तड़पति जवानी compleet

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rajaarkey
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Re: तड़पति जवानी

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बोलते बोलते उस बूढ़े की आँखो मे आँसू आ गये. पर उसकी कहानी सुनने के बाद कब मेरी योनि ने रिसना शुरू कर दिया मुझे पता ही नही चला….. वो बूढ़ा जिस तरह से रो रहा था एक तो बूढ़ा उपर से वो जिस तरह से रो रहा था मैं भी अंदर से पूरी तरह एमोशनल हो गयी. वो मेरे बगल मे ही मुझसे चिपक कर बैठा हुआ था. उसने एक नज़र मेरी तरफ देखा और फिर से फुट फुट कर रोने लग गया. मैं बुरी तरह से अंदर से एमोशन होती जा रही थी. उसकी आँखो के आँसू मेरे उपर जैसे किसी जलते हुए अँगारे की तरह गिर रहे थे.

वो जिस तरह से अपनी सेक्स की कहानी सुना रहा था उसके बोलने का अंदाज मुझे बोहोत अच्छा लग रहा था. मैं इसे और आगे तक बढ़ा कर ले जाना चाहती थी पर वो जिस तरह से रो रहा था उस सब ने तो जैसे मुझे अंदर ही अंदर परेशान कर दिया. मुझे समझहह नही आ रहा था कि मैं किस तरह से उसे समझा बूढ़ा कर शांत कर सकु.

“देखो तुम ने जिस तरह से अपने आप को पीछले 5 सालो से रोक रखा है वो तुम्हरा तुम्हारी पत्नी के लिए त्याग है. बोहोत कम लोग होते है जो इस तरह का त्याग अपनी पत्नी के लिए करते है. आप प्ल्ज़ रोना बंद कर दीजिए और अपने आँसू सॉफ कर लीजिए” मैने उसे शांत करवाते हुए कहा.

उसने मेरी बात मान कर अपनी धोती जो वो पहने हुआ था उसे उठा कर अपना चेहरा पोंछ कर सॉफ करने लग गया. उसने अपनी धोती जिस तरह से उपर उठा कर अपने आँसू सॉफ किए. उसकी धोती उपर हो जाने की वजह से उसका लिंग पूरी तरह से खुल कर मेरी आँखो के सामने आ गया. उसका लिंग देख कर मैं हैरान रह गयी. उसका लिंग देख कर मेरी हँसी निकलते निकलते रह गयी. उसका लिंग मुश्किल से 3”इंच के आस-पास होगा वो भी पूरी तरह से तना होने के बाद.

उसने अपनी आँख से आँसू सॉफ कर के अपनी धोती को वापस नीचे कर लिया. पर उसने अपनी धोती को इस तरह से नीचे किया था कि उसका लिंग उसकी धोती से पूरी तरह से बाहर निकला हुआ था. पर वो अब भी हल्के हल्के सिसक सिसक कर रो रहा था.

“देखो तुम बेकार मैं इस तरह से रो कर अपना दिल छोटा मत करो जो हो गया वो हो गया. अब तुम्हारी बीवी तुम्हारे रोने से वापस तो नही आएगी पर हां जो कुछ भी तुमने अपनी बीवी के लिए किया है. वो तुम्हारा तुम्हारी बीवी के प्रति प्यार है.” मैने उसके छोटे से लिंग से ध्यान हटा कर वापस उसको शांत करने की कोसिस की.

“तुम यकीन नही करोगी कि मेरी बीवी कितनी खूबसूरत थी अगर कोई उसे एक बार देख ले तो बस पागल ही हो जाए” बूढ़े ने मेरे आगे अपनी बीवी की तारीफ करना शुरू किया जिसे सुन कर हर औरत के जैसे मुझे भी उसकी बीवी से जलन होने लगी. मुझे ज़रा भी अच्छा नही लग रहा था कि वो मेरे सामने अपनी बीवी की तारीफ करे. एक तो अपनी कहानी सुना कर मेरा पूरा माइंड डिस्टर्ब कर दिया उपर से मुझे जला और रहा था.

“क्या तुम्हारी बीवी मुझसे भी सुंदर थी..” मैने अपने मन मे हो रही जलन के कारण उस से सवाल कर दिया.

