मेरी बहन-मेरी पत्नी compleet

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jay
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Re: मेरी बहन-मेरी पत्नी

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उस पल के लिए किन शब्दों का प्रयोग करूँ मुझे समझ में नहीं आ रहा है | मेरी बहन मुझे पहली बार अपनी चूत दे रही थी और वो भी अपने ही हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर लगा भी रही थी | मै तो अपनी सुध-बुध खोता जा रहा था |मेरी साँसे बहुत तेज हो गयी थी , दिल कि धड़कन बाद चुकी थी, ऑंखें आनंद से बंद हुए जा रही थी, होठों को अमृता के होंठ चूस रहे थे और मेरा लंड खुद मेरी बहन के हाथ में हो कर उसकी ही चूत के ऊपर था | उस समय मै ऐसा बेसुध हो रहा था, जैसे किसी ने मुझे ड्रग्स का नशा करवा दिया हो | लेकिन सच तो ये है कि वो नशा तो ड्रग्स के नशे से भी बाद कर होता है |

उधर अमृता का भी कुछ कुछ ऐसा ही हाल था |वो भी मेरे लंड को अपनी चूत पर रखते ही मदहोश हो रही थी |उसकी भी ऑंखें नशे से बंद हो रही थी |वो धीरे धीरे मेरे होंठ पी रही थी और मुझे लंड अंदर डालने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी |
मैंने जोश में आकर एक जोर का झटका मारा और अपने लंड को सीधा अपनी बहन कि चूत में ठोंक देना चाहा|लेकिन ऐसा हुआ नहीं | मेरे झटका मारते ही अमृता के मुहं से चीख निकलने लगी जिसे हम दोनों भाई-बहन ने दबा दिया (कुछ तो अमृता ने अपनी छेख रोकने कि कोशिश की और कुछ मैंने उसके होंठो पे अपने होंठ लगा दिए )| अमृता के चेहरे पे दर्द साफ़ उभर रहा था उसने झटके के साथ मेरा लंड अपनी चूत पे से हटा दिया था |
अमृता की आँखों में दर्द के कारन पानी आ गया था| मुझे लगा कि अब अमृताको गुस्सा आ जायेगा और मुझे आगे कुछ करने कि इजाजत नहीं देगी | मुझे लगने लगा कि अब तो मै उसकी चूत मानने का मौका खो बैठा हूँ | मगर हुआ इसका उल्टा, दर्द कम होते ही अपने आप को सँभालते हुए और अपने चेहरे पर मुस्कराहट लाते हुए अमृता ने बहुत प्यार से कहा- भईया आराम से करो आपकी सगी बहन कि चूत है किसी दुश्मन कि बेटी की नहीं |
अमृता के मुहं से ऐसी बाते सुनकर मुझे बहुत तसल्ली हुई कि कम से कम अमृता छूट देने से तो इनकार नहीं कर रही है |मैंने अमृता से अपनी गलती के लिए माफ़ी मांगी और दुबारा से अपना लंड उसकी छूट पर रखने लगा | एक बार फिर से अमृता ने खुद मेरा लंड अपने हाथ में लिया और हलके हलके सहलाते हुए बहुत मस्ती में बोली- बहन के लंड ये है तेरी बहन कि चूत |मुझे अमृता के साथ दो साल हो चुके थे प्यार करते हुए मगर इन दो सालों में मैंने कभी उसको इतनी मस्ती में नहीं देखा था जितना मै आज देख रहा था | मै बहुत बहुत खुश था उसका ये रूप देख कर | एक अलग ही मानसिक सुख मिल रहा था मुझे |
उसके बाद मैंने अमृता के निर्देशानुसार धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर डाला | अमृता बार बार मेरा लंड पकड़ कर सेट करती थी | कभी वो मुझे जोर लगाने जो कहती और कभी वापिस बहार निकलने को कहती | जब भी मै थोडा ज्यादा जोर लगा देता वो गुस्सा होते हुए कहती बिलकुल भी तरस नहीं आ रहा अपनी सगी बहन पे ? आराम से करो न प्लीज |
थोड़ी सी तकलीफ के बाद आखिरकार मेरा लंड अमृता कि चूत के अंदर था | हम दोनों कि सांसे बहुत तेज तेज चल रही थी , आनंद का तो शब्दों में बयान करना मुमकिन ही नही है | अमृता ने अपना हाथ मेरे लंड से हटा कर मेरी कमर पर रख लिया था और आंखे बंद करके मेरे नीचे लेती हुई थी | मै अपना लंड पूरी तरह से अपनी बहन कि चूत में डालकर उसके ऊपर ही लेता हुआ था और उसके मदमस्त हो चुके चेहरे को निहार रहा था |
अमृता ने धीरे से आंखे खोली और हलके से पूछने लगी- भईया कैसा लग रहा है ?
मैंने उसे बताया- अमृता मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लंड गरम गरम रूई में डाल दिया गया हो | ये तो बहुत सोफ्ट है | अमृता के चेहरे के भाव बता रहे थे कि उसे मेरे जवाब बहुत अच्छा लगा और मेरा जवाब सुनकर उसे मजा आया |
मैंने भी अमृता से पूछा तुझे कैसा लग रहा है?
वो बोली भईया ऐसा लग रहा है जैसे कोई गरम गरम लोहे कि रोड मेरे अंदर डाल दी गयी हो |
मैंने कहा लेकिन मुझे तो तेरी चूत गरम गरम लग रही है मगर वो बोली कि उसे मेरा लंड गरम गरम लग रहा था |जो भी हो हम दोनों के लिए ये एक नया अनुभव था और हम दोनों ही इस अनुभव में खो जाना चाहते थे |

