पापी परिवार

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Re: पापी परिवार

Post by 007 »

rajaarkey wrote:अब तो नीमा के मज़े हो गये एक तरफ विक्की एक तरफ स्नेहा..........................बहुत ही अच्छा अपडेट

आभार,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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Re: पापी परिवार

Post by 007 »

"सच्ची माँ ?" हवा में उड़ती स्नेहा ने सवाल किया.


"हां और नही तो क्या !! नालयक चूस चूस कर निचोड़ देता है, लाल हो कर इनकी दुर्गति हो जाती है" जवाब के साथ ही नीमा ने उसका टॉप उतार फेंका, जीवन में प्रथम बार वह अपनी बेटी के विकसित मम्मो को नगन देख रही थी "उफ़फ्फ़ स्नेहा !! कितने टाइट और रसीले हैं ये" वह झुकी और उसकी तनी हुवी निप्प्लो पर चुंबनो की बारिश सी कर देती है.



"ओह्ह्ह सीईइ" स्नेहा सिसकी तो उसकी माँ ने उसके बाएँ निपल को अपने होंठो के मध्य दबा लिया और मूँह के भीतर अपनी लंबी जीभ अपनी बेटी की तनी घुंडी पर ठीक वैसे ही नचाने लगी जैसे दिन में कयि बार अपने पुत्र के गुलाबी सुपाडे पर फुदकाती थी. अपनी मर्ज़ी से पहली बार अपनी बेटी के साथ, उसके नज़रिए से यह बड़ा ही मज़ेदार अनुभव था. खुद एक स्त्री होने के नाते वह बखूबी जानती थी कि उसकी बेटी अपनी कुँवारी अवस्था में सबसे ज़्यादा किस चीज़ के लिए तड़पति होगी. विक्की और स्नेहा में उसे काफ़ी समानताएँ नज़र आती हैं, उसके बेटे की तरह बेटी के बदन में भी अलग ही आकर्षण था. स्नेहा के शरीर में वही जोश और उत्तेजना थी जो वह हमेशा विक्की में महसूस करती थी और सोचते-सोचते जाने कैसे नीमा अपनी पुत्री के निपल को बलपूर्वक चबाने लगती है.


"औच !! माँ क्या वह आप के नीचे भी चाट ता है ?" सवाल के साथ स्नेहा के मूँह से दबी चीख भी निकल पड़ी, आख़िर उसकी माँ के नुकीले दांतो के पीड़ादायक प्रहार लगातार उसके नाज़ुक चुचक पर कहेर जो ढा रहे थे.


"नीचे कहाँ ?" नीमा जान कर अंजान बनते हुवे उल्टे उससे प्रश्न कर देती है, सेक्स के खेल में खुलेपन की वह आदि हो चुकी थी.


"टाँगो के बीच में" कह कर स्नेहा ने अपने दूसरे स्तन को अपने स्वयं के हाथ के बीच दबोच लिया, वो अभागा तो उसकी माँ के प्यार की चाह में अंदर से तड़प-तड़प कर खुद ब खुद सख़्त हो गया था.


"टाँगो के बीच में ?" फॉरन नीमा ने अपनी पुत्री का थूक से सना निपल छोड़ा और अविश्वास से उसके चेहरे को घूर्ने का नाटक करती हुवी बोली तथा फिर से उसके निपल को अपने मूँह के भीतर सडॅक लेती है, वह पहले से कहीं अधिक तीव्रता से उसकी चुसाई में जुट गयी मानो निपल नही लंड हो जो थोड़ी ही देर में अपना पानी छोड़ देगा.


"उफफफ्फ़ माँ !! प्लीज़ ज़ोर से चूसो. हां .. हां" स्नेहा अपनी माँ को उकसाते हुवे चिल्लाई, यक़ीनन उसकी कुँवारी चूत के भीतर बिजली सा करेंट दौड़ने लगा था. "मैने कयि बार देखा है, वह आप की चूत को घंटो तक चाट ता रहता है" अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसने अपनी माँ की भभक्ति चूत को अपनी मुट्ठी में भींच कर कहा जो उस वक़्त स्पष्टरूप से उसकी माँ के जिस्म में लगी आग की चुगली कर रही थी.


"हॅट बेशरम" इधर नीमा ने उसकी चूचियों को जकड़ा तो
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Re: पापी परिवार

Post by 007 »


उधर स्नेहा भी पूरी तैयारी में थी. वह अपनी माँ की बुलबुले उगलती चूत के सूजे होंठो को अपनी पतली व छोटी उंगलियों से सहलाते हुवे बुदबुदाई. "माँ !! मेरी चूत को चाटो ना. मुझे जानना है, कैसा लगता होगा" स्नेहा ने अपने शरीर में उमड़ती उत्तेजना के नशे में झूम कर आग्रह किया.