“वो भी बिल्कुल तुम्हारे जितनी ही खूबसूरत थी.” बूढ़े ने एक बार फिर से अपनी धोती उपर उठा कर अपनी आँख से बहते हुए आँसू सॉफ किए. “तुमने मुझे मेरी मरी हुई बीवी की याद ताज़ा करवा दी. मेरी आँखो की आगे उसके साथ गुज़रा हुआ एक-एक पल मेरी आँखो के आगे सॉफ दिख रहा है.” बूढ़ा बोहोत ही एमोशनल हो कर बोल रहा था.

“आज तुम को देखा तो मुझसे रहा नही गया.. अपनी बीवी की मौत के बाद से अपनी जो भी इच्छाए थी वो सब मैने दफ़न कर दी थी पर तुम्हे देख कर वो सब की सब फिर से जिंदा हो गयी. उसके बोलने का अंदाज उसके देखे का अंदाज और यहाँ तक कि जिस तरह से तुम बैठी हुई हो बिल्कुल तुम्हारे जैसा था” बूढ़े ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा.

मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की वो आख़िर अपनी बीवी के बारे मे मुझे बता रहा था या मुझे जला रहा था. बूढ़ा अब पूरी तरह से शांत हो गया था. मुझे लगा था कि वो अब शांत ही रहेगा पर उसने तो जैसे मेरे उपर बम फोड़ दिया..

“क्या तुम थोड़ी देर के लिए मेरी पत्नी नही बन सकती हो. तुम्हे थोड़ी देर के लिए अपनी पत्नी के रूप मे पा कर मैं धन्य हो जाउन्गा.”

मुझे उस से ज़रा भी इस तरह की उम्मीद नही थी इस लिए मैने उसे ज़ोर से डाँट कर भगा दिया.. वो मुझे गुस्से मे देख कर डर के कारण दूसरी सीट पर बैठ गया.. अब कोई दिक्कत नही थी. मैने भी सोचा कि अब थोड़ी देर आराम कर लिया जाए यही सोच कर मैं विंडो से सर टिका कर आँखे बंद कर बाहर से आती ठंडी हवा को महसूस करने लगी




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bolte bolte us Budhe ki aankho me aanus aa gaye. par uski kahani sunne ke baad kab meri yoni ne risna shuru kar diya mujhe pata hi nahi chala….. wo budhha jis tarah se ro raha tha ek to budha upar se wo jis tarah se ro raha tha main bhi andar se puri tarah emotional ho gayi. wo mere bagal me hi mujhse chipak kar baitha hua tha. usne ek najar meri taraf dekha aur phir se foot foot kar rone lag gay. main buri tarah se andar se emotion hoti ja rahi thi. uski aankho ke aansu mere upar jaise kisi jalte hue angare ki tarah gir rahe the.

wo jis tarah se apni sex ki kahani suna raha tha uske bolne ka andaaj mujhe bohot achha lag raha tha. main ise aur aage tak badha kar le jana chahti thi par wo jis tarah se ro raha tha us sab ne to jaise mujhe andar hi andar pareshan kar diya. mujhe samjh nahi aa raha tha ki main kis tarah se use samjha budha kar shaant kar saku.

“dekho tum ne jis tarah se apne aap ko peechle 5 saalo se rok rakha hai wo tumhra tumhari pati ke liye tyag hai. bohot kam log hote hai jo is tarah ka tyaag apni patni ke liye karte hai. aap plz rona band kar dijiye aur apne aansu saaf kar lijiye” maine use shaant karwate hue kaha.

usne meri baat maan kar apni dhoti jo wo pehne hua tha use utha kar apna chera ponch kar saaf karne lag gaya. usne apni dhoti jis tarah se upar utha kar apne aansu saaf kiye. uski dhoti upar ho jane ki wajah se uska ling puri tarah se khul kar meri aankho ke saamne aa gaya. uska ling dekh kar main hairan rah gayi. uska ling dekh kar meri hansi nikalte nikalte rah gayi. uska ling mushkil se 3”inch ke aas-paas hoga wo bhi puri tarah se tana hone ke baad.

usne apni aankh se aansu saaf kar ke apni dhoti ko wapas neeche kar liya. par usne apni dhoti ko is tarah se neeche kiya tha ki uska ling uski dhoti se puri tarah se bahar nikla hua tha. par wo ab bhi halke halke sisak sisak kar ro raha tha.