मेरा गला सूखने लगा और मुझे बहुत तेज प्यास का अनुभव हो रहा था इसलिए मैंने अमृता के होंठ पीने कि कोशिश करी |मगर अमृता ने अपना मुहं घुमा लिया और मुझे किस्स नहीं दी |मैंने दुबारा-तिबारा कोशिश की मगर हर बार उसने मुहं घुमा लिया |
तब मैंने उसका चेहरा अपने हाथो से पकड़ कर उससे रेकुएस्ट करते हुए कहा- बहन प्लीज किस्स दे दे मेरा गला सूख रहा है |
वो बोली -नहीं भईया होंठ नहीं, पीने है तो बूब्स पियो |
मैंने उसके बूब्स पीने कि कोशिश भी कि मगर लंड चूत में होने के कारन कर नहीं सका क्योकि बूब्स पीने के लिए मुझेझुकना पड़ता और उससे मेरे लंड का चूत से बहार निकल जाने का डर था | पहले ही बहुत मुश्किल से लंड चूत में गया था मै दुबारा रिस्क लेना नहीं चाहता था | इसलिए मैंने उसके बूब्स को पीने कि ज्यादा कोशिश नहीं की और दुबारा से उससे रेकुएस्ट करते हुए कहा - बहन प्लीज दे दे न मेरा गला बहुत सूख रहा है, बहुत जोर से प्यास लगी है और तेरी चुचिया नहीं चूसी जा रही , प्लिज्ज्ज्जज्ज्ज्ज बहन दे दे न |

मेरी इतनी रेकुएस्ट सुनकर अमृता के चेहरे पर गर्व के भाव उभर आये और ऐसा लगा जैसे उसको कोई अत्मियिक संतुष्टि मिली हो कि आज एक पुरुष उसके आगे गिडगिडा रहा है इसलिए अमृता ने बिना कोई विरोध किये अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए और मुझे पीने के लिए अपने होंठ सौंप दिए | मै अमृता के होंठ पीने लगा और अपने दायें हाथ से उसकी चूची को दबाते हुए उसकी चूत भी मारने लगा |

इस समय मै अपनी बहन के होंठ भी पी रहा था, उसकी चूची भी दबा रहा था और चूत भी मार रहा था |
अमृता किसी नशेडी के सामान अपने होश खो चुकी थी और आज वो खुद मुझे बहुत गन्दी गन्दी गालियाँ दे रही थी (जबकि हमेशा मै ही उसको ऐसी गलियां दिया करता था )| अमृता के मुहं से गालिया सुनकर मेरा जोश और भी बाद जाता था और उसकी हर गाली के साथ ही मै उसको और भी जोर से झटका मार देता था | उस दिन शायद अमृता मेरे से कही ज्यादा आनंद का अनुभव कर रही थी इसलिए वो मुझसे पहले ही झड गयी थी | जिस पल अमृता झड़ी उसके दोनों हाथ मेरी कमर पर ही थे और उसने अपने नाखुनो से मेरी पूरी कमर छील दी थी | मुझे दर्द तो बहुत हुआ था मगर ये संतुष्टि भी थी कि कम से कम अपनी बहन के साथ मनी इस सुहागरात में मै उसे पूर्ण संतुष्टि दे सका |
क्रमशः........

