मेरी बहन-मेरी पत्नी compleet

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jay
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Re: मेरी बहन-मेरी पत्नी

Post by jay »

गतांक से आगे...................................
जब मै ज्यादा देर तक अमृता को किस्स करता रहा तो अमृता को लगा कि मै उसकी चूत मारना चाहता हूँ इसलिए उसने अपनी दोनों टंगे फैला कर अपने पैर मेरी कमर पे लगा दिए ताकि उसकी चूत पूरी तरह खुल जाए और मेरा लंड आराम से अंदर जा सके | उसे शायद लगा कि मै रात वाली दूसरी ट्रिप अब पूरी करना चाहता हूँ या अपने दिन की शुरुआत उसकी चूत मार कर करना चाहता हूँ|

मगर मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था |मै उसे उसी पुराने अंदाज में चोदना नहीं चाहता था |मुझे तो अब कुछ नया करना था |इस पोज में तो मै उसकी रोज लेता था फिर भला मम्मी के जाने और हमारे हनीमून का अर्थ ही क्या रह जाता अगर हमें वही सब करना था जो हम रोज करते है?
इसलिए मैंने उसकी चूत में अपना लंड नहीं डाला और उसे जगा कर उसके बराबर में लेट गया |

जब अमृता ने देखा कि दस से ज्यादा बज चुके है, वो तुरंत उठ गयी और बोली की जल्दी से कमरा संभाल लो क्योकि थोड़ी देर में कामवाली आने वाली है |अमृता उठी और उठ कर सबसे पहले अपनी ब्रा और पेंटी उठा कर पहने लगी मगर मैंने उसके हाथ से ब्रा और पेंटी छीन ली |मैंने उसे कहा की आज वो सारा काम नंगी ही करे और मैं उसे देखूंगा |मगर अमृता ने ये कह कर मना कर दिया कि उसे ये सब करने में शर्म आती है |मेरे बहुत कहने पर भी अमृता नहीं मानी तो मैंने कहा कि वो अगर चाहे तो एक तोलिया लपेट ले मगर मै उसे कपडे नहीं पहनने दूंगा |अमृता ने एक तोलिया लपेटा (और मैंने भी तोलिया लपेट लिया ) और वो कमरा सँभालने लगी -बीयर की खली बोतले और हमारे उतरे हुए कपडे बिखरी हुई चादर आदि सब उठाकर कमरा साफ़ करने लगी (ताकि कमरे को देखकर कोई हमारी रात की कहानी ना पकड़ ले) |
मुझे लगता था की अमृता नंगी ज्यादा सेक्सी लगेगी मगर तोलिया लपेट कर तो वो कयामत ढा रही थी | तोलिये में तो वो पहले से भी ज्यादा सेक्सी लगने लगी |उसके उभरे हुए बूब्स के कारण तोलिया भी फूल कर खड़ा हो रहा था |मेरे लंड का तो हाल बुरा होने लगा था और मैंने बेकाबू होते हुए उसके पकड़ा ही लिया | मैंने उसे पीछे से पकड़ कर दिवार के सहारे लगा दिया और गाली देते हुए बोला-
"बहनचोद..........तूने मेरा जीना मुश्किल कर दिया है |साली तुझे नंगा रखूं तो मुश्किल, कपडे से ढक दूँ तो मुश्किल |बहन की लोडी क्या करके मानेगी ? इतना तो कोई अपनी बीबी को भी नहीं रगड़ता होगा जितना मैंने तुझे रगडा है, फिर भी दिल नहीं भरता |"
जोश में होश खोते हुए मैंने उसका तोलिया उठाया और -अपना लंड उसकी गांड के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया |खुद मुझे ये होश नहीं था की मै अपनी बहन को क्या अनाप-शनाप बक रहा था |मै तो उसे तोलिये में देख कर पागल सा हो गया था |