“dekho tum bekar main is tarah se ro kar apna dil chhota mat karo jo ho gaya wo ho gaya. ab tumhari biwi tumhare rone se wapas to nahi aayegi par haan jo kuch bhi tumne apni biwi ke liye kiya hai. wo tumhara tumhari biwi ke prati pyar hai.” maine uske chhote se ling se dhyan hata kar wapas usko shaant karane ki kosis ki.
“tum yakeen nahi karogi ki meri biwi kitni khoobsurat thi agar koi use ek baar dekh le to bas pagal hi ho jaye” budhe ne mere aage apni biwi ki tareef karna shuru kiya jise sun kar har aurat ke jaise mujhe bhi uski biwi se jalan hone lagi. Mujhe jara bhi achha nahi lag raha tha ki wo mere saamne apni biwi ki tareef kare. ek to apni kahani suna kar mera pura mind disturbe kar diya upar se mujhe jala aur raha tha.

“kya tumhari biwi mujhse bhi sundar thi..” maine apne man me ho rahi jalan ke karan us se sawaal kar diya.

“wo bhi bilkul tumhare jitni hi khoobsurat thi.” budhhe ne ek baar phir se apni dhoti upar utha kar apni aankh se behte hue aansu saaf kiye. “tumne mujhe meri mari hui biwi ki yaad taja karwa di. meri aankho kea age uske saath gujara hua ek-ek pal meri aankho ke aage saaf dikh raha hai.” budha bohot hi emotional ho kar bol raha tha.

“aaj tum ko dekha to mujhse raha nahi gaya.. apni biwi ki maut ke baad se apni jo bhi ichhaye thi wo sab maine dafan kar di thi par tumhe dekh kar wo sab ki sab phir se jinda ho gayi. uske bolne ka andaaj uske dekhe ka andaaj aur yaha tak ki jis tarah se tum baithi hui ho bilkul tumhare jaisa tha” budhhe ne apni baat puri karte hue kaha.

mujhe kuch samjh nahi aa raha tha ki wo aakhir apni biwi ke bare me mujhe bata raha tha ya mujhe jala raha tha. budhha ab puri tarah se shaant ho gaya tha. mujhe laga tha ki wo ab shaant hi rahega par usne to jaise mere upar bam fod diya..

“kya tum thodi der ke liye meri patni nahi ban sakti ho. tumhe thodi der ke liye apni patni ke roop me pa kar main dhanya ho jauga.”

mujhe us se jara bhi is tarah ki umeed nahi thiis liye maine use jor se daant kar bhaga diya.. wo mujhe gusse me dekh kar dar ke karan dusri seat par baith gaya.. ab koi dikkat nahi thi. maine bhi socha ki ab thodi der aaram kar liya jaye yahi soch kar main window se sar tika kar aankhe band kar bahar se aati thandi hawa ko mehsoos karne lagi



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बाहर हल्का हल्का अंधेरा सा होने लग गया था. और आसमान मे बादल होने की वजह से बाहर से आती ठंडी हवा मुझे एक अजीब ही तरह का सकून आनंद महसूस करवा रही थी. मैं उस ठंडी हवा को अभी पूरी तरह से महसूस भी नही कर पाई थी कि बाहर से पानी की बूंदे सीधे मेरे उपर आ कर गिरना शुरू हो गयी. बारिश इतनी तेज़ी के साथ शुरू हुई कि कुछ भी सोचती समझती इस से पहले ही मेरे आधे कपड़े गीले से हो गये.

