हवस मारा भिखारी बिचारा compleet

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jay
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Re: हवस मारा भिखारी बिचारा

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अब उसकी नंगी आँखो के सामने थी अपने उफन रहे योवन को संभाल रही नंगी नेहा...उसका नंगा जिस्म किसी नागिन की तरह मचल रहा था..उसकी जांघों के बीच इतनी चिकनाई आ चुकी थी की वो उन्हे आपस मे रगड़कर अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी..गंगू ने एक बार फिर से उपर वाले का धन्यवाद दिया की उसकी जिंदगी मे इतनी खूबसूरत लड़की आई..

और फिर वो नीचे बैठ गया और नेहा की दोनो टाँगो को खोलकर अपने कंधे पर रख लिया..जैसे-2 उसका मुँह उसकी उफनती चूत के करीब पहुँच रहा था ,वहाँ से निकल रही मादकता से भरी खुश्बू उसे पागल कर रही थी..

उसकी आँखों के सामने दुनिया की सबसे टाइट चूत थी...बिल्कुल चिकनी चूत ,बिना बालों के..नीचे से उपर की तरफ छोटा सा चीरा...जैसे मिट्टी की गुल्लक मे होता है..उतना ही लंबा और उतना ही छोटा और टाइट...

नेहा भी अपनी साँस रोके अपनी चूत की पहली चुसाई का आनंद लेने के लिए तैयार थी..और जैसे ही गंगू की गर्म जीभ ने उसकी चूत को छुआ, वो उछल सी पड़ी..पर गंगू ने उसकी जांघों को बड़ी ज़ोर से पकड़ रखा था इसलिए वो अलग ना हो पाई..और बिना कोई और देर किए गंगू ने अपना बड़ा सा मुँह खोला और उसकी गुल्लक को मुँह मे भर लिया और अपनी जीभ को सिक्का बनाकर उसे अंदर डाल दिया...छेद छोटा और सिक्का बड़ा..यानी उसकी जीभ अंदर घुस नही रही थी..गंगू सोचने लगा की जब उसकी जीभ अंदर नही जा रही तो उसका लंड कैसे जाएगा..

खूब मेहनत करनी पड़ेगी उसको आज...और उसकी चीखों को भी दबाना पड़ेगा..वरना पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो जाएगा..

गंगू ने अपनी उंगली को उसके अंदर डाला..नेहा सिसक उठी..क्योंकि वो एक ही बार मे अंदर तक जाकर उसकी झिल्ली से जा टकराई..गंगू ने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी अंदर डाल दी..अब नेहा को दर्द होना महसूस हो गया...पर वो अपनी साँस रोके लेती रही..गंगू काफ़ी देर तक अपनी दोनो उंगलियों को अंदर बाहर करता रहा और साथ ही साथ उसकी चूत के तितली जैसे होंठों को अपने मुँह मे लेकर उसका रस चूसता रहा ...फिर उसने अपनी तीसरी उंगली भी अंदर डालनी चाही..इस बार तो नेहा चीख उठी ..

''अहह....... नहियीईईईईईईईईईईईईई ......मत करो....... मुझे दर्द हो रहा है...''

गंगू रुक गया...उसकी तीन उंगलियो की मोटाई तो उसके लंड से आधी ही थी...जब वो नही ले पा रही तो लंड कैसे लेगी..अभी काफ़ी चिकनाई की ज़रूरत थी उसको..और साथ ही नेहा को और ज़्यादा उत्तेजित करने की भी..

वो थोड़ा और नीचे झुका और अपनी जीभ से उसकी गांड के छेद को कुरेदा ...ऐसा करते ही नेहा के पूरे शरीर मे जैसे करंट सा लगा...पर साथ ही साथ उसकी उत्तेजना भी अपने पूरे शिखर पर पहुँच गयी...और उसने अपनी रेशमी टाँगो के फंदे मे गंगू की गर्दन दबोची और अपनी कसावट वाली गांड को उसके चेहरे पर रगड़ने लगी..गंगू को ऐसा लगा जैसे उसके चेहरे की मसाज की जा रही है...

अब गंगू ने अपनी तीन उंगलियाँ एक साथ अंदर डाल दी उसकी चूत के...और वो चली भी गयी...इस बार वो चिल्लाई भी नही...बल्कि ज़ोर-2 से बड़बड़ाने लगी

"आहह............... मैं मर गयी................ इतना मज़ा आ रहा है ...............अहह ...ओफफफफफ्फ़ खा जाओ ......सब कुछ .........चाटो मुझे...............खाओ ........इसको .............अहह ...''

अब वो पूरी बावली हो चुकी थी...गंगू ने महसूस किया की अब उसकी चूत पहले से ज़्यादा चिकनी हो गयी है...यानी अब वक़्त आ गया था सील तोड़ने का..

वो उठा और उसने नेहा की दोनो टाँगो को फेला कर अलग-2 दिशा मे कर दिया..और फिर उसकी गीली चूत के उपर लंड रखकर उसकी आँखों मे देखा..

नेहा बेचारी को पता नही था की उसके साथ क्या होने वाला है...वो तो बस अपनी मस्ती मे मचलती हुई अपनी चूत की खुजली को मिटा देना चाहती थी.

गंगू ने धीरे-2 अपना भार उसके उपर डाला..और सिर्फ़ एक इंच अंदर जाकर उसका लंड अटक गया...पर अब इस पार या उस पार...ये सोचते हुए उसने अपने घोड़े को जोरदार झटका दिया और वो हिनहिनाता हुआ नेहा की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया.

''आआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........ नहियीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ........मैं मर गयी .........................अहह .......''

उसकी आँखो से आँसू निकल आए..खून निकल कर बाहर रिसने लगा..गंगू कुछ देर के लिए रुका और फिर एक और झटके से और अंदर और फिर आख़िरी झटके मे पूरा अंदर समा गया उसके..

नेहा के मुँह से अब कोई आवाज़ ही नही निकल रही थी...दर्द के मारे उसका बुरा हाल था..पर अंदर फँसे लंड को महसूस करते हुए एक अजीब सी तरंग भी उठ रही थी ...

गंगू काफ़ी तजुर्बे वाला था...उसने धीरे-2 अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया...और दस मिनट तक ऐसे ही करता रहा..

धीरे-2 नेहा की दर्द भारी चीखो की जगह मस्ती भरी सिसकारियों ने ले ली...

गंगू भी सोच रहा था की ये चुदाई भी कैसी चीज़ है, हर कोई डरता भी है, दर्द भी होता है...पर बाद मे मज़े भी पूरे मिलते हैं..

अब तो नेहा पागल कुतिया की तरह अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट कर उसके लंड को ज़्यादा से ज़्यादा अंदर ले रही थी...उसे पूरी तरह से महसूस कर रही थी..

उसकी मस्ती भरी चीखों से वो छोटी सी झोपड़ी गूँज रही थी..