अमृता ने मुझे धक्का सा देते हुए पीछे धकेला और पलट कर दिवार के सहारे खड़ी हो गयी (मेरी तरफ मुह करके )| मै दुबारा उसकी तरफ लपका और उससे चिपक गया |मुझे अपनी बाहों में लेती हुई बोली-
"भईया, क्या आप चाहते हो आपका दिल मुझसे भर जाए? आज तो आपने ये बात कह दी मगर आज के बाद ये बात कभी मत कहना | मै आपके बिना अब जी नहीं सकती हूँ | रही बात बीबी की तरह रगड़ने की तो आप जितना चाहो मुझे उतना रगड़ लेना, जैसे चाहो मुझे वैसे रगड़ लेना, मै उफ़ तक नहीं करुँगी ...............मगर मुझे कभी छोड़ना नहीं |"
ये कहते हुए वो भी मुझे पागलो की तरह लिप्स तो लिप्स करने लगी |
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: मेरी बहन-मेरी पत्नी

Post by jay »

मैंने अपना लड़ उसकी चूत पे लगाया और अंदर धकेलने लगा |अमृता ने जोर से सिसकी ले और बोली-
"भईया क्या कर रहे हो? इस टाइम लोगे क्या ? ?"
मैंने कहा- "हाँ"
बोली - "चाहिए तो ले लो मै रोकूंगी नहीं | मगर अभी काम वाली आने वाली है | ज्यादा टाइम नहीं है अगर अभी लेनी है तो जल्दी जल्दी लेनी पड़ेगी, मजा नहीं आएगा .............सब खेल पांच-सात मिनट में ख़तम हो जायेगा | मुझे किसी बच्चे की तरह समझाते हुए बोली- अगर सब्र कर सको तो थोड़ी देर रुक जाओ ............कामवाली को हो कर जाने दो फिर अच्छे से लेना |आपको भी मजा आएगा और मुझे भी |"
अमृता की यही अदा मुझे दीवाना बना देती है और मै उसकी बात टाल नहीं पाटा हूँ |
मैंने भी बच्चों की तरह कहा- ठीक है.......बाद में ले लूँगा | मगर लूँगा ऐसे ही खड़े करके -दिवार के सहारे |"