वो बुड्ढ़ा मेरे सामने ही दूसरी सीट पर बैठा हुआ था. मैने पानी से बचने के लिए बस मे दूसरी सीट पर बैठने के लिए सोचा पर पूरी बस मे हर तरफ से पानी की बूंदे अंदर आ रही थी. एक दो सीट पर कुछ लोग बैठे हुए थे जिनमे से 2 तो पति पत्नी थे और बाकी 1 आदमी कंडक्टर के साथ बैठा हुआ था. बस मे बूढ़े और मैं पीछे की तरफ थे और जिस सीट पर बैठा हुआ था वो सीट बस मे सेफ थी जहाँ पर पानी की बूंदे नही आ रही थी. मरती क्या ना करती मुझे अपने कपड़े भीगने से बचाने के लिए उस बूढ़े वाली सीट पर बैठना पड़ेगा यही सोच कर मैं उस बूढ़े की सीट पर जा कर बैठ गयी. सीट पीछे होने की वजह से और बारिश होने की वजह से अंधेरा हो गया था.

बूढ़ा मुझे अपने पास देख कर बोहोत खुस हो गया. उसे लगा कि मैं उसकी बातो से एमोशनल या उत्तेजित हो कर उसके पास आ कर बैठी हू. इस लिए वो भी मेरे पास मे मुझसे एक दम चिपक कर बैठ गया. थोड़ी देर तक हम दोनो एक दम खामोश ही बैठे रहे. पर थोड़ी ही देर मे उस बूढ़े ने अपना नाटक शुरू कर दिया.

उसने अपनी धोती जो वो पहने हुए था को उतारना शुरू कर दिया.

“ये क्या कर रहे हो ?” मैने उसको इस तरह की हरकत करते हुए देख कर कहा.

“वो तुम्हारे कपड़े पूरी तरह से गीले हो चुके थे और तुम्हारे गीले कपड़ो की वजह से मेरी धोती भी गीली हो गयी. इस लिए उसे उतार रहा हू. गीले कपड़े पहनने से दाद खाज खुजली हो जाती है. मैं तो कहता हू कि तुम भी अपने कपड़े उतार दो थोड़ी देर अगर ऐसे ही गीले कपड़े पहन कर बैठी रही तो तुम्हे सर्दी हो जाएगी.” बूढ़े ने अपनी धोती पूरी तरह से उतारने के साथ कहा. उसके इस तरह अपनी धोती खोलने से मैं थोड़ा घबरा गयी. मैने आगे की तरफ इधर उधर नज़र दौड़ा कर देखा कि किसी ने देखा तो नही पर किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नही था.

अब वो सीट पर पूरी तरह से नंगा था उसका 3” का लिंग जो पता ही नही चल रहा था कि खड़ा हुआ है या बैठा हुआ है पर वो अपना हाथ फिरा रहा था. मैने उसकी किसी भी हरकत पर कोई गौर नही किया वरना बिना बात के बात आगे बढ़ जाती इस लिए मैं चुप-चाप दूसरी तरफ मुँह कर लिया और अपनी आँख बंद कर ली. थोड़ी ही देर मैं मुझे अपनी थाइस पर कुछ महसूस सा हुआ. मैने पूरी तरह से महसूस किया तो वो बूढ़ा मेरी थाइस सहला रहा था. एक मन तो किया कि एक तमाचा खीच कर बूढ़े को लगा दूं. पर पता नही कहाँ से मन मे ये ख़याल आया कि देखते है कि ये किस लेवल तक जाता है और अगर ये ज़्यादा हद से बाहर जाएगा तो उसे ठीक करने का रास्ता है मेरे पास. इस लिए मैं सोने का नाटक करते हुए थोड़ा नीचे की तरफ हो गयी ताकि आगे की सीट से अगर कोई हमारी तरफ देखे तो उसे हम बिल्कुल भी नही दिखाई दे.
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bahar halka halka andhera sa hone lag gaya tha. aur aasman me badal hone ki wajah se bahar se aati thandi hawa mujhe ek ajeeb hi tarah ka sakoon aanand mehsoos karwa rahi thi. main us thandi hawa ko abhi puri tarah se mehsoos bhi nahi kar payi thi ki bahar se paani ki boonde seedhe mere upar aa kar girna shuru ho gayi. barish itni teji ke saath shuru hui ki kuch bhi sochti samjhti is se pehle hi mere aadhe kapde gile se ho gaye.