''आअहह ह ओगगगग ओह ओह हाआँ ऐसे ही..... उम्म्म्ममम .....अब दर्द नही है......हन ......मज़ा मिल रहा है .......अहह एसस्सस्स ..एसस्स ........उम्म्म्मममममम अहह ''

और ऐसे ही सिसकते-2 नेहा की चूत से ढेर सारी क्रीम निकल गयी...जिसे गंगू ने भी महसूस किया.

गंगू भी इतनी टाइट चूत मे जाकर अपने लंड को ज़्यादा देर तक नही रोक पाया , वो उसके अंदर झड़कर कोई रिस्क नही लेना चाहता था..कुँवारी लड़की के साथ चुदाई करते हुए वो सेफ रहना चाहता था..

उसने लास्ट मूमेंट पर अपना लंड बाहर खींच लिया..नेहा तो जैसे इसी इंतजार मे थी..वो उठकर उपर आई और उसके लंड को निगल कर ज़ोर-2 से चूसने लगी..

और अगले ही पल उसके अंदर से अलग-2 साइज़ की पिचकारियाँ निकलनी शुरू हो गयी...जिसे नेहा ने अपने चेहरे और मुँह के अंदर निगल कर पूरी तृप्ति पा ली और उसकी सारी मायोनीज खा गयी

गंगू उसके बाद हांफता हुआ उसके उपर ही गिर पड़ा..

ऐसी चुदाई उसने अपनी जिंदगी मे आज तक नही की थी..

पर ये तो अभी शुरूवात थी..वो उसके साथ हर तरीके से मज़े लेना चाहता था जो उसने सोच रखे थे..

कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहने के बाद वो बोला : "चलो....नदी पर नहाने चलते हैं...''

नेहा ने हाँ मे सिर हिला दिया और उठकर कपड़े पहनने लगी..

गंगू ने उसके हाथ से ब्रा खींच लि और बोला : "बिना ब्रा-पेंटी के ही चलो...''

नेहा के चेहरे पर भी शरारत भरी मुस्कान फैल गयी...वो शायद समझ चुकी थी की गंगू उसके साथ क्या-2 करने वाला है..

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: हवस मारा भिखारी बिचारा

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***********
अब आगे
*********** आज नदी पर ज़्यादा भीड़ नही थी..शायद वो लोग ही लेट पहुँचे थे...गंगू तो अभी तक कल के नशे से सही तरह से उभर भी नही पाया था, और आज सुबह -2 उसको अपनी जिंदगी की सबसे हसीन और कुँवारी चूत भी मिल चुकी थी, इसलिए वो तो सांतवे आसमान पर था..आज तो वो मर भी जाए तो भी उसको अपनी जिंदगी से कोई गम नही होता..

पिछले दो दीनो मे किस्मत ने जिस तरह से उसका साथ दिया था, वो अपने आपको किस्मतवाला समझने लगा था, वो तो बस यही सोच रहा था की अब उसकी जिंदगी मे कुछ भी बुरा हो ही नही सकता..

पर बेचारा ये नही जानता था की उपर वाले ने सब कुछ नाप तोल कर ही लिखा है सबकी किस्मत मे..

पर आज के लिए तो उसकी जिंदगी खुशहाल ही थी.

वो अपने कपड़े उतार कर नदी के अंदर आ गया..सिर्फ़ एक अंडरवीयर ही पहना हुआ था.

नेहा भी अंदर आ गयी, और अंदर आते ही उसके कपड़े उसके बदन से ऐसे चिपक गये जैसे फेविकोल लगी हो उसके बदन पर...और उसका संगमरमरी बदन अपने जलवे बिखेरने लगा..

गंगू मस्ती मे डूबा हुआ उसकी तरफ आया और उसके लगभग नंगे बदन से बुरी तरह से लिपट कर उसे चूमने लगा.

दूर खड़ी लक्ष्मी ये सब देखकर मुस्कुरा रही थी...वो थी केशव हलवाई की लड़की, जिसकी उम्र थी ** और वो वही सरकारी स्कूल मे 12th में पड़ती थी, पर आज उसकी छुट्टी थी,शायद कोई सरकारी होलिडे था..इसलिए नदी मे आकर वो मल-मलकर नहा रही थी..उसके उभार अभी आने शुरू ही हुए थे,पर वो उनकी परवाह किए बिना उपर से नंगी होकर ही नहाती थी, सिर्फ़ कच्छी पहन कर..जैसा ज्यादातर झुग्गी में रहने वाली लड़कियां नहाती थी

सब उसको लच्छो कहते थे,वो थी एकदम साँवले रंग की पर उसके नैन नक्श काफ़ी अच्छे थे, हमेशा सब से अलग ही रहती थी, पर ऐसे जवान होते बच्चे ही सबसे ज़्यादा सेक्स के प्रति रूचि रखते हैं...

आज भी लच्छो ने जब गंगू और नेहा को एक दूसरे को चूमते हुए देखा तो वो झट से उसी चट्टान की औट मे जाकर खड़ी हो गयी ,जहाँ उस दिन गंगू ने रज्जो को चोदा था..

गंगू ने नेहा के मुम्मे पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए ...और उसके होंठों पर होंठ रखकर ज़ोर से चूसने लगा..

साथ ही नहा रही दो औरतें भी उन्हे देख कर हँसने लगी..

पहली : "हाए दैया, देख तो इस गंगू को, अपनी ही जोरू को खुले मे ऐसे चूम रहा है जैसे घर पर मौका ही नही मिलता...''

दूसरी : "ही ही .... ये मर्द साले होते ही ऐसे हैं, जहाँ मौका मिल जाए, अपना हथियार उठा कर चले आते हैं, मीटिंग करने को... हा हा''

फिर दोनो ज़ोर-2 से हँसने लगी..

पर उनकी बातों और हँसी से गंगू को कोई फ़र्क नही पड़ता था, वो उसकी असली बीबी तो थी नही, जो इतना पोस्सेसिव होता, वो हर उस तरीके से नेहा के साथ मज़े लेना चाहता था जो उसने सोचे हुए थे..

आज भी वो अपनी अधूरी इच्छा लेकर ही आया था नदी मे नहाने के लिए...पिछली बार तो नेहा ने काफ़ी तरसाया था उसके लंड को...पर आज चुदने के बाद वो पूरी तरह से खुल चुकी थी और उसका पूरा साथ भी दे रही थी...अब तो उसकी खुले मे चुदाई करने मे काफी मजा आएगा.

गंगू ने अपना हाथ नीचे किया और अपने लंड को बाहर निकाल लिया..और नेहा का हाथ पकड़कर उसके उपर लगा दिया.

ठंडे पानी मे गर्म रोड पकड़कर नेहा एकदम से सिहर उठी..हालाँकि अभी कुछ देर पहले ही उसकी जिंदगी की पहली चुदाई हुई थी, पर गंगू के लंड मे ना जाने क्या जादू था, वो फिर से गर्म होने लगी..शायद दूसरी चुदाई के ख़याल से उसकी बुर ने फिर से पानी देना शुरू कर दिया था.

