कलयुग की द्रौपदी

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rajsharma
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Re: कलयुग की द्रौपदी

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जग्गा अब रानी पर थोडा झुक गया और उसकी घुंडीयों को मसल्ने लगा. रानी का मीठा दर्द और बढ़ गया और उसे फिर से एक बाँध के टूटने का एहसास हुआ.

यही समय था जब जग्गा ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और फिर एक झटके साथ अपनी कमर रानी की चूत पर चिपकाते हुए अंदर एक लंबी वीर्या की पिचकारी छ्चोड़ी जो रानी के गर्भ को गरम कर गयी.

रानी छटपटा उठी. इतने में रंगा ने भी अपना वीर्य का फव्वारा रानी के गले में छ्चोड़ दिया.

1-1 ग्लास वीर्य अपने दोनो च्छेदों से पीने के बाद रानी थक कर चूर हो गयी थी. जग्गा ने यक्कीन कर लिया की सारा वीर्य गर्भ में समा गया है तो 2-3 मिनट बाद अपना लंड चूत से निकाल लिया. ‘प्लुप्प’ की आवाज़ क साथ उसका खून से सना लंड बाहर निकल गया.

लंड निकला तो रानी की फूलती-पिचकति चूत के दर्शन हुए जो 1” खुली हुई दिख रही थी. आस पास खून जम गया था जो जांघों तक रीस कर भी आ गया था.

रानी तो ऐसा लग रहा था बेहोश हो चुकी हो पर तभी रंगा ने वो बूटी रानी को सूँघाई तो सपकपाते हुए उठ बैठी. अपनी चूत को निहारते हुए उसने बिल्कुल मासूमियत से बोला – आख़िर फॅट ही गया ना मेरा योनि?? पर ठीक है अब बार बार तो नही फटेगा ना??

तभी उसे एहसास हुआ की होठों के साइड से वीर्य की एक धार नीचे गिर रही है तो उसने झट से उसे उंगली में लपेट चाट लिया.

नही फटेगा गुड़िया रानी, अब तो तुमको हमेशा स्वर्ग का आनंद आएगा – रंगा बोला.

जग्गा ने रानी के चुनरी से अपने लंड को सॉफ किया फिर रानी के खून से सने चूत और जांघों को साफ किया.

दो बार हल्का होकर वो भी फिलहाल थक गये थे. रानी को बीच में सुला दोनो उसके आजू-बाजू नगनवस्था में सो गये.

करीब 3-4 बजे सुबह की बात होगी जब रानी ने अलसाते हुए एक मादक अंगड़ाई ली जैसे ही बेड से उठना चाहा, छाती पे एक दबाव की वजह से फिर से बेड पर गिर गयी. ठीक से आँखें कोला तो देखा रंगा जो उसके दाए साइड था मूह दूसरी तरफ करवट कर सोया हुआ था और जग्गा जो उसकी तरफ करवट किए था, उसका लेफ्ट हाथ रानी के सीने पे था और लेफ्ट जाँघ उसके पैरों पे.

रानी को बड़े ज़ोरों से सूसू लगी थी और उसकी कमर टूट रही थी. लंबी चुदाई से उसका चूत का रेशा-रेशा ढीला हो गया था. उसने जग्गा के हाथ को तो उठा कर साइड कर दिया पर उसकी जाँघ बेहद भारी थी. अब वो उठ बैठी थी और किसी तरह जाँघ उठाने का प्रयास कर रही थी. इस चहल-पहल में जग्गा की नींद भी उचट गयी और वो आँखें मीचता हुआ उठ बैठा.

रानी की ठुड्डी पे हाथ रख पुचकारते हुए उसने पूछा – का बात है गुड़िया रानी, का हो गया आधी रात को??

रानी ने अल्साते हुए भोलेपन से बोली – नीचे बहुत दुख रहा है और जल भी रहा है. उसपे से बहुत ज़ोर से पेसाब आया है.

उसके भोलेपन पर जग्गा मुस्कुराया और अपने पैर हटाके बोला – जाओ बूछिया जाओ! जाओ जाके मूत आओ.

रानी बेड से उठी तो एक बार को लड़खड़ा गयी क्यूंकी उसकी थॅकी टाँग और बहाल कमर ने जवाब दे दिया. जैसे तैसे करती वो दरवाजे तक पहुँची तो बाहर देखा काफ़ी अंधेरा था.

