कलयुग की द्रौपदी

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rajsharma
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Re: कलयुग की द्रौपदी

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रानी को अपने नंगे पेट पर रंगा के साप का एहसास हो रहा था जो इस वक़्त लूँगी में था.

रंगा ने 2 मिनट तक तन्मयता से रानी का रस पीया और उससे अलग हट के बोला – बहुत रसीली है हम. लुगाई. पर हमारे में भी रस कम थोड़ी है.

अच्छा सुनो, जग्गा बाहर गया है शाम तक लौटेगा. नाश्ता टेबल पे रखा है. पहले नहा-धो लो फिर खा लेना. आज तुमको कोई काम करने की ज़रूरत नही है.

ये सुनकर रानी को अच्छा लगा की रसोई से तो कमसे कम छुट्टी है.

वो बाथरूम में आई और ब्रश से मूह धोने लगी.

रंगा उसके पीछे-पीछे आया और इशारे से टब दिखाते हुए बोला – मेरी चिड़िया, सुनो, ये टब में दवाई है जिसमे नंगा होके 20 मिनट बैठ लेना और चूत के अंदर बाहर अच्छे से मल लेना. इससे तुम्हारा दरद और थकान दूर हो जाएगा. और जब हो जाए तो हुमको बुला लेना.

रानी ज़मीन में नज़रें गड़ाई हुई “हां” में सर हिला दिया.

रंगा जानता था की चूत को रसदार और टाइट बनाए रखने के लिए ये ज़रूरी है.

आधे घंटे बाद रानी बाथरूम से चूत धोकर और नाहकार एक टवल लपेटा और दरवाज़ा खोलकर रंगा को आवाज़ दी – आए जी, सुनते हो? हमारा हो गया है.

रंगा झट से वहाँ पहुँचा और अंदर घुसकर दरवाज़ा बंद कर लिया.

उसने अपनी लूँगी निकाल ली और बोला – सुनो बूछिया! अब हम तुम्हारा दूसरा द्वार खोलेंगे और पूजा करेंगे.

रानी पलके झहापकती हुई असमंजस से उसे देखती रही.

रंगा ने बाथरूम के एक छ्होटे आल्मिरा में से एक तरल पदार्थ की बॉटल निकाली और बोला – ई 2 चम्मच पीने से तुम्हारा दूसरा दरवाज़ा खुल जाएगा और फिर हम अपने लंड से वहाँ पूजा करेंगे. इससे तुम्हारा पूरा पेट सॉफ हो जाएगा और मलद्वार यानी गांद का छेद अ भी.समझी!! पूजा करने के पहले पूजा स्थान साफ तो करना होगा ना???

रानी उसके बातों का मतलब समझ अंदर से थरतर्रा गयी. पर उसने तो अब अपना तन-मंन सब उनको समर्पित कर दिया था तो पूरे आस्था के साथ बोली - हमको तो भगवान के मूर्ति पूजने से ज़्यादा प्रताप आपको पूज के मिलेगा. अब तो आप ही मेरे मंदिर हैं और हम आपके भक्त जिसको अपपका प्रसाद प्राप्त होता है! आप जैसी पूजा चाहते है वैसे ही होगा.

ये सुनकर रंगा गदगद हो गया और दो स्पून लिक्विड रानी को पीला दिया. वो काफ़ी कड़वी थी इसलिए रानी ने मूह बनाते हुए पी लिया. करीब 1 मिनट में ही उसे प्रेशर बिल्ट-उप होता हुआ महसूस हुआ और वो झट से अपनी टवल उतार कमोर्ड पे बैठ गयी.

उसके पेट में दाने का अगर एक भी अंश होगा तो वो पूरा पानी बनकर बह गया.

जब उसका पेट पूरा सॉफ हो गया तो रंगा ने प्लास्टिक पीपे को नल से लगाया और उसके एंड पर एक प्लास्टिक टोटी लगाई जो 4” लंबी थी. उसने रानी को बाथ टब का सहारा लेकर झुकने को कहा.