अपनी बेटी की नीच माँग को स्वीकार कर नीमा उसके बदन से ऊपर उठी और नीचे खिसक कर उसकी टाँगो के मध्य जगह बनाते हुवे उसके सूती पाजामे की एलास्टिक में अपनी उंगलियाँ फसा कर सरकाने लगी "अरे वाह !! मेरी बिटिया रानी तो पूरी तैयारी के साथ यहाँ आई थी" स्नेहा के कच्छि ना पहने होने के कारण उसने टॉंट मारा और फिर पाजामे को उसकी लंबी टाँगो से बाहर निकाल देती है. काफ़ी मादक दृश्य था, भयंकर चुदास से भरी दो कामुक औरतें. जहाँ एक बेटी बिस्तर पर अपनी टाँगो को फैलाए लेटी अपनी माँ द्वारा अपनी चूत चटवाने को तड़प रही है, वहीं उसकी माँ अश्लीलतापूर्वक अपनी बेटी की सुडोल जाँघो के बीच अपना मूँह घुसाए बैठी उसकी चूत के कौमार्य का बारीकी से निरीक्षण कर रही थी. "देख !! तेरा भाई ऐसी शैतानियाँ करता है तेरी माँ के साथ" कहने के उपरांत नीमा ने अपनी बेटी की चूत के पास अपने होंठ रख दिए, स्नेहा के अन्द्रूनि अंग से रिस्ता पानी उसके गालो पर भी चुपड जाता है. उस माँ की खुशी का तो ठिकाना नही था जिसने अब से कुच्छ लम्हे पहले ही अपनी बेटी के कुंवारेपन को क्लीन चिट दी थी और इसी प्रसन्नता से ओत-प्रोत नीमा अपनी जीभ अपनी पुत्री की टाँगो की जड़ के भीतर घुसा देती है.
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Re: पापी परिवार

Post by 007 »

"उईईई माँ" स्नेहा ने गहरी सिसकी भरी, नीमा की खुद की चूत में लगी आग के मद्देनज़र उसे मालूम था कि उसकी बेटी को अब क्या चाहिए. पहले तो उसने अपनी जीभ को अपनी पुत्री की मोटी-मोटी जाँघो के अन्द्रूनि हिस्से पर नचाया और फिर थूक से गीली उसकी छोटी-छोटी सुनहरी झान्टो को चूस्ते हुवे बेहद रिस्ति चूत के चिपके चीरे को पूरी लंबाई में एक साथ चाट लिया. "क्या हुआ स्नेहा ?" उसने भोली बनने का नाटक ज़ारी रखा जैसे कुच्छ जानती ही ना हो.


"उफफफ्फ़ !! आप .. आप की जीभ माँ" स्नेहा का संपूर्ण जिस्म काँप उठा, उसकी गान्ड अपने आप उसकी माँ के चेहरे पर ठीक वैसे ही झटके देने लगती है जैसे होटेल में लंड चुसाई के दौरान उसका छोटा भाई अपनी कमर हिला-हिला कर उसके मूँह को चोद रहा था.

"बस तू मज़े ले" नीमा ने महसूस किया कि उसकी पुत्री की कुँवारी चूत के अधखुले होठों ने उसकी जीभ के लिए सामान्य से कुच्छ अधिक जगह बना ली है, उसने स्नेहा की टाँगो को बलपूर्वक फैला जो रखा था ताकि अपनी जिह्वा अपनी बेटी की चूत के भीतर ज़्यादा से ज़्यादा गहराई तक पहुँचा सके. हलाकि चूत चाटने का उस माँ को अत्यधिक अनुभव नही था मगर अपने पुत्र द्वारा पूर्व में मिले हर आनंद के तेहेत उसे पता अवश्य था कि स्नेहा को अकल्पनीय सुख की प्राप्ति कैसे होगी. सोचने के उपरांत उसने अपनी जीभ को सिकोड कर थोड़ा नुकीला बनाया और अपनी पुत्री की चूत के ऊपरी हिस्से पर आहिश्ता से फेरने लगी.

स्नेहा की घुटि हुवी सी चीख दोबारा से निकल पड़ी और खुद ब खुद उसकी नन्ही उंगलियाँ उसकी माँ के सर पर जाकड़ जाती हैं. "ह्म्‍म्म्म उम्म्म !! आराम से" बार-बार अपनी माँ की जिह्वा को अपनी चूत के चिकने मुहाने पर रेंगती महसूस कर वह बरबस अपने होंठ दबा कर सिसकती रही और अपना बदन कठोर कर लिया.

अंजाने में ही सही नीमा का निशाना सटीक बैठा था और फॉरन उसकी पुत्री का अन्छुवा भांगूर फूल कर अपना सर उठाने लगता है. "ढीली हो !! वरना खेल ख़तम" नीमा ने उसके भज्नासे को पूरे मनोयोग से चूस्ते हुवे कहा और उसकी चेतावनी के आगे अत्यंत तुरंत स्नेहा ने हथियार डाल दिए.

