हवस मारा भिखारी बिचारा compleet

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jay
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Re: हवस मारा भिखारी बिचारा

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उसके बाद गंगू और भूरे शहर से थोड़ी दूर बने एक खंडहर की तरफ चल दिए...क्योंकि असली काम तो उन्हे वहीं करना था..

एक पुराना सा किला था ये...दिन के समय तो यहा युगल जोड़े घूमते रहते थे...चूमा चाटी , चुदाई के लिए...पर रात को कोई नही आता था...बिल्कुल सुनसान सा हो जाता था वो किला रात के समय..

अभी तो 12 ही बजे थे दिन के..इसलिए वहां कई जोड़े हर कोने मे दुबक कर एक दूसरे से मज़े लेने मे लगे थे.

वो पूरे किले मे घूमते रहे और आख़िर मे जाकर उन्होने एक शांत सी जगह देखी जो काफ़ी अंदर जाकर थी..और जो काम वो वहाँ करने वाले थे उसके लिए वो जगह बिल्कुल उपयुक्त भी थी..

सही जगह का चुनाव करने के बाद वो वहां से निकल आए.

अभी काफ़ी समय था उनके पास...किसी भी तरह उन्हे अंधेरा होने तक का वेट करना था..पर इससे पहले गंगू को ठीक वैसी ही एक औरत का घर ढूँढना था जैसी औरत के बारे मे उसने इक़बाल को जानकारी दी थी..

वो भूरे को समझा कर अपने काम के लिए निकल पड़ा..दो घंटे की मेहनत के बाद उसे पूछने पर एक औरत के बारे मे पता चल ही गया..जो समाज सेवा का काम करती थी..और बेसहारा लड़कियो की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहती थी.

वो उसके घर पहुँचा और दरवाजा खड़काया , वो करीब 45 साल की सीधी साधी सी औरत थी, उसका नाम शांति था. गंगू ने मनघड़ंत कहानी बनाकर बताई की वो एक भिखारी है और उसने एक घर मे कई लड़कियो को बंदी बने हुए देखा है..और वहां रहने वाला एक गुंडे किस्म का आदमी उनसे जिस्म्फरोशी का धंधा करवाता है...पूछने पर गंगू ने बता दिया की किसी ने बताया था की आप ऐसी लड़कियो की मदद करती है इसलिए उसे ये सूचना देने के लिए चला आया..पुलिस भी उनके साथ मिली हुई है,इसलिए वो किसी समाजसेवक को ढूंढ रहा था,इसलिए उसके पास आया है

शान्ति को उसकी बातों पर विशवास हो गया , और गंगू से उसे वहां का पता माँगा

और गंगू ने जो पता उसे बताया वो था मुम्मेथ खान का, क्योंकि गंगू चाहता था की ऐसे समाज सेवको के डर से सही,मुम्मेथ को इस दलदल से निकालना जरुरी है, वरना इक़बाल के बाद वो किसी और की रखैल बनकर अपनी जिंदगी गुजार देगी, और उसकी अदाकारी उसके साथ ही दम तोड़ देगी

मुम्मेथ का घर काफी दूर था वहां से ...वहां जाकर आने मे ही रात हो जानी थी...गंगू की बात सुनते ही उसने फॉरन अपने घर पर ताला लगाया और अपनी संस्था के लोगो को लेकर वहां से निकल पड़ी..

अब गंगू ने फोन ऑन किया...और फोन चालू करते ही इक़बाल भाई का फोन आ गया

इक़बाल : "साले ...इतनी देर से फोन कर रहा हू...फोन क्यो बंद था तेरा...''

गंगू : "भाई..वो पुलिस वाले थे...उनके सामने एक भिखारी फोन पर बात करता तो कैसा लगता...वो तो मुझे उठा कर ही ले जाते ना..''

इक़बाल को उसकी बेवकूफी और नासमझी पर गुस्सा भी आ रहा था पर फिर ये सोचकर वो ज़्यादा बोला नही की एक भिखारी की अक्ल मे जो आया वही किया ना उसने...

इक़बाल : "चल छोड़ ये सब...अब जल्दी से पता बता..मेरे सभी आदमी तैयार बैठे है..''

गंगू ने उसे उसी समाजसेविका शान्ति का पता बता दिया, जहां वो थोड़ी देर पहले गया था ..

अब अगर इक़बाल के आदमी वहां पहुँच भी जाते तो उन्हें वहाँ ताला ही मिलता.

गंगू ने भूरे को फोन करके बोला की अभी तक सब कुछ उनके अनुसार ही चल रहा है....और फिर अगली बात जो गंगू ने भूरे को कही वो सुनकर तो भूरे खुशी से उछल पड़ा

गंगू : "अब ध्यान से सुन भूरे...कुछ भी गड़बड़ हुई तो वो लोग सबसे पहले मेरे घर पर ही जाएँगे..मुझे ढूँढने..तू एक काम कर, मेरे घर जा और नेहा को भी अपने साथ लेकर उसी किले मे पहुंच जहाँ हमने रात को मिलना है...समझा..''

भूरे ने कोई सवाल नही किया...ये भी नही बोला की नेहा को ले जाने मे तो काफ़ी ख़तरा है वहां ...उसे तो बस एक मौका चाहिए था उसके साथ अकेले मे...जो खुद गंगू ने उसे दे दिया था.

अभी 5 बजे थे...और गंगू की योजना के अनुसार वो खुद वहां 8 बजे पहुँचने वाला था..तीन घण्टे थे बीच में .. .जो भूरे के लिए बहुत थे..वो उसी वक़्त नेहा को लेने के लिए निकल पड़ा.

उधर 1 घंटे मे ही इक़बाल के आदमी उस एड्रेस पर पहुँच गये..और उन्हे वहां ताला मिला..आस पास पूछा पर किसी को भी कुछ पता नही था..उन्होने फ़ौरन इक़बाल को फोन किया..और फिर इक़बाल ने गंगू को..और इस बार इक़बाल का पारा पूरी तरह से चड़ा हुआ था..

इक़बाल (गुस्से मे) : "गंगू....वहां तो ताला लगा है साले ...तूने तो कहा था की वो औरत वहीं पर है...''