उसकी आँखों मे नशीलापन तैरने लगा..और वो भी पूरी तरह से मदहोश सी होने लगी.

ये एक ऐसी परिस्थिति होती है जब औरत को मज़े के आगे कुछ भी नही दिखता, वो कहाँ पर है और क्या कर रही है, उससे ज़्यादा सेक्स का मज़ा मेटर करता है..

नेहा को अपने शरीर के कपड़े बोझ से लगने लगे...उसका तो मन कर रहा था की अभी के अभी सारे कपड़े फाड़ डाले और पूरी नंगी होकर गंगू की शक्तिशाली बुझाओं से लिपट जाए...उसको छोड़े ही नही,....उसकी गोद मे चड़कर उसको चूस डाले...

ये ख़याल आते ही उसने अपने गाउन के बटन खोलकर अपने मुम्मे बाहर निकाल लिए और ज़बरदस्ती गंगू के मुँह मे पूरा का पूरा मुम्मा ठूस दिया...

''खा इसको........चबा जा....मिटा दे इनकी खुजली......दाँत से काट इन्हे....'' वो बड़बडाए जा रही थी..

और उन्हे ऐसा करता देखकर वो दोनो औरतें तो शर्म से पानी-2 होकर वहाँ से निकल गयी..पर चट्टान की औट मे खड़ी हुई लच्छो का बदन जल उठा...वो अपने नन्हे-2 उभारों को सहलाते हुए खुद ही बड़बड़ाने लगी

"हाँ ....काट इन्हे गंगू....खा जा....चबा जा ....ज़ोर से दबा....और ज़ोर से ....''

वो खड़ी -2 अपने निप्पल को खींच कर ऐसा महसूस कर रही थी जैसे वो गंगू के मुँह मे हो और वो ही उन्हे चूस रहा हो..

अपनी पतली उंगलियों से वो अपने छोटे-2 अमरूदों को दबा रही थी...ऐसा उसने कई बार किया था, पर आज जो मज़ा उसे मिल रहा था, वैसा उसने कभी भी फील नही किया था.

उसने जो कच्छी पहनी हुई थी, वो भी उसने नीचे खिसका दी..उसकी चूत पर अभी बाल आने शुरू ही हुए थे , पर वो जानती नही थी की वहाँ क्या करना है, पर अंदर से ही उसे पता नही क्यों ये फील हो रहा था की वहाँ हाथ लगाया जाए..उसने अपनी अनछुई चूत को अपने पंजे मे दबोच लिया..पर वहाँ से उठ रही खुजली कम हो ही नही रही थी.

वो लगातार गंगू और नेहा को ही देख रही थी..गंगू तो मदमस्त सांड की तरह खुले मे ही नेहा को चोदने की फिराक मे था..पर उसके दिमाग मे भी ख़याल आया की ऐसे ही अगर उसने नेहा को खुले मे चोद दिया तो कोई भी आकर नेहा को चोद देगा, कुछ परदा तो होना ही चाहिए..

उसे फिर से उसी चट्टान की याद आ गयी, जहाँ उसने पहले भी कई बार चुदाई की थी..और जहाँ इस वक़्त लच्छो लगभग नंगी होकर उन्हे ही देख रही थी.

गंगू ने नेहा का हाथ पकड़ा और उसे दूसरी तरफ ले जाने लगा, चट्टान के पीछे..उन दोनो को अपनी तरफ आता हुआ देखकर लच्छो तो एकदम से सकपका गयी..वहाँ से भागने का कोई और रास्ता भी नही था..पीछे की तरफ उँची दीवार थी और बाँयी तरफ दूर तक नदी का पानी...इसलिए वो वहीं खड़ी रही..उसने जल्दी से अपनी कच्छी उपर कर ली.

वहाँ पहूचकर गंगू ने देखा की लच्छो वहाँ खड़ी हुई है...उसका चेहरा लाल सुर्ख था, वो समझ गया की या तो वो उन्हे छुप कर देख रही थी या फिर खुद ही छुपकर अपनी चूत मल रही थी..

गंगू : "आए लच्छो , तू यहाँ क्या कर रही है...चल भाग यहाँ से...''

लच्छो पर भी अपनी उभरती जवानी का नशा चड़ा हुआ था, वो बोली : "क्यो, ये नदी क्या तेरे बाप की है...तू जा ना बाहर...मैं तो यहीं नहाऊँगी ..तू बाहर जाकर चाट इसके दूध ...जैसा अभी कर रहा था..''

गंगू समझ गया की वो वहाँ छुपकर उन्हे ही देख रही थी..वैसे तो उसने आज से पहले भी कई बार उसको नहाते हुए देखा था, पर एक छोटी बच्ची समझकर उसकी तरफ ख़ास ध्यान नही दिया था...उसकी अर्धविक्सित छातियाँ आम लड़कियों की तरह ही थी जो वहाँ नदी मे नहाने के लिए आती थी..पर उसकी आँखों मे एक अजीब सी कसक थी..जल्दी जवान होने की...गंदे काम करने की...किसी का लंड लेने की..

गंगू ने भी घाट-2 का पानी पिया था..ऐसी चिड़िया को अपने हाथों से कैसे जाने देता वो..इसलिए अगले ही पल उसने वो किया जिसकी लच्छो ने कल्पना भी नही की थी..उसने एक ही झटके मे अपना अंडरवीयर उतार कर चट्टान पर रख दिया..और पूरा नंगा होकर खड़ा हो गया..

नेहा को तो ऐसी बातों से कोई फ़र्क नही पड़ता था, पर लच्छो ने आज पहली बार किसी का पूरा लंड देखा था और वो भी इतना बड़ा..उसे तो अपनी आँखों पर विश्वास ही नही हुआ..उसके साथ की लड़कियों के साथ उसने कई बार लंड के बारे मे बात की थी..पर किसी के पास भी कोई ब्योरा नही था..उन्होने तो सिर्फ़ झुग्गी के बच्चो की लुल्लिया ही देखी थी आज तक..पर आज लच्छो ने साक्षात काला लंड देख लिया था..और वो उसे देखकर पलकें झपकना भी भूल गई...उसकी छाती की घुंडीयां उत्तेजना मे भरकर पूरी तरह से बाहर निकल आई.
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गंगू : "तेरी मर्ज़ी...मैं तो तेरे भले के लिए ही कह रहा था...ऐसी चीज़ें बच्चे नही देखते...''

लाकचो : "मैं भी कोई बच्ची नही हू अब...ये देख...''

और इतना कहते हुए उसने भी बेशर्मी से अपनी कच्छी नीचे कर दी..और उसकी छोटी सी रोँये वाली चूत देखकर गंगू के लंड ने नाचना शुरू कर दिया...

