एक भाई ऐसा भी compleet

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jay
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Re: एक भाई ऐसा भी

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अब आगे
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राणा जिस लड़की को एक बार देखने के लिए तरसता था, आज वो उसके सामने लगभग नंगी बैठी हुई थी... पैसों में कितनी ताक़त होती है ये आज उसे पता चला..पर पैसों के साथ -2 लंड में भी जान होनी चाहिए, तभी लड़कियां आकर्षित होती है..

पर काजल को ऐसी हालत में अपने सामने बैठा देखकर राणा के हाथ मचल उठे, उसने जैसे ही अपने हाथ आगे करते हुए काजल के स्तनों तक पहुँचाए, काजल ने उसे टोक दिया और बोली : "ना जी ना, इतनी जल्दी नही, गेम पर ध्यान दो पहले... मैं जब खुश होउंगी , तभी तुम इसे छू पाओगे...''

राणा : "और तुम खुश कैसे होगी ??"

काजल (अपने दाँत दिखाते हुए) : "जब मैं जीतूँगी अगली बाजी ...''

काजल ने बड़ी ही चालाकी से राणा के सामने अपनी शर्त रख दी... मज़े और पैसे एक साथ लेने के मूड मे थी काजल..

राणा को भला क्या परेशानी हो सकती थी, अभी तक का खेल जिस तरह से चल रहा था, उसके हिसाब से ही उसको काफ़ी मज़ा मिल चुका था..

राणा : "लेकिन अगली बाजी मैं जीत गया तो...''

काजल : "तो तुम्हे मुझे छूने के लिए वो जीते हुए पैसे मुझे देने होंगे..''

यानी काजल मज़ा और पैसे दोनों लेना चाहती थी...उसकी इस शर्त के अनुसार तो दोनो ही सूरत में पैसे उसके पास पहुँचने वाले थे..

अब खेल सच मे रोमांचक हो चुका था.

4-4 ब्लाइंड चलने के बाद राणा ने अपने पत्ते उठा लिए...उसे तो हर गेम के ख़त्म होने की जल्दी थी..क्योंकि अगर वो जीतेगा तो अपने पैसे काजल को देकर , या फिर हारेगा तो भी काजल की खुशी को देखकर वो मज़े लेना चाहता था.

राणा के पास सिर्फ़ इक्का ही आया था, बाकी के दोनों छोटे पत्ते थे..

उसने झट से शो माँग लिया..अभी बीच मे सिर्फ़ 10 हज़ार रुपय थे..राणा ने अपने पत्ते सामने फेंक दिए.

काजल ने भी अपने पत्ते उठाए..उसके चेहरे पर मायूसी छा गयी..उसके पत्ते तो राणा से भी बेकार थे..उसने जब अपने पत्ते राणा के सामने रखे तो राणा भी हंस दिया..उसके पास 4,6,9 नंबर आए थे..

राणा ने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..फिर उन नोटों की गड्डी बना कर उसने काजल की तरफ बड़ा दिया और बोला : "अब तो छू सकता हूँ ना...इन पैसों के बदले..''

काजल के होंठ लरज कर रह गये...उसने राणा के हाथ से पैसे ले लिए..और उन्हे फिर से अपनी जाँघ के नीचे दबा लिया.

राणा : "अब इधर आओ...मेरे पास...''

राणा ने अपनी उंगली का इशारा करके काजल को अपनी तरफ बुलाया..

वो बेचारी मना भी नही कर पाई...आख़िर उसने पैसे जो दिए थे..

वो अपनी सीट से उठी और धीरे-2 चलती हुई राणा के पीछे जाकर खड़ी हो गयी...राणा अपने लंड को मसलता हुआ उसके हिलते हुए मुम्मे देख रहा था..और जब वो उसके पास आकर खड़ी हुई तो उसने अपना सिर उपर करके उसकी आँखो में देखा और बोला : "नीचे करो इन्हे...''