रानी के झुकते ही उसका गोल नितंब उभर गया जिसमे वो डार्क ब्राउन गांद का च्छेद ऐसा लग रहा था मानो चेररी ओन ए केक.

रंगा ने एक हाथ की उंगली पर बेबी आयिल लगाते हुए रानी के च्छेद पर सुरसुराने लगा. रानी को गुदगुदी होने लगी. धीरे-धीरे उसने च्छेद के अंदर करीब 1“ उंगली घुसा कर पेलने लगा. ऐसा करने से रानी की गांद स्लिपरी होती जा रही थी पर उसे दर्द भी हो रहा था.

अब उस 1“ में रंगा ने टोटी घुसा दी और नाल ऑन कर दिया.

पानी पुर प्रेशर के साथ रानी को अपनी गांद में महसूस हुआ. वो ज़ोर से सीसीया उठी.

इसी प्रकार टोटी को धीरे-धीरे रंगा उसकी गांद में धकेलटा गया. 4” घुसने के बाद रानी को पानी अपने अंतडियों तक आता महसूस हुआ. हालाकी पानी उसकी गांद से बाहर भी निकल जा रहा था पर फिर भी उसे लग रहा था जैसे उसके अंदर कोई सागर बन रहा हो.

जब 3-4 मिनट बाद रंगा को तसल्ली हो गया की रानी का मलद्वार पूरी तरह खाली और क्लीन हो गया है तो उसने नल बूँद कर टोटी उसके गांद से निकाल ली. टोटी के निकलते ही रानी के गांद का च्छेद 1” साइज़ के ‘ओ’ सा दिख रहा था. अंदर अंधकार और च्छेद धीरे-धीरे फूल-पिच्छक रहा था.

थोड़ी देर में रानी का गांद सामान्या अवस्था में आ गयी.

अब रंगा ने अपनी लूँगी उतार दी और बाथ टब में बबल बाथ के लिए उतर गया और रानी को भी बुला लिया.

टब में रंगा ने रानी को अपनी ओर मूह करके जांघों पर बैठा लिया. रानी के चूतड़ रंगा के लंड के उपर थे और उसके दोनो पैर रंगा के कमर के दोनो तरफ.

रानी को रंगा का मोटा डंडा अपने गांद के दरारों में महसूस हो रहा था की इतने में रंगा के राइट हॅंड की मिड्ल उंगली रानी गांद पर सरसरने लगी. उसने रानी के होठों पे अपने होठ रख दिए और चूमने-चूसने लगा. हर पल उसकी उंगली रानी के च्छेद में आगे की ओर पेलते हुए बढ़ती जा रही थी. पानी साबुन से भरा था इसलिए उंगली और गांद की च्छेद में अच्छा फ्रिक्षन हो रहा था. कभी उंगली के दबाव से रानी को ऐसा लगता की उसका कलेजा मूह को आ रहा है तो रंगा उसकी चूची की घुंडीयों को मीस देता.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

5 मिनट तक ये खेल चलता रहा जब तक रंगा का 1” चौड़ा और 4” लंबी उंगली पूरी की पूरी रानी के च्छेद में समा गयी. खेल में बदलाओ आया और रंगा ने दूसरी उंगली घुसाने का प्रयास किया. रानी को ऐसा लगा जैसे कोई उसे दो टुकड़ो में काट रहा हो. उसके मूह से हल्की चीख निकली और उसने मिमियाते हुए गुहार लगाई – सुनिएना! प्लीज़ कुच्छ और तैल लगा के कीजीएना. बहुत दुख़्ता है. लगता है हमरा दिल निकल के मूह से गिर जाएगा!!!

रंगा ने थोड़ा रहम किया और आयिल की प्लास्टिक बॉटल को रानी के च्छेद पर रखके ज़ोर से दबाया जिससे टेल की पिचकारी निकली और उसके गांद में समा गयी. रंगा ने झत्ट से फिर अपनी दो उंगली अंदर घुसा दी. तैल की लिसलसाहट से अब दोनो उंगलियाँ आराम से पेल रही थी.

5 मिनट बाद रंगा ने रानी के दोनो नितंब थाम्के उसे थोड़ा उपर उठाया और उसके च्छेद पर अपना 10” लंबा लंड का सूपड़ा टीका दिया.