वो सोचने लगा की काश इसकी भी चूत मिल जाए तो मज़ा ही आ जाए..पर ऐसा करने मे कितना खून ख़राबा होगा ये वो अच्छी तरह से जानता था.

लच्छो : "देख क्या रहा है तू....अगले साल मैं भी 18 की हो जाउंगी ...मैं कोई बच्ची नही हू ...''

गंगू ने उसको पूरी तरह से उकसा दिया था..

अचानक उसके दिमाग़ मे एक प्लान आया..वो नेहा की तरफ मुड़ा और बोला : "चलो ...जल्दी से अपने कपड़े उतार दो...''

वो तो जैसे इसी की प्रतीक्षा कर रही थी...उसने झट से अपना गाउन उतार कर चट्टान पर रख दिया और वो भी नंगी हो गयी..

फिर गंगू ने नेहा को उसी छोटी वाली चट्टान पर बिठाया और अपने लंड पर झुकाते हुए उसके मुँह के अंदर अपना लंड डाल दिया..

और लच्छो की तरफ मुड़कर बोला : "ये किया है क्या तूने कभी ...''

लच्छो बेचारी क्या बोलती, उसने तो सोचा भी नही था की लंड को चूसा भी जाता है...उसने ये तो सुना हुआ था की लड़कियाँ अपनी चूत मे लेती है लंड को..पर उसको चूसती भी है, ये वो आज ही जान पा रही थी.

पर फिर भी अपने आप को सयानी बताने का नाटक करते हुए वो बोली : "हाँ हाँ ...कई बार किया है...तू समझता क्या है मुझे...ये सब तो मैं दो सालों से करती आ रही हू...''

गंगू समझ गया की उसका तीर निशाने पर लगा है..उसने दूसरी तरफ देखा की कोई उस तरफ तो नही आ रहा ...पर बाहर की तरफ कोई भी नही था..

फिर वो लच्छो की तरफ मुड़ा और बोला : "चल इधर आ फिर...मैं भी तो देखु की 2 सालों मे तूने क्या सीखा है..''

लच्छो : "पर ये....तेरी जोरू....''

वो शायद डर रही थी की गंगू कैसे अपनी ही बीबी के सामने उसको बुला रहा है..

गंगू : "तू इसकी फ़िक्र मत कर ...ये कुछ नही कहेगी...''

अब तो वो बुरी तरह से फँस चुकी थी, ऐसी शेखी बघारी थी उसने की अब पीछे भी नहीं हट सकती थी..और वैसे भी अंदर ही अंदर वो खुद भी तो ये एक्सपीरियन्स लेना चाहती थी..इसलिए गंगू के कहने पर वो चुपचाप पानी मे चलती हुई उसके पास पहुँची और वहाँ पहुँच कर खड़ी हो गयी.

लच्छो : "बोल...क्या करू...''

उसने तो जैसे आत्मसमर्पण कर दिया था...गंगू ने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा और अगले ही पल उसके नंगे बदन को अपनी बाहों मे भरकर उसे हवा में उठा लिया...उसकी छोटी-2 ब्रेस्ट गंगू की बालों वाली छाती से पीसकर टूट सी गयी...और फिर गंगू ने उसके गोल मटोल चेहरे को अपने करीब किया और उसके होंठों को अपने मुँह मे लेकर कुलफी की तरह चूसने लगा...

ये था लच्छो की जिंदगी का पहला चुंबन...और वो भी इतने रफ़ तरीके से...

गंगू ने बिना कोई रहम करते हुए उसके होंठों को ऐसे चबाना शुरू किया जैसे वो रबड़ के बने हो...और उसके अंदर से आ रही मीठास को महसूस करते ही उसके लंड ने झटके देने शुरू कर दिए नेहा के मुँह के अंदर..जो बड़े ही मज़े ले-लेकर नंगी बैठी हुई उसके लंड को चूस रही थी.

लच्छो की चड्डी तो उसके घुटने मे फंसी थी..और उसकी नयी चूत गंगू की कमर पर घिस्से लगा रही थी..गंगू ने एक हाथ से उसके निप्पल को पकड़कर ज़ोर से उमेठ दिया...और अगले ही पल लच्छो पर भी उत्तेजना का वही ज्वर चड गया जो कुछ देर पहले नेहा पर चड़ा था...और वो बुदबुदाने लगी..

"खा जा इन्हे...ज़ोर से दबा....चबा जा.....मिटा दे इनकी खुजली...''

उसकी बड़बड़ाहट सुनकर गंगू के साथ-2 नेहा भी मुस्कुरा दी...वो दोनो समझ गये की वो छुपकर उन्हे ही देख रही थी..उनकी बातें भी सुन रही थी...

गंगू ने भी उसको निराश नही किया...उसने उस फूल जैसी लड़की के जिस्म को थोड़ा और उपर उठाया और उसके निप्पल को अपने मुँह मे डाल कर उस बछिया का दूध पीने लगा..

''आहह........ ओह ......गंगू ssssssssssssssssssss''

ये शायद सबसे छोटी उम्र की लड़की थी, जिसके शरीर के साथ गंगू मज़े ले रहा था...वरना ज़्यादातर की उम्र तो 20 से उपर ही थी, जिनकी चुदाई उसने आज तक की थी.

इतनी आसानी से एक और चूत का इंतज़ाम होता देखकर गंगू को फिर से अपनी किस्मत पर फक्र होने लगा...पर वो लच्छो को आराम से मज़े ले-लेकर भोगना चाहता था...और वैसे भी इतनी कच्ची कली को फूल बनाने के लिए ये जगह भी सही नही थी..पर आज वो उसको पूरी तरह से उत्तेजित करते हुए, उपर-2 से मज़े लेकर, उसको आगे के लिए तैयार ज़रूर करना चाहता था.

गंगू ने कुछ देर तक उसके दोनो निप्पल एक-एक करते हुए चूसे , फिर उसके होंठ दोबारा चूसे और फिर अचानक ही बिना किसी वॉर्निंग के अपनी मोटी सी उंगली को उसकी चूत की फांकों के बीच डाल दिया..

लच्छो की आँखे एकदम से फैल सी गयी...दर्द की एक तेज लहर उसके बदन मे उठ गयी..पर एक मीठी सी कसक और वहाँ से उठ रही खुजली मिटने की आस भी उसको महसूस हुई.

गंगू ने उसको भी नेहा के साथ चट्टान पर टीका दिया...और उसके घुटनो मे फंसी हुई कच्छी को उसने निकाल कर साइड मे रख दिया.

नेहा बड़े ही मज़े ले लेकर गंगू के लंड को चूस रही थी...अपनी जीभ से चाट रही थी...उसके टट्टों को अपनी उंगलियों से सहला रही थी...और लच्छो उसको देखते हुए जैसे वो सब सीखने की कोशिश कर रही थी..गंगू भी समझ चुका था की आज जो भी लच्छो के साथ हो रहा था, वो पहली बार ही हो रहा था, उसे पहले से ऐसी बातों का कोई भी तजुर्बा नही था.