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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: मेरी बहन-मेरी पत्नी

Post by jay »

गतांक से आगे...................................
मै जनता था कि अमृता झड चुकी है लेकिन मेरा लंड अभी झाडा नहीं था इसलिए मै रूक गया ये सोच कर कि शायद अमृता अब इसे चूत में से बहार निकलना चाहे मगर एक अच्छे साथी कि तरह अमृता ने ऐसा नहीं किया |उसने खुद कहा- क्या हुआ भईया ? रूक क्यों गए? आप अपना पूरा करो मै दे रही हूँ आपका साथ | जब तक आपका नहीं झडेगा मै साथ देती रहूंगी ............आप करो |

अमृता के इतना कहते ही मैंने दुगनी स्पीड से झटके मारने शुरू कर दिए और थोड़ी ही देर में मेरा लंड भी झड गया |जैसे ही मेरा लंड झाडा, मैंने अपने लंड को अपनी बहन कि चूत से बहार निकलना चाह ताकि मेरा वीर्य उसकी चूत के अंदर न झड जाए मगर अमृता ने बलपूर्वक मुझे ऐसा करने से रोक दिया और इससे पहले कि मै उसके बल का जवाब अपने बल से दे पता मेरा लंड मेरी बहन कि चूत में ही झड गया और मै उसे इस गलती के लिए गाली देने लगा | गाली सुनकर अमृता हंसने लगी और बोली भईया जब सब कुछ करना ही है तो डरना कैसा ? जो असली मजा है अगर वाही न लिया तो ये सब करना बेकार है | आज मै पूरी तरह से आपकी हो जाना चाहती थी और कोई भी दूरी बाकी रखना नहीं चाहती थी इसलिए जो होगा देखा जायेगा | अगर कुछ हो भी गया तो हम दवाई ले लेंगे मगर अब से मै आपकी दूरी बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ और अब मुझे बहन का ये लोडा (फिर से मेरे लंड को हाथ में लेते हुए ) चाहिए ही चाहिए |

मै भी जनता था कि जो होना था वो तो हो ही चूका है और अब उस बात को सोच कर कुछ हासिल नहीं होगा इसलिए जो आन्नद आज मिला है उसे याद करना चाहिए न कि जो गलत हो गया उसे |मैंने अमृता को आखिरी लिप्स तो लिप्स किया और उसके ऊपर से उतर कर उसके बराबर में लेट गया |
अमृता बिस्तर से उठी और सबसे पहले पलंग के दोनों तरफ गिरे हुए कपड़ों को समेटने लगी (जिन्हें मै तो भूल ही चूका था ) और पूर्ण संतुष्टि के भाव के साथ किसी अच्छी पत्नी कि तरह कमरा साफ़ करने लगी |
उसके बाद अमृता ने अलमारी से अपने कपडे भी निकले और मेरे भी | हम दोनों भाई बहन नए कपडे पहन कर सो गए और अगले दिन फटे हुए कपडे मम्मी कि नजरों से बचा कर फैंक आये |

उस रात के बाद हम दोनों भाई बहन लगभग रोज (उसके मासिक दिनों को छोड़ कर, वैसे तो कभी कभार उन दिनों में भी एक दो बार ) एक दुसरे कि बाहों में समां जाते है | आज भी (उस घटना के लगभग ११ वर्ष बाद भी ) मुझे मेरी बहन उतनी ही सुंदर लगती है जितनी कि तब लगती थी |और आज भी मै उसकी चूत को देख कर उतना ही पागल हो जाता हूँ जितना उस दिन हुआ था | बस अंतर इतना है कि अब हमें एक दुसरे के कपडे फाड़ने कि जरुरत नहीं पड़ती क्योकि हम जानते है कि अब हम दोनों ही एक दुसरे से प्यार किये बिना रह ही नहीं सकते |