रानी ने उसे महसूस कर आने वाले हमले के लिए खुद को अंदर से तैयार कर लिया.

उसने धीरे से रानी के चूतडो को अपने लंड पे दबाया तो रानी उचक कर उपर उठ गयी.

अंजानी नर्वुसनेस की वजह से वो हर बार खुद को लंड पर से खीच ले रही थी.

3 बार ऐसा होने पर रंगा रानी के डर को महसूस किया और फिर उसने एक हाथ रानी के इर्द-गिर्द लपेटकर खुद से च्चिपका लिया और दूसरे से अपने लंड को पकड़ कर उसके च्छेद पर रखकर हल्का सा दबा दिया. इस बार सूपड़ा अंदर समा गया. फ्रिक्षन अच्छा होने की वजह से रानी को कुच्छ महसूस ना हुआ. दूसरी बार रंगा ने रानी को दोनो बाजुओं से जाकड़ कर ज़ोर से नीचे दबाया और साथ ही अपनी कमर को भी उपर उच्छाल दिया. ऐसा करते ही 5” लॉडा गुफा में सरसरता हुआ प्रवेश कर गया. रानी की आँखें उबल पड़ी. उसके कंठ से एक दबी-घुटि चीख निकल गयी जिसे रंगा ने अपने होठों से दबा दिया. उसके होठ रानी हो बेतहाशा चूम-चाट-चूस रहे थे.

जब भी रानी के लब आज़ाद होते तो उसकी आहें निकल जाती.

आआआआआआआआआआआआआआआआह……………..ओओओओओओओओओओओओओह………बस……..फॅट गआय्ाआअ…..आआआअननह.

रंगा को ये आवाज़ें और उत्तेजित कर रही थी. उसने 5” लंड को ही धीरे-धीरे पेलना चालू कर दिया.

दूर से देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे उस नन्ही सी जान की गांद में किसी लड़के ने अपना हाथ ही घुसा दिया हो इतना मोटा था रंगा का लंड.

2 मिनट बाद रंगा ने फिर से रानी को उपर से पकड़ा और ज़ोर से नीचे की ओर दबा दिया. इस बार तीर सारी रुकावट चीरता हुआ 10” रानी की गांद में प्रविष्ट कर गया.

आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ……………………….माआआआआआऐययईईईईईईईईईईई……………..बचाई ले हमको………………………ऊऊऊओ………..माआआआआआआईयईईईईईईईई……….बस करिए मालिक…………….सब फॅट गया……….आआआआआआआहह.

रानी की दर्दभरी चीखें बंद बाथरूम में गूंजने लगी पर भला इस बियाबान में कौन उस दुखियारी की सुन ने आता.

उसकी चीखें दर्दभरी सिसकियों में तब्दील हो गयी और आँसू आँखों का साथ नही छ्चोड़ पा रहे थे.

सही मायने में गांद फटना क्या होता है ये आज रानी ने जान लिया था. और इस प्रकार के संभोग में कोई मज़ा नही होता यह भी उसके समझ में आ गया था. फिर भी वो अपने देवता की उपासना में कोई खलल नही डालना चाहती थी इसलिए ये क्रूरता झेल रही थी.

रंगा ने उसका दर्द कम करने के लिए उसकी चूची मूह में भर के चूसने-चाटने लगा. इससे कुच्छ मिनटों बाद रानी का दर्द थोड़ा कम हुआ और वो अपनी छाती पर फैली मस्ती का आनंद उठाने लगी.

रंगा ने धक्के की रफ़्तार बहा दी.

जब उसका लंबा-मोटा लंड रानी की नन्ही गांद को चीरता हुआ पेले जा रहा था तो पूरे बाथरूम में च्चप्प-च्चप्प टब के पानी की आवाज़ आ रही थी और साथ ही बेसूध और मस्तायि रानी के मूह से उउउउउउउउउउउउन्न्न्न........उउउउउन्न्न्न्न्न्न्न्न...........ऊवूऊवूयूवूयूयुवयन्न्न की सिसकारी. रानी ने इस हमले को झेलने के लिए रंगा के पीछे टब के किनारों को अपने दोनो हाथों से मजबूती से पकड़ रखा था और अपने गांद को उसके धक्कों से मॅच करते हुए उपर-नीचे कर रही थी.