गंगू : "भाई...वो वहीं थी...मेरी उसके साथ बात भी हुई है...और उसका नंबर भी लिया है मैने...आप चाहो तो उससे बात करके पूछ लो...वो लड़की शनाया उसके पास ही है...पर शायद उसे शक हो गया है..मैने शायद जिस तरीके से पूछा था उस लड़की के बारे मे, वो समझ चुकी है की हमारा इरादा क्या है..और शायद इसलिए वो घर छोड़कर निकल गयी है...''

इक़बाल : "साले ...तुझे सिर्फ पता करने के लिए कहा था,अंदर जाकर जासूसी करने को नही ...तूने इतनी पूछताछ करी ही क्यों वहां जाकर...उसे बेकार का शक़ भी हो गया...अब पता नही कहां गयी होगी वो...चल तू मुझे उसका नंबर भेज जल्दी से...मैं बात करके देखता हू..''

गंगू ने उसे रज्जो का नंबर भेज दिया...और वो पहले से ही रज्जो को समझा कर आ चुका था कल की कोई भी फोन आए तो उसे क्या बोलना है..

इक़बाल ने फ़ौरन रज्जो को फोन मिलाया

रज्जो : "कौन बोल रहा है...''

इक़बाल : "ये तुझे जानने की कोई ज़रूरत नही है...तेरे पास जो वो लड़की है...मुझे वो चाहिए...शनाया ..''

रज्जो : "ओहो....तो वो तुम हो जो उसके पीछे पड़े हो....मुझे तो पहले से ही शक़ हो गया था ,इसलिए मैं वहां से निकल आई...''

इक़बाल : "इतना दिमाग़ चलता है तो ये भी बता तो की कितनी रकम सोचकर तू वहां से निकली है...बोल , कितना चाहिए तुझे..''

रज्जो : "अब आए ना रास्ते पर....ठीक है....तुम बीस लाख रुपय तैयार रखो...मैं उस भिखारी को फोन करके बता दूँगी की कहाँ आना है...''

और इतना कहकर रज्जो ने फोन रख दिया..

इक़बाल के लिए 20 लाक कोई बड़ी रकम नही थी...इसलिए वो खुशी से झूम उठा..क्योंकि उसकी इच्छा जो पूरी होने वाली थी...उसने उसी वक़्त गंगू को फोन मिलाया..पर उसका फोन बिज़ी था..

क्योंकि उसके फोन पर पहले से ही रज्जो का फोन आ चुका था...और वो उसे अभी तक की सारी बातें बता रही थी..

रज्जो :"गंगू..तूने जैसा कहा ,मैने कह दिया...पर ये मामला क्या है...किस लड़की की बात कर रहे है वो..कौन था वो आदमी..जो इतने पैसे देने के लिए तैयार हो गया...''

गंगू : "तू अपना दिमाग़ ज़्यादा मत चला...बस अब तेरा काम ख़त्म...अगर मुझे पैसे मिल गये तो तेरे भी 2 लाख पक्के...और अब इस फोन मे से सिम को निकाल कर फेंक दे...मैं तुझे जल्दी ही मिलूँगा..''

2 लाख की बात सुनकर रज्जो भी खुश हो गयी...सिर्फ़ इतने से काम के अगर इतने पैसे मिल रहे हैं तो उसे क्या प्राब्लम हो सकती है...उसने जल्दी से वो सिम निकाल कर फेंक दिया..

फिर गंगू ने देखा की उसके फोन पर 4 मिस कॉल्स थी,इक़बाल की...उसने इक़बाल को फोन किया

इक़बाल : "गंगू...तूने सही कहा था...ये वही लड़की है...और वो औरत भी बड़ी चालाक निकली, 20 लाख माँग रही है...मैने भी बोल दिया की दे दूँगा...वो अब तुझे कॉन्टेक्ट करेगी...समझा..''

गंगू उसकी बात सुनता रहा...योजना तो उसके अनुसार ही चल रही थी...और इक़बाल बेवजह ही खुश होकर उसे वो सब बता रहा था...

गंगू : "ठीक है भाई...मैं उससे बात करके अभी आपको बताता हूँ ..''

और उसने फोन रख दिया...

और फिर 10 मिनट के बाद दोबारा इक़बाल को फोन किया

गंगू : "भाई...मेरी बात हो गयी है उस औरत से...हमे आज रात को 8 बजे बुलाया है...पैसो के साथ...बिना किसी सुरक्षा के...सिर्फ़ हम दोनों को...''

इक़बाल : "ओके , पर...कहाँ पर...''

गंगू : "वो उसने अभी बताया नही...बड़ी शातिर औरत लग रही है...थोड़ी देर मे फोन करके बताएगी...''

इक़बाल : "तो तू एक काम कर...मेरे अड्डे पर आ जा..यहीं से दोनो निकल चलेंगे एक साथ...वैसे भी मेरे सारे आदमी उस औरत के घर की तरफ ही गये है...उन्हे मैं वहीं रुके रहने को बोल देता हू...अगर वो वापिस वहीँ आई तो उसे पकड़ कर ले आएँगे...वरना हमारे पास तो आ ही रही है वो ..''

गंगू के लिए इतना बहुत था...यही तो वो चाहता था...वो उसी वक़्त इक़बाल भाई के घर की तरफ निकल पड़ा...

अब तक अंधेरा होने लगा था...और भूरे भी नेहा को अपनी जीप मे लेकर उस किले मे पहुँच चुका था...

नेहा : "तुम बता क्यो नही रहे की बात क्या है.....और ये कहां ले आए तुम मुझे...यहां तो काफ़ी अंधेरा है ...और कोई है भी नही...''

भूरे : "अरे भाभी जी...अप चिंता क्यो कर रही हो...मैने कहा ना,गंगू ने ही कहा है आपको यहां लाने के लिए...आप चलिए,उसने आपके लिए एक सर्प्राइज़ रखा है यहां पर...''