wo Buddha mere samne hi dusri seat par baitha hua tha. maine paani se bachne ke liye bus me dusri seat par baithne ke liye socha par puri bus me har taraf se paani ki boonde andar aa rahi thi. ek do seat par kuch log baithe hue the jinme se 2 to pati patni the aur baaki 1 aadmi condector ke saath baitha hua tha. bus me budhha aur maine peeche ki taraf the aur jis seat par baitha hua tha wo seat bus me safe thi jaha par paani ki boonde nahi aa rahi thi. marti kya na karti mujhe apne kapde bheegne se bachane ke liye us budhhe wali seat par baithna padega yahi soch kar main us budhhe ki seat par ja kar baith gayi. seat peeche hone ki wajah se aur barish hone ki wajah se andhera ho gya tha.

budhha mujhe apne paas dekh kar bohot khus ho gaya. use laga ki main uski baato se emotional ya uttejit ho kar uske paas aa kar baithi hu. is liye wo bhi mere paas me mujhse ek dam chipak kar bith gaya. thodi der tak ham dono ek dam khamosh hi baithe rahe. par thodi hi der me us budhhe ne apna natak shuru kar diya.

usne apni dhoti jo wo pehne hue tha ko utarna shuru kar diya.

“ye kya kar rahe ho ?” maine usko is tarah ki harkat karte hue dekh kar kaha.

“wo tumhare kapde puri tarah se gile ho chuke the aur tumhare gile kapdo ki wajah se meri dhoti bhi gili ho gayi. is liye use utar raha hu. gile kapde pehanne se daad khaj khujli ho jati hai. main to kehta hu kit um bhi apne kapde utar do thodi der agar aise hi gile kapde pehan kar baihi rahi to tumhe sardi ho jayegi.” budhhe ne apni dhoti puri tarah se utarne ke saath kaha. uske is tarah apni dhoti kholne se main thoda ghabra gayi. maine aage ki taraf idhar udhar najar dauda kar dekha ki kisi ne dekha to nahi par kisi ka bhi dhyan hamari taraf nahi tha.

ab wo seat par puri tarah se nanga tha uska 3” ka ling jo pata hi nahi chal raha tha ki khada hua hai ya baitha hua hai par wo apna haath phira raha tha. maine uski kisi bhi harkat par koi gaur nahi kiya warna bina baat ke baat aage badh jati is liye main chup-chap dusri taraf munh kar liya aur apni aankh band kar li. thodi hi der main mujhe apni thighs par kuch mehsoos sa hua. maine puri tarah se mehsoos kiya to wo budhha meri thighs sahla raha tha. ek man to kiya ki ek tamacha kheech kar budhhe ko laga du. par pata nahi kaha se man me ye khayal aaya ki dekhte hai ki ye kis level tak jata hai aur agar ye jyada had se bahar jayega to use thik karne ka rasta hai mere paas. is liye main sone ka natak karte hue thoda neeche ki taraf ho gayi taaki aage ki seat se agar koi hamari taraf dekhe to use ham bilkul bhi nahi dikhai de.
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Re: तड़पति जवानी

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बूढ़ा बड़े मज़े के साथ मेरी थाइस को मज़े ले ले कर सहला रहा था. थोड़ी ही देर मे उसने अपने एक हाथ को मेरी कमर पर रख दिया और मेरी कमर को भी बड़े धीमे धीमे से सहलाने लग गया था. उसे लग रहा था कि मैं सो रही हू और कही जाग ना जाउ इस लिए वो पूरी एहतियात बरत रहा था. थोड़ी ही देर बाद मेरी थाइस और कमर सहलाने के बाद वो बोहोत धीरे धीरे से मेरी साडी को उपर उठाने लगा. मैने हल्की सी चोर निगाह से देखा कि उसका रिक्षन क्या है वो कर क्या रहा है. पर जैसे ही मेरी नज़र दोबारा से उसके 3” के लिंग पर गयी तो मेरी हँसी निकलते निकलते रह गयी. 3” इंच के लिंग से मेरे साथ सेक्स करने के सपने देख रहा है ये सोच कर मैं मन ही मन मुस्कुराने लग गयी.