वो उसपर ऐसे हुक्म चला रहा था जैसे 10 हज़ार मे उसने उसके मुम्मों को खरीद लिया है..पर काजल भी उसकी बात मान रही थी, क्योंकि अंदर ही अंदर वो भी तो इस मज़े को महसूस करना चाहती थी...हारने के बाद 10 हज़ार भी वापिस मिल गये और अब मज़ा भी मिलेगा, ऐसा सौदा तो काजल को काफ़ी उत्साहित कर रहा था..

काजल धीरे से नीचे झुकी और राणा ने अपना देतयाकार मुँह खोल दिया...और उसके अंगूर के दानों जैसे निप्पल सीधा उसके मुँह के अंदर घुस गये और राणा उन्हे बड़ी ज़ोर से चूसने लगा...साथ ही साथ उसने काजल के सिर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ ज़ोर से दबा लिया..दूसरे हाथ से उसका दूसरा स्तन पकड़ लिया और उसे मसलने लगा..कुल मिलाकर वो अपने 10 हज़ार रुपय सही तरीके से वसूल कर रहा था..

काजल तो उसके हमले से कराह उठी...एक तो उसके दाँत काफ़ी तेज थे और उपर से वो काफ़ी एक्ससाईटिड भी था,पैसे देकर वो काजल के जिस्म पर कुछ देर के लिए ही सही पर अपना पूरा अधिकार जता रहा था...

राणा ने उसके निप्पल को पकड़कर अपनी उंगलियों से मसलना शुरू कर दिया, जैसे बकरी का दूध निकाल रहा हो..और साथ ही साथ अपने दांतो से भी वही काम उसके दूसरे स्तन पर कर रहा था...और करीब दस मिनट तक अच्छी तरह से उसका दूध पीने के बाद जैसे ही राणा ने उसकी चूत की तरफ हाथ बदाया, काजल छिटक कर दूर हो गयी...और बोली : "ना ना ना ....इतने में सिर्फ़ इतना ही मिलेगा...''

और वो अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसको चिढ़ाती हुई वापिस अपनी सीट पर जाकर बैठ गयी..
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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राणा भी सोचने लगा की इतनी उत्तेजना बढ़ाने के बाद भी वो कैसे कंट्रोल कर पा रही है...आज तक जितनी भी लड़कियों की उसने चुदाई की थी, वो तो सिर्फ़ उसके हाथ लगाने भर की वेट करती थी...और खुद ब खुद नंगी होकर उसके लंड पर टूट पड़ती थी...काजल ना जाने किस मिट्टी की बनी थी..कभी तो उसकी आँखो मे सेक्स की भूख एकदम साफ़ दिखाई देती थी..और कभी वो एकदम से पीछे होकर उसपर कंट्रोल करती दिखाई देती थी..

पर राणा से अब कंट्रोल नही हो रहा था...भले ही वो खुद को राजा समझ कर उसपर पैसे लुटाता हुआ अभी तक मज़े ले रहा था, पर अब अपनी सेक्स की भूख उससे बर्दाश्त नही हो रही थी...वो काजल को पाने के लिए राजा से भिखारी बनने के लिए भी तैयार था अब...

राणा : "ऐसा ना करो काजल...देखो ना, मेरे लंड की क्या हालत हो रही है...सिर्फ़ एक बार इसको सक्क कर लो ...प्लीज़ ...मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हू...मेरी हालत पर तरस खाओ ...''

राणा तो अब भीख माँगने पर उतर आया था..

काजल की नज़रें अभी भी उसके पास पड़े पैसों के उपर थी...जो करीब 20 हज़ार रुपय थे..

काजल की आँखो का इशारा राणा समझ गया...उसने अपने 20 हज़ार रुपय एकदम से निकाल कर काजल के आगे रख दिए..

काजल : "तूने मुझे कोई धंधे वाली समझा है क्या...जो इन पैसों के बदले तेरी सेवा करूँगी... जो भी करूँगी, गेम खेलकर ही, पैसे जीतकर, ऐसे भीख लेने की आदत नही है मेरी..''

राणा सहम सा गया, वैसे भी वो काजल को नाराज़ करके अपने लिए कोई घाटे का सौदा नही करना चाहता था..

यानी काजल का मतलब साफ़ था...अगली गेम शुरू करो..

राणा को भी सारे पैसे हारने की जल्दी थी, इसलिए उसने अगली गेम शुरू कर दी..