रंगा इस तरह उस अनछुई कमसिन कुँवारी लड़की को अपने दूसरे च्छेद का ऐसे मज़ा लेते देख मस्ती से बौरा गया और 9-10 मिनट एक लंबी आहह भर वीरगति को प्राप्त हो गया.

अपना गाढ़ा वीर्या करीब एक मीं तक उसने रानी के गांद में छ्चोड़ा और रानी के चेहरे को हथेलियों में भरके उसके होठ चूसने लगा. रानी को अब तक तो ऐसा लग रहा था जैसे किसीने उसकी गांद में जलता हुआ लोहे की छड़ पायबस्त कर दी हो पर वीर्य के छ्छूटने पर ऐसा लगा जैसे वो छड़ गल कर उसकी ही गांद में बह गया.

रंगा का लंड सिकुड़कर 6” का होगआया करीब 2 मिनट में. उसने धीरे से रानी के गांद को अपने लॉड से आज़ाद किया तो देखा कुच्छ वीर्या रानी के फूलती-पिचकति गांद से बहता हुआ पानी में गिर रहा था. उसने जल्दी से अपनी हथेली को च्छेद के नीचे रख सारा वीर्या कलेक्ट किया और रानी के होठों के करीब लाता हुआ बोला – लो गुड़िया रानी, अपनी पूजा का प्रसाद!!

रानी ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी जीभ से रंगा की हथेली चाट ते हुए सारा वीर्य पी लिया.

रंगा ये देख कर बहुत प्रसन्न हुआ की रानी एक बहुत ही अच्छी लंड-चूसक बनती जा रही थी.

दोनो फिर टब से निकलकर झरने के नीचे नहाए और टॉवेल लपेटकर बाहर आ गये.

रंगा ने रानी को अपने जांघों पर बैठाके खाना खिलाया और बिस्तर पे लाकर लिटा दिया.

12 घंटे के अंदर 3 बार रंगा-जग्गा के मूसलों से पस्त रानी को 15 मिनट में ही फिर से नींद आ गयी.

दोस्तो इस पार्ट अब य्यहीं बंद कर रहा हूँ आगे कहानी के साथ फिर मिलेंगे लकिन बताना मत भूलना कहानी कैसी लगी

अब तो आपने देख ही लिया है अपनी रानी यानी कलयुग की द्रौपदी अपने दोनो छेदों से लंड लेने लग गयी है

और मज़े भी लेने लग गयी है बाकी कहानी के साथ अगले भाग मे फिर मिलेंगे
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

कलयुग की द्रोपदी--4

दोस्तों मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा पार्ट -४ लेकर आपकी अदालत मैं हाजिर हूँ

रानी को इतनी गहरी नींद आई की वो शाम के 6 बजे तक सोती ही रही.

जग्गा इसी समय घर लौटा तो उसके बुलेट की आवाज़ से रानी की नींद उच्छा. गयी.

उसने आल्मिराह खोली तो देखा कई सारे ड्रेस उसके साइज़ के भरे पड़े थे. यह ड्रेस रंगा-जग्गा ने स्पेशली रानी और उस जैसी और लड़कियों के लिए ला कर रखे थे.

रानी ने एक नेवी ब्लू कलर का सलवार-सूट निकाल कर पहन लिया और बाहर आ गयी.

ड्रॉयिंग रूम में रंगा-जग्गा कुच्छ बातें कर रहे थे जो उन्होने रानी के आने पर बंद कर दी.

जग्गा ने शरारत से पूछा – का रे गुड़िया!! इतना देर सो रही थी? इतना कौन सा थकने वाला काम किया था?

रानी उसके इस सवाल पर झहेप. गयी और गाल शरम से लाल हो गये. उसका सारा बदन टूट रहा था और एक मीठा सा दर्द हो रहा था. . का छेद पर अभी भी दुख रहा था.