वो काफ़ी डर गयी. उसने धीरे से मिन्नत भरे स्वर में आवाज़ दी – आए जी सुनते हैं??

ज़रा हुमको गुसलखाने तक राह दिखा दीजीएना, यहाँ बहुत अंधेरा है!

जग्गा मुस्कुराते हुए उठा और बरामदे की लाइट ऑन कर रानी को गोद में उठा लिया और गुसलखाने तक ले आया.

उनका टाय्लेट-कम-बाथ था जो काफ़ी बड़ा था. बाथ टब भी था.

अंदर घुसकर उसने रानी को उतारा और बोला – मूत ले गुड़िया!

रानी को ज़ोर की लगी थी पर जग्गा की उपस्थिति से वो मूतने में शर्मा रही थी. वो मिन्नंत भरी निगाहों से बोली – आप बाहर तो जाइएना!

जग्गा हंस पड़ा और बोला – चुड़वे के बाद भी शर्मा रही है? चल मूत हमारे सामने फिर हमको भी मूतना है!

मजबूरी में रानी ने अपना घांघरा दोनो हाथों से कमर तक उठाया और कॅमोर्ड की तरफ बढ़ गयी. पर गाओं की उस नादान अनपढ़ लड़की को समझ नही आ रहा था की वो इस बकेट जैसी चीज़ में मूतेगि कैसे.

जग्गा उसकी पशोपेश को समझ गया और बोला – उसपे बैठ जाओ और मूतो.

बैठने से जाने रानी ने क्या समझा, वो कमोर्ड की सीट पर अपनी दोनो पैर रखकर बैठ गयी और मूतने लगी. ऐसा करने से उसकी लाल चुदी हुई बूर के दर्शानजगगा को हो गये और उसका लंड फिर टनटना गया. रानी ने अपने पेसाब की सुनेहरी धार निकालनी चालू की तो उसकी जलती चूत उस गर्माहट से और जलने लगी और वो सीसीया के रह गयी.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

जग्गा हमदर्दी दिखाते हुए बोला – बहुत दरद हो रहा है हमारी रानी??

रानी जो अब खाली हो चुकी थी बोली – जल रहा है बहुत और दरद भी हो रहा है.

ये कहके वो कमोर्ड से उतरने लगी तो जग्गा जल्दी से बोला – अर्रे अरे बैठे रहो! हम अभी एक दवाई लगा देते है जलन दूर हो जाएगा.

ये कहके वो पास आया और अपने लपलपाते लंड का निशाना रानी की चुदासी चूत की तरफ कर के अपने पेसाब की सुनेहरी धार पूरे ज़ोर से निकाल दिया.

उसकी मूत की धार सीधे रानी की चूत पे टकराई तो रानी सीसीया उठी. पर 3-4 सेकेंड में ही उसकी चूत पर बड़ी राहत महसूस हुई. जग्गा के ब्लॅडर में तो मानो पूरा सागर समाया हुआ था. करीब 1 मिनट तक वो रानी की चूत पर मूत ता रहा.

रानी को सचमुच अब काफ़ी अच्छा लग रहा था. वो चहकते हुए बोली – अरे वा ई तो बहुत अच्छा दवाई है. रोज लगाइएएगा मेरी योनि पे. एकद्ूम ठीक हो जाएगा.

जग्गा उसके भोलेपन पर मुस्कुरा दिया और रानी के होठ पे अपने होठ रख चूसने लगा और उसे गोद में उठा कर रूम में आ गया.

बेड पे लेटते ही रानी रंगा के तरफ करवट कर लेट गयी और सोने का प्रयास करने लगी.

जग्गा, जिसका हल्का होने के बाद लंड फिर से तन गया था, उसकी आँखों से नींद कोसों दूर थी.

वो भी रानी के तरफ करवटसे हो गया और उसे अपने करीब खीच कर उसकी नंगी पीठ अपनी छाती से चिपका दिया.

जग्गा ने जो ट्रीटमेंट दिया था उसकी वजह से रानी को भी उसपर बहुत प्यार आ रहा था. और फिर वो भी हल्का होने के बाद रूम की ए/सी की ठंडक महसूस करने लगी थी इसलिए जग्गा के गरम बदन का स्पर्श उसे अच्छा लगा.

वो और भी जग्गा से चिपेट गयी.

