीले अश्लील मजाक करता। एक दिन तो उसने मुझे फ्लाइंग किस भी कर दिया लेकिन मैं कौन कम थी। अपने ब्लाउज के बटन खोल के कैच कर के मैंने उसमें उसे रख दिया। अब तो हम लोगो कि इशारे बाजी और बढ़ गयी और एकदम खुल के होने लगी।

एक बार उसने अंगूठे और तरजनी से चुदाई का इंटरनेशनल सिम्बल बनाया तो मैंने भी जोर से हिप्स के धक्के मार के उसका जवाब दिया।

और आज तो होली का दिन था , वो मेरा देवर था छेड़छाड़ तो बनती थी। वोजब बाहर निकला तो मैंने जबरदस्त गुड मार्निंग की। पहले तो नाइटी के उअप्र से अपने उभारों को मैंने सहलाया , फिर नाइटी के बटन खोल के सुबह सुबह अपने जोबन का दर्शन करा दिया ( ब्रा पैंटी तो मैं इनके लिए छोड़ आयी थी )

यही नहीं ,मैंने अपने निपल्स को सहलाया भी और पुल भी किया।

उसका शार्ट तन गया। लेकिन होली का असर दोनों ओर था।


उसने शार्ट खोल के अपना लंड निकाला। एकदम मस्त , कड़ियल। ७-८ इंच का रहा होगा और खूब मोटा। मुझे दिखा के मुठियाने लगा। मैंने भी उसके लंड पे फ्लाइंग किस दिया , जीभ निकाल के चिढ़ाया और सीढी से धड़ धढ़ाती नीचे चली गयी। नीरा भाभी और चमेली भाभी आलरेडी जग गयी थीं और सुबह का घर का काम शुरू हो गया था।


हम लोगों ने किचेन का काम जल्दी जल्दी ख़तम किया और साथ में रंग बनाने का और , ' और भी तैयारियां '.

मैं सोच रही थी क्या पहनू होली खेलने के लिए , मैं अपने पुराने कपडे देख रही थी।

बॉक्स में एक पुरानी थोड़ी घिसी आलमोस्ट ट्रांसपेरेंट सी , एक गुलाबी साडी मिली।

अब सवाल ब्लाउज का था। राजीव ने दबा दबा के साइज बड़ी कर दी थी।

मेरा चेहरा खिल उठा एक पुरानी आलमोस्ट बैकलेस लो कट चोली थी , खूब टाइट जब मैंने सिलवाई थी शादी के दो साल पहले। और शादी के बाद मेरी साइज राजीव ३४ सी से बढ़ाकर ३६ कर दी थी। बड़ी मुश्किल से फिट हुयी वो भी ऊपर के दो बटन खोल के , बस आधे से ज्यादा मेरे गद्दर गोरे जोबन दिख रहे थे और जरा सी झुकती तो मेरे मटर के दाने के बराबर निापल साफ दिखते।

मैंने जिद कर के अपनी जिठानी को भी एक पुरानी धुरानी खूब घिसी 'सब कुछ दिखता है ' वाली साडी और वैसा ही लो कट एकदम टाइट ब्लाउज पहनवाया।

लेकिन सबसे हिम्मती थीं चमेली भाभी , उन्होंने एक सिंथेटिक झलकती हुयी पीली साडी पहनी और साथ में एक स्लीवलेस स्पधेड ब्लाउज और वो भी बिना ब्रा के।

चमेली भाभी ने मेरे जोबन पे चिकोटी काटी और हंस के बोला ,


" क्यों तैयार हो ससुराल की पहली होली के , लिए देवरो से डलवाने के लिए "


मैं कौन पीछे रहने वाली थी। सफेद ब्रा विहीन ब्लाउज से झांकते उनके कड़े निपल्स को पिंच करके मैंने भी छेड़ा

"और आप भी तो तैयार हो मेरे सैयां से मसलवाने रगड़वाने के लिए। "


अभी आठ भी नहीं बजे थे लेकिन दरवाजे की घंटी बजी।

मैंने दरवाजा खोला। और कौन , मेरा गोरा चिकना , शर्मीला देवर , रवी। एक लाल टी शर्ट और हिप हगिंग जींस में सब मसल्स साफ दिख रही थीं।

मैंने प्यार से उसके गोरे नमकीन गाल सहलाये और बोला , " तैयार हो डलवाने के लिए "

शर्म से उसके गाल गुलाबी हो गए
चमेली भाभी ने भी देवर के चिकने गाल सहलाये और छेड़ा ,
" माल तो बड़ा नमकीन है , गाल तो पूरा मालपूआ है कचकचा के काटने लायक "

नीरा भाभी ने हम दोनों को डांटा

" बिचारा सीधा साधा देवर , इत्ती सुबह आया। तुम दोनों बिना उसे कुछ खिलाये पिलाये , सिर्फ तंग कर रही हो। "

चमेली भाभी एक प्लेट में गुझिया और एक ग्लास में ठंडाई लाई।ये कहने की बात नहीं है की दोनों में भांग कि डबल डोज थी।

रवी मेरे देवर ने कुछ बोलने कि हिम्मत की
" भाभी मेरी पिचकारी पूरी तैयार है। ".