रंगा बोला – अरे कुच्छ नही भाई, हम. तो बस थोड़ी पूजा की और दूसरे मंदिर की घंटी बजाई!

यह सुन जग्गा हस्ने लगा और बोला – अकेले-अकेले पूजा कर लिए. हुमको भजन-कीर्तन में बैठने का मौका ही नही दिया? का रे रानी, ये दूसरा वाला पूजा का प्रसाद एक ही भवाँ. का क्यूँ खाया?

रानी उनकी इस ठिठोली से शरम से ज़मीन में गाड़े जा रही थी.

रंगा बोला – जाओ रानी, जाके रसोई में रात का खाना बना लो. पाँच आदमी का खाना बनाना. कुच्छ मेहमान आने वाले है.

रानी के चेहरे पर 5 लोगों का खाना बनाना सुनकर जिग्यासा जाग उठी तो रंगा बोला – आज हमारे एक पुराने मित्रा अपनी लुगाई को लेके आ रहा है. उसकी लुगाई आजकल उसकी पूजा नही करती है ना ही उसका प्रसाद ग्रहण करती है. गाओं के मंदिर के पुजारी ने कहा की उसे हुमारे पास ले जाने से हम उसका अच्छा से इलाज करेंगे और कट्टर पुजारीन बना देंगे.

रानी असमंजस से बोली – कैसी लुगाई है? अपने पति परमेश्वर का तन-मॅन से पूजा अर्चना करना ही तो उसका फ़र्ज़ है. ई भी नही करेगी तो उसका जीवन व्यर्थ है.

जग्गा ये सुन गड़.-गड़ हो गया और बोला – एक्दुम सही बोली मेरी गुड़िया. पर सब तुम्रे जैसी आस्तवान नही होती है ना!! इसलिए आज हम उसका इलाज करेंगे. तुम भी हमारे साथ शामिल होके हमारी मदद करना!

रानी खुश थी की दोनो उससे इतना प्यार और इज़्ज़त करते है की 1 ही दिन में उसे इतना मान दे रहे है. वाज़ शी राइट???

बिहार का ये इलाक़ा नॅडलाइट्स के लिए बहुत बदनाम था. इन्ही का सारगाना था राका. 7 फीट का वो दैत्या घानी. धाड़ी और बड़े बालों वाला एक दानव था. रंगा-जग्गा जैसा ही रंगीन और खूब पियाक्कड़. 2 लीटर रूम तो वो एक दिन में पीटा ही होगा. आँखें हमेशा लाल रहती थी.

उसका लंड 7-8“ ही होगा पर लॉड की चौड़ाई कम-से-कम 3“. ये जालिम रंगा-जग्गा जैसा किसी भी लड़कियों पर नरम नही था. जिसे भी उठाता उसकी मौत पक्की थी. इसका फौलादी लंड तो रंडियों के भी चूत से खून निकाल देता था.

गाओं के सबसे रईस साहूकार से उसने फिरौती माँगी थी करीब 15 लाख जो ना अदा करने की सूरत पे उसकी बेटी बिंदिया को उठा लेने की धमकी दी थी.

साहूकार अव्वल दर्जे का लालची था. वैसे भी उसकी दाल अब उस गाओं में नही ग़ालती थी इसलिए वो सहर जाने की सोच रहा था. राका की धमकी से उसकी और भी फॅट गयी और मियाद की तारीख के पहले वाली रात उसने बोरिया-बिस्तर समेत परिवार के साथ भागने की सोच ली.

बिंदिया 17-18 बरस की गोरी-चिटी गद्रायि जवानी थी. जावानी ने अपनी सारी बहार शायद उसपर ही लुटाई थी. कमसिन उमर में भी उसके चूची पाके पपीतों जैसा था. बॉल उसके भरे-भरे नितंबों तक आते थे और उसकी गोलाई की सुंदरता बढ़ाते थे. आँखें गोल-गोल और बड़ी-बड़ी, होठ मोटे और रसीले. गर्दन बिल्कुल सुरहीदार और छति और कमर एक समान.