दोस्तों मै आपको पहले भी अपनी और अपनी बहन अमृता के बारे में बहुत कुछ बता चूका हूँ | आज मै आपको अपनी जिंदगी के कुछ ऐसे किस्से बताने जा रहा हूँ जो मेरी जिंदगी की हसीन यादों में से एक है | यूँ तो मै लगभग डेढ़ या दो साल से अपनी बहन की चूत मार रहा था और इन दो सालों में मैंने अपनी बहन के साथ हर तरह का मजा लिया था- उसे बिस्तर पे बिछा के चूत मारना, उसे लंड के ऊपर बैठा कर कुदाना, कुतिया बना कर लेना..............और भी बहुत तरह के मगर ये सब रात में बंद कमरे तक ही सीमित था | लेकिन दिन में या खुले में मुझे ये सब करने की छूट नहीं थी | अमृता मम्मी से बहुत डरती थी इसलिए दिन में या खुले में ये सब करने नहीं देती थी |यूँ तो हम दोनों भाई बहन पति-पत्नी की तरह तो लगभग दो साल से साथ रह रहे थे मगर हमने कभी हनीमून नहीं मनाया था |
लेकिन ये बात आज से लगभग नो साल पुरानी है - हमारे पापा का ट्रान्सफर इलहाबाद हो गया था और पापा की तबियत कुछ दिनों से खराब चल रही थी (उन्हें बुखार चल रहा था ) मगर उन्हें छुट्टियाँ नहीं मिल पा रही थी, इसलिए मम्मी पंद्रह दिनों के लिए पापा के पास रहने जा रही थी और हम दोनों भाई बहन अब घर में पंद्रह दिनों के लिए अकेले रहने वाले थे |



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Re: मेरी बहन-मेरी पत्नी

Post by jay »

मैंने तो सोच रखा था की इन पूरे पन्द्रह दिनों तमें मै अपनी बहन के साथ इतनी मस्ती करूँगा की ये पंद्रह दिन हमारे आने वल्र पंद्रह सालों के लिए यादगार दिन रहें | इन पंद्रह दिनों को मै अपनी बहन के साथ हनीमून की तरह मानाने की सोच रहा था |

ऐसा नहीं की ये सपने सिर्फ मेरे ही थे या मम्मी के जाने से केवल मै ही उत्साहित था, मेरी बहन अमृता का भी कुछ ऐसा ही हाल था |वो भी मम्मी के जान से उतनी ही उत्साहित थी, जितना कि मै था |

आखिर वो दिन आ ही गया जब मम्मी ने पापा के पास जाना था | हम दोनों भाई बहन मम्मी को छोड़ने के लिए रेलवे स्टेशन गए थे |उस समय मेरे पास मारुती १००० कार हुआ करती थी | हम दोनों ने मम्मी को इलाहबाद की ट्रेन पकड़वाई और उसके बाद हम दोनों घर के लिए वापिस चल पड़े |
अभी हम दोनों थोड़ी ही दूर चले थे की मेरे दिल में बहुत तरह की उमंगें और शरारते उठने लगीं | इसलिए मैंने शरारत में आ कर चलती कार में ही अपना बायाँ (लेफ्ट हैण्ड ) हाथ अपनी बगल में बैठी बहन की जांघ पर रख दिया |मेरी शरारत से मेरी बहन शरमा गयी और हलके हलके मुस्कुराने लगी |मुझे उसकी मुस्कान से हिम्मत मिली और मैंने उसकी जांघ को सहलाने लगा |अभी मैंने अमृता की जांघ थोड़ी सी ही सहलाई थी कि उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोकना चाहा और बोली-
अमृता- क्या कर रहे हो भईया, कोई देख लेगा |
मै- देखेगा कैसे? शीशे तो काले है..........कुछ नहीं दिखेगा | (उस समय दिल्ली में कार के काले शीशों को लेकर बहुत जयादा सख्ती नहीं थी) |
अमृता- मत करो न भईया, मुझे शरम आती है |अब घर ही तो जा रहे है, घर जा कर कर लेना जो करना हो............मै रोकूंगी थोड़े ही |
मै- तू कबसे मुझसे शरमाने लगी? और रही बात घर जा कर करने की तो, घर जा कर मै तेरी जांघ थोड़े ही न सह्लाऊंगा ? घर जा कर तो मै तुझे सह्लऊंगा (मैंने मुस्कुराते हुए कहा )|