पत्ते बाँटे गये, और इस बार राणा ने सीधा 2 हज़ार की ब्लाइंड चल दी, अपने लंड से रगड़कर ..

राणा का उठा हुआ लंड काजल को काफ़ी लालायित कर रहा था..इसलिए उसके हाथ अपने आप ही चूत की तरफ बड़ जाते थे...उसने अपने पायजामे को नीचे खिसका दिया और पहली बार राणा ने उसकी नयी नवेली चूत के दर्शन किए...
काजल भी अब कोई परदा नही रखना चाहती थी...इसलिए उसने धीरे-2 करते हुए अपने पायजामे को घुटनो से नीचे कर दिया..और अब उसकी सफाचत चूत राणा की नज़रों के सामने पूरी नंगी थी...पर बेचारा चाह कर भी उसे छू नही सकता था वो...उसकी चूत की चिकनाहट देखकर राणा का मन उसे चूसने का करने लगा..

काजल भी समझ नही पा रही थी की कैसे वो इतनी बेशर्मी से अपने जिस्म से कपड़े हटाती जा रही है और नंगेपन की नुमाइश राणा के सामने कर रही है..पर ना जाने क्यो उसे ये सब अच्छा भी लग रहा था..वो शायद इसलिए भी क्योंकि वो कुछ ऐसा ही केशव के साथ भी कर चुकी थी..अपने भाई के साथ करते हुए जब उसे शरम नही आई तो इसके साथ क्यो आए और वो भी तब जब वो उसके उपर अँधा होकर पैसे भी लूटा रहा था..

राणा ने अगली ब्लाइंड जब चली तो नोट पर उसके लंड से निकला पानी साफ़ चमक रहा था...ऐसा सीन देखकर अच्छे -2 का प्रीकम निकल जाता है...काजल का तो मन किया की वो नोट उठाए और उसे चाट कर सॉफ कर दे..साला कैसे तरसा रहा है उसे वो राणा...काजल ने भी उसको सताने की सोची और अपनी रसीली चाशनी में हज़ार के दो नोटों को अच्छी तरह से घुसा कर उन्हे पूरा गीला कर लिया और फिर उन्हे नीचे फेंक दिया...

राणा ने तुरंत वो नोट उठा लिए और बड़ी ही बेशर्मी से उन्हे चाटने लगा..सारा रस चाट गया वो उन नोटों से..

काजल उसे ऐसा करते हुए देखती रही..और फिर उसने भी राणा वाला वो नोट उठा लिया जिसपर उसका प्रीकम लगा हुआ था..और धीरे से उसपर अपनी जीभ लगाई...एकदम टेस्टलेस था वो...पर उसकी महक बड़ी ही कामुक और मदहोशी से भरी थी..काजल ने एक लंबी साँस लेकर उसे अंदर तक महसूस किया और अपनी जीभ पर उसके स्वाद को काफ़ी देर तक महसूस करती रही..

राणा भी समझ चुका था की अब तो नाम मात्र की दीवार रह गयी है दोनो के बीच..

दोनो एक दूसरे के सामने नंगे होकर खेल रहे थे...राणा के पास अभी भी लगभग 10 हज़ार रुपय थे, जो उसको गँवाने थे..

काजल ने अगली ब्लाइंड नही चली और अपने पत्ते उठा लिए..और उन्हे देखकर उसे एक बार फिर से विश्वास हो गया की उसकी हर बार टोटके को बड़ चड़कर करना इस बार भी सफल हो गया है...क्योंकि इस बार उसके पास ऐसे पत्ते आए थे जिनका शायद ही कोई तोड़ होता...बादशाह की ट्रेल..यानी 3 बादशाह आए थे उसके पास..

उसने एक ही बार में 4 हज़ार की चाल चल दी..राणा तो पहले से ही लूटने के लिए बैठा था..इसलिए उसने अपने पत्ते नही देखे बल्कि अपनी ब्लाइंड को भी डबल करते हुए 4 हज़ार कर दिया और लंड से रगड़कर फिर से पैसे नीचे फेंक दिए..