वो भी लाड प्यार वाले अंदाज में बोली- " ओह्ह्हह्ह मेरा बच्चा..........ठीक है दिवार के सहारे ले लेना मगर अभी तो छोडो|"
मैंने अमृता को छोड़ दिया और वो अलमारी से कपडे निकलने लगी |उसने सलवार कमीज और साथ में वही ब्रा-पेंटी निकली (जो जो काले रंग की सेक्सी वाली मैंने उसे खरीदने के लिए कही थी) |
कपडे ले कर वो बाथरूम में जाने लगी तो मै भी उसके पीछे बाथरूम में जाने लगा |मगर अमृता ने फिर से मुझे समय की कमी के कारण मना कर दिया |मैंने कहा कि मै उसके साथ नहाना चाहता हूँ मगर अमृता ने एक बार फिर से मुझे वही सब कह कर बहला दिया जो उसने पहले कहा था -समय की कमी के कारण मजा नहीं आएगा और वो मुझे कल अपने साथ नहलाएगी |
मैंने उसकी बात मान ली और कहा कि ठीक है मै उसके साथ नहीं नाहूँगा मगर उसे मेरी एक शर्त माननी पड़ेगी - उसे दरवाजा खोलकर नहाना पड़ेगा ताकि मै उसे नाहाते हुए देख सकूँ |अमृता ने कहा वो दरवाजा खोलकर नहा लेगी मगर उसकी भी एक शर्त है कि मै उसे नाहते हुए न तो छूऊंगा और न ही छेडूंगा ,बस देख सकूँगा | मैंने भी अमृता की ये शर्त मान ली |
अमृता बाथरूम में नहाने के लिए चली गयी (ये बाथरूम हमारे कमरे के अंदर ही बना हुआ है ) और मैंने उसके सारे कपडे (सलवार-कमीज,ब्रा-पेंटी और उसका तोलिया ) अपने बिस्तर पर ही रखवा लिए तथा मै खुद बाथरूम के बहार कुर्सी डाल कर बैठ गया | अमृता ने शोवर (फुव्वारा ) खोला और नहाना शुरू कर दिया |
मै बहुत गौर से उसे नाहते हुए देखने लगा |उसके बदन पे गिरता हुआ पानी मेरे दिल में आग लगाने लगा |उसकी गोल-गोल चुचियों से बह कर गिरता हुआ पानी ऐसा लग रहा था जैसे पहाड़ की छोटी से झरना बह रहा हो |पानी से भीगा हुआ उसका बदन क़यामत ढा रहा था | ख़ास तौर से उसकी चुचियों पर गिरने वाला पानी मोती के सामान लग रहा था | उसकी गोल-गोल गोरी-गोरी चुचियों पर गिरता हुआ पानी किसी को भी मदहोश कर देने के लिए काफी था | मै अमृता को नहाता हुआ देख कर उत्तेजित होने लगा और धीरे धीरे अपने लंड को (हलके से ) सहलाने लगा | मै उसे देख कर बीच-बीच में अपने लंड को हलके से झटका दे देता और फिर रूक जाता | अमृता मुझे ये सब करता हुआ देख कर मुस्कुराने लगी |वो जानती थी कि इस समय मेरी क्या हालत हो रही है | शायद उसे अपनी जवानी का एहसास था, और अपने नशीले बदन पे इतराते हुए वो मुझे तडपाना चाहती थी |
लेकिन असली क़यामत तो तब आई जब अमृता ने अपने बदन पे साबुन लगाया |उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ क्या लग रही थी उस समय वो...........आज भी याद करता हूँ तो लंड खड़ा हो जाता है |जब अमृता ने अपने बूब्स पर साबुन लगाया था और साथ में अपनी चूत को साबुन लगा कर साफ़ किया था ................मेरे बरदाश्त से बहार हो गया था एक बार तो दिल में आया कि उससे किया हुआ वादा तोड़ दूँ और अभी इसी वक्त पेल दूँ साली को |मगर फिर लगा कि अगर बीच में ही सुनीता (हमारी कामवाली ) आ गयी तो सारा मजा खराब हो जायेगा | इसलिए मैंने अमृता को देखते हुए मुठ मारनी शुरू कर दी थी | उधर अमृता नहा रही थी और इधर मै उसे देख कर मुठ मारने लगा |
जब अमृता ने मुझे मुठ मारते हुए देखा तो वो नाराज हो कर बोली-
"भईया ये क्या कर रहे हो? मैंने कहा था न आपको सुनीता (हमारी कामवाली ) को जाने दो, मै करवा दूंगी आपका काम |थोडा सा तो सब्र किया करो भईया |"
लेकिन मैंने कहा- "देख अमृता , तुने मुझे कहा था कि मै तुझे छुऊँ नहीं | इसलिए मैंने तुझे छुआ नहीं है |मगर मै तुझे नहाते हुए देख कर और कण्ट्रोल नहीं कर सकता हूँ | शायद तू खुद नहीं जानती कि तू इस समय क्या चीज लग रही है?
अमृता भी मुस्कुराते हुए बाथरूम से बहार निकल कर आ गयी और घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को मुह में ले कर चूसने लगी और बोली- मेरे रहते हुए आपको मुठ मारनी पड़े तो लानत है मेरे पे |उसके बाद अमृता ने मेरा लंड चूस चूस कर झाड डाला |मै कुर्सी पर बैठे बैठे उसकी चूची सहलाता रहा और अपने हनीमून के मजे लेता रहा |
मेरा लंड झाड़ने के बाद अमृता वापिस बाथरूम में गयी और नहा कर बहार आ गयी |
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jay
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Re: मेरी बहन-मेरी पत्नी

Post by jay »