मेरी बात सुनकर अमृता एक बार फिर से शरमा गयी और चुप-चाप बैठ गयी और मै उसकी जांघ सहलाने लगा |

अमृता कि जांघ सहलाते सहलाते मेरे दिल के अंदर शरारते बढती जा रही थी और मेरी हिम्मत भी |अब मैंने उसकी स्कर्ट उठा कर उसकी जांघ सहलानी शुरू कर दी थी और उसकी नंगी जांघ पर हाथ जाते ही मेरा लंड भी बेकाबू होता जा रहा था | उधर अमृता मेरी इस हरकत से परेशान होने लगी थी |उसे डर लग रहा था कि कही किसी ने देख लिया तो क्या होगा? मगर मुझे मजा आ रहा था और मेरे अंदर शरारत करने कि उमंग बढती जा रही थी | अमृता बार बार मेरा हाथ पकड़ कर रोकती और मै बार बार जबरदस्ती उसके हाथ से अपना हाथ छुड़ा कर दुबारा उसकी नंगी जांघ पे रख कर सहलाने लगता |यूँ तो इन दो सालों में मैने ना जाने कितनी बार अमृता को नंगा देखा भी था और किया भी था मगर उस दिन चलती कार में सिर्फ उसकी नंगी जांघ को देख कर जो मस्ती चढ़ रही थी उसका कोई जवाब नहीं था और शायद इसकी वजह उसकी जांघ नहीं थी, बल्कि एक विचार था - मेरा लंड ये सोच-सोच कर मचल रहा था कि मै दिन-दहाड़े, चलती कार में- बीच सड़क पर अपनी बहन की नंगी जांघ सहला रहा हूँ | मेरे लंड को बेकाबू करने के लिए सिर्फ ये विचार ही बहुत था |
अंत में आकर अमृता को समझ में आ गया कि वो जितना मुझे रोकना चाहेगी मै उतना ही जिद्दी होता जाऊँगा और उतनी ही जबरदस्ती से उसकी जांघ सह्लाऊंगा | इसलिए अमृता ने खुद को पूरी तरह से मेरे हवाले कर दिया और मै उसकी जांघ को सहलाने लगा |अब अमृता अपनी आँखे बंद करके आराम से बैठ गयी और खुद भी मेरे सहलाने का मजा लेने लगी |

मै भी बेकाबू होता जा रहा था, इसलिए मैंने अपना हाथ अब धीरे धीरे उसकी जांघ से ऊपर करते हुए उसकी चूत की तरफ बढ़ा दिए और उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत सहलाने लगा (साथ साथ कार चलता रहा )| अब अमृता भी गरम हो चुकी थी अब उसका स्वर , गुस्से से बदलकर शिकायत वाले सुर में आ गया था-
अमृता- भईया क्या कर रहे हो? मान जाओ न प्लीज |
मै - क्या कर रहा हूँ? अपनी बहन को प्यार कर रहा हूँ और क्या कर रहा हूँ?
अमृता- ऐसे प्यार करते है क्या बहन को?
मै- (शरारत से मुस्कुराते हुए ) तो कैसे प्यार करते है अपनी बहन को?
अमृता- घर जा कर आराम से करते है, ऐसे सड़क पर नहीं |
मै- घर जा कर भी करूँगा मगर जिसकी बहन तेरे जैसी प्यारी हो, वो बेचारा घर पहुँचने तक का इन्त्जार कैसे करे ?
अमृता- भईया, आप ना बहुत शरारती होते जा रहे हो दिन-ब-दिन |पता नहीं कहाँ-कहाँ से सीखते हो ये सब?
मै- तुझे देख कर खुद-बी-खुद आ जाता है सब कुछ |
ये सब बातें करते करते मैंने उसकी चूत में बहुत अंदर तक ऊँगली दाल दी थी और उसने जोर से सिसकी लेते हुए मुझे एक गन्दी से गाली दी |
मै- क्या हुआ?