काजल तो पूरे कॉन्फिडेंस में थी..उसने भी चाल को डबल किया और आठ हज़ार बीच मे फेंक दिए..और इस बार उसने हर नोट को ऐसे अपनी चूत पर रगड़ा जैसे उसपर अपने रस की परत चड़ा देना चाहती हो...गीले-2 नोटों का अंबार सा लगता जा रहा था बीच में ..किसी पर काजल की चूत का रस था तो किसी पर राणा के लंड का पानी...

अब तो राणा के पास सिर्फ़ 2 हज़ार ही थे...इसलिए उसने अपने पत्ते उठा लिए..और अपने पत्ते देखकर वो भी दंग रह गया..उसके पास सीक़वेंस आई थी, और वो भी सुच्ची , पाने के पत्तो की, 8,9,10 नंबर...

ऐसे पत्ते तो कभी कभार ही आते हैं..पर उसके पास चलने के लिए पैसे ही नही थे...सिर्फ़ 2 हज़ार थे और शो माँगने के लिए भी कम से कम उसे 8 हज़ार चाहिए थे...पर ऐसे पत्तों के साथ वो शो नही माँगना चाहता था, बल्कि गेम को आगे खेलकर जीतना चाहता था, और जीते हुए पैसों को वापिस करके वो काजल से मज़े लेना चाहता था..इसलिए उसने काजल से 20 हज़ार उधार माँग लिए..काजल ने भी दे दिए क्योंकि वो जानती थी की उससे अच्छे पत्ते राणा के पास हो ही नही सकते..

राणा ने पैसे लिए और 8 हज़ार की चाल चली..काजल ने 14 हज़ार की चाल चली ...क्योंकि अब राणा के पास उतने ही पैसे बचे थे...राणा ने भी ना चाहते हुए शो माँग ही लिया..वैसे तो उसे विश्वास ही था की वही जीतेगा..पर जैसे ही काजल ने अपने पत्ते उसके सामने रखे तो काजल के 3 बादशाह देखकर उसका सिर ही चकरा गया...उसने अपनी कल्पना में भी ऐसा नही सोचा था की काजल के पास ट्रेल आएगी...

राणा बेचारा सिर झुका कर बैठ गया..

काजल ने हंसते हुए सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..

काजल ने राणा के उदास चेहरे को देखा और बोली : "ऐसे मुँह लटका कर क्यो बैठ गये...मैने कहा था ना की जब मैं खुश होउंगी तब भी तुम्हारा ही फायदा है...''

राणा की आँखे चमक उठी...उसने ललचाई हुई आँखों से काजल को देखा..

काजल बड़े स्टाइल में बोली : "कब तक मेरे जूस को नोटों के उपर से चाटते रहोगे...सीधा ही आ जाओ...''
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राणा को तो जैसे इसी बात का इंतजार था...वो उछलकर काजल के पास पहुँचा और एक ही झटके में उसे बेड पर लिटाकर उसकी जांघों के बीच झुक गया...और एक गहरी साँस लेने के बाद अपनी पेनी जीभ निकाल कर उसकी गुल्लक के छेद जैसी चूत में डाल दी...

''आआआआआआआआहह ....... ओह .......... येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ... कब से तरस रही थी इसके लिए ................... अहहssssssssssssssssssssssss ...और अंदर तक डालो जीभ ............... और अंदर ............. उम्म्म्ममममममममममममम ....''

दूसरी तरफ राणा ऐसी कुँवारी चूत को चाट कर काफ़ी खुश था...ऐसी महक और स्वाद सिर्फ़ कुँवारी चूत का ही हो सकता था...वो ज़ोर-2 से अपनी जीभ के ब्रश से उसकी चूत की दीवारों की पुताई करने लगा...उसकी जीभ के हर प्रहार से काजल की गांड उछल जाती और वो अपनी तरफ से झटके देकर उसके मुँह पर और ज़ोर से अपनी चूत का दबाव डालती...

काजल ने काफ़ी देर से अपने आप को संभाला हुआ था...और आख़िरकार वो झड़ ही गयी...और झड़ी भी तो ऐसे की उसके रस को अपने मुँह में समेटना राणा के लिए काफ़ी मुश्किल हो गया..और इधर-उधर से रिसकर चादर पर गिरने लगा...