जग्गा ने अपना लेफ्ट हाथ रानी के उपर से ले जाकर उसके चूची पे रख दिया और हल्के-हल्के घुंडी को मीसने लगा. रानी के आँखों में लाल डोरे तैरने लगे और उसकी आँखें अपने आप ही बूँद होने लगी. मीठी गुदगुदी फिर से उसके पुर बदन में दौड़ने लगी.

उसने अपने लेफ्ट हाथ को जग्गा के हथेली पर रखा और प्यार से सहलाने लगी.

जग्गा के लिए तो बस इतना इशारा ही काफ़ी था. उसने अपना लेफ्ट हाट हटाया और दूसरे हाथ को रानी के गर्देन के नीचे से ले जाते हुए रानी के चूचियों पे रख दिया और सेम खेल खेलने लगा.

हालाकी रानी को समझा नही की जग्गा ने ऐसा क्यूँ किया पर उसे अच्छा लग रहा था की ऐसे पकड़ने से उनके जिस्म पूरी तरह से एक-आकार हो गये थे. अब वो जग्गा के राइट कंधे पर सर रख कर मज़े ले रही थी.

जग्गा ने अपने फ्री लेफ्ट हाथ को रानी के जांघों पे रखा और घांघरा खिसकाते हुए कमर तक ले आया.

तभी रानी को अपनी गांद पर जग्गा का गरम सरसराते लंड का एहसास हुआ तो वो समझ गयी की जग्गा ने अपनी अवस्था क्यूँ बदली थी.

पर वो श्योर नही थी की वो जग्गा के लंड को फिर से झेल पाएगी या नही इसलिए वो सवालिए स्वर में पूछी – आए जी सुनिएना! फिर से कीजिएगा क्या??

जग्गा उसके कान में फुसफुसाते हुए बोला – डरो मत, अब तुमको दरद नही होगा. जो होना था वो तो हो गया है. अब तो खाली मज़ा आएगा.

रानी सहम्ते हुए बोली – देख लीजिए, आप ही का गुड़िया हैं, कहीं कुछ हो गया तो आपलोग का सेवा नही कर पाएँगे!

जग्गा ने श्योर करते हुए कहा – कुछ नही होगा, अब तो तुम दो-दो लंड लेने के लिए तैयार हो चुकी हो मेरी रानी! एक चूत में और एक गांद में.

रानी ने उसकी धूर्त बातें सुनकर ‘धात’ कहके शर्मा गयी.

जग्गा ने अपनी बीच की उंगली पर ढेर सारा थूक लगाया और पीछे से रानी के चूत पर फिराते हुए आधा अंदर घुसा के पेलने लगा. फिर से चूत में कुछ महसूस कर पहले तो रानी को हल्का सा दर्द हुआ पर फिर मज़ा आने लगा.

अब उसे माला और जग्गा की बात सही लग रही थी की ‘पहली बार सज़ा, बाद में फिर मज़ा’.

5 मिनट में रानी की चूत गीली हो गयी और वो उखड़ी साँसों से सीसीयाने लगी.

अया ............. धीरे कीजीएना...........अच्छा लग रहा है...........हाआआअन हां.....और थोडा अंदर डालिएना.........आआआआआआः.............सीईईई...........सीईईईईईईईईईईईईई......सी....सी.

जग्गा ने महसूस किया की रानी के चूची और घुंडी टाइट हो गये थे तो उसने सही वक़्त जान अपने लंड को चूत के मुहाने पर लाया और हल्के से एक दबाव से 3” अंदर घुसा दिया.

हल्के दर्द से रानी के मूह से एक हल्की ‘आह’ निकली और वो आगे की तरफ सरकी पर जग्गा ने उसे थामे रखा. उसने रानी के दोनो पैर घुटनो से मॉड्कर छाती तक उपर उठा दिया था जिससे चोदने में आसानी हो रही थी. उसने रानी को अब यूँ जाकड़ रखा था जैसे वो रब्बर की एक गुड़िया हो और रुई की तरह हल्की. सक-सक करता हुआ वो रानी के चूत की गहराई अपने लंड से मापता जा रहा था.