सच कहता हूँ दोस्तों जो मजा अपनी बहन को नंगा नहाते हुए देखने का है उसका बयान शब्दों में नहीं किया जा सकता है |
उसने अपना तोलिया उठाया और मेरे हाथ में दे कर अपना बदन साफ़ करवाने लगी |मैंने अच्छे से उसका बदन तोलिये से साफ़ किया-खास तौर से उसकी चूचियां और चूत को |उसके बाद मुझे पेंटी पहनाने को कहा जो मैंने उसे पहना दी |बाद में उसने मुझे ब्रा दी और पहनाने के लिए कहा |
सच कहता हूँ दोस्तों मैंने बहुत कोशिश की मगर मै उसे ब्रा नहीं पहना सका |मै जितनी बार भी उसे ब्रा पहनाने की कोशिश करता ,उसकी चूचियां ब्रा में से निकल जाती थीं |मैंने बहुत कोशिश की-आगे से-पीछे से, मगर मै उसे ब्रा नहीं पहना सका | आखिरकार अमृता नाराज होते हुए बोली- "भईया, आपको तो सिर्फ ब्रा खोलनी आती है पहननी नहीं| खोलने में तो एक सेकंड भी नहीं लगता है आपको ?पहनाते हुए क्या हो रहा है ?"
मैंने भी अपनी इज्जत बचने के लिए कहा-" देख बहन , जो काम जिसका हो उसे ही करना चाहिए |मेरा काम तो इसे उतरने का है, मै उतर लेता हूँ, तेरा काम पहनने का है-तू पहन ले |"

काले रंग की ब्रा और सेक्सी पेंटी में उसका गोरा बदन बहुत सुंदर लग रहा था, अगर अभी अभी चूस-चूस कर झाडा न होता तो एक ट्रिप लगा लेता मै उसके ऊपर |
अमृता ने अपनी ब्रा खुद पहनी और उसके बाद मैंने उसे सलवार पहनाई | मगर जैसे ही मै उसे कमीज पहनने लगा था कि कामवाली ने दरवाजा खटखटा दिया |अमृता ने जल्दी से अपनी कमीज खुद पहनी |मगर मेरी नजर उसकी चुचियों पे टिकी हुई थी |कमीज पहनने के बाद भी उसकी चुचियों की गोलाई साफ़ दिखाई दे रही थी- ये शायद नयी ब्रा का कमाल था | उस ब्रा की फिटइंग इतनी अच्छी थी कि कमीज के अंदर भी उसकी चूचियां गोल-गोल और सुंदर लग रही थी | दुसरे शब्दों में कहूँ तो मैंने जो पैसे अपनी बहन को ब्रा खरीदने के लिए दिए थे वो उसकी चुचियों की गोलाई देख कर वसूल हो गए थे |
कामवाली -सुनीता लगभग डेढ़ घंटे तक काम करती रही और इन डेढ़ घंटों में मै अमृता के गोल-गोल बूब्स को देख देख कर समय बिताता रहा | ये तो अच्छा हुआ था कि अमृता ने नहाते हुए मुझे चूस कर झाड दिया था वरना उस दिन डेढ़ घंटा बिता पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो जाता |
जब तक सुनीता काम कर रही थी मै नहा कर तैयार हो गया था |सुनीता का काम खत्म होने वाला था | मैंने अमृता पर पूरी नजर रखनी शुरू कर दी थी |जैसे ही सुनीता घर से बहार निकली और अमृता ने उसके जाने के बाद दरवाजा बंद किया, मै उसे पीछे से पकड़ कर बाहों में भर लिया और दरवाजे के सहारे ही टिका दिया |मैंने उसके हाथ फैला कर पकड रखे थे और मेरा लंड उसकी गांड पे था और चेहरा उसके कंधे पे |अमृता बार बार कह रही थी- "छोडो .......छोडो न भईया ..........अब क्या दरवाजे पर करोगे? कोई आ गया तो आवाज बहार चली जायेगी .............अन्दर चल कर कर लो जो कुछ करना है |"
मगर मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया और वहीँ उसकी गर्दन के पास, उसकी कमर पर किस्स करने लग गया | थोड़ी देर किस्स करने के बाद ही अमृता भी गरम होने लगी थी |अब उसने विरोध करना छोड़ दिया था और उसके मुह से सिसकियाँ निकलने लगी थी | वो खुद मदहोश हो कर- "भईया ...........उंह भईया .........." बोलने लगी थी |
मैंने उसकी कमीज उठा कर उसकी कमर पे किस्स करना शुरू कर दिया |अमृता ने झटके लेने शुरू कर दिया |जब मै उसे बिस्तर पे लेटाकर चूमता हूँ तो वो उछल-उछल कर सिसकियाँ लेती है मगर इस समय अमृता खड़े खड़े झटके ले रही थी |मेरा भी लंड बेकाबू हो रहा था |मैंने अपना लंड बहार निकला और उसके हाथ में दे दिया |अमृता बिना मुड़े ही मेरा लंड हिलाने लगी |मुझे सुरूर चड़ने लगा था, मैंने उसका कुर्ता उतर दिया और उसकी नंगी कमर पे ब्रा के स्टेप के पास किस्स करने लगा | अमृता को सबसे ज्यादा झटके या तो ब्रा के स्टेप के पास आ रहे थे या फिर जब मै उसकी बगल के नीचे से होते हुए उसके बूब्स पर किस्स करता था, तब आते थे |इसलिए मै इन्ही दोनों जगहों पर बार बार किस्स कर रहा था | थोड़ी देर के बाद मैंने उसकी सलवार भी खोल दी और अब अमृता सिर्फ ब्रा-पेंटी में रह गयी |अमृता ने फिर से मुझे कमरे में चलने के लिए कहा मगर मैंने कहा कि मै उसकी यही दिवार के सहारे लगा कर लेना चाहता हूँ| अमृता मुझसे वादा कर चुकी थी कि सुनीता के जाने के बाद मै जैसे चहुँ उसकी ले सकता हूँ इसलिए अब वो बेबस थी |अब उसके पास मेरी बात मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं था | मैंने अपना एक हाथ उसकी पेंटी के अंदर डाला और दुसरे हाथ से उसके बूब्स मसलने लगा | अमृता अब पूरी तरह से गरम हो चुकी थी |अब वो खड़े खड़े अपनी टाँगे खोलती जा रही थी |मुझे समझ में आ गया कि अब अमृता पूरी तरह से तैयार हो चुकी है अब मुझे देर नहीं करनी चाहिए और अपना लंड अब उसकी चूत में डाल ही देना चाहिए |मैंने फटाफट उसकी ब्रा-पेंटी उतारी और उसे पूरी तरह से नंगा करके खुद भी नंगा हो गया |
क्रमशः........
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Re: मेरी बहन-मेरी पत्नी