और इतना कहकर उसने नेहा की कमर मे हाथ रखा और उसे अंदर की तरफ ले गया...उसने साड़ी पहनी हुई थी...और भूरे के कड़क हाथ अपनी नंगी कमर पर लगते ही उसका शरीर काँप उठा...भूरे ने पहले भी कई बार उसके करीब आने की कोशिश की थी...और नेहा ने उसके लंड को भी पकड़ा था एक बार...और वही सब एकदम से उसे याद आने लगा...मौसम भी नशीला सा हो रहा था...अंधेरा भी था...और उसकी चूत तो वैसे भी हर वक़्त कसकती रहती थी...इसलिए उसका हाथ लगते ही उसे अंदर से कुछ -2 होने लगा...

गंगू ने भी वो कंपन महसूस किया, जो नेहा के जिस्म से निकला था...अभी सिर्फ़ 6 बजे थे...पूरे 2 घंटे थे उसके पास....इस कंपन को एक भूचाल बनाने के लिए...
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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jay
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Re: हवस मारा भिखारी बिचारा

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अब आगे
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भूरे ने नेहा की कमर पर रखे हाथ को इधर उधर फिराना शुरू कर दिया...उसकी इस हरकत से नेहा गर्म होती जा रही थी..और ये बात भूरे को भी पता थी...क्योंकि अब तक भूरे भी समझ चुका था की नेहा सेक्स के लिए पागल है और वैसे भी गंगू के मुँह से ये बात जानकार की वो अपनी यादश्त खो चुकी है और वो किसके साथ क्या करती है ये उसे भी नही पता..

अंधेरा तो हो ही चुका था इसलिए कुछ दिखाई नही दे रहा था..नेहा ने अपना हाथ बढ़ाकर भूरे का हाथ पकड़ना चाहा पर बीच मे उसके लंड वाले हिस्से का उभार टकरा गया ...और उसे ऐसा लगा की उसका हाथ जल उठा है..

नेहा ने तड़पति हुई निगाहों से भूरे की तरफ देखा...पर वो सीधा चलता रहा ... वो अच्छी तरह जानता था की अभी उसके पास 2 घंटे हैं...और इन 2 घंटो मे वो नेहा को तडपा-2 कर गर्म कर देना चाहता था...और बाद मे जमकर उसे चोदना चाहता था..ताकि इतने दिनों से उसके अंदर जो भड़ास है वो निकल जाए..

वो नेहा को अनदेखा सा करता हुआ आगे चलता रहा...आख़िर मे थोड़ी सी सीडियां चढ़कर भूरे और नेहा उस जगह पर पहुँच गये जो दिन के समय गंगू और भूरे ने निर्धारित की थी..वो बिल्कुल किले की एंट्री के उपर वाला हिस्सा था...जहाँ खड़े होकर पूरा शहर दिखाई दे रहा था...हल्की ठंडक में पूरे शहर की लाइट्स जल रही थी...दीवाली जो थी कुछ दिनों बाद...इसलिए पूरा शहर जगमगा रहा था.

एक पल के लिए तो नेहा भी शहर की जगमगाहट देखकर सब कुछ भूल सी गयी..वो एक बड़ा सा झरोखा था..जहाँ खड़े होकर वो बाहर का नज़ारा देख रहे थे..आगे की दीवार 4 फुट उँची थी..इसलिए नेहा के मोटे मुम्मे पथरीली दीवार से चिपक गये थे..और पीछे से गंगू अपना खड़ा हुआ लंड उसकी गांड पर रगड़ कर उसे उत्तेजित कर रहा था..जैसे ही नेहा को पीछे से 'कुछ' महसूस हुआ, वो एकदम से सहम सी गयी...उसके रोँये खड़े हो गये और उसके निप्पल बड़े होकर पथरीली दीवार से रगड़ खाने लगे..उसकी साडी का सिल्की आँचल फिसल कर नीचे गिर गया और अब उसके बूब्स और दीवार के बीच सिर्फ़ एक ब्लाउस था..क्योंकि ब्रा तो उसने आज पहनी ही नही थी..

भूरे ने उसके कान के पास गरम साँसे छोड़ते हुए कहा : "भाभी...आप बहुत सुंदर हो...सच मे...''

और उसने उसके पेट पर हाथ रखकर उसकी नाभि के अंदर अपनी उंगली डाल दी...

''अहह ...... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... उम्म्म्ममममममममम ..''

अब नेहा की बर्दाश्त से बाहर था सब...वो पलटकर भूरे से लिपटना चाहती थी और उसके होंठों को चूसना चाहती थी..पर भूरे ने उसे दीवार से दबा कर रखा हुआ था, उसने नेहा को पलटने ही नही दिया...पीछे से मिल रहे दबाव की वजह से नेहा के दोनो मुम्मे ब्लाउस से निकल कर उपर की तरफ आ चुके थे...और सिर्फ़ निप्पल्स को छोड़कर उसके दोनो स्तन पूरी तरह से बाहर थे..और पीछे खड़े हुए भूरे को वो सॉफ दिख रहे थे...भूरे ने अपने हाथ उपर किए और नीचे की तरफ से थोड़ा और ज़ोर लगाकर उसके स्तनों को उपर की तरफ धक्का दिया...और अगले ही पल, नेहा के ब्लाउस के उपर के दोनो हुक खुल गये और किसी ज्वालामुखी की तरह उसके दोनो स्तन बाहर की तरफ उबल कर निकल आए...

उसके लंबे और कठोर निप्पल पथरीली दीवार से घिसकर बुरी तरह से पिस गये...और ठंडे पत्थर से मिल रही थरथराहट को महसूस करते हुए नेहा ने का शरीर झनझना उठा..और उसने खुद ही अपने हाथ उपर करते हुए अपने दोनो मुम्मे पकड़े और उन्हे पूरी तरह से अपने ब्लाउस से बाहर निकाल कर भूरे की नंगी आँखो के सामने परोस दिया..

