रंगा ने रोती-कलापति बिंदिया के होठों पर अपने मूछों वाले लब रख दिया और उसका लार पीने लगा. ऐसा करने से बिंदिया की आवाज़ गले में ही अटक गयी और वो गूऊव….गूऊऊऊ करने लगी. अब रंगा की राइट हथेली बिंदिया के लेफ्ट वक्ष स्थल पर था और पूर-ज़ोर मालिश कर रहा था.
उस दानव के मोज़बूत हथेली के मालिश से बिंदिया की छाती दुखने लगी पर होंठ बंद होने की वजह से सिर्फ़ अंदर से तड़प के रह गयी.
जग्गा को नंगा देख राका ने भी झट से अपने कपड़े उतार दिए और जनम जात अवस्था में आ गया.
रंगा के कलापों से बिंदिया छटपटा रही थी. पर उसके पैरों पर रंगा के वजनी जांघों के भार से वो सिर्फ़ तिलमिला के रह जा रही थी.
नग्न हो कर राका ने बिंदिया के पेट पर से कुर्ता चूची तक उठा दिया और उसके नाभि और मांसल पेट पर चूमने-चाटने लगा.
इस अप्रत्याशित क्रीड़ा से बिंदिया के बदन में एक सिरहन दौड़ गयी और उसका रोवा-रोआवा खड़ा हो गया. पेट पर हल्की गुदगुदी होने लगी जिस वजह से उसके छाती की पीड़ा कुछ कम हो गयी.
इतने में जग्गा बिंदिया के पैरों की तरफ आया और उसके पयज़ामे का नाडा खोलने लगा.
उसके इस हरकत से बिंदिया सहम गयी और अपना पूरा ज़ोर लगा कर रंगा को उपर की तरफ धक्का दिया और उसके होठों को अपने दातों से काट लिया.
रंगा इसके लिए तैयार ना था इसलिए सपकपाकर उठ बैठा.
उसके चंगुल से आज़ाद होते ही बिंदिया दहाड़ मारकर रोने लगी और अपने हाथ जोड़कर जग्गा को बोली – प्लीज़ ई मत कीजीएना, हम किसी को मूह दिखाने के लायक नही रह जाएँगे. बाबूजी हुमरा बियाह करने वाले है. ज़िंदगी खराब हो जाएगा मेरा. छ्चोड़ दीजीएना!!!
हालाकी बिंदिया के काटने से रंगा का होंठ कट गया था और हल्का खून भी निकल रहा था, और उसका गुस्सा सातवे आसमान पे था, फिर भी वो इस जवानी को मज़े से हलाल करना चाहता था, खून बहाकर नही.
उसने पहल की और बिंदिया के सर पे हाथ फिराते हुए प्यार से पुच्कार्ते हुए बोला- देखो बिटिया, तुंरा बदन तो आज रात हुमारा घर है. इसको तो लूटना ही है, अब मर्ज़ी तोहार की इसको प्यार से लुटाओ या बलात्कार से.
प्यार से करोगी तो तुमको कोई शारीरिक हानि नही होगी. बलात्कार से तुमको शारीरिक हानि तो होगी ही और मज़ा भी नही आएगा. हो सकता है कि मर भी जाओ. हुमरे हिसाब से तो जब बलात्कार से बचने का कोई रास्ता ना हो तो उसका मज़ा उठना चाहिए. अगर प्यार से मान जाती हो तो हम वादा करते है की तुमको मज़ा आएगा और कोई नुकसान नही पहुचेगा. सही सलामत तुमको घर भी छ्चोड़ आएँगे और कल को तुम्हारी शादी भी हो जाएगी. बोला का कहती हो???
बिंदिया अभी भी सिसक रही थी पर रंगा की बातों से उसे अपनी बेचारगी का क्लियर एहसास होने लगा. उसने गाओं के लड़कों को अपने लटके-झटकों से बहुत तडपया था और अपने दाने की खुजली भी उंगलियों से मिटाई थी पर ऐसे सांड़ों के मूसलों के बारे में कभी नही सोचा था. बाँवरी सेठ का बेटा सरजू जो 18-19 का होगा, उसके लंड का दर्शन भी एक बार उसने छुप कर किया था जब वो बरगद के पीछे हल्का हो रहा था. पर वो तो मिर्ची थी और ये मूला.
‘शायद ये उतना भी बूरा ना हो जैसा उसने रेप के बारे में सुना था. और फिर दूसरे शहर में बसने के बाद वहाँ लोगों को इस कांड की जानकारी नही होगी तो उसके शादी में भी बाधा नही पड़ेगी’.