और ऐसी ही नयी नवेली मछलियों को सेक्स का मज़ा देने के लिए गंगू महाराज ने जन्म लिया था..वो मंद -मंद मुस्कुराते हुए उसको कसमसाते हुए देखने लगा...वो अपने होंठों पर जीभ फेरा रही थी, जैसे वो लंड चाटने के लिए तैयारी कर रही हो..

गंगू ने उसके सिर को पकड़कर अपने लंड की तरफ झुकाया और नेहा को पीछे करते हुए अपना खोफ़नाक लंड लच्छो के सामने लहरा दिया..वो तो उसके चेहरे से भी बड़ा था...पर फिर भी उसने डरते-2 उसे अपने नन्हे हाथों मे पकड़ा और अपनी जीभ लगा कर पहले तो उसको चेक किया की उसका स्वाद कैसा है...फिर धीरे से अपना पूरा मुँह खोलकर उसके सुपाडे को अंदर लिया...और फिर अपनी जीभ और होंठों का इस्तेमाल करते हुए धीरे-2 दो इंच लंड अंदर ले लिया...और इतना करते ही उसे ऐसे लगा की उसकी साँस बंद हो रही है...उसका गला और मुँह पूरी तरह से बंद हो चुके थे..

गंगू : "शाबाश....ऐसे ही...थोड़ा और खोलो मुँह...अंदर बाहर करो..चूसो इसको...चाटो अपनी जीभ से...''

और फिर धीरे-2 करते हुए लच्छो ने लंड को चूसना सीख ही लिया....उसको अंदर से ऐसी खुशी हुई जैसे उसने 12th पास कर ली हो...

नेहा की चूत अब बुरी तरह से सुलग रही थी...वो तो बस चाहती थी की गंगू जल्द से जल्द अपनी नयी सहेली को छोड़कर उसकी टांगे फेलाए और लंड पेल दे उसके अंदर..

उसने गंगू की जाँघ पर अपने मोटे मम्मे रगड़ने शुरू कर दिए...गंगू भी समझ गया की वो चुदाई के लिए तड़प रही है..उसने अपना लंड बड़ी मुश्किल से लच्छो के मुँह से बाहर खींचा, क्योंकि मज़े मिलने के बाद वो उसको छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी.

फिर उसने उस सपाट चट्टान पर नेहा को लिटाया और उसकी टांगे उपर हवा मे थाम ली...लच्छो बड़े ही गौर से वो सब देख रही थी..

और फिर गंगू ने अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और दबाव डालकर उसको अंदर डालना शुरू किया..

नेहा का भी ये सिर्फ़ दूसरी बार था...पर चूत गीली होने की वजह से वो बड़ी ही आसानी से अंदर चला गया...इतने बड़े लंड को छोटी सी चूत मे पूरा समाता हुआ देखकर वो हैरान रह गयी...और उसी हैरानी मे आकर वो अपनी चूत को निहारने लगी..जैसे समझने की कोशिश कर रही हो की आख़िर ये सब होगा कैसे.

नेहा की आहें गूंजने लगी वहाँ

''अहह .... ओह ....उ हह अहह ....और अंदर .....ज़ोर से ......अहह ...ऐसे ही ......उम्म्म्ममम ......आहह ...''

और एक जोरदार चीख के साथ वो झड़ने लगी..

गंगू ने भी पाँच मिनट तक और चोदा उसको और फिर जब वो झड़ने को हुआ तो उसने अपनी पिचकारी बाहर निकाल कर नेहा और लच्छो के चेहरे सफेद रंग से रंग दिए..

नेहा ने वो सारी मलाई खा ली..और उसकी देखा देखी लच्छो ने भी अपना चेहरा साफ़ करते हुए उसे समेट कर निगल लिया...जिसमे उसको मज़ा भी बहुत आया..

फिर अच्छी तरह से नहाने के बाद दोनो ने अपने-2 कपड़े पहने और घर की तरफ निकल गये..

लच्छो भी नये एक्सपीरियेन्स को फील करती हुई घर चली गयी...पर जाने से पहले गंगू से ये वादा भी किया की वो जब भी कहेगा,वो वहाँ हाजिर हो जाएगी..

घर पहुँच कर उसने देखा की भूरे सिंह का आदमी उसका वेट कर रहा था..

उसने गंगू से कहा की भूरे ने उसको अपने साथ लाने के लिए कहा है..

गंगू जल्दी से तैयार हुआ और उसके साथ चल पड़ा.

शायद आज कुछ और ख़ास होने वाला था उसके साथ..

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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: हवस मारा भिखारी बिचारा

Post by jay »

***********
अब आगे
***********

भूरे का आदमी गंगू को लेकर एक आलीशान बार कम केसीनो मे पहुँचा....वो बार कम केसीनो आज तक गंगू ने बाहर से ही देखा था, अक्सर वो वहाँ बैठकर भीख माँगा करता था, भूरे के आदमी के साथ गंगू को अंदर जाता हुआ देखकर वहाँ का दरबान भी चोंक गया, वो गंगू को अच्छी तरह से जानता था,पर भूरे के आदमी के साथ उसको अंदर जाता हुआ देखकर वो भी उसको सिर्फ़ सलाम ठोकने के अलावा कुछ नही कर सकता था..

गंगू भी अपने आप को मिल रहे ऐसे ट्रीटमेंट से काफ़ी खुश था..

अंदर पहुँचकर उसने जो नज़ारा देखा,उसकी तो गंगू ने कल्पना भी नही की थी...चारों तरफ गोल टेबल पर जुआ चल रहा था, लाखों की बाजिया चल रही थी...दारू और बियर के ग्लास हर टेबल पर थे...आधी नंगी लड़किया सर्व कर रही थी...ऐसा माहौल तो उसने एक फिल्म मे देखा था..पर असल जिंदगी मे ऐसा देखने को मिलेगा, ये उसने सोचा भी नही था.

भूरे का आदमी उसको एक झालर वाले केबिन मे ले गया..कोने मे एक बड़े से टेबल पर भूरे बैठ हुआ था...और उसके साथ ही एक मोटा सा आदमी, जिसकी घनी मूंछे थी,वो सिगार पीता हुआ अपनी गोद मे बैठी लड़की के मुम्मे दबा रहा था,जो उपर से पूरी नंगी थी..

भूरे : "भाई, ये है वो गंगू...और गंगू, ये है नेहाल भाई...''

नेहाल भाई को अपने सामने बैठा देखकर गंगू की तो हिम्मत ही नही हुई कुछ कहने की...कहाँ वो झुग्गी मे रहने वाला एक अपाहिज भिखारी और कहाँ अंडरवर्ल्ड का डॉन नेहाल भाई..