पर भूरे तो उसे पूरी तरह से गर्म कर देना चाहता था...वो अभी भी उसके स्तनों को हाथ नही लगा रा था...और नेहा की हालत ये थी की वो बार-2 पलटने के लिए ज़ोर लगती ताकि वो भूरे से लिपट सके...उससे अपने मुम्मे चुसवा सके...पर जब वो नही हो सका तो उसके हाथों को पकड़ कर वो उपर की तरफ ले जाने लगी...ताकि उसके कठोर मुम्मों में जो मीठा दर्द हो रहा है , भूरे उन्हे दबाकर वो दर्द मिटा सके..पर भूरे ने अपने हाथ वहीं उसके पेट पर जाम से कर दिए थे...फिर नेहा ने कोशिश की उसके हाथों को नीचे अपनी चूत की तरफ ले जाने की..पर इस बार भी भूरे ने अपने हाथों को नही हिलने दिया...अब भला एक ताकतवर मर्द के सामने उसकी क्या चलती...

फिर नेहा ने अपनी गोल मटोल गांड को उसके लंड के उपर घुमाना शुरू कर दिया...उसकी गांड में से जैसे आग के भभके निकल रहे थे...शायद उसकी चूत की गर्मी ही थी जो पीछे तक भूरे को महसूस हो रही थी...और उसी गर्मी की आँच मे तपकर उसके लंड का सोना पिघलने सा लग गया...और उसके हाथों की पकड़ ढीली पड़ गयी...और नेहा ने बिना कोई देरी किए उसके हाथों को पकड़ा और अपने कठोर हो चुके मुम्मो पर रखकर उपर से ज़ोर से दबाव डालकर उन्हे दबा दिया...

''अहह ...... उम्म्म्मममममममम.... दबाआआाआ इन्हे ........... ज़ोर से......... अहह....''

औरत मर्द के सामने कितनी भी कमजोर हो, पर अपनी काम वासना से वो अच्छे - अच्छो को पछाड़ सकती है

भूरे भी उसके सामने टिका नहीं रह सका और वो समझ गया की ये पूरी तरह से गर्म हो चुकी है...

वैसे दोस्तो, औरत को पूरी तरह से गर्म करके चुदाई करने के दो फायदे होते है ... एक तो वो पागलों की तरह चुदाई करवाती है...वाइल्ड तरीके से...और दूसरा की वो लगातार कई बार झड़ सकती है...एक तो बिल्कुल शुरूवात मे ही, क्योंकि वो पूरी तरह से गर्म होगी ...और बाद में अंत तक ,जब तक उसका पार्टनर उसे चोदता रहेगा ..और एक ही बार मे अनेक चुदाई का मज़ा किसे नही पसंद आएगा...

और ये काम भूरे ने कई बार किया था...इसलिए वो औरतों की ये कमज़ोरी अच्छी तरह से जानता था...

अब तो सिर्फ़ देरी थी उसे खुला छोड़ने की...ताकि वो आराम से उसकी चुदाई कर सके..और उसने अगले ही पल नेहा को अपने चुंगल से आज़ाद कर दिया...और वो किसी बावली कुतिया की तरह से पलटी और उछल कर उसकी गोद मे चड गयी..उसके गले मे अपनी बाहें डाली...अपनी छातियों को भूरे के सीने से लगाया और अपने होंठों से भूरे के होंठ दबोच कर ज़ोर-2 से सक्क करने लगी...ऐसे जैसे कोई ड्रेकुला अपने शिकार का खून चूसता है..

भूरे तो उसके शरीर की गर्मी देखकर मस्त ही हो गया..उसने अपने हाथ नीचे करते हुए उसके ब्लाउस के बचे हुए बटन खोले और जैसे ही उसके दोनो कबूतर आज़ाद हुए उसने नीचे मुँह करके उन्हे अपने दांतो मे दबोच लिया और ज़ोर-2 से चूसने लगा..

नेहा की चीख पूरे सुनसान किले मे गूँज गयी..

''अहह ..आआआआआआआआआआआअहह ...... ओह.... ज़ोर से काटो इन्हे................चूसो मत...............दाँत से काट ओ................... अहह ....उम्म्म्मममममम''

और नेहा ने भूरे के सिर को अपनी छाती मे दबोच कर उसके कानों को अपने मुँह मे भरा और चूसना शुरू कर दिया..

नेहा की इस हरकत से भूरे का लंड पेंट फाड़कर बाहर निकलने को अमादा हो गया...उसने नेहा को नीचे उतारा और अपनी जींस की चैन खोलने लगा...नेहा ने झपटकर उसके हाथ पीछे किए और खुद उसकी जीप खोली...उसकी पेंट को नीचे खिसकाया और एक ही झटके मे उसके लंबे लंड को बाहर निकाल कर अपने मुँह मे डाल लिया....और ज़ोर-2 से चूसने लगी..

भूरे ने उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी आँखे बंद कर ली....उसके दाँतो से बचने के लिए वो उसे धीरे चूसने को कह रहा था..पर नेहा पर तो जैसे आज कोई प्यासी चुड़ैल सवार थी....वो उसके हर अंग को चूस्कर सारा रस निकाल लेना चाहती थी.

''ओह .....नहााआआअ .........................थोड़ा धीरे ......अहह...... अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........''

5 मिनट तक वो उसका लंड चूसती रही....और अपने हाथ से अपनी चूत के उपर भी मालिश करती रही...

भूरे भी उसकी रसीली चूत को चूसना चाहता था....उसने नेहा को रोका और उसे उपर उठाया...और उसकी कमर मे हाथ रखकर उसे उसी झरोखे मे बिठा दिया, जहाँ से वो बाहर का नज़ारा देख रहे थे...नेहा एकदम से डर गयी...क्योंकि झरोखे के पीछे की तरफ काफ़ी गहराई थी...अगर वो नीचे गिरती तो सीधा गेट की एंट्री के पास जाकर गिरती...

पर भूरे ने उसकी टाँगो को अपनी कमर से लपेट लिया और उसकी साड़ी को धीरे-2 उपर करना शुरू किया...नेहा ने भी अपनी गांड उचका कर साड़ी और पेटीकोट को अपनी गांड के नीचे दबा लिया...और अब भूरे के सामने थी एक दम सफाचट चूत ...जिसमें से पानी रिस-रिसकर बाहर निकल रहा था...और नीचे के पत्थर को भी भिगो रहा था.

भूरे ने अपना मुँह सीधा उसकी चूत पर लगाया और अपनी जीभ निकाल कर उसे लंबा करके चाटा ...