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Re: मेरी बहन-मेरी पत्नी

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अमृता-लाओ मेरे हाथ में दो अपना लंड तो मै बताती हूँ क्या हुआ? इतनी देर से तडपा रहे हो | बार बार कह रही हूँ घर जा कर कर लेना जो करना है, मानते ही नहीं |लाओ निकालो, मै बताती हूँ क्या हुआ?

मै तो पहले ही से बेकाबू हो रहा था और अब तो खुद अमृता मेरा लंड चलती कार में अपने हाथ में ले कर सहलाने वाली थी| मैंने मौका खोना उचित नहीं समझा और तुरंत अपनी पेंट की चेन खोल कर अपना लंड बहन निकल लिया |

अमृता ने अपने आप मेरा लंड अपने हाथ में ले कर सहलाना शुरू कर दिया और मै उसकी चूत सहलाने लगा (पेंटी के ऊपर से ही ) और पहले से भी धीरे धीरे कार चलने लगा

मेरी मदहोशी बढती जा रही थी |मजा इस बात से नहीं था कि कोई लड़की मेरा लंड सहला रही है, बल्कि मुझे तो ये सोच-सोच कर नशा हो रहा था कि मेरी बहन मेरा लंड अपने हाथ में लेकर बैठी हुई है और मै उसकी चूत से खेल रहा हूँ और वो भी -चलती कार में |

मैंने उससे लंड को मुह में लेकर चूसने को कहा मगर अमृता ने मना कर दिया | लेकिन मै उस दिन पूरे मूड में आ चूका था |इसलिए मैंने भी ये जिद्द पकड़ ली थी कि आज तो मै अमृता से कार में ही लंड चुसवाकर ही रहूँगा, चाहे वो एक या दो चुसके ही ले |लेकिन अमृता ने ये सब करने से साफ़-साफ़ और सख्त शब्दों में मना कर दिया था | वो इस बात पर अड़ी हुई थी कि वो जो भी करेगी अब घर जा कर ही करेगी |लेकिन मै अपनी जिद्द पर कायम था कि चाहे दो बार ही सही वो मेरा लंड कार के अंदर ही चूसे |
मैंने गुस्से में आ कर कार सड़क के किनारे ही रोक दी और गुस्से में बोला-
“नहीं जा रहा मै घर |मै तब तक घर नहीं जाऊंगा जब तक तू मुह में ले कर नहीं चूसेगी |चाहे एक या दो बार चूस ले, मगर जब तक तू चूसेगी नहीं मै अब घर नहीं जाऊँगा, तुने जाना है तो तू चली जा |”