नेहाल ने उसको उपर से नीचे तक देखा और बोला : "अच्छा काम किया तूने कल...तेरी वजह से आज मेरा सिर उँचा हो गया...अगर वो माल पकड़ा जाता तो करोड़ो का नुकसान तो होता ही, मेरा नाम भी खराब होता मार्केट मे..इसलिए तुझे यहाँ बुलवाया,अच्छे आदमियों की कद्र करता है ये निहाल..''

उसका एक हाथ लगातार उस लड़की का मुम्मा दबाता रहा , और वो लड़की भी बड़े मज़े-ले लेकर अपने मुम्मे दबवा रही थी.

गंगू की नज़रें उसके उभरे हुए निप्पल्स को घूर रही थी..जो इतने लंबे थे की उन्हे मुँह मे लेकर चूसने मे मज़ा ही आ जाए कसम से.

गंगू को लड़की की तरफ घूरते देखकर नेहाल समझ गया की उसके मन मे क्या चल रहा है...उसने धीरे से उस लड़की के कान मे कुछ कहा और वो उठ खड़ी हुई, उसने एक छोटी सी स्कर्ट पहनी हुई थी...और शायद अंदर कच्छी भी नही थी...और वो मटकती हुई गंगू के पास आई और उसका हाथ पकड़कर एक कुर्सी पर बिठाया...और खुद उसकी गोद मे बैठ गयी.

नेहाल : "आज पहली बार नेहाल अपनी लड़की को किसी के साथ शेयर कर रहा है...आज की रात तू मज़े कर इसके साथ..''

और इतना कहकर वो उठ खड़ा हुआ और भूरे सिंह के कान मे कुछ फुसफुसाया....और फिर अपने आदमियो के साथ बाहर निकल गया.

उसके जाने के बाद भूरे ने गंगू को देखा और ज़ोर-2 से हँसने लगा.

भूरे : "साले ...तूने तो भाई पर जादू चला दिया है...इस छमिया पर तो मेरी नज़र थी इतने दिनों से...और देख , ये तेरी गोद मे बैठी हुई है...हा हा...मज़े है तेरे..''

गंगू सच मे अपने आप को किसी रियासत का राजा समझ रहा था...नेहाल भाई का खास आदमी, जिसे उन्होने अपनी रखैल दे डाली...

उसने अपनी छाती फुलाई और अपने खुरदुरे हाथ उस गोरी लड़की की ब्रेस्ट पर जमा कर ज़ोर से दबा दिया..

ऐसा लगा जैसे किसी मक्खन के गोले को हाथ मे पकड़ लिया हो उसने...उसकी उंगलियाँ अंदर तक धँसती चली गयी..ऐसी चिकनी त्वचा तो उसने आज तक नही देखी थी..और उसके शरीर से उठ रही महक भी काफ़ी नशीली थी...जैसे पूरी रात शराब मे डुबो कर रखा हो उसको...नशा सा छा रहा था गंगू के सिर पर.

भूरे ने ये तो सोचा भी नही था की नेहाल भाई गंगू को हिनल जैसी लड़की दे देंगे..

हिनल पर उसकी काफ़ी समय से नज़र थी..पर नेहाल भाई के डर से उसकी तरफ कोई आँख उठा कर भी नही देखता था...और नेहाल भाई भी काफ़ी ऐय्याश टाइप का आदमी था, उसको दूसरो के सामने सेक्स करने मे काफ़ी मज़ा आता था, या ये कह लो की अपना लंबा लंड और मर्दानगी सबके सामने दिखाने मे वो फक्र महसूस करता था.

और हिनल को भी कुछ ऐसी ही आदत पड़ चुकी थी, नेहाल के लंबे लंड से चुदाई करवाने मे उसको काफ़ी आनंद मिलता था, ख़ासकर जब उसके चमचे और बॉडीगार्ड उसकी चुदाई होते हुए साफ़ देख रहे हो...उनके खड़े होते लॅंड देखकर वो और भी ज़्यादा उत्तेजित हो जाती थी..और खूब उछल-2 कर चुदाई करवाती थी.

गंगू को देखकर एक बार तो उसने भी नाक सिकोडी, क्योंकि उसका हुलिया था ही फकिरों जैसा...पर वो नही जानती थी की वो सच मे एक भिखारी है..जब नेहाल भाई के कहने पर वो उसकी गोद मे आकर बैठी, तो उसकी बलिष्ट बाजुओं और सख़्त छाती को महसूस करके वो जान गयी की बंदे मे काफ़ी दम है...और वो खुली आँखों से ही उसके लंड को अपने अंदर लेने के सपने देखने लगी.

उधर भूरे मन मे सोच रहा था की कैसे गंगू को आज ज़मीन पर लाया जाए, साला दो दिन में एकदम से उड़ने लगा है..

उधर भूरे मन मे सोच रहा था की कैसे गंगू को आज ज़मीन पर लाया जाए, साला दो दिन में एकदम से उड़ने लगा है..

वैसे दोस्तो, देखा जाए तो हमारे आस-पास वाले लोग ही हमारी तरक्की से जलते हैं, उन्हे ये बात हरगिज़ हजम नही होती की उनके सामने पैदा हुआ इंसान उनसे भी उपर निकल जाए...ऐसी जलन की भावना ही इंसान को एक दूसरे का दुश्मन भी बना देती है..

और यही सब इस वक़्त भूरे सोच रहा था गंगू के बारे मे.

गंगू तो बिजी था हिनल के हुस्न को सूंघने मे, भूरे ने सबके लिए शराब और चिकन मँगवाया और साथ ही ताश के पत्ते भी..

वो जुआ खेलने मे एक नंबर का उस्ताद था...और गंगू को जो एकदम से इतने पैसे मिले थे,उनकी गर्मी उतारकर ही उसको उसके भिखारीपन का एहसास करवाया जा सकता था.

गंगू ने शराब के दो गिलास पी लिए , अब तक हिनल ने उसके लॅंलंड को बाहर निकालकर चूसना शुरू कर दिया था, पहले तो गंगू को बड़ा ताज्जुब हुआ , पर जब वो आधी नंगी होकर बैठ सकती है तो ये काम भी आसान है उसके लिए...वो मज़े से अपने लंड की चुसाई का आनंद लेने लगा.

इतने मे भूरे ने ताश के पत्ते बाँटने शुरू कर दिए.

गंगू को कोई खास तजुर्बा नही था खेलने का, पर फिर भी शराब का नशा और जेब मे पड़े पैसों की गर्मी की वजह से उसने खेलना शुरू कर दिया.

कुल बीस हज़ार रुपय थे गंगू के पास,घर पर तो रखने की कोई जगह नही थी, इसलिए वो पैसे साथ ही उठा लाया था...10 भूरे ने ही दिए थे और 10 मुम्मेथ ख़ान ने.

4 बाजियों के बाद वो लगभग 10 हज़ार रुपय हार गया भूरे से..