''अहहssssssssssssssssssssssssssssss ...... आई एम कमिंग ......................... उम्म्म्मममममममममममम .....''

राणा ने घड़ी देखी ...1 बजने वाला था... उसके पास ज़्यादा समय नही था...उसने काजल को अपनी तरफ खींचा और अपने खड़े हुए लंड को उसके मुँह के हवाले कर दिया...

काजल तो अपनी खुमारी से अभी तक निकली भी नही थी...इसलिए राणा के लंड को मुँह मे रखकर लेटी रही...राणा ने उसके नर्म मुलायम मुँह के अंदर धीरे-2 झटके देने शुरू कर दिए...और फिर धीरे-2 अपना पूरा लंड अंदर उतार दिया...और जब काजल को अपनी हलक तक उसका लंड महसूस हुआ तो वो होश में आई और उसने अपनी आँखे खोली ...

वो भी इस काम को जल्द से जल्द निपटाना चाहती थी..क्योंकि केशव कभी भी उपर आ सकता था...अपनी चुदाई करवाने का उसका कोई इरादा नही था अभी...क्योंकि वो अपना कुँवारापन अपने भाई को देना चाहती थी आज...

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इसलिए उसने राणा के लंड को ज़ोर-2 से चूसना और चुभलाना शुरू कर दिया...और साथ ही साथ वो उसके अंडकोष को भी सहला रही थी...और फिर अचानक बिना किसी वॉर्निंग के राणा ने अपने लंड से उसके चेहरे को सींचना शुरू कर दिया..

गरमा गर्म गाड़े पानी की बूंदे उसके चेहरे पर पड़ने लगी और वो उन्हे महसूस करती हुई आनंद सागर मे गोते लगाने लगी..

काजल : "अब जल्दी से अपने कपड़े पहनो और निकलो यहाँ से...''

राणा : "पर....वो .... कुछ और नही करना क्या ...''

काजल समझ गयी की वो क्या कहना चाहता है...वो बोली : "तुम मरवाओगे मुझे ....मेरे ही घर में ये सब कैसे पॉसिबल है...इसके बारे में बाद में बात करेंगे..''

इतना कहते-2 वो अपनी टी शर्ट और पायजामा पहन चुकी थी और टावल से अपना चेहरा भी सॉफ कर लिया उसने..

राणा ने भी मन मसोस कर अपने कपड़े पहन लिए...और नीचे उतर आया..

नीचे भी बाजी ख़त्म हो चुकी थी, बिल्लू ने जीत लिए थे सारे पैसे...केशव भी अपने 10 हज़ार हार चुका था ...और गणेश भी कंगला हो चुका था..अब वो आराम से बैठकर दारू पी रहे थे..

केशव ने राणा का लटका हुआ चेहरा देखा तो वो समझ गया की वो अपने सारे पैसे हार चुका है...भले ही वो खुद नीचे बैठकर 10 हज़ार हार गया था पर वो ये जानता था की उपर बैठकर उसकी बहन ने काफी रूपए जीते है आज, वो करीब 90 हज़ार जीत गयी थी ...कुल मिलाकर वो काफ़ी फायदे में था...

रात काफ़ी हो चुकी थी...इसलिए सभी अपने-2 घर चल दिए...अगले दिन दीवाली थी, इसलिए सबने जम कर जुआ खेलने की बात कही...

केशव ने भी सब कुछ समेटा और दरवाजा बंद करके उपर चल दिया...

वो सीधा अपनी माँ के रूम में गया पहले..वो सो रही थी...पर काजल वहाँ नही थी...वो शायद उसके कमरे में ही थी अब तक..

वो झूमता हुआ सा अपने कमरे की तरफ चल दिया..

और जैसे ही वो अंदर पहुँचा, काजल उसके पीछे से आई और अपनी बाहें उसके गले मे डालकर उसकी कमर पर झूल गयी...

केशव ने उसका भार संभालने के लिए जैसे ही अपने हाथ पीछे करके उसे पकड़ा तो उसका नशा एक ही बार मे उड़ गया..