अमृता मेरा गुस्सा और मेरी जिद्द जानती थी |उसने मुझे समझाने कि बहुत कोशिश करी मगर उस समय मेरे ऊपर जिद्द सवार थी |आखिरकार अमृता ने हार मानी और ये शर्त रखी कि इसके बाद मै अमृता के साथ कोई छेड़-छाड़ नहीं करूँगा और सिर्फ दो बार वो मेरा लंड चूसेगी |मै सहमत हो गया और मैंने वादा किया कि इसके बाद मै अमृता को सड़क पर हाथ नहीं लगाऊँगा |उसके बाद अमृता ने चलती कार में मेरा लंड पहले तो थोड़ी देर तक अपने हाथ से सहलाकर खड़ा किया और उसके बाद मुह में लेकर चूसना शुरू कर दिया |
उसने कहा तो ये था कि वो सिर्फ दो बार चूसेगी मगर एक बार मुह में लेकर बहुत देर तक उसने मेरा लंड चूसा, क्योकि वो जानती थी कि मुझे उससे लंड चुस्वाना बहुत पसंद है |
क्रमशः........
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गतांक से आगे...................................
अमृता चलती कार में मेरे लंड पे झुकरकर उसे चूस रही थी| पहले तो मुझे लगा कि वो सिर्फ दो बार चूस कर मेरा लंड छोड़ देगी मगर जब वो लगातार मेरा लंड चूसने लगी तो मैंने भी उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए | उधर वो मेरा लंड चूसने लगी और इधर मै उसके बूब्स दबाने लगा | थोड़ी देर चूसने के बाद अमृता मुस्कुराते हुए उठी और बोली- "बस भईया अब तो खुश ? अब तो नाराज नहीं हो न मुझसे? "
मैंने भी खुश होते हुए कहा- तुझसे नाराज हो कर जी सकता हूँ? तू तो जान है मेरी |
उसके बाद मै बिना अमृता को छोड़ कर कार चलाने लगा |मगर मैंने कार घर कि तरफ लेने कि बजाये एक रेस्टुरेंट में रोक दी | मै अमृता को ले कर उस रेस्टुरेंट में गया और हम दोनों किसी बॉय फ्रेंड- गर्ल फ्रेंड कि तरह वहां बहुत देर तक बैठे रहे |वहां हम दोनों ने कोल्ड-ड्रिंक पी और बीच बीच में एक दुसरे का हाथ पकड़ते तो कभी किसी प्रेमी जोड़े कि तरह एक दुसरे कि आँखों में आँखे डाल कर देखते रहते |
वहां बैठ कर जब हम दोनों प्यार कि बाते कर रहे थे, तब अमृता ने कहा कि उसने आज तक कोई भी अडल्ट फिल्म नहीं देखि है, इसलिए मम्मी कि गैर-मौजूदगी में वो ये फिल्म मेरे साथ देखना चाहती है |और मैंने अमृता को कुछ पैसे देते हुए कहा कि मै उसे काले रंग कि सेक्सी ब्रा-पेंटी में देखना चाहता हूँ, इसलिए वो २-३ सेक्सी सी ब्रा-पेंटी खरीद कर ऑटो से घर पहुँच जाए (क्योकि हमारी उम्र उस समय बहुत कम थी इसलिए हम लोग पति-पत्नी नहीं लगते थे | इसलिए अमृता को अकेले ही ये खरीददारी करनी थी ) और मै उसके लिए अडल्ट फिल्म कि कैसेट (उस समय मेरे घर में वी सी आर था ) खरीदने चला गया |

रस्ते में आते समय मैंने लगभग दस बीयर कि बोतले भी खरीद लीं क्योकि मै इन पंद्रह दिनों में वो सब कर लेना चाहता था जो अगले पंद्रह सालों के लिए एक याद बन कर रहे |
जब मै घर पहुंचा तो अमृता मुझसे पहले ही घर आ चुकी थी | अमृता ने दरवाजा खोला तो अमृता को देखते ही (सिर्फ ये सोच कर कि अब पंद्रह दिनों के लिए मै दिन रात इसकी चूत मारने वाला हूँ) मेरा लंड खड़ा हो गया |अमृता की नजर भी हमेशा की तरह मेरे लंड पर गयी और मेरी फूली हुई पेंट को देखकर मुस्कुराते हुए उसने मेरे होंठों पे किस्स करते हुए मेरा स्वागत किया | मेरे हाथ में बीयर कि बोतले और कैसेट होने के कारण मै अमृता को बाहों में नहीं भर सकता था जिसका अमृता ने खूब फायदा उठाया और दरवाजे पर ही घुटनों के बल बैठ कर मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी | ये मेरी जिंदगी का पहला एहसास था कि मेरी बहन दरवाजा खोलते ही मेरे लंड से खेल रही थी मगर मै सामान हाथ में होने के कारण उसे बाहों में भी नहीं भर पा रहा था | अमृता इस मौके का फायदा उठा रही थी और कार में जो मैंने उसे सताया था उसका बदला ले रही थी |मै बेबस सा खड़ा हुआ सिर्फ उसे गाली दे रहा था और बार बार अनुरोध कर रहा था कि मुझे एक बार अंदर आ जाने दे और सामान रख लेने दे | मगर अमृता ने तो मेरा लंड ही बहार निकल लिया और मुह में ले कर चूसना शुरू कर दिया |मेरी सिसकियाँ निकलने लगी, मै जोर जोर से उसे गलियां देने लगा |लेकिन मै उतना ही बेबस था जितना एक लड़की रेप के समय होती है और अमृत मेरे लंड से खेलती रही |


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