अब उसका माथा ठनका ...वो तो सही से खेलना भी नही जानता था, इसलिए हार रहा था..और ऐसे ही चलता रहा तो उसके सारे पैसे ख़त्म हो जाएँगे, जिनकी गर्मी को महसूस करके वो ये भी भूल चुका था की वो एक भिखारी है.

अब तक उसका लंड भी खड़ा हो चुका था..वो सीधा तो मना करना नही चाहता था भूरे को, वरना वो उसको फट्टू समझता..इसलिए उसने बहाना किया और एकदम से हिनल को अपनी गोद मे उठा कर सेंट्रल टेबल पर लिटा दिया और उसकी टाँगो को फैला कर उसकी बुर चाटने लगा.

हिनल तो वैसे भी एक नंबर की चुड़दक़्कड़ थी, उसको तो ऐसे कामो मे मज़ा मिलता था..अपनी जवानी को सबके सामने दिखा कर वो तृप्त सी हो जाती थी..और आज उसका टेस्ट भी तो बदल दिया था नेहाल भाई ने, उसको गंगू के हवाले करके...

काफ़ी समय से सिर्फ़ नेहाल से चुदाई करवाते हुए वो भी बोर हो चुकी थी और आज ऐसे गठीले इंसान के सामने अपने आपको नंगा बिछाकर वो भी मस्ती मे झूम रही थी.

भूरे भी समझ गया की थोड़ी देर के ब्रेक की ज़रूरत है शायद गंगू को...वैसे भी खड़े लंड को जल्द से जल्द काम पर लगा देना चाहिए,वरना सही नही होता.

वो भी आराम से अपने साथियों के साथ बैठकर गंगू की चुदाई के तरीके देखने लगा..उसके और उसके साथियो ने पहले भी कई बार हिनल को नेहाल के लंबे लंड के नीचे मचलता देखा था, पर आज गंगू के लंड का स्वाद लेते हुए पहली बार देखना था सभी को.

गंगू ने हिनल की टांगे अपनी गर्दन पर लेपेटी और अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया..और उठ खड़ा हुआ..हिनल का नंगा शरीर उसकी गर्दन से लटककर झूल गया...पर बेचारी चीखने के अलावा कुछ नही कर सकती थी..उसकी मोटी-2 ब्रेस्ट हवा मे ऐसे उछल रही थी जैसे बाहर ही निकल आएँगी..

''आआयययययययययययययययययययययययययीीई साले, खा जा मेरी चूत को.............अहह .......हहााआ....''
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Re: हवस मारा भिखारी बिचारा

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गंगू तो उसकी चूत के होंठ ऐसे नोच रहा था जैसे उसको बरसो से खाना नही मिला....वो अपनी जीभ से उसकी चूत की सफाई भी कर रहा था, जिसमे से लगातार मीठा रस बाहर निकल रहा था...और उसकी गर्दन से उल्टी लटके होने की वजह से कुछ रस फिसल कर उसके पेट से होता हुआ उसके उरोजों तक भी जा रहा था...

वहाँ खड़े सारे गुंडों की हालत खराब थी...ख़ासकर भूरे की, उसका मन तो कर रहा था की उसकी चूत के रस से भीगे मुम्मे चूस कर वो भी मज़े ले , पर नेहाल के बारे मे वो अच्छी तरह से जानता था, अगर उन्हे पता चल गया तो उसका क्या हश्र होगा, ये वो जानता था.

वो सभी लोग सिर्फ़ जीभ लपलपा कर देखने के अलावा कुछ भी नही कर सकते थे..

गंगू ने उसको आराम से टेबल पर लिटाया और उसकी गर्म चूत को गोर से देखा, जो ज़्यादा चूसने की वजह से लाल सुर्ख हो चुकी थी..

हिनल की आँखो मे सेक्स का नशा पूरी तरहा से उमड़ चुका था....वो जल्द से जल्द गंगू के लंड को अपने अंदर लेना चाहती थी..

गंगू ने उसकी टाँगो को चोडा करते हुए उसकी चूत के मुहाने पर अपना लंड रखा और धीरे से धक्का देकर अंदर दाखिल हो गया...

''उम्म्म्मममम....... सस्स्स्सिईईईईई......अहह''

उसकी चुदते टाइम ऐसी आवाज़ सुनने की वहाँ के लोगो को आदत थी....पर गंगू का लंड नेहाल के मुक़ाबले थोड़ा थिक था...और शायद लंबा भी...इसलिए आज हिनल की सिसकारियों मे एक गर्माहट भी थी...

वो अपने ही रस से भीगे स्तनों को हाथ मे लेकर निचोड़ने लगी...और उसपर लगे रस से उसने गंगू के चेहरे को पोत दिया....

अगले ही पल गंगू उसके उपर धम्म से गिर पड़ा और अपना पूरा लंड अंदर तक पेल दिया, और साथ ही साथ उसके नर्म मुलायम होंठों को बुरी तरह से चूसने लगा...

अब तो गंगू ने स्पीड से चुदाई करनी शुरू कर दी...वो खड़ा हुआ था और हिनल की टांगे उसकी कमर से बँधी हुई थी और वो ढका धक उसको पेले जा रहा था....शायद हिनल की जिंदगी की ये सबसे यादगार चुदाई बनने वाली थी....उसके मुँह से लार निकल कर साईड मे गिर रही थी....हर झटके से उसकी बड़ी-2 चुचियाँ उपर तक जाकर उसकी ठोड़ी को छूती ..और फिर नीचे आकर गंगू के चेहरे को...

ऐसे ही थपेड़ों के बीच एक जोरदार आवाज़ के साथ हिनल की चूत का ज्वालामुखी फट पड़ा...और वो कल-कल करती हुई बहने लगी..

''अहहssssssssssssssssssssssssss ...... ओह माय गॉड ....... अहहssssssssssssssssssssssssssssss ......''

पर हमारा हिन्दुस्तानी शेर अभी तक थका नही था, वो उसकी चूत का कीमा बनाने मे लगा था अपने मूसल जैसे लंड से....वो धक्के दे-देकर पूरा अंदर तक जा रहा था और उसकी हिलती हुई जवानी के कलशो को पीने की कोशिश भी कर रहा था...

और जब 10 मिनट के बाद गंगू के लंड ने सफेद सोना उगलना शुरू किया तो उसकी बोछार के तले दबकर हिनल का शरीर तो गायब ही हो गया...गंगू ने उसके उपर जैसे सफेद रंग का स्प्रे कर दिया हो...वो उसके गाड़े रस से भीगकर पूरी ढक गयी...

और फिर अपने बिखरे हुए कपड़ो को समेटकर उठी और गंगू को एक प्यारी सी किस्स देकर पिछले दरवाजे से उपर के कमरे मे चली गयी.

गंगू ने भी अपने कपड़े पहन लिए..उसकी आज की चुदाई देखकर भूरे को पूरा विश्वास हो गया की वो अपनी बीबी को भी ऐसे ही चोदता होगा...फिर वो ऐसी प्यासी सी बनकर क्यों घूमती रहती है...ज़रूर कोई गड़बड़ है...