8” तक पेलने के बाद रानी को थोड़ा दर्द हुआ तो वो उसके गर्दन और कान की लाओं पर चूमने-चाटने लगा. रानी झट से मस्ता गयी और धीरे-धीरे अपनी कमर को जग्गा के धक्कों के साथ मेल करती हुई आगे-पीछे करने लगी. उसकी आँखें बूँद थी और उसे लग रहा था की वो सातवे आसमान में उड़ रही हो. चेहरे पर मस्ती से मुस्कुराहट छाइ हुई थी और लबों से कुछ भी आंट-शॅंट निकल रहा था.... हाआन.........ऐसे ही उड़ना है हमको..........एकदम हलका लग रहा है..................बहुत बादल है यहाँ.................अहह........माआआअ..........ज़ोर उड़ाएना हमको............
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

जग्गा उसकी भोली बुदबुदाहट सुनकर और मस्त हो गया और उसने एक हाथ से रानी की चूचियों को कस्के जकड़ा और दूसरे से उसकी मुड़े पैरो को उठा लिया और धक्के की रफ़्तार बढ़ा दी. अब उसका पूरा 10” रानी के गर्भ पर दस्तक कर रहा था. च्चप्प्प्प्प..........ठप्प्प्प....ठप्प्प्प्प्प्प्प.........सट-सटासट आवाज़ के साथ पिस्टन गाड़ी की रफ़्तार बढ़ाए जा रही था. इसके साथ रानी के पायल की चमचमाहट भी माहौल में रंग भर रही थी.

10 मिनट में रानी के बदन ने 2 बार झटके लेकर ये सूचित कर दिया था की उसके खेत में बाढ़ आ गयी थी.

पर जग्गा तो 15 मिनट तक अपने 2” मोटे लंड से रानी की गुलाबी चूत को पेलता रहा और फिर अपने कमर को एक करारा झटका देकर रानी की गांद पर दबा दिया और रानी के बगीचे में पानी से सीचाई कर दी. ये पानी खाद का काम कर एक दिन मोहक फूलों को जनम देंगे.

गरमागरम वीर्य की धार गर्भ में महसूस करते ही रानी के मुँह से एक ठंडी आआआआअहह निकल गयी.

और 5 मिनट तक ये तसल्ली होने पर की सारा वीर्या रानी की क्यारी में जब्त हो गया है तो जग्गा ने धीरे से अपना लंड नहर से निकाल लिया.

इस चुदाई से रानी को बहुत आनंद आया था. पहले अनुभव के बाद उसने सोचा भी नही था की ये क्रीड़ा इतना सुख देगी.

उसे जग्गा पर बहुत प्यार आया और वो उसकी तरफ करवट कर खुद से उसके होठों को चूमने लगी. जग्गा ने उसे अपने बाहों में भर कर अपनी छाती से चिपका लिया और उसे प्रगाढ़ चुंबन लेने लगा. रानी की लार जी भर पीने एके बाद उसने रानी को अलग किया. फिर रानी ने जग्गा के विशाल छाती में अपना सर च्छुपाया और अपनी एक जाँघ उसके उपर रख नन्ही गुड़िया जैसे सिकुड़कर सो गयी.

सुबह करीब 9 बजे रंगा-जग्गा की नींद खुल गयी. रानी अभी भी सो रही थी. उसके दोनो पैर वी-शेप में फैले हुए थे और एक हाथ सर के उपर और दूसरा बॉडी के साइड में. पूरी बेफिक्री से सो रही थी वो. उसके चेहरे की मासूमियत और दुल्हन जैसा सज़ा-धज़ा बदन देख दोनो सोचने लगे की अच्छा हुआ जो इसने उनके बहकावे में आकर अपना सब-कुच्छ लुटाने को तैयार हो गयी नही तो उन्हे भी रानी का रेप करना पसंद नही आता.

रंगा ने एक 10“ के हाइट और 3 फीट चौड़ाई वाले टब में ढेर सारा रूम डालकर रख दिया और रानी के उठने का इंतेज़ार करने लगा.

करीब 10 बजे रानी की नींद उचट गयी और वो पलंग पर उठ बैठी. अपनी नगनवस्था पर उसके गाल लाल हो गये और वो झॅट से अपनी चोली पहन ली और घांघरा नीचे सरकाते हुई बेड से उतरी.

चूत और कमर तो अभी भी टूट रहा था इसलिए वो थोड़ा लड़खड़ा गयी. खुद को संभालते हुए वो नीचे रसोई में आ गयी. दोनो उसे कहीं नज़र नही आ रहे थे. इतने में रंगा उसे बाथरूम से निकलता नज़र आया तो उसकी तरफ लपकी और सर पे पल्लू लेते हुए झुक कर उसके पैर छू लिए.

रंगा ने उसे आशीर्वाद देते हुए बोला – गुड़िया! रात ठीक से नींद आया रहे की ना? हमरे सोने के बाद कुच्छ आवाज़ हो रहा था और पलंग हिल भी रहा था. वो मुस्कुराते हुए बोला.

उसे मालूम था की जग्गा ने रात में दूसरी पारी खेली थी.

उसके इस सवाल पे रानी झहेप गयी और लजा कर मूह फेर कर किचन में आ गयी.

रंगा उसके पीछे आया और बोला – नही बताना चाहती तो ना बताओ, पर ई तो बताओ की हमरे प्रसाद का कब भोग करोगी बाकी जगह.

चुहलबाज़ी करते हुए रंगा ने रानी के कमर पर चुटकी काटी.

रानी को जग्गा के लंड का अपनी चूत पर हुए क्रूर प्रहार याद आ गये और उससे पैदा होने वाली मस्ती की सोच वो मस्ता गयी.

वो रसोई के बरनर वाले प्लॅटफॉर्म से सट के खड़ी थी और उसकी पीठ रंगा की तरफ थी.

रंगा ने इस बार निरुत्तरर रानी के घान्घरे में हाथ डालके उसकी चूत पकड़ ली.

उसकी इस उनपरत्याशित हरकत से रानी सपकपा गयी और उसके तरफ मूह करके रंगा के छाती में सर छुपा के उसके बदन से लिपट गयी.

रंगा अब अपने दोनो हाथ रानी के नितंबों पर सरसरने लगा और एक हाथेलि से उसकी चूत फिर से दबाकर पूछा – बोलोना गुड़िया रानी, ई भगवान को भोग कब चढ़ाओगी और प्रसाद कब ग्रहण करोगी????

ये कहके उसने लेफ्ट हाथ से रानी का च्चेहरा उठाया तो देखा की उसके गाल लाल हो गये हैं. शरम से उसने आँखें बंद कर रखी थी.

रानी धीरे से शरमाते हुए बोली – आप ही की तो गुड़िया हैं! जैसे चाहे खेल लीजिए!

वो रंगा की छाती तक भी पूरा नही पहुचती थी.

रंगा ने अपना सर झुका कर रानी के जलते होठों पे अपने होठ रख दिए और अपनी जीभ अंदर घुसाके रानी का लार पीने लगा.

रानी को जैसे मालूम था की ऐसा होने वाला है, शायद इसलिए उसने अपने आधार खोल दिए थे ताकि रंगा पूरी तरह उस कली का रस-पान कर सके.

रानी के मूह से अभी भी गुलाब की हल्की खुश्बू आ रही थी. पर टेस्ट उनके वीर्य और शहद का मिक्स आ रहा था.
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

रानी को अपने नंगे पेट पर रंगा के साप का एहसास हो रहा था जो इस वक़्त लूँगी में था.

रंगा ने 2 मिनट तक तन्मयता से रानी का रस पीया और उससे अलग हट के बोला – बहुत रसीली है हम. लुगाई. पर हमारे में भी रस कम थोड़ी है.

अच्छा सुनो, जग्गा बाहर गया है शाम तक लौटेगा. नाश्ता टेबल पे रखा है. पहले नहा-धो लो फिर खा लेना. आज तुमको कोई काम करने की ज़रूरत नही है.

ये सुनकर रानी को अच्छा लगा की रसोई से तो कमसे कम छुट्टी है.

वो बाथरूम में आई और ब्रश से मूह धोने लगी.

रंगा उसके पीछे-पीछे आया और इशारे से टब दिखाते हुए बोला – मेरी चिड़िया, सुनो, ये टब में दवाई है जिसमे नंगा होके 20 मिनट बैठ लेना और चूत के अंदर बाहर अच्छे से मल लेना. इससे तुम्हारा दरद और थकान दूर हो जाएगा. और जब हो जाए तो हुमको बुला लेना.

रानी ज़मीन में नज़रें गड़ाई हुई “हां” में सर हिला दिया.

रंगा जानता था की चूत को रसदार और टाइट बनाए रखने के लिए ये ज़रूरी है.

आधे घंटे बाद रानी बाथरूम से चूत धोकर और नाहकार एक टवल लपेटा और दरवाज़ा खोलकर रंगा को आवाज़ दी – आए जी, सुनते हो? हमारा हो गया है.

रंगा झट से वहाँ पहुँचा और अंदर घुसकर दरवाज़ा बंद कर लिया.

उसने अपनी लूँगी निकाल ली और बोला – सुनो बूछिया! अब हम तुम्हारा दूसरा द्वार खोलेंगे और पूजा करेंगे.

रानी पलके झहापकती हुई असमंजस से उसे देखती रही.

रंगा ने बाथरूम के एक छ्होटे आल्मिरा में से एक तरल पदार्थ की बॉटल निकाली और बोला – ई 2 चम्मच पीने से तुम्हारा दूसरा दरवाज़ा खुल जाएगा और फिर हम अपने लंड से वहाँ पूजा करेंगे. इससे तुम्हारा पूरा पेट सॉफ हो जाएगा और मलद्वार यानी गांद का छेद अ भी.समझी!! पूजा करने के पहले पूजा स्थान साफ तो करना होगा ना???

रानी उसके बातों का मतलब समझ अंदर से थरतर्रा गयी. पर उसने तो अब अपना तन-मंन सब उनको समर्पित कर दिया था तो पूरे आस्था के साथ बोली - हमको तो भगवान के मूर्ति पूजने से ज़्यादा प्रताप आपको पूज के मिलेगा. अब तो आप ही मेरे मंदिर हैं और हम आपके भक्त जिसको अपपका प्रसाद प्राप्त होता है! आप जैसी पूजा चाहते है वैसे ही होगा.

ये सुनकर रंगा गदगद हो गया और दो स्पून लिक्विड रानी को पीला दिया. वो काफ़ी कड़वी थी इसलिए रानी ने मूह बनाते हुए पी लिया. करीब 1 मिनट में ही उसे प्रेशर बिल्ट-उप होता हुआ महसूस हुआ और वो झट से अपनी टवल उतार कमोर्ड पे बैठ गयी.

उसके पेट में दाने का अगर एक भी अंश होगा तो वो पूरा पानी बनकर बह गया.

जब उसका पेट पूरा सॉफ हो गया तो रंगा ने प्लास्टिक पीपे को नल से लगाया और उसके एंड पर एक प्लास्टिक टोटी लगाई जो 4” लंबी थी. उसने रानी को बाथ टब का सहारा लेकर झुकने को कहा.

रानी के झुकते ही उसका गोल नितंब उभर गया जिसमे वो डार्क ब्राउन गांद का च्छेद ऐसा लग रहा था मानो चेररी ओन ए केक.

रंगा ने एक हाथ की उंगली पर बेबी आयिल लगाते हुए रानी के च्छेद पर सुरसुराने लगा. रानी को गुदगुदी होने लगी. धीरे-धीरे उसने च्छेद के अंदर करीब 1“ उंगली घुसा कर पेलने लगा. ऐसा करने से रानी की गांद स्लिपरी होती जा रही थी पर उसे दर्द भी हो रहा था.

अब उस 1“ में रंगा ने टोटी घुसा दी और नाल ऑन कर दिया.

पानी पुर प्रेशर के साथ रानी को अपनी गांद में महसूस हुआ. वो ज़ोर से सीसीया उठी.

इसी प्रकार टोटी को धीरे-धीरे रंगा उसकी गांद में धकेलटा गया. 4” घुसने के बाद रानी को पानी अपने अंतडियों तक आता महसूस हुआ. हालाकी पानी उसकी गांद से बाहर भी निकल जा रहा था पर फिर भी उसे लग रहा था जैसे उसके अंदर कोई सागर बन रहा हो.

जब 3-4 मिनट बाद रंगा को तसल्ली हो गया की रानी का मलद्वार पूरी तरह खाली और क्लीन हो गया है तो उसने नल बूँद कर टोटी उसके गांद से निकाल ली. टोटी के निकलते ही रानी के गांद का च्छेद 1” साइज़ के ‘ओ’ सा दिख रहा था. अंदर अंधकार और च्छेद धीरे-धीरे फूल-पिच्छक रहा था.

थोड़ी देर में रानी का गांद सामान्या अवस्था में आ गयी.

अब रंगा ने अपनी लूँगी उतार दी और बाथ टब में बबल बाथ के लिए उतर गया और रानी को भी बुला लिया.

टब में रंगा ने रानी को अपनी ओर मूह करके जांघों पर बैठा लिया. रानी के चूतड़ रंगा के लंड के उपर थे और उसके दोनो पैर रंगा के कमर के दोनो तरफ.

रानी को रंगा का मोटा डंडा अपने गांद के दरारों में महसूस हो रहा था की इतने में रंगा के राइट हॅंड की मिड्ल उंगली रानी गांद पर सरसरने लगी. उसने रानी के होठों पे अपने होठ रख दिए और चूमने-चूसने लगा. हर पल उसकी उंगली रानी के च्छेद में आगे की ओर पेलते हुए बढ़ती जा रही थी. पानी साबुन से भरा था इसलिए उंगली और गांद की च्छेद में अच्छा फ्रिक्षन हो रहा था. कभी उंगली के दबाव से रानी को ऐसा लगता की उसका कलेजा मूह को आ रहा है तो रंगा उसकी चूची की घुंडीयों को मीस देता.
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Re: कलयुग की द्रौपदी

Post by rajsharma »

5 मिनट तक ये खेल चलता रहा जब तक रंगा का 1” चौड़ा और 4” लंबी उंगली पूरी की पूरी रानी के च्छेद में समा गयी. खेल में बदलाओ आया और रंगा ने दूसरी उंगली घुसाने का प्रयास किया. रानी को ऐसा लगा जैसे कोई उसे दो टुकड़ो में काट रहा हो. उसके मूह से हल्की चीख निकली और उसने मिमियाते हुए गुहार लगाई – सुनिएना! प्लीज़ कुच्छ और तैल लगा के कीजीएना. बहुत दुख़्ता है. लगता है हमरा दिल निकल के मूह से गिर जाएगा!!!

रंगा ने थोड़ा रहम किया और आयिल की प्लास्टिक बॉटल को रानी के च्छेद पर रखके ज़ोर से दबाया जिससे टेल की पिचकारी निकली और उसके गांद में समा गयी. रंगा ने झत्ट से फिर अपनी दो उंगली अंदर घुसा दी. तैल की लिसलसाहट से अब दोनो उंगलियाँ आराम से पेल रही थी.

5 मिनट बाद रंगा ने रानी के दोनो नितंब थाम्के उसे थोड़ा उपर उठाया और उसके च्छेद पर अपना 10” लंबा लंड का सूपड़ा टीका दिया.

रानी ने उसे महसूस कर आने वाले हमले के लिए खुद को अंदर से तैयार कर लिया.

उसने धीरे से रानी के चूतडो को अपने लंड पे दबाया तो रानी उचक कर उपर उठ गयी.

अंजानी नर्वुसनेस की वजह से वो हर बार खुद को लंड पर से खीच ले रही थी.

3 बार ऐसा होने पर रंगा रानी के डर को महसूस किया और फिर उसने एक हाथ रानी के इर्द-गिर्द लपेटकर खुद से च्चिपका लिया और दूसरे से अपने लंड को पकड़ कर उसके च्छेद पर रखकर हल्का सा दबा दिया. इस बार सूपड़ा अंदर समा गया. फ्रिक्षन अच्छा होने की वजह से रानी को कुच्छ महसूस ना हुआ. दूसरी बार रंगा ने रानी को दोनो बाजुओं से जाकड़ कर ज़ोर से नीचे दबाया और साथ ही अपनी कमर को भी उपर उच्छाल दिया. ऐसा करते ही 5” लॉडा गुफा में सरसरता हुआ प्रवेश कर गया. रानी की आँखें उबल पड़ी. उसके कंठ से एक दबी-घुटि चीख निकल गयी जिसे रंगा ने अपने होठों से दबा दिया. उसके होठ रानी हो बेतहाशा चूम-चाट-चूस रहे थे.

जब भी रानी के लब आज़ाद होते तो उसकी आहें निकल जाती.

आआआआआआआआआआआआआआआआह……………..ओओओओओओओओओओओओओह………बस……..फॅट गआय्ाआअ…..आआआअननह.

रंगा को ये आवाज़ें और उत्तेजित कर रही थी. उसने 5” लंड को ही धीरे-धीरे पेलना चालू कर दिया.

दूर से देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे उस नन्ही सी जान की गांद में किसी लड़के ने अपना हाथ ही घुसा दिया हो इतना मोटा था रंगा का लंड.

2 मिनट बाद रंगा ने फिर से रानी को उपर से पकड़ा और ज़ोर से नीचे की ओर दबा दिया. इस बार तीर सारी रुकावट चीरता हुआ 10” रानी की गांद में प्रविष्ट कर गया.

आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ……………………….माआआआआआऐययईईईईईईईईईईई……………..बचाई ले हमको………………………ऊऊऊओ………..माआआआआआआईयईईईईईईईई……….बस करिए मालिक…………….सब फॅट गया……….आआआआआआआहह.

रानी की दर्दभरी चीखें बंद बाथरूम में गूंजने लगी पर भला इस बियाबान में कौन उस दुखियारी की सुन ने आता.

उसकी चीखें दर्दभरी सिसकियों में तब्दील हो गयी और आँसू आँखों का साथ नही छ्चोड़ पा रहे थे.

सही मायने में गांद फटना क्या होता है ये आज रानी ने जान लिया था. और इस प्रकार के संभोग में कोई मज़ा नही होता यह भी उसके समझ में आ गया था. फिर भी वो अपने देवता की उपासना में कोई खलल नही डालना चाहती थी इसलिए ये क्रूरता झेल रही थी.

रंगा ने उसका दर्द कम करने के लिए उसकी चूची मूह में भर के चूसने-चाटने लगा. इससे कुच्छ मिनटों बाद रानी का दर्द थोड़ा कम हुआ और वो अपनी छाती पर फैली मस्ती का आनंद उठाने लगी.

रंगा ने धक्के की रफ़्तार बहा दी.

जब उसका लंबा-मोटा लंड रानी की नन्ही गांद को चीरता हुआ पेले जा रहा था तो पूरे बाथरूम में च्चप्प-च्चप्प टब के पानी की आवाज़ आ रही थी और साथ ही बेसूध और मस्तायि रानी के मूह से उउउउउउउउउउउउन्न्न्न........उउउउउन्न्न्न्न्न्न्न्न...........ऊवूऊवूयूवूयूयुवयन्न्न की सिसकारी. रानी ने इस हमले को झेलने के लिए रंगा के पीछे टब के किनारों को अपने दोनो हाथों से मजबूती से पकड़ रखा था और अपने गांद को उसके धक्कों से मॅच करते हुए उपर-नीचे कर रही थी.

रंगा इस तरह उस अनछुई कमसिन कुँवारी लड़की को अपने दूसरे च्छेद का ऐसे मज़ा लेते देख मस्ती से बौरा गया और 9-10 मिनट एक लंबी आहह भर वीरगति को प्राप्त हो गया.

अपना गाढ़ा वीर्या करीब एक मीं तक उसने रानी के गांद में छ्चोड़ा और रानी के चेहरे को हथेलियों में भरके उसके होठ चूसने लगा. रानी को अब तक तो ऐसा लग रहा था जैसे किसीने उसकी गांद में जलता हुआ लोहे की छड़ पायबस्त कर दी हो पर वीर्य के छ्छूटने पर ऐसा लगा जैसे वो छड़ गल कर उसकी ही गांद में बह गया.

रंगा का लंड सिकुड़कर 6” का होगआया करीब 2 मिनट में. उसने धीरे से रानी के गांद को अपने लॉड से आज़ाद किया तो देखा कुच्छ वीर्या रानी के फूलती-पिचकति गांद से बहता हुआ पानी में गिर रहा था. उसने जल्दी से अपनी हथेली को च्छेद के नीचे रख सारा वीर्या कलेक्ट किया और रानी के होठों के करीब लाता हुआ बोला – लो गुड़िया रानी, अपनी पूजा का प्रसाद!!

रानी ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी जीभ से रंगा की हथेली चाट ते हुए सारा वीर्य पी लिया.

रंगा ये देख कर बहुत प्रसन्न हुआ की रानी एक बहुत ही अच्छी लंड-चूसक बनती जा रही थी.

दोनो फिर टब से निकलकर झरने के नीचे नहाए और टॉवेल लपेटकर बाहर आ गये.

रंगा ने रानी को अपने जांघों पर बैठाके खाना खिलाया और बिस्तर पे लाकर लिटा दिया.

12 घंटे के अंदर 3 बार रंगा-जग्गा के मूसलों से पस्त रानी को 15 मिनट में ही फिर से नींद आ गयी.

दोस्तो इस पार्ट अब य्यहीं बंद कर रहा हूँ आगे कहानी के साथ फिर मिलेंगे लकिन बताना मत भूलना कहानी कैसी लगी

अब तो आपने देख ही लिया है अपनी रानी यानी कलयुग की द्रौपदी अपने दोनो छेदों से लंड लेने लग गयी है

और मज़े भी लेने लग गयी है बाकी कहानी के साथ अगले भाग मे फिर मिलेंगे
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj sharma
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