''अहह ........ ओह ...मार गाइिईईईईईईईईईईईईईई ....... उम्म्म्मममम''

नेहा ने भूरे के सिर को अपनी चूत पर ज़ोर से दबा कर और चाटने के लिए कहा...नेहा को तो ऐसा लग रहा था मानो वो हवा मे उड़ रही है...ऐसा एहसास उसने आज तक नही किया था.

और उसी एहसास मे उड़ते-2 कब वो झड़ गयी उसे भी पता नही चला...

और झड़ने के बाद वो निढाल सी होकर भूरे के कंधे पर झूल गयी...भूरे ने भी अपने होंठों पर जमी उसकी चूत की मलाई को सॉफ किया और उसे नीचे उतारा...झड़ने के बाद उसका शरीर नम सा हो चुका था...उसे दोबारा गर्म करने की ज़रूरत थी...उसने नेहा को नीचे मिट्टी पर ही लिटा दिया...और उसके उपर लेटकर अपने लंड को सीधा उसकी चूत में पेल दिया..

''अहह. ............................. उम्म्म्मममममममममममम।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।मममममममम''

ये दूसरी चीख थी...जो उसके मुँह से निकली थी.....अपनी टाँगो को नेहा ने भूरे की कमर मे लपेट दिया...और उसके गले मे बाहें डालकर उसे अपनी तरफ खींचा और ज़ोर से स्मूच करती हुई अपनी कमर हिलाने लगी..

नेहा की नर्म चूत में जाकर भूरे के लंड में जैसे आग सी लग गयी...वो ज़ोर-2 से धक्के देते हुए उसकी चूत मारने लगा....अपने मुँह में उसने उसके निप्पल को भरा और उसका दूध भी पिया...ऐसे चुदाई करते हुए निप्पल को मुँह मे लेने से उसके लंड की स्पीड थोड़ी कम हुई तो नेहा ने खुद ही उसके सिर को पीछे करते हुए अपने निप्पल्स निकलवाए ताकि वो खुलकर चुदाई कर सके ...
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Re: हवस मारा भिखारी बिचारा

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अब भूरे ने उसकी दोनो टाँगो को हवा मे पकड़ा और ज़ोर -2 से धक्के लगाने लगा...और वो लगभग 20 मिनट तक ऐसे ही धक्के मारता रहा...जैसे ही उसका निकलने वाला होता तो वो रुक जाता और फिर से धक्के मारता....

ऐसा करके वो अपना झड़ना तो रोक लेता,पर नेहा हर बार झड़ जाती , उसे भी पता नही चला की वो कितनी बार झड़ी

और अंत मे जब भूरे से और रोका नही गया तो वो नीचे झुक गया और नेहा के होंठों को अपने मुँह मे दबोच कर अपना सारा का सारा रस उसकी चूत में ही निकाल दिया...

''अहह ,.,.,...........ये ले साली..................इतने दिनों तक जो तूने तड़पाया है...उसका इनाम है ये...................''

और उसके उपर से लुढ़क कर वो नीचे उसकी बगल में ही गिर गया..

और गहरी साँसे लेने लगा.

तभी उसका मोबाइल बज उठा...वो भूरे का फोन था.

उसने टाइम देखा... 7:30 हो रहे थे.... यानी पिछले डेढ़ घंटे से वो नेहा की चुदाई कर रहा था.

उसने फोन उठाया

गंगू : "हम निकल रहे हैं.....बस इक़बाल भाई आ ही रहे हैं बाहर...तू तैयार रहना..''

इतना कहकर ही उसने फोन रख दिया.

भूरे ने नेहा को जल्दी से अपने कपड़े ठीक करने के लिए कहा...क्योंकि अब उनके पास ज़्यादा वक़्त नही था..

पर वो तो अपनी ही मस्ती मे डूबी पड़ी थी....जैसे कोई सुहाना सपना देख रही हो..उसकी आँखो की खुमारी अभी तक नही उतरी थी...

भूरे ने उसे उपर से नीचे तक देखा...काम की मूरत लग रही थी वो ....आधी नंगी ज़मीन पर लेटी हुई ... उसके दोनों स्तन उपर की तरफ मुँह करके जैसे अभी भी उसे बुला रहे थे..

मन तो भूरे का भी नही भरा था..पर अभी कुछ और करने का टाइम नही था..

उसने जल्दी से नेहा को अपनी बाहों मे उठाया..और उसे लेकर एक कोने मे चला गया..जहाँ से नीचे का मैन गेट भी दिख रहा था..और वो छुपकर भी बैठे हुए थे..

भूरे ने नेहा को एक चट्टान पर बिठा दिया..और उसके कपड़े झाड़कर साफ़ करने लगा..उसके ब्लाउस के बटन सही से लगाए..उसके मुम्मों को बड़ी मुश्किल से वापिस अंदर ठूसा ...और फिर उसकी साड़ी को सही ढंग से उसके शरीर पर लपेटा..

नेहा बस बुत सी बनकर उसे निहार रही थी...और फिर अचानक वो किसी बिल्ली की तरह भूरे पर झपट पड़ी और उसे ज़ोर-2 से स्मूच करने लगी.

भूरे भी सोचने लगा की कितनी गरम औरत है ये....अभी-2 कई बार झड़ी है पर फिर भी चुदाई का ख़याल आ रहा है...वो तो नही जानती थी की आगे क्या होने वाला है...पर भूरे आने वाले ख़तरे को अच्छी तरह से जानता था.

जैसा की उसने और गंगू ने प्लान बनाया था की वो किसी भी तरह इक़बाल को अकेले उस जगह पर लाएँगे..और फिर दोनों मिलकर उसे वहीं गोली मार देंगे...और अभी तक सब कुछ प्लान के हिसाब से ही चल रहा था.

भूरे ने बड़ी मुश्किल से नेहा को शांत करवाया...क्योंकि उसे दूर से इक़बाल की गाड़ी आती हुई दिख गयी थी...गंगू और इक़बाल नीचे उतरे और अंदर की तरफ आ गये...थोड़ी सी सीडियां चड़ने के बाद वो उपर के हिस्से में आ गये जहाँ भूरे पहले से छुप कर बैठा था...उसने अपनी जेब से अपनी गन निकाल ली..एक गन तो पहले से ही गंगू के पास थी...बस अब इक़बाल को ठोकने की देर थी.