Post by jay »

गतांक से आगे...................................
जिस समय मैंने अपने कपडे उतारे अमृता पलट गयी, मगर मैंने उसे दुबारा उल्टा करके दिवार के सहारे लगा दिया और फिर से उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे दुबारा गरम किया |एक बार फिर से अमृता बेकाबू होने लगी और खड़े खड़े अपनी टाँगे फ़ैलाने लगी |
बस मैंने उसी समय अपना लंड अडजस्ट करते हुए उसकी चूत में डाल दिया |
अमृता की चीख निकल गयी |वो दो साल से मुझे चूत तो दे रही थी मगर अभी तक उसकी चूत इतनी नहीं खुली थी कि खड़े खड़े लंड उसमे चला जाता इसलिए मेरे झटके से उसकी चीख निकल गयी |
मेरे लिए भी खड़े हो कर चूत मारना मुश्किल हो रहा था | एक तो मुझे भी खड़े हो कर चूत मारने का तजुर्बा नहीं था और दुसरे मेरी बहन की चूत भी बहुत टाईट लग रही थी इसलिए लंड ठीक से चल नहीं पा रहा था |यूँ तो मुझे भी खड़े हो कर उसकी चूत मारने में बहुत दिक्कत आ रही थी मगर अमृता के मुह से चीख और सिसकियाँ सुनकर मजा बहुत आ रहा था |इसलिए मै भी खड़े खड़े ही उसकी चूत की ले रहा था |मैंने जोर जोर से झटके मारे और अंत में पूरे मजे लेते हुए मैंने अपना लंड एक बार फिर से अपनी बहन की चूत में झाड दिया था |