मैंने झुक के जानबूझ के प्लेट से गुझिया उठायी। और जोबन के साथ निपल भी मेरे देवर को साफ दिख रहे थे। जब तक वो सम्हलता , भांग की दो गोली पड़ी गुझिया उसके मुंह में।

और अब मैंने छेड़ा ,
"अरे देवर जी , पिचकारी में कुछ रंग बचा भी है कि सब मेरी ननद मीता के अंदर डाल आये ?"

और अबकी मेरा आँचल भी ढलक गया और अब तो जोबन पूरा उसकी आँख में गड गया और मैंने मुस्करा के चिढ़ाया

" सिर्फ देखने के लिए ,…"
" मैं समझा आज तो छूने पकडने और मसलने का मौका मिलेगा " मेरा देवर भी कम शरारती नहीं था।


भांग की अब चार गोली उसके पेट में चली गयी थी और ५-१० मिनट में उसका असर पूरा होना था।

चमेली भाभी क्यों पीछे रहतीं और उन्होंने भांग मिली ठंडई तो पिलायी और साथ ही गुझिया खिलाने कि भी जिद करने लगी।

रवी नखड़े कर रहा था , तो चमेली भाभी आपने अंदाज में बोली
" अरे लाला ज्यादा नखड़ा न करो नहीं तो निहुरा के पीछे वाले छेद से घुसेड़ दूंगी अंदर "

मैं भी हंस के बोली

" और क्या जाएगा तो दोनों ओर से अंदर ही और पिछवाड़े के छेड़ का मजा मिलेगा वो अलग। "

बिचारा मेरा देवर , तीसरी भंग वाली गुझिया भी अंदर।

मैं आन्गन में आगयी और रंग भरी पिचकारी उठा के उसे ललकारा ,

" आ जाओ मेरी ननद के यार , देखु तेरी बहनो ने क्या सिखाया है। "

"उसने मुझे पकड़ने की कोशिश की , लेकिन वो जैसे ही पास आया मैंने सारी पिचकारी। , सररर अपने देवर की 'तीसरी टांग' पे खाली कर दी।

और उधर पीछे से मेरी जेठानियों, चमेली भाभी और नीरा भाभी ने बाल्टी का रंग उसके पिछवाड़े ,


लेकिन मेरा देवर , रवी , मेरे पीछे पड़ाही रहा। एक दो बार कन्नी काट के मैं बची लेकीन उसने पकड़ ही लिया। मैंने अपने चेहरे को छुपाने की दोनों हाथों से भरपूर कोशिश की , लेकिन उंसकी जबरदस्त पकड़ के आगे , …

थोड़ी देर में उसके हाथ में मक्खन से गाल सहला रहे थे , रगड़ रहे थे। मेरी उसे रोकने कि लाख कोशिश , सब बेकार गयी। यही नहीं थोड़ी देर में उसके रंग लगे हाथ सरक के नीचे आने लगे।

मेरे भी दोनों हाथ उसे रंग लगा रहे थे , पीछे से चमेली और नीरा भाभी भी रंग लगा रही थी , लेकिन बिना रुके उसके हाथ मेरी चोली के अंदर घुस ही गए। वैसे भी लो कट चोली में दोनों जोबन आधे से ज्यादा तो बाहर ही थे। पहले तो वो थोडा घबड़ायाया , झिझका कि कही मैं बुरा न मान जाऊं। लेकिन कौन भाभी होगी जो होली में चोली के अंदर घुसे हाथ वो भी देवर के हाथ का बुरा मानती।

वो हलके हलके रंग लगता रहा फिर खुल के मेरे जोबन को जोर जोर से रवी खुल के रगड़ने लगा , मसलने लगा। यहाँ तक कि एक बार उसने निपल भी पिंच कर दिए। मस्ती से मेरे उभार पत्थर हो रहे थे , निपल भी खूब कड़े हो गए थे। बिचारी चमेली भाभी और नीरा भाभी की लाख कोशिशों के बावजूद उसके दोनों हाथ जोर जोर से मेरी गोल गोल रसीली चूंचीयों का खुल के रस ले रहे थे।

रवी थोडा और बोल्ड हो गया और उसने एक हाथ मेरे साये में डालने की कोशिश की। लेकिन मैंने उसे बरज दिया।

" देवर जी , नाट बिलो द बेल्ट "
और वो ठिठक गया।

लेकिन ये मनाही चमेली भाभी के लिए नहीं थी। कड़ाही की कालिख से पुते उनके हाथ रवी के पिछवाड़े उसके पैंट के अंदर घुस गए और चमेली भाभी की उंगली अंदर पिछवाड़े इस तरह घुसी की बिचारे रवी की चीख निकल गयी।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Post Reply