मैने जब एक नज़र चोर निगाह से उसकी तरफ देखा तो वो पूरी तरह से डरा हुआ था. उसने डरते हुए अपने कांप-काँपते हाथो से मेरी साड़ी को मेरी थाइस तक कर दिया. साड़ी हटने के बाद वो फिर से बड़े धीमे धीमे से मेरी थाइस को सहलाने लग गया. वो जिस तरह से मेरी थाइस को सहला रहा था मुझे मेरे पूरे शरीर मे गुदगुदी सी होने लग गयी थी. पर मज़ा भी खूब आ रहा. थोड़ी देर मेरी नंगी थाइस पर हाथ फिराने के बाद वो अपने हाथ को वहाँ से हटा कर मेरे ब्लाउस पर ले आया और अपने हाथो से मेरे उरोज को हल्के हल्के पुश करने लग गया. थोड़ी देर तक ब्लाउस के उपर से हाथ फिराने के बाद वो ब्लाउस के बटन को खोलने की कोसिस करने लगा.

उसके हल्के हल्के उरोज दबाने से मुझे मज़ा तो आ रहा था पर डर भी लग रहा था कि कही वो मेरा ब्लाउस ना उतार दे. क्या मुझे सोने का नाटक जारी रखना चाहिए या उसे डाँट देना चाहिए क्यूकी उसकी हिम्मत और भी ज़्यादा बढ़ती जा रही थी. पर वो जिस तरह से मेरे उरोज दबा रहा था स्लोली स्लोली मुझे बोहोत मज़ा आ रहा था. इस लिए मैने सोचा कि ब्लाउस के बटन खोल कर वो हल्का हल्का दबा लेगा जिस से मुझे कोई ज़्यादा परेशानी नही. वैसे भी थोड़ी ही देर मे स्टेशन आने वाला है.

बूढ़े ने थोड़ी ही देर मे मेरे ब्लाउस के सारे बटन खोल दिए और उन्हे दोबारा से हल्के हल्के सहलाने लग गया. मैं भी अपनी आँखे बंद किए उसकी इस हरकत का मज़ा लेने लग गयी. थोड़ी ही देर मे उसने उरोज सहलाते सहलाते मेरे एक उरोज को ब्रा के उपर से ही सक करने लग गया. मैं तो बुरी तरह से हड़बड़ा गयी. एक तो मेरा ब्लाउस गीला था और उपर से वो मेरे उरोज को सक कर रहा था मैं तो मज़े की एक नयी दुनिया मे खोती जा रही थी. पर मुझे पता था ये सब ग़लत है जो कुछ भी हो रहा है अगर किसी ने मुझे या इसे देख लिया तो हम दोनो के ही लिए मुसीबत हो जाएगी. इस लिए मैने अपनी आँखे वापस खोल कर उसको डाँट दिया.

“ये क्या बदतमीज़ी है. दूर हटो मुझ से” बोहोत धीमे से बोल कर मैने उसे अपने से दूर धकेल दिया

बूढ़ा मेरी इस हरकत से बुरी तरह से घबरा जाता है. और डर के मारे मुझसे दूरी बना लेता है पर थोड़ी ही देर मे वो फिर से शुरू हो जाता है. वो एक दम से मेरे आगे गिडगीडाने लग गया..

“देखो तुम अगर मुझे करने दोगि तो तुम्हारा कुछ नही घिसेगा. एक बार करने दो ना. थोड़ी तो दया करो.” वो इतनी बुरी तरह से मेरे पैर पकड़ कर गिडगीडा रहा था कि मुझे समझ ही नही आ रहा था कि मैं क्या करू.

“तुम पागल हो गये हो. इतना मार खाने के और मेरे समझने के बाद भी तुम्हे अकल नही आई.” मैने उसकी तरफ गुस्से से देखते हुए कहा.

वो एक बार फिर से बुरी तरह से घबरा रहा था. अभी तक जितनी बार मे किसी के साथ इस तरह से हुई थी हर बार मेरी हालत डरी हुई होती थी पर इस बार बिल्कुल उल्टा था मैं ठीक थी और बूढ़ा मेरी जगह पर डरा हुआ था. उसके चहरे पर दया और घबराहट के मिले जुले भाव सॉफ दिखाई दे रहे थे. मैने एक नज़र फिर से उसकी तरफ देखा उसका 3” इंच का लिंग उसके हाथ मे था और वो उसे सहला रहा था.