जब अमृता की चूत मारने के बाद मैंने उसे छोड़ा तो मैंने देखा उसका चेहरा लाल हो रहा था | चेहरे पर दर्द के भाव थे , साँसे फूल रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसका रेप कर दिया हो| मगर मेरे छोड़ने के बाद अमृता पलटी और मुस्कुराते हुए बोली-" भईया आज के बाद कभी आपको खड़े हो कर नहीं दूंगी |"
उसकी मुस्कराहट बता रही थी कि उसे भी उतना ही मजा आया था जितना मुझे आया था |हाँ ! ये बात अलग है कि उसे दर्द कुछ ज्यादा हुआ होगा |मगर फिर भी उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि मजा उसे भी पूरा मिला है |
अमृता ने नीचे गिरे हुए अपने कपडे हाथ में उठाये और कमरे की तरफ जाने लगी |मैंने भी अपने कपडे उठाये और उसके पीछे चल पड़ा | मैंने देखा अमृता ठीक से चल भी नहीं पा रही थी- वो टांग खोल कर चल रही थी |शायद दर्द से उसका बुरा हाल था |मगर उसे ऐसे चलते हुए देख कर मुझे बहुत मानसिक सुख मिल रहा था |मुझे ऐसा लगा कि मै अमृता को वो सब दे पा रहा हूँ जिसकी इच्छा एक औरत एक मर्द से करती है |

अमृता ने कमरे में आ कर अपने कपडे एक तरफ फैंक दिए और पलंग पर चादर ओड़कर लेट गयी| मै भी उसके बराबर में लेट गया और उसके बालों में हाथ फेरते हुए उसे प्यार जताने लगा |
अमृता ने मेरी तरफ करवट बदली और शिकायत भरे स्वर में बोली-
"भईया...........बहुत मजा आता है ना आपको मुझे तडपाने| सगी बहन पे तरस भी नहीं आता ?
इतनी जोर-जोर से झटके मारे हैं कि जलन हो रही है |ऐसा लग रहा है किसी ने लाल मिर्च लगा दी हो वहां पे | जिस दिन फट जाएगी ना मेरी उस दिन पता चलेगा आपको | फिर बैठे रहना अपना हाथ में लेकर |"
मैंने उसे छेड़ते हुए कहा -
"फाड़ना थोड़ी ही चाहता हूँ.............मै तो बस खोलना चाहता हूँ तेरी |मै चाहता हूँ मम्मी के आने से पहले पहले तेरी इतनी खोल दूँ कि जब मम्मी वापिस आ जाये और मैं तेरी लूँ तो तुझे बिलकुल भी दर्द न हो |"
उसके बाद हम दोनों बाते करने लगे और थकावट बहुत ज्यादा हो जाने के कारण बिना कपडे पहने ही एक दुसरे की बाँहों में नंगे ही सो गए |
शाम के लगभग सात बजे, अमृता ने मुझे जगाया |मैंने आँख खोली तो देखा - वो सलवार कमीज पहन कर मेरे पलंग के बराबर में खड़ी थी और मुझे जगा रही थी |लेकिन मैंने उठने से मन कर दिया और उससे कहा ऐसे नहीं- बीबी कि तरह से जगाएगी तो जागूँगा | अमृता झुकी और झुककर मेरे होंठों पे अपने होंठ रख कर किस्स करने लगी मैंने भी अपने हाथ उसके पूरे बदन पे फेरते हुए (उसकी कमर, कुल्ल्हे, चूचियां ) उसके पूरे बदन का मजा लिया और उसके बाद उठकर बैठ गया |