5 फीट की हाइट और फिगर पूरी 36-26-36. जाँघ केले के ताने के समान चिकनी और मांसल थी. बानिए की बेटी को पढ़ाई से क्या करना इसलिए 4थ क्लास के बाद च्छुत गयी थी. वो बिल्कुल अनपढ़ और गवार थी पर हुस्न ऐसा पाया था की लॉंड भंवरों की तरह उसके इर्द-गिर्द घूमते रहते थे पर वो उनमे से किसी को घास नही डल्लती थी.

अपने बड़े भाई और भाभी को उसने 2-3 बार सेक्स करते हुए देखा था इसलिए कांगञान तो हो ही चुका था. कभी उंगली तो कभी पेन्सिल डालकर अपनी प्यास शांत कर लेती थी. एक दिन तो इसी क्रीड़ा में उसकी झिल्ली भी फॅट गयी ती. अब उसकी जवानी लूटने के लिए तैयार थी.
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

राका को साहूकार के रातों रात फरार होने की बात की भनक लग गयी थी. वो लाव-लश्कर लेकर उसके घर पहुँचा तो देखा की घर लॉक था और सब नदारद थे.

गुस्से से आग बाबूला राका बस-स्टॅंड और रेल स्ट्न पर अपने आदमी दौड़ा दिए.

½ घंटे में ही उसे पता लगा की शेठ अपने परिवार के साथ पटना कोलकाता जाने वाली बस में अपने परिवार के साथ 1 घंटे पहले रवाना हुआ है.

राका ने ट्रक भरकर नॅडलाइट्स के साथ रास्ते में उस बस पर हुम्ला कर दिया.

शेठ को तो उसने लूटा ही पर साथ में पूरे बस के लोगों को भी नही बक्शा. बिंदिया के हाथ पैर बाँधा और मूह में कपड़ा थूस कर अपने जीप में डाला और च्चल पड़ा.

रंगा-जग्गा से उसने वादा किया था की इस बार के शिकार को वो उनके साथ बाट कर खाएगा. उसने जीप जंगल के तरफ घुमा दी.

1 घंटे में उसकी जीप रंगा-जग्गा के दरवाज़े पर थी.

रात के करीब 10 बज रहे होंगे जब बाहर गाड़ी के एंजिन की आवाज़ सुन रंगा बाहर आ गया.

राका को देख वो आती प्रसन्न हो गया और गाले से लगा लिया. जीप की दूसरी सीट पर गठरी जैसी बँधी पड़ी बिंदिया को देख वो आनंदित हो गया और बोला – वाह दोस्त, खूब वादा निभाया तुमने.

इतने में जग्गा भी बाहर आ गया और राका के गाले लग गया. रंगा ने बिंदिया को उठाकर उपर वाले कमरे में ले गया और बिस्तर पर पटक दिया. वो अभी भी बेहोश थी.

रानी बाहर कमरे में जग्गा-राका की आवाज़ें सुन बेडरूम से निकल आई. राका को देख वो एक बार जग्गा की तरफ देखी और दुपट्टा अपने सर पर डाल राक के पाव छूने के लिए झुक गयी. राका जग्गा को देख मुस्कुराया और रानी के कंधे पकड़ उठाता हुआ बोला – दूधो नहाओ, पूतों फलो. का नाम है तोहार?

रानी नज़रें नीचे किए बोली – रानी!

अरे वाह, एकद्ूम सही नाम है! हुमरे दोस्तों की लुगाई का इससे अच्छा नाम हो ही नही सकता है? – राका बोला.

जग्गा ने रानी से कहा – जाओ जाके बॉटल और चखना बाहर बरामदे में लगा दो. थोड़ा देर वहीं यार लोग जसन मनाएँगे फिर पूजा करेंगे इसकी लुगाई का!

रानी ने मूक हामी भारी और रसोई की तरफ बढ़ गयी.

रानी बहुत गर्व महसूस कर रही थी की उसके पति का इतना सम्मान है की लोग उनसे अपने बीवियों का इलाज करने आते हैं.