और ये सब जानने के लिए उसके दिमाग़ मे एक प्लान बन ही चुका था..

उसने ज़िद करते हुए गंगू को और शराब पिलाई और साथ ही दोबारा जुआ खेलने के लिए उकसाया, एक दो बार जान बूझकर हारने के बाद वो फिर से जीतने लगा और आख़िर मे उसने गंगू को पूरा खोखला कर दिया, उसके सारे पैसे जुए मे जीतकर..

फिर शराब के नशे मे धुत्त गंगू को उसने घर तक भी छोड़ दिया..

आज भी वो नेहा को खा जाने वाली नज़रों से देख रहा था..पर वो गंगू को ऐसी हालत मे देखकर आज कुछ ज़्यादा ही चिंता मे आ गयी थी...इसलिए उसके लिए कोई जुगाड़ हो पाना संभव नही हो सका..

पर उसको भी पता था की उसकी योजना अगर सही काम कर गयी तो ये खुद ही उसकी गोद मे आकर बैठेगी...जैसे हिनल आ गयी थी आज गंगू की गोद मे.

भूरे के जाते ही नेहा ने जल्दी से दरवाजा बंद किया और गंगू के पास पहुँची, नयी नवेली दुल्हन की तरह उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी, वो तो कब से गंगू के वापिस आने की प्रतीक्षा कर रही थी, उसकी चूत गाड़े पानी से भरकर बाहर रिसने को हो रही थी, पर गंगू को ऐसी हालत मे फिर से देखकर वो घबरा गयी, वो समझ गयी की शायद आज भी गंगू उसको संतुष्ट नही करेगा, क्योंकि उसने शराब पी रखी थी, वो अपने होश मे नही था..

पर जिस लड़की के सिर पर चुदाई का भूत सवार हो जाए, वो इतनी जल्दी हार नही मानती, उसने गंगू की पेंट खोलकर उसे नीचे उतार दिया, और उसके अंडरवीयर को भी खींच कर बाहर कर दिया...

गंगू का सोया हुआ अजगर उसकी टाँगो के बीच आराम कर रहा था..उसके देखते ही नेहा की साँसे तेज हो गयी...और उसके हाथ अपने आप ही चूत पर पहुँच गये और वो उसे कुरेदने लगी..अभी लाइट नही आ रही थी, नेहा ने एक लेम्प जलाकर उसको टांगा हुआ था, जिसकी मद्धम रोशनी मे वो नशे मे सोए हुए गंगू को प्यासी नज़रों से देख रही थी..

उसकी उंगलियो ने हरकत की और अगले ही पल उसके ब्लाउस के हुक खुलने शुरू हो गये..अपनी ब्रा को भी उसने नोच कर अपने शरीर से ऐसे अलग किया जैसे उसमे काँटे लगे हो...खुली हवा मे आते ही उसके गोल मटोल उरोजो ने गहरी साँस ली और वो अपनी शेप मे आ गये..उसके निप्पल उबलकर उठ खड़े हुए और उसकी मांसल छातियाँ पहले से कई ज़्यादा बड़ी दिखने लगी..

वो खिसककर गंगू के करीब पहुँची और अपने मुँह से गर्म साँसे छोड़ती हुई वो गंगू की टाँगो के बीच लेट गयी, उसके दोनो मुम्मे उसके घुटनो की कटोरियों पर पिसकर अंदर की तरफ घुस गये..और उसने अपनी लपलपाती हुई जीभ को सीधा लेजाकर गंगू के लंड के उपर रख दिया और उसको नीचे से उपर की तरफ ऐसे चाटना शुरू कर दिया जैसे वो लंड नही कोई आइस्क्रीम हो..

इंसान भले ही होश मे ना हो पर उसके शरीर के साथ जो कुछ भी हो रहा होता है, वो उसका दिमाग़ तुरंत महसूस कर लेता है और उसके अनुसार ही प्रतिक्रिया करता है.. गंगू के साथ भी यही हुआ, वो अपने नशे की दुनिया मे डूबा हुआ था और उसके लंड ने नेहा की गर्म जीभ के साथ मिलकर गाने गाना शुरू कर दिया, एक मिनट के अंदर ही अंदर गंगू का घोड़ा बेलगाम सा होकर नेहा के मुँह मे रेस लगा रहा था..

नेहा बड़े ही चाव से उसके लंड को चूस रही थी, उसको चाट रही थी, अपने होंठों के बीच उसकी बॉल्स को लेकर अपने दांतो से चुभला रही थी..गंगू भी बीच-2 मे कसमसा कर नशे से उभरने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि बेहोशी मे ही सही, उसको ये एहसास हो ही चुका था की उसके लंड को कोई चूस रहा है, और उसके सपनो मे इस वक़्त लच्छो थी, जो उसके लंड को नहाते हुए चूस रही थी..

नेहा ने जल्दी से अपना घाघरा भी उतार कर अपने जिस्म से अलग कर दिया, नीचे उसने कच्छी भी नहीं पहनी थी, जिस वजह से ऐसा लग रहा था जैसे उसकी टाँगो के बीच की टंकी खुली रह गयी है और उसमे से ढेर सारा पानी बहकर बाहर आ रहा है...उसने अपनी चूत से रिस रहे पानी को अपनी हथेली मे भरा और उसको गंगू के लंड से चोपड़ कर उसको चिकना बना दिया और फिर थोड़ा उपर होकर उसने अपनी ब्रेस्ट को उसके लंड के चारों तरफ लपेटा और उसको टिट फक्क करने लगी..ऐसा उसने उस दिन अस्तबल मे रज्जो को करते हुए देखा था..हर बार वो गंगू के उपर निकल रहे लंड के सिरे को चाट लेती और फिर वो उसकी छातियों की गहराई मे खो जाता..

उसकी चूत मे फिर से पानी इकट्ठा होकर बहने लगा..वो घूम कर 69 की पोजिशन मे आ गयी..और जैसे ही उसने अपनी गीली चूत को गंगू के मुँह के उपर रखकर दबाया, गंगू की गर्म जीभ निकलकर उसके अंदर दाखिल हो गयी और वो बड़े ही मज़े से उसे चाटने लगा...

उसके मुँह से एकदम से निकला : "अहह ....... लच्छो ....''

नेहा समझ गयी की वो इस वक़्त उस छोटी लड़की के बारे मे सोच रहा है...और कोई बीबी होती तो उसका अभी के अभी रिमांड ले लेती, पर ये नेहा थी, जो अपनी यादश्त भूलकर ये भी भूल चुकी थी की एक पत्नी की जिंदगी मे किसी दूसरी औरत की बात करना भी कितना बड़ा जुर्म है..पर वो इस वक़्त अपनी ही मस्ती मे डूबकर अपनी चूत चटवा रही थी और उसका लंड चूस रही थी.

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