उस बेचारी को तो अपनी चूत के साथ-साथ अपने तने निप्पलो में भी आनंदमयी दर्द का एहसास झेलना पड़ रहा था और स्वयं ही वह अपनी चूचियों का मर्दन करना शुरू कर देती है, शायद अपनी माँ के हाथो का इंतज़ार कर पाना उसके लिए मुश्क़िल था.

"रुक !! मैं दबाती हूँ" बोल कर नीमा ने उसकी चूत को चूस्ते हुए उसके स्तन थाम लिए, जहाँ वह अपनी पुत्री की चूत के ऊपर अपनी लप्लपाति जीभ का सुकून दे रही थी वहीं अब अपने हाथो की कठोरता से उसे मस्त कर देने को मचल उठती है. मंन ही मंन लगातार उसके मश्तिस्क में द्वन्द्व भी चल रहा था कि उसे खुद पर काबू कर लेना चाहिए मगर अपने जिस्म की ज़रूरत के हाथो मजबूर हो कर वह बेहद स्वार्थी बन गयी थी.

नीमा ने बिस्तर पर पड़े तकिये को स्नेहा के चूतडो के नीचे व्यवस्थित करना चाहा ताकि उसकी पुत्री की कामरस टपकाती चूत और ज़्यादा खुल जाए, बेटी ने भी अपनी माँ की मंशा को समझ कर उसका पूरा सहयोग करते हुवे अपने चूतड़ ऊपर उठा लिए. जीवन में पहली बार वह किसी औरत द्वारा संभोग रूपी सुख को प्राप्त कर सिहरन से बिलबिला रही थी, रोमांचक विषय था उस औरत का उसकी सग़ी माँ होना. "मुआाह" स्नेहा ने अपनी माँ के होंठ चूमे और नीमा की जिह्वा उसकी बेटी की खुली चूत के भीतर की नयी-नयी गहराइयाँ नापने के साथ हर बार एक नयी सनसनी पैदा करने लगी.

किसी मर्द से चुद्ते वक़्त तो सिर्फ़ चूत की दीवारें ही रगड़ती हैं मगर नीमा की लंबी जीभ तो कहीं गहरे में स्नेहा की बच्चेदानी तक असर कर रही थी. उसके पूरे शरीर में उठती आनंददायक पीड़ा यह सिद्ध करने को काफ़ी थी कि किसी भी औरत के जिस्म को सिर्फ़ एक छोटे से बिंदु से काबू में किया जा सकता है. कुच्छ ही क्षनो में उस माँ को अपनी ज़ुबान पर अपनी पुत्री की जवानी के पानी का स्वाद महसूस हुआ और देखते ही देखते चूत में से झरना सा बह निकला.


"आहह सीईइ" स्नेहा की चूत ने उसकी माँ की चूत से अपेक्षाकृत ज़्यादा पानी उगला. नीमा को भी अपनी चूत के भीतर आता खालीपन्न सता रहा था परंतु अभी उसकी बेटी का पूरी तरह से तृप्त होना ज़रूरी था ताकि नीमा उसके संतुष्ट हो जाने के बाद विक्की से जी भर कर अपनी चूत का सूनापन मिटवा सके और ऐसा सोच कर उसने फॉरन अपनी दो उंगलियों को आपस में जोड़ कर अपनी पुत्री की भभक्ति चूत के अत्यंत संकीरणा मार्ग में पैवस्त कर दिया, सच है मित्रो एक औरत ही दूसरी औरत की ज़रूरत को समझ सकती है.


"ओह्ह्ह माँ !! म .. मर गयी" अपनी माँ के इस कारनामे से स्नेहा सातवे आसमान पर पहुँच गयी, उसके मूँह से घुटि-घुटि आवाज़ें निकलने लगी और उसकी चूत उसकी माँ की उंगलियों को कस कर जाकड़ लेती है.

"ले और मज़ा ले" बोल कर नीमा को शरारत सूझी, अत्यंत तुरंत उसने चूत के भीतर अपनी एक उंगली को हल्का सा मोड़ लिया और अब अपनी उसी टेढ़ी उंगली के नाख़ून से अपनी पुत्री की बेहद कसी चूत की चिकनी दीवार को कुरेदने लगती है. हलाकी वह स्नेहा को दर्द का अनुभव नही करवाना चाहती थी मगर उसकी उस मन्त्रमुग्ध क्रिया के प्रभाव से वाकई उसकी बेटी ने ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाना आरंभ कर दिया और अचानक से झाड़ पड़ती है.