बाहर दारू-चखना लगान एके बाद रानी ने खाना बनाया और टीवी देखने लगी.

कोई 1 घंटे के बाद जब 10 बजे होंगे, तीनो अंदर आ गये और रंगा ने रानी से कहा- चलो गुड़िया रानी थोड़ा खाना खिला दो फिर पूजा करेंगे.

रानी ने खाना परोसते हुए राका से पूछा – आपकी लुगाई खाना नही खाएँगी क्या?

राका हस्ते हुए बोला – अरे वो? वो तो थोड़ी देर में हम सबका प्रसाद ग्रहण करेगी तो अपने आप ही पेट भर जाएगा.
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

उनके खाने के बाद रानी ने भी थोड़ा खा लिया और सॉफ-सफाई के लिए किचन में चली गयी.

तीनो उपर आ गये और बेड पे सोती हुई बिंदिया को देखने लगे. उस मदमस्त जवानी को देख उनके मूह से लार टपकने लगा.

राका बेड के करीब आया और झींझोर कर बिंदिया को उठाने लगा. रंगा ने इतने में 1 ग्लास पानी उठाकर बिंदिया के मूह पर दे मारा. बिंदिया हड़बड़ा कर उठ बैठी. तीन दानवों को अपने इर्द-गिर्द देख अनायास ही उसके मूह से चीख निकल पड़ी. राका की शकल पहचान उसे सारा वाक़या याद आया और व्हो बकरी की तरह मिन्मीनाते हुए राका को हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगी – प्लीज़ हुमको जाने दीजिए,…….उउउउ….मा-बाबूजी के पास जाना है…….उ लोग हमारा इंतेजार करते होंगे……….आपको हुम्से क्या मिलेगा……..हम बाबूजी को बोलेंगे, वो आपको खूब पैसा देंगे. हुमको जाने दो प्लीएzzzzzz!

उसके आँसू भारी आँखें और दर्द भारी गिड़गिडाहट का राका पर कोई असर ना हुआ और वो हस्ते हुए बोला – अरे तोहार बाप को पैसा ही देना होता तो उ गाओं छ्चोड़ के भागता थोड़े. और शाम को तो हम उसका सारा धन लूट ही लिए तो अब पैसा का कौनो चिंता नही. अब तो जसन मनाने की घड़ी है. और उ जसन में तुमको तो शामिल होना ही पड़ेगा!!!!

राका के इरादों को भाप बिंदिया सर-से-पाव तक सिहर गयी. उन दानव का आकर-विकार और बदनीयती का अंजाम उसे दिखाई देने लगा. शहम्ते और रोते हुए उसने पूछा – ह.ह..हुमरे साथ कककाअ करोगे आपलोग. ज्ज्ज्ज्ज्जने दीजीएना. हहूम तो आआअपके बेटी जैसे हैं???

तीनों एक साथ हस्ने लगे और जग्गा बोला – सच बोली तू, और हम सब हैं बेटीचोड़!!!!

ये कहके तीनों फिर से अट्टहास करने लगे.

बिंदिया इस वक़्त एक पीले कलर के सलवार कुर्ते में थी. बॉल बिखरे हुए और चेहरा सफेद फक़्क़ पड़ा हुआ था.

राका लपक कर बिंदिया के बाजू में बैठ गया और उसके इर्द-गिर्द अपनी बाहें डालने लगा. बिंदिया छटपटा उठी. दूसरे तरफ से रंगा ने हुम्ला किया और उसे बिस्तर पे लिटा दिया और अपने एक पैर से बिंदिया को जाट दिया.

बिंदिया उनके चंगुल में सिर्फ़ चीख और छॅट्पाटा ही पा रही थी.

जग्गा दूर खड़ा अपनी धोती ढीली कर रहा था. बिस्तर के करीब आते तक उसके बदन पर कपड़े का एक भी रेशा ना था. बिंदिया कसमसाते हुए जब कनखियों से जग्गा को देखा तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी. भालू जैसे बॉल भरे विशालकाय नंगे बदन पे मोटे सोट जैसा लंड ने बिंदिया के होश उड़ा दिए.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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