वो पूरी नंगी थी...केशव के हाथ सीधा उसके नंगे चूतड़ों पर जा लगे...

और काजल तो बदहवास सी होकर उसकी गर्दन को अपने होंठों से चूस रही थी..उसे चूम रही थी...

केशव समझ गया की आज की रात वो अपनी बहन के साथ वो सब करने वाला है, जिसके लिए वो ना जाने कब से तरस रहा था...

उसकी चुदाई..

उसने काजल को लेजाकर अपने बिस्तर पर पटक दिया...और वो बिस्तर पूरा नोटों से ढका पड़ा था..जो काजल ने आज जुए में जीते थे...और वो उन्ही नोटों के बिस्तर पर अपने कुंवारेपन को लुटाना चाहती थी...

गरमा गरम करारे नोटों के उपर काजल का नंगा जिस्म मचल रहा था...वो पूरी तरह से सुलगी हुई थी...उसने बदन से उठ रही गर्मी ने बेड पर पड़े नोटों की गर्मी को और बड़ा दिया था...उसके अंदर से निकल रही गर्मी से वो नोट और करारे हो गये थे..

काजल बड़े ही सेक्सी तरीके से उसे देखने लगी..आज वो बड़ी ही बेशर्मी से इस तरह से खुल कर अपने भाई के सामने लेटी थी...शायद जो थोड़ी बहुत शुरूवाती शरम थी वो राणा के साथ जुआ खेलते हुए नंगी होकर निकल चुकी थी...वो राणा की हवस भरी आँखो के सामने अपने आपको रखकर उतनी खुश नही थी, जितनी अब केशव के सामने रखकर हो रही थी..

काजल ने अपनी दोनो टांगे फेला दी...उसकी गुलाबी चूत की फांके रस से भरी होने की वजह से आपस मे चिपकी हुई थी...पर फिर भी अंदर का गुलाबीपन देखकर केशव की आँखे उबल कर बाहर आने को हो गयी..

उसने अपनी बाहें भी उपर करते हुए उसे अपनी तरफ बुलाया : "आओ ना केशव...और कितना तड़पाओगे ...आज कर लो मुझे अपना...समा जाओ मुझमे...''

केशव ने उसके नंगे बदन को देखते हुए अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए

और कुछ ही देर मे वो पूरा नंगा होकर खड़ा था काजल के सामने..अपनी तोप की सलामी देता हुआ ..

और केशव जंप मारकर सीधा काजल के उपर कूद गया..

पर उसके कूदने से पहले ही काजल बेड से फिसलकर साइड में हो गयी..और खड़ी होकर हँसने लगी..

अब केशव की जगह पर वो खड़ी थी और काजल की जगह पर केशव लेटा हुआ था..

काजल (उसको चिड़ाते हुए) : "हा हा हा ... बड़ी जल्दी हो रही है तुझे ... ह्म्*म्म्म ...''

उसने अपने दोनो हाथ अपनी कमर पर रखे हुए थे..और एक पैर उठा कर उसने बेड पर रख दिया..ठीक केशव की टाँगो के बीच..

केशव : "मुझे पता है दीदी,आप भी यही चाहती है...कल से तड़प रहा हू मैं भी...अब और ना तरसाओ...''

काजल : "तरस तो मैं भी रही हू ना केशव...और साथ ही मेहनत भी कर रही थी..देख ले, जिन नोटों पर तू लेटा हुआ है वो मैने जीते है...''

केशव : "वो तो है...पर आप शायद ये भूल रही है की ये खेल भी मैने ही सिखाया है आपको..''
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काजल : "अपनी किस्मत की भी बात होती है...मुझसे अच्छा तो तू खेलता है, फिर भी तू हमेशा हारता ही है...और साथ ही साथ मेरे हुस्न का भी कमाल है ये...इसके बिना भी ये पैसे कमाने मुश्किल थे....''

केशव उसकी ये बात सुनकर चोंक गया..और बोला : "कहीं आपने अपने इसी हुस्न का इस्तेमाल करके ही तो ये पैसे नही कमाए ना...मतलब कहीं आपने राणा के साथ कुछ...''