उपर आते ही इक़बाल बोला : "ये कैसी जगह है गंगू...और कहाँ है वो औरत...जो शनाया को लाने वाली थी..''

इक़बाल के हाथ मे एक ब्रीफ़कसे भी था...शायद वो उसमे 20 लाख रूपए लेकर आया था.

गंगू थोड़ी देर तक चुप रहा और बोला : "अभी बुलाता हूँ ..''

और उसने ज़ोर से आवाज़ लगाई : "बाहर आ जाओ...मेहमान आ गया है...''

भूरे ने नेहा को वहीं छिपे रहने के लिए कहा....और अपनी गन लोड करता हुआ बाहर निकल आया.

भूरे को देखते ही इक़बाल चोंक गया : "भूरे.......तू ......तू यहाँ क्या कर रहा है.... ??"

भूरे ने अपनी गन उसकी तरफ तान दी...और बोला : "तेरा इंतजार....''

और उसी पल गंगू ने भी अपनी गन निकाल ली और इक़बाल के हाथ से उसका ब्रीफ़सेस छीनकर और गन को उसकी तरफ तानता हुआ वो भी भूरे के साथ आकर खड़ा हो गया..

इक़बाल ने दोनों के हाथ मे चमक रही गन को देखा और घबरा गया....पर अगले ही पल वो ज़ोर-2 से ठहाका लगाकर हँसने लगा...

गंगू और भूरे एक दूसरे को प्रश्न भरी नज़रों से देखने लगे..

इक़बाल : "सालों ....मेरी ही आस्तीन मे रहकर मुझे ही काटने चले हो...इक़बाल नाम है मेरा...इक़बाल...मुझे मारना तुम जैसे चूहों का काम नहीं है...''

और अगले ही पल पता नही कहाँ से दो फायर हुए और दोनो की गन उनके हाथ से छिटककर दूर जा गिरी...

गंगू तो ठीक था पर भूरे का हाथ बुरी तरह से ज़ख्मी हो गया और उसके हाथ से काफ़ी खून भी निकल रहा था.

उन्होने गोली चलने वाली दिशा की तरफ देखा तो वहाँ से नेहाल अपने 5 आदमियो के साथ आता हुआ दिखाई दिया..

नेहाल : "हरामजादो ..... जिसका नमक खाया उसके साथ गद्दारी कर रहे हो...''

और इतना कहकर उसने फिर से वो गन उनकी तरफ तान दी...उन्हे जान से मारने के लिए..

इक़बाल चीखा : "नही नेहाल .... ऐसे नही मारना इन कुत्तों को .... ऐसे नही ... इन्होने तुझे ही नही इक़बाल को भी धोखा दिया है.... मुझे तो आज सुबह ही इनपर शक हो गया था, इसलिए तुझे मेरे पहुँचने के दस मिनट बाद आने को कहा था, मुझे आज तक पूरी दुनिया की पुलिस छू भी नही सकी और तुम दोनो मुझे मारने चले थे... बोल ...ऐसा क्यों किया ....बोल, नही तो तेरी खाल खींचकर बाहर निकाल दूँगा...और दोनो को तडपा-2 कर मारूँगा...मेरा काम तो किया नही, उपर से मुझे ही मारने चले हो ...''

पर दोनों में से कोई नही बोला....नेहाल ने अपने साथ आए आदमियों को इशारा किया और वो सब एक साथ गंगू और भूरे पर टूट पड़े...लाते-घूँसे खा-खाकर दोनो लहू लुहान से हो गये..

तभी नेहा चीखती हुई बाहर आई : "छोड़ दो इन्हे ..... मैं कहती हूँ छोड़ दो ....''

और वो भागती हुई आई और गंगू से लिपट गयी..

उसे देखते ही इक़बाल और नेहाल की आँखे फटी रह गयी

इक़बाल : "शनाया ...... ये यहाँ कैसे ....यानी इस कुत्ते को ये सच में मिल गयी थी....पर ये इसके लिए मुझसे क्यो दुश्मनी ले रहा था....''

तब तक नेहा यानी शनाया ने लहू लुहान गंगू को उपर उठाया और नेहाल के गुण्डो के सामने हाथ जोड़कर बोली : "भगवान के लिए इन्हे छोड़ दो ...मेरे पति को मत मारो ...''

इक़बाल और नेहाल उसकी बात सुनकर एक बार फिर से चोंक गये...और उपर से ये देखकर भी की शनाया उन्हे क्यो नही पहचान पा रही है ...

नेहल : "क्या बोली तू ...तेरा पति ....ये गंगू ... ये साला भिखारी ...साली हमें भूल गयी और इसे अपना पति बोल रही है ...''

नेहा सुबकति हुई सी बोली : "हाँ ....ये मेरे पति है ..... इन्हे छोड़ दो प्लीज़ ....मुझे नही पता की आप लोग कौन है ...पर ये मेरे पति है...इन्हे छोड़ दो....''

दोनो अपना सिर खुजलाने लगे...उनकी समझ मे नही आ रहा था की जिस लड़की को ढूँढने के लिए उन्होने 2 दिन पहले ही गंगू को बोला है, वो कैसे उसे अपना पति बोल रही है...

इक़बाल ने अपने आदमी के हाथ से गन ली और सीधा लेजाकर गंगू के सिर पर लगा दी : "बोल साले .... ये क्या कह रही है .....तुझे अपना पति क्यों बोल रही है ये....बोल ...नही तो मैं तेरा भेजा उड़ा दूँगा ...''

गंगू कुछ नही बोला

इक़बाल ने एकदम से वो गन नेहा की कनपटी पर लगा दी तो गंगू एकदम से चिल्ला उठा : "नही ....इसे कुछ मत कहो.....इसे कुछ नही पता ....''

और फिर गंगू ने उस दिन से लेकर अभी तक की सारी कहानी उनके सामने रख दी...

इक़बाल का तो खून खोल उठा सब कुछ सुनकर

इक़बाल : "भेन के लोडे......तो उस दिन तू था वहाँ रोड पर...जिसने मुझे मारा था...और तेरी ही वजह से ये मेरे हाथों से निकल गयी थी...''