"मेरा प .. पानी छूट गया माँ !! रुकना मत, प्यार करो मुझे और प्यार करो" उत्तेजना के इतने ऊँचे शिखर तक पहुँचने के उपरांत स्नेहा का जिस्म उसके काबू से बाहर हो गया और रीरियाती हुवी वह अपनी माँ के सर को ज़बरदस्ती अपनी चूत के मुख पर दबाने लगी. रह-रह कर अपने आप उसके चूतड़ ऊपर की दिशा में उच्छल रहे थे मानो किसी काल्पनिक लंड को चोद रहे हों.

नीमा ने पूरे जतन से अपनी पुत्री की कामरस उगलती चूत पर अपने मूँह की कठोर पकड़ बनाए रखी
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मगर स्नेहा तो जैसे उस वक़्त पागल हो चुकी थी, हंस रही थी और रो भी रही थी. "हां माँ !! यहीं बस यहीं .. चाटो और ज़ोर से चाटो .. उफफफ्फ़ .. आइ लव यू माँ" अपनी माँ के छर्हरे बदन पर अपना हाथ फिराते हुवे स्नेहा कुच्छ भी बकने लगती है, यह एक साथ आए कयि ओर्गास्मो का नतीजा था. "म .. मुझे इतना मज़ा कभी नही आया !! आहह सीईइ .. बस" उसने अपनी माँ को अपने ऊपर खींचा और उसके चेहरे को प्रेमपूर्वक निहारा, नीमा के गालो और होंठो पर उसकी खुद की चूत का गाढ़ा रस चुपडा हुआ था मगर इस सब से जैसे उसे कोई मतलब नही था. यह समय तो उसकी माँ को धन्यवाद देने का था, नीमा के प्रभावशाली मुखड़े को ज़ोर से भीच कर उसने अपने कोमल होंठ उसके अत्यंत चिपचिपे होंठो से जोड़ दिए.

नीमा भी अपनी पुत्री के पहलू में समा गयी, स्नेहा के नंगे स्तन उसके भारी स्तनो के नीचे दबे पड़े उसे अनंत गुदगुदी का एहसास करवा रहे थे. "कैसा लगा स्नेहा ?" उसने अपनी बेटी की पनियाई आँखों में झाँक कर अशीलतापूर्वक पुछा जो उस ज़ोरदार अंतिम स्खलन के पश्चात हल्की सी लालमी धारण कर चुके थे.

"बहुत .. बहुत .. बहुत अच्छा माँ" मंद-मंद मुस्कुराते हुवे स्नेहा बोली. उसके सुंदर चेहरे की कांति में उसकी माँ को बेहद इज़ाफ़ा नज़र आता है जिसमें स्पष्टरूप से स्नेहा की संतुष्टि और नीमा की मेहनत का परिणाम शामिल था.

"मैं और विक्की एक दूसरे के साथ यही करते हैं मगर तुझे इन सब से दूर रहना होगा" नीमा ने शब्दो का जाल बुना, उसका अनुमान था कि उसकी बेटी अपनी माँ का कहा बिल्कुल नही टालेगी "चल अब तू अपने कमरे में जा और मैं तेरे भाई के पास जाउन्गि"

"आप बड़ी चुड़क्कड़ हो माँ" स्नेहा अपने हाथो को उसकी नंगी कमर पर घुमाते हुए बोली, जब उसकी माँ ही शरम ओ हया का पाठ भूल गयी तो वह क्यों पिछे रहती "क्या सच में आज अपनी गांद का उद्घाटन कर्वओगि ?" पुछ्ने के साथ ही उसने अपनी माँ के संवेदनशील गुदा-द्वार के खुरदुरे मुहाने पर अपनी उंगली के नाख़ून को रगड़ दिया.

"ओह्ह्ह स्नेहा !! मैने विक्की को नाराज़ किया है अब उसे मनाना तो पड़ेगा ना" नीमा ने दोबारा निर्लज्जता से अपने जबड़े भींच कर कहा लेकिन अपनी बेटी की उंगली को अपनी गान्ड के छेद से हटवाने का कोई प्रयास नही करती.

"माँ" किसी याचक की भाँति स्नेहा उसे पुकारती है "मैं भी चालू आप के साथ, बस दूर से देखती रहूंगी" बेहद नरम स्वर में उसने पुछा.

"नही .. नही !! विक्की पहले से ही बहुत घबरा चुका है, तुझे मेरे साथ देखेगा तो और ज़्यादा डर जाएगा" नीमा ने सॉफ इनकार किया.

"मैं ज़िद नही करना चाहती माँ !! मुझे अगर छुप-छुप के ही मज़े लेने होते तो क्या मैं आप दोनो के बीच आती. मैं चाहु तो विक्की को बहला-फुसला कर खुद भी अपनी चूत उसके विशाल लंड से चुदवा सकती हूँ मगर यह आप के साथ धोखा कहलाएगा"
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