काजल : "अरे मेरे लल्लू भाई...तू इतना क्यो सोचता है...अगर थोड़े बहुत मज़े ले भी लिए तो तेरे पेट मे क्यो दर्द हो रहा है...''

केशव की नज़र सीधा उसकी चूत पर जा टिकी .शायद वो सोच रहा था की कहीं राणा ने उसकी कुँवारी चूत तो नही फाड़ डाली..और काजल भी उसको अपनी चूत की तरफ देखती हुई समझ गयी की वो क्या सोच रहा है..

वो बोली : "फ़िक्र मत कर...वहाँ तक बात नही पहुँची...यहाँ तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे भाई का हक है...''

केशव ने राहत की साँस ली...पर वो इतना तो समझ ही चुका था की चाहे पूरे ना सही पर कुछ तो मज़े लिए ही है राणा ने उसकी बहन के साथ..तभी वो नीचे आकर इतना खुश सा लग रहा था..अपने सारे पैसे हारने के बाद भी..

काजल ने अपना पैर खिसका कर और आगे किया और सीधा उसके लंड पर रख दिया , केशव तड़प उठा...उसके पैर के नाख़ून चुभ रहे थे उसके लंड पर..

वो समझ गया की काजल उसको देगी ज़रूर पर तडपा-2 कर..

काजल बेड पर चढ़ गयी और उसके मुँह पर अपने पैर का पंजा रख कर बोली : "चाटो इसको...''

केशव के लिए ये पल इतना उत्तेजना से भरा था की उसका दिमाग़ तक सुन्न हो गया...वो हमेशा से यही चाहता था की उसका पार्ट्नर बेड पर अपना हुक्म चलाए और वो किसी गुलाम की तरह उसका पालन करता रहे, बिना कुछ बोले..

और यहा इस वक़्त काजल उसपर अपना हुक्म चला रही थी...अपना स्लेव बना कर ..

उसने अपनी जीभ बाहर निकाली और उसके पैर के अंगूठे को चाट लिया...काजल पहले से ही ये सब सोच कर आई थी, इसलिए उसने अपने पैरों को अच्छी तरह से धो रखा था...उसके पैर की गुलाबी उंगलियाँ तड़प उठी जब उनके साथी अंगूठे को केशव ने चूसना शुरू किया...

और फिर धीरे-2 केशव ने उसके पैर की हर उंगली को चूसा...उनका रस पिया..और वहां से मिल रही गुदगुदी से काजल का पूरा शरीर ऐंठ रहा था...वो हर चुस्के से सिसक उठती...तड़प उठती...


''अहहssssssssssssssssssssss ...... ऑश केशव .................. ज़ोर से चूसो इन्हे ....''

और धीरे-2 करते हुए वो नीचे बैठ गयी....केशव ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया...और अपने दहकते हुए होंठ उसके लबों पर रख दिए..



''उम्म्म्मममममममममममम पुचहssssssssssssssssssssssssssssssssssss ''

और एक लंबे चुंबन मे डूब गये दोनो...

केशव ने उसको बेड पर लिटा दिया...और उसकी टाँगो को फेला कर उसकी चूत को चूम लिया...

काजल ने उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया...और उसके गीले-2 होंठों ने काजल की रसीली चूत को अपने कब्ज़े मे ले लिया..

''ओह केशव ..................... सकक्क मी ....हार्डरsssssssssssssssssssssssssssssss ..... अहह ..... ओह ....... जैसे सारिका की चूस रहा था.... वैसे ही कर ................. अहह .... ओह ...मेरी क्लिट ..................अहह ....हन ..............उसको चूस ....सही से ..............अंदर ले उसको ....................उम्म्म्मममममममममम ..अहह ....ओह केशव .............. मेरी जानsssssssssssssssssssssss ....''

उसे अपने भाई पर एकदम से बड़ा प्यार आ गया...वो इतनी अच्छी तरह से सेवा जो कर रहा था उसकी..

केशव बीच-2 मे खड़ा हो जाता और काजल से अपने लंड को मसलवा कर फिर से उसकी चूत को चूसने मे लग जाता..
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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