और इतना कहते ही उसने एक जोरदार लात गंगू के पेट मे मारी...और वो दर्द से दोहरा होकर ज़मीन पर लेट गया..

भूरे तो पहले से ज़मीन पर पड़ा हुआ अपने घाव गिन रहा था.
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Post by jay »

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अब आगे
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इक़बाल : "साले ...तूने मुझे कितना बड़ा जख्म दिया है...तुझे तो पता भी नही है...तेरी वजह से मेरा बदला उस दिन अधूरा रह गया था...पर आज वो तेरे सामने ही पूरा करूँगा मैं ...''

भूरे बीच मे बोला : "बदला .....किस बात का बदला ....''

उसकी भी समझ मे कुछ नही आ रहा था की इक़बाल किस बदले के बारे मे बात कर रहे हैं..

वो कुछ बोल पाता , इससे पहले ही गंगू बोल पड़ा : "बदला ....इक़बाल की बेइजत्ती का....जो इसे लेना था , इसके बाप भुवन चौधरी से....वही भुवन , जो कुछ साल पहले तक अंडरवर्ल्ड का राजा था...और जिसके तलवे चाटकार ये इक़बाल बड़ा हुआ था ....पर वो इक़बाल को एक नौकर की तरह रखता था, इसलिए वो अपने आपको बेइज्जत महसूस करता था,वही भुवन, जिसने अपने परिवार के कहने पर सारे बुरे काम छोड़ दिए थे...सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी बेटी की खातिर...और यही बात इस इक़बाल को चुभ गयी...भुवन ने अपनी कुर्सी तो इसे दे दी...पर इक़बाल को हमेशा यही डर लगा रहता था की कहीं भुवन पुलिस को इक़बाल और अपने सारे नेटवर्क के बारे में ना बता दे...इसलिए इसने और नेहाल ने एक चाल चली...एक इंटरनेशनल गैंग की मदद से भुवन की लड़की शनाया को किडनॅप करवाकर दुबई पहुँचा दिया...और वहाँ से इक़बाल ने इसे मुँह माँगी कीमत पर खरीद लिया..ताकि भुवन की बेटी को वो पूरी जिंदगी अपनी रखेल बनकर अपने पास रखे, अपनी नौकर वाली जिंदगी का बदला ले सके और वक़्त आने पर इसका इस्तेमाल करके भुवन को डरा सके...ताकि वो इन काले धंधो के बारे मे पुलिस को या किसी और को ना बताए...''

गंगू ने एक ही साँस मे वो सब ऐसे बोल दिया जैसे वो सब उसके सामने हुआ हो...

और उसकी ये सब बाते सुनकर इक़बाल और नेहाल भी आश्चर्यचकित रह गये..

इक़बाल ने गन फिर से उसके सिर पर लगा दी : "बोल कौन है तू .... पोलीस वाला है क्या... जासूस है कोई .... या फिर भुवन का आदमी है तू ...बोल साले ...तुझे ये सारी बातें कैसे पता ....किसने बताया तुझे ..........''

धांए ....

एक फायर हुआ....और इस बार इक़बाल का हाथ लहू लुहान हुआ ...और उसके हाथ से गन निकल कर नीचे गिर गयी..

और एक भारी भरकम आवाज़ आई : "मैने ..... मैने बताया इसे ये सब ....''

और अंधेरे मे से निकल कर एक लंबा चोडा आदमी सफेद लिबास मे सबके सामने आ गया...

नेहाल ने उस तरफ देखा और चिल्लाया : "चौधरी साहब ...... आप ..... ''

भुवन : "हाँ ....मैं ....तुम्हारा बाप ....''

नेहाल के एक आदमी ने अपनी पिस्टल उसकी तरफ घुमाई ही थी की उसका सिर उड़ा दिया भुवन ने..और अगली चार गोलियाँ भी उसके बचे हुए आदमियों के सीने मे उतार दी...और वो भी पलक झपके ही..

भुवन : "तुम्हारी वजह से मैने आज एक बार फिर अपने हाथो मे ये हथियार उठाया है....मैने इन्हे छोड़ दिया था...पर इन्हे चलाना नही भूला था...आज तुम्हारे नापाक इरादो की वजह से एक बार फिर मेरे हाथ खून से रंग गये...''

उसके चेहरे पर इतना गुस्सा था की उसका चेहरा लाल सुर्ख हो चुका था.

अब बोलने की बारी गंगू की थी : "मैने तो मुम्मेथ से पहले से ही शनाया के परिवार के बारे मे पता चला लिया था...उसने ही इनका फोन नंबर भी दिया था मुझे ...और जब इन्हे फोन करके मैने वो सब बताया तो मुझे ये पूरी कहानी पता चली...''

फिर भुवन की तरफ इशारा करके गंगू बोला : "इन्होने तो अपने परिवार की खातिर ये सब छोड़ दिया था...अपना सब कुछ तुम लोगो को सौंप कर शांति भरी जिंदगी जी रहे थे...पर तुमने इनकी ही बेटी को अगवा करवाकर इन्हे फिर से जगा दिया...अपनी बेटी को पाने के लिए बुरी तरह से तड़प रहे थे ये...फिर मैने इन्हे सब बताया की इनकी बेटी मेरे पास सुरक्षित है...और तुम्हारे बारे में भी...इसलिए ये फ़ौरन चले आए...''

गंगू ने शनाया की तरफ इशारा करते हुए कहा : "चौधरी साहब...ये रही आपकी बेटी...''

अपनी बेटी को देखकर एक पल के लिए तो भुवन की आँखे ही भर आई...पर शनाया तो अपने बाप को पहचान भी नही रही थी..

गंगू : "पर , एक हादसे मे इसकी यादश्त चली गयी है...''

वो आगे कुछ बोलने ही वाला था की नेहाल ने भुवन का ध्यान दूसरी तरफ भटकते देखकर पास ही पड़ा एक बड़ा सा पत्थर उसकी तरफ उछाल दिया, जो सीधा जाकर भुवन की आँख मे लगा..और वो भी बिलबिलाता हुआ सा नीचे गिर गया..