“मैने तुम्हे अपनी सारी कहानी सुना दी. क्या तुम्हे मेरी कहानी सुन कर ज़रा भी दया नही आ रही है .” बूढ़े ने फिर से मेरे आगे गिडगीडा कर रोनी सी आवाज़ मे कहा.

वो जिस तरह गिड-गीडा कर मेरे आगे मुझसे रिक्वेस्ट कर रहा था मुझे उसकी हालत पर दया आ गयी इस लिए मैने उस से पूछा कि “मैं क्या कर सकती हू ?”

“तुम क्या नही कर सकती हो.. तुम सब कुछ कर सकती हो. उपर वाले ने तुम्हे वो चीज़ दी है जिसके बल पर तुम कुछ भी कर सकती हो कुछ भी करवा सकती हो” बूढ़े ने मुझे मक्खन लगाते हुए कहा.

“ऐसा कुछ नही है. उपर वाले ने कुछ भी नही दिया है. तुम्हे मेरे पास कोन सी जादू की छड़ी दिख गयी जो तुम ये बात बोल रहे हो” मैने भी अपनी तारीफ सुन कर थोड़ा बन ते हुए उस से पूछा.

“जादू की च्छड़ी ही दी है तुम्हे. और वो जादू की च्छड़ी है तुम्हारी खूबसूरती जिसके बल पर तुम कुछ भी कर सकती हो. किसी को भी अपनी उंगली पर नचा सकती हो.” बूढ़े ने फिर से एक बार अपनी चिकनी चुपड़ी बातो से मुझे अपने जाल मे फँसाने की कोसिस की.

“ह्म्म..!! पर तुम मुझसे क्या चाहते हो ?” मैने उसकी पूरी बात सुनते हुए कहा.

“कुछ नही.. बस थोड़ी सी दया मेरे उपर कर दो. अपनी इस खूबसूरती का रस थोड़ा सा मुझे भी चखा दो” बूढ़े ने इस बार थोड़ा खुल कर बोलते हुए कहा.

“क्या मतलब है तुम्हारा ? तुमने क्या मुझे ऐसा वैसा समझ रखा है?” मैने उस पर फिर से थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा.

“नही !! मेरा मतलब वो नही है. पर अगर तुम मेरा थोड़ा भला कर दोगे तो तुम्हारा तो कुछ कम नही होगा पर मेरा जीवन धन्य हो जाएगा”

हम दोनो ही बोहोत धीमी आवाज़ मे बात कर रहे थे ताकि किसी को सुनाई ना दे और मैं बीच बीच मे ये भी देख रही थी कि कोई हमारी तरफ तो नही देख रहा है क्यूकी उसे तो कोई फरक पंडा नही था फरक मुझे ही पंडा था. मैं उसकी बात सुन कर कुछ नही बोलती. पर उसका लिंग देख कर और उसकी सुनाई हुई कहानी सोच कर मुझे बड़ी हैरानी होती है. क्यूकी अमित, मुकेस, संजय और रामकुमार के लिंग का साइज़ याद करके मैं सोच मे पड़ गई. क्या ये मुमकिन है कि इसकी बीवी को इसके 3” इंच के लिंग के साथ सेक्स करके मजा आता होगा ? क्यूकी जब से मैने अमित के साथ सेक्स किया था तो ये महसूस किया था कि जैसे ही उसका लिंग मेरी योनि की गहराई मे जितना ज़्यादा जाता था मुझे उतना ही ज़्यादा मज़ा आता था. ये बात समझ मे ही नही आ रही थी और उपर से वो मेरे आगे जिस तरह से गिडगीडा रहा था मुझे उस पर तरस आ गया. और वैसे भी कुछ ही देर मे स्टेशन आने वाला था इस लिए मैं उसे हां बोल दिया क्यूकी मुझे पता था कि कुछ भी ऐसा वैसा होने से पहले ही मेरा स्टेशन आ जाएगा और मैं उतर जाउन्गि.

“ठीक है..!!! मैं तुम्हे को-ऑपरेट करने को तैयार हू पर एक शर्त है.. तुम्हे जो कुछ भी करना है सिर्फ़ उपर से ही करोगे.”
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