कलयुग की द्रौपदी
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Re: कलयुग की द्रौपदी
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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Re: कलयुग की द्रौपदी
इस विचार से प्रेरित होकर बिंदिया ने आख़िरकार अपने हाथ बिस्तर पर निढाल कर दिए और सर झुकाते हुए लाचार स्वर में बोली – ठीक है, आप लोग जैसा बोलेंगे, हम वैसा करेंगे, पर सुबह होते ही हुमको घर छ्चोड़ दीजिएगा. और कृपया कर के हमको ज़्यादा दर्द मत दीजिएगा!!
उसकी ये बात सुनते तीनों के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान खिल गयी. रंगा ने एक राहत की साँस ली की अब उन्हे इस कली को प्यार से मसल्ने को मिलेगा. अब उसने भी अपने कपड़े उतार दिए.
पर राका को इस खेल में उतना मज़ा नही आया क्यूंकी उसे तो शिकार को तडपा कर मारने में मज़ा आता था. फिर भी यारों के फीलिंग्स और फेटिश का ख़याल कर वो मन मसोस कर रह गया. पर अंदर-ही-अंदर उसने ठान ली कि अपनी बारी आते ही वो इस लड़की को नानी याद दिला देगा.
शुरूवात रंगा ने की. सिसकती बिंदिया के करीब आकर वो उसके कुर्ते को उठाने लगा. बिंदिया ने तो सारे हथियार डाल दिए थे. लाचरगि में उसने अपने हाथ उपर कर दिए. रंगा ने उसके बाजुओं से कुर्ता निकाल फेका. कुर्ता निकलते ही बिंदिया ने लाज से अपने नंगी चूचियो को अपने हाथों से ढक लिया और सुबुक्ते हुए फिर रंगा की ओर फरियादी नज़रों से देखते हुए बोली – प्लीज़, ज़्यादा दर्द तो नही होगा ना??????
रंगा पूचकारते हुए उसे अपने पालती मरी हुई जांघों पर बैठते हुए उसके कानों में बोला – मर्द का वचन है बूछिया, दरद चाहे जितना हो पर मज़ा पूरा मिलेगा. अच्छा हुआ जो तुम खुद तैयार हो गयी, अब देखना तुम कभी घर जाने का बात नही करोगी!! आज रात हम तोहार फूल जैसा बदन का हर पंखुड़ी से खेलेंगे और तुमको सदाबहार फूल बना देंगे.
उसकी बातें सुन ना जाने क्यूँ बिंदिया के चूत के दानों में चिंचीनाहट दौड़ गयी.
वो रंगा की गोद में पीठ करके बैठी थी और रंगा की दोनों हाथेलि उसके दोनो चूचियों से खेल रही थी. घुंडीयों के मीसने से और कान के लाओं और गर्देन पर सरसरते रंगा के गरम लबों ने बिंदिया के पूरे जिस्म में खलबली मचा दी. उसके संतरे के किशमिश टाइट हो गये……पूरे 1” लूंबे. मस्ती से उसका गोरा चेहरा लाल तमतमा रहा था.
बिंदिया की आँखें बंद थी इसलिए उसे एहसास ना हुआ कि कब जग्गा ने उसकी अधखुली सलवार को आहिस्ते से उसके पैरों से निकाल दिया. जब उसके नंगी जांघों पर ठंडी हवा की सिरहन हुई तो उसकी आँखें खुल गयी. सामने जग्गा भूखे लार टपकते भेड़िए जैसा उसके मांसल जांघों को और लाल लेसस वाली चड्डी में बूँद पाव-रोटी जैसी चूत को ताक रहा था.
उसकी रक्त-पीपासु आँखों को देख बिंदिया सहम गयी. रंगा की तरफ ना जाने क्यूँ उसका थोड़ा सॉफ्टनेस होने लगा था. इसलिए जग्गा की नज़रों से बचने के लिए उसने मूह फेर्कर रंगा के छाती में छुपा लिया.
इधर जग्गा बेड पर पट लेटकर अपना सर बिंदिया के चूत के करीब लाया और सूंघने लगा. कौले अनछुए चूत की महक उसे बौरा गयी और उसने अनायास ही बिंदिया के जाँघ फैला दिए और चूत पर चड्डी के उपर से ही अपने होठ रख दिए और चूमने लगा.
बिंदिया इसके लिए तैयार ना थी. उसे 440वोल्ट का झटका सा लगा और उसके मूह से एक आआहह……… निकल गयी.
जवानी और ज़िंदगी ने उसके लिए इस रात मे क्या सॅंजो के रखा था ये तो वो कल्पना नही कर सकी थी पर अब तक जॉब ही हुआ ना जाने क्यूँ उसे कैसी भी भयानक कल्पना से परे एक मीठा एहसास दे रही थी. ……………. पर अभी राका तो बाकी था.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
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