और ये मौका पाकर अपने ज़ख्मी हाथ से इक़बाल ने पास ही पड़ा एक पेड़ का मोटा सा तना उठाया और भुवन के सिर पर दे मारा...

अंधेरा था, इसलिए नीचे गिरी गन किसी को भी नज़र नही आ रही थी...

दो चार बार मारने के बाद भुवन वहीं ढेर हो गया...और फिर इक़बाल गंगू की तरफ पलटा : "साले ......अब तेरी बारी है....''

और इतना कहकर उसने ज़ख्मी गंगू के सिर पर उतनी ही ताक़त से प्रहार किया...पर एकदम से नेहा बीच में आ गयी

"नहियीईईईईईईईईईईईई...... मत मारो मेरे पति को ...''

और इतना कहते हुए वो गंगू के उपर गिर गयी...और इक़बाल का वो वार सीधा नेहा यानी शनाया के सिर पर पड़ा...और वो भी लहू लुहान सी होकर एक तरफ लुडक गयी..

नेहा के सिर से खून निकलता देखकर गंगू तो जैसे पागल ही हो गया : "नेहाआआआआआआअ ........''

और उसने अपनी सारी शक्ति समेट कर एक जोरदार मुक्का इक़बाल के पेट मे जड़ दिया...वो वहीँ गिर पड़ा, नेहाल भागता हुआ आया और उसने वो पेड़ का तना उठाने की कोशिश की तो गंगू ने उसके चेहरे पर भी एक घूंसा मारकर उसे नीचे गिरा दिया..
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Post by jay »

और फिर उसने पास ही पड़ी एक बड़ी सी चट्टान उठाई और अपने दोनो हाथों मे उठा कर दोनो के सिर कुचलने के लिए आगे बड़ा ....दोनो चिल्ला उठे ...बचने के लिए अपनी जिंदगी की भीख माँगने लगे..पर गंगू का दिल नही पसीजा...

वो उन दोनो के सिर कुचलने ही वाला था की भुवन की आवाज़ आई : "नहियीईईईईई .....गंगू ....''

एक पल के लिए गंगू रुक गया

भुवन : "गंगू...इन्हे मारकर अपने हाथ खून से मत रंगो...''

और इससे पहले की गंगू कुछ बोल पाता ...भुवन की दो गोलियों ने दोनो के सिर मे 1-1 छेद कर दिया...

दोनों एक ही पल मे मौत की गोद मे पहुँच गये..

भुवन की हालत भी काफ़ी खराब थी...नेहा के सिर से भी काफ़ी खून निकल रहा था...भूरे सिंह एक तरफ पड़ा हुआ उठने की कोशिश कर रहा था...

सभी बुरी तरहा से ज़ख्मी थे...

भूरे ने अपना फोन निकाला और कल्लू और दूसरे साथियो को एम्बुलैंस के साथ किले मे जल्द से जल्द पहुँचने को कहा..

आधे घंटे मे ही सभी हॉस्पिटल मे थे...

अगली सुबह गंगू , पट्टियों से बँधा हुआ सा...लंगड़ाता हुआ, नेहा के कमरे मे पहुँचा...जहाँ पहले से ही भुवन चौधरी उसके सिरहाने बैठा हुआ उससे बातें कर रहा था.

नेहा को सही सलामत और बातें करता देखकर गंगू की खुशी का ठिकाना नही रहा..

गंगू उसके पास पहुँचा और बोला : "कैसी हो नेहा...?"

नेहा ने उसकी तरफ देखा और बोली : "पापा ..... ये कौन है ....?"

एक ही पल मे गंगू का दिल चूर-2 हो गया.

पीछे से डॉक्टर की आवाज़ आई : "गंगू .....''

गंगू ने पलटकर देखा तो ये वही डॉक्टर था, जिसने नेहा का पहले भी इलाज किया था...और जिसने कहा था की उसकी यादश्त चली गयी है...''

डॉक्टर : "गंगू....अब इस लड़की की यादश्त आ गयी है.....शायद इसके सिर पर जो गहरी चोट लगी है कल , उसकी वजह से वो एक नस जो पिछली बार दब गयी थी, वो फिर से खुल गयी है....अब इसे पहले का सब कुछ याद है....''

गंगू : "पर ....पर ये मुझे क्यों नही पहचान रही ...''

इस बार भुवन बोला : "वो शायद इसलिए की बीच मे जो कुछ भी इसके साथ हुआ, वो अब ये भूल गयी है...ये अपनी पिछली जिंदगी मे वापिस आ चुकी है गंगू...पर इस बीच तुमने जो मेरी बेटी के लिए किया, उसका एहसान मैं जिंदगी भर नही चुका सकता....पर अपनी लाइफ मे तुम्हे कभी भी मेरी कोई भी ज़रूरत हो तो मेरे पास बेझिझक चले आना...''

अब गंगू उसे क्या समझता की उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी ज़रूरत तो अब नेहा ही है...और इन 6 महीनो के बीच नेहा उसके लिए क्या बन चुकी है...

जिंदगी ने उसे जीने के लिए एक सहारा दिया था...पर एक बार फिर से वो उसी ख़ालीपन मे खड़ा था, जहाँ वो आज से 6 महीने पहले था...

उसकी आँखो मे आँसू आ गये...उसने एक आख़िरी बार नेहा के भोले से चेहरे को देखा...और लंगड़ाता हुआ बाहर निकल गया...

अपनी जिंदगी एक बार फिर से अकेले जीने के लिए.

गंगू ने वो शहर हमेशा के लिए छोड़ दिया...भूरे ने नेहाल भाई की जगह लेकर उस शहर में अपना गैंग चलाना शुरू कर दिया..

भुवन अपनी बेटी को लेकर वापिस अपने शहर निकल गया..और नेहा यानी शनाया कभी ये भी नही जान सकी की उन 6 महीनो मे उसने कैसी जिंदगी जी ली थी..शायद जान जाती तो वो भी गंगू का साथ कभी नही छोड़ती .

***********
समाप्त
***********

दोस्तों, ये कहानी यहीं समाप्त होती है, आशा करता हूँ की ये आपको पसंद आई होगी

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