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अमृता चाय बना लायी जो हम दोनों भाई बहनों ने एक ही कप में पी | हमारी दिन की थकावट अभी तक उतर नहीं सकी थी और हम दोनों के ही बदन में अभी तक दर्द था मगर ये दर्द दिन के मिलन का एहसास था और पूरी उम्र के लिए एक याद |
अब रात के आठ बजने वाले थे | अगर मै इस समय अपनी बहन पे ट्रिप लगा लेता तो रात को थकावट के कारण उसकी चूत ना मार पाता इसलिए मैंने इस समय खुद को कण्ट्रोल करना ही बेहतर समझा और अपनी शक्ति को रात के लिए बचा लिया | ऐसा मैंने इस लिए किया क्योकि मै रात में उसकी चूत मारे बिना सो नहीं सकता हूँ-मुझे नींद नहीं आती है जब तक मै रात को उसकी ले ना लूँ|
रात को खाना खाने के बाद एक बार फिर से मैंने अडल्ट फिल्म लगाई और अमृता से कहा कि वो फ्रिज में से बीयर निकल कर सिर्फ ब्रा और पेंटी में मुझे सर्व करे-जिस तरह बार में लड़कियां अपने ग्राहकों को करती है | अमृता भी किसी प्रोफेशनल लड़की की तरह बीयर ले कर ब्रा-पेंटी में आ गयी |
काले रंग की सेक्सी ब्रा-पेंटी में अमृता को देख कर एक बार फिर से मेरे लंड ने जोर मारा और ये अपनी पूरी जवानी पे आते हुए खड़ा हो गया | अमृता भी बिलकुल प्रोफेशनल लड़की के अंदाज में मेरे पलंग के पास कड़ी हुई और झुक कर बीयर सर्व करने लगी |एक तो अमृता पहले ही गजब ढा रही थी उस पर उसके झुकने से उसके बूब्स भी ब्रा में से दिखने लगे | एक दिल की बात कहूँ दोस्तों- पूरी नंगी लड़की सिर्फ बिस्तर पर अच्छी लगती है (वो भी तब तक जब तक आपका झड ना जाए ) मगर बिस्तर से अलग तो आधी नंगी और आधी ढकी हुई लड़की का ही मजा है और इस समय अमृता बिलकुल उसी अंदाज में थी -आधी नंगी, आधी ढकी |

अमृता के बीयर डालते समय मैंने बिलकुल उसी अंदाज में उसके बूब्स दबाये जिस अंदाज में एक ग्राहक होटल में बीयर देने वाली लड़की के दबाता है और उसके बाद उसे खीचते हुए अपने बिस्तर पे डाल लिया और अपने बराबर में लेटा कर उसके साथ बीयर का मजा लेते हुए अडल्ट फिल्म देखने लगा साथ ही साथ मजा लेने लगा अपनी बहन के बूब्स का, उसके आधे नंगे बदन का, उसकी जवानी का |
जब फिल्म में ग्रुप सेक्स का सीन आया तो उस सीन में एक लड़का हेरोइन को कुतिया बना कर उसकी चूत मार रहा था और एक लड़का उसके मुह में दे रहा था जबकि एक लड़का उसके बूब्स चूस रहा था | उस सीन को देख कर हम दोनों इतने गरम हो चुके थे की मैंने तुरंत अमृता को कुतिया बनाया और उसके सारे कपडे उतर कर ऊपर चढ़ गया | मेरे झटके के साथ अमृता के बूब्स हिलते थे और उसके बूब्स के हिलने से मेरे अंदर नया जोश आ जाता था | मैंने उस रात बहुत अच्छे से अमृता को कुतिया बना कर चोदा और अपने दिल के सारे अरमान पूरे करे |
क्योकि दिन में मै अमृता को दिवार के सहारे खड़ा कर के चोद चूका था इसलिए कुतिया बना कर चोदने में ज्यादा दिक्कत नहीं आयी | अब उसकी चूत खुल चुकी थी |बहुत मजा आया था मुझे उस दिन मगर मुझे क्या पता था की वो दिन मेरी बहन के साथ मेरे हनीमून का आखिरी दिन होगा ? अभी तो सिर्फ दो ही दिन हुए थे और तेरह दिन बाकी थे मगर अगली सुबह कुछ ऐसा हुआ की मेरे हनीमून का सारा मजा खराब हो गया और मै बाकी के दिन अपनी बहन की चूत मारने के लिए तरसता रह गया |
मेरे साथ ऐसा क्या हुआ जो मै बाकी के दिन अपनी बहन की चूत नहीं मार सका ये मै आपको -
में बताऊंगा |

मगर जो भी हो ये मेरे जीवन का पहला हनीमून था मेरी बहन के साथ और वो दो दिन मेरे जीवन के सबसे यादगार दिन थे जिनमे मैंने अमृता के साथ अपने दिल के बहुत सारे अरमान पूरे किये थे |बस अगर अगले दिन वाली घटना ना घाटती तो शायद ये हनीमून पूरे पंद्रह दिन तक यूँ ही चलता रहता और मै अमृता के साथ अपने दिल के बाकी सारे अरमान भी पूरे कर लेता | दोस्तो आपको ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